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Adultery घर में दफन राज(इंसेस्ट; एडल्टरी ; कॉकोल्ड)

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क्या आप लोग मोनी दीदी के फ्लैशबैक जानना चाहोगे किसने पहली बार मोनी को कली से फूल बनाया

  • टीचर ने

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Rsingh

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मोनू को मानो कुछ खबर ही नहीं होती है कि उसकी मम्मी बंदना दरवाजे के बाहर उसको आवाज दे रही है दरवाजा खोलने के लिए, मोनू चरम आनंद के सागर में गोते लगाते हुए अपने लिंग के ऊपर हाथ चलाते हुए आंखें बंद करता हुआ सिसकियां ले रहा होता, और अपने आप को उस गंदी कहानी के नायक के तौर पर महसूस कर रहा होता है कि तभी उसके लिंग से वीर्य की पिचकारी मारने शुरू हो जाती है। कुछ वक्त मोनू ऐसे ही शांत होता है और जब वह हल्के होश में होता है तो उसे दरवाजे पर उसकी मम्मी की आवाज सुनाई देती है तो वह जल्दी से उठ करके सब कुछ ठीक कर देता है। और फिर भागता हुआ दरवाजे की तरफ बढ़ता है और खोलता है तो दिखता है सामने उसकी मम्मी खड़ी होती है।


वंदना: कब से आवाज लगा रही हूं क्या कर रहा था ऐसे में तो कोई काम का आदमी अगर आएगा तुमको आवाज देते रह जाएगा और तुम्हें तो कोई होश ही खबर नहीं रहेगी।

मोनू: मम्मी वह मैं ना थोड़ा नींद में चले गया था इस वजह से मुझे मालूम ही नहीं चला था कि आप दरवाजे पर मुझे आवाज दे रहे हो।

वंदना: तुम करते क्या हो जो कि रात में भी इतना लेट तक सोते हो दिन में भी सोते हो तुम ना आज से मेरे कमरे में सोना तुम्हारा सारा फोन चलाना बंद करवा दूंगी तुम रुको।
शाम को तैयार हो जाना अभी अंकल से बात हो रही थी उनकी जान पहचान है किसी शोरूम में बोला कि वहां से गाड़ी दिलवा आएंगे तो थोड़ा आसान ही रहेगा कुछ कम पैसे भी लगेंगे।

मोनू: सच मम्मी आज शाम को ही जा रहे हैं ठीक है मैं तैयार हो जाऊंगा वैसे चलना कैसे हैं। बाइक से तो 3 लोग जा नहीं सकते हैं तो फिर कैसे

वंदना: तुम्हारे पापा की जो गाड़ी रखी हुई है ना कार से चलेंगे, मैं कदम बढ़ाते हुए मोनू के कमरे की तरफ जाती हूं और देखती हूं तो बिस्तर पर ब्लैंकेट होता है और वहां पर किताब होती है। और ना जाने क्यों मुझे बहुत ही अच्छा लगता है कि हम अखा अपने बच्चे के ऊपर गुस्सा हो गई यह तो पढ़ाई कर रहा था।

मैं मोनू की तरफ प्यार से देखती हूं और उसके गालों पर हाथ फिर कर बोलती मेरा बच्चा पढ़ाई कर रहा था फिर भी उसे कितना सुना दिया मैंने मुआह्ह मेरा बेटा।

मोनू: मैं जैसे ही मम्मी के मुंह से यह बात सुनता हूं मैं मन ही मन खुश हो जाता हूं कि मम्मी मुझे पढ़ाई करता हुआ समझ रही थी , जबकि असल बात तो यह थी कि किताब के अंदर में मैंने गंदी कहानी की किताब छुपा कर के रखा होता है और अक्सर रात में पढ़ाई के टाइम पर उसको पढ़ता हूं तो मम्मी को लगता है पढ़ाई कर रहा हूं, कहीं ना कहीं मैं अपने इस शातिर दिमाग पर अपने आप को बहुत बड़ा होशियार समझ रहा होता हूं।

मैं मम्मी से लिपट जाता हूं और बोलता हूं कोई बात नहीं मम्मी मुझे मालूम है आप मेरा फिक्र करते हो जब से मैंने आपके मुंह से यह बात सुनी है। आप मेरा रिजल्ट लेने जाते हो तो मेरा रिजल्ट खराब होता है तो आपको काफी शर्मिंदगी महसूस होती है। मैंने भी अब सोच लिया है कि कुछ ऐसा करूंगा इतने अच्छे से पढ़ाई करूंगा कि मेरी मम्मी का सर ऊंचा हो जाए जब भी रिजल्ट लेने के लिए जाए।

वंदना: अपने बच्चे के मुंह से ऐसी बातें सुनती हु तो मुझे बड़ा प्यार आता है मैं उसके माथे को चूम कर बोलती हूं मेरा बच्चा कितना समझदार है। मगर बस थोड़ी बदमाशी कम किया करो , और सुनो पापा को यह मत बोल देना कि मैंने तुमको गाड़ी दिलवाई है। उनको मैं अपने तरीके से बताऊंगी एक तो वैसे ही उनको लगता है कि मैं तुमको बिगाड़ दी हूं।
बेटा तुम कुछ खाओगे नाश्ता बना तुम क्या उसके बाद फिर मार्केट भी निकालना है।

मोनू: नहीं मम्मी छोड़ दो ना क्यों फालतू का आप कितना परेशान होते हो दिन भर तो आप हमेशा काम ही करते रहते हो थोड़ा तो आराम कर लिया करो।
मैं जानबूझकर के मम्मी से बड़ी प्यारी प्यारी और ऐसा दिखा रहा होता हूं कि मुझे उनकी कितनी फिक्र है क्योंकि मैं नहीं चाहता हूं कि मेरी बाइक आने में कोई भी ग्रहण लग जाए, आज हम लोग बाहर ही नाश्ता कर लेंगे और वैसे भी आप घर से जल्दी कहीं जाते नहीं हो तो थोड़ा आपको भी अच्छा लग जाएगा है ना।

वंदना: अच्छा अच्छा ठीक है अब बातें कम करो और मुझे मलाई लगाना बंद करो तुम्हारी गाड़ी आने से नहीं रुकेगी। मेरा बच्चा हमी से होशियारी, मेरा प्यारा बेटा तुझे मैंने 9 महीने अपने पेट के अंदर रखा है तो मुझे अच्छे से मालूम है तू कैसा है। वैसे मेरा बच्चा जैसा भी है बहुत अच्छा है अब जल्दी जाकर तैयार हो जाओ,

इधर मैं भी अपने कमरे में आने के बाद अपने कपड़े देख रही होती हूं कि कौन से कपड़े पहनो, मैं अपने नाइटी को उतारकर के आईने के सामने खड़ी हो जाती हूं, लेगिंग्स पहनने के बाद अपने बाल वगैरह सब आने के बाद लिपस्टिक वगैरा लगाने के बाद मैं लगभग तैयार हो जाती हूं और कमरे से ही आवाज देकर मोनू से पूछती हूं तुम तैयार हो गए हो।
तैयार हो गए हो तो जाओ अंकल को बोल दो आने के लिए हम लोग तैयार हैं।

मोनू: हां मम्मी मैं भी तैयार हो गया हूं बस जा रहा हूं अंकल को बोलने के लिए, मैं अपने कमरे से निकलता हुआ सुनील अंकल के पास जाता हूं और उनके दरवाजे के बाहर से ही आवाज देता हूं अंकल तैयार हो गए हैं आप मम्मी बोल रही है नीचे आने के लिए, और हां सुनिए ना हम लोग पापा की कार से चलेंगे।


सुनील: हां मोनू मैं भी तैयार हो गया हूं तुम 2 मिनट रुको ना मैं नीचे आ रहा हूं तब तक तुम गैरेज खोल करके चाबी लेकर गाड़ी की जाओ मैं 2 मिनट में आ रहा हूं। मैं लगभग तैयार हो चुका होता हूं और अपनी पत्नी सुधा से बोलता हूं कि ठीक है मैं जा रहा हूं तुम दरवाजा लगा लेना।
मैं अपने कमरे से निकलता हुआ मोनू के मम्मी के पास जाता हूं और दरवाजे के बाहर से ही आवाज लगाता हूं कि तैयार हो गए हैं आप।

वंदना: मैं जैसे ही सुनील भाई साहब का आवाज सुनती हूं मैं उनको आवाज दे देती हूं हां भाई साहब मैं तैयार हो गई हूं बस 2 मिनट तब तक आप गाड़ी निकालिए ना मोनू गैरेज में ही है।

सुनील: ठीक है आप भी आ जाइए बाहर तब तक मैं गाड़ी निकाल लेता हूं, मैं गैरेज की तरफ जाता हूं और देखता हूं कि मोनू अंदर होता है और गाड़ी का कवर निकाल दिया होता है।
मैं मोनू के हाथ से गाड़ी की चाबी ले लेता हूं और फिर कार का दरवाजा खोल कर अंदर जाता हूं और फिर देखता हूं गाड़ी में पेट्रोल वगैरह है कि नहीं सब कुछ जब सही लगता है मुझे तो फिर मैं बोलता हूं। बीच-बीच में गाड़ी को अंदर से कभी-कभी साफ सफाई कर दिया करो बढ़िया रहेगा। मैं गैरेज से गाड़ी को स्टार्ट करके बाहर निकाल लेता हूं तभी मेरी नजर मोनू के मम्मी के ऊपर जाती है जो कि लेगिंग्स में खड़ी होती है। मैं उनको देखते हुए मोनू को बोलता हूं पीछे का दरवाजा खोल कर बैठ जाने के लिए और फिर दोनों मां-बेटे पीछे बैठ जाते हैं।
 

Rsingh

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कुछ वक्त के बाद भीड़भाड़ वाले जगह से होते हुए सभी लोग बाईपास के तरफ निकल जाते हैं जहां पर एक शोरूम होती है मोटरसाइकिल की और वहां पर सुनील अपनी गाड़ी लगा कर के उतर जाता है।

वंदना: मैं जब दिखती हूं कि गाड़ी एक शोरूम के पास आ करके रुक जाती है जो कि मोटरसाइकिल का होता है तो मैं समझ जाती हूं हम लोग आ चुके हैं मैं मोनू को नीचे उतरने के लिए बोलती ।

मोनू: मैं देखता हूं कि हम लोग मोटरसाइकिल के शोरूम के पास आ गए हैं तो मैं काफी खुश होता हूं क्योंकि पिछले कई महीनों से जिस चीज का मुझे इंतजार होता है वह मुझे अब सच होता हुआ दिखाई दे रहा होता है। सुनील अंकल और मम्मी शोरूम के अंदर जा रहे होते हैं आगे आगे और मैं उनके पीछे होता हूं और वह दोनों आपस में बात कर रहे होते हैं गाड़ियों के बारे में, मैं अंदर आता हूं वह एक-एक करके गाड़ियों को देखने लगता हूं और इधर सुनील अंकल और मम्मी शोरूम के मैनेजर से बात कर रहे होते हैं उनसे पूछ रहे होते हैं।


सुनील: मोनू मम्मी गाड़ी तो सिर्फ स्कूल जाने के लिए और जो थोड़े बहुत घर के काम होते हैं यहां को मार्केट जाने के लिए इन्हीं सब चीजों के लिए चाहिए ना काम से मतलब ही है ना, मेरी अगर सलाह माने तो मेरे ख्याल से नॉर्मल बाइक भी सही रहेगी और बच्चा पढ़ने लिखने वाले उम्र में है तो उस तरह की बाइक दिलवाना मेरे ख्याल से तो सही नहीं लगता है वैसे आपकी जो सोच है वह ठीक होगी आप क्या चाहते हैं बताइए।

वंदना: सुनील भाई साहब की बात सुनकर के मैं सोचने लग जाती हूं क्योंकि मैंने तो मोनू को बोला होता है कि तुम्हारे पसंद की बाइक दूंगी , तभी मैं मोनू को आवाज देती हूं मोनू मोनू


मोनू: मैं पीछे पलट कर देखता हूं कि मम्मी मुझे आवाज दे रही है मैं उनके पास जाता हूं और बोलता हूं हां मम्मी बोलो ना क्या हुआ

वंदना: देखो बेटा बात ऐसी है कि तुम्हें स्कूल जाने से ही मतलब है ना क्योंकि परेशानी होती है बिना गाड़ी के और फिर मुझे भी मार्केट वगैरह जाने में परेशानी होती है तो कहने का मतलब है कि काम से ही मतलब है ना तो कोई नार्मल गाड़ी ले लोगे तो अच्छा रहेगा।सुनील अंकल भी बोल रहे थे कि वह सब गाड़ी अच्छे बच्चे नहीं चलाते हैं पढ़ने लिखने वाला उम्र है।

मोनू: मैं जब यह बात सुनता हूं मुझे तो इतना गुस्सा आ रहा होता है सुनील अंकल के ऊपर मानो जैसे कि उनके सर के ऊपर पत्थर दे मारू मैं अब कहीं ना कहीं समझ रहा होता हूं कि यह सुनील अंकल के द्वारा ही पढ़ाई गई पोल पट्टी है मम्मी को वरना मम्मी ने तो बोला होता है मेरे पसंद की गाड़ी के लिए, मैं सोचने लग जाता हूं क्या करूं नहीं करूं क्योंकि अगर मैं यहां पर भी अच्छा लड़का बने रहा तो फिर क्या फायदा होगा ऊपर से स्कूल में दोस्त मेरा मजाक अलग उड़ायेंगे क्योंकि मैंने तो पहले से ही सबको बता रखी है कि मैं कौन सी गाड़ी लेने वाला हूं।
तभी मैं थोड़ा नाराज और थोड़ा गुस्से वाले अंदाज में दिखावा करते हुए मम्मी से बोलता हूं कि क्या फायदा जब मेरी पसंद की ही नहीं मिलने वाली है तो रहने दो चलो घर चलते हैं। और मैं दिखावा करते हुए शोरूम के सीढ़ियों से नीचे उतरने लग जाता हूं और इंतजार कर रहा हूं ता हूं कि कब मम्मी आवाज देगी मुझे। मैं लगभग पूरा सीधी उतर चुका होता हूं लेकिन मम्मी की आवाज मुझे फिर भी नहीं आती है तो मेरा मन कहीं उदास होने लगता है कहीं दाऊ उल्टा तो नहीं पड़ गया
जब मैं ऑटो से घर जाने के लिए सड़क पार कर रहा होता हूं तो तभी मम्मी की आवाज आती है और मैं पीछे मुड़कर देखता हूं । लेकिन फिर भी मैं जानबूझकर नाराज होने का पूरा ड्रामा कर रहा होता हूं

वंदना: मैं देख रही हूं मोनू कैसे मुझसे नाराज हो गया है क्योंकि मैंने उसको प्रॉमिस किया था कि उसके पसंद की गाड़ी और मेरा बच्चा नाराज होता है। तो मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा होता है मैं उसको आवाज देकर प्यार से बुलाती हूं मोनू मोनी सुनो ना बेटा आजाओ ना वो तो ऐसी ही पूछी ना बस तुमसे मैं देखती हूं कि मोनू मेरे बात को मानता हुआ आ जाता है। मैं प्यार हूं उसका हाथ पकड़ के बोलती हूं पागल नाराज हो गई थी इतनी सी बात के लिए चलो अंदर, मैं मोनू के साथ शोरूम के अंदर आती हूं और फिर सुनील भाई साहब से बोलती हूं। वैसे भाई साहब बच्चे की जिद है तो थोड़ा बच्चों को भी लेकर आजकल चलना पड़ता है ना और वैसे भी मेरा बच्चा बाकी बच्चों जैसा नहीं है लफंगा यह तो मेरा बहुत अच्छा बेटा है।

सुनील: चलिए मोनू मम्मी कोई बात नहीं जैसा आपको ठीक लगे ठीक है तो जो भी गाड़ी पसंद किया है इसमें हम लोगों पेपर वर्क कर लेते हैं। और इधर तब तक मोनू गाड़ी में जो भी सामान वगैरा लगेगा उसको कड़वा लेगा तब तक हम लोग इधर पेपर वर्क भी खत्म कर देंगे।


मोनू: मैं काफी खुश हो जाता हूं क्योंकि मेरा तो चल गया होता है और मैं आज बहुत खुश होता हूं और बड़े प्यार से अपने गाड़ी को कड़वा रहा होता हूं। मैं मम्मी से छुपा कर के वहां का जो मैकेनिक होता है उसको थोड़ा पान पुड़िया खाने के लिए एक्स्ट्रा पैसे भी देता हूं और उनसे बोलता हूं भैया थोड़ा अच्छे से, कुल मिलाकर के कुछ वक्त के बाद इधर सब कुछ हो गया होता है उधर मम्मी और सुनील अंकल ने भी कागजी काम सारा कर लिया होता है। मैं उन लोगों के पास जाता हूं तो देखता हूं सारा काम खत्म हो चुका होता है तो मैं मम्मी से बोलता हूं कि अब हम लोगों को घर निकलना चाहिए वैसे भी अंधेरा होने वाली है।


सुनील: अरे यह क्या बात हुई दोनों मां-बेटे ने मेरे से काम करवा लिया और पार्टी भी नहीं दिए, हा हा हा मैंने जानबूझकर के यह बात मोनू की मम्मी को सुना करके बोला था। और मुझे मालूम होता है कि उनका कुछ ना कुछ जवाब और भी एक्शन जरूर होगा।

वंदना: अरे नहीं भाई साहब कैसी बात कर रहें हैं आपने तो इतना हेल्प किया आपके लिए तो इतनी बनती ही है । वैसे यहां होटल वगैरह में या किसी रेस्टोरेंट वगैरा में खाने से अच्छा है कि पैसा भी ज्यादा लग जाएगा और मजा भी नही आयेगा हम लोग घर के लिए कुछ अच्छा लेते हैं और फिर वही सारी फैमिली होंगे तो अच्छा रहेगा , पहले मिठाई ले लेती हूं बगल पर दुकान से और पनीर भी मैं मिठाई की दुकान पर जाने के बाद मिठाई और पनीर घर के लिए ले लेती हूं और उसके बाद सुनील जी भाई साहब के साथ गाड़ी के तरफ आती हूं और मोनू से बोलती हूं बेटा तुम आराम आराम से गाड़ी लेकर घर चलना मैं और सुनील अंकल आ रहे।

मोनू: कोई बात नहीं आप परेशान मत हो मैं आराम से ही जाऊंगा मम्मी आपको शिकायत नहीं होगी अरे सुनो ना हजार ₹2000 तो दे दो गाड़ी में टंकी फुल करवा लूंगा, मेरे इस बात पर मम्मी मुझे ₹2000 देती है और फिर मैं पेट्रोल पंप पर जाने के बाद गाड़ी के टैंक को फुल करवा लेता हूं और घर की तरफ निकल जाता हूं और इधर सुनील अंकल और मम्मी कार में अकेले आ रहे होते हैं।

सुनील: मोनू मम्मी अब सीधा घर ही चलना है ना या कुछ लेना भी है आपको इधर मार्केट वगैरा से लेना है तो ले लीजिए गाड़ी जब आए हैं लेकर तो अच्छा रहेगा।


वंदना: घर के लिए क्या लेना भाई साहब घर में तो सब्जी वगैरह भी है। और कुछ लेना था खाने के लिए वह तो ले ही लिया है सुधा को आप बोल दीजिएगा खाना नहीं बनाने के लिए आज ।

सुनील: तभी मैं अपना मोबाइल फोन निकालता हूं और अपनी पत्नी को बता देता हूं खाना नहीं बनाने के लिए और फिर फोन कट करके रख लेता हूं। वैसे मैं थोड़ा नाश्ता करने का सोच रहा था मगर घर पर आप खाने का प्रोग्राम रखा है तो फिर अभी नाश्ता कर लूंगा तो फिर खाना नहीं हो पाएगा इसलिए चलिए घर ही निकलते हैं सीधा बिना देर किए हुए।

मोनू: इधर में नई नई मोटरसाइकिल लेकर घर की तरफ निकल चुका होता हूं और अपने चौक के पास पहुंच जाता हूं जहां पर मुझे लोग पहचानते हैं तो जब वह मुझे देखते हैं और जब अगल-बगल की लड़कियां मुझे देखती है तो उस वक्त ऐसा लग रहा होता है जैसे मानो मैं कुछ स्पेशल हूं। और ना जाने क्यों एक रोमांच का लहर मेरे शरीर में दौड़ने लग जाता है और फिर अचानक से मैं अपनी मोटरसाइकिल की एक्सीलेटर पूरे जोर से घुमाकर रफ्तार में वहां से निकल जाता हूं जिससे की एक पल के लिए सभी लोगों की नजरें में अपने ऊपर खींच लेता हूं जैसे मानो कि मैंने कुछ हासिल कर लिया हो या फिर लोगों को दिखा रहा हूं। और फिर गाड़ी को अपने गैरेज के पास लेकर आ जाता हूं और फिर उसको लॉक करने के बाद अपने कमरे में आ जाता हूं और मम्मी का इंतजार कर रहा होता हूं कि तभी गाड़ी की होरन की आवाज सुनाई देती है तो मैं पहचान जाता हूं।
कुल मिलाकर के शाम के वक्त गाड़ी की पूजा फूल और अगरबत्ती से होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद वगैरह देने के बाद खाना वगैरह खत्म हो जाता है। इधर सभी लोग आपस में बातें कर रहे होते हैं मम्मी आंटी अंकल वैसे तो सुनील अंकल के साथ मेरा बर्ताव नॉर्मल था मगर जब से शोरूम में मेरे पसंदीदा गाड़ी के ऊपर इन्होंने रंगा लगाने का प्रयास किया था तब से ही न जाने क्यों मुझे इनके ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा होता है और ना चाहते हुए भी कहीं न कहीं मैं उनको विलन समझने लगता हूं और मेरे मन में तरह-तरह की बातें चलने लगती है कि यह बहुत कमी ना है। मैं देख रहा होता हूं वह मम्मी से काफी हंस हंस कर बातें कर रहे हैं और मम्मी भी उनसे कभी हस हस के बातें कर रही है। पता नहीं यह शायद मेरे मन का वहम था या फिर दिन रात सेक्सी कहानियां पढ़ने की वजह से मेरा मिजाज ऐसा होने लगा था कि मैं उन दोनों के ऊपर शायद शक करने लगा, या फिर यूं पहले कि मुझे सुनील अंकल एक विलन नजर आने लगे और मैं नहीं चाहता था कि वह मम्मी से बात करें हालांकि मुझे मम्मी के ऊपर कोई शक नहीं था क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरी मम्मी कैसी है। लेकिन हां सुनील अंकल को जरूर अब मैं नकारात्मक इंसान के तौर पर देखने लगा था जिस वजह से कि मुझे सुनील अंकल पर शक होता था।

देर रात हो जाने के बाद सभी अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं । मैं भी सोने के लिए चले जाता हूं और कब आंख लग जाती नींद में आने के बाद पता ही नहीं चलता है और नई गाड़ी ली हुई होती है। जिंदगी में पहली बार बाइक लेना है इसका एक अलग ही खुशी में महसूस कर रहा होता हूं इतनी बेसब्री से कभी मैंने स्कूल जाने का इंतजार नहीं किया था जितना आज किया था। मैं फटाफट तैयार हो जाता हूं और फिर नाश्ता करने के बाद अपनी गाड़ी लेकर के स्कूल निकल जाता हूं और फिर दोस्तों के साथ बातें करना मौज मस्ती करते हुए इधर उधर घूमने में ही स्कूल का वक्त निकल रहा होता है। और एक 2 घंटे के बाद स्कूल की जब छुट्टी हो जाती है तो मैं स्कूल से निकलने के बाद अपना मोबाइल फोन ऑन करता हूं तो तभी मम्मी का फोन आ जाता है।

वंदना: हेलो मोनू बेटा तुम्हारी तो छुट्टी हो गई होगी स्कूल में वापस आओगे तो उधर से बड़े पापा के घर चले जाना वहां पर कोई नहीं है तुम्हारी दीदी अकेले है आओगे तो उनको भी ले लेना
 
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