मोनू को मानो कुछ खबर ही नहीं होती है कि उसकी मम्मी बंदना दरवाजे के बाहर उसको आवाज दे रही है दरवाजा खोलने के लिए, मोनू चरम आनंद के सागर में गोते लगाते हुए अपने लिंग के ऊपर हाथ चलाते हुए आंखें बंद करता हुआ सिसकियां ले रहा होता, और अपने आप को उस गंदी कहानी के नायक के तौर पर महसूस कर रहा होता है कि तभी उसके लिंग से वीर्य की पिचकारी मारने शुरू हो जाती है। कुछ वक्त मोनू ऐसे ही शांत होता है और जब वह हल्के होश में होता है तो उसे दरवाजे पर उसकी मम्मी की आवाज सुनाई देती है तो वह जल्दी से उठ करके सब कुछ ठीक कर देता है। और फिर भागता हुआ दरवाजे की तरफ बढ़ता है और खोलता है तो दिखता है सामने उसकी मम्मी खड़ी होती है।
वंदना: कब से आवाज लगा रही हूं क्या कर रहा था ऐसे में तो कोई काम का आदमी अगर आएगा तुमको आवाज देते रह जाएगा और तुम्हें तो कोई होश ही खबर नहीं रहेगी।
मोनू: मम्मी वह मैं ना थोड़ा नींद में चले गया था इस वजह से मुझे मालूम ही नहीं चला था कि आप दरवाजे पर मुझे आवाज दे रहे हो।
वंदना: तुम करते क्या हो जो कि रात में भी इतना लेट तक सोते हो दिन में भी सोते हो तुम ना आज से मेरे कमरे में सोना तुम्हारा सारा फोन चलाना बंद करवा दूंगी तुम रुको।
शाम को तैयार हो जाना अभी अंकल से बात हो रही थी उनकी जान पहचान है किसी शोरूम में बोला कि वहां से गाड़ी दिलवा आएंगे तो थोड़ा आसान ही रहेगा कुछ कम पैसे भी लगेंगे।
मोनू: सच मम्मी आज शाम को ही जा रहे हैं ठीक है मैं तैयार हो जाऊंगा वैसे चलना कैसे हैं। बाइक से तो 3 लोग जा नहीं सकते हैं तो फिर कैसे
वंदना: तुम्हारे पापा की जो गाड़ी रखी हुई है ना कार से चलेंगे, मैं कदम बढ़ाते हुए मोनू के कमरे की तरफ जाती हूं और देखती हूं तो बिस्तर पर ब्लैंकेट होता है और वहां पर किताब होती है। और ना जाने क्यों मुझे बहुत ही अच्छा लगता है कि हम अखा अपने बच्चे के ऊपर गुस्सा हो गई यह तो पढ़ाई कर रहा था।
मैं मोनू की तरफ प्यार से देखती हूं और उसके गालों पर हाथ फिर कर बोलती मेरा बच्चा पढ़ाई कर रहा था फिर भी उसे कितना सुना दिया मैंने मुआह्ह मेरा बेटा।
मोनू: मैं जैसे ही मम्मी के मुंह से यह बात सुनता हूं मैं मन ही मन खुश हो जाता हूं कि मम्मी मुझे पढ़ाई करता हुआ समझ रही थी , जबकि असल बात तो यह थी कि किताब के अंदर में मैंने गंदी कहानी की किताब छुपा कर के रखा होता है और अक्सर रात में पढ़ाई के टाइम पर उसको पढ़ता हूं तो मम्मी को लगता है पढ़ाई कर रहा हूं, कहीं ना कहीं मैं अपने इस शातिर दिमाग पर अपने आप को बहुत बड़ा होशियार समझ रहा होता हूं।
मैं मम्मी से लिपट जाता हूं और बोलता हूं कोई बात नहीं मम्मी मुझे मालूम है आप मेरा फिक्र करते हो जब से मैंने आपके मुंह से यह बात सुनी है। आप मेरा रिजल्ट लेने जाते हो तो मेरा रिजल्ट खराब होता है तो आपको काफी शर्मिंदगी महसूस होती है। मैंने भी अब सोच लिया है कि कुछ ऐसा करूंगा इतने अच्छे से पढ़ाई करूंगा कि मेरी मम्मी का सर ऊंचा हो जाए जब भी रिजल्ट लेने के लिए जाए।
वंदना: अपने बच्चे के मुंह से ऐसी बातें सुनती हु तो मुझे बड़ा प्यार आता है मैं उसके माथे को चूम कर बोलती हूं मेरा बच्चा कितना समझदार है। मगर बस थोड़ी बदमाशी कम किया करो , और सुनो पापा को यह मत बोल देना कि मैंने तुमको गाड़ी दिलवाई है। उनको मैं अपने तरीके से बताऊंगी एक तो वैसे ही उनको लगता है कि मैं तुमको बिगाड़ दी हूं।
बेटा तुम कुछ खाओगे नाश्ता बना तुम क्या उसके बाद फिर मार्केट भी निकालना है।
मोनू: नहीं मम्मी छोड़ दो ना क्यों फालतू का आप कितना परेशान होते हो दिन भर तो आप हमेशा काम ही करते रहते हो थोड़ा तो आराम कर लिया करो।
मैं जानबूझकर के मम्मी से बड़ी प्यारी प्यारी और ऐसा दिखा रहा होता हूं कि मुझे उनकी कितनी फिक्र है क्योंकि मैं नहीं चाहता हूं कि मेरी बाइक आने में कोई भी ग्रहण लग जाए, आज हम लोग बाहर ही नाश्ता कर लेंगे और वैसे भी आप घर से जल्दी कहीं जाते नहीं हो तो थोड़ा आपको भी अच्छा लग जाएगा है ना।
वंदना: अच्छा अच्छा ठीक है अब बातें कम करो और मुझे मलाई लगाना बंद करो तुम्हारी गाड़ी आने से नहीं रुकेगी। मेरा बच्चा हमी से होशियारी, मेरा प्यारा बेटा तुझे मैंने 9 महीने अपने पेट के अंदर रखा है तो मुझे अच्छे से मालूम है तू कैसा है। वैसे मेरा बच्चा जैसा भी है बहुत अच्छा है अब जल्दी जाकर तैयार हो जाओ,
इधर मैं भी अपने कमरे में आने के बाद अपने कपड़े देख रही होती हूं कि कौन से कपड़े पहनो, मैं अपने नाइटी को उतारकर के आईने के सामने खड़ी हो जाती हूं, लेगिंग्स पहनने के बाद अपने बाल वगैरह सब आने के बाद लिपस्टिक वगैरा लगाने के बाद मैं लगभग तैयार हो जाती हूं और कमरे से ही आवाज देकर मोनू से पूछती हूं तुम तैयार हो गए हो।
तैयार हो गए हो तो जाओ अंकल को बोल दो आने के लिए हम लोग तैयार हैं।
मोनू: हां मम्मी मैं भी तैयार हो गया हूं बस जा रहा हूं अंकल को बोलने के लिए, मैं अपने कमरे से निकलता हुआ सुनील अंकल के पास जाता हूं और उनके दरवाजे के बाहर से ही आवाज देता हूं अंकल तैयार हो गए हैं आप मम्मी बोल रही है नीचे आने के लिए, और हां सुनिए ना हम लोग पापा की कार से चलेंगे।
सुनील: हां मोनू मैं भी तैयार हो गया हूं तुम 2 मिनट रुको ना मैं नीचे आ रहा हूं तब तक तुम गैरेज खोल करके चाबी लेकर गाड़ी की जाओ मैं 2 मिनट में आ रहा हूं। मैं लगभग तैयार हो चुका होता हूं और अपनी पत्नी सुधा से बोलता हूं कि ठीक है मैं जा रहा हूं तुम दरवाजा लगा लेना।
मैं अपने कमरे से निकलता हुआ मोनू के मम्मी के पास जाता हूं और दरवाजे के बाहर से ही आवाज लगाता हूं कि तैयार हो गए हैं आप।
वंदना: मैं जैसे ही सुनील भाई साहब का आवाज सुनती हूं मैं उनको आवाज दे देती हूं हां भाई साहब मैं तैयार हो गई हूं बस 2 मिनट तब तक आप गाड़ी निकालिए ना मोनू गैरेज में ही है।
सुनील: ठीक है आप भी आ जाइए बाहर तब तक मैं गाड़ी निकाल लेता हूं, मैं गैरेज की तरफ जाता हूं और देखता हूं कि मोनू अंदर होता है और गाड़ी का कवर निकाल दिया होता है।
मैं मोनू के हाथ से गाड़ी की चाबी ले लेता हूं और फिर कार का दरवाजा खोल कर अंदर जाता हूं और फिर देखता हूं गाड़ी में पेट्रोल वगैरह है कि नहीं सब कुछ जब सही लगता है मुझे तो फिर मैं बोलता हूं। बीच-बीच में गाड़ी को अंदर से कभी-कभी साफ सफाई कर दिया करो बढ़िया रहेगा। मैं गैरेज से गाड़ी को स्टार्ट करके बाहर निकाल लेता हूं तभी मेरी नजर मोनू के मम्मी के ऊपर जाती है जो कि लेगिंग्स में खड़ी होती है। मैं उनको देखते हुए मोनू को बोलता हूं पीछे का दरवाजा खोल कर बैठ जाने के लिए और फिर दोनों मां-बेटे पीछे बैठ जाते हैं।
वंदना: कब से आवाज लगा रही हूं क्या कर रहा था ऐसे में तो कोई काम का आदमी अगर आएगा तुमको आवाज देते रह जाएगा और तुम्हें तो कोई होश ही खबर नहीं रहेगी।
मोनू: मम्मी वह मैं ना थोड़ा नींद में चले गया था इस वजह से मुझे मालूम ही नहीं चला था कि आप दरवाजे पर मुझे आवाज दे रहे हो।
वंदना: तुम करते क्या हो जो कि रात में भी इतना लेट तक सोते हो दिन में भी सोते हो तुम ना आज से मेरे कमरे में सोना तुम्हारा सारा फोन चलाना बंद करवा दूंगी तुम रुको।
शाम को तैयार हो जाना अभी अंकल से बात हो रही थी उनकी जान पहचान है किसी शोरूम में बोला कि वहां से गाड़ी दिलवा आएंगे तो थोड़ा आसान ही रहेगा कुछ कम पैसे भी लगेंगे।
मोनू: सच मम्मी आज शाम को ही जा रहे हैं ठीक है मैं तैयार हो जाऊंगा वैसे चलना कैसे हैं। बाइक से तो 3 लोग जा नहीं सकते हैं तो फिर कैसे
वंदना: तुम्हारे पापा की जो गाड़ी रखी हुई है ना कार से चलेंगे, मैं कदम बढ़ाते हुए मोनू के कमरे की तरफ जाती हूं और देखती हूं तो बिस्तर पर ब्लैंकेट होता है और वहां पर किताब होती है। और ना जाने क्यों मुझे बहुत ही अच्छा लगता है कि हम अखा अपने बच्चे के ऊपर गुस्सा हो गई यह तो पढ़ाई कर रहा था।
मैं मोनू की तरफ प्यार से देखती हूं और उसके गालों पर हाथ फिर कर बोलती मेरा बच्चा पढ़ाई कर रहा था फिर भी उसे कितना सुना दिया मैंने मुआह्ह मेरा बेटा।
मोनू: मैं जैसे ही मम्मी के मुंह से यह बात सुनता हूं मैं मन ही मन खुश हो जाता हूं कि मम्मी मुझे पढ़ाई करता हुआ समझ रही थी , जबकि असल बात तो यह थी कि किताब के अंदर में मैंने गंदी कहानी की किताब छुपा कर के रखा होता है और अक्सर रात में पढ़ाई के टाइम पर उसको पढ़ता हूं तो मम्मी को लगता है पढ़ाई कर रहा हूं, कहीं ना कहीं मैं अपने इस शातिर दिमाग पर अपने आप को बहुत बड़ा होशियार समझ रहा होता हूं।
मैं मम्मी से लिपट जाता हूं और बोलता हूं कोई बात नहीं मम्मी मुझे मालूम है आप मेरा फिक्र करते हो जब से मैंने आपके मुंह से यह बात सुनी है। आप मेरा रिजल्ट लेने जाते हो तो मेरा रिजल्ट खराब होता है तो आपको काफी शर्मिंदगी महसूस होती है। मैंने भी अब सोच लिया है कि कुछ ऐसा करूंगा इतने अच्छे से पढ़ाई करूंगा कि मेरी मम्मी का सर ऊंचा हो जाए जब भी रिजल्ट लेने के लिए जाए।
वंदना: अपने बच्चे के मुंह से ऐसी बातें सुनती हु तो मुझे बड़ा प्यार आता है मैं उसके माथे को चूम कर बोलती हूं मेरा बच्चा कितना समझदार है। मगर बस थोड़ी बदमाशी कम किया करो , और सुनो पापा को यह मत बोल देना कि मैंने तुमको गाड़ी दिलवाई है। उनको मैं अपने तरीके से बताऊंगी एक तो वैसे ही उनको लगता है कि मैं तुमको बिगाड़ दी हूं।
बेटा तुम कुछ खाओगे नाश्ता बना तुम क्या उसके बाद फिर मार्केट भी निकालना है।
मोनू: नहीं मम्मी छोड़ दो ना क्यों फालतू का आप कितना परेशान होते हो दिन भर तो आप हमेशा काम ही करते रहते हो थोड़ा तो आराम कर लिया करो।
मैं जानबूझकर के मम्मी से बड़ी प्यारी प्यारी और ऐसा दिखा रहा होता हूं कि मुझे उनकी कितनी फिक्र है क्योंकि मैं नहीं चाहता हूं कि मेरी बाइक आने में कोई भी ग्रहण लग जाए, आज हम लोग बाहर ही नाश्ता कर लेंगे और वैसे भी आप घर से जल्दी कहीं जाते नहीं हो तो थोड़ा आपको भी अच्छा लग जाएगा है ना।
वंदना: अच्छा अच्छा ठीक है अब बातें कम करो और मुझे मलाई लगाना बंद करो तुम्हारी गाड़ी आने से नहीं रुकेगी। मेरा बच्चा हमी से होशियारी, मेरा प्यारा बेटा तुझे मैंने 9 महीने अपने पेट के अंदर रखा है तो मुझे अच्छे से मालूम है तू कैसा है। वैसे मेरा बच्चा जैसा भी है बहुत अच्छा है अब जल्दी जाकर तैयार हो जाओ,
इधर मैं भी अपने कमरे में आने के बाद अपने कपड़े देख रही होती हूं कि कौन से कपड़े पहनो, मैं अपने नाइटी को उतारकर के आईने के सामने खड़ी हो जाती हूं, लेगिंग्स पहनने के बाद अपने बाल वगैरह सब आने के बाद लिपस्टिक वगैरा लगाने के बाद मैं लगभग तैयार हो जाती हूं और कमरे से ही आवाज देकर मोनू से पूछती हूं तुम तैयार हो गए हो।
तैयार हो गए हो तो जाओ अंकल को बोल दो आने के लिए हम लोग तैयार हैं।
मोनू: हां मम्मी मैं भी तैयार हो गया हूं बस जा रहा हूं अंकल को बोलने के लिए, मैं अपने कमरे से निकलता हुआ सुनील अंकल के पास जाता हूं और उनके दरवाजे के बाहर से ही आवाज देता हूं अंकल तैयार हो गए हैं आप मम्मी बोल रही है नीचे आने के लिए, और हां सुनिए ना हम लोग पापा की कार से चलेंगे।
सुनील: हां मोनू मैं भी तैयार हो गया हूं तुम 2 मिनट रुको ना मैं नीचे आ रहा हूं तब तक तुम गैरेज खोल करके चाबी लेकर गाड़ी की जाओ मैं 2 मिनट में आ रहा हूं। मैं लगभग तैयार हो चुका होता हूं और अपनी पत्नी सुधा से बोलता हूं कि ठीक है मैं जा रहा हूं तुम दरवाजा लगा लेना।
मैं अपने कमरे से निकलता हुआ मोनू के मम्मी के पास जाता हूं और दरवाजे के बाहर से ही आवाज लगाता हूं कि तैयार हो गए हैं आप।
वंदना: मैं जैसे ही सुनील भाई साहब का आवाज सुनती हूं मैं उनको आवाज दे देती हूं हां भाई साहब मैं तैयार हो गई हूं बस 2 मिनट तब तक आप गाड़ी निकालिए ना मोनू गैरेज में ही है।
सुनील: ठीक है आप भी आ जाइए बाहर तब तक मैं गाड़ी निकाल लेता हूं, मैं गैरेज की तरफ जाता हूं और देखता हूं कि मोनू अंदर होता है और गाड़ी का कवर निकाल दिया होता है।
मैं मोनू के हाथ से गाड़ी की चाबी ले लेता हूं और फिर कार का दरवाजा खोल कर अंदर जाता हूं और फिर देखता हूं गाड़ी में पेट्रोल वगैरह है कि नहीं सब कुछ जब सही लगता है मुझे तो फिर मैं बोलता हूं। बीच-बीच में गाड़ी को अंदर से कभी-कभी साफ सफाई कर दिया करो बढ़िया रहेगा। मैं गैरेज से गाड़ी को स्टार्ट करके बाहर निकाल लेता हूं तभी मेरी नजर मोनू के मम्मी के ऊपर जाती है जो कि लेगिंग्स में खड़ी होती है। मैं उनको देखते हुए मोनू को बोलता हूं पीछे का दरवाजा खोल कर बैठ जाने के लिए और फिर दोनों मां-बेटे पीछे बैठ जाते हैं।