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Adultery घर में दफन राज(इंसेस्ट; एडल्टरी ; कॉकोल्ड)

क्या आप लोग मोनी दीदी के फ्लैशबैक जानना चाहोगे किसने पहली बार मोनी को कली से फूल बनाया

  • टीचर ने

    Votes: 4 23.5%
  • या किसी घर के आदमी ने

    Votes: 14 82.4%
  • मोनू को आप लोग बस हिलाते हुए छुप के देखना चाहते हैं या वो भी कुछ करे

    Votes: 0 0.0%
  • मोनू को आप लोग बस हिलाते हुए छुप कर देखना चाहते

    Votes: 0 0.0%

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Rsingh

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कुछ देर वहां पर इसी तरह की मटरगश्ती करने के बाद मैं वहां से घर की तरफ निकल जाता हूं । और तकरीबन 8:30 बजे मैं घर के अंदर पहुंच जाता हूं आज थोड़ी मुझे एक तरीके से देर हो गई होती है घर आने में घर आने के बाद मैं अपने मोटरसाइकिल को अच्छे से लगा देता हूं और अशोक मामा का मोटरसाइकिल भी वहीं पर लगा हुआ होता है। मैं अपने बैग को लेकर के अंदर आता हूं अंदर आने के बाद में कमरे में अपने बैग जाकर के रख देता हूं और सीधा किचन की तरफ जाता हूं पानी पीने के लिए मैं जैसे ही किचन से पानी पीकर के निकालता हूं तो मम्मी बाथरूम से निकलती है वह अपने पूरे चेहरे भीगा होता है। उनके गोरे चेहरे से टपकता हुआ पानी और भी चमक रहा होता है। उनका चेहरा बल्ब की दूधिया रोशनी में और चमक रही होती है और होठों के ऊपर पूरी लिपस्टिक लगी हुई होती है आज उनका चेहरा काफी बदला हुआ लग रहा होता है जिससे मुझे समझने में यह बिल्कुल भी देर नहीं लगी की मम्मी आज ब्यूटी पार्लर गई है क्योंकि उनके आइब्रो पूरा बने हुए होते हैं पूरे चेहरे पर एक अलग ही निखार होती है । इसे देखने से पता चल रहा होता है कि उन्होंने अपना फेशियल करवाया हुआ होता है यहां तक कि उनके बाल भी पूरी एकदम स्ट्रेट लग रहे होते हैं जैसा मानो की बालों में काम करवाया है बाल एकदम पूरा सिल्की लग रहे होते हैं और हल्का मेहंदी रंग के लग रहे होते हैं । जैसे ही मम्मी बाथरूम से निकलती है मैं बाथरूम के अंदर जाता हूं और दरवाजा लगा लेता दरवाजा लगाने के बाद में पेशाब करने लग जाता हूं तभी मेरी नजर अचानक से जाती है एक फेसवास के डिब्बे के ऊपर लेकिन मेरी नजर फेस वॉश के डिब्बे के ऊपर नहीं गई होती बल्कि उसके ऊपर जो कीमत होती है उसके ऊपर गई होती है जो बोल्ड अक्षरों में लिखा हुआ होता है थोड़ा बड़ा जो 125मल का होता है और उसकी कीमत देख करके मेरी आंखें एक पल के लिए बड़ी हो जाती है ₹15775 पंद्रह हजार सात सौ पिछतर रुपए यह कोई विदेशी कंपनी लग रही होती है जिसके ऊपर लिखा हुआ होता है La Mer The cleansing Foam उसके बगल में हरे रंग का उसका डब्बा रखा हुआ होता है और क्रीम जो होती है वह सफेद कलर के ट्यूब में होती है इसका जो हरे रंग का डब्बा होता है जिसमें क्रीम आती है वह भी काफी प्रीमियम क्वालिटी का लग रहा था मेरी आंखें बड़ी हो जाती है।


मैं कुछ देर बाद पेशाब करके वहां से निकल जाता हूं और जब वहां से निकलता हूं मैं मम्मी से पूछता हूंआज अशोक मामा दिखाई नहीं दे रहे आज मैच नहीं देखना है क्या आज मैच है। तभी मैं बोलता हूं आए नहीं है क्या ऑफिस से मैं जानबूझकर अनजान बनते हुए पूछता हूं तो मम्मी भी बोलती है कि नहीं पता नहीं आए नहीं आए हैं मैं उनके इस चतुराई भरी चेहरे को देख रहा होता हूं क्योंकि मैं तो पहले ही मोटरसाइकिल अशोक मामा की यहां पर देखा हुआ होता हूं और मुझे पता चल रहा होता है। मैं तभी कुछ सोच ही रहा होता हूं मम्मी बोल देती है बुला लो उनको भी मैच देखने के लिए अगर आ गए हैं तो। तभी मैं देखता हूं कि दरवाजे पर अशोक मामा की दस्तक होती है। और जैसे ही वह अंदर आते हैं यही बोलते हैं मैच शुरू हो गया है क्या कितना बज रहा है मम्मी उनको टाइम बताती है वह बोलते हैं लगता है शुरू ही होने वाला है।

तभी मम्मी मुझे बोलती है कि तुमने घर का मैन दरवाजा तो बंद किया है ना तभी मुझे ध्यान में आता है कि शायद मैंने बंद किया है या नहीं किया है तो मैं उनको बोलता हूं कि ठीक है मैं जाकर के देख लेता हूं तो मैं जाकर के देखने चला जाता हूं दोस्तों बात ऐसी होती है कि पिछले कुछ दिनों से मोहल्ले में काफी चोरी जैसी घटनाएं हो रही होती है एक हमारे पड़ोस में किसी की बाइक की भी चोरी हो गई होती है नई नवेली ।
बाइक। मैं जैसे ही एक बार चेक कर लेता हूं कंफर्म हो करके आता हूं और जब मैं अंदर आता हूं । और मम्मी के कमरे में आता हूं तो देखता हूं फिर से लाइट बंद है और अशोक मामा फिर कल वाले पोजीशन पर ही साइड वाले जगह पर लेटे हुए होते हैं मैं चुपचाप जाकर के कोने की तरफ चला जाता हूं । तभी उधर से मम्मी आई मैक्सी पहने हुए और उनके हाथों में दो प्लेट होता है तभी मेरे तरफ मम्मी प्लेट देते हुए बोलते हैं कि नाश्ता कर लो आज खाना नहीं बनेगा और जब मैं वहीं लेते हुए नाश्ता करने लग जाता हूं तो अशोक मामा पूछते हैं वंदना कि तुम नहीं नाश्ता करोगी जिस पर मम्मी बोलती है कि नहीं पहले सब लोग कर लेंगे उसके बाद क्योंकि प्लेट गंदा है और अभी पानी छूने का मन करता नहीं है पानी ठंडा है बाद में कर लूंगी जिसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं कि अरे बाद में क्या कर लोग इसी में कर लो ना तभी अशोक मामा अपने प्लेट को उनके हाथों में थाम के बोलते हैं और ले लो इसी में ही और मम्मी भी जाती है उसे वाले प्लेट में और नाश्ता लेकर के आती है और तभी एक हाथों में उनके नाश्ते की प्लेट होती है दूसरे हाथों में गिलास होता है वह गिलास मेरी तरफ देते हुए बोलती है दूध है पी लेना मैं समझ जाता हूं इसमें क्या है लेकिन इस भर में दूध को उनको दिखाते हुए सच में पूरा पी जाता हूं और खाली क्लास उनके हाथों में देता हूं तो मम्मी मुस्कुरा देती है यह बोलते हुए की और नाश्ता लोगे। इसके बाद मैं बोलता हूं कि नहीं अब नहीं लूंगा इसके बाद में ऐसे ही लेट जाता हूं अशोक मामा और मम्मी एक ही प्लेट में नाश्ता कर रहे होते हैं मम्मी अपने पैर को नीचे लटका कर बैठी हुई होती है। तभी अशोक मामा मुझे बोलते हैं कल स्कूल के बाद मोनू मेरे ऑफिस आ जाना ठीक है नाइसके बाद मम्मी सवाल लिया है अंदाज में अशोक मामा से पूछते हैं स्कूल के बाद तुम्हारे ऑफिस आ जाएगा मतलब ट्यूशन नहीं जाएगा क्या इसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं कि नहीं ट्यूशन नहीं जाएगा अभी दो-चार-10 दिन है इसका कुछ दोस्तों का कुछ काम है इसके दोस्त के पापा का कोई काम है सरकारी जरूरी काम है जिसके ऊपर मम्मी सवाल करती है ऐसा क्या जरूरी काम है जिसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं अरे है कुछ सरकारी काम है कागज वाले जैसे ही अशोक मामा यह बात बोलते हैं मैं बड़े ही आज्ञाकारी अंदाज में बोलता हूं ठीक है मैं आ जाऊंगा छुट्टी टाइम में जब अशोक मामा यह बोलते हैं कि छुट्टी टाइम में आ जाना मेरे ऑफिस में तब मेरे दिल को थोड़ी राहत होती है क्योंकि पिछले कुछ देर से जो बात सोच सोच के परेशान हो रहा था मानो की अब मेरे दिल पर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो पहले जहां मेरा नाश्ता करने में मन नहीं लग रहा होता है मैं मम्मी से बोलना भी हूं मम्मी थोड़ा और नाश्ता दो ना और जैसे ही मम्मी वहां से जाती है अशोक मामा मुझे बोलते हैं टेंशन मत लो सब हो जाएगा ठीक है ना फिकर मत करो और जैसे ही अशोक मामा यह बात बोल रहे होते हैं वैसे ही थोड़ी देर में मम्मी आ जाती है और वह इस बात को सुन लेती है और बोलती है क्या बातें हो रही है किस बात की टेंशन नही लेने की बोल रहे हो जिसके ऊपर अशोक मामा बड़े ही कुशल तरीके से बात को घुमाते हुए बोलते हैं तेरे नहीं वंदना इसको बुलाता हूं की पढ़ाई लिखाई को लेकर के ज्यादा टेंशन मत लो बस मेहनत करो बाकी ठीक है ना ज्यादा टेंशन लेने से दिमाग पर जोर पड़ेगा इस बात के ऊपर मम्मी भी बोलती हां यह बात तो है टाइम पर मेहनत करो और ज्यादा टेंशन मत लो पढ़ाई तो कर ही रहे हो ना।


मम्मी को लग रहा होता है कि अशोक मामा पढ़ाई को लेकर के बातें कर रहे होते हैं लेकिन वह किस चीज को लेकर के बातें कर रहे होते हैं यह मैं ही समझ रहा होता हूं क्योंकि जो कुछ भी कुछ दिन पहले घटा होता है घटना अगर अशोक मामा नहीं होते तो मेरी जिंदगी खराब होजाती है।


अभी किस तरह की घटना है यह आगे जाकर के आप लोगों को कहानी में पता चलेगा क्योंकि उसके लिए हमें कहानी में फ्लैशबैक में जाना पड़ेगा पिछले सप्ताह में
 

Rsingh

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मैं खामोशी से लेटा हुआ पिछले सप्ताह जो चीज हुई होती है उसको याद करने लग जाता हूं

फ्लैश बैक सात दिन पहले
शाम का वक्त होता है ट्यूशन में सर ने यह बोला होता है कि वह आज नहीं पढ़ पाएंगे क्योंकि उनकी तबीयत ठीक नहीं लग पा रही है मैं अपने ट्यूशन के कुछ दोस्तों के साथ में निकल पड़ता हूं वहां से क्योंकि वह लोग भी बाइक से ही आते हैं और ठीक उसी जगह पर पहुंच जाते हैं जो एक field होता है मैदान होता है जहां पर बगल में एक ट्यूशन होता है जहां पर जवान लड़कियां आती है फिर वहां से हम बातचीत करते हुए चिड़ियाघर की तरफ निकलते हैं ज़ु की तरफ वहां जब हम लोग निकालते हैं तो अपने दोस्तों के साथ में बाइक को स्टैंड में लगा करके टिकट कटा करके अंदर चले जातेहैं।

टिकट कटा करके अंदर जाने के बाद हम लोग दोस्त आपस में जाते हुए वहां पर बड़ी गांड वाली लड़की और बड़ी गांड वाली औरतों के बारे में गंदी बातें कर रहे होते हैं कमेंट कर रहे होते हैं तभी एक आंटी दिखाई पड़ती है जिनकी गांड बहुत बड़ी होती है। हम लोगों के बारे में बातें करने लग जाते हैं एक बार वह पलट करके देखती भी है लगता है शायद उन्होंने हमारी बातों को सुन लिया होता है लेकिन फिर हम लोगों को लगता है कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता।

शायद वह आंटी अपने यार के साथ मेंया फिर अपने परिवार के लोगों के साथ में आई हुई होती है मगर उसके साथ में कोई दिख नहीं रहा होता वह बार-बार घड़ी की तरफ देख रही होती ऐसा लगता है जैसे किसी का इंतजार कर रही है लेकिन कोई आया नहीं है फिर थोड़ी देर के बाद मेरे दोस्त इधर-उधर आपस में पिक्चर खिंचवाने लग जाते हैं सेल्फी लेने लग जाते हैं तभी मेरी नजर उसआंटी के ऊपर जाती है जो की झाड़ियां की तरफ जाती है मैं धीरे-धीरे बढ़ता हूं और तभी मैं देखता हूं वह आंटी अपनी लेगिंग्स को नीचे करके पूरी गांड खोल करके मुताना शुरू कर देती है उनके बुर से टपकती हुए पेशाब मैं कुछ पिक्चर निकाल लेता हूं उनकी और वीडियो बना लेता हूं लेकिन जैसे ही मैं वीडियो बना रहा हूं अचानक से मेरे मोबाइल फोन पर मेरे दोस्त का फोन आ जाता है और जैसे ही मेरे दोस्त का फोन आ जाता है मैं हर बार आ जाता हूं और अचानक वह आंटी पीछे देख लेती है मुझे वीडियो बनाते हुए। क्योंकि फोन का रिंगटोन काफी तेज होता है जिससे आंटी का ध्यान मेरे तरफ चला जाताहै।


मैं जैसे ही वहां से भागने की कोशिश करता हूं वह आंटी शोर मचाना शुरू कर देती है और जैसे ही वह शोर मचाना शुरू करती है आप लोगों को तो मालूम ही होगा दोस्तों की एक औरत जब किसी बात को लेकर के शोर मचाना शुरू करती है तो वहां के लोग वगैरा इकट्ठे हो गए होते हैं सिक्योरिटी गार्ड वगैरह इकट्ठे हो गए होतेहैं। वह औरत काफी अच्छे परिवार से लग रही होती उन्होंने अपना फोन निकाला और तुरंत मुझे मेरे बारे में पूछने लगे और उन्होंने शायद वह इसी एरिया की रहने वाली होती है वह लोकल थाना में फोन कर देती है मेरी तो गांड फड़े हाथ में आ जाती है थोड़े कहीं 10 मिनट के बाद लोग काफी जमा हो जाते हैं जैसे ही लोकल थाना आता है मेरी हालत खराब हो जाती है मेरे मोटरसाइकिल को जप्त कर लिया जाता है।पर मुझे पुलिस की गाड़ी में बिठाकर के जैसे ही ले जाया जा रहा होता है मैं गाड़ी में जैसे ही बैठने वाला होता हूं तभी मैं देखता हूं कि अशोक मामा उधर से आ रहे होते हैं मेरी नज़रें उनसे मिल जाती है मेरी नज़रें जैसे ही उनसे मिल जाती है मेरी नज़रें झुक जाती है तब तक मैं पुलिस गाड़ी के अंदर में बैठ चुका होता हूं।

मैं पुलिस गाड़ी के अंदर में बैठ चुका होता हूं गाड़ी चल रही होती है ऐसा लग रहा होता है जैसे कि मैं यह गलती ही क्यों कर दी मुझे ऐसा लग रहा होता है जैसे अब मेरी कहानी खत्म हो गई हो। और पीछे अशोक मामा तभी आ रहे होते हैं मुझे समझ में नहीं आ रहा होता है वह मुझे इशारे से पूछते भी है लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोलता हूं थोड़ी ही देर में पुलिस की गाड़ी पुलिस स्टेशन में आ जाती है और वह लोग मुझे लेकर के अंदर जाते हैं। अशोक मामा मुझे वहां बात करने की भी कोशिश करते हैं लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोलता हूं थोड़े ही देर के बाद वह महिला भी आती है और इंस्पेक्टर साहब को सारी बात बताने लग जाती है मुझे मेरा नाम पूछा जाता है मेरी हालत खराब हो जाती है लेकिन फिर भी मुझे मेरे डॉक्यूमेंट लेकर के नाम पूछा जाता है पता पूछा जाता है और वह महिला किसी सफेद पेपर के ऊपर में कुछ लिखना शुरू कर देती है। मैं अंदर में बैठा हुआ होता हूं लेकिन मेरे में कुछ बोलने की हिम्मत नहीं होती है जब अशोक मामा आते हैं जब वह मुझे मोनू मोनू करके आवाज देते हैं तो इंस्पेक्टर साहब पूछते हैं कि यह कौन है तो मैं बोलता हूं कि यह मेरे मामा जी हैं। और जब वह पूछ रहे होते हैं तो अशोक मामा सवालिया नजरों से मुझे देख रहे होते हैं वह महिला जो कुछ भी बोल रही होती है।

वह लिख रही होती है इंस्पेक्टर साहब से बातें कर रही होती उसके बाद अशोक मामा इंस्पेक्टर साहब से बातें करते हैं तब पता चलता है वह महिला बताती है यह बहुत ही गंदा लड़का है मैं पेशाब करने गई थी तो मेरे पिक्चर निकाल कर वीडियो बना रहा था क्या पता किसी को भेज भी रहा होगा इसके ऊपर बात बढ़ने लग जाती है अशोक मामा बहुत उसमहिला को समझने की कोशिश करते हैं कि मैडम देखिये स्कूल जाने वाला बच्चा है थोड़ी बहुत गलत संगति में आ गया होगा इसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी इसकी तरफ से मैं माफी मांगता हूं इसकी तरफ से अपना बच्चा समझ करके इसे माफ कर दीजिए।

तकरीबन दो-तीन घंटे लग जाते हैं इसी चीज को होने में वह महिला पूछता है कि सीनियर इंस्पेक्टर साहब कितने देर में आएंगे तभी एक इंस्पेक्टर अंदर आता है पता चलता है कि यही सीनियर इंस्पेक्टर है और बातों ही बातों में मुझे मालूम चलता है कि अशोक मामा का बहुत ही पुराना कोई जान पहचान का है अशोक मामा उनसे बातें करते हैं वह सीनियर इंस्पेक्टर साहब महिला को समझते हैं कि एक मौका दीजिए बच्चों को काफी तकरीबन 3 घंटे लग जाते हैं फिर जाकर के वह महिला मान जाती है और अपनी कंप्लेंट को वापस ले लेती है लेकिन दिक्कत यह हो जाता है कि जूनियर इंस्पेक्टर सामने थोड़ी बहुत कागजी प्रक्रिया कर दिया होता है।

लेकिन सीनियर इंस्पेक्टर साहब यानि कि अशोक मामा के जान पहचान वाले जो होते उन्होंने बोला होता है की खैर कादरी प्रक्रिया हो गया है लेकिन कोई समस्या की बात नहीं है दो-चार-10 दिन यहां पर आना पड़ेगा उसके बाद मामला पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा इसके नाम पर कुछ भी नहीं रहेगा कोई दिक्कत परेशानी नहीं होगी पढ़ाई लिखाई में आगे जाकर के लेकिन यह करवा ही लेना तो बेहतर रहेगा ।

उसके बाद उसे दिन हम लोगों को घर आने में रात हो जाता है मम्मी पूछने लग जाती है और अशोक मामा ने मेरा मोबाइल फोन भी जप्त कर लिया होता है और थाने में जो पहले मुझे बॉन्ड लिखवाया जा रहा था हालांकि अशोक मामा ने मुझे बॉन्ड लिखने नहीं दिया था बाद में वह बॉन्ड अपने पास में ले लिए थे लेकिन पूरी तरीके से मैंने सब कुछ कबूल करके मेरा नाम पता सिग्नेचर सब लिख दिया था।


लेकिन अशोक मामा की मेहरबानी से मुझे बॉन्ड को जमा करने की नौबत नहीं आई रात को 9:00 हम लोग घर आ चुके होते हैं मुझे डर भी लग रहा होता है कहीं अशोक मामा मम्मी को कुछ ना बता दे लेकिन उन्होंने मम्मी को कुछ नहीं बताया होता है लेकिन मैं डर रहा होता हूं पूरी तरीके से अब मुझे अशोक मामा से डर भी लग रहा होता है लेकिन जिस मुसीबत से उन्होंने मुझे बचाया होता है मैं दिल ही में उनका शुक्रिया अदा कर रहा होता हूं।


फिर हम लोग खाना खा लेते हैं जब मैं खाना खा रहा होता हूं जब मैं हाथ धोने के लिए जाता हूं और हाथ धोने के बाद घर के जो सबसे मैन दरवाजा होता है। उसको जब बंद करके आ रहा होता हूं तो अशोक मामा मुझे बोलते हैं कि दरवाजा बंद करने के बाद मेरे पास आ जाना आज मम्मी जब सो जाएगी तो थोड़ी देर के बाद जब मम्मी सो जाती है तो मैं चुपके से कमरे को खोल करके उनके कमरे में जाता हूं और जब मैं जाता हूं फिर अशोक मामा कमरे को बंद करके मुझसे पूछताछ करने लग जाते हैं यह सब क्यों करते हो तुम्हारी मोबाइल में इतनी गंदी-गंदी चीज हैं शुक्र मानो कि मैं आ गया था नहीं तो तुम्हारे साथ में क्या होताहै।


यह सब बात तो चल ही रहा होता है तभी अशोक मामा बोलते हैं तुम इतने गंदे लड़के निकलोगे मैं कल्पना तक नहीं की थी तुम वंदना के बारे में भी ऐसी गंदी बातें सोचते हो एक फेसबुक का एडल्ट ग्रुप होता है जिसमें फेसबुक का फेक अकाउंट बना करके मैं मम्मी के बारे में गंदी गंदी बातें करता हूं कि मेरी मम्मी की गांड बहुत बुरी है उनको भी बड़े लोड़े की जरूरत होगी पापा बाहर रहते हैं काश किसी बड़े लोड़े वाले सुन को गांड मरवाते हुए देखा मैं चुप करके

वह मुझे सारी घटना बताने लग जाते हैं की कैसे मैं फेसबुक के एडल्ट ग्रुप में फेक आईडी बनाकर के लोगों से बात करता हूं कैसे बीच-बीच में मम्मी की पीछे से फोटो लेता हूं उनके चेहरे पर ढक करके फोटो शेयर करता हूं। मेरे सारे चैट पर लिए होते हैं अशोक मामा ने जो मैं अपने दोस्तों से बोल रहा हूं तुम कि मेरी मम्मी है ना मेरे मामा के एक दोस्त है आजकल उनसे खूब बातें करती है अकेले में मैं उनको लगता है कि मैं नहीं समझता हूं लेकिन पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं मम्मी खूब आजकल अपने आप को मेंटेन कर रही है कई बार मैंने उन दोनों को डबल मीनिंग बातें करते हुए भी सुनी कई बार मम्मी के मोबाइल पर व्हाट्सएप पर मैंने मैसेज भी चेक किया उनका जिसमें वह मम्मी को इधर-उधर घूमने ले जाने की बातें कर रहे होते हैं अपने पसंद की कपड़े पहनने की फरमाइश कर रहे होते हैं। उन सभी घटनाओं का जिक्र होता है जो मैं फेसबुक फ्रेंड से शेयर करता हूं कि कैसे मैं मम्मी को अशोक मामा का लौड़ा चूसते हुए देखा था अशोक मामा को चूची पीते हुए देखा था मम्मी का

इसमें मेरे दोस्त पूछ रहे होते हैं कि उनका लौड़ा कैसा है जिसमें मैंने बताया होता है कि यार उनका लौड़ा बहुत ही गजब का है किसी घोड़े जैसा लगता है काफी बड़ा है मोटा है चारो बगल काफी बाल है काफी मर्द टाइप सा लगता है। काश मुझे कभी इनको चुदाते हुए देखने का मौका मिलता

मैं शर्म से एकदम पानी पानी हो जाता हूं जब अशोक मामा सब कुछ बोलना शुरू करते हैं फिर वह मुझसे बोलते हैं तुम जानते हो मेरे घर वंदना के बारे में है ना मुझे समझ में नहीं आ रहा होता है क्या बोलना है फिर वह मुझसे पूछते हैं बोलो ना तुम जानते हो ना मेरे और वंदना के बारे में मैं बोलता हूं जी हां जानता हूं लेकिन तभी मुझे क्या होता है नहीं होता मैं बोलता हूं अशोक मामा लेकिन मैं किसी को नहीं बोलूंगा आपने मेरी बहुत मदद की है लेकिन मुझे यह आंटी वाले कंप्लेंट का मामले से निकालो अशोक मामा बोलते हैं ठीक है तुम टेंशन मत लो ठीक है ना लेकिन यह मोबाइल फोन पर अपने घर के बारे में लोगों को मत बताया करो ठीक है ना कहीं कोई जान पहचान का निकल गया।

अशोक मामा बोलने लग जाते हैं पता है ना तुम्हें पुलिस वाले मामले में कितना पैसा लगेगा मेरा इतना तो कोई सगा मामा भी नहीं करता जितना मैं तुम्हारा मुंह बोला हो करके कर रहा हूं जिसके ऊपर मैं बोलता हूं कि थैंक यू आप मुझे अपना मानते हो आपसे ही उम्मीद है जिसके पास अशोक मामा बोलते हैं ठीक है मैं तुम्हारे लिए इतना कुछ करता हूं लेकिन तुम तो मेरी जरा से भी बात नहीं मानते हो जिसके ऊपर मैं उनको सवाल या नजरों देखते हुए बोलता हूं क्या बात नहीं मानता हूं फिर अशोक मामा बोलते हैं ठीक है अब जब तुम इतनी रिक्वेस्ट कर रहे हो तो तुमको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है ना ठीक है ना अब तुम मेरे शरण में आ गए हो ना अब तुम अपने इस उस्ताद गुरु जी का कमाल देखना सारा मामला का फादर का हो जाएगा

लेकिन तुम्हारा जो यह उस्ताद तुम्हारे लिए इतना कुछ कर रहा है हमेशा याद रखना इसके बाद में बोलता हूं कि मैं किसी को नहीं बोलूंगा आपके और मम्मी के बारे में लेकिन आप मम्मी को यह मत बोलना कि मैं उनके बारे में जानता हूं फिर अशोक मामा मुस्कुराते हुए बोलते अच्छा नहीं बोलूंगा कि तुम हम दोनों के बारे में जानते हो और चुप चुप के देखते हो हमारे ऊपर नजर रखते हो जासूसी करते हो। अशोक मामा मुस्कुराते हुए मेरी टांगे खींच रहे होते हैं लेकिन मुझे शर्म आ रही होती है लेकिन तभी वह मुस्कुराते हुए बोलते हैं वैसे तुम्हें देखने का मन है क्या जब यह बात बोलते हैं अशोक मामा तो मेरा लैंड धीरे से खड़ा हो जाता है जिसको शायद अशोक मामा देखकर समझ जाते हैं मैं कुछ नहीं बोलता हूं फिर वह बोलते हैं अरे बोलो ना मैं तुम्हारा सारा चैट पढ़ा हुआ है चलो अब जब तुम मेरे चेले बन ही गए हो तुम्हारी यह ख्वाहिश भी पूरी कर देता हूं लेकिन पहले देखता हूं एक सप्ताह तक ठीक है ना तुम अगर सच में मेरे चेले बनने के काबिल हुए उसके बाद तुमको इनाम दूंगा कुछ मैं सवाल या नजरों से पूछता हूं क्या इनाम जिसके बाद अशोक मामा बोलते हैं अरे वह छोड़ो ना क्या इनाम दूंगा लेकिन जो भी दूंगा तुमने कभी सोचा नहीं होगा उसके बाद अशोक मामा बोलते हैं कि वैसे अभी तक ऊपर ऊपर से ही हुआ है वंदना के साथ में कभी करने का मौका नहीं मिला है तुम्हारे वजह से लेकिन अब तो तुम्हारे से कोई दिक्कत होगा नहीं तुम तो मेरे दोस्त हो तुम तो मेरा चेला हो तो अपने उस्ताद को सपोर्ट तो तुम्हें करना ही होगा।


मैं समझ रहा था कि अशोक मामा को अभी तक मेरे ऊपर भरोसा नहीं है । और होता भी क्यों क्योंकि बहुत बड़ी बात थी मैं उनके मम्मी के बारे में जानता था उनको भी तो डर होगा ना कहीं मैं पापा को ना बता दूं उनकी इज्जत खराब हो जाएगी मम्मी की इज्जत खराब हो जाएगी लेकिन पिछले एक सप्ताह से मैं जिस तरीके का अपना रूटिंग अपनाया होता है और अशोक मामा को पूरी तरीके से मम्मी के नजदीक होने का मौका देता हूं क्योंकि मैं समझ रहा था कि मम्मी अभी तक इनको करने नहीं दे रही है क्योंकि मम्मी भी डर रही है शायद भरोसा नहीं हो रहा है अशोक मामा के ऊपर लेकिन मैं पिछले कुछ दिनों से अपने आप को व्यस्त रख लेता हूं जिससे की मम्मी को और भी अकेलापन लगता है और इस अकेलापन का फायदा अशोक मामा भरपूर तरीके से उठा करके मम्मी का पूरा तरीके से दिल जीत करके उन्होंने मम्मी को फंसा लिया होता है। इस बात की जानकारी अशोक मामा ने खुद मुझे दिया होता है यह बोलकर कि तुम मेरे इम्तिहान में पास हो गए उसके बाद उन्होंने प्लान बनाया होता है कि मैं वंदना को बोलूंगा कि नींद की गोली देने के लिए तो वह नींद की गोली नहीं होगी एक्चुअली लेकिन तुम पूरा सोने का नाटक करना ठीक है ना मैं उनका सारा योजना समझ जाता हूं



मैं यही सब सो रहा होता हूं कि अचानक मम्मी मुझे आवाज देती है मुझे हिलती है मोनू मोनू बोलकर मेरा ध्यान वापस से आता है मैं गहरी सोच में डूब गया होता हूं एक सप्ताह पहले हुई चीजों के बारे में लेकिन अब मम्मी के इस तरीके से हिलाने से शायद वह कंफर्म होना चाहती है कि मैं सो गया हूं क्या मुझे यकीन नहीं हो रहा होता है कि एक सप्ताह में इतना कुछ बदल गया है।



कमरे में टीवी के ऊपर मैच शुरू हो चुका होता है अशोक मामा वैसे ही लेते हुए होते हैं और मम्मी मुझे हिला रही होती है आवाज दे रही होती है। और अशोक मामा के बताए गए योजना के मुताबिक महत्व समझना ही था कि नींद की दवाई जो मम्मी मुझे समझ कर देती है वह असल में नींद की दवाई होती ही नहीं है यह राज बस में और अशोक मामा जानते हैं।

और अशोक मामा ने कल मुझे पहली बार जो कुछ भी देखने का मौका दिया होता है वह शायद मैं पूरी तरीके से नहीं देख सका होता हूं पहले राउंड तो मैंने देखा होता जिसमें की मम्मी उतना कुछ खुल करके मजे नहीं ले रही होती क्योंकि कल रात में पहली बार अशोक मामा और मम्मी के बीच में चुदाई हुई होती है लेकिन आज अशोक मामा ने मुझे बोला होता है कि आज वंदना को खोलूंगा अपने साथ में और तो आज की रात मुझे बेसब्री से इंतजार होती है क्योंकि अशोक मामा ने मुझे बताया होता है कि आज कुछ स्पेशल है। लेकिन यह नहीं बताया होता है कि क्या स्पेशल है बस यह बोला होता है कि आज कौन सी तारीख है तो मैंने बोला होता है कितनी तारीख है तो उन्होंने बोला होता है कि अगर समझदार हो तो अंदाजा लगा लो आज क्या स्पेशल है लेकिन मैं काफी सोच होता है तो मुझे पता नहीं चलता है खैर मैंने सोचा होता है कि जो भी होगा वह तो पता चल ही जाएगा क्या सरप्राइज है और क्या इनाम देने का उन्होंने मुझे सोचा है।

कुछ देर ऐसे ही मम्मी के हिलाने
के बाद मम्मी कंफर्म हो जाती है कि मैं सो गया हूं।
 

Rsingh

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जब मम्मी मुझे इस तरीके से आवाज देकर के देख रही होती है मुझे दिला रही होती है अशोक मामा बोलते हैं अरे वह सच में बहुत गहरी नींद में है वंदना तुम्हें मैं कल ही बोला था कि यह गहरी नींद में लेकिन फिर भी तुम बोल रही थी हाल में करने के लिए और मैं ठीक से होता नहीं करना भी यहां पर बिस्तर पर करने की बात अलग होती है। तभी अशोक मामा एक बार मेरे हाथों को उठा देते हैं फिर छोड़ते हैं तो मैं मेरे हाथ को एकदम हल्का छोड़ देता हूं मेरे हाथ नीचे ऐसे गिरती है जैसे कोई आदमी बेहोश बेसुध गहरी नींद में हो मैं जिस तरीके से हाथ को एकदम हल्का छोड़ दिया होता है मेरे हाथ जिस तरीके से गिरी होती है मम्मी उसे मां से पूछने लग जाती है अशोक मुझे डर लग रहा है कहीं कुछ हो तो नहीं जाएगा नहीं से नींद की दवाई देने से अशोक मामा मुस्कुराते हुए कुछ नहीं देखा इसकी सांसे चल रही है फिर मम्मी मेरे सांसों को सुनने की कोशिश करती है उनका चेहरा मेरे नजदीक होता है बहुत लेकिन मैं इस तरीके से करता हूं जैसे कि अब उन्हें सच में यकीन हो जाता है। मैं भी समझ रहा होता हूं कि आज मम्मी खुलने वाली है कुछ अच्छे तरीके से इसलिए पूरी तरीके से कंफर्म होना चाहती है ताकि एक परसेंट भी उसके मन में शक ना हो फिर अशोक मामा पूछते हैं हो गई हो ना कंफर्म और कुछ कंफर्म होना है क्या फिर मम्मी मुस्कुराहट के साथ बोलती नहीं अब कुछ कंफर्म नहीं होना है और उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान होती है जो की एक सुरक्षा वाली मुस्कान होती है जिसे किसी बात का डर नहीं पकड़े जाने का डर नहीं जैसे मानो की इस बात की गारंटी हो कि मैं सो चुका हूं गहरी नींद में तभी अशोक मामा बोलते हैं पता है मैं तुम्हें इस कमरे में क्यों बोलता हूं इसका गद्दा बहुत अच्छा है एकदम करने में मजा आएगा इस गद्दे के ऊपर लगता है तुम्हारे पति ने खास तुम्हारे लिए यह गड्डा खरीदा है वह तो यहां है नहीं तो इस गद्दे की कीमत मुझे ही वसूल करने दो

तुम तो खामखा परेशान हो रही थी कल मैं तुमको बोला था कि कमरे में ही करते हैं लाइट जला करके वैसे अभी काफी टाइम है अभी नौ बज रहा है। वैसे दिमाग अच्छा लगाया तुमने वंदना आज मोनू को जल्दी सुला दिया तभी अशोक मामा मम्मी से इसी तरह की बातें कर रहे होते हैं। उन लोगों का नाश्ता खत्म हो चुका होता है अशोक मामा मम्मी से फरमाइश करते हुए बोलते हैं की वंदना एक कड़क चाय बनाना जरा आज ठंड कुछ ज्यादा ही है जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है चाय से ठंडी चल जाएगी क्या जिस पर अशोक मामा मुस्कुराते हुए मम्मी को बोलते हैं लगता तो नहीं है कोशिश करके देखते हैं बाकी तुम तो हो ही।

तभी मम्मी बोलती है जानते हो अशोक सुबह में मोनू मुझसे पूछ रहा था ना रात वाला मैच कौन जीता मुझे तो नींद आ गई थी रात वाला मैच तो बहुत तगड़ा मैच हुआ होगा जिस पर अशोक मामा बोलते हैं मम्मी को कि तुमने क्या बोला वंदना फिर मम्मी बोलती है कि मैं क्या बोला मैंने यही बोला कि मैं सो गई थी मुझे क्या पता मैच में कौन जीता नहीं जीता इस पर अशोक मामा मुस्कुराते हुए बोलते हैं तुम्हें बोलना चाहिए था ना रात वाला मैच बहुत तगड़ा हो सकता था लेकिन तुमने मेरा साथ ही नहीं दिया जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है मतलब साथ नहीं दिया जिसके ऊपर अशोक मामा फिर बोलते हैं अरे मतलब यह की हाल में सोफे के ऊपर कितना करने में बनता कमरे में करते तभी तो बढ़िया से होता ना जिस पर मम्मी हंसते हुए बोलती है तुम भी ना अशोक मैं किस मैच के बारे में बात कर रही हूं और तुम किस मैच के बारे में बात कर रहे हो जिस पर अशोक मामा मुस्कुराकर बोलते हैं अरे असली मैच तो यही है ना उसे कोई बात नहीं आज तो कमरे में ही करेंगे ना अब अगर सुबह में मोनू अगर पूछे ना रात के मैच के बारे में उसे बताना की रात वाला मैच बहुत तगड़ा हुआ।

क्योंकि पहले वाला मैच था ना तो खिलाड़ियों को कॉन्फिडेंस नहीं था लेकिन दूसरी वाली मैच में कॉन्फिडेंस हो गया जैसे तुम अपने आप को ही देख लो पहली बार में तुमको डर लग रहा था कल रात में मेरे साथ में करने में है कि मोनू जाग जाएगा लेकिन अब कंफर्म हो गई हो ना वैसे आज हम दोनों कभी मैच खूब जबरदस्त चलेगा अशोक मामा ऐसी बातें बोलते हुए मम्मी को बाहों में भर लेते हैं और धीरे से उनके कान के पास बोलते हैं चलेगा ना हम दोनों का मैच वंदना आज ठंड भी बहुत जोर से है आज पता है तेल लगाकर मैंच चलेगा हम दोनों का सारी रात फिर अशोक मामा वंदना को बाहों में कस के एक पप्पी लेते हुए बोलते हैं कैसे चलेगा हम दोनों का मैच सारी रात इस पर मम्मी मुस्कुरा के बोलती मुझे नहीं मालूम है कैसे चलेगा जिसके बाद अशोक मामा मम्मी को बाहों में भरते हुए थोड़ा इधर-उधर हिला कर बोलते हैं अरे बोलो ना कैसे चलेगा जिसके ऊपर मम्मी एकदम चेहरे मुस्कान लाते हुए बोलती है तेल लगाकर चलेगा मैच सारी रात और इसी के साथ अशोक मामा कमरे की लाइट को जला देते हैं जो की बेड के पास में होता है अब मैं मम्मी के चेहरे को अच्छे से देख रहा होता हूं। इसके बाद अशोक मामा फिर से एक बार पूछते हैं कहां पर तेल लगाकर मैच होगा वंदना इसके बाद मम्मी बोलती है तुम बोलो फिर अशोक मामा बोलते हैं मुझे तो मालूम ही है कहां पर तेल लगाकर होगा तुम बताओगे ना फिर मम्मी बोलती हो तुम जानते हो फिर भी ना जानबूझकर के पूछ रहे हो फिर अशोक मामा बोलते हैं अरे जानता तो हूं तुम भी जानती हो लेकिन बोल दोगी तो क्या दिक्कत है अच्छा लगता है ना तुम्हारे मुंह से सुनने में तुम बोलती हो ना तो बहुत प्यारी लगती हो अशोक मामा मम्मी को एकदम मस्का लगाते हुए बोलते हैं जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है तुम्हारे लौड़े पर तेल लगाकर मैच होगा आज रात में अशोक मामा अगले पल बोलते हैं और कहां पर है फिर मम्मी बोलती है बुर में तेल देकर मैच होगा रात
में
 

Asli lund

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जब मम्मी मुझे इस तरीके से आवाज देकर के देख रही होती है मुझे दिला रही होती है अशोक मामा बोलते हैं अरे वह सच में बहुत गहरी नींद में है वंदना तुम्हें मैं कल ही बोला था कि यह गहरी नींद में लेकिन फिर भी तुम बोल रही थी हाल में करने के लिए और मैं ठीक से होता नहीं करना भी यहां पर बिस्तर पर करने की बात अलग होती है। तभी अशोक मामा एक बार मेरे हाथों को उठा देते हैं फिर छोड़ते हैं तो मैं मेरे हाथ को एकदम हल्का छोड़ देता हूं मेरे हाथ नीचे ऐसे गिरती है जैसे कोई आदमी बेहोश बेसुध गहरी नींद में हो मैं जिस तरीके से हाथ को एकदम हल्का छोड़ दिया होता है मेरे हाथ जिस तरीके से गिरी होती है मम्मी उसे मां से पूछने लग जाती है अशोक मुझे डर लग रहा है कहीं कुछ हो तो नहीं जाएगा नहीं से नींद की दवाई देने से अशोक मामा मुस्कुराते हुए कुछ नहीं देखा इसकी सांसे चल रही है फिर मम्मी मेरे सांसों को सुनने की कोशिश करती है उनका चेहरा मेरे नजदीक होता है बहुत लेकिन मैं इस तरीके से करता हूं जैसे कि अब उन्हें सच में यकीन हो जाता है। मैं भी समझ रहा होता हूं कि आज मम्मी खुलने वाली है कुछ अच्छे तरीके से इसलिए पूरी तरीके से कंफर्म होना चाहती है ताकि एक परसेंट भी उसके मन में शक ना हो फिर अशोक मामा पूछते हैं हो गई हो ना कंफर्म और कुछ कंफर्म होना है क्या फिर मम्मी मुस्कुराहट के साथ बोलती नहीं अब कुछ कंफर्म नहीं होना है और उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान होती है जो की एक सुरक्षा वाली मुस्कान होती है जिसे किसी बात का डर नहीं पकड़े जाने का डर नहीं जैसे मानो की इस बात की गारंटी हो कि मैं सो चुका हूं गहरी नींद में तभी अशोक मामा बोलते हैं पता है मैं तुम्हें इस कमरे में क्यों बोलता हूं इसका गद्दा बहुत अच्छा है एकदम करने में मजा आएगा इस गद्दे के ऊपर लगता है तुम्हारे पति ने खास तुम्हारे लिए यह गड्डा खरीदा है वह तो यहां है नहीं तो इस गद्दे की कीमत मुझे ही वसूल करने दो

तुम तो खामखा परेशान हो रही थी कल मैं तुमको बोला था कि कमरे में ही करते हैं लाइट जला करके वैसे अभी काफी टाइम है अभी नौ बज रहा है। वैसे दिमाग अच्छा लगाया तुमने वंदना आज मोनू को जल्दी सुला दिया तभी अशोक मामा मम्मी से इसी तरह की बातें कर रहे होते हैं। उन लोगों का नाश्ता खत्म हो चुका होता है अशोक मामा मम्मी से फरमाइश करते हुए बोलते हैं की वंदना एक कड़क चाय बनाना जरा आज ठंड कुछ ज्यादा ही है जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है चाय से ठंडी चल जाएगी क्या जिस पर अशोक मामा मुस्कुराते हुए मम्मी को बोलते हैं लगता तो नहीं है कोशिश करके देखते हैं बाकी तुम तो हो ही।

तभी मम्मी बोलती है जानते हो अशोक सुबह में मोनू मुझसे पूछ रहा था ना रात वाला मैच कौन जीता मुझे तो नींद आ गई थी रात वाला मैच तो बहुत तगड़ा मैच हुआ होगा जिस पर अशोक मामा बोलते हैं मम्मी को कि तुमने क्या बोला वंदना फिर मम्मी बोलती है कि मैं क्या बोला मैंने यही बोला कि मैं सो गई थी मुझे क्या पता मैच में कौन जीता नहीं जीता इस पर अशोक मामा मुस्कुराते हुए बोलते हैं तुम्हें बोलना चाहिए था ना रात वाला मैच बहुत तगड़ा हो सकता था लेकिन तुमने मेरा साथ ही नहीं दिया जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है मतलब साथ नहीं दिया जिसके ऊपर अशोक मामा फिर बोलते हैं अरे मतलब यह की हाल में सोफे के ऊपर कितना करने में बनता कमरे में करते तभी तो बढ़िया से होता ना जिस पर मम्मी हंसते हुए बोलती है तुम भी ना अशोक मैं किस मैच के बारे में बात कर रही हूं और तुम किस मैच के बारे में बात कर रहे हो जिस पर अशोक मामा मुस्कुराकर बोलते हैं अरे असली मैच तो यही है ना उसे कोई बात नहीं आज तो कमरे में ही करेंगे ना अब अगर सुबह में मोनू अगर पूछे ना रात के मैच के बारे में उसे बताना की रात वाला मैच बहुत तगड़ा हुआ।

क्योंकि पहले वाला मैच था ना तो खिलाड़ियों को कॉन्फिडेंस नहीं था लेकिन दूसरी वाली मैच में कॉन्फिडेंस हो गया जैसे तुम अपने आप को ही देख लो पहली बार में तुमको डर लग रहा था कल रात में मेरे साथ में करने में है कि मोनू जाग जाएगा लेकिन अब कंफर्म हो गई हो ना वैसे आज हम दोनों कभी मैच खूब जबरदस्त चलेगा अशोक मामा ऐसी बातें बोलते हुए मम्मी को बाहों में भर लेते हैं और धीरे से उनके कान के पास बोलते हैं चलेगा ना हम दोनों का मैच वंदना आज ठंड भी बहुत जोर से है आज पता है तेल लगाकर मैंच चलेगा हम दोनों का सारी रात फिर अशोक मामा वंदना को बाहों में कस के एक पप्पी लेते हुए बोलते हैं कैसे चलेगा हम दोनों का मैच सारी रात इस पर मम्मी मुस्कुरा के बोलती मुझे नहीं मालूम है कैसे चलेगा जिसके बाद अशोक मामा मम्मी को बाहों में भरते हुए थोड़ा इधर-उधर हिला कर बोलते हैं अरे बोलो ना कैसे चलेगा जिसके ऊपर मम्मी एकदम चेहरे मुस्कान लाते हुए बोलती है तेल लगाकर चलेगा मैच सारी रात और इसी के साथ अशोक मामा कमरे की लाइट को जला देते हैं जो की बेड के पास में होता है अब मैं मम्मी के चेहरे को अच्छे से देख रहा होता हूं। इसके बाद अशोक मामा फिर से एक बार पूछते हैं कहां पर तेल लगाकर मैच होगा वंदना इसके बाद मम्मी बोलती है तुम बोलो फिर अशोक मामा बोलते हैं मुझे तो मालूम ही है कहां पर तेल लगाकर होगा तुम बताओगे ना फिर मम्मी बोलती हो तुम जानते हो फिर भी ना जानबूझकर के पूछ रहे हो फिर अशोक मामा बोलते हैं अरे जानता तो हूं तुम भी जानती हो लेकिन बोल दोगी तो क्या दिक्कत है अच्छा लगता है ना तुम्हारे मुंह से सुनने में तुम बोलती हो ना तो बहुत प्यारी लगती हो अशोक मामा मम्मी को एकदम मस्का लगाते हुए बोलते हैं जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है तुम्हारे लौड़े पर तेल लगाकर मैच होगा आज रात में अशोक मामा अगले पल बोलते हैं और कहां पर है फिर मम्मी बोलती है बुर में तेल देकर मैच होगा रात
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Mummy ko galiya dilwana aur lund chuswana
 

AGRIM9INCH

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जब मम्मी मुझे इस तरीके से आवाज देकर के देख रही होती है मुझे दिला रही होती है अशोक मामा बोलते हैं अरे वह सच में बहुत गहरी नींद में है वंदना तुम्हें मैं कल ही बोला था कि यह गहरी नींद में लेकिन फिर भी तुम बोल रही थी हाल में करने के लिए और मैं ठीक से होता नहीं करना भी यहां पर बिस्तर पर करने की बात अलग होती है। तभी अशोक मामा एक बार मेरे हाथों को उठा देते हैं फिर छोड़ते हैं तो मैं मेरे हाथ को एकदम हल्का छोड़ देता हूं मेरे हाथ नीचे ऐसे गिरती है जैसे कोई आदमी बेहोश बेसुध गहरी नींद में हो मैं जिस तरीके से हाथ को एकदम हल्का छोड़ दिया होता है मेरे हाथ जिस तरीके से गिरी होती है मम्मी उसे मां से पूछने लग जाती है अशोक मुझे डर लग रहा है कहीं कुछ हो तो नहीं जाएगा नहीं से नींद की दवाई देने से अशोक मामा मुस्कुराते हुए कुछ नहीं देखा इसकी सांसे चल रही है फिर मम्मी मेरे सांसों को सुनने की कोशिश करती है उनका चेहरा मेरे नजदीक होता है बहुत लेकिन मैं इस तरीके से करता हूं जैसे कि अब उन्हें सच में यकीन हो जाता है। मैं भी समझ रहा होता हूं कि आज मम्मी खुलने वाली है कुछ अच्छे तरीके से इसलिए पूरी तरीके से कंफर्म होना चाहती है ताकि एक परसेंट भी उसके मन में शक ना हो फिर अशोक मामा पूछते हैं हो गई हो ना कंफर्म और कुछ कंफर्म होना है क्या फिर मम्मी मुस्कुराहट के साथ बोलती नहीं अब कुछ कंफर्म नहीं होना है और उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान होती है जो की एक सुरक्षा वाली मुस्कान होती है जिसे किसी बात का डर नहीं पकड़े जाने का डर नहीं जैसे मानो की इस बात की गारंटी हो कि मैं सो चुका हूं गहरी नींद में तभी अशोक मामा बोलते हैं पता है मैं तुम्हें इस कमरे में क्यों बोलता हूं इसका गद्दा बहुत अच्छा है एकदम करने में मजा आएगा इस गद्दे के ऊपर लगता है तुम्हारे पति ने खास तुम्हारे लिए यह गड्डा खरीदा है वह तो यहां है नहीं तो इस गद्दे की कीमत मुझे ही वसूल करने दो

तुम तो खामखा परेशान हो रही थी कल मैं तुमको बोला था कि कमरे में ही करते हैं लाइट जला करके वैसे अभी काफी टाइम है अभी नौ बज रहा है। वैसे दिमाग अच्छा लगाया तुमने वंदना आज मोनू को जल्दी सुला दिया तभी अशोक मामा मम्मी से इसी तरह की बातें कर रहे होते हैं। उन लोगों का नाश्ता खत्म हो चुका होता है अशोक मामा मम्मी से फरमाइश करते हुए बोलते हैं की वंदना एक कड़क चाय बनाना जरा आज ठंड कुछ ज्यादा ही है जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है चाय से ठंडी चल जाएगी क्या जिस पर अशोक मामा मुस्कुराते हुए मम्मी को बोलते हैं लगता तो नहीं है कोशिश करके देखते हैं बाकी तुम तो हो ही।

तभी मम्मी बोलती है जानते हो अशोक सुबह में मोनू मुझसे पूछ रहा था ना रात वाला मैच कौन जीता मुझे तो नींद आ गई थी रात वाला मैच तो बहुत तगड़ा मैच हुआ होगा जिस पर अशोक मामा बोलते हैं मम्मी को कि तुमने क्या बोला वंदना फिर मम्मी बोलती है कि मैं क्या बोला मैंने यही बोला कि मैं सो गई थी मुझे क्या पता मैच में कौन जीता नहीं जीता इस पर अशोक मामा मुस्कुराते हुए बोलते हैं तुम्हें बोलना चाहिए था ना रात वाला मैच बहुत तगड़ा हो सकता था लेकिन तुमने मेरा साथ ही नहीं दिया जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है मतलब साथ नहीं दिया जिसके ऊपर अशोक मामा फिर बोलते हैं अरे मतलब यह की हाल में सोफे के ऊपर कितना करने में बनता कमरे में करते तभी तो बढ़िया से होता ना जिस पर मम्मी हंसते हुए बोलती है तुम भी ना अशोक मैं किस मैच के बारे में बात कर रही हूं और तुम किस मैच के बारे में बात कर रहे हो जिस पर अशोक मामा मुस्कुराकर बोलते हैं अरे असली मैच तो यही है ना उसे कोई बात नहीं आज तो कमरे में ही करेंगे ना अब अगर सुबह में मोनू अगर पूछे ना रात के मैच के बारे में उसे बताना की रात वाला मैच बहुत तगड़ा हुआ।

क्योंकि पहले वाला मैच था ना तो खिलाड़ियों को कॉन्फिडेंस नहीं था लेकिन दूसरी वाली मैच में कॉन्फिडेंस हो गया जैसे तुम अपने आप को ही देख लो पहली बार में तुमको डर लग रहा था कल रात में मेरे साथ में करने में है कि मोनू जाग जाएगा लेकिन अब कंफर्म हो गई हो ना वैसे आज हम दोनों कभी मैच खूब जबरदस्त चलेगा अशोक मामा ऐसी बातें बोलते हुए मम्मी को बाहों में भर लेते हैं और धीरे से उनके कान के पास बोलते हैं चलेगा ना हम दोनों का मैच वंदना आज ठंड भी बहुत जोर से है आज पता है तेल लगाकर मैंच चलेगा हम दोनों का सारी रात फिर अशोक मामा वंदना को बाहों में कस के एक पप्पी लेते हुए बोलते हैं कैसे चलेगा हम दोनों का मैच सारी रात इस पर मम्मी मुस्कुरा के बोलती मुझे नहीं मालूम है कैसे चलेगा जिसके बाद अशोक मामा मम्मी को बाहों में भरते हुए थोड़ा इधर-उधर हिला कर बोलते हैं अरे बोलो ना कैसे चलेगा जिसके ऊपर मम्मी एकदम चेहरे मुस्कान लाते हुए बोलती है तेल लगाकर चलेगा मैच सारी रात और इसी के साथ अशोक मामा कमरे की लाइट को जला देते हैं जो की बेड के पास में होता है अब मैं मम्मी के चेहरे को अच्छे से देख रहा होता हूं। इसके बाद अशोक मामा फिर से एक बार पूछते हैं कहां पर तेल लगाकर मैच होगा वंदना इसके बाद मम्मी बोलती है तुम बोलो फिर अशोक मामा बोलते हैं मुझे तो मालूम ही है कहां पर तेल लगाकर होगा तुम बताओगे ना फिर मम्मी बोलती हो तुम जानते हो फिर भी ना जानबूझकर के पूछ रहे हो फिर अशोक मामा बोलते हैं अरे जानता तो हूं तुम भी जानती हो लेकिन बोल दोगी तो क्या दिक्कत है अच्छा लगता है ना तुम्हारे मुंह से सुनने में तुम बोलती हो ना तो बहुत प्यारी लगती हो अशोक मामा मम्मी को एकदम मस्का लगाते हुए बोलते हैं जिसके ऊपर मम्मी मुस्कुराते हुए बोलती है तुम्हारे लौड़े पर तेल लगाकर मैच होगा आज रात में अशोक मामा अगले पल बोलते हैं और कहां पर है फिर मम्मी बोलती है बुर में तेल देकर मैच होगा रात
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Bhai....pahle jaisi story maza nahi de rahi.....kahani dusari taraf jaa rahi hai....
 
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