कुछ देर वहां पर इसी तरह की मटरगश्ती करने के बाद मैं वहां से घर की तरफ निकल जाता हूं । और तकरीबन 8:30 बजे मैं घर के अंदर पहुंच जाता हूं आज थोड़ी मुझे एक तरीके से देर हो गई होती है घर आने में घर आने के बाद मैं अपने मोटरसाइकिल को अच्छे से लगा देता हूं और अशोक मामा का मोटरसाइकिल भी वहीं पर लगा हुआ होता है। मैं अपने बैग को लेकर के अंदर आता हूं अंदर आने के बाद में कमरे में अपने बैग जाकर के रख देता हूं और सीधा किचन की तरफ जाता हूं पानी पीने के लिए मैं जैसे ही किचन से पानी पीकर के निकालता हूं तो मम्मी बाथरूम से निकलती है वह अपने पूरे चेहरे भीगा होता है। उनके गोरे चेहरे से टपकता हुआ पानी और भी चमक रहा होता है। उनका चेहरा बल्ब की दूधिया रोशनी में और चमक रही होती है और होठों के ऊपर पूरी लिपस्टिक लगी हुई होती है आज उनका चेहरा काफी बदला हुआ लग रहा होता है जिससे मुझे समझने में यह बिल्कुल भी देर नहीं लगी की मम्मी आज ब्यूटी पार्लर गई है क्योंकि उनके आइब्रो पूरा बने हुए होते हैं पूरे चेहरे पर एक अलग ही निखार होती है । इसे देखने से पता चल रहा होता है कि उन्होंने अपना फेशियल करवाया हुआ होता है यहां तक कि उनके बाल भी पूरी एकदम स्ट्रेट लग रहे होते हैं जैसा मानो की बालों में काम करवाया है बाल एकदम पूरा सिल्की लग रहे होते हैं और हल्का मेहंदी रंग के लग रहे होते हैं । जैसे ही मम्मी बाथरूम से निकलती है मैं बाथरूम के अंदर जाता हूं और दरवाजा लगा लेता दरवाजा लगाने के बाद में पेशाब करने लग जाता हूं तभी मेरी नजर अचानक से जाती है एक फेसवास के डिब्बे के ऊपर लेकिन मेरी नजर फेस वॉश के डिब्बे के ऊपर नहीं गई होती बल्कि उसके ऊपर जो कीमत होती है उसके ऊपर गई होती है जो बोल्ड अक्षरों में लिखा हुआ होता है थोड़ा बड़ा जो 125मल का होता है और उसकी कीमत देख करके मेरी आंखें एक पल के लिए बड़ी हो जाती है ₹15775 पंद्रह हजार सात सौ पिछतर रुपए यह कोई विदेशी कंपनी लग रही होती है जिसके ऊपर लिखा हुआ होता है La Mer The cleansing Foam उसके बगल में हरे रंग का उसका डब्बा रखा हुआ होता है और क्रीम जो होती है वह सफेद कलर के ट्यूब में होती है इसका जो हरे रंग का डब्बा होता है जिसमें क्रीम आती है वह भी काफी प्रीमियम क्वालिटी का लग रहा था मेरी आंखें बड़ी हो जाती है।
मैं कुछ देर बाद पेशाब करके वहां से निकल जाता हूं और जब वहां से निकलता हूं मैं मम्मी से पूछता हूंआज अशोक मामा दिखाई नहीं दे रहे आज मैच नहीं देखना है क्या आज मैच है। तभी मैं बोलता हूं आए नहीं है क्या ऑफिस से मैं जानबूझकर अनजान बनते हुए पूछता हूं तो मम्मी भी बोलती है कि नहीं पता नहीं आए नहीं आए हैं मैं उनके इस चतुराई भरी चेहरे को देख रहा होता हूं क्योंकि मैं तो पहले ही मोटरसाइकिल अशोक मामा की यहां पर देखा हुआ होता हूं और मुझे पता चल रहा होता है। मैं तभी कुछ सोच ही रहा होता हूं मम्मी बोल देती है बुला लो उनको भी मैच देखने के लिए अगर आ गए हैं तो। तभी मैं देखता हूं कि दरवाजे पर अशोक मामा की दस्तक होती है। और जैसे ही वह अंदर आते हैं यही बोलते हैं मैच शुरू हो गया है क्या कितना बज रहा है मम्मी उनको टाइम बताती है वह बोलते हैं लगता है शुरू ही होने वाला है।
तभी मम्मी मुझे बोलती है कि तुमने घर का मैन दरवाजा तो बंद किया है ना तभी मुझे ध्यान में आता है कि शायद मैंने बंद किया है या नहीं किया है तो मैं उनको बोलता हूं कि ठीक है मैं जाकर के देख लेता हूं तो मैं जाकर के देखने चला जाता हूं दोस्तों बात ऐसी होती है कि पिछले कुछ दिनों से मोहल्ले में काफी चोरी जैसी घटनाएं हो रही होती है एक हमारे पड़ोस में किसी की बाइक की भी चोरी हो गई होती है नई नवेली ।
बाइक। मैं जैसे ही एक बार चेक कर लेता हूं कंफर्म हो करके आता हूं और जब मैं अंदर आता हूं । और मम्मी के कमरे में आता हूं तो देखता हूं फिर से लाइट बंद है और अशोक मामा फिर कल वाले पोजीशन पर ही साइड वाले जगह पर लेटे हुए होते हैं मैं चुपचाप जाकर के कोने की तरफ चला जाता हूं । तभी उधर से मम्मी आई मैक्सी पहने हुए और उनके हाथों में दो प्लेट होता है तभी मेरे तरफ मम्मी प्लेट देते हुए बोलते हैं कि नाश्ता कर लो आज खाना नहीं बनेगा और जब मैं वहीं लेते हुए नाश्ता करने लग जाता हूं तो अशोक मामा पूछते हैं वंदना कि तुम नहीं नाश्ता करोगी जिस पर मम्मी बोलती है कि नहीं पहले सब लोग कर लेंगे उसके बाद क्योंकि प्लेट गंदा है और अभी पानी छूने का मन करता नहीं है पानी ठंडा है बाद में कर लूंगी जिसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं कि अरे बाद में क्या कर लोग इसी में कर लो ना तभी अशोक मामा अपने प्लेट को उनके हाथों में थाम के बोलते हैं और ले लो इसी में ही और मम्मी भी जाती है उसे वाले प्लेट में और नाश्ता लेकर के आती है और तभी एक हाथों में उनके नाश्ते की प्लेट होती है दूसरे हाथों में गिलास होता है वह गिलास मेरी तरफ देते हुए बोलती है दूध है पी लेना मैं समझ जाता हूं इसमें क्या है लेकिन इस भर में दूध को उनको दिखाते हुए सच में पूरा पी जाता हूं और खाली क्लास उनके हाथों में देता हूं तो मम्मी मुस्कुरा देती है यह बोलते हुए की और नाश्ता लोगे। इसके बाद मैं बोलता हूं कि नहीं अब नहीं लूंगा इसके बाद में ऐसे ही लेट जाता हूं अशोक मामा और मम्मी एक ही प्लेट में नाश्ता कर रहे होते हैं मम्मी अपने पैर को नीचे लटका कर बैठी हुई होती है। तभी अशोक मामा मुझे बोलते हैं कल स्कूल के बाद मोनू मेरे ऑफिस आ जाना ठीक है नाइसके बाद मम्मी सवाल लिया है अंदाज में अशोक मामा से पूछते हैं स्कूल के बाद तुम्हारे ऑफिस आ जाएगा मतलब ट्यूशन नहीं जाएगा क्या इसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं कि नहीं ट्यूशन नहीं जाएगा अभी दो-चार-10 दिन है इसका कुछ दोस्तों का कुछ काम है इसके दोस्त के पापा का कोई काम है सरकारी जरूरी काम है जिसके ऊपर मम्मी सवाल करती है ऐसा क्या जरूरी काम है जिसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं अरे है कुछ सरकारी काम है कागज वाले जैसे ही अशोक मामा यह बात बोलते हैं मैं बड़े ही आज्ञाकारी अंदाज में बोलता हूं ठीक है मैं आ जाऊंगा छुट्टी टाइम में जब अशोक मामा यह बोलते हैं कि छुट्टी टाइम में आ जाना मेरे ऑफिस में तब मेरे दिल को थोड़ी राहत होती है क्योंकि पिछले कुछ देर से जो बात सोच सोच के परेशान हो रहा था मानो की अब मेरे दिल पर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो पहले जहां मेरा नाश्ता करने में मन नहीं लग रहा होता है मैं मम्मी से बोलना भी हूं मम्मी थोड़ा और नाश्ता दो ना और जैसे ही मम्मी वहां से जाती है अशोक मामा मुझे बोलते हैं टेंशन मत लो सब हो जाएगा ठीक है ना फिकर मत करो और जैसे ही अशोक मामा यह बात बोल रहे होते हैं वैसे ही थोड़ी देर में मम्मी आ जाती है और वह इस बात को सुन लेती है और बोलती है क्या बातें हो रही है किस बात की टेंशन नही लेने की बोल रहे हो जिसके ऊपर अशोक मामा बड़े ही कुशल तरीके से बात को घुमाते हुए बोलते हैं तेरे नहीं वंदना इसको बुलाता हूं की पढ़ाई लिखाई को लेकर के ज्यादा टेंशन मत लो बस मेहनत करो बाकी ठीक है ना ज्यादा टेंशन लेने से दिमाग पर जोर पड़ेगा इस बात के ऊपर मम्मी भी बोलती हां यह बात तो है टाइम पर मेहनत करो और ज्यादा टेंशन मत लो पढ़ाई तो कर ही रहे हो ना।
मम्मी को लग रहा होता है कि अशोक मामा पढ़ाई को लेकर के बातें कर रहे होते हैं लेकिन वह किस चीज को लेकर के बातें कर रहे होते हैं यह मैं ही समझ रहा होता हूं क्योंकि जो कुछ भी कुछ दिन पहले घटा होता है घटना अगर अशोक मामा नहीं होते तो मेरी जिंदगी खराब होजाती है।
अभी किस तरह की घटना है यह आगे जाकर के आप लोगों को कहानी में पता चलेगा क्योंकि उसके लिए हमें कहानी में फ्लैशबैक में जाना पड़ेगा पिछले सप्ताह में
मैं कुछ देर बाद पेशाब करके वहां से निकल जाता हूं और जब वहां से निकलता हूं मैं मम्मी से पूछता हूंआज अशोक मामा दिखाई नहीं दे रहे आज मैच नहीं देखना है क्या आज मैच है। तभी मैं बोलता हूं आए नहीं है क्या ऑफिस से मैं जानबूझकर अनजान बनते हुए पूछता हूं तो मम्मी भी बोलती है कि नहीं पता नहीं आए नहीं आए हैं मैं उनके इस चतुराई भरी चेहरे को देख रहा होता हूं क्योंकि मैं तो पहले ही मोटरसाइकिल अशोक मामा की यहां पर देखा हुआ होता हूं और मुझे पता चल रहा होता है। मैं तभी कुछ सोच ही रहा होता हूं मम्मी बोल देती है बुला लो उनको भी मैच देखने के लिए अगर आ गए हैं तो। तभी मैं देखता हूं कि दरवाजे पर अशोक मामा की दस्तक होती है। और जैसे ही वह अंदर आते हैं यही बोलते हैं मैच शुरू हो गया है क्या कितना बज रहा है मम्मी उनको टाइम बताती है वह बोलते हैं लगता है शुरू ही होने वाला है।
तभी मम्मी मुझे बोलती है कि तुमने घर का मैन दरवाजा तो बंद किया है ना तभी मुझे ध्यान में आता है कि शायद मैंने बंद किया है या नहीं किया है तो मैं उनको बोलता हूं कि ठीक है मैं जाकर के देख लेता हूं तो मैं जाकर के देखने चला जाता हूं दोस्तों बात ऐसी होती है कि पिछले कुछ दिनों से मोहल्ले में काफी चोरी जैसी घटनाएं हो रही होती है एक हमारे पड़ोस में किसी की बाइक की भी चोरी हो गई होती है नई नवेली ।
बाइक। मैं जैसे ही एक बार चेक कर लेता हूं कंफर्म हो करके आता हूं और जब मैं अंदर आता हूं । और मम्मी के कमरे में आता हूं तो देखता हूं फिर से लाइट बंद है और अशोक मामा फिर कल वाले पोजीशन पर ही साइड वाले जगह पर लेटे हुए होते हैं मैं चुपचाप जाकर के कोने की तरफ चला जाता हूं । तभी उधर से मम्मी आई मैक्सी पहने हुए और उनके हाथों में दो प्लेट होता है तभी मेरे तरफ मम्मी प्लेट देते हुए बोलते हैं कि नाश्ता कर लो आज खाना नहीं बनेगा और जब मैं वहीं लेते हुए नाश्ता करने लग जाता हूं तो अशोक मामा पूछते हैं वंदना कि तुम नहीं नाश्ता करोगी जिस पर मम्मी बोलती है कि नहीं पहले सब लोग कर लेंगे उसके बाद क्योंकि प्लेट गंदा है और अभी पानी छूने का मन करता नहीं है पानी ठंडा है बाद में कर लूंगी जिसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं कि अरे बाद में क्या कर लोग इसी में कर लो ना तभी अशोक मामा अपने प्लेट को उनके हाथों में थाम के बोलते हैं और ले लो इसी में ही और मम्मी भी जाती है उसे वाले प्लेट में और नाश्ता लेकर के आती है और तभी एक हाथों में उनके नाश्ते की प्लेट होती है दूसरे हाथों में गिलास होता है वह गिलास मेरी तरफ देते हुए बोलती है दूध है पी लेना मैं समझ जाता हूं इसमें क्या है लेकिन इस भर में दूध को उनको दिखाते हुए सच में पूरा पी जाता हूं और खाली क्लास उनके हाथों में देता हूं तो मम्मी मुस्कुरा देती है यह बोलते हुए की और नाश्ता लोगे। इसके बाद मैं बोलता हूं कि नहीं अब नहीं लूंगा इसके बाद में ऐसे ही लेट जाता हूं अशोक मामा और मम्मी एक ही प्लेट में नाश्ता कर रहे होते हैं मम्मी अपने पैर को नीचे लटका कर बैठी हुई होती है। तभी अशोक मामा मुझे बोलते हैं कल स्कूल के बाद मोनू मेरे ऑफिस आ जाना ठीक है नाइसके बाद मम्मी सवाल लिया है अंदाज में अशोक मामा से पूछते हैं स्कूल के बाद तुम्हारे ऑफिस आ जाएगा मतलब ट्यूशन नहीं जाएगा क्या इसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं कि नहीं ट्यूशन नहीं जाएगा अभी दो-चार-10 दिन है इसका कुछ दोस्तों का कुछ काम है इसके दोस्त के पापा का कोई काम है सरकारी जरूरी काम है जिसके ऊपर मम्मी सवाल करती है ऐसा क्या जरूरी काम है जिसके ऊपर अशोक मामा बोलते हैं अरे है कुछ सरकारी काम है कागज वाले जैसे ही अशोक मामा यह बात बोलते हैं मैं बड़े ही आज्ञाकारी अंदाज में बोलता हूं ठीक है मैं आ जाऊंगा छुट्टी टाइम में जब अशोक मामा यह बोलते हैं कि छुट्टी टाइम में आ जाना मेरे ऑफिस में तब मेरे दिल को थोड़ी राहत होती है क्योंकि पिछले कुछ देर से जो बात सोच सोच के परेशान हो रहा था मानो की अब मेरे दिल पर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो पहले जहां मेरा नाश्ता करने में मन नहीं लग रहा होता है मैं मम्मी से बोलना भी हूं मम्मी थोड़ा और नाश्ता दो ना और जैसे ही मम्मी वहां से जाती है अशोक मामा मुझे बोलते हैं टेंशन मत लो सब हो जाएगा ठीक है ना फिकर मत करो और जैसे ही अशोक मामा यह बात बोल रहे होते हैं वैसे ही थोड़ी देर में मम्मी आ जाती है और वह इस बात को सुन लेती है और बोलती है क्या बातें हो रही है किस बात की टेंशन नही लेने की बोल रहे हो जिसके ऊपर अशोक मामा बड़े ही कुशल तरीके से बात को घुमाते हुए बोलते हैं तेरे नहीं वंदना इसको बुलाता हूं की पढ़ाई लिखाई को लेकर के ज्यादा टेंशन मत लो बस मेहनत करो बाकी ठीक है ना ज्यादा टेंशन लेने से दिमाग पर जोर पड़ेगा इस बात के ऊपर मम्मी भी बोलती हां यह बात तो है टाइम पर मेहनत करो और ज्यादा टेंशन मत लो पढ़ाई तो कर ही रहे हो ना।
मम्मी को लग रहा होता है कि अशोक मामा पढ़ाई को लेकर के बातें कर रहे होते हैं लेकिन वह किस चीज को लेकर के बातें कर रहे होते हैं यह मैं ही समझ रहा होता हूं क्योंकि जो कुछ भी कुछ दिन पहले घटा होता है घटना अगर अशोक मामा नहीं होते तो मेरी जिंदगी खराब होजाती है।
अभी किस तरह की घटना है यह आगे जाकर के आप लोगों को कहानी में पता चलेगा क्योंकि उसके लिए हमें कहानी में फ्लैशबैक में जाना पड़ेगा पिछले सप्ताह में