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Behtreen update bhai please update regular dete rahoमैं ऐसे ही घर में बैठा हुआ मेरा मूड बहुत ही ज्यादा खराब हो रहा था। कभी फोन में कुछ करता तो कभी फोन में कुछ करता दीदी के फोन के मैंने पासवर्ड खोलने का भी नाकामयाब कोशिश करके देख लिया। मैं दरवाजा खोल करके छत के ऊपर चला जाता हूं और छत के ऊपर जब मैं सीधी से होते ऊपर जा रहा मुझे मम्मी और एक आंटी की आवाज सुनाई देती है बात करते हुए जो की एक बहुत ही सामान्य सी बात थी। मैं छत के ऊपर इधर-उधर चक्कर काट रहा होता हू कुछ देर इसी तरीके से चक्कर काटने के बाद मैं नीचे आने लग जाता हूं। और जैसे ही दरवाजे ऊपरजे के ऊपर हाथ रखता हूं तो देखा दरवाजा जैसे मैने छोड़ के गया था वैसा ही है। शायद मोनी दीदी को पता नहीं होगा कि वो घर में अकेली है। मैं जैसे ही कमरे की तरफ बढ़ रहा होता अचानक से मेरे कदम वही रुक जाते जैसे मानो मुसाफिर को मंजिल मिल गई हो। मोनी दीदी बाथरूम मैं खड़ी हुई होती है काले रंग की टाइट लेगिंस पहन कर मैं तुरंत वहीं पर रुक जाता हूं और अपने आपको वहीं छुपा लेता और तभी मोनी दीदी अचानक अपनी बड़ी गांड से लेगिंग्स नीचे सरका लेती अंदर लाल रंग की चड्डी होती है जो कि उनके गांड की दरारों में फांसी हई होती है। गोरी गांड से अचानक कच्छी खोल चूतड़ लेके जैसे बैठने लगी गांड के दानों फांकें और फैल गई गोरी गांड के दरारों के बीच बुर के लकीरें दिखाई पड़ती है जो मध्यम आकर के काले बालों से ढकी होती। तभी उनके बुर के छेदों से पेशाब के झरझराने की आवाज के साथ पेशाब बालों को भीगोते हुए गांड के लकीरों से टप टप गिरने लगती। जिन चीजों को ब्ल्यू फिल्मों में देखता था वो सामने देखने को मिल रहा था। ऐसा लग रहा होता है जैसे मेरी मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई हो मगर यह हसीन सपना कुछ ही देर के बाद खत्म हो जाता है। मोनी दीदी तुरंत खड़े होके अपने लेगिंग्स ऊपर कर लेती । जैसी वो पलटने वाली होती है मै तुरंत कमरे में घुस जाता उनको पता नहीं होता कि मैं आ गया हु। उनको शायद लग रहा था वो घर में अकेली है। थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैं कमरे से बाहर निकलता हूं दीदी से मेरा सामना हो जाता है। जहां वह मुझसे पूछने लग जाती है तो मैं भी उनको देखकर पूछता हूं कि आप तैयार हो रही हो कहां जा रही हो जहां पर उन्होंने मुझे बोला कि उनके मामा का लड़का आने वाला है उनको लेने जा रही वो नहीं देखे है यहां वो भी हमारे साथ शादी में चलने वाले हैं। मैंने उनको बोला कि मैं आपको चौक तक लेकर चलता हूं उन्होंने यह बोलते हुए मना कर दिया कि 5 मिनट में आ जाएगी उनको लेके यहां।
और थोड़ी देर में वह घर से निकल जाती है। थोड़ी देर में मम्मी भी ऊपर से आ जाती है जहां उन्होंने मोनी दीदी के बारे पूछा तो मैंने बताया मामा के लड़के को लाने जा रही है।
बोल रही थी कि वह भी शादी में चलने वाले हैं हमारे साथ में
मैं और मम्मी बैठे हुए होते हैं कि तकरीबन 10 मिनट के बाद दरवाजे के पास मोनी दीदी की हंसने की आवाज आती है हम लोग समझ गए कि मोनी दीदी आ गई है।
मैं देखता हूं कि मोनी दीदी के साथ में कोई लड़का होता है जिसकी उम्र तकरीबन 35 साल होती है। मोनी दीदी उनको अंदर आते हुए मम्मी से मिलवाती है वह मम्मी को प्रणाम वगैरा करता है। और यह कोई और नहीं सुमित भैया होते हैं
अब दोस्तों मैं मोनी दीदी के मामा के लड़के के बारे में आप लोगों को बता देता हूं कि उनकी उम्र तकरीबन 35 साल है। जिनकी अभी तक शादी नहीं हुई होती है। उनका रंग नॉर्मल होता है लेकिन हाइट उनकीबहुत ही अच्छी होती वह नहीं ज्यादा मोटे हैं ना पतले फिट होते हैं। कुल मिला करके उनकी पर्सनैलिटी बहुत अच्छी होती हैं
तभी सब लोग आपस में बातें करने लग जाते हैं कुछ पुराने समय के बारे में जहां मम्मी उनसे पूछ रही होती आजकल कहां रहते हो हो क्या करते हो जहां बातों की बातों में मुझे पता चला होता है कि उनकी जॉब यहां पर ही लगी हुई है।
ऐसे ही उन लोगो में बातचीत चल रही होती है और चाय और इधर-उधर की बातें हो रही होती थोड़ी देर के बाद वह फ्रेश वगैरा होकर सुमित भैया खाना पीना खा लेते हैं। उनके बाद वह एक कमरे में आराम करने लग जाते हैं कंबल के अंदर
और मोनी दीदी उनके पास आकर के बोलती है कुछ खाने का मन होगा शाम के वक्त कुछ पीने का मन होगा चाय वगैरा तो बना देगी वो । मैं सुमित भैया के साथ उसी कमरे में उसी बिस्तर पर था और कब मेरी आंखें लग गई मालूम ही नहीं चला
थोड़ी बात में महसूस करता हूं कि कोई मुझे हीला रहा है नाम लेकर के मैं जैसे ही उठता हूं तो मोनी मुझसे पूछ रही होती ह कि कुछ खाओगे मार्केट से ही लेकर के आ जाओ कुछ
जहां पर सुमित भैया मुझसे पूछते हैं कि यहां पर कुछ पिज्जा वगैरा नहीं मिलेगा कुछ लेकन आओ ना मैं मोनी दीदी से बोलता हूं की लेकिन मार्केट तो यहां से दूर है कैसे जाऊंगा मैं मोनी दीदी बोलती है की बाइक लेकर के चले जाओ ना मैं बोलता हूं कि मम्मी गुस्सा करेगी तो वह बोलती है कि कोई गुस्सा नहीं करेगी मैं बोल दूंगी की उसने बोला था। और वैसे भी मम्मी सुधा आंटी में साड़ी के दुकान गई है।
एक तो वैसे ही दिन भर मेरा मूड खराब होता है। और जब मोनी दीदी ने बोला होता है मोटरसाइकिल से ही मार्केट से पिज्जा लेकर आ जानेक लिए तो मुझे बहुत अच्छा लगा इसी चलो इसी बहाने थोड़ा दोस्तों के घर चले जाऊंगा उनसे मिल लूंगा
मैं मोटरसाइकिल की चाबी लेकर के वहां से निकल जाता हूं।
Nahi mujhe nahi lagta aapko moni didi ka past likhna chahiye kahani forward chalne de, ye nizi sujhav haiमैं मोनी को बगल में बिठा करके उसके होठों को खूब चूसता हु और एक हाथों से उसकी चूचियां भी पकड़ता हूं जो की काफी बड़ी हो चुकी होती है। मैं मोनी पिलाने के लिए इशारा करता हूं लेकिन वह मुस्कुराते हुए जैसे ही राजी होती है कि दरवाजे पर दस्तक हो जाती है और अचानक से हम दोनों एकदम अलग हो जाते हैं।
मैं वहीं पर बैठा रहता हूं मोनी वहां से उठ करके चले जाती है दरवाजा खोलने के लिए और जैसे ही दरवाजा खुलता है सामने में मोनू होता है।
अच्छा खासा मजा ले रहा था लेकिन अचानक मोनू के आने की वजह से सारा मजा खराब हो गया। ऐसे ही हम सब में इधर-उधर की बातें करते हुए शाम ढल जाती है और दोपहर में थके होने की वजह से मैं भी नींद में चला जाता हूं।
मोनू: मुझे कोई खबर नहीं होती है कि मेरे आने की वजह से दो प्रेमी जोड़े का मिलन बीच में ही रुक गया होता है l और शाम को मम्मी भी आ जाती है।
हम लोग सभी हाल में बैठे हुए बातचीत कर रहे होते हैं और प्रोग्राम बन रहा होता है कि आज रात को ट्रेन से या बस से चलना है या फिर कल निकलना है।
कभी उन लोगों में बातें होती बस से जाने की कभी ट्रेन से जाने की तो कभी पापा के कार से जाने की लेकिन कर से जाने का प्रोग्राम कैंसिल हो जाता क्योंकि लंबी थोड़ी होती है रात भर का सफर होता है। लेकिन फिर ना जाने क्यों सब लोगों ने मिलकर डिसाइड किया होता है कि रात के सफर में जाना ठीक बात नहीं परिवार के साथ में हम लोग सुबह निकलेंगे शाम तक पहुंच जाएंगे। और इधर मम्मी भी शादी के कपड़े वगैरा तैयार करके बैग में सारा कुछ पैकिंग कर लिया होता है। और रात में हम सभी लोगों ने खाना भी खा लिया होता है। और जब सोने की बारी होती है। मैं मम्मी और मोनी दीदी एक ही कमरे में सोते हैं मोनी दीदी मेरे बगल में आकर लेट गई होती है और इधर मम्मी किचन में बर्तन साफ कर रही होती है उनको आने में वक्त हो जाता है और तकरीबन आधे घंटे के बाद जब वह आती है तो कमरे में लेट जाती है।
कमरे की लाइट जल रही होती है और तकलीफ बनाते घंटे के बाद पूरी तरीके से कमरे में खामोशी होती है मुझे नींद नहीं आ रही होती है मैं मोनी दीदी को देख रहा होता हूं बार-बार और वह घटना मेरी आंखों के सामने में घूम रहा होता है जब मोनी दीदी क्लास 12 में थी कैसे उनके पास में मोबाइल पकड़ा गया था। नागौर से उनके चेहरे को देख रहा होता हूं जैसे मानो की बहुत सारा सस्पेंस हो उसके अंदर में क्लास 12 में जब मोनी दीदी 18 साल की हो चुकी थी । और स्कूल की काफी फेमस लड़की थी और उसे वक्त में क्लास फाइव में पढ़ा करता था।
मेरे आंखों में नींद नहीं होती है और मैं यही सब सो रहा होताहूं
(दोस्तों क्या आप लोग फ्लैशलाइट में मोनी दीदी की अतीत को जानना चाहोगे तो बताना कमेंट में)