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Incest घर की मोहब्बत

Ajju Landwalia

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Update 18


गरिमा और सूरज के होंठो से शुरू हुई कहानी ने बहुत उतार चढाव भरी भावना के बहाव के साथ शाम को अलविदा कहा और रात की चौखट पर कदम रखा.. सूरज और गरिमा के बीच जो कुछ हुआ उसमे गरिमा के रूप और सूरज के ऊपर छाए उसके जादू का बड़ा हाथ था.. सूरज ने गरिमा को छूने से परहेज़ किया था और सोचा था की वो विनोद के साथ कभी धोखा नहीं करेगा मगर उसने अभी अभी अपनी होने वाली भाभी गरिमा के साथ सम्बन्ध बनाये थे और इस कुछ समय मे दोनों का एक दुसरे के प्रति व्यवहार बदल चूका था..

गरिमा शाम की मंद हो चुकी रौशनी मे खंडर के एक कोने मे एक पुरानी सी चादर के ऊपर बिना किसी कपडे के सूरज के सीने पर अपना सर रखे लेटी हुई थी और सूरज भी बिना किसी कपडे के उसी चादर पर गरिमा को अपनी बाहो मे लिये लेटा हुआ था..

सूरज का मन जो पहले अस्त व्यस्त था और गरिमा पर गुस्सा था उसे गरिमा ने अपने पहले मिलन से मोह और प्रेम मे बदल दिया था.. सूरज ने आज से पहले कभी कच्ची चुत नहीं मारी थी मगर गरिमा की कच्ची चुत ने उसे जो सुख दिया था सूरज उसके कारण अब गरिमा से लगाव और कहीं ना कहीं प्रेम को अनुभव करने लगा था..

सम्भोग के बाद पसरी ख़ामोशी को गरिमा ने तोड़ते हुए कहा..

क्या हुआ? इतने खामोश क्यूँ हो? मेरी तरफ देखते भी नहीं.. कम से कम आज तो मेरी तरफ जी भरके देख लो..

सूरज ने नज़र घुमाकर गरिमा की आँखों मे देखा और फिर गरिमा के चुचो पर अभी अभी छोड़े लव बाईट के निशान देखकर कहा..

भाभी.. वो..

गरिमा ने सूरज की बात काटते हुए कहा..

भाभी तो मत बोलो.. दुनिया के सामने तुम्हे जो बोलना हैं बोल देना.. मैं नहीं रोकूंगी मगर अभी जब हम दोनों ही यहाँ हैं तो फिर ये सब बोलने का क्या मतलब?

रात होने वाली हैं गरिमा.. हमें घर जाना चाहिए..

काश कि ये लम्हा थम जाए.. मैं यूँही तुम्हारी बाहो मे लेटी रहु और तुम्हे देखती रहू.. कहते हुए गरिमा ने सूरज के होंठ चुम लिए और सूरज ने इसका कोई विरोध ना करते हुए गरिमा का साथ दिया मगर उसे अपने आप पर अब भी हैरानी हो रही थी केसे वो अपने भाई कि होने वाली दुल्हन के साथ ये सब कर सकता हैं.. गरिमा के रूप और सम्मोहन ने सूरज के संकल्प को तोड़ दिया था..

चलो वरना ज्यादा देर हो जायेगी.. पापा को लेकर वापस शहर भी जाना हैं..

शादी का कार्ड देने? गरिमा ने मुस्कुराते हुए पूछा तो सूरज ने नज़र चूराते हुए हम्म.. मे सर हिला दिया और उठ खड़ा हुआ.. गरिमा भी सूरज के पीछे पीछे खड़ी हो गई और अपनी कुर्ती पहनने लगी.. उसने ब्रा और पैंटी को वही छोड़ दिया था..

एक बात पुछु सूरज?

बोलो..

विनोद से शादी के बाद जब मैं तुम्हारी भाभी बनकर घर मे रहूंगी तब क्या तुम मुझसे दूर रह पाओगे?

गरिमा जो समझौता तुमने मेरे साथ किया हैं मैं चाहता हूँ तुम बस उसे निभाओ.. मैंने और कुछ नहीं सोचा..

जैसा तुम बोलो.. गरिमा ने सूरज को गले लगाते हुए कहा..

चलो..

रुको ज़रा.. इतनी भी क्या जल्दी हैं? गरिमा ने कहते हुए प्यार से सूरज को देखा और फिर से बोली.. अभी भी वक़्त हैं सूरज मान जाओ मेरी बात.. मुझे अपना लो..

सूरज ने गरिमा कि कमर मे हाथ डालकर अपने सीने से सटा लिया और बोला.. वादा करो गरिमा.. हमारे बीच जो कुछ हुआ तुम उसका जिक्र कभी किसी से नहीं करोगी?

कैसे कर सकती हूं? तुमने अपनी कसम जो दे दी मुझे.. कसम कैसे तोड़ सकती हु? प्यार जो करती हु तुमसे.. अब तो बस यही सुकून हैं कि जिससे प्यार किया वो कम से कम मेरी आँखों के सामने तो रहेगा..

गरिमा कि बात ख़त्म होने के बाद सूरज ने गरिमा को ऐसे चूमा जैसे वो जी भरके गरिमा के होंठो कि मदिरा पी लेना चाहता हो.. गरिमा ने भी अपनी ख़ुशी से सूरज कि इच्छा पूरी की और अपने होंठो के जाम सूरज को पिलाने लगी..

कुछ देर बाद दोनों उस खंडर को अलविदा कह दिया और घर की राह निकल पड़े.. गरिमा स्कूटी चला रही थी सूरज पीछे बैठा हुआ यही सोच रहा था की आगे नजाने क्या होगा?


****************


सिनेमा हॉल लगभग खाली था कुछ लोगो जो जोड़े से आये वो ही कोना देखकर बैठे हुए थे और अपने मे लगे हुए थे सामने परदे पर फ़िल्म के चलने ना चलने से किसको कोई मतलब नहीं था.. अंकुश गोमती को मूवी दिखाने ले तो आया था पर इस माहौल मे दोनों ही एक दूसरे को देखकर अंकम्फटेबल हुए जा रहे थे.. दोनों पीछे एक तरफ अगल बगल बैठ गए आस पास कोई न था.. सामने चल रही मूवी जिसमे कुछ सीन्स ऐसे थे जो दोनों एक साथ देखकर नज़र चुरा रहे थे.. मगर अंकुश को गोमती से ज्यादा शर्म नहीं थी वो कुछ देर बाद सहज़ हो गया था और आराम से अपनी माँ के बगल मे बैठा हुआ मूवी देख रहा था.. गोमती भी लगभग आधे घंटे बाद नज़र चुराना छोड़कर आराम से मूवी देखने लगी और उसने अंकुश का हाथ उठाकर अपने कंधे के ऊपर रखते हुए अपना सर अंकुश के कंधे पर रख दिया मूवी देखने लगी मगर ऐसा करते हुए उसका पल्लू उसके जोबन से सरक गया और उसके उन्नत उरोज़ जो नीतू से बड़े मगर थोड़े झुके हुए थे अंकुश की आँखों के सामने आ गए और अंकुश अपनी माँ गोमती की आधी नंगी चूचियाँ देखकर गोमती के बारे मे सोचने लगा..

सामने चल रही मूवी से अब अंकुश का कोई लेना देना ना था मूवी तो बस गोमती देख रही थी और अंकुश गोमती के चुचे.. अंकुश का हाथ गोमती के गर्दन से होते हुए उसके चुचो के बिलकुल ऊपर था और उसकी कलाई हलकी सी चुचो को छू रही थी.. अंकुश के मन मे काम के बीज फुट रहे थे और वो अपनी माँ गोमती को एक औरत की नज़र से देखने लगा था.. अंकुश की नज़र जैसे गोमती के ब्लाउज मे अटक सी गई थी और वो जैसे गोमती के चुचो से खेलना चाहता था उनका रस पीना चाहता था..

गोमती ने काफी देर बाद अंकुश की पेंट मे हलचल को महसूस किया तो उसे समझ आ गया की अंकुश का लंड अपने आप को शक्तियां प्रदान कर रहा हैं और खड़ा हो चूका हैं.. गोमती ने धीरे से अंकुश को देखा तो पाया की अंकुश उसके ब्लाउज के अंदर झाँक रहा हैं और उसके चुचे ताड़ रहा हैं.. गोमती असमंजस मे थी वो अपने पल्लू को ठीक कर सकती थी मगर इसके लिए उसे अंकुश के कंधे से सर उठाना पड़ता और अंकुश को समझ आ जाता की गोमती ने उसे अपनी चूचियाँ घूरते हुए देख लिया हैं..

गोमती इस अहसास से भी रोमांचित हो चुकी थी की अंकुश का लंड उसकी चूचियाँ देखकर सलामी देने को त्यार हैं गोमती जो प्यासी थी जिसके अरमान वापस जाग चुके थे वो अपने आप को इतना आकर्षक नहीं समझती थी मगर आज उसे अपने ऊपर मान हो रहा था..

गोमती ने बिना कुछ किया वैसे ही रहने और मूवी देखने का निश्चय किया और अब वो मूवी मे आने वाले किसिंग या एडल्ट सीन्स को देखकर असहज नहीं होती बल्कि उन्हें बिना नज़र चुराये देख रही थी..

कुछ देर बाद इंटरवल हुआ तो गोमती ने लाइट ऑन होते के साथ ही अंकुश के कंधे से अपना सर हटा कर अपना पल्लू ठीक किया और जुल्फ संवारती हुई बैठ गई..

माँ.. मैं वाशरूम होके आता हु..

रुक मैं भी चलती हु..

दोनों अपने सीट से उठकर वाशरूम गए और मूत्र विसर्जन करने लगे.. अंकुश गोमती के बारे मे ही सोच रहा था.. आज उसे गोमती दुनिया की सबसे हसीन औरत लग रही थी और वो अपनी फीलिंग्स को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था..

मूतने के बाद गोमती वापस अपनी सीट पर आ गई और अंकुश भी पोपकोन और सॉफ्टड्रिंक लेकर वापस सीट पर आ गया और गोमती को देते हुए बोला..

माँ.. लो..

गोमती पोपकोन का डब्बा लेकर खाते हुए सॉफ्टड्रिंक पिने लगी.. उसे लगा था जैसे ये उसके नई नई जवानी के दिन हैं और अंकुश उसका बेटा नहीं बॉयफ्रेंड हैं.. उसका रोमांच कायम था.. लाइट्स ऑफ हुई तो गोमती ने पोपकौन का डब्बा अंकुश की गोद मे रख दिया और उसका हाथ वापस अपने गर्दन के पीछे से होते हुए अपने कंधे पर रख कर अपना सर अंकुश के कंधे पर रख दिया और इस बार जानबूझकर अपना पल्लू पूरा अपने ब्लाउज से हटा दिया जिससे अंकुश अच्छे से उसके चुचे देख सके.. गोमती क्या कर रही थी औरु उसे क्या हो रहा था उसे भी पता नहीं था.. वो अपने साथ साथ अब अंकुश को भो अपने हाथ से पोपकौन खिला रही थी और अंकुश भी बिना कुछ बोले इस लम्हे का पूरा लुफ्त उठा रहा था..

हॉल मे जहाँ भी अंकुश की नज़र पड़ रही थी वहा बैठे लोग जो जोड़े से आये थे कुछ ना कुछ कर रहे थे.. कोई किस तो कोई हग कर रहा था कोई ब्लोजॉब करवा रहा थातो कोई बूब्स सकिंग कर रहा था.. अंकुश का मन भी अब काम के विचार से भर चूका था मगर गोमती के साथ इस तरह की पहल करना उसके लिये आसान नहीं था..

गोमती का मन भी विचलित होने लगा था उसे एक पार्टनर की जरुरत थी और वो अंकुश के साथ उसका फील ले रही थी मगर आगे और कुछ करना उसके लिए भी आसान नहीं था..

कुछ देर बाढ़ सामने परदे पर मूवी मे एक जबरदस्ती वाला सीन आया जिसमे हीरोइन की इज़्ज़त लूटी जा रही थी और हीरोइन का पूरा बदन लगभग दिख रहा था जिसे देखकर अंकुश और गोमती की नज़र आपस मे मिल गई और दोनों एक साथ हलकी सी हंसी हंसकर वापस सामने परदे पर देखने लगे जिसमे गुंडे हीMरोइन को चोद रहे थे..

हाय बेचारी.. छी.. कैसे लोग हैं..

बेचारी क्या? एक्टिंग कर रहे हैं.. सच मे थोड़ी उसकी इज़्ज़त लूट रहे हैं.. और वैसे भी लाखों रुपये मिलते हैं ऐसे सीन्स करने के इनको..

लाखो? गोमती ने चौकते हुए कहा..

हाँ.. बड़ी हीरोइन हो तो करोड़ों भी मिलते हैं..

सच?

और क्या?

गोमती ने कुछ ना कहा और वापस उसी तरह से मूवी देखने लगी.. अंकुश का ध्यान अब भी गोमती के ब्लाउज मे था और गोमती भी ये जानती थी.. दोनों का मन फ्लिम मे नहीं था और जहाँ मन था वहा जाने के लिए दोनों को दुनिया के नियम कायदे तोड़ने पड़ते..

माँ..

हाँ अक्कू..

घर चले?

पर अभी तो मूवी खतम ही नहीं हुई..

बोरिंग हैं.. क्या करोगी आगे देखकर.. कोई अच्छी मूवी लगेगी तो वापस आ जाएंगे..

ठीक हैं जैसा तु कहे..

अंकुश गोमती के साथ हॉल से निकलकर बाइक पर वापस आने को हुआ और रास्ते रात की चलती हवा का मज़ा लेरहा था गोमती भी उस हवा और सफर का मज़ा ले रही थी उसने दोनों हाथ से अंकुश को पकड़ा हुआ था और उसके बूब्स अंकुश की पीठ पर चुभ रहे थे.. जिससे अंकुश मीठा मीठा अहसास हो रहा था..

अक्कू यहां क्यूँ रोका?

खाना नहीं खाना आपको?

अरे घर पर मे बना दूंगी ना.. तु भी बिना वजह खर्चा करता रहता हैं..

आज आपकी छुटी.. चलो.. आ जाओ..

तु भी अक्कू..

अंकुश और गोमती एक टेबल पर खाने के लिए बैठे माहौल ऐसा था जैसे कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को कैंडल लाइट डिनर पर लेकर आया हो.. दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हुए खाना खा रहे थे और अंकुश यहाँ वहा की बातो से गोमती का दिल बहला रहा था गोमती अब अंकुश के साथ सहज़ थी और अब छोटे मोटे मज़ाक़ मस्ती और डबल मीनिंग बाते दोनों के बीच आम सा था..

घर आने के बाढ़ भी दोनों की बाते ख़त्म नहीं हुई और दोनों गोमती के रूम मे बेड पर दिल खोलकर बाते कर रहे थे..

अक्कू.. एक बात पुछु?

हाँ पूछो ना.. आपको परमिशन की क्या जरुरत?

तु सच बताएगा?

पूछो तो..

तु अपनी बहन के साथ.. तुझे कभी गलत नहीं लगा ये सब?

इसमें गलत क्या हैं? प्यार करता हु मैं नीतू से और वो भी मुझसे.. हम सगे भाई बहन हैं इसमें हमारी क्या गलती? दुनिया को जो लगता हो लगे मुझे दुनिया की परवाह नहीं हैं..

गोमती और अंकुश अगल बगल ही लेटे हुए थे और गोमती ने अंकुश की बात सुनकर आगे पूछा..

और इस प्यार की शुरुआत किसने की थी?

अंकुश ने थोड़ा शरमाते हुए कहा.. होली का दिन था नीतू ने जिस तरह से मेरे पास आकर मुझे छुआ बस वही से मेरे दिल मे उसके लिए प्यार पनपने लगा और फिर ये सब शुरु हुआ..

फिर शादी क्यूँ नहीं कर रहा उसके साथ?

शादी की क्या जरुरत हैं माँ.. फिर भी उसकी और आपकी तसल्ली के लिए अगले हफ्ते कर लूंगा शादी..

गोमती ने मुस्कुराते हुए कहा.. और बच्चा भी कर लेना.. आँगन मे किलकारी गूंजेगी तो लगेगा वापस से तेरा बचपन आ गया हैं..

वो सब तो ठीक हैं मगर एक बात सच बोलू? आज आप इतनी खूबसूरत लग रही हो कि पापा होते हो पक्का आपको फिर से माँ बना देते..

गोमती ने अंकुश कि बात का जवाब न देकर शर्म से अपना मुँह छीपा लिया..

सच मे माँ.. मैं अगर आपका बेटा नहीं होता तो आपको आज मुझसे कोई नहीं बचा सकता था..

गोमती शर्म से लाल मुँह के साथ एक हल्का सा थप्पड़ अंकुश के गाल पर जमाती हुई बोली..

चुपकर करके सो जा अब.. वरना तु सच मे मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा कर देगा..

वो तो आपके ऊपर हैं.. वैसे उस डॉक्टर से तो लाख गुना अच्छा हूं.. आज़माना चाहो तो आपकी मर्ज़ी..

गोमती शर्म से पानी पानी होकर अपने बेड से उठते हुए.. कल आने दे नीतू को उसे बताती हु तु केसी बाते कर रहा हैं अपनी माँ के साथ..

अंकुश गोमती का हाथ पकड़ कर वापस बिस्तर मे खींचते हुए.. ठीक हैं बता देना और साथ मे ये भी कि डॉक्टर के क्लनिक मे आप क्या गुल खिला रही थी..

गोमती बेड पर गिरी तो उसकि छाती सीधे अंकुश के सीने से टकरा गई और दोनों को इस अहसास का पूरा मज़ा आया..

अक्कू.. अब और कुछ किया तो देख लेना.. गोमती ने बनावटी गुस्से से कहा तो अंकुश गोमती से दूर होते हुए बोला..

जैसा आप कहो.. मैं चला सोने..

अंकुश अपने रूम मे आकर बेड और सोने के लिए लेट गया और गोमती के मन मे भूचाल आ गया.. उसे रोमांच डर और ख़ुशी का अहसास एक साथ हो रहा था.. उसे समझ आ चूका था अंकुश को वो हाँ कर दे तो अंकुश उसकी वासना शांत करने से पीछे नहीं हटेगा मगर उसे डर था नीतू का समाज का और अंकुश के साथ अपने रिस्ते का.. उसे आज नींद नहीं आने वाली थी..


***************

क्या हैं यार.. रोज़ रोज़ मेरे ऊपर सोना जरुरी हैं?

पति हो मेरे.. अब तुम्हारे ऊपर नहीं सोऊंगी तो किसके ऊपर सोऊंगी? बोलो..

मैं नहीं मानता तुम्हे अपनी पत्नी समझी तुम?

तुम्हारे मानने या ना मानने से क्या होता है? शादी की हैं ना तुमने मुझसे.. मैं तो मानती हु..

तितली ने रमन से इतना कह कर उसके ऊपर आते हुए बाहो मे भर लिया और आँख बंदकर सोने लगी.. रमन ने तितली का ज्यादा विरोध नहीं किया और उसे अपने ऊपर सोने दिया फिर प्यार से एक नज़र उसके चेहरे को देखकर खुद भी सोने लगा.. रोज़ इसी तरह से रात गुजर जाती थी.. तितली ने रमन को अपना बनाने की बहुत कोशिश की मगर रमन हार बार तितली मे अपनी बहन देखकर रुक जाता और दोनों का मिलन नहीं हो पाता.. तितली हार बार अपनी कोशिशो मे नाकाम रहती मगर फिर भी उसे उम्मीद थी एक दिन वो रमन को अपना बनाकर रहेगी और रमन उसे अपनी बीवी का दर्जा देगा..

रात के 2 बज चुके थे और अब तक दोनों की आँख नहीं लगी थी..

नींद नहीं आ रही हैं.. तितली ने मध्यम रौशनी मे रमन की और देखते हुए कहा..

तो मैं क्या करू? लोरी सुनाऊ? एक तो इतना भारी बदन लेकर कब से मेरे ऊपर लेटी हो ऊपर से ये नाटक..

भारी हूं मैं? पता हैं कितनी देइटिंग करती हु फिगर मेन्टेन करने के लिए? और तुम भारी बोल रहे हो.. पति ना होते तो देखती भी नहीं तुम्हारी तरफ.. अपने आपको कहीं का शहजादा समझते हो..

मैं कुछ भी समझू तुमसे मतलब?

अच्छा तो इतनी केयर क्यूँ करते हो मेरी? और इतनई जासूसी क्यूँ करते हो? यहाँ मत जाओ.. वहा मत जाओ.. इससे मत मिलो.. ये मत खाओ.. ये मत पहनो.. सिगरेट भी छुड़वा दी..

सिगरेट कहा छुड़वा दी.. वो तो अब भी पीती हो..

हाँ तो क्यूँ रखते हो इतना ख्याल मेरा? बोलो? प्यार करते हो ना मुझसे? तितली ने मुस्कुराते हुए रमन के होंठो के करीब अपने होंठ लाते हुए कहा तो रमन बोला..

मैं प्यार व्यार नहीं करता.. समझी.. और बार बार चूमने की कोशिश करने से मेरे ऊपर कोई असर नहीं होने वाला..

रमन.. कोई कमी हैं मुझमे? बताओ ना.. तुम्हे क्या चाहिए? सब तो तुम्हारे नाम कर दिया जो तुम्हे चाहिए था अब तो मुझ पर तरस खाओ.. थोड़ा सा प्यार नहीं कर सकते मुझसे?

रमन ने अपने ऊपर से तितली को हटाते हुए कहा..

नहीं.. नहीं करता.. सो जाओ..

ये कहते हुए वो बाथरूम की तरफ चला गया और तितली उदासी से बेड पर बैठकर रमन को देखती रही.. उसे समझ नहीं आरहा था की रमन को ऐसी कोनसी चीज रोक रही उसके करीब आने से जो वो नहीं जानती.. रमन जिस तरह से पहले तितली से बात करतथा और देखता उससे ये तय था की रमन तितली से मोहब्बत करता हैं मगर शादी के बाद ऐसा क्या हुआ जो रमन उसके करीब होकर भी दूर हैं..

रमन जब वापस आया तो देखा की तितली बेड पर बैठी हुई उसी की तरफ देख रही थी.. रमन जैसे ही बेड पर लेटा तितली वापस उसके ऊपर आगयी और रमन ने अपने एक हाथ से तितली की कमर थामते हुए कहा.. तुम नहीं मानोगी..

नहीं.. नहीं माउंगी..

रमन खुद ही बयान कर सकता था वो कैसे अपने आप को रोककर रात गुज़ार रहा था कमरे मे AC की ठंडक और रजाई मे तितली जैसे खूबसूरत दिलकश महबूबा होने के बाद रमन तितली से सम्बन्ध नहीं बना सका था उसके मन मे तितली के लिए बहन वाली जगह बन चुकी थी तितली को वो अपनी जिम्मेदारी समझने लगा था और उसके सही गलत का फैसला भी अब वही करने लगा था तितली को भी अच्छा लगता जब रमन उसके लिए सीमाये बनता और उसे बताता की वो क्या कर सकती हैं क्या नहीं..

रमन..

अब क्या हैं?

कुछ बोलो ना.. बात करो.. मुझे नींद नहीं आ रही..

मुझे नींद आ रही हैं मुझे सोना हैं..

तितली ने रमन के गले पर अपने दाँत चुभोते हुए कहा..

मेरी नींद उड़ाकर तुम्हे नींद आ रही हैं?

अह्ह्ह.. तितली पागल हो गई हो क्या तुम?

हाँ.. बात करो मुझसे?

बोलो.. क्या बात करनी हैं तुम्हे? रमन ने थोड़ा गुस्से मे कहा तो तितली मुस्कुराते हुए बोली..

गन्दी बात करे?

गन्दी बात?

हाँ.. वैसी वाली..

वैसी वाली केसी? रमन ने कहा तो तितली ने अपने दाँत से अपने होंठ काटते हुए कहा..

जैसी रातो मे एक लड़का और लड़की करते है.. नॉनवेज बाते..

रमन समझते हुए भी नासमझ बनने का नाटक करने लगा और बोला..

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम क्या बोल रही हो..

तितली ने रमन का हाथ पकड़ कर अपने कूल्हे पर रखते हुए धीरे से रमन के कान मे कहा..

वही.. चुदाई वाली..

छी.. बेशर्म हो गई हो तुम बिलकुल..

इसमें बेशर्मी क्या हैं.. तुमसे नहीं तो क्या शान्ति से ऐसी बाते करूंगी? करते हैं ना बड़ा मन हैं आज.. देखो आज तुमने मना कर दिया तो मैं तुम्हारी एक भी बात नहीं मानूंगी.. जो तुम बोलोगे उसका उल्टा ही करुँगी..

तुम्हे जो करना हैं करो मुझे नींद आ रही हैं..

अरे तुम मर्द हो या नहीं? कहीं नपुंसक तो नहीं हो? हाय मेरी तो लाइफ खराब हो गई.. ऐसा नामर्द पति मिला हैं ना.. बिलकुल ठंडा.. इतनी खूबसूरत जवान लड़की तुमसे सेक्स की भीख मांग रही हैं और तुम हो की बस मुँह फेर के लेटे हो.. शर्म नहीं आती..

नहीं आती.. रमन ने बिना किसी भाव के जवाब दिया और करवट बदल कर सोने लगा.. मगर उसका लंड बिलकुल खड़ा था जिसे वो छिपाने के लिए करवट लेकर अब सोने का नाटक करने लगा था..

तितली गुस्से से बोली.. ठीक हैं.. अब तुम देखना मैं क्या करती हूं..

रमन उसी भाव हीनता के साथ.. मुझे नहीं देखना.. बाथरूम मे जाके करना जो करना हैं तुमको..

तितली उठकर बाथरूम चली गई और कुछ देर बाद बाहर आकर बेड पर लेटते हुए एक सिगरेट जलाकर कश लेते हूए रमन को वापस उसकी मर्दानगी पर सुनाने लगी..

नामर्द.. जब खड़ा ही नहीं होता तो शादी क्यूँ की मुझसे? पूरी जवानी खराब हो गई मेरी.. अरे खड़ा नहीं होता तो कम से कम कुछ और तो कर सकते हो.. गन्दी बाते भी नहीं होती तुमसे.. खेल तो सकते हो मेरे बदन के साथ..

रमन तितली के ताने सुनकर तकिया लेकर बेड से सोफे पर चला गया और सोने लगा.. तितली उसी तरह रमन को ताने मारती रही और कुछ देर बाद मे रमन के ऊपर जाकर सो गई..

रमन मुस्कुराते हुए तितली की कमर थामे प्यार से वापस एक नज़र उसकी तरह देखा और सो गया..

रात की सुबह हो चुकी थी पंछी बाहर पेड़ पर चच्चहा रहे थे..

रमन की आँख खुली तो उसने देखा तितली उसीके बगल मे गहरी नींद मे सोइ हैं रमन तितली को सोता छोड़ बाथरूम चला गया और कुछ देर बाढ़ तितली की आँख भी खुल गई..

तितलि ने पहले रमन को इधर उधर देखा और फ़िर बाथरूम का दरवाजा बंद देखकर समझ गई कि रमन बाथरूम मे हैं..

तितली निचे आकर रसोई मे चली गई और शान्ति ने उसे देखकर कहा..

क्या हुआ दीदी.. लगता हैं भैया जी ख्यालों नहीं रख रहे आपका.. बहुत उखड़ी हुई लग रही हो..

तुझे सब इतनी आसानी से कैसे समझ आ जाता हैं शान्ति?

दीदी.. चहेरे से दिल का हाल पढ़ लिया जाता हैं.. लो आपकी कॉफी.. और ये भैया के लिए...

तितली ने कॉफी लीं और वापस ऊपर बैडरूम मे आकर एक कप रमन को देती हुई बोली..

लो.. पिलो..

तितली का उखड़ापन रमन को भा रहा था वो नाराज़ थी और रमन को तितली को सताने मे और मज़ा आने लगा था..

रमन ने कॉफ़ी लीं और रोज़ सुबह कि तरह छत का रास्ता लेते हुए ऊपर आ गया और सुबह कि खिली हुई धुप मे बैठकर सामने के खड़े पेड़ को देखने लगा..

रमन पेड़ को देखकर पुरानी यादे सोच रहा था उसे लग रहा थे जैसे कल ही कि बात हैं जब तितली और रमन उस पेड़ के निचे खेलने को लड़ते थे और हर बार रमन के पिता आकर तितली को ही पेड़ पर लगे झूले पर बिठा कर झूलाते थे और रमन को तितली से इर्षा होती थी.. मगर अब ना जाने कहा उसकी वो इर्षा लुप्त हो गई और उसे लगने लगा कि उस पेड़ के झूले पर तितली का ही पहला हक़ था..

रमन के होंठो पर मुस्कान थी परिवार मे अपना कहने को कोई ना बचा था मगर उसे लगता था अब तितली ही उसका परिवार हैं रमन को अब तितली कि आदत सी लग चुकी थी अगर तितली उसके करीब आकर ना सोए तो शायद रमन को रातभर नींद भी ना आये..

तितली भी रोज़ कि तरह अपनी कॉफी लेकर पीते हुए बालकोनी मे आकर उसी पेड़ और आस पास के बाग़ बगीचे को देखने लगी और उसके मन मे ख्यालों का समंदर उमड़ने लगा.. दोनों के ख्यालों मे कुछ हद तक समानता थी जिसे दोनों नहीं जानते थे..

दीदी.. दीदी.. शांति ने कमरे के भीतर दाखिल होते हुए कहा तो तितली ने कॉफी रखते हुए कहा..

क्या हुआ शांति?

दीदी वो आपको सूट बनवाना था ना.. जो आप कल लाइ थी बाजार से.. वही लेने के लिए बाहर वो डिज़ाइनर क्या नाम बताया था आपने.. हां याद आया लूलिया.. उसने किसी लड़की को भेजा हैं.. आप सूट दे दीजिये मैं उसे दे देती हूँ..

ठीक हैं रुक.. कहते हुए तितली ने अलमीरा खोलकर सूट को यहाँ वहा देखा और नहीं मिलने पर पुरे कमरे मे छान बीन करने लगी.. तितली को ठीक से याद था की उसने सूट अलमीरा मे रखा था पर अब वो वहा नहीं था..

रमन ने कल रात अलमीरा खोली तो वो सूट सरक कर निचे गिर गया था और रमन ने ध्यान ना देते हुए उस सूट को उठा कर साइड मे सोफे पर पटक दिया था मगर सोफे पर तितली ने पहले से ही धुलने के लिए कपडे निकाल कर रखे थे जिसके साथ सूट कपडे मे मिलकर धुलने के लिए कपडे की पोटली मे चला गया था..

तितली ने पहले अलमीरा फिर दूसरी अलमीरा और फिर पूरा कमरा और बालकनी तक छान लीं थी मगर सूट कहीं ना था.. उसने शान्ति से कहकर उस लड़की को वापस भेज दिया और शान्ति के साथ बिखरा हुआ सामान समेटते सूट के गायब होने का अचरज कर रही थी कि शान्ति कि नज़र किसी कागज पर पड़ी और वो तितली को उसे दिखाते हुए बोली..

दीदी ये कोई जरुरी कागज लगता हैं.. रमन भैया कि किताब के बीच से मिला हैं..

तितली कि नज़र जैसे ही उसे कागज पर पड़ी उसके पैरों तले ज़मीन निकल गई.. ये कागज वही ख़त था जिसमे रमन को तितली और उसके सोतेले भाई बहन होने की खबर मिली थी, जो उसके पापा ने तितली को लिखा था. तितली को वो ख़त रमन की किसी किताब से मिलने पर पूरा माजरा समझ आ गया था.. वो समझ चुकी थी की रमन उससे दूर क्यूँ भागता हैं और क्यूँ उसका अब इतना ख्याल रखता हैं इसके साथ ही अब उसे जायदाद क्यूँ नहीं चाहिए.. तितली के एक साथ अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया था और उसने शांति को निचे जाने के लिए कहते हुए वापस उस ख़त को वही रखकर सारा सामान उसी तरह व्यवस्थित करके सोफे पर एक जगह बैठ कर अपने और रमन के बारे मे सोचने लगी.. उसे इस बात से ज़रा भी फर्क नहीं पड़ रहता कि वो और रमन भाई बहन हैं मगर वो समझ गई थी कि रमन को इस बात से फर्क पड़ता हैं और वो उसे क्यूँ नहीं मिल पा रहा..


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Bahut hi shandar update he moms_bachha Bro,

Kaafi dino ka gap de diya he story me............

Ab, please updates regularly rakhna

Keep rocking Bro
 

sunoanuj

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वाह बहुत सुंदर अपडेट दिया । बहुत दिनों के बाद अपडेट आया लेकिन एक दम दुरुस्त आया !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी !
 

Premkumar65

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Update 17

कहते है कामइच्छा को अगर पानी की बून्द भी मिले तो उसके बीज अंकुरित हो उठते है और पनपने लगते है.. बीज का पौधे और फिर पेड़ मे बदलना नेसर्गिक प्रकिया का भाग माना गया है.. औरत के साथ भी कुछ इसी तरह का उदाहरण दिया जा सकता है.. सालो से सुनी पड़ी सुरुताल मे कोई मलहार गाने लगे तो जोबन का रस छलक ही जाता है.. गोमती के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था..

गोमती जो अपने दर्द का इलाज़ करवाने जाती थी अब डॉक्टर के साथ ही अवैध सम्बन्ध मे बंध चुकी थी और महीने मे 2-3 बार बार अपनी बाग़ की क्यारी मे डॉक्टर की पिचकारी का पानी डलवा कर आती थी.. नीतू और अंकुश को इसके बारे मे भनक भी ना लग सकी थी मगर नीतू गोमती के बदले हुए अंदाज और लिबाज़ से कुछ तो गड़बड़ है समझ गई थी मगर अंकुश ने उस पर ध्यान तक ना दिया था..

गोमती आज भी डॉक्टर के पास आई थी और अंकुश बाहर बैठा हुआ इंतजार कर रहा था कि कब गोमती अंदर से बाहर आये और वो दोनों घर के लिए निकल पड़े.. मगर अंकुश नहीं जानता था कि गोमती अंदर अपनी टाँगे चौड़ी करके डॉक्टर से चुद रही थी..

गोमती अंकुश को साथ नहीं लाइ थी मगर नीतू ने जब अंकुश को बताया कि गोमती डॉक्टर के पास गई है तो रास्ते मे होने के कारण अंकुश खुद से ही डॉक्टर के पास आ गया था जहा नर्स ने उसे बाहर बैठने को कहा और कहीं चली गई.. मगर अंकुश को बहुत अजीब लग रहा था वो पिछले 10 मिनट से बाहर बैठा हुआ था और डॉक्टर के क्लनिक मे अभी और कोई मरीज़ ना था..

अंकुश से रहा ना गया तो उसने अंदर जाकर गोमती को देखने कि इच्छा से अपनी जगह छोड़ दी और उठ गया.. नर्स आस पास ना थी तो अंकुश बिना किसी रोक टोक के ही अंदर दाखिल हो गया.. डॉक्टर के चैम्बर मे कोई भी ना था मगर उसके पीछे बने छोटे से केबिन जहा एक पेशेंट बेड रखा था वहा से कुछ आवाज आ रही थी.. मगर डोर लॉक था..

अंकुश ने दरवाजे के कान लगाकर आवाज के साफ सुनने कि कोशिश कि तो उसे अपने माँ गोमती कि आवाज सुनाई दी जो डॉक्टर से कह रही थी..

और जोर से.. और जोर से.. पूरा दम लगाकर.. आह्ह..

अंकुश के पैरों के निचे कि जमीन हिल चुकी थी उसे गोमती पर गुस्सा आ रहा था और वो बिना कुछ सोचे समझें दरवाजा बजाने लगा..

डॉक्टर ने सोचा नर्स दरवाजा पिट रही है तो उसने जोर से कहा.. बाद मे आना.. अभी नहीं..

अंकुश ने एक जोर कि लात दरवाजे पर मारी तो केबिन का दरवाजा कमजोर और प्लास्टिक का होने के कारण टूट गया और खुल गया..

दरवाजा खुलने के बाढ़ जो नज़ारा अंकुश के सामने था वो का ब्यान कुछ ऐसा है कि..
बेड पर अंकुश ने अपनी माँ गोमती को देखा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके लेटी हुई थी और उसने अपनीसाडी को कमर तक उठाया हुआ था उसकी चड्डी ग्लूकोस टांगने वाली जगह लटकी हुई थी.. ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे और गोमती के दोनों भारी भरकम चुचे पूरी आजादी के साथ खुले मे विहार कर रहे थे.. और डॉक्टर अपनी पेंट उतारकर अपने लंड से गोमती कि चुत मार रहा था.. जो अंकुश के आने पर उसने गोमती कि चुत से बाहर निकाल लिया था और देखने से 4-5 इंच का साधारण ही लग रहा था..

अंकुश ने गुस्से मे आकर 3-4 लात गोंसे डॉक्टर के जमा दिए मगर डॉक्टर मौका पाकर अपनी पेंट सँभालते हुए वहा से भाग निकला.. गोमती बेड से खड़ी हो गई और अपना ब्लाउज बंद करने ही वाली थी कि अंकुश ने गुस्से मे दो करारे थप्पड़ गोमती के गाल पर भी धर ढिए जिससे गोमती शर्म, लाज, अपना भेद खुलने के कारण और अब अपने बेटे से थप्पड़ खाने के कारण मूर्ति बनकर खड़ी रह गई..

अंकुश ने गुस्से मे थप्पड़ मार तो दिए मगर उसके साथ ही उसे अहसास भी हो गया कि गोमती उसकी माँ है और वो भी अपने गुस्से को काबू मे करके वहा खड़ा हो गया..

गोमती के दोनों गाल पर अंकुश के थप्पड़ ने निशान बना दिए थे.. गोमती कि आँखों मे आंसू थे और उसने रोते हुए अपने आप को ठीक किया और अंकुश ने गोमती का हाथ पकड़ कर अपने साथ क्लिनिक से बाहर लाकर बाइक पर बैठते हुए गाडी चलाना शुरू किया मगर गोमती को ख्याल आया कि उसकी चड्डी वही टंगी हुई है और वो और ज्यादा शर्म से भर गई..

अंकुश के मन मे हज़ारो ख्यालों थे और गुस्सा बेहिसाब.. आज उसने अपनी माँ को चुदते हुए देखा था और वो भी किसीको गैर मर्द से.. मगर वो जानता था कि गोमती कि जवानी भी सवान का पानी चाहती थी जो उसे अब कोई देने वाला नहीं बचा था..

अंकुश और गोमती घर आ गए और दोनों अब अजीब निगाह से एक दूसरे को देख रहे थे दोनों मे बात बिलकुल भी ना हुई थी और होती भी कैसे दोनों एक दूसरे से शर्मिंदा थे मगर अंकुश ने गुस्सा नीतू कि चुत मे उतरा तो नीतू भी अंकुश से बोल पड़ी..

अक्कू आराम से.. बहन कि चुत प्यार से मारी जाती है गुस्से से नहीं.. और आज किस बात का गुस्सा है मेरे भाई को?

नीतू के खूबसूरत चेहरे और उस पर प्यार भरी मुस्कान के साथ पूछे गए सवाल पर अंकुश ने कुछ ना कहा और नीतू के होंठो को चुम लिया और फिर प्यार से नीतू के साथ सम्भोग करने लगा.. सम्भोग के बाद नीतू सो गई थी मगर अंकुश को नींद नहीं आई.. सुबह हो चुकी थी और अंकुश ऑफिस जाने को त्यार हो चूका था..

अक्कू.. मेरी बात क्यूँ नहीं सुन रहे तुम? तुम्हे समझ क्यूँ नहीं आता? क्या बुराई है छोटा काम करने मे?

नीतू छोडो यार मुझे ऑफिस जाना है.. हटो..

आज नहीं जाओगे तो ऑफिस पर ताला नहीं लग जाएगा.. चलो मेरे साथ.. मैंने घर देखा है.. एक बार तुम भी चलकर देख़ लो.. हमारे लिए बिलकुल परफेक्ट है.. निचे दूकान ऊपर हमारे सपनो का घर..

मैंने पापा कि तरह किराने कि दूकान खोलकर नहीं बैठना चाहता.. समझी?

अरे किराने कि दूकान और गिफ्ट्शॉप मे अंतर होता है अक्कू.. हमारी शॉप ऐसी होंगी कि पुरे उदयपुर मे किसीने ना देखि होंगी.. बड़ी मुश्किल से किसी से जुगाड़ लगा कर जगह ढूंढी है.. चलो ना प्लीज..

मैंने नहीं जाने वाला.. हटो ऑफिस के लिए लेट हो रहा है..

अच्छा.. तो आज से रात को अपना लंड हिलाके सो जाना.. मेरे पास आये ना तो देख लेना.. औजार ही काट दूंगी..

अरे गुस्सा मत हो.. ठीक है.. चलो..

नीतू खुश होते हुए अंकुश को गले लगा लेती है..
थैंक्स.. मेरे छोटे भाई.. ऐसे ही मेरी बात मानोगे तो अच्छे से खुश रखूंगी..

अब चलो.. वैसे कितना दूर है यहाँ से?

ज्यादा नहीं बस 20 km है.. शहर के दूसरी तरफ.. वहा ना कोई हमें जानता ना हम किसीको..

अंकुश और नीतू केब से शहर के दूसरी तरफ अपने लिए घर देखने आ गए थे जहा किसी ब्रोकर ने सालो से बंद पड़े मकान को दिखाया.. आस पास का इलाका मिडिल क्लास के लोगो से भरा था और बसावट भी अनुकूल थी..

नीतू को तो घर देखते ही पसंद आ गया था और नीतू के कहने पर अंकुश ने भी हाँमी भर दी थी..

नीतू के ज़िद करने पर अंकुश ने घर बदलकर, शादीशुदा लोगो कि तरह रहने और अपना काम शुरू करने का फैसला कर लिया था..

कुछ ही दिनों मे अंकुश ने घर बेचकर नया घर ले लिए और रेनोवशन करवाकर नीतू और गोमती के साथ यहाँ आ गया.. उसने जॉब छोड़ दी थी और अपने पिता कि तरह घर के निचे ही एक आकर्षक और बड़ी सी गिफ्ट शॉप भी खोल दी थी जिसमे नीतू ने बराबर का सहयोग किया था..

आसपास रहने वालों को नीतू ने अंकुश और उसके शादीशुदा होने कि बात बताई थी मगर उनकी शादी अबतक ना हो पाई थी और नीतू अब्ब जल्द से जल्द अंकुश से शादी करना चाहती थी..

गोमती और अंकुश के बीच तो जैसे उस दिन के बाद से बात होना ही बंद हो गया था.. दोनों एक दूसरे को देखकर नज़र चुरा लेते और बात करने से परहेज करते है यही सब कुछ दिनों से चल रहा था..

मगर जो जिस्मानी आग मे जल रहा हो उसके लिए मर्यादा मे रहना मुश्किल होता हैं यही गोमती के साथ भी होरहा था गोमती ने अपनी चुत को ऊँगली से ठंडा करना शुरू कर दिया था और अब लम्बे समय तक बाथरूम मे रहती और अंग क्रीड़ा से अपने अरमान को संतुष्ट करती.. वही अंकुश तो जैसे गोमती पर नज़र रखने का काम करने लगा था.. उसे शक था की कहीं गोमती वापस उस गठिया डॉक्टर के पास ना आने जाने लगे और डॉक्टर ठरकी और गठिया होने के साथ साथ बातूनी भी था अंकुश को लगता था की कहीं डॉक्टर गोमती के बारे मे किसीको कुछ बोल ना दे..

अंकुश ने इन कुछ दिनों मे कई बार अपनी माँ गोमती को चुत मे ऊँगली करते हुए छुपकर देखा था और वो इसी असमंजस मे था की क्या किया जाए? उसकी माँ गोमती के बदन की जरुरत उसे समझ आरही थी मगर वो खुद इसे पूरा करना पाप समझता था.. नीतू के साथ उसका सम्बद्ध मे इससे टूट सकता था और नीतू कुछ भी कर सकती थी..

नीतू निचे दूकान के अंदर बैठी किसीको लड़की को सामान दिखा रही थी और ऊपर गोमती हाथ मे पोछा लिए रसोई मे गैस के आस पास की जगह को साफ कर रही थी.. गोमती से कुछ दूर अंकुश खड़ा गोमती को देख रहा था और आज उसने अपनी माँ से बात करने और उस दिन क्लिनिक मे मारे थप्पड़ के बारे मे माफ़ी मांगने का तय किया था..

माँ...

गोमती के कानो मे अंकुश की आवाज पड़ी तो वो सहम गई और घबराते हुए हलकी से आवाज़ जे साथ मुड़कर बीबीना अंकुश को देखे बोली..

हम्म..

माँ.. वो मैं.. मैं... सॉरी... मतलब उस दिन जो हुआ.. मुझे आपके ऊपर हाथ नहीं उठाना चाहिए था..

गोमती अंकुश की बात सुनकर चुपचाप एक नज़र उसकी और देखकर वापस अपने काम मे लग गई और बोली..

कोई बात नहीं अक्कू.. मेरी गलती हैं ना अपनी उम्र देखि ना दुनिया.. बहक गई.. तूने जो किया गुस्से मे किया..

माँ.. एक बात बोलू.. अगर आप हां कहो तो मैंने आपकी दूसरी शादी..

अंकुश ने इतना बोला ही था की गोमती ने बात काटते हुए कहा..

इस उम्र मे शादी.. नहीं नहीं.. मुझसे नहीं होंगी शादी.. मैं रह लुंगी अक्कू.. तु बस अपना और नीतू का ख्याल रख.. अब जल्दी शादी करले उससे..

अंकुश ने आगे बढ़कर गोमती के हाथ से पोछा लेकर साइड मे रख दिया और गोमती को बाहो मे लेकर बोला..

बस एक बार सब अच्छे से सेट हो जाए फिर शादी और बच्चा दोनों कर दूंगा.. और आपकी अभी उम्र ही क्या हैं मुश्किल से 40 की लगती हो.. आप हाँ करो मे एक अच्छा सा लड़का ढूंढ़कर लाता हु आपके लिए..

गोमती कई दिनों बात आज खिलखिला कर हस्ती हैं और कहती हैं..

मुझे और लड़का? कोनसा लड़का करेगा मुझ 50 की औरत से शादी.. तु भी कुछ भी बोलता हैं अक्कू.. अब छोड़ मुझे पूरी रसोई साफ करनी हैं.. कितना काम बचा हैं.. नीतू भी ना.. जब से दूकान खुली हैं वही बैठी रहती हैं घर का काम धाम जैसे भूल ही गई..

तो आप झगड़ा क्यूँ नहीं करती उससे? आपकी बेटी के साथ आपकी होने वाली बहु भी तो हैं नीतू.. अब माँ बेटी वाला रिस्ता छोड़कर.. सास बहु वाला रिस्ता निभाओ.. मुझे भी आपकी और नीतू की खटपट देखकर अच्छा लगेगा..

गोमती अपने आप को अंकुश की बाहो से आजाद करवा कर कहती हैं..

हम्म.. ठीक हैं अब बताती हूं उसे.. तु बीच मे ना आना..

अंकुश जाते हुए मैं क्यूँ बीच मे आने लगा.. वैसे कल मूवी देखने चलोगी?

गोमती पीछे देखकर..

मैं? नीतू को ले जा..

उसे अपनी सहेली के पास जाना हैं शादी मे बताया था ना उसने.. आप भूल गई?

अरे हाँ.. मैं भी ना आज कल कुछ याद नहीं रहता..

अंकुश इशारे मे अपनी बात कहने की कोशिश करते हुए कहता हैं..

अब इतना टाइम बाथरूम मे रहोगी तो कैसे याद रहैगा?

गोमती को बात का मतलब समझ आ गया और शर्म से पानी पानी होकर आगे कुछ ना बोल पाई और अपने काम मे लगी रही वही अंकुश भी वहा से निचे आ गया और नीतू के साथ दूकान को सजाने और संवारने के साथ आने वाले कस्टमर को भी देखने लगा..


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हेलो..

हाँ भाभी.. बोलो..

आ गए क्या तुम?

नहीं बस पहुंचने वाला था..

मैं इंतजार कर रही हु सूरज..

बस आ गया भाभी.. थोड़ी देर और..

सूरज जयप्रकाश के साथ विनोद की शादी का कार्ड बांटने निकला था और आज गरिमा के शहर मे रिश्तेदार को कार्ड बाँट रहा था वही से बहाना बनाकर सूरज गरिमा के ज़िद करके बुलाने पर उससे मिलने जा रहा था.. गरिमा ने एक शहर से थोड़ा दूर बने एक वीरान महल मे जहाँ मुश्किल से अब कोई आता जाता होगा सूरज को बुलाया था..

गरिमा ने आज काला सलवार पहना था जो कि उसके गोरे बदन और उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहा था.. पतली कमर के ऊपर उभरे हुए स्तन और निचे निकले बाहर कि और निकले हुए नितम्ब उसकी शारीरिक बनावट का सुन्दर चित्रण कर रहै थे..

गरिमा ने आज अपनेआप को श्रंगार से अलंस्कृत किया था और वो एक अप्सरा सामान दिखाई पढ़ती थी जिसकी महक से ही व्यक्ति मदहोश हो सकता था..

गरिमा को बेसब्री से सूरज के आने का इंतजार था और सूरज भी अब पहुंचने वाला था दोनों के मन की मनोदशा अलग-अलग थी एक के मन में अपने प्रीतम को मिलने के ख्वाब थे और दूसरे के मन में अपने घर के नए सदस्य से मिलने का इंतजार..

गरिमा सूरज से अपने प्रेम का इजहार करने वाली थी ना जाने कितनी बार उसने इस बात का अभ्यास किया था और सूरज कि होने वाली प्रतिक्रिया के अनुरूप ही व्यवहार करने का मन बनाया था..

भाभी.. भाभी..

गरिमा सूरज के ख्यालों में इतनी मग्न थी कि उसे सूरज के आने का पता भी नहीं चला.. सूरज ने जब दो-चार बार उसे भाभी कह कर बुलाया तब जाकर उसका ध्यान टूटा और गरिमा ने पीछे मुड़कर सूरज को देखा और एक टक देखती ही रही..

जिस तरह सावन के मौसम मे एक प्रेमीका मिलन की बेला को तरसती हुई अपने प्रेमी का इंतजार करती है इसी तरह से गरिमा को भी सूरज का इंतजार था और जब सूरज उसके सामने खड़ा था तब गरिमा को समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से बर्ताव करें और क्या कहे?

भाभी... आप ठीक तो हो..

सूरज ने गरिमा के नजदीक आकर कहा तो गरिमा बिना कुछ बोले बस दो कदम आगे बढ़कर सूरज को अपनी बाहों मे भर लेती हैं और बिना कुछ बोले सूरज को गाले से लगाए खड़ी रहती हैं..

गरिमा के आकर्षण से हर कोई उसकी और खींचा चला जा सकता था मगर सूरज का मन सुमित्रा ने मोह लिया था सो गरिमा का आकर्षण अभी उस पर फीका था..

कुछ देर यूँही खड़े होने के बाद गरिमा ने बिना कुछ बोले या सोचे समझें बहकते हुए सूरज को चूमने कि कोशिश कि तो सूरज पीछे हटते हुए बोला..

भाभी.. क्या कर रही हो..

गरिमा के मन मे जो नदी अब तक बाँध के सहारे अपना प्रवाह रोक कर बैठी थी अब बाँध तोड़ कर बह चली थी..

तुम्हे चुम रही हूं सूरज..

गरिमा ने फिर से सूरज के करीब आते हुए कहा..

भाभी शादी हैं आपकी.. विनोद भैया से 10 दिन बाद..
और आप..

मैं ये शादी नहीं करना चाहती सूरज.. मैं तुमसे प्यार करती हूं..

भाभी..

हाँ सूरज.. जब से तुमने मुझसे बात करना छोडा था तब से तड़प रही हूं तुम्हारे लिए.. या कहु कि जब से तुमने पहली बार देखा था तब.. मैं अब समझ चुकी हूं कि तुम्हारे बिना मैं नहीं जी सकती..

भाभी.. होश मे तो हो.. चलो मे आपको घर छोड़ देता हूं.. अब आपको कुछ पता नहीं हैं आप क्या बोल रही हो..

अपने पुरे होश मे हु सूरज.. चलो हम भाग चलते हैं.. सबसे दूर..

आपका दिमाग घूम गया हैं.. सूरज ने चिल्लाते हुए कहा तो गरिमा कि आँख से आंसू छलक पड़ा..

समझ क्या रखा हैं आपने मुझे? और मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी.. शादी नहीं करनी थी पहले ही मना कर सकती थी आप.. अब चलो.. एक ऐसी जगह बुलाया हैं लगता जैसे कोई भूतिया महल हो..

गरिमा के आंसू उसकी आँखों से बह रहे थे और अब उसने सूरज का हाथ झटकते हुए रोना शुरू कर दिया था और रोते हुए कहने लगी..

जाओ तुम.. नहीं जाना मुझे यहाँ से कहीं भी..

भाभी.. पागल मन बनो.. चलो.. देखो पीछे घना जंगल हैं शाम होने वाली हैं कोई जानवर आ सकता हैं..

आने दो जिसे आना हैं.. जाओ तुम..

भाभी ज़िद मत करो..

क्या भाभी भाभी.. लगाया हुआ हैं.. गरिमा नाम हैं मेरा.. और सुन लो.. मैं शादी करूंगी तो तूमसे वरना सारी उम्र कुंवारी बनकर रह लुंगी.. कह देना अपने भैया से कोई जरुरत नहीं हैं मेरे घर बारात लाने की..

चाहती क्या हो आप?

तुम्हे चाहती हूं.. तुम्हे... गरिमा ने जोर से चीखते हुए कहा और आगे बोली.. अगर मैं तुम्हारी नहीं हुई तो मुझे किसीको और का भी नहीं होना..

पर मैं आपसे प्यार नहीं करता भाभी.. और विनोद भैया के लिए आपके जैसी 100 लड़किया कुर्बान..

सूरज.. मुझे मत ठुकराओ सूरज... मैं तुमसे दिल और जान से प्यार करती हूं.. तुम जो बोलो मैं करने को त्यार हूँ.. पर मुझे अपने दूर मत करो.. मैं तुम्हारे बिना क्या करुँगी..

सूरज ने एक कदम ठहरकर कहा.. मैं जो बोलूंगा वो करोगी आप?

आज़मा कर देख लो.. अगर ना किया तो कह दूंगी कि तुमसे झूठा प्यार किया था..

तो फिर ठीक हैं.. आप ये शादी नहीं तोड़ोगी और विनोद भैया कि पत्नी बनकर रहोगी.. और हमारे बीच जो बात आज हुई हैं उसका जिक्र भी किसीके सामने नहीं करोगी.. बोलो कर सकती हो आप ये सब?

तुम्हारे लिए मैं अपनी जान भी दे सकती हूं सूरज.. मगर मेरी एक शर्त हैं.. अगर तुम वो पूरी करोगे तो जो बोलोगे वो मैं करुँगी?

केसी शर्त?

मैंने आज तक किसीको अपने करीब नहीं आने दिया.. मैं चाहती हु मेरा पहला मिलन मेरे प्यार के साथ हो.. अगर तुम मेरी ये शर्त पूरी करोगे तो हम वादा करती हु जो बोलोगे वही करुँगी और कभी कोई शिकायत नहीं करुँगी..

आप क्या बोल रही हो आपको समझ आरहा हैं? होने वाली भाभी हो आप..

अभी शादी हुई नहीं हैं सूरज.. और होंगी भी नहीं.. जब तक तुम नहीं चाहोगे.. बोलो करोगे मेरी ये शर्त पूरी?

गरिमा ने कहते हुए अपनी कुर्ती पर से दुपट्टा उतार कर फेंक दिया और कसे हुई सूट मे अपने बदन कि बनावट सूरज को दिखाकर बोली तो सूरज भी एक पल को जैसे मेनका के भर्म मे पड़ गया.. गरिमा ने सूरज को बहकते देखा तो वो आगे बढ़कर अपनी छाती के दोनों उभारो को सूरज के सीने मे दबाते हुए उसके होंठो को अपने होंठो से खींचते हुए ऐसे चूमने लगी जैसे वो कब से इसी पल का इंतजार कर रही हो..

सूरज को एक पल के बाद होश आया तो उसने गरिमा को पीछे करते हुये खुद को अलग कर दिया और विनोद के बारे मे सोचते हुए वहा से बिना गरिमा को देखे वापस आने लगा..


गरिमा जिस प्रेम और अपने पन के साथ उम्मीद की नज़र से सूरज को देख रही थी उसका ब्यान मुश्किल हैं...
Nice going.
 
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