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Adultery घर का राज़: एक नाजायज़ इश्क़ प्यार, धोखा, और गुप्त मिलन

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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देवनागरी लिपि में लिखी एक और गर्मागर्म कहानी के लिए शुभकामनाएं :congrats:
 
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Premkumar65

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किरदारों का परिचय

रिया मल्होत्रा (25 साल) की खूबसूरत औरत, लंबे काले बाल, हल्की भूरी आँखें, और आकर्षक फिगर। डिज़ाइनर जीन्स, क्रॉप टॉप या पारदर्शी साड़ी में नज़र आती है। लग्ज़री रियल एस्टेट कंसल्टेंट।
अर्जुन मल्होत्रा (28 साल) का साधारण दिखने वाला टेक उद्यमी, काले बाल, ब्लेज़र या कुर्ते में। अपने स्टार्टअप में व्यस्त।
राकेश मल्होत्रा (62 साल): गंजा, मोटा, रिटायर्ड इंडस्ट्रियलिस्ट, पेट बड़ा, आँखें वासना से भरी।


कहानी का सेटिंग :- दिल्ली के वसंत विहार के एक आलीशान बंगले में
Nice setting.
 

Premkumar65

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Update 1

सुबह-सुबह का वक्त था। रिया मल्होत्रा किचन में बर्तन धो रही थी, जबकि उसका पति अर्जुन डाइनिंग टेबल पर नाश्ता खत्म कर रहा था। उनके लिए ये कोई नया दिन नहीं था, बस वही रोज़ का रुटीन। दोनों जवान थे—अर्जुन 28 का, और रिया 25 की।

रिया की खूबसूरती लाजवाब थी। 5 फुट 7 इंच की हसीना, उसके काले, चमकीले बाल कंधों तक लहराते, जो उसने आज बेतरतीब जूड़े में बांध रखे थे। उसकी हल्की भूरी आँखें, काजल से सजी, जादू बिखेरती थीं। उसकी कर्वी फिगर कमाल की थी—सही जगहों पर सही उभार, और उसका D-कप बस्ट, जो उसकी टाइट क्रॉप टॉप या पारदर्शी साड़ी में और भी कामुक लगता। वो अपने डिज़ाइनर जीन्स और स्टिलेटो में दिल्ली के वसंत विहार की रईस कॉलोनी में सबके दिलों की धड़कन थी।

वहीं अर्जुन, बिल्कुल साधारण। रिया से बस थोड़ा लंबा, 5 फुट 9 इंच, छोटे काले बाल, और सादी भूरी आँखें। उसका लुक कुछ खास नहीं—ब्लेज़र और स्लिम-फिट जीन्स में वो बस एक आम टेक बिज़नेसमैन लगता।

रिया और अर्जुन की ज़िंदगी खुशहाल थी। उनकी हाई-प्रोफाइल जॉब्स—अर्जुन का गुरगांव में टेक स्टार्टअप और रिया की लग्ज़री रियल एस्टेट कंसल्टिंग—ने उन्हें रईसी भरी ज़िंदगी दी थी। उनकी खुशी में चार चांद लग गए थे उनकी 1 साल की प्यारी बेटी अनन्या के आने से।

“आज मैं थोड़ा लेट आऊंगा, जान,” अर्जुन ने अपनी केसरिया चाय का आखिरी घूंट लेते हुए कहा, और अपनी प्लेट उठाकर सिंक के पास रख दी। “ऑफिस में एक प्रोजेक्ट की डेडलाइन है, कल तक टीम के साथ खत्म करना है। तू मेरा इंतज़ार मत करना।”

रिया ने बस हल्के से ह्म्म किया और सिर हिलाया, बर्तन धोते हुए। “तू तो बहुत काम कर रहा है आजकल,” उसने चिंता भरे लहजे में कहा, “सब ठीक तो है ना ऑफिस में? ज़्यादा तो नहीं थका रहे तुझे?”

“हां, थोड़ा बहुत तो है,” अर्जुन ने शांत लहजे में जवाब दिया। “पर टेंशन मत ले, जान। ये प्रोजेक्ट्स खत्म होंगे, फिर थोड़ा रिलैक्स हो जायेगा। पक्का वादा।” उसने अपनी हसीन बीवी को दिलासा दिया। तभी उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी, और वो चौंका।

“अरे, shit! लेट हो जाऊंगा!” वो चिल्लाया, जल्दी-जल्दी अपना लैपटॉप बैग और फोन उठाते हुए।

“ज़ुबान संभाल, अर्जुन,” रिया ने हल्के से डांटते हुए, नटखट नज़रों से उसे देखा। अर्जुन ने बस मुस्कुराकर जवाब दिया और झुककर उसकी गाल पर एक प्यार भरा चुम्मा लिया।

“ठीक है, रात को मिलता हूं, अगर तू जाग रही होगी,” उसने अलविदा कहते हुए कहा। “बाय, लव यू!”

“लव यू टू, जान। बाद में मिलते हैं,” रिया ने गर्मजोशी से हाथ हिलाकर जवाब दिया और बर्तन धोने में लग गई।

अर्जुन जल्दी से अंडरग्राउंड पार्किंग में गया, अपनी BMW में बैठा, और तेज़ी से निकल गया। रिया गुनगुनाते हुए अपने काम में लगी रही। तभी, उसे पीछे से चुपके-चुपके कदमों की आहट सुनाई दी। अचानक, दो मज़बूत बाहों ने उसे पीछे से जकड़ लिया, और उसे एक गर्म, नाजायज़ आलिंगन में लपेट लिया। दो बड़े, उम्रदराज़ हाथों ने उसके नरम, उभारदार स्तनों को पकड़ लिया, धीरे-धीरे और कामुकता से उन्हें मसलते हुए।

रिया को साफ पता था कि ये उसका पति नहीं था—अर्जुन तो अभी-अभी गया था, और वो कभी इस तरह उसे नहीं छूता। फिर भी, इस अनजाने मर्द की हरकतों का उसने कोई विरोध नहीं किया, ना ही वो चौंकी।

“म्हम्म, गुड मॉर्निंग, सेक्सी,” एक गहरी, खुरदरी आवाज़ ने उसे सलाम किया। रिया ने मुड़कर अपने इस छेड़छाड़ करने वाले को देखा, और अपनी भूरी आँखें घुमाकर एक नटखट मुस्कान दी।

“आह… गुड मॉर्निंग, राकेश जी,” उसने जवाब दिया, कोशिश करते हुए कि उसकी आवाज़ में वो शांति बनी रहे, भले ही राकेश के हाथ उसके रसीले स्तनों को मसल रहे थे। उसका लहजा बिल्कुल सहज था, ना कोई गुस्सा, ना घृणा।

राकेश, 62 साल का, अर्जुन का बाप और रिया का ससुर था। वो करीब दो साल पहले उनके साथ इस वसंत विहार के बंगले में रहने आया था। रिया और अर्जुन से थोड़ा छोटा, 5 फुट 6 इंच का, चमकदार गंजा सिर, और सालों की दारूबाज़ी से बना हुआ पेट। उसका शरीर भारी और बेडौल था, पर उसमें एक अजीब सी ताकत थी।

शुरुआत में अर्जुन अपने बाप को घर में लाने के पक्ष में नहीं था। दोनों का रिश्ता सालों से ठंडा था—अर्जुन के घर छोड़ने के बाद दस साल तक कोई संपर्क नहीं रहा। इतना कि अर्जुन ने अपनी और रिया की शादी में भी उसे नहीं बुलाया।

पर जब अर्जुन की मां गुज़र गईं, और राकेश अकेला रह गया, तो रिश्तेदारों ने अर्जुन को उसे घर ले आने के लिए मनाया। रिया ने भी अपनी दयालुता से अर्जुन को राज़ी कर लिया। अर्जुन को डर था कि इतने सालों बाद बाप के साथ रहना अजीब होगा। पर हैरानी की बात, राकेश के आने के बाद उनका रिश्ता फिर से गहरा हो गया। और सबसे ज़्यादा खुशी की बात? राकेश और रिया की खूब बनने लगी। शायद… ज़्यादा ही बनने लगी।

“मैं… आह, सोचा आप अभी सो रहे होंगे,” रिया ने पूछा, उसके उंगलियों के दबाव से हल्का सा सिहरते हुए। उसने देखा कि राकेश की आँखें उसके स्तनों पर टिकी थीं, और वो भूखे शेर की तरह होंठ चाट रहा था।

“हाहा, बस अर्जुन की गाड़ी की आवाज़ सुनी, तो सोचा जल्दी शुरूआत कर लूं,” राकेश ने उत्साह से कहा। “वो आज कितनी देर बाहर रहेगा?”

“जानना चाहेंगे, राकेश जी?” रिया ने नटखट मुस्कान के साथ जवाब दिया। राकेश ने उसे ज़ोर से अपनी तरफ खींच लिया, जिससे रिया की सांस रुक गई और वो खिलखिलाकर हंस पड़ी। “उसने कहा वो फिर से लेट आएगा। तो हम पूरे दिन अकेले हैं,” उसने शरारत भरे लहजे में खुलासा किया।

राकेश की हंसी में एक भूखी सी खनक थी। उसने रिया की लंबी, खुली गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। “अच्छा,” उसने गहरी, वासना भरी आवाज़ में कहा। “यहां काम खत्म कर, फिर मेरे कमरे में आ।” उसने अपने बेटे की बीवी को आदेश दिया।

रिया ने सिर झुका लिया, उसे अपनी गर्दन तक आसानी से पहुंच देने के लिए। “आह… ठीक है, जी। पर पहले अनन्या को खाना खिलाना है,” उसने राकेश के चुम्बनों से सिसकते हुए, मज़े में कराहते हुए कहा। राकेश के मोटे, ताकतवर हाथों ने उसकी क्रॉप टॉप के ऊपर से उसके स्तनों को और ज़ोर से दबाया, तो उसकी सिसकी और तेज़ हो गई।

राकेश ने हल्की सी झुंझलाहट में गुर्राया, पर बच्ची की प्राथमिकता को समझते हुए सिर हिलाया। “ठीक है, पर उसके बाद सीधा मेरे कमरे में, समझी? मुझे तेरी इस मस्त गांड की सख्त ज़रूरत है,” उसने हुक्म दिया। उसने रिया को छोड़ा, और जाते-जाते उसकी गांड पर एक नटखट थप्पड़ मार दिया, फिर सीढ़ियों की ओर बढ़ गया।

रिया का चेहरा शर्म से लाल हो गया, और उसका पेट उत्तेजना से गुदगुदाने लगा। उसने बस आज्ञाकारी ढंग से सिर हिलाया, अपनी उत्तेजित मुस्कान छुपाने की कोशिश करते हुए। राकेश ने गर्व भरी मुस्कराहट के साथ सीढ़ियां चढ़ीं। रिया ने एक लंबी सांस छोड़ी, खुद को संभाला, और बर्तन धोने का काम पूरा किया।

रिया और राकेश का गुप्त अफेयर तब शुरू हुआ जब राकेश उनके वसंत विहार के आलीशान बंगले में रहने आया। पहले-पहल रिया उसे बस एक दोस्ताना, बुज़ुर्ग ससुर मानती थी। राकेश रिया के साथ गप्पें मारता, और उसकी कंपनी उसे अच्छी लगती।

शुरुआत में सब कुछ नॉर्मल था। राकेश कभी-कभी रिया की खूबसूरती की तारीफ कर देता, जैसे, “तू तो रानी, एकदम बॉलीवुड heroine लगती है!” रिया इसे मज़ाक समझकर टाल देती। उसे लगता था कि राकेश उसे बस अपनी बेटी की तरह देखता है। पर एक दिन, जब अर्जुन अपने काम के सिलसिले में शहर से बाहर था, सब कुछ बदल गया।

उस वक्त अर्जुन की जॉब ने उसे पूरी तरह जकड़ रखा था। लंबे-लंबे घंटे, बाहर के टूर, और रातों की मीटिंग्स। रिया की ज़िंदगी में वो खालीपन आ गया था। वो इतनी horny थी कि बस, कुछ समझ ही नहीं आता था। अर्जुन को उसकी तरफ वक्त ही नहीं था—न प्यार, न सेक्स। और राकेश? वो रिया के इस तनाव को अच्छे से भांप गया था, क्योंकि वो ज़्यादातर वक्त घर पर ही था।

राकेश ने रिया को कभी बेटी की तरह नहीं देखा। जिस दिन उसने रिया को अपने टाइट जीन्स और क्रॉप टॉप में घर में इठलाते देखा, उसके उभरे हुए स्तन और गोल-मटोल गांड, उसका मन तो बस उसे चोदने का हुआ। अर्जुन का बार-बार बाहर रहना और रिया की बढ़ती सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन ने राकेश को मौका दे दिया।

ये बात एक आम शुक्रवार की शाम की थी। रिया और राकेश होम थिएटर में IPL मैच देख रहे थे, हाथ में प्रीमियम व्हिस्की की बोतल। अनन्या तब पैदा नहीं हुई थी, तो रिया के पास ढेर सारा खाली वक्त था। अर्जुन के बिना उसकी शामें सूनी थीं। उसे लग रहा था कि ये बस एक नॉर्मल शाम है, अपने ससुर के साथ। उसे क्या पता था कि राकेश के दिमाग में एक शैतानी प्लान चल रहा था, जो उसे एक नाजायज़ रिश्ते की गहराई में ले जाएगा।

शाम ढलती गई, और राकेश ने रिया को व्हिस्की पर व्हिस्की पिलाई। रिया को अपने ससुर से क्या डरना था? उसने खुलकर पी लिया। एक ग्लास, फिर दो, फिर तीन। धीरे-धीरे उसका दिमाग हल्का होने लगा, और राकेश चालाकी से उसके पास सरक आया। जब रिया अच्छी खासी टुन्न हो गई, तब राकेश ने अपनी चाल चली।

उस रात ने उनकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी। रिया को उस रात की सारी डिटेल्स अब धुंधली सी याद हैं। वक्त के साथ वो सब फीका पड़ गया। पर एक बात उसके दिमाग में साफ अटकी रही—राकेश ने उसे वो मज़ा दिया जो उसने पहले कभी नहीं लिया था!

पहले-पहल रिया को बहुत गिल्ट हुआ। उसने अपने पति को धोखा दिया था, वो भी उसके अपने बाप के साथ! उसका दिमाग इसे व्हिस्की की नशे की गलती मानकर जस्टिफाई करने की कोशिश करता। अगली सुबह, रिया ने राकेश से दिल खोलकर बात की। “राकेश जी, जो हुआ वो बहुत बड़ी गलती थी। इसके बारे में कभी बात नहीं होनी चाहिए, और ये दोबारा कभी नहीं होगा,” उसने गंभीर लहजे में कहा।

राकेश और रिया ने तय किया कि इस गुनाह को राज़ ही रहना चाहिए। अर्जुन को अगर पता चला कि जिस बाप को उसने इतने प्यार से अपने घर में जगह दी, उसने उसकी बीवी के साथ चुदाई की, तो वो पागल हो जाएगा।

पहले सब नॉर्मल लग रहा था। रिया और राकेश उस रात को भूलने की कोशिश में लग गए। ज़िंदगी फिर से स्टेबल सी हो गई। लेकिन जैसे-जैसे दिन और हफ्ते बीतते गए, रिया उस रात को पूरी तरह भुला नहीं पाई।

राकेश, अपनी उम्र के हिसाब से, कमाल का मर्द था। जैसा रिया को याद है, उसका लंड कम से कम आठ इंच लंबा था, शायद उससे भी ज़्यादा, और इतना मोटा कि बस! अर्जुन का तो उससे चार इंच छोटा था, और मोटाई में भी औसत। रिया का दिमाग बार-बार उस रात की यादों में खो जाता, जब उसकी चूत को पहली बार इतना भरा हुआ महसूस हुआ था। राकेश का लंड ही नहीं, उसकी बेडरूम स्किल्स भी गज़ब थीं। और उसकी स्टैमिना? 60 की उम्र में, इतने बेडौल शरीर के बावजूद, वो अर्जुन से कहीं ज़्यादा देर तक टिकता था।

रिया सोचती, अर्जुन को अपने बाप की ये मर्दानगी क्यों नहीं मिली? ये सवाल और राकेश के लंड की यादें उसे पागल कर रही थीं। उसका ध्यान अपनी रियल एस्टेट जॉब पर भी नहीं लगता था।

राकेश को अच्छे से पता था कि उसका लंड रिया के दिमाग पर क्या असर डाल रहा है। उसे यकीन था कि रिया जल्दी ही लौटकर आएगी, उसके मोटे लंड का स्वाद फिर से लेने। वो फिर से उसकी टाइट, शादीशुदा चूत में समाना चाहता था। पर वो चालाक था—उसे पता था कि उसे इंतज़ार करना होगा। वो नहीं चाहता था कि रिया की नाजायज़ चाहतों को कोई ठेस पहुंचे। तब तक वो घर का मज़ाकिया, खुशमिजाज़ बुज़ुर्ग बना रहा।

आखिरकार, उसकी मेहनत रंग लाई। अर्जुन अभी भी अपनी जॉब में डूबा था। रिया की सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन और राकेश के लंड की दीवानगी ने उसे पूरी तरह जकड़ लिया था। आखिरकार, रिया ने अपनी शर्म, अपनी हया को ताक पर रखकर राकेश से पूछा, “राकेश जी, क्या हम… बस एक बार और कर सकते हैं? बस एक बार, और कुछ नहीं।”

राकेश, जो एक नंबर का ठरकी था, तुरंत मान गया। रिया ने खुद को समझाया कि ये छोटा सा गुनाह उसे इस सारी गंदगी से आज़ाद कर देगा। पर वो कितनी गलत थी…

राकेश के साथ सेक्स का मज़ा इतना गज़ब था कि वो और गहरे में डूबती चली गई। एक बार चुदाई, फिर दो, फिर तीन। धीरे-धीरे ये उनका रेगुलर रुटीन बन गया। जब भी मन करता, रिया और राकेश एक-दूसरे की बॉडी का मज़ा लेते। और ये सब अर्जुन की नाक के नीचे हो रहा था। उसकी जॉब की वजह से वो इतना गायब रहता था कि रिया और राकेश को अपने अफेयर को छुपाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। अर्जुन को कभी शक तक नहीं हुआ।

रिया को गिल्ट तो होता था। अपने पति को धोखा देना, वो भी उसके बाप के साथ—कई बार वो खुद से नफरत करती। पर अर्जुन का उसे इग्नोर करना, उनकी सेक्स लाइफ में उसकी कमी, ने रिया को मजबूर कर दिया था। वो खुद को समझाती कि ये बस उसकी सेक्सुअल ज़रूरतें पूरी करने का तरीका है। गलती उसकी नहीं, ना अर्जुन की—गलती उसकी जॉब की है, जो उसे इतना उलझाए रखती है। पर सच तो ये था कि अर्जुन अपनी मर्ज़ी से इतना काम करता था, और इस बात से रिया के दिल में धीरे-धीरे गुस्सा पनपने लगा।


राकेश का आसानी से उपलब्ध होना—उसका मोटा लंड, उसकी बेइंतहा स्टैमिना, और बेडरूम में उसकी गज़ब की स्किल्स—ने रिया को इस गुनाह के गड्ढे में और गहरा धकेल दिया। ये गलत था, पर रिया के दिल में कहीं न कहीं अपने ससुर के साथ चुदाई का वो नाजायज़ रोमांच उसे पूरी तरह जकड़ चुका था। इतना naughty, इतना thrilling…
very nice and erotic writing.
 
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Premkumar65

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Update 3

रिया को सुकून मिला जब उसने देखा कि अनन्या अभी भी गहरी नींद में थी। चुपके से वो अपने बेडरूम के अटैच्ड बाथरूम में चली गई। शीशे के सामने खड़े होते ही उसकी भूरी आँखें फैल गईं, जब उसने अपनी हालत देखी: उसके चमकीले काले बाल पसीने से चिपके और बिखरे हुए थे, और उसका शरीर पसीने से चिपचिपा था। राकेश के साथ उसकी गर्मागर्म मुलाकात के बाद उसकी गर्दन पर कई छोटे-छोटे नीले निशान दिख रहे थे, जिसे देखकर वो झुंझला गई।

“उफ्फ, राकेश जी…” उसने गुस्से में बड़बड़ाया। आँखें घुमाकर उसने फैसला किया कि उसे शॉवर की सख्त ज़रूरत थी। और शायद आज दिन भर में और भी कई शॉवर लेने पड़ें, क्योंकि राकेश के साथ और naughty मुलाकातें तो तय थीं।

अपनी नज़र अपने पेट पर ले जाकर, रिया ने अपनी क्रॉप टॉप धीरे से उठाई, जिससे उसका फ्लैट, टोन्ड पेट नज़र आया। उसका दिल धड़क उठा, जब उसने सोचा कि शायद राकेश का एक और बच्चा उसके अंदर पहले से ही पनप रहा हो। जल्दी ही उसका पेट फूलने लगेगा, जैसे उसके और राकेश के जीन मिलकर एक नया बच्चा बनाएंगे।

अपनी सांसों में राकेश के लंड की महक महसूस करके, रिया ने ब्रश उठाया और अपने दांत साफ किए। जैसे ही वो अपनी सांस ताज़ा कर रही थी, उसे बेडरूम से एक दबी हुई आवाज़ सुनाई दी। बाथरूम से बाहर निकलते ही, रिया का दिल पिघल गया जब उसने देखा कि राकेश, अपनी पुरानी गंदी बनियान और ढीले शॉर्ट्स में, अनन्या को गोद में लिए उसे प्यार से चहका रहा था।

रिया बाथरूम के दरवाजे पर टिककर, गर्व भरी मुस्कान के साथ अपने इस छोटे से गुप्त परिवार को देखने लगी। राकेश का अनन्या के साथ खेलना देखकर उसका दिल गर्मजोशी और प्यार से भर गया।

रिया की नज़रों को भांपते हुए, राकेश ने अनन्या के माथे पर एक प्यार भरा चुम्मा दिया और अपनी प्रेमिका की ओर बढ़ा। “तुझे पता है, मैं हमेशा से एक बेटी चाहता था,” उसने गर्मजोशी से कहा। “मुझे खुशी है कि हमने अनन्या को इस दुनिया में लाया। वो तो बस लाजवाब है!”

रिया का दिल भर आया, और वो मुस्कुराए बिना न रह सकी। “हम्म, मैं भी बहुत खुश हूं। वो हमारी किस्मत है,” उसने खुशी से जवाब दिया, और राकेश को साइड से गले लगाया। उसने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया, और दोनों अपनी बेटी को प्यार से देखने लगे। भले ही अनन्या का जन्म एक गुनाह भरे रिश्ते से हुआ था, वो उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी नेमत थी, और उनका प्यार उसके लिए सच्चा था।

एक-दूसरे की ओर मुड़कर, रिया और राकेश ने एक प्यार भरा चुम्मा लिया, उनका रिश्ता और गहरा हो गया। जैसे ही उनके होंठ अलग हुए, राकेश ने नटखट अंदाज़ में कहा, “हम्म, अब वो शॉवर वाला ऑफर क्या था?”

“हम्म, बिल्कुल। तो चलो, शुरू करें?” रिया ने मज़े से गुनगुनाया। फिर उसके कान के पास झुककर फुसफुसाई, “डैडी जी…” जैसे ही वो बाथरूम की ओर बढ़ी, राकेश को फिर से जोश चढ़ गया, अपनी रानी को फिर से चोदने की उत्तेजना से भरा हुआ।

शॉवर की आवाज़ सुनकर, राकेश ने जल्दी लेकिन सावधानी से अनन्या को पालने में लिटाया और तेज़ी से बाथरूम की ओर भागा। वो अपने कपड़े उतारते हुए गया, उन्हें बेतरतीब ढंग से फेंकते हुए, अपनी हसीन प्रेमिका का पीछा करते हुए। उसकी बूढ़ी आँखें उत्तेजना से चमक उठीं जब उसने शॉवर के भाप भरे शीशे के पीछे रिया की सेक्सी सिल्हूट देखी।

शॉवर का दरवाज़ा खोलकर, ये भारी-भरकम बूढ़ा अंदर घुस गया। खिलखिलाहट और हल्की-फुल्की चहकने की आवाज़ें सुनाई दीं, जो शॉवरहेड से तेज़ी से गिरते पानी की आवाज़ में दब गईं। धीरे-धीरे ये आवाज़ें थम गईं, और उनकी जगह कामुक सिसकियों और गीली चमड़ी के टकराने की आवाज़ों ने ले ली, जो बाथरूम की नम हवा में गूंजने लगीं।

पूरा दिन रिया और राकेश ने ऐसे चुदाई की जैसे उनकी ज़िंदगी दांव पर हो। बेशक, वो बीच-बीच में अनन्या की ज़रूरतों का ख्याल रखने के लिए रुकते थे। लेकिन जैसे ही उनकी बेटी फिर से सो जाती या उसका पेट भर जाता, वो राकेश के कमरे में अपनी गंदी चुदाई फिर से शुरू कर देते। रिया की चूत राकेश की मोटी मलाई से लबालब भर गई थी। उसे यकीन था कि अगर वो अभी तक पेट से नहीं हुई, तो दिन खत्म होने से पहले ज़रूर हो जाएगी।

शाम ढलते-ढलते, रिया, राकेश और उनकी नन्ही अनन्या डाइनिंग टेबल पर एक साथ खाना खा रहे थे। राकेश ने अपने बेटे की बीवी के हाथ का लज़ीज़ खाना खाया—आलू मटर की सब्ज़ी, गरमा-गरम रोटियां और मसालेदार चटनी—जो उसे ताकत दे रही थी। रिया प्यार से अनन्या को खाना खिला रही थी। उनकी ये छोटी सी फैमिली एक गर्मजोशी भरा माहौल बना रही थी, जो रिया को अर्जुन की अनगिनत लेट नाइट्स की जॉब के बीच बहुत सुकून देता था।

“हाय राम! ये खाना तो कमाल है, रिया! तू तो मेरी बीवी से भी ज़्यादा मस्त खाना बनाती है! अरे, तू मेरी ज़िंदगी में पहले कहां थी, रानी?” राकेश ने मुंह में खाना ठूंसते हुए तारीफ की।

रिया ने राकेश की ओर देखा और हल्के से डांटते हुए कहा, “ज़ुबान संभालिए, राकेश जी, बच्ची है कमरे में। लेकिन थैंक यू। कम से कम कोई तो मेरी मेहनत देखता है।” राकेश ने उसकी अपने गैरहाज़िर पति पर तंज को सुनकर हंसी छेड़ दी और खाने का मज़ा लेने लगा।

अपनी प्लेट से नज़र उठाकर, राकेश ने टेबल के उस पार रिया और अनन्या को गौर से देखा। उसकी झुर्रियों भरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, उसे एहसास हो रहा था कि ऐसी हसीन औरत के साथ बच्चा पैदा करना कितना बड़ा सौभाग्य था। वो सोच में पड़ गया कि ऐसी औरत सालों पहले उसकी ज़िंदगी में क्यों नहीं थी—शायद अब तक उसका बड़ा, खुशहाल परिवार होता। फिर भी, उसने खुद को तसल्ली दी कि देर आए, दुरुस्त आए। अभी भी वक्त था अपने बड़े परिवार के सपने को सच करने का।

खाना खत्म करके, राकेश ने रिया के साथ बर्तन साफ करने में मदद की, फिर दोनों ऊपर सोने की तैयारी करने लगे। दिन भर की ताबड़तोड़ चुदाई से वो थक चुके थे, तो उन्होंने और naughty हरकतें न करने का फैसला किया। गलियारे में साथ-साथ चलते हुए, राकेश ने अपनी बेटी और उसकी मम्मी को उनके कमरे तक छोड़ा।

“हम्म, गुडनाइट, राकेश जी,” रिया ने गर्मजोशी भरी मुस्कान के साथ कहा। राकेश ने भी प्यार भरी मुस्कान लौटाई, और झुककर रिया के होंठों पर एक नरम चुम्मा लिया, फिर अनन्या के माथे पर प्यार से चूमा।

“गुडनाइट, मेरी जानें। सुबह मिलते हैं,” राकेश ने खुशी से जवाब दिया, अपने कमरे की ओर मुड़ते हुए। लेकिन गलियारे में अपने खुले दरवाज़े की ओर देखकर वो रुक गया। दिन भर की चुदाई से कमरे की चादरें गीली और गंदी थीं, और उसे वहां सोने का मन नहीं था। वो इतना थका था कि चादरें बदलने की हिम्मत नहीं थी। साथ ही, वो अपनी हसीन प्रेमिका और बेटी के साथ सोना चाहता था।

“क्या हुआ, राकेश जी?” रिया ने चिंता भरे लहजे में पूछा।

“उह, मेरा कमरा… थोड़ा गंदा है…” राकेश ने शर्मिंदगी से अपनी गर्दन खुजलाते हुए कहा। रिया ने अपनी भूरी आँखें घुमाईं और सांस ली।

“हां, कल मुझे याद दिलाइएगा, साफ कर देंगे,” उसने थोड़े तनाव और थकान भरे लहजे में जवाब दिया। लेकिन दिन भर की नटखट हरकतों की यादें अभी भी ताज़ा थीं, और वो खुद को गर्म महसूस करने से रोक न सकी। “अगर आपका कमरा गंदा है, तो रात कहां सोएंगे?” उसने उत्सुकता से पूछा। राकेश ने नर्वस हंसी हंसी।

“हाहा, मैं सोच रहा था… क्या मैं आज रात तेरे बेड पर सो सकता हूं?” उसने ज़िद भरे अंदाज़ में पूछा। रिया ने भौंहें चढ़ाईं, उसके चेहरे पर हैरानी और उत्सुकता का मिश्रण था।

राकेश की बात पर गौर करके, रिया ने जवाब दिया, “मुझे नहीं लगता ये ठीक रहेगा, जी। अर्जुन सुबह जल्दी घर आने वाला है। ये थोड़ा risky हो सकता है। हम नहीं चाहेंगे कि आपका बेटा अपने बाप को अपनी बीवी के साथ एक बेड पर सोते हुए पकड़े, है ना? हमारा ये ‘छोटा सा’ राज़ अभी तक छुपा है। आखिरी चीज़ जो हमें चाहिए वो है शक पैदा करना।” रिया और राकेश का ‘छोटा सा’ राज़ तो बिल्कुल कम करके बोला गया था।

राकेश ने सिर झुकाकर हामी भरी, जोखिम को अच्छे से समझते हुए। लेकिन वो अपनी बेटी की मां के साथ रात बिताने की इच्छा को नकार नहीं सका। हैरानी की बात थी कि, उनके इस नाजायज़ रिश्ते के बावजूद, वो ज़्यादातर अर्जुन और रिया के वैवाहिक बेड से अपने गुनाह को दूर रखने में कामयाब रहे थे, सिवाय कुछ रेयर मौकों के। तो राकेश के लिए रिया के साथ वहां करना हमेशा एक ट्रीट था।

“उफ्फ, लगता है आज रात सोफे पर ही गुज़ारा करना पड़ेगा,” राकेश ने नकली हार मानते हुए बड़बड़ाया। रिया बस एक सहानुभूति भरी मुस्कान दे सकी, जानते हुए कि ये सबसे सही था। लेकिन जैसे ही वो आखिरी गुडनाइट बोलने वाला था, रिया का फोन उसकी जेब में बजा।

फोन की आवाज़ से अनन्या थोड़ा हिलने-डुलने लगी। रिया ने फटाफट उसे पालने में लिटाया। दूरी बनाकर उसने फोन निकाला और देखा कि कॉल अर्जुन का था। राकेश ने कमरे के दरवाज़े से उत्सुकता से सब देखा, जानना चाहते हुए कि क्या हो रहा था।

“हाय, जान। तू कैसा है?” रिया ने अपने पति से प्यार भरे लहजे में बात शुरू की। राकेश आसानी से समझ गया कि वो किससे बात कर रही थी। वो अपनी सेक्सी प्रेमिका को देखता रहा, जो बातचीत में हामी भर रही थी।

“हम्म, मैंने अभी अनन्या को खाना खिलाया। हम अब सोने जा रहे थे… ओह? सॉरी, जान, उसे फोन पर नहीं ला सकती, वो अभी सो गई है। उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं,” रिया ने बात जारी रखी।

तभी उसकी भूरी आँखें चौड़ी हो गईं, जैसे उसे कोई अच्छी खबर मिली हो। उसने राकेश की ओर देखा, जो अब और उत्सुक हो गया था।

“सचमुच? ओह, ये तो बुरा हुआ, अर्जुन,” रिया ने अपने पति से कहा। “तो तू कब आएगा घर?” राकेश के बूढ़े कान खड़े हो गए। “कल शाम तक?” रिया ने ज़ोर से दोहराया, ये सुनिश्चित करते हुए कि राकेश सुन ले, और उसने एक शरारती मुस्कान दी। राकेश का चेहरा कान से कान तक मुस्कान से भर गया, जब उसने सारा माजरा समझ लिया।

“कैसी जॉब है जो तुझे इतना सताती है? तू तो पूरा थक गया होगा, दिन-रात बिना फ्रेश हुए। ओह, ऑफिस में शॉवर है? ठीक है, फिर तो थोड़ा ठीक है। मैं तो इतने लंबे वक्त तक काम करने की सोच भी नहीं सकती, उफ्फ…” रिया ने बातचीत जारी रखी। राकेश हमेशा हैरान होता था कि रिया कितनी आसानी से अर्जुन की प्यार करने वाली बीवी का रोल निभा लेती थी। उसकी ये चालाकी उसे गज़ब का इम्प्रेस करती थी।

कुछ मिनट और बात करने के बाद, उनकी बात खत्म हुई। “ठीक है, जान। अनन्या और मैं कल तुझे देखेंगे। हां, मैं आपके डैड को बता दूंगी। ठीक है, बाय-बाय, लव यू,” रिया ने फोन रखते हुए कहा।

फोन साइड में रखकर, रिया ने अपने गुप्त प्रेमी की ओर देखा और एक जानबूझकर की मुस्कान दी। “अर्जुन कल शाम तक नहीं आएगा,” उसने साफ तौर पर कहा।

“हां, सुना मैंने। कितना बुरा हुआ,” राकेश ने मज़ाकिया तंज कसते हुए जवाब दिया। “लगता है उसकी बीवी को आज रात बेड में किसी की कंपनी चाहिए। इतनी हसीन औरत को अकेले सोना तो अच्छा नहीं लगेगा।”

दोनों गंदी मुस्कानें बांटने से खुद को रोक न सके, उनकी आँखें उत्तेजना से चमक रही थीं।

“हम्म, आपको अपनी प्यारी बेटी की मां के साथ बेड शेयर करने में कोई दिक्कत तो नहीं?” राकेश ने नटखट अंदाज़ में पूछा।

“हम्म, कितने charming हैं आप,” रिया ने मज़ाक में कहा, उसकी आँखें ऊपर की ओर गईं, फिर एक मज़ेदार मुस्कान के साथ हामी भरी।

“तो फिर बात पक्की,” राकेश ने कहा, लेकिन रिया के कमरे में जाने से पहले, वो गलियारे में अपने कमरे की ओर भागा और दरवाज़ा बंद किया, ताकि उनकी गुनाह भरी हरकतों के सबूत छुप जाएं।

रिया के कमरे में लौटकर, राकेश ने चुपके से दरवाज़ा बंद किया और लॉक कर लिया। जैसे ही उसकी नज़र बेड की ओर गई, उसने अपनी हसीन रिया को बेड के बाईं ओर, अपनी तय जगह पर, चढ़ने की तैयारी करते देखा। राकेश की नज़र पकड़कर, उसने एक कामुक मुस्कान दी, उसे अपने पास बुलाते हुए।

“किसका इंतज़ार कर रहे हैं, जी?” रिया ने मज़ाक में पूछा, जैसे वो क्वीन-साइज़ बेड के गद्दे पर सेटल हो रही थी। राकेश ने सिर झटककर ध्यान दिया और हामी में सिर हिलाया। उसे थोड़ा गिल्ट महसूस हुआ, क्योंकि वो अर्जुन की जगह ले रहा था। वो अपने बेटे की सारी वैवाहिक ज़िम्मेदारियां निभा रहा था। लेकिन एक मर्द के तौर पर, राकेश समझता था कि एक जवान, हसीन, और ज़रूरतमंद बीवी की ज़िम्मेदारियां न निभाने का क्या अंजाम होता है।

राकेश ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए, अपना बेडौल, बूढ़ा शरीर दिखाते हुए। लेकिन रिया चौंक गई जब उसने देखा कि वो सारे कपड़े उतार रहा था।

“उह, राकेश जी? उम्मीद है आप आज रात और कुछ नहीं सोच रहे, क्योंकि मैं बहुत थक गई हूं,” रिया ने सख्ती से अपने ससुर से कहा। “हम बस एक बेड पर सो रहे हैं। और मेरी शादी की पवित्रता के लिए, अपने इस अफेयर को मेरे वैवाहिक बेड से दूर रखें, ठीक है?”

उसकी भूरी आँखें राकेश के लगभग नंगे शरीर पर ऊपर-नीचे गईं। वो ये नकार नहीं सकती थी कि उसका आकर्षण उसकी बेडौल शक्ल के बावजूद था। इस ठरकी बूढ़े का उसे रोज़ चोदना उसे अजीब तरह से उत्तेजित करता था। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र उसके भारी, लटकते लंड और गोटियों पर पड़ी, वो उसकी सबसे आकर्षक चीज़ थी।

“उफ्फ, राकेश जी! कम से कम अंडरवियर तो पहन लीजिए!” रिया ने डांटते हुए कहा।

“हाहा, सॉरी, रानी। भूल गई? मैं हमेशा नंगा सोता हूं,” राकेश ने मज़ाक में जवाब दिया।

“हां, ठीक है,” रिया ने हार मानते हुए सांस ली, उसकी नज़र राकेश के मोटे लंड से हट नहीं रही थी। “बस बेड में आ जाइए,” उसने बेपरवाह दिखने की कोशिश में कहा।

राकेश ने हामी भरी और बेड पर चढ़ गया, गद्दा उसकी तरफ झुक गया। चादर को अपने नंगे शरीर पर खींचकर, वो रिया की ओर मुड़ा, उसकी नज़र उसकी नेचुरल खूबसूरती पर टिक गई। उसके काले, चमकीले बाल उसके चेहरे पर बेतरतीब ढंग से बिखरे थे, जैसे वो अपने फोन में स्क्रॉल कर रही थी।


राकेश की टकटकी को भांपते हुए, रिया ने फोन साइड में रखा और बोली, “क्या बात है, जी?”

राकेश ने उसे चिढ़ाते हुए जवाब दिया, “यहां आ और मुझे एक प्यारा सा गुडनाइट किस दे, रानी।” रिया ने आँखें ऊपर की ओर घुमाईं और हल्के से सिर हिलाकर हंसी, फिर झुककर अपने रसीले होंठों को उसके होंठों से मिला दिया। लेकिन जो एक साधारण चुम्मा शुरू हुआ, वो जल्दी ही और गहरा हो गया। उनकी जीभें एक-दूसरे से लिपट गईं, और दोनों अपनी वासना में खो गए, एक-दूसरे को कसकर गले लगाते हुए।

“उम्म… सॉरी, राकेश जी। अभी नहीं कर सकते। मैं थक गई हूं और थोड़ा दर्द भी हो रहा है,” रिया ने माफी मांगते हुए अपने होंठ राकेश से अलग किए। राकेश ने थोड़ा बड़बड़ाया, लेकिन समझदारी में सिर हिलाया।

“हाहा, कोशिश तो बनती थी,” उसने मज़ाक में कहा। “गुडनाइट, रिया।”

“हम्म, गुडनाइट, राकेश जी,” रिया ने जवाब दिया और पीछे हाथ बढ़ाकर बेडसाइड लैंप बंद कर दिया, जिससे वैवाहिक बेडरूम में गहरा, कामुक अंधेरा छा गया।

कुछ अनजान वक्त बाद, जब दोनों गहरी नींद में थे, रिया अचानक राकेश के भारी पेट को अपनी पीठ पर महसूस करके जागी। उसकी मज़बूत बांहें उसके जिस्म को जकड़े थीं, और उसका सख्त लंड उसकी गोल-मटोल गांड के बीच में फंसा था।

धीरे-धीरे नींद से बाहर आते हुए, उसने फुसफुसाकर पूछा, “राकेश जी? आप जाग रहे हैं?” उसकी आवाज़ नींद में डूबी थी।

राकेश ने बस हम्म की आवाज़ निकाली और धीरे से बोला, “हां।” रिया सिसक उठी जब उसने महसूस किया कि वो हल्के-हल्के उसकी गांड पर रगड़ रहा था। जल्दी से फोन पर टाइम चेक किया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं—रात के करीब तीन बज रहे थे।

“उफ्फ, राकेश जी… इतनी रात हो गई। रुक जाइए… आह…” उसने कमज़ोर आवाज़ में कहा। लेकिन उसकी बातों के बावजूद, राकेश की ठरकी रगड़ ने रिया की चूत में आग सी जला दी।

“हम्म, नहीं,” राकेश ने साफ कहा। “मैं तुझ पर बहुत गर्म हो रहा हूं, रिया। मुझे लगता है हमने काफी आराम कर लिया। अब तेरी इस टाइट चूत को फिर से चोदने का टाइम है,” उसने धीमी, ठरकी आवाज़ में कहा।

रिया चौंक पड़ी जब उसने उसकी गांड पर एक ज़ोरदार धक्का महसूस किया। “आह, राकेश जी!” उसने धीरे से सिसकते हुए कहा। एक तीखी सिसकी उसके होंठों से निकली जब राकेश ने अपने बड़े हाथों को उसकी चूचियों पर ले जाकर उन्हें मसलना शुरू किया।

“आ, चल चुदाई करें, रिया… मुझे पता है तू भी चाहती है…” राकेश ने ज़िद की। रिया ने होंठ काटा, उसके सख्त लंड का दबाव उसे महसूस हो रहा था।

“नहीं, राकेश जी, हम यहां नहीं कर सकते। ये मेरा वैवाहिक बेड है, भगवान के लिए,” रिया ने विरोध किया, उसके बूढ़े हाथों को अपनी नरम चूचियों से हटाने की कोशिश करते हुए। “और अनन्या का क्या? वो कमरे में सो रही है!”

“हम्म, तो हमें चुपके से करना होगा,” राकेश ने हंसते हुए कहा। “पर सोच, इस बेड में बच्चा बनाने में कितना मज़ा आएगा? ये तो सबसे नेचुरल जगह है,” उस ठरकी बूढ़े ने तर्क दिया। रिया का पेट उत्तेजना से फड़फड़ाया, और उसकी चूत गीली हो गई जब राकेश की नाजायज़ बात ने उसके जिस्म में सनसनी दौड़ा दी।

“राकेश जी, बस करो। ऐसा मत करो,” रिया ने अपने ससुर को रोकने की कोशिश की।

“आ, रिया। मुझे पता है तुझे ये आइडिया पसंद है। महसूस कर, तेरा जिस्म गर्म हो रहा है, और तेरी चूत अब तक गीली हो चुकी होगी। चल, मेरी जान, इस बड़े से बेड में चुदाई करें। मेरा बेड तो इसके सामने कुछ भी नहीं। अनन्या को भाई-बहन दें, इन चादरों को गंदा करें…” राकेश ने उसे ललचाते हुए कहा, उसका लंड उसकी गांड पर ज़ोर से धड़क रहा था और उसके बड़े हाथ उसकी चूचियों को कुर्ती के ऊपर से मसल रहे थे।

“हाय… आह… तुझे बुरा लगे, राकेश जी…” रिया सिसकते हुए बोली। उसकी चूत में आग लग रही थी, ये सोचकर कि अपने गुप्त प्रेमी के साथ अपने पति के बेड में बच्चा बनाए। ये वो जगह थी जो उसने अपने लिए संभालकर रखी थी, अपने इस गुनाह भरे रिश्ते से दूर। लेकिन उसकी नटखट इच्छाएं अब इस आखिरी पवित्र जगह को भी भ्रष्ट करना चाहती थीं।

“हाहा, खुशी से,” राकेश ने मज़ाक में जवाब दिया। “तो, क्या कहती है? करें?”

“उफ्फ… यकीन नहीं होता मैं ये कर रही हूं…” रिया ने बड़बड़ाया। “ठीक है, राकेश जी। लेकिन आपको वादा करना होगा कि बाद में साफ करने में मेरी मदद करेंगे। हम यहां बहुत गंदगी करने वाले हैं।”

“हाहा, बिल्कुल, मेरी जान,” राकेश ने खुशी से हामी भरी। वक्त ज़ाया न करते हुए, उसने अपना बायां हाथ रिया की कॉटन पजामी की ओर बढ़ाया और उसे नीचे खींच लिया। रिया ने साथ दिया, अपने ससुर की मदद करते हुए पजामी को अपनी लंबी टांगों से नीचे सरकाया। जब वो पैरों तक पहुंची, रिया ने उसे कंबल के नीचे कहीं लात मार दी।

राकेश ने उसकी कुर्ती का किनारा पकड़ा और उसे सिर के ऊपर से खींचकर अंधेरे में कहीं फेंक दिया। बिना पल गंवाए, उसने अपने हाथों को उसकी नरम, उछालदार चूचियों पर फिर से ले जाकर ज़ोर से मसला। रिया को छूते हुए, राकेश की आँखें चौड़ी हो गईं जब उसे एहसास हुआ कि उसने न ब्रा पहनी थी, न पैंटी।

“ओह? बिना कुछ पहने सो रही थी, रानी?” राकेश ने उसके कान में नटखट अंदाज़ में फुसफुसाया।

“हम्म?” रिया ने सोचते हुए एक पल रुका, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, “हां, शायद…” उसे एहसास हुआ कि उसने शायद अनजाने में ही ऐसा किया था।

पीछे हाथ ले जाकर, रिया ने राकेश के लंड को ढूंढा, और जब मिला, तो उसने नटखट अंदाज़ में अपने दांत चाटे। अपनी पतली उंगलियों से उसके मोटे लंड को पकड़कर, उसने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। राकेश ने कराहते हुए उसकी भारी चूचियों को और ज़ोर से मसला, जिससे रिया के गले से नरम सिसकियां निकलीं। राकेश को उसकी अंगूठीको अपने धड़कते लंड पर रगड़ता महसूस हुआ, जिससे उसे एक ठरकी गर्व महसूस हुआ।

रिया की चूत गीली हो गई, राकेश के लंड की गर्मी और सख्ती को अपनी हथेली में महसूस करके। उसका टपकता प्रीकम उसके लंड के टिप से बह रहा था, जिससे उसका सहलाना आसान हो गया। “हम्म, इसे मेरे अंदर डाल दो, राकेश जी। मुझे ऐसे ही चोदो…” राकेश ने उसके कान में हुक्म दिया। रिया ने एक गंदी हंसी छेड़ी, और अपने हाथ को छोड़कर उस पर थूक लिया। फिर से उसके लंड को पकड़कर, उसने अपनी लार को उस पर मला, उसे और चिकना कर दिया। हालांकि ये ज़रूरी नहीं था, क्योंकि रिया पहले से ही इतनी गीली थी, फिर भी उसने ये मज़े और उत्तेजना के लिए किया।

फिर, अपनी बाईं टांग को हल्का सा उठाकर, रिया ने राकेश के लंड को अपनी टपकती चूत पर सेट किया और उसे अपनी फांकों के पार सरकाया। दोनों ने मज़े से सिसकियां भरीं, जैसे उनकी सेक्स फिर से जुड़ गई। राकेश ने अपना चेहरा उसकी लंबी, नंगी गर्दन में दबाया और उसकी महकती त्वचा को सूंघने और चाटने लगा, अपने कूल्हों को और जोश के साथ उसमें पेलते हुए।

गुप्त प्रेमी चुपके से सिसक रहे थे, कंबल के नीचे, बेडरूम के अंधेरे में spoon चुदाई करते हुए, ताकि उनकी बेटी को नींद में खलल न पड़े। जल्दी ही उनके जिस्म गर्म हो गए, उनकी चमड़ी पसीने से चिपचिपी हो गई।

“आह… हां… और गहरा, राकेश जी… ऐसे ही चोदते रहिए… मुझे अपने पेट में महसूस हो रहा है…” रिया ने ज़रूरत भरी सिसकी के साथ कहा, अपने होंठ के कोने को काटते हुए। राकेश का जिस्म उसकी कर्व्स के साथ परफेक्टली फिट हो रहा था, और उसका लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर सरक रहा था, जिससे उसका खून उत्तेजना से उबलने लगा।

“उफ्फ… हां… ले, रानी… कितना naughty है कि तू अपने ससुर से अपने पति के बेड में पेट से होने की कोशिश कर रही है?” राकेश ने भूखी आवाज़ में कहा, उसका लंड रिया की गीली गहराई में और गहरा पेलते हुए।

“हां, ये बहुत गंदा है, डैडी जी। मैं इंतज़ार नहीं कर सकती कि आप मुझे अपने बेटे की जगह इस बेड में पेट से करें। कितना बुरा है कि अर्जुन को अपनी बीवी की ज़रूरतों की परवाह नहीं। अच्छा है कि मेरे पास एक असली मर्द है जो उसकी ड्यूटी निभाए…” रिया ने अपनी कामुक इच्छाएं उड़ेल दीं।

“हाहा, उसका नुकसान। लगता है उसके बूढ़े बाप को उसकी कमी पूरी करनी पड़ेगी, है ना?” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में कहा, रिया की शादीशुदा चूत में गहरे, धीमे धक्के मारते हुए, जिससे उसका जिस्म हर धक्के के साथ हिल रहा था।

“हम्म, हां, डैडी जी! शुक्र है मेरे पास घर में एक असली मर्द है जो मेरी ज़रूरतों का ख्याल रखता है। आह, आप मुझे अर्जुन से कहीं बेहतर चोदते हैं,” रिया ने थोड़ा ज़ोर से सिसकते हुए कहा, जैसे राकेश का लंड उसकी गीली चूत में आसानी से सरक रहा था।

कंबल की गर्मी से दोनों पसीने से तर-बतर थे। राकेश ने कंबल को उनके गर्म जिस्मों से हटा दिया, जिससे कमरे की ठंडी हवा उनकी चिपचिपी चमड़ी को सहलाने लगी। रिया के घुटने के पीछे पकड़कर, उसने उसकी टांग को और ऊपर उठाया।

“बोलती रह, रानी। मुझे वो सुनाओ जो मैं सुनना चाहता हूं,” राकेश ने हुक्म दिया, अपनी पसीने से तर गाल को रिया की गाल पर टिकाते हुए।

रिया उसकी मर्दाना ताकत से सिसक उठी। “हम्म, आप अपने बेटे से कहीं बेहतर चोदते हैं, डैडी जी। आप अर्जुन से कहीं ज़्यादा बड़े हैं और ज़्यादा देर टिकते हैं… काश मेरा पति अपने बाप जैसा स्टड होता,” उसने अपनी गंदी बातों में डूबते हुए कहा। “हाय, मुझे आपकी ताकत बहुत पसंद है, डैडी जी। मैं इंतज़ार नहीं कर सकती कि आप मेरे पेट में एक और हेल्दी बच्चा डाल दें, मेरे हंग ब्रीडिंग बुल!”

राकेश का बूढ़ा दिल उसकी तारीफों से विजयी ढंग से धड़क उठा। “shit, ये तो गज़ब है, रानी। मैं तेरी इस चूत को तब तक चोदता रहूंगा जब तक मैं मर नहीं जाता! तू सिर्फ मेरे बच्चे पैदा करेगी! दूसरा बच्चा होने के बाद, मैं जल्दी ही एक और चाहता हूं,” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में कहा, उसकी गाल को चाटते हुए। रिया ने हैरानी और मज़े में सिसकी, अपनी बांह उसके गले के चारों ओर लपेटते हुए।

“हम्म, हां? ये तो बहुत गंदा है, डैडी जी,” रिया ने नटखट अंदाज़ में कहा। “अगर अर्जुन को पता चल गया तो?”

“ह्म्म! उसे कभी नहीं पता चलेगा, हम अपना ये छोटा सा राज़ कितनी अच्छी तरह छुपाते हैं,” राकेश ने कॉन्फिडेंटली जवाब दिया, अपने लंड को रिया की टाइट चूत में और तेज़ी से पेलते हुए। “और मेरा बेटा थोड़ा भोला भी है, हाहा!” रिया ने बस ठरकी हंसी हंसी। “अर्जुन को खुश होना चाहिए कि उसका बाप मेहनत करके उसे और भाई-बहन दे रहा है!”

“ये तो बहुत गलत है, राकेश जी,” रिया ने मज़ाक में डांटते हुए, शरारती मुस्कान के साथ कहा।

“और तुझे ये पसंद है!” राकेश ने टिप्पणी की।

रिया ने अपनी भूरी आँखें घुमाईं और सिर घुमाकर फुसफुसाया, “चूम लीजिए, डैडी जी…” राकेश ने खुशी से हामी भरी, झुककर अपने होंठों को उसके होंठों से मिला लिया।

उनकी जीभें उलझीं, जैसे वो एक-दूसरे के साथ चुदाई कर रहे थे, और उनकी भारी सांसों और गीली चमड़ी की टकराहट की आवाज़ें अंधेरे बेडरूम में गूंज रही थीं। धीरे-धीरे राकेश का टेम्पो और तेज़ हो गया, जब तक वो पूरी रफ्तार से चुदाई नहीं करने लगे। लेकिन जितना ज़ोर से वो चोद रहे थे, रिया और राकेश ने अपनी आवाज़ों को दबाने की पूरी कोशिश की, हालांकि बीच-बीच में ज़ोरदार सिसकियां निकल ही जाती थीं।

शुक्र था, उनकी वासना भरी आवाज़ें उनके जुड़े होंठों से कुछ हद तक दब रही थीं। कुछ देर तक spoon चुदाई के बाद, रिया और राकेश ने पोज़ीशन बदली, और वो अब उसे रिवर्स काउगर्ल में चढ़ रही थी।

राकेश ने अपने माथे का पसीना पोंछा, उसकी बूढ़ी आँखें रिया की गज़ब की गांड पर टिकी थीं, जो उसके लंड पर ऊपर-नीचे उछल रही थी, अपने कूल्हों को कुशलता से घुमाते हुए। रिया ने आगे झुककर उसकी बालों वाली टांगों को पकड़ा और उसके मोटे लंड पर सवार हो गई।

“आह, हम्म, मज़ा आ रहा है… मेरी सवारी कैसी लग रही है, डैडी जी?” रिया ने फुसफुसाते हुए पूछा, सिर घुमाकर अपने बूढ़े प्रेमी की ओर देखते हुए, उसकी सांसें भारी और गर्म थीं।

“उफ्फ! हां, रानी, ऐसे ही चलती रह! अपने कूल्हों को ऐसे ही हिलाती रह,” राकेश ने सिसकते हुए कहा, उसकी परफेक्ट गांड को पकड़कर उसे सवारी में मदद करने लगा।

बेड रिदम में चरमराने और उछलने लगा, जैसे रिया अपनी चुदाई जारी रखे हुए थी। अपनी गांड को राकेश के पेल्विस पर ज़ोर से टिकाकर, उसने अपने कूल्हों को गोल-गोल घुमाया, उसके लंड के चारों ओर कामुक चक्कर लगाते हुए। रिया की भूरी आँखें पीछे की ओर मुड़ गईं, जैसे उसका मोटा लंड उसकी चूत को सही जगहों पर खींच रहा था।

“आह! Shit!” रिया ने वासना भरी चीख मारी, जैसे वो अपने चरम पर पहुंची, लेकिन जल्दी से अपना मुंह ढक लिया, डरते हुए कि कहीं वो ज़्यादा ज़ोर से न हो जाए। उसकी गांड राकेश पर कांप रही थी, जैसे वो अपने तीव्र ऑर्गेज़म से थरथरा रही थी। उसकी दबी हुई सिसकियां सुनाई दे रही थीं, जैसे वो अपने मुंह को बंद रखने की जद्दोजहद कर रही थी।

उसी वक्त, राकेश भी एक ज़ोरदार सिसकी छोड़ने से खुद को रोक न सका, हालांकि रिया से थोड़ा कम। “उफ्फ… इतनी टाइट… shit…” उसने कराहते हुए कहा, उसका सिर तकिए पर गिर गया। रिया की गीली दीवारें उसके लंड को कसकर जकड़ रही थीं, उसकी मलाई को निचोड़ने की कोशिश में। उसका रस उसके लंड पर बह रहा था, उनके सेक्स के जंक्शन से टपकता हुआ, और उसकी भारी गोटियों पर बहकर नीचे चादर पर गिर रहा था। राकेश ने अपने पैरों की उंगलियां सिकोड़ लीं और ज़ोर से सिसका, जल्दी मलाई न छोड़ने की कोशिश में।

“आह… ये तो गज़ब था, डैडी जी…” रिया ने राहत की सांस लेते हुए कहा, जैसे उसका ऑर्गेज़म शांत हुआ।

“Shit, ये तो करीब था,” राकेश ने कहा। “तू मुझे जल्दी फोड़ने की कोशिश कर रही है क्या?”

रिया ने एक जानबूझकर की मुस्कान दी। “हम्म, शायद…”

दोनों गुप्त प्रेमी फिर डॉगी स्टाइल और कई और कामुक पोज़ीशन्स में शिफ्ट हो गए। अंधेरे बेडरूम में वो एक-दूसरे को मुश्किल से देख पा रहे थे, लेकिन उनकी इतनी सारी चुदाईयों ने उनकी सेक्सुअल सिनर्जी को इतना परफेक्ट कर दिया था कि देखने की ज़रूरत ही नहीं थी; वो जानते थे कि दूसरा क्या चाहता है।

रिया ने अपने तकिए को कसकर पकड़ा, उसकी लंबी टांगें हवा में लटक रही थीं, जैसे वो पीठ के बल थी और राकेश का भारी-भरकम जिस्म उसके ऊपर मंडरा रहा था। वो एक-दूसरे के चेहरों पर गर्म, भाप भरी सांसें छोड़ रहे थे, जिससे वो और उत्तेजित हो रहे थे।

बेड राकेश के धक्कों के रिदम में चरमराने लगा, जैसे वो रिया की टपकती चूत में पेल रहा था। “आह आह आह… हां, वही… हम्म, वही, डैडी जी…” रिया धीरे से सिसक रही थी। उनकी चुदाई को और नाजायज़ बनाने के लिए उसने कहा, “मेरे अंदर बच्चा डाल दो, राकेश जी… प्लीज़, मुझे दो, डैडी जी… अनन्या को भाई-बहन दो… हम्म, और अर्जुन को।” ये कहते हुए उसकी होंठों पर एक शरारती मुस्कान थी।

“करो, अर्जुन के डैडी… अनन्या के डैडी… हमारे नए बच्चे के डैडी… मेरे डैडी जी…” रिया ने उकसाते हुए कहा। राकेश बस भारी सांसें ले रहा था, अपनी सारी ताकत अपनी बेटे की हसीन बीवी को चोदने में लगा रहा था।

“करो, डैडी जी, मुझे फिर से पेट से कर दो। अपने इस मोटे, रसीले लंड से मुझे पेट से करो…” रिया ने अपनी बातों को धीमा और कामुक बनाते हुए कहा, उसकी आवाज़ थोड़ी ऊंची हो रही थी।

राकेश ने पीछे झुककर रिया की टांगों को अपने चौड़े कंधों पर उठा लिया। “ओह?!” रिया ने उसकी मर्दाना ताकत पर मज़े में सिसकी। राकेश ने उसकी नरम टांगों को चाटा और चूमा, फिर उसकी गांड को गद्दे से आसानी से उठा लिया।

फिर वो अपने कूल्हों को तेज़ी और सटीकता के साथ आगे-पीछे करने लगा, उसकी टांगों को अपने जिस्म से कसकर पकड़े हुए। रिया की गोल चूचियां उसके धक्कों के साथ लय में हिल रही थीं, जो राकेश के लिए एक मज़ेदार नज़ारा था। रिया की आँखें पीछे की ओर मुड़ गईं, जैसे उसकी ज़ोरदार सिसकियां उसके होंठों से बह रही थीं। चुप रहने की उसकी इच्छा राकेश के जोशीले धक्कों के साथ हवा हो गई। भले ही उसे अपनी बेटी को जगाने का डर था, रिया ने सोचा कि अनन्या को अपनी मम्मी की हरकतों को थोड़ा बर्दाश्त करना होगा।

शुक्र था, रिया और राकेश की चुदाई की रिदमिक आवाज़ें उनकी सोती हुई बेटी को परेशान नहीं कर रही थीं, जैसे वो अपने नए भाई-बहन के लिए चीयर कर रही हो।

“आह! हां हां हां!” रिया ने तकिए को ज़ोर से पकड़ते हुए चीख मारी। राकेश का गोल टिप बार-बार उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था, जिससे दोनों का ऑर्गेज़म तेज़ी से करीब आ रहा था।

राकेश की सांसें और भारी हो गईं, ये संकेत देते हुए कि वो अपनी मलाई छोड़ने वाला था। “मैं अब फटने वाला हूं, रिया! तैयार हो जा!” उसने ज़ोर से कहा, आखिरी ज़ोरदार धक्के मारते हुए।

“हां! मुझे पेट से कर दो! मुझे फिर से पेट से कर दो, राकेश जी!” रिया ने मिन्नत की। एक आखिरी ज़ोरदार धक्के के साथ, राकेश ने अपने लंड को उसकी फर्टाइल गहराई में गहरे तक पेल दिया और राहत में चिल्लाया, अपनी भारी मलाई को रिया की बच्चेदानी में उड़ेल दिया।

रिया कांप उठी और सिसकियां भरी, जैसे उसका ऑर्गेज़म उसे चीर रहा हो। उसकी चूत ने राकेश के धड़कते लंड को कसकर जकड़ लिया, उसकी हर बूंद को निचोड़ते हुए। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, और उसकी टांगें राकेश के खिलाफ थरथराने लगीं, जैसे उसे बैलेंस खोने का डर हो। लेकिन मज़बूत मर्द होने के नाते, राकेश ने उसे पकड़ रखा, जिससे वो अपने ऑर्गेज़म का पूरा मज़ा ले सके।

“आह… हाय राम…” रिया ने मज़े में बड़बड़ाया, जैसे उसकी बच्चेदानी उसकी मलाई से लबालब भर रही थी। राकेश ने अपनी हर बूंद को रिया के अंदर डालने पर फोकस किया, धीमे-धीमे धक्के मारकर अपनी मलाई को और गहरा धकेलते हुए। धीरे-धीरे उसकी गांड को गद्दे पर वापस लाकर, उसने उसकी लंबी टांगों को अपने कंधों से उतारा और अपनी बहू के बगल में ढेर हो गया। दोनों हांफ रहे थे, अपनी वासना भरी बच्चा बनाने की हरकत का मज़ा लेते हुए।

“उफ्फ… वाह… ये तो कुछ और ही था, रिया, है ना?” राकेश ने भारी सांस छोड़ते हुए कहा।

“हां… बिल्कुल…” रिया ने राहत की सांस के साथ सहमति दी।

धीरे-धीरे उनकी उंगलियां आपस में उलझीं, और वो अपनी चुदाई के मज़े पर हंसने लगे। रिया को मानना पड़ा कि बच्चा बनाने की कोशिश में चुदाई का मज़ा कुछ और ही था। लेकिन इस नाजायज़ बच्चा बनाने की हरकत ने सारी हदें पार कर दीं। उसने पहले कभी इतना रोमांचक कुछ नहीं किया था।

“बस थोड़ा वक्त दे, रानी, फिर हम दोबारा शुरू करेंगे,” राकेश ने अपनी प्रेमिका से पक्के तौर पर कहा, जिससे रिया का खून उत्तेजना से उबलने लगा।

उनके इस कामुक पल को अचानक अनन्या की पालने से एक रोने की आवाज़ ने तोड़ दिया। “अरे, नहीं!” रिया ने सिसकते हुए कहा, जल्दी से बेड से उतरकर अपनी बेटी की ओर दौड़ी।

अनन्या को गोद में उठाकर, रिया ने उसे सीने से लगाया और धीरे-धीरे हिलाकर चुप कराने लगी। “शश… ठीक है, अनन्या। वापस सो जा। सॉरी, मम्मी और डैडी ज़्यादा शोर कर रहे थे,” उसने प्यार से फुसफुसाया। थोड़ी देर में अनन्या शांत होकर फिर से सो गई। रिया उसे पालने में लिटाकर यह सुनिश्चित करती रही कि वो गहरी नींद में है। तभी उसे अपनी नंगी पीठ पर एक गर्म, चौड़ा जिस्म महसूस हुआ।

“वो ठीक है?” राकेश ने सावधानी से फुसफुसाया, उसकी सांसें अभी भी थोड़ी भारी थीं।

“हम्म, हम बहुत ज़ोर से शोर कर रहे थे। इसीलिए मुझे अनन्या के सामने ये करना पसंद नहीं,” रिया ने झुंझलाहट के साथ जवाब दिया, उसकी चिंता साफ थी। “इसलिए तो हम हमेशा दूसरे कमरे में करते हैं, जी।”

“हाहा, उसे भाई-बहन देना कोई चुपके का काम नहीं है, रानी,” राकेश ने मज़ाक में जवाब दिया। रिया ने सिसकी और खिलखिलाकर राकेश के कंधे पर हल्का सा थप्पड़ मारा। राकेश ने हंसते हुए अपनी बेटी और उसकी मम्मी को पीछे से गले लगाया।

“वैसे, शोर तो ज़्यादातर तू कर रही थी। मुझ पर गुस्सा मत हो,” राकेश ने धीरे से कहा, अपनी ठुड्डी रिया के कंधे पर टिकाते हुए। रिया का मुंह हैरानी से खुल गया, लेकिन वो चुप रही, क्योंकि वो जानती थी कि वो सही था।

“पर मुझे एक अच्छा तरीका पता है इसे ठीक करने का,” राकेश ने सुझाव दिया।

“हां? और वो तरीका क्या है?” रिया ने उत्सुकता से पूछा, एक मज़ेदार मुस्कान के साथ।

राकेश ने अंधेरे में हल्का सा सिर हिलाया। “अनन्या को लिटा और मैं तुझे दिखाता हूं,” उसने हुक्म दिया। रिया ने सावधानी से होंठ सिकोड़े और अनन्या को पालने में लिटा दिया। मुड़कर, वो राकेश के पास गई और उसकी बालों वाली छाती पर हाथ रखा। “तो?”

राकेश ने अपने बड़े हाथों को उसकी कर्वी कमर पर रखा और उसे तब तक पीछे खींचा जब तक वो बेड के किनारे पर नहीं पहुंच गए। बेड के किनारे पर बैठकर, उसने रिया को अपने घुटनों पर खींच लिया। “मेरे लंड को अपने मुंह में ले, इससे तू चुप रहेगी। तो शुरू हो जा, रानी,” राकेश ने धीमी, दबंग आवाज़ में हुक्म दिया, अपनी बालों वाली टांगें अपनी हसीन प्रेमिका के लिए फैलाते हुए। रिया का दिल धड़क उठा, जैसे वो उसके नीचे घुटनों पर बैठ गई। उसकी बातें इतनी नीचा दिखाने वाली थीं, लेकिन उसे उसकी ठरकी मांगों का बेबस ऑब्जेक्ट बनना पसंद था।

अपनी चौड़ी कमर को अपनी एड़ियों पर टिकाकर, रिया ने राकेश के लंड का आधार पकड़ा और उसे अपने रसीले होंठों पर हल्के-हल्के मारना शुरू किया। उसकी आँखें राकेश की ओर उठीं, जहां खिड़की से आती चांदनी ने उसे हल्का सा रोशन किया, जिससे उसका चेहरा अंधेरे कमरे में साफ दिख रहा था। उसके उभरे हुए पेट को देखते हुए, रिया ने देखा कि राकेश के होंठ उत्तेजना से चमक रहे थे।

उसका लंड उसकी हथेली में धड़क रहा था, जैसे वो फिर से सख्त होकर उसके गीले गले में घुसने को तैयार था। अपनी जीभ को होंठों से बाहर निकालकर, रिया ने उसकी लटकती गोटियों को लपेट लिया और अपनी लार से उन्हें भिगो दिया। राकेश ने उसकी गीली जीभ की गर्मी से मज़े में कराहा, जो उसकी बड़ी गोटियों के साथ खेल रही थी।

रिया ने अपनी लार भरी जीभ को उसकी गोटियों से उसके नसों भरे लंड के नीचे तक खींचा, जब तक वो उसके टपकते टिप तक नहीं पहुंची। उसने उसके नमकीन स्वाद का मज़ा लिया, जैसे वो उसके गहरे छेद से सीधे उसका रस चाट रही थी। फिर, एक स्मूथ मोशन में, रिया ने अपने नरम होंठों को उसके लंड के टिप पर लपेटा और उसकी पूरी लंबाई को अपने मुंह और गले में उतार लिया। राकेश की बूढ़ी आँखें परम आनंद में पीछे मुड़ गईं, जैसे वो अपने हाथों पर पीछे टिक गया।

“उफ्फ… हाय राम…” राकेश ने एक लंबी सिसकी छोड़ी, जैसे उसका पूरा लंड रिया की गीली गर्मी में लिपट गया। रिया ने मज़े में हम्म की, ये देखकर कि वो अपने सांड को कितना मज़ा दे रही थी।

अपना सिर पीछे खींचकर, उसने राकेश को गीला, लापरवाह ब्लोजॉब देना शुरू किया। चूसने, चटकने और ग्लक-ग्लक की आवाज़ें अंधेरे कमरे में गूंजने लगीं। रिया ने अपने चमकीले काले बालों को दाहिने कान के पीछे टक किया, जैसे वो और तेज़ी से चूसने लगी। जैसे ही उसका लंड उसके गले में अंदर-बाहर सरक रहा था, रिया की चूत गीली हो गई, उसका रस और राकेश की मलाई का मिश्रण नीचे कारपेट पर टपक रहा था, उसे दागदार करते हुए।

“गाह! ओह, हां, रानी! वही!” राकेश ने ज़ोरदार मज़े में कराहा, थोड़ा ज़ोर से।

रिया ने एक पल के लिए उसका लंड अपने मुंह से निकाला और बोली, “लगता है आप मुझसे ज़्यादा शोर कर रहे हैं, राकेश जी।” राकेश ने आँखें घुमाईं और हंसा। लेकिन मज़े को जारी रखने के लिए, उसने रिया का सिर पकड़ा और उसे फिर से अपने लंड पर खींच लिया।

रिया और राकेश ने सिसकियां भरीं, और उसके गीले ब्लोजॉब की आवाज़ें उनके कानों में गूंज रही थीं। रिया का मुंह और ठुड्डी उसकी गाढ़ी लार से भीग गए, जो उसकी जांघों पर टपक रही थी। राकेश को मज़ा आ रहा था कि उसके बेटे की सेक्सी बीवी उसके लंड को चूस रही थी। ये एक मर्द के लिए सबसे मर्दाना अनुभव था, खासकर क्योंकि वो औरत शादीशुदा थी।

राकेश ने सिसकते हुए बेडशीट को ज़ोर से पकड़ा, जैसे रिया उसके मोटे लंड को गहरे तक चूस रही थी। रिया तो लंड चूसने की उस्ताद थी! उसने अपने सिर को गोल-गोल घुमाते हुए और तेज़ी से चूसना शुरू किया। राकेश पसीने की बूंदों से तर हो रहा था। जैसे वो उसकी आत्मा को चूस रही हो!

“उफ्फ! मैं फटने वाला हूं!” राकेश ने जल्दी से कहा, चुप रहने की कोशिश करते हुए।

रिया ने उसका लंड अपने गीले गले से निकाला, जिससे उसकी लार की लंबी डोरियां उसके होंठों और राकेश के धड़कते लंड के टिप के बीच तन गईं। “हां? मेरे लिए फोड़ दोगे, डैडी जी?” उसने पूछा। राकेश ने बस कराहते हुए जवाब दिया। अपने बाएं हाथ को उसके गीले लंड पर और दाएं हाथ को उसकी गोटियों पर लपेटकर, रिया ने उत्साह से उसे सहलाना और मसलना शुरू किया।

“मेरे लिए फोड़ दो, डैडी जी। मैं चाहती हूं कि आप मेरे चेहरे और मुंह पर अपनी मलाई डाल दो। मुझे आपकी मज़ेदार मलाई चखनी है और निगलना है,” रिया ने ज़रूरत भरे अंदाज़ में मिन्नत की, उसका हाथ उसके लंड पर ट्विस्टिंग मोशन में चल रहा था, जिससे राकेश का सिर पीछे गिर गया, मज़े में डूबते हुए।

रिया को अपने ससुर को अपनी नाजुक उंगलियों के सामने झुकते देख मज़ा आ रहा था। इससे उसे ताकत और उत्तेजना महसूस हो रही थी। होंठ काटते हुए, उसने उसकी गोटियों को ज़ोर से दबाया, जिससे राकेश से भारी कराह निकली। उसे महसूस हो रहा था कि वो गर्म, मज़ेदार मलाई से लबालब था।

चीज़ों को और मज़ेदार बनाने के लिए, रिया ने अपने मुंह से उसकी लटकती गोटियों को ढूंढा, उन्हें अपने नरम होंठों में लपेट लिया और उत्साह से चूसने लगी, जबकि उसका लंड अभी भी सहला रही थी। “ओह! रिया! उफ्फ!” राकेश ने चिल्लाया। उसकी सांसें और भारी हो गईं, जैसे रिया के दिए मज़े ने उसके होश उड़ा दिए। रिया ने सिसकते हुए मुस्कुराया, ये महसूस करके कि वो फटने की कगार पर था।

“गाह! ले, रंडी! मुंह खोल! मैं तेरे इस प्यारे से मुंह में फटने वाला हूं!” राकेश ने ऐलान किया। रिया ने आज्ञाकारी ढंग से उसकी गोटियों को अपने मुंह से छोड़ा और उसके लंड को अपने खुले होंठों के सामने सेट किया।

“आह्ह,” उसने उत्साह से हम्म किया, अपनी जीभ को बाहर निकालकर एक कामुक कप की शक्ल दी। उसका हाथ उसके सख्त लंड पर तेज़ी से ऊपर-नीचे सरक रहा था, उसकी पतली उंगलियां उसे और किनारे तक ले जा रही थीं। राकेश की धुंधली आँखें उसके मंगलसूत्र की चमक पर टिक गईं, जो उसके लंड पर रगड़ रहा था, जिससे उसे मर्दाना गर्व महसूस हुआ।

बस कुछ और स्ट्रोक्स में, राकेश ने एक आखिरी कराहते हुए गुर्राहट भरी और अपनी चिपचिपी मलाई की भारी मात्रा को रिया की जीभ और होंठों के बनाए कामुक कप में उड़ेल दिया।

रिया ने झटके से पलकें झपकाईं, जैसे उसकी गर्म मलाई उसके छेद से फूटी, जिससे पहली मोटी रस्सियां निशाने से चूककर उसके हसीन चेहरे पर जा गिरीं। जल्दी से उसके लंड के टिप को ठीक करके, रिया ने बाकी मलाई को अपने खुले मुंह में ले लिया।

हसीन रिया ने सिसकियां भरी, जैसे राकेश की नमकीन, कड़वी मलाई उसकी जीभ के स्वाद को भर रही थी। “आह, shit! ले, रानी… इस मलाई को ले… हम्म, shit…” राकेश ने बड़बड़ाया, जैसे वो अपनी मलाई की एक-एक रस्सी उड़ेल रहा था।

जब वो आखिरकार अपने चरम से उतरा, रिया का चेहरा उसकी मोटी, सफेद मलाई से सजा हुआ था, और उसका मुंह मलाई के कांपते तालाब से भरा था। रिया ने परम मज़े में हम्म की। उसे हमेशा राकेश की मलाई अपने चेहरे पर लेना मज़ेदार लगता था; इसमें कुछ इतना कामुक था कि वो बयान नहीं कर सकती थी। रिया हमेशा हैरान होती थी कि राकेश अपनी उम्र में इतना फोड़ सकता था। वो इतना मर्दाना था कि लगभग अवास्तविक था।

रिया को नीचे देखते हुए, राकेश के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, जैसे वो अपने बेटे की बीवी को अपनी मलाई से सजा हुआ देख रहा था। “वाह… तू सचमुच एक मर्द को खुश करना जानती है, रानी,” राकेश ने तारीफ की, एक भारी सांस छोड़ते हुए।

मुस्कुराते हुए, रिया ने अपनी जीभ को वापस होंठों के पीछे लिया और मुंह बंद करके उसकी भारी मलाई को एक बार में निगल लिया। “आह्ह,” उसने हम्म किया, अपना अब खाली मुंह दिखाते हुए। “Shit, इसका स्वाद तो गज़ब था… थैंक यू, डैडी जी,” उसने नटखट अंदाज़ में कहा, अपने चेहरे से उसकी मोटी मलाई को उंगलियों से खींचकर अपनी गीली जीभ पर ले जाकर मज़े से चाट लिया।

राकेश अपनी प्रेमिका से नज़रें नहीं हटा सका। चांदनी में नहाई रिया की त्वचा लगभग जादुई लग रही थी, एक ऐसी आकर्षक चमक बिखेरते हुए जो बर्दाश्त से बाहर थी। अपना चेहरा साफ करने के बाद, वो धीरे से खड़ी हुई और अपनी बांहें राकेश के चौड़े गले के चारों ओर लपेट दीं। आगे झुककर उसने उसके होंठों पर एक हल्का सा चुम्मा लिया; उसके होंठों के किनारे अभी भी उसकी मलाई से हल्के से सजे थे।

“हम्म, और करना है? या अब बस?” रिया ने कामुक अंदाज़ में पूछा, खुद को राकेश की गोद में सेट करते हुए।

“हाहा, मैं तो पूरी रात चला सकता हूं, रानी,” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में जवाब दिया।

“हम्म, अच्छा… फिर बेड पर वापस जाओ और मेरे लिए खुद को गर्म करो, मैं अभी फ्रेश होकर आती हूं,” रिया ने मज़े से कहा। फिर उसके कान के पास जाकर फुसफुसाई, “मैं चाहती हूं कि रात खत्म होने से पहले आप मुझे पेट से कर दें…” राकेश ने बस धीरे से सिर हिलाया, उसकी कामुक आवाज़ में मंत्रमुग्ध होकर।

रिया राकेश की गोद से उतरी और नटखट अंदाज़ में बाथरूम में गायब हो गई, अपने बूढ़े प्रेमी को पूरी तरह अपनी हसीनियत में जकड़कर।

कार पोरच में पार्क करके, अर्जुन अपनी स्विफ्ट से उतरा। उसने अपनी गर्दन के पीछे दर्द भरे अंदाज़ में मसाज की, ऑफिस में अपने डिज़ाइन के एक ज़रूरी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए दो दिन तक लगातार काम करने के बाद। भले ही ये तनाव भरा था, उसे लगता था कि ये सब मेहनत के लायक था। काम से थोड़ा ब्रेक मिलने की राहत में, अर्जुन अपनी हसीन बीवी रिया और बेटी अनन्या से मिलने को बेताब था। लेकिन उसे थोड़ी चिंता सता रही थी कि रिया ने घर लौटते वक्त उसके कॉल्स का जवाब नहीं दिया। सुबह कुछ मैसेजेस का आदान-प्रदान हुआ था, लेकिन उसके बाद से उसकी तरफ से कोई खबर नहीं थी।

घर में दाखिल होते ही, अर्जुन को लगा कि माहौल अजीब सा खामोश और खाली था। उसने पहले किचन और ड्रॉइंग रूम चेक किया, जहां उसे आमतौर पर अपनी बीवी या बाप मिलते थे, लेकिन हैरानी की बात थी कि कोई वहां नहीं था। अर्जुन ने नीचे के सारे कमरे चेक किए, लेकिन कोई नहीं मिला। उसने सोचा कि शायद वो ऊपर होंगे, तो वो सीढ़ियां चढ़कर अपनी फैमिली को ढूंढने लगा।

पहली मंजिल भी उतनी ही खामोश और खाली लग रही थी, जिससे अर्जुन और कन्फ्यूज़ हो गया। “ये क्या माजरा है? हम्म, शायद अपने कमरों में हों…” उसने खुद से बड़बड़ाया।

गलियारे में आगे बढ़ते हुए, अर्जुन ने देखा कि राकेश का दरवाज़ा बंद था। उसने सोचा कि उसके बाप शायद सो रहे होंगे या कुछ और, जिससे उसे थोड़ा सुकून मिला। तो वो मास्टर बेडरूम की ओर बढ़ा, लेकिन हैरानी की बात थी कि वो खुला हुआ था।

अंदर कदम रखते ही, अर्जुन को लगा कि कमरा खाली और ताज़ा साफ किया हुआ था, नई चादरों और अगरबत्ती की खुशबू हवा में तैर रही थी। तभी उसका ध्यान अनन्या की ओर गया, जो अपनी पालने में हल्की-हल्की आवाज़ें निकाल रही थी। खुशी से उसके पास जाकर, अर्जुन ने अपना बैग नीचे रखा और अपनी बेटी को गोद में उठाया, प्यार से उसके माथे पर चूमा।

“तू यहां अकेले क्यों है, मेरी जान? मम्मी और दादाजी कहां हैं?” अर्जुन ने प्यार भरे लहजे में पूछा। अनन्या ने बस और बच्चा जैसी आवाज़ें निकालीं।

अर्जुन के कान खड़े हो गए जब गलियारे से अचानक एक ज़ोरदार, दबी हुई आवाज़ आई। उत्सुकता से सिर टेढ़ा करके, वो अनन्या को गोद में लिए गलियारे में निकला। एक और दबी हुई आवाज़ गूंजी, और इस बार अर्जुन समझ गया कि ये राकेश के कमरे से आ रही थी। भौंहें सिकोड़ते हुए, वो सावधानी से अपने बाप के कमरे की ओर बढ़ा।

जैसे-जैसे वो नज़दीक पहुंचा, उसे रिया की फुसफुसाती आवाज़ सुनाई दी। “रिया?” उसने सोचा, हैरान कि वो राकेश के कमरे में क्या कर रही थी। दरवाज़े के सामने खड़े होकर, अर्जुन ने सावधानी से कान दरवाज़े पर लगाया और ध्यान से सुना।

उसने अंदर बेड के चरमराने की रहस्यमयी आवाज़ें सुनीं, साथ ही रिया और राकेश के बीच कुछ समझ न आने वाली बातें हो रही थीं। “ये क्या…” अर्जुन ने खुद से बड़बड़ाया, एक अजीब सी चिंता उसे कुरेदने लगी, जैसे वो समझने की कोशिश कर रहा था कि दरवाज़े के पीछे क्या हो रहा था।

वो और ध्यान से सुनने लगा। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था, उन अजीब भावनाओं को समझने की कोशिश में जो उसके अंदर उमड़ रही थीं। तभी रिया की हल्की सी आवाज़, “राकेश जी…” अंदर से आई, और अर्जुन बिना सोचे-समझे हरकत में आया। उसने दरवाज़े का हैंडल पकड़ा, उसे घुमाया और दरवाज़ा खोलकर देखने लगा कि अंदर क्या हो रहा था।

उसकी आँखें चौड़ी हो गईं जब उसने देखा कि रिया और राकेश बेड के दो अलग-अलग साइड्स पर खड़े होकर नई चादरें बिछा रहे थे। रिया ने टाइट सलवार-कमीज़ पहनी थी, उसके चमकीले काले बाल एक नीले फूलों वाले हेयरबैंड में बंधे थे, जबकि राकेश अपनी पुरानी बनियान और हाफ पैंट में था।

अर्जुन को एक राहत की लहर महसूस हुई, जो कुछ पल पहले की अजीब भावनाओं को धो डाली। राकेश ने पहले अर्जुन को देखा, क्योंकि वो दरवाज़े की ओर मुंह करके खड़ा था।

“अरे! बेटा, काम कैसा रहा?” राकेश ने ज़ोर से कहा, अपनी चादर का कोना छोड़ते हुए, जो गलती से रिया की साइड पर उछल गया।

“उफ्फ, राकेश जी!” रिया ने झुंझलाहट में कहा, उसकी आवाज़ चादर के नीचे दब गई, जो उसके चेहरे पर आ गिरी। चादर से खुद को आज़ाद करके, वो मुड़ी और अपने पति को देखकर गर्मजोशी से मुस्कुराई। “अरे, हाय जान,” उसने खुशी से कहा और अर्जुन के गाल पर एक चुम्मा लिया। फिर उसने ध्यान अनन्या की ओर किया, उसकी कनपटी को प्यार से सहलाते हुए।

“हाय, सब लोग,” अर्जुन ने जवाब दिया, उसकी उत्सुकता पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। “तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो? और रिया, तूने मेरे कॉल्स का जवाब क्यों नहीं दिया?” उसने पूछा।

उसकी हसीन बीवी ने शर्मिंदगी से अपनी गर्दन के पीछे रगड़ा। “हां, सही बात है… जैसा तू देख रहा है, मैं बस राकेश जी के कमरे की सफाई में मदद कर रही थी। हम नई चादरें बिछा रहे थे, क्योंकि ये महाशय रात को बहुत पसीना बहाते हैं,” उसने अर्जुन के बाप की ओर इशारा करते हुए समझाया, जो कंधे उचकाकर हंसा।

“और कॉल्स का जवाब न देने की बात…” रिया ने ठुड्डी रगड़ते हुए सोचते हुए कहा। “मैं सफाई और घर के कामों में बिज़ी थी। मेरा फोन मेरे पास नहीं था। सॉरी, जान, अगर मुझे पता होता तो जवाब देती।” अर्जुन ने धीरे से सिर हिलाया, राहत की लहर महसूस करते हुए। उसकी हर बात पूरी तरह तार्किक और विश्वसनीय लग रही थी। उसने खुद को अंदर ही अंदर डांटा कि उसने ऐसी अजीब भावनाओं को मन में जगह दी।

“हम्म, ठीक है… मैं तुम दोनों को अपना काम खत्म करने देता हूं। मैं जाकर नहा लेता हूं। सॉरी, बीच में टोकने के लिए,” अर्जुन ने थोड़ा अजीब अंदाज़ में कहा। रिया ने प्यार से उसके गाल पर हाथ रखा और एक और चुम्मा दिया।

“कोई बात नहीं, जान। मैं यहां काम खत्म करके तेरे लिए कुछ मज़ेदार डिनर बनाऊंगी,” उसने अपने पति को भरोसा दिलाया, उसकी मुस्कान गर्म और सुकून देने वाली थी। अर्जुन ने शुक्रिया अदा करते हुए सिर हिलाया।

“वो तो अच्छा लगता है,” उसने जवाब दिया। “ठीक है, मैं तुम दोनों को छोड़ता हूं।” अनन्या को गोद में लिए, उसने दरवाज़ा सावधानी से बंद किया और अपने और रिया के बेडरूम की ओर बढ़ गया।

जैसे ही अर्जुन के कदमों की आवाज़ दूर हो गई, रिया और राकेश एक-दूसरे की ओर मुड़े, उनके चेहरों पर शरारती मुस्कान थी। “हाहा, अर्जुन तो सचमुच भोला है, है ना?” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में कहा। रिया ने अपनी भूरी आँखें घुमाईं, लगभग निराशा से सिर हिलाते हुए।

“चुप करो और इन चादरों को ठीक करने में मदद करो, राकेश जी,” उसने नटखट अंदाज़ में जवाब दिया। राकेश ने हंसते हुए चादर फिर से पकड़ी और अपनी गुप्त प्रेमिका के साथ बेड ठीक करने में जुट गया।
Wowww very very erotic update. Arjun's arrival was a big surprise.
 
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Itni
Update 3

रिया को सुकून मिला जब उसने देखा कि अनन्या अभी भी गहरी नींद में थी। चुपके से वो अपने बेडरूम के अटैच्ड बाथरूम में चली गई। शीशे के सामने खड़े होते ही उसकी भूरी आँखें फैल गईं, जब उसने अपनी हालत देखी: उसके चमकीले काले बाल पसीने से चिपके और बिखरे हुए थे, और उसका शरीर पसीने से चिपचिपा था। राकेश के साथ उसकी गर्मागर्म मुलाकात के बाद उसकी गर्दन पर कई छोटे-छोटे नीले निशान दिख रहे थे, जिसे देखकर वो झुंझला गई।

“उफ्फ, राकेश जी…” उसने गुस्से में बड़बड़ाया। आँखें घुमाकर उसने फैसला किया कि उसे शॉवर की सख्त ज़रूरत थी। और शायद आज दिन भर में और भी कई शॉवर लेने पड़ें, क्योंकि राकेश के साथ और naughty मुलाकातें तो तय थीं।

अपनी नज़र अपने पेट पर ले जाकर, रिया ने अपनी क्रॉप टॉप धीरे से उठाई, जिससे उसका फ्लैट, टोन्ड पेट नज़र आया। उसका दिल धड़क उठा, जब उसने सोचा कि शायद राकेश का एक और बच्चा उसके अंदर पहले से ही पनप रहा हो। जल्दी ही उसका पेट फूलने लगेगा, जैसे उसके और राकेश के जीन मिलकर एक नया बच्चा बनाएंगे।

अपनी सांसों में राकेश के लंड की महक महसूस करके, रिया ने ब्रश उठाया और अपने दांत साफ किए। जैसे ही वो अपनी सांस ताज़ा कर रही थी, उसे बेडरूम से एक दबी हुई आवाज़ सुनाई दी। बाथरूम से बाहर निकलते ही, रिया का दिल पिघल गया जब उसने देखा कि राकेश, अपनी पुरानी गंदी बनियान और ढीले शॉर्ट्स में, अनन्या को गोद में लिए उसे प्यार से चहका रहा था।

रिया बाथरूम के दरवाजे पर टिककर, गर्व भरी मुस्कान के साथ अपने इस छोटे से गुप्त परिवार को देखने लगी। राकेश का अनन्या के साथ खेलना देखकर उसका दिल गर्मजोशी और प्यार से भर गया।

रिया की नज़रों को भांपते हुए, राकेश ने अनन्या के माथे पर एक प्यार भरा चुम्मा दिया और अपनी प्रेमिका की ओर बढ़ा। “तुझे पता है, मैं हमेशा से एक बेटी चाहता था,” उसने गर्मजोशी से कहा। “मुझे खुशी है कि हमने अनन्या को इस दुनिया में लाया। वो तो बस लाजवाब है!”

रिया का दिल भर आया, और वो मुस्कुराए बिना न रह सकी। “हम्म, मैं भी बहुत खुश हूं। वो हमारी किस्मत है,” उसने खुशी से जवाब दिया, और राकेश को साइड से गले लगाया। उसने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया, और दोनों अपनी बेटी को प्यार से देखने लगे। भले ही अनन्या का जन्म एक गुनाह भरे रिश्ते से हुआ था, वो उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी नेमत थी, और उनका प्यार उसके लिए सच्चा था।

एक-दूसरे की ओर मुड़कर, रिया और राकेश ने एक प्यार भरा चुम्मा लिया, उनका रिश्ता और गहरा हो गया। जैसे ही उनके होंठ अलग हुए, राकेश ने नटखट अंदाज़ में कहा, “हम्म, अब वो शॉवर वाला ऑफर क्या था?”

“हम्म, बिल्कुल। तो चलो, शुरू करें?” रिया ने मज़े से गुनगुनाया। फिर उसके कान के पास झुककर फुसफुसाई, “डैडी जी…” जैसे ही वो बाथरूम की ओर बढ़ी, राकेश को फिर से जोश चढ़ गया, अपनी रानी को फिर से चोदने की उत्तेजना से भरा हुआ।

शॉवर की आवाज़ सुनकर, राकेश ने जल्दी लेकिन सावधानी से अनन्या को पालने में लिटाया और तेज़ी से बाथरूम की ओर भागा। वो अपने कपड़े उतारते हुए गया, उन्हें बेतरतीब ढंग से फेंकते हुए, अपनी हसीन प्रेमिका का पीछा करते हुए। उसकी बूढ़ी आँखें उत्तेजना से चमक उठीं जब उसने शॉवर के भाप भरे शीशे के पीछे रिया की सेक्सी सिल्हूट देखी।

शॉवर का दरवाज़ा खोलकर, ये भारी-भरकम बूढ़ा अंदर घुस गया। खिलखिलाहट और हल्की-फुल्की चहकने की आवाज़ें सुनाई दीं, जो शॉवरहेड से तेज़ी से गिरते पानी की आवाज़ में दब गईं। धीरे-धीरे ये आवाज़ें थम गईं, और उनकी जगह कामुक सिसकियों और गीली चमड़ी के टकराने की आवाज़ों ने ले ली, जो बाथरूम की नम हवा में गूंजने लगीं।

पूरा दिन रिया और राकेश ने ऐसे चुदाई की जैसे उनकी ज़िंदगी दांव पर हो। बेशक, वो बीच-बीच में अनन्या की ज़रूरतों का ख्याल रखने के लिए रुकते थे। लेकिन जैसे ही उनकी बेटी फिर से सो जाती या उसका पेट भर जाता, वो राकेश के कमरे में अपनी गंदी चुदाई फिर से शुरू कर देते। रिया की चूत राकेश की मोटी मलाई से लबालब भर गई थी। उसे यकीन था कि अगर वो अभी तक पेट से नहीं हुई, तो दिन खत्म होने से पहले ज़रूर हो जाएगी।

शाम ढलते-ढलते, रिया, राकेश और उनकी नन्ही अनन्या डाइनिंग टेबल पर एक साथ खाना खा रहे थे। राकेश ने अपने बेटे की बीवी के हाथ का लज़ीज़ खाना खाया—आलू मटर की सब्ज़ी, गरमा-गरम रोटियां और मसालेदार चटनी—जो उसे ताकत दे रही थी। रिया प्यार से अनन्या को खाना खिला रही थी। उनकी ये छोटी सी फैमिली एक गर्मजोशी भरा माहौल बना रही थी, जो रिया को अर्जुन की अनगिनत लेट नाइट्स की जॉब के बीच बहुत सुकून देता था।

“हाय राम! ये खाना तो कमाल है, रिया! तू तो मेरी बीवी से भी ज़्यादा मस्त खाना बनाती है! अरे, तू मेरी ज़िंदगी में पहले कहां थी, रानी?” राकेश ने मुंह में खाना ठूंसते हुए तारीफ की।

रिया ने राकेश की ओर देखा और हल्के से डांटते हुए कहा, “ज़ुबान संभालिए, राकेश जी, बच्ची है कमरे में। लेकिन थैंक यू। कम से कम कोई तो मेरी मेहनत देखता है।” राकेश ने उसकी अपने गैरहाज़िर पति पर तंज को सुनकर हंसी छेड़ दी और खाने का मज़ा लेने लगा।

अपनी प्लेट से नज़र उठाकर, राकेश ने टेबल के उस पार रिया और अनन्या को गौर से देखा। उसकी झुर्रियों भरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, उसे एहसास हो रहा था कि ऐसी हसीन औरत के साथ बच्चा पैदा करना कितना बड़ा सौभाग्य था। वो सोच में पड़ गया कि ऐसी औरत सालों पहले उसकी ज़िंदगी में क्यों नहीं थी—शायद अब तक उसका बड़ा, खुशहाल परिवार होता। फिर भी, उसने खुद को तसल्ली दी कि देर आए, दुरुस्त आए। अभी भी वक्त था अपने बड़े परिवार के सपने को सच करने का।

खाना खत्म करके, राकेश ने रिया के साथ बर्तन साफ करने में मदद की, फिर दोनों ऊपर सोने की तैयारी करने लगे। दिन भर की ताबड़तोड़ चुदाई से वो थक चुके थे, तो उन्होंने और naughty हरकतें न करने का फैसला किया। गलियारे में साथ-साथ चलते हुए, राकेश ने अपनी बेटी और उसकी मम्मी को उनके कमरे तक छोड़ा।

“हम्म, गुडनाइट, राकेश जी,” रिया ने गर्मजोशी भरी मुस्कान के साथ कहा। राकेश ने भी प्यार भरी मुस्कान लौटाई, और झुककर रिया के होंठों पर एक नरम चुम्मा लिया, फिर अनन्या के माथे पर प्यार से चूमा।

“गुडनाइट, मेरी जानें। सुबह मिलते हैं,” राकेश ने खुशी से जवाब दिया, अपने कमरे की ओर मुड़ते हुए। लेकिन गलियारे में अपने खुले दरवाज़े की ओर देखकर वो रुक गया। दिन भर की चुदाई से कमरे की चादरें गीली और गंदी थीं, और उसे वहां सोने का मन नहीं था। वो इतना थका था कि चादरें बदलने की हिम्मत नहीं थी। साथ ही, वो अपनी हसीन प्रेमिका और बेटी के साथ सोना चाहता था।

“क्या हुआ, राकेश जी?” रिया ने चिंता भरे लहजे में पूछा।

“उह, मेरा कमरा… थोड़ा गंदा है…” राकेश ने शर्मिंदगी से अपनी गर्दन खुजलाते हुए कहा। रिया ने अपनी भूरी आँखें घुमाईं और सांस ली।

“हां, कल मुझे याद दिलाइएगा, साफ कर देंगे,” उसने थोड़े तनाव और थकान भरे लहजे में जवाब दिया। लेकिन दिन भर की नटखट हरकतों की यादें अभी भी ताज़ा थीं, और वो खुद को गर्म महसूस करने से रोक न सकी। “अगर आपका कमरा गंदा है, तो रात कहां सोएंगे?” उसने उत्सुकता से पूछा। राकेश ने नर्वस हंसी हंसी।

“हाहा, मैं सोच रहा था… क्या मैं आज रात तेरे बेड पर सो सकता हूं?” उसने ज़िद भरे अंदाज़ में पूछा। रिया ने भौंहें चढ़ाईं, उसके चेहरे पर हैरानी और उत्सुकता का मिश्रण था।

राकेश की बात पर गौर करके, रिया ने जवाब दिया, “मुझे नहीं लगता ये ठीक रहेगा, जी। अर्जुन सुबह जल्दी घर आने वाला है। ये थोड़ा risky हो सकता है। हम नहीं चाहेंगे कि आपका बेटा अपने बाप को अपनी बीवी के साथ एक बेड पर सोते हुए पकड़े, है ना? हमारा ये ‘छोटा सा’ राज़ अभी तक छुपा है। आखिरी चीज़ जो हमें चाहिए वो है शक पैदा करना।” रिया और राकेश का ‘छोटा सा’ राज़ तो बिल्कुल कम करके बोला गया था।

राकेश ने सिर झुकाकर हामी भरी, जोखिम को अच्छे से समझते हुए। लेकिन वो अपनी बेटी की मां के साथ रात बिताने की इच्छा को नकार नहीं सका। हैरानी की बात थी कि, उनके इस नाजायज़ रिश्ते के बावजूद, वो ज़्यादातर अर्जुन और रिया के वैवाहिक बेड से अपने गुनाह को दूर रखने में कामयाब रहे थे, सिवाय कुछ रेयर मौकों के। तो राकेश के लिए रिया के साथ वहां करना हमेशा एक ट्रीट था।

“उफ्फ, लगता है आज रात सोफे पर ही गुज़ारा करना पड़ेगा,” राकेश ने नकली हार मानते हुए बड़बड़ाया। रिया बस एक सहानुभूति भरी मुस्कान दे सकी, जानते हुए कि ये सबसे सही था। लेकिन जैसे ही वो आखिरी गुडनाइट बोलने वाला था, रिया का फोन उसकी जेब में बजा।

फोन की आवाज़ से अनन्या थोड़ा हिलने-डुलने लगी। रिया ने फटाफट उसे पालने में लिटाया। दूरी बनाकर उसने फोन निकाला और देखा कि कॉल अर्जुन का था। राकेश ने कमरे के दरवाज़े से उत्सुकता से सब देखा, जानना चाहते हुए कि क्या हो रहा था।

“हाय, जान। तू कैसा है?” रिया ने अपने पति से प्यार भरे लहजे में बात शुरू की। राकेश आसानी से समझ गया कि वो किससे बात कर रही थी। वो अपनी सेक्सी प्रेमिका को देखता रहा, जो बातचीत में हामी भर रही थी।

“हम्म, मैंने अभी अनन्या को खाना खिलाया। हम अब सोने जा रहे थे… ओह? सॉरी, जान, उसे फोन पर नहीं ला सकती, वो अभी सो गई है। उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं,” रिया ने बात जारी रखी।

तभी उसकी भूरी आँखें चौड़ी हो गईं, जैसे उसे कोई अच्छी खबर मिली हो। उसने राकेश की ओर देखा, जो अब और उत्सुक हो गया था।

“सचमुच? ओह, ये तो बुरा हुआ, अर्जुन,” रिया ने अपने पति से कहा। “तो तू कब आएगा घर?” राकेश के बूढ़े कान खड़े हो गए। “कल शाम तक?” रिया ने ज़ोर से दोहराया, ये सुनिश्चित करते हुए कि राकेश सुन ले, और उसने एक शरारती मुस्कान दी। राकेश का चेहरा कान से कान तक मुस्कान से भर गया, जब उसने सारा माजरा समझ लिया।

“कैसी जॉब है जो तुझे इतना सताती है? तू तो पूरा थक गया होगा, दिन-रात बिना फ्रेश हुए। ओह, ऑफिस में शॉवर है? ठीक है, फिर तो थोड़ा ठीक है। मैं तो इतने लंबे वक्त तक काम करने की सोच भी नहीं सकती, उफ्फ…” रिया ने बातचीत जारी रखी। राकेश हमेशा हैरान होता था कि रिया कितनी आसानी से अर्जुन की प्यार करने वाली बीवी का रोल निभा लेती थी। उसकी ये चालाकी उसे गज़ब का इम्प्रेस करती थी।

कुछ मिनट और बात करने के बाद, उनकी बात खत्म हुई। “ठीक है, जान। अनन्या और मैं कल तुझे देखेंगे। हां, मैं आपके डैड को बता दूंगी। ठीक है, बाय-बाय, लव यू,” रिया ने फोन रखते हुए कहा।

फोन साइड में रखकर, रिया ने अपने गुप्त प्रेमी की ओर देखा और एक जानबूझकर की मुस्कान दी। “अर्जुन कल शाम तक नहीं आएगा,” उसने साफ तौर पर कहा।

“हां, सुना मैंने। कितना बुरा हुआ,” राकेश ने मज़ाकिया तंज कसते हुए जवाब दिया। “लगता है उसकी बीवी को आज रात बेड में किसी की कंपनी चाहिए। इतनी हसीन औरत को अकेले सोना तो अच्छा नहीं लगेगा।”

दोनों गंदी मुस्कानें बांटने से खुद को रोक न सके, उनकी आँखें उत्तेजना से चमक रही थीं।

“हम्म, आपको अपनी प्यारी बेटी की मां के साथ बेड शेयर करने में कोई दिक्कत तो नहीं?” राकेश ने नटखट अंदाज़ में पूछा।

“हम्म, कितने charming हैं आप,” रिया ने मज़ाक में कहा, उसकी आँखें ऊपर की ओर गईं, फिर एक मज़ेदार मुस्कान के साथ हामी भरी।

“तो फिर बात पक्की,” राकेश ने कहा, लेकिन रिया के कमरे में जाने से पहले, वो गलियारे में अपने कमरे की ओर भागा और दरवाज़ा बंद किया, ताकि उनकी गुनाह भरी हरकतों के सबूत छुप जाएं।

रिया के कमरे में लौटकर, राकेश ने चुपके से दरवाज़ा बंद किया और लॉक कर लिया। जैसे ही उसकी नज़र बेड की ओर गई, उसने अपनी हसीन रिया को बेड के बाईं ओर, अपनी तय जगह पर, चढ़ने की तैयारी करते देखा। राकेश की नज़र पकड़कर, उसने एक कामुक मुस्कान दी, उसे अपने पास बुलाते हुए।

“किसका इंतज़ार कर रहे हैं, जी?” रिया ने मज़ाक में पूछा, जैसे वो क्वीन-साइज़ बेड के गद्दे पर सेटल हो रही थी। राकेश ने सिर झटककर ध्यान दिया और हामी में सिर हिलाया। उसे थोड़ा गिल्ट महसूस हुआ, क्योंकि वो अर्जुन की जगह ले रहा था। वो अपने बेटे की सारी वैवाहिक ज़िम्मेदारियां निभा रहा था। लेकिन एक मर्द के तौर पर, राकेश समझता था कि एक जवान, हसीन, और ज़रूरतमंद बीवी की ज़िम्मेदारियां न निभाने का क्या अंजाम होता है।

राकेश ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए, अपना बेडौल, बूढ़ा शरीर दिखाते हुए। लेकिन रिया चौंक गई जब उसने देखा कि वो सारे कपड़े उतार रहा था।

“उह, राकेश जी? उम्मीद है आप आज रात और कुछ नहीं सोच रहे, क्योंकि मैं बहुत थक गई हूं,” रिया ने सख्ती से अपने ससुर से कहा। “हम बस एक बेड पर सो रहे हैं। और मेरी शादी की पवित्रता के लिए, अपने इस अफेयर को मेरे वैवाहिक बेड से दूर रखें, ठीक है?”

उसकी भूरी आँखें राकेश के लगभग नंगे शरीर पर ऊपर-नीचे गईं। वो ये नकार नहीं सकती थी कि उसका आकर्षण उसकी बेडौल शक्ल के बावजूद था। इस ठरकी बूढ़े का उसे रोज़ चोदना उसे अजीब तरह से उत्तेजित करता था। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र उसके भारी, लटकते लंड और गोटियों पर पड़ी, वो उसकी सबसे आकर्षक चीज़ थी।

“उफ्फ, राकेश जी! कम से कम अंडरवियर तो पहन लीजिए!” रिया ने डांटते हुए कहा।

“हाहा, सॉरी, रानी। भूल गई? मैं हमेशा नंगा सोता हूं,” राकेश ने मज़ाक में जवाब दिया।

“हां, ठीक है,” रिया ने हार मानते हुए सांस ली, उसकी नज़र राकेश के मोटे लंड से हट नहीं रही थी। “बस बेड में आ जाइए,” उसने बेपरवाह दिखने की कोशिश में कहा।

राकेश ने हामी भरी और बेड पर चढ़ गया, गद्दा उसकी तरफ झुक गया। चादर को अपने नंगे शरीर पर खींचकर, वो रिया की ओर मुड़ा, उसकी नज़र उसकी नेचुरल खूबसूरती पर टिक गई। उसके काले, चमकीले बाल उसके चेहरे पर बेतरतीब ढंग से बिखरे थे, जैसे वो अपने फोन में स्क्रॉल कर रही थी।


राकेश की टकटकी को भांपते हुए, रिया ने फोन साइड में रखा और बोली, “क्या बात है, जी?”

राकेश ने उसे चिढ़ाते हुए जवाब दिया, “यहां आ और मुझे एक प्यारा सा गुडनाइट किस दे, रानी।” रिया ने आँखें ऊपर की ओर घुमाईं और हल्के से सिर हिलाकर हंसी, फिर झुककर अपने रसीले होंठों को उसके होंठों से मिला दिया। लेकिन जो एक साधारण चुम्मा शुरू हुआ, वो जल्दी ही और गहरा हो गया। उनकी जीभें एक-दूसरे से लिपट गईं, और दोनों अपनी वासना में खो गए, एक-दूसरे को कसकर गले लगाते हुए।

“उम्म… सॉरी, राकेश जी। अभी नहीं कर सकते। मैं थक गई हूं और थोड़ा दर्द भी हो रहा है,” रिया ने माफी मांगते हुए अपने होंठ राकेश से अलग किए। राकेश ने थोड़ा बड़बड़ाया, लेकिन समझदारी में सिर हिलाया।

“हाहा, कोशिश तो बनती थी,” उसने मज़ाक में कहा। “गुडनाइट, रिया।”

“हम्म, गुडनाइट, राकेश जी,” रिया ने जवाब दिया और पीछे हाथ बढ़ाकर बेडसाइड लैंप बंद कर दिया, जिससे वैवाहिक बेडरूम में गहरा, कामुक अंधेरा छा गया।

कुछ अनजान वक्त बाद, जब दोनों गहरी नींद में थे, रिया अचानक राकेश के भारी पेट को अपनी पीठ पर महसूस करके जागी। उसकी मज़बूत बांहें उसके जिस्म को जकड़े थीं, और उसका सख्त लंड उसकी गोल-मटोल गांड के बीच में फंसा था।

धीरे-धीरे नींद से बाहर आते हुए, उसने फुसफुसाकर पूछा, “राकेश जी? आप जाग रहे हैं?” उसकी आवाज़ नींद में डूबी थी।

राकेश ने बस हम्म की आवाज़ निकाली और धीरे से बोला, “हां।” रिया सिसक उठी जब उसने महसूस किया कि वो हल्के-हल्के उसकी गांड पर रगड़ रहा था। जल्दी से फोन पर टाइम चेक किया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं—रात के करीब तीन बज रहे थे।

“उफ्फ, राकेश जी… इतनी रात हो गई। रुक जाइए… आह…” उसने कमज़ोर आवाज़ में कहा। लेकिन उसकी बातों के बावजूद, राकेश की ठरकी रगड़ ने रिया की चूत में आग सी जला दी।

“हम्म, नहीं,” राकेश ने साफ कहा। “मैं तुझ पर बहुत गर्म हो रहा हूं, रिया। मुझे लगता है हमने काफी आराम कर लिया। अब तेरी इस टाइट चूत को फिर से चोदने का टाइम है,” उसने धीमी, ठरकी आवाज़ में कहा।

रिया चौंक पड़ी जब उसने उसकी गांड पर एक ज़ोरदार धक्का महसूस किया। “आह, राकेश जी!” उसने धीरे से सिसकते हुए कहा। एक तीखी सिसकी उसके होंठों से निकली जब राकेश ने अपने बड़े हाथों को उसकी चूचियों पर ले जाकर उन्हें मसलना शुरू किया।

“आ, चल चुदाई करें, रिया… मुझे पता है तू भी चाहती है…” राकेश ने ज़िद की। रिया ने होंठ काटा, उसके सख्त लंड का दबाव उसे महसूस हो रहा था।

“नहीं, राकेश जी, हम यहां नहीं कर सकते। ये मेरा वैवाहिक बेड है, भगवान के लिए,” रिया ने विरोध किया, उसके बूढ़े हाथों को अपनी नरम चूचियों से हटाने की कोशिश करते हुए। “और अनन्या का क्या? वो कमरे में सो रही है!”

“हम्म, तो हमें चुपके से करना होगा,” राकेश ने हंसते हुए कहा। “पर सोच, इस बेड में बच्चा बनाने में कितना मज़ा आएगा? ये तो सबसे नेचुरल जगह है,” उस ठरकी बूढ़े ने तर्क दिया। रिया का पेट उत्तेजना से फड़फड़ाया, और उसकी चूत गीली हो गई जब राकेश की नाजायज़ बात ने उसके जिस्म में सनसनी दौड़ा दी।

“राकेश जी, बस करो। ऐसा मत करो,” रिया ने अपने ससुर को रोकने की कोशिश की।

“आ, रिया। मुझे पता है तुझे ये आइडिया पसंद है। महसूस कर, तेरा जिस्म गर्म हो रहा है, और तेरी चूत अब तक गीली हो चुकी होगी। चल, मेरी जान, इस बड़े से बेड में चुदाई करें। मेरा बेड तो इसके सामने कुछ भी नहीं। अनन्या को भाई-बहन दें, इन चादरों को गंदा करें…” राकेश ने उसे ललचाते हुए कहा, उसका लंड उसकी गांड पर ज़ोर से धड़क रहा था और उसके बड़े हाथ उसकी चूचियों को कुर्ती के ऊपर से मसल रहे थे।

“हाय… आह… तुझे बुरा लगे, राकेश जी…” रिया सिसकते हुए बोली। उसकी चूत में आग लग रही थी, ये सोचकर कि अपने गुप्त प्रेमी के साथ अपने पति के बेड में बच्चा बनाए। ये वो जगह थी जो उसने अपने लिए संभालकर रखी थी, अपने इस गुनाह भरे रिश्ते से दूर। लेकिन उसकी नटखट इच्छाएं अब इस आखिरी पवित्र जगह को भी भ्रष्ट करना चाहती थीं।

“हाहा, खुशी से,” राकेश ने मज़ाक में जवाब दिया। “तो, क्या कहती है? करें?”

“उफ्फ… यकीन नहीं होता मैं ये कर रही हूं…” रिया ने बड़बड़ाया। “ठीक है, राकेश जी। लेकिन आपको वादा करना होगा कि बाद में साफ करने में मेरी मदद करेंगे। हम यहां बहुत गंदगी करने वाले हैं।”

“हाहा, बिल्कुल, मेरी जान,” राकेश ने खुशी से हामी भरी। वक्त ज़ाया न करते हुए, उसने अपना बायां हाथ रिया की कॉटन पजामी की ओर बढ़ाया और उसे नीचे खींच लिया। रिया ने साथ दिया, अपने ससुर की मदद करते हुए पजामी को अपनी लंबी टांगों से नीचे सरकाया। जब वो पैरों तक पहुंची, रिया ने उसे कंबल के नीचे कहीं लात मार दी।

राकेश ने उसकी कुर्ती का किनारा पकड़ा और उसे सिर के ऊपर से खींचकर अंधेरे में कहीं फेंक दिया। बिना पल गंवाए, उसने अपने हाथों को उसकी नरम, उछालदार चूचियों पर फिर से ले जाकर ज़ोर से मसला। रिया को छूते हुए, राकेश की आँखें चौड़ी हो गईं जब उसे एहसास हुआ कि उसने न ब्रा पहनी थी, न पैंटी।

“ओह? बिना कुछ पहने सो रही थी, रानी?” राकेश ने उसके कान में नटखट अंदाज़ में फुसफुसाया।

“हम्म?” रिया ने सोचते हुए एक पल रुका, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, “हां, शायद…” उसे एहसास हुआ कि उसने शायद अनजाने में ही ऐसा किया था।

पीछे हाथ ले जाकर, रिया ने राकेश के लंड को ढूंढा, और जब मिला, तो उसने नटखट अंदाज़ में अपने दांत चाटे। अपनी पतली उंगलियों से उसके मोटे लंड को पकड़कर, उसने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। राकेश ने कराहते हुए उसकी भारी चूचियों को और ज़ोर से मसला, जिससे रिया के गले से नरम सिसकियां निकलीं। राकेश को उसकी अंगूठीको अपने धड़कते लंड पर रगड़ता महसूस हुआ, जिससे उसे एक ठरकी गर्व महसूस हुआ।

रिया की चूत गीली हो गई, राकेश के लंड की गर्मी और सख्ती को अपनी हथेली में महसूस करके। उसका टपकता प्रीकम उसके लंड के टिप से बह रहा था, जिससे उसका सहलाना आसान हो गया। “हम्म, इसे मेरे अंदर डाल दो, राकेश जी। मुझे ऐसे ही चोदो…” राकेश ने उसके कान में हुक्म दिया। रिया ने एक गंदी हंसी छेड़ी, और अपने हाथ को छोड़कर उस पर थूक लिया। फिर से उसके लंड को पकड़कर, उसने अपनी लार को उस पर मला, उसे और चिकना कर दिया। हालांकि ये ज़रूरी नहीं था, क्योंकि रिया पहले से ही इतनी गीली थी, फिर भी उसने ये मज़े और उत्तेजना के लिए किया।

फिर, अपनी बाईं टांग को हल्का सा उठाकर, रिया ने राकेश के लंड को अपनी टपकती चूत पर सेट किया और उसे अपनी फांकों के पार सरकाया। दोनों ने मज़े से सिसकियां भरीं, जैसे उनकी सेक्स फिर से जुड़ गई। राकेश ने अपना चेहरा उसकी लंबी, नंगी गर्दन में दबाया और उसकी महकती त्वचा को सूंघने और चाटने लगा, अपने कूल्हों को और जोश के साथ उसमें पेलते हुए।

गुप्त प्रेमी चुपके से सिसक रहे थे, कंबल के नीचे, बेडरूम के अंधेरे में spoon चुदाई करते हुए, ताकि उनकी बेटी को नींद में खलल न पड़े। जल्दी ही उनके जिस्म गर्म हो गए, उनकी चमड़ी पसीने से चिपचिपी हो गई।

“आह… हां… और गहरा, राकेश जी… ऐसे ही चोदते रहिए… मुझे अपने पेट में महसूस हो रहा है…” रिया ने ज़रूरत भरी सिसकी के साथ कहा, अपने होंठ के कोने को काटते हुए। राकेश का जिस्म उसकी कर्व्स के साथ परफेक्टली फिट हो रहा था, और उसका लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर सरक रहा था, जिससे उसका खून उत्तेजना से उबलने लगा।

“उफ्फ… हां… ले, रानी… कितना naughty है कि तू अपने ससुर से अपने पति के बेड में पेट से होने की कोशिश कर रही है?” राकेश ने भूखी आवाज़ में कहा, उसका लंड रिया की गीली गहराई में और गहरा पेलते हुए।

“हां, ये बहुत गंदा है, डैडी जी। मैं इंतज़ार नहीं कर सकती कि आप मुझे अपने बेटे की जगह इस बेड में पेट से करें। कितना बुरा है कि अर्जुन को अपनी बीवी की ज़रूरतों की परवाह नहीं। अच्छा है कि मेरे पास एक असली मर्द है जो उसकी ड्यूटी निभाए…” रिया ने अपनी कामुक इच्छाएं उड़ेल दीं।

“हाहा, उसका नुकसान। लगता है उसके बूढ़े बाप को उसकी कमी पूरी करनी पड़ेगी, है ना?” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में कहा, रिया की शादीशुदा चूत में गहरे, धीमे धक्के मारते हुए, जिससे उसका जिस्म हर धक्के के साथ हिल रहा था।

“हम्म, हां, डैडी जी! शुक्र है मेरे पास घर में एक असली मर्द है जो मेरी ज़रूरतों का ख्याल रखता है। आह, आप मुझे अर्जुन से कहीं बेहतर चोदते हैं,” रिया ने थोड़ा ज़ोर से सिसकते हुए कहा, जैसे राकेश का लंड उसकी गीली चूत में आसानी से सरक रहा था।

कंबल की गर्मी से दोनों पसीने से तर-बतर थे। राकेश ने कंबल को उनके गर्म जिस्मों से हटा दिया, जिससे कमरे की ठंडी हवा उनकी चिपचिपी चमड़ी को सहलाने लगी। रिया के घुटने के पीछे पकड़कर, उसने उसकी टांग को और ऊपर उठाया।

“बोलती रह, रानी। मुझे वो सुनाओ जो मैं सुनना चाहता हूं,” राकेश ने हुक्म दिया, अपनी पसीने से तर गाल को रिया की गाल पर टिकाते हुए।

रिया उसकी मर्दाना ताकत से सिसक उठी। “हम्म, आप अपने बेटे से कहीं बेहतर चोदते हैं, डैडी जी। आप अर्जुन से कहीं ज़्यादा बड़े हैं और ज़्यादा देर टिकते हैं… काश मेरा पति अपने बाप जैसा स्टड होता,” उसने अपनी गंदी बातों में डूबते हुए कहा। “हाय, मुझे आपकी ताकत बहुत पसंद है, डैडी जी। मैं इंतज़ार नहीं कर सकती कि आप मेरे पेट में एक और हेल्दी बच्चा डाल दें, मेरे हंग ब्रीडिंग बुल!”

राकेश का बूढ़ा दिल उसकी तारीफों से विजयी ढंग से धड़क उठा। “shit, ये तो गज़ब है, रानी। मैं तेरी इस चूत को तब तक चोदता रहूंगा जब तक मैं मर नहीं जाता! तू सिर्फ मेरे बच्चे पैदा करेगी! दूसरा बच्चा होने के बाद, मैं जल्दी ही एक और चाहता हूं,” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में कहा, उसकी गाल को चाटते हुए। रिया ने हैरानी और मज़े में सिसकी, अपनी बांह उसके गले के चारों ओर लपेटते हुए।

“हम्म, हां? ये तो बहुत गंदा है, डैडी जी,” रिया ने नटखट अंदाज़ में कहा। “अगर अर्जुन को पता चल गया तो?”

“ह्म्म! उसे कभी नहीं पता चलेगा, हम अपना ये छोटा सा राज़ कितनी अच्छी तरह छुपाते हैं,” राकेश ने कॉन्फिडेंटली जवाब दिया, अपने लंड को रिया की टाइट चूत में और तेज़ी से पेलते हुए। “और मेरा बेटा थोड़ा भोला भी है, हाहा!” रिया ने बस ठरकी हंसी हंसी। “अर्जुन को खुश होना चाहिए कि उसका बाप मेहनत करके उसे और भाई-बहन दे रहा है!”

“ये तो बहुत गलत है, राकेश जी,” रिया ने मज़ाक में डांटते हुए, शरारती मुस्कान के साथ कहा।

“और तुझे ये पसंद है!” राकेश ने टिप्पणी की।

रिया ने अपनी भूरी आँखें घुमाईं और सिर घुमाकर फुसफुसाया, “चूम लीजिए, डैडी जी…” राकेश ने खुशी से हामी भरी, झुककर अपने होंठों को उसके होंठों से मिला लिया।

उनकी जीभें उलझीं, जैसे वो एक-दूसरे के साथ चुदाई कर रहे थे, और उनकी भारी सांसों और गीली चमड़ी की टकराहट की आवाज़ें अंधेरे बेडरूम में गूंज रही थीं। धीरे-धीरे राकेश का टेम्पो और तेज़ हो गया, जब तक वो पूरी रफ्तार से चुदाई नहीं करने लगे। लेकिन जितना ज़ोर से वो चोद रहे थे, रिया और राकेश ने अपनी आवाज़ों को दबाने की पूरी कोशिश की, हालांकि बीच-बीच में ज़ोरदार सिसकियां निकल ही जाती थीं।

शुक्र था, उनकी वासना भरी आवाज़ें उनके जुड़े होंठों से कुछ हद तक दब रही थीं। कुछ देर तक spoon चुदाई के बाद, रिया और राकेश ने पोज़ीशन बदली, और वो अब उसे रिवर्स काउगर्ल में चढ़ रही थी।

राकेश ने अपने माथे का पसीना पोंछा, उसकी बूढ़ी आँखें रिया की गज़ब की गांड पर टिकी थीं, जो उसके लंड पर ऊपर-नीचे उछल रही थी, अपने कूल्हों को कुशलता से घुमाते हुए। रिया ने आगे झुककर उसकी बालों वाली टांगों को पकड़ा और उसके मोटे लंड पर सवार हो गई।

“आह, हम्म, मज़ा आ रहा है… मेरी सवारी कैसी लग रही है, डैडी जी?” रिया ने फुसफुसाते हुए पूछा, सिर घुमाकर अपने बूढ़े प्रेमी की ओर देखते हुए, उसकी सांसें भारी और गर्म थीं।

“उफ्फ! हां, रानी, ऐसे ही चलती रह! अपने कूल्हों को ऐसे ही हिलाती रह,” राकेश ने सिसकते हुए कहा, उसकी परफेक्ट गांड को पकड़कर उसे सवारी में मदद करने लगा।

बेड रिदम में चरमराने और उछलने लगा, जैसे रिया अपनी चुदाई जारी रखे हुए थी। अपनी गांड को राकेश के पेल्विस पर ज़ोर से टिकाकर, उसने अपने कूल्हों को गोल-गोल घुमाया, उसके लंड के चारों ओर कामुक चक्कर लगाते हुए। रिया की भूरी आँखें पीछे की ओर मुड़ गईं, जैसे उसका मोटा लंड उसकी चूत को सही जगहों पर खींच रहा था।

“आह! Shit!” रिया ने वासना भरी चीख मारी, जैसे वो अपने चरम पर पहुंची, लेकिन जल्दी से अपना मुंह ढक लिया, डरते हुए कि कहीं वो ज़्यादा ज़ोर से न हो जाए। उसकी गांड राकेश पर कांप रही थी, जैसे वो अपने तीव्र ऑर्गेज़म से थरथरा रही थी। उसकी दबी हुई सिसकियां सुनाई दे रही थीं, जैसे वो अपने मुंह को बंद रखने की जद्दोजहद कर रही थी।

उसी वक्त, राकेश भी एक ज़ोरदार सिसकी छोड़ने से खुद को रोक न सका, हालांकि रिया से थोड़ा कम। “उफ्फ… इतनी टाइट… shit…” उसने कराहते हुए कहा, उसका सिर तकिए पर गिर गया। रिया की गीली दीवारें उसके लंड को कसकर जकड़ रही थीं, उसकी मलाई को निचोड़ने की कोशिश में। उसका रस उसके लंड पर बह रहा था, उनके सेक्स के जंक्शन से टपकता हुआ, और उसकी भारी गोटियों पर बहकर नीचे चादर पर गिर रहा था। राकेश ने अपने पैरों की उंगलियां सिकोड़ लीं और ज़ोर से सिसका, जल्दी मलाई न छोड़ने की कोशिश में।

“आह… ये तो गज़ब था, डैडी जी…” रिया ने राहत की सांस लेते हुए कहा, जैसे उसका ऑर्गेज़म शांत हुआ।

“Shit, ये तो करीब था,” राकेश ने कहा। “तू मुझे जल्दी फोड़ने की कोशिश कर रही है क्या?”

रिया ने एक जानबूझकर की मुस्कान दी। “हम्म, शायद…”

दोनों गुप्त प्रेमी फिर डॉगी स्टाइल और कई और कामुक पोज़ीशन्स में शिफ्ट हो गए। अंधेरे बेडरूम में वो एक-दूसरे को मुश्किल से देख पा रहे थे, लेकिन उनकी इतनी सारी चुदाईयों ने उनकी सेक्सुअल सिनर्जी को इतना परफेक्ट कर दिया था कि देखने की ज़रूरत ही नहीं थी; वो जानते थे कि दूसरा क्या चाहता है।

रिया ने अपने तकिए को कसकर पकड़ा, उसकी लंबी टांगें हवा में लटक रही थीं, जैसे वो पीठ के बल थी और राकेश का भारी-भरकम जिस्म उसके ऊपर मंडरा रहा था। वो एक-दूसरे के चेहरों पर गर्म, भाप भरी सांसें छोड़ रहे थे, जिससे वो और उत्तेजित हो रहे थे।

बेड राकेश के धक्कों के रिदम में चरमराने लगा, जैसे वो रिया की टपकती चूत में पेल रहा था। “आह आह आह… हां, वही… हम्म, वही, डैडी जी…” रिया धीरे से सिसक रही थी। उनकी चुदाई को और नाजायज़ बनाने के लिए उसने कहा, “मेरे अंदर बच्चा डाल दो, राकेश जी… प्लीज़, मुझे दो, डैडी जी… अनन्या को भाई-बहन दो… हम्म, और अर्जुन को।” ये कहते हुए उसकी होंठों पर एक शरारती मुस्कान थी।

“करो, अर्जुन के डैडी… अनन्या के डैडी… हमारे नए बच्चे के डैडी… मेरे डैडी जी…” रिया ने उकसाते हुए कहा। राकेश बस भारी सांसें ले रहा था, अपनी सारी ताकत अपनी बेटे की हसीन बीवी को चोदने में लगा रहा था।

“करो, डैडी जी, मुझे फिर से पेट से कर दो। अपने इस मोटे, रसीले लंड से मुझे पेट से करो…” रिया ने अपनी बातों को धीमा और कामुक बनाते हुए कहा, उसकी आवाज़ थोड़ी ऊंची हो रही थी।

राकेश ने पीछे झुककर रिया की टांगों को अपने चौड़े कंधों पर उठा लिया। “ओह?!” रिया ने उसकी मर्दाना ताकत पर मज़े में सिसकी। राकेश ने उसकी नरम टांगों को चाटा और चूमा, फिर उसकी गांड को गद्दे से आसानी से उठा लिया।

फिर वो अपने कूल्हों को तेज़ी और सटीकता के साथ आगे-पीछे करने लगा, उसकी टांगों को अपने जिस्म से कसकर पकड़े हुए। रिया की गोल चूचियां उसके धक्कों के साथ लय में हिल रही थीं, जो राकेश के लिए एक मज़ेदार नज़ारा था। रिया की आँखें पीछे की ओर मुड़ गईं, जैसे उसकी ज़ोरदार सिसकियां उसके होंठों से बह रही थीं। चुप रहने की उसकी इच्छा राकेश के जोशीले धक्कों के साथ हवा हो गई। भले ही उसे अपनी बेटी को जगाने का डर था, रिया ने सोचा कि अनन्या को अपनी मम्मी की हरकतों को थोड़ा बर्दाश्त करना होगा।

शुक्र था, रिया और राकेश की चुदाई की रिदमिक आवाज़ें उनकी सोती हुई बेटी को परेशान नहीं कर रही थीं, जैसे वो अपने नए भाई-बहन के लिए चीयर कर रही हो।

“आह! हां हां हां!” रिया ने तकिए को ज़ोर से पकड़ते हुए चीख मारी। राकेश का गोल टिप बार-बार उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था, जिससे दोनों का ऑर्गेज़म तेज़ी से करीब आ रहा था।

राकेश की सांसें और भारी हो गईं, ये संकेत देते हुए कि वो अपनी मलाई छोड़ने वाला था। “मैं अब फटने वाला हूं, रिया! तैयार हो जा!” उसने ज़ोर से कहा, आखिरी ज़ोरदार धक्के मारते हुए।

“हां! मुझे पेट से कर दो! मुझे फिर से पेट से कर दो, राकेश जी!” रिया ने मिन्नत की। एक आखिरी ज़ोरदार धक्के के साथ, राकेश ने अपने लंड को उसकी फर्टाइल गहराई में गहरे तक पेल दिया और राहत में चिल्लाया, अपनी भारी मलाई को रिया की बच्चेदानी में उड़ेल दिया।

रिया कांप उठी और सिसकियां भरी, जैसे उसका ऑर्गेज़म उसे चीर रहा हो। उसकी चूत ने राकेश के धड़कते लंड को कसकर जकड़ लिया, उसकी हर बूंद को निचोड़ते हुए। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, और उसकी टांगें राकेश के खिलाफ थरथराने लगीं, जैसे उसे बैलेंस खोने का डर हो। लेकिन मज़बूत मर्द होने के नाते, राकेश ने उसे पकड़ रखा, जिससे वो अपने ऑर्गेज़म का पूरा मज़ा ले सके।

“आह… हाय राम…” रिया ने मज़े में बड़बड़ाया, जैसे उसकी बच्चेदानी उसकी मलाई से लबालब भर रही थी। राकेश ने अपनी हर बूंद को रिया के अंदर डालने पर फोकस किया, धीमे-धीमे धक्के मारकर अपनी मलाई को और गहरा धकेलते हुए। धीरे-धीरे उसकी गांड को गद्दे पर वापस लाकर, उसने उसकी लंबी टांगों को अपने कंधों से उतारा और अपनी बहू के बगल में ढेर हो गया। दोनों हांफ रहे थे, अपनी वासना भरी बच्चा बनाने की हरकत का मज़ा लेते हुए।

“उफ्फ… वाह… ये तो कुछ और ही था, रिया, है ना?” राकेश ने भारी सांस छोड़ते हुए कहा।

“हां… बिल्कुल…” रिया ने राहत की सांस के साथ सहमति दी।

धीरे-धीरे उनकी उंगलियां आपस में उलझीं, और वो अपनी चुदाई के मज़े पर हंसने लगे। रिया को मानना पड़ा कि बच्चा बनाने की कोशिश में चुदाई का मज़ा कुछ और ही था। लेकिन इस नाजायज़ बच्चा बनाने की हरकत ने सारी हदें पार कर दीं। उसने पहले कभी इतना रोमांचक कुछ नहीं किया था।

“बस थोड़ा वक्त दे, रानी, फिर हम दोबारा शुरू करेंगे,” राकेश ने अपनी प्रेमिका से पक्के तौर पर कहा, जिससे रिया का खून उत्तेजना से उबलने लगा।

उनके इस कामुक पल को अचानक अनन्या की पालने से एक रोने की आवाज़ ने तोड़ दिया। “अरे, नहीं!” रिया ने सिसकते हुए कहा, जल्दी से बेड से उतरकर अपनी बेटी की ओर दौड़ी।

अनन्या को गोद में उठाकर, रिया ने उसे सीने से लगाया और धीरे-धीरे हिलाकर चुप कराने लगी। “शश… ठीक है, अनन्या। वापस सो जा। सॉरी, मम्मी और डैडी ज़्यादा शोर कर रहे थे,” उसने प्यार से फुसफुसाया। थोड़ी देर में अनन्या शांत होकर फिर से सो गई। रिया उसे पालने में लिटाकर यह सुनिश्चित करती रही कि वो गहरी नींद में है। तभी उसे अपनी नंगी पीठ पर एक गर्म, चौड़ा जिस्म महसूस हुआ।

“वो ठीक है?” राकेश ने सावधानी से फुसफुसाया, उसकी सांसें अभी भी थोड़ी भारी थीं।

“हम्म, हम बहुत ज़ोर से शोर कर रहे थे। इसीलिए मुझे अनन्या के सामने ये करना पसंद नहीं,” रिया ने झुंझलाहट के साथ जवाब दिया, उसकी चिंता साफ थी। “इसलिए तो हम हमेशा दूसरे कमरे में करते हैं, जी।”

“हाहा, उसे भाई-बहन देना कोई चुपके का काम नहीं है, रानी,” राकेश ने मज़ाक में जवाब दिया। रिया ने सिसकी और खिलखिलाकर राकेश के कंधे पर हल्का सा थप्पड़ मारा। राकेश ने हंसते हुए अपनी बेटी और उसकी मम्मी को पीछे से गले लगाया।

“वैसे, शोर तो ज़्यादातर तू कर रही थी। मुझ पर गुस्सा मत हो,” राकेश ने धीरे से कहा, अपनी ठुड्डी रिया के कंधे पर टिकाते हुए। रिया का मुंह हैरानी से खुल गया, लेकिन वो चुप रही, क्योंकि वो जानती थी कि वो सही था।

“पर मुझे एक अच्छा तरीका पता है इसे ठीक करने का,” राकेश ने सुझाव दिया।

“हां? और वो तरीका क्या है?” रिया ने उत्सुकता से पूछा, एक मज़ेदार मुस्कान के साथ।

राकेश ने अंधेरे में हल्का सा सिर हिलाया। “अनन्या को लिटा और मैं तुझे दिखाता हूं,” उसने हुक्म दिया। रिया ने सावधानी से होंठ सिकोड़े और अनन्या को पालने में लिटा दिया। मुड़कर, वो राकेश के पास गई और उसकी बालों वाली छाती पर हाथ रखा। “तो?”

राकेश ने अपने बड़े हाथों को उसकी कर्वी कमर पर रखा और उसे तब तक पीछे खींचा जब तक वो बेड के किनारे पर नहीं पहुंच गए। बेड के किनारे पर बैठकर, उसने रिया को अपने घुटनों पर खींच लिया। “मेरे लंड को अपने मुंह में ले, इससे तू चुप रहेगी। तो शुरू हो जा, रानी,” राकेश ने धीमी, दबंग आवाज़ में हुक्म दिया, अपनी बालों वाली टांगें अपनी हसीन प्रेमिका के लिए फैलाते हुए। रिया का दिल धड़क उठा, जैसे वो उसके नीचे घुटनों पर बैठ गई। उसकी बातें इतनी नीचा दिखाने वाली थीं, लेकिन उसे उसकी ठरकी मांगों का बेबस ऑब्जेक्ट बनना पसंद था।

अपनी चौड़ी कमर को अपनी एड़ियों पर टिकाकर, रिया ने राकेश के लंड का आधार पकड़ा और उसे अपने रसीले होंठों पर हल्के-हल्के मारना शुरू किया। उसकी आँखें राकेश की ओर उठीं, जहां खिड़की से आती चांदनी ने उसे हल्का सा रोशन किया, जिससे उसका चेहरा अंधेरे कमरे में साफ दिख रहा था। उसके उभरे हुए पेट को देखते हुए, रिया ने देखा कि राकेश के होंठ उत्तेजना से चमक रहे थे।

उसका लंड उसकी हथेली में धड़क रहा था, जैसे वो फिर से सख्त होकर उसके गीले गले में घुसने को तैयार था। अपनी जीभ को होंठों से बाहर निकालकर, रिया ने उसकी लटकती गोटियों को लपेट लिया और अपनी लार से उन्हें भिगो दिया। राकेश ने उसकी गीली जीभ की गर्मी से मज़े में कराहा, जो उसकी बड़ी गोटियों के साथ खेल रही थी।

रिया ने अपनी लार भरी जीभ को उसकी गोटियों से उसके नसों भरे लंड के नीचे तक खींचा, जब तक वो उसके टपकते टिप तक नहीं पहुंची। उसने उसके नमकीन स्वाद का मज़ा लिया, जैसे वो उसके गहरे छेद से सीधे उसका रस चाट रही थी। फिर, एक स्मूथ मोशन में, रिया ने अपने नरम होंठों को उसके लंड के टिप पर लपेटा और उसकी पूरी लंबाई को अपने मुंह और गले में उतार लिया। राकेश की बूढ़ी आँखें परम आनंद में पीछे मुड़ गईं, जैसे वो अपने हाथों पर पीछे टिक गया।

“उफ्फ… हाय राम…” राकेश ने एक लंबी सिसकी छोड़ी, जैसे उसका पूरा लंड रिया की गीली गर्मी में लिपट गया। रिया ने मज़े में हम्म की, ये देखकर कि वो अपने सांड को कितना मज़ा दे रही थी।

अपना सिर पीछे खींचकर, उसने राकेश को गीला, लापरवाह ब्लोजॉब देना शुरू किया। चूसने, चटकने और ग्लक-ग्लक की आवाज़ें अंधेरे कमरे में गूंजने लगीं। रिया ने अपने चमकीले काले बालों को दाहिने कान के पीछे टक किया, जैसे वो और तेज़ी से चूसने लगी। जैसे ही उसका लंड उसके गले में अंदर-बाहर सरक रहा था, रिया की चूत गीली हो गई, उसका रस और राकेश की मलाई का मिश्रण नीचे कारपेट पर टपक रहा था, उसे दागदार करते हुए।

“गाह! ओह, हां, रानी! वही!” राकेश ने ज़ोरदार मज़े में कराहा, थोड़ा ज़ोर से।

रिया ने एक पल के लिए उसका लंड अपने मुंह से निकाला और बोली, “लगता है आप मुझसे ज़्यादा शोर कर रहे हैं, राकेश जी।” राकेश ने आँखें घुमाईं और हंसा। लेकिन मज़े को जारी रखने के लिए, उसने रिया का सिर पकड़ा और उसे फिर से अपने लंड पर खींच लिया।

रिया और राकेश ने सिसकियां भरीं, और उसके गीले ब्लोजॉब की आवाज़ें उनके कानों में गूंज रही थीं। रिया का मुंह और ठुड्डी उसकी गाढ़ी लार से भीग गए, जो उसकी जांघों पर टपक रही थी। राकेश को मज़ा आ रहा था कि उसके बेटे की सेक्सी बीवी उसके लंड को चूस रही थी। ये एक मर्द के लिए सबसे मर्दाना अनुभव था, खासकर क्योंकि वो औरत शादीशुदा थी।

राकेश ने सिसकते हुए बेडशीट को ज़ोर से पकड़ा, जैसे रिया उसके मोटे लंड को गहरे तक चूस रही थी। रिया तो लंड चूसने की उस्ताद थी! उसने अपने सिर को गोल-गोल घुमाते हुए और तेज़ी से चूसना शुरू किया। राकेश पसीने की बूंदों से तर हो रहा था। जैसे वो उसकी आत्मा को चूस रही हो!

“उफ्फ! मैं फटने वाला हूं!” राकेश ने जल्दी से कहा, चुप रहने की कोशिश करते हुए।

रिया ने उसका लंड अपने गीले गले से निकाला, जिससे उसकी लार की लंबी डोरियां उसके होंठों और राकेश के धड़कते लंड के टिप के बीच तन गईं। “हां? मेरे लिए फोड़ दोगे, डैडी जी?” उसने पूछा। राकेश ने बस कराहते हुए जवाब दिया। अपने बाएं हाथ को उसके गीले लंड पर और दाएं हाथ को उसकी गोटियों पर लपेटकर, रिया ने उत्साह से उसे सहलाना और मसलना शुरू किया।

“मेरे लिए फोड़ दो, डैडी जी। मैं चाहती हूं कि आप मेरे चेहरे और मुंह पर अपनी मलाई डाल दो। मुझे आपकी मज़ेदार मलाई चखनी है और निगलना है,” रिया ने ज़रूरत भरे अंदाज़ में मिन्नत की, उसका हाथ उसके लंड पर ट्विस्टिंग मोशन में चल रहा था, जिससे राकेश का सिर पीछे गिर गया, मज़े में डूबते हुए।

रिया को अपने ससुर को अपनी नाजुक उंगलियों के सामने झुकते देख मज़ा आ रहा था। इससे उसे ताकत और उत्तेजना महसूस हो रही थी। होंठ काटते हुए, उसने उसकी गोटियों को ज़ोर से दबाया, जिससे राकेश से भारी कराह निकली। उसे महसूस हो रहा था कि वो गर्म, मज़ेदार मलाई से लबालब था।

चीज़ों को और मज़ेदार बनाने के लिए, रिया ने अपने मुंह से उसकी लटकती गोटियों को ढूंढा, उन्हें अपने नरम होंठों में लपेट लिया और उत्साह से चूसने लगी, जबकि उसका लंड अभी भी सहला रही थी। “ओह! रिया! उफ्फ!” राकेश ने चिल्लाया। उसकी सांसें और भारी हो गईं, जैसे रिया के दिए मज़े ने उसके होश उड़ा दिए। रिया ने सिसकते हुए मुस्कुराया, ये महसूस करके कि वो फटने की कगार पर था।

“गाह! ले, रंडी! मुंह खोल! मैं तेरे इस प्यारे से मुंह में फटने वाला हूं!” राकेश ने ऐलान किया। रिया ने आज्ञाकारी ढंग से उसकी गोटियों को अपने मुंह से छोड़ा और उसके लंड को अपने खुले होंठों के सामने सेट किया।

“आह्ह,” उसने उत्साह से हम्म किया, अपनी जीभ को बाहर निकालकर एक कामुक कप की शक्ल दी। उसका हाथ उसके सख्त लंड पर तेज़ी से ऊपर-नीचे सरक रहा था, उसकी पतली उंगलियां उसे और किनारे तक ले जा रही थीं। राकेश की धुंधली आँखें उसके मंगलसूत्र की चमक पर टिक गईं, जो उसके लंड पर रगड़ रहा था, जिससे उसे मर्दाना गर्व महसूस हुआ।

बस कुछ और स्ट्रोक्स में, राकेश ने एक आखिरी कराहते हुए गुर्राहट भरी और अपनी चिपचिपी मलाई की भारी मात्रा को रिया की जीभ और होंठों के बनाए कामुक कप में उड़ेल दिया।

रिया ने झटके से पलकें झपकाईं, जैसे उसकी गर्म मलाई उसके छेद से फूटी, जिससे पहली मोटी रस्सियां निशाने से चूककर उसके हसीन चेहरे पर जा गिरीं। जल्दी से उसके लंड के टिप को ठीक करके, रिया ने बाकी मलाई को अपने खुले मुंह में ले लिया।

हसीन रिया ने सिसकियां भरी, जैसे राकेश की नमकीन, कड़वी मलाई उसकी जीभ के स्वाद को भर रही थी। “आह, shit! ले, रानी… इस मलाई को ले… हम्म, shit…” राकेश ने बड़बड़ाया, जैसे वो अपनी मलाई की एक-एक रस्सी उड़ेल रहा था।

जब वो आखिरकार अपने चरम से उतरा, रिया का चेहरा उसकी मोटी, सफेद मलाई से सजा हुआ था, और उसका मुंह मलाई के कांपते तालाब से भरा था। रिया ने परम मज़े में हम्म की। उसे हमेशा राकेश की मलाई अपने चेहरे पर लेना मज़ेदार लगता था; इसमें कुछ इतना कामुक था कि वो बयान नहीं कर सकती थी। रिया हमेशा हैरान होती थी कि राकेश अपनी उम्र में इतना फोड़ सकता था। वो इतना मर्दाना था कि लगभग अवास्तविक था।

रिया को नीचे देखते हुए, राकेश के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, जैसे वो अपने बेटे की बीवी को अपनी मलाई से सजा हुआ देख रहा था। “वाह… तू सचमुच एक मर्द को खुश करना जानती है, रानी,” राकेश ने तारीफ की, एक भारी सांस छोड़ते हुए।

मुस्कुराते हुए, रिया ने अपनी जीभ को वापस होंठों के पीछे लिया और मुंह बंद करके उसकी भारी मलाई को एक बार में निगल लिया। “आह्ह,” उसने हम्म किया, अपना अब खाली मुंह दिखाते हुए। “Shit, इसका स्वाद तो गज़ब था… थैंक यू, डैडी जी,” उसने नटखट अंदाज़ में कहा, अपने चेहरे से उसकी मोटी मलाई को उंगलियों से खींचकर अपनी गीली जीभ पर ले जाकर मज़े से चाट लिया।

राकेश अपनी प्रेमिका से नज़रें नहीं हटा सका। चांदनी में नहाई रिया की त्वचा लगभग जादुई लग रही थी, एक ऐसी आकर्षक चमक बिखेरते हुए जो बर्दाश्त से बाहर थी। अपना चेहरा साफ करने के बाद, वो धीरे से खड़ी हुई और अपनी बांहें राकेश के चौड़े गले के चारों ओर लपेट दीं। आगे झुककर उसने उसके होंठों पर एक हल्का सा चुम्मा लिया; उसके होंठों के किनारे अभी भी उसकी मलाई से हल्के से सजे थे।

“हम्म, और करना है? या अब बस?” रिया ने कामुक अंदाज़ में पूछा, खुद को राकेश की गोद में सेट करते हुए।

“हाहा, मैं तो पूरी रात चला सकता हूं, रानी,” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में जवाब दिया।

“हम्म, अच्छा… फिर बेड पर वापस जाओ और मेरे लिए खुद को गर्म करो, मैं अभी फ्रेश होकर आती हूं,” रिया ने मज़े से कहा। फिर उसके कान के पास जाकर फुसफुसाई, “मैं चाहती हूं कि रात खत्म होने से पहले आप मुझे पेट से कर दें…” राकेश ने बस धीरे से सिर हिलाया, उसकी कामुक आवाज़ में मंत्रमुग्ध होकर।

रिया राकेश की गोद से उतरी और नटखट अंदाज़ में बाथरूम में गायब हो गई, अपने बूढ़े प्रेमी को पूरी तरह अपनी हसीनियत में जकड़कर।

कार पोरच में पार्क करके, अर्जुन अपनी स्विफ्ट से उतरा। उसने अपनी गर्दन के पीछे दर्द भरे अंदाज़ में मसाज की, ऑफिस में अपने डिज़ाइन के एक ज़रूरी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए दो दिन तक लगातार काम करने के बाद। भले ही ये तनाव भरा था, उसे लगता था कि ये सब मेहनत के लायक था। काम से थोड़ा ब्रेक मिलने की राहत में, अर्जुन अपनी हसीन बीवी रिया और बेटी अनन्या से मिलने को बेताब था। लेकिन उसे थोड़ी चिंता सता रही थी कि रिया ने घर लौटते वक्त उसके कॉल्स का जवाब नहीं दिया। सुबह कुछ मैसेजेस का आदान-प्रदान हुआ था, लेकिन उसके बाद से उसकी तरफ से कोई खबर नहीं थी।

घर में दाखिल होते ही, अर्जुन को लगा कि माहौल अजीब सा खामोश और खाली था। उसने पहले किचन और ड्रॉइंग रूम चेक किया, जहां उसे आमतौर पर अपनी बीवी या बाप मिलते थे, लेकिन हैरानी की बात थी कि कोई वहां नहीं था। अर्जुन ने नीचे के सारे कमरे चेक किए, लेकिन कोई नहीं मिला। उसने सोचा कि शायद वो ऊपर होंगे, तो वो सीढ़ियां चढ़कर अपनी फैमिली को ढूंढने लगा।

पहली मंजिल भी उतनी ही खामोश और खाली लग रही थी, जिससे अर्जुन और कन्फ्यूज़ हो गया। “ये क्या माजरा है? हम्म, शायद अपने कमरों में हों…” उसने खुद से बड़बड़ाया।

गलियारे में आगे बढ़ते हुए, अर्जुन ने देखा कि राकेश का दरवाज़ा बंद था। उसने सोचा कि उसके बाप शायद सो रहे होंगे या कुछ और, जिससे उसे थोड़ा सुकून मिला। तो वो मास्टर बेडरूम की ओर बढ़ा, लेकिन हैरानी की बात थी कि वो खुला हुआ था।

अंदर कदम रखते ही, अर्जुन को लगा कि कमरा खाली और ताज़ा साफ किया हुआ था, नई चादरों और अगरबत्ती की खुशबू हवा में तैर रही थी। तभी उसका ध्यान अनन्या की ओर गया, जो अपनी पालने में हल्की-हल्की आवाज़ें निकाल रही थी। खुशी से उसके पास जाकर, अर्जुन ने अपना बैग नीचे रखा और अपनी बेटी को गोद में उठाया, प्यार से उसके माथे पर चूमा।

“तू यहां अकेले क्यों है, मेरी जान? मम्मी और दादाजी कहां हैं?” अर्जुन ने प्यार भरे लहजे में पूछा। अनन्या ने बस और बच्चा जैसी आवाज़ें निकालीं।

अर्जुन के कान खड़े हो गए जब गलियारे से अचानक एक ज़ोरदार, दबी हुई आवाज़ आई। उत्सुकता से सिर टेढ़ा करके, वो अनन्या को गोद में लिए गलियारे में निकला। एक और दबी हुई आवाज़ गूंजी, और इस बार अर्जुन समझ गया कि ये राकेश के कमरे से आ रही थी। भौंहें सिकोड़ते हुए, वो सावधानी से अपने बाप के कमरे की ओर बढ़ा।

जैसे-जैसे वो नज़दीक पहुंचा, उसे रिया की फुसफुसाती आवाज़ सुनाई दी। “रिया?” उसने सोचा, हैरान कि वो राकेश के कमरे में क्या कर रही थी। दरवाज़े के सामने खड़े होकर, अर्जुन ने सावधानी से कान दरवाज़े पर लगाया और ध्यान से सुना।

उसने अंदर बेड के चरमराने की रहस्यमयी आवाज़ें सुनीं, साथ ही रिया और राकेश के बीच कुछ समझ न आने वाली बातें हो रही थीं। “ये क्या…” अर्जुन ने खुद से बड़बड़ाया, एक अजीब सी चिंता उसे कुरेदने लगी, जैसे वो समझने की कोशिश कर रहा था कि दरवाज़े के पीछे क्या हो रहा था।

वो और ध्यान से सुनने लगा। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था, उन अजीब भावनाओं को समझने की कोशिश में जो उसके अंदर उमड़ रही थीं। तभी रिया की हल्की सी आवाज़, “राकेश जी…” अंदर से आई, और अर्जुन बिना सोचे-समझे हरकत में आया। उसने दरवाज़े का हैंडल पकड़ा, उसे घुमाया और दरवाज़ा खोलकर देखने लगा कि अंदर क्या हो रहा था।

उसकी आँखें चौड़ी हो गईं जब उसने देखा कि रिया और राकेश बेड के दो अलग-अलग साइड्स पर खड़े होकर नई चादरें बिछा रहे थे। रिया ने टाइट सलवार-कमीज़ पहनी थी, उसके चमकीले काले बाल एक नीले फूलों वाले हेयरबैंड में बंधे थे, जबकि राकेश अपनी पुरानी बनियान और हाफ पैंट में था।

अर्जुन को एक राहत की लहर महसूस हुई, जो कुछ पल पहले की अजीब भावनाओं को धो डाली। राकेश ने पहले अर्जुन को देखा, क्योंकि वो दरवाज़े की ओर मुंह करके खड़ा था।

“अरे! बेटा, काम कैसा रहा?” राकेश ने ज़ोर से कहा, अपनी चादर का कोना छोड़ते हुए, जो गलती से रिया की साइड पर उछल गया।

“उफ्फ, राकेश जी!” रिया ने झुंझलाहट में कहा, उसकी आवाज़ चादर के नीचे दब गई, जो उसके चेहरे पर आ गिरी। चादर से खुद को आज़ाद करके, वो मुड़ी और अपने पति को देखकर गर्मजोशी से मुस्कुराई। “अरे, हाय जान,” उसने खुशी से कहा और अर्जुन के गाल पर एक चुम्मा लिया। फिर उसने ध्यान अनन्या की ओर किया, उसकी कनपटी को प्यार से सहलाते हुए।

“हाय, सब लोग,” अर्जुन ने जवाब दिया, उसकी उत्सुकता पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। “तुम दोनों यहां क्या कर रहे हो? और रिया, तूने मेरे कॉल्स का जवाब क्यों नहीं दिया?” उसने पूछा।

उसकी हसीन बीवी ने शर्मिंदगी से अपनी गर्दन के पीछे रगड़ा। “हां, सही बात है… जैसा तू देख रहा है, मैं बस राकेश जी के कमरे की सफाई में मदद कर रही थी। हम नई चादरें बिछा रहे थे, क्योंकि ये महाशय रात को बहुत पसीना बहाते हैं,” उसने अर्जुन के बाप की ओर इशारा करते हुए समझाया, जो कंधे उचकाकर हंसा।

“और कॉल्स का जवाब न देने की बात…” रिया ने ठुड्डी रगड़ते हुए सोचते हुए कहा। “मैं सफाई और घर के कामों में बिज़ी थी। मेरा फोन मेरे पास नहीं था। सॉरी, जान, अगर मुझे पता होता तो जवाब देती।” अर्जुन ने धीरे से सिर हिलाया, राहत की लहर महसूस करते हुए। उसकी हर बात पूरी तरह तार्किक और विश्वसनीय लग रही थी। उसने खुद को अंदर ही अंदर डांटा कि उसने ऐसी अजीब भावनाओं को मन में जगह दी।

“हम्म, ठीक है… मैं तुम दोनों को अपना काम खत्म करने देता हूं। मैं जाकर नहा लेता हूं। सॉरी, बीच में टोकने के लिए,” अर्जुन ने थोड़ा अजीब अंदाज़ में कहा। रिया ने प्यार से उसके गाल पर हाथ रखा और एक और चुम्मा दिया।

“कोई बात नहीं, जान। मैं यहां काम खत्म करके तेरे लिए कुछ मज़ेदार डिनर बनाऊंगी,” उसने अपने पति को भरोसा दिलाया, उसकी मुस्कान गर्म और सुकून देने वाली थी। अर्जुन ने शुक्रिया अदा करते हुए सिर हिलाया।

“वो तो अच्छा लगता है,” उसने जवाब दिया। “ठीक है, मैं तुम दोनों को छोड़ता हूं।” अनन्या को गोद में लिए, उसने दरवाज़ा सावधानी से बंद किया और अपने और रिया के बेडरूम की ओर बढ़ गया।

जैसे ही अर्जुन के कदमों की आवाज़ दूर हो गई, रिया और राकेश एक-दूसरे की ओर मुड़े, उनके चेहरों पर शरारती मुस्कान थी। “हाहा, अर्जुन तो सचमुच भोला है, है ना?” राकेश ने ठरकी अंदाज़ में कहा। रिया ने अपनी भूरी आँखें घुमाईं, लगभग निराशा से सिर हिलाते हुए।

“चुप करो और इन चादरों को ठीक करने में मदद करो, राकेश जी,” उसने नटखट अंदाज़ में जवाब दिया। राकेश ने हंसते हुए चादर फिर से पकड़ी और अपनी गुप्त प्रेमिका के साथ बेड ठीक करने में जुट गया।
behtreen story keep it up bro
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bekalol846

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Update 4

हवा में हंसी-मज़ाक और ग्लासों की खनखनाहट की आवाज़ गूंज रही थी, क्योंकि रिश्तेदार हॉल में एक कैजुअल फैमिली पार्टी में मस्ती कर रहे थे। पनीर टिक्का, कबाब, और बिरयानी की खुशबू हवा में तैर रही थी, और बच्चों की हंसी गूंज रही थी, जो पास के लॉन में खेल रहे थे। अर्जुन अपने चचेरे भाइयों के साथ गप्पे मार रहा था, ऑफिस की कहानियों को जोश से सुना रहा था। दूसरी तरफ, राकेश जी बाकी चाचाओं और दादाजी टाइप लोगों के साथ घुल-मिल गए थे, ठहाके मारते हुए थंडई के ग्लास शेयर कर रहे थे और जवानी की बढ़ा-चढ़ाकर कहानियां सुना रहे थे।

रिया ड्रॉइंग रूम के आलीशान दीवान पर बैठी थी, अपनी बेटी अनन्या को गोद में लिए, जो आराम से उसकी बाहों में दुबी थी। अनन्या हल्के-हल्के किलकारी मार रही थी, उसकी गोल-मटोल उंगलियां एक खिलौने को पकड़े हुए थीं। रिया अपनी बेटी को देखकर मुस्कुराई, उसके चेहरे से एक बाल हटाते हुए। वो हल्के से हंसी, अनन्या को देखकर, जो अपने खिलौने को बेफिक्री से हिला रही थी।

अचानक एक आवाज़ ने उसका ध्यान खींचा। “रिया, हाय,” एक गर्मजोशी भरी, जानी-पहचानी आवाज़ आई। रिया ने सिर उठाकर देखा तो एक उम्रदराज़ औरत थी, अर्जुन की कोई रिश्तेदार—शायद चाची या कोई दूर की कज़िन, उसे ठीक से याद नहीं था।

“हाय,” रिया ने नरम मुस्कान के साथ जवाब दिया, जब वो औरत उसके पास दीवान पर बैठ गई। “आप कैसी हैं?”

“मैं ठीक हूं, बेटी,” औरत ने कहा, उसकी आंखें अनन्या की ओर देखते हुए नरम पड़ गईं। “अरे, ये तो बिल्कुल अनमोल है। तुम और अर्जुन को बहुत गर्व होगा।”

“हां, बिल्कुल,” रिया ने गर्व भरे लहजे में जवाब दिया। “ये हमारी छोटी सी जादूगरनी है।”

औरत थोड़ा झिझकी, फिर हल्के से आगे झुकी, उसका लहजा थोड़ा गोपनीय सा हो गया, जैसे कुछ पर्सनल शेयर करना चाहती हो। “बस इतना कहना था… थैंक्यू, रिया।”

“किस लिए?” रिया ने उत्सुकता से सिर झुकाते हुए पूछा।

“राकेश जी को घर में रखने के लिए,” औरत ने दिल से कहा। “हर कोई इतना बड़ा दिल नहीं दिखाता, खासकर… तुम्हें पता है ना, उनके पुराने हालात को देखते हुए।”

रिया का पेट मथने लगा, लेकिन उसने चेहरा न्यूट्रल रखा। “अरे, ये तो कुछ भी नहीं,” उसने हल्के से जवाब दिया, हालांकि उसका दिमाग तेज़ी से दौड़ रहा था। “वो फैमिली हैं, हम बस उनकी मदद करना चाहते थे।”

औरत ने एक लंबी सांस ली, उसकी नज़र थोड़ी देर के लिए दूर चली गई। “वो हमेशा से थोड़े रफ रहे हैं… और जब से तुम्हारी सास गुज़री, वो और बिगड़ गए थे। हम सब रिश्तेदारों को लगा कि वो कभी ठीक नहीं होंगे। लेकिन जब से वो तुम और अर्जुन के साथ रहने आए, वो बहुत खुश दिखते हैं। सचमुच, सालों बाद उन्हें ऐसे देखा।”

रिया ने जबरदस्ती एक छोटी सी मुस्कान दी, सिर हिलाते हुए, जबकि उसकी उंगलियां अनन्या के नरम बालों को बिना सोचे सहला रही थीं। “म-मुझे खुशी है कि वो बेहतर हैं,” उसने कहा। राकेश जी की “बेहतरी” का सच वो ज़ुबान पर नहीं ला सकती थी। “वो घर को और… ज़िंदादिल बना देते हैं।”

“तू तो सच्ची में फरिश्ता है,” औरत ने गर्मजोशी से मुस्कुराते हुए रिया का हाथ थपथपाया। “वो खुद शायद न कहें, लेकिन वो बहुत लकी हैं कि तुम उनके साथ हो।”

जैसे ही औरत उठकर पार्टी में वापस गई, रिया की मुस्कान डगमगा गई। उसका दिमाग गुनाह, उत्तेजना, और एक अजीब सी तृप्ति के मिश्रित भावनाओं में डूब गया। उसने अनन्या की ओर देखा, जो मासूमियत से बड़बड़ा रही थी, अपनी मां के अंदर चल रहे तूफान से बेखबर।

उसकी हरी-हरी आंखें हॉल की ओर मुड़ीं, जहां राकेश जी पुरुषों के साथ हंसते हुए थंडई के ग्लास टकरा रहे थे। एक पल के लिए उनकी नज़रें मिलीं। उनकी उम्रदराज़ आंखों में वही जानी-पहचानी, मालिकाना भूख थी, और उन्होंने हल्के से अपना ग्लास उसकी ओर झुकाया, एक गुप्त, समझ भरा इशारा।

रिया ने जल्दी से नज़रें फेर लीं, उसके गाल जलने लगे। उसने गहरी सांस ली, अनन्या की किलकारियों पर ध्यान देने की कोशिश की। वो अपने होंठ के कोने को हल्के से काटने से खुद को रोक नहीं पाई, राकेश जी के बारे में सोचते हुए। ये सोच कि यहां कोई नहीं जानता कि राकेश जी हमेशा इतने खुश क्यों रहते हैं, उसे उत्तेजित कर रही थी। बाहर से देखने में रिया और अर्जुन की परफेक्ट फैमिली लगती थी। लेकिन हकीकत में, वो अपने पति के ठरकी बाप के साथ एक गैरकानूनी रिश्ते में उलझी थी, जिसका फल थी उनकी मासूम अनन्या। उसकी चूत सिकुड़ गई, ये इतना गंदा था… इतना वर्जित… रिया को ये थ्रिल चुपके से बहुत पसंद था।

जैसे-जैसे पार्टी चलती रही, ड्रॉइंग रूम अनन्या को देखने वालों का मेला बन गया। रिश्तेदार झुककर उसकी गोल-मटोल गालों को प्यार करते, उसकी चमकीली हरी आंखों पर तारीफ करते, और उसकी मासूम किलकारियों पर हंसते। रिया हर मेहमान को गर्मजोशी से मुस्कुराकर जवाब देती, हालांकि हर पल उसकी नसें तनाव में थीं।

“ये तो बिल्कुल गुड़िया है,” एक बुज़ुर्ग चाची ने कहा, अनन्या के चेहरे से एक नरम बाल हटाते हुए। “बिल्कुल तुझ जैसी दिखती है, रिया।”

“हां, बहुत प्यारी है,” एक और कज़िन ने जोड़ा। “तुम और अर्जुन तो कमाल के बच्चे बनाते हो।”

अर्जुन का ज़िक्र सुनते ही रिया की मुस्कान थोड़ी कस गई। उसे राकेश जी की मौजूदगी का अहसास हुआ, इससे पहले कि वो उन्हें देख पाती। उनकी हंसी पुरुषों के साथ अब नज़दीक आ रही थी, और उनकी नज़रें उसे चुंबक की तरह खींच रही थीं।

“तो,” कज़िन ने मज़ाकिया लहजे में कहा, “अगला कब आ रहा है? एक बच्चे से तो काम नहीं चलेगा। अनन्या को एक भाई-बहन तो चाहिए!”

रिया की सांस अटक गई, उसके गाल लाल हो गए। उसका दिमाग तुरंत राकेश जी की ओर चला गया—उनके गंदे कमरे में गर्म पल, चुपके-चुपके मिलना, वो खतरनाक इच्छाएं जिन्होंने उसे इस रास्ते पर ला दिया। वो कुछ कहने को मुंह खोलने वाली थी, लेकिन उससे पहले एक और आवाज़ बीच में कूद पड़ी।

“अच्छा सवाल है,” पास में खड़े एक चाचा ने चिढ़ाते हुए कहा। “अर्जुन में तो रात को प्रोजेक्ट्स के लिए स्टैमिना है, ना?”

लोग हंस पड़े, और रिया ने जबरदस्ती हंसी निकाली, हालांकि उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उसकी उंगलियां अनन्या के छोटे से हाथ को और कसकर पकड़ रही थीं, उसकी मुस्कान सख्त हो रही थी, क्योंकि उसे एक जलती हुई नज़र का अहसास हुआ। उसने हल्के से मुड़कर राकेश जी की शक्ल देखी।

वो हॉल के दरवाज़े पर खड़े थे, थंडई का ग्लास हाथ में लिए, उनका चौड़ा कंधा दीवार से टिका हुआ था। उनकी गहरी आंखें उस पर टिकी थीं, और उनके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। ये वो मुस्कान नहीं थी जो कोई और नोटिस करे—नहीं, ये सिर्फ उसके लिए थी, एक गुप्त मुस्कान, जिसमें उनका साझा राज़ छुपा था। सवाल का मतलब हवा में तैर रहा था, अनकहा लेकिन उसके दिमाग में ज़ोर से गूंज रहा था: अगला कब आ रहा है?

उसके गाल और लाल हो गए, और उसने जल्दी से ध्यान अनन्या पर वापस किया, कांपते हाथों से उसकी ड्रेस को ठीक करने लगी। उसका सीना गर्म हो रहा था, उसकी नब्ज़ तेज़ हो गई थी। राकेश जी की हिम्मत, कि वो सिर्फ एक नज़र से अपना हक जता रहे थे, उसे याद दिला रहे थे कि इन सवालों के जवाब जितने आसान दिखते थे, उतने जटिल थे।

“खैर,” रिया ने आखिरकार कहा, उसकी आवाज़ थोड़ी कसी हुई लेकिन स्थिर, “हम अभी अनन्या पर ध्यान दे रहे हैं। ये अपने आप में एक मुट्ठी है… लेकिन कौन जानता है? घर में और जगह तो है।”

रिश्तेदार हंस पड़े और सहमति में सिर हिलाया, उनका ध्यान वापस बच्ची पर चला गया, लेकिन रिया एक और नज़र राकेश जी की ओर डालने से खुद को रोक नहीं पाई। उन्होंने अपना ग्लास हल्के से उसकी ओर उठाया, जैसे उसके जवाब को सलाम कर रहे हों, उनकी ठरकी मुस्कान कभी नहीं डगमगाई।

उसका पेट फड़फड़ाया, गुनाह, उत्तेजना, और गुस्से का मिश्रण उसके अंदर मथ रहा था। उसने अपनी जांघें सिकोड़ लीं, उसका दिमाग उन विचारों से दौड़ रहा था जिन्हें वो दबा नहीं पा रही थी। राकेश जी की हर नज़र, हर छोटा सा इशारा, उसे याद दिलाता था कि चाहे वो कितनी भी सावधानी से अपनी भूमिका निभाए, उनके रिश्ते का सच सतह के ठीक नीचे छुपा था, जो सब कुछ उजागर कर सकता था।


दुपहर की धूप चमक रही थी, और पार्टी का माहौल अब हॉल के स्विमिंग पूल की ओर शिफ्ट हो गया था। हंसी और पानी के छींटों की आवाज़ें हवा में गूंज रही थीं। रिया ने एक डिज़ाइनर टू-पीस स्विमसूट पहना था, जिसके ऊपर एक लग्ज़री काफ्तान कवर-अप था, जिसमें नाज़ुक कढ़ाई थी। वो सिम्पल लेकिन इतना सेक्सी था कि उसकी टोन्ड कमर और कर्व्स को देखकर कुछ रिश्तेदारों की नज़रें थोड़ा ज़्यादा देर तक टिक गईं। रिया ने अपने काफ्तान के स्ट्रैप्स को ठीक करते हुए थोड़ा झिझकी, लेकिन फिर खुद को याद दिलाया कि ये एक कैजुअल फैमिली पार्टी है, कुछ भी गलत नहीं है। कुछ चाचियों और कज़िन्स की तारीफों ने उसका कॉन्फिडेंस और बढ़ा दिया।

उसने अनन्या को एक सॉफ्ट कॉटन वनसी पहनाया, जिसमें हल्की कढ़ाई थी, और एक छोटा सा सनहैट लगाकर उसके गोल-मटोल गालों को चूमा। दोनों पूल की ओर बढ़े, जहां रिया उथले किनारे पर बैठ गई, अपने पैर पानी में लटकाकर। ठंडा पानी उसकी टांगों को छू रहा था, और वो अनन्या को छींटों और किलकारियों से खुश रख रही थी।

“रिया, तू तो कमाल लग रही है,” अर्जुन का एक कज़िन पास से गुज़रते हुए बोला, दोस्ताना मुस्कान के साथ। “और अनन्या, हाय राम, ये तो सबसे क्यूट है!”

“शुक्रिया,” रिया ने गर्मजोशी से जवाब दिया, अपने ढीले जूड़े को ठीक करते हुए। उसने झुककर अनन्या का सनहैट ठीक किया, मुस्कुराते हुए, क्योंकि बच्ची खुशी से बड़बड़ाकर पानी में अपने छोटे पैर मार रही थी।

“अर्जुन, यार, चल ना!” पूल के दूसरी तरफ से एक रिश्तेदार ने चिल्लाकर कहा। “पानी में कूद जा, मज़ा आएगा!”

अर्जुन ने सिर हिलाया, डेक चेयर पर बैठा हुआ, हाथ में थंडई का ग्लास लिए। “तुम्हें पता है, मुझे तैरना पसंद नहीं,” उसने हंसते हुए जवाब दिया। “मैं तो बस रेफरी बनके मज़े लूंगा।”

रिया ने अपने पति की ओर देखा, तभी उसकी नज़र के कोने से कुछ हलचल दिखी। राकेश जी पूल की ओर आए, उनका चौड़ा, मज़बूत शरीर हाई-एंड स्विम ट्रंक्स और ढीली कॉटन शर्ट में भी ध्यान खींच रहा था। वो उथले किनारे पर उतरे, उनका कॉन्फिडेंट अंदाज़ पूरी तरह झलक रहा था, जब वो रिया और अनन्या के पास आए।

“दादाजी भी हमारे साथ?” रिया ने मज़ाकिया लहजे में छेड़ा, जब वो पानी में उसके पास बैठ गए।

“कोई तो चाहिए जो मेरी लड़कियों को सुरक्षित रखे,” राकेश जी ने जवाब दिया, उनकी मुस्कान आसान और गर्म थी, जबकि वो अपने गंजे सिर पर हाथ फेर रहे थे। उनके शब्द बाकियों के लिए मासूम थे, लेकिन रिया के अंदर एक गर्मी की लहर दौड़ गई। वो आगे झुके, अनन्या को अपनी गोद में उठाया, जो खुशी से चिल्लाई। “देखो इसे,” उन्होंने नरम आवाज़ में कहा। “पानी में तो पहले से ही मास्टर है, बिल्कुल अपने डैडी की तरह,” वो इतना धीरे बोले कि सिर्फ रिया सुन सके।

“हां, इसे पानी बहुत पसंद है,” रिया ने सहमति जताई, उसकी नज़रें अपने ससुर पर ज़रूरत से ज़्यादा देर तक टिकी रहीं। उसने हल्के से अपनी पोज़िशन बदली, पानी उसकी स्किन पर ठंडा था, लेकिन उसकी जांघों के बीच बढ़ रही गर्मी को शांत करने में नाकाम रहा।

राकेश जी ने अनन्या को अपने सीने से लगाया, पानी में थोड़ा और अंदर गए, लेकिन रिया की पहुंच में रहे। बाहर से देखने में ये एक प्यार करने वाले दादाजी और उनकी पोती की तस्वीर थी। लेकिन रिया के लिए ये कुछ और ही था। जिस तरह उनकी उंगलियां अनन्या को पास करते वक्त कभी-कभी रिया को छू लेती थीं, उनकी आंखों में वो चमक जब उनकी नज़रें मिलती थीं—ये एक खतरनाक खेल था, जिसका लालच वो छोड़ नहीं पा रही थी।

“क्या बात है, अर्जुन मज़ा मिस कर रहा है,” राकेश जी ने कैजुअली कहा, अपने बेटे की ओर इशारा करते हुए, जो पूल के किनारे लाउंज कर रहा था। “उसे अपनी बीवी और… बेटी… के साथ वक्त बिताना चाहिए था,” उनके शब्द थोड़ा रुके, जिससे रिया की रीढ़ में एक रोमांच की लहर दौड़ गई।

उसने कंधे उचकाए, अपने लहजे को हल्का रखने की कोशिश की। “कुछ नया नहीं… उसे तैरना वैसे भी पसंद नहीं…”

“हाहा, उसका नुकसान,” राकेश जी ने धीरे से कहा, उनकी आवाज़ इतनी धीमी थी कि सिर्फ वो दोनों सुन सकें। “मैं खुशी-खुशी इतनी कमाल की औरत का साथ देने की ज़िम्मेदारी ले लूंगा।”

रिया के गाल लाल हो गए, और उसने जल्दी से ध्यान अनन्या की ओर मोड़ा, जो पानी में खुशी से छींटे मार रही थी। “राकेश जी…” उसने धीरे से चेतावनी दी, लेकिन उसकी आवाज़ में कोई गर्मी नहीं थी।

“क्या?” उन्होंने मज़ाकिया लेकिन उस खास इरादे के साथ कहा, जो रिया अच्छे से पहचानती थी। “जैसा तूने कहा, इसमें कुछ नया नहीं। मैं तो बस सच बोल रहा हूं, और मुझे पता है तुझे ये कितना पसंद है, रानी।”

रिया ने अपने होंठ दबाए, उसकी नब्ज़ तेज़ हो गई। ये पागलपन था कि वो इतने आसानी से उसे हिला देता था, वो भी फैमिली पार्टी के बीच में। आसपास रिश्तेदार तैर रहे थे, खेल रहे थे, उस तनाव से बेखबर जो उनके बीच पूल के उथले किनारे पर चल रहा था। राकेश जी ने अनन्या को वापस रिया को पकड़ाया, उनकी उंगलियां जानबूझकर उसकी उंगलियों को छू गईं, जिससे उसे रोमांच हुआ।

“अच्छा लगता है, ना?” उन्होंने शांत लहजे में कहा, लेकिन उनकी नज़रें कुछ और ही कह रही थीं। “ऐसे साथ में वक्त बिताना… तू… मैं… हमारी बेटी… सब कुछ सही लगता है।”

रिया ने मुश्किल से निगला, उनके शब्दों का वज़न उसके पेट में उलट-पुलट कर रहा था। “बस करो, राकेश जी,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, घबराहट से बाकी मेहमानों की ओर देखते हुए। “सबके लिए आप बस एक प्यार करने वाले दादाजी हो, और कुछ नहीं। मैं इसे वैसा ही रखना चाहती हूं। प्लीज़, पब्लिक में, खासकर यहां, अपनी ज़ुबान संभालो?”

राकेश जी थोड़ा पीछे झुके, उनकी मुस्कान और चौड़ी हो गई। “अरे, रिलैक्स कर, रिया। मैं सावधान हूं,” उन्होंने शांत लेकिन भारी लहजे में जवाब दिया। “हम तो बस एक फैमिली हैं, धूप में पूल के मज़े ले रहे हैं।”

लेकिन उनकी नज़रें कुछ और ही वादा कर रही थीं, जिसने रिया को उनके गैरकानूनी खेल की नशीली खिंचाव में फंसा लिया।

पार्टी का जोश बरकरार था, जब रिया ने अनन्या को एक चाची को सौंप दिया, जो उत्साह से उसे थोड़ी देर खिलाने को तैयार थी। रिश्तेदार छोटी बच्ची पर लट्टू हो रहे थे, उसे हंसाने और किलकारी मरवाने में लगे थे, जबकि रिया खाली हाथों के साथ पानी में वापस बैठ गई।

राकेश जी उसके और नज़दीक सरक आए, उनकी हलचल इतनी कैजुअल थी कि कोई नोटिस न करे। उनकी उंगलियां पानी के नीचे उसकी टांग को हल्के से छू गईं, टच हल्का लेकिन जानबूझकर किया गया। रिया थोड़ा अकड़ गई, कोने से उसे देखते हुए, लेकिन वो मासूमियत का चेहरा बनाए हुए थे, पीछे हाथों पर टिके, जैसे बस दिन का मज़ा ले रहे हों।

“वैसे, तू इस स्विमसूट में कमाल लग रही है,” उन्होंने धीरे से कहा, जिससे उसके गाल हल्के लाल हो गए। “पता नहीं किसने इसे चुना…” उन्होंने चिढ़ाते हुए, जानबूझकर मुस्कुराते हुए कहा।

“राकेश जी,” रिया ने तेज़ी से फुसफुसाया, उसका पेट फड़फड़ा रहा था, उसे याद आ रहा था कि कैसे कुछ दिन पहले उन्होंने उसे ये स्विमसूट पहनने को कहा था।

“तू मुझे मार डालेगी,” राकेश जी ने ठरकी मुस्कान के साथ कहा, उनका हाथ पानी के नीचे थोड़ा और ऊपर सरक गया। उनकी उंगलियां उसकी जांघ को हल्के से छू रही थीं, जिससे उसके अंदर एक झटका सा लगा। “मैं तुझसे नज़रें नहीं हटा पा रहा, रानी।”

रिया ने अपने होंठ काटे, उसका शरीर उसे धोखा दे रहा था, क्योंकि एक छोटा सा रोमांच उसकी रगों में दौड़ रहा था। उसने पानी के नीचे उनका हाथ झटक दिया, हालांकि उसका टच कमज़ोर था। “आप गंदे बूढ़े ठर्की,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। “कम से कम पार्टी खत्म होने तक तो रुको। आपके रिश्तेदार आसपास हैं, भगवान के लिए।”

“मुझे नहीं लगता मैं रुक सकता हूं,” राकेश जी ने ज़रूरत भरे लहजे में कहा। उनकी नज़रें उसके रसीले होंठों पर गईं, फिर उसकी हरी आंखों पर, जो उसी जानी-पहचानी भूख से भरी थीं। “मुझे तू चाहिए, रानी।”

उसका इरादा डगमगा गया, उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। उनके टच की गर्मी उसकी स्किन पर रुकी हुई थी, जिससे उसके अंदर एक टीस बढ़ रही थी। उनके गैरकानूनी रिश्ते का थ्रिल नशे की तरह था, और राकेश जी को पता था कि उसे कैसे उलझाना है।

अनन्या की बेचैन किलकारियों ने तनाव तोड़ा, रिया का ध्यान वापस हकीकत की ओर खींचा। छोटी बच्ची अपनी चाची की गोद में परेशान हो रही थी, अपनी आंखें नींद भरी उंगलियों से रगड़ रही थी। “ये थक गई है,” रिया ने जल्दी से कहा, मौके का फायदा उठाकर खुद को संभालते हुए। “लगता है इसे नींद चाहिए।”

वो खड़ी हो गई, उसके स्विमसूट से पानी टपक रहा था, और उसने अनन्या को गोद में उठाया, खुद और बच्ची को तौलिया लपेटते हुए। “कोई कमरा है जहां अनन्या सो सके?” उसने घर की ओर देखते हुए पूछा, अपनी बेटी को सावधानी से सुखाते हुए।

“नीचे स्टोररूम में एक गेस्ट रूम है,” एक रिश्तेदार ने स्लाइडिंग ग्लास डोर की ओर इशारा करते हुए कहा। “वहां शांति है।”

“परफेक्ट,” रिया ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ स्थिर थी, लेकिन उसका दिमाग तेज़ी से दौड़ रहा था, क्योंकि उसे पता था कि राकेश जी पीछे नहीं हटेंगे। घर की ओर बढ़ते हुए, उसने कंधे के पीछे से एक नज़र डाली, उसकी आंखें राकेश जी से मिलीं। उनकी नज़रों का आदान-प्रदान छोटा लेकिन भारी था, एक चुपके से न्योता, जिसे शब्दों की ज़रूरत नहीं थी। उनकी मुस्कान ने बता दिया कि वो समझ गए थे।

जैसे ही रिया दरवाज़े तक पहुंची, अर्जुन ने अपनी चेयर से आवाज़ लगाई। “कहां जा रही हो, जान?”

रिया मुड़ी, अनन्या को अपनी गोद में संभालते हुए। “अनन्या को नींद आ रही है। मैं उसे गेस्ट रूम में सुलाने जा रही हूं। तू पार्टी एंजॉय कर, मैं थोड़ी देर में वापस आ जाऊंगी। इसे अकेले नहीं छोड़ना चाहती।”

अर्जुन ने सिर हिलाया, हाथ हिलाकर विदा किया। “ठीक है। कुछ चाहिए हो तो बता देना।”

 
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