Update-5b
विजय ना जाने क्यू गुस्से मे कुछ ना बोले सो गया ।
दुसरे दीन सुबह विजय आंखे पोछते हूए निंद से जागा सरला नहा रही थी । विजय की नजरे बाथरूम की ओर कुछ मजेदार दीन की शुरूवात लायक टटोलने की कोशीश कर रही थी । और जब सरीता बाथरूम से पेटीकोट और चोली मे बाहर आई तो विजय की आंखे सरीता के रसिले बदन को हवस मिटाने की मशीन के नजर से देखने लगी । विजय मन ही मन कहने लगा....”साललला आजज अपन को समझ आ रेला है समिर लौडा क्यू उसकी मां को चोदता है, साली ये घर की कुतिया पे अपन ने कबी बुरी नजर डाली हीच नई, पुरा तय्यार माल है ये तो, मन तो कर रेला है अबीच ईस रंडी को बीस्तर पे खिंच के नंगा करके चोदू, आहहहहहा क्या चुचि क्या गांड उममममह मजा आ गया” सरीता तो हर रोज नहाने के बाद पेटीकोट चोली मे बाहर आती थी पर आज विजय के लिए घर की ये औरत कीसी मादक परी से कम नही लग रही थी । सरीता के ब्लाउज का उपर वाला हुक खुला था जिससे सरीता की मोटी मोटी चुचिंया आधी बाहर दीख रही थी उसने बडी ताकद से हुक लगाया बेचारी सरीता की नरम चुचिंया बेरहमी से चोली मे कसी थी मानो कह रही हो कोई हमे इस पिंजरे से आझाद करो हम कबूतरों को खुली हवा मे फडफडाने दो । और फीर आईने के सामने आ कर सरीता ने अपना पिछवाडा विजय की ओर घुमाया सरीता के गोल-गोल चुत्तरो मे पेटीकोट फसा था । सरीता की मोटी गांड गीली होने से पेटीकोट को चिपक गई थी । सरीता अपने बाल सुखाने लगी सरीता की मोटी-मोटी चुचींयो जो सरीता बाल पोछते समय हील रही थी । विजय पेंट मे तन कर खडे लंड का सुपडा सहलाते अपनी मां की रसभरी जवानी का रसपान कर रहा था ।
सरीता ये सब आईने से देख रही थी विजय की सरीता के अधनंगे बदन को घुरती नजरे सरीता पहचान ती थी वो जानती थी उसके जवान बेटे को औरत के जीस्म की जरूरत है पर वो कर भी क्या सकती थी । विजय की शराब की लत ने उसे पुरा बरबाद कर दीया था, विजय के पास ना कोई नौकरी थी जिससे सरीता विजय की आगे की जिन्दगी पटरी पे ला सके । सरीता ने ठान ली वो विजय की बुरी आदतें मिटायेगी । और शायद उस सुबह वो शुरूवात कहां से करनी है वो समझ चुकी थी।
दोपहर हुई सरीता ने खाना लगाया विजय सरीता से बिल्कुल बात नही कर रहा था
सरीता- विजय बेटा ले गरम गरम खाना खा ले
विजय ने चुपचाप थाली लेकर खाना खाने लगा