पाटन शहर एक बहुत पुराना शहर है, जो नदी के किनारे बसा हुआ है। शहर की गलियां सकरी और घर भी छोटे छोटे है। पुराने शहर के बाहर हवा सड़क के दोनो ओर नई कॉलोनियाँ बस रही है। सब लोग यहीं नए घर बना रहे हैं। यहाँ सहाय कॉलोनी मे महेश ने नया घर बनाया है। घर के बगल मे एक गलियारा है और आगे गार्डन है।
सुबह के 5 बज रहे हैं। महेश की पत्नी मालिनी नहा कर घर के बगल के गलियारे मे सूर्य भगवान को जल अर्पित करके गीले कपड़े तार पर सुखा देती है और खाली बाल्टी लेकर वापिस घर के अंदर आ जाती है। मालिनी बाल्टी को बाथरूम मे रखकर रसोई मे आ जाती है। भगवान के दिया जलाती है और चाय के लिए पानी गैस पर चढ़ा देती है। जब तक उसकी पूजा पूरी होती है चाय भी बन जाती है। मालिनी 2 कप मे चाय डालकर बाहर गार्डन मे आ जाती है जहाँ उसका पति महेश टहल रहा था। मालिनी उसे चाय देती है। दोनो कुर्सी पर बैठकर चाय पीने लगते है, तभी अखबार वाला आ जाता है। अब महेश चाय पीते हुए अखबार पढ़ने मे खो जाता है और मालिनी ताजी हवा का मज़ा लेते हुए चाय की चुस्कियां लेने लगती है। चाय के खाली कप लेकर मालिनी रसोई मे आ जाती है और सुबह के नाश्ते की तैयारी करने लग जाती है।