महेश मालिनी के मोटे मोटे रसभरे होंठ चूसने लगा। महेश अपनी पत्नी के निचले होंठ को मुह मे लेकर बेतहाशा चूस रहा था। चुम्बन के दरमियान हि महेश ने मालिनी के बदन को साड़ी के बंधन से मुक्त कर दिया और अपने हाथ उसके गड़राये पेट से होते हुए मालिनी के कसे ब्लाउज पर ले आया। मालिनी ने भी महेश का पज़मा और चड्डी निकाल दी। अब महेश का 8 इंच का लंड मालिनी के कोमल हाँथों मे आ गया। लंड का स्पर्श पाते हि मालिनी का तन बदन गरम भट्टी की तरह तपने लगा। मालिनी ने अब महेश की जीभ अपने मुह मे ली और बेतहाशा चूसते हुए हलके हलके अपने पति का लम्बा मोटा लंड हिलाने लगी। महेश ने भी अपनी कामोत्तेजना मे जलती बीवी के मोटे मोटे स्तनों को आजाद कर दिया और हलके हाथों से उनपर अपनी छाप छोड़ने लगा। इस काली नशीली रात का गुज़रता हर एक हसीन लम्हा दोनो पति पत्नी के जिस्मों की आग को और ज्यादा भड़काता जा रहा था।
तभी कोई बहुत तेज़ आवाज़ हुई। आवाज़ से दोनो चौंक गये और जल्दी से कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आये। देखा तो पता लगा रसोई की खिड़की खुल्ली रह गयी थी तो बिल्ली अंदर आ गयी थी। उसी ने बर्तन जमीन पर गिरा दिया था उसी की आवाज़ थी। दोनो बिल्ली को भगाकर खिड़की बंद करके रूम मे आ गये। महेश फिर से मालिनी के करीब आने लगा तो मालिनी बोली- जनाब अब सो जाइये सुबह जल्दी उठना है। 5 बजे की ट्रेन है। बाकी की मिठाई फिर कभी खाना।
ये कहकर हसते हुए मालिनी लेट गयी। महेश भी मन मसोस कर सोने का प्रयास करने लगा। उसे उस बिल्ली पर बहुत गुस्सा आ रहा था पर वो कुछ कर नही सकता था तो सो गया।
सुबह 4 बजे मालिनी ने महेश को उठाया और नहाने को भेज दिया। मालिनी ने चाय बनायीं। महेश नहाकर आया। दोनो ने चाय पी। तबतक बच्चे भी उठकर नीचे आ गये। तभी रमा और रमेश भी आ गये। रमेश अपने गाड़ी से महेश और मालिनी को स्टेशन छोड़ने जा रहा है। मालिनी ने बच्चों को रमा आंटी की बात मानने और उन्हे परेशान ना करने की हिदायत दी और रमा से बच्चों का ध्यान रखने को कहा। फिर वो स्टेशन के लीए निकल गये।