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Erotica कोमल ( Completed )

aamirhydkhan

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कमनीय कोमल

नेट पर एक कहानी पढ़ी है एक कमसिन कमनीय लड़की कोमल की और नौजवान की जो अभी जवानी की तरफ बढ़ रहा है कैसे छेड़छाड़ उत्सुकता से प्यार परवान चढ़ा और फिर पहला मिलन हुआ

कहानी मेरी नहीं है पर समयानुसार कुछ काट छांट जरूर की है

लेखक में दो नाम सामने आये mrindia और bbmast
असली लेखक के बारे में काफी प्रयास करने पर भी पता नहीं चला .. किसी ने अगर पढ़ी ही और असली लेखक के बारे में जानते हो तो अवश्य बताना उन्होंने बहुत अच्छी कहानी लिखी है
कहानी से उनका नाम जुड़ा होना चाहिए

उसे यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ आशा है पसंद आएगी


परिचय

पुरानी बात है, मैंने स्कूल से निकल कर कॉलेज में कदम रक्खा ही था, सारा माहौल उस समय रूमानी लगता था, हर लड़की खूबसूरत लगती थी, शरीर और दिमाग में मस्ती रहती थी, शरीर जैसे हर समय विस्फोट के लिए तैयार, मुठ मारने लगा था, लंड बेचैन रहता था, वैसे मैं पढाई में भी तेज था और क्लास में ऊँचे दर्जे से पास होता था, इस वजह से घर और बाहर इज्जत थी, किसी चीज के लिए घरवाले मना नहीं करते,

उसी समय गर्मी की छुट्टियां हुई और मेरे ताउजी के एक घनिष्ट मित्र अपनी पत्नी और बेटी के साथ हमारे घर आये तीन चार दिनों के लिए, उन्हें पुरी जाना था और हमारे यहाँ रुके थे, बेटी अलीगढ़ के एक स्कूल में छात्रा थी और अभी अभी परीक्षा का रिजल्ट आया था जिसमे पास हो गयी थी, छुट्टियों के बाद आगे पढाई जारी रखनी थी.

उसके परिवार से हमारा बहुत पुराना सम्बन्ध था और मेहमानों जैसी कोई बात नहीं थी. उसके पिताजी भी मेरे पिताजी के दोस्त जैसे ही थे. पहले हम संयुक्त परिवार में रहते थे, तीन चार सालों से ताउजी व्यापार के लिए पूना रहने लगे थे. कोमल को बहुत सालों के बाद देखा था.


कहानी जारी रहेगी

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komaalrani

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aamirhydkhan

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कोमल को मेरे बारे में याद तो था, पहले बिलकुल एक छोटी बच्ची सी थी जब देखा था, हमलोग मकान के पीछे के बाड़े में खेले हुए थे और उसे याद था की साथ ही आइसक्रीम खाने और पिक्चर देखने गए थे जब वो एक दो बार आयी थी, अब जब वो आयी तो मैंने देखा की वो बड़ी लगने लगी थी, शरीर भर गया था, ऊँचाई भी पूरी हो गयी थी, अब वो सलवार पेहेनने लगी थी, मेरा भी देखने का अंदाज बदल गया था, पहले इस तरह से देखा नहीं था, अब वो शर्माती थी, और ज्यादा कर अपनी माँ के साथ ही रहती, थोड़ी बहुत बातें हुई लेकिन झिझकते हुए, मुझे वो बहुत अच्छी लगी, सुन्दर तो थी ही लेकिन जवानी आने से और भी मदमस्त लगने लगी थी,

मैं उससे दोस्ती बढ़ाने और किसी भी तरह उसे आगोश में लेने के लिए व्याकुल हो गया, अब छुट्टियों के बावजूद में दोस्तों के पास नहीं जा रहा था और घर में ही रहता, छोटे भाई के जरिये कोमल के साथ कैरम, लूडो खेलने की योजना बनाता और उसके सामने रहने की कोशिश करता, वो लोग तीन चार दिन के लिए ही आये थे, बातों बातों में अकेले में मैंने एक दो बार उसकी ख़ूबसूरती की तारीफ़ की तो वो शर्मा गयी, लगा जैसे की उसे यह सुनने में अच्छा लगा.

दूसरी रात को मैं, कोमल और भाई जमीन पर बैठे लूडो खेल रहे थे, माँ पिताजी वगैरह दुसरे कमरे में थे, मैं मौका पाकर कोमल के हाथों को और बाँहों को छु देता था, एक दो बार मैंने पासा फेंकते हुए अपना हाथ उसके जांघों पर भी रख कर हलके से दबा दिया था पर उसने कोई विरोध नहीं किया, शायद उसे लगा हो की अनायास ही ऐसा हुआ हो, उसकी भरी भरी गुदाज जांघों के स्पर्श से बिजली सी शरीर में कौंध गयी, मेरा शरीर अब आवेश से गरम हो रहा था, रात को मैं हाफ पैंट पेहेन कर सोता था,

मैंने कोशिस की और कोमल के और नजदीक खिसककर हो गया, मैंने धीरे से अपने एक पैर के पंजों को कोमल की जांघों के नीचे घुसाना शुरू किया, उसने मेरी ओर देखा पर कहा कुछ नहीं और दूर हटने की कोशिश भी नहीं की, मेरी हिम्मत बढ़ी और मैं पैर की उंगुलियों से उसके जांघों के नीचे हिस्से को सहलाने लगा, मुझे लगा की मेरे पैरों पर किसी ने गरम कोमल स्पंज रख दिया है, थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया की कोमल ने अपनी जांघों को कुछ ऊपर किया जैसे की मुझे और अन्दर तक पैर डालने के लिए कह रही हो, मैंने हिम्मत कर अपने पंजो को और अन्दर किया, अब मेरे पंजे बिलकुल उसके योनी के नजदीक थे, मैं धीरे धीरे अपने पैर के अंगूठे से उसके योनी के पास उसे छेड़ रहा था,

मेरा लंड बेकाबू हो गया था, मैं उसे अपना फुफकारता हुआ लंड दिखाना चाहता था, अब मन खेल में नहीं था, कोमल भी बेमन से खेल रही थी, उसकी आवाज़ उखड़ रही थी, लग रहा था उसका गला सूख गया है, मेरे पैर की उंगलिया अब उसके योनी के ऊपर तक पहुँच गयी थी, मैं अंगूठे से उसकी बूर दबा रहा था, मुझे लगा जैसे की उसकी बूर से कुछ पानी जैसा निकला हो, उसकी सलवार गीली लग रही थी, मेरे लिय बैठना मुश्किल था, मैंने कोमल से कहा मेरी गोटियाँ ऐसे ही रहने दो और तुम दोनों खेलो और मैं सुसु से आता हूँ फिर तुम्हे हराऊँगा,

मुझे मालूम था भाई जीत जायेगा , वो बहुत लूडो खेलता था, वही हुआ, थोड़ी देर में वो जीत गया और खेल से बाहर हो गया, अब मैं और कोमल थे, भाई अपने बेड पर जा कर किताब पढ़ने लगा, मैं आकर अपनी जगह बैठ गया, कोमल से कहा आगे खेलो, और पहले की तरह अपने पंजों को कोमल के जांघों के नीचे सरकाने लगा, कोमल ने बिना कुछ कहे जांघे ऊपर की और मैं उसकी बूर को कुरेदने लगा, अब हम खेल का बहाना कर रहे थे, थोड़ी देर बाद देखा तो भाई सो रहा था, अब वो बार बार मेरी तरफ देख रही थी, मैंने एक प्लान किया था, बाथरूम से वापस आते समय अपने पैंट के सामने के दो बटन खोले लिए थे, अब बैठते समय वहां बने सुराख़ से लंड थोड़ा थोड़ा झांक रहा था, कोमल की नजर उसपर पड़ रही थी, मैं ऐसा बना हुआ था की मुझे मालूम ही नहीं हो ही मेरे बटन खुले हैं, मैं कनखियों से देख रहा था,

कोमल की नजर बार बार उस और जा रही थी, मेरा निशाना ठीक था, कोमल और मै दोनों व्याकुल थे, हम खेल रहे थे लेकिन कोई दूसरा ही खेल चल रहा था, दोनों चुप थे, लंड अन्दर बने रहने को तैयार नहीं था, आवेश में फटकर बाहर आना चाहता था, मैं कोमल को बार बार अब छु रहा था , कभी जांघों पर, कभी उसकी कमर पर, कभी उसके हाथों को पकड़ रहा था, उसका जिस्म बहुत ही भरा भरा था, अचानक मैंने देखा कोमल की आँखे मेरे पैंट नीचले हिस्से पर जम गयी हैं, लंड बेकाबू होकर सामने के दरवाज़े से बाहर फिसल पड़ा, अपनी उत्तेजित अवस्था में तना खड़ा था पुरी लम्बाई के साथ, लाल सुपाड़ा, वासना की तरलता से चिकना और चमकता हुआ, ६.५ इंच लम्बा, मोटा और कुछ कुछ हल्का कलास लिए हुए, तनाव से फडफडा रहा था,

कोमल स्तब्ध सी फटी फटी आँखों से देख रही थी, मैं फिर भी अंजान सा बना उससे पासा फेकने को कहता रहा, कोमल भी उत्तेजित थी, उसकी बूर का पानी मेरे अंगूठे को गीला कर रहा था, उससे रहा नहीं गया और वो उठ कर भागी, कहा "मुझे अब नहीं खेलना है" , समझ में नहीं आया की कहीं नाराज तो नहीं हो गयी.


कहानी जारी रहेगी

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सहेली का हलाला अपने शौहर से करवाया

हलाला के बाद
खजाने की तलाश Completed
 

chachajaani

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अच्छी कहानी लग रही है। और अच्छा लगा जो शुरू में आपने ईमानदारी से बताया की कहानी दूसरे की है। आगे पोस्ट करिये
 
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aamirhydkhan

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अब लंड को शांत करना आसान नहीं था, मैं उठा लाइट बंद की और बिस्तर पर लेट गया, कोमल की गुदाज झंघे और उसके भारी नितम्ब याद आ रहे थे, उनको नंगा देखने की इच्छा तेज हो गयी, उन्हें छूने की और चूमने की इच्छा हो रही थी, उसकी योनी का गीलापन परेशान कर रहा था, उसके उठे हुए वक्ष और भरे नितम्बो को याद कर रहा नहीं गया, मुठ मार कर लंड को शांत किया, भरभराकर वीर्य निकल पडा, कब गहरी नीद आयी मालूम नहीं. गर्मी का समय था, लगभग सुबह ५-६ बजे नीद खुली तो पाया मुहं में एक अजीब क़िस्म का कड़वा मीठा सा स्वाद है.

ताज्जुब हुआ, शीशे में देखा तो मुहं में चोकलेट लगी हुई थी और लगा किसीने जबदस्ती मुहं में चाकलेट डालने की कोशिश की थी, यह किसने किया होगा मैंने सोचा, कमरे से बाहर आया और कोमल के कमरे में झांक कर देखा वह सो रही थी, उसकी माँ और पिताजी नहीं थे, फिर मैंने अपने बाबूजी के कमरे में देखा वहां भी कोई नहीं था, मुझे ध्यान आया रात को माँ ने बताया था की उनलोगों के साथ सुबह का दर्शन करने मंदिर जाने का प्रोग्राम था और घर की चाभियाँ मुझे दी थी, मंदिर हमारे यहाँ से कोई ४५ किलोमीटर होगा , बाहर देखा तो गाड़ी गैरेज में नहीं थी, मतलब था उनको कम से कम २-३ घंटे तो लगेंगे, मैं समझ गया यह चोकलेट की बदमाशी हो न हो कोमल की ही थी,

मैं वापस आया और कोमल के कमरे में देखा, वो ऐसे ही सो रही थी पैर फैला कर नितम्बों को ऊपर किये, वक्ष को गद्दे पर दबाये हुए, उसकी चूत के निचले हिस्से का का हल्का उभार उसके सलवार में दिख रहा था, मैं नजदीक आया और गौर से देखा उसने अन्दर पेंटी नहीं पहनी हुई थी, कुर्ती ऊपर सरक गयी थी, की कमर को सलवार के नाड़े ने घेर रखा था, मुझे रात को सताया, मैंने भी बदला लेने की सोची, कोमल का पूरा शरीर उस समय गजब की सेक्सी अवस्था में गद्दे पर फैला पड़ा था, वो पुरी नीदं में बेखबर सो रही थी, मैंने उसके नजदीक बैठ गया और उसके बेधड़क फैले शरीर का आनंद लेने लगा, गदराया बदन, कमर गोरी जिसपर सलवार बंधी थी, उभार के साथ बड़े नितम्ब, बाल खुले, साँसों के साथ वक्ष ऊपर नीचे हो रहा था, कोई प्रतिमा सी लग रही थी, जैसे बुला रही थी मुझे ले लो,

मुझे अपने पर कंट्रोल नहीं रहा, मैं उसकी पीठ की और बैठा था, धीरे धीर कुर्ती को और ऊपर सरकाया, वो थोडा कुनमुनाई पर उठी नहीं, अब उसकी पूरी नंगी कमर दिख रही थी, मेरे हाथ काँप रहे थे, मैंने धीरे से हाथ कमर पर घेर कर सलवार के नाड़े को खींचना शुरू किया, डर भी लग रहा था की कहीं उठ न जाए और बात बिगड़ जाये, नाड़ा खुल गया और सलवार की पकड़ कमर पर ढीली हो गयी, मैंने सलवार को नीचे खिसकाना शुरू किया लेकिन सलवार थोड़ी सी नीची होकर रुक गयी, वो गद्दे और नितम्ब के बीच में दबी थी, और खींचने पर कोमल जग जाती, कोमल के गोरे और चिकने नितम्ब अपनी उभार के साथ ऊपरी हिस्सा दिख रहा था, नितम्बों के बीच की दरार दिख रही थी , मैंने धीरे से हाथ उसके नितम्बों पर रक्खा और चूम लिया, हाथ को दरार के ऊपर से नीचे सरकाने की कोशिश की तो गरम हवा सी हथेलियों में लगी, बहुत मजा आ रहा था और डर से एक रोमांच भी हो रहा था, मेरे शरीर के रोंये खड़े हो गए थे,

..पहली बार किसी लड़की के नितम्ब खुले देख रहा था, वो भी इतनी नजदीक से और उनको प्यार करने और चूमने का अवसर भी, मैंने कभी स्वप्न में भी सोचा नहीं था, कोमल जवान कली थी, अभी जवानी का रंग चढ़ ही रहा था, बिलकुल नादान सी, लेकिन शरीर ऐसा भरा हुआ और नशीला बनाया था भगवान ने, मैं देखता रह गया, सुडौल विकसित नितम्ब, गोरे और इतने चिकने, भूरी लालिमा के साथ नितम्बो के बीच की दरार जो उसकी योनी तक जा रही थी, मुझसे रहा नहीं गया, मैं जीभ और होठों से नितम्बो की पहाड़ियों को चूम चाट रहा था, वासना ने मुझे निष्फिक्र बना दिया था, शायद कोमल को कुछ आभास हुआ और उसने मेरी ओर करवट ली.

अब उसका जोबन ऊपर की तरफ उठा हुआ, सलवार नाभी से नीचे, नाड़ा खुला, नीन्द में श्वास लेती , वक्ष ऊपर नीचे श्वास के साथ, मैं उसके चहरे को देख रहा था, कमर कटाव के साथ, वक्ष विकसित और कुर्ती के ऊपरी हिस्से से वक्ष का मांसल भाग बाहर निकल पड़ने को तैयार, अब सलवार को नीचे खींच पाना आसान था, बहुत धीर से नितम्ब के किनारे सलवार को पकड़ कर खींचा और सलवार जैसे कोई निकलना ही चाहती हो ऐसे निकल पडी, घुटनों तक सलवार को नीचे किया, सामने कोई अप्सरा नींद में बेफिक्र सो रही थी, मैं उसकी योनी देखा कर जैसे होश खो बैठा, आज पहली बार लड़की की योनी देखी वो भी एक कली की, बहुत हलके मुलायम बाल योनी पर, सुनहरे, अभी आने ही शुरू हुए थे ऐसा लगा, योनी के दोनों भाग फूले हुए, मीठे मालपुए की तरह, .....

.............एक खूबसूरत कमसिन कन्या जिसपर नई नई जवानी का खुमार चढ़ ही रहा था, इस प्रकार बेसुध सोई हुई अर्धनग्न, अपने बहुमूल्य खजाने को अनजाने में दिखाती हुई, उसे पता भी नहीं था वो क्या कर रही है, स्तनों का उन्नत उभार, कटीली कमर, योनी के दोनों ओर के फूले हुए पट, योनीद्वार के किनारे के सुनहरे बाल, मोटी गोरी झांघों का योनीद्वार के पास मिलकर बनता हुआ त्रिकोण और उसपर मासूमियत भरा उसका चेहरा गहरी नींद में बेखबर. यह दृश्य मुझे पागल बना रहा था. पाठकों, क्या कभी आपने जवान होती हरे भरे शरीर वाली कमसिन कली को अर्धनग्न देखा है और वो भी बेसुध बेखबर ?

दोस्तों आपने भी जाना होगा की चोरी चोरी छुप के होनेवाली मस्ती का आनंद कुछ और ही होता है, कोई देख लेगा ऐसा एक रोमांच, शरीर में एक झुरझुरी, भय और आनंद का मिश्रण.खुले सेक्स में वो मजा कभी नहीं. मैंने कोमल की योनी के पास मुँह ले गया और स्वास ली, एक नशीली सुगंध, कोमल के शरीर की मोहक सुगंध उसके योनी के पसीने और रात को की गयी मूत्र परत से निकलती सुंगंध मिलकर एक अजीब समाँ बन रहा था,रहा नहीं गया, मैं धीरे से योनी पट को चूम रहा था, मन हो रहा था के योनी को हाथों से फैलाकर योनी छिद्र में अपनी जीभ डाल कर चूम लूं चाट लूं और उसे बाँहों में भर कर प्यार करूँ...........

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aamirhydkhan

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...........जांघों को धीरे से फैलाया की कोमल की नींद ना खुल जाये, हसीन दृश्य, अपनी जीभ को योनी पंखुड़ियों से सटाकर उन्हें चूमा नमकीन स्वाद मादक कर रहा था. तभी याद आया रात इस लड़की ने मुझे सताया है और बदले की भावना आ आगई, अपने आप को कण्ट्रोल करता हुआ मैं रसोई में गया और फ्रिज से चोकलेट क्रीम लेकर आया, कोमल वैसे ही सो रही थी, दोनों पैरों को और थोडा फैलाया और एक घुटने के नीचे तकिया लगाया, योनी द्वार अब साफ़ दिख रहा था, योनी के दोनों ओर के दरवाज़ों को बहुत सावधानी से फैला कर चोकलेट क्रीम उड़ेल दी उसके त्रिकोण पर ओर चद्दर से ढक कर वापस अपने कमरे में आ गया, दिमाग से खुमार उतर नहीं रहा था.

यह तो अच्छा हुआ कोमल की नींद नहीं खुली वरना क्या होता पता नहीं. मैं सांस रोके सोच रहा था क्या होता है, बार बार उसके कमरे में झांक आता था, कुछ देर बाद झाँका तो देखा वो उठ कर गद्दे पर बैठी हुई थी, उसके हाथों में चोकलेट क्रीम लगी थी और बार बार झुक कर अपनी योनी को देख रही थी और हाथों को योनी के ऊपर रगड़ कर क्रीम हटा रही थी, उसने योनी के दोनों ओर के पाटों को फैलाया, अन्दर की लाल दीवार दिख रही थी जिसपर भूरे रंग का चोकलेट क्रीम लसा पड़ा था, उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे, मुझे दया आने लगी, कोमल ने अपनी कुर्ती के कोने से योनी के अन्दर की पुत्तियों और बाहर मालपुए से फूले हुए पाटों को साफ़ किया और कमरे से बाहर की तरफ आने लगी, मैं भागा.... और



.....आप सोचें की एक कुंवारी कमसिन कन्या जो अभी खिलती हुई कली ही है और एक लड़का जिसने जवानी की तरफ ही प्रवेश किया है, सेक्स के बारे में कितने उत्सुक और अधीर होंगे, यह मैंने बाद में जाना की कोमल भी सेक्स की रंगीन दुनिया के लिए सोचती थी और कमसिन कन्याएँ जितना सोचती हैं और अधरी होती हैं उतना और किसी उम्र में शायद ही होती होंगी और इस आनंद को प्राप्त करने के लिए नए प्रयोग करने से भी संकोच नहीं करती... कोमल बाथरूम में गयी और सलवार उतार कर अपने योनी स्थान को धोने लगी, बाथ का दरवाज़ा आधा खुला छोड़ दिया था, शायद उसने सोचा नहीं इतनी सुबह कोई होगा और मैं पीछे से देख रहा होऊँगा. अद्भुत दृश्य...

बनाने वाले ने गज़ब के नितम्ब और जांघें दी थी, गोल, भरे भरे मांसल,गोरे, बिलकुल जैसे सांचे में ढले हुए, मै उसकी योनी नहीं देख पा रहा था, पानी की धार योनी को साफ़ करती हुई जांघों के बीच से पैरों पर होती हुए नीचे गिर रही थी, उसकी कुर्ती गीली हो गयी थी, मैं दरवाजे के पीछे छुप कर देख ही रहा था की वो अचानक ही मुड़ी और मुझे देख स्तब्ध हो गयी, यही हाल मेरा था, उसने सलवार नहीं पहनी थी, सामने से अर्ध नग्न, योनी जांघें और पैर पानी से गीले, योनी पर के हलके सुनहरे बाल योनी से चिपके हुए, स्तन उन्नत और कुर्ती को फाड़ बाहर आने को तैयार, स्तन का ऊपरी हिस्सा गोरा चिकना आकर्षित कर रहा था.

लेकिन हम दोनों को काटो तो खून नहीं ऐसी हालत थी..... कोमल ने हड़बड़ा कर अपनी सलवार खूंटी से खींची और बिना पहने ही अपने कमरे की ओर भागी, मैं देखता रह गया, एक जवान नंगी कन्या के नितंबों को, हिलते और मचलते हुए . मेरा मन बेचैन, रहा नहीं गया, मैं कमरे के तरफ आया, कोमल ने सलवार पेहेन ली थी, बाहर निकलते हुए बोली यह तुमने किया ?

मैंने अनजान बनते हुए पुछा, क्या किया ?

"ज्यादा चालाक मत बनो तुमने मुझे चोकलेट क्रीम से पूरी तरह लस दिया, और इस तरह ?"

"तो किस तरह , तुम ने भी रात को क्या किया"

"पर मैंने तुम्हारे मुहं में लगाया और तुमने......." और बोलते बोलत वो रुक गयी

"और मैंने क्या, तुम्हें जो अच्छा लगा वहां तुमने लगाया, मुझे जो अच्छा लगा वहां मैंने लगाया "

कोमल की तो आवाज ही बंद होगई सुनकर, "तुम गंदे हो " उसने कहा,

"तुमने कपडे ख़राब कर दिए मेरे, मेरी सलवार पर दाग लग गए, कैसे छूटेंगे "

" और मेरे पैंट पर जो दाग लगे वो क्या" मैंने कहा,

"झूठ, मैंने वहां नहीं लगाया " कोमल बोल पड़ी

"तुमने लगाया, यह देख" मैंने अपना अन्दर्वेअर लाकर दिखाया जिसमें रात वीर्य पोंछा था, सूख कर दाग हो गए थे,

"यह चोकलेट थोड़ी है, यह क्या है, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया " और कोमल मेरे अन्दर्वेअर को देख शर्मा गयी, उसे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या बोल रहा हूँ,

" यह तुम्हारी वजह से है, तुम्हारे कारण यह निकला" मैंने कहा,

"निकला ?" उसने अनजाने में पुछा,

" मेरा रस "

" तुम्हारा रस मतलब ?" वो वाकई अनजान थी,

"तुम गुस्सा नहीं हो तो मैं बताऊँगा तुमने क्या किया मेरे साथ " मैं अब उससे कुछ खुल गया था और मुझे अपने पर काबू नहीं था, मैं चाहता था की बात को उस ओर मोड़ कर उसकी प्रतिक्रिया देंखूं,

"बोलो" उसने कहा

"गुस्सा नहीं होना, यह देख क्या किया " कहकर मैंने अपने अपने लिंग पर हाथ रक्खा जो अब फिर से फुफकार रहा था और पैंट के एक तरफ के किनारे को ऊपर कर लिंग की चमड़ी को पूरा पीछे खींच भरपूर लाल सुपाड़े की झलक उसे दिखाई, लिंग था मोटा और लाल, उसकी आँखें पथरा सी गयीं, एकटक निहारने लगी,

"आआअ, उईई, यह क्या है....आआआआ..शी शी शी शी........ओह हो यह क्या है ...." कोमल का चेहरा आश्चर्य से भरा था, आँखें सुपाड़े पर अटकी थी,

और आवाज़ भारी हो गयी जैसे गले में रुंध गयी हो, लिंग फडफडा रहा था, शिष्न बिंदु पर रस की बूँद दिख रही थी, उसने मुझे देखा,

"देख क्या किया, यही रस है, तुमने ऐसा किया " कहकर मैंने सिस्न चमड़ी को आगे पीछे किया, रस की बूँद स्पष्ट थी, सिस्न चिकना और गीला हो गया, कोमल देखे जा रही थी लिंग का रूप, उससे रहा नहीं गया और अनायास वो सिस्न पर फूँक मारने लगी, साथ ही अजीब सी आवाज़ भी कर थी, आह ऊह्ह ... उसने कहा "मैंने तो रात को इसे छुआ भी नहीं फिर यह ऐसा रस सा क्या निकल रहा है " ........ कोमल के नजरें मादक थी, लग रहा था वो सिस्न को हाथ में लेने के लिए बेताब थी, गुस्सा होना तो दूर वो तो अचरज से मरी जा रही थी जैसे कोई बच्चा नए खिलौने के लिए व्याकुल हो.

मैं कुछ कहता इससे पहले ही कोमल ने हाथ आगे बढ़ा कर सिस्न को पकड़ लिया और अपने हाथों से चमड़ी को आगे पीछे करने लगी और साथ ही फूँक मार रही थी, लिंग से जैसे लावा ही फूट पड़ेगा ऐसा लगा, मैं किसी और ही दुनिया में था, विश्वास नहीं हो रहा था की कोमल ने मेरे लिंग को थाम रक्खा था और उसे सहला रही थी, " क्या चीज़ है .... आह्ह्ह्ह ये ऐसा क्यों हो गया, इतना लाल और लगता है रो रहा है, ...." कोमल बोल रही थी, उसने मुझे देखा, आँखों में जैसे गुलाबी नशा....."तुमने इसे छोड़ दिया और चोकलेट नहीं खिलाई इसलिए रो रहा है..." मैं बोला और कोमल को कंधे पकड़ कर खड़ा किया, अब उसके होंठ मेरे सामने थे, मैंने धीरे से उनको चूमा, और हाथ कमर के पीछे बाँध उसे आगोश में भर लिया, उसके स्तन मेरे सीने से दब रहे थे, उसने भी मेरे कमर में हाथ डाल मझे अपने से सटा लिया.

मैं समझ गया वो लाल मस्त लिंग को देख कर गरम हो गयी थी और सब कुछ भूल कर वासना में बह गयी थी, कोमल की हालत मदहोश जैसी हो गयी, वो मेरे हाथों पर गिर पडी, धीरे से उसे पलंग पर लेटाया..........सिस्न उसके हाथों में पकड़ा कर कुर्ती के ऊपर से उसके उरोजों को सहलाने लगा, धीरे धीरे स्तनों को सहला रहा था, दबा रहा था, मेरा हर काम उसकी कामाग्नी बढ़ा रहा था, उसके मुहं से अजीब सी आवाजें निकल रही थी, मेरे सिस्न को छोड़ने को तैयार ही नहीं, उसे खींच रही थी , दबा रही थी....सिस्न रस से लसपस था, मैंने कुर्ती के ऊपर के बटन खोले बहुत सावधानी से की उसको किसी प्रकार का डर ना लगे.....

सिस्न रस से लसपस था, मैंने कुर्ती के ऊपर के बटन खोले बहुत सावधानी से की उसको किसी प्रकार का डर ना लगे.........दुधिया उरोजों की उठान, कोमल की सांसें तेज चल रही थी, मेरे लिंग के साथ बहुत मजे से खेल रही थी, उसे खींचना, पकड़ कर मचोड़ देना और पूरे लाल सुपाड़े को निकाल कर उसपर फूंक मारना, हैरानी और प्यार से देखना, मैं भी व्याकुल था, कुर्ती के बाकी बटन खोल उरोजों को आजाद किया, मस्त बिलकुल विकसित, बहुत ही गुदाज, दूधिया चमकते उरोजों के जोड़े, गुलाबी घुन्डियाँ और ऐरोला, इस उम्र की लड़कियों का अगर शरीर विकसित हो तो अत्यंत गुदाज और वासनामयी हो जाता है.

कोमल अच्छे परिवार से थी, खानपान अच्छा था, इस उम्र में खाती पीती लड़कियों के शरीर में एक प्रकार का भारीपन आजाता है और नितम्ब और कूल्हे भर जातें हैं, वक्ष विकसित हो शान से अपनी उठान दिखाते हैं, अपने वजन से भी झुकते नहीं, चोली हर समय टाईट हो जाती है, झांघें बड़ी और मांसल हो जाती हैं, योनी पट फूल उठते हैं और योनी द्वार को ढक लेते हैं जैसे किसी कीमती चीज़ का बचाव कर रहें हो, योनी पर हलके बाल आ जाते हैं, योनी श्राव शुरू हो जाता है, चेहरा भर जाता है और एक मादकता हर समय चेहरे पर रहती है, आँखें चंचल हो जाती हैं, पसीने में एक नशीली खुशबु हो जाती है, कोई रूप और शरीर की प्रसंशा करता रहे ऐसी तमन्ना इस नाबालिग उम्र में हरसमय होती है, किसी अच्छे लगने वाले का हल्का स्पर्श भी शरीर में जैसे बिजली भर देता है और खुमारी छा जाती है, कोमल की उम्र भी वही थी......

..मैंने सोचा भी नहीं इतनी जल्दी कोमल अपने आप को समर्पित कर देगी, लेकिन यह उस उम्र का तकाजा ही है और इस उम्र में लड़कियों के लिए अपने आप को कामवासना से बचाना बहुत मुश्किल है अगर उन्हें कोई फ़साने की कोशिस करे तो... कुछ साल के बाद यानी अगर लडकी १९-२० की हो जाती है तो थोडा मुश्किल है लेकिन कमसिन उम्र में बहुत जल्दी ही प्रभावित हो जाती हैं... कोमल के साथ यही हुआ... मैं उसके स्तनों को मसल रहा था, वो मेरे लिंग को सहला रही थी, लग रहा था लिंग से रस की धार छूट पड़ेगी.

मैं हाथ नीचे सरकाकर उसकी योनी के पास लाया और उसके त्रिकोण को सहलाने लगा, मैं धीरे करना चाहता था, जल्दबाजी में कोमल डर जाती, कमसिन लड़किया जितनी जल्दी समर्पण करती हैं उतनी ही डरती भी हैं और जरा सा उतावलापन दिखाने से डर कर दूर भाग जाती हैं, उन्हें प्यार और धैर्य से नजदीक लाना होता है, उसके बाद वो आँख बंद कर आपपर भरोसा करती हैं... हम दोनों आनंद विभोर थे, दिमाग में माँ-पिताजी के वापस लौटने आने का भी भय था, मैंने कोमल के कान में कुछ प्यार भरी बातें कही और उसे अपनी योनी को दिखाने के लिए राजी किया,

"सिर्फ एक बार दिखाऊँगी, वो भी छूने नहीं दूंगी" वो बोली,

"तुमने मेरा कैसे छुआ और खींच खींच कर दर्द कर दिया, ठीक है एक बार देखूँगा और तुम्हारी सुसु की एक पप्पी लूँगा फिर कभी मत दिखाना" कह कर उसे मनाया, उसने शर्म से आँखें बंद कर ली, मैंने नाड़ा खोल सलवार नीचे की और उस सुन्दरता को देखता रह गया, योनी पर के बाल सुनहरे थे , सर झुकाकर एक लम्बी सांस ली और उसकी मादकता को सूँघता रहा, नरम और मुलायम, अंगुलियो से योनी पट को थोडा फैलाया, गुलाबी रेशम की दीवार खुल गयी,

" जल्दी करो जो करना है, " उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी, "वहां कुछ काट रहा है " "जल्दी करो" "करो ना " और वो अपना सर जोरों से हिलाने लगी, और मेरे हाथों पर जोर से नाखून गड़ा दिए , आँखें बंद थी, और नितम्ब उठा कर बेड पर पटकने लगी, मैंने योनी पट खोल होठ और जीभ योनी के अन्दर घुसा योनी को चूसने लगा, "ओह्ह्हह्ह. आह्ह्ह.ओह्ह्ह्ह .उईईइईईए . .आअह्हाआअ...." जैसी आवाजें करने लगी,

"और कर" " और कर", "पूरा काट ले उसे" , "करता रह", "छोड़ मत", "जोरे से काट", "दांत गड़ा दे, काट ले", "चूसे ले" जैसी भाषा बोलने लगी, मैं जोरों से योनी को चूस रहा था और कई जगह योनी के अन्दर काट लिया, पर उसे और चाहिए था, वो पागल सी हो गयी थी, लिंग को टाईट पकड़ खींचने लगी, मेरी हालत ख़राब थी, कुछ ही छनों में लिंग ने पानी छोड़ दिया और वीर्य की धार उसके स्तनों और पेट पर गिरी, कुछ बूँद उसके चेहरे पर भी गिरीं और जैसे की उसे होश आया, "क्या हुआ, यह क्या हुआ" कहती हुई वो हडबडा कर उठ बैठी, उसे समझ में नहीं आया की क्या हुआ, मेरे लिंग के मुहं पर दूधिया वीर्य की बूँद लगी हुई थी और उसके चेहरे पेट और स्तनों पर, कुछ सेकेंड्स तो आश्चर्य से देखती रही फिर शर्मा गयी,

बोली " क्या किया तुमने मुझे" और सर झुका लिया, बिना आँख मिलाये पूछा "और यह क्या है, छी.. छी ..कैसे आया छी ..." कहकर मुहं और स्तन पर लगे वीर्य को अपनी अंगुलियो और हथेलियो से पोंछ लिया, कोमल की मासूमियत उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे, उसने अपनी हथेलियों को सूँघा और पूछा "यह क्या है" और मेरे लिंग को देखने लगी, "इससे निकला " और मैंने सर हिलाया तो अचरज से उसकी आँखें बड़ी हो गयीं , "कैसे ", मैंने कहा " कल रात भी तुमने ऐसे ही इसे निकाला था जो मेरे अन्दर्वेअर में लगा है, यह लड़कों के लंड का रस है जो जवान सुन्दर लड़की के छूने से निकल जाता है " मैंने पहली बार लंड शब्द का इस्तेमाल किया था,

"पर रात मैंने तो तुम्हारे इसे छुआ नहीं" कोमल बोली,

"तो क्या हुआ , तुमने मुझे तो छुआ था "....


कहानी जारी रहेगी

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4. कमनीय कोमल

My Completed Stories ..
चौदहवे दिन मस्त पंजाबन को चोद कर औलाद दी
सहेली का हलाला अपने शौहर से करवाया

हलाला के बाद
खजाने की तलाश Completed
 

aamirhydkhan

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तुमने नींद में मुझे छुआ और इसे पकड़ कर इतना खींचा की इसका जूस निकल गया"

"झूठ मत बोलो, मैंने सिर्फ तुम्हारे मुंह में चोकलेट डाली थी और कुछ नहीं किया" कोमल बोली,

"सच बताओ, तुमने मुझे पप्पी नहीं ली ? " मैंने अँधेरे में तीर मारा जो निशाने पर लगा, कोमल को काटो तो खून नहीं, " बस एक बार गाल पर" आँखें झुकाकर और चेहरा घुमा कर कोमल ने जवाब दिया, मैंने कोमल के गोरे गालों पर छोटी सी पप्पी जड़ थी, वो शर्म से बोल नहीं पा रही थी, मैंने उसे खींचा और सीने से लगा कर होठों को चूस लिया, उसने भी अब जवाब दिया और मेरे सर को पकड़ जोरों से मेरे होठ अपने मुहं में लेकर चूसने लगी, हम तन्मय थे, शरीर मैं चीटियाँ चल रही थी, जलन सी होने लगी, मैंने स्तनों को दबाया और कुर्ती के बचे हुए बटन खोल कुर्ती नीचे सरका दिया, वो पूरे समय आँखें झुकाए खड़ी रही मुझे थामे हुए, और मेरे लिंग को सहलाते हुए जो कोमल के सहलाने से फिर से गर्म हो कठोर होने लगा था,..................

.......बाँहों में मस्त जवान कली, गुदाज़ उरोजो का खुला निमंत्रण, हसीं चेहरा, गुलाबी होंठ जो वासना से थरथरा रहे थे, एक खूबसूरत उफनता हुआ स्त्री शरीर जो किसी को भी दीवाना बना दे, हम एक दुसरे के बाँहों में थे, कोमल के गोरे और चिकने स्तन उठान पर अपनी पूरी शान से जैसे किसी जवान होती लड़की........बाँहों में मस्त जवान कली, गुदाज़ उरोजो का खुला निमंत्रण, हसीं चेहरा, गुलाबी होंठ जो वासना से थरथरा रहे थे,

एक खूबसूरत उफनता हुआ स्त्री शरीर जो किसी को भी दीवाना बना दे, हम एक दुसरे के बाँहों में थे, कोमल के गोरे और चिकने स्तन उठान पर अपनी पूरी शान से जैसे किसी जवान होती लड़की के होते हैं, गुलाबी एरोला, मुहं में लेकर चूसने लगा, वो हल्की सिस्कारी भर रही थी, मेरे लिंग को दोनों हाथों से पकड़ सहला रही थी और अपनी योनी की और खींच रही थी, पूरा माहौल वासना की आग से भरा था, मुझे कुछ
होश था लेकिन कोमल पूरी तरह मदहोश, मैंने उसे चूम कर दूर हटाया, वो बहुत गर्म थी और मेरे हाथों को बुरी तरह खरोंच लिया दूर होते हुए, अपनी नाराजगी जाहिर की इस तरह, पर माँ-पिताजी आने वाले थे, मन में डर था.

उसने याचना भरी आँखों से देखा जैसे कह रही हो क्यों छोड़ दिया, गालों को चूमते हुए कोमल के कानों में कहा " माँ-पिताजी आने वाले हैं, दोपहर में मिलेंगे" .... उसकी बेचैनी साफ़ दिख रही थी, मैंने सोचा भी नहीं था की एक नादान सी दिखने वाली लड़की का काम वासना से ये हाल होगा, मैं अपने कमरे में आया और आँखें बंद कर अपने भगवान को धन्यवाद् दिया जिसने ऐसा सुनेहरा मौका मुझे दिया था एक जवान मस्त लडकी को सम्भोग के लिए मेरे पास भेजा, कोमल का मस्ती भरा शरीर जैसे आँखों और दिमाग से हटने का नाम नहीं ले रहा था.... भगवान ने बहुत धैर्य और आराम से उसे बनाया था, रह रह कर उसकी बाहें , उसकी नशीली आँखें, उसके उरोजों को दबाने का आनंद, अत्यंत मस्त नितम्ब और हल्की मुस्कराहट , अभी तो उसे पूरा देखा भी नहीं था, मैं कल्पना कर रहा था उसकी जवानी को मादरजात नंगी देखने का...,

अपने लिंग से काफी देर खेलता रहा, किसी तरह उसे समझाया की शांत रह, तुझे अभी वो चीज़ दूंगा की तू भी याद रक्खेगा ज़िंदगी भर...... और वही हुआ पाठकों, आज भी उस दिन को याद करता हूँ तो शरीर में एक तनाव भर आता है, कुछ ही देर में माँ-पिताजी आ गए.. किसी तरह मन पर लगाम लगते हुए मैं नहा कर तैयार हुआ और जब नाश्ते की टेबल पर आया तो देख कर दंग रह गया, कोमल पहले से बैठी थी, खूबसूरत मूर्ती सी, उसने सलवार कुर्ती की बजाय स्कर्ट और कमीज़ पहनी हुई थी, इन कपड़ो में उसकी जवानी फूट फूट कर बाहर आ रही थी, पूर्ण विकसित स्तन गज़ब समां बना रहे थे, स्कर्ट से नीचे घुटने और पैरों की आकर्षक पिंडलियाँ दिख रहीं थी,

उसने मेरी और चिढ़ाने वाली नज़रों से देखा.. एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ जैसे कह रही हो .... अब बताओ क्या करोगे.... अब तो तुम्हे मेरे पास आना ही होगा... कमसिन लड़कियां कामाग्नी में जिस प्रकार पागल हो जाती हैं वैसा किसी उम्र में नहीं होतीं यह मैंने बाद में जाना, वो अपने आप को पूर्ण समर्पित करती हैं और आपसे भी वही चाहती हैं ...उनके लिए वासना एक तूफ़ान की तरह होती है, जबरदस्त आवेश, कभी कभी इस आवेश से डर लगने लगे, ऐसा उन्माद की आप सोचें वासना में पागल इस लड़की को कैसे शांत करूँ ... ऐसा ही कोमल और मेरे साथ हुआ, अब बात कुछ दूसरी ही थी, कोमल मुझे लुभाने में लग गयी, यहाँ तक की अपने स्वाभाविक शर्म को भी छोड़ दिया, उसे दोपहर का इंतजार भी नहीं था, ये एक उन्माद था,

कमसिन लड़कियां जिस प्रकार पागल हो जाती हैं वैसा किसी उम्र में नहीं होतीं यह मैंने बाद में जाना, वो अपने आप को पूर्ण समर्पित करती हैं और आपसे भी वही चाहती हैं ..उनके लिए वासना एक तूफ़ान की तरह होती है, जबरदस्त आवेश, कभी कभी इस आवेश से डर लगने लगे, ऐसा उन्माद की आप सोचे की वासना में पागल इस लड़की को कैसे शांत करूँ ... ऐसा ही कोमल और मेरे साथ हुआ, अब बात कुछ दूसरी ही थी, कोमल मुझे लुभाने में लग गयी, यहाँ तक की अपने स्वाभाविक शर्म को भी छोड़ दिया, उसे दोपहर का इंतजार भी नहीं था, ये एक उन्माद था, उसने आँखों से इशारा कर अपने बगल में बैठने को कहा, जैसे ही मैं बैठा उसने मेरे जांघों पर हाथ रख दबाया और मुस्कुरा दी, मैं अचंभित था,

माँ हमें नाश्ता करा रहीं थी, मुझे डरथा की कहीं उन्होंने देख लिया तो, लेकिन कोमल को डर नहीं था, वो बार बार मुझे छेड़ रही थी, छूने और छेड़ने से लिंग पैंट में फटक रहा था, उसने मेरे जिप पर हाथ रक्खा और लिंग को पकड़ जोरों से दबा दिया, मुझे आर्डर देती हुई सी बोली नाश्ता कर जल्दी ऊपर आओ, तुमसे काम है. उसकी आवाज में रोबाब था, मेरे पर हुक्म चलाने जैसा, जबसे आई थी मैंने देखा था उसमे एक शान थी शायद अपने हुस्न और जवानी की ताकत का अंदाज़ा था उसे, और अब जब वो मेरे पीछे दिवानी थी तब भी वही अंदाज़, कोमल उठके ऊपर चली गयी, हमारे घर में छत पर दो कमरे हैं, नीचे मेरा और मेहमानों का कमरा है आँगन बैठक और रसोई है और ऊपर माँ-पिताजी का कमरा और एक कमरा है जो ख़ाली रहता है और बहुत बड़ी छत है, घर के चारों और खुली जगह और सामने गेराज और फुलवारी है , ऊपर छत पर कोई नहीं होता, माँ-पिताजी ज्यादा समय नीचे ही होते हैं बैठक में या फिर सामने बगीचे में. मैं कुछ कुछ कोमल के ऊपर छत पर बुलाने का मतलब समझ रहा था फिर भी विश्वास नहीं हो रहा था, मैं ऊपर छत पर आया तो देखा कोई नहीं, पानी टंकी के पीछे कोमल खड़ी थी, मुझे नजदीक बुलाया,

" सुबह क्या किया तुमने ?" कोमल बोली

"मैंने क्या किया, तुमने ही मेरे मुह में चोकलेट डाल दी नींद में "

"तो तुम भी मुहं में लगाते , वहां क्यों लगाया" कहकर कोमल ने

अपना हाथ स्कर्ट पर योनी की जगह रख इशारा किया,

"जैसे तुम्हारी वैसे मेरी मर्जी, कहीं लगाऊं, पर मैंने कुछ किया नहीं ? " अनजान बनता हुआ मैं बोला,

"बनो म़त, तुमने क्या किया दिखाऊँ ? " कहते हुए कोमल ने अपनी स्कर्ट ऊपर कर दी

ये क्या, मैं देखता रह गया, उसने पैंटी नहीं पहनी रक्खी थी, गोरी, चमकती सुनहरे

बालों के बीच की योनी मेरे सामने एकदम नंगी थी, दो जांघो के बीच की छोटीसी गद्देदार जगह, बीच में एक गुलाबी फांक, मैं सुन्न था, समझ में नहीं आया क्या बोलूँ, मैं देख रहा था और कोमल निःसंकोच मुझे अपनी नंगी योनी दिखा रही थी, उसकी आँखें में एक चंचल मुस्कराहट थी,

" देखो कैसी लाल कर दी तुमने" उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी योनी पर लगाया, मेरी हालत ख़राब थी, मैं उसकी योनी सहला रहा था और वो आँखें बंद कर जमीन पर बैठ गयी, योनी छिद्र पर हाथ लगा तो पाया बुरी तरह से पानी निकल रहा था, योनी चिकनी होकर गीली हो गयी थी, उसने हाथ बढ़ा कर मेरे जिप को खोल मेरा मोटा लिंग बाहर निकाल लिया और हसरत भरी नजरों से देखने लगी,

कोमल होशियार हो गयी थी, पुरी चमड़ी पीछे कर सुपाड़े को बाहर निकाला और अपने गालों और होठों से उसे छु कर प्यार करने लगी, लिंग भी गीला हो पानी छोड रहा था, उसने उसे चूस लिया और फिर अचानक ही पूरा सुपाडा मुहं में डाल चूसने लगी, यह मैंने सोचा भी नहीं था की कोमल ऐसा करेगी और बिना मेरे बोले हुए अपनी मर्जी से इतने मज़े में मेरा सुपाडा चूस रही थी, मैंने उसका सर पकड़ लिया लिंग को अन्दर बहार करने लगा, वो सुबह लंड को देख व्याकुल हो चकी थी और अब उसको अपने ऊपर कण्ट्रोल नहीं था,

मेरा रस कोमल के मुहं में ही निकलने ही वाला था की मैंने उसे दूर किया, लेकिन लिंग का रस जोरों से फूट ही पड़ा और कोमल के गले और आँखों पर पिचकारी सा मारता हुआ बहने लगा, कोमल ने आँखें खोली, उसका चेहरा लाल था, पसीने की बूँदें चहरे पर और मासूमियत और ख़ूबसूरती बढ़ा रही थी, वो फिर भी लिंग के आकर्षण में बंधी उसे छोड़ने को तैयार नहीं औए कुछ कुछ स्तब्ध आश्चर्यचकित नज़रों से उसे देखे जा रही थी, ऐसा लग रहा था की इसके पहले उसने किसी युवक का लिंग इस प्रकार पूर्ण नंगा और रस निकालते हुए देखा नहीं था और सोचा भी नहीं होगा की पुरुष लिंग क्या ऐसा होता है, मैंने उसे उठाया, और सीने से लगा कर चूम लिया,

वो पूर्ण रूप से समर्पित, अपने रूमाल से उसके चेहरे पर फैले वीर्य को साफ़ किया और उसके होठों और स्तनों को चूमते हुए उसे दोपहर में मिलने को कहा, वो चुपचाप थी, शर्म से नजर नहीं मिला रही थी, लेकिन मुझे छोड़ नीचे जाने को भी तैयार नहीं, किसी तरह उसे मना कर भेजा और तीन बजे उसे उसी जगह बुलाया, उस समय सभी सो जाते थे, मेरा लिंग अब शांत हो गया था, मैं भी थोड़ी देर बाद नीचे आया, कोमल बाथरूम में थी, मैं बाज़ार की और चला गया, कोमल और मेरे माँ-पिताजी शाम को किसी मित्र परिवार से मिलने जाने वाले थे और रात का खाना भी वहीं था,

मेरा मन सातवें आसमान पर था, समझ में नहीं आ रहा था की क्या ये सचमुच मेरे साथ हो रहा था, मन कहीं नहीं लगा और मैं वापस एक बजे तक घर आगया, गर्मी का मौसम था, सभी दोपहर को सो रहे थे, मेरा खाना डाइनिंग टेबल पर लगा था, भाई भी बाहर था, आज सुबह से 2 बार वीर्य स्खलन हो गया था, कामुक मन शांत था, लेकिन दिल कहीं कोमल के पास था, देखा माँ और कोमल किचेन में थे, मुझे देखते ही कोमल बाहर आयी और मुझसे मुस्कुराते हुए खाना खाने को कह कर माँ से बोली " मैं रजत को खाना खिला देती हूँ ", उस समय कोमल ने खाना खिलाया,

माँ रसोई में बना रही थी, खिलाते पूरे समय कोमल मेरे साथ बदमाशी करती रही, कभी मेरे पैर को अपने पैर से दबा देती, कभी मेरे गाल खींच लेती, एक बार तो मेरा कान ही जोरों से काट लिया, माँ खाना खिला कर ऊपर अपने कमरे में चली गयी, कोमल से कहा वो भी अपने माँ के कमरे में जा कर सो जाये शाम को बाहर जायेंगे , कोमल ने बड़ी सहजता से कहा "ठीक है आंटी" और मुझे आँखें दबा कर कुछ इशारा किया, नीचे मैं और कोमल अकेले रह गए थे, उसके माँ बाबूजी महमानों के कमरे में सो रहे थे, हम कुछ देर इधर उधर की बातें करते रहे, फिर कोमल ने कहा मैं आती हूँ और अपनी माँ के कमरे में देख कर आयी, कहा माँ-बाबूजी दोनों गहरी नींद में हैं, चलो हमलोग तुम्हारे कमरे में चलते हैं,

मैंने कहा कोई जग जायेगा लेकिन कोमल बोली "कुछ नहीं होगा तुम डरपोक हो, एक दो घंटे कोई जगने वाला नहीं, मैं तो लड़की होकर भी नहीं डरती " और मेरा हाथ खींच कर मेरे कमरे में ले गयी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया, मुझे बेड पर धकेल मेरे ऊपर गिर पड़ी और मुझे दबा कर जोरों से होठों को चूमने लगी. अपने युवा स्तनों के दबाव से मुझे काबू में कर लिया, आज याद करता हूँ तो लगता है कोमल पागल हो गयी थी, मतवाली हथिनी की तरह, बेफिक्र और उन्माद में मस्त, उसे सिर्फ अब चाहिए था की मैं उसकी जवानी से खेलूँ और उसे आनंद दूं,

उसने सारी शर्म और लज्जा किनारे कर दी थी, सुबह के अनुभवों ने उसे वासना के लिए लाचार कर दिया, सच पूछें दोस्तों तो मुझे अपनी जीत और उसकी लाचारी पर एक विजय भावना और अपनी ताकत का एहसास हो रहा था, वो पुरी तरह समर्पित थी, लेकिन साथ ही एक प्यार भी आ रहा था और उसकी गज़ब जवानी को रौंद देने का विचार भी...... पलट कर उसे अपने नीचे किया और उसके स्तनों को आजाद किया, दोस्तों इस कमसिन उम्र में लड़की के स्तनों का आनंद जैसा रसभरा होता है है वैसा सिर्फ एक बार और थोड़े समय के लिए जब वो नवजात बच्चे की माँ होती है तब होता है




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कोमल ने अभी 18 वे साल में कदम रक्खा ही था लेकिन शरीर का विकास जैसे कोई कमसिन कन्या हो, दोस्तों आपने देखा होगा की कमसिन -कुंवारी लड़कियों में एक हल्का मोटापा होता है जिसे अंग्रेजी में पप्पी फैट कहते हैं, शरीर का हल्का मोटापा उन्हें बेहद आकर्षक बनाता है,, खासकर इससे लड़कियां जबरदस्त सेक्सी लगने लगती हैं और उनके सभी उभार मस्त हो कर दीखते हैं उन विशेष स्थानों जैसे उनके नितम्बों पर, उनके स्तनों पर, उनकी कमर और कूल्हे, उनकी पिंडलिया और जांघें, यहाँ तक की गाल भी फूल जाते हैं, बस पूछिए मत जिन लडकियों को अपने इन घातक अंगों की ताकत का एहसास हो जाता है वो लडकों को पागल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं. और मैं भी ऐसा ही पागल बना बैठा था,

उससे भी ज्यादा पागल थी कोमल जिसकी काम वासना में आँखें भी नहीं खुल रहीं थी, उसपर एक खुमार था, मैंने उसके उरोजों को शर्ट से बहार किया और चूसता हुआ एक हाथ उसकी जांघों पर गया और पाया की उसने पैंटी नहीं पहनी थी, मतलब था वो सुबह से घर में नंगी ही घूम रही थी अन्दर से..... मुझे उसकी हिम्मत पर आश्चर्य हुआ,

मैंने पुछा " यह क्या... कुछ पहना नहीं, ऐसे ही घूम रही हो, कोई देख लेता तो ? ".

उसने मुझे चिपका लिया और कहा " तुम्हे दिखाना था, तुमने तो देखा नहीं.. और कौन देखता ? " उसकी बातें मुझे उसे नंगा करने के लिया मजबूर कर रहीं थी, " तो अब दिखा दे न ? " " देख लो न , मैंने रोका क्या ? " और कमर उठा दिया, मैंने उसकी कमर से स्कर्ट के बटन खोले और नीचे सरका कर उसे नंगा कर दिया, उसकी शर्ट उतर कर उसके जोबन को भी नंगा कर दिया, वो पूरी तरह से मदर्जात नंगी थी.....

कोमल की आँखें बंद हो रहीं थी उसपर एक खुमार था, उसने अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर दिया था, खूबसूरत कली मेरे से सम्भोग के लिए तैयार और जैसे याचना कर रही हो की मुझे सुख दो, मुझे लूट लो, मेरे शरीर को रौंद दो, मेरे अन्दर समा जाओ. कोमल ने मेरे कंधो और हाथों पर जोरों से खरोंच लिया, वो वासना की आग में जल रही थी और अब उसकी मुंह से सिसकारी निकल रही थी,

मैं हाथों को उसकी योनी पर लेगया , वासना के रस से गीली, मैंने अपनी अंगुली अन्दर घुसाई, काफी टाईट, वो चीखने लगी " बाहर निकाल , क्या कर रहा है...दर्द हो रहा है ....", पर मैंने अंगुली अन्दर डाल ही दी और उसकी योनी के अन्दर मसलने लगा, वो चिल्ला रही थी पर उसे आनंद भी आ रहा था, थोड़ी ही देर में बोलने लगी "हा हां हां अच्छा लग रहा है.....बहुत मजा आ रहा है....मेरे अन्दर कुछ हो रहा है....., ..डाल डाल घुसा दे पुरी अंगुली मेरे अन्दर ..." और बडबडाने लगी, कोमल सर पटक रही थी और मुझे नोचे जा रही थी, मेरे होठों को काट लिया, पुरी तरह नंगी मेरे नीचे दबी हुई, मस्त जवान स्त्री शरीर, मेरा मन भी बेकाबू हो रहा था पर मुझे कुछ होश था लेकिन कोमल सुब कुछ देने को तैयार, मैं नहीं चाहता था की कुछ ऐसा हो जाये की बाद में पछताना पड़े,

कोमल बेतहाशा सिसकार रही थी और मुझे गालों और कंधे पर कई जगह काट लिया और नाखूनों से नोच लिया था, उसकी बेचैनी मुझे मजबूर कर रही थी की सब भूल कर उसके साथ सम्भोग कर बैठूं, मैं होश खो रहा था, पर कही दिमाग रोक रहा था, किसी तरह उससे अपने आप को छुड़ाया और कहा अभी नहीं, शाम को मिलेंगे, उसकी आँखों में गुस्सा था, उसको होठों पर चूम कर किसी तरह मनाया और अलग किया, फिर भी उसकी नाराजगी दिख रही थी , उसने मुझे धक्का देकर कहा "अब मत आना मेरे पास" और कपड़े ठीक कर बाहर निकल गयी,

मैंने देखा किचेन में जाकर सुबक रही थी, मुझे दुःख तो था पर मन में विश्वास की वो मेरे किये का सही मकसद समझ जायेगी, मैं घर से निकल कर यूं ही बाज़ार में घूमता रहा, शाम को करीब ६ बजे घर पहुंचा तो देखा की सभी लोग किसी मित्र परिवार से मिलने जाने को तैयार हो रहे थे, पिताजी ने मुझसे भी कहा मैंने इन्कार कर दिया, कोमल भी जा रही थी, मेरा मन था वो रुक जाये, मैंने कोमल को किनारे बुला धीरे से कहा तुम मना कर दो, मत जाओ, उसने बेरुखी से कहा " क्यों रुकूं, तुम्हें मेरी जरूरत नहीं" और मुहं फेर चली गयी.

मैं घर में अकेला था, ... कोमल की बहुत याद आ रही थी, मन बेचैन था, बार बार उसके जबरजस्त मादक शरीर का ख्याल आ रहा था, उसका सुबकना वो कितनी भोली थी, पर साथ ही लगा की इतनी कामुक कैसे हो सकती है, क्या इसके पहले भी कभी उसने किसी से से शारीरिक सम्बन्ध बनाये थे ? बार बार मन में ये प्रश्न आता था, लेकिन लगता था की इतनी भोली और मासूम दिखने वाली लड़की ऐसा नहीं कर सकती, यह तो बाद में जाना की इस उम्र की लड़कियों पर वासना का भूत जब सवार होता है तो अच्छों अच्छों को शर्मिन्दा कर सकती हैं, खास कर उनके शुरुआती यौन व्यवहार में तो बेहद गर्म होती हैं.

मैंने सोच लिया था रात को आएगी तो छोडूंगा नहीं और उसमे कितना जोश है देखता हूँ और उसका दिमाग भी ठीक करना होगा..... पूरे समय ये ही सब सोचते बीत गया...रोक नहीं पाया तो अपने लिंग से खेलता रहा...रात करीब ११ बजे सभी वापस आये, कोमल ने मुझे देखा भी नहीं...मुहं फुला रक्खा था.... और कुछ ही देर बाद सभी सोने चले गए ...कोमल बाथरूम में गयी तो मैंने बात करने की कोशिस की लेकिन बिना कुछ कहे वो कपड़े बदल अपने कमरे में चली गयी... उसने एक ढीला सा घुटनों तक का पजामा पहना हुआ था और एक छोटी सी ढ़ीली सी कमीज बिना बाँहों की जिसमे उसका यौवन फूट पड़ रहा था l

चेहरे पर एक गरूर.... मैं सोच रहा था कैसे इसके घमंड को चूर करूं लेकिन मन ही मन उसपर मर मिट भी रहा था...उसकी कांख के हलके भूरे बाल दिख रहे थे और उरोजों के तनाव से कमीज़ के बटन खिंच रहे थे, स्तनों की घुन्डियाँ कमीज़ पर जोर दे रही थी, साफ़ मालूम हो रहा था की उसने अपनी चोली खोल दी थी और उसके उन्नत स्तन कमीज़ के भीतर आज़ाद थे शायद हमें चिढ़ाने के लिए... एक नज़र हमारी ओर देख कोमल अपने कमरे में भागी... हम देखते रहे, मैंने कमरे में आकर सोने की कोशिश की लेकिन नीद नहीं आईl

छोटा भाई बगल में सो रहा था.... कब समय बीत गया मालूम नहीं.. कोमल के कमरे में जाकर कई बार झाँका... वो गहरी नीदं में सोई हुई लगी.... उसकी बगल में उसकी मम्मी थी हिम्मत नहीं हो रही थी उसे छेड़ूँ, कोई जग गया तो क्या होगा .... रात करीब २-२.३० बजे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे कमरे के सामने से निकला ..... अँधेरा था. बहुत धुंधली रोशनी में मैं उठ कर बाहर की ओर लपका, देखा कोमल थी जो बाथरूम जा रही थी.... उसने दरवाज़ा बंद किया .... मैं दरवाज़े के पास आया तो बाथरूम से कोमल के पेशाब करने की आवाज़ आ रही थी l

मेरे लिंग में कुछ हलचल सी हुई, मैंने हल्के से दस्तक देकर पूछा "कौन है " ...."मैं हूँ" कोमल ने धीमे से कहा, मैं दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा, वहां अँधेरा था, .... कोमल कुछ क्षण में पैजामा बाँधती हुई बाहर निकली, मैंने झट उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर उसके होठों पर होठ दबा दिया, "छोड़ो मुझे .." उसने हाथ छुड़ाते हुए कहा, " नहीं बात करनी, तुम क्या समझते हो.... " और जाने की कोशिस करने लगी, मैंने जोरों से उसकी कमर पकड़ फिर से उसे चूम लिया, वो मुझे धक्का दे रही थी, मैंने कहा " ठीक है, जाना है तो जाओ...." और उसे छोड़ दिया l

मेरा शरीर आवेश में गर्म हो रहा था , गुदाज़ स्तनों के स्पर्श से लिंग टाईट होकर खड़ा होगया , मन तो हो रहा था की उसे वहीं जमीन पर ही पटक दूं और उसकी सारी गर्मी मिटा दूं पर मैं चाहता था की वो अपनी ओर से पहल करे और खुद मेरी बाँहों में आये.................कोमल देखती रह गयी, कुछ क्षण रुकी, उसे उम्मीद नहीं थी मैं ऐसा कहूँगा, वो अपने कमरे की तरफ लौटने लगी लेकिन तभी कुछ सोच वापस मेरे नजदीक आयी और मेरा हाथ पकड़ अपने कमर पर लपेट लिया और उरोजों को मेरे सीने से दबा मुझे पीछे धकेल मेरे होठों को चूसने लगी l

" तुम क्या समझे, मैं छोड़ दूंगी... क्यूं पहले छेड़ा मुझे ..." और लिपट गयी मुझसे.... वो चूम रही थी, मैं अवाक था उसका बदला रूप देख कर... मेरा लिंग उसकी योनी पर दबाव दे रहा था, उसे व्याकुल करने के लिए ये काफी था... उसने हाथ नीचे कर मेरे हाफ पैंट के उपर से लिंग को पकड़ लिया l

"मुझे सताते हो... अब बताती हूँ ..."

अभी भी गर्व था आवाज़ में, मैंने छेड़ते हुए कहा " अभी तक तो बहुत गुस्सा थी अब क्या हुआ..."

"अब तुम्हारी जान मारने आयी हूँ..." और लिंग को पैंट के अन्दर हाथ डाल जोरों से मरोड़ दिया....

"कोई आ जायेगा... चलो बैठक में चलते हैं... मैंने कहा ,

"वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा

....."वहां कोई देख लेगा, यहाँ अँधेरे में कोई नहीं आएगा... " कहते हुए कोमल ने मेरा हाथ अपने स्तनों पर दबा दिया ...

"सब गहरी नींद में हैं , कोई आने वाला नहीं....डरो मत... " कोमल बिलकुल निश्चिंत थी उसे कोई डर नहीं की कोई भी आ जाए...

मेरी उत्तेजना से हालत ख़राब थी उससे भी बुरा हाल कोमल का था, मेरे लिंग को हाथ में लेकर खींच रही थी और अपने पैजामा को नाड़ा खोल नीचे गिरा दिया, उसकी योनी नंगी थी अब, मैंने एक हाथ नीचे लगाया तो योनी एकदम गीली और चिकनी ,

ऐसा जैसे योनी से कोई गर्म हवा सी निकल रही हो, मैंने योनी द्वार पर उंगली लगाई तो जैसे अन्दर फिसल गयी,

" आह अह.. क्या कर रहा है ....आ आ ..बहोत अच्छा लग रहा है... और डाल ना अन्दर .." कोमल जैसे गिडगिडा रही थी,

"डाल न.. समझता नहीं क्या.....रगड़ दे उसे..." . कोमल गर्मी में बोले जा रही थी, मैं देखता रह गया, सोच रहा था ये लड़की एक दिन में ही बल्कि कुछ घंटो में ही कितनी खुल गयी थी और पहले जैसी शर्मीली नहीं थी, ....एक ही दिन में जवानी और वासना के आवेश ने उसे इतना पागल कर दिया था और बेशर्म भी, मैं उसकी योनी को रगड़ रहा था, वो आनंद में डूबी थी, मेरे लिंग को बार बार अपने हथेलियों से घेर कर महसूस कर रही थी और सिसकारी ले रही थी l

"क्या है ये...आ आ मस्त चीज़ है.....मन करता है खा जाऊं..." कोमल कहे जा रही थी, मैं भी उसकी मस्ती देख पागल सा था, लग रहा था लिंग से वीर्य की धार फूट पड़ेगी, अपने पर काबू करना मुश्किल था, उसकी हथेली को लिंग से हटाया पर वो कहाँ मानने वाली थे, नीचे बैठ गयी और पैंट को नीचे खींच मुझे नंगा किया और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पीछे आगे दबाया और लिंग को अपने मुहं में निगल लिया l

मैं उसके बालों से खेल रहा था, वो नीचे बैठी जैसे कोई लोलीपोप चूस रही हो ऐसे मेरे लिंग को मुहं में ले कर चूस रही थी, ... मेरे दोनों चूतड़ों को हथेलियों से दबाते हुए बड़े मजे से लिंग को मुहं में ले रक्खा था....चूसते हुए कई बार लिंग को काट लिया l

" ये क्या... दर्द होता है... काटो मत ... " मैंने कहा तो हंसने लगी,

"पूरा काट लूंगी और तुम बिना इसके रह जाओगे ..."

मैं स्खलित नहीं होना चाहता था, अगर नहीं रोकता तो सुबह की तरह कोमल के मुहं में ही हो जाता,

कोमल को उठाया और चूमते हुए पुछा " इतना पसंद है....तो रख लो... "

"कैसे.." कोमल बोली..

" चलो ड्राइंग (बैठक) में..." मैंने उसके कान में कहा. हमने कपडे ठीक किये और बिना शोर किये बैठक में आ गएl

ड्राइंग में एकदम अँधेरा होता था लेकिन बाहर तरफ दरवाज़े पर रात को एक बल्ब जलता था और उसकी बहुत हल्की धीमी रोशनी ड्राइंग में आती थी, जिससे की अगर कोई ड्राइंग में हो तो बस एक छाया सी मालूम होती थी, मैंने कोमल को सोफे पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ कर उसको आगोश में लेते हुए चूमने लगा, वो भी मेरे मुहं में जीभ डाल कर मेरे चूमने का पूरा जवाब दे रही थी l

रात का समय हम दोनों अकेले ड्राइंग में अधनंगी अवस्था में, अन्दर से डर भी की कोई अगर अचानक आ गया तो क्या होगा, ...यूं तो कोमल को भी डर लग रहा था लेकिन हम दोनों ही खतरा लेने को तैयार थे, हमें कुछ नहीं सूझ रहा था सिवाय एक दुसरे के साथ मजा लेने के l


कहानी जारी रहेगी

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aamirhydkhan

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काफी देर तक हम एक दुसरे को चूमते चाटते रहे, कोमल और मेरे बीच अब कोई झिझक नहीं थी... हम बेबाक एक दुसरे के निजी अंगों से खेल रहे थे, उन्हें चूस रहे थे...चूम रहे थे और अपनी जवान इच्छाओं के बारे में खुल कर बातें कर रहे थे, पहले तो कोमल शर्माती रही लेकिन बाद में इतना खुल गयी जो मैंने सोचा भी नहीं था... उसने बहुत अचरज और मजे लेकर सभी अंगों के बारे में पूछा और उनके रोजमर्रा के गंदे नामों पर खूब हंसी.... उसने सुन तो रक्खे थे पर कभी अपने मुहं से कहा नहीं था..... थोड़ी देर बाद में तो वो अंगो के नाम बार बार हंस हंस कर ले रही थी, बल्की मुझे चिढ़ाने के अंदाज़ में की तुम क्या समझते हो... क्या मैं लड़की हूँ तो तुम्हारे जैसा नहीं बोल सकती...

उसकी ये अदाएं मुझे और ज्यादा गर्म बना रहीं थी.... कोमल के लिए ये पहला ऐसा अनुभव था जब उसने इतनी आज़ादी और आनंद महसूस किया..... कभी वो मलिका बन जाती ...और मैं उसका गुलाम....और कभी वो मेरे सामने याचना करती हुई .. मुझे चोद कर मेरी जान लेले ... उसने एक दो बार लड़कों के लिंग क्षणिक देखे तो थे पर कभी इस तरह नंगे तने हुए नहीं और उसने कबूल किया की मेरे लिंग का लाल सुपाडा पूरी तरह तना हुआ और गीला चमकता हुआ जब उसने पहली बार देखा तो वो अपने आप को रोक नहीं पाई और उसका मन अनायास ही उसे छूने और महसूस करने का हो गया और वो ऐसा कर बैठी, उसे बाद में खुद पर शर्म भी आयी लेकिन फिर से देखने और छूने की इच्छा को रोक नहीं सकी....

उसने बताया की जब उसने मेरे सुपाडे को देखा था तो उसे लगा की यह कोई गर्म लोहा है और वो उसे फूंक मारने लगी और अभी भी उसे लाल सुपाडा देखने से गर्म लोहा ही लगता है...सचमुच वो लंड की दिवानी हो गयी थी और बार बार मेरे लंड को पीछे खींच सुपाड़े को देखती... उसे प्यार करती... अजीब अजीब आवाजें मुहं से करती और उसे अपने होठों के बीच लेकर चूसती, पूरे सुपाड़े को निगल जाती, मैंने भी उसकी योनी को चूस चूस कर लाल कर दिया, वो कई बार स्खलित हुई .....मुझे भी स्खलित किया ... मेरा वीर्य उसने अपने स्तनों पर लिया और बड़े मजे से उसे अपने स्तनों पर लपेट लिया और मालिश करती रही,

वो मस्ती में दीवानी हो गयी थी, बार बार कहती रही की उसने ऐसा आनंद, ऐसी शरीर की जलन कभी पहले महसूस नहीं की, ये मस्ती २-३ घंटे चलती रही, हम करीब करीब नंगे से सोफे पर पड़े एक दुसरे से खेलते रहे, प्यार करते रहे, हम शायद दिन भर ऐसे ही पड़े रहते, मन भरा नहीं, लेकिन दिन निकल रहा था, ये तो अच्छा हुआ की सब सोये हुए थे, वरना उस दिन शामत थी, मैंने कोमल से कहा तुम चुपचाप कमरे में जाओ और मैं अपने कमरे में आया, छोटा भाई सो रहा था, मेरी भी कब आँख लगी मालूम नहीं.....

................सुबह उठा तो मालूम हुआ मेरे और कोमल के पिताजी फैक्ट्री चले गए हैं, अब वो देर शाम को ही लौटने वाले थे, माँ और कोमल की मम्मी बैठक में नाश्ता कर रहीं थीं और माँ ने बताया की वो दोपहर वो कोमल की मम्मी को बाज़ार करवाने वालीं थीं और ३-४ घंटे लगेंगे वापस आने में इसलिए मैं जल्दी खाना खा लूं ..... कोमल बाथरूम में नहा रही थी... काम करने घर में मेहरी आती थी वो किचेन में व्यस्त थी, मैं अपने को रोक नहीं सका और बाथरूम की और आया तो अन्दर से पानी की आवाज़ आ रही थी.... मेरी ओर किसीका ध्यान नहीं था, मैंने धीरे से बाथ का दरवाज़ा खटखटाया...कोमल समझ गयी, उसने दरवाज़े के नज़दीक आकर पुछा?

"कौन है...", "

"मैं हूँ..दरवाज़ा खोलो " मैंने कहा

"मैं नहा रही हूँ... तुम जाओ ."

मैंने फिर दरवाज़ा खटखटाया तो उसने थोड़ा सा खोल आँख निकाल कहा "मम्मी आ जायेंगी... बेवकूफी मत कर "... मैंने जोर से दरवाज़े पर दबाव डाला दबाया तो उसने थोड़ा सा खोल कर मुझे अन्दर ले लिया,

" क्या करते हो.. पागल हो गए क्या.. मम्मी बाहर बैठीं है... आ जायेंगी..." वो बोली,

"आने दो ... " और उसको देखा, बिलकुल नंगी, बेहद खूबसूरत पानी में नहाई हुई मूर्ती सी मेरे सामने खड़ी थी, कोमल शर्मा गयी, 'क्या देखा रहे हो.. कल रात तो सब देख लिया .... अब क्या है .." उसने दोनों हाथों से स्तनों को ढक लिया और आगे झुक कर अपनी जाँघों के बीच में योनी को छुपाने की कोशिश करने लगी, "मम्मी बाज़ार जा रहीं हैं, तुम मना कर देना...हम बातें करेंगें.." मैंने फुसफुसा कर कहा

" मेरा भी बाज़ार जाने का मन है.. मैं जाऊंगी..." कोमल बोली "शाम को मिलेंगे.. अब तुम भागो .. मुझे नहाने दो...कोई देख लेगा "

मैं बाथरूम से बाहर निकल आया, उसे दुबारा देखा भी नहीं, बहुत गुस्सा आ रहा था, जब खुद का मन होता है तो मेरे पास आती है और जब मैं कहता हूँ तो मना कर देती है, नखरे दिखाती है. येही सब सोचते हुए मैं तैयार हुआ और बैठक में आया तो देखा कोमल सोफे पर बैठी मुस्कुरा रही थी, मुझसे मुहं बनाते हुए इशारे में कहा की बहुत गुस्सा नजर आ रहे हो, क्या बात है ? मैंने कोई जवाब नहीं दिया और नाश्ता कर बाहर निकल गया, रात को हुए अनुभव के कारण दिमाग कुछ भी सोच नहीं पा रहा था और सिर्फ कोमल ही याद आ रही थी,

मैंने स्कूटर उठाया और बाज़ार की ओर निकल गया, पता नहीं क्या सूझा और एक दुकान से ३ पैकेट कोहिनूर के खरीद लिए, जब वापस आया तो माँ, कोमल और उसकी मम्मी ऊपर के कमरे में बहुत किस्म के कपड़े और साड़िया बिछा कर बातें कर रहे थे, मैं नीचे आ गया, थोड़ी देर में कोमल भी अकेले नीचे आयी,

".हमलोग बाहर जाने वाले हैं.. तुम भी चलो ना .." कोमल बोली, मैंने मना कर दिया,

"ठीक है... तुम बोलोगे तो मैं रुक जाऊंगी ...."

"मैं क्यों बोलूँ , जैसी तुम्हारी मर्जी...." मैंने कहा, मुझे बहुत ख़राब लग रहा था....मैं सोच रहा था की किसी तरह कोमल रुक जाए पर मुहं से निकल नहीं रहा था, ....अब मैंने उसपर गौर किया, एक छोटे से फ्रोक में उसकी जवानी बाहर को आ रही थी, दोनों स्तनों के बीच की रेखा गहराई तक दिख रही थी और स्तनों के ऊपर का गुदाज़ हिस्सा उभर कर बाहर निकल रहा था और कोमल की जवानी को बयां कर रहा था, आँखों में वही गरूर, मैं अपने कमरे में चला आया,

कोमल ऊपर लौट गयी, कोहिनूर के पैकेट अपने ड्रावर में रक्खी किताबों के बीच छुपा कर मैं बैठक में आ टीवी देखने लगा, मन तो व्याकुल था, नजर और कान ऊपर की तरफ ही थे की वो दिख जाये, थोड़ी देर बाद माँ और सभी नीचे उतरे, माँ ने कहा हम और ताइजी (कोमल की मम्मी) बाज़ार जा रहे हैं तुमलोग खाना खा लेना, रक्खा है...कोमल गर्म कर देगी....

मुझे आस्चर्य हुआ...पूछा " क्यूं, वो नहीं जा रही ? "

" उसे रात को नींद नहीं आयी...कहती है सर बहुत दुःख रहा है.. इसलिए नहीं जायेगी.....हम शाम तक आते हैं... " कोमल की मम्मी ने कहा.. मैंने कोमल की ओर देखा...उसने आँखें झुका रक्खी थीं ... तो ये बात है... मन तो जैसे हवा में उड़ने लगा...

"ठीक है, ताईजी " मैंने कहा, माँ और कोमल की मम्मी बाज़ार निकल गए, महरी भी बस जाने ही वाली थी, छोटा भाई तो घंटो से गायब था... मैंने भगवान को ऐसे मौके के लिए धन्यवाद दिया....

कोमल ने नजदीक आकर कहा " अब तो खुश "

"तुम्हारा मन नहीं था तो चली जातीं ... कोई मेहेरबानी तो नहीं की " झूठी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा...जो कोमल से छुप न सकी ...

"मन में लड्डू और ऊपर से नाराज... बनो मत.. मैं सब जानती हूँ.." उसने हंस कर कहा..

" तो देख अब... " कहते हुए मैं उसपर झपट पड़ा और दबोच लिया, वो तो जैसे तैयार ही थी मुझे सोफे पर धकेलते हुए मेरे पर गिर पडी,

"अभी रुक.. महरी को जाने दे.. " और जोरों से मेरे होठों को चूमते हुए खड़ी होकर अपने कमरे की तरफ भागी...कुछ ही समय में महरी भी काम कर चली गयी... अब हम दोनों घर में बिलकुल अकेले रह गए थे, वो कमरे से बाहर आयी पूछा " महरी गयी.. ? " मेरे हाँ कहते ही दौड़ कर आ मेरी गोद में बैठ लिपट गयी, फ्रोक जांघों पर सरक गयी, उसने मुझे आगोश में बाँध रक्खा था, हम एक दुसरे को बेहतहाशा चूम रहे थे, कोमल ने मेरे हाथ को पकड़ अपने जांघों पर ऊपर सरका अपने योनी के पास ले आयी,

वो गर्म थी, मैंने एक अंगुली टाईट पैंटी के किनारे से अन्दर की और योनी द्वार को छुआ... ओह्ह्ह्ह क्या हो रहा था, वो मेरे होठों को काटे जा रही थी, और कभी अपनी जीभ मेरे मुहं के अन्दर घुसा देती... कभी मेरी जीभ अपने मुंह में लेकर चूसने लगती..योनी रस से सरोबर थी... फिर से उसकी सिस्कारियां निकलने लगी.. उसने झट अपने नितम्ब उठाये और अपने हाथों से पैंटी खींच नीचे उतार दी... और मेरे जिप को खोल हाथ अन्दर डाल लिंग को खींच बाहर निकल लिया जो पूरी तरह अब फुफकार रहा था, कोमल मेरे लिंग को देखते ही व्याकुल हो जाती ..

मुझे मालूम हो गया था की सबसे ज्यादा मस्ती उसे लिंग और सुपाड़े से खेल कर आती थी .. उसने लिंग को पीछे खींच सुपाडा बाहर किया और उसे प्यार से देखते हुई चूसने लगी, कोमल को सुपाडा चूसने में बहुत मस्ती आती थी यह मैंने बाद में जाना.... वो मेर लिंग को चूस रही थी और मैं उसके मस्त उठान भरे स्तनों को चोली से बाहर निकाल दबा रहा था... क्या अनुभव... अत्यंत गुदाज़ .. मुलायम और स्पंज से .....

...कोमल ने एक हाथ से मेरे मेरे लिंग को पकड़ उसे मुहं में डाल रक्खा था और दुसरे हाथों से मेरे अंडकोष सहला रही थी.. वो बेखबर जैसे एक स्वर्गिक अनुभव और आनंद में लिप्त.. कोमल के मुलायम होठों और जीभ के स्पर्श से हुए घर्षण ने मेरे लिंग में जबरदस्त उत्तेजना और आवेश भर दिया था... मेरे शरीर में अन्दर ही अन्दर लावा बह रहा था...उसके बालों को पकड़ सर पीछे खींच लिंग को उसके होठों की जकड़ से मुक्त कराया, उसे बाँहों में भर ऊपर उठाया और गालों को चूमा तो उसने आँखें खोलीं ..

"क्यों निकाल लिया.. बहुत मज़ा आ रहा था... " कोमल बोली

"और भी मज़ा आएगा ... "मैंने कहा और उसे खड़ा कर नितम्बों को पकड़ उसकी योनी पर अपना मुहं लगा दिया, योनी के दोनों पाटों को अलग कर अपनी जीभ उसके अन्दर डाल चूसते ही कोमल दोनों हांथ मेरे पीठ पीछे डालते हुए बेसुध सी होकर मेरे पर गिर पडी, उसके स्तन मेरे पीठ पर दबाव डाल रहे थे, आह्ह क्या महसूस हो रहा था बता नहीं सकता, कुछ ही क्षणों में कोमल नितम्बों को हिलाते हुए चिल्लाने लगी.... आःह्ह ...आःह
और पीठ पर दांतों को गड़ा दिया.... "छोड़ मुझे... छोड़ .... तुम्हे मार दूंगी ...तू गुंडा है... " कोमल अपने नितम्ब हिलाते हुए योनी से मेरे मुहं पर धक्के मार रही थी और योनी का घर्षण करती हुई बक रही थी...

" अन्दर डाल जीभ को... और दबा... दबा मेरी बूर को .. जीभ को घुमा... और घुमा अन्दर ...बहुत मज़ा आ रहा है.... कुछ अन्दर जल रहा है ... .. " कोमल वासना ज्वार में बहुत बोल रही थी, मुझे गालियाँ भी देने लगी कभी कुत्ता... कभी साला कहने लगी ..और बेहिचक वो सारे शब्द कहने लगी जो उसने कुछ ही देर पहले सीखे थे, ..... यूँ तो हम पहले भी एक दुसरे को जानते थे लेकिन पिछले तीन दिनों के साथ में हम दोस्त बन गए थे बिलकुल नजदीकी और खुले बिना किसी शर्म और हिचक के बातें होने लगी थी........

कोमल ने मेरे एक हाथ को नितम्बों से हटा उसने अपने स्तन पर लगाया " इसे भी कर न कुछ ..." और बहुत मजे से अपनी योनी और स्तन रगड़वाने लगी .... मेरे से अब रहना मुश्किल था....मैं उठा और कोमल को कमर से पकड़ उसके कान में कहा " तुझे अभी दूसरी दुनिया में ले जाऊँगा ....पहले इसे खोल " और इशारा किया, कोमल ने अपने हाथों से मेरे पैंट को खोल नीचे गिरा दिया, मेरा जांघिया भी खोल दिया और मेरा लिंग और अंडकोष सहलाती रही....... मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया....कोमल का हाथ पकड़ उसे अपने कमरे में ले आया....

हम दोनों पूरी तरह नंगे आईने के सामने खड़े एक दुसरे को देख रहे थे, कोमल मेरी कमर को अपनी बाँहों से घेर मेरे से सट कर खड़ी आईने में मुझे देख रही थी... और मैं उसे... कोमल के पीछे खड़े हो उसके उरोजों को दबाता हुआ योनी को सहलाने लगा, मेरा लिंग उसके नितम्बों के दरार में घुसने के लिए व्याकुल..... कोमल बिलकुल बदल गयी थी सिर्फ दो ही दिन में जो मैंने सोचा भी नहीं था ... वो पूर्ण समर्पण के लिए तैयार.. यहाँ तक की मैं तो कुछ सोच भी रहा था लेकिन वो तो एकदम आगे बढ़कर सबकुछ करने को तैयार... कहीं वो इतनी नादान तो नहीं थी या फिर जरूरत से ज्यादा तेज इतनी सी उम्र में.. कुछ पता नहीं चल रहा था..

माँ के आने में कम से कम २- घंटे तो थे ही.. हम दोनों निश्चिंत.. सिर्फ एक डर था तो छोटे भाई का लेकिन वो भी देखा जायेगा... मेन दरवाज़ा बंद था... कोई जल्दी नहीं थी , मैं कोमल के साथ पूरी मस्ती लेना चाहता था..और उसे भी एक मस्त अनुभव देना चाहता था .. उसके जवान और बेहद खूबसूरत शरीर का रस धीरे धीरे लेना था...हमलोग यूहीं नंगे कुछ देर बेड पर पड़े रहे और खेलते रहे.. फिर कोमल से पूछा फ्रिज में शरबत है पिओगी, चलो देखते हैं ? हम दोनों एक दुसरे से गुंथे हुए से नंगे किचेन में आये..फ्रिज में गुलाब का शरबत था और दूसरी चीज़ें जैसे आइस-क्रीम, फल, सब्जियां वगैरह... कोमल ने ग्लास लिए और शरबत बनाने लगी, फ्रिज से आइस ट्रे निकाल कर आइस तोड़ने लगी.. .खूबसूरत नज़ारा... वो ट्रे से आइस तोड़ रही थी और उसके विशाल गोरे स्तन ऊपर नीचे हिल रहे थे ..मैंने एक टुकड़ा लेकर उसके चिकने फूले नितम्बों के बीच घुसा दिया...

" ओह्ह्ह क्या करते हो.. शरबत बनाने दो... मैं कुछ करूंगी तो बचोगे नहीं...." उसने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा...

"क्या करोगी" मैंने कहा


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