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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

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Adirshi

Royal कारभार 👑
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भाग ३२



सभी लोग अब जेट मैं आ चुके थे, जेट के सामने की तरफ दो सीट लगी गयी थी जिसपर दो सफ़ेद हेलमेट पहने पायलट बैठे हुए थे, अंदर से जेट काफी बड़ा था और सभी के बैठने के लिए वहा पर्याप्त जगह थी

अंदर घुसते ही अविनाश ने पायलट से पूछा

अविनाश-और भाई रामदीन क्या हाल है?

रामदीन-अभीत तक तो सब बढ़िया ही है साब आगे कालदूत से भिड़ने के बाद का पता नहीं

अविनाश(हसकर)- चिंता मत करो इस आर्गेनाईजेशन मे रहने का यही तो फायदा है की मेंबर्स के मरने के बाद उनके परिवार की देख रेख आर्गेनाईजेशन करता है तो तुम्हारे बीवी बच्चे आराम से पल जायेंगे

रामदीन- क्या साब आप तो अभी से हमारे मरने की दुआ कर रहे है खैर अब जरा सीट पर जाकर बैठ जाइये वरना जेट इतनी स्पीड से उड़ेगा की सीधा छत फाड़ कर बाहर निकल जायेंगे

इसके बाद सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए और उन्होंने सीटबेल्ट लगा ली और जेट चलना शुरू हुआ, पहले वो हवा मे धीरे धीरे उपर उठा और फिर एक निश्चित ऊचाई पर पहुच कर ‘सांय’ से हवा को काटता हुआ आकाश मैं उड़ने लगा और इसी के साथ रामदीन के एक बटन दबाया दिया जिससे जेट वापस अदृश्य हो चूका हा, हालाँकि सभी ने सीटबेल्ट पहन राखी थी फिर भी वो जेट की अपीड को महसूस कर पा रहे थे

रूद्र-तो अब क्या प्लान है?

रूद्र की बात सुनकर अविनाश ने मुस्कुराकर अपना पास रखा एक काला सा बैग निकाला

रमण-अरे! ये बैग तो तुम्हारे पास पहले नहीं था तो क्या तुम्हारी आर्गेनाईजेशन ने जेट के साथ इसे भी भेजा है

अविनाश-बिलकुल सही

बैग के अंदर एक गिटार के बराबर का यंत्र रखा हुआ था जो दिखने मैं बहुत ही खतरनाक लग रहा था उसने बहुत से छोटे छोटे खांचे बने हुए थे और अंत मैं एक ट्रिगर जिससे उसे संचालित किया जा सकता था

राघव-ये क्या है?

अविनाश-इसे हमलोग गेटवे कहते है

रमण-ऐसा यंत्र न पहले कभी देखा न सुना

चेतन-आप इसके बारे मैं जान भी नहीं सकते थे ये हिडन वारियर्स के उन गुप्त हथियारों मैं से है जो पूरी पृथ्वी को ख़तम करने की ताकत रखते है इसीलिए उन्हें दुनिया की नजरो से बचाकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है

संजय-लेकिन ये काम कैसे करता है?

चेतन-आपलोगों ने ब्लैक होल के बारे मैं सुना ही होगा

राघव-हा अंतरिक्ष वो विशेष हिस्सा जहा गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी सघन होती है जो ठोस वस्तुओ के साथ साथ प्रकाश को भी अपने भीतर कैद करने की क्षमता रखता है लेकिन उसका इससे क्या लेना देना

अविनाश-लेना देना इसीलिए की हमारा ये शस्त्र कुछ समय के लिए कृत्रिम ब्लैक होल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है

रूद्र-पर ये कैसे संभव है अंतरिक्ष मैं तो ब्लैक होल किसी तारे से फटने से सुपरनोवा द्वारा उत्पन्न होता है तुमलोग भला इससे ब्लैक होल कैसे पैदा करोगे

चेतन-जब हमने इसके बारे मैं पहली बार सुना था की ये ब्लैक होल उत्पन्न करता है तो हम भी चौक गए थे लेकिन पहली बात तो ये है की ये एक कृत्रिम ब्लैक होल पैदा करता है जिसकी वस्तुओ को अपने भीतर खींचने की क्षमता असली से बहुत कम होती है और दूसरी बात की ये ब्लैक होल मात्र कुछ क्षणों के लिए प्रकट होता है जिससे कुछ ज्यादा नुकसान नहीं फ़ैल सकता, आइंस्टीन की थ्योरी of रिलेटिविटी के अनुसार अगर हम किसी स्पेस को मत्तेर द्वारा इतना अधिक डिसटॉर्ट करदेते है की सघन गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश भी उस जगह पर कैद होकर रह जाता है तब उस जगह पर ब्लैक होल उत्पन्न करना संभव है बस इसी सिद्धांत पर ये यंत्र कम करता है, कालदूत बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर अगर हम इस यंत्र का उपयोग उसे ब्लैक होल के अंदर खींचने के लिए करे तो क्या वो उसे रोक पायेगा? शायद नहीं क्युकी शक्तिशाली से शक्तिशाली प्रन्नी या उर्जा भी ब्लैक होल का विरोध नहीं कर सकती

रमण-क्या तुमलोगों ने पहले भी इसका इस्तमाल किया है कभी?

अविनाश-नहीं उसका कभी मौका नहीं मिला क्युकी इतनी खतरनाक मुसीबत कभी हिडन वारियर्स के सामने आयी ही नहीं की इतने उच्च कोटि के हथीयार का प्रयोग किया जा सके लेकिन ये पूरी तरह काम करता है इसकी गारंटी हम लेते है

रमण-बात काम करने की नहीं है सवाल तो ये है की इससे पैदा हुआ ब्लैक होल वापिस नष्ट कैसे होगा?

रमण का सवाल वाजिब था जिसे सुन कर चेतन और अविनाश एकदूसरे का मुह ताकने लगे

रमण-तो तुमलोग ब्लैक होल उत्पन्न करोगे लेकिन इसे बंद करने का तरीका तुम्हारे पास नहीं है

चेतन-वो अपने आप ही कुछ क्षणों के लियेखुलकर बंद हो जायेगा.......जहा तक हमें लगता है

रूद्र-पक्के तौर पर कहो चेतन

अविनाश-देखिये मैं आप सबकी चिंता समझ रहा हु लेकिन ये हमारे पास आखरी मौका है कालदूत को रोकने का हम हिडन वारियर्स आज तक भुत प्रेत दायाँ चुड़ैल आदि इत्यादि से लडे है पर अपने हथियारों के बल पर उन्हें हराया भी है लेकिन इतने शक्तिशाली शत्रु से हम्मर कभी सामना नहीं हुआ है, हमारे साथी राहुल की थथ्योरी के हिसाब से ये कृत्रिम ब्लैक होल कुछ मिनटों के लिए खुलेगा और अपने आसपास की चीज़ खिंच कर बंद हो जायेगा

रमण(क्रोधित होकर)- थ्योरी! यहाँ मानवता डाव पर लगी है और तुम्हे एक थ्योरी पर भरोसा है? क्या पता ब्लैक होल बंद न हो और पूरी पृथ्वी को अपने अंदर खिंच ले

चेतन-पर ऐसे हमारे पास एक मौका तो है कालदूत के होते हुए पृथ्वी वैसे भी सुरक्षित नहीं है

राघव-बकवास मत करो चेतन ये दो धारी तलवार पर चलने के सामान है क्या तुम्हे मुझ्कर और रूद्र पर भरोसा नहीं है, तुम हरामी ताकत जानते हो भले ही कालदूत हमसे ज्यादा शक्तिशाली है पर अगर हम साथ है तो उसे हरा सकते है हथीयार रख दो हम कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे

शिवानी-तुम्हे हमारी बात कर भरोसा नहीं है

राघव-तुमपर भरोसा है पर इस हथीयार पर नहीं है

जेट गुजरात पहुचने वाला था और साथ ही इन लोगो की आपसी बहस ने भी विकराल रूप धारण कर लिया था

चेतन-हमारे पास दुनिया को बचाने का ये आखरी विकल्प है तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो

राघव-दुनिया को बचाने के लिए उसे ख़तम करने वाले हथीयार का इस्तमाल कभी आखरी विकल्प नहीं हो सकता, दुनिया को बचाने के कोई और रास्ता खोज लिया जाएगा

चेतन-जब तक हम दूसरा रास्ता खोजेंगे कालदूत पृथ्वी को नरक बना देगा

अविनाश-बस बहुत हुयी बहस! यहा हमें पता नहीं है की कालदूत कितनी तभी मचा चूका है और तुम लोग दुसरे विकल्प की बात कर रहे हो? हम यही हथीयार इस्तमाल करेंगे और तुम ल्लोग हमें नहीं रोक सकते

राघव(गुस्से से)- अगर यही बात है तो ठीक है फिर करो मुझसे मुकाबला! एक कालदूत की दुनिया को नष्ट करने पर आमदा है लेकिन तुम्हारा हथीयार उम्मीद देने के बजाय रही सही उम्मीद भी ख़तम कर देगा मैं अभी इसे उठाकर इस जेट से बाहर फेक देता ही

राघव ने अपना सीट बेल्ट खोला और अविनाश की तरफ बढा तभी अविनाश ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेन जैसा कुछ निकला और उसपर लगा बटन दबाया जिससे एक विशेष प्रकार का धातुई जल निकला और उसने राघव को जकड लिया और उसे सीट से बाँध दिया जिसे देख कर रूद्र भी तैश में आ गया और उसने अविनाश पर प्रहार करना चाहा पर उसके पहले वो भी उसी धातुई जाल मैं बंद चूका था उर साथ ही संजय और रमण भी

अविनाश-ये नायलो स्टील का जाल है हालाँकि तुम्हारे अंदर असीमित ताकत है पर तुम्हे भी इससे निकलने मैं काफी मेहनत करनी पड़ेगी, हम ऐसा नहीं करना चाहते थे पर तुमने हमको मजबूर कर दिया, शायद तुमने ध्यान नहीं दिया मगर हमारा जेट इस वक़्त कच्छ के उपर ही है, अब हम पैराशूट लेकर निकलते है, तुमलोग हमारे साथ आ सकते थे लेकिन तुमने हमारे खिलाफ जाना चुना अब हमारे दोनों पायलट्स तुम्हे आचे से पुरे गुजरात की सवारी करा देंगे, हैप्पी जर्नी.

अविनाश और चेतन ने अपना पैराशूट बैग लिया और विमान का द्वार खुल गया और वो दोनों निचे कूद गए, सबसे अंत मैं द्वार के पास शिवानी पहुची और उसने कूदने से पहले एक नजर राघव की तरफ डाली और बोली

शिवानी-सॉरी राघव पर ये जरुरी है

राघव(चिल्लाते हुए)- तुम लोग पागलपन करने जा रहे हो

पर तब तक शिवानी कूद चुकी थी

रमण-कोई फायदा नहीं है राघव हमें पहले इस जाल और जेट से निकलने पर ध्यान देना चाहिए

अब राघव का गुस्सा सातवे आसमान पर था और रूद्र भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा था उस जाल से निकलने के लिए, वो जाल तो कही स नही टुटा लेकिन पूरी सीट ही उखड गयी और सीट उखाड़ते ही जाल की पकड़ उनपर ढीली पड़ने लगी फिर ऐसे ही राघव और रूद्र ने संजय और रमण को जल से छुडवाया और कुल पांच मिनट मे वो जाल से आजाद थे

बिना वक़्त गवाए रूद्र पायलट के पास पंहुचा और गुस्से से बोला

रूद्र-अगर पांच मिनट मे हम वहा नहीं पहुचे जहा वो तीनो लोग पैराशूट लेकर कूदे है तो मैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ी पिचका दूंगा

तभी वहा राघव भी पहुच गया और उनको क्रोध से तमतमाते देख एक पायलट बोला

पायलट-रुको हम आपको वही पंहुचा देंगे जहा वो लोग उतरे है

संजय-ये उनलोगों ने बिलकुल ठीक नहीं किया अब ऍम उनको कहा ढूंढेगे

रमण-मुझे इनसे बातचीत के दौरान पता चला था के ये अपने साथी राहुल के होटल MKB मे मिलने वाले थे जो कच्छ के रण के आसपास ही है हमें भी वही जाना होगा

राघव-बस अब ये खेल बहुत हो गया अब जो जंग होगी वो आखरी होगी भले ही मुझे अपनी आखरी सास तक लड़ना पड़े लेकिन मैं कालदूत का राज इस धरती पर कभी कायम नहीं होने दूंगा........
 

ashish_1982_in

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भाग ३२



सभी लोग अब जेट मैं आ चुके थे, जेट के सामने की तरफ दो सीट लगी गयी थी जिसपर दो सफ़ेद हेलमेट पहने पायलट बैठे हुए थे, अंदर से जेट काफी बड़ा था और सभी के बैठने के लिए वहा पर्याप्त जगह थी

अंदर घुसते ही अविनाश ने पायलट से पूछा

अविनाश-और भाई रामदीन क्या हाल है?

रामदीन-अभीत तक तो सब बढ़िया ही है साब आगे कालदूत से भिड़ने के बाद का पता नहीं

अविनाश(हसकर)- चिंता मत करो इस आर्गेनाईजेशन मे रहने का यही तो फायदा है की मेंबर्स के मरने के बाद उनके परिवार की देख रेख आर्गेनाईजेशन करता है तो तुम्हारे बीवी बच्चे आराम से पल जायेंगे

रामदीन- क्या साब आप तो अभी से हमारे मरने की दुआ कर रहे है खैर अब जरा सीट पर जाकर बैठ जाइये वरना जेट इतनी स्पीड से उड़ेगा की सीधा छत फाड़ कर बाहर निकल जायेंगे

इसके बाद सभी अपनी अपनी जगह बैठ गए और उन्होंने सीटबेल्ट लगा ली और जेट चलना शुरू हुआ, पहले वो हवा मे धीरे धीरे उपर उठा और फिर एक निश्चित ऊचाई पर पहुच कर ‘सांय’ से हवा को काटता हुआ आकाश मैं उड़ने लगा और इसी के साथ रामदीन के एक बटन दबाया दिया जिससे जेट वापस अदृश्य हो चूका हा, हालाँकि सभी ने सीटबेल्ट पहन राखी थी फिर भी वो जेट की अपीड को महसूस कर पा रहे थे

रूद्र-तो अब क्या प्लान है?

रूद्र की बात सुनकर अविनाश ने मुस्कुराकर अपना पास रखा एक काला सा बैग निकाला

रमण-अरे! ये बैग तो तुम्हारे पास पहले नहीं था तो क्या तुम्हारी आर्गेनाईजेशन ने जेट के साथ इसे भी भेजा है

अविनाश-बिलकुल सही

बैग के अंदर एक गिटार के बराबर का यंत्र रखा हुआ था जो दिखने मैं बहुत ही खतरनाक लग रहा था उसने बहुत से छोटे छोटे खांचे बने हुए थे और अंत मैं एक ट्रिगर जिससे उसे संचालित किया जा सकता था

राघव-ये क्या है?

अविनाश-इसे हमलोग गेटवे कहते है

रमण-ऐसा यंत्र न पहले कभी देखा न सुना

चेतन-आप इसके बारे मैं जान भी नहीं सकते थे ये हिडन वारियर्स के उन गुप्त हथियारों मैं से है जो पूरी पृथ्वी को ख़तम करने की ताकत रखते है इसीलिए उन्हें दुनिया की नजरो से बचाकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है

संजय-लेकिन ये काम कैसे करता है?

चेतन-आपलोगों ने ब्लैक होल के बारे मैं सुना ही होगा

राघव-हा अंतरिक्ष वो विशेष हिस्सा जहा गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी सघन होती है जो ठोस वस्तुओ के साथ साथ प्रकाश को भी अपने भीतर कैद करने की क्षमता रखता है लेकिन उसका इससे क्या लेना देना

अविनाश-लेना देना इसीलिए की हमारा ये शस्त्र कुछ समय के लिए कृत्रिम ब्लैक होल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है

रूद्र-पर ये कैसे संभव है अंतरिक्ष मैं तो ब्लैक होल किसी तारे से फटने से सुपरनोवा द्वारा उत्पन्न होता है तुमलोग भला इससे ब्लैक होल कैसे पैदा करोगे

चेतन-जब हमने इसके बारे मैं पहली बार सुना था की ये ब्लैक होल उत्पन्न करता है तो हम भी चौक गए थे लेकिन पहली बात तो ये है की ये एक कृत्रिम ब्लैक होल पैदा करता है जिसकी वस्तुओ को अपने भीतर खींचने की क्षमता असली से बहुत कम होती है और दूसरी बात की ये ब्लैक होल मात्र कुछ क्षणों के लिए प्रकट होता है जिससे कुछ ज्यादा नुकसान नहीं फ़ैल सकता, आइंस्टीन की थ्योरी of रिलेटिविटी के अनुसार अगर हम किसी स्पेस को मत्तेर द्वारा इतना अधिक डिसटॉर्ट करदेते है की सघन गुरुत्वाकर्षण के कारण प्रकाश भी उस जगह पर कैद होकर रह जाता है तब उस जगह पर ब्लैक होल उत्पन्न करना संभव है बस इसी सिद्धांत पर ये यंत्र कम करता है, कालदूत बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर अगर हम इस यंत्र का उपयोग उसे ब्लैक होल के अंदर खींचने के लिए करे तो क्या वो उसे रोक पायेगा? शायद नहीं क्युकी शक्तिशाली से शक्तिशाली प्रन्नी या उर्जा भी ब्लैक होल का विरोध नहीं कर सकती

रमण-क्या तुमलोगों ने पहले भी इसका इस्तमाल किया है कभी?

अविनाश-नहीं उसका कभी मौका नहीं मिला क्युकी इतनी खतरनाक मुसीबत कभी हिडन वारियर्स के सामने आयी ही नहीं की इतने उच्च कोटि के हथीयार का प्रयोग किया जा सके लेकिन ये पूरी तरह काम करता है इसकी गारंटी हम लेते है

रमण-बात काम करने की नहीं है सवाल तो ये है की इससे पैदा हुआ ब्लैक होल वापिस नष्ट कैसे होगा?

रमण का सवाल वाजिब था जिसे सुन कर चेतन और अविनाश एकदूसरे का मुह ताकने लगे

रमण-तो तुमलोग ब्लैक होल उत्पन्न करोगे लेकिन इसे बंद करने का तरीका तुम्हारे पास नहीं है

चेतन-वो अपने आप ही कुछ क्षणों के लियेखुलकर बंद हो जायेगा.......जहा तक हमें लगता है

रूद्र-पक्के तौर पर कहो चेतन

अविनाश-देखिये मैं आप सबकी चिंता समझ रहा हु लेकिन ये हमारे पास आखरी मौका है कालदूत को रोकने का हम हिडन वारियर्स आज तक भुत प्रेत दायाँ चुड़ैल आदि इत्यादि से लडे है पर अपने हथियारों के बल पर उन्हें हराया भी है लेकिन इतने शक्तिशाली शत्रु से हम्मर कभी सामना नहीं हुआ है, हमारे साथी राहुल की थथ्योरी के हिसाब से ये कृत्रिम ब्लैक होल कुछ मिनटों के लिए खुलेगा और अपने आसपास की चीज़ खिंच कर बंद हो जायेगा

रमण(क्रोधित होकर)- थ्योरी! यहाँ मानवता डाव पर लगी है और तुम्हे एक थ्योरी पर भरोसा है? क्या पता ब्लैक होल बंद न हो और पूरी पृथ्वी को अपने अंदर खिंच ले

चेतन-पर ऐसे हमारे पास एक मौका तो है कालदूत के होते हुए पृथ्वी वैसे भी सुरक्षित नहीं है

राघव-बकवास मत करो चेतन ये दो धारी तलवार पर चलने के सामान है क्या तुम्हे मुझ्कर और रूद्र पर भरोसा नहीं है, तुम हरामी ताकत जानते हो भले ही कालदूत हमसे ज्यादा शक्तिशाली है पर अगर हम साथ है तो उसे हरा सकते है हथीयार रख दो हम कोई दूसरा रास्ता निकालेंगे

शिवानी-तुम्हे हमारी बात कर भरोसा नहीं है

राघव-तुमपर भरोसा है पर इस हथीयार पर नहीं है

जेट गुजरात पहुचने वाला था और साथ ही इन लोगो की आपसी बहस ने भी विकराल रूप धारण कर लिया था

चेतन-हमारे पास दुनिया को बचाने का ये आखरी विकल्प है तुम लोग समझ क्यों नहीं रहे हो

राघव-दुनिया को बचाने के लिए उसे ख़तम करने वाले हथीयार का इस्तमाल कभी आखरी विकल्प नहीं हो सकता, दुनिया को बचाने के कोई और रास्ता खोज लिया जाएगा

चेतन-जब तक हम दूसरा रास्ता खोजेंगे कालदूत पृथ्वी को नरक बना देगा

अविनाश-बस बहुत हुयी बहस! यहा हमें पता नहीं है की कालदूत कितनी तभी मचा चूका है और तुम लोग दुसरे विकल्प की बात कर रहे हो? हम यही हथीयार इस्तमाल करेंगे और तुम ल्लोग हमें नहीं रोक सकते

राघव(गुस्से से)- अगर यही बात है तो ठीक है फिर करो मुझसे मुकाबला! एक कालदूत की दुनिया को नष्ट करने पर आमदा है लेकिन तुम्हारा हथीयार उम्मीद देने के बजाय रही सही उम्मीद भी ख़तम कर देगा मैं अभी इसे उठाकर इस जेट से बाहर फेक देता ही

राघव ने अपना सीट बेल्ट खोला और अविनाश की तरफ बढा तभी अविनाश ने अपनी जेब से एक छोटा सा पेन जैसा कुछ निकला और उसपर लगा बटन दबाया जिससे एक विशेष प्रकार का धातुई जल निकला और उसने राघव को जकड लिया और उसे सीट से बाँध दिया जिसे देख कर रूद्र भी तैश में आ गया और उसने अविनाश पर प्रहार करना चाहा पर उसके पहले वो भी उसी धातुई जाल मैं बंद चूका था उर साथ ही संजय और रमण भी

अविनाश-ये नायलो स्टील का जाल है हालाँकि तुम्हारे अंदर असीमित ताकत है पर तुम्हे भी इससे निकलने मैं काफी मेहनत करनी पड़ेगी, हम ऐसा नहीं करना चाहते थे पर तुमने हमको मजबूर कर दिया, शायद तुमने ध्यान नहीं दिया मगर हमारा जेट इस वक़्त कच्छ के उपर ही है, अब हम पैराशूट लेकर निकलते है, तुमलोग हमारे साथ आ सकते थे लेकिन तुमने हमारे खिलाफ जाना चुना अब हमारे दोनों पायलट्स तुम्हे आचे से पुरे गुजरात की सवारी करा देंगे, हैप्पी जर्नी.

अविनाश और चेतन ने अपना पैराशूट बैग लिया और विमान का द्वार खुल गया और वो दोनों निचे कूद गए, सबसे अंत मैं द्वार के पास शिवानी पहुची और उसने कूदने से पहले एक नजर राघव की तरफ डाली और बोली

शिवानी-सॉरी राघव पर ये जरुरी है

राघव(चिल्लाते हुए)- तुम लोग पागलपन करने जा रहे हो

पर तब तक शिवानी कूद चुकी थी

रमण-कोई फायदा नहीं है राघव हमें पहले इस जाल और जेट से निकलने पर ध्यान देना चाहिए

अब राघव का गुस्सा सातवे आसमान पर था और रूद्र भी अपनी पूरी ताकत लगा रहा था उस जाल से निकलने के लिए, वो जाल तो कही स नही टुटा लेकिन पूरी सीट ही उखड गयी और सीट उखाड़ते ही जाल की पकड़ उनपर ढीली पड़ने लगी फिर ऐसे ही राघव और रूद्र ने संजय और रमण को जल से छुडवाया और कुल पांच मिनट मे वो जाल से आजाद थे

बिना वक़्त गवाए रूद्र पायलट के पास पंहुचा और गुस्से से बोला

रूद्र-अगर पांच मिनट मे हम वहा नहीं पहुचे जहा वो तीनो लोग पैराशूट लेकर कूदे है तो मैं अपने हाथो से तुम दोनों की खोपड़ी पिचका दूंगा

तभी वहा राघव भी पहुच गया और उनको क्रोध से तमतमाते देख एक पायलट बोला

पायलट-रुको हम आपको वही पंहुचा देंगे जहा वो लोग उतरे है

संजय-ये उनलोगों ने बिलकुल ठीक नहीं किया अब ऍम उनको कहा ढूंढेगे

रमण-मुझे इनसे बातचीत के दौरान पता चला था के ये अपने साथी राहुल के होटल MKB मे मिलने वाले थे जो कच्छ के रण के आसपास ही है हमें भी वही जाना होगा


राघव-बस अब ये खेल बहुत हो गया अब जो जंग होगी वो आखरी होगी भले ही मुझे अपनी आखरी सास तक लड़ना पड़े लेकिन मैं कालदूत का राज इस धरती पर कभी कायम नहीं होने दूंगा........
very nice update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 

Killerpanditji(pandit)

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258
भाग 1

आज से करीब १०००-१२०० वर्ष पूर्व (देखो वैसे मुझे घंटा आईडिया नहीं है के १००० साल पहले क्या माहौल था लोगो का रेहन सेहन कैसा था बोलीभाषा क्या हुआ करती थी इसीलिए जहा तक दिमाग के घोड़े दौड़ रहे थे उतना लिख रहा हु )

हिन्द महासागर

इस वक़्त हिन्द महासागर मैं कुछ ३-४ नावे चल रही थी, देखते ही पता चलता था के मुछवारो की नाव है जो वह मछली पकड़ने का अपना काम कर रहे थे, वैसे तो नाव एकदूसरे से ज्यादा दूर नहीं थी पर उन्होंने अपने बीच पर्याप्त अंतर बनाया हुआ था,

ये कुछ जवान लड़के थे जो पैसा कमाने और मछली पकड़ने की होड़ मैं आज समुन्दर मैं कुछ ज्यादा ही दूर निकल आये थे, सागर के इस और शायद ही कोई आता था क्युकी इस भाग मैं अक्सर समुद्र की लहरें उफान पर रहती थी इसीलिए ये लड़के यहां तो गए थे पर अब घबरा रहे थे पर आये है तो बगैर मछली पकडे जा नहीं सकते थे इसीलिए जल्दी जल्दी काम निपटा के लौटना चाहते थे

पर जब मछलिया जाल मैं फसेंगी तभो तो कुछ होगा न अब उसमे जितना समय लगता है उतना तो लगेगा ही

"हम तो पहले ही बोले थे यहाँ नहीं आते है यहाँ अक्सर तूफान उठते रहते है हमारा तो जी घबरा रहा है" उनमे से एक लड़का दूसरी नाव वाले से बोला, हवा काफी तेज चल रही थी तो वो चिल्ला के बोल रहा था

"ए चुप बिरजू साले को पैसा भी कामना है और जोखिम भी नहीं लेना है " दूसरे लड़के ने उसे चुप कराया

"बिरजू सही कह रहा है पवन मेरे दादा भी कहते है के सगर का ये भाग खतरनाक है उन्होंने तो ये भी बताया था के ये इलाका ही शापित है" तीसरा बाँदा भी अब बातचीत मैं शामिल हो गया

"इसीलिए तो मैं कह रहा हु के जितनी मछलिया मिल गयी है लेके के चलते है मुझे मौसम के आसार भी ठीक नहीं लग रहे " बिरजू ने कहा

बिरजू की बात के पवन कुछ बोलना छह रहा था के "अरे जाने दे से पवन ये बिरजू और संजय तो फट्टू है सालो को दिख नहीं रहा के यहाँ कितनी मछलिया जाल मैं फास सकती है कमाई ही कमाई होगी और अगर कोई बड़ी मछली फांसी तो राजाजी को भेट कर देंगे हो सकता है कुछ इनाम मिल गए " ये पाण्डु था चौथा बंदा

"सही बोल रहा है तू पाण्डु " पवन

वो लोग वापिस अपने काम मैं जुट गए , देखते देखते दोपहर हो गयी और अब तक उन चारो ने काफी मछलिया पकड़ ली थी और अब वापिस जाने मैं जुट गए थे

"बापू काफी खुश होगा इतनी मछलिया देख के " बिरजू ख़ुशी से बोला

"हमने तो पहले ही कहा था इस और आने अब तो रोज यही आएंगे मछली पकड़ने " पाण्डु बोल पड़ा

तभी मौसम मैं बदलाव आने सुरु हो गए, धीरे धीरे मौसम बिगड़ने लगा और इस प्रकार के मौसम मैं नाव चलना मुश्कुल हो रहा था, हवा की गति भी अचानक से काफी तीव्र हो गयी थी, वो चारो नाविक लड़के परेशानी की हालत मैं थे के इस तूफ़ान से कैसे बचे, किनारा अब भी काफी दूर था , तभी उन्हें समुद्र के बीच से कही से हवा का बवंडर अपनी और आता दिखा जिसकी तेज गति से पानी भी १३-१४ फुट तक ऊपर उठ रहा था, वो चारो घबरा गए और मन ही मन भगवन को याद करने लगे

देखते ही देखते उस बवंडर ने उनकी नावों को अपनी चपेट मैं ले लिया पर इसके पहले ही वो चारो पनि मैं कूद चुके थे,

वैसे तो वो तैरना जानते थे पर इस तूफ़ान मैं उफनती सागर की लेहरो मैं तैरना आसान काम नहीं था, कभी मुश्किल से थोड़ा ही तेरे थे के उस बवंडर से उन्हें अपने अधीन कर लिया और वे चारो सागर की गहराइयो मैं गोता लगाने लगे

बिरजू उन सब मैं सबसे अच्छा तैराक था इसीलिए वो थोड़े लम्बे समय तक तैरता रहा जबकि उसके बाकि साथी तो पहले ही सागर की गहराइयो मैं खो चुके थे

धीरे धीरे बिरजू के सीने पे पानी का दबाव पड़ने लगा और वो भी डूबने लगा उसकी आँखें बंद होने लगी थी......

कुछ समय बाद बिरजू की आँखें खुली तो उसने अपने आप को सागर की गहराइयो मैं आया पर आश्चर्य उसे सास लेने मैं कोई कठनाई नहीं हो रही थी पर जब उसने सामने देखा तो उसके होश उड़ गए थे

उसके सामने विशालकाय ३० फुट ऊचा कोई व्यक्ति जंजीरो से बंधा हुआ था, सबसे भयावह और अजीब बात ये थी के उसका सर आम इंसानो जैसा न होकर सर्प के सामान था और उसके पीठ पर ड्रैगन जैसे पंख लगे हुए थे, उस अजीबोगरीब चीज़ को देख के बिरजू की डर से हालत ख़राब हो रही थी तभी उसके कानो मैं कही से आवाज गुंजी

"मनुष्य"

बिरजू एकदम से घबरा गया

"घबराओ नहीं मनुष्य मैं कालदूत हु और मैं तुम्हे कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगा"

"तुम क्या हो और मुझसे कैसे बात कर पा रहे हो "

"मैं कालदूत हु मनुष्य ये मेरे लिए मुश्किल नहीं है मैं तुम्हारी मानसिक तरंगों से जुड़ा हु और मैं तुम्हे कुछ नहीं करूँगा मैं तो खुद लाखो वर्ष से समुद्रतल की गहराइयो मैं कैद हु, देवताओ ने मुझे कैद किया था"

"पर मैं यहाँ कैसे आया " बिरजू

"क्युकी मैं तुम्हे यहाँ लाया हु, मुझे मुक्त होने के लिए तुम्हारी आवश्यकता है तुम्हे हर तीन सालो मैं १०० लोगो की बलि देनी होगी वो भी निरंतर १००० वर्षो तक ताकि मैं मुक्त हो पाउ बदले मैं मैं तुम्हे असीम शक्ति प्रदान करूँगा, आज से मै ही तुम्हारा भगवान हु, तुम जो ये पानी के भीतर भी सास ले पा रहे हो ये मेरी ही कृपा है अब जाओ और हमारी मुक्ति का प्रबंध करो "

कालदूत की बातो का बिरजू पर जादू हो गया और वो उसके सामने नतमस्तक हो गया तभी वहा एक किताब प्रगट हुयी

"उठो वत्स और ये किताब को यह हमारा तुम्हारे लिए प्रसाद है जिसमे वो विधि लिखी है जिससे तुम हमें अपने भगवान हो मुक्त करा पाओगे और इसी किताब की सहायता से तुम्हे और भी कई साडी सिद्धिया प्राप्त होगी "

बिरजू ने वो किताब ली

“पर 1000 वर्ष मैं जीवित कैसे रह सकता हु प्रभु”

“यही किताब उसमे सहायक होगी वत्स और हमारी शरण में आते ही तुम्हारी आयु साधारण मनुष्य से अधिक हो गयी है पर तुम्हे यह कार्य जारी रखने के लिए संगठन बनाना होगा हमारे और भक्त बनाने होंगे अब जाओ हम सदैव तुमसे जुड़े रहेंगे”

"महान भगवान कालदूत की जय" और इतना बोलते साथ ही बिरजू की आँखें बंद हो गयी और जब खुली तब उसने अपने आप को किनारे पे पाया,


पहले तो उसे यकीं नहीं हुआ की ये क्या हुआ पर जब उसकी नजर अपने हाथ मैं राखी किताब पे पड़ी तब उसे यकीन हो गया की जो हुआ वो सत्य था और वो लग गया अपने स्वामी को मुक्त करने की मोहिम मैं........
Nice start
 

Killerpanditji(pandit)

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भाग २

समय रात के 11 बजे

अमावस की वो एक बेहद ही काली और भयान रात थी हर तरफ निर्जीव शांति फैली हुई थी सिवाय जंगल के.....
जंगल के बीचों बीच एक हवन कुंड जल रहा था और उसके इर्द गिर्द 5 लोग काले कपडे पहन कर कुछ मंत्रोच्चारण कर रहे थे और उस हवन कुंड के ठीक सामने एक पेड़ पर एक व्यक्ति अधमरी हालत मैं जंजीरो से बंधा हुआ था

यहा इन पांचों लोगो का मंत्रोच्चारण सुरु था, उन सभी के चेहरे ढके हुए थे और आँखें लाल होकर देहक रही थी तभी उनलोगों ने हवन मैं आहुतियां देना सुरु किया और जोर जोर से मंत्रोच्चारण करते हुए आहुतियां देने लगे,
उनलोगों की आवाजें उस जंगल की शांति की भंग कर रही थी वातारवण ऐसा हो रखा था मानो किसी ने संसार से सारि ख़ुशी चूस ली हो

जैसे ही उन लोगो ने अपनी आखरी आहुति पूरी की वहा उन पांचो मैं से एक व्यक्ति की अट्टहास भरी हँसी की आवाज गूंगी

"आखिर को क्षण आ ही गया, मेरे मालिक की मुक्ति अब ज्यादा दूर नहीं"

वो शख्स अपनी जगह से उठा और उसी हवन कुंड से जलती हुयी एक लकड़ी उठायी और उस पेड़ से बंधे इंसान के पास गया और अपने चेहरे से नकाब हटाया

"न.... नहीं.....म... मुझे... म...मत..मारो....मैं ...मैं तुम्हारा बाप हु...." उस अधमरे इंसान ने बोलने की कोशिश की

"जो मेरे भगवान को नहीं मानता वो मेरा बाप नहीं हो सकता आप बहुत खुशनसीब है के आपको महान भगवन कालदूत की मुक्ति के लिए योगदान देने का अवसर मिला है" और इतना बोलने के साथ ही उस आदमी ने अपने हाथ मैं पड़की वो जलती हुई लकड़ी उस आदमी को लगाई. उन लोगो ने पहले ही इस इंसान पर मिटटी का तेल छिड़का होने की वजह से उस इंसान का शरीर जलने लगा. उसकी चीखे पुरे जंगल में गूंज उठी

वो पांचो वहा उस जलते हुए शख्स को देख कर खुश हो रहे थे... आग ने जिस पेड़ पे वो इंसान बंधा हुआ था उसे भी अपनी चपेट में ले लिया था और अब आग की लपटें ऊँची ऊँची उठ रही थी....

थोड़े समय बाद वह केवल रख बची थी और उस जल हुए शारीर के अंश...

"महान भगवान कालदूत अपने भक्त बिरजू के हाथो पहली आहुति स्वीकार करे" और इतना बोलते साथ ही बिरजू ने वहा राख बने अपने पिता के शरीर के कुछ अंश उठाये और उस हवन कुंड मैं डाल दिए.

बिरजू और कालदूत की भेंट हुए आज दो माह हो गए थे और कालदूत ने मनो बिरजू पर सम्मोहन कर दिया था. बिरजू उसका निस्सीम भक्त बन गया था और उसे ही अपना देवता मानता था... और साथ ही उस किताब की पूजा करता था जो उसे कालदूत ने दी थी...

वो किताब खुद कालदूत ने लिखी थी जो उसके जीवन के अनुभवो पर आधारित थी जिसमे उसके देवताओ से लड़ने की कई कहानियां थी और ये भी लिखा था के पापी देवताओ ने कैसे उसे छल से समुद्रतल की गहराइयों में कैद किया था जिससे मुक्ति पाने के लिए कालदूत को आत्माओ की शक्ति की आवश्यक्ता थी... उस किताब मैं काले जादू से सम्बंधित कई सिद्धिया और उसे प्राप्त करने की विधि के बारे में विस्तृत जानकारी थी जिसकी कोई भी सामान्य मनुष्य कल्पना भी नहीं कर सकता....

बिरजू जैसे जैसे उस किताब को पढता गया वैसे वैसे कालदूत के प्रति उसकी भक्ति भी बढ़ रही थी, वो मानने लगा था के सृष्टि का उद्धार केवल कालदूत ही कर सकता है, उसने जंगल मैं कालदूत का मंदिर भी बनाया था जहा अभी अभी उसने अपने पिता की बलि दी थी

इंसान जब भी कोई नयी चीज़ करता है तो वो उसकी सुरवात अपने परिवार से करता है बिरजू ने भी वैसा ही किया, उसके परिवार मैं उसके पिता के अलावा कोई नहीं था उसने अपने पिता को कालदूत के बारे मैं बताया और कालदूत की शरण मैं आने के लिए समझाया लेकिन उसके पिता ने उसकी पागलो मैं गिनती की और ईश्वर की राह चलने की सहल दी और यही से.... जब बिरजू के पिता बटुकेश्वर ने कालदूत की भक्ति से इंकार कर दिया बिरजू के मन मैं उनके प्रति नफरत के भाव बनने लगे.......

जिस दिन बिरजू समुद्र के तूफ़ान से बच कर आ गया था और उसके तीनो साथिओ मरे गए थे तब उसने अपने गाओ वालो को भी कालदूत के बारेमे बताया पर उस समय किसीने उसकी बातो पर यकीं नहीं किया सिवाय ४ लोगो को छोड़ के जिनके मन मैं कालदूत को लेकर कुतूहल जगा था....धीरे धीरे १ महीने का समय व्यतीत हुआ, बिरजू उस किताब का अध्यन करके कई सारी सिद्धिया प्राप्त कर चूका था और कालदूत का भक्त तो वो पहले ही बन चूका था और अब अपने स्वामी को मुक्त करना चाहता था लेकिन ये काम आसान नहीं था और ये उसके अकेले के बस का भी नहीं था उसे लोगो की जरुरत थी जो उसी की तरह कालदूत के भक्त हो.....

बिरजू ने ऐसे लोगो को ढूंढ़ना सुरु किया जिनके मन मैं ईश्वर के प्रति गुस्सा हो, जिन्होंने अपनी कोई अतिमुल्यवान चीज़ खोई हो और उसका जिम्मेवार ईश्वर को मानते हो और जब उसने ऐसे लोगो की खोज की तो पाया के इनके सबसे अग्रणी वही ४ थे जिनके मन मैं कालदूत को लेकर कुतूहल जगा था.....

बिरजू ने धीरे धीरे उनसे दोस्ती बनायीं, उन्हें कालदूत के बारेमें बताया, और ये भी बताया के कैसे महान कालदूत को देवताओ ने कैद किया था, बढ़ते समयके साथ साथ वो चारो भी बिरजू के साथ कालदूत की भक्ति करने लगे और इन सब क्रियाओ मैं बिरजू अपने पिता से दूर होता गया क्युकी उसके पिता बार बार उसे समझने की कोशिश करते,

इस पुरे घटनाक्रम मैं कालदूत बिरजू के दिमाग से जुड़ा हुआ था और समय समय पर सपनो के जरिये उसे निर्देश भी देता था और जैसे ही बिरजू के अलावा वो चारो भी कालदूत की भक्ति करने लगे तो कालदूत उनके सपनो मैं भी आ गया और इन पांचो को बताया के उसकी भक्ति करने से वो उन्हें कई प्रकार की सिद्धिया देगा न की उनके भगवान् की तरह उन्हें दुःख और गरीबी देगा.....कालदूत की बाते उसके भक्तो पर सम्मोहन की तरह काम करती थी......बिरजू को अपने पिता की बलि देने के लिए भी कालदूत ने ही आदेश दिए थे जिसे बिरजू ने पूरा किया......

"आज ये पहली बलि है हमारे भगवन कालदूत की मुक्ति के लिए लेकिन अंतिम नहीं, जब मेरी भेट कालदूत से हुयी थी उन्होंने कहा था के हमें हर 3 वर्षो मैं १०० बलिया देनी होगी वो भी निरंतर १००० वर्ष तक तब हम हमारे स्वामी को उस समुद्रतल से मुक्त कर पाएंगे साथियो हमारा असली काम अब सुरु हुआ है, बोलो महान भगवान कालदूत की..!" बिरजू बोला जिसके पीछे सब एकसाथ चिल्लाये "जय !!"

उसके बाद इनलोगो ने अपना संगठन मजबूत करने पर जोर दिया और उसे नाम दिया 'कालसेना' समय के साथ साथ इनकी विचारधारा से कई लोग जुड़े और कालसेना का हिस्सा बने, बलि के लिए ये लोग मुख्यत्व उनलोगो को निशाना बनाते जो किसी भी धार्मिक कार्य से जुड़े होते जिससे ये लोगो को यकीन दिला सके के इनका ईश्वर इन्हे बचाने नहीं आएगा बल्कि कालदूत की शरण मैं आने से इनके दुःख दूर होंगे,

कालसेना छिप कर काम करती थी और बलि का तरीका वही था जिससे इन्होने पहली बलि दी थी, कालसेना की विचारधारा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे प्रसारित होती रही और हर ३ वर्षो मैं १०० बलिया कालदूत को निरंतर मिलती रही,

आज कालसेना से कई लोग जुड़े थे और कालदूत की भक्ति कर उसे मुक्त करना चाहते थे, ये एक काफी बड़ा संगठन था जिसका मुखिया आज भी बीरजु का परिवार था बिरजू के मरने के बाद ये हक़ उसके बेटे को मिला लेकिन उसके बाद कालसेना का मुखिया बनने के लिए संगठन मैं द्वन्द होता और जो श्रेष्ठ होता उसे कालसेना के मुखिया का पद मिलता जिसमे हमेशा से ही बिरजू के परिवार का बोल बाला रहा


कालसेना बड़ा संगठन था लेकिन छिपा हुआ था और इनके लोग हर क्षेत्र मैं मौजूद थे व्यवसाय से लेकर राजनीति और मीडिया तक मैं इनकी पहुंच थी जो इनका भेद छिपा रखने मैं मदद करती थी, कालसेना का मानना था के जिस दिन इनके भगवान कालदूत मुक्त होंगे उसी दिन ये भी दुनिया के समक्ष आएंगे...और फिर दुनिया पर राज करेंगे और अब काल सेना अपने लक्ष के काफी करीब थी आने वाले 3 वर्षो मैं १०० बलि देने से उनकी १००० वर्षो की तपस्या सफल होने वाली थी जिसमे से वो २० बलियो का प्रबंद कर चुके थे बस इंतज़ार कर रहे थे सही अवसर का...........
Nice update bro 🤠🤠🤠
 

Killerpanditji(pandit)

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भाग ४


घर का सभी पुरुष वर्ग अपने अपने कामो के लिए निकल गया था अनिरुद्ध जी अपने पूजा अनुष्ठान केलिए रमन अपने ठाणे की ओर ओर राघव अपने दोस्त के साथ, अब घर में केवल सुमित्रा देवी ओर उनकी बहु श्रुति बचे थे,

राघव जिस हिसाब से अपने पिता से उखड़े स्वर मैं बात करता था उससे कोई भइये स्पष्ट अन्दाज लगा सकता था के दोनों बाप बेटे की आपस मैं जमती नहीं है, राघव ओर अनिरुद्धजी की नोक झोक घर मैं आम बात थी, केवल एक रमन ही था जिसके बोलने से वो दोनों चुप हो सकते थे रमन ही दोनों कोचुप करा सकता था ओर राघव भी कभी रमन की कोईबात नहीं टालता था, हालाँकि ऐसा भी नहीं था के राघव अपने पिता से प्यार नहीं करता था या उनके लिए उसके मन मैं कोई आदर नहीं था ये सब तो उस एक घटना की वजह से हुआ था जो शास्त्री परिवार मैं घटी थी जिसके बाद राघव का स्वाभाव ही एकदम बदल सा गया था.

अनिरुद्ध शास्त्री एक जाने मने ज्योतिष पंडित थे ओर सदैव ईश्वर की भक्ति मैं लीं रहने वाले इंसान थे वही राघव बिलकुल उल्टा था उसका तो मनो भगवन से छतीस का आकड़ा हो, उसका मानना था के जो दीखता ही नहीं उसपर विश्वास कैसे किया जाये उसके हिसाब से जो दीखता ही नहीं है वो तो है ही नहीं और बस इसी बात पे दोनों बाप बेटे मैं नोक झोक होती रहती थी .

अब ये बात तो किसी को भी अटपटी लगेगी के बाप एक विख्यात पंडित और बेटा शुद्ध नास्तिक और यही बात श्रुति को भी खटकती थी पसर उसने आज तक इस बारे मैं किसी से पूछा नहीं था घर मैं पर आज उसने इस बारे मैं सुमित्रा देवी से बात करने की ठानी

श्रुति- मम्मीजी आपसे एक बात पूछनी है (किचन मैं काम करते हुए श्रुति से सुमित्रा देवी से कहा )


सुमित्रादेवी- हा पूछो न बेटा

श्रुति- ये राघव भैया का स्वाभाव मतलब मेरी शादी को एक साल होते आया है और जितना मैंने देखा है राघव भैया किसी से ज्यादा बात नहीं करते बस अपने मैं खोये रहते है उनसे जितनी बात करो उतना ही जवाब देते है और तो और उन्हें हस्ते हुए तो मैंने कभी देखा ही नहीं है ऐसा क्यों है? और उनके और बाबूजी के बीच की ये रोज की नोकझोक इसकी क्या वजह है?

श्रुति का सवाल सुन सुमित्रादेवी मुस्कुरायी

सुमित्रादेवी- ये सवाल तुमने पहले क्यों नहीं पूछा

श्रुति- पूछना तो चाहती थी मगर पूछ नहीं पायी

सुमित्रादेवी- चलकोई बात नहीं अब पूछ ही लिया है तो तुम्हे सब बाबति हु पहले काम निपटा ले कहानी जरा लम्बी है फिर तुम्हे आराम से बताउंगी

श्रुति- ठीक है

और दोनों सास बहु अपने काम निपटने मैं लग गयी

वही दूसरी और रमन अपने पुलिस स्टेशन पहुंच गया था, उसके ऊपर मिसिंग केसेस सॉल्व करने का दबाव बढ़ता जा रहा था, अभी ३ दिन पहले ही थाने मैं एक चर्च के फादर की गुमशुदगी की रिपोर्ट आयी तह जिसके साथ ही रमन के पास पेंडिंग मिसिंग केसेस की संख्या कुल १४ हो गयी थी जो पिछले दो सालो मैं आये थे जिनमे से एक भी केस के बारे मैं रमन के पास कोई सुराग नहीं था और इन्ही बढ़ते केसेस के चलते रमन के सीनियर ऑफिसर्स भी उससे खफा चल रहे थे और उसपास जल्द से जल्द केसेस सॉल्व करने का दबाव बना रहे थे और अगर इस केस मैं भी कोई सुराग नहीं मिला तो रमन से ससपेंड होने के भी चान्सेस थे, वैसे तो रमन कि शादी को एक साल होते आया था लेकिन इन केसेस के चलते वो श्रुति के साथ भीअचे से समय नहीं बिता पाया था

रमन ने सरे केसेस को एक बार फिर शुरू से स्टडी करने का सोचा क्या पता शुरुवात से देखने पर कोई क्लू ही हाथ लग जाये, इस सब केसेस मैं एक बात जो रमन के धयान मैं आयी थी वो ये थी के इन दो सालो में राजनगर मैं जितने भी लोग गायब हुए है वो सभी किसी न किसी धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े हुए थे और इन लोगो का आपस मैं एक दूसरे से कोई ताल्लुक नहीं था, और गायब हुए सभी लोग माध्यम वर्गीय परिवार वाले थे और कुछ ऐसे थे जो अकेले थे जिनका दुनिया मैं कोई नहीं था, किसी भी गायब शक्श के लिए फिरौती का फ़ोन नहीं आया था और रमन का ये मानना था के हो न हो ये गायब हुए लोग अब शायद इस दुनिया मैं नहीं है, उन्हें मार दिया गया है लेकिन ये सोच सोच के उसका दिमाग फटा जा रहा था के ये जो कोई भी इस घटनाओ को अंजाम दे रहा है आखिर वो चाहता क्या है, क्युकी इन सब घटनाओ के पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ था जिसका पता रमन को लगाना था.

इस पुरे घटनाक्रम में एक बात हैरान करने वाली थी के इतनी गुमशुदा लोगो की रिपॉर्ट होने के बाद भी मीडिया शांत बैठा हुआ था कही किसी न्यूज़ चैनल पर या अख़बार मैं कोई भी खबर नहीं छपी थी पर इन घटनाओं का असर शहर में देखा जा सकता था लोग बगैर काम के घर से बहार नहीं निकलते थे और दुकाने भी जल्द ही बंद होने लगी थी लोगो के मन में डर था कि कल को कहिब्व ही गायब न हो जाये इसीलिए लोग ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे

रमन अपने केबिन मैं बैठा इन्ही सब बातो के बारे मैं सोच रहा था और फिर उसने अपने एक साथी को आवाज लगायी

रमन- चन्दन!

चन्दन- जय हिन्द सर ! (अंदर आते हिसालुते करते हुए चन्दन ने कहा)

रमन- उस लापता हुए फादर के बारे मैं कुछ पता चला

चन्दन - नहीं सर, जैसा हाल बाकि केसेस मैं था वैसा ही हाल है, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है पर कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है, और अब तोये बात शहर मैं भी फैलने लगी है की लोग लापता हो रहे है जिससे शहर मैं भी डर का माहौल बन रहा है

रमन- है वो तो मैं भी देख रहा हु के शहर का माहौल कुछ बदला बदला सा है

चन्दन- सर ये बातसमझ मैं नहीं आ रही के जब शहर का माहौल बदल रहा है तो कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ये बात क्यों नहीं दिखा रहा है

रमन- चन्दन जो कोई भी ये अपहरण कर रहा है न वो जरूर कोई बड़ा आदमी है या उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है पर इस सब के पीछे का उसका मकसद मुझे समझ नहीं आ रहा है आखिर क्या वजह हो सकती है इसके पीछे, खैर और कोई अजीब बात तुम्हारे धयान मैं आयी हो

चन्दन- नहीं सर

रमन- एक काम करो शहर मैं आने जाने वाले टूरिस्ट्स की भी लिस्ट निकालो क्या पता वह से कोई सुराग मिल जाये या हो सकता है के उन टूरिस्ट को भी कोई खतरा हो

चन्दन- ठीक है

रमन ने चन्दन को काम बता कर वहा से भेज दिया और फिर से अपने केस के बारे मैं सोचने लगा वही दूसरी तरफ अनिरुद्ध शास्त्री के घर से थोड़ी दुरी पर पुरे काले कपडे पहने एक शख्स खड़ा था, उसने अपना चेहरा ढका हुआ था और बगैर पलक झपकाए शास्त्रीजी के घर पर अपनी नजरे गड़ाए हुए था......






क्या लगता है कौन है वो शख्स ??? और ऐसी कौनसी घटना हुयी ही जिससे राघव का स्वाभाव ऐसा बन गया? जानने के लिए पढ़ते रहिये कालदूत, अगला भाग जल्द ही.......
Mast update
 
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