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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Ajay

Well-Known Member
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भाग ९


रोहित और संतोष को जंगल मैं गए हुए आधे घंटे से उपर हो गया था ये बात चन्दन को खटकी और उसने तुरंत रमण को इस बात की खबर की और रमण भी अपनी फाॅर्स के साथ उन दोनों को ढूंढने निकल गया क्युकी अगर राजनगर से टूरिस्ट भी गायब होने लगते तो मामला और भी ज्यादा बिगड़ जाता

वही वो काले नकाब वाले लोग रोहित और संतोष को बेहोश करके अपने साथ ले गए थे,

धीरे धीरे जब रोहित और संतोष को होश आया तो वो एक अँधेरे सीलन भरे कमरे मैं अलग अलग दीवारों पर आमने सामने लोहे की जंजीरों मैं जकड़े हुए थे. वो कमरा किसी पुराने वेअरहाउस की तरह था, आने जाने के लिए पुराना लकड़ी का दरवाजा था, लकड़ी का दरवाजा पुराना होने की वजह से उसमे जगह जगह दरारे थी और उन्ही दरारों के बीच से हल्की सी मध्हीम रोशनी उस अँधेरे कमरे मैं पहुच रही थी

संतोष-र....रोहित....क्या ये तुम हो...रोहित!

रोहित(धीरे धीरे होश मैं आते हुए)- आह! संतोष...उफ्फ....ये कहा है हम!

संतोष-पता नहीं, कोई पुराना सा कमरा है

रोहित(चिल्लाकर)- कौन हो तुम लोग! क्या चाहते हो?

संतोष-चिल्लाने का कोई खास मतलब नहीं लग रहा, मुझे लगता है की उन्होंने हमें किसी आबादी वाले इलाके से दूर सुनसान इलाके मैं कैद किया होगा

तभी लकड़ी का वो दरवाजा धीरे धीरे चर्रर की आवाज के साथ खुला और चार पांच काले चोगे वाले रहस्यमयी लोगो ने अंदर प्रवेश किया

संतोष-कौन हो तुम लोग, क्या चाहते हो?

उन काले चोगे वालो मैं से एक आगे आया और बडी ही शांत धीमी आवाज मैं बोला जिसने दोनों को अंदर तक हिला दिया “हम चाहते है.....तुम्हारी जान!!”

संतोष(घबराकर)- प...पर क्यों?

काले चोगे वाला व्यक्ति-वैसे तो हमें अब तक कोई जनता नहीं नहीं पर जल्द ही ये सारा ब्रह्माण्ड हमें जानेगा, तुम चाहो तो हमें कालसेना कह सकते हो, आम दुनिया से अलग हमारी अपनी दुनिया है, हमारे अपने विश्वास है मान्यताये है.....और अपना इश्वर है.

रोहित(झुंझलाकर)- ठीक है ठीक है! सीधे मुद्दे पर आते है..कितना पैसा चाहिए बोलो तुमलोगों को?

वो काले चोगे वाला व्यक्ति धीरे धीरे रोहित की तरफ बढ़ा औ एक जोरदार थप्पड़ रोहित के गाल पर रसीद किया, थप्पड़ इतना जोरदार था के रोहित फिर से बेहोश होते होते बचा, फिर उस व्यक्ति ने रोहित के गिरेब्वन को पकड़कर उसे अपनी तरफ खिंचा और उसके कान मैं बहुत धीमे फुसफुसाया “धन और दौलत! आखिर लोग क्यों इन सब के पीछे पूरी जिंदगी निकल देते है! क्या तुम्हारा इश्वर तुमको ये सब उपलब्ध नहीं करवा सकता? दुनिया मैं दुःख दर्द क्यों है? असंतोष क्यों है? लोग क्यों धर्म के नाम पर क़त्ल करते है? क्या तुम्हारा इश्वर पक्षपात करता है? अगर नहीं तो अमीर और गरीब क्यों है? सबको सबकुछ क्यों नहीं मिल पता! लेकिन हमारा इश्वर ऐसा नहीं है क्युकी हम कमसे कम उसके वजूद के बारे मैं जानते तो है लेकिन तुमको तो अपने इश्वर के वजूद का ही नहीं पता, लेकिन कोई बात नहीं, जब हमारे प्रभु इस धरती पर आयेंगे तो सबको उन्हें मानना पड़ेगा, जो ऐसा नहीं करेगा वो धुल मैं मिल जायेगा और अपने इश्वर को इस धरती पर लेन के लिए हमको कुछ कुर्बानिया देनी होंगी!” जैसे ही उसने अपना आखरी वाकया ख़त्म किया दुसरे कालसैनिक ने आकर केरोसिन से भरी बोतल को रोहित के उपर उड़ेल दिया

संतोष-ये...ये क्या कर रहे हो तुम लोग!! रुको...रुक जाओ!!

पर तबतक बहुत देर हो चुकी थी, रोहित के उपर जलती हुयी माचिस की तीली दाल कर उसे जला दिया गया था, रोहित बहुत चीखा बहुत चिल्लाया लेकिन वह पर उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था,

रोहित इतनी बुरी तरह चीख रहा था के उसकी आवाज पुरे इलाके मैं गूंज रही थी, आग उसके शारीर को से चमड़ी को गलाकर धीरे धीरे अलग कर रही थी, जल्द ही उसकी आवाज शांत पड़ती चली गयी, चीखो ने गले मैं ही दम घोट दिया, आग बुझ चुकी थी लेकिन अब दिवार पर रोहित नहीं बल्कि मांस का लोथड़ा लटक रहा था जिसके शारीर से अभी भी हल्का हल्का धुआ उठ रहा था,

संतोष अपने दोस्त को अपने सामने जलता देख कर सदमे जैसी स्तिथि मैं पहुच गया था, उसके मुह से अब कोई बोल नहीं फुट रहे थे, उसे शायद यकीं नहीं हो पा रहा था के उसके सबसे अच्छे दोस्त ने उसके सामने ही आग मैं जलकर तड़प तड़पकर दम तोड़ दिया था

जिस कालसैनिक से रोहित को जलाया था वही संतोष के पास आकर बोला “चिंता मत कर दो घंटे बाद तेरी बारी है! तुझे आज अपने सारे दर्द सारी यातनाओ से मुक्ति मिल जाएगी”

फिर वो सभी कालसैनिक उस कमरे से बहार निकल आये, वो लकड़ी का छोटा सा कमरा एक विशाल कब्रिस्थान की धरती पर बना हुआ था

वो सभी एक घेरा बना कर खड़े हुए थे और उनमे से एक बुलंद आवाज मैं बाकि सबसे बोला

“आज एक और कुर्बानी पूरी हुयी, अब बस कुछ कुर्बानिया और, उसके बाद हिन्द महासागर की गहराइयों मैं कैद हमारे इश्वर कालदूत अपनी कैद से स्वतंत्र हो जायेंगे और पूरी दुनिया पर राज करेंगे!”
Nice update bhai
 

ashish_1982_in

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भाग ८

राघव को धयान लगाये हुए एक घंटा हो चला था, उसका चेहरा एकदम शांत था मगर मन मैं उथलपुथल मची हुयी थी, राघव के मन मैं अपने अस्तित्व को लेकर इस वक़्त ढेरो सवाल उमड़ रहे थे जिनका उसे जवाब जानना था, राघव का मानसिक पटल एक सफ़ेद दुधिया रौशनी मैं नाहा गया था और उसी प्रकाश मैं उसे एक आकृति उभरती दिखी, वो आकृति एक पुस्तक की थी, राघव को समझ नहीं आ रहा था की ये किताब उसे क्यों दिख रही है, धीरे धीरे वो प्रकाश का घेरा कम होने लगा और राघव ने अपनी आँखें खोली

राघव का मन अब पहले की तुलना मैं काफी ज्यादा शांत था मगर अब भी उसे उसके सवालो का जवाब नहीं मिला था

राघव ने अपनी आंखे खोली और उस कमरे मैं चारो तरफ अपनी नजर दौडाई, सारा कमरा उसके दादाजी के सामान से भरा हुआ था जिनमे से अधिकांश किताबे और ग्रन्थ थे, राघव अब उन सब चीजों को देखने लगा, बचपन मैं उसके दादाजी के कहने पर भी कभी राघव ने इन चीजों मैं ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी जितनी आज दिखा रहा था तभी उसकी नजर वह राखी एक किताब पर पड़ी जिसने राघव को हैरत मैं दाल दिया क्युकी ये यही पुस्तक थी जिसकी छवि उसने कुछ समय पहले देखि थी

राघव ने उस किताब को उठाया और धयान से देखने लगा, वो किताब उसके दादाजी ने खुद लिखी थी राघव ने जब उसे खोला तो उस किताब के पहले ही पन्ने पर उसके नाम का जिक्र था, वो किताब सिर्फ राघव के लिये लिखी गयी थी, राघव को अब उस किताब को पढने की और ज्यादा उत्सुकता होने लगी थी, उसने अगला पन्ना पलटा तो उसपर भगवन शिव का एक चित्र बना हुआ था जिसके सामने एक शिवलिंग था और उस शिवलिंग के पास एक छोटा सा बच्चा, राघव ने उस चित्र दो देखने के बाद अगला पन्ना पलटा

“राघव मेरे बच्चे मैं ये किताब सिर्फ तुम्हारे लिए लिख रहा हु, मैं जनता हु ये किताब जब तुम पढोगे तब मैं तुम्हारे पास नहीं रहूँगा और ऐसे समय मैं यही किताब तुम्हे आगे का रास्ता दिखाएंगी,

राघव मैंने अपना सारा जीवन शिव की आराधना मैं गुजारा है और उसी भगवान् शिव के आशीर्वाद से मुझे कई सिद्धिया और शक्तिया मिली जिनके उपयोग से मैंने कई लोगो की मदद की, मैं कुछ क्षण किसी भि९ की आँखों मैं देख कर उसके विचार बता सकता था और एक विशिष्ट अनुष्ठान की वजह से मुझे थोडा बहुत भविष्य का ज्ञान भी था,

जिस समय मैंने तुम्हे जंगल मैं उस शिव मंदिर मे देखा था तब मुझे काफी अचम्भा हा था क्युकी उस समय वह किसी इंसान का आना कफि दुर्लभ था, मैंने जब तुम्हे अ[प्निगोद मैं उठाया था तब मुझे एक विशिष्ट उर्जा का बहाव अपने अंदर महसूस हुआ था, राघव तुम्हे अंदाजा भी नहीं है की तुम किन शक्तियों के स्वामी हो बस जरुरत है तुम्हे उन शक्तियों को समझने की,

मेरे लिए तुम मेरे शिव का प्रसाद थे इसीलिए मैंने तुम्हे अपने साथ अपने घर ले आया और अनिरुद्ध को तुम्हे गोद लेने कहा, ये शायद मेरे पुण्य कर्म थे की मेरे बेटे बहु ने कभी मेरी कोई बात नहीं टाली, मैंने अपनी विद्याओ से कई बार तुम्हारे जन्म का समय जानने की कोशिश की और तुम्हारे असल माता पिता का पता भी लगा चाह पर मैं असफल रहा, शायद शिव की यही इच्छा हो की तुम अनिरुद्ध और सुमित्रा के बेटे बने रहो,

जिस समय तुम मुझे मले थे उस समय के अनुसार मैंने तुम्हारी कुंडली बनायीं थी और उस समय जोग्रहो का योग बन रहा था उसके हिसाब से तुम कोई साधारण बालक नहीं हो, इश्वर ने तुम्हे किसी खास कार्य के लिए चुना है, और मुझपर ये जिन्ना था की मैंने तुम्हे इश्वर के उस खास कार्य के लिए तयार करू जो मैंने मेरे हिसाब से किया,

मेरे बच्चे आने वाला समय काफी विकट है, इस ब्रह्माण्ड पर अन्धकार का सामराज्य फैलने वाला है, कई काली शक्तिया जागृत होने वाली है, ये मानवजाति अपने ही हाथो से अपनी मृत्यु को आमंत्रण देगी और अन्धकार का साम्राज्य इस ब्रह्माण्ड मैं स्तापित करेगी

निकट भविष्य मैं होने वाले महा विनाश को केवल तुम रोक सकते हो इसलिए तुम कौन हो इसपर अपना धयान केन्द्रित न कर तुम क्या हो ये सोचो अपनी सुप्त शक्तियों को जागृत करो,

इस महा विनाश को तुम अकेले नहीं रोक पाओगे राघव तुम्हे अपने साथ कुछ सच्चे और बहादुर लोगो की जरुरत होगी, उन महारथियों की खोज करो मैंने तुम्हे और रमण को सामान शिक्षा दी है रमण का मन साफ़ है इसलिए अपने भाई का साथ मत छोड़ना वो तुम्हारे इस कार्य मैं निरंतर तुम्हारा सहयोग करेगा

मैंने अपनी योग शक्ति से अपनी मृत्यु को भाप लिया था और उसे रोक भी सकता था लेकिन मैं इश्वर की बनायीं इस सृष्टि के नियमो मैं दखल नहीं देना चाहता था,

मैंने अपना शारीर त्यागने से पहले अपना सारा ज्ञान अपनी सटी सिद्धिया-शक्तिया अपनी रुद्राक्ष की माला मैं एकत्रित की थी वो माला मैं तुम्हे प्रदान करता हु, यर तुम्हे तुम्हारी लक्ष्पुर्ती मैं सहायता करेगी

राघव तुम्हारा सामना कालदूत नामक महाभयंकर शक्ति से होने वाला है, उससे सामना करने से पहले तुम्हे उसके बारे मैं जानना होगा....इससे अधिक मेरे पास तुम्हारे लिए और कुछ नहीं है

मेरा अशोर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है राघव......”

राघव ने वो किताब बंद की, जहा से उसने वो किताब उठाई थी वही उसे वो रुद्राक्ष की माला भी मिल गयी जो उसके दादाजी ने उसके लिए छोड़ी थी, राघव को अपने सवालो के जवाब मिल गए थे, उसके जीवन का उद्देश्य उसके सामने स्पष्ट था और केवल एक ही नाम उसके दिमग मैं चल रहा था ‘कालदूत’

राघव कालदूत के बारे मैं कुछ नहीं जानता था न ही अपनी शक्तियों के बारे मैं, सबसे पहले उसके सामने अब यही कार्य था की कालदूत के बारे मैं जितना हो सके पता करे लेकिन किससे......

राघव कमरे से बहार आया तो उसने देखा की सुमित्रादेवी गुमसुन की बैठी रो रही है और श्रुति उनके पास बैठी है

“भाभी क्या हुआ है माँ को ऐसे रो क्यों रही है” राघव ने एकदम नॉर्मली कहा जीने सुन श्रुति और सुमित्रादेवी हैरान ह गए की ये इतना शांत कैसे है

“वो...” श्रुति ने बोलने की कोशिश की तो सुमित्रादेवी से उसे इशारे से रोक दिया

राघव अपनी माँ के सामने जाकर घुटने पर बैठ गया और उनका हाथ पकड़ लिया

“माँ.....”

“तू...तू हमें छोड़ के जायेगा तो नहीं न वो सब सुन के.....”

“मैं...मैं कहा जाऊंगा, मैं अपनी माँ के पास से कही नहीं जाने वाला ये मेरा घर है मैं क्यों जाऊ यहाँ से..और किस बारे मैं बात कर रही हो तुम...”

राघव को इस तरह नार्मल देख कर सुमित्रादेवी काफी खुश हुयी उन्हें डर था की सच पता चलने के बाद राघव कही कुछ उल्टा सीधा न कर दे पर अब उनके मन को शांति मिली थी राघव को नार्मल देख कर

“भाभी कुछ खिला दो यार भूख लगी है” राघव ने कहा

वैसे तो राघव एकदम नार्मल लग रहा था पर अब भी उसके दिमाग मैं एक ही नाम घूम रहा था ‘कालदूत’


वही दूसरी तरफ जब संतोष और रोहित काफी समय तक जंगल से बहार नहीं आये तो चन्दन ने तुरंत रमण को इस बात की खबर की और रमण अपनी साडी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल पड़ा.....
Very nice update bhai..... Raghav ko apne bare me kuch to pata chala ki uska maksad kya hai aur kya karna hai.. Ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 

ashish_1982_in

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रोहित और संतोष को जंगल मैं गए हुए आधे घंटे से उपर हो गया था ये बात चन्दन को खटकी और उसने तुरंत रमण को इस बात की खबर की और रमण भी अपनी फाॅर्स के साथ उन दोनों को ढूंढने निकल गया क्युकी अगर राजनगर से टूरिस्ट भी गायब होने लगते तो मामला और भी ज्यादा बिगड़ जाता

वही वो काले नकाब वाले लोग रोहित और संतोष को बेहोश करके अपने साथ ले गए थे,

धीरे धीरे जब रोहित और संतोष को होश आया तो वो एक अँधेरे सीलन भरे कमरे मैं अलग अलग दीवारों पर आमने सामने लोहे की जंजीरों मैं जकड़े हुए थे. वो कमरा किसी पुराने वेअरहाउस की तरह था, आने जाने के लिए पुराना लकड़ी का दरवाजा था, लकड़ी का दरवाजा पुराना होने की वजह से उसमे जगह जगह दरारे थी और उन्ही दरारों के बीच से हल्की सी मध्हीम रोशनी उस अँधेरे कमरे मैं पहुच रही थी

संतोष-र....रोहित....क्या ये तुम हो...रोहित!

रोहित(धीरे धीरे होश मैं आते हुए)- आह! संतोष...उफ्फ....ये कहा है हम!

संतोष-पता नहीं, कोई पुराना सा कमरा है

रोहित(चिल्लाकर)- कौन हो तुम लोग! क्या चाहते हो?

संतोष-चिल्लाने का कोई खास मतलब नहीं लग रहा, मुझे लगता है की उन्होंने हमें किसी आबादी वाले इलाके से दूर सुनसान इलाके मैं कैद किया होगा

तभी लकड़ी का वो दरवाजा धीरे धीरे चर्रर की आवाज के साथ खुला और चार पांच काले चोगे वाले रहस्यमयी लोगो ने अंदर प्रवेश किया

संतोष-कौन हो तुम लोग, क्या चाहते हो?

उन काले चोगे वालो मैं से एक आगे आया और बडी ही शांत धीमी आवाज मैं बोला जिसने दोनों को अंदर तक हिला दिया “हम चाहते है.....तुम्हारी जान!!”

संतोष(घबराकर)- प...पर क्यों?

काले चोगे वाला व्यक्ति-वैसे तो हमें अब तक कोई जनता नहीं नहीं पर जल्द ही ये सारा ब्रह्माण्ड हमें जानेगा, तुम चाहो तो हमें कालसेना कह सकते हो, आम दुनिया से अलग हमारी अपनी दुनिया है, हमारे अपने विश्वास है मान्यताये है.....और अपना इश्वर है.

रोहित(झुंझलाकर)- ठीक है ठीक है! सीधे मुद्दे पर आते है..कितना पैसा चाहिए बोलो तुमलोगों को?

वो काले चोगे वाला व्यक्ति धीरे धीरे रोहित की तरफ बढ़ा औ एक जोरदार थप्पड़ रोहित के गाल पर रसीद किया, थप्पड़ इतना जोरदार था के रोहित फिर से बेहोश होते होते बचा, फिर उस व्यक्ति ने रोहित के गिरेब्वन को पकड़कर उसे अपनी तरफ खिंचा और उसके कान मैं बहुत धीमे फुसफुसाया “धन और दौलत! आखिर लोग क्यों इन सब के पीछे पूरी जिंदगी निकल देते है! क्या तुम्हारा इश्वर तुमको ये सब उपलब्ध नहीं करवा सकता? दुनिया मैं दुःख दर्द क्यों है? असंतोष क्यों है? लोग क्यों धर्म के नाम पर क़त्ल करते है? क्या तुम्हारा इश्वर पक्षपात करता है? अगर नहीं तो अमीर और गरीब क्यों है? सबको सबकुछ क्यों नहीं मिल पता! लेकिन हमारा इश्वर ऐसा नहीं है क्युकी हम कमसे कम उसके वजूद के बारे मैं जानते तो है लेकिन तुमको तो अपने इश्वर के वजूद का ही नहीं पता, लेकिन कोई बात नहीं, जब हमारे प्रभु इस धरती पर आयेंगे तो सबको उन्हें मानना पड़ेगा, जो ऐसा नहीं करेगा वो धुल मैं मिल जायेगा और अपने इश्वर को इस धरती पर लेन के लिए हमको कुछ कुर्बानिया देनी होंगी!” जैसे ही उसने अपना आखरी वाकया ख़त्म किया दुसरे कालसैनिक ने आकर केरोसिन से भरी बोतल को रोहित के उपर उड़ेल दिया

संतोष-ये...ये क्या कर रहे हो तुम लोग!! रुको...रुक जाओ!!

पर तबतक बहुत देर हो चुकी थी, रोहित के उपर जलती हुयी माचिस की तीली दाल कर उसे जला दिया गया था, रोहित बहुत चीखा बहुत चिल्लाया लेकिन वह पर उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था,

रोहित इतनी बुरी तरह चीख रहा था के उसकी आवाज पुरे इलाके मैं गूंज रही थी, आग उसके शारीर को से चमड़ी को गलाकर धीरे धीरे अलग कर रही थी, जल्द ही उसकी आवाज शांत पड़ती चली गयी, चीखो ने गले मैं ही दम घोट दिया, आग बुझ चुकी थी लेकिन अब दिवार पर रोहित नहीं बल्कि मांस का लोथड़ा लटक रहा था जिसके शारीर से अभी भी हल्का हल्का धुआ उठ रहा था,

संतोष अपने दोस्त को अपने सामने जलता देख कर सदमे जैसी स्तिथि मैं पहुच गया था, उसके मुह से अब कोई बोल नहीं फुट रहे थे, उसे शायद यकीं नहीं हो पा रहा था के उसके सबसे अच्छे दोस्त ने उसके सामने ही आग मैं जलकर तड़प तड़पकर दम तोड़ दिया था

जिस कालसैनिक से रोहित को जलाया था वही संतोष के पास आकर बोला “चिंता मत कर दो घंटे बाद तेरी बारी है! तुझे आज अपने सारे दर्द सारी यातनाओ से मुक्ति मिल जाएगी”

फिर वो सभी कालसैनिक उस कमरे से बहार निकल आये, वो लकड़ी का छोटा सा कमरा एक विशाल कब्रिस्थान की धरती पर बना हुआ था

वो सभी एक घेरा बना कर खड़े हुए थे और उनमे से एक बुलंद आवाज मैं बाकि सबसे बोला


“आज एक और कुर्बानी पूरी हुयी, अब बस कुछ कुर्बानिया और, उसके बाद हिन्द महासागर की गहराइयों मैं कैद हमारे इश्वर कालदूत अपनी कैद से स्वतंत्र हो जायेंगे और पूरी दुनिया पर राज करेंगे!”
superb update bhai maza aa gya
 
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