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Luckyloda

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अपडेट ३१
जयश्री एक्सरसाइज कर के नाहा धो के ऑफिस चली गयी. पर बलदेव वहां नहीं दिखा तो वह परेशांन हो गयी. उसने अपने पापा को फ़ोन किया तोह बलदेव ने जयश्री को कहाँ की वो जंगलवाले फार्महाउस में है. काम निपटा के देवगढ़ रास्ते के गेराज पे जायेगा. जयश्री ने कहा की वो वहा का काम देख कर सीधा घर चली जाएगी. फ़ोन होने के बाद जयश्री ने गेराज का सारा कामकाज देखने में लग गयी. काम निपटा के वो घर जानेवाली थी तभी उसने अपना प्लान बदल दिया. वो एक रेस्टोरेंट में जाके खाना खाया और अपने पापा के लिए भी खाना पार्सल ले लिया.
इधर दोपहर में बलदेव जंगलवाले फार्महाउस से सीधा देवगढ़ के रास्तेवाले गेराज पे चला गया. वो सीधा अपने केबिन में चला गया. यह गेराज ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. यहाँ मजदूर और मैकेनिक्स भी कम संख्या में थे. वो बॉस चेयर पर बैठकर फाइल खंगाल ही रहा था की अचानक किसी ने पीछे से उसकी आंखे अपने हाथ से बंद की. बलदेव ने एक ही सेकंड में पहचान लिया की वो कौन हो सकता है.

बलदेव- अब मेरी आंखे पीछे से बंद करने की जुर्रत कौन कर सकता है!

जयश्री कुछ न बोली वो हलके से हंसने लगी.

बलदेव- अब ऐसी जुर्रत तोह मेरी राजकुमारी के अलावा और कोण कर सकता है!
जयश्री- क्या पापा आप भी न, झट से पकड़ लेते हो.

बलदेव ने वैसे ही उसकी कलाई पकड़ कर पीछे से आगे की तरफ खींचा और झट से अपने जंघा पे अपनी बेटी को बिठा दिया. बलदेव ने जयश्री को ऊपर से निचे तक देखा.. और अपनी तरफ खींच लिया. जयश्री ने अंदर से ट्यूब टॉप ही पहना था और अंदर से ब्रा नहीं डाली थी शायद. उसने ओवरकोट पहना था और निचे ट्रॉउज़र था. उसने कान में एअर रिंग्स डोल थे बै वाले.. अपने पापा का दिया हुआ नेकलेस डाला था और कंगन भी. बोहोत खूबसूरत लग रही थी जयश्री. उसके पिछवाड़े बलदेव के जंघा पर सट गए थे. बॉस चेयर पर रेलते हुए अपनी तरफ खींच कर उसको किस करने ही वाला था के जयश्री ने शरारत से..

जयश्री- पापा, आपके लिए खाना लाई हूँ. मुझे खाने की कोई जरुरत नहीं है
बलदेव- मैडम जी, मेरी बेटी जैसी हॉट प्लेट सामने रखी हो तोह कोई भी भूका-नंगा टूट पड़ेगा.
जयश्री (अपने पापा के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए) - अच्छा जी इतनी हॉट है आपकी बेटी! उसको तोह मिलना पड़ेगा.. देखे तोह कैसी है वो की जिसने अपने पापा का दिल भी लूट लिया..
बलदेव- मैडम जी, मिलवाता हूँ उसे आपको.. बस एक काम करना होगा आपको.. अपने आप को एक बार आईने में देखना होगा बस..
जयश्री- पर मैंने सुना है आपकी बेटी आप से बोहोत नाराज है?

जयश्री ने थोड़ा सा ड्रामा करते हुए मुँह बना कर कहा था.. जयश्री उठी और सीधा

बलदेव- क्यों भाई, ऐसा क्यों? हमें कोई कसर छोड़ी है अपनी बेटी को खुश करने में! अगर वो बोले तोह हमारी जान हाज़िर है उसके लिए.. उसको पूछो की वो क्यों नाराज है हमसे..

जयश्री जो अपने पापा के जंघा पे टेढ़ी बैठी थी उसने उठ कर सीधा बॉस चेयर पे बलदेव के दोनों साइड में घुटने डाल कर उसकी गोदी में आराम से उसकी तरफ मुँह कर के पापा के कंधे पर हाथ डाल कर उनकी जंघा पर आमने-सामने बैठ गयी. बलदेव ने अपने लेफ्ट वाले पॉकेट से सिगार का पैकेट निकला और लाइटर से जला दिया.. और अपनी बेटी के हुस्न का दीदार करते करते बॉस चेयर पे आराम से रेल कर मस्त सिगार के फुके जा रहा था.. और बिच बिच में वो अपने बेटी जयश्री के मुँह पर भी धुआं मार रहा था.. सिगार की नशीली स्मेल जयश्री को उकसा रही थी..

जयश्री- जी उसने कहा की वो आप से इसलिए नाराज है की आप उसकी सहेली पर भी डोरे डालते हो!
बलदेव- यह कब हुआ.. हमको पता ही नहीं..
जयश्री- उसने कहा की वो सब जानती है आपकी नज़र.. उसने कल रात को आपको उसकी वो नयी वाली सहेली पर डोरे डालते हुए पकड़ा है..


बलदेव को बात समझ में आयी की कल रात वाली अनुषा की बातचित से जयश्री थोड़ी इर्षा थी.. उसने जयश्री की टांग खिचाई करने की सोची..

बलदेव- ओह्ह अच्छा .. वो कल रात की बात.. अब देखो न हम पहेली बार ही मिले है कल अनुषा से.. पर ऐसा लगा की वो कोई अपनी है.. अच्छी बाते करती है वो हमसे..
जयश्री- अच्छी, नहीं वो वो बेवजह दूसरे के काम में नाक डालती है..

बलदेव हँसते हुए ..
बलदेव- अच्छा जी, ऐसा आपको मेरी बेटी जयश्री ने कहा है?

अब बलदेव सिगार फूंकते फूंकते जयश्री की खुली नरम गरम कमर को सहेला रहा था.

जयश्री- हं जी, और उसको दुसरो का प्यार छीनने की आदत भी लगती है, बोहोत चालक है वो लड़की बलदेव जी..

बलदेव- पर हम किस का प्यार हो सकते है? जयश्री की माँ चल बसी अब है ही कोण हमसे प्यार करनेवाला.. हं पर हो सका है की हमारी बेटी की नयी सहेली ही हमारा नया प्यार बने और आगे चल कर जयश्री की सौतेली माँ भी बने..

जयश्री ने अपनी सुन्दर आंखे बड़ी बड़ी करते हुई नाटकी ग़ुस्से में अपने मुट्ठी से अपने पिता के मर्दाना सीने पर मुक्के मार दिए हलके से..

बलदेव ने हँसते हुई जयश्री को अपनी तरफ जोर से खींच कर फ्रेंच किस दिया.. जयश्री ने किस को तोड़ते हुए..

जयश्री- नहीं, आपकी बेटी ने कहा की ऐसा संभव नहीं.. उसने कहा की वही प्यार वो आपको देगी तोह !
बलदेव- तोह फिर हो सकता है मेरी बेटी ही उसकी माँ की जगह ले ले..
जयश्री- छी.. पापा आप कितने गंदे हो.. अपनी ही बेटी को अपनी बीवी की जगह..
बलदेव- अरे ये तुम बोल रही हो या तुम्हारी सहेली जयश्री जो मेरी बेटी है.. अब जो भी प्यार देगा उसको हम सर आँखों पर रखेंगे ..

जयश्री ने हार मानते हुई..

जयश्री- पापा मैंने कब मना किया आपको प्यार करने के लिए.. पर पापा मई लड़की हूँ आप मर्द.. कभी कभी हो सकता है की प्यार माँगा नहीं छीना भी जा सकता है..

जयश्री ने अब अपना ओवर कोट को सामने से खोल दिया और अपनी छाती अपने पापा के सामने कर दी, और लज्जाते हुए बलदेव को ईशरा करते हुए उनक ध्यान अपने बॉल्स पर ले जाने के लिए आँखों से ही उकसाया.. तंग से ट्यूब टॉप में कसी हुई अपनी सगी बेटी की तनी हुए कसी हुई छाती देख कर बलदेव का औजार अंडरवियर में जवाब देने लगा.. केबिन पे पीछे की तरफ से दो झरोखे थे बड़े जिस से काफी प्रकाश अंदर आता था.. बलदेव को सिगरेट की आदत थी तोह उसने ऊपर के एग्जॉस्ट भी बिठा रखे थे छत पर.. बलदेव ने एक बार अपनी बेटी की तरफ देखा, आँखों ही आँखों में इशारा पाते हुए उसने हलके से अपने बेटी की ट्यूब टॉप में ऊँगली डाल कर निचे खींच दिया दोनों तरफ से. जयश्री उसकी गोद में बैठे होने के कारन वो थोड़ा लेवल में ऊपर भी आ गयी थी.. और बलदेव के रेल के बैठ ने के कारन बलदेव का मुँह उसके छाती के बराबर लेवल पे था. अब दिन के उजाले में अपनी सगी बेटी की नंगी छाती उसके चेहरे के सामने थे.. उसने कभी सोचा नहीं था की एक दिन वो अपनी ही बेटी के कसे हुए स्तन ऐसे इतने नजदीक से देख पायेगा वो भी दिन के उजाले में . उसने मन ही मन उपरवाले का आभार माने .. जयश्री शर्म से लज्जा रही थिए.. उसके पिता ने खुद उसकी टॉप निचे सरका कर उसके हुस्न का दीदार कर रहे थे..

जयश्री- पापा.. ऐसे घुर के मत देखो न.. शर्म अति है..

बलदेव को विश्वास नहीं हो रहा था की उसकी बेटी की कड़क रौबदार स्तन इतने खूबसूरत भी हो सकते है.. जयश्री के बॉल्स इतने कड़क थे की उसको ऊपर उठाने की जरुरत भी नहीं थी.. इसलिए शायद उसको ब्रा भी पहनने की जरुरत नहीं थी.. उसने देखा की बॉल के ऊपर के निप्पल कितने मोहक है.. उसने देखा की उसकी बेटी जयश्री के निप्पल्स तोह हलके से ग्रे कलर के है, वो पिंक कलर के भी नहीं थे और ब्राउन भी नहीं थे और काले भी नहीं थे... उसको आश्चर्य हुआ की उसकी बीवी के काले बकवास बड़े निप्पल के सामने उसकी बेटी के निप्पल्स तोह गजब है.. उसके बाजू के गोलाई का रंग भी फीका सा ग्रे कलर का था.. ये सोचते सोचते उसको अब अपनी बेटी की चूत के रंग का भी अहसास होने लगा. अपनी बेटी के चूत के बारे में ख्याल आते ही उसके पंत में दबा हुआ हल अब कड़क होकर जयश्री के पिछवाड़े पे घिसने लगा.. जयश्री को भी अपने पापा का निचे का हल बड़ा हुआ महसूस हो रहा था.. अब उसके बदन ने एक खांस स्मेल चालू किया.. उसके बदन की महक सूंघ कर बलदेव मनो.. भूल गया की वो कहा है और किस के साथ है और क्या कर रहा है.. अब दोनों एक दूसरे में खो चुके थे.. दोनों बाप-बेटी को पता ही नहीं की उनकी रासलीला भरे दोपहर में ऑफिस के केबिन में हो रही है..

बलदेव- बेटी, माफ़ करना पर मुझे सतीश और रुद्रप्रताप को धन्यवाद् देना होगा!

जयश्री ने अजीब से अपने पापा की तरफ देखा..

बलदेव- सालो ने इस कबूतरों के अगर मज़े उठाये होते तोह इतनी कसी हुई फ्रेश बॉल मुझे नहीं मिलते!
जयश्री- ओह पापा.. आप भी न..

बलदेव ने सिगार फूकते हुए एक हाथ से जयश्री के बाये स्तन को निचे से थोड़ा दबाया.. अपने नंगी चूचि पर अपने सगे पिता के बड़े हाथ का स्पर्श पा कर जैसे वो किसी और दुनिया में चली गयी.. उसने बलदेव के कंधे को जोर से पकड़ा.. उसको पता था की आगे क्या होगा.. बलदेव अब इतना नजदीक गया की जयश्री के निप्पल अब बस बलदेव के सामने १ CM दुरी पर थे बस.. इतनी नजदीक से वो अपनी बेटी की चूचिया देख रहा था.. अब उसकी सांसे भी जयश्री के निप्पल पर पड रही थी.. जयश्री को आज तक इतना गरम अनुभव कभी नहीं हुआ था.. बलदेव ने एक बार अपने होठो पर जीभ घुमाई और अपनी जीभ बहार निकली और अपनी बेटी की निप्पल को हलके से आराम से उस पर घूमने लगा.. अपनी बेटी के शरीर का स्मेल उसे पागल बना रहा था.. एक हाथ से जयश्री का एक दाया बॉल कस के पकड़ कर दबाया और अचानक से निप्पल को चूसा.. जैसे ही बलदेव ने उसके निप्पल को चूसा जयश्री ने आंखे बंद कर के अपने पापा के अश्लील प्रेम का आनंद लेने लगी.. बिच बिच में बलदेव सिगार का काश लगता और धुवा जयश्री के स्थानों पर फेकता.. अपने बाप के चूसने से गीले हुई निप्पल पर जब उसके बाप का सिगार के धुए की ठंडी फूँक पड़ती तोह अचानक जयश्री के निचे का झरने का द्वार खुला.. अभी तोह उसके पिता ने उसके बॉल्स की चुसाई ठीक से चालू भी नहीं की थी तोह ये हाल था..

जयश्री- अहह.. पापा... अह्ह्ह्हह

अपनी बेटी की कराह सुन कर उसे और मजा आया अब उसने सिगार दूसरे हाथ में ली और फूंकने लगा.. और अब उसका जयश्री के दूसरे स्तन पर अपना मोर्चा निकला.. अब जयश्री भी हलके हलके अपने पिता की गर्दन को सेहला रही थी.. बीच बिच में अपने पिता के बचे-कूचे बालो में उंगलिया फेर रही थी.. उसे शर्म आने लगी और आश्च्यर्य भी हुआ की उसे ऐसा एहसास कभी भी सतीश और रुद्रप्रताप के साथ नहीं हुआ था.. अब बलदेव जयश्री के बाये वाले निप्पल को चूस कर दाये पे जा ही रहा था की.. सीधा किसी ने केबिन का दरवाजा खोला.. बलदेव को केबिन लॉक करने की आदत नहीं थी तो उसका नया मैनेजर एकनाथ सीधा घुस गया वो फाइल्स को देख रहा था.. पर जैसे ही वो अंदर आया.. उसने देखा की जयश्री बॉस चेयर पर चढ़ी है और बलदेव की तरफ मुँह कर के उनके गोदी में बैठी है.. उसने माफ़ी मांगी.. और जाने लगा.. उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था..

एकनाथ- माफ़ करना बॉस.. वो कल के सभी ट्रको का मुआइना किया और इतने सरे पार्ट नए मांगने पड़ेंगे.. उसका फाइल लेके आया था.. उसने फाइल टेबल पर रख दी..

अभी तक जयश्री की जुर्रत नहीं हुई पीछे मुड कर देखने की.. पर बलदेव किसी से डरता नहीं था.. जयश्री वैसे ही बैठी थी.. अपने पापा की गोद में पर सौभाग्यवश उसने ओवरकोट पहना हुआ था तो पीछे से साइड से किसी को पता ही नहीं चला की जयश्री ऊपर से नंगी है.. अब जयश्री टॉपलेस अपनी पापा की गोद में थी वो भी उनके ऑफिस के मैनेजर के सामने.. पर उपरवाले ने बचा लिया था.. पर जयश्री की दिल की धड़कन मनो ७वे आसमान पर थी.. बलदेव आराम से सिगार के कश मारते हुए बात करने लगा..

बलदेव- अरे एकनाथ जी कैसे हो आप.. जी धन्यवाद अपने फाइल देख लिए! में उसको देख कर दस्तखत करूँगा.. आप वो फाइल छोड़ के थोड़ी देर में लेके जाईये.. और हाँ और एक बात.. आपकी जान पहचान करा देता हूँ.. ये है मेरी बिटिया जयश्री .. हमसे बोहोत प्यार करती है ..अब देखना मैंने खाना नहीं खाया तोह गुस्सा होकर मुझे खाना खाने के लिए मना रही है.. मेरी सेहत का बोहोत ध्यान रखती है मेरी राजकुमारी.. घर में बोआर हो रही थी तोह उसने सोचा यहाँ गेराज में काम संभालेगी ! सेक्रेटरी तोह नहीं है पर अब यही यहाँ का काम भी देखेगी.. आज से और अभी से, आप इसको भी रिपोर्ट कर सकते है .. सब जानकारी इसे भी दे सकते है.. ये मान लो की आज से यह आपकी नयी मालकिन है.. और बेटा, जयश्री.. यह है हमारे नए मैनेजर एकनाथ जो सिर्फ यही का कामकाज देखते है..

जयश्री ने बिना हाथ हिलाये अपना ओवरकोट को बिना हिले जुले वैसे पीछे मुँह किया और एकनाथ को उसने स्माइल दे दी.. और हेलो कहाँ..

एकनाथ- वेलकम जयश्री मैडम..
एकनाथ- वैसे आप पहेली बार यहाँ आई है तोह आज श्याम को हम सबकी तरफ से एक स्वागत का आयोजन करेंगे छोटा सा.. वह टीवी हॉल में..

जयश्री- जी धन्यवाद, वैसे मेरे कुछ सुझाव है वो मै बलदेव जी से सुझाव लेके आज के मीटिंग में अन्नोउंस करुँगी.. ओके! धन्यवाद..

एकनाथ को अजीब लगा की जयश्री बिंदास अपने पिता का नाम ले कर बोल रही है.. यही सोच तोह बनायी थी बलदेव ने जयश्री के लिए.. बेख़ौफ़ और निडर.. अपनी तरह.. बलदेव को अपनी बेटी पे गर्व होने लगा था..

एकनाथ- जी धन्यवाद ..

वो निकल गया..

जयश्री की सांस में सांस आ गयी..

जयश्री- पापा.. आप नहीं सुधरोगे न! आप कभी भी अपने केबिन को लॉक नहीं लगवाओगे न?

बलदेव ने न में जवाब दिया..

जयश्री- ओफ्फो पापा.. सतीश ने सही कहा था .. (लज्जते हुए)
बलदेव- क्या कहा था?
जयश्री- उसने कहा था की अगर हम में कुछ होता है तोह भी दुनियावाले कभी हमारे ऐसे सम्बन्धो को ले कर कभी शक नहीं कर सकते क्यों की मै अपनी सगी बेटी हूँ.. सोचिये न मै अयाह ऐसे आपके सामने हूँ पर वो मैनेजर कभी सोच भी नहीं सकता , समझ भी नहीं सकता.. और बोल भी नहीं सकता..
बलदेव- ऐसा नहीं है मेरी राजकुमारी, तुम चाहे तोह.. पूरी दुनिया के सामने तुम्हे अपना बना लूँ..

बलदेव ने जयश्री का एक बॉल कस कर दबाया..

जयश्री- पापा चलो खाना खा लेते है और मुझे आप से कुछ बात भी करनी है..
बलदेव ने हालकट भाव से कहा- अरे मेरी रानी बिटिया मैंने कोर्स से पहले स्टार्टर भी तोह होता है..

जयश्री अपने बाप की चालाकी समझ गयी..

जयश्री- पापा.. सॉरी.. पर यहाँ स्टार्टर नहीं.. स्टार्टर कभी और खा लो.. यहाँ हम खाना खाएंगे..

कहकर बलदेव अब जयश्री को किस करने लगा, रॉ किस था एकदम जो एक बाप-बेटी के बिच कभी ऐसा किस नहीं हो सकता ऐसा किसिंग चल रहा था.. दोनों बाप बेटी एक दूसरे को सेहला कर किस करने लगे..

जयश्री- उफ़ पापा आपका सिगार का स्मेल तोह मुझे पागल बना देता है पापा..
बलदेव- तुम भी ट्राय करो न.. सिगरेट..
जयश्री- सच पापा... मै ट्राय कर सकती हूँ!
बलदेव- क्यों नहीं.. तुम मेरी बेटी हो.. बलदेव की बेटी हो.. जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं जो तुम नहीं कर सकती..
जयश्री (शर्मा कर) - ठीक है पापा.. आप जैसा चाहे..
बलदेव- यह हुई न बात.. वह..

बलदेव ने अपने ड्रावर से एक सिगरेट का पॉकेट निकाला और उसको जला कर जयश्री को थमा दिया..
जयश्री ने सिगरेट अपने होंठो पे रखी और काश मारने गयी.. बलदेव निचे से एक हाथ से जयश्री के एक स्तन को दबा रहा था.. जयश्री ने जैसे ही कश मारा उसको एक अचानक से फेफड़ो में तेज सुरसुरी हुई और नाक में भी.. वो और जोर से खांसी आई .. उसको सिगरेट का वो बहार वाला स्मेल बोहोत तेज लगा उसको खासी के साथ नाक् में भी दर्द हुआ और उसके आंसू निकल आये..

बलदेव ने उसे प्यार से उसके गालों को हलके से मसलते हुए .. उसको प्यार करने लगा..

बलदेव- कोई बात नहीं बेटा.. यह होता है..
जयश्री- पापा इतना तेज स्मेल आप कैसे पीते हो सिगरेट.. मुझे तोह खासी आयी..
बलदेव- कोई बात नहीं मेरी रानी बिटिया.. यह होता हो.. मै तुम्हे सब सीखा दूंगा.. मेरी प्यारी लाड़ो..

बलदेव उसके गालो को प्यार से किस करने लगा और जयश्री की आँखों से जो आंसू छलके थे वो अपनी जीभ से चाट लिया.. बलदेव ने उसके हाथ से सिगरेट ले कर ऐशट्रे में बुझा दी.. और अपनी सिगार फुक रहा था..

बलदेव- कोई बात नहीं मेरी रानी .. चलो फिर स्टार्टर खा लेते है.. एक काम करो ये सिगार पकड़ो..

जयश्री ने सिगार पकड़ी.. उसने जयश्री के पिछवाड़े को पकड़ कर वैसे ही उठा लिया.. और उसको वैसे ही गोद में उठा कर वाशरूम की तरफ बढ़ा.. पर बिच में अचानक उसका मूड हुआ तोह उसने वाशरूम के दरवाजे पर ही जयश्री को जोर से सटा कर जयश्री को किस करने लगा.. खड़े खड़े.. जयश्री को समझ नहीं आ रहा था.. वो किसिंग में अपने पिता का साथ दे रही थी.. उसके एक हाथ में उसके पापा की सिगार थी .. वो हाथ छोड़ भी सकती थी क्यों की वो जानती थी की उसके पिता उसे कभी गिरने नहीं देंगे.. अब बलदेव निचे से भी जयश्री के पैंटी पे अपना बम्बू घिस रहा था.. वाशरूम की दिवार से सट के दोनों बाप-बेटी में चुम्मा-चाटी चालू हो गयी थी.. बलदेव ने धीरे से निचे की कुण्डी निकाली.. और अंदर गए.. जयश्री किस करते हुए चाहती थी की वो अंदर से दरवाजा लॉक करे पर कर नहीं कर पायी क्यों की बलदेव उसे झट से बेसिन पे बिठाया.. और अपनी बेटी का चेहरा दोनों हाथो से पकड़ कर पुरे मुँह से अब अपनी बेटी जयश्री को किसिंग करने लगा.. जयश्री भी अपने बाप का पूरा साथ दे रही थी.. जयश्री की लार भी चूस रहा था जो काफी मिठास थी. बलदेव ने किस तोडा.. और जयश्री को सिगार पिलाने का इशारा किया.. जयश्री ने सिगार अपने पापा के होठो को लगाई.. उसने एक जोरदार कश अंदर खींचा और वैसे ही फेफड़े में अंदर रोक दिया.. फिर उसने जयश्री के होठों को अपने बड़े खुदरे मर्दाने होठ से सील कर दिया और.. पूरी तेजी से.. जयश्री के जयश्री के मुँह में ही धुआँ छोड़ दिया.. जयश्री को किस करते हुई फिर एक बार तेज से स्मेल से खांसी आये थी .. पर इस बार कम थी.. बलदेव अपनी बेटी को बेतहाशा चूमे जा रहा था.. वो भी उसके मुँह में.. अब दोनों के नक् से सिगार का धुवां निकल रहा था.. ऐसा नशीला अनुभव जयश्री ने कभी जिंदगी में सोचा भी नहीं था.. उसको यकीं हो गया की उसकी अपने पापा के साथ सेक्स लाइफ बोहोत जबरदस्त होनेवाली है.. पर बलदेव की मुछे उसके गालो पर होठो पर इतनी घिस रही थी की जयश्री को हल्कासा चुभन भी हो रहा था..

बलदेव- डरो मत बेटी.. तुमको मै सब सीखा दूंगा.. तुम्हारे लिए एक अच्छी ब्रांड की सिगरेट है वो मंगा लूंगा आज.. वो ट्राय करना..
जयश्री ने अपने पापा का चेहरा हाथ में ले कर प्यार से कहा- जी पापा, कोई बात नहीं..
बलदेव- उफ़.. कितनी स्वीट और प्यारी है मेरी राजकुमारी.. अह्ह्ह.

उसने अपने पापा को प्यार से गालो पर किस किया..

बलदेव- तोह अभी स्टार्टर खाये?
जयश्री ने शर्मा कर- तोह अब तक क्या खा रहे थे आप?
बलदेव- अब तक तोह सिर्फ मॉकटेल था.. स्टार्टर तोह अब है.. तुमको बाद में दूंगा स्टार्टर .. पहले प्लीज मुझे स्टार्ट करने दो..

जयश्री ने अब उसका ऑफिस का ओवर कोट हाथ में से निकाल कर वही बाजु में बेसिन पर फेंक दिया.. और अपनी छाती पूरी तरह से तान कर पीछे हाथ टीकाकार बैठ गयी मनो वो अपने बाप को चुसाई का आमंत्रण दे रही हो..
जयश्री- पापा, अपने पिता के सेहत का ध्यान रखना एक बेटी का फ़र्ज़ है पापा.. आप को जो स्टार्टर पसंद है वो आप खाये !
बलदेव- ये हुई न बात , मेरी लाडो..

और बलदेव ने अब अपने दोनों मजबूत हाथो से एक एक कर बेटी के कड़क सख्त स्तनों को पकड़ा और ऊपर दबा के फिर से अपने बेटी के छाती का रसपान करने लगा..

अब वो बेख़ौफ़ अपनी बेटी के चुचे छू रहा था.. वहा की ट्यूब लाइट में पुरे प्रकाश में अपनी बेटी के नंगी खुले चुचे देख कर उसके पैंट में हलचल हो रही थिए.. अब जैसे जैसे वो जयश्री के स्तन को चूसने लगा जयश्री सिस्का सिसक कर अपने पिता के प्यार का जवाब दे रही थी.. पुरे वाशरूम में अब बाप-बेटी के अश्लील कारनामो की आवाज़े आ रही थी.. इस बार बलदेव पुरे होशो हवस में अपनी आंखे खुली रख कर अपनी बेटी के बॉल्स मसल रहा था और बारी बारी से उसे कस कस के चूस रहा था..

बलदेववे ने चुसाई रोकी , उसने फिर से जयश्री को सिगार के लिए इशारा किया, जयश्री ने फिर से अपने पिता की बात मान कर उनके मुँह में सिगार रखी और उसने कश मार कर फिर से जयश्री को किस किया.. और बलदेव ने फिर से जयश्री के मुँह में धुँआ फेक दिया.. किस करते करते उनके मुँह से और नाक से धुवा भी बाहर आ रहा था.. तभी बलदेव ने जयश्री के अंदर अपने मुँह का रस छोड़ दिया और मन लगा कर बेटी के मुँह का रसपान करने लगा.. ऐसा प्रयोग उसने पहेली बार किया था वो भी अपनी सगी बेटी के साथ कर रहा था.. उसको विश्वास नहीं हो रहा था की अपनी बेटी के साथ इतना आनंद उसको कभी आएगा.. उसकी बीवी ने तोह अब तक सिर्फ लिप-टू-लिप ही किस करेने दिया था वो भी उस दिन जिस दिन बलदेव काफी डिमांडिंग था.. पर अपनी बेटी का किस में पूरा समर्पण देख वो अपनी बेटी जयश्री पे फ़िदा हो गया था.. उसने मन ही मन उपरवाले का धन्यवाद किया और आंखे खोल कर जयश्री को किसिंग करने लगा.. जयश्री लज्जा से आंख बंद कर के अपने बाप के साथ मुँह से मुँह लगा कर किसिंग में अपने बाप का सहयोग कर रही थी..
बलदेव ने किस तोडा और अब जयश्री का बाया बॉल ऊपर दबा कर जयश्री के निप्पल को अपने दांत से हलके से कांट लिया इतना की उसे दर्द भी न हो और काटने का मज़ा भी आये..

जयश्री- अहह.. पापा..
जयश्री- ऐसा कोई करता भी है क्या?
बलदेव- माफ़ करना बेटा पर क्या करू तेरे को खा जाने का दिल करता है इतनी खूबसूरत प्यारी और हॉट बेटी है मेरी..
बलदेव- अच्छा एक बात बता ऐसा अभी तक तुझे किसनी ने नहीं किया? (बलदेव ने जयश्री के बॉल को चूसते हुए पूछा)
जयश्री- छी.. पापा आप बोहोत नटखट हो..
बलदेव- सच में बता न?
जयश्री ने शर्म से अपना मुँह छुपा लिया..
बलदेव- शर्माओ मत .. बताओ नहीं तोह और एक बार अपने दांतो से तुमको प्यार करूँगा.. (बलदेव ने जैसी के दोनों हाथ जो उसका चेहरा छुपाये हुई थे वो बाजु में हटा दिए)
जयश्री- छी .. पापा ऐसे प्रेम के बारे में कैसे बात करू , वो भी आपसे! मुझे शर्म आ रही है पापा!
बलदेव- अरे इसमें क्या शर्माना, अपने पाप ऐसे तोह तुम सब कह सकती हो जो भी मन में है..
जयश्री- सच! ठीक है आप जैसा उचित समझे.. थैंक यू पापा.. मै बताती हूँ.. (अब बलदेव जयश्री के सिर्फ बॉल मसलने लगा और चूसना छोड़ दिया)
जयश्री- पापा कैसे बताऊँ, रूद्र बॉस ने तोह कभी मेरे वक्षो पर ध्यान ही नहीं दिया उतना, बस जैसे तैसे कभी कबार दबा देते थे.. और कभी कभी चूस भी देते थे.. पर वो जोश नहीं देखा उनमे.. और तुम्हारा बीनकाम का प्यारा दामाद तोह पूछो ही मत.. इतने से हाथ.. मेरे सिर्फ छाती के सिर्फ ऊपर के बटन छुपाने को ही थे शायद.. उसके पुरे हाथ में कभी मेरे बॉल ऐसे थामे ही नहीं. बस कभी कभी हलके से दबा देता था आपका निकम्मा दामाद.. अब मै उनको कैसे खुद हो के कह दूँ की और ज़ोर से दबाओ.
जयश्री- सच कहु पापा मुझे तोह पता ही नहीं था की मेरे बॉल दबाने से मुझे कितना आनंद मिलेगा.. मै ही मुर्ख थी जो असली आनंद से अब तक दूर रही..

उनसे अपने पिता के चेहरे को अपने अंजुली में पकड़ा और प्यार से ..

जयश्री- पापा आप कितने मस्त प्यार करते हो वो भी मेरी छाती को.. आपके मजबूत बड़े बड़े हाथो के छुअन से ही मेरा रोम रोम खिल उठता है पापा..
बलदेव- तोह अपने पापा क्या प्यार मेरी परी रानी को पसंद आया!

जयश्री शर्मा कर

जयश्री- पापा अगर मै भी तुमसे प्यार करना चाहु तोह मुझे रोकोगे नहीं न! अगर मै आपके साथ ऐसी वैसी हरकत करू तोह तुम्हे बुरा नहीं लगेगा न!

बलदेव ने भी जयश्री का हसींन चेहरा अपने पंजे की अंजुली में भर लिया..

बलदेव- कैसी बात कर रही है तू मेरी रानी.. तुम मेरे जीने की उम्मीद हो.. और भूल जाओ अब उस निक्कमे मेरे दामाद को अब मै तुम्हारी जिंदगी में हूँ न, तोह अब तुम बेझिझक वो बात अपने पापा से कह सकती हो जो तुमने अपने पति को और रूद्र को भी नहीं कही..
बलदेव- बेटी.. मै तुम्हे ख़ुशी देना चाहता हूँ.. मै चाहता हूँ की तुम खुश रहो यही मेरी प्रार्थना है..
जयश्री- ओह पापा .. (जयश्री के आँखों में ख़ुशी के आंसू आये)

बलदेव ने उसे गले लगाया. उसके नंगे बॉल उसके शर्ट के ऊपर से उसे पेट के ऊपर के भाग में चुभ रहे थे.. जयश्री ने कस कर अपने पिता के बहो में चली गयी.. पर उसकी नाक सीधा अपने पिता के शर्ट के खुले हुए ऊपर के बटन के ऊपर नंगे सीने पर थी.. और अपने पिता बलिष्ठ बड़े बड़े सीने पर सर रखा था और उसके सीने बाल जिस में कुछ सफ़ेद बाल भी थे जो उसकी नाक को छू रहे थे.. जयश्री ने एक बार को एक जोर से सांस ली और वो मनो पागल हो गयी अपने पिता के बलिष्ठ सीने से आती हुए अजीब सी स्मील से उसके नसों में पागल हो गयी . ऐसा मरदाना गंध उसे किसी के साथ महसूस नहीं हुआ.. उसके टैंगो में दोनों होंठ अब पसारने लगे थे मनो किसी नदी को रास्ता दे रहे हो.. अपने पिता के सीने की महक से ही उसका नदी का द्वार पानी से लब-लब होने लगा.. उसने अपने पिता के सीने पर अपना गाल रगड़ते हुई हलके से बलदेव के शर्ट का एक एक बटन खोलने लगी.. पहल एक बाद में दूसरा.. और वो अब थोड़ी हट कर सामने से अपने पिता के शर्ट को खोलने लगी.. बलदेव अपने हाथ उसकी कमर पर रख कर शांत खड़ा रहा.. जयश्री ने धीरे धीरे एक एक बटन खोलने लगी तोह उसको अपने पिता के मर्दानगी का दर्शन भी धीरे धीरे हुआ.. उसने देखा उसके पिता कोई साधारण आदमी नहीं थे.. मर्दानगी के धनि बलदेव एक बोहोत ही धष्ट-पुष्ट पौरुषत्व के धनि थे.. जयश्री ने जैसे ही उनके शर्ट का निचे का बटन निकला और धीरे से उसके पिता के कंधे पर शर्ट को दोनों तरफ से सरकाया.. उसके पिता के बलदण्ड ऊपर के शरीर को खुला देख उसके मुँह से आह निकल गयी... उसने अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा गठीला ताकतवर सांढ़ जैसा मर्द इतने नजदीक से नहीं देखा था.. और वो भी दिन के उजाले में.. और ट्यूब लाइट के सामने.. हलाकि पिछली रात बलदेव खुला था पर आज इतनी रौशनी में अपने बाप का चौड़ा सीना वो पहेली बार देख रही थी.. उसने देखा उसके पिता जो सांवले कलर के थे उनके पुरे सीने पर और पेट पर बाल ही बाल थे.. पेट पर थोड़े काम घने थे पर छाती के घने बाल जो कुछ काले और कुछ सफ़ेद थे.. अपने पिता के सीने पर बालो का ऐसा जंगल देख कर उसे अंदाज़ा हुआ की जो वो टीवी और फिल्मो में पहलवानो के शरीर देखती थी बिलकुल वैसे ही पुरुष है उसके पिता.. इधर बलदेव अपनी बेटी को अपना चौड़ा सीना शान से दिखा रहा था.. और अपने दाएं मुछो पर तांव भी मार रहा था.. मन बोहोत मर्दानगी का काम कर रहा हो.. वैसे देखा जाये तोह उसकी खुद की बेटी उसे मर्दाने शरीर को देख रही थी यह क्या कोई कम मर्दानगी की बात है? बलदेव का शर्ट कंधे पे ही लटक रहा था. उसके आर्मपिट्स में भी बोहोत घने बाल थे वो भी लम्बे लम्बे थे.. उसकी बाजुए किसी पहलवान की तरह मसल्स को चमका रही थी.. जैसी अपने पिता के मर्दानगी में खोते हुए ही शर्ट निकाल दी थी.. शर्ट निचे फर्श पर गिरते ही.. अब बलदेव ऊपर से पूरा नंगा अपने लाड़ली बेटी के सामने खड़ा था.. वैसे जयश्री ने अपने बाप के साथ सट के कुश्ती भी खेली थी पर ऐसे इतने नजदीक से अपने बाप की मर्दानगी वाला सीना देख कर उसके मन में मनो हचल सी होने लगी.. उसने अपने हाथो से अपने पिता के मजबूत बाजु का जायजा लिया.. उसके पिता के बाइसेप ट्राइसेप किसी पत्थर और चट्टान के तरह मजबूत थे.. उसके शरीर का घेर इतना बड़ा था की अगर जयश्री उनके गले भी लगाना चाहे तोह भी वो उसको पूरी तरह से गले लगा कर नहीं दबोच पायेगी.. धीरे धीरे जयश्री के हाथ बलदेव के पेट कर गए.. उसके हलके हाथो का स्पर्श पाकर बलदेव खुश हुआ.. जैसी की उंगलिया अब अपने बाप के सीने पर पोहोंच गयी, सीने के घने बालो में उसकी घनी उंगलिया घूमने लगी.. ऐसी मरदाना छाती देख कर जयश्री का मन पानी पानी होने लगा.. उसने अपने उंगलिया हलके से सीने के बालो में छुपे अपने पिता के उस भाग पर गए.. उसने अपने पिता के नुकीले को अपने ऊँगली से छेड़ा.. फिर उनसे भी किसी शेरनी की तरह अपने बाप के सीने के उस नुकीले भाग को अपने दांत से हल्केसे दबाने लगी.. और मनो उनकी मर्दानगी से पागल हो गए.. फिर उसका मुँह बलदेव के सीने पर घूमें लगा.. जब वो अपने पिता के सीने पर मुँह घुमा रही थी तब बलदेव उसकी बालो में अपना हाथ फेर रहे थे.. अपने पापा का प्यार और मर्दानगी देख कर..

जयश्री- ओह पापा आप कितने बलशाली हो.. अहह

उसने अपने पिता को पूरी तरह से अपने बदन से सटा कर उनकी छाती पर अपन सर रख कर कस एक पकड़ लिया.. अब जयश्री के बॉल बलदेव के सीने के निचे चुभ रहे थे.. जयश्री मनो जैसे अपनी बाप के पौरुषत्व में खो गयी थी.. वो दोनों एक दूसरे को सहेला रहे थे..
जयश्री भी उसके हाथ पीछे ले जा कर अपने पिता के पीठ पे सेहल रही थी.. बलदेव भी अपनी प्यारी बेटी को मनो किसी फूल की तरह सहला रहा था..
ऑफिस के बाथरूम में बाप-बेटी के मन का मिलान हो रहा था.. वो धीरे धीरे एक दूसरे के प्यार में खोने लगे.. मनो ऐसे की कभी बिछ्डे न! तभ बलदेव ने उसे बहो में पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा कर उसके मुँह को ऊपर कर के जयश्री को चूमने लगा किस करने लगा , गालो को गर्दन पर नाक पर कभी कपोल पर.. जयश्री भी अपने पिता के चहरे को चूमने लगी ..

इधर एकनाथ मैनेजर फिर से बलदेव की केबिन में आया. उसको वो फाइल्स जल्दी में चाहिए थी ताकि वो टेंडर्स को जल्दी आगे भेज सके. तोह देखा की बलदेव नहीं है.. उसने देखा की शायद जयश्री भी चली गयी होगी.. वो धीरे धीरे टेबल की तरफ बढ़ा.. उसको फाइल्स वैसे ही दिखी जैसे उसने रखी थी टेबल पर.. उसको कुछ समझ न आया.. वो वापिस लौटने की सोच ही रहा था की.. उसको वाशरूम से अजीब सी आवाज आने लगी..

अहह उठ.. चूस...चमस्स...

उसके मन में लाखो सवाल उठ रहे थे.. थोड़ी देर पहले वो आया था.. तोह दोनों एक दूसरे को लिपट के बैठे थे बाप-बेटी अब उसे लगा क्या शायद दोनों अंदर है.. एक आवाज लड़की की थी तोह उसका शक और मजबूत हुआ.. वो धीरे से वाशरूम के दरवाजे के पास गया तोह उस साफ़ साफ़ चुम्मा-चाटी की आवाज आ रही थी.. उसको विश्वास नहीं हो रहा था की उसका बॉस अपनी ही बेटी के साथ अंदर पर आवाजे अजीब से आ रही थी.. उसने दरवाजा खोलकर आगे को देखने की कोशिश भी नहीं की.. उसको पता है बलदेव क्या चीज़ है.. उसका खौफ ही सबको निचले पायदान पर धकेल देता है.. उसने दरवाजे से देखना खतरे से खाली नहीं समझा.. पर वो वही खड़ा होकर चुपचाप सुनने लगा..

इधर बलदेव और जयश्रीने किसिंग स्मूचिंग छोड़ दी.. जयश्री अपने पिता के सीने पर अपने हाथ फेरते हुए..

जयश्री- पापा एक बात केहेनी थी..

बलदेव जयश्री के बालो को सहलाते हुए उसके गालो को प्यार करते हुई..

बलदेव- बोलो मेरी परी.. क्या बात है!

जयश्री- वो मुझे ससुरला जाना होगा.. वहां की मेरे सहेलिया भी बोल रही है की कितने दिन मायके में रहेगी.. मुझे लगता है की मेरे एक दो सहेलियों को अजीब लग रहा है की मै इस तरह से अचनाक से चली आयी मायके.. मुझे लगता है की उनको शक हुआ है की कुछ गड़बड़ है.. जिस तरह से आप मुझे प्यार जताते है.. उनके मन में शक पैदा हो सकता है.. और सतीश भी तोह यही है.. ऐसा नहीं की वो वहां है और मै उनसे दूर यहाँ मायके में हूँ!
बलदेव- अरे.. ये क्या बात हुई. हर बेटी अपने मायके की रानी होती है.. उसको अपने पिता के साथ साथ अपने पुरे मायके पर मालिकाना है.
जयश्री- हं पर पापा यह समाज ऐसा नहीं है जैसा हम सोचते है.. आज कल लोग सोशल मीडिया ला जमाना है.. सोच भी बदल रही है..
बलदेव- पर तू यहाँ रहेगी भी तोह किसको शक होगा.. कहेंगे की सतीश को हमने घर जमाई बना दिया है! बस बात ख़त्म .. यही तोह फायदा है मेरी छम्मक छल्लो की हमारे समाज में बाप-बेटी के बारे में कोई गलत सोच भी ले पर बोल नहीं सकता.. इसीलिए तोह रूद्र के साथ रिश्ता तोडा न तुमने ताकि हम बेख़ौफ़ एक दूसरे को प्यार करे..


एकनाथ को अंदर की बाते स्पष्ट सुनाई तोह नहीं दे रही थी.. पर कुछ फुसफुसाने की आवाज जरूर आ रही थी.. उसने अब तक जो जाना वो ये था की जयश्री और बलदेव दोनों कुछ ससुरला मायके की बात कर रहे है.. उसने यह शब्द सच्चे से सुनाई दिए की 'बाप-बेटी' और 'गलत सोच' . एकनाथ को यह भी लगा की शायद उन दोनों में ऐसा कुछ न हो और घर के किसी बात को लेकर सतीश के साथ कोई मन मुटाव हो और ये बाप-बेटी यहाँ दोनों बात सुलझाना चाहते हो.. उसने तय कर लिया की बिना सबूत के अपना दिमाग ख़राब नहीं करेगा.

जयश्री- हं पापा पर मेरी बात समझो, हम बाद में देख लेंगे क्या हो सकता है पर मुझे और सतीश को कुछ दिन ससुराल जाने दो.. ताकि हम चीज़ों को अच्छे से सेट कर के फिर से लौट आये! समझ में एक मैसेज फैलाना जरुरी है की पति-पत्नी का संसार अच्छे से चल रहा है. और हं अगर सतीश की तरफ भी ध्यान नहीं दिया तोह वो भी हो सकता है की भांडा फोड़ दे.. उसको भी मुझे विश्वास में लेना होगा.. उसको यह दिखाना होगा की मै भी उसके जायदाद के मामले में उस से सहमत हूँ.. पर मै उसे यह सीधा सीधा नहीं बोल सकती.. वो मेरे पति है तोह उसको भी मुझे प्यार दिखाना होगा..

बलदेव ने ये बात सुनते ही उसका कलेजा मानो फट गया. अपनी प्यारी बेटी को खो देने के डर से और अपनी बेटी को अपने से दूर रखने के डर से ही उसके मन में कृदन चल पड़ा. उसने जयश्री के चेहरे को प्यार से पकड़ा

बलदेव- नहीं, मै मेरी बेटी को कही नहीं जाने दूंगा..

और जयश्री को प्यार से किस करने लगा.. और बिच बिच में उसके गालो को कपोल को किस करने लगा... जयश्री ने भी मना नहीं किया.. वो आराम से अपने पिता के ध्यान को अलग दिशा में ले जाना चाहती थी..

जयश्री- ओफ्फो पापा.. आप भी न.. मै यही हूँ आपके पास.. मै कही नहीं जा रही हूँ..

बलदेव ने जयश्री की तरफ देखते हुए आँखों में आँखे डाल कर ग़ुस्से से कहाँ..

बलदेव- नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना है.. मै भी देखता हूँ मेरी बेटी को मुझ से कौन छीनता है.. पूरी दुनिया को आग लगा दूंगा मै..
(बलदेव ने उसकी लट को कान के बाजु में ले जा कर उसको किस करते हुए कहा.. जयश्री ने फिर से अपने पापा के प्यार भरे किस को पूरा होने दिया)

जयश्री- ओफ्फो पापा, मुझे कहते हो की तुम अलहड हो.. समज़दार नहीं हो.. पर अब आप क्या कर रहे हो! अब आप नासमझ बात कर रहे हो! पापा मुझे विश्वास है की आप मेरे लिए पूरी दुनिया से भीड़ सकते हो. मुझे आपके प्यार पर पूरा भरोसा है.. पापा जितना दूर आप मुझे से नहीं रहना चाहते उस से ज्यादा दूर मै भी आपसे नहीं रहना चाहती.. पापा शादी के इतने सालो बाद वो सुकून मुझे कभी नहीं मिला जो आपकी बाहों में मिलता है मुझे.. आपको नहीं लगता की हमारी किस्मत एक दूसरे से जुडी हुई है! आज मुझे जीवन में पहले बार एहसास हो रहा है की जीवन में प्यार और एक सच्चा साथी की क्या जरुरत होती है.. आपके एक निर्णय ने मेरी जिंदगी तबाह की पर आप वही हो जो मेरी जिंदगी को सार्थक बना सकते हो.. पापा आप सिर्फ मेरी जिंदगी ही नहीं बना सकते, बल्कि आप ही मेरी जिंदगी हो.. मैंने एक बार ऊपर वाले से पूछा की सोचो की मुझे इस पूरी दुनिया में बेतहाशा प्यार करनेवाला ऐसा कोनसा व्यक्ति होगा.. जिस से ज्यादा मुझे कोई और प्यार नहीं कर सकता.. पता है पापा मेरे अंदर की आवाज ने क्या जवाब दिया.. 'मेरे पापा' ...

एकनाथ को खुसफुसात की आवाज आ रही थी.. पर बातचीत समझ ने की कोई गुंजाईश नहीं थी.. पर बिच बिच में उसके हलके हलके किसिंग और कराहने की आवाज आ रही थी.. जिस से उसे ये पता चला की अंदर दोनों बाप-बेटी कुछ गलत जरूर कर रहे है..

बलदेव- नहीं जयश्री, सुनो.. मैंने एकबार मेरे जीवन में जो कुछ बचा था वो खो दिया है.. तेरी माँ जैसी भी थी पर साथ में थी.. अब मै मेरी जिंदगी का हीरा जो की तुम हो वो मै नहीं खो सकता.. और हं तुम उसे निठल्ले च्यु### टुंटपुंजिये मेरे दामाद को खुश करोगी अब!

जयश्री- पापा मुझे पता है माँ के जाने के बाद आप किनते अकेले हो! मै आपसे कभी दूर नहीं जाउंगी पापा! मेरे यकींन मानिये, मै आपकी बेटी ही नहीं पर आपकी संगिनी बनाना चाहती हूँ.. आपकी साथी.. मै माँ की कमी पूरी करुँगी के नहीं मुझे पता नहीं पर मै आपको जिंदगी भर साथ नहीं छोडूंगी पापा.. और हं रही बात उस टटपुँजिये आपके निठल्ले दामाद की तोह .. मुझे ऐसा कुछ करना ही होगा की उसे विश्वास हो जाये की मै उसकी भी कुछ हूँ.. तभी वो हमारे बिज़नेस में हमारा साथ देगा पापा.. मुझ पर भरोसा करो पापा.. मै हूँ न!

बलदेव- पर उसे नाकारा निठल्ले ने तुम्हे छुआ भी तोह.. (बलदेव ने जयश्री को पुचकारते हुए कहा)

जयश्री ने अपने बाप के मुँह पे हाथ रखा..

जयश्री- पापा, आप निश्चिन्त रहिये मै सब देख लुंगी.. मै सिर्फ आपकी हूँ पापा, मै किसी और की नहीं हो सकती.. अपने पति की भी नहीं हो सकती यह बात मुझे पता है..
बलदेव- ओह मेरी बेटी कितनी प्यारी है तू.. (कहकर उसको माथे पे चूमा) पर तू कब जाएगी .. कब लौटेगी.. अभी बताओ..
जयश्री- ओह्ह पापा, अभी.. कैसे.. जरा रुको मुझे कुछ प्लान करने दो.. ऐसे उतावले मत हो..

बलदेव ने जयश्री को बाहो में कसते हुए..

बलदेव- तुम क्या जानो मेरी रानी, बड़ी मुश्किल से पंछी फंस जाते है शिकार में.. अब मै तुमको खोना नहीं चाहता.. और यह शिकार तोह मेरे स्पेशल शिकार है.. बताओ कौन होगा ऐसा जिसने अपनी ही बेटी का शिकार किया हो (बलदेव हँसगे हुए जयश्री भी मुस्कुरा दी )
जयश्री- अच्छा जी, आप बड़े वो हो पापा.. अपनी ही बेटी को अपना शिकार बना रहे हो..

बलदेव ने फिर से जयश्री के बॉल को जोरदार मसलते हुए..

बलदेव- अब इतना खूबसूरत शिकार मै नहीं करूँगा तोह और कौन.. मै अगर शिकार नहीं करता तोह हो सकता की कोई और शिकार कर ले इसका..
जयश्री- अह्ह्ह पापा, धीरे से दबाओ ना. कितने निर्दयी हो आप ... और रही बात शिकार की तोह अब आप सिर्फ शिकार देख सकते हो शिकार अधूरा ही रहेगा आपका.. आपको पूरा शिकार करना है तोह इस शिकार का मन भी जितना होगा.. यह शिकार अलग है पापा..

बलदेव- अच्छा जरा हम भी तोह देखे की हमारा शिकार कितना शातिर है.. हम डरते नहीं दो हाथ करने से..

दोनों हंस कर एक दूसरे को गले लगते है..

जयश्री- चलो पापा आपको भूक लगी होगी , खाना खाते है.. आप आगे चलो ऑफिस में मै आती हूँ..
बलदेव- वैसे हम किसी और चीज़ की भूक है.. (कहकर बलदेव ने जयश्री के टैंगो में हाथ डाल कर एक बार हाथ घिस दिया.. जयश्री ने नटखट अंदाज़ में बड़ी बड़ी आंखे द्दिखा कर पाने पापा को रोक दिया)
जयश्री- छी.. अहह पापा आप बड़े वो हो..

दोनों एक दूसरे के चहरे को पकड़ कर एक प्यारा सा किस करते है लिप टू लिप और अलग हो जाते है और कपडे पेहेनने लगते है..

एकनाथ को पता चल जाता है की .. कोई तोह अब वाशरूम के बाहर निकलने वाला है तो वो तुरंत दरवाजे की तरफ जा कर फिर से दरवाजे के बाहर खड़ा होता है.. बलदेव को पता चल जाता है के एकनाथ केबिन के बाहर आया हुआ है.. एकनाथ अंदर अत है..

बलदेव- हं एक नाथ लो वो फाइल सिग्न कर डेटा हूँ..

एकनाथ को यकीं भी हुआ था की उसके बॉस का कुछ तोह है.. और बिच बिच में उसे लग रहा था की अंदर सिर्फ बाप-बेटी के साथ कुछ अनबन होगी.. पर वो चुम्मा चाटी की आवाजे झूठ होगी? उसने इस बात से अपने आप को दूर रहना ही सही समझा.. आखिर ऐसे रिश्तो पर भरोसा करना और बोलन भी उसे अजीब लगा.

एकनाथ- आपकी जयश्री बिटिया दिखाी नहीं दे रही, वो चली गयी क्या!
बलदेव- नहीं, वो अभी आती ही होगी..

तभी जयश्री तैयार होकर ऑफिस में अति है, वो काफी खुश दिख रही हटी..

जयश्री- अरे एकनाथ जी आपका खाना हुआ?
एकनाथ- जी मैडम जी, मै अभी खाना खा के आया..
जयश्री- आप शादीशुदा है?
एकनाथ- जी मैडम जी, शादी हुई है हमारी फ़िलहाल हम दोनों ही पति पत्नी है और कोई नहीं, शादी अभी हुए है पिछले साल.
जयश्री- बढ़िया है, अच्छा काम करो, पापा सब ध्यान रखेंगे, कुछ लगा तोह मुझे भी बोल सकते हो..
एकनाथ- बहुत बहुत आभार है मैडम जी
जयश्री- आप की शादी तोह हो गयी है पर वो मजददरो और कामगार यहाँ काम करते है सब की शादी नहीं हुई, वो कब तक ठेले पर बाहर खाना खाएंगे.. मै चाहती हूँ की आप कैंटीन के बारे में सोचे.. मै आपको कुछ प्लान बताती हूँ..
एकनाथ- माफ़ कीजियेगा बॉस, आपकी बेटी तोह सच में कमाल है , बिलकुल आप जैसी, निडर और समज़दार भी.. जी मै सब इनफार्मेशन लेता हूँ और आपको डिटेल्स दे देता हूँ..
बलदेव- आखिर बेटी किस की है (बलदेव ने अपनी मुछो पर तांव मरते हुए कहा)

उसके बाद दोनों बाप-बेटी एक दूसरे को खाना खिला रहे थे और खा रहे थे.. श्याम को जयश्री के वेलकम में वहां के सभी कर्मचारियों ने एक छोटा सा कार्यक्रम गेराज के खुले आंगन में ही रखा था..





Bhut shandaar update...... wait for another hot update
 

Blackserpant

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अपडेट ५

(बलदेव के गाओं में)
दूसरे दिन सतीश निकल गया पर बलदेव के दिमाग में दिन भर वही बात घूम रही थी. श्याम को वो गेराज से घर लौटा और सत्ता मरते चाट के झूले पे फिर से फोटोज देखने लगा अब वो सभी फोटोज देखने लगा. उनके रिश्तेदार के फंक्शन्स के और कई जगह के समारोह के फोटोज जिस में जयश्री भी है. अब जितनी देर वो जयश्री के फोटो देखता गया उतना ही उसका मन अधीर होने लगा. उसको अपने आप पर आश्चर्य हुआ की आज तक उसने कभी जयश्री की तरफ गौर नहीं किया. उसकी पत्नी के साथ इतना विशेष जीवन नहीं रहा. काफी धार्मिक होने के कारन वो अपने आप में ही लिप्त थी. ३ साल पहल उसकी बीवी यानि जयश्री की माँ का देहांत हुआ तब से बलदेव संध की जिंदगी जी रहा था. बलदेव ने जयश्री को अपने पत्नी के साथ फर्क करना चाहा. जयश्री उसकी माँ से १० गुना खूबसूरत थी. जयश्री दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की न सही पर वो बहुत आकर्षण चेहरा की मालकिन थी और उसके नाजुक कोमल कद काठी के बदन को उसकी खूबसूरती चार चाँद लगा देती थी. बलदेव ने जो भी देखा वो उसकी पत्नी और मोटी भैस जैसी शरीर की मालकिन थी उसकी बीवी. आधी उम्र काटने के बाद उन दोनों में कुछ भी विशष बाकि न था. जब अपनी स्वर्गवासी पत्नी के सामने उसने जयश्री को रखा तोह पाया की उसकी बेटी ज्यादा जवान भी नहीं थी और ज्यादा कमसीन भी नहीं. वो एक लड़की टाइप की थी जिसे अब तक ठीक से किसी ने नहीं लाभ उठाया. उसको जयश्री अभी भी कोरी और करारी लगने लगी. वैसे अगर किसी को भी पूछा जाये तोह कोई नहीं कह सकता था की जयश्री की शादी हुई होगी. उम्र कट गयी पर बलदेव को पता न चला की उसकी बेटी कब कली से फूल बन गयी. पर दिखती तो अभी भी कली जैसी ही. अपने शरीर की ताकत और ढांचा देख कर कभी कभी उसे खुद आश्चर्य होता की क्या जयश्री सच में उसकी बेटी है क्यों की बलदेव बोहोत ताकतवर सांढ़ जैसा और जयश्री किसी तितली जैसी सुन्दर मोहक और हलकी थी. हलाकि जयश्री का अंग कोई हड्डी हड्डी नहीं था. पर कोमल लगती थी. बलदेव का शरीर जयश्री से कम से कम ३ गुना बड़ा दीखता था. आज फोटो में जयश्री पे गौर करने बाद उसे प्रतीति हुआ की वो तोह उसकी ही प्रतिमा है. जयश्री का नाक नक्श हूबहू बलदेव से मिलता था. देखते ही कोई भी बोलदे की ये उसी की बेटी है. पर उसकी कुछ सुंदरता का विशेषन अपनी माँ से ही मिला है. फोटो देखते उसका मन हुआ की वो जयश्री को कॉल करे. उसने जयश्री को फ़ोन लगाया पर सामने से कोई जवाब नहीं आया. उसने फिर से फ़ोन लगाया पर इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया. अब वो सोच में पड़ गया. अभी तोह बस ९ बजे थे और जयश्री इतनी जल्दी सोती नहीं ये उसको पता है. उसने कुछ सोचा और फिर सतीश को फ़ोन लगाया. सतीश ने फ़ोन उठाया.

बलदेव- सतीश सुनो क्या क्र रहे हो?
सतीश- ससुर जी में यहाँ खामगाव में आया था एक ठेकेदार से मिलने काम के सिलसिले में. क्या हुआ कुछ काम था क्या?
बलदेव- नहीं बॉस, जयश्री को फ़ोन किया था पर वो फ़ोन नहीं उठा रही है. तुमको पता है वो कहाँ है? घर पर है क्या?
सतीश- ससुर जी आज भी उनका गाओं में बहार एक कैंप फायर है उनके ऑफिस वालो का तोह वही गयी होगी. आज रात वही टेंट में जंगल में नदी किनारे गुजरने वाले थे.
बलदेव- ठीक है रखता हूँ

बोल कर बलदेव ने फ़ोन जोर से काटा. सतीश सोचने लगा की ससुर जी रुद्रप्रताप की क्लास लेने के बजाय जयश्री से क्यों बात कर रहे है? कुछ समझ नहीं आया उसे और वो काम में लग गया.

इधर बलदेव सोच में पड़ गया अब उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी. इतने दिन जयश्री और सतीश के निजी जिंदगी में दखल न देने का खामयाजा अब वो भुगत रहा था. आज उसकी सगी बेटी कही भी किसी की साथ घूम रही है और उसको कोई रोक टोक नहीं है. जब वो सोचने लगा की ऑफिस की लोगों की साथ पार्टी करना कोई बाड़ी बात नहीं पर उस रुद्रप्रताप ने बड़ी मछली फ़साने से पहले उसके बारे में एक बार भी सोचा नहीं. उसने जो मछली फंसी है कोई और नहीं उसकी सगी बेटी है. रुद्रप्रताप का ऐसा बर्ताव उसे कतई मंजूर न था. वो जनता था की जयश्री पे लगाम लगाना सतीश के बस की बात थी ही नहीं ये वो जनता था पर वो कैसे इस सब की तरफ अनजान बना रहा और काण्ड हो गया. उसने सोचते सोचते २ कश मार की नहाने चला गया आज वो दिन भर गेराज में था.

(सतीश की तरफ)
सतीश अब और नहीं रुकना चाहता था. सतीश चाहता था की बलदेव का खून खुले और वो रुद्रप्रताप का कुछ बंदोबस्त करे. वो चाहता था की वो जिस गुलामी से गुजर रहा था उसकी तकलीफ कम हो पर अब वो आगे की सोच रहा था वो अब बीएस कुछ भी कर की इस म्याटर को ख़त्म करना चाहता था और इस में वो खुद का फायदा भी देखने लगा. उसको पता था की जयश्री अब हाथ नहीं आनेवाली तो वो सोच रहा था की वो अपने जिंदगी की लिए कुछ उपाय करे. वो अब थोड़ा परेशां हो गया था. दो दिन से बलदेव से कोई जवाब न आया तोह उसने बलदेव से फ़ोन मिलाया.

सतीश- ससुर जी नमस्कार
बलदेव उस वक़्त खेत के मजदूरों को पौधों से गन्दगी साफ़ कराने का काम क्र रहा था.
बलदेव- हाँ बोल सतीश...

दामाद जी की जगह नाम से याने सतीश ऐसे बुलाने से वो जान लिया की बलदेव भी उस पर नाराज था क्यों की सतीश ने उसे यह बात लेट बता कर गलती की थी.

सतीश- ससुर जी मई जानना चाहता था कुछ हुआ क्या? आपने बात की रुद्रप्रताप से कुछ?
बलदेव- नहीं
सतीश- नहीं! पर ससुर जी अब दिन बा दिन कांड बढ़ता जा रहा है कुछ करो वरना...
बलदेव- वरना क्या ?
सतीश- देखो ससुर जी आप मेरी मदत करो प्लीज, या तो आप मौज़े जयश्री से डाइवोर्स दिला दे या फिर रुद्रप्रताप को समझा दो या फिर तीसरा रास्ता है मेरे पास
बलदेव- क्या?
सतीश- आप मुझे इस मामले में अपने आंख और कान बंद रखने के लिए आपकी थोड़ी जायदाद दे दो


बलदेव भी अब अपने उफान पर था

बलदेव- नहीं दूंगा तोह क्या कर लोगे
सतीश- ससुर जी आप नाराज़ मत होईए पर आप मेरी भी बात समझो आप की भी बाहर बदनामी हो रही है...
बलदेव- मई तुमसे बाद में बात करता हूँ

बलदेव ने ग़ुस्से में फ़ोन काट दिया और घर जा कर दोपहर में सो गया. नींद होने के बाद अब उसका दिमाग चलने लगा. श्याम के ६ बजे थे. उसने सीधा रुद्रप्रताप को कॉल किया ...

रुद्रप्रताप- क्या बात है बलदेव कैसे याद किया हमे! क्या हाल है!
बलदेव- सुन रूद्र मुझे तुज़से मिलना है अभी के अभी

बलदेव रूद्रप्रताप को रूद्र कह कर ही बुलाता था क्यों की रुद्राप्रताप उम्र में भी बलदेव से छोटा था.
रुद्रप्रताप डर गया. क्यों की वो जनता था की कुछ गड़बड़ है. क्यों की अभी तक इस तरह से अचानक मिलने का कोई वाकिया नहीं हुआ था. उसने सोचा की शायद कोई बिज़नेस इमरजेंसी आयी होगी तोह मिलना चाहता है.

रुद्रप्रताप- बोल बलदेव क्या बात है! यही बता दो न!
बलदेव- नहीं रूद्र, यहाँ नहीं
रुद्रप्रताप- फिर कहा
बलदेव- सुन आज रात को ९ बजे खेड़ा नाका के ढाबे पे आ जाना

आज बलदेव ने तय किया था की इस बात का हिसाब आज सेटल कर देगा. बलदेव चाट वाले हॉल में गया और अपनी शराब वाली अलमारी का एक सेक्रेट लॉक खोला और एक ड्रावर से उसने सबसे जबरदस्त काम माननेवाली चीज़ निकली. अंदर से उसने कोबो७०७ रिवाल्वर निकाली जो वो सिर्फ कभी कभी साथ रखता था. गाओं के प्रतिष्ठित व्यक्ति होने के साथ साथ कभी कभी मजदूर नोकरो से खतरा न हो इसलिए रखता था जो उसके पास परमिट था.

उसने आज बड़ीवाली जीन्स डाली ऊपर से बड़ा सफ़ेद शर्ट डाल के जीन्स के अंदर साइड में रिवाल्वर लगा के मुछो पे ताव मारता हुआ अपनी टयोंठा एसयूवी निकाली और सीधा ढाबे पे रुख किया.
Super
 

DeewanaHuaPagal

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Jindagi Paheli Hai Boss. Girati hai Uthati bhi hai. :angrysad:
Niji jivan ki samasyao se ghira hun. Jindagi se bohot khwaishe hai. Pr sab toh puri nahi hoti.
Deri ke liye maafi chahunga. :sad:


Ek update jaldi dene ka prayas karunga.

Sabhi pathako ko dher sara pyar aur shubhchintan. Khush rahe aabaad rahe.:love2:
 

DeewanaHuaPagal

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अपडेट ३२
जयश्री तक़रीबन ४:३० बजे गेराज से घर फार्महाउस लौटी. आज घर पे जयश्री ने खाना बनाने की सोची और खुद किचन में चली गयी, सतीश भी वही था उसको मदत कर रहा था. बलदेव अभी घर लौटा नहीं था गेराज से वो सीधा खेत में चला गया वहा उसको ट्रैक्टर्स का इंतजाम करना था. श्याम के ६ बजे जयश्री ने सतीश को बगीचे में बुला लिया और दोनों वही बेंच पे बैठ गए.

जयश्री: सुनो, अपना सामान पैक करो और हम हमारे घर वापस जायेंगे.
सतीश: पर क्यों, क्या हुआ?
जयश्री- तुम शायद देख नहीं रहे हो, तुम वहा कभी कभी अकेले रहते हो, तो लोगो को शक हो रहा है हमारे बिच कुछ अनबन चल रहा है, बदनामी से डर कर ही तोह तुमने यह फैसला लिया है न! तुमको पता नहीं की अगर लड़की ज्यादा दिन मायके रही तोह लोग तरह-तरह की बाते करने लगते है. बाकि कुछ भी हो हम दोनों के बिच का रिश्ता नार्मल लगना चाहिए समाजवालों को.
सतीश- हम्म.. ये बात तोह है.. परसो मेरे चाचा भी बोल रहे थे की वो अचानक अपने घर आके गए थे, जब उनको पता चला हम दोनों घर पर नहीं है.. तोह उन्होंने मुझे कॉल कर के कहा की मै ससुराल में क्या कर रहा हूँ! बिरादरी में भी कानाफूसी चल रही है की हम दोनों वहा ज्यादा नहीं रहते.
जयश्री- वही तोह बात है, परसो मेरे भी एक सहेली ने फ़ोन किया था, और पूछा की क्या हम दोनों में सब ठीक है? और वो नयी वाली सहेली तोह कुछ ज्यादा ही होशियार है.
सतीश- तुमने अपने पापा से बात की?
जयश्री- नहीं, बात करुँगी, उनका दिल टूट जायेगा. मुझे समझाना होगा उनको.
सतीश- पर उन्होंने तोह मुझे कहा था की वो मुझे अपनी जायदाद...

बात पूरी भी नहीं हुई थी की जयश्री ने तड़ाक से बात काट दी..

जयश्री- तुमको शर्म नहीं अति.. हम किस बारे में बात कर रहे है.. हम समाज के बारे में बोल रहे है.. तुमको तोह बस अपनी पड़ी है..
सतीश- सॉरी, वो बस.. पर ऐसी बात नहीं.. मै आज भी तुमको वैसा ही देखता हूँ जब शादी कर के आई थी.. तुम में और ससुर जी में जो है वो समझ सकता हूँ पर मेरी तरफ से तोह तुम वैसी ही हो..

जयश्री ने सतीश को देखा और मन में सोचा की कही सतीश भी उस पर निगाह नहीं डाल रहा फिर से!

जयश्री- तुम फ़िक्र मत करो, तुमको थोड़ी जायदाद चाहिए न, वो मै बात करुँगी पापा से..

सतीश- पर उन्होंने तोह अब तक कुछ नहीं किया, मै तोह सेकंड ओनर बन कर रह गया हूँ..
जयश्री- तोह क्या हुआ!
सतीश- देखो ग़ुस्सा मत होना, सब तरफ से बदनामी है, मेरी तोह, बिरादरी में भी अब होगी, ऑफिस में बदनामी रुक गयी थी, पर अब तुम घर पर रहोगी तोह और असहज हो जाएगी.. और फिर मुझे कुछ भी नहीं मिलेगा ससुर जी से अगर तुम वही रहोगी तोह, जायदाद में सेकंड ओनर का क्या फायदा..
जयश्री- तोह जाओ जाके बोल दो पापा को! है हिम्मत!

सतीश निचे सर कर के ज़मीन को देखने लगा.

जयश्री- मै वो देख लुंगी सेकंड ओनर , फर्स्ट ओनर जो भी है, हम सब सुलझा लेंगे! अभी सामान पैक करो कल सुबह हम निकलेंगे..

सतीश भी सोचने लगा की अगर जयश्री को ससुरला में रखने से उसे जायदाद का फर्स्ट ओनर बनाया जाता है तोह उसका क्या जाता है, उसे तोह बस उसके ससुर की प्रॉपर्टी चाहिए..

श्याम के ७ बजे थे जयश्री ने बलदेव को फ़ोन किया पर वो बिजी था.. फिर जयश्री ने बलदेव को मैसेज किया..
जयश्री- पापा, मैंने सतीश से बात कर ली, वो कल सुबह मुझे ससुरला लेके जायेंगे.. आप जल्दी आना..

इधर बलदेव ने जयश्री का यह मैसेज खास कर तभी पढ़ लिया.. जयश्री के बारे में वो काफी तुरंत काम करते थे.. अपनी बेटी का मेसेज देख कर उसका मन सुन्न पड़ गया.. ट्रेक्टर वाले से बात भी कर रहा था और नहीं भी.. उसके मन में फ़िलहाल सिर्फ जयश्री थी.. पर वो अब जयश्री को रोक कर या उसे मना कर कुछ गड़बड़ी नहीं करना चाहता था.. ऐसा तोह था नहीं की जयश्री शादी-शुदा नहीं थी.. उसकी एक और एक जिम्मेदारी भी थी, ससुरला के प्रति.. और सतीश के प्रति.. हाला के वो इस मसले को २ मिनट में सुलझा सकता था पर वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था.. जयश्री ने उसे कहा था की वो उनका ख्याल रखेगी.. उन्होंने फ़िलहाल अपनी बेटी पर विश्वास जाताना ठीक लगा.. पर उसके मन में कही न कही अपनी बेटी जो उसकी प्रेमिका भी थी.. उसे खो देने का एक डर अंदर से थोड़ा सता रहा था..
बलदेव ने जयश्री को जवाब नहीं दिया क्यों की वो नहीं चाहता था की फिर से कोई अलग सिलसिला शुरू हो, वो जयश्री को और खुद को थोड़ा वक़्त देना चाहता था.. उसे वही ठीक लगा..

सतीश चला गया. जयश्री अब गहरी सोच में दुब रही थी.. वो अब ऐसी दुविधा में थी.. उसको अब बेटी का कर्त्तव्य.. बीवी का कर्त्तव्य .. और समाज का अंग होने के नाते कर्त्तव्य सब का तालमेल बिठाना मनो एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा लग रहा था. उसने पापा को कहा था की वो उनका ख्याल रखेगी. वैसे बलदेव काफी शशक्त था, उसे किसी की जरुरत नहीं थी पर एक बेटी का प्यार और अपने पति के प्यार और समाज के बंधन में जैसे वो फंस चुकी थी. वो खाना खा कर फार्महाउस क साइड वाले छज्जे पर टहल रही जो उसके रूम के ऊपर से होता है.. वो बोहोत बेचैन थी.. उसका दिल कर रहा था की वो यही बस जाये और पति को भी परमानेंटली इस घर से हकाल दे और अपने पापा की रानी बन कर रहे, पर समाज का डर , पति के शर्त और अपने पापा के प्रति अगाध प्रेम ने उसे पूरी तरह से एक पहेली में डाल दिया.

वो बेचैन होकर छज्जे पर घूम रही थी, उसने बलदेव को कॉल किया.. पर बलदेव ने फ़ोन नहीं उठाया. वो फ़ोन उठा कर भी क्या कहता? की बेटी तू चली जा.. मै देख लूंगा? नहीं वो अभी भी जयश्री के उस फैसले से उभरा नहीं था..
जयश्री को लगा की उसके पापा नाराज़ हुए है,, हाला की जयश्री ने उन्हें बताया था की वो ससुराल जाएगी पर इतना जल्दी वो ससुराल जाएगी यह कभी नहीं सोचा था बलदेव ने..

जयश्री ने फिर से उसके पापा का नंबर डायल किया.. पर कोई जवाब नहीं दिखा.. फिर जयश्री ने मैसेज किया उसे -

जयश्री- पापा आप फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे हो! प्लीज कुछ तोह बोलो पापा, मै आपकी दिल की बात समझ सकती हूँ.. आज कल आप मेरे से एक पल दूर नहीं रह सकते, और मै देखो यहाँ आपको छोड़ कर ससुराल जा रही हूँ, मै अभी ये तोह नहीं कह सकती की मै आउंगी भी या नहीं पर आने का प्रयास जरूर करुँगी.. मेरी भी मजबूररी है पापा, मुझे जाना ही होगा ससुराल.. इन समाज और रिश्तो नातो के बंधनो को थोड़ा बोहोत तोह ध्यान देना होगा.. वार्ना यह हमारा प्रेम खो जायेंगे पापा.. हमे दूर की सोच रखनी होगी..

उसकी आंखे भी आंसू में डूब गयी थी.. जयश्री को ऐसा लग रहा था की जैसे वो दुनिया छोड़ कर जा रही है.. उधर बलदेव को ऐसा लग रहा था की जैसे अब उसकी जिंदगी वीरान बनने जाएगी.. एक ऐसा वीराना जहा कोई हरियाली नहीं, कोई जीवन नहीं. मुश्किल से उसके जिंदगी में बेटी के रूप में ख़ुशी चल के आयी थी.. अभी अभी तोह जिंदगी जीना जान गया था वो.. इस अधेड़ उम्र में ही सही पर असली जवानी के दिन जी रहा था वो अपनी एकलौती बेटी के साथ.. पर समाज के बंधनो ने और नल्ले दामाद और उसके परिवार ने उसके जवानी में मनो कोई खलल डाल दिया हो.. वो खुद को अब मजबूर महसूस करने लगा.. जो वो नहीं था कभी..

पर जयश्री बहुत ज्यादा चिंता न करे इसलिए उसने जयश्री को रिप्लाई किया..

बलदेव- बेटा, आप खाना खालो.. मेरी फ़िक्र मत करो मै काम खत्म होते ही आ जाऊंगा.. अपना ख्याल रखना..

यह मैसेज पढ़ कर जयश्री की जान में जान आ गयी.. आज उसको खाना खाने का मन भी नहीं कर रहा था. बलदेव भी घर जा कर जयश्री से आंखे नहीं मिलाना चाहता था क्यों की उसे डर था की कही वो जयश्री को ऐसा देख कर अपना आपा न खो दे और बात बिगड़ जाये.. वैसे वो काफी संयम वाला था पर अपनी बेटी के मामले वो खुद को असहज महसूस कर रहा था..

जयश्री ने जैसे तैसे दो निवाले खा लिए.. और बिस्तर पर पड़ी पड़ी सोच रही थी..
सतीश सब सामान पैक करने में लगा था.. रात के १० बज चुके थे. बलदेव क्लाइंट के साथ ही डिनर कर कर लिया था .. हाला के उसे आज खाने में मन नहीं था..

बलदेव ११ बजे लौट आया वो सीधा अपने कमरे में गया पर उसने अपने छत से बाजु के जयश्री के रूम के खिड़की वाले छत पर देखा तोह वो समझ गया की जयश्री सो गयी होगी, वो कल सुबह जानेवाली है तोह उसका मन हुआ की एक बार वो अपनी बेटी को जी भर के देख ले.. वो निचे अपनी बेटी के कमरे में चला गया जहा अंदर से दरवाजा था.. जयश्री वो दरवाजा कभी बंद नहीं करती.. जैसे ही वो अंदर गया जयश्री बालकनी की दरवाजे की तरफ मुँह कर के सोच में पड़ी थी.. उसे पता नहीं.. की बलदेव अंदर आया है..

बलदेव- बेटी ..

जयश्री बोहोत खुश हुई पर वो अभी अपने ही फैसला उसके पिता को समझाना नहीं चाहती थी इसलिए वो चुपचाप पड़ी रही.. और आंखे मूंद कर के.. पड़ी रही.. बलदेव ने जवाब नहीं पा कर नजदीक चला गया..
जयश्री नाईट गाउन में थी.. जयश्री आड़े अंग पर सोई थी.. जैसे ही बलदेव नजदीक आया जयश्री ने अपनी आंखे बंद रखी. बलदेव नजदीक आया और अपनी खूबसूरत बेटी को देख कर होश खो रहा था..
इतनी प्यारी बेटी कल उसे छोड़ कर जाएगी.. उसका मन रुदन करने लगा.. वो वही उसके पास पलंग पर बैठ गया..

बलदेव- मुझे माफ़ कर दो बेटी.. तुम किस दुविधा से गुजर रही हो मुझे पता है.. मै तुम्हारा बाप हूँ...

बलदेव ने जयश्री की लट को कान के पीछे किया..

बलदेव- ओह्ह मेरी फूल सी बेटी .. मेरी प्यारी गुड़िया. तू कल चली जाएगी .. तोह सोच मेरा क्या होगा? पर मै अपने आप को संभल लूंगा.. तू अपना ख्याल रखना मेरी लाड़ली ..मै नहीं जनता तुम क्या सोच रही हो.. पर मुझे लगता है की तुम हम दोनों के बारे में ही सोच कर यह फैसला लिया होगा.. हम दोनों में जो शुरू हुआ है कही तुम्हे अंदर से घुटन तोह नहीं? जो मुझे तुम बोल नहीं सकती.. बेटा तुम मुझे कुछ भी बता सकती हो.. तुम्हारे माँ के बाद मेरा है ही कोण.. वो तोह चली गयी.. कल तुम भी जाओगी..अब मै बस भगवन के भरोसे हो जाऊंगा.. बेटी तुम चाहे जो फैसला लो.. एक बात याद रखना .. तुम्हारे पापा हमेशा तुम्हारा साथ देंगे मेरी लाड़ली..

बलदेव ने हलके से अपनी प्यारी बेटी के गलो पर हाथ फेरा..

जयश्री ये सब सोच रही थी.. की मै अकेली समज़दार हूँ पर आज उसे अपने पापा पर इतना गर्व हो रहा था की उसका मन हुआ की झट से पापा को गले लगा लूँ.. पर फिर से वो नहीं चाहती थी की.. उनसे बात कर के फिर से उसका मन बदल गया तो ! वो चुप चाप पड़ी रही..

बलदेव ने निचे झुक कर जयश्री के माथे को चूमा..

बलदेव- जाओ बेटी.. खुश रहो पर अपने पापा को भूलना मत..

ये कह कर बलदेव चला गया और.. बालकनी में जा कर सामने की तरफ मुँह कर के सोच में पड़ गया.. आज मनो सब पेड़ पौधे दुखी थे.. न पानी की आवाज न ही कोयल की आवाज न ही कोई जानवर की आवाज.. उसे लगा की अगर जयश्री यहाँ है होगी तोह वो खिलखिलाहट वो ताज़ापन वो जीवन में जान आएगी.. पूरा सन्नाटा था आज. आज उसका मन बोहोत व्यथित था.. मनो पूरी श्रुष्टि आज उदासीन हो गयी हो..

तभी जयश्री भी उठी और अपने खिड़की से अपने पापा को छत पर अकेले सुने में एक टक नज़र लगाते देखा.. उसको अपने पापा की हालत अब देखि नहीं जा रही थी पर उसे यह करना होगा.. उसे ससुराल जाना जरुरी लगा.. तभी उसने देखा..

सुभाष ने उसको व्हिस्की का पेग ले आया..

सुभाष- साहब आज अपने पेग नहीं बनाया खुद इसलिए मै ले आया.. क्या हुआ साहब कुछ बात हुई है क्या..

बलदेव क्या ही बताता उसे..

बलदेव- नहीं सुभास.. कुछ नहीं.. तुम्हारा शुक्रिया.. वहा छत के कंपाउंड पे रखो गिलास में ले लूंगा.. और सुनो कल से दामाद जी और जयश्री दोनों ससुरला जा रहे है.. उनको सामान बांधने में मदत करना सुबह.. और गाड़ी में लोड करने में मदत करो..

सुभाष- जी साहब..

बोल कर सुभाष चला गया..

जयश्री देख रही थी.. उसके पिता जो व्हिस्की के नाम पर ही उछाल पड़ते थे तोह .. आज वो व्हिस्की की तरफ देख भी नहीं रहे थे.. उसका मन रुदन हो रहा था.. उसकी आंखे नम हुई..

जयश्री- पापा.. मुझे माफ़ कर देना पापा..

जयश्री ने सोचते सोचते बेड पर लेट गयी और उसकी कब आंख लगी पता ही नहीं चला..

बलदेव भी थोड़ी देर में अपने कमरे में जा कर सो गया.









सुबह बलदेव उठा और कुए का पानी कैनाल में छोड़ कर वही नाहा लिया और वापस लोटा ८ बजे. तब तक सुभाष और सतीश दोनों कार में बोहतो सारे सामान लोड कर रहे थे.. बलदेव ने कभी सोचा न था की आज उसे फिर से अपनी एकलौती बेटी को बिदा करना पड़ेगा... आज की सुबह सुबह नहीं थी.. ये उसके लिए अँधेरा था..

जैसे ही हॉल में निचे बलदेव ने जयश्री को देखा उसके आँखों में उदासी छा गयी.. जयश्री तैयार हो कर बहार आई थी.. उसने साड़ी पहनी थी आज.. और जाने को तैयार थी.. वो सर को निचे झुका कर बलदेव की तरफ बढ़ी.. बलदेव वही खडा था.. उसकी नजर एक बार मिल गयी अपने पाप से.. सतीश भी वही खड़ा था.. दोनों से कुछ कहा नहीं जा रहा था.. बलदेव ने जयश्री के चेहरे को पकड़ा और उसके माथे पर प्यार से चुम लिया..

बलदेव- खुश रहो.. जाओ..
बलदेव- दामाद जी (उसने आज सतीश नहीं कहा) इस फूल का ध्यान रखना.. इसे खुश रखना..

यह सुनकर ही जयश्री की आंखे आंसू से भर गयी और वो झट से अपने पापा से चिपक गयी और रोने लगी.. बलदेव ने उसकी आंखे पोछि.. तभी जयश्री ने अपने पिता के सर को निचे झुका कर उनके होठों से अपने होंठ छू लिए..

जयश्री- आजी सुनो, मेरी और पापा की एक तस्वीर तोह ले लो जाते जाते.. और मुझे बाद में मेसेज कर दो तस्वीर..

सतीश ने अपना फ़ोन निकला.. उसे लग रहा था की उसने फिर से बाज़ी मार ली है, अपनी बीवी को फिरस से वो वापिस लेगा.. वो खुश है अंदर से.. उसने अपनी बीवी की और अपने ससुर जी की तस्वीर लेली जब उनके दोनों के होठ मिले हुआ थे.. और दोनों की आंखे नम थी..

जयश्री ने अपने पापा का स्पर्श महसूस किया और बलदेव ने वो हल्का चुम्बन तोड़ दिया..

सतीश- चलो जयश्री बैठ जाओ.. जयश्री.. देर हो रही है..

जयश्री भारी मन से अपने पापा के तरफ देखते देखते कार की तरफ बढ़ने लगी.. सतीश ने उसके लिए कार का दरवाजा भी खोला.. वो पीछे की सीट पर बैठ गयी थी.. सतीश अब ड्राइविंग सीट पर बैठ गया.. और कार स्टार्ट कर दी.. जैसे कार स्टार्ट हुई जयश्री का रोता हुआ हल्का रुदन सुनाई दिया..

जयश्री- पापा..

बलदेव ने हाथ बढ़ा कर उसे बाई बाई कह रहा था..

कार चल पड़ी.. जयश्री अभी भी अपने बाप को खड़ा हुआ देख रही थी रियर विंडो से.. जैसे जैसे दुरी बढ़ती गयी.. जयश्री की आत्मा आवाज दे रही थी..

तभी जयश्री ने बिना सतीश को बताये कार का दरवाजा खोला.. कार अभी धीरे धीरे ही चल रही थी..

जैसे ही कार का दरवाजा खुलते हुए दिखा सतीश ने तुरंत गाड़ी रोक दी...
सतीश ने जो देखा.. वो देख कर दंग रह गया.. जयश्री ने सीधा दरवाजा खोल कर.. रोते रोते ..

जयश्री- पापा...

कहकर सीधा उतर कर वापिस अपने पिता बलदेव की तरफ दौड़ पड़ी.. बलदेव ने देखा की उसकी बेटी भागते हुई उसकी तरफ आ रही है.. उसको इतनी ख़ुशी हुई और दुःख भी की वो वापिस क्यों लौट रही है.. जयश्री दौड़ती हुई बलदेव के सिने पर ही कूद गयी और जैसे ही दोनों के बदन चिपके.. जयश्री ने अपना मुँह खोल कर अपने पापा को मुँह से मुँह लगा कर चुम्बन करने लगी.. बलदेव भी अब सब कुछ सोच हटा कर जोर से जयश्री को किस करने लगा..दोनों एक दूसरे को इतना ज़ोर से किस कर रहे थे की मन लो वो एक दूसरे में सामान चाहते हो.. बलदेव ने उसे हलके से उठा कर हॉल के अंदर के दरवाजे पर पटक दिया और फिर ज़ोर ज़ोर से अपनी बेटी को किस करने लगा.. जयश्री भी बलदेव को कास कर अपनी बहो में भर लिया था.. सतीश को कुछ समाज न आया.. वो पीछे पीछे आ गया.. पर जैसे ही वो हॉल के दरवाजे के पास आया.. उसे और कुछ सुनाई नहीं दिया सिवाय बाप-बेटी के चुम्मा चाटी की आवाजे थी..

जयश्री (चूमते चूमते) - पापा मुझे माफ़ कर देना पापा .. प्लीज. मुझे .माफ.. कर दो .. प्लीज .. पापा


चूस.. हकूममू.... ल्ल्ररप... सुरूर... सलललूरॉप.. पो...प.. (किसिंग की आवाजे)

सतीश को अब बस अंदर से मादक आवाजे आ रही थी.. दोनों बाप-बेटी का अंदर होता हुआ मुख प्रणय सोच कर ही उसका दिमाग चकरा गया.. वो उनको अब कुछ बोल भी नहीं सकता था..

दोनों बाप बेटी मन लो किसी और दुनिया में खो गयी थे.. बलदेव भी अपनी बेटी को दरवाजे पे सटा के उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से अपनी बेटी के मुँह में अपनी जीभ डाल कर पुरे मुँह ओपन कर के चूस रहा था.. उनके होठ मनो अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे.. सतीश को दरवाजे की हलकी सी स्लिट से दिख रहा था.. दोनों अपना मुँह घुमा घुमा एक दूसरे को किस करते हुए अपने प्यार का इजहार कर रहे थे.. उसको यकीं नहीं हो रहा था की उसकी पत्नी इस तरह से अपने ही बाप से किस करेगी.. उसको लगा की कही सुभाष आ कर यह न देख ले.. वो डर गया.. उसको ये भी यकीं नहीं हो रहा था की उसके ससुर खुद की अपनी बेटी से इतना जबरदस्त किस कर सकते है.. हॉल के कमरे में अब बस बाप बेटी के चुम्बन की आवाजे और जयश्री के कराह ने की आवाजे आ रही थी.. धीरे धीरे चुम्बन ख़त्म हुआ.. बलदेव ने जयश्री को उठाया टेड़ा उठाकर गोद में ही लेकर बहार आया.. सतीश को पता चल की क्या होने वाला है.. सतीश जल्दी से कार की तरफ गया और ड्राइविंग सीट पर जा बैठा.. कार का पिच एक दरवाज़ा खुला था.. तोह बलदेव ने जयश्री को अंदर बिठाने से पहले ही..

बलदेव- जाओ मेरी बिटिया.. मेरी रानी..

रानी शब्द सुनते ही जयश्री खुश हुई.. बलदेव ने उसे अंदर सीट पर बिठा दिया.. जयश्री ने आंसू पोछे..
बलदेव ने दरवाजा लगा दिया.. और गाड़ी पे थपकी दी. कार आगे बढ़ी पर जयश्री अभी भी पापा पापा कहते हुई पीछे वाली विंडो से अपने पापा को ही देख रही थी जब तक वो आँखों से ओझल न हो जाये..
 

md ata

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Bahut khoob jhakash
 

md ata

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Bahut khoob jhakash
 

Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
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Mast update ....Bhai...


Lekin week main ek update toh de hii sakte ho.......

Waiting
 

imaamitrai

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Nice
 
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