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Incest एक पाकीजा परिवार

बताओ किस्से ओर कैसा सेक्स पढ़ना चाहोगे ?


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Ass licker

❤️❤️
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अपडेट 7 ❤️❤️

बाजी की जुबानी:-
मैं रोजाना की तरह सुबह मदरसे के लिए तैयार हुई, बुर्का पहना ओर नास्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर पहुंची, जहां पहले ही अम्मी अब्बू ओर भाई बैठे थे।
मैं भी उनके साथ बैठ गई और नास्ता करने लगी।
नास्ता करते हुए अचानक ही मेरी निगाहें भाई की तरफ गयी जो मुझे घूर रहे थे, मेने उसकी नजरों का पीछा किया तो वो मेरे सीने की तरफ देख रहे थे।
मुझे भाई की इस हरकत ने फिर से चोंका दिया था, ओर गुस्से में मेरी आँखें आग फेंकने लगी। ये वही भाई था जिसने कल ही मुझसे अपने गुनाहों की माफी मांगी, ओर ये फिर से वही हरकत कर रहा था।
मैंने भाई की तरफ गुस्से से देखा तो उसने अपनी निगाह फेर ली। लेकिन भाई ये हरकतें मुझे अब सोचने पर मजबूर कर रही थी, ऐसी कोनसी खास चीज है मेरे अंदर जो भाई कंट्रोल नही कर पाते अपनी निगाहों को।
मन मे बहुत से सवाल थे, जिन्हें सोचने का फिलहाल समय नही किया, मैंने फटाफट नास्ता किया और अम्मी अब्बू को सलाम करके मदरसे के लिए चल दी।
पूरे रास्ते मैं इसी उधेड़बुन में रही कि क्यों भाई की नजरें मेरे लिए इतनी गंदी हो चली है जो अपनी पाकीजा ओर एक पढ़ी लिखी आलिमा को ही नही बख्स रही।
क्यों भाई मुझे गन्दे तरीके से देखता है मेरे अंगों को घूरता है। मुझे उससे बात करनी होगी। ओर अपने सवालों का जवाब लेना होगा।
यही सब सोचते हुए मेरा मदरसा आ गया, मैं सभी लड़कियों के साथ किताबें लेकर बैठ गयी।
सना जो दूर बैठी थी वो मेरे पास आई और दुआ सलाम किया और कहा
सना:- अंजुम आज तुम बहुत प्यारी लग रही है
मैं:- ऐसी क्या बात है सना मैं तो रोज ऐसे ही आती हूँ
सना:- नही अंजुम आज तुम ज्यादा ही प्यारी लग रही हो, सभी लड़कियां तुम्हारी खूबसूरती से जलती हैं।
मैं:- मैंने उनकी पीठ पर मुक्का मारा " तुम भी सना मुझसे मजाक करती करती हो"
सना:- सच मे अंजुम तुम वाक़ई में बहुत खूबसूरत हो।
मैं:- चल छोड़ सना अपना सबक याद करो, हमारा नम्बर आने वाला है। बारी बारी सभी लड़कियों ने सबक सुनाया ओर फिर मेरा भी नम्बर आ गया।
मैंने सबक सुनाया ओर घर की तरफ चल दी।
जैसे ही मैं मदरसे के आखरी गेट पर पहुंची मुझे टीचर की बाथरूम वाली घटना याद आ गयी।
मेरा मन अब अपने काबू से बाहर हो चला था। मेरा जिस्म मुझे बार बार उस बाथरूम की तरफ जाने को कह रहा रहा।
आखिर मैं वापस मदरसे के बाथरूम की तरफ चल दी, मैंने सोचा पहले लड़कियों वाले बाथरूम में जाकर पेशाब कर लेती हूं। मैं लड़कियों वाले बाथरूम गयी और पेशाब किया। पेशाब से फारिक होकर में अभी दरवाजे तक आई थी के मुझे टीचर अपने पर्सनल बाथरूम की तरह जाते हुए दिखाई दिए।
(टीचर की बीवी ओर बच्चे लाहौर में रहते है और मदरसा उस जगह से 40-45 km दूर था। टीचर फ्राइडे को ही घर जाते थे बाकी दिन वो मदरसे के कमरे में ही रहते थे)
मैं टीचर को देखकर थोड़ा छिप गयी और इंतज़ार करने लगी कि कब टीचर वापस आते हैं
मैं फिर से बहकने लगी थी, मेरा दिल धड़क रहा था। मुझे अच्छे बुरे का ख्याल तो आता और मेरा जिस्म मेरा साथ नही देता, मैं अपनी तालीम, अपना मुकाम सब भूलती जा रही थी, घर पर भाई की नजर ओर इधर मेरी चढ़ती जवानी की डिमांड।
इतने में मुझे टीचर आते दिखाई दिए जो बच्चों की तरफ जा रहे थे।
मैंने थोड़ा इंतजार किया और फिर उस बाथरूम की तरफ चल दी। वहां पहुंच कर मेने दरवाजा खोला और अंदर झांका तो मुझे कुछ ना दिखा। मैंने बाथरूम में चारो तरफ नजर गुमाई तो दीवार पर कुछ चिपचिपा दिखाई दिया जो बहुत ज्यादा था।
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मैंने बाहर आकर इधर उधर नजर दौड़ाई तो कोई दिखाई नही दिया, मैंने तसल्ली की कोई नही है तो वापस बाथरूम में आ गयी और दीवार पर लगे हुए उस चिपचिपे पानी को देखने लगी।
मैंने अपनी उंगली को उस पर फिराया ओर सुंघा तो एक सोंधी की महक मेरे नथुनों में घुस गई।
मैं समझ गयी कि ऐसा ही पानी उस दिन अपने घर के बाथरूम में था। मुझे समझ नही आ रहा था कि ये आता कहाँ से है। क्या ये टीचर की कोई चीज है, क्या वो इसे निकाल कर गए हैं। मुझे नही पता था कि ये चीज आखिर निकलती कहाँ से हैं।
मुझे उसकी महक ने पागल करना शुरू कर दिया और आंखे बंद करके मेने उंगली पर लगे हुए उस चिपचिपी चीज को चाट लिया। उस चीज को जीभ पर रखकर मेने टेस्ट किया को मजे से चटकारे लेकर निगल गयी। अब मेरी निगाहें दीवार पर थी जहां अभी भी ढेर सारा माल पड़ा हुआ था।
मैने दीवार पर लगे पानी पर जीभ फिराई, जिस जबान से मैं दुआएं मांगती थी उससे मैने एक एक करके सारा पानी चाट गयी।
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उस चीज को चाटकर मेरे शरीर मे झुरझुरी सी हुई और फिर शांत हो गयी।
आज एक बार फिर में गुनाहों के दलदल में एक डुबकी लगा चुकी थी और ना जाने कितनी ही डुबकियां मुझे लगानी बाकी थी। मैं वहां से निकल कर घर आ गयी और कमरें में जाकर कपड़े बदले।
कपड़े बदलकर मैने भाई से बात करने की सोची जो हरकत उसने सुबह की थी।
मैं ऊपर भाई के कमरे की तरफ चल दी ओर दरवाजा देखा तो बन्द था और उसमें से हल्की हल्की कराहने की आवाज आ रही थी। में उस आवाज को सुनकर चोंक गयी, कहीं भाई को कोई चोट या बीमार तो नही है जो इस तरह की आवाज निकल रही है अंदर से।
मैंने पहले दरवाजे के की-होल से देखा जहां मुझे पहले भाई का बेड दिखा ओर बेड के पास भाई खड़े थे वो भी नंगे। बेड पर कपड़े जैसी कोई चीज रखी थी।
मैं घबरा गई कि आज भाई नंगे क्यों हैं। मैंने दोबारा की-होल से देखा तो मेरी निगाहें एकाएक भाई की टांगो के बीच गयी जहां भाई कपड़े की तरफ देखकर अपना लन्ड हिला रहे थे ओर कुछ बुदबुदा रहे थे।
मुझे भाई की हरकत ने हैरान कर दिया था। मुझे भाई की वो किचन वाली बात याद आ गयी कि उस दिन भी भाई मुझे घूरते हुए अपना लन्ड मसल रहे थे। मुझे भाई का लन्ड खूंखार लग रहा था जो बिल्कुल डरावना सा था।
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मुझे लन्ड देखकर शर्म आई मैंने निगाहें हटा ली। मेने आगे जानने के लिए की भाई आगे क्या करता है। एक बार फिर से की-होल में निगाहे डाल दी।
अब भाई खड़े थे और वो बेड पे पड़ा कपड़ा उसकी नाक के पास था और उसे सूंघते हुए लन्ड हिला रहे थे। भाई इस बात से बिल्कुल बेखबर लग रहे थे कि कोई आ भी सकता है या बाजी मदरसे से आ सकती है और आवाजे सुन सकती है। कपड़े को सूंघते हुए भाई लगातार लन्ड हिला रहे थे। मैंने भाई के मुँह पर निगाहे डाली जहां भाई उस कपड़े को अब चाट रहे थे।
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ओर अचानक ही वो कपड़ा मुझे जाना पहचाना लगा
जी हाँ ये तो मेरा ही कपड़ा है और वो भी मेरी शर्मगाह को ढकने वाला कपड़ा। जिस को मैं सुबह कमरे में उतार कर गयी थी और अपने बेड के नीचे रख दिया था छिपाकर।
मुझे भाई की इस हरकत ने शॉक में ला दिया ओर मैं दौड़ कर अपने कमरे में आई और बेड के नीचे नजर दौड़ाई तो वहां मेरी कच्छी नही थी।
मुझे अब विश्वास हो गया कि भाई मेरी कच्छी के साथ ही गलत हरकत कर रहे हैं।
मैं फिर दौड़ कर की-होल पर गयी और अंदर देखने लगी जहां भाई तेज़ तेज़ लन्ड हिला रहे थे। उनकी आवाजे अब तेज़ हो चली थी "आहह.हहह..हहह बाजी तुम कितनी प्यारी हो, तुम्हारी चुत की खुसबू ने मुझे पागल कर दिया है। क्या खुसबू है तेरे जिस्म की"
भाई की जुबान पर अपना नाम सुनना मेरे लिए किसी सदमे से कम नही था।
बाजी मुझे तुमसे प्यार हो गया है, बाजी ये गुनाह है लेकिन मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नही रहा, बाजी तुम्हारे मम्मे, तुम्हारी गाँड़ ने मुझे पागल कर दिया है।
बाजी तुम्हारी गाँड़ बहुत सेक्सी है जब तुम चलती हो तो मन करता है तुम्हे पीछे से पकड़ लू अहह बा.ब..ब.जी
ओर भाई ने मेरी कच्छी को लन्ड के सामने किया और एक तेज़ धार मेरी कच्छी पर जाकर गिरी ओर फिर कई सारी पिचकारी भाई के लन्ड से निकलकर मेरी कच्छी पर गिरी ओर कच्छी को लबालब अपने माल से भर दिया।
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अचानक भाई ने दरवाजे के तरफ निगाहें डाली तो उसे एक साया दिखाई दिया जो दरवाजे के नीचे देखने से पता चला।
मैं डर गई कहीं भाई को पता चल जाये कि मैं इसे गंदा काम करते हुए देख रही हूं, मैं दौड़ कर अपने कमरे में आ गयी और दरवाजा बंद करके बेड पर उल्टा लेट गयी और इस हादसे के बारे में सोचने लगी। आज भाई ने मुझे अपनी आंखों में नंगा कर दिया था
जिस संस्कार को मैं खोना नही चाहती उसे मेरा भाई तार तार करने पे तुला हुआ था। कई हादसे ऐसे हो चुके थे जिनमें मेरी खुद की गलती भी थी, चाहे वो भाई का माल चाटना हो या टीचर का माल हो। मुझे भाई के लन्ड से निकलनते माल को देखकर अंदाजा लग गया था कि जो चिपचिपा पानी मेने टीचर के बाथरूम से चाटा था वो लन्ड से ही निकलता है।
मुझे वो बात रह रह कर याद आ रही थी कि मैंने कैसे कुतिया की तरह झुक कर टीचर का माल चाटा था।
मुझ जैसी साफ सुथरी तालीम याफ्ता लड़की कैसे इतना गिर गयी कि गेर मर्द का पानी चाटने की लत लग गयी।
मुझे रोना आ रहा था अपनी हरकतों पर, मेरा जिस्म मुझसे क्या क्या करा रहा था। और रही सही कसर भाई ने पूरी कर दी आज।
मैंने ऊपर वाले कि तरफ देखकर दुआ की ऐ ऊपर वाले मुझे इन गुनाहों से बचा, मैं बहक रही हूं, मैं गंदी होती जा रही हूं।
मे मेली होती जा रही हूं , मेरा भाई ही मुझे गंदा करना चाहता है।
 
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prasha_tam

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बाजी की जुबानी:-
मैं रोजाना की तरह सुबह मदरसे के लिए तैयार हुई, बुर्का पहना ओर नास्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर पहुंची, जहां पहले ही अम्मी अब्बू ओर भाई बैठे थे।
मैं भी उनके साथ बैठ गई और नास्ता करने लगी।
नास्ता करते हुए अचानक ही मेरी निगाहें भाई की तरफ गयी जो मुझे घूर रहे थे, मेने उसकी नजरों का पीछा किया तो वो मेरे सीने की तरफ देख रहे थे।
मुझे भाई की इस हरकत ने फिर से चोंका दिया था, ओर गुस्से में मेरी आँखें आग फेंकने लगी। ये वही भाई था जिसने कल ही मुझसे अपने गुनाहों की माफी मांगी, ओर ये फिर से वही हरकत कर रहा था।
मैंने भाई की तरफ गुस्से से देखा तो उसने अपनी निगाह फेर ली। लेकिन भाई ये हरकतें मुझे अब सोचने पर मजबूर कर रही थी, ऐसी कोनसी खास चीज है मेरे अंदर जो भाई कंट्रोल नही कर पाते अपनी निगाहों को।
मन मे बहुत से सवाल थे, जिन्हें सोचने का फिलहाल समय नही किया, मैंने फटाफट नास्ता किया और अम्मी अब्बू को सलाम करके मदरसे के लिए चल दी।
पूरे रास्ते मैं इसी उधेड़बुन में रही कि क्यों भाई की नजरें मेरे लिए इतनी गंदी हो चली है जो अपनी पाकीजा ओर एक पढ़ी लिखी आलिमा को ही नही बख्स रही।
क्यों भाई मुझे नापाक तरीके से देखता है मेरे अंगों को घूरता है। मुझे उससे बात करनी होगी। ओर अपने सवालों का जवाब लेना होगा।
यही सब सोचते हुए मेरा मदरसा आ गया, मैं सभी लड़कियों के साथ किताबें लेकर बैठ गयी।
सना जो दूर बैठी थी वो मेरे पास आई और दुआ सलाम किया और कहा
सना:- अंजुम आज तुम बहुत प्यारी लग रही है
मैं:- ऐसी क्या बात है सना मैं तो रोज ऐसे ही आती हूँ
सना:- नही अंजुम आज तुम ज्यादा ही प्यारी लग रही हो, सभी लड़कियां तुम्हारी खूबसूरती से जलती हैं।
मैं:- मैंने उनकी पीठ पर मुक्का मारा " तुम भी सना मुझसे मजाक करती करती हो"
सना:- सच मे अंजुम तुम वाक़ई में बहुत खूबसूरत हो।
मैं:- चल छोड़ सना अपना सबक याद करो, हमारा नम्बर आने वाला है। बारी बारी सभी लड़कियों ने सबक सुनाया ओर फिर मेरा भी नम्बर आ गया।
मैंने सबक सुनाया ओर घर की तरफ चल दी।
जैसे ही मैं मदरसे के आखरी गेट पर पहुंची मुझे मौलवी साहब की बाथरूम वाली घटना याद आ गयी।
मेरा मन अब अपने काबू से बाहर हो चला था। मेरा जिस्म मुझे बार बार उस बाथरूम की तरफ जाने को कह रहा रहा।
आखिर मैं वापस मदरसे के बाथरूम की तरफ चल दी, मैंने सोचा पहले लड़कियों वाले बाथरूम में जाकर पेशाब कर लेती हूं। मैं लड़कियों वाले बाथरूम गयी और पेशाब किया। पेशाब से फारिक होकर में अभी दरवाजे तक आई थी के मुझे मौलवी साहब अपने पर्सनल बाथरूम की तरह जाते हुए दिखाई दिए।
(मौलवी साहब की बीवी ओर बच्चे लाहौर में रहते है और मदरसा उस जगह से 40-45 km दूर था। मौलवी साहब जुम्मा को ही घर जाते थे बाकी दिन वो मदरसे के कमरे में ही रहते थे)
मैं मौलवी साहब को देखकर थोड़ा छिप गयी और इंतज़ार करने लगी कि कब मौलवी साहब वापस आते हैं
मैं फिर से बहकने लगी थी, मेरा दिल धड़क रहा था। मुझे अच्छे बुरे का ख्याल तो आता और मेरा जिस्म मेरा साथ नही देता, मैं अपनी तालीम, अपना मुकाम सब भूलती जा रही थी, घर पर भाई की नजर ओर इधर मेरी चढ़ती जवानी की डिमांड।
इतने में मुझे मौलवी साहब आते दिखाई दिए जो बच्चों की तरफ जा रहे थे।
मैंने थोड़ा इंतजार किया और फिर उस बाथरूम की तरफ चल दी। वहां पहुंच कर मेने दरवाजा खोला और अंदर झांका तो मुझे कुछ ना दिखा। मैंने बाथरूम में चारो तरफ नजर गुमाई तो दीवार पर कुछ चिपचिपा दिखाई दिया जो बहुत ज्यादा था।
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मैंने बाहर आकर इधर उधर नजर दौड़ाई तो कोई दिखाई नही दिया, मैंने तसल्ली की कोई नही है तो वापस बाथरूम में आ गयी और दीवार पर लगे हुए उस चिपचिपे पानी को देखने लगी।
मैंने अपनी उंगली को उस पर फिराया ओर सुंघा तो एक सोंधी की महक मेरे नथुनों में घुस गई।
मैं समझ गयी कि ऐसा ही पानी उस दिन अपने घर के बाथरूम में था। मुझे समझ नही आ रहा था कि ये आता कहाँ से है। क्या ये मौलवी साहब की कोई चीज है, क्या वो इसे निकाल कर गए हैं। मुझे नही पता था कि ये चीज आखिर निकलती कहाँ से हैं।
मुझे उसकी महक ने पागल करना शुरू कर दिया और आंखे बंद करके मेने उंगली पर लगे हुए उस चिपचिपी चीज को चाट लिया। उस चीज को जीभ पर रखकर मेने टेस्ट किया को मजे से चटकारे लेकर निगल गयी। अब मेरी निगाहें दीवार पर थी जहां अभी भी ढेर सारा माल पड़ा हुआ था।
मैने दीवार पर लगे पानी पर जीभ फिराई, जिस जबान से मैं दुआएं मांगती थी उससे मैने एक एक करके सारा पानी चाट गयी।
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उस चीज को चाटकर मेरे शरीर मे झुरझुरी सी हुई और फिर शांत हो गयी।
आज एक बार फिर में गुनाहों के दलदल में एक डुबकी लगा चुकी थी और ना जाने कितनी ही डुबकियां मुझे लगानी बाकी थी। मैं वहां से निकल कर घर आ गयी और कमरें में जाकर कपड़े बदले।
कपड़े बदलकर मैने भाई से बात करने की सोची जो हरकत उसने सुबह की थी।
मैं ऊपर भाई के कमरे की तरफ चल दी ओर दरवाजा देखा तो बन्द था और उसमें से हल्की हल्की कराहने की आवाज आ रही थी। में उस आवाज को सुनकर चोंक गयी, कहीं भाई को कोई चोट या बीमार तो नही है जो इस तरह की आवाज निकल रही है अंदर से।
मैंने पहले दरवाजे के की-होल से देखा जहां मुझे पहले भाई का बेड दिखा ओर बेड के पास भाई खड़े थे वो भी नंगे। बेड पर कपड़े जैसी कोई चीज रखी थी।
मैं घबरा गई कि आज भाई नंगे क्यों हैं। मैंने दोबारा की-होल से देखा तो मेरी निगाहें एकाएक भाई की टांगो के बीच गयी जहां भाई कपड़े की तरफ देखकर अपना लन्ड हिला रहे थे ओर कुछ बुदबुदा रहे थे।
मुझे भाई की हरकत ने हैरान कर दिया था। मुझे भाई की वो किचन वाली बात याद आ गयी कि उस दिन भी भाई मुझे घूरते हुए अपना लन्ड मसल रहे थे। मुझे भाई का लन्ड खूंखार लग रहा था जो बिल्कुल डरावना सा था।
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मुझे लन्ड देखकर शर्म आई मैंने निगाहें हटा ली। मेने आगे जानने के लिए की भाई आगे क्या करता है। एक बार फिर से की-होल में निगाहे डाल दी।
अब भाई खड़े थे और वो बेड पे पड़ा कपड़ा उसकी नाक के पास था और उसे सूंघते हुए लन्ड हिला रहे थे। भाई इस बात से बिल्कुल बेखबर लग रहे थे कि कोई आ भी सकता है या बाजी मदरसे से आ सकती है और आवाजे सुन सकती है। कपड़े को सूंघते हुए भाई लगातार लन्ड हिला रहे थे। मैंने भाई के मुँह पर निगाहे डाली जहां भाई उस कपड़े को अब चाट रहे थे।
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ओर अचानक ही वो कपड़ा मुझे जाना पहचाना लगा
जी हाँ ये तो मेरा ही कपड़ा है और वो भी मेरी शर्मगाह को ढकने वाला कपड़ा। जिस को मैं सुबह कमरे में उतार कर गयी थी और अपने बेड के नीचे रख दिया था छिपाकर।
मुझे भाई की इस हरकत ने शॉक में ला दिया ओर मैं दौड़ कर अपने कमरे में आई और बेड के नीचे नजर दौड़ाई तो वहां मेरी कच्छी नही थी।
मुझे अब विश्वास हो गया कि भाई मेरी कच्छी के साथ ही गलत हरकत कर रहे हैं।
मैं फिर दौड़ कर की-होल पर गयी और अंदर देखने लगी जहां भाई तेज़ तेज़ लन्ड हिला रहे थे। उनकी आवाजे अब तेज़ हो चली थी "आहह.हहह..हहह बाजी तुम कितनी प्यारी हो, तुम्हारी चुत की खुसबू ने मुझे पागल कर दिया है। क्या खुसबू है तेरे जिस्म की"
भाई की जुबान पर अपना नाम सुनना मेरे लिए किसी सदमे से कम नही था।
बाजी मुझे तुमसे प्यार हो गया है, बाजी ये गुनाह है लेकिन मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नही रहा, बाजी तुम्हारे मम्मे, तुम्हारी गाँड़ ने मुझे पागल कर दिया है।
बाजी तुम्हारी गाँड़ बहुत सेक्सी है जब तुम चलती हो तो मन करता है तुम्हे पीछे से पकड़ लू अहह बा.ब..ब.जी
ओर भाई ने मेरी कच्छी को लन्ड के सामने किया और एक तेज़ धार मेरी कच्छी पर जाकर गिरी ओर फिर कई सारी पिचकारी भाई के लन्ड से निकलकर मेरी कच्छी पर गिरी ओर कच्छी को लबालब अपने माल से भर दिया।
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अचानक भाई ने दरवाजे के तरफ निगाहें डाली तो उसे एक साया दिखाई दिया जो दरवाजे के नीचे देखने से पता चला।
मैं डर गई कहीं भाई को पता चल जाये कि मैं इसे गंदा काम करते हुए देख रही हूं, मैं दौड़ कर अपने कमरे में आ गयी और दरवाजा बंद करके बेड पर उल्टा लेट गयी और इस हादसे के बारे में सोचने लगी। आज भाई ने मुझे अपनी आंखों में नंगा कर दिया था
जिस पाकीजगी मैं खोना नही चाहती उसे मेरा भाई तार तार करने पे तुला हुआ था। कई हादसे ऐसे हो चुके थे जिनमें मेरी खुद की गलती भी थी, चाहे वो भाई का माल चाटना हो या मौलवी साहब का माल हो। मुझे भाई के लन्ड से निकलनते माल को देखकर अंदाजा लग गया था कि जो चिपचिपा पानी मेने मौलवी साहब के बाथरूम से चाटा था वो लन्ड से ही निकलता है।
मुझे वो बात रह रह कर याद आ रही थी कि मैंने कैसे कुतिया की तरह झुक कर मौलवी साहब का माल चाटा था।
मुझ जैसी पाकीजा, मजहबी तालीम याफ्ता लड़की कैसे इतना गिर गयी कि गेर मर्द का पानी चाटने की लत लग गयी।
मुझे रोना आ रहा था अपनी हरकतों पर, मेरा जिस्म मुझसे क्या क्या करा रहा था। और रही सही कसर भाई ने पूरी कर दी आज।
मैंने ऊपर वाले कि तरफ देखकर दुआ की ऐ मेरे रब मुझे इन गुनाहों से बचा, मैं बहक रही हूं, मैं गंदी होती जा रही हूं।
मेरा पाकीजगी का दामन मेला होता जा रहा है, मेरा भाई ही मुझे नापाक करना चाहता है।
Superb and Fantastic update :superb:👌
Please continue 👍
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