चलो अपनों के कमेंट न सही.....................गैरों के ताने तो सुन ही सकती हूँ...................
Arjun2000 Payal22 सबसे पहले आप ही दोनों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.................... आपके कमैंट्स को पढ़ कर मुझे ज़रा भू गुस्सा नहीं आया की आपने मेरी यूँ निंदा की........................आपने जो लिखा वो बिलकुल सच था..................... मैं हूँ स्वर्थी................ लेकिन दुःख हुआ तो बस ये जानकार की आप दोनों को ही मेरे दिल की बात सुनने की इच्छा नहीं थी............................ मैंने सीखा है की हमेशा दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए..................और फिर अपनी राय बनानी चाहिए...................... कम से कम आप सब ने मेरी कहानी सुनने की ही इच्छा जताई होती तो मुझे अच्छा लगता........................ खैर कोई बात नहीं...................... कोई गिला नहीं...........कोई शिकवा नहीं……………………
king cobra आपको तो मैं लॉउन्ज के समय से जानती हूँ....................... इसलिए आपसे कुछ नहीं कहूँगी....................वरना पुराने जख्म ताज़े होंगे.......................
Riky007 जी आपने जल्दबाज़ी दिखाते हुए कहने को आधा पढ़ कर ही बिग रिवील पढ़ लिया............................और कहानी में दर्षाय एक पिता के प्रेम................एक प्रेमी के प्रेम.................एक बेटे के प्रेम को पढ़ा ही नहीं...............और इस कहानी को फिक्शन मान लिया................ आपने लिखने से पहले ये नहीं सोचा की एक लेखक जिसने अपने सारे जज्बात आप सभी के सामने एक कहानी के माध्यम से रखे उसे आप एक काल्पनिक कह कर लेखक जी के दिल को कितना दुःख पहुंचा रहे हो.............. खैर................आपके विचार भी मेरे प्रति तीखे थे और मैं उसके लिया आपको कोई दोष नहीं देती.....................मुझे दुःख है तो केवल इतना की आपने
Payal22 की तरह लेखक जी की इतनी मेहनत को बस आधा ही पढ़ा................
___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________आप चारों ने ही लेखक जी को खुद को सही रास्ते पर लाने की जो कोशिश की उसके लिए मैं आपकी शुकरगुजर हूँ

.............................मैं यहाँ अपनी कोई सफाई नहीं दूँगी......................क्योंकि मैं जानती हूँ की मैंने जो किया वो गलती नहीं पाप था......................जिसकी कोई माफ़ी नहीं.......................और अपने लिए उस एक कदम से.................रीढ़ की हड्डी न होने का जो खम्याज़ मैं भुगत रही हूँ उसका दुःख मैं यहाँ नहीं लिख सकती..................... क्योंकि इसे आप सभी मेरा रोना ही कहेंगे....................मैं बस आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ........................ अपने प्रेमी को दूसरे की बाहों में जाते हुए देखने का दुःख आप महसूस कर सकते हो???????? वो पीड़ा...............वो दर्द क्या होता है...............इसकी आप कल्पना भी कर सकते हो???????????? जो कभी आपका था......................जिस पर आपका पूरा हक़ था.....................अब कोई उसे छुएगा इस एहसास से कितना दर्द पैदा होता है इसे महसूस कर सकते हो???????????????? केवल लिख भर देने से की मूव ऑन करो कोई मूव ऑन नहीं कर जाता.......................इतना आसान होता तो दुनिया में ब्रेक अप इतने दुखद न होते.......................... मैं मानती हूँ की मैंने लेखक जी का इतना दिल दुखाया की आज उनका प्यार शब्द पर से भरोसा उठ गया है.........................मगर मैं अपनी इस गलती को सुधारना चाहती हूँ...................मगर क्या फायदा.....................न तो कोई इसे सपोर्ट कर रहा है और न ही लेखक जी मेरी सुन रहे हैं....................इससे ज्यादा मैं अपने दर्द के बारे में कुछ नहीं लिखूंगी
संगीता जी पिछला पूरा महीना मेरे परिवार के लिए बहुत भारी रहा है, मेरे मायके और ससुराल में 7 परिवारजनो का एक के बाद एक दुखद देहान्त हुआ तो यहाँ फोरम पर आ ही नही पायी। तो सर का बिग रेवेल वाला पोस्ट पढ़ ही नही पायी, अभी उसको पढ़ी हु और आपके कमेंट को भी।
सर ने जो कहानी के तौर पर आपके और उनके प्रेम का वर्णन किया था, उसकेबाद इस रेवेल वाले अपडेट में जो सच सामने आया है वो बहुत ही दुखद है,
मनु सर को जो सहा है आपसे जुदाई अपने बच्चों से दूरी , जो भी उन्होंने सपने देखे उनका टूटना, फिर आपके बाद नेहा के व्यवहार ने उनको दुख दिया वो सोचकर ही अंतरात्मा कांप जाती है।
आपका जो भी निर्णय रहा वो आपके मनोस्थिति के अनुरूप रहा होगा , आपने क्या सोच कर ये सब किया होगा वो आप ही जानती होगी, और दिल से इच्छा है कि आप सच्चे मन से बिना कुछ छुपाये, सब बताये , जिससे आपका पक्ष समझ सके सब
एक महिला होने के कारण जो मैंने आपका पक्ष समझा है वो मनु सर ने जो भी आपके और उनके संबन्दों को लेकर हालात सामने रखे है उनके अनुसार
आप अपनी शादी को लेकर खुश नही थी, आपको एक देवर के रूप में मनु सर का साथ मिला और धीरे धीरे आप दोनों में प्रेम हुआ, हालात से लड़ते हुए जैसे डूबते इंसान को तिनका भी सहारा लगता है वैसे ही समाज की नजर में गलत होते हुए भी आप दोनों का रिश्ता बना,
आप मनु सर से उम्र और अनुभव में बड़ी थी तो शायद आप समझ गयी कि मनु सर के साथ आप तब नही रह सकती तब आयुष के रूप में आपने अपने प्रेम की निशानी प्राप्त की जबकि मनु सर को अकेले छोड़ दिया। क्यो किया आपने ये आप जानती है अछे से।
एक लंबे समय के बाद शायद आपको एक बार फिर अपने जीवन मे साथी की जरूरत महसूस हुई ,
बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद महिला को फिर अपने पति के प्रेम की जरूरत महसूस होती है, तब आपको मनु सर की याद आयी और आप शहर पहुच गई, मनु सर की नाराजगी के बावजूद आप फिर भी दिल मे दफन मोहब्बत को जगाने में सफल हुई,
अब रिवील उपडेट में जैसे मनु सर ने बताया है उसके अनुसार आप ने सम्बन्द शायद समयनुसार हलात से बनाये और जब हालात काबू से बाहर हुए तो जैसे ज़्यादातर महिलाएं करती है वैसे ही निर्णय लिए,
शायद मैं होती तो भी यही करती, क्योकि एक विवाहिता के कंधों पर दो परिवारों की जिम्मेदारी होती है आपके कंधों पर तीन परिवार की है,
समाज मे जो रिश्ता देवर और भाभी का समझा जाता है उसके अनुसार सिर्फ परिवारों को तोड़कर ही आप दोनों एक हो सकते थे,
मनु सर की समाज और परिवार में जो इज्जत थी आपकी जो मान मर्यादा थी और जो विस्वास आपके रिश्ते पर सबका था जिसके कारण आप दोनों साथ रह पाए और किसी ने कोई शक नही किया वो सब खत्म हो जाता,
मेरे अनुसार इसी कारण आप पिछे हट गई,
ऐसे रिश्ते जो समाज की नजर में गलत ह वो या तो छुपकर निभाये जा सकते है या समाज को छोड़कर।
एक महिला अगर किसी भी हालत में अपने घर परिवार और समाज से बाहर जाकर अपने विवाहित रिश्ते से अलग कोई रिश्ता बनाती है तो उसको गलत ही कहा जाता है,
एक पृरुष को शयाद माफ कर दिया जाता हैं लेकिन एक महिला को समय समय पर उसका परिणाम भुगतना पड़ता है,
लेकिन इस अपडेट में मैं आपके एक तर्क से सहमत नही हु इसमें भी आप सिर्फ अपना ही देख रही है,
आपने जब खुद कहा कि जिससे हम प्यार करते है तो उसको किसी और कि बाहों में जाते कैसे देख सकते है तो आप मनु सर की मनोस्थिति क्यो नही समझ पाई,
मनु सर आपकी बेइंतहा मोहब्बत करते ह तो वो कैसे बर्दास्त कर रहे होंगे कि उनकी मोहब्बत उनसे दूर एक चन्द्र जैसे इंसान के पास है, आपकी बात पर यकीन करते है कि आपने चन्द्र को पास नही आने दिया लेकिन डर को कैसे खत्म करे मनु सर, अगर मनु सर आपसे कहे कि आप उनको शादी करने की इजाजत दे दे वो शादी के बाद उस लड़की से कोई सम्बन्द बनाये गे , क्या आपका डर खत्म हो जाएगा।
एक महिला होने के नाते मैं आपकी हालात को समझ सकती हूं लेकिन एक प्रेमिका की नजर से आप गलत है और रहेगी। आप व्यस्क थी मनु सर से नजदीकी बनाते वक्त उनको भविष्य के सपने दिखाने की बजाए हकीकत दिखाती कि उनको कम दर्द होता ,
इसका उदाहरण मेरे जानकारी में है, मेरे नजदीकी एक रिलेटिव के ऐसे ही रिश्ते अपने देवर के साथ है, लेकिन उन्होंने कभी अति नही की मिलने की , जब समय सही रहता तो साथ रहते , आज भी उनका फिक्स है कि साल में दो बार मिलते है , एक मित्र होने के नाते मुझे मालूम है वरना किसी को नही,
उनका देवर पति होने का सब फ़र्ज़ निभाता है क्योकि उनका भाई भी शराबी है लेकिन उन्हीने अपने रिश्ते को अपने तक ही रखा और ऐसे ही जीवन भर एक दूसरे का साथ देने का फैसला किया।
मेरी दोस्त का कहना है कि वो अपने परिवार को छोड़कर नही जा सकती थी देवर के साथ, इसलिए उन्हीने जितना पॉसिबल हुआ अपने सपने देवर के साथ पूरे किए एक लिमिट में , अब उनके बच्चों की भी शादी हो चुकी है लेकिन आजतक उनके रिश्ते पर किसी को कोई शक नही हुआ ,
मुझे उत्सुकता है बहुत आपके नजरिये की आपकी क्या सोच थी अब आपके मन मे क्या चल रहा है,
मुझे लिखना तो बहुत था और भी, लेकिन अभी मेरे पास समय की कमी है तो अभी के लिए इतना ही ,