UPDATE 18
बुआ के हटते ही पापा की नजर मम्मी पर गई और उनकी नजर जैसे ही पापा से मिली मम्मी लाज से अपनी नंगी छातियां ढक ली , लेकिन नजारा अभी आर पार था , कसा कसी में मम्मी के निप्पल कड़े और तने हुए थे
आंखों ही आंखों में दोनों के कुछ इशारे हुए और पापा मम्मी की ओर बढ़े , मम्मी खिलखिलाती हुई दूसरे कमरे की ओर भागी और इधर पापा उनके पीछे , काफी देर तक मम्मी की खिलखिलाहट और सिसकिया आती रही ।
बबली दीदी , मम्मी का हाल देख कर शर्म से हट गई वहां से लेकिन मै जमा रह गया और दबे पाव बुआ जिस कमरे में गई थी उनकी ओर गया
बाहर से अंदर झांका तो आंखे सन्न बुआ की मोटी मोटी चूचियां अबीर से सराबोर सनी हुई ब्लाउज से बाहर थी और बुआ बस चुपचाप मुस्कुरा कर कान बगल वाले कमरे की ओर लगाए खड़ी थी
मैने भी मम्मी की सिसकिया सुनी साफ था पापा मम्मी को अच्छे से मसल रहे थे , लेकिन मम्मी की शरारतें कहा रुकने वाली थी वो भी होली के दिन
" अह्ह्ह्ह सीईईईईई अब क्या अपने दीदी जितना बड़ा करके ही छोड़ोगे क्या हीहीही "
" तू न बहुत बोलती है , आज आई है हाथ जम के मसलूंगा इन्हें अह्ह्ह्ह्ह"
" ओह्ह्ह्ह दीदी के पिछवाड़े में रगड़ रगड़ खड़ा किए हो और बदला मुझसे , ये तो गलत है न रोहन के पापा अह्ह्ह्ह हीही उम्मम अंदर नहीं अह्ह्ह्ह , साड़ी बिगड़ जाएगी ओह्ह्ह सीईईई "
पापा मम्मी की रसदार बातें सुनकर बुआ को हंसी आ रही थी और उनके कड़े हुए रंगीन निप्पल देख कर मेरा लंड अकड़ गया था
" तो अब क्या बदला दीदी से लेने जाऊ उम्मम ओह्ह्ह्ह कुसुम कितने मुलायम है अह्ह्ह्ह "
" हीही धत् गंदे अह्ह्ह्ह छोड़ो न जाकर अपनी दीदी का पिछवाड़ा रंगो , मेरे से ज्यादा बड़े और मुलायम हीहीही "
मम्मी की बात सुनकर बुआ शर्म से आंखे बंद कर हसने लगी और शायद वो भी इस पर मेरी तरह पापा की बात सुनना चाहती थी कि अब पापा क्या कहेंगे
" पहले तू तो लगवा ले मेरी जान जैसे उनकी छाती रंगवाई है तुझसे पकड़ कर , वैसे चूतड़ भी रंगवा दूंगा तुझसे ओह्ह्ह्ह "
" अब बस भी करो अह्ह्ह् उम्ममम सीईईई नहीं रखो न उसको अंदर क्या आप भी इतना जल्दी "
" कर दे न कुसुम "
पापा के रिरिकने की आवाज आई और बुआ की आंखे बड़ी होने लगी , हम दोनो समझ रहे थे कि पापा की डिमांड क्या होने वाली है
" धत्त नहीं, जाओ उससे कहो जिसने इसे खड़ा आह्ह्ह्ह नहीं रोहन के पापा उम्ममम कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह उम्ममम "
इधर बुआ के निप्पल और कड़े हो गए और उन्हें सिहरन सी होने लगी और मेरा लंड एकदम टाइट
" अब उनसे कैसे कहूं कि दीदी चूस दो , पागल है क्या सीईईई कर दे न कुसुम बस थोड़ा सा "
" बस थोड़ा न ... हीही , लेकिन एक शर्त है ? "
" क्या ? "
" अपने दीदी के दूध में रंग लगाना पड़ेगा हीही "
" तू पागल है क्या अह्ह्ह्ह कुसुम ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना नर्म होठ है तेरे ओह्ह्ह्ह आराम से ओह्ह्ह्ह "
अब तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैने बुआ वाले कमरे से लपक कर अपने कमरे की ओर बढ़ने लगा क्योंकि आज ये नजारा नहीं छोड़ने वाला था
कमरे का दरवाजा थोड़ा ही खुला था लेकिन सारे कांड दरवाजे की आड़ में दूसरी तरफ हो रहे थे , पापा की सिसकिया तेज थी और मेरा लंड लोई में एक अकड़ा हुआ था , उनकी उफनाती सांसों की बेचैनी साफ साफ पता चल रही थी
मै और देर रुकता लेकिन शायद बुआ भी अपने आप को बहुत देर तक कमरे में रोक नहीं पाई थी और जैसे ही उनके कमरे से बाहर आने की आहट हुई मै वहा से घूम गया बाथरूम की ओर
सच कहूं तो एकदम से फट ही गई थी
बुआ ने भी मुझे देखा और मै थोड़ा देर बाथरूम में पानी चालू करके राह देख रहा था कि क्या करु , कही बुआ कोई सवाल जवाब न करें
लेकिन शायद आज किस्मत मेहरबान थी और हाल में कुछ चहल पहल होने लगी , कुछ औरतों की खिलखिलाहट और हसने की आवाज आने लगी , जरूर मुहल्ले की औरतें रही होगी
बुआ ने मम्मी को आवाज दी और मम्मी ने वापस आवाज दी
मैने बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाहर देखा और हल्की गुलाबी साड़ी में एक रंगों से नहाई औरत को देखते ही मेरी हिक्की बंध गई और उसने भी इधर उधर देख कर मुझे ही खोजा था शायद , उसके मुस्कुराते हुए चेहरे और शरारती तेज आंखों की रडार से बचने का एक ही तरीका था कि खुद को बाथरूम में क्वारन्टिन कर लिया है
एक लंबी गहरी सांस
" उफ्फ बहिन चोद , ये तो नीतू भाभी है , ये यहां क्या कर रही है "
नीतू भाभी
मै क्या मुहल्ले के लगभग सभी कोरे लौंडो की एक तरह से फटती थी उनसे , वजह वो नहीं बल्कि उनकी सास थी , मेरे घर के पीछे के मुहल्ले में विमला काकी की पतोह थी । पेशे और जात से विमला काकी नाउन थी , शादी ब्याह कथा वार्ता में मुहल्ले का शायद ही कोई घर उन्हें न बुलाए । एकदम फूहड़ औरत , याद है मुझे 10वीं के बोर्ड के समय जब पड़ोस के एक घर में शादी थी और तिलक लेकर लड़की वाले आए थे , विमला काकी ने जो सारे तिलकहरुओ की मां बहन की थी पूछो मत , एक एक निवाले पर सबकी मां बहनों पर 20 20 गदहे और घोड़े चढ़वाई थी वो , उसी समय पहली बार अपनी छत से आंगन में विमला काकी के पतोह नीतू भाभी की झलक देखी थी ।
पतली कमर चर्बीदार कूल्हे , गुदाज पेट और नारियल जैसे कड़क चूचे और घूंघट में झांकती मोती जैसे दांतों वाली मीठी सी मुस्कान , पहली बार अपनी सास का हाथ बटाने आई थी गांव से । सबने बड़ी तारीफ की और जब गाने बैठी तो क्या गीत गाया , विमला काकी का पर्स छोटा पड़ गया लेकिन विदाई भरपूर मिली । फिर तो आस पास के मुहल्ले के लोगों ने भी डिमांड कर दी कि बहु को जरूर ले आए
कुछ ही महीनों में फेमस हो गई और याद है जब मैने 12वीं की परीक्षा पास की थी और मेरे घर में एक पूजन का आयोजन रखा गया था । मम्मी ने भी जिद कर दी थी कि नीतू भाभी आएंगी और बिना उनके गीत गाने के कार्यक्रम शुरू नहीं होगा
विमला काकी ने मुझसे कहा कि जाऊ और उनकी पतोह को बुला लाऊ घर से ।
निकल पड़ा था मै तेजी से उनके घर की ओर , जिस रोज से उन्हें देखा था नजरे फेरने जी नहीं चाहता था , वो गोरा पेट और पल्लू के नीचे झांकती चर्बीदार नाभि , ब्लाउज में तने हुए नुकीले दूध और मीठी सी मुस्कान
कभी कभी मै राह देखता था और उन्हें देखने के लिए बाजार जाने के उनके मुहल्ले से रास्ता बदल कर जाता था ।
झलक मिलती भी तो नजरे उठा कर देखने की हिम्मत नहीं हो पाती थी , बदलते वक्त ने उनकी कूल्हे की चौड़ाई और गोद में साल भर की बच्ची आने से रसीले मम्में तो अब फूल कर खरबूजे हो गए थे । वजन भी बढ़ गया था थोड़ा डिलेवरी के बाद से जिससे चेहरे का निखार और भी दूधिया हो गया था । कितनी दफा उनके चर्बीदार चूतड़ों की मादक थिरकन देख कर मैने आह भरी थी लेकिन कभी हिम्मत करके सामने से बात नहीं कर पाया , वो भी कम चतुर औरत नहीं थी कितनी बार मुझे अपने चौखट से गुजरते देखा और मुझसे आंखे मिली थी । मुस्कुराती लेकिन कुछ कहती नहीं थी वो भी ।
लेकिन उस रोज मुखातिब होने का मौका भी था और दस्तूर भी
बरामदा खाली था , मुहल्ले में भी शांति थी क्योंकि ज्यादातर औरतें मेरे घर ही जमा हुई थी । बरामदे के साइड में गलियारे से मै अंदर चला गया
अजीब सी महक थोड़ी थोड़ी तेल वाली , जैसे अभी अभी बच्चे की मालिश की गई हो
मैने एक बार आवाज लगाई भाभी कह कर और आंगन में दाखिल हो गया , सामने फर्श पर देखा तो आंखे जम गई । नीतू भाभी अपने ब्लाउज खोलकर अपनी गोद में ली हुई बच्ची को दूध पिला रही थी ।
एकदम से चौक कर वो हड़बड़ाई और मैने भी नजरे फेरी और जल्दी से उन्हें घर आने का बोलकर निकल गया तेजी से अपने घर , रास्ते भर लंड अंगड़ाई लेता रहा उनके रसीले मम्मे को सोच , जब वो आई घर तो भी मैने उनसे कतराता और छिपता रहा लेकिन जब पूजन खत्म होने के बाद आरती लेने की बारी आई तो आमना सामना हो गया , फिर वो जो मुस्कुराई और मै खुद को मुस्कुराने से रोक नहीं पाया । फिर वो हल्की से अपने होठों से बुदबुदाई
" छीनरूं "
मैने आंखे उठा कर उन्हें देखा कि अभी अभी वो गाली देकर गई थी और फिर कुछ देर बाद मुझे देर कर फूट कर हंसी । मै चुप हो गया अच्छा नहीं लगा उस रोज ये शब्द मुझे , फिर तो कुछ हफ्ते तक मै उनके मुहल्ले में घुसा भी नहीं था ... एक रोज ऐसे ही बाजार में उनसे भेंट हो गई और उनकी सब्जी का झोला भारी था ।
" अरे सुनो रोहन बाबू , घर चल रहे हो क्या "
" जी कहिए " , नजरे मिला कर फिर नजरे चुराने लगा । कारण वो साफ जानती थी लेकिन उनकी मुस्कुराहट रुकने वाली नहीं थी
" थोड़ा हेल्प करेंगे .... अम्मा गांव गई है और मुझे अकेले आना पड़ा आज "
मैने भी झोला उठा दिया और साथ में चल दिया , बाजार से निकल कर जब हम दोनो उनके गलियारे में आए तो भरे सन्नाटे में उन्होंने सवाल कर ही लिया
" ये रास्ता भूल गए क्या अब , दिखते नहीं "
मन में गुलगुले फूटे कि चलो कम से कम आंखों के गड़ा हो हूं याद तो हूं , लेखी अगले पल वो गाली " छीनरू" याद आई और मन फीका सा हो गया ।
" अच्छा ठीक है उस रोज के लिए सॉरी "
मन पिघल गया मेरा चलो कम से कम गलती तो याद है
" अरे दादा अब क्या पैर पकड़ लूं "
" हीही नहीं भाभी वो.. "
" हंसते भी हो ! , मुझे लगा सिर्फ आंखों से ही बात करना आता है तुम्हे , आओ चलो अंदर "
" अंदर ? " , हलक सूखने लगा और वो यादें ताजा होने लगी जब फर्श पर उस रोज उन्हें अपनी बच्ची को दूध पिलाते देखा था
" हा और क्या ? नहीं तो सेठानी कहेंगी मेरे बेटे को दूह ली और एक कप चाय भी नहीं पूछा मैने , आओ अंदर "
मै मुस्कुरा कर चल दिया , आंगन में आते ही सामने नजर फर्श पर गई और उन्होंने भी मुझे उसे घूरते देखा फिर मुस्कुराई
मै शर्मा गया और उसी एक सोफे पर जगह बैठ गया
वो पानी लाई और फिर चाय रखने लगी , आंगन में अरगन पर लहराती उनकी साड़ी ब्लाउज देख कर मेरी चंचल निगाहों के पूरे घर का मुआयना कर उनकी ब्रा पैंटी खोजने लगी , तभी नजरे बाथरूम पर गई , बारिश का मौसम था पेशाब भी लगी थी
वो चाय बनाने में लगी थी और मै लपक कर बिना बोले बाथरूम में घुस गया
लंबी मोटी धार के साथ एक लंबी गहरी आह आंखे खोला तो सामने वाल हैंगर पर मैचिंग ब्रा पैंटी, रोक नहीं पाया ब्रा का लेबल पढ़ने से 36DD उफ्फ कितनी फूली हुई चुची है इनकी पैंटी भी 38 नंबर की थी ।
बाहर से आवाज आई और मैने झटके में उनकी मुलायम पैंटी को छोड़ कर लंड झाड़ कर फ्लश दबा कर बाहर आया
सामने वो चाय की ट्रे लेकर खड़ी ... और नजरे उसकी सीधे मेरे पैंट पर गई रॉड जैसा टाइट लंड पैंट में उभर आया
" इतना अंधेरा था तो बत्ती जला लेते , इतनी बड़ी टॉर्च लेकर जाने की क्या जरूरत थी "
उनका निशाना अचूक , समझ गया कि तेज औरत है बस पर्दे का लिहाज है और मुस्कुरा कर सोफे पर बैठ गया
चाय ट्रे से उठाई और एक सीप लिया ही था कि उसने टोका
: हाय दैय्या, गलती हो गई
मैने आंखे उठा कर उन्हें देखा
: अरे वो वाली मेरी जूठी थी
मेरी हिक्की बंध गई और चाय तो अबतक गले से उतर नीचे और उसने एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास की , मैने भी मुस्कुरा कर चाय की सीप लेने लगा । चाय खत्म कर मै उठा और जाने लगा
" अच्छा सुनो " , रोका उन्होने.
" हा कहिए "
वो थोड़ा मुस्कुराई और फिर चुप होकर आंखे मलका कर मुझे देखा , मैने भी उनकी बातों की राह देखी और फिर उन्होंने पूछ ही लिया : उस दिन जो देखा किसी को कहा तो नहीं
मेरी सांसे अटक गई कि ये सवाल क्यों ?
" नहीं तो ? "
" नहीं तुम लड़कों का क्या भरोसा , शेखी बघार लो अपने दोस्तों में"
" बक्क मै ये सब नहीं करता और उस रोज भी मै बस गलती से .... "
" अच्छा ठीक है ... कौन सा मेरे छोटे हो गए जो तुमने देख लिए हीही .... लेकिन आना जाना तो मत छोड़ो "
" क्यों ? मेरा क्या काम "
" काम रहेगा तभी आओगे क्या " वो मेरी आंखों में देखी और मेरी ओर बढ़ी , मेरी धड़कने तेज होने लगी और उनकी आंखों में गजब का जादू था बस अपनी ओर खींच रही थी , एक महक जो उनके जिस्म से आ रही थी मैने मेरे होठ भी फड़कने लगे और वो झुकने लगी मेरी ओर , मेरी सांसे गर्माने लगी
फिर एक किस उन्होंने मेरे होठों पर किया और पूरे बदन में बिजली दौड़ गई , पूरा बदन कांप उठा मेरा
बाहर बारिश शुरू हो गई थी और आंगन में भी छींटे पड़ने लगे थे क्योंकि छत की जाली से पानी की बौछार आ रही थी
पानी के छींटे से उनकी ब्लाउज भीगने लगी और दूधिया मोटे मोटे चूचे गिले होने लगे , मेरी नजर उनपर गई और उन्होंने मेरी चोरी पकड़ी
मुस्कुरा पर हौले से पल्लू को खींच कर एक दूध को दिखाया , बिना ब्रा के ब्लाउज में पूरा भरा हुआ मोटा खरबूजे जैसा , जैसे कितना रस भरा हो उनमें । मन ललचा रहा था
: लेना है ?
मैने थूक हलक से गटक कर उन्हें देखा
: वैसे आज इसी का चाय बनाई थी
उफ्फ मेरी लंड की कसावट बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी उन्होंने पेंट में एकदम बियर की कैन रखी हो ऐसी स्थिति थी मेरी
एक नजर उन्होंने लपक कर गलियारे में देखा और नीचे से ब्लाउज खींच कर एक चुची पूरी बाहर , निप्पल पूरे तने हुए जैसे पानी में फूल हुए मुनक्के जैसे भूरे और उनकी सतहों पर दूध की बूंदे ऊभर आई थी
अच्छे से वो नजारा देख पाता कि उन्होंने मेरा सर अपनी चुची पर दबा दिया और मम्मी के बाद मेरे होश में शायद ये दूसरी चूची थी जिसके दूध स्वाद मैं ले रहा है , होठों से निचोड़ निचोड़ कर उनके निप्पल को सुरकने लगा और वो सिसकने लगी
: अह्ह्ह्ह सीई आराम से बहिनचोद ओह्ह्ह उम्ममम सीईईई पी लो उम्ममम अह्ह्ह्ह
फिर से गाली लेकिन इस बार उन्होंने मेरा मुंह बंद कर रखा था , ना जवाब दे पा रहा था न गुस्सा जाहिर कर पा रहा था , मैने भी बदला लेते हुए कचकचा कर निप्पल को मुझे लेकर पूरी ताकत से निचोड़ और वो एड़ियों के बल होने लगी और शरीर ढीला करने लगा
बात आगे बढ़ती कि बाहर बरामदे में हरकत हुई , विमला काकी आई हुई थी भीगते हुए और भाभी को आवाज दे रही थी
झटपट हम अलग हुए और मैने अपना मुंह पोछा और उनके साथ बाहर आ गया , भाभी ने बात संभाल ली क्योंकि काकी की नजर में तब भी बच्चा था । मै निकल गया उस रोज और फिर हर रोज लगभग मै चक्कर काटने लगा , लेकिन बात नहीं बन पाई । वो भी एक तय समय पर दरवाजे पर खड़ी मेरी राह देखती , आंखों से इशारे होते लेकिन वो मना कर देती ।
मेरी बेचैनी बढ़ने लगी थी और मैं कुछ जुगाड़ कर उनका मोबाइल नंबर पता किया और मौका देख कर एक रोज मम्मी के छोटे वाले फोन से काल घुमाया
बात हुई और फिर कई रोज तक हमने सही मौके की तलाश की , मम्मी के फोन पर रात में छिप कर मै उनसे गर्म बातें करता , उनके चूतड़ों और दूध के बारे में और महीने भर बाद उनका प्लान बना, रात में आने के लिए उन्होंने सारी योजना बनाई, किसी तरह से मैने कंडोम का जुगाड़ भी कर लिया और ठीक रात 08 बजे से पहले ही मूसलाधार बारिश होने लगी और उन रोज पापा भी घर आए थे तो बाहर निकलने का सवाल ही नहीं था । बना बनाया प्लान बिगड़ गया और रात में उन्होंने मुझे बहुत कोसा ... मा बहन की गाली दी । शायद मैने उनके अरमानों पर कुछ ज्यादा ही बारिश करवा दी थी । अगले ही हफ्ते मुझे मेरे इंजीनियरिंग पढ़ाई के लिए निकलना पड़ा , फिर दुबारा से कभी उनसे बात नहीं हुई । आमना सामना हुआ भी कभी तो उनका पिनका हुआ मुंह और बुदबुदाहट वाली गाली ही मिलती ।
वो दिन था और आज का दिन मै उनसे बचता फिरता रहा हूं
तभी बाथरूम के दरवाजे पर आहट हुई , तेजी से किसी ने बाथरूम का अल्युमिनियम वाला हलका दरवाजा थपथपाया और बाहर से बत्ती भी बंद हो गई
" अरे रोहन बाबू बत्ती चली गई बाहर आ जाओ " , कोई औरत खिलखिला कर बोली , आवाज जानी पहचानी थी लेकिन चेहरा ध्यान में नहीं आ रहा था ।
" अरे रोहन बाबू के पास अपनी लंबी वाली टॉर्च है हीहीही ", ये वही थी ....नीतू भाभी
कबतक राह निहारा जाय
कबतक संघर्ष को टाला जाय
अब रण से भाग मत प्यारे
फेंक जहां तक भाला जाय
एक लंबी गहरी सांस और मैने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया ......
जारी रहेगी
( जानता हूं छोटी , लेकिन समय के अभाव में जितना किया जा सकता था किया गया ... प्रेम और स्नेह में कोई कसर नहीं छूटेगी तो अच्छा लगेगा )
Bahut hi shandar update he
DREAMBOY40 Bro
Rohan ke baap ke man me bhi uski bua ke prati fantasy to he..............
Lekin khul kar kuch na bol pata he na kar pa raha he............
Ek aur mast character add ho gaya he.........
Nitu Bhabhi..............dudh to iska rohan pehle pee chuka he....
Ab final chapter hona baaki he dono ke beech........
Keep rocking Bro