आज मैंने आपकी दो कहानियां पढ़ी और दोनों कहानियों ने मुझे बेहद प्रभावित किया। असल में कहानियां इन्हें ही कहते हैं जिन्हें पढ़ने के बाद लगे की वाह क्या कहानी थी, एकदम दिल को छू गई। मुझे समझ नहीं आता कि आज कल लोग सिर्फ सेक्स कहानियों को ही क्यों महत्व देते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए पागल हैं? कहानियां तो ऐसी पढ़नी चाहिए जिनकी छाप हमारे जहन में सदियों तक बनी रहे। ख़ैर लोगों की अपनी अपनी सोच है और अपनी अपनी पसंद है, कोई क्या कर सकता है।
गांव देहात में आज भी ऐसा ही दुर्भाग्य देखने को मिलता है। जिन बाप के बेटियां होती हैं उन्हें अपनी बेटियों के ब्याह के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। दहेज के लालची लोग आज भी बेटी के बाप को दहेज के लिए दुखी करते हैं। लोग अपने लड़के को पढ़ा लिखा कर डॉक्टर और इंजीनियर बनाते हैं लेकिन इसके साथ ही इस मानसिकता को भी पाले रखते हैं कि बेटे की पढ़ाई लिखाई में जो खर्चा लगाया है उन्होंने वो बेटे की शादी में लड़की के बाप से वसूल कर लेंगे। कितनी घटिया सोच होती है ऐसे लोगों की। ये कोढ़ की बीमारी शायद ही देश और समाज से कभी जाए।
इस कहानी में जबरिया शादी देखने को मिला जोकि काफी रोचक था और हृदयविदारक भी। अखिलेश नाम के लड़के को जबरन उठा लिया गया और उसे मार पीट कर जबरन ही उसकी शादी करवा दी गई। यकीनन ऐसा करना किसी भी तरह से सही नही था पर शायद ये उसकी नियति में ही लिखा था। इस बीच सबसे ज़्यादा तकलीफ़ हुई उस लड़की को जिसे दोनों तरफ़ से दुख सहना पड़ा। वो तो अच्छा हुआ कि आगे चल कर अखिलेश को अपने बॉस के द्वारा गलतियों का एहसास हुआ और उसने गायत्री को पत्नी स्वीकार कर के उसकी झोली में खुशियां डाल दी। बहुत ही मार्मिक दृश्य थे और जिस खूबसूरती से आपने ये सब दिखाया था वो बेहद लाजवाब था।
