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Shayari आँखे - शेरी शायरी

Real@Reyansh

हसीनो का फेवरेट
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देखो तो चश्मे - यार की जादूनिगाहियाँ,
हर इक को है गुमां कि मुखातिब हमीं से हैं।
-हसरत मोहानी


1.चश्मे–यार - माशूक की आँख 2.मुखातिब - सम्बोधन कर्त्ता, बोलने वाला, वार्ता करने वाला
Wow . . . Pleaseing one ❤️
शायद guddo की दोस्त " मोहे रंग दे " से है जो हमेशा नक़ाब में रहती है ❤️
चरण स्पर्श दीदी 🙏💙
 

komaalrani

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आँखों से हाल पूछा दिल का,
एक बूंद टपक पड़ी लहू की।

-मीरतकी 'मीर'
 

komaalrani

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आया है अगर जिक्र कभी दारो-रसन का,
गैसू-व-कदे-यार की बात आ ही गई है।
जब सूर्खिए-गुलशन का कभी जिक्र हुआ है
तेरे लबो-रूखसार की बात आ ही गई है
ढूँढ़ा है अगर जख्मे - तमन्ना ने मुदावा
इक नर्गिसे-बीमार की बात आ ही गई है
छेड़ा है कोई तल्ख फसाना जो किसी ने
शीरीनिए-गुफ्तार की बात आ ही गई है।

-मज्हर इमाम

1.दारो – रसन - फांसी का फंदा 2.गैसू-व-कदे-यार - माशूक का डील-डौल और बाल 3.सूर्खिए-गुलशन - गुलशन की लालिमा या लाली (यानी खूबशूरती) 4. लबो-रूखसार - ओष्ठ और गाल 5.जख्मे–तमन्ना - तमन्ना पूरा न होने का जख्म 6. मुदावा - इलाज, दवा 7.नर्गिसे-बीमार- चश्मे-बीमार, अधखुली आँख विशेषतः प्रेमिका की आँख के लिए बोलते हैं। 8.तल्ख - कड़वा, कटु, अरूचिकर 9.शीरीनिए-गुफ्तार - बात-चीत की मिठास
 

komaalrani

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चाल मस्त, नजर मस्त, अदा में मस्ती,
जब वह आते हैं लूटे हुए मैखाने को
 
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komaalrani

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देखो न आंखें भरकर किसी के तरफ कभी,
तुमको खबर नहीं जो तुम्हारी नजर में हैं।
-'असर' लखनवी
 
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komaalrani

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पैगाम लिया है कभी पैगाम दिया है,
आंखों ने मुहब्बत में बड़ा काम किया है।

-हफीज बनारसी
 

komaalrani

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फिर न कीजे मेरी गुस्ताख निगाहों का गिला,
देखिये आपने ने फिर प्यार से देखा मुझको।
 

komaalrani

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बसा फूलों की नकहत में लिये मस्ती शराबों की,
महकता, लहलहाता एक काफिर का शबाब आया।
-असर लखनवी


1.नकहत - खुशबू, सुगन्ध, महक 2. काफिर - बहुत सुन्दर स्त्री

3.शबाब - जवानी, युवावस्था, तारूर्ण्य
 
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komaalrani

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मस्त आंखों पर घनी पलकों की छाया यूँ थी,
जैसे कि हो मैखाने पर घरघोर घटा छाई हुई।

असर' लखनवी
 
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komaalrani

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मस्ती निगाहे-नाज की कैफे-शबाब में,
जैसे कोई शराब मिला दे शराब में।
-'सब्र' मख्दूमपुरी



1.निगाहे-नाज - नाजो-अंदाज की दृष्टि

2.कैफे-शबाब - जवानी या यौवन का नशा या सुरूर
 
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