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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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UPDATE 010

कैन आई ज्वाइन यू

: गाड़ी में रुको मैं आती हूं ( रेशमा मैम अपने पर्स लेकर गाड़ी से निकल कर सामने एक किराना स्टोर पर चली गई , मै भी अपने मोबाइल में अलीना से मैसेज से बातें कर रहा था कि रेशमा मैम के मोबाइल की स्क्रीन जली और स्क्रीन पर नोटिफिकेशन आए पहले दो वीडियो के फिर एक मैसेज आया, जो कि कार के ब्लूटूथ से कनेक्ट था।
"how about this?? "
( आहूजा सर का मैसेज आया था )

मेरी दिलचस्पी आहूजा सर के मैसेज चेक करने की हुई मै फटाफट से पासवर्ड ट्राई करने लगा , और 4th ट्राई में मै उनके फोन का पैटर्न ब्रेक कर लिया मगर तबतक रेशमा मैम एक कैरी बैग लेते हुए आती दिखी तो झटपट मैने मोबाइल जस का तस रख दिया ।
: बोर तो नहीं हो रहे थे ( वो मुस्कुराते हुए बोली )
: नहीं ( मै मुस्कुराया )
: आज शॉपिंग ज्यादा हो गई नहीं , हिहीही ( वो मुझे अपनी ओर देखता पाकर बोली फिर समान बैक सीट पर रख दिया और गाड़ी आगे बढ़ गई ।
फिर कुछ दूर आगे उतर कर रेशमा मैम एक सब्जी वाले पास चली गई ।


: भैया फटाफट 2 किलो आलू , 1 किलो प्याज और आधा किलो खीरा देदो , धनिया मिर्ची भी डाल देना
: खीरे नहीं है बाबू जी ( वो सब्जी वाला बोला )
: अरे यार , वो कहा लेने जाऊ ( मै परेशान होकर आसपास की दुकानों पर देखने लगा ।
मेरी बेचैनी बढ़ने सी लगी थी , जबसे मैने अम्मी को पापा से बात करते हुए सुना था । जल्द से जल्द घर पहुंचने को मै और मेरा लंड दोनो बेताब थे । वो अल्फ़ाज़ अभी तक मेरे जहन में थे ।
: अभी नहीं , शानू को बाहर भेज रही हु फिर ( अम्मी छिप कर बातें कर रही थी )
: अच्छा सुनो , प्राइवेट फाइल में ही रखना , बताया था न कैसे करना है ( अब्बू की आवाज आ रही थी )




: शानू सुनो तो ( रेशमा मैम ने आवाज दी और मै गाड़ी से बाहर निकला )
: जी मैम
: कौन सी सब्जी खाओगे
मेरी नजर बास्केट में निकाले हुए बड़े बड़े खीरे और मूली पर गई मै मुस्कुराने लगा
: भिंडी चलेगी ( वो मुझे सब्जियों को घूरते देख कर बोली )
: हम्म्म मै सब खा लेता हु
तभी मैम का मोबाइल बजा
: ओहो ये सर भी ना ( अलीना मोबाइल स्क्रीन पर आहूजा का काल आते देखकर बोली और फिर मुझसे थोड़ा दूर हो गई )
: हा बाबा ठीक है घर तो जाने दो फिर देखकर बताती हु ( मैम फुसफुसाकर बातें करते हुए कभी मुझे देखती तो कभी नजरे चुराती और मै भी उन्हें ऐसे जताने लगा कि मुझे फर्क नहीं पड़ रहा है ।)
मगर भीतर से मै ही जानता था कि मेरे अंदर कितना तूफान उठ खड़ा है । कैसे भी करके मुझे मोबाइल चेक करना था ।
फोन रखने के बाद वो मेरे पास आई।
: हो गया चलो घर चलते है
: जी चलिए ( फिर हम घर के लिए निकल गए )



थोड़ी ही देर में घर आ चुका था और धीरे से चैनल खींच कर मै हाल में दाखिल हुआ , मेरे अंदाजन अम्मी के कमरे का दरवाजा भिड़का ही मिला।
मुझे पता था कि अम्मी की नजर भिड़के हुए दरवाज़े पर ही बनी हुई होगी इसीलिए मै दबे पाव किचन से स्टूल लेकर खिड़की के पास पहुंच और पर्दे को साइड कर भीतर का नजारा देखते ही स्टूल पर मेरा बैलेंस गड़बड़ाने लगा ।


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हल्क सूखने लगा , अम्मी भीतर बिस्तर पर अपनी सलवार खोलकर बैठे हुए मोबाइल चालू कर स्क्रीन पर कुछ देख रही थी और उनकी उंगलियां उनकी चूत में घुसी हुई थीं
जिस तरह से वो तेजी से अपनी बुर में उंगली कर रही थी और जैसे उनके चेहरे के हावभाव थे अम्मी की तड़प कर मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा और अम्मी उधर अपनी कमर झटके मार कर झड़ने लगी

मेरा लंड एकदम से अकड़ चुका था ऐसा क्या था उस वीडियो में जो अब्बू ने भेजा , जिसके लिए अम्मी को अपनी चूत से पानी निकालना पड़ा ।
मै जल्दी से स्टूल उसकी जगह पर रखे हुआ यही किचन में सोच रहा था ।


: अब क्या खोज रहे हो , सारे मसाले कैबिनेट में ही है ( रेशमा मैम मुस्कुरा कर बोली )
: जी वो बेसन चाहिए था थोड़ा , भिंडी को कुरकुरी करनी है
: वो दूसरे दराज में है निकाल लो , मै आटा लगाती हूं


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( वो घूम कर आटा निकालने लगी और मैं नाइटी में उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ देखकर सिहर उठा )
फिर हम बातें करते हुए खाना बनाने लगे लेकिन मेरा सारा ध्यान उनके मोबाईल को चेक करने पर था इससे पहले वो कुछ डिलीट करती ।




हर बीतता पल मेरी बेचैनी और बढ़ा रहा था , अम्मी आज शाम से ही अपनी सहेली वही जो रिश्ते में मेरी मामी लगती है उनसे बातें कर रही थी ।
किचन में उनकी बातें खत्म नहीं हो रही थी और हाल में बैठे हुए मै प्रोजेक्ट लिख रहा था
: अम्मी हो गई बात आपकी मुझे कुछ चेक करना है ( मैने बड़ी हिम्मत कर कहा )
: अच्छा ठीक है मै रात में काल करती हु वो शानू को कालेज का कुछ काम है मोबाइल से देखेगा ( अम्मी अपनी सहेली से बातें करती हु बोली और फिर फोन कट गया ।)
: शानू ले जा बेटा फोन कट गया ( अम्मी ने किचन से आवाज दी और मै खुश होकर उठकर किचन तक आया तो अम्मी बिना दुपट्टे के सूट सलवार में खड़ी रोटियां बेल रहे थी )
मेरी नजर उनकी सलवार पर थी जो उन्होंने बदल दी थी और उस बदले हुए सलवार को देखते ही मुझे शाम को जब बाजार से आया और अम्मी अपनी चूत मसल रही थी उसकी याद आई , शायद कुछ ज्यादा ही झड़ गई थी अम्मी । ये सोच कर ही उस वीडियो के लिए मेरी बेताबी और बढ़ने लगी लंड अलग ही फड़फड़ाहट में था ।मैने मुस्कुरा कर फोन लिया और हाल में आ गया ।
: अम्मी मै कमरे में जा रहा हु ( मै अपनी बुक्स वगैरह उठाता हुआ बोला )
: ठीक है अभी आवाज दूं तो आना जाना खाना खाने ठीक है
: जी अम्मी ( और मै सरपट जीने को फांदता हुआ अपने कमरे में , झट से मैने दरवाज़े की कड़ी लगा दी )
लंड मेरा उफान पर था और मेरे जिस्म की गर्मी उफान पर थी जबसे वो मोबाईल मेरे हाथ आया था ।
अजीब सी हड़बड़ाहट थी जिससे दिमाग और उंगलियों का तालमेल बिगड़ने सा लगा , उंगलियां पसीजने से फिंगर प्रिंट काम नहीं कर रहे थे ।
3 अटेम्प्ट के बाद पंखे के नीचे टहलते हुए मै 30 sec के टाइमर खत्म होने का इंतजार करने लगा और फिर पैटर्न खोलकर हिडेन फाइल खोजने लगा , मगर वो खाली था ।
मेरा माथा खराब होने लगा ये सोचकर कि अम्मी ने कही डिलीट तो नहीं कर दिया न
जल्दी जल्दी मै व्हाट्सएप खोला और अब्बू का मैसेज देखा तो आंखे फटी की फटी रह गयी ।
अब्बू ने एक देसी लेस्बियन पोर्न वीडियो भेजा था जिसमें दो मोटी गदराई बड़ी बड़ी चूचों वाली औरते एक दूसरे की बाहों में पूरी नंगी होकर एक दूसरे को चूम रही थी और जैसे जैसे वीडियो आगे बढ़ता है मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगती है
लंड एकदम से उफान पर था , मैने उसे बाहर निकाल दिया और जोरो से हिलाने लगा


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इतनी कामुकता भरी थी वो औरते 69 की मुद्रा में एक दूसरे के भोसड़े को चूस रही थी और आपस में चूत रगड़ रही थी
इनसब से हटकर जैसे ही मेरी नजर अम्मी के भेजे हुए text मैसेज पर गई मेरा लंड फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा एकदम से फूल कर लाल हो गया नसे फूटने को बेकरार हो गई थी मै अब गया तब गया
" Tum dono ko aise hi dekhna hai mujhe "
: किन दोनों को ( इस सवाल के साथ बाहर कमरे का दरवाजा भी खटका )
मेरी हालत खराब बाहर से मुझे मेरा नाम लेकर पुकारा जा रहा था ।
मै समझ गया कि जरूर उन्हें मोबाइल की फिकर हुई होगी।

मै कभी अपनी स्थिति को निहारता तो कभी बाहर की खटखटाते दरवाजे से और घबराहट से परेशान हो जाता
इतने में कमरे का दरवाजा खुला
मैने झट से मोबाईल सोफे पर फेका और
रेशमा मैम नाइटी में मेरे आगे खड़ी थी आंखे फाड़े मुझे अपनी आंखों के सामने नंगा देख रही थी


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वही मेरी लाख कोशिशों के बावजूद भी मेरे दोनों पंजे मेरे 9 इंच बड़े और कैन से मोटे लंड को छुपाने में नाकाम थे ।
: शानू , तु तुम ऐसे क्यों हो
: सो सॉरी मैम वो मै तौलिया खोजने लगा मिल नहीं रहा था ( अपना लंड छुपाए हुए मै नजरे चुराता हुआ बोला )
: मेरा फोन नहीं मिल रहा है , अरे ये यहां कैसे ? ( मैम की नजर सोफे के मोबाईल पर गई और वो लपक कमरे में घुसी)
जैसे ही लॉक खोला , तेज आवाज में एक पोर्न वीडियो चलना शुरू हो गया ,


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जिसमें एक लड़की की एक अधेड़ उम्र का आदमी बड़ी ही जबर्दस्त तरीके से पूरे जोश में अपने लंड से उसकी चूत मार रहा था और वो लड़की खूब चीख कर चुदवा रही थी ।
: ओह गॉड ये सब कैसे ऑन हो गया , शानू तुमने खोला मेरा मोबाइल ( वो वीडियो बंद करते हुए मेरी ओर गुस्से से घुरी )
: सॉरी मैम वो कार में मैने आहूजा सर के मैसेज देखे थे तो
: पर तुमने लॉक कैसे खोला ( वो डरे सहमे लहजे में बोली)
: आप कितनी बार मेरे सामने अपना मोबाइल अनलॉक की है मैम, सॉरी वो मै , सॉरी प्लीज
: तुम्हे ये सब नहीं देखना चाहिए था शानू , तुम कभी नहीं समझोगे ( ये बोलकर वो कमरे से बाहर गई और मै नाइटी में उनकी मोटी गाड़ को हिलकोरे खाते देखता रहा ।
मै समझ चुका था कि अब अगर आगे मै ऐसे ही नाटक जारी रखा तो ये मौका दुबारा नहीं आने वाला और मै वैसे ही नंगे मैम के कमरे की ओर बढ़ गया
उफ्फ क्या कयामत थी


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बाथटब में उतरते हुए अपने अपने जिस्म से नाइटी उतार दी और अब उनके जिस्म पर एक गुलाबी जालीदार पैंटी थी जिसे वो अपने बड़े से कूल्हे से नीचे सरका रही थी
उनकी मोटी मोटी गाड़ के फाकों के नीचे जांघों के बीच से हल्की सी चूत के रसीले होठों की झलक भर मिली और वो पानी में उतर गई
मै कमरे में बाथरूम के दरवाजे से झाक कर उनको निहारते हुए अपना लंड मसल रहा था
वो बाथटब की टोटी चालू कर उसमें अपने गदराये नंगे जिस्म को भीगा रही थी उनकी बड़ी बड़ी मोटी मोटी चूचियां नंगी होने पर और भी रसीली और बड़ी दिख रही थी
बाथटब में पानी भर रहा था और वो अपनी चूत को सहलाते हुए अपने जिस्म को मसल रही थी ।

: कैन आई ज्वाइन यू मैम
: शानू तुम ?? ( वो मुझे अपने बाथरूम में अचानक नंगा खड़ा पाकर चौकी और अपने स्तन छुपाने लगी और मेरी नजर उनकी बाथटब में फैली हुई जांघों के बीच की हल्के झाट के चूत पर थी जो पानी की लहरों में भी हल्की हल्की दिख रही थी ।
: अगर आप नहीं चाहती तो मैं वापस चला जाता हूं ( वो मेरे एक पैर को देख रही थी जो मैं बाथटब में उतार चुका था और मेरा बियर की कैन जैसा बड़ा मोटा लंड सुपाड़ा फाड़े उनके आगे तमन्नाएं खड़ा था )
: नहीं ( वो एकदम से बोली )
: मेरा मतलब , ठीक है आजाओ ( वो मुस्कुराते हुए बोली )

मै भी बाथटब में आकर दोनों पैर फैलाते हुए किसी तरह एडजस्ट कर पानी में आ गया , बीच पानी में मेरा लंड तोप की मुंह के जैसे उनकी छातियों की ओर तना हुआ था । और रह रह कर उनकी नजर मेरे लंड पर जा रही थी ।
और मेरी नजर उनके तने हुए निप्पल पर जो टब के पानी की सतह पर तैर रहे थे मानो
: एक बात पूछूं मैम ( एक लंबी चुप्पी के बाद मै बोला )
: हम्म्म कहो न ( वो मेरी आंखो देखते हुए बोली और उनकी आंखों में कामूकता साफ साफ झलक रही थी , पानी में कुछ सतरंगी झलकिया दिख रही थी जैसे कोई रसायन घोलने पर दिखता है , साफ था उनकी चूत पानी छोड़ रही थी )
: आहूजा सर आपको तंग करते है क्या , मेरा मतलब जिस तरह से आप खुद को मजबूर पाती है और वो मैसेज से ऐसे वीडियो भेजते है ( मै फिकर में बोला )
वो काफी देर तक मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी , जो मेरी समझ के परे था
: बताइए न मैम ( मैने सवाल दोहराया)
: तुम बहुत भोले हो शानू , ये दुनिया तुम जैसे सच्चे इंसान को डिजर्व नहीं करती और ना मै .... ( बोलते हुए वो चुप हो गई )
: मतलब , मै समझा नहीं
: मै शादीशुदा थी शानू , पर इस नौकरी ने मेरी खुशिया छीन ली ( मै अचरज भरे नजरो से उनकी आंखों के छलकते आंसू देख रहा था )
: मतलब
: मेरी नौकरी से मेरे ससुराल वालों को खासा ऐतराज था , मगर मेरे पति ने हमेशा मेरा साथ दिया । मगर मेरे लास्ट ट्रांसफर पर वर्क लोड ज्यादा हो गया था और उन दिनों मै बहुत बिजी रहा करती थी , देर रात तक ऊपर के अधिकारियों की ऑनलाइन वीसी चलती और कभी कभार मेरे पति आते भी तो मैं उन्हें समय नहीं दे पाती थी , धीरे धीरे चीज़ें बिगड़ने लगी और फिर मेरे पति और मेरे रिश्ते में दरार आने लगी । एक ओर मै मेरी जॉब से परेशान थी और मेरे पति ने बच्चे के लिए मुझसे जिद करते रहते । ऐसा नहीं था कि हमारी सेक्स लाइफ अच्छी नहीं थी । महीने में कुछ दिन ही हम साथ होते थे मगर वो दिन यादगार होते थे , कभी कभी उन्हें मेरे वाइल्ड होने पर शक होता था कि मैं इतनी सेक्सुअल होकर भी उनके बिना हफ़्तों हफ्तों तक रह जाती हू। मेरे लगातार बच्चे के लिए मना करने पर वो चिड़चिड़े रहने लगे और कभी मेरे काम को लेकर तो कभी मेरे बर्ताव और फिर बात जब मेरे चरित्र पर आई तो मैने खुद ही उन्हें तलाख दे दिया ।

मै चुप रहा , लंड में एक सुस्ती सी महसूस हो रही थी जबकि रेशमा मै जस के तस मेरे आगे बैठी थी

: उसके बाद मैने वहां से अपना ट्रांसफर यहां करवा लिया और
सबसे यहां मैने अपनी पहचान छिपाई हुई है , मगर आहूजा सर ने पता नहीं कैसे इस बारे में जानकारी हासिल कर ली । फिर वो मेरे पीछे है और आगे का तुम जानते ही हो ।
: लेकिन ये उतनी बड़ी बात नहीं थी मैम जितना आप आहूजा को झेल रही है ,
: एक औरत के डर दायरा बहुत बड़ा होता है शानू , तुम नहीं समझ सकते उस चीज को । एक तलाकशुदा औरत को ये समाज कैसे देखता है मुझे अच्छे से अनुभव है ( वो पानी के लहरों से अपने हाथों को धुलती हुई बोली और जैसे ही उनके बदन में हरकत हुई मेरा लंड भी हरकत में आने लगा )
: तो क्या कल आप लोग सच में बस कैजुअली ही मिले थे
: वो मीटिंग मेरी मर्जी जानने के लिए थी , बिना मेरी हां के आहूजा की इतनी हिम्मत नहीं है कि मुझे हाथ भी लगा सके
: फिर वो विडियोज ?
: वो !! हीहीही ये सब पहली बार नहीं है कि वो मुझे ऐसे विडियो भेज कर खुद की ओर लुभाने की कोशिश किया हो
: तो आप क्या करती है फिर ?
: मै !! बताऊं कया करती हूं ( वो अपनी नशीली आंखो से बड़ी कामुकता से मेरी ओर देखने लगी और अपनी जांघें पानी में खोलते हुए पीछे लेट गई और एक रुलाम फोल्ड कर आंखो पर रख कर रिलैक्स होती हुई मेरे सामने अपने चूचों को मसलने लगी )


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: उम्मम्म शानू मुझे फ्री की पोर्न मिल जाती है और मम मैइइ अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ( वो मेरे आगे ही पानी में अपनी चूत में उंगली करने लगी )

वो तेजी से अपनी बुर मसल रही थी और चूत में उंगली कर रही थी
मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा और मै खड़ा होकर लंड हिलाने लगा ।
उनकी आंखों पर रुमाल था और वो मेरे आगे अपने जिस्म से खेल रही थी मै ठीक उनके आगे ही अपना मोटा लंड हिला रहा था
उनकी बड़ी बड़ी मोटी चूचियां और बजबजाती चूत उसपे से मैम के मुंह से निकलती सिसकियां मुझे चरम पर ले जा रही थी
: अह्ह्ह्ह शानू इसमें बहुत मजा आता है अह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम ( वो पानी अपनी गाड़ उठा कर चूत में तेजी से उंगली करके झड़ने लगी )
मै उनकी जोशीली अदा और हिलते चूचे देख कर रह नहीं पाया और उनकी बड़ी बड़ी चूचों पर अपनी मोटी कैन का फब्बारा फोड़ दिया ।


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एक के बाद एक मोटी थक्केदार मलाई की पिचकारी मेरे लंड से छुटती रही कुछ तेज पिचकारी सीधे उनके होठों पर गई और वो रुमाल हटा कर मेरी ओर देखने लगी ,
उनके ठीक उपर मै उनके ऊपर ही झड़ रहा था
: शानू ये सब क्या है ? ( गिले हाथों से अपने होठ पोछने लगी )
: सॉरी मैम वो मै , सॉरी
और वो मुस्कुराने लगी
: इधर आओ बदमाश ( वो मुझे अपनी ओर खींचते हुए अपने लिप्स से मेरे लिप्स जोड़ लिए )


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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Napster

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UPDATE 011

Good morning

रात ढल रही थी और मै शर्म से अपने कमरे से निकल नहीं रहा था ।
शाम की चाय के लिए भी अम्मी ने आवाज नहीं दी थी अजीब सा डर लग रहा था मन में
मोबाइल भी अम्मी के पास ही था ।
रात के 9 बजने को हो रहे थे और किचन में सीटियां कबकी बज कर शांत हो चुकी थी , दोपहर से ही भूख लगी थी और उसपे से अम्मी की फिकर अलग थी ।
समझ नहीं आ रहा था क्या करूं
बड़ी हिम्मत कर मै उठा और जीने से नीचे आने लगा , अम्मी के कमरे से हल्की फुल्की आवाजे आ रही थी ।
शायद अब्बू से फोन पर कुछ बात कर रही होगी ऐसा मुझे लगा ।
ना जाने क्यों ऐसी सिचुएशन में भी अब्बू अम्मी की बातें करना मेरे लंड को भाने लगा , और वो अपना सर उठाने लगाने लगा ।
फट भी रही थी कि अगर अम्मी से अब्बू से कह दिया तो पिटाई तय थी ।
बिल्लियों के जैसे बिना आहट के मै जीने से उतर कर अम्मी के कमरे के पास गया, दरवाजा पूरा खुला तो ऐसे में मैं बिना दरवाजे के आगे गए किनारे से ही दीवाल से लग गया ।


: सारी गलती मेरी है यार , मै तुझसे बातों में लगी थी और फिर उसने मोबाइल मागा तो दे दिया मैने ( अम्मी फोन पर बोली )
मै समझ गया मेरी ही हो रही है मगर किससे?
: मेरी तो हिम्मत नहीं हो रही है कि उसके सामने जाऊ। बेचारा दुपहर से नीचे नहीं आया ।
कुछ देर तक अम्मी फोन पर सामने वाली की बातें सुनती रही
: हा खाना बना लिया है मैने , मुझे बहुत अफसोस हो रहा है कि खुद की गलती होते हुए आज पहली बार मेरा हाथ उठा उसके ऊपर ( अम्मी फोन पर समझा रही थी और उनकी बातों से मुझे हिम्मत हो रही थी )
मै समझ गया कि अगर मैने पहल की तो चीज़ें नॉर्मल हो सकती है और शायद अब्बू तक बातें न जाए ।


: अम्मी भूख लगी है ( मै रुआंस लहजे में अम्मी के कमरे के दरवाजे पर आ गया )
: अच्छा नगमा तू फोन रख , शानू आया है । ( अम्मी मुझे देख कर बोली )
: हम्मम मै करती हूं अभी ( अम्मी ने फोन काट दिया )
नगमा नाम सुनते ही मै समझ गया कि अम्मी अपने सहेली से बात कर ही थी


मै वही दरवाजे पर खड़ा रहा और अम्मी को देख रहा था भरी आंखों से । अम्मी ने मुझे देखा और दुपट्टा सही करती हुई नजरे चुराने लगी ।
वो मेरी ओर बढ़ रही थी बिना कुछ बोले और मेरे बगल से निकल कर किचन में खाना निकालने लगी ।


मै उनके पीछे चला गया
: अम्मी आप भी खा लो न प्लीज
अम्मी के हाथ रुक गए और मगर वो मेरे ओर चेहरा नहीं की थी ।
फिर से वो मेरी ही प्लेट में परोस रही थी ।
: सॉरी अम्मी , प्लीज ( अम्मी फफक पड़ी और मैं उनकी पीछे से हग कर लिया)
मेरी आंखो से भी आंसू गिर रहे थे नहीं पता क्यों मगर अम्मी के गुदाज मुलायम चूतड से चिपक खड़े होना और उनकी पीठ पर सर टिकाना बहुत भा रहा था मुझे , वही अम्मी किचन स्लैब पकड़ कर खड़ी खड़ी रो रही थी ।
: अम्मी प्लीज आप रो मत , सॉरी मुझे नहीं देखना चाहिए था वो सब ( वो सिसकती फफकती रही )
: मुझे नहीं चाहिए मोबाईल आप ही रखो इसे , लेकिन प्लीज आप भी खाना खा लो । दुपहर से आपने कुछ नहीं खाया । ( मै अम्मी के कंधे पर सर रखता हुआ पीछे से ही बोला )
: तूने खा लिया बड़ा जैसे , चाय बनाई थी आया क्यों नहीं पीने ( अम्मी मेरी ओर घूम कर बोली )
: सॉरी मुझे लगा आप नाराज होगी ( मै उदास चेहरे से उनकी ओर देखा , आंसुओं ने आंखे और गाल दोनो गाल कर दिए थे उनके )
: तुझसे मै भला क्यों नाराज होऊंगी रे, इधर आ ( अम्मी ने खींच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया )
गुदाज छातियों में मै कही खो सा गया और वो मेरे सर को कस कर हग कर ली थी। सालों बाद ऐसे दुलारा था अम्मी ने मुझे , इन रसीले मम्मों को महज छूने भर के ख्वाब थे मेरे और अम्मी उन्हीं में मुझे कसे जा रही थी , लंड खुद ब खुद अकड़ने लगा था ,
: हवसी कही का ( मैने मन में लंड को डांटा )
: अम्मी अपनी थाली भी लगाओ न प्लीज ( मैने अम्मी से फिर से रिक्वेस्ट की )
: क्यों मुझे अपनी थाली में नहीं खाने देगा उम्मम ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली )
: क्या सच में , आप मेरे थाली ने खाओगे ( मै चहक कर एक बार फिर से उनसे लिपटने को हुआ )
: ऊहू अब और चिपका चिपकी नहीं ( अम्मी बोल कर हसने लगी तो मैं फिर से उनको हग कर किया )
: ओहो बाबा हो गया , अब छोड़ न बदमाश
: हीहीहीही , लेकिन आपको मेरे हाथ से ही खाना पड़ेगा
: उम्मम , ठीक है ( अम्मी ने मुस्कुरा कर बोला )
फिर हम हाल में आए और सोफे पर बैठ कर खाने लगे ।
मै अम्मी को खिचड़ी खिला रहा था
: हम्म्म ये सही है , अब से रोज तू ही खिलाना मुझे । मुझे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी
: अब्बू रहेंगे तब भी ( मै हंसते हुए बोला और वो आंखे दिखा कर हसने लगी )
: बहुत बिगड़ गया है तू , पढ़ाई में ध्यान दे एग्जाम सर पर है और मोबाइल.. !!
: वो आप ही रखो , मुझे नहीं चाहिए
: चला लेना कभी कभी , लेकिन मुझसे पूछ कर ही ( अम्मी की बात सुनकर मैं चहक उठा)
: थैंक्यू अम्मी


थोड़ी देर बाद मै अम्मी के साथ बैठा था ।
: अम्मी , आपने उस बारे ने अब्बू को बता दिया क्या ? ( डरते हुए बोला मै )
: नहीं क्यों , बता दूं
: नहीं नहीं प्लीज , अब्बू मुझे ही मारेंगे बिना गलती के !!
मेरी बात पर अम्मी मुस्कुराई
: अगर मेरी गलती नहीं थी तो आपने मारा क्यों ( मै दुलराते हुए उनसे चिपककर बोला )
: किसने कहा तेरी गलती नहीं थी ( अम्मी ने मेरी ओर देखा )
: वो सब तो आप भरवा कर लाई थी न , मै तो बस मूवी देखने के लिए खोला था ।
: चुप कर तू , ऐसे बात करेगा अपनी अम्मी से ( वो डांटने को हुई मगर चुप हो गई )
: मै तुझे इस गलती के लिए नहीं मारा , तेरी आदतें बहुत बिगड़ गई है इसीलिए मारा तुझे ।
: मेरी आदतें ? मैने क्या किया अब ( भीतर से मेरी फट रही थी कि अब क्या पता चल गया अम्मी को )

: अगर तुझे पता था वो सब वीडियो गंदी थी तो क्यों देख रहा था बोल । तुझे मोबाइल बंद करके रख देना चाहिए था ( अम्मी ने मुझे घूर कर देखा )
: सॉरी न अम्मी ? ( मै उनके बाजू को पकड़े हुए उनके कंधे पर अपने गाल रखे हुए उनसे बोला , एक अजीब सी गुदगुदी लग रही थी बदन में )
: और तू अपनी आदतें सुधार ले किसी दिन तेरे अब्बू ने पकड़ लिया तो खूब पिटाई होगी तेरी और अभी तेरी उम्र नहीं है ये सब करने की समझा ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
: अब क्या किया मैने ? ( मै चौक कर सीधा होकर अम्मी की देखते हुए बोला )
: चल इतना भी भोला बनने की जरूरत नहीं है , तेरी सारी हरकतों के सबूत है मेरे पास समझा ( अम्मी मुंह बनाते हुए बोली )
: मतलब ? सच में नहीं पता आप किस बारे में बात कर रही है ?
: अच्छा अब तुझे ये भी बताना पड़ेगा कि जीने पर तो कभी बाथरूम में तो कभी वहा दरवाजे के पास ( अम्मी ने अपने कमरे के दरवाजे के पास इशारे किया ) छिप छिप कर क्या करता है सारे निशान मिल जाते है मुझे । एक लगाऊंगी अभी कमीना कही का ( अम्मी बोलते बोलते एकदम गुस्से से लाल होने लगी )
: उन्हीं सब आदतों को सोच कर तुझे मारा था , कहा से सीख रहा है ये सब तू ( अम्मी फिर से मेरे ऊपर गरजी ) कौन से दोस्त तुझे बिगाड़ रहे है बोल
: सॉरी ( मै बस इतना ही बोला , भीतर से मेरी फटी हुई थी और अपनी लापवाही के लिए खुद को गालियां बक रहा था , अम्मी को कैसे पता मै हिलाता हूं, जरूर मेरे वीर्य के दाग देखी होंगी )
: चूतिया हु बहनचोद मै ( मन ही मन खुद को गरियाया और उखड़ा हुआ एक टक अम्मी को निहार रहा था अब ना जाने क्या बोल दे वो )
: चल अब सो जा जाकर ( अम्मी ने गुस्से से कहा )
शायद वो मेरे मूठ मारने वाली बातें मुझसे नहीं कहना चाहती थी मगर मुझसे कह कर वो खुद से ही शर्मिंदा थी और उस बात का गुस्सा मुझ पर ही निकाल रही थी , मै चुपचाप ऊपर चला गया ।


रात के 11 बजने को हो रहे थे और मुझे नीद नहीं आ रही थी
बेसब्री थी जहन में अम्मी के पास जाने की उनकी बातें सुनने की
आखिर मैं कमरे से बाहर निकल आया और दबे पाव जीने से सरकता हुआ अम्मी के कमरे तक
अभी भी उनकी बातें चल रही थी
बातों से वो नॉर्मल दिख रही थी कुछ हसी ठिठौली भरी बातें हो रही थी , उनकी सहेली नगमा से ।
: अच्छा सुन वीडियो कॉल करती हु दिखा दे न , क्या छुपा रही है ?
: उम्मम इतना मन कर रहा है क्या , कल आ रही हु न तब देख लेना ?( नगमा मामी बोली )
: बस एक झलक तो दे दे , अच्छा बस सेल्फी भेज दे न ( अम्मी कसमसाते हुए बोली )
: अच्छा रुक भेजती हु
: एक मिनट ऐसे रहना ( अम्मी बोलकर शांत हुई और उनके बिस्तर से उठने की आहट मुझे मिली )
मै समझ गया कि मेरी चोरी पकड़े जाने वाली है ।
: शानू ??? ( अम्मी ने दरवाजा खोलकर मुझे आवाज लगाई)
मेरी फटी हुई थी ये सोच कर कि इनको भनक कैसे लगी कि मैं आया हु , जीने के नीचे छिपा है मै खुद से बडबडा रहा था ।


: नहीं कुछ नहीं मुझे लगा शानू नीचे आया है ( अम्मी दरवाजा लगाते हुए बोली )
मै लपक कर वापस कमरे के दरवाजे के पास से सरक कर खिड़की पर आ गया
: ओह्ह्ह्ह यार कितनी टाइट है ( अम्मी मोबाईल पर कुछ देख रही थी )
: तू भी दिखा दे
: आहा कल देख लेना हीहिही ( अम्मी खिलखिलाई )
: धत्त कामिनी है तू एक नंबर की ( नगमा मामी हंसते हुए बोली )
उनकी बातें कुछ कुछ मेरे समझ में आ रही थी मगर पूरी नहीं अब कल के लिए मेरा इंतजार बढ़ने लगा था कि कल क्या होगा ।
मै वापस चुपचाप अपने बिस्तर पर सो गया



अगली सुबह मेरी नींद खुली तो मै नरम मुलायम बिस्तर में चादरों के लिपटा हुआ था और मेरे देह पर रात में पहनी हुई एक टीशर्ट और मेरी अपनी ही बॉक्सर थी ।
आसपास का माहौल देखते ही चेहरे पर मुस्कुरा आ गई और बीती रात हुई मैम के साथ बाथरूम में मस्ती को सोच कर लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा ।
अंगड़ाई लेकर मै फ्रेश हुआ और उन्हीं कपड़ो में बाहर आया तो मैम टेबल पर बैठ कर काम रही थी , नाइटी में उनकी बड़ी सी गाड़ पूरे गोल मटोल शेप में नजर आ रही ही थी , देखते ही ईमान डोल गया
बॉक्सर के ऊपर से अपने फड़फड़ाते लंड को मसलता हुआ मै उनके पास गया
: गुड मॉर्निंग मैम ( उनको पीछे से हग करता हुआ नाइटी के उसपे से उनके मुलायम चूचों को मसल दिया )
: अह्ह्ह्ह्ह बदमाश , गुड मॉर्निंग ऐसे करते है क्या ? ( वो सिसकते हुए बोली )


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: तो फिर कैसे करते है आप ही बताओ न ( मैने पीछे से उनकी गोल मटोल चूतड़ों की दरारों में नाइटी के ऊपर से उंगली घिसने लगा , उनके नरम चूतड़ों को हथेली में भरने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू हटो न , मुझे ये फाइल रेडी करनी है ( वो सिसकती कसमसाती हुई बोली )
: मै कहा आपको रोक रहा हु मै ( मै उनके गर्दन कंधे को चूमता हुआ नीचे सरकने लगा और धीरे धीरे उनकी शॉर्ट नाइटी को उनके चूतड़ के नीचे से खींचता हुआ बैठने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू क्या कर रह रहे हो उम्मम्म ( वो अपने बड़े बड़े गोल मटोल चूतड़ों को हल्का सा उठाते हुए बोली ताकि उनके चूतड़ों के बीच दबी हुई नाइटी आसानी से उठ जाए )


सामने उनके चूतड़ स्टूल पर फैले हुए और मेरे पंजे उनके नरम नंगे मुलायम चूतड को सहलाते हुए चूमने लगे
: उह्ह्ह्ह शानू ऐसे मै कैसे काम कर पाऊंगी , तंग मत करो न प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई गुदगुदी हो रही है कितने मुलायम होठ है तुम्हारे
:ओह्ह्ह उम्मम बदमाश काट क्यों रहे हो ( मैम हल्का सा उचकी जब मैने उनके रसीले चूतड़ पर दांत लगाए )
: आपकी गाड़ बहुत मोटी है मैम उम्मम
: धत्त गंदे कैसा बोल रहे हो , शर्म नहीं आ रही , छोड़ो ना हटो वहाआअ सेहह ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई उम्मम्म क्याह्ह कर रहे अह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह शानू उम्मम


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मैने उनके कसे हुए चूतड़ों को फैलाते हुए उनकी गाड़ की सुराख पर जीभ चलाने लगा और वो बुरी तरह से अकड़ने फड़कने लगी
उनकी भूरी सुराख को अच्छे से चाटते हुए मै उनके चूतड़ को फैलाते जा रहा था
: ओह्ह्ह्ह्ह गॉड शानू उम्मम यस बेबी फक्क्क् ओह्ह्ह्ह खा जाओ कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू डाल दो न
: क्या चाहिए मैम ( मै खड़ा होकर अपना 9 इंच लंबा बियर की कैन जैसा मोटा मूसल निकाल उसपे थूक लगाते हुए दूसरे साथ से मैम की गाड़ पर अंगूठा दरते हुए बोला )
: वही जो तुम्हारे हाथ में है ( वो बड़ी बड़ी आंखों से गर्दन घुमा कर गहरी गहरी सास लेते हुए मेरा लंड घूरते हुए बोली )
: इसका नाम भी है मैम ( मै मेरे लंड का सुपाड़ा उनके गाड़ के सुराख पर टिकाया घिसने लगा , वो आंखे उलटती हुई खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी )
: बोलो न मैम ( मैने ढेर सारा थूक लेकर उनकी गाड़ की सुराख पर लीपते बोला )
: ल लंड डालो न मेरी जान ओह्ह्ह्ह प्लीज ओह्ह्ह्ह सीईईई आराम से ओह्ह्ह्ह टाइट है आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड बड़ा है आराम से शानू ( मै मेरा सुपाड़ा उनकी गाड़ में भेद चुका था जो बड़ी मशक्कत से जा रहा था , रात में ही मैम ने बताया था कि उनके शौहर उनकी गाड़ बहुत मारते थे और सुबह मेरी नियत खराब हो गई ).


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: अह्ह्ह्ह्ह मैम आपकी गाड़ बहुत कसी है आह्ह्ह्ह कितना मजा आ रहा है घुसाने ओह्ह्ह ( मै हल्का हल्का उनकी गाड़ में लंड आगे पीछे करने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई हार्ड ओह्ह्ह्ह गॉड इट्स टू बिग इन माय एस्स उम्मम अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड
: लो मेरी सेक्सी मैम अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ बहुत मस्त है आह्ह्ह्ह चोद चोद इसको भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह मैम


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: डोंट काल मी मैम, से माय नेम बेबी फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू
: अह्ह्ह्ह्ह रेशमा मेरी जान ओह्ह्ह्ह लेह मेरा मोटा लंड अपनी गाड़ में ओह्ह्ह्ह जिस दिन से ज्वाइन किया था तेरे गाड़ ने मुझे पागल कर रखा था अह्ह्ह्ह्ह
: तो एक बार मांग लेते मेरे राजा खुद खोल कर बैठी जाती मै तेरे लंड पर ओह्ह्ह्ह्ह
: ओह गॉड सच में क्या , ऑफिस में ही चुदवा लेती क्या
: जब ऑफिस में मिजवा सकती हु तो चुदवा क्यों नहीं सकती ( मैम की बातें सुनकर मेरा लंड और अकड़ गया )
: तो उस बहनचोद आहूजा से मिज़वाती हो अपने चूचे उम्मम
: बस दो बार अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रुकना मत चोदो ओह्ह्ह्ह गॉड आ रहा है ओह्ह्ह्ह अम्मीईईई फक्क्क् मीईईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
: साली रंडी आज तेरी फाड़ दूंगा ( मै पूरे जोश में अपना लंड उनकी गाड़ में पेलने लगा और वो झड़ रही थी )
: हा फाड़ दो भर दो मेरी गाड़ ओह्ह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह शानू पेलो और तेज अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क्क् मीईईईई हार्ड


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: अह्ह्ह्ह लह्ह्ह साली अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह भर दिया
मै उनकी गाड़ में झड़ते हुए लंड बाहर निकाल दिया और


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वो स्टूल पर बैठे हुए रही
धीरे धीरे उनकी गाड़ सारा रस बाहर उगलने लगी जो उनकी चूत से रिसकर कर फर्श पर गिरने लगी और वो खिलखिला रही थी मै भी उस रंडी को देख कर अपना लंड सहला रहा था ।

फिर मै उसके पास आगे गया और उसके लिप्स चूसने लगा
: नहाने चले
: हम्म्म ( वो मुस्कुरा कर बोली )
फिर हम नहाने के लिए बाथरूम में गए और फिर ऑफिस के लिए तैयार होने लगे ।



मै रेडी होकर नीचे आया और अम्मी ने नाश्ता तैयार कर दिया था
: शानू नाश्ता कर ले बेटा ( अम्मी आज खुश थी )
: जी अम्मी
: अच्छा सुन आज लेट तो नहीं होगा तुझे ( अम्मी ने नाश्ते की प्लेट देते हुए पूछा )
: पता नहीं अम्मी , आज प्रोजेक्ट सबमिट करना है शाम भी हो जाएगी क्यों ( मै जान रहा था कि अम्मी बस मुझसे कनफर्म कर रही थी क्योंकि आज नगमा मामी आने वाली है )
: अरे अगर समय से आ गया तो बाजार चलना था शॉपिंग के लिए
: अह कोशिश करूंगा अम्मी , और अगर लेट हुआ तो जुबैदा चच्ची के मोबाइल पर काल कर दूंगा ( मोबाईल का नाम आते ही अम्मी के चेहरे के हाव भाव बदल गए )
: तू फोन लेकर जाएगा क्या ?
: ओह सॉरी भूल गया था , मैने तो प्रोमिस किया है न मोबाइल नहीं चलाने का ( मै उखड़े हुए स्वर में जबरन मुस्कुराहट लाते हुए बोला)
: अरे बेटा ऐसा नहीं है , लेकिन अब हिसाब भर मोबाइल चलाना । तेरे एग्जाम भी तो आ रहे है उसकी तैयारी कर ( अम्मी ने मेरे सर सहलाती हुई बोली)
: जी अम्मी ( एक अजीब सी सरसराहट हुई बदन ने अम्मी ने जब हाथ फेरा तो )
: जल्दी से नाश्ता कर ले , 10 तो यही बज गए

मै कुछ कि तभी हाल में नगमा मामी काले बुरखे में दाखिल हुई और उन्हें देखकर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ने लगी


:हाय , रेडी ? ( मैम बोली )
: हा, लेकिन ... आप ऐसे ?
: क्यों अच्छी नहीं लग रही हूं ( रेशमा मैम ने पोज देते हुए कहा और अपनी कूल्हे बाहर निकाले )
: वो तो ठीक है लेकिन आज आहूजा सर की पैंट खुल जाएगी हीहीहीही
: और तुम्हारी उम्मम ( मैम ने सीधे मेरे लंड को जींस के ऊपर से पकड़ लिया और मेरी हालत खराब होने लगी । मैने उनकी कमर में हाथ डाल कर उनकी गाड़ मसलता हुआ )
: अगर मेरा पेंट खुली तो आपकी लिपिस्टिक खराब हो जाएगी ( वो मेरी आंखो में देख रही थी और उनकी सांसे गरम हो रही थी । फिर वो मुस्कुराने लगी)
: तुम ना, छोड़ो लेट हो रहा है


फिर हम बातें करते हुए गाड़ी से ऑफिस के लिए निकल गए।
जारी रहेगी
बहुत ही मस्त लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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" Ye aise kyu react kar rahi thi 😑" ( मैम ने टैक्स्ट से पूछा )
" Kuch nahi jalati hai hmari dosti se 😁 " ( मै मेरे काउंटर पर बैठे हुए एक कार्नर पर रेशमा मैम को उनके केबिन में देख रहा था और मुस्कुराते हुए उन्हें रिप्लाई कर रहा था )
" You are so rude shaanu , itna bhi kya tadapna kisi ko " ( मैसेज टाइप कर वो मुझे देखने लगी )
" To kya sabko chodta chalu ab " ( मैं रिप्लाई कर उनकी ओर देखा और जैसे वो मेरा मैसेज पढ़ी उनके मुंह से हंसी की पिचकारी मानो फूट पड़ी और वो मुंह पर हाथ रख कर हसने लगी और मुझे देख कर नजरे फेर ली )
" Kyu , bolo ab kya hua " ( मैने दुबारा मैसेज किया )
" Agar mai kahungi to kar loge kya " ( उनका मैसेज पढ़ते ही मेरा लंड अकड़ने लगा )
" Ha agar aapko pasnad hai mujhe kisi ko sex karate dekhna to , mujhe kya dikkat 😁 " ( मै रिप्लाई करके उनकी प्रतिक्रिया के लिए उनकी ओर देखा )
: bahut kamine ho tum , gande kahi ke ( वो मुझे मैसेज कर आंखे दिखा रही थी लेकिन उनके चेहरे की गुलाबी हसी छिप नहीं पा रही थी )
: sach kah raha hu agar aap ha karo to yahi office me isko chod dunga , wo bhi apke samne ( मैंने बड़े रुआब से मैसेज कर अपनी चेयर पर झूलता हुआ उनकी ओर देखा और वो बड़े ताज्जुब से मेरा मैसेज पढ़ी , उनकी आंखे बड़ी हो गई थी )
" achcha itne daring baaz ho , lekin bachchu wo manegi tb na " ( उन्होने रिप्लाई किया )
" Lagi bet , agar wo man gayi to apko bhi meri baat manani padegi " ( मै पूरे आत्मविश्वास से उनको मैसेज कर घुरा )
" Kya, karnaa hoga mujhe " ( मैसेज भेज कर वो मुझे इशारे से पूछी )
" Wo baad me bataunga, aap ready ho bet ke liye " ( मैं मुस्कुराया )
" Thik hai bachchu , sabnam ko tum jitni kachchi khidalin samjh rahe ho wo itni hai nhi , dekhna bet mai hi jeetungi aur mai jeet gayi toh tumhe bhi mera kaha kuch Krna pdega, done ? " ( काफी देर टाइप करने के बाद वो भी बड़े रुआब में मेरी तरह ही अपनी चेयर पर सिर पीछे टीका कर मेरी ओर देखने लगी )
" Done" ( मैने भी उनका मैसेज पढ़ कर रिप्लाई करने में देरी नहीं की )
" Waise aapki baaton ne mera land khda kar diya hai , aau chusoge " ( मैने दुबारा से मैसेज कर बड़ी शरारत भरी नजरो से उन्हें देखा)
वो लाज से मुस्कुरा कर वही से बैठे मुझे डांट लगा रही थी फिर कुछ टाइप करने लगी और मेरा मोबाइल बीप हुआ
" Agar Sabanam ko chod diye to uske samne tumhara mota land chusungi , ye meri tarf se gift rahegi tumhari jeet ki " ( अह्ह्ह्ह्ह मैसेज पढ़ कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और धीरे से मिज दिया मै उसको )
" Lekin aaj raat me to dogi na " ( मैने गुजारिश भरी नजरो से देखा )
" No, aaj mujhe ek dost ke yha jaana hai to sorry baby , kal pakka dungi " ( वो भी उदास होकर रिप्लाई की )
" Waise bhi tum Sabnam par focus Karo , aaj uski salwaar kuch jyada hi chust hai 😛 " ( मैम ने मेरा मूड सही करने के लिए मैसेज किया मगर आज रात उन्हें ना चोद पाने का ग़म तो रहेगा ही )

मै मैसेज पढ़ रहा था और मेरी नजर फौरन सबनम को खोजने लगी ।
आहूजा के ऑफिस ने सबनम निकली और जैसे ही मेरे पास से गुजरी , मेरी नजर उसकी लहराते सूट के नीचे चुस्त सलवार पर थी जो उसके गोल गोल पतीले जैसे चूतड़ों पर कसे हुए थे और लंबी टांगों में सिलवटें जांघों तक जा रही थी । उसके हल्के हल्के झटके खाते गाड़ को देख कर जी ललचा गया ।


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: हाय सबनम ( उस मतवाली के कड़क थिरकते चूतड़ को देखकर मन में बड़बड़ाता हुआ अपना लंड मसल दिया मैने
सबनम - ये भी सिराज के जैसे ही प्राइवेट थी और 12000 की तनख्वाह पर जॉब करती थी । कार्यालय सहायिका का पद था उसका मगर प्राइवेट होने के कारण आहूजा उसे कुछ खास तबज्जों नहीं देता था उसका एक कारण था कि सबनम ने उसके ऑफर को पूरी तरह मना कर दिया था और ये बात ऑफिस में सभी जानते थे । इसीलिए कभी कभी चपरासी वाले काम भी वो हरामी उस बेचारी से करवाता जैसे पानी मंगवाना या फिर फाइल और दूसरी चीजें मंगवाना भिजवाना । बेचारी इस शहर में अपने मामू के पास रहती थी । सभी को लगभग उससे हमदर्दी थी मगर उसकी कसी जवानी और अनछुआ बदन ऑफिस में किसे नहीं लुभाता । अक्सर कही न कही उसको दबोचने की चर्चा होती रहती गुपचुप में ।

मेरा मोबाइल रिंग हुआ तब कही मै उसकी ओर से नजरे हटाया और तब समझ आया कि मैं तो काफी समय से उसकी ओर देखे जा रहा था ।
फोन अलीना का था और उससे बातें करते हुए मेरी नजर रह रह कर सबनम कि ओर जा रही थी , एकदम से उसके चेहरे पर मुस्कुरा आ गई थी । चेहरा गुलाबी होने लगा था और बार बार वो फाइल में कुछ करेक्शन करती हुई अपने गिरते लट को कानो ने उलझाती हुई मेरी ओर देखती कि मै उसे देख रहा हु या नहीं ।

मैने फोन रखा और खड़ा होकर उसकी ओर बढ़ने लगा , उसकी बेचैनी साफ साफ दिखने लगी , निगाहे उसकी चकर मकर हो रही थी और हाथ कांप रहे थे । मगर मै उसके बगल से निकल कर ऑफिस की टेरेस की ओर चला गया ।
क्योंकि काफी समय से मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट सी हो रही थी और बाथरूम में ऊपर ही था ।


किसी तरह खुद को छिपाते हुए मै छत पर आ गया लेकिन यहां तो मेरे लौड़े लगे हुए थे , लास्ट बार की तरह इस बार भी मैने जीने का दरवाजा खुला रखा था ताकि जुबैदा चच्ची की छत फांद कर अपने छत से मै नीचे चला आऊ मगर यहां तो दरवाजा बंद था ।
3 - 4 बार कोशिश की मगर नहीं खुला तो मै समझ गया कि जरूर अम्मी किसी काम से छत पर आई होंगी और दरवाजा बंद कर चली गई ।
खड़े लंड पर धोखा सा लग रहा था और भीतर की तड़प बढ़ती ही जा रही थी ये सोच कर कि ना जाने अम्मी अपनी सहेली को कमरे में नंगी कर क्या कर रही होगी ।
जैसे अब्बू ने वो वीडियो भेजी थी क्या अम्मी भी नगमा मामी की चूत चाट रही होगी
अम्मी भी नगमा मामी की चूचियां मिजेंगी अह्ह्ह्ह सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था , कि अब फटे तब फटे ।
मगर ज्यादा समय तक मेरा छत पर रहना ठीक नहीं था , अम्मी को ना जाने कैसे मेरे हरकतों की भनक लगती जा रही थी । इसीलिए मै लापरवाही न करते हुए वहा से निकल गया ।


: अबे कहा घूम रहा है ( सिराज ने पीछे से दबोचा )
: अबे तू ( साले कहा से आया )
: मूतने आया था , तो बाथरूम में तू गया था
: ठीक है जल्दी जा निपट ले ( मै उसको बोला और छत से सड़क की ओर देखने लगा कि जीने पर कुछ आहट हुई और ये सबनम थी ।)

अब जहां ड्यूटी करता था कोई मॉल या प्राइवेट कंपनी थी नहीं जो महिला पुरुष के लिए अलग अलग प्रसाधन बनवाती , ले दे कर पूरे ऑफिस में दो ही बाथरूम थे एक ग्राउंड फ्लोर पर हो पूर्ण रूप से सार्वजनिक होने के कारण कोई भी कर्मचारी उसमें नहीं जाता था इसके बजाय सब ऊपर ही आते थे ।
वो बिना बोले सीधे बाथरूम की ओर जाने लगी

: सबनम रुको , वो सिराज गया है ( ना चाहते हुए भी मुझे उसको रोकना पड़ा )
वो रुक गई और मुस्कुराते हुए किनारे खड़ी हो गई , मुझसे रहा नही गया और मै टहलते हुए उसके पास गए
: हाय ( मै चहक कर उससे बोला )
: हाय ( वो मुंह बना कर बोली , पुरवा हवा से उसका शिफॉन का दुपट्टा उसके सीने से चिपक गया था और उसके दोनों नारंगी से उभार साफ साफ नजर आ रहे थे , जी तो कर रहा था यही खुली छत पर उसकी पतली कमर में हाथ डाल कर उसके लिप्स चूसने लग जाऊ , जानता था कि सबनम जरा भी ऐतराज नहीं करेगी ।
: अच्छी हवा चल रही है न ( मै मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा )
: हम्म्म ( वो बिना मेरी ओर देखे बोली )
: गुस्सा हो मुझसे ( मैने उसकी ओर घूमकर कहा )
: मै कौन हूं तुम्हारी जो तुमसे गुस्सा रहूं ( उसकी पूरी हरकते प्रेमिकाओं वाली थी , वैसे ही तुनकना और हक जताना , जिसपे मुझे ज्यादातर इरिटेशन ही होती थी मगर हवस की लालच में मुझे हसी आ रही थी )
: क्यों तुम मेरी दोस्त नहीं हो ( मैने दाव फेका )
: दोस्त ?? ( वो हस्ते हुए बोली और एक दर्द सा दिखा उसकी आंखों में )
: तुम मायने भी जानते हो शानू दोस्ती के ( वो मुझे समझाते हुए बोली ) तुम्हारे लिए पैसे वाले लोग ही तुम्हारे दोस्त हो सकते है , मै तुम्हारी दोस्त नहीं हो सकती ( लगभग डबडबा गई उसकी आंखे जैसे कितना दर्द लिए बैठी थी मन में और अभी भी उसे निकालना नहीं चाहती थी )
वो वहां से निकल गई इससे पहले कि सिराज आता ।
: कौन था बे ( बाथरूम से निकलता हुआ बोला )
: क कोई तो नहीं ( मैने बात छुपाई )
: अबे मुझे तो आवाज आई किसी लड़की की ( इधर उधर देखने लगा )
: साले साठिया गया है क्या बहनचोद , चल
फिर मै सिराज नीचे आए और मेरी नजर सबनम की ओर गई , वो मेरे ओर देख नहीं रही थी बस चुप थी अपने काम में मशगूल ।
ऑफिस बंद हुआ तो सिराज ने अपने घर चलने को कहा लेकिन मैने मना कर दिया और अपने घर के लिए निकल गया बाइक से



मै घर आ चुका था और नगमा मामी जा चुकी थी ,
उस वक्त अम्मी घर में अकेली थी और मै फ्रेश होकर नीचे आया , मेरा मूड खराब हुआ पड़ा था जो दुपहर में हुआ उसको लेकर ।
अम्मी खाने का प्लेट लेकर आई और मुझे देकर मुस्कुराते हुए चली गई । जल कर रह गया भीतर से ये जानकर कि अम्मी ने जानबूझ कर दरवाजा बंद किया था । अम्मी मेरे मजे ले रही थी और मेरा मूड उखड़ा हुआ था ।
खाने का जरा भी मन नहीं हो रहा था ।

: हम्म्म ले चला ले , जान रही हूं बिना मोबाइल के खाना गले से उतरेगा नहीं ( वो गले में ही हस कर मेरे मजे लेते हुए बोली लेकिन उनके खिले हुए गुलाबी गाल उनकी सारी शरारतें बयान कर रही थी )
आंखे उठा कर मै मोबाईल लिया और हल्का सा मुस्कुराया और लगभग लजा ही गया था मानो ।
जैसे ही अम्मी किचन की ओर गई मैने फटाफट करके गैलरी व्हाट्सएप फाइल्स खंगालने लगा , मगर जिस चीज की तलाश थी मुझे वो दिखी ही नहीं ।
अब्बू से व्हाट्सअप चैट पूरी क्लीन थी , पूरा का पूरा कैमरा फोल्डर ही डिलीट था और गैलरी में मुझे मेरा ही थोबडा नजर आ रहा था ।
: कुछ दूं शानू ( किचन से अम्मी ने आवाज दी )
: न नहीं अम्मी ( मै हड़बड़ा कर यूट्यूब चालू कर तारक मेहता देखने लगा )

मेरी नजर सीरियल की कोमल आंटी पर थी शॉर्ट कुर्ती में झलकते हुए उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर अम्मी के गाड़ का ख्याल आ रहा था ।
तभी मेरे कानो में अम्मी की खनक भरी हंसी आई और मै बुरा सा मुंह बनाता हुआ खाना खाने लगा , क्योंकि अम्मी छुप कर मुझे फोन खंगालते जरूर देखी होगी ऐसा मेरा यकीन था और मेरे मजे ले रही थी ।

कुछ देर बाद मै ऊपर चला गया और अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा , एग्जाम सर पर थी मगर घंटा मेरा मन पढ़ाई में था । रह रह कर नगमा मामी और अम्मी के बीच हुई मस्ती न देख पाने का मलाल था ।
घड़ी में 5 बजे थे और मन नहीं लग रहा था तो सोचा कि बाहर टहल लेना ही सही होगा , मै कमरे से बाहर आया और जीने से नीचे आते ही अम्मी की खनकती हंसी आई वो फोन पर बातें कर रही थी ।
मै दबेपाव चुपके से जीने पर ही खड़े होकर उनकी आवाज सुनने लगा
: बहुत शरारती हो गया है वो , अभी कल मार भी पड़ी लेकिन बाज नहीं आया , स्कूल से आते ही मोबाइल में जल्दी जल्दी खोजने लगा हीहीहीही ( खीझ रहा था मै और गुस्सा भी आ रहा था अम्मी पर कि मेरा मजा ले ही रही थी अब अपनी सहेली को भी बता रही है )
: हा यार पूरी फोल्डर ही मैने ट्रांसफर कर दी , तू फिकर मत कर वो नहीं खोज पायेगा हीहीही ( अम्मी की बातें सुनकर मेरी डूबती उम्मीद को एक किनारे का सहारा दिखा )
: पूरे 64GB की है , अब सारे वीडियो उसी में रखने वाली हु और तू जरा सावधानी से कुछ भेजना समझी

मै अम्मी की बातें सुनकर 4 कदम पीछे हो गया और समझ गया कि अम्मी ने जरूर सारी फाइल किसी मेमोरी कार्ड में ट्रांसफर कर ली । एक ओर मुझे खुशी थी मगर वो मेमोरी होगी कहा उसको खोजना पड़ेगा ।
मगर मुझे एक इडिया सुझा था और वो शायद अम्मी के शातिर दिमाग को भी मात देने वाला था ।

: अम्मी , अम्मी ( मै जानबूझ कर आवाज देता हुआ नीचे आया )
: हा बेटा ( अम्मी अभी भी फोन पर थी )
: 20 रुपए दो न , समोसे खाने है
: अकेले खायेगा क्या ? ( अम्मी हस कर बोली )
: तो 30 दो ( मै हाथ आगे करता हुआ बोला)
: रुक देती हु ( अम्मी आलमारी से अपना पर्स निकाल कर छूटे पैसे खोजने लगी और मै उनके बगल में खड़ा था )
: अरे 100 वाली दो न ( मै चहक कर बोला और मेरी नजर पैसों के बीच एक कोने पर काली मेमरी कार्ड पर गई , शायद अम्मी को लगा मै देख लूंगा तो वो घूम गई )
: नहीं फालतू खर्चा नहीं ( मेरी ओर पीठ करती हुई वो 50 का नोट दे दी ) ये ले और बाकी के मुझे वापस करना
: ठीक है

फिर मै निकल गया , समोसे मुझे वैसे भी नहीं खाने थे , मैने तो बस मेरा तुक्का चलाया था । जानता था मेमोरी जैसी छोटी चीज को अम्मी सिर्फ अपने पर्सनल पर्स में ही रखेंगी वो भी पैसे वाले में । बस मुझे इस चीज को कनफर्म करना था और दूसरा अम्मी से पैसे लेने का कारण एक और था ।

मै घर से निकल सीधा एक मोबाइल रिपेयरिंग शॉप पर गया और वहां से 20 रुपए की एक USB drive ले लिया जिसमें मेमोरी कार्ड फिट होती हो और फिर रास्ते में अम्मी के लिए समोसा पैक करवा कर वापस घर आ चुका था ।

शाम ढल रही थीं और जैसा आम छोटे कस्बों के मोहल्लों में होता है , औरतें या छत पर या फिर घर के बाहर सड़क पर खड़ी होकर बातें करती है ये उनके लिए फुरसत के कुछ आधे एक घंटे होते है क्योंकि फिर उन्हें रात के खाने की तैयारियां करनी होती है ।

अम्मी भी बाहर निकल कर बगल में जुबैदा चच्ची से बातें कर रही थी , मैने उन्हें प्रोजेक्ट लिखने का बोलकर मोबाईल पहले ही उन्हें दे दिया था ताकि वो बेफिक्र रहें ।
मै धीरे से अम्मी के कमरे में गया और आलमारी से सबसे पहले अब्बू का लैपटॉप और फिर अम्मी के परस से मेमोरी लेकर सरपट अपने कमरे में आ गया ।
लास्ट खूंटी के साथ लैपटॉप भी कुछ खास चार्ज नहीं था , मगर इतना जरूर था कि मेरा काम हो जाए ।
मैने USB drive में मेमोरी कार्ड लगाई और पोर्ट में इंसर्ट किया

!! BBOOOOOOOMM !!

एक एक करके धड़ाधक 15 - 20 वीडियो क्लिप और तकरीबन इससे ज्यादा न्यूड तस्वीरें
सबसे भड़कीले तस्वीर पर मैने क्लिक किया और वो लोड होने लगा
इधर चादर में मेरा लंड अलग उफान पर था और मै उसको मसल रहा था जैसे ही तस्वीर खुली दिल धक्क रह गया ।


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अम्मी ब्रा पैंटी में में आगे की ओर झुक कर अपनी पैंटी निकाल रही थी जो लगभग आधी से ज्यादा उनकी गाड़ से उतर चुकी थी और झुकने की वजह से अम्मी की मोटी चौकी गाड़ और भी ज्यादा फैल गई थी , गहरी भूरी दरारें किसी खाई के ऐसे थी , देख कर ही लंड का सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा ।
मैने बिना बैक किए दूसरी तस्वीर के एरो बटन पर क्लिक किया और मेरी आंखे चौंधिया सी गई मानो , लैपटॉप पर फुल स्क्रीन पर अम्मी की बड़ी सी नंगी गाड़ ऐसी फैली हुई थी मानो वो सच में मेरे आगे नंगी झुकी थी ।


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तस्वीर इतनी साफ थी कि अम्मी के गाड़ के उभरे हुए रोए साफ साफ नजर आ रहे थे ।
मै लंड को मजबूती से पकड़ कर खुद को काबू कर रहा था , दिल मेरा दुगनी रफ्तार से धड़क रहा था । इस कामोत्तेजना में डर का छौंका अलग लगा हुआ था कि कही से अम्मी ऊपर न आ जाए

तभी अगली क्लिक हुई और नकाबपोश महिला पूरा बदन नंगा
उफ्फ आंखों को देखते ही मै पहचान गया कि ये नगमा मामी है


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बड़े बड़े पपीते से लटके हुए चूचे और पतली कमर क्लीन शेव चूत और गदराई जांघें , दोनो हाथ ऊपर किए हुए ।
: अह्ह्ह्ह्ह मामी क्या माल हो तुम ओह्ह्ह्ह फक्क्क् ( मै मेरा लंड मसलते हुए बोला )
अगली क्लिक पर फिर से नगमा मामी की तस्वीर , लगभग मिलती जुलती मगर और भी ज्यादा कामुक ।


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हाल के सोफे पर घूमते फोल्ड कर बड़ी कामुक अदा से अपनी चूत के फाकों को चौड़ी करके दिखा रही थी ।
मुझसे रहा नही गया और मैने बैक करके सीधा वीडियो पर क्लिक किया

: अरे अच्छे से उठा न पूरा हा ऐसे ( वीडियो के अम्मी की आवाज आ थी , मैने झट से वॉल्यूम कम किया )
सामने लैपटॉप की स्क्रीन पर नगमा मामी अपना बुरका उठा रही थी और अपने चूतड़ नंगी कर रही थी)


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: अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद कितनी गोरी है तू अंदर से रे अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के मुंह से गाली सुनकर मेरी तो आंखे ही फटी रह गई और लंड पूरा अकड़ कर रोड हुआ जा रहा था ।
वो क्लिप खत्म होते ही दूसरी खुद ब खुद शुरू हो गई जिसमें नगमा मामी अपने जिस्म से बुरका निकाल रही थी और धीरे धीरे पूरी नंगी हो रही थी
: बहनचोद तो क्या ये ऐसे ही आई थी बिना कपड़ो के अह्ह्ह्ह्ह साली क्या गोरी गाड़ है एकदम मक्खन सीईईईई ( मै चादर में लंड हिलाते हुए बड़बड़ाया )
अगली वीडियो में अम्मी भी सिसक रही थी और सामने नगमा मामी पूरी नंगी लेती हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी
: अह्ह्ह्ह्ह फरीदा पेल दे मुझे ,लंड दिला दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह चोद दे मुझे
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान दिलाऊंगी न तुझे तेरे जीजा का लंड ओह्ह्ह्ह अम्मीई बोल लेगी अह्ह्ह्ह्ह बहुत मोटा है बैगन जैसा तेरा भोसड़ा फट जाएगा


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: हा ले लूंगी अह्ह्ह्ह कुछ कर ओह्ह्ह अम्मीईई अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू मेरे राजा मेरे जीजू पेलो न मुझे ( नगमा मामी की बातें सुनकर मैं अलग ही काम कल्पना में खो गया और आंखे बंद कर सोचने लगा कि कैसा होगा जब इतनी गर्म औरत को मेरे अब्बू चोदेंगे।। पूरे घर में इसकी चीखे गूंजेगी

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अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह मै तेजी से चादर में लंड मुठिया रहा था कि इतने ने फुर्ती से किसी ने मेरे ऊपर से चादर खींचा और मै हड़बड़ा कर अपनी इज्जत को छुपाने लगा मगर तब तक देर हो चुकी थी
मेरे सबर का फब्बारा फूट चुका था और उसके छींटे इधर उधर बिखरने लगे थे
: अम्मीईईई आप.... ( एक जोरदार तमाचा मेरे गाल पर लगा और मैं चौंधिया के बिस्तर पर गिर पड़ा )

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 013


एक नई शुरुआत


रात हो गई थी , कुछ भी खाने का मन नहीं हो रहा था ।
बिस्तर पर लेटे हुए ऑफिस में जो हुआ उसको लेकर मन उखड़ा हुआ था
मोबाईल बीप हुआ और स्क्रीन पर एक नए नंबर से मैसेज आया हुआ था

: hiii
: Hello ( मैने रिप्लाई किया )
: kese ho
: mai thik hu , aap kaun
: Sabanam ( नाम पढ़ते ही कलेजा धकधक होने लगा )
: kaisi ho Sabnam?
: Thik hu , khaana khaye tum ?
: abhi time hai aur tum ( मैं पूछा )
: mera ho gaya dinner ( वो बोली )
: sorry ( उसका फिर से रिप्लाई )
मानो एक चुप्पी सी छा गई है मेरे मन में सारी उलझने सुलझ गई हो और वो मेरे सामने ही बैठी मुझसे बातें कर रही हो ।
: sorry kis liye ( मैने पूछा )
: call Karu ( मैने दुबारा से मैसेज किया )
: hmmm ok karo

मैंने फौरन काल कर दिया उसको
: हाय कैसी हो ( मैने बोला )
: अभी बताया तो फिर से क्यों पूछ रहे ( वो महीन आवाज में बोली )
: बस ऐसे ही , तुम सॉरी क्यों बोल रही थी उम्मम
: बस ऐसे ही ( मेरी बात दोहराते हुए बोली )
: क्या हुआ बोलो न ( मैने पूछा )
: कुछ नहीं , तुम्हे बुरा लगा होगा न मैने ऐसे कहा था तो ( वो सवाल के लहजे में बोली )
: हम्म्म लगेगा ही न , तुमने सीधे सीधे मेरी दोस्ती का ऑफर इतने रूडली ठुकरा दिया था
: गलती तुम्हारी थी ( वो तुनक कर बोली)
: मेरी , मैने क्या किया ?
: 3 साल में अब जाकर अक्ल आई तुम्हे इसीलिए डांटा तुम्हे ( वो इतराई )
: अच्छा तुम भी तो कह सकती थी न खुद मुझसे ?
: मैम से फ़ुरसत मिले तो तब न तुम मुझे अपने पास देखोगे , ना जाने कितने बार तुमसे कहना चाहती थी , तुमसे बोलना चाहती थी । मगर तुम ? ( वो उदास सी हो गई )
: तुम जलती क्यों हो रेशमा मैम से , वो बस मेरी अच्छी दोस्त है और तुम भी बन सकती हो अगर चाहो तो ... ( बोलते हुए रुक गया मै )
: मुझे नहीं बनना उनके जैसा तुम्हारा दोस्त , ( वो फिर से तुनकी और मुझे हसी आई )
: अच्छा जी फिर कैसी दोस्त बनोगी ये बताओ
वो कुछ देर तक चुप रही
: सबनम !!
: हम्म्म!!
: बताओ न कैसी दोस्त बनोगी?
: जैसे अच्छे दोस्त होते है वैसे , लेकिन मैम जैसी नहीं ( वो तेजी से बोली )
: क्यों मैम जैसा दोस्त बनने में क्या बुराई है ? ( मै अचरज से बोला )
: क्यों तुम उनकी दोस्ती के फायदे नहीं जानते , या फिर तुमने लिए नहीं होगे । तुम लड़के बहुत चालू होते हो ।
: तुम कहना क्या चाहती हो , साफ साफ कहो न ( मै उलझ कर बोला )
: तुम्हारी और मैम की दोस्ती के चर्चे पूरे ऑफिस में होते है और मै नहीं चाहती कि हमारी दोस्ती को भी लोग उसी नजर से देखे ।
: हम्म्म तो तुम भी मुझे बाकियों के जैसा ही समझती हो , अच्छी बात है ( मै सीरियस होते हुए बोला )
: नहीं शानू तुम समझ भी रहे , मुझे तुम्हारे चरित्र पर कोई शक नहीं है बस मै चाहती हूं कि ये दोस्ती सिर्फ हम दोनो के बीच रहे । बस तुम और मै , और कोई नहीं ( वो उदास होकर बोली)
: लेकिन सबनम मै तुम्हे किसी धोखे में रख कर दोस्ती नहीं करना चाहता
: मतलब ? ( वो चौक कर बोली )
: मतलब कि मेरी एक गर्लफ्रेंड है और मै तुम्हे अपने life में वो जगह कभी नहीं दे पाऊंगा जैसा तुम चाहती हो ।
: हम्म्म जानती हूं, अलीना न
: क्या ? तुम्हे कैसे पता ? सिराज ने ? ( मै चौका )
: आहा, उसकी गर्लफ्रेंड ने हिहीही ( वो खिलखिलाई )
: सिराज की गर्लफ्रेंड है? ( मै एकदम से आश्चर्य होकर उससे पूछा )
: उम्मम गर्लफ्रेंड कहो या फिर टाईमपास दोस्त या फिर उसके अकेलेपन का हमदर्द हीहीही
: कौन है लेकिन ( मै अजीब सा महसूस करता हुआ उससे पूछा )
: नीलू आंटी हाहाहाहाहा ( वो खिलखिला कर हंसी )
: क्या ? सच में ? वो झाड़ू वाली से हीहीहीही सच में ? ( मै चौक गया कि सिराज का चक्कर ऑफिस में सफाई करने वाली एक आंटी से थी , मुझे हसी भी आ रही थी और उलझन भी कि कभी मुझे शक नहीं हुआ उसको लेकर )
: हा बाबा सच में , लेकिन किसी को बताना मत प्लीज
: लेकिन तुमको कैसे पता चला
: काफी दिन पहले छत वाले बाथरूम में दोनों को घुसते देखा था एक साथ हीहीहीही ( वो हस्ते हुए बोली )
: फिर कुछ दिन पहले मुझे पता चला कि तुम उससे शादी करने वाले हो ( वो उदास होकर बोली )
: हम्म्म एक वही तो है जो मुझे समझती है , वरना ( एक पल को अम्मी का ख्याल आया और इतने दिन के उन्होंने मेरी एक भी खोज खबर नहीं ली वो सोच कर आंखे भर आई )
: खैर तुमने जवाब नहीं दिया ( वो मेरी बात काट कर बोली )
: किस बात का ?
: यही कि हमारी दोस्ती बस हम दोनो के बीच रहेगी न ? ( वो बोली )
: अरे इसमें कहने वाली बात है हीहीहीही ( मै अचरज से उससे बोला , यकीन नहीं हुआ जो कुछ भी ऑफिस में हुआ उसके बाद ऐसी शुरुआत हो सकती थी )
सबनम का फोन कटा और मै किचन ने खाना बनाने लगा

खाने की प्लेट लेकर मै चुपचाप अम्मी के कमरे के दरवाजे के पास गया और दरवाजा खटखटाया
: अम्मी खोलो न प्लीज
: क्यों आया है तू चला जा यहां से शानू , मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी है
: अम्मी खाना लाया हूं , खा लो प्लीज
: नहीं खाना है मुझे , जहर दे दे मुझे उसी लायक छोड़ा है तूने मुझे ( अम्मी की बातें सुनकर दिल मेरा दर्द से भर आया और मै उदास होकर हाल में सोफे पर बैठ गया ।)

शायद इस बार मैने अम्मी की उम्मीद को तोड़ दिया था , बहुत गहरी चोट दी थी उन्हें तभी वो ऐसे अलफाज निकाल रही थी मेरे लिए, घर में एक चुप्पी सी थी और मैं खाना किचन में रख कर हाल से बाहर घर के मेन गेट के पास पहुंचा
चैनलनुमा दरवाजा के बाहर सड़क को देखकर जी कर रहा था कही निकल ही जाऊ
मन कही भटक सा गया था न जाने कहा उलझा हुआ था , कि घर में 5 मिनट से क्या हो रहा था उसकी भनक ही नहीं लग पाई
मेरे एकदम से शांत हो जाने से अम्मी फिकर में उठकर कमरे से बाहर आई और पहले मेरे कमरे में फिर ऊपर छत पर फिर आवाज लगाते हुए जीने से नीचे आई

: मै यहां हु अम्मी ( हाल में आते हुए बोला )
: कहा गया था कबसे आवाज दे रही हु ( वो गुस्से में बोली )
: ताला लगा है कहा जाऊंगा ( मै भुनभुनाया )
: खाना खाया तूने?
मैने ना में सर हिलाया
: बैठ दे रही हूं ( वो भड़क कर बोली )
: आप भी खा लो प्लीज
: मुझे भूख नहीं है
: फिर मुझे भी नहीं है रहने दो
: अभी लगाऊंगी एक फिर से ( हाथ उठाते हुए बोली और फिर कुछ सोच कर रुक गई)

चल कर वो सोफे तक गई और बैठ गई, मै पानी लेकर उनके पास गया और पानी का ग्लास उनके होठों से लगाया , दो सीप पीकर वो ग्लास हटाने लगी तो मैं गिलास टेबल पर रख कर उनके पास बैठ गया

: सॉरी अम्मी !!
: मै क्या करूं तेरी सारी का , हरकते तेरी सुधरेंगी नहीं न ( अम्मी गरज कर बोली )
: सॉरी अम्मी , प्लीज
: और इतना दिमाग लगाता कहा से है तू , उस रोज जुबैदा का छत फांद कर ऊपर से नीचे आया था तू , आज मैने दरवाजा बंद कर दिया और मोबाइल से सब हटा दिया तो अब्बू के लेपटॉप से .... क्यों करता तू ये सब बोल
मै चुप रहा , अजीब सा महसूस हो रहा था। चोरी पकड़े जाने पर जैसी स्थिति होती है वैसे मेरी थी । आत्मग्लानि से भरा हुआ था मै लेकिन अहम ने आत्मविश्वास जगाए रखा था ।
: बोल क्यों करता है ये सब ( अम्मी गरजी ) जब पहली बार तेरे अब्बू ने तुझे उनका मोबाइल छूने के लिए थप्पड़ लगाया था , उस रोज ही मुझे संभल जाना चाहिए था ।

: ओह बहनचोद , तो उस दिन मेरे बाप ने अम्मी को बता ही दिया था कि मैने मोबाइल में उनकी नंगी गाड़ देखी थी , साला इतने साल तक अम्मी ने इस बात की भनक नहीं होने दी मुझे ( मै भीतर बडबडा रहा था और अपने लड़कपने की नादानी को सोच कर खुद को बस कोसे जा रहा था ।
: बोल न अब ( अम्मी फिर से बोली )
: आ आप क्यों करते हो ये सब ? ( अटकते हुए स्वर में डरते हुए मै बोला और अम्मी की जुबान मानो कही फंस गई हो और इस सवाल का कोई जवाब नहीं था )
क्या ही जवाब देती वो कि अपने ही शौहर की बुआ बनके क्यों उन्हें रिझाती है , अपनी ही सहेली के साथ नंगा नाच करती है । क्या जवाब दें वो आखिर । सवाल पूछ कर मुझे लगातार अहसास हो रहा था कि मैने गलत किया , मुझे ये नहीं कहना चाहिए था , मगर अब गोली चल चुकी थी , तीर कमान से निकल चुका था ।

न अम्मी कुछ बोल रही थी और ना मै
बस खामोशी थी पूरे घर में ।
: अम्मी कहा जा रही हो ( अम्मी को उठ कर जाते हुए देखकर मै बेचैन हुआ )
: बैठ आ रही हु ( वो बाथरूम में चली गई )
कुछ देर बाद वो बाहर आई और हाथ मुंह धुलने लगी , फिर मै भी फ्रेश होकर वापस आया।
: सॉरी अम्मी , मुझे ऐसे नहीं कहना चाहिए था ( मै उनकी ओर देख कर बोला )
: नहीं इसमें तेरी गलती नहीं है, मुझे ये सब शुरू करना ही नहीं चाहिए था , अगर पहले ही मै तेरे अब्बू को इनसब के लिए मना कर देती तो शायद आज हम दोनो इस स्थिति में नहीं होते ।
: तो क्या अब्बू आपसे जबरन ये सब करवाते है ? ( मै अचरज से पूछा)
: नहीं , तू नहीं समझेगा ये सब । मेरी बात मान बेटा और ये सब गंदी आदतें छोड़ दे । बस इसी में तेरी भलाई है । अम्मी की बात मानेगा न बेटा बोल
बड़े ही प्यार से अम्मी ने मुझे समझा रही थीं तो भला उन्हें कैसे मना करता लेकिन शायद यही एक तरीका था जिससे घर का माहौल सही हो सकता था और अब्बू तक बात न पहुंचे ।
: जी अम्मी , जैसा आप कहोगी मैं वैसा ही करूंगा
: मेरा प्यारा बेटा ( अम्मी ने मुझे प्यार से गले लगा लिया) खाना खाएगा
: हम्म्म, आप खिलाओगे न
: हा बेटू क्यू नहीं उम्ममाअह ( मेरे सर को चूम कर वो उठी )
पूरे जिस्म में सरसराहट सी उतर गई और जैसे ही माथे से टेंशन गायब हुआ एक बार फिर सलवार में मटकती उनकी मोटी गाड़ देख कर लंड सलामी देने लगा

खाना खाने के बाद मै अपने कमरे में आ कर सो गया क्योंकि जानता था कि अम्मी इन दिनों अलर्ट मोड में है , कुछ भी करूं उन्हें भनक लग जानी है इसीलिए मै नीचे आया ही और सो गया ।


अगली सुबह नीद खुली तो फ्रेश होकर कालोनी में चाय पीने गया , बड़ा ही सुहाना मौसम था , आज सरकारी छुट्टी भी थी और बादल छाएं हुए थे । चाय की चुस्की ने मुझे और लंड दोनो को तरोताजा कर दिया था ।
इधर अलीना अपने घर वापस जा चुकी थी तो बहुत बात चीत नहीं हो पा रही थी , वहीं रेशमा मैम तो अपने दोस्त के यहां गई थी । सिराज आज घर पर होगा ये सोच कर जमीला अम्मी से भी चूत का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था ।
तभी मेरी नजर कालोनी में काम कर रहे सफाईकर्मियों पर गई और झट से मेरे जहन में ऑफिस की नीलू आंटी की तस्वीर उभरी और मुस्कुराते हुए मैने अपना चाय खत्म किया ।

फोन पर
: हैलो आंटी कैसी हो
: मै ठीक हु शानू बाबू , कहो कैसे याद किया ?
: आंटी आज छुट्टी है और कमरे की हालत खराब है , अगर आप आ जाती तो ? प्लीज मना मत करना ।
: अरे आज मौसम देख रहे हो शानू बाबू , बारिश हो गई तो वापस आने की सवारी नहीं मिलेगी ( वो बात घुमाते हुए बोली )
: अरे मै हूं न , आपको ड्रॉप कर दूंगा , आप आजाओ ( इससे पहले वो और कुछ बहाना करती मैने फोन काट दिया )

फिर मस्त अपने कमरे में लेट गया ।


: शानू , शानू उठ बेटा, बहुत काम है आज । पूरा घर साफ करना है ।

मै अम्मी की बात सुनकर भी ऐसे ही पड़ा रहा क्योंकि मैं सोया अंडरवियर में था और सुबह सुबह मेरा लंड सलामी दे रहा था अगर उठता तो जरूर अम्मी को मुझे ऐसे देख कर पसंद नहीं आता

अम्मी झाड़ू लगा रही थी और फोन पर बात भी कर रही थी
: हम्म्म अच्छा जी , छुट्टी थी तो आ जाते । बड़े आए याद करने वाले ( अम्मी लजा कर बोली , उनकी ये अदा मुझे बहुत भाती थी और अब्बू से जब भी बातें करती मेरे भीतर एक अलग ही फड़फड़ाहट होने लगती , एक उत्कुंठा होती उनकी सेक्सी और गंदी बाते सुनने की )
: नहीं , अभी वो सो रहा है ( अम्मी रुक कर बोली )
: क्या ?? धत्त बदमाश आज कुछ नहीं , क्या आप भी । शानू घर पर है पागल हो आप ( अम्मी अब्बू को फुसफुसाकर समझा रही थी और उनकी बातें सुनकर साफ लग रहा था जरूर सुबह सुबह अब्बू ने अम्मी से कुछ डिमांड कर दी है )
: नहीं नहीं , पूरा घर पड़ा है शानू के अब्बू , प्लीज मत सताइए न ( अम्मी बातें करते हुए बाहर निकल गई )

इधर मेरे भीतर एक चिंगारी भड़क उठी थी , लंड और मै दोनो बेताब थे अब्बू अम्मी का नया खेल देखने को ।
मै चादर से मुंह निकाल कर दरवाजे की ओर अपने कान को करके आवाजे सुनने लगा ।
: उह्ह्ह्ह प्लीज तंग न करो , आप तो आओगे नहीं और मुझे तड़पना पड़ेगा ( अम्मी की बातें सुनकर लंड एकदम उफान पर था , जान रहा था कि अम्मी अब्बू के आगे कितनी बेबस थी , चाह कर भी उन्हें मना नहीं कर पाती थी )
: हम्मम ठीक है रुको एक बार शानू को चेक कर लू फिर जाती हु ( अम्मी की बात सुनकर मैं वापस चादर में उसी पोजिशन ने मुंह धक कर सो गया
अम्मी आई और करीब 5 मिनट तक चुप होकर मेरी राह देखी , अब धीरे धीरे मै भी उनकी चालाकियां समझने लगा था , इसीलिए मैने भी नाटक जारी रखा ।

कुछ देर नहीं करीब 15 मिनट बाद मै कमरे से निकला और दबेपाव चुपके से नीचे उतरा
दरवाजे बंद , खिड़की बंद खिड़कियों पर अंदर से परदे ऐसे लगे थे मानो कील ठोक कर टाइट किए हो कही से एक सुराख भी नहीं दिख रही थी कि भीतर झांका जा सके ।

: ओह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा , मत दिखाओ नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी ( अम्मी सिसक रही थी )
: तुझे तो मै दीवानी ही बना देना चाहता हु , देख तेरे चूत को देखकर कैसे फड़फड़ा रहा है मेरा लंड अह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान ( अब्बू की आवाज हल्की फुल्की आ रही थी , साफ था मोबाइल स्पीकर पर कम आवाज पर रखा था )
: मान जाओ शानू के अब्बू नहीं तो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: क्या करेगी बोल उम्मम्म ( अब्बू ने अम्मी को उकसाया तो मेरी भी तलब बढ़ी अम्मी की हरकतों को जानने की )
: यह्ह्ह्ह झाड़ू ही घुसा लुंगी आपके लंड की जगह अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू आओ न उम्मम्म कितना तड़पा रहे हो ओह्ह्ह्ह ( अम्मी की बातें सुनकर मेरे हाथ बड़ी मजबूती से मेरे लंड को भींचने लगे अब मुझसे रहा नही जा रहा था , कहीं से भी अम्मी का ये रूप देखने था )
समझ नहीं आ रहा था कि कैसे करूं , क्योंकि अगर स्टूल लगाता तो अम्मी को भनक लग ही जानी थी और ऐसे में मेरी नजर जीने पर गई जहां से पहली बार मैने अम्मी अब्बू की चुदाई की झलकिया परछाइयों में देखी थी
लपका कर खुश होकर मै वहां पहुंचा तो मेरी आंखे फेल गई
लंड एकदम से आग उगलने को बेताब हो गया , कमरे में अम्मी पूरी नंगी होकर एक लंबी झाड़ू जिससे वो घर की साफ सफाई करती थी , उसकी मुठिया को अपने चूत के मुहाने पर लगा कर हल्का हल्का उसे अपनी बुर में ले रही थी खड़े खड़े ही ,



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उनका एक पैर बेड पर था और झाड़े 10 -10 इंच तक उनकी बुर ने धंसता जा रहा था , अम्मी का ये रूप देख कर मेरा लंड पूरी तरह से बगावत पर आ चुका था ।
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपने तो मेरी दुनिया ही बदल दी , आप जैसी गर्म औरत मैने किसी पोर्न वीडियो में भी नहीं देखी होगी अह्ह्ह्ह भर लो अम्मी भर अपने बुर में , नहीं तो मेरा लंड लेलो उस झाड़ू से बहुत मोटा है अह्ह्ह्ह अम्मीमीईईई ओह्ह्ह्ह
( मै सामने रोशनदान से अम्मी को अपनी चूचियां मिजते और झाड़ू को अपनी बुर में लेते देख रहा था और बडबडा रहा था , यहां से ना अम्मी तक मेरी आवाजे जा सकती थी और ना अम्मी की आवाज मुझ तक आ सकती थी , बस मै ही उन्हें देख सकता था ।


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अगलगे ही पल अम्मी बिस्तर पर लेट गई और टांगे उठा कर झाड़ू की मुठिया को अपने बुर घुसा दिया और तेजी से अन्दर लेने लगी , बुर में पेलते हुए अपनी चूचियां मसल रही और चेहरे के भाव बहुत कामुक थे मानो कितना सुकून मिल रहा हो उन्हें
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड नहीइइइ ( मै मेरा लंड पकड़ कर तेजी से बाथरूम में भागा क्योंकि मैं अब गिरा तब गिरा वाली हालत में था और जैसे ही बाथरूम में पहुंचा बाथरूम की दीवारें मेरी पिचकारी से नहाने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई मेरी सेक्सी अमीई अह्ह्ह्ह फक य्यूयू ओह्ह्ह गॉड अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह ( मै झड़ता रहा कुछ देर तक और फिर जब शांत हुआ तो जल्दी जल्दी बाथरूम साफ करने लगा , ताकि अम्मी को भनक न लगे )

फिर मै फ्रेश होकर नीचे आया और अम्मी की आवाज देने लगा
: अम्मी उठो सुबह हो गई है
मै जान रहा था अम्मी जल्दी जल्दी में कपड़े पहन रही होंगी और मुझे हसी भी आ रही थी आज बाजी मेरे हाथ थी ।
: अरे मै सो नहीं रही हु रे, काम कर रही हु ( अम्मी दरवाजा खोलकर अपना सूट सही करती हुई बोली , और उनके देह पर दुपट्टा नहीं था , बड़ी बड़ी मोटी चूचियां बिना ब्रा के साफ साफ नजर आ रही थी , अभी भी उनके तने हुए निप्पल उभरे हुए थे ।
: मुझे लगा आप अभी उठी नहीं
: मै नहीं उठी , कि तू भी उठा । आई थी जगाने तू उठा ही नहीं घर में कितना काम है । ( अम्मी अपने कमरे में सफाई करने लगी )


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अम्मी अक्सर नीचे बैठ कर ही झाड़ू लगाती थी जिससे उनके घुटने उनकी मोटी मोटी चूचियो को नीचे से उठा देते थे और ऐसा लगता था मानो वो उछल कर बाहर आ जायेगी। कितना भी हिला लो लेकिन अम्मी को देखते ही लंड अपनी औकात और आ ही जाता है ।

अम्मी झाड़ू लगा रही थी कि झाड़ू से लग कर कुछ कागज और करकट बेड के नीचे चले गए
: बेटा वो पोछा वाला बाल्टी में पानी लेकर आ मै ये सब हटाती हु ( अम्मी हाथ में कूड़ा लेकर उठती हुई बोली और उसकी बड़ी सी गाड़ ये बाहर की ओर निकली , अह्ह्ह्ह अम्मी से पल भर को भी मै दूर नहीं होना चाहता था ।
: अम्मी बिस्तर के नीचे भी कूड़ा चला गया है
: हा तू पानी लेकर मै निकालती हु
मै तेजी से बाथरूम में गया और पानी भरने को लगा कर वापस आ गया


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ओह्ह्ह क्या मस्त सीन था , अम्मी झाड़ू लेकर बेड के नीचे घुसकर कर सफाई कर रही थी और उनकी गाड़ पूरी फेल गई थी , बिना पैंटी की मोटी मोटी गाड़ देख कर मै उनकी पैंटी खोजने लगा तो देखा सोफे पर एक ओर फेंकी हुई है कपड़ो में । लंड को मिजता और अम्मी के गाड़ को सलवार में फैलाता देख कर मै वापस पानी लेने चला आया ।



: ओह्ह्ह्ह लो चाची , उफ्फ सच में आप नहीं आते तो मै अकेले कैसे करता ( पानी की बाल्टी भर कर मै नीलू आंटी को दिया और पोछा लगाने लगी )
मै दूसरे किचन की सफाई का बोलकर कमरे से बाहर आ कर उन्हें देखने लगा ,


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आंटी अपना सूट कमर तक उठा कर घुटने के बल होकर पूरी टाइल्स को घिस घिस कर साफ कर रही थी और गुलाबी सलवार में उनकी गाड़ पूरी फैली हुई थी
जी तो कर रहा था कि अभी खोलकर पेल दु और जनता था साली रंडी मना नहीं करेगी , लेकिन एक इमेज जो लेकर मै चल रहा था उसके नजर वो मुझे रोक रही थी कही न कही ।
मगर उसको पेलना तो था ही और उसके लिए मैने कुछ सोचा ।


जारी रहेगी
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UPDATE 014

किस्मत कनेक्शन

: कितनी तेज हवा चल रही है ना अम्मी
: देखना उड़ मत जाना ( अम्मी हस्ते हुए बोली , चूत से रस झाड़ कर वो काफी खिली खिली लग रही थी मै ये बखूबी समझ रहा था )
: आप हो न , आपको पकड़ लूंगा
: धत्त कमीना, जल्दी जल्दी ये सब कबाड़ हटा मै झाड़ू लगाती हूं ( अम्मी ने हुक्म सुनाया और मै लग गया काम में )
छत पर बंदरों कबूतरों ने अलग ही कचड़ा किया हुआ था , जगह ऐसा हग दिया था कि झाड़ू से भी गंदगी नहीं निकल रही थी ,
: अम्मी वो कबूतर वाली पोटी साफ नहीं हो रही है ( मै जीने के पीछे अम्मी को बताने गया )


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अम्मी झुक कर झाड़ू लगा रही थी और तेज हवा से उनक सूट पीठ तक चला गया , बिना पैंटी में उनकी सूती सलवार में बड़ी सी गाड़ दरारों सहित साफ साफ नजर आ रही थी )
देखते ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
: ऐसा कर पानी चालू कर के गिला कर दे फर्श पूरा और फिर रगड़ना ( अम्मी ने झाड़ू लगाते हुए कहा )
मै उखड़ गया कि साला पाइप लेने फिर से नीचे बाथरूम ने जाना पड़ेगा।

अजीब सी बेचैनी हो रही थी , लंड अलग अकड़ा हुआ था और दिल में एक डर सा था , पेट में काफी घबराहट हो रही थी , समझ नहीं आ रहा था कि पहल करनी चाहिए भी या नहीं
घर की सारी सफाई हो चुकी थी , नीलू आंटी बाथरूम में नहा रही थी । चुकी मेरे कमरे के बाथरूम का दरवाजा सही नहीं था , बारिश के दिनों में अक्सर उसकी चटखनी नहीं लगती थी
पहली बार नहीं था कि जब नीलू आंटी को मैने साफ सफाई के बुलाया नहीं था । इसीलिए इस बार वो नाइटी लेकर आई थी , क्योंकि दरवाजे के बारे में भी जानती थी ।
नाइटी पहन कर वो बाथरूम ने नहा रही थी और हल्की बारिक दरारों से मै भीतर झांक रहा था ।


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अंदर आंटी पानी से खुद का बदन भिगो रही थी नाइटी के ऊपर से , जैसे जैसे उनका जिस्म गिला हो रहा था , उनके गुप्तांग यौनांग स्पष्ट हो रहे थे , निप्पल अब पूरे बिजबल हो चुके थे

: शानू बाबू , साबुन नहीं है क्या ?
( मिल गया मौका और मै चहक उठा )

: खत्म ही गया होगा , दूसरा देता हु रुकिए ( दरवाजे से थोड़ा हट कर आवाज देता हुआ बोला और फिर एक साबुन की टिकिया दराज से निकाल कर बाथरूम का दरवाजा खोलने लगा )
: आ जाऊ आंटी
: हा हा आ जाओ
( मै ऊपर से पूरा नंगा बस एक चढ़ढे में उनके आगे पहुंचा , अह्ह्ह्ह्ह क्या गदराया जिस्म था आंटी का , नाइटी पूरी भींग कर उनके रसीले मम्मों से और गाड़ से चिपक गई थी ।
मेरी नजरें सीधे उनके उभरे हुए विजिबल चूचों पर गई । जिनकी काली घेरियां उनकी लाल नाइटी से झलक रही थी।
: अब लाओ भी , क्या देख रहे हो शानू बाबू
: देख रहा हु सिराज की मेहनत को आंटी
अगले ही पल वो समझ गई कि मुझे उनके बारे में पता है सब
: क्यू मेहनत रंग लाई कि नहीं ( वो इतराते हुए मेरी नजर का पीछा करती हुई भी और मेरी नज़रे सीधा उसकी उभरी हुई छातियों पर थी )
: हा आंटी रंग तो काफी चटक है , कलाकार निकला सिराज तो पूरा ( मै चढ्ढे के ऊपर से अपना लंड सहलाते हुए बोला )
: तुम चाहो तो अपना रंग भी भर सकते हो शानू बाबू अह्ह्ह्ह्ह, बड़ी मोटी ब्रश है तुम्हारी ( नीलू आंटी ने लपक कर मेरा लंड चढ्ढे के ऊपर से पकड़ लिया)
मैने भी जोश में उनको अपनी ओर पकड़ कर खींच लिया और उनके लिप्स चूसने लगा


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आंटी भी दुगने जोश से मुझ पर टूट पड़ी और अपनी चूत को मेरे चढ़ढे में बने तंबू पर घिसने लगी ,मै भी उनकी गाड़ मसलने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी क्या मस्त गाड़ है तुम्हारी पूरी टाइट
: रहेगी ही , आज तक कुवांरी जो है
: अह्ह्ह्ह्ह सच में , दोगी नहीं मुझे ( नाइटी के ऊपर से उनकी गाड़ खोदते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह नहीं दर्द होता है इसीलिए और तुम्हारा हथियार मेरी गाड़ फाड़ देगा आह्ह्ह्ह

: तो क्या सारी उम्र इस मजे से दूर रहोगी उम्मम ( मै उनको आगे घुमा कर पीछे से उनकी चूचियां मिजने लगा नाइटी के ऊपर से और लंड को उनकी गाड़ में ठोकर मारने लगा)
: अह्ह्ह्ह्ह आराम से बाबू कपड़े के ऊपर से ऐसे मसलोगे तो छिल जायेगा वो अह्ह्ह्ह
: तो निकाल दो ना ( अगले ही पल मैने उनकी नाइटी अलग कर दी , पूरा भरा गदराया जिस्म मोटी मोटी गाड़ , बढ़ती उम्र और सही खान पान न होने से स्तन थोड़े लटक गए थे और पेट निकला हुआ था मगर भीतर से पूरी शोला थी । जांघों के बीच चूत से भट्टी जल रही थी )
उसके हाथ मेरे लंड को थामे हुए कसते जा रहे थे मानो मेरे गन्ने का रस निचोड़ रही हो मै भी उसके पूरी जिस्म को मिज मसल रहा था ,


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कभी नंगे गुदाज पेट को तो कभी फटे हुए चूत के फांके को तो कभी उसकी झूल चुकी चूचियों को
: अह्ह्ह्ह बड़ी तेजी है तुम्हारे में बाबू अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह
: अभी असली तेजी देखी कहा तुमने आंटी ( मैने बाल्टी से उनके ऊपर पानी डाल कर उनके जिस्म को भिगोता हुआ बोला )
मेरे हाथ अब उनके जिस्म पर घूमने लगे
साबुन से उनके जिस्म को रगड़ रगड़ कर घिसने लगा और कभी उनकी मोटी मोटी चूचियां तो बड़ी बड़ी गाड़ हर जगह साबुन लगाने लगा


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वो भी कहा पीछे रहने वाली थी , मेरे देह पर बड़े अच्छे से मल मल कर साबुन लगा रहे थी, लंड पूरा लोहे की रोड की तरह सीधा मुंह उठा खड़ा था और वो उसको भी अच्छे से साफ कर रही थी ,

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जैसे जैसे उसके हाथ मेरे लंड को छूते वो फड़कने लगता और फिर मैने उन्हें अपनी ओर खींचा फिर पानी की पूरी बाल्टी से दोनो को भिगो दिया
वो हसने लगी और मेरा लंड खींचने लगी
मैने उन्हें फर्श पर लिटाया और फटी हुई चूत के मुहाने पर लंड लगाते हुए एक तेज धक्के से लंड पेल दिया
: अह्ह्ह्ह्ह बाबू आराम से , फटी है तो क्या हुआ अब चीथड़े करोगे अह्ह्ह्ह अम्मी बहुत गर्म है अह्ह्ह्ह
: गर्म तो तुम्हारी चूत है आंटी इस उम्र में भी इतनी गर्म अह्ह्ह्ह इतनी रसीली कैसे ? ( मैने उनकी चूत में धक्के लगाते हुए बोला )


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: बेटा मै तो एक ही चीज जानती हु , मशीन अगर यूज ना करो तो जंग लग जाती है और अगर बराबर अह्ह्ह्ह चलाअआऊ तोह उम्मम्म ऐसे ही रस बाहर फेंकती है अह्ह्ह्ह बेटा और उम्मम बहुत गजब हथियार है तेरा अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह आंटी आप भी कम गजब नहीं हो अह्ह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह्ह ऐसे हथियार का बहुत अच्छा भाव है बाजार में , सिराज से कई गुना ज्यादा मिलेगा तुझे बोल बात करूं
आंटी की बातें सुनते ही मै समझ गया कि वो चूत लेने के पैसे मिलने वाली बात कर रही है क्योंकि वो ऑफिस के बाद कई हायर सोसाइटी के घरों में साफ सफाई के लिए जाती थी और बड़े घरानों की चूत मारने को मिलेगी ऐसा सोच कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा एकदम से आगियाने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह आंटी दिल खुश कर दिया अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह आयेगा अह्ह्ह्ह्ह कहा गिराऊ अह्ह्ह्ह्ह
: जहां तेरा दिल करे बेटा
: ओह्ह्ह्ह आंटी तुम बहुत बड़ी रंडी हो अह्ह्ह्ह तुम्हारी बुर भर दूंगा मैं अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
: अह्ह्ह्ह बाबू कितना गर्म लावा है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अमीईई भर दे बेटा भर दे अपनी रंडी आंटी की बुर अह्ह्ह्ह्ह शाह
मै भी झड़ता हुआ उनके ऊपर ही गिर गया और फिर हम नहाने का खुद को साफ करने लगे


बाथरूम से पाइप लेकर मै सीधा छत पर आया
तेज बारिश हो रही थी और अम्मी भींग रही थी
: अम्मी अंदर अजाओ भीग क्यों रही है आप ( मैने जीने के पास एवं आवाज दी )
: भीग क्या जाऊंगी भीग चुकी हु , तू वही रहना । मै ये अब गंदगी रगड़ कर साफ कर दु
अम्मी झुक कर झाड़ू से कबूतरों और बंदरों ने जो गंदगी मचाई थी वो साफ करने लगी


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अम्मी पूरी भीग चुकी थी , उनकी सलवार सूट सब गिले होकर उनके देह से चिपक गए थे और उनकी गाड़ की दरार साफ साफ नजर आ रही थी ।
देख कर ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा खुजाते हुए मै उन्हें देखता रहा
अम्मी ने पूरी छत भीगते हुए साफ की और उनका जिस्म अब पूरी तरह साफ साफ नंगा दिख रहा था , हल्के रंग के सूट सलवार में उनका कातिलाना गदराया जिस्म झलक रहा था । मोटी मोटी चूचियां और उनके नुकीले निप्पल के उभार दुपट्टे के ऊपर से पता चल रहे थे और पीछे उनकी मोटी गाड़ सलवार में एकदम चिपक कर लगभग गायब हो गई थी , पूरी गाड़ साफ साफ झलक रही थी गाड़ की भूरी दरारें भी नजर आ रही थी ।

: शानू शैंपू की बोतल लाना और वो पानी की पाइप लगा दे ( अम्मी ने छत पर हाता नुमा बने जगह पर खड़े होकर बोली )
उस जगह पर बाथरूम बनाना था लेकिन कुछ कारण से काम अधूरा रह गया , रात में या फिर दिन में कभी कभी पेशाब करने के लिए वो जगह काम आ जाती है और अम्मी ने आज वही नहाने का मूड बनाया था ।

मै झटपट गया और नीचे से शैम्पू लेकर आया और पानी की पाइप सेट कर अम्मी तक लाया

: यही नहाओगे क्या आप , हल्की रिमझिम बारिश अभी भी हो रही थी ( हा अब क्या नीचे जाऊ , ये सब गंदगी लेकर , अम्मी का इशारा बंदरों और कबूतरों की पोटी पर था )
: तू तौलिया नहीं लाया
: आपने कहा क्या ?
: पागल , जा लेकर आ और भीग मत वही जीने के पास रहना मागूंगी तो देना
मै सरपट दौड़ कर नीचे गया और अम्मी के कमरे से तौलिया निकाला कि उसके साथ ही ड्राआर से अम्मी की पैंटी भी गिरी
उसको हाथों में लेते ही अजीब सी गुदगुदी महसूस हुई कितनी मुलायम थी मैने उसको सुंघा अह्ह्ह्ह्ह साबुन और अम्मी के जिस्म से मिलती जुलती खुशबू थी मेरा लंड एकदम अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई चटवा लो न बुर मुझसे सीईईईई अह्ह्ह्ह अमीईई , अरे बहनचोद अम्मी तो नहा रही है तो मै यह क्या कर रहा हु ,जल्दी जल्दी में पैंटी ड्रॉर में रख कर मै सरपट भागा

अह्ह्ह्ह्ह क्या सीन था , जीने के दरवाजे के ठीक आगे अम्मी नहा रही थी , पूरा जिस्म मानो मेरे आगे नंगा था मानो , अम्मी के देह से दुपट्टा हट चुका था और काटन का सूट उनकी मोटी मोटी चूचिया छिपाने में नाकाम था , अम्मी की गोरी गोरी छतिया निप्पल सहित साफ साफ नजर आ रही थी और गाड़ भी अब और स्पष्ट दिख रही थी
अम्मी के सर में शैंपू लग चुका था वो अपने सूट के बटन खोलते हुए मेरी ओर ही देख रही थी ,
मै इधर उधर निहार कर खुद को भटका रहा था मगर मेरी नजर रह रह कर अम्मी की ओर जा रही थी और जब मैने दुबारा उनकी कर देखा तो


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अम्मी अपने सूट में आगे से हाथ डाल कर अपनी मोटी मोटी चूचियां रगड़ रही थी । जैसे ही उन्होंने मुझे अपनी ओर देखता पाया , हाथ निकाल कर अपने चेहरे को साफ करने लगी और उनके हाथों के बीच मैंने उनके छुप कर मुस्कुराते देख लिया।
जिससे मेरा लंड और मै दोनो मुस्कुराने लगे

अम्मी ने पानी की पाइप उठाई और अपने देह पर गिराने लगी , मै भी अब ढीथाई करते हुए उन्हें निहारने लगा ,


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और वो मुझे घूर कर देखती हुई पानी अपने सर पर फिर अपने चूचों पर और जांघों पर गिरने लगी
मै जानता था अम्मी मेरे सामने होने की वजह से अच्छे से नहा नहीं रही थी बस देह धूल रही थी ।
: कोई दिख रहा है क्या आस पास ( अम्मी का इशारा बगल के छत पर था )
: नहीं अम्मी कोई नहीं है ( मैने दोनो ओर गर्दन करके देखा ) तौलिया लाऊ
: नहीं वही रुक आती हु (अम्मी अपना दुपट्टा उठाकर फ़ागती हुई मेरे ओर आने लगी उनकी चूचियां दौड़ने की वजह से खूब उछल रही थी कि अचानक से अम्मी का पैर फिसला और वो छत पर गिर गई

: अम्मीईई ( मै चीखा )
: हाय दैय्या मर गई रे!!!! ( अम्मी कराहती हुई बोली और दर्द से अपने चूतड़ उठाने लगी थी )
: अम्मी आप भाग क्यों रही थी ( मैने उनके पास आ गया था और उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देते हुए बिठाया )
: मैने सोचा कोई देख न ले अह्ह्ह्ह्ह अम्मी बहुत दुख रहा है हाय दैय्या
मुझे अम्मी का दर्द देख कर बड़ी चिंता हो रही थी और वही लंड के अपने मजे थे साला वो तो अम्मी की चूचिया इतने करीब से नंगी देखकर खुश हो रहा था रह रह कर मेरी नजर अम्मी के डार्क ब्राउन निप्पल पर जा रही थी , एकदम कड़क और तने हुए मानो सूट फाड़ कर बाहर ही आ गए हो ।
: कहा लगी है आपको ( मै आगे पीछे देख कर बोला )
: कूल्हे में लगी है बेटा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मर गई रे उठा नहीं जा रहा है अह्ह्ह्ह अमीईईई ( अम्मी कोशिश कर रही थी )
: अम्मी उठिए नीचे चलिए यहां नहीं न रहेंगी आप आइए मै उठाता हु आपको
मैने उनका हाथ अपने कंधे पर रखा और उनके कमर में हाथ डाल कर उन्हें सहारा देने लगा , अम्मी की चूचियां अब मेरे सीने को स्पर्श हो रही थी , अजीब से गुदगुदी हो रही थी जो मेरा लंड तो मजबूत कर रही थी मगर मेरे हाथो की पकड़ कमजोर कर रही थी ।
बार बार मेरा मन भटक जा रहा था और अम्मी सरकने लगती थी

मैने खुद को शांत किया और गहरी सास लेते हुए अम्मी को खींच कर खड़ा किया और वो लड़खड़ाने लगी
: नहीं बेटा मुझसे चला नहीं जाएगा अह्ह्ह्ह्ह
: तो उठा लु क्या आपको
: धत्त कमीना , मारूंगी तुझे ( अम्मी दर्द में हस पड़ी )
: तो चलो न , हिम्मत करो ( मैं अम्मी के कूल्हे पर हाथ रख कर उन्हें सहारा देता हुआ जीने तक ले आया )
: रुक जा रुक जा
: क्या हुआ ( मै उन्हें जीने की दिवाल के सहारे खड़ा किया और वो रेलिंग पकड़ कर खड़ी हो गई )
: अरे क्या हुआ क्या , ऐसे भीगे भीगे मै नीचे नहीं जाऊंगी , पूरा पोछा लगाया है
: अरे यार , अम्मी अपनी हालात देखो न , वो मै कर लूंगा आप चलो
: नहीं वो तौलिया दे ,मै देह पोंछ लू फिर
मैने हस्ते हुए उन्हें तौलिया दिया और वो खड़े होकर वही से अपने बाल फिर चेहरा और कपड़े के ऊपर से अपने चूचियों पर तौलिया थपथपा कर पानी निचोड़ने कवि फिर पेट और जैसे ही झुकने को हुई कूल्हे में फिर से दर्द उठा : आह्ह्ह्ह
: क्या हुआ
: वो मै झुक नहीं पा रही
: क्या अम्मी आप तो बच्चों से भी जिद्दी हो , बोल रहा हु नीचे चलो ( मै गुस्सा करते हुए बोला )
: अरे समझ न तू , ऐसा कर तू ही नीचे ऐसे तौलिया से पानी सूखा न बेटा , प्लीज
मै मुंह बनाता हुआ जैसे नीचे बैठा , सामने अम्मी की नंगी जांघें सलवार से झलक रही थी अह्ह्ह्ह्ह बहनचोद किस्मत दस्तक दे रही थी और मै नाटक कर रहा था । अपने आप को कोसने लगा मै और मेरा लंड ठुमके लगाने लगा ।
बारी बारी से अम्मी की दोनो जांघों पर तैलिया लगा कर पानी निचोड़ने लगा और फिर अम्मी घूम गई : पीछे भी

किस्मत मेहरबान थी मेरे हाथ अम्मी के चूतड़ पोंछ रहे रहे थे और नीचे टांगे पोछते हुए मेरे आगे अम्मी के नंगे चूतड़ सलवार में फैले हुए थे ।
रहा नहीं गया और हौले से जीभ निकालकर उसकी टिप से मैने सलवार के ऊपर से अम्मी की गाड़ को चाट ही लिया
: हो गया शानू ( अम्मी की बातों में थोड़ी नाराजगी दिखी ऊपर देखा तो वो मुझे ही निहार रही थी )
मै समझ गया कि उन्हीं नजर मेरी हरकत पर पड़ गई थी ।
: आओ चलो मैने उन्हें सहारा दिया और धीरे धीरे करके हम नीचे आने लगे
मैं उन्हें कमरे में ले आया और एक स्टूल पर बिठाया
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा , जरा आलमारी से मेरे कपड़े निकाल कर दे दे मुझे
मै उन्हें छोड़ कर अम्मी की आलमारी खोली और उनसे पूछ कर एक जोड़ी सूट सलवार निकाल कर बेड पर रख दिया
: बेटा वो दराज में सफेद वाली कच्छी और ब्रा होगी वो भी निकाल देना ( अम्मी अपने कूल्हे को पकड़े हुए बोली )
यकीन नहीं हो रहा था कि अम्मी के कपड़े मै खुद निकाल रहा था और मैने खोज कर व्हाइट ब्रा पैंटी निकाल कर बेड पर रख दी ।
: आप पक्का न पहन लोगे कपड़े खुद से ( मै अम्मी के आगे एक प्रस्ताव रखा )
: हा तू जा अभी आवाज दूंगी तुझे तब आना
मै मुंह बना कर बाहर चला आया , सोचा था कि अम्मी को आज खुद से कपड़े पहनाने को मिलेगा तो उनके नंगे बदन को छूने का मौका मिलेगा मगर शायद आज किस्मत उतनी भी मेहरबान नहीं थी ।
मै बाहर आ गया और अम्मी जान रही थी कि मैं ताक झांक जरूर करूंगा इसीलिए वो मुझे काम में उलझा दी
: बेटा चाय बना दे , दवा खाऊंगी उससे तो आराम हो जाएगा
( दरवाजे के पास खड़ा हुआ मै भुनभुना कर रह गया और किचन में चाय बनाने लगा )
कुछ देर बाद मैने चाय बनाई और कमरे के दरवाजे तक आया
: अम्मी आजाऊ ( मैने आवाज दी )
: हा बेटा आजा
मै हाथ में ट्रे लिए हुए कोहनी से दरवाजा धकेल कर खोला तो अम्मी सूट सलवार में बेड और बैठी हुई थी , एक किनारे उनकी बदली हुई गीली सूट सलवार अम्मी ने तौलिए में लपेट कर रखी थी ताकि फर्श गीली न हो ।

मै ट्रे लेकर आया और गर्म पानी निकालने लगा
: दवा कहा रखी है आप
: वो दराज में होगी
: नहीं रुक मै निकालती हूं तू नहीं जानेगा ( जबतक अम्मी बोलती मै लपक कर दराज तक आ गया था )
: अरे झोला ही ला रहा हु मै ( दराज से एक छोटा सा काटन झोला निकाला जिस पर डॉ रहीम के क्लिनिक का ही नाम था । उसमे ढेर सारी फीवर , सर दर्द , बदन दर्द , हल्के फुल्के बाम और मलहम रखे थे ।
: लो इसी में से छाट लो, (मै वो झोली उल्टी करके सारी दवाइयों को बेड पर निकालने लगा )
कयोंकि झोली में काफी सारी छोटी छोटी पत्ते में दवा थी और खोजने में मगजमारी सा था
: अरे उलट मत इधर ला ( अम्मी ने हड़बड़ी में मुझे रोकना चाहा मगर तबतक मै झोली झाड़ चुका था और उसमें से एक कॉन्डम की चौकोर डिबिया बेड पर से उछल कर फर्श पर लुढ़क कर गिरी आवाज करती हुई
हम दोनो मां बेटे की नजरे एक साथ उसपे गई ।

कमरे में एकदम से चुप्पी थी , समझ गया क्यों अम्मी एकदम से मुझे मना करने लगी थी ।
: बोल रही थी मुझे दे ( अम्मी ने मेरी कंधे और बाह के बीच पर थप्पड़ लगाते हुए गुस्से में बोली ) बद्तमीज कही का !!
"बहनचोद इसमें मेरी क्या गलती " , मै खुद से बड़बड़ाया । इगो सा हर्ट हुआ मेरा ऐसा मानो खीझ भी हुई ।
: देख क्या रहा है उठा उसे ( अम्मी ने हड़काया मुझे )
मैने हाथ सहलाते हुए वो पैकेट उठाया , जिसके ऊपर कामुक मिशनरी पोज में एक कपल नग्न होकर आपस में चिपके हुए थे ।
अम्मी ने झपट लिया मुझसे और अपने पैर के नीचे छुपा लिया
: हम्म्म ले रख दे इसे वहां वापस
मै चुपचाप समान रखा और वापस घुमा तो अम्मी दवा खा रही थी ।
मेरा चेहरा उतरा देख कर वो हल्की सी मुस्कुराई
: कहा जा रहा है बैठ पी ले तू भी
मै उदास होकर बैठ गया और चाय पीने लगा ।
: क्या खायेगा बोल
: कैसे बनाओगे आप , जब खड़े नहीं हो पा रहे हो तो ( मै गिरे हुए मुंह से बोला और वो हसने लगी )
: पिज्जा खायेगा ? ( अगले ही पल मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई )
: ऑर्डर कर फिर !!
: लेकिन अब्बू ?
: उन्हें कौन बता रहा है ( अम्मी हस कर बोली )

फिर मैने फोन से पिज्जा ऑर्डर कर दिया
: हा अब इतना थक कर खाना कौन बनाएगा
: धत्त तुम भी न बाबू
: अच्छा इधर आओ न , कितनी गरम हो तुम आंटी अह्ह्ह्ह्ह कितनी मुलायम हो और ये तुम्हारी गोल मटोल चूचियां इतनी लटक कैसे गई जरा बताओ तो
: अगर चीजे बार बार इस्तेमाल होगी तो लूज हो ही जाएगी न बाबू
: हा लेकिन तुम्हारी गाड़ आंटी, देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है ।
: अच्छा ! कबसे ?
: शुरू से ही जबसे नौकरी कर रहा हु , झाड़ू लगाते हुए आपकी गाड़ फैल जाती थी , कितनी बार उस हरामी आहूजा को आपके चूतड सहलाते देखा था। लेकिन आप बड़ी दिलदार है ये देखकर खुशी होती थी ।
: तो आ जाते आप भी बाबू , तब क्यों नहीं आए इतने साल बाद क्यों
: अरे वो आहूजा तो रंडीबाज था , लेकिन ये भी पता था कि तुम भी एक नंबर की रांड हो अह्ह्ह्ह ( मै उसके चूचे मसलते हुए बोला )
: आहूजा तो वो बेचारी सबनम को भी कितना सताता है , बहनचोद कभी कभी जी करता है कि लौड़ा कूच दूं!
: क्या हीहीहीही, आहूजा सबनम को सताता है कितने बोला ?
: क्यों आपको नहीं पता , कितनी बार मैने उसे ऑफिस में जबरजस्ती उसका हाथ पकड़ते हुए देखा है ।
: हाहाहाहाहा शानू बाबू तुम तो बड़े भोले हो , तुम्हारे जैसे भोले शिकार ही खोजती है । तभी तो मै सोचूं कि पूरी ऑफिस में वो सिर्फ तुम पर डोले ही क्यों डालती है ।
: शिकार ? मतलब ?
: तो तुम नहीं जानते उसके बारे में ?
: क्या नहीं जानता ?
: यही कि सबनम बहुत चालाक चिड़िया है , उसकी भोली सूरत पर मत जाना बाबू ।
: मै सच में नहीं समझा ?
: अभी तक तुम उसके रडार से बाहर हो तो अच्छा ही है , नहीं तो आहूजा की तरह तुम भी फड़फड़ाते रहोगे उम्र भर
: अरे कल ही उससे मेरी दोस्ती हुई है( मै हैरान होकर बोला )
: क्या ? शानू बाबू अभी भी वक्त है मत रखो रिश्ता उससे । उसने आपसे ये वादा जरूर लिया होगा कि आप इस दोस्ती को ऑफिस में जाहिर नहीं होने देंगे । ऐसा ही कहा होगा उसने

: हा , लेकिन ? ( मै हैरान था कि नीलू आंटी को कैसे पता )
: बेटा तुम बहुत भोले हो और अच्छे भी , मैने सालों से तुम्हारी अच्छाई परखी है और तुम्हारे भले के लिए बोल रही हु । उस लड़की से की रिश्ता मत रखना नहीं तो आहूजा के जैसे हालत हो जाएगी । तुम्हारी तो उतनी तनख्वाह भी नहीं जो उसका खर्चा दे पाओ
: मतलब , साफ साफ बताओ न आंटी आहूजा के साथ क्या हुआ था ।
: होना क्या था , आहूजा की आदत तो तुम जानते हो , सबनम को भी उसने आम लड़की समझ लिया था । सबनम ने उससे दोस्ती की और अपने पते पर बुलाया । सरप्राइज के बहाने आहूजा को एक कमरे में कपड़े उतार कर रहने को कहा और उसके नंगे होने की वीडियो बना ली ।
फिर वहां से भाग गई , आहूजा उस रात सबनम का इंतजार करता रहा मगर वो नहीं आई और अगली रोज उसने आहूजा के मोबाइल पर वीडियो भेजी और ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । तबसे लाखों रुपए आहूजा सबनम को दे चुका था और न जाने कितने लाख देगा और भी । इसीलिए जब भी आती है वो उससे नफरत ही करता है । ये सबनम कि ही चाल थी कि जब आहूजा ने बीच ने उसको पैसे नहीं देने लगा तो उसने आहूजा को और बदनाम कर दिया था ।

मेरी आंखे फटी की फटी रह गई
मै दिल से नीलू आंटी को धन्यवाद कर रहा था और खुद की किस्मत के साथ साथ अपने लंड को भी शुक्रिया अदा कर रहा था कि आज उसने नीलू आंटी को याद किया।

अब मेरे जहन में सबनम को सबक सिखाने की तरकीबें उठने लगी और मेरी इस एक तीर से दो निशाने लगने वाले थे ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 015

बेचैन आहें....

: अह्ह्ह्ह्ह नहीं बिलकुल नहीं , दवा से नहीं हुआ आराम
: आप कब तक आयेंगे , मुझसे अस्पताल जाना नहीं हो पाएगा ( अम्मी बेजान सी आवाज में बोली )
: शानू की अम्मी यहां ऑडिट आई है मुख्यालय से तो 3-4 रोज से पहले आना मुश्किल है , तुम इंजेक्शन ले लो न
: क्या कह रहे है , मुझसे नहीं होगा किसी गैर मर्द के आगे अपने सलवार खोलु ( अम्मी उखड़ कर कराहती हुई बोली )
: अरे मेरी बेगम वो डॉक्टर है और इलाज करेगा नहीं तो तुम सही कैसे होगी और शानू तो रहेगा ही न पास में
: अच्छा ठीक है लेकिन..... ( अम्मी कुछ सोच कर चुप हो गई )
: क्या हुआ
: कुछ नहीं ठीक है आप डॉक्टर साहब को घर पर ही आने को बोल दो , मुझसे उनके यहां जाना नहीं हो पाएगा । ( अम्मी ने अपनी बात कह कर फोन काट दी )


बाहर किचन के पास खड़ा होकर मै अम्मी अब्बू की बातें सुन रहा था और फिर पानी गर्म करके उनके कमरे में ले गया
: शानू बेटा वो डॉक्टर साहब आ रहे है , तेरे अब्बू ने कहा है इंजेक्शन लेने को ( बड़ी चिंता से वो बोली )
: सही तो कह रहे है अब्बू , आप जल्दी से अच्छी हो जाओगी ( मै उनके पास बैठते हुए बोला )
: हा लेकिन... तुझे एक काम करना पड़ेगा ( अम्मी ने नजरे चुराते हुए बोली )
: क्या अम्मी बोलो न
: वो जब डॉक्टर साहब आए तो मेरी सलवार तू ही नीचे करना ( अम्मी झेप से आंखे बंद करते हुए बोली )
: म मै ? ( मै एकदम से चौका और धीरे धीरे मेरे भीतर की वासना मेरे लोवर में अपना सर उठाने लगी )
: हा बेटा , हमारे में गैर मर्द का स्पर्श हराम है और इसीलिए तो मैं इंजेक्शन से भागती हूं। वो तो तेरे अब्बू ने बहुत जिद की तो मैं तैयार हुई हु नहीं तो मैं .... ( अम्मी ने बेजान सी आवाज ने कहा और मानो कितना अजीब सा घिनौना सा महसूस हो रहा हो उन्हें )
: अम्मी वो डॉक्टर है और अब्बू ने बिल्कुल सही कहा आपको इंजेक्शन लेना चाहिए ( मैने उन्हें समझा तो दिया लेकिन मैं खुद उलझ गया था कि अम्मी ने मुझसे क्यों कहा कि मैं उनकी सलवार खोलु)
उससे बड़ी उलझन थी कि अम्मी ने ऐसा क्यों कहा कि उन्हें गैर मर्द का स्पर्श पसंद नहीं जबकि उस रोज डॉ रहीम से ही वो अपने स्तन चेक करवा कर आई थी । इस बात से कितनी कामोत्तेजीत थी कि अब्बू से खुल कर वो साझा कर रही थी उस रोज की बातें और आज वो एकदम से अलग ही बातें कर रही है मेरे सामने



ऐसे में फोन की घंटी बजी
सबनम का ही काल था , देखते ही समझ गया और उससे कैसे बात करना है ये भी ।
फोन पर
: आज मौसम बड़ा , हाय बेईमान है बड़ा ( मै काल उठाते हुए गुनगुनाया )
: हैलो हैलो , बड़े रोमांटिक मूड के हो यार क्या बात है
: तुम्हारा नाम , चेहरा और काल सामने आते ही मूड खुद ही रोमांटिक हो जाता है ( मै लगभग अंगड़ाई लेता हुआ बोला )
: धत्त पागल , अरे अलीना मैडम ने सुना तो खैर नहीं तुम्हारी समझे हीही ( वो खिलखिलाई )
: कौन बताएगा उन्हें , तुम उम्मम सोच लो दोस्ती से पहले वो तुम्हे तोड़ेगी हाहाहाहा ( मै हंसा )
: अरे ना बाबा ना , मुझे भी तोड़नी दोस्ती तुमसे ( वो बोली )
: तो और बताओ शादी कब तक कर रही हो
: शादी ?
: हा , उम्र और शरीर दोनो से बढ़ रही हो , कब करोगी ।
: कोई तुम सा मिले रहबर तो न बात बने ... उम्मम्म ( बड़े लुभावने अदा से वो बोली लेकिन उसकी हरकते अब मुझे चिढ़ सी पैदा करती थी जहन में )
: फिर तो तुम बुड्ढी मरोगी हीहीहीही , क्योंकि मेरे लाइफ का एक ही फंडा है ।
: अच्छा जी वो क्या ?
: कॉलर और मकसद दोनों घड़ी सर्फ से साफ करो
: मतलब ?
: अरे मतलब " पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो " हिहीहीही ( मै बोलते बोलते जोर से खिलखिलाया )
: धत्त गंदे कही के , तुम न ( वो खीझी मगर ना जाने किस मिट्टी की बनी थी , इनडायरेक्टली मैने उसे चोदने का प्रस्ताव दे दिया था मगर वो अपने लक्ष्य पर अडिग थी , मै समझ रहा था इसको कही भी कुछ भी रिकार्ड करने का मौका नहीं देना है । )
: वैसे क्या कर रही हो ( मैने बात बदली )
: नहा चुकी हूं और बाल बना रही हूं
: क्या ? बिना कपड़ो के !! ( मै उसको छेड़ा )
: अब रखो तुम , गंदे कही के । मै तुम्हे कितना भोला समझती थी और तुम , रखो मै निकल रही हु ऑफिस के लिए
: मै पिकअप कर लू क्या
: नहीं नहीं , मै बोला था न इस बारे में ऑफिस या मेरे घर किसी को पता न लगे ( वो एकदम से बेचैन होने लगी और मैं मन ही मन मुस्कुराया )
: ओके फिर ऑफिस में मिलते है , बाय
: ऑफिस में क्यों मिलना , हे रुको !! ( वो परेशान होकर बोली लेकिन मैने फोन काट दिया )

: बेटा तुमने सही जगह हाथ डाला है अब देखो ऑफिस में क्या करता हु ( मै फोन काट कर बड़बड़ाया )
मै ऑफिस के लिए निकल गया
संयोग की ही बात थी कि आज रेशमा मैम नहीं आई थी , और फिर एक दो स्टाफ गायब थे । ऐसे में उनसे जूनियर होने के नाते सारे काम मुझे ही देखने पड़ते थे ।
लड़कियों को अगर थोड़ा सा भरम करा दो कि आप उनपर लट्टू है तो वो आपको रिझाने सताने का कोई मौका नहीं छोड़ती । शबनम भी आज कम कहर नहीं ढा रही थी । लेगिंस में उसके मुलायम चूतड खूब थिरक रहे थे या कहो वो खुद उन्हें झटके देकर मेरे काउंटर के आगे पीछे हो रही थी ।


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: आज तो तुम्हारी लग गई बच्चू, मैम आई नहीं है और ये लो पेडिंग फाइल्स ( शबनम ने फुसफुसा कर बोली मेरे करीब खड़ी होकर )
: क्या लगा कर चलती हो यार , बंदा तुम्हारी परफ्यूम से ही मदहोश हो जाए ( मैने बात बदलते हुए कहा )
: चुप पागल , मैने बोला था न यहां ऑफिस में कुछ नहीं ( वो दांत पिसती हुई , नजरे चुराती हुई बोली )
: अरे मुझसे रहा नही जा रहा है और तुम पाबंदियां लगा रही हो ( मैने उसकी ओर देखा वो अपने जुल्फे कानो में उलझाती हुई मुस्कुरा रही थी )
: छत पर मिले क्या , थोड़ देर में
: उम्हू ( उसने मेरे काउंटर फाइल के पेज पलटते हुए ना में सर हिलाया )
: 20 मिनट में , प्लीज ( मैने कलाई की घड़ी देखकर बोला )
: नहीइईई, तुम पागल हो क्या ( वो शब्दों को चबा चबा कर बोलती रही ताकि कोई और न सुने )
: तुम्हे देख कर आज कोई भी पागल हो जायेगा ( मैने उसके आगे आह भरी )
: ये फाइल फाइनल करो , सर ने बोला , पागल !! ( वो मुस्कुराती हुई निकल गई अपने मुलायम चूतड कुर्ती में हिलाते हुए )
मै भी उसको छेड़ कर खुश हो गया ।
कुछ ही देर में फाइल रेडी हो चुकी थी , मैने उसे अपने टेबल से ही उसको इशारा किया तो वो मोबाइल से text करने लगी

: Ho gayi ready file ?
: Files ready ho gayi , tum kab ready hogi ye btao ? Aao na upar ( मैने उसको रिप्लाई किया )
: kya kaam hai bolo ( वो अपनी आँखें महीन करती हुई घुरी )
: kuch baaten kahi nahi jaati yaar ( मैने उसको text करके उसकी ओर देखा जैसे ही उसने मैसेज पढ़ कर मेरी ओर देखा तो मैने आंख मार दी । वो पूरे गुस्से में लग रही थी )
मै समझ रहा था कि ये ऑफिस ही उसकी कमजोर कड़ी है और यहां वो अपने इमेज के लिए बहुत स्ट्रिक्ट होती है । मगर मुझे यही तो खेल करना था ।
: Thik hai tum jaao mai aati hu ( उसका रिप्लाई आया )

मै मुस्कुराते हुए अपने टेबल से उठा और उसके करीब से निकल कर जीने से ऊपर निकल गया ।
बाथरूम के दूसरी ओर दिवाल से लग कर मै खड़ा था

: हम्म्म बोलो
: अरे हाय आ गई तुम
: मैने तुम्हे बोला था न कि यहां ऑफिस में कुछ नहीं
: अरे यार तुम लड़कियां न बड़ी सेल्फिश हो , तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी
होती है , सामने वाले की फिकर ही नहीं रहती । ( मैने अपने जज्बात छलकाए थोड़े और वो मुस्कुराई )
: अच्छा ठीक है बाबा बोलो
: क्या बोलूं , जबसे दोस्ती हुई है कुछ बात ही आगे भी बढ़ी जैसे सब कुछ सूखा सूखा लग रहा हो । ( मै अपने लिप्स छूता हुआ बोला )
: मतलब ( वो अपनी भौहें चढ़ाते हुए बोली )
: हा यार इतनी सूखी दोस्ती मैने आज तक नहीं कि देखो कैसे मेरे होठ सूखे जा रहे है ( मैने उसके करीब गया तो वो पीछे हो गई )
: शानू यहां नहीं ( वो सहम कर आस पास देखने लगी )
: यहां वैसे भी है ही क्या , किसी रेस्तरां में चले , कॉफी पीने ( मैने एकदम से बात घुमा दी )
: क्या ? ( वो चौकी और हसी )
: हा यार दोस्त हो खाने पीने जा ही सकती हो , वैसे भी मै यहां अकेला रहता हु
: तो तुम यहां मुझे ये बताने के लिए बुलाए थे ( वो भड़के हुए स्वर ने मुझे घूरते हुए बोली )
: हा तो तुम क्या सोच कर आई थी ( मैं उसका चेहरा देख कर हंसा और उसके गुस्से से लाल गालों से भी हसी की पिचकारी छूट ही गई )
: धत्त तुम न गंदे ही नहीं कमीने भी हो , मै जा रही हूँ ( वो उखड़ कर जाने लगी
: शबनम रुको न ( मैने उसकी कलाई पकड़ ली )
: शानू प्लीज हाथ छोड़ो ( उसकी सास तेज हो गई उसके चेहरे पर बेचैनी साफ साफ दिख रही थी )
: शानू कोई देख लेगा , प्लीज यहां नहीं ( वो अपनी कलाई से मेरी उंगलियां खोलती हुई बोली )
: मैम के केबिन में शाम को
: क्या ? नहींईई!!
: कैबिन , शाम को ( मैने उसको अल्टीमेटम देते हुए निकल गया )
वो परेशान होकर कुछ देर बाद नीचे आई


उनका चेहरा उतरा हुआ था उनकी बेचैनी साफ साफ दिख रही थी ।
: अम्मी रहीम अंकल आ गए है
: बेटा उन्हें बाहर ही बिठा और मै लेट रही हू तू ... ( अम्मी बोलते बोलते रुक गई और इशारे करने लगी )
: जी अम्मी आप लेट जाइए , मै सलवार नीचे करके डॉ साहब को बुलाता हु ( मेरा लंड अभी से फौलादी हुआ जा रहा था , लोवर में टेंट बनने लगा था )
अम्मी अपने सलवार का नाडा लेटे हुए खोलकर करवट होकर लेट गई
मै भीतर से कांप रहा था , पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी और लंड फड़फड़ा रहा था
मैने अम्मी का सूट ऊपर कर सलवार में उंगली घुसा कर उनकी नंगी कमर को छुआ तो पूरे जिस्म के बिजली सी दौड़ गई मानो
अम्मी भी हल्की सी सिहर उठी और मैने सलवार खींच कर अम्मी के चौड़े कूल्हे से सरकाने लगा , थोड़ी मशक्कत हुई , मजा भी आ रहा था जब अम्मी के मुलायम चूतड का स्पर्श मिल रहा था
जल्द ही अम्मी की सफेद पैंटी दिखने लगी , बड़ी चौड़ी गाड़ के नीचे तक मैने अम्मी की सलवार खींच दी थी , पैंटी में भरी भरी गाड़ देख कर हलक सूखा जा रहा था, मुलायम सफेद पैंटी में गाड़ के उभार खूब चुस्त कसे हुए थे , मानो कितनी नरम और गुदाज हो

: बेटा कच्छी भी ... ( अम्मी करवट हुए ही गर्दन घुमा कर आवाज दी )
: जी अम्मी ( मै थूक गटक कर अम्मी की पैंटी में उंगली फसा कर उसे नीचे खींचने )


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मेरा सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा, लंड की नसे झटके खाने लगी जैसे जैसे पैंटी के भारी भरकम चूतड से पैंटी सरक रही थी उनकी गोरी गोरी दूधिया गाड़ नंगी हो रही थी और दरारों की शुरुआत होते ही दिल की धड़कने तेज होने लगी
कसी हुई दरारें आपस में चिपके हुई मानो अम्मी ने उन्हें सख्त कर रखा हो , जीभ भर भर कर लार टपका रही थी और लंड भी लसिया रहा था ।

दोनों हाथों से खींच कर मैने अम्मी की गाड़ पूरी नंगी कर दी , जी तो कर रहा था कि पंजे में भर सहला दूं मगर डर था कही अम्मी नाराज न हो जाए और उसपे से डॉ रहीम भी बाहर बैठे थे ।
: अम्मी भेज दूं अंकल को ( मै खड़े होकर बोला )
: हम्म्म बेटा भेज दे और तू जरा बाहर ही खड़े रहना
: जी अम्मी
मै बाहर आया और डॉ साहब को बुलाया और उन्हें दरवाजे तक ले गया
दूर से ही अम्मी करवट लेते हुए दिखाई दी , सलवार जांघों में और चूतड़ों के दोनो बड़े बड़े गाल नंगे और विशाल ,


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देख कर लंड दुहाई माग रहा था उसपे किसी गैर मर्द के सामने अम्मी की नंगी देखना भीतर से अजीब सी गुदगुदी बढ़ा रहा था और लंड खुद ही झूम रहा था ।

दरवाजे के पास खड़ा मै देख रहा था डॉ साहब अम्मी के पास खड़े हुए और उनका कुछ हाल लिया।
फिर हाथों से अम्मी के कूल्हे चेक किया , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , भींच कर मैने उसकी बौखलाहट को दबाने की कोशिश कर रहा था कि कैसे एक गैर मर्द मेरे आगे ही अम्मी के गाड़ छू रहा था और जिस वजह से अम्मी ने मुझसे अपनी सलवार खुलवाई वो बात की कोई अहमियत नहीं दिख रही थी


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डॉ साहब से मेरे सामने ही अम्मी को इंजेक्शन दिया और देर तक अम्मी के गुलगुले चूतड़ में रुई दबा कर उसे हिलाते रहे , अम्मी की गाड़ को हिलाता देख लंड एकदम फड़फड़ा रहा । जैसे ही डॉ साहब ने अम्मी को अलविदा किया और वो बाहर आने को हुए वो भी अपना लंड पेंट के सेट करते हुए कमरे से निकले

अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता है अम्मी की बुरखे में थिरकती गाड़ देख कर , डॉ साहब ने तो जी भर कर सहलाया था
मै नजरे चुराता बाहर खड़ा रहा था

: शानू बेटा , भाभीजान को इंजेक्शन दे दिया है , ये मलहम और दवा लिख रहा हु बाजार से ले लेना
: जी अंकल और आपकी फीस
: उसकी फिक्र नहीं करो , अब्बू से मेरी बात हो गई है तुम्हारे ( वो मेरे बाल सहलाते हुए बोले )
: जी ठीक है , बैठिए पानी पीकर जाइए
: नहीं बेटा फिर कभी , भाभीजान का ख्याल रखना और ये दवाई भूलना मत
: जी अंकल , नमस्ते
: नमस्ते ( वो मुस्कुराते हुए निकल गए )
मै भी लपक कर अम्मी के पास गए , अम्मी अभी भी वो इंजेक्शन वाली जगह पर रुई से दबाए लेटी थी वैसे ही नंगी
: अम्मी
: अह गए क्या वो बेटा
: जी अम्मी
: अह्ह्ह्ह उन्हें चाय पानी का भी नहीं पूछ पाई
: मैने पूछा था अम्मी , वो बोले उन्हें कही जाना है इसीलिए फिर कभी आयेंगे
: अच्छा किया बेटा , अह्ह्ह्ह अब जरा ये सलवार चढ़ा दे अह्ह्ह्ह
: जी अम्मी ( मै न चाहते हुए भी अम्मी के सलवार और पैंटी को ऊपर किया )
: अम्मी डॉ साहब ने कुछ दवाएं और मलहम लिखा है , मै लेकर आता हु
: ठीक है बेटा , बैग से पैसे ले ले मेरे

मैने बैग से पैसे लिए और दरवाजा लगा कर निकल गया

अभी खोवामंडी से निकल कर मेन मार्केट में घुस रहा था कि मेरी नजर नगमा मामी पर गई
वो हड़बड़ी में अपने दुकान से मेरे मुहल्ले की निकल रही थी
मै समझ गया कि जरूर अम्मी ने ही फोन किया होगा ।

मै फैजान के मेडिकल स्टोर पर आया और अम्मी की दवाइयां लिया
फैजान की अम्मी ने भी अम्मी की खैरियत पूछी और मै दवाएं लेकर जल्द से जल्द निकल गया ।
इधर हाथ में अम्मी की दवाइयां थी तो उधर दिमाग अपने अलग घोड़े दौड़ा रहा था ।
अम्मी की सहेली घर पर जा रही है तो मुझे न पाकर दोनों कोई खेल न शुरू कर दें
दुगनी रफ्तार से मै भाग रहा था , आज कोई भी मौका छोड़ने के फ़िराख में नहीं था ।
घर पर आया तो चैनल आधा खुला था साफ था कि नगमा मामी आ चुकी थी , मैने भी बड़ी सतर्कता से घर में घुसा और हाल में कमरे के बाहर खड़ा हो गया

: अब मै क्या करती मुझे जो सही लगा किया मैने ( अम्मी बोली )
: तुझे लगता है उस रोज जब तू दिखाने गई थी तो शानू को पता होगा ( नगमा मामी ने सवाल किया )
: पता नहीं वही तो उलझन थी , लेकिन ये तो पक्का वो मेरे कमरे में ताक झांक काफी दिनों से कर रहा है और उसकी आदत नहीं सुधर रही है ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
: और जिस रोज मै डॉ साहब के यहां से आई थी वीडियो काल पर शानू के अब्बू ने ... तू तो जान ही रही है उनकी आदत खुद डॉ बनकर सारी जांच करने लगे और मुझे डर था कही उसने कुछ सुना होगा तो इसीलिए मैने उससे कहा

अम्मी और मामी की बातें चल रही थी और मैं समझ रहा था कि अम्मी ने कैसे अपनी छवि मेरे सामने सही रखने के लिए अपना काम निकलवाया
: वैसे कहा है वो बदमाश ( मामी ने चहक कर पूछा )
: वो डॉ साहब ने मलहम और दवा लिखी थी , लेकर आता ही होगा । ( अम्मी की आवाज आई)
: इतना बहरूपिया लडका मैने देखा नहीं , मेरे सामने आते ही ऐसा शर्माता है कि पूछो मत , जरा सा छेड़ दु तो दुल्हन जैसे लाल हो जाएगा और यहां इस घर में उसके कारनामे ही अलग है ( मामी खिलखिलाकर बोली )
: अरे बहुत नौटंकीबाज है नगमा वो , मै तो तंग आ गई हु
: वैसे उस रोज सिर्फ मेरी ही तस्वीर देखी थी या तेरी भी
: पता नहीं , पूरी की पूरी चिप घुसा कर लैपटॉप में देख रहा था कमीना
: अरे तेरे इस तबेले जैसी गाड़ को देखकर कौन दीवाना नहीं होगा हीहीहीही ( मामी ने अम्मी की कमर पर चिंगोटी करते हुए उन्हें छेड़ा )
: धत्त कामिनी, छोड़ दर्द हो रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई भाग यहां से ( अम्मी दर्द में हसते हुए बोली)
: कोई बात नहीं अब आने दो नवाब साहब को शराफत झाड़ती हु उनकी

मै मुस्कुराने लगा और मेरा लंड भी मै वापस गया और चैनल खींच कर दुबारा घर में आहट करते हुए आया
तबतक दोनो सतर्क हो गई थी ।
: आ गया बेटा तू ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली)
: हा अम्मी , नमस्ते मामी ( मै नगमा मामी को देख कर बोला )
: नमस्ते बेटा
: अम्मी पानी ला रहा हु दवा खा लो और ये मलहम भी लगा लो
: हा खाती हु तू पहले अपनी मामी के लिए चाय बना
: जी अम्मी
मै किचन में आ गया और वहां फिर से उनकी बातें फुसफुसा कर होने लगी ।
तभी मामी उठी और कमरे का दरवाजा बंद कर दी और खिड़की पर भी पर्दे लगा दिए ।
मै परेशान होने लगा कि इस समय मै घर में हु तब भी ये लोग क्या करने जा रहे है ।


मेरी बेचैनी बढ़ रहे थी , मै रह रह बाहर झांकता और उसके आने का वेट करता
जैसे ही कोई ऑफिस का स्टाफ नज़र आता मै आलमारी में फाइल खोजने लगता , रेशमा मैम के केबिन में मुझे आने जाने की अनुमति थी और उनकी अलमारी की चाभी भी मेरे पास ही होती थी
कुछ हो देर में शबनम कमरे में आई
देखते ही धड़कने तेज
मैने इशारे से पास आने को कहा वो वही खड़ी खड़ी ना में सर हिला रही थी
: आओ न ( मै धीरे से फुसफुसाया )
क्योंकि जहां मै खड़ा था वहां आलमारी और दरवाजे की ओट थी और वो दरवाजे के दूसरी ओर खड़ी थी । मै उसे खींच भी नहीं सकता था
वो ना में सर हिला रही थी और बहुत परेशान थी , मगर उसकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो केबिन में आ गई
मै जान रहा था वो यहां तक आई है तो आगे भी मेरी ही चलने वाली है

आस पास देखकर मैने खुद से उसको पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो मेरी बाहों में
: क्यों भागती हो इतना दूर दूर (
दरवाजे की ओट में मै उसकी आंखों में देखता हुआ बोला )
: शानू छोड़ो कोई आ जाएगा ( वो फुसफुसाकर छटपटाने लगी और मै उसकी सारी शराफत वाली नौटंकी समझ रहा था )
: शीईईईई ( मैने उसके लिप्स पर उंगली रख दी और दूसरे हाथ से उसके कमर पर हाथ फेरने लगा )
उसकी सांसे चढ़ने लगी आँखें बंद होने लगी और मैने उसके होठों से उंगली हटा कर अपने लिप्स लगाए


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तो उसने खुद ही अपने होठ खोल दिया और दो स्मूच के बाद मैने अपने पंजे ने भर कर उसका एक चूतड़ नोचा वो उचकी और मैंने अपना खड़ा लंड जो पेंट में तम्बू बनाए हुए था सीधा आगे उसकी जांघ में सटा कर चुभो दिया
कभी आगे तो कभी पीछे वो बचने लगी और उसके लिप्स मेरे लिप्स से कैद से मेरे सीने पर मुक्के चल रहे थे और मैने कस कर उसके लिप्स चूस कर उसको छोड़ दिया

एक तरह से मैने उसके साथ बदतमीजी ही की थी और यही मेरे प्लान का पहला स्टेप था , शबनम के भीतर एक चिंगारी भड़काने का ।


जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 016


बेकरार रातें



मै घर आ चुका था और जैसी मेरी योजना थी वैसा ही काम हो रहा था ।
शबनम की बौखलाहट साफ साफ नजर आ रही थी ।
15 से ज्यादा बार पीछे आधे घंटे में वो काल कर चुकी थी और मैने एक बार भी नहीं उठाया । व्हाट्सप और TEXT दोनो में भर भर के मैसेज आए हुए थे
जिसमें वो मुझे कोश रही थी और फोन उठाने की धमकियां भी मिल रही थीं आज की रात बहुत मजा आने वाला था ये तो तय था ।
मैने इस मजे को जायकेदार बनाने के लिए गैस पर चाय चढ़ा दी

इधर चाय उबल रही थी और भीतर से मै

इस डर से कि ये अम्मी या मामी का कोई ट्रैप तो नहीं कि वो दरवाजा लगाए और मै झांकने जाऊ और मामी मुझे दबोच लें
क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही वो अम्मी के आगे मेरी खबर लेने का बोल चुकी थी ।
जी में आ रहा था अभी चाय उतार कर कच्ची पक्की जैसी भी है लेकर कमरे ने घुस जाऊ, फिर अम्मी की फिकर सताती कि उन्हें पसंद नहीं आई तो समझ जाएंगी कि मैने जानबूझ कर किया है ।

समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं कि दरवाजा खुल ही गया ।
मैने लपक कर देखा
: हो गई चाय बेटा ( मामी ने मुझे किचन से झांकते देखकर बोली )
: जी मामी बस ला ही रहा हूं
मामी मुस्कुराते हुए कमरे में गई और हस्ती हुई अम्मी से फुसफुसाने लगी

: मुझे लग रहाहै कि झाक कर देख रहा था
: क्या बताऊं तू ही बता ( अम्मी की हल्की आवाज आई मै चाय का ट्रे लेकर दरवाजे तक आ गया था )
: अब मै बार बार आ नहीं पाऊंगी न और इसके अब्बू है नहीं तो इसकी ही मदद ले लेना । तेरा ही बेटा है थोड़ा सा बिगड़ा है लेकिन तेरी फिकर खूब करता है
: हा वो तो है ( अम्मी उदास लहजे ने बोली )

: चाय आ गई ( मै कमरे में दाखिल हुआ )
: अरे वाह खुशबू तो बड़ी अच्छी है , मै क्या कहती हु फरीदा , तू इसका निगाह मत करना
: क्यों ( अम्मी ने भौहें सिकोड़ते हुए कहा )
: तेरे यहां तो पहले से ही एक बहु है हिहिही

मामी मुझे छेड़ने का मेरा मजा लेने का एक भी मौका नहीं छोड़ती और मै भी लजा ही जाता
मगर अम्मी को हंसता देख कर राहत हो रही थी
कुछ देर बाद मामी निकल गई
और घर में सिर्फ हम मां बेटे ही रह गए
बड़े ही असमंजस की स्थिति लग रही थी ,
अम्मी की स्थिति में थोड़ा थोड़ा सुधार हो रहा था
: बेटा मटर वाली टोकरी लेते आ छील देती हु फिर खाना भी बनाना है
: अम्मी आप करो , मै करता हु न
: अरे ला बेटा बैठे बैठे क्या करूंगी अभी थोड़ा काम करूंगी तो आराम रहेगा
मैने उनकी बात नहीं टाली और मटर की टोकरी लेते आया
दोनों मां बेटे बिस्तर पर बैठे हुए मटर छिलने लगे ।
इतने में अब्बू का फोन आया

: कैसी हो मेरी जान ( अब्बू ने बड़ी दिलदारी से अम्मी ने पूछा और अम्मी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी । मै भी मुस्कुराने लगा )
: अच्छी हु, आराम है थोड़ा इंजेक्शन से बैठ उठ ले रही हूं और नगमा आई थी तो उसने मलहम भी लगाया उससे ज्यादा आराम है ( अम्मी ने नगमा मामी वाली बात अब्बू से करते हुए मुझे देखा , मै उनकी ओर ही चोर नजरो से देख रहा था )

मै समझ गया कि क्यों नगमा मामी ने दरवाजा लगाया था ।
: कोई बात नहीं रहा सहा रात में मै ठीक कर दूंगा ( अब्बू ने सिहर कर कहा और मै सन्न आंखो से अम्मी की ओर देखा )
मै उठा और बिना कुछ बोले अम्मी को एक नंबर का इशारा किया और कमरे से निकल गया
कमरे के बाहर आकर मैने बाथरूम का दरवाजा खोला मगर अंदर नहीं गया और वापस दिवाल से लग कर उनकी बातें सुनने लगा

: आप न बहुत बेसब्रे है , जो मुंह में आता है बोल जाते है । शानू सुन लेता तो ( अम्मी ने फोन स्पीकर से हटा कर अपने कान से लगा कर बोली )
अब अब्बू की आवाज नहीं आ रही थी
: कुछ नहीं , आपको कौन सा कमी है । बुला लो किसी को हूह ( अम्मी खीझ कर बोली )

मै समझ रहा था अब्बू रात के लिए अम्मी को तैयार कर रहे थे
: नहीं शानू के अब्बू आज कुछ नहीं ( अम्मी साफ साफ लहजे में बोली )
: ठीक है करना , फोन उठाऊंगी ही नहीं

अम्मी अब्बू की बातें सुनकर कर मुझे हसी आ रही थी और लंड भी हरकत कर रहा था
मै लपक कर बाथरूम में टोटी चालू कर हाथ धुला और वापस कमरे में आया , तबतक अम्मी फोन काट चुकी थी ।
: अम्मी सब्जी काट कर बिरयानी बना दूं
: तू बना लेगा ( अम्मी ने हस कर मेरी ओर देखा )
: हा क्यों , कोई शक
: ठीक है बना ले लेकिन कचरा मत करना और तेरी पढ़ाई हो गई
: वो कर लूंगा अम्मी आप टेंशन न लो ( मै चहक कर मोबाइल उठाते हुए बोला )
: अगर अच्छे नंबर नहीं आए तब बताऊंगी , टेंशन लेना है या नहीं ( अम्मी आंखे दिखाई और मै हंसता हुआ निकल गया )
: कमीना कही का ( अम्मी के आखिरी लफ्ज मेरे कानो में पड़े कमरे से निकलते हुए )

मैने मोबाइल पर रेसिपी लगाई और बनाने लगा । इधर रेसिपी चलती रही और रह रह मै मोबाइल भी खंगालता रहा कि कही से कुछ मिल जाए सुबह या फिर रात की कुछ झलकियां मगर सब एकदम सफाचट था ।

कुछ देर बाद अम्मी लड़खड़ाते हुए किचन तक आई
: अरे कुकर में बनाया होता जल्दी होता ( अम्मी अचानक से बोली और चौक गया )
: अरे बस हो गया मोबाइल से देख कर बना रहा हु न ( मैने पतीले का ढक्कन हटा कर मसाले की चलाते हुए बोला )
: तू और तेरी रेसिपी अह्ह्ह्ह ( अम्मी सिसकी )
: अभी आराम है अम्मी कुछ
: कहा आराम है चला नहीं जा रहा है लग रहा है सूजन भी आई है , तू बना मै आती हु फ्रेश होकर ( अम्मी दीवाल के सहारे होते हुए बाथरूम की ओर जाने लगी और मै वापस मोबाईल चेक करने लगा )

इधर मसाले भी भुन ही चुके थे और मैने चावल डाल कर ढक दिया ।
किचन स्लैब साफ कर रहा था कि अम्मी की आवाज आई और मै लपक कर तेजी से बाथरूम की ओर गया
: हा अम्मी क्या हुआ
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा उठा नहीं जा रहा है मुझसे ओह्ह्ह्ह अम्मी अह्ह्ह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है ( बाथरूम से आवाज आई )
: अम्मी दरवाजा आपको ही खोलना पड़ेगा ( मै फ़िक्र में बोला )
: दरवाजा खुला ही है बेटा ,तू आजा
: आपने कपड़े पहन लिए है न ( मैने पूछा )
: कपड़े छोड़ बेटा तू आ अंदर पहले अह्ह्ह्ह्ह लग रहा है कमर में भी मोच आ गई है या खुदा अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईईई ( अम्मी पूरे दर्द में थी और मै भी दरवाजा खोलकर घुस गया )

अम्मी उकडू होकर सलवार खोलकर बैठे हुए थी और आगे झुक कर टोटी पकड़ कर झुकी हुई थी , पीछे से उनकी बड़ी सी गाड़ फैली हुई थी नंगी एकदम
मेरा लंड अलग बेचैन हो उठा और अम्मी की तकलीफ में देखकर मै अलग
मैने झुक कर अम्मी की कांख ने हाथ डाल कर उन्हें ऊपर खींचा
: अम्मी उठिए उह ( मैने ताकत लगाई और अम्मी भी टोटी पकड़ कर उठ रही थी कि टोटी का नाजिल खुल गया
तेज छरछराहट से पानी बाथरूम की टायल पर गिरने लगा और अम्मी की सलवार भीगने लगी
: हाय दैय्या ये क्या ( अम्मी परेशान होने लगी उठते है और मै लपक कर टोटी बंद की )
: आइए खड़े होईये ( मैने उन्हें खड़ा किया और वो डगमगाने लगी )
: पकड़े रहना बेटा , लग रहा है गिर जाऊंगी अह्ह्ह्ह ( अम्मी की सूट आगे और पीछे गिर गई थी लेकिन सलवार सरक कर दोनों पैरों की एड़ियों में जा चुकी थी और पूरी की पूरी गीली ।)
: अम्मी ये तो गीली हो गई है ( मै उनकी सलवार उठाने लगा )
: रुक जा बेटा निकाल देती हु इसे ( अम्मी ने बड़े सावधानी ने मुझे पकड़ कर बारी बारी से पैर उठाए और मैने दोनो एड़ियों से सलवार की मोहड़ी को निकाल कर सलवार पैंटी सहित बाथरूम की बाल्टी में रख दिया )
: आइए अम्मी ( मैने उनकी बाजू पकड़ कर उन्हें बाथरूम से बाहर लाने लगा )
: आइए आराम से ( अम्मी मेरे सहारे कहरती हुई बेजान सी बड़ी मुश्किल से एक एक कदम चल रही थी )
मै उन्हें कमरे तक ले गया और बिस्तर पर बिठाया

: अम्मी आपकी सलवार लाता हु
: अरे कपड़े छोड़ किचन से महक आ रही है उसको देख बेटा जल जाएगा ( अम्मी की बातें सुनते ही मै सरपट भागा)
: कहा था कुकर में रखना अह्ह्ह्ह अम्मीआईईईई मर गई रे ( भागते हुए अम्मी के दर्द भरे लफ्ज मेरे कानो में पड़े)

मै लपक कर पतीला उठाया और फटाफट चलाया , हल्का सा पेंद में पकड़ ही लिया और झट से गैस बुझाया ।
फिर वापस से पानी गर्म करने के लिए रख दिया अम्मी के लिए और सिंक से बर्तन साफ करने लगा ।
हाथ पोंछता हुआ मै कमरे ने दाखिल हुआ

: अम्मी खाना लगाआ....ऊऊ लाला ( मै अम्मी को आवाज देता हु कमरे ने आया तो देखा अम्मी एक ओर करवट होकर लेती है और पंखे ने उनकी सूट को ऊपर कर दिया और उनकी पूरी की पूरी गाड़ नंगी दिख रही थी ।


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अम्मी पहली बार ऐसे मेरे सामने थी उनकी बड़ी बड़ी मोटी गाड़ और उसकी आपस में चिपकी हुई दरार देख आकर लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा खुजाते हुए मै अम्मी की ओर बढ़ने लगा
जी में आ रहा था अभी जीभ लगा कर अम्मी के दरारे चाट लू लेकिन अम्मी की तबियत को देखकर मन भटक रहा था
चलते है मै अम्मी के पास गया और अच्छे से अम्मी की नंगी गाड़ देखा । वो गहरी नीद में थी , दर्द से परेशान होकर सो गई होगी शायद


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मैने धीरे से पहले उनका सूट उठा कर उनके गाड़ को ढक दिया और फिर एक पतली चादर उन्हें ओढ़ा दी कमर तक ।

: अम्मी उठिए ( मैने उनकी बाह पकड़ कर उन्हें हिलाया , सामने से सूट ने उनकी बड़ी बड़ी मोटी चूचियां बिस्तर पर लेती हुई थी ।)
: हा बेटा ( अम्मी चौंककर आंखे खोली )
: खाना बन गया है लाऊ
: बन गया ? अह्ह्ह्ह जरा मेरी सलवार देना ( अम्मी चौकी और जैसे ही उनकी नजर अपने देह पर पड़ी चादर पर गई वो शांत हो गई )
: देता हु लेकिन पहले आप खाना खा कर दवा खा लो फिर
: अच्छा ठीक है लेकर आ ( अम्मी सोई हुई आंखों से , चादर में ही घूम कर बैठती हुई मुस्कुरा कर बोली )

मै खुश होकर किचन में आया और एक थाली में सलाद , अचार , चटनी के साथ बिरयानी निकाल कर अच्छे से सजा कर ले गया

: टनटना, खाना आ गया ( मै खुश कर बोला )
: पागल कही का , इतना पसंद है तुझे खाना बनाना ( अम्मी हस्ती हुई बोली )
: आपके लिए हर काम करना पसंद है मेरी प्यारी अम्मी ( मै खाने की थाली बिस्तर पर अम्मी के आगे रखा )
: चल फेक मत अब , पानी नहीं लाया
: अभी लाया अम्मी ( मै तेजी से लपक कर किचन की ओर भागा )
: आराम से शानू, चोट लग जाएगी ( अम्मी फिक्र से बोली )
: हूऊह आ गया
: क्या आ गया , चम्मच कहा है ऐसे ही गर्म गर्म खायेगा ( अम्मी हस के बोली )
: ओहो ( मै कमर पकड़ कर खड़ा हो गया और फिर से वापस गया और चम्मच लेकर आ गया )
अम्मी ने फिर मुझे अपने हाथों से और मैने अम्मी को खाना खिलाया

उसके बाद मैने सारा बर्तन खुद धुला और पानी गर्म करके दवा ले कर अम्मी के पास आया
: अम्मी लो दवा खा लो और आराम करो
: कितना मेहनत कर रहा है मेरा बच्चा ( अम्मी चादर में ही बिस्तर से उठती हुई बोली , अभी तक मैने अम्मी को उनकी सलवार नहीं दी थी पहनने के लिए)
: हम्म्म लीजिए और आराम करिए , मै किताबें लेकर आता हु
: तू भी यही सोएगा क्या ? ( अम्मी ने पूछा )
: जैसा आप कहो , रात में आपको बाथरूम जाना हुआ या कोई जरूरत हुई इसीलिए मै बोला ( मै बहुत ही कैजुअली हो कहा )
: हा बेटा ठीक कह रहा है तू जा किताबें लेते आ , उफ्फफ हाय अल्लाह कितना टपक रहा है जबसे बाथरूम में बैठी हु
: अम्मी , आप कहो तो मलहम लगा दूं मै ( मै थोड़ा हिचक कर हिम्मत करके बोला )
: अरे नहीं बेटा मलहम नहीं , ऐसा कर कटोरी में सरसों का तेल गर्म कर ले उससे करेगा तो ज्यादा आराम मिलेगा
: जी अम्मी आप पेट के बल लेट जाओ मै आता हु

मै फटाफट से किचन में एक कटोरी में सरसों का तेल गर्म किया और कटोरी गर्म थी उसको एक प्लेट में रख कर वापस आया
अम्मी पेट के बल होकर लेट गई थी लेकिन अभी भी उनके ऊपर चादर थी
: अम्मी चादर हटा दूं ( मैने आज्ञा लेना जरूरी समझा )
: अह हा बेटा हटा दे दाग लग जाएगा तेल का उसमें भी तो छूटेगा नहीं ( अम्मी लेटे हुए बोली )
:
मैने अम्मी के ऊपर से चादर खींचा और एक बार फिर अम्मी की गाड़ मेरे सामने नंगी हो गई
मैने सूट को हौले से पकड़ कर आधी पीठ तक किया
अम्मी की कसी हुई मोटी चौड़ी गाड़ और उसके उभार दरार देख कर लंड अकड़ने लगा । लोवर में तंबू बनने लगा था मेरे ।
मैने हाथ में तेल चिपुडा और अम्मी के लोवर बैक में तेल लगाने लगा
: अह्ह्ह्ह उफ्फ बहुत अच्छा लग रहा है उम्मम्म , अच्छे से और हल्के हाथ से करना बेटा
: जी अम्मी ( मै अम्मी की कमर की मालिश करता हुआ बोला )


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यकीन नहीं हो रहा था कि मै अम्मी के नरम नरम कूल्हों पर अपने हाथ घूमा रहा हूं
: हा बेटा थोड़ा नीचे की ओर चूतड़ की ओर भी कर दे अह्ह्ह्ह्ह हा हा वही उम्मम्म सीईईई कितना टपक रहा है अह्ह्ह्ह
: अभी आराम हो जाएगा अम्मी ( मैने अम्मी के चूतड़ और कूल्हे के किनारों पर उभरी हुई चर्बी को दोनो हाथों से भर भर कर सहला रहा था अह्ह्ह्ह्ह अम्मी की गाड़ कितनी मुलायम और भारी भारी थी , हाथों से गुदगुदी पूरे बदन में हरकत करती हुई फैल रही थी और लोवर में तंबू बना हुआ था ।
मै अम्मी के कूल्हे और कमर को दोनो हाथों से मसल कर उन्हें आराम दे रहा था , अम्मी की एड़ीया नीचे सटी हुई आपस में घिस रही थी
: अम्मी पैरों में भी कर दूं ( मैने पूछा )
: हम्म्म बेटा बहुत आराम मिला है , थोड़ा सा कर दे जांघों के भी ( अम्मी अपनी जांघों खोलती हुई बोली )
जांघें खुलते ही अम्मी की झाट भरी चूत के निचली फांके साफ साफ दिखने लगी , देखते ही हलक सूखने लगा मेरा और सुपाड़ा फुलने लगा
अब मै अम्मी के जांघों की ओर आ गया और तेल लेकर जांघों पर लगाते हुए उनकी मालिश करने लगा , मेरी नजर लगातार अम्मी की चूत के मोटी मोटी फ़ाको पर थी जैसे पाव रोटी के दो फॉक कर दिए हो ऐसे

मैने अपने हाथ सहलाते हु अम्मी के जांघों की जड़ तक ले जाता और वो सिहर उठती , जैसे ही मेरे पंजे जांघों से चूत की ओर जाते वो अपने दोनों पैर टाइट करने लगती , एडीया अकड़ जाती । साफ साफ नजर आ रहा था कि इससे अम्मी की कामोत्तेजना बढ़ रही थीं।
मैने दूसरी जांघ भी अच्छे से मालिश की और तबतक अम्मी के चूत से रस की बूंदे टपक पड़ी थी ।
लंड एकदम उफान पर था और अम्मी की टपकी हुई चूत देखकर जी कर रहा था अभी चढ़ कर पेल ही दूं ।

: हो गया बेटा ( अम्मी की आवाज आई)
: जी अम्मी ( मै बिस्तर से उतर गया और कटोरी हाथ में लेकर खड़ा हो गया )
मैने कटोरी टेबल पर रखी और चादर से फिर से अम्मी को ढक दिया

: बेटा सुन
: जी अम्मी कहिए
: वो मेरे बैग में दवा है देना तो
: अब किस चीज की दवा अम्मी
: अरे वो एक ट्यूब लगानी है
मैने लपक कर अम्मी के बैग से वो दवा निकाली और तेल की शीशी भी जो अम्मी अपने छातियों पर लगाती थी
: ये क्या ? (मैने अम्मी को दोनो दवाएं दिखा )
: बेटा वही है ला ( अम्मी उठने की कोशिश करने लगी )
: अरे अरे आप आराम करो न मै लगा दूंगा , कहा लगाना है ( मै उनके पास आ कर बोला )
: वो ... तू दे न मै लगा लूंगी ( अम्मी झिझक रही थी )
: अम्मी जिद मत करो बोलो कहा लगाना है ( मै हक जताया )
: वो मेरी छाती पर मालिश करनी है तेल से और निप्पल पर मलहम लगाना है ( अम्मी नजरे फेरते हुए बोली )
: वहां क्या हुआ
: सच में तुझे नहीं पता ( अम्मी ने गुस्से में घूरा और मै नजरे चुराने लगा )
: सॉरी
: बहुत बिगड़ गया है तू , ला मै लगा लूंगी ( अम्मी को पसंद नहीं आया शायद ये टॉपिक उठा तो )
: नहीं आप रहने दो लगा दूंगा मै , सॉरी न अम्मी ( मेरा मुंह एकदम से उतर गया )
: सॉरी न अम्मी ( अम्मी मुंह बना कर मुझे चिढ़ाते हुए बोली )
फिर वो उठ कर अपना सूट निकाल दी और अब वो मेरे आगे ब्रा में थी ।


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बड़ी बड़ी मोटी चूचियां जिन्हें मै न जाने कितनी बार छिप कर देख चुका था आज कितने सालों बाद मेरे सामने थी
अम्मी हाथ पीछे करके ब्रा खोलने लगी लेकिन वो खोल नहीं पा रही थी
: खड़ा क्या है खोल न ( अम्मी ने डांटा )
मै झट से अम्मी की ब्रा के हुक खोलने लगा लेकिन तेल की वजन वो बार उंगलियां सरक जा रही थी
: क्या हुआ भाई कितना टाइम ( अम्मी पीठ सीधा किए किए परेशान होकर बोली )
: बस अम्मी हो गया , हाथ में तेल की वजह से सरक रहा था हो गया ( मैने हुक खोल दिए और विश्वास से अम्मी के सामने खड़ा था मानो कोई जंग जीत ली हो )
अम्मी मुंह बनाते हुए मेरे आगे ही अपने कंधे से ब्रा उतारने लगी और अगले ही पल उनकी मोटी मोटी गदराई चूचिया झूल पड़ी।

तने हुए कड़क निप्पल देखकर मुंह में पानी आने लगा और अम्मी के डांट से लंड जो सिकुड़ रहा था वो फिर से हरकत करने लगा ।

यकीन नहीं हो रहा था कि अम्मी आज मेरे आगे पूरी की पूरी नंगी है , बस चादर ने उनकी कमर से नीचे ढक रखा था ।

अम्मी लेट गई और उनकी मोटी मोटी खरबूजे जैसे चूचियां सीने के दोनों ओर परस गई ।
: तेल लगाना है फिर मलहम समझा
: जी अम्मी ( मैने फटाफट से तेल की शीशी खोली और ड्रॉप अम्मी के चूचियों पर टपकाने लगा
: सीईईई बस बस ज्यादा नहीं ये तेल फैलता है ( अम्मी ने रोका )
मैने बिना कुछ बोले तेल की शीशी किनारे रखी और हल्के हल्के से उसे अम्मी के बाएं चूचे पर फैलाने लगा

अम्मी के चेहरे के भाव बिगड़ रहे थे और निप्पल पूरे तन चूचे थे , रह रह कर मेरी हथेली अम्मी के निप्पल को घिस दे रही थी जिससे अम्मी सिहर कर बिलबिला उठी
: सीईईईई आराम से बेटा उम्मम हलके हाथ से हा ऐसे ही


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मैने अम्मी ने चूचे दोनो हाथों से सहलाये कर उनकी गोल गोल मालिश कर रहा था मानो उनका दूध निकाल रहा हु ,
वही नीचे लोवर में मेरा लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ आकर तना हुआ था मानो फाड़ कर बाहर आ जाएगा
गले से थूक गटक गटक कर जबड़ा दर्द होने लगा और मेरे हाथ अम्मी के दुसरे चूचे पर चलने
अब मुझे अम्मी की ओर झुकना पड़ रहा था और मेरा भाले जैसा लंड अब उनकी कांख के पास टच हो रहा था ।
वो भी उसके स्पर्श में अंजान नहीं थी । मगर लिजाह बस कुछ बोल नहीं रही थी और मै भी उस चीज का मजा ले रहा था , अम्मी कांख की गर्मी लोवर के अंदर मुझे मेरे सुपाड़े पर महसूस हो रही थी
मन तो कर रहा था कि अम्मी के गुदाज चर्बीदार कांख में पेल पेल कर झड़ जाऊ ,
कबसे मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट हो रही थी और मै उसे सहला नहीं सकता था ।
वही अम्मी की हालत कम खराब नहीं थी वो अपनी भीतर उठ रही कामवेदना के उफनाहट को बहुत मुश्किल से थामे हुए थी , होठ सिल कर आंखे बंद किए वो अपनी एडिया चादर में रगड़ रही थी

: बस्स बेटा रहने दे ( अम्मी हॉफ रही थी और उनके बेचैन चेहरे की हालत मै समझ रहा था , अम्मी ने भी गजब का संयम था , कबसे जांघों को आपस में रगड़ रही थी चादर में लेकिन एकबार भी हाथ नीचे नहीं ले गई )
: अब मलहम लगा दे
: जी अम्मी ( मैने अपने हाथ पोछे और फिर ट्यूब से मलहम उंगली में लेकर पहले बाएं निप्पल की टिप पर रखा )
: उह्ह्ह्ह सीईईईई ठंडा है ( अम्मी भीतर से थरथरा गई और मै मुस्कुराने लगा )
मैने उंगली को बड़े ही प्यार से अम्मी ने जामुन जैसे मोटे कड़क निप्पल पर उंगलियां घुमाई और काले घेरे के आस पास मलहम लगाने लगा

अम्मी गर्दन दूसरी ओर करके अपने होठ चबा रही थी , उनके दोनो हाथों ने बिस्तर को जकड़ रखा था और ऐडीया चादर में अकड़ रही थी
: उम्मम्म बस्स कर बेटा अह्ह्ह्ह ( अम्मी की सादे तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी और चूचियां उठ बैठ रही थी )
मैने दूसरे निप्पल पर भी ऐसे ही लगाया इस बार अम्मी पूरी तरह से तड़प उठी

: हो गया बेटा
: जी अम्मी
: ठीक है तू हाथ धूल कर अपने किताबें लेते आ जा
मै समझ गया कि मेरे कमरे से जाते ही अम्मी अपनी चूत मसलेगी ही और हुआ भी वही मैने जीने के पास जाकर रोशनदान से झांका
अम्मी ने अपने ऊपर से चादर हटा दी और तेजी से अपनी बुर ने उंगली करने लगी
उन्हें देखकर मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा , मैने भी लंड बाहर निकाल दिया
अम्मी उंगली करते हुए कभी दरवाजे पर तो कभी खिड़की पर देखती और फिर बिस्तर के हेडबोर्ड से सर टीका कर इत्मीनान में चूत में उंगली पेलने लगती
यकीन नहीं हो रहा था कि आज अम्मी को मैने गर्म कर दिया था , ऐसे में जब उनकी तबियत खराब है
लेकिन मैने भी सोच रखा था कि आज की रात अम्मी को भी तड़पाना ही है

इसलिए मैं जल्दी से किताबें लेकर तेजी से जीने से उतरा ताकि मेरी आहते अम्मी को मिल जाए और जब मैं कमरे में आया तो अम्मी चादर ओढ कर करवट लेकर लेती हुई थी ।

मै मन ही मन मुस्कुरा और अम्मी के चेहरे पर चिंता के भाव, जान रहा था कि
अम्मी अभी तक झड़ नहीं पाई थी वो अपनी जांघों को कसे हुए चूतड़ों को फैला कर चादर में लेती हुई थी ।
मै बिस्तर पर अम्मी के पीछे बैठ कर अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा ।
धीरे धीरे अपना लंड सहलाते हुए और मेरी नजर बराबर अम्मी पर जमी हुई थी । रह रह कर अम्मी के हाथ में हरकत होती मै मुस्कुरा ।

मजा आ रहा था आज अम्मी को छेड़ कर , कितना सताया था उन्होंने कितनी बार थप्पड़ लगाया आज बदला तो बनता था ।
अभी कुछ देर ही हुए होंगे कि मोबाइल बजने लगा

: किसका फोन है शानू ( अम्मी घूम कर मेरी ओर देखी )
: अब्बू का ( मै अपने हसी की पिचकारी को मुंह ने ही फोड़ते हुए बोला )
अम्मी समझ गई मै क्यों हस रहा हु
: बजने दे उठाना मत ( अम्मी खीझ कर बोली )
: अम्मी बात कर लो न मै ऊपर चला जाता हूं ( मै मुस्कुरा कर उनकी ओर देखा और वो आंखे दिखाने लगी )
: मुझे नहीं करनी बात उनसे कुछ
: मै फोन उठा कर बोल दूं ( मै चहक बोला )
: नहीं दे मुझे ( अम्मी लपक कर उठी और उनके सिने से चादर हट गई )
एक बार फिर उनकी रसीली छातियां मेरे आगे नंगी झूलने लगी ।
वो फोन हाथ में ली और उठाते ही कान पर लगाया ।
: हम्म्म कहिए
: हम्म्म ठीक हूं
: हा शानू ने बनाया था
: बिरयानी जैसा कुछ था ( अम्मी ने मुझे देख कर जवाब दिया और दूसरे हाथ से चादर को अपने छातियों को ढके हुए थी । )
: नहीं सब्जी वाली थी, हम्मम जो भी हो

अम्मी लगातार अब्बू से बातें करती रही
: नहीं इतना भी ठीक नहीं हु
: आप ना शानू से भी ज्यादा बिगड़ गए हो ( अम्मी ने मेरी ओर देख कर कहा )
मैने भी चौक कर अम्मी की ओर देखा और इशारे से पूछा कि मैने क्या किया अब इसपर अम्मी ने ना में सर हिलाया और अब्बू से बातें करती रही
: नहीं मतलब नहीं , मै रख रही हु मुझे नीद आ रही है , बाय
: नहीं वो भी नहीं
: एक भी नहीं , अब आइएगा तो ही , बाय
: हुंह ( अम्मी ने तुनक कर फोन काट दिया )

मै समझ रहा था कि अब्बू अम्मी से किस्स मांग रहे होंगे आखिर और अम्मी मेरी वजह से कुछ बोल नहीं पाई
: तू भी अब सो जा चल , कल करना पढ़ाई
: जी अम्मी ( मै किताबें समेटने लगा और उठ कर उन्हें किनारे टेबल पर रख दिया )
: बत्ती बुझा दे सब और आजा मै मोबाइल दिखा रही हु ( अम्मी ने बोला और मै हाल किचन सब ओर की बत्तियां बुझा कर कमरे में आया

: अम्मी कपड़े दूं पहनोगे
: नहीं अब आ सोते है , कल देखती हु ( अम्मी ने जवाब दिया , फिर मैने कमरे की लाइट बुझाई और बिस्तर पर आ गया )
मै भी बिस्तर पर आ गया
पंखा चल रहा था और मै तकिया लगाकर लेटा हुआ था ।
लंड अपने उफान पर था और मैने लोअर से उसे बाहर निकाल रखा था।
हौले हौले सहलाते हुए मेरे जहन में अम्मी के बदन को सहलाने का ख्याल उमड़ रहा था , कैसे कैसे मेरे स्पर्श से अम्मी सिहर रही थी तड़प रही , वो ख्याल मन में आते ही लंड की नसे फड़क उठती ।
कमरे में घुप अंधेरा था , नाइट बल्ब भी नहीं जल रही थी , अम्मी मेरे बगल में चादर में लेटी हुई थी । हम दोनो चुप थे
तभी मेरे कानो में अम्मी की हल्की ही कुनमुनाहट आई , मै समझ गया अम्मी चूत सहला रही थी । अभी भी वो तड़प रही है ।

: क्या हुआ अम्मी अभी भी दर्द है क्या
: अह्ह्ह्ह्ह नहीं बेटा आराम है तू सो जा ( अम्मी की आवाज में मदहोशी खनक रही थी )
: अम्मी एक बात पूछूं
: हा बोल ( अम्मी के लहजे से साफ लगा कि उन्हें इतनी रात में मेरा सवाल करना पसंद नहीं आया क्योंकि वो पहले ही परेशान थी )
: नहीं , आप मारोगे ( मैने भी नखरे दिखाए )
: अब बोल भी दे , नहीं तो सच में मारूंगी
: नहीं पहले बोलो कि आप गुस्सा नहीं करोगे प्लीज फिर
: अच्छा ठीक है , नहीं करूंगी गुस्सा !! अब बोल ( अम्मी ने एक आह भरते हुए कहा )
: वो अब्बू अभी आपसे किस्स मांग रहे थे न हिहीही ( मै खिलखिला और लुढ़क कर बिस्तर के कोने चला गया क्योंकि जान रहा था कि अम्मी करेंगी जरूर )
: क्या बोला तू ? ( अम्मी गुस्से में गुर्राई ) कहा गया इधर आ कमीने बहुत बिगड़ गया है
: आपने बोला था गुस्सा नहीं करोगे , देखो नाराज हो रहे हो ( मै हंसते हुए बोला )
: बदमाश कही का , ऐसे सवाल करते है अपनी अम्मी से ( अम्मी नॉर्मल हुई तो मैं वापस अपनी जगह पर खसक आया
: सॉरी हीहीहीही , वैसे भी मै अब्बू से कम ही शरारती हु आपने ही तो कहा था ( मै खिलखिलाया )
: अरे दादा ये लड़का भी न , सो जा अब मुझे भी सोने दे
मै खिलखिला कर चुप हो गया , अम्मी से मसखरी करके लंड भी ठुमकने लगा ।
कुछ देर कि चुप्पी फिर
: अम्मी नीद नहीं आ रही है बातें करो न
: च् , अब इतनी रात में क्या बात करनी है शांति से सो नहीं पा रहा है ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
: अम्मी , आपको भी तो नीद नहीं आ रही है न
मेरी बातों से अम्मी एकदम चुप हो गई
: अम्मी अब्बू आपसे बहुत प्यार करते है न ?
: ये कैसा सवाल है ( अम्मी ने पूछा )
: बस ऐसे ही पूछ रहा हूं, अच्छा लगता है वो आपको इतना मानते है इतना प्यार करते है ( मैने मेरा दर्द छलकाया इस उम्मीद से कि अम्मी इमोशनली वीक हो जाए तभी बात आगे बढ़ सकती है )

: तू क्या सोच रहा सच सच बता ( अम्मी उखड़ सी गई )
: कुछ भी नहीं ( मैने जानबूझ कर अपना नाम सिरका ताकि अम्मी को लगे मै रो रहा हूं)
: शानू !!! बेटा क्या हो गया ,इधर आ ( अम्मी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा)
मै करवट होकर उनके करीब हो गया और उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया
: क्या हो गया बेटा , तू रो क्यों रहा है
: नहीं अम्मी मै ठीक हूं, बस सोचता हु कि अब्बू मुझसे कभी प्यार से बात नहीं करते ना जाने क्या गलती किया हु मै ( मैने सुबकने का नाटक किया )
: नहीं बेटा ,ऐसा कुछ भी नहीं है वो तुझे मेरे जितना ही प्यार करते और वो तेरे वालिद है उनके प्यार जताने का तरीका ही ऐसा होता है थोड़ी सख्ती होती है । ( अम्मी मुझे सीने से लगाए मेरे सर को सहला रही थी )

: मुझे पता है वो क्यों नहीं अपनाते
: क्यों ( अम्मी बोली )
: आपको याद है न जब मैने उनका मोबाइल छुआ था शायद इसीलिए
: अरे नहीं बेटा , ऐसा कुछ नहीं है वो बात तो वो कबके भूल चुके है और मै भी । बस तू दुबारा से ऐसी गलती न करे इसीलिए वो थोड़े सख्त रहते । तू कही बहक न जाए ये सब गंदी आदतें है न बेटा ( अम्मी मुझे समझा रही थी और मै उनकी गुदाज चर्बीदार मोटी मोटी चूचियो में सर रखे हुए मस्त था चादर के ऊपर से ही । मेरे हाथ उनकी कमर पर थे ।

: हम्म्म सॉरी ( मैने सुबक कर कहा )
: लेकिन मैं तुझसे नाराज जरूर हूं
: क्यू ( मैने बड़े ही मासूम लहजे में बोला )
: तू क्यों ऐसी हरकते करता है , क्यों ताक झांक किए रहता है हमेशा मेरे कमरे में , तुझे अच्छा लगता है मुझे ऐसे देखना ( अम्मी ने सहज लहजे में बहुत ही गंभीर सवाल दाग दिए थे और मेरी जुबान सिल गई थी । )


भले ही मै अम्मी से थोड़ा क्लोज रहा हु लेकिन किसी बेटे के लिए अपने मा से ऐसे सवाल का क्या ही जवाब दे
: बोल न अब
: मुझे नहीं पता ( मै अम्मी की बाहों ने दुबक कर बोला , मानो उनसे ही बचने के लिए उनका ही आसरा ले रहा हूं)
: नहीं पता का क्या मतलब ?
: पता नहीं , बस अजीब सी उत्सुकता होती है और आप दोनों की बातें एकदम फिल्मों जैसी रोमांटिक लगती है मसाले वाली इसीलिए सुनना अच्छा लगता है
: पागल कही का ( अम्मी मेरे सरल जवाब से हस दी ) मेरा बच्चा ( मेरे माथा चूम लिया ।
: अम्मी मै भी आपसे बहुत प्यार करता हु , अब्बू से भी ज्यादा ( अम्मी की बाहों में दुबके हुए मैने हिम्मत कर आज अपने प्यार का इजहार कर ही दिया )
: अच्छा , अब्बू से भी ज्यादा
: हम्म्म
: पागल , चल सो जा ( अम्मी मुझे बाहों में ही कस ली )
: अम्मी !!
: हम्म्म बोल न ( अम्मी की बातों में मिठास घुल चुकी थी )
: आई लव यू
: धत्त पागल , सो जा अब
: अम्मी !!
: अब क्या ?
: आप शर्माते हुए बहुत अच्छे लगते हो
: अब मारूंगी तुझे, सो जा बोली न । पागल कही का बहुत बिगड़ गया है तू क्या क्या देखता रहता है मुझमें
: आप हो ही इतने प्यारे ( मैने उनकी कमर को कसते हुए बोला और उनसे चिपक ही गया एकदम )
: हा हा ठीक है , सो जा अब ( अम्मी जल्द से जल्द बात खत्म करना चाह रहे थी लेकिन मैं उनका ब्लश कर पाना महसूस कर पा रहा था कि कितना अच्छा महसूस हो रहा है उन्हें जब मैं उनकी तारीफ कर रहा हूं)

फिर मै वैसे ही चिपक कर सो गया l



जारी रहेगी



पाठकों से अनुरोध है अपडेट पढ़ कर अच्छी बुरी जैसी भी अनुभति रही हो उसको रिव्यू देकर साझा जरूर करे।
इंतजार रहेगा ।
बहुत ही शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 016
बेकरार रातें मै घर आ चुका था और जैसी मेरी योजना थी वैसा ही काम हो रहा था ।
शबनम की बौखलाहट साफ साफ नजर आ रही थी ।
15 से ज्यादा बार पीछे आधे घंटे में वो काल कर चुकी थी और मैने एक बार भी नहीं उठाया । व्हाट्सप और TEXT दोनो में भर भर के मैसेज आए हुए थे
जिसमें वो मुझे कोश रही थी और फोन उठाने की धमकियां भी मिल रही थीं आज की रात बहुत मजा आने वाला था ये तो तय था ।
मैने इस मजे को जायकेदार बनाने के लिए गैस पर चाय चढ़ा दीइधर चाय उबल रही थी और भीतर से मै

इस डर से कि ये अम्मी या मामी का कोई ट्रैप तो नहीं कि वो दरवाजा लगाए और मै झांकने जाऊ और मामी मुझे दबोच लें
क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही वो अम्मी के आगे मेरी खबर लेने का बोल चुकी थी ।
जी में आ रहा था अभी चाय उतार कर कच्ची पक्की जैसी भी है लेकर कमरे ने घुस जाऊ, फिर अम्मी की फिकर सताती कि उन्हें पसंद नहीं आई तो समझ जाएंगी कि मैने जानबूझ कर किया है ।समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं कि दरवाजा खुल ही गया ।
मैने लपक कर देखा
: हो गई चाय बेटा ( मामी ने मुझे किचन से झांकते देखकर बोली )
: जी मामी बस ला ही रहा हूं
मामी मुस्कुराते हुए कमरे में गई और हस्ती हुई अम्मी से फुसफुसाने लगी: मुझे लग रहाहै कि झाक कर देख रहा था
: क्या बताऊं तू ही बता ( अम्मी की हल्की आवाज आई मै चाय का ट्रे लेकर दरवाजे तक आ गया था )
: अब मै बार बार आ नहीं पाऊंगी न और इसके अब्बू है नहीं तो इसकी ही मदद ले लेना । तेरा ही बेटा है थोड़ा सा बिगड़ा है लेकिन तेरी फिकर खूब करता है
: हा वो तो है ( अम्मी उदास लहजे ने बोली ): चाय आ गई ( मै कमरे में दाखिल हुआ )
: अरे वाह खुशबू तो बड़ी अच्छी है , मै क्या कहती हु फरीदा , तू इसका निगाह मत करना
: क्यों ( अम्मी ने भौहें सिकोड़ते हुए कहा )
: तेरे यहां तो पहले से ही एक बहु है हिहिहीमामी मुझे छेड़ने का मेरा मजा लेने का एक भी मौका नहीं छोड़ती और मै भी लजा ही जाता
मगर अम्मी को हंसता देख कर राहत हो रही थी
कुछ देर बाद मामी निकल गई
और घर में सिर्फ हम मां बेटे ही रह गए
बड़े ही असमंजस की स्थिति लग रही थी ,
अम्मी की स्थिति में थोड़ा थोड़ा सुधार हो रहा था
: बेटा मटर वाली टोकरी लेते आ छील देती हु फिर खाना भी बनाना है
: अम्मी आप करो , मै करता हु न
: अरे ला बेटा बैठे बैठे क्या करूंगी अभी थोड़ा काम करूंगी तो आराम रहेगा
मैने उनकी बात नहीं टाली और मटर की टोकरी लेते आया
दोनों मां बेटे बिस्तर पर बैठे हुए मटर छिलने लगे ।
इतने में अब्बू का फोन आया: कैसी हो मेरी जान ( अब्बू ने बड़ी दिलदारी से अम्मी ने पूछा और अम्मी मुझे देख कर मुस्कुराने लगी । मै भी मुस्कुराने लगा )
: अच्छी हु, आराम है थोड़ा इंजेक्शन से बैठ उठ ले रही हूं और नगमा आई थी तो उसने मलहम भी लगाया उससे ज्यादा आराम है ( अम्मी ने नगमा मामी वाली बात अब्बू से करते हुए मुझे देखा , मै उनकी ओर ही चोर नजरो से देख रहा था )मै समझ गया कि क्यों नगमा मामी ने दरवाजा लगाया था ।
: कोई बात नहीं रहा सहा रात में मै ठीक कर दूंगा ( अब्बू ने सिहर कर कहा और मै सन्न आंखो से अम्मी की ओर देखा )
मै उठा और बिना कुछ बोले अम्मी को एक नंबर का इशारा किया और कमरे से निकल गया
कमरे के बाहर आकर मैने बाथरूम का दरवाजा खोला मगर अंदर नहीं गया और वापस दिवाल से लग कर उनकी बातें सुनने लगा: आप न बहुत बेसब्रे है , जो मुंह में आता है बोल जाते है । शानू सुन लेता तो ( अम्मी ने फोन स्पीकर से हटा कर अपने कान से लगा कर बोली )
अब अब्बू की आवाज नहीं आ रही थी
: कुछ नहीं , आपको कौन सा कमी है । बुला लो किसी को हूह ( अम्मी खीझ कर बोली )मै समझ रहा था अब्बू रात के लिए अम्मी को तैयार कर रहे थे
: नहीं शानू के अब्बू आज कुछ नहीं ( अम्मी साफ साफ लहजे में बोली )
: ठीक है करना , फोन उठाऊंगी ही नहींअम्मी अब्बू की बातें सुनकर कर मुझे हसी आ रही थी और लंड भी हरकत कर रहा था
मै लपक कर बाथरूम में टोटी चालू कर हाथ धुला और वापस कमरे में आया , तबतक अम्मी फोन काट चुकी थी ।
: अम्मी सब्जी काट कर बिरयानी बना दूं
: तू बना लेगा ( अम्मी ने हस कर मेरी ओर देखा )
: हा क्यों , कोई शक
: ठीक है बना ले लेकिन कचरा मत करना और तेरी पढ़ाई हो गई
: वो कर लूंगा अम्मी आप टेंशन न लो ( मै चहक कर मोबाइल उठाते हुए बोला )
: अगर अच्छे नंबर नहीं आए तब बताऊंगी , टेंशन लेना है या नहीं ( अम्मी आंखे दिखाई और मै हंसता हुआ निकल गया )
: कमीना कही का ( अम्मी के आखिरी लफ्ज मेरे कानो में पड़े कमरे से निकलते हुए )मैने मोबाइल पर रेसिपी लगाई और बनाने लगा । इधर रेसिपी चलती रही और रह रह मै मोबाइल भी खंगालता रहा कि कही से कुछ मिल जाए सुबह या फिर रात की कुछ झलकियां मगर सब एकदम सफाचट था ।कुछ देर बाद अम्मी लड़खड़ाते हुए किचन तक आई
: अरे कुकर में बनाया होता जल्दी होता ( अम्मी अचानक से बोली और चौक गया )
: अरे बस हो गया मोबाइल से देख कर बना रहा हु न ( मैने पतीले का ढक्कन हटा कर मसाले की चलाते हुए बोला )
: तू और तेरी रेसिपी अह्ह्ह्ह ( अम्मी सिसकी )
: अभी आराम है अम्मी कुछ
: कहा आराम है चला नहीं जा रहा है लग रहा है सूजन भी आई है , तू बना मै आती हु फ्रेश होकर ( अम्मी दीवाल के सहारे होते हुए बाथरूम की ओर जाने लगी और मै वापस मोबाईल चेक करने लगा )इधर मसाले भी भुन ही चुके थे और मैने चावल डाल कर ढक दिया ।
किचन स्लैब साफ कर रहा था कि अम्मी की आवाज आई और मै लपक कर तेजी से बाथरूम की ओर गया
: हा अम्मी क्या हुआ
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा उठा नहीं जा रहा है मुझसे ओह्ह्ह्ह अम्मी अह्ह्ह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है ( बाथरूम से आवाज आई )
: अम्मी दरवाजा आपको ही खोलना पड़ेगा ( मै फ़िक्र में बोला )
: दरवाजा खुला ही है बेटा ,तू आजा
: आपने कपड़े पहन लिए है न ( मैने पूछा )
: कपड़े छोड़ बेटा तू आ अंदर पहले अह्ह्ह्ह्ह लग रहा है कमर में भी मोच आ गई है या खुदा अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईईई ( अम्मी पूरे दर्द में थी और मै भी दरवाजा खोलकर घुस गया )अम्मी उकडू होकर सलवार खोलकर बैठे हुए थी और आगे झुक कर टोटी पकड़ कर झुकी हुई थी , पीछे से उनकी बड़ी सी गाड़ फैली हुई थी नंगी एकदम
मेरा लंड अलग बेचैन हो उठा और अम्मी की तकलीफ में देखकर मै अलग
मैने झुक कर अम्मी की कांख ने हाथ डाल कर उन्हें ऊपर खींचा
: अम्मी उठिए उह ( मैने ताकत लगाई और अम्मी भी टोटी पकड़ कर उठ रही थी कि टोटी का नाजिल खुल गया
तेज छरछराहट से पानी बाथरूम की टायल पर गिरने लगा और अम्मी की सलवार भीगने लगी
: हाय दैय्या ये क्या ( अम्मी परेशान होने लगी उठते है और मै लपक कर टोटी बंद की )
: आइए खड़े होईये ( मैने उन्हें खड़ा किया और वो डगमगाने लगी )
: पकड़े रहना बेटा , लग रहा है गिर जाऊंगी अह्ह्ह्ह ( अम्मी की सूट आगे और पीछे गिर गई थी लेकिन सलवार सरक कर दोनों पैरों की एड़ियों में जा चुकी थी और पूरी की पूरी गीली ।)
: अम्मी ये तो गीली हो गई है ( मै उनकी सलवार उठाने लगा )
: रुक जा बेटा निकाल देती हु इसे ( अम्मी ने बड़े सावधानी ने मुझे पकड़ कर बारी बारी से पैर उठाए और मैने दोनो एड़ियों से सलवार की मोहड़ी को निकाल कर सलवार पैंटी सहित बाथरूम की बाल्टी में रख दिया )
: आइए अम्मी ( मैने उनकी बाजू पकड़ कर उन्हें बाथरूम से बाहर लाने लगा )
: आइए आराम से ( अम्मी मेरे सहारे कहरती हुई बेजान सी बड़ी मुश्किल से एक एक कदम चल रही थी )
मै उन्हें कमरे तक ले गया और बिस्तर पर बिठाया: अम्मी आपकी सलवार लाता हु
: अरे कपड़े छोड़ किचन से महक आ रही है उसको देख बेटा जल जाएगा ( अम्मी की बातें सुनते ही मै सरपट भागा)
: कहा था कुकर में रखना अह्ह्ह्ह अम्मीआईईईई मर गई रे ( भागते हुए अम्मी के दर्द भरे लफ्ज मेरे कानो में पड़े)मै लपक कर पतीला उठाया और फटाफट चलाया , हल्का सा पेंद में पकड़ ही लिया और झट से गैस बुझाया ।
फिर वापस से पानी गर्म करने के लिए रख दिया अम्मी के लिए और सिंक से बर्तन साफ करने लगा ।
हाथ पोंछता हुआ मै कमरे ने दाखिल हुआ: अम्मी खाना लगाआ....ऊऊ लाला ( मै अम्मी को आवाज देता हु कमरे ने आया तो देखा अम्मी एक ओर करवट होकर लेती है और पंखे ने उनकी सूट को ऊपर कर दिया और उनकी पूरी की पूरी गाड़ नंगी दिख रही थी ।
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अम्मी पहली बार ऐसे मेरे सामने थी उनकी बड़ी बड़ी मोटी गाड़ और उसकी आपस में चिपकी हुई दरार देख आकर लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाड़ा खुजाते हुए मै अम्मी की ओर बढ़ने लगा
जी में आ रहा था अभी जीभ लगा कर अम्मी के दरारे चाट लू लेकिन अम्मी की तबियत को देखकर मन भटक रहा था
चलते है मै अम्मी के पास गया और अच्छे से अम्मी की नंगी गाड़ देखा । वो गहरी नीद में थी , दर्द से परेशान होकर सो गई होगी शायद
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मैने धीरे से पहले उनका सूट उठा कर उनके गाड़ को ढक दिया और फिर एक पतली चादर उन्हें ओढ़ा दी कमर तक ।: अम्मी उठिए ( मैने उनकी बाह पकड़ कर उन्हें हिलाया , सामने से सूट ने उनकी बड़ी बड़ी मोटी चूचियां बिस्तर पर लेती हुई थी ।)
: हा बेटा ( अम्मी चौंककर आंखे खोली )
: खाना बन गया है लाऊ
: बन गया ? अह्ह्ह्ह जरा मेरी सलवार देना ( अम्मी चौकी और जैसे ही उनकी नजर अपने देह पर पड़ी चादर पर गई वो शांत हो गई )
: देता हु लेकिन पहले आप खाना खा कर दवा खा लो फिर
: अच्छा ठीक है लेकर आ ( अम्मी सोई हुई आंखों से , चादर में ही घूम कर बैठती हुई मुस्कुरा कर बोली )मै खुश होकर किचन में आया और एक थाली में सलाद , अचार , चटनी के साथ बिरयानी निकाल कर अच्छे से सजा कर ले गया: टनटना, खाना आ गया ( मै खुश कर बोला )
: पागल कही का , इतना पसंद है तुझे खाना बनाना ( अम्मी हस्ती हुई बोली )
: आपके लिए हर काम करना पसंद है मेरी प्यारी अम्मी ( मै खाने की थाली बिस्तर पर अम्मी के आगे रखा )
: चल फेक मत अब , पानी नहीं लाया
: अभी लाया अम्मी ( मै तेजी से लपक कर किचन की ओर भागा )
: आराम से शानू, चोट लग जाएगी ( अम्मी फिक्र से बोली )
: हूऊह आ गया
: क्या आ गया , चम्मच कहा है ऐसे ही गर्म गर्म खायेगा ( अम्मी हस के बोली )
: ओहो ( मै कमर पकड़ कर खड़ा हो गया और फिर से वापस गया और चम्मच लेकर आ गया )
अम्मी ने फिर मुझे अपने हाथों से और मैने अम्मी को खाना खिलायाउसके बाद मैने सारा बर्तन खुद धुला और पानी गर्म करके दवा ले कर अम्मी के पास आया
: अम्मी लो दवा खा लो और आराम करो
: कितना मेहनत कर रहा है मेरा बच्चा ( अम्मी चादर में ही बिस्तर से उठती हुई बोली , अभी तक मैने अम्मी को उनकी सलवार नहीं दी थी पहनने के लिए)
: हम्म्म लीजिए और आराम करिए , मै किताबें लेकर आता हु
: तू भी यही सोएगा क्या ? ( अम्मी ने पूछा )
: जैसा आप कहो , रात में आपको बाथरूम जाना हुआ या कोई जरूरत हुई इसीलिए मै बोला ( मै बहुत ही कैजुअली हो कहा )
: हा बेटा ठीक कह रहा है तू जा किताबें लेते आ , उफ्फफ हाय अल्लाह कितना टपक रहा है जबसे बाथरूम में बैठी हु
: अम्मी , आप कहो तो मलहम लगा दूं मै ( मै थोड़ा हिचक कर हिम्मत करके बोला )
: अरे नहीं बेटा मलहम नहीं , ऐसा कर कटोरी में सरसों का तेल गर्म कर ले उससे करेगा तो ज्यादा आराम मिलेगा
: जी अम्मी आप पेट के बल लेट जाओ मै आता हुमै फटाफट से किचन में एक कटोरी में सरसों का तेल गर्म किया और कटोरी गर्म थी उसको एक प्लेट में रख कर वापस आया
अम्मी पेट के बल होकर लेट गई थी लेकिन अभी भी उनके ऊपर चादर थी
: अम्मी चादर हटा दूं ( मैने आज्ञा लेना जरूरी समझा )
: अह हा बेटा हटा दे दाग लग जाएगा तेल का उसमें भी तो छूटेगा नहीं ( अम्मी लेटे हुए बोली )
:
मैने अम्मी के ऊपर से चादर खींचा और एक बार फिर अम्मी की गाड़ मेरे सामने नंगी हो गई
मैने सूट को हौले से पकड़ कर आधी पीठ तक किया
अम्मी की कसी हुई मोटी चौड़ी गाड़ और उसके उभार दरार देख कर लंड अकड़ने लगा । लोवर में तंबू बनने लगा था मेरे ।
मैने हाथ में तेल चिपुडा और अम्मी के लोवर बैक में तेल लगाने लगा
: अह्ह्ह्ह उफ्फ बहुत अच्छा लग रहा है उम्मम्म , अच्छे से और हल्के हाथ से करना बेटा
: जी अम्मी ( मै अम्मी की कमर की मालिश करता हुआ बोला )
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यकीन नहीं हो रहा था कि मै अम्मी के नरम नरम कूल्हों पर अपने हाथ घूमा रहा हूं
: हा बेटा थोड़ा नीचे की ओर चूतड़ की ओर भी कर दे अह्ह्ह्ह्ह हा हा वही उम्मम्म सीईईई कितना टपक रहा है अह्ह्ह्ह
: अभी आराम हो जाएगा अम्मी ( मैने अम्मी के चूतड़ और कूल्हे के किनारों पर उभरी हुई चर्बी को दोनो हाथों से भर भर कर सहला रहा था अह्ह्ह्ह्ह अम्मी की गाड़ कितनी मुलायम और भारी भारी थी , हाथों से गुदगुदी पूरे बदन में हरकत करती हुई फैल रही थी और लोवर में तंबू बना हुआ था ।
मै अम्मी के कूल्हे और कमर को दोनो हाथों से मसल कर उन्हें आराम दे रहा था , अम्मी की एड़ीया नीचे सटी हुई आपस में घिस रही थी
: अम्मी पैरों में भी कर दूं ( मैने पूछा )
: हम्म्म बेटा बहुत आराम मिला है , थोड़ा सा कर दे जांघों के भी ( अम्मी अपनी जांघों खोलती हुई बोली )
जांघें खुलते ही अम्मी की झाट भरी चूत के निचली फांके साफ साफ दिखने लगी , देखते ही हलक सूखने लगा मेरा और सुपाड़ा फुलने लगा
अब मै अम्मी के जांघों की ओर आ गया और तेल लेकर जांघों पर लगाते हुए उनकी मालिश करने लगा , मेरी नजर लगातार अम्मी की चूत के मोटी मोटी फ़ाको पर थी जैसे पाव रोटी के दो फॉक कर दिए हो ऐसेमैने अपने हाथ सहलाते हु अम्मी के जांघों की जड़ तक ले जाता और वो सिहर उठती , जैसे ही मेरे पंजे जांघों से चूत की ओर जाते वो अपने दोनों पैर टाइट करने लगती , एडीया अकड़ जाती । साफ साफ नजर आ रहा था कि इससे अम्मी की कामोत्तेजना बढ़ रही थीं।
मैने दूसरी जांघ भी अच्छे से मालिश की और तबतक अम्मी के चूत से रस की बूंदे टपक पड़ी थी ।
लंड एकदम उफान पर था और अम्मी की टपकी हुई चूत देखकर जी कर रहा था अभी चढ़ कर पेल ही दूं ।: हो गया बेटा ( अम्मी की आवाज आई)
: जी अम्मी ( मै बिस्तर से उतर गया और कटोरी हाथ में लेकर खड़ा हो गया )
मैने कटोरी टेबल पर रखी और चादर से फिर से अम्मी को ढक दिया: बेटा सुन
: जी अम्मी कहिए
: वो मेरे बैग में दवा है देना तो
: अब किस चीज की दवा अम्मी
: अरे वो एक ट्यूब लगानी है
मैने लपक कर अम्मी के बैग से वो दवा निकाली और तेल की शीशी भी जो अम्मी अपने छातियों पर लगाती थी
: ये क्या ? (मैने अम्मी को दोनो दवाएं दिखा )
: बेटा वही है ला ( अम्मी उठने की कोशिश करने लगी )
: अरे अरे आप आराम करो न मै लगा दूंगा , कहा लगाना है ( मै उनके पास आ कर बोला )
: वो ... तू दे न मै लगा लूंगी ( अम्मी झिझक रही थी )
: अम्मी जिद मत करो बोलो कहा लगाना है ( मै हक जताया )
: वो मेरी छाती पर मालिश करनी है तेल से और निप्पल पर मलहम लगाना है ( अम्मी नजरे फेरते हुए बोली )
: वहां क्या हुआ
: सच में तुझे नहीं पता ( अम्मी ने गुस्से में घूरा और मै नजरे चुराने लगा )
: सॉरी
: बहुत बिगड़ गया है तू , ला मै लगा लूंगी ( अम्मी को पसंद नहीं आया शायद ये टॉपिक उठा तो )
: नहीं आप रहने दो लगा दूंगा मै , सॉरी न अम्मी ( मेरा मुंह एकदम से उतर गया )
: सॉरी न अम्मी ( अम्मी मुंह बना कर मुझे चिढ़ाते हुए बोली )
फिर वो उठ कर अपना सूट निकाल दी और अब वो मेरे आगे ब्रा में थी ।
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बड़ी बड़ी मोटी चूचियां जिन्हें मै न जाने कितनी बार छिप कर देख चुका था आज कितने सालों बाद मेरे सामने थी
अम्मी हाथ पीछे करके ब्रा खोलने लगी लेकिन वो खोल नहीं पा रही थी
: खड़ा क्या है खोल न ( अम्मी ने डांटा )
मै झट से अम्मी की ब्रा के हुक खोलने लगा लेकिन तेल की वजन वो बार उंगलियां सरक जा रही थी
: क्या हुआ भाई कितना टाइम ( अम्मी पीठ सीधा किए किए परेशान होकर बोली )
: बस अम्मी हो गया , हाथ में तेल की वजह से सरक रहा था हो गया ( मैने हुक खोल दिए और विश्वास से अम्मी के सामने खड़ा था मानो कोई जंग जीत ली हो )
अम्मी मुंह बनाते हुए मेरे आगे ही अपने कंधे से ब्रा उतारने लगी और अगले ही पल उनकी मोटी मोटी गदराई चूचिया झूल पड़ी।तने हुए कड़क निप्पल देखकर मुंह में पानी आने लगा और अम्मी के डांट से लंड जो सिकुड़ रहा था वो फिर से हरकत करने लगा ।

यकीन नहीं हो रहा था कि अम्मी आज मेरे आगे पूरी की पूरी नंगी है , बस चादर ने उनकी कमर से नीचे ढक रखा था ।अम्मी लेट गई और उनकी मोटी मोटी खरबूजे जैसे चूचियां सीने के दोनों ओर परस गई ।
: तेल लगाना है फिर मलहम समझा
: जी अम्मी ( मैने फटाफट से तेल की शीशी खोली और ड्रॉप अम्मी के चूचियों पर टपकाने लगा
: सीईईई बस बस ज्यादा नहीं ये तेल फैलता है ( अम्मी ने रोका )
मैने बिना कुछ बोले तेल की शीशी किनारे रखी और हल्के हल्के से उसे अम्मी के बाएं चूचे पर फैलाने लगाअम्मी के चेहरे के भाव बिगड़ रहे थे और निप्पल पूरे तन चूचे थे , रह रह कर मेरी हथेली अम्मी के निप्पल को घिस दे रही थी जिससे अम्मी सिहर कर बिलबिला उठी
: सीईईईई आराम से बेटा उम्मम हलके हाथ से हा ऐसे ही
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मैने अम्मी ने चूचे दोनो हाथों से सहलाये कर उनकी गोल गोल मालिश कर रहा था मानो उनका दूध निकाल रहा हु ,
वही नीचे लोवर में मेरा लंड पूरा लोहे की रोड जैसे अकड़ आकर तना हुआ था मानो फाड़ कर बाहर आ जाएगा
गले से थूक गटक गटक कर जबड़ा दर्द होने लगा और मेरे हाथ अम्मी के दुसरे चूचे पर चलने
अब मुझे अम्मी की ओर झुकना पड़ रहा था और मेरा भाले जैसा लंड अब उनकी कांख के पास टच हो रहा था ।
वो भी उसके स्पर्श में अंजान नहीं थी । मगर लिजाह बस कुछ बोल नहीं रही थी और मै भी उस चीज का मजा ले रहा था , अम्मी कांख की गर्मी लोवर के अंदर मुझे मेरे सुपाड़े पर महसूस हो रही थी
मन तो कर रहा था कि अम्मी के गुदाज चर्बीदार कांख में पेल पेल कर झड़ जाऊ ,
कबसे मेरे सुपाड़े में कुलबुलाहट हो रही थी और मै उसे सहला नहीं सकता था ।
वही अम्मी की हालत कम खराब नहीं थी वो अपनी भीतर उठ रही कामवेदना के उफनाहट को बहुत मुश्किल से थामे हुए थी , होठ सिल कर आंखे बंद किए वो अपनी एडिया चादर में रगड़ रही थी: बस्स बेटा रहने दे ( अम्मी हॉफ रही थी और उनके बेचैन चेहरे की हालत मै समझ रहा था , अम्मी ने भी गजब का संयम था , कबसे जांघों को आपस में रगड़ रही थी चादर में लेकिन एकबार भी हाथ नीचे नहीं ले गई )
: अब मलहम लगा दे
: जी अम्मी ( मैने अपने हाथ पोछे और फिर ट्यूब से मलहम उंगली में लेकर पहले बाएं निप्पल की टिप पर रखा )
: उह्ह्ह्ह सीईईईई ठंडा है ( अम्मी भीतर से थरथरा गई और मै मुस्कुराने लगा )
मैने उंगली को बड़े ही प्यार से अम्मी ने जामुन जैसे मोटे कड़क निप्पल पर उंगलियां घुमाई और काले घेरे के आस पास मलहम लगाने लगाअम्मी गर्दन दूसरी ओर करके अपने होठ चबा रही थी , उनके दोनो हाथों ने बिस्तर को जकड़ रखा था और ऐडीया चादर में अकड़ रही थी
: उम्मम्म बस्स कर बेटा अह्ह्ह्ह ( अम्मी की सादे तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी और चूचियां उठ बैठ रही थी )
मैने दूसरे निप्पल पर भी ऐसे ही लगाया इस बार अम्मी पूरी तरह से तड़प उठी: हो गया बेटा
: जी अम्मी
: ठीक है तू हाथ धूल कर अपने किताबें लेते आ जा
मै समझ गया कि मेरे कमरे से जाते ही अम्मी अपनी चूत मसलेगी ही और हुआ भी वही मैने जीने के पास जाकर रोशनदान से झांका
अम्मी ने अपने ऊपर से चादर हटा दी और तेजी से अपनी बुर ने उंगली करने लगी
उन्हें देखकर मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा , मैने भी लंड बाहर निकाल दिया
अम्मी उंगली करते हुए कभी दरवाजे पर तो कभी खिड़की पर देखती और फिर बिस्तर के हेडबोर्ड से सर टीका कर इत्मीनान में चूत में उंगली पेलने लगती
यकीन नहीं हो रहा था कि आज अम्मी को मैने गर्म कर दिया था , ऐसे में जब उनकी तबियत खराब है
लेकिन मैने भी सोच रखा था कि आज की रात अम्मी को भी तड़पाना ही हैइसलिए मैं जल्दी से किताबें लेकर तेजी से जीने से उतरा ताकि मेरी आहते अम्मी को मिल जाए और जब मैं कमरे में आया तो अम्मी चादर ओढ कर करवट लेकर लेती हुई थी ।मै मन ही मन मुस्कुरा और अम्मी के चेहरे पर चिंता के भाव, जान रहा था कि
अम्मी अभी तक झड़ नहीं पाई थी वो अपनी जांघों को कसे हुए चूतड़ों को फैला कर चादर में लेती हुई थी ।
मै बिस्तर पर अम्मी के पीछे बैठ कर अपना प्रोजेक्ट लिखने लगा ।
धीरे धीरे अपना लंड सहलाते हुए और मेरी नजर बराबर अम्मी पर जमी हुई थी । रह रह कर अम्मी के हाथ में हरकत होती मै मुस्कुरा ।मजा आ रहा था आज अम्मी को छेड़ कर , कितना सताया था उन्होंने कितनी बार थप्पड़ लगाया आज बदला तो बनता था ।
अभी कुछ देर ही हुए होंगे कि मोबाइल बजने लगा: किसका फोन है शानू ( अम्मी घूम कर मेरी ओर देखी )
: अब्बू का ( मै अपने हसी की पिचकारी को मुंह ने ही फोड़ते हुए बोला )
अम्मी समझ गई मै क्यों हस रहा हु
: बजने दे उठाना मत ( अम्मी खीझ कर बोली )
: अम्मी बात कर लो न मै ऊपर चला जाता हूं ( मै मुस्कुरा कर उनकी ओर देखा और वो आंखे दिखाने लगी )
: मुझे नहीं करनी बात उनसे कुछ
: मै फोन उठा कर बोल दूं ( मै चहक बोला )
: नहीं दे मुझे ( अम्मी लपक कर उठी और उनके सिने से चादर हट गई )
एक बार फिर उनकी रसीली छातियां मेरे आगे नंगी झूलने लगी ।
वो फोन हाथ में ली और उठाते ही कान पर लगाया ।
: हम्म्म कहिए
: हम्म्म ठीक हूं
: हा शानू ने बनाया था
: बिरयानी जैसा कुछ था ( अम्मी ने मुझे देख कर जवाब दिया और दूसरे हाथ से चादर को अपने छातियों को ढके हुए थी । )
: नहीं सब्जी वाली थी, हम्मम जो भी होअम्मी लगातार अब्बू से बातें करती रही
: नहीं इतना भी ठीक नहीं हु
: आप ना शानू से भी ज्यादा बिगड़ गए हो ( अम्मी ने मेरी ओर देख कर कहा )
मैने भी चौक कर अम्मी की ओर देखा और इशारे से पूछा कि मैने क्या किया अब इसपर अम्मी ने ना में सर हिलाया और अब्बू से बातें करती रही
: नहीं मतलब नहीं , मै रख रही हु मुझे नीद आ रही है , बाय
: नहीं वो भी नहीं
: एक भी नहीं , अब आइएगा तो ही , बाय
: हुंह ( अम्मी ने तुनक कर फोन काट दिया )मै समझ रहा था कि अब्बू अम्मी से किस्स मांग रहे होंगे आखिर और अम्मी मेरी वजह से कुछ बोल नहीं पाई
: तू भी अब सो जा चल , कल करना पढ़ाई
: जी अम्मी ( मै किताबें समेटने लगा और उठ कर उन्हें किनारे टेबल पर रख दिया )
: बत्ती बुझा दे सब और आजा मै मोबाइल दिखा रही हु ( अम्मी ने बोला और मै हाल किचन सब ओर की बत्तियां बुझा कर कमरे में आया: अम्मी कपड़े दूं पहनोगे
: नहीं अब आ सोते है , कल देखती हु ( अम्मी ने जवाब दिया , फिर मैने कमरे की लाइट बुझाई और बिस्तर पर आ गया )
मै भी बिस्तर पर आ गया
पंखा चल रहा था और मै तकिया लगाकर लेटा हुआ था ।
लंड अपने उफान पर था और मैने लोअर से उसे बाहर निकाल रखा था।
हौले हौले सहलाते हुए मेरे जहन में अम्मी के बदन को सहलाने का ख्याल उमड़ रहा था , कैसे कैसे मेरे स्पर्श से अम्मी सिहर रही थी तड़प रही , वो ख्याल मन में आते ही लंड की नसे फड़क उठती ।
कमरे में घुप अंधेरा था , नाइट बल्ब भी नहीं जल रही थी , अम्मी मेरे बगल में चादर में लेटी हुई थी । हम दोनो चुप थे
तभी मेरे कानो में अम्मी की हल्की ही कुनमुनाहट आई , मै समझ गया अम्मी चूत सहला रही थी । अभी भी वो तड़प रही है ।: क्या हुआ अम्मी अभी भी दर्द है क्या
: अह्ह्ह्ह्ह नहीं बेटा आराम है तू सो जा ( अम्मी की आवाज में मदहोशी खनक रही थी )
: अम्मी एक बात पूछूं
: हा बोल ( अम्मी के लहजे से साफ लगा कि उन्हें इतनी रात में मेरा सवाल करना पसंद नहीं आया क्योंकि वो पहले ही परेशान थी )
: नहीं , आप मारोगे ( मैने भी नखरे दिखाए )
: अब बोल भी दे , नहीं तो सच में मारूंगी
: नहीं पहले बोलो कि आप गुस्सा नहीं करोगे प्लीज फिर
: अच्छा ठीक है , नहीं करूंगी गुस्सा !! अब बोल ( अम्मी ने एक आह भरते हुए कहा )
: वो अब्बू अभी आपसे किस्स मांग रहे थे न हिहीही ( मै खिलखिला और लुढ़क कर बिस्तर के कोने चला गया क्योंकि जान रहा था कि अम्मी करेंगी जरूर )
: क्या बोला तू ? ( अम्मी गुस्से में गुर्राई ) कहा गया इधर आ कमीने बहुत बिगड़ गया है
: आपने बोला था गुस्सा नहीं करोगे , देखो नाराज हो रहे हो ( मै हंसते हुए बोला )
: बदमाश कही का , ऐसे सवाल करते है अपनी अम्मी से ( अम्मी नॉर्मल हुई तो मैं वापस अपनी जगह पर खसक आया
: सॉरी हीहीहीही , वैसे भी मै अब्बू से कम ही शरारती हु आपने ही तो कहा था ( मै खिलखिलाया )
: अरे दादा ये लड़का भी न , सो जा अब मुझे भी सोने दे
मै खिलखिला कर चुप हो गया , अम्मी से मसखरी करके लंड भी ठुमकने लगा ।
कुछ देर कि चुप्पी फिर
: अम्मी नीद नहीं आ रही है बातें करो न
: च् , अब इतनी रात में क्या बात करनी है शांति से सो नहीं पा रहा है ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
: अम्मी , आपको भी तो नीद नहीं आ रही है न
मेरी बातों से अम्मी एकदम चुप हो गई
: अम्मी अब्बू आपसे बहुत प्यार करते है न ?
: ये कैसा सवाल है ( अम्मी ने पूछा )
: बस ऐसे ही पूछ रहा हूं, अच्छा लगता है वो आपको इतना मानते है इतना प्यार करते है ( मैने मेरा दर्द छलकाया इस उम्मीद से कि अम्मी इमोशनली वीक हो जाए तभी बात आगे बढ़ सकती है ): तू क्या सोच रहा सच सच बता ( अम्मी उखड़ सी गई )
: कुछ भी नहीं ( मैने जानबूझ कर अपना नाम सिरका ताकि अम्मी को लगे मै रो रहा हूं)
: शानू !!! बेटा क्या हो गया ,इधर आ ( अम्मी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा)
मै करवट होकर उनके करीब हो गया और उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया
: क्या हो गया बेटा , तू रो क्यों रहा है
: नहीं अम्मी मै ठीक हूं, बस सोचता हु कि अब्बू मुझसे कभी प्यार से बात नहीं करते ना जाने क्या गलती किया हु मै ( मैने सुबकने का नाटक किया )
: नहीं बेटा ,ऐसा कुछ भी नहीं है वो तुझे मेरे जितना ही प्यार करते और वो तेरे वालिद है उनके प्यार जताने का तरीका ही ऐसा होता है थोड़ी सख्ती होती है । ( अम्मी मुझे सीने से लगाए मेरे सर को सहला रही थी ): मुझे पता है वो क्यों नहीं अपनाते
: क्यों ( अम्मी बोली )
: आपको याद है न जब मैने उनका मोबाइल छुआ था शायद इसीलिए
: अरे नहीं बेटा , ऐसा कुछ नहीं है वो बात तो वो कबके भूल चुके है और मै भी । बस तू दुबारा से ऐसी गलती न करे इसीलिए वो थोड़े सख्त रहते । तू कही बहक न जाए ये सब गंदी आदतें है न बेटा ( अम्मी मुझे समझा रही थी और मै उनकी गुदाज चर्बीदार मोटी मोटी चूचियो में सर रखे हुए मस्त था चादर के ऊपर से ही । मेरे हाथ उनकी कमर पर थे ।: हम्म्म सॉरी ( मैने सुबक कर कहा )
: लेकिन मैं तुझसे नाराज जरूर हूं
: क्यू ( मैने बड़े ही मासूम लहजे में बोला )
: तू क्यों ऐसी हरकते करता है , क्यों ताक झांक किए रहता है हमेशा मेरे कमरे में , तुझे अच्छा लगता है मुझे ऐसे देखना ( अम्मी ने सहज लहजे में बहुत ही गंभीर सवाल दाग दिए थे और मेरी जुबान सिल गई थी । )

भले ही मै अम्मी से थोड़ा क्लोज रहा हु लेकिन किसी बेटे के लिए अपने मा से ऐसे सवाल का क्या ही जवाब दे
: बोल न अब
: मुझे नहीं पता ( मै अम्मी की बाहों ने दुबक कर बोला , मानो उनसे ही बचने के लिए उनका ही आसरा ले रहा हूं)
: नहीं पता का क्या मतलब ?
: पता नहीं , बस अजीब सी उत्सुकता होती है और आप दोनों की बातें एकदम फिल्मों जैसी रोमांटिक लगती है मसाले वाली इसीलिए सुनना अच्छा लगता है
: पागल कही का ( अम्मी मेरे सरल जवाब से हस दी ) मेरा बच्चा ( मेरे माथा चूम लिया ।
: अम्मी मै भी आपसे बहुत प्यार करता हु , अब्बू से भी ज्यादा ( अम्मी की बाहों में दुबके हुए मैने हिम्मत कर आज अपने प्यार का इजहार कर ही दिया )
: अच्छा , अब्बू से भी ज्यादा
: हम्म्म
: पागल , चल सो जा ( अम्मी मुझे बाहों में ही कस ली )
: अम्मी !!
: हम्म्म बोल न ( अम्मी की बातों में मिठास घुल चुकी थी )
: आई लव यू
: धत्त पागल , सो जा अब
: अम्मी !!
: अब क्या ?
: आप शर्माते हुए बहुत अच्छे लगते हो
: अब मारूंगी तुझे, सो जा बोली न । पागल कही का बहुत बिगड़ गया है तू क्या क्या देखता रहता है मुझमें
: आप हो ही इतने प्यारे ( मैने उनकी कमर को कसते हुए बोला और उनसे चिपक ही गया एकदम )
: हा हा ठीक है , सो जा अब ( अम्मी जल्द से जल्द बात खत्म करना चाह रहे थी लेकिन मैं उनका ब्लश कर पाना महसूस कर पा रहा था कि कितना अच्छा महसूस हो रहा है उन्हें जब मैं उनकी तारीफ कर रहा हूं)फिर मै वैसे ही चिपक कर सो गया lजारी रहेगीपाठकों से अनुरोध है अपडेट पढ़ कर अच्छी बुरी जैसी भी अनुभति रही हो उसको रिव्यू देकर साझा जरूर करे।
इंतजार रहेगा ।
बहुत ही शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
UPDATE 17



अगली सुबह एक जोरदार अंगड़ाई के साथ मेरी आंख खुली , मै अम्मी की ओर पीठ किए खुद को पाया ।
एकाएक अम्मी का ध्यान आया और रात की बातें पल में भी जहन में उभर आई ।
जैसे ही मै अम्मी की ओर घुमा आंखे चमक उठी । सामने अम्मी मेरी ओर ही करवट लेकर सोई हुई थी ,


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उनके सिने से चादर हट गई थी और उनके दोनो बड़े बड़े रसीले मम्में भी बिस्तर पर लेटे हुए थे मगर उनकी मुनक्के जैसी भूरी मुलायम निप्पल खुली आंख की पुतलियों के जैसे मेरे ओर ही निहार रही थी

देखते ही जीभ लार टपकाने लगी और लंड अकड़ने लगा ।
रहा नहीं गया मुझसे मै घिसक कर अम्मी के करीब आया
कितना खूबसूरत चेहरा है अम्मी का , गुलाबी गुलाबी गाल और लाल भरे भरे होठ बड़ी आंखे , हर बार अम्मी मुझे दीवाना बना देती थी ।
पंखे की हवा से कुछ बाल उनके गाल पर आ गए थे
मैने उंगली से उन्हें हटाने लगा

: शानू , जग रही हूं मै ( अम्मी बोली )
: हीहीही गुड मॉर्निंग अम्मी
: क्या कर रहा था तू सुबह सुबह ( अम्मी ने चादर अपने सीने पर चढ़ाते हुए आंखे खोलकर बोली )

: वो बाल आपके गाल पर आ गए थे तो मै उन्हें पीछे कर रहा था
: क्यों वो कुछ बिगाड़ रहे थे मेरा? ( अम्मी ने सवाल किया )
: हम्म्म आपके गाल पर गुदगुदी कर रहे थे इसलिए
: धत्त बदमाश, उठ और मेरे कपड़े निकाल दे
: उम्मम क्या पहनोगे आप ( मै भी बैठ कर अगड़ाई लेते हुए कहा )
: अरे एक नाइटी निकाल दे आराम रहेगा उसमें और पानी गर्म रख दे नहाना है मुझे
: अभी आपकी तबियत कैसी है
: ठीक ही है ,( अम्मी उठ कर बैठ गई और पीछे से उनकी बड़ी सी गाड़ एक बार फिर से नंगी गई । )


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बैठने की वजह से अम्मी की गाड़ और फेल जाती है और दरार भी चौड़ी हो जाती है । देखते ही लंड में सुरसुरी होने लगी
मैने आलमारी से नाइटी निकाल कर उन्हें दी
: ब्रा और पैंटी भी दु अम्मी
: अह्ह्ह्ह नहीं कौन पहनेगा उतारेगा बेटा , नहा कर पहन लूंगी यही
: ठीक है अम्मी मै गर्म करता हु ( मै कमरे से बाहर निकल आया अपना लंड सेट करता हुआ )

मै किचन में पानी गर्म कर रहा था कि अम्मी कमरे से बाहर निकली , एक तौलिया लपेटे हुए अपने भारी भरकम देह पर
देखते ही लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा
अम्मी के आधे से ज्यादा चूचे ऊपर निकले हुए थे और चूत से महज कुछ इंच ही नीचे तक जांघें ढकी थी और उनकी मोटी मोटी गदराई मांसल जांघें चलने पर उनकी चर्बी थिरक रही थी अह्ह्ह्ह लंड अकड़ गया

: अम्मी रहने दो कल नहा लेना ( मै उनको लड़खड़ा कर चलता देख भागता हुआ उनके पास आया )
: पूरा बदन तेल तेल हुआ है और महक रहा है , बिना नहाए इतनी गर्मी में मुझसे नहीं रहा जायेगा
: अच्छा ठीक है आइए
मैने उनकी बाजू पकड़ी और उन्हें बाथरूम तक ले गया

मेरा बाथरूम और पाखाने दोनो एक में ही थे , संजोग कि बात थी कि सालों पहले मरम्मत के टाइम अम्मी के कहने पर अब्बू ने वेस्टर्न टॉयलेट की सीट लगवाई थी ।
मै उन्हें बाथरूम में टॉयलेट सीट तक ले गया
: आप फ्रेश हो लो और फिर आवाज देना , मै पानी लेकर आ जाऊंगा
: ठीक हैं बेटा और दरवाजा लगा देना
: जी अम्मी
मैने बाथरूम का दरवाजा भिड़काया और किचन में आ गया
मैं भी अपना ब्रश करते हुए घर में झाड़ू करने लगा
कुछ देर में अम्मी फ्रेश हुई तो उन्होंने आवाज दी

: शानू बेटा आजा
मै अंदर गया तो अम्मी नंगी होकर उकुडू बैठी हुई थी टोटी में पानी गिर रहा था मैने बाल्टी में गर्म पानी मिलाया और बाथरूम से बाहर आ गया


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अम्मी अपने देह पर पानी गिरा कर नहाने लगी और मै उनके पीठ पीछे होकर देखने लगा

लंड एकदम रोड जैसा अकड़ गया था अम्मी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर , मै उन्हें लोवर के ऊपर से मसल रहा था और हाल में झाड़ू लगाने लगा ।

: शानू आजा बेटा ( अम्मी की आवाज आई
मै लपक कर बाथरूम में गया और अम्मी तबतक तौलिया लपेट चुकी थी ।
मै उन्हें कमरे तक ले आया
: अम्मी आप तैयार हो लो मै छत पर झाड़ू करके आता हु
: ठीक है बेटा

मै झट से हाल से झाड़ू उठाया और जीने से ऊपर जाने को हुआ ही था कि कमरे में मोबाईल रिंग होने लगी ।
मोबाइल रिंग की आवाज कानो में पड़ते ही मै रुक गया
इतनी सुबह भला किसका ही फोन हो सकता था सिवाय अब्बू के

अब्बू के फोन से ही मेरी बेचैनी बढ़ने लगती थी मै धीरे से नीचे आया और खिड़की के पास खड़ा हो गया

: हम्मम अभी जस्ट नहाई हु
: रुको वीडियो कॉल करता हु ( अब्बू की आवाज आई)
: नहीई रुकिए ( अम्मी बोलना चाह रही थी मगर अब्बू ने काल काट दिया )

अगले ही पल व्हाट्सअप पर वीडियो काल आने लगा
अम्मी ने काल पिक किया
: आपको जरा भी चैन नहीं है न ( अम्मी बहुत खिल कर अब्बू से बातें कर रही थी )
: तुम्हारे बिना चैन कहा से होगा मेरी जान , सारी रात तुम्हारे रसदार गुलाबी चूत को याद करता रहा
: धत्त गंदे सुबह सुबह ही शुरू हो गए ( अम्मी लजाई और मुस्कुराई )
: ओहो मेरी जान टॉवल में उम्मम दिखा दो न
: उम्हू ( अम्मी ने ना में सर हिलाया ) सच कहू तो अम्मी अब्बू से बातें करते हुए एकदम अलग ही दिखती थी , उनके गुलाबी गाल और भी गुलाबी हो जाते थे और क्या ब्लश करती थी वो जब अब्बू छेड़ते थे उफ्फ लंड एकदम फड़फड़ाने लगता उनका रोमांस देखकर
: प्लीज न मेरी जान , कल से तड़प रहा हु तुम्हारी एक झलक पाने को
: मै भी तड़प ही रही हु न मेरी जान आपके लिए, कल संडे था और आपकी यादों में मै .... छोड़ो आपको क्या आप तो बस अपनी नौकरी करो हूह ( अम्मी इतराई )
: बस जैसी ही ये आडिट खत्म हुई मै आ जाऊंगा मेरी जान , प्लीज दिखा दो न ( अब्बू ने रिक्वेस्ट की )
: क्या देखोगे मेरे राजा ( अम्मी ने सिसक कर कहा और मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा )
: सब कुछ ( अब्बू भी तड़प कर बोले )
: सब कुछ !!! ( अम्मी ने बैंक कैमरा करके आइने के आगे खड़ी हो गई और तौलिया खोलने लगी )
: हा मेरी जान सब कुछ
अम्मी ने तौलिया खोल दिया लेकिन आगे से अब छिपा रखा था और पीछे से उनकी बड़ी सी गाड़ नंगी हो गई थी

अम्मी की गाड़ देखकर मै हिलाने से खुद को रोक नहीं सका और लंड बाहर निकाल दिया
: उम्ममाअह दिखाओ न मेरी जान
: क्या देखोगे मेरे राजा
: तुम्हारी मोटी मोटी चूचियां और गाड़
अगले ही पल अम्मी ने तौलिया गिरा दिया


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उफ्फ क्या कयामत ढा रही थी अम्मी आइने के आगे अपने जिस्म को झटके देकर अपने मोटे मोटे मम्मे हिला रही थी
: देख लो मेरे राजा कैसी है
: अह्ह्ह्ह जानू , नेटवर्क की वजह से अच्छे से नहीं दिख रहा है फोटो भेजो न अच्छी सी
: धत्त एक तो मुझे तड़पाते हो और डिमांड अलग है आपके ( अम्मी उखड़ी थोड़ी सी )
: प्लीज न जान , आज तुम्हे देख कर हिला कर जाऊंगा ऑफिस प्लीज न मेरी जान मान जाओ
: ठीक है भेजती हूं

फिर अम्मी ने फोन कट किए और


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अपनी टांगे उठा कर चूचियों सहित अपने झांटों से भरी चूत की तस्वीर क्लिक की और मोबाइल पर भेज ही रही थी कि उनकी नजर खिड़की के पास मेरे ओर पड़ी
मै झट से वहां से सरक रहा था
: शानू क्या कर रहा है वहां, मै जान रही तू है वही इधर आ

मेरी हालत खराब थी , आज तो सरेआम चोरी पकड़ी गई थी मेरी लोवर में लंड पूरा तंबू बनाए हुए था ।
अम्मी की नजर मेरे लोवर पर थी तो कभी मेरे ओर

मै डरता हुआ कमरे में आया


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अम्मी तौलिया से अपने आगे लपेट चुकी थी और उसे अपने चूचियों में खोस रही थी ।
: क्या कर रहा था वहां, झाड़ू लग गया तेरा ( अम्मी ने गुस्से में बोली )
: जी , जी अम्मी , सॉरी ( मै अपना गाल झुका रहा था कि कही फिर एक चांटा न पड़े )
: कितनी बार कहूं तुझे छिप कर बातें न सुना कर मेरी समझ नहीं आता तुझे ( अम्मी गुर्राई )
: सॉरी अम्मी
: अगली बार ऐसा किया न तो मुंह तोड़ दूंगी तेरा ( अम्मी हाथ उठाने को हुई मगर रुक गई )
: सॉरी ( मै बाहर निकलने लगा )
: कहा जा रहा है अब ( अम्मी झल्लाई )
: वो नाश्ता बनाने ( मै उदास होकर बोला )
: अभी रहने दे , जरा मेरे कमर में मालिश कर दे फिर करना ( अम्मी एकदम से शांत हो गई और लड़खड़ाते हुए बिस्तर तक गई और फिर तौलिया उतार दिया )

मेरी आंखे फेल गई अम्मी की नंगी गाड़ को फिर से देखकर , इस बार अम्मी पूरी की पूरी नंगी थी मेरे सामने और लंड पूरा अकड़ा हुआ था ।

अम्मी बिस्तर पर चढ़ कर पेट के बल लेट गई , अह्ह्ह्ह्ह क्या कयामत लग रही थी अम्मी ,


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मोटी मोटी जांघें और पहाड़ जैसी उठी हुई गाड़ और गहरी दरारें लंड एकदम रोड हो गया था
मैने मलहम ट्यूब से निकाला और अम्मी के कूल्हे और कमर पर लगा कर मलने लगा
नहाने के बाद अम्मी के चूतड़ों के काफी नरमी आ गई थी , हाथ सरक रहे थे और उनके बदन से आती खुशबू मुझे मदहोश कर देती थी ।
सामने अम्मी मोबाईल पर अब्बू को मेरे सामने ही तस्वीरें भेज रही थी , डिस्प्ले पर जो तस्वीर दिख रही थी उसे देख कर मेरा लंड रसाने लगा था ।


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: अम्मी गुस्सा मत होना लेकिन एक बात पूछूं
: हम्ममम बोल
: आप फिर गुस्सा हो रहे हो
: अच्छा ठीक है बोल नहीं हो रही गुस्सा
: वो आपको कभी अब्बू पर शक नहीं होता , वो बार बार आपसे तस्वीरें और वीडियो मांगते है ऐसी वाली ( मै अम्मी के कूल्हे सहलाता हुआ बोला )
अम्मी एक दम से शांत हो गई और कुछ देर बाद
: तू अपने काम से काम रख और तुझे क्यों लगता है कि इनसब का गलत यूज करेंगे उम्मम्म
: पता नहीं बस ऐसे ही मन में आया था ( मैं ज्यादा न बोल कर चुप रहा )

: हो गया , ऊपर भी कर दूं ( मैने खड़े होकर कहा )
: नहीं मै कर लूंगी तू जा नहा ले पहले
: जी ठीक है अम्मी ( फिर मै कमरे से निकल कर नहाने चला गया )



नहाने के बाद मै सीधा ऑफिस के लिए निकल गया
जान रहा था कि आज शबनम नाम की शोला मेरे ऊपर भड़केगी इसीलिए ऑफिस पहुंचने से पहले ही उसको एक GOOD MORNING का मैसेज तो बनता ही था ।

मैसेज डिलीवर क्या हुआ
उसका गुस्सा दुगनी तेजी से रिपोंड किया
: Mil gaya time tumhe , kaha the ab tak , kitne fone massege kiye ( वो पूरी भड़की हुई थी मै जानता था )
: bas 5 min me tumhare paas hi aa raha hu jitna man kare daant lena ( मैने भी लिख कर भेज दिया और बाइक से निकल गया )

जेब में मोबाइल वाइब्रेट होता रहा और मैने चेक नहीं किया । जानता था वही उसके ड्रामे लिख कर भेजे होंगे कि मुझे ऑफिस में बात नहीं करनी वगैरह ।
गाड़ी पार्किंग में लगाई तो ऊपर छत से वो मुझे ही देख रही थी , लिहाजन मैने मोबाइल खोलकर मैसेज पढ़े

: office mein koi baat nahi karni hai mujhe ( उसका मैसेज आया था , आज कोई रिक्वेस्ट नहीं सीधा ऑर्डर सुनाया था मैडम ने )

मैने बिना रिप्लाई के ऊपर आ गया



रेशमा मैम भी आज लेट ही आने वाली थी उनका टैक्स्ट मिल चुका था ।
: woow yaar sexy lag rahi ho ( मैने उसको मैसेज किया और मुस्कुराया )
: bola na baat mat karo mujse ( उसने रूठने जैसा मुंह बनाया )
: sorry yaar , mobile me kuch dikkt aa gyi thi isiliye baat nhi kar paaya ( मैने लपेटा उसको )
: hmmm thik hai , fir nahi baat karungi tumse gande ho tum gande ( एकदम से उसके हाव भाव बदल गए और वो इतराने लगी )
: achcha ji maine kya kiya ( मैने जानबूझ कर टॉपिक खोला )
: bhul gaye kal maim ke cabin mein kya kiya mere saath ( वो घूर रही थी मुझे अपने टेबल से )
मै उसका मैसेज पढ़ कर मुस्कुराते हुए टाइप करने लगा
: kal tum ekdm bomb lag rhi thi yaar to raha nhi gaya mujhse
उसने मैसेज पढ़ कर मुझे घुरा और मैने मुस्कुराते हुए अपने टेबल को सेट करने लगा
तभी फिर उसका मैसेज बीप हुआ
: chup raho gande kahi ke , tumne mera faayda uthaaya hai
मै मैसेज पढ़ कर उसकी ओर देखा तो इमोजी के जैसे अपने एक्सप्रेसन पल पल में हर मैसेज के साथ बदल रही थी ।
: yaar tum khud itni wajandaar do , tumhara fayda bhi to wajandaar hoga , maine kaise utha sakata hu itni wajan wali chiz 😁
हंसते हुए मैने उसकी बातों का मजाक बनाया और जैसे ही वो मैसेज पढ़ी उसके चेहरे पर हसी आ ही गई ।

: Good, aise hi hasti raha karo ( मैने आगे मैसेज किया और वो पढ़ आके टाइप करने लगी )
: kyo?
: sexy lagati ho yaar hanste hue 😉 ( मैने रिप्लाई किया )
अब वो मुझे फिर से घूर रही थी


खैर फिर मै भी कामों में बिजी हो गया और वो भी
बीच बीच में टाइम मिलता तो उसको छेड़ता। कुछ देर में फाइल लेकर मेरे टेबल के पास आई

: ये लो सर ने दिया है, इनका अकाउंट देख लो
: तुम अपना कब दिखाओगी
: मार खाओगे तुम गंदे कही के ( वो बातो में लगी रही )
: यार समझो न मेरी फिलिंग को , तुम्हे देख कर लगता है कि सिर्फ मुझे ही तंग करने के लिए ऐसे ड्रेस में आई हो
: चुप करो यार , ( वो फाइल पर झुक कर लिख रही थी और कुर्ती में उसकी गाड़ बाहर निकल आई थी )
: शबनम तुम घर चली जाओ प्लीज
: क्यों क्या हुआ
: कुछ नहीं जाने दो , तुम जाओ मेरे पास से

वो वहां से निकल गई और मैसेज करने लगी
: kya hua tumne aise kyu kaha , ghar chali jaao ??
: Mujhse raha nhi ja raha hai to kya karu .. tumhe dekhata hu to tadap uthta hu aur... ( मैने बेबस बेचैन भाव लाकर उसकी ओर देखा )
: aur kya ?? ( वो भी मदहोश नजरों से सवाल कर रही थी )
: tum piche se bawal lg rahi ho aur isse meri pant tight ho rahi hai
वो मैसेज पढ़ी और उसकी हसी छूट गई
: Ganda ( छोटी सी गाली दी उसने )
: sach kah raha hu , kaho to photo bheju , ruko bhejta hu

फिर मैंने झट से अपने पैंट में उभरे हुए रोड जैसे लंड की तस्वीर निकाली और उसको व्हाट्सएप कर दिया


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वो मैसेज देख कर आंखे फैला कर पहले मुझे देखा और फिर मुंह छिपा कर शर्माते हुए हसने लगी

: Tum bahut gande ho chhiiii ( उसका मैसेज आया )
: ab kya karu tum ho hi itni sexy , leggings me itna kahar dhaa rahi ho bina leggings ke kaise lagogi wo soch kar iska ye haal hai ( थोड़ा लंबा मैसेज किया मैने )
वो मैसेज पढ़ कर आंखे महीन कर मुझे घूरने लगी
: Ab tum ye sb baatein karna band karoge, mujhe Sharm a rahi hai ( वो रिप्लाई की )
: mujhe to nahi aa rahi hai
: pagal ho tum ( वो मैसेज की )

हम बातें कर रहे थे कि रेशमा मैम आ गई और मै उनकी ही राह निहार रहा था , फिर मै कल के काम और मैम के साथ ऑफिस काम जानबूझ कर एकदम भीड़ गया ।
इस बीच शबनम फ्री टाइम में मैसेज करती रही लेकिन मैने कोई जवाब नहीं दिया , उसको तड़पाना मेरी पहली प्रीओरटी थी । मै चाहता था कि वो मुझे रेशमा मैम के साथ व्यस्त देखकर जलन महसूस करे और तड़पे ।
हुआ भी वही मैने उसको एकदम से सिरे से नकार दिया , टेबल पर काम करते हुए कई बार वो मुझे इशारे से मैसेज चेक करने को कहती मै टाल देता हाथ में में फाइल और अपने बाए तरफ मैम के केबिन की ओर इशारा कर
वो जल जाती पूरी जब उसे मेरी अटेंशन नहीं मिल पाती ।
शाम हुई और मै घर के लिए निकल गया ।

घर पहुंचते ही शबनम का काल आया
मैने बड़े ही विश्वास से फोन पिक किया ।

: हाय कैसी हो
: हाय के बच्चे , मैम के आते ही भूल गए मुझे , नहीं तो कितनी बातें थी करने को ( वो भड़क उठी मुझपे)
: सॉरी यार वो कल मैंम आई नहीं थी तो उनको फाइल दिखाने थे कुछ करेक्शन भी करने थे
: हूह तुम सारे लड़के न एक जैसे होते हो , मतलबी
: और कौन लड़कों से तुम बात करती हो यार , कितने बॉयफ्रेंड है तुम्हारे ( मैने उसका मूड हल्का करने के लिए मजाक किया )
: तुम कम हो किसी लड़कों के ग्रुप से , कितने किरदार है तुम्हारे , तुम्हे मै कितना सीधा भोला समझती थीं और तुम छीई कैसे बेशर्म की तरफ फोटो भेज दिए तुम
: अब दोस्त से अपनी फीलिंग क्यू छिपाना , तुम्हे देखकर मेरा दिल बैचेन हुआ तो क्या करूं और तुम भी परेशान करती हो मुझे
: मैने क्या किया
: क्या किया, सारा दिन मेरे टेबल के आगे पीछे लटके झटके देकर जाती हो , ना चाहते हुए भी बन्दे की नजर उन गोल मटोल खरबूजों पर चले जाए

: छीइइइ गंदा , कैसा कैसा नाम देते हो ( वो भिनकी)
: चलो नाम ही ले लेते है , हा तो मै कह रहा था कि तुम्हारे सुन्दर गोल मटोल चूतड़ न ....
: धत्त गंदे हो तुम गंदे ,
: अब क्या हुआ उसको यही कहते है न और दूसरा क्या बोलूं
: तुम्हे मुझसे सिर्फ मेरे बम्स दिखते और कुछ नहीं ( उसने सवाल किया )
: दिखता तो है लेकिन तुम उसको दुपट्टे से छिपा कर रखती हो तो क्या करूं ( मैं उसे छेड़ा )
: शानू ... तुम न .. ( वो खीझी )
: प्लीज यार दिखा दो ना एक बार दुपट्टा हटा कर , कितना तरसता हु उसके दीदार के लिए अह्ह्ह्ह्ह
: शानू प्लीज न ऐसी बातें न करो ( वो अब बेचैन हो रही थी मगर इतनी नहीं कि तस्वीरें भेज ही दे , उसकी चतुराई मै समझ रहा था )

मै समझ गया ये ऐसे लाइन पर नहीं आएगी
अह्ह्ह्ह्ह शबनम रुको रेशमा मैम का फोन आ रहा है मै काल करता हु तुमको
बीच में ही मैंने फोन काट दिया और फिर अपनी जान अलीना से फोन पर बातें करने लगा ।
आधे घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका था और इस बीच शबनम दो बार मुझे फोन कर चुकी थी लेकिन मैं अलीना के साथ बातें करने में लगा था ।
तो उसने व्हाट्सअप पर मैसेज करने शुरू कर दिए
: Tumahri baaten khatam nahi hui abhi
: bas yaar 5 min ( मैने रिप्लाई किया )
: ok

और 10 मिनट बीत गए वो फिर से काल की मेरा मोबाइल बिजी चल रहा था । फिर से उसने व्हाट्सअप पर मैसेज किया
: kya baatein ho rahi hai yaar itni lambi
: reshma maim mujhe dinner ke liye bula rahi hai ( मैंने जानबूझ कर उससे झूठ बोला ताकि वो बेचैन हो उठे )
: tum kya kahati ho mujhe jana chahiye ( मैने उससे पूछा )
: mana karungi to nahi jaoge ( उसका मैसेज आया )
: wo jo kaha hai wo bhejo to nahi jaaunga pkka
: Ganda ( उसका रिप्लाई आया )

फिर कुछ ही एक तस्वीर आई जिसमें उसका फेस नहीं दिख रहा था लेकिन कुर्ती वही थी जो आज वो पहन के आई थी ।


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अह्ह्ह्ह क्या मस्त गोरे चूचे थे उसके नारंगी से कड़क , कुर्ती के बटन खोलकर उसने सेल्फी भेजी थी

मैने उसकी फोटो पर हार्ट का रिएक्शन देकर उसको फौरन काल किया
: वाह यार अंदर से तुम तो और भी गोरी हो हिही
: धत्त गंदे ( वो लजाई )
: पूरा मुजस्सिमा कब खोल रही हो उम्मम
: शानू प्लीज , ऐसी बातें न करो मुझे अजीब लगता है । कितना छेड़ते हो तुम ( वो उलझे हुए स्वर में बोली )
: ठीक है फिर मैं मैम को बोल देता हु कि आ रहा हु मै
: नहीं ( वो चौकी )
: क्या हुआ ?
: तुम मुझसे सिम्पल सीधी सी बातें नहीं कर सकते क्या
: तुम्हे देखकर ही बातें curvy हो जाती है और वो सीधा हो जाता है ( मैने फिर से उसको लपेटा )
: ऊहू मम्मा क्या करूं मैं इस लड़के का
: दिखा दो न उतार के , आंटी भी बोल रही है
: धत्त वो कब बोली ( वो इतरा कर बोली )
: अरे अभी मुझसे बोली कि शानू बेटा मांग ले शबनम मना नहीं करेगी ( मैने बोलते बोलते हस दिया )
: छीइई पगलू , कैसे बोल लेते हो और इनसब में मेरी अम्मी को भी लेकर आ गए ( थोड़ा बनती हुई वो बोली )
: मै कहा तू लेकर आई थी और पूछ रही थी क्या करूं इस लड़के का !!
: क्या यार तुम भी , कितना घुमाते हो बातों को ( वो हस्ती हुई बोली )
: और तुम जो मेरे आगे पीछे अपने चूतड़ घुमाती हो उसका क्या , मै बाते भी न घुमाओ
: ओह गॉड ईईईई ( वो पूरी तरह से इरिटेट थी और मै भी उसका सबर आंक रहा था कि कितना वो मुझे झेल सकती थी )

: यार ये मैम फिर से फोन कर रही है रुको मैं बात करता हु
: शानू रुको न ... ( वो अपनी बात कहती इससे पहले मैने उसे होल्ड पर रख दिया )
दो मिनट बाद भी वो लाइन पर थी मैने काल रिज्यूम किया ।

: यार समझ नहीं आ रहा है मैम इतना इन्सिस्ट क्यों कर रही है
: तो सीधा मना कर दो न कि नहीं आ सकते ( वो पूरी पोजेसिव होकर बोली)
: यार ऐसे कैसे मना कर दु , कितनी हेल्पफुल है मेरे लिए । नहीं तो आहूजा को जानती ही हो कितना पीछे रहता है मेरे
: वो आहूजा तुम्हे तंग करता है क्या ( वो एकदम से ऐक्शन में आ गई )
मै समझ गया कि वो किस बात इतनी गर्म है और कौन सी शक्तिया उसे इतना एग्रेसिव कर रही थी ।
: अरे माता हमला नहीं बोलना है उसपे , बॉस है , थोड़ा टेढ़ा रहेगा ही न
: मै तो बस पूछ रही थी (एक पल ने वो मासूम हो गई)
: बस वही सब सोच रहा हु और मैने उनको हा भी कह दिया है , सॉरी यार
: कोई बात नहीं , बस तुम थोड़ा अपना ख्याल रखना । ये मैम के इरादे सही नहीं लगते कही फसा न दे तुम्हे
: हा ठीक है यार थैंक्यू ,, बाय

शबनम की चालाकी की दाद देनी पड़ेगी , उसको लपेटना इतना भी आसान नहीं होने वाला था ।
फिर मैने भी अपनी हेल्पफुल मैम को फोन कर ही लिया हाल चाल के लिए


जारी रहेगी
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 018

जन्नत की सैर

रात ढल रही थी और अम्मी अब पहले से बेहतर लग रही थी । खाना भी उन्होंने ही बनाया था ।
खाने के बाद मै अम्मी के कमरे से किताबें लेकर ऊपर जाने लगा

: कहा जा रहा है ( अम्मी ने टोका )
: जी ऊपर अपने कमरे में ( मै बोला )
: यही सो जा तू भी ( अम्मी बोली तो लेकिन तभी अब्बू का फोन आने लगा )
: अभी भी रुकूं या जाऊ ( मैने मुस्कुरा कर कहा )
: मार खायेगा तू ( अम्मी हस कर बोली ) वैसे भी मुझे तेरे अब्बू से कोई बात नहीं करनी है आज
: क्यों ? ( मैने पूछा )
: बस ऐसे ही , चल सो जा ( अम्मी ने बत्तियां बुझाई )

इधर फिर से फोन बजने लगा
: अम्मी उठा लो न
: तू नहीं जानता , इनकी आदत बिगड़ गई है फिर अभी ... ( अम्मी बोलते हुए चुप हो गई )
: तस्वीरें मागेंगे? ( मैने हिचक कर पूछा )
: हम्ममम
: तो भेज दो न , आप तो हमेशा भेजते ही हो न
: नहीं , तू दोपहर में सही कह रहा था , और मैने उसपे सोचा तो लगा कि इस बार वो आयेंगे पहले उनसे बात करूंगी कि क्यों चाहिए होती है उनको इतनी तस्वीरें।
: वो तो आप अभी भी पूछ लो ( मैने बड़े कैजुअली होकर कहा )
: तू नहीं जानता वो मुझे लपेटना जानते है , इसीलिए बात नहीं कर रही हूं ( अम्मी ने जवाब दिया )
: अम्मी ऐसे तो अब्बू जब साथ होंगे तो आप और भी कमजोर पड़ जाओगे ( मैंने थोड़ी सी बात छेड़ी)
अम्मी चुप रही और फिर फोन निकाल कर डायल करने लगी ।


फोन पर ..
: कहा बिजी थी जानेमन
: कही भी रहु आपको क्या ( अम्मी ने तुनक कर जवाब दिया और मै मुस्कुराने लगा )
: हाय हाय मेरी बेगम आज रुसवा है क्या ( अब्बू ने पुचकारा )
: हा हूं ( अम्मी ने भी नखरे दिखाए )
: दोपहर में गाड़ में नहीं डाला तो गुस्सा हो गई मेरी जान उम्मम ( अब्बू से एकदम से अपना अंदाज बदला और अम्मी ने हड़बड़ा कर फोन स्पीकर से हटाकर कान से लगा दिया और मेरा लंड एकदम से फ़नफ़नाने लगा )
अंधेरे में ये सोच कर कि दोपहर में अम्मी ने अब्बू से वीडियो काल पर मस्ती की , मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और मै लंड सहलाने लगा लोवर के ऊपर से ।
: शर्म करो शानू के अब्बू , आप कभी भी शुरू हो जाते हो ( अम्मी ने मेरे सामने अब्बू को डांट लगाई )
: मेरी जान तेरी मोटी चौड़ी गाड़ के लिए बेशर्म होना पड़ेगा तभी तू उनका दीदार करवाती है , अह्ह्ह्ह्ह दिखा दे न फरीदा मेरी जान
: धत्त चुप रहो आप और फोन रखो ( अम्मी ने लाज से फोन काट दी और मैं मेरा मूसल थामे भीतर से खुश हो रहा था )

: सुना न कैसे दीवाने है तेरे अब्बू
: हीहिही हम्मम ( मै हंसा )
: इसीलिए फोन नहीं उठा रही थी ( अम्मी बोली लेकिन फिर से अब्बू का फोन आने लगा और मेरी हसी छूट गई )
: चुप कर तू कमीना कही का ( अम्मी ने शर्माते हुए मुझे डांटा)

अम्मी ने फिर से फोन उठाया ।
फोन पर ..
: हा कहिए
: क्या जान इतना भी क्या सताना , दिखा दो न , अच्छा फोटो ही भेज दो ( अब्बू सिहर कर बोले )
: करते क्या है आप मेरी इतनी सारी तस्वीरों का उम्मम पहले इसका जवाब दीजिए ( अम्मी ने ताव दिखा कर अब्बू से सवाल किया )
: अह्ह्ह्ह मेरी जान क्या बताऊं , कभी कभी तो जी चाहता है कि यहां कमरे में सारी दीवारें छत सब पर तेरी नंगी तस्वीरों से भर दूं और उनको अपने रस से नहलाऊ रोज अह्ह्ह्ह्ह तू नहीं जानती मै तेरे उन भड़कीले चूतड़ों का कितना दीवाना हु अह्ह्ह्ह फरीदा दिखा दे ना ( अब्बू की फैंटेसी के बारे में सोच कर ही लंड झटके खाने लगा और मै भी उस कमरे के बारे में कल्पनाएं करने लगा कि कितना कामुक माहौल होगा जब उस कमरे अम्मी को नंगी को उनके ऊपर मै अपने रस से उनको नहाऊंगा ओह्ह्ह्ह सोच कर लंड अकड़ गया )
: छीइइइ शानू के अब्बू आप बहुत गंदे हो ( अम्मी ने अब्बू की बातों को नकारा )
: अब तू जो समझे मै तो शादी के पहले ही तेरे नायब हिलते चूतड़ों का दीवाना हु और अब तो पल की दूरी सही नहीं जाती , बिना देखे नींद तक नहीं आती ओह्ह्ह्ह देख तेरे कसे मोटे मोटे चूतड़ के बारे में सोच कर मेरा लंड एकदम अकड़ गया है
: बस करिए शानू के अब्बू , अब सो जाइए बहुत हो गई आपकी दीवानी बातें , सब्बा खैर हम्ममम ( अम्मी ने अब्बू की बातें को इगनोर करती हुई बोली)
: अरे जान सुनो तो ( अब्बू बोलते रहे लेकिन अम्मी ने काल काट दिया )



कुछ देर तक चुप्पी रही और बीच बीच में अब्बू का काल आता तो अम्मी फोन काट देती ।
: अम्मी !!
: हम्म्म बोल ?
: भेज दो न तस्वीरें उनको आप , मै ऊपर जा रहा हूं
: नहीं , तू ऊपर नहीं जायेगा मै समझ रही हुं तेरी चालाकी, यही सो जा चुपचाप ( अम्मी ने डांट लगाई मुझे )
: अम्मी पक्का मै बाहर नहीं रहूंगा , अब्बू परेशान हो रहे है ( मैने उन्हें समझाया
: होने दे तेरे अब्बू को परेशान , तू क्यों हो रहा है परेशान चुप चाप सो जा
: अम्मी सॉरी , मुझे लगता है कि शायद आप मेरी वजह से अब्बू से बात नहीं कर रही है ( मै मासूम होकर बोला )
: ऐसा नहीं है बेटा , सच में इन दिनों उनकी आदत बिगड़ गई है
: अच्छा ठीक है , अभी फिलहाल एक फोटो भेज दो बाद में आए तो उनकी क्लास ले लेना आप हीहीहीही कबसे फोन पर फोन कर रहे है वो ।
: तू न तेरे अब्बू की ही साइड लेगा , कमीना कही का ( अम्मी खीझी और बत्ती जला दी )
: हीहीहीही ओके मै बाहर हु
: नहीं रुक और पीछे से मेरी फोटो निकाल दे ( अम्मी थोड़ा ठहर कर बोली )
: क्या मै ? अम्मी मै कैसे , अब्बू को क्या कहोगी कि कैसे निकाला तो ? ( सवाल मेरे जायज थे , मगर शायद एक औरत मर्दों से बेहतर उन्हें समझती है )
: तू उसकी फिक्र न कर , तेरे अब्बू को मै समझा लूंगी ( अम्मी खड़ी होकर सलवार के नाडे खोलने लगी )

अम्मी की इस हरकत से मै भीतर से कांपने लगा , लंड एकदम रॉड जैसा मोटा हो गया और सुपाड़ा पूरी तरह से लाल होकर फूलने लगा ,


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अम्मी ने अपना सूट ऊपर कर सलवार नीचे की , एक बार फिर अम्मी की बड़ी गाड़ मेरे आगे थी, पूरी गोल मटोल शेप और कसे कसे चिपके हुए चूतड़ , देखते ही गले से लार गटकने की नौबत आ है
सांसे पूरी उफान पर थी , अभी कल की बात थी कि अम्मी ने अपने सलवार मुझसे खुलवाए थे और आज अम्मी खुद मेरे आगे सलवार खोल कर मुझे ही तस्वीरें निकालने को कह रही थी ।
रहा नहीं जा रहा था ,लग रहा था पूरे बदन का खून मेरे लंड के इर्द गिर्द दौड़ रहा था
अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी भीतर , सास उफना रही थी , लंड लोवर में ही पंप हो रहा था और सुपाड़े की गांठ पर जो कुलबुलाहट हो रही थी , मैने मुठ्ठी में भर कर मिजा तो लगा भलभला कर उगल ही देगा सब कुछ

एक तो अब्बू की गरम गर्म बातें उसपे से अम्मी की मोटी नंगी गाड़ ,
पिछले आधे घंटे से लंड अकड़ा हुआ था तो ये हाल जायज था ।

: बेटा अच्छी तो आ रही है न ( अम्मी ने गाड़ बाहर की ओर निकालकर कहा )
: जी ? जी अम्मी वो सूट ...( चूतड़ की ओर से सूट का किनारा अम्मी के कूल्हे ढके हुए था )
: रुक इसको निकाल देती हु (और अम्मी ने खड़े होकर अपने जिस्म से सूट निकाल दिया )
लंड की हालत और खराब , डर से मै मेरे सुपाड़े को हाथ नहीं लगाना चाह रहा था कब लावा फूट जाए , आड़ एकदम से भरे भरे महसूस हो रहे थे , नसे एकदम तनी हुई टपक रही थी अंदर से , पेडू में जोर पड़ रहा था


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अम्मी अब ब्रा में मेरे आगे खड़ी थी और नीचे से पूरी नंगी
आंखे फाड़ कर अम्मी की बेशर्मी मै निहार रहा था
: शानू !!
: जी अम्मी ( मेरी सांसे चढ़ने लगी थी , आंखो में नशा सा हो रहा था )
: निकाल न , देख क्या रहा है ( अम्मी ने मुस्कुरा कर कहा )
: जी वो ... ( मै अटक रहा था , अपने भीतर की कामवासना को खुल कर अम्मी से जाहिर करने में )
: ऊपर हो जाऊ ( अम्मी ने पूछा )
: हम्म्म ( क्या बोलता एकदम बदहवासी छाई थी मन में दिमाग काम करना बंद हो गया था )
मेरी अम्मी जिनके हसीन और गदराई हुस्न को कभी सपनो में तो कभी छिप कर देखा करता था आज अम्मी खुद ही दीदार करवा रही थी और तस्वीरें भी मुझसे ही निकलवा रही थी ।
अगले ही पल अम्मी घुटने के बल चढ़ती हुई बिस्तर पर आ गई


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अम्मी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ मेरे आगे थे , मोटी मोटी जांघें और उनके बीच कही झांकती झांटों की झाड़ियां

: अह्ह्ह्ह सीईईईईई अम्मीईइ ( रहा नहीं गया मै सिसक पड़ा )
: क्या हुआ
: अम्मी पेशाब लगी है करके आऊ ( मै अपना सुपाड़ा मुट्ठी में घिसते हुए कहा )
: बस एक फोटो निकाल दे तब जा ( अम्मी उसी हालत में झुके हुए बोली)
: अम्मी समझो जोर की लगी ( मै अपना लंड सहलाते हुआ बोला )
: बस एक और बेटा , मेरा राजा बेटा न फिर से मै ये सब नहीं कर पाऊंगी प्लीज बेटा
(और अगले ही पल अम्मी आगे पूरी झुक गई )
उनके दोनो पहाड़ जैसे चूतड़ हवा में साथ ही पिछे से अम्मी की चूत के फांके भी साफ साफ बिजिबल
अम्मी ने दोनों हाथ पीछे ले जाकर दोनों चूतड़ों को पकड़ कर फाड़ने लगी
: बेटा बस ये वाला निकाल दे ( अम्मी अपने गाड़ फैलाते हुए बोली )


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मेरी आंखे सन्न रह गई और मेरे सबर का फब्बारा अम्मी के कसे हुए गाड़ के सुराख और फटे हुए भोसड़े को देख कर फूट पड़ा
: अह्ह्ह्ह अम्मीआईईईई अह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् कितनी सेक्सीईई हो आप उम्ममाअह ( मै लोवर में ही झड़ने लगा मेरा सुपाड़ा सारा का सारा माल बाहर उगलने लगा )


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मै हर झटके के साथ मै हवा में उड़ता रहा बंद किए आंखो के अम्मी के पहाड़ जैसे गाड़ की छवि को बसाए
और फिर ऐसा सुस्त पड़ा कि कुछ पल तक मुझे होश ही नहीं रहा ।
अम्मी की गालियां और गुस्से भरी बकबक कानो में आ रही थी , वो मुझे पकड़ कर हिला रही थी , मगर मै तो अपने ख्यालों में कही खोया हुआ था मानो जन्नत की सैर कर रहा था , मेरी अम्मी के नंगे जिस्म पर पारियों जैसे पर उग आए थे और वो नंगी ही मेरे आगे नाच रही थी खुले आसमान में और मै उन्हें निहार रहा था बस निहार रहा था ।


*********************************

रात के 11 बजने को हो रहे थे
अलीना से बातें करके मै सोने जा रहा था कि शबनम का मैसेज आया

: kaha ho , ghar waps aa gaye ??

उसका मैसेज देखकर मैने उसको फोन मिला दिया


फोन पर ....
: हाय
: कहा हो ( वो बोली )
: यहीं हु यार इतनी रात में जाने नहीं दिया मैम ने ( मै थोड़ा खीझ कर बोला )
: जाने नहीं दिया या तुम्हारा ही मन नहीं था जाने का हूह ( वो तुनक कर बोली , जैसे मेरी प्रेमिका हो )
: अरे यार मैम है ऐसा नहीं सोचते उनके बारे में ( मैने थोड़ा सा छेड़ा फिर से उसे )
: अच्छा , तो क्या मेरे बारे ने सोचने का लाइसेंस बनवाए हो ( वो थोड़ी खीझ कर बोली )
: यार तुम्हे सोच कर ही नीचे पंप होने लगता है अह्ह्ह्ह दिखा दो न ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त गंदा , जाओ मैम का देखो हूह ( वो इतराई )
मैने झट से मोबाईल से अपने खड़े लंड को हिलाते हुए सेल्फी निकाली और उसको भेज दिया बातें करते हुए ही
: सच में झूठ नहीं कर रहा , देखो भेजा हु कुछ


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: छीइईईई गंदा, तुम नंगे हो क्या कमरे में ( वो तस्वीर देखकर भिनक कर बोली )
: यार मैम के नाइटी में गाड़ मटका मटका कर हालत खराब कर दी है , वो तो तरसा रही है तुम तो ना तसराओ न शबनम प्लीज भेजो न लेगी उतार कर
: ऊहू , शानू प्लीज ऐसी बाते मत करो उम्मम्म ( वो सिहर उठी )
: अह्ह्ह्ह्ह बस एक वीडियो लेगी उतार कर प्लीज , बस एकबार मान जाओ न । नहीं तो सारी रात मुझे नीद नहीं आएगी
: तुम बहुत गंदे हो शानू ( वो थोड़ा थोड़ा रास्ते पर आ रही थी
: प्लीज न शबनम बस एक बार अह्ह्ह्ह्ह शब्बू उम्मम्म
: उम्मम्म शानू नहीं मुझसे नहीं हो पाएगा ( उसकी चढ़ती सांसे मै महसूस कर रहा था )
: प्लीज न प्लीज
: ओके, बस एक ही
: हम्म्म जल्दी
फोन कट गया और मै वेट करने लगा
4 मिनट बाद एक वीडियो आई पूरे डेढ़ मिनट की
वीडियो देखते ही लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
शबनम ने लेगी उतार कर सुबह वाली कुर्ती में थी और उसकी नरम नरम चूतड़ पर ब्लैक लेस वाली पैंटी थी एकदम चुस्त और टाइट वो कैमरे के आगे अपने गाड़ घुमा घुमा कर दिखा रही थी और सिसक कर थी


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: यू वांट इट बेबी उम्मम ( वीडियो में शबनम के अल्फ़ाज़ जब वो अपने चूतड़ पर पंजे जड़ रही थी )
ओह्ह्ह यस्स बेबी आई वांट इट ( शबनम की भेजी हुई वीडियो देखकर मै लंड हिलाते हुए बोला और देखते ही देखते शबनम ने वीडियो में कुर्ती भी निकाल दी )


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मैचिंग ब्लैक लेस वाली ब्रा पैंटी में उसका जिस्म एकदम कसा कसा और भरा भरा था , उसके नारंगी जैसे चूचे खूब चुस्त और टाइट नजर आ रहे थे और पतली कमर देख कर लंड सलामी दिए जा रहा था ।
वीडियो खत्म होने को थी कि फिर से शबनम का काल आने लगा


फोन पर ...
: कर लिए न मन की , अब खुश ( वो इठलाई )
: अह्ह्ह्ह शब्बू शब्बू उम्मम क्या पटाखा हो तुम यार उम्मम लंड बैठ ही नहीं रहा है सीईईईई अह्ह्ह्ह क्या करूं इसका आजाओ न ( मै कामवासना में लिप्त होकर उससे बोला )
: शानू तुम भी मुझे बेचैन कर देते और तुम्हारा वो ... अह्ह्ह्ह मुझे भी मिलना है तुमसे
: आजाओ न मेरे पास कल रूम पर मेरे ओह्ह्ह्ह ( मै अपना लंड मसल कर बोला )
: नहीं नहीं उधर तो मामू ड्यूटी के लिए जाते है कही और मिले ( शबनम ने चहकपने में कहा और मै समझ गया कि जरूर वो अपना अड्डा बताएगी इससे पहले मै ही अपना दाव चल दू)
: मेरा रूम बहुत ही सेफ है शब्बू , तुम बुरखा डाल लेना न ( मैने उसे सजेस्ट किया )
: अरे बुरखे में निकलऊंगी तो घर पर लोग सवाल करेंगे ( वो परेशान होकर बोली जैसे कितने जवाब तैयार हो उसके पास मगर मैने भी अपना इरादा तय कर रखा था )
: ओहो यार बुर्का बैग में रख लेना और किसी रेस्तरां में चल कर पहन लेना , देखो अब कोई बहाना नहीं, प्लीज मान जाओ न
: तुम यार ( शबनम उलझी हुई थी )
: प्लीज यार भरोसा तो रखो , अब और नहीं रहा जायेगा मुझसे
: ठीक है , लेकिन कहा मिलेंगे हम लोग ।
: जहां तुम्हे कंफर्टेबल लगे ( मैने उसे रिलैक्स किया ताकि उसे शक न हो )
: उम्मम तो फैंटम रेस्तरां में मिले ( शबनम ने तपाक से जवाब दिया )
: वहां ? वहां तो ड्रिंक वगैरह भी होती है न , रिस्की नहीं है ( मैने थोड़ा बात को गंभीरता से लिया क्योंकि मैं जानता था फैंटम रेस्तरां के बारे में , कई बार सिराज के साथ जा चुका था और आहूजा का भी फेवरेट बार उसी में था । वहां के रेस्तरां में जमकर अय्याशी डांस क्लब और खाना पीना होता था । मगर शबनम जैसी लड़की जो समाज की नजरो ने इतनी सीधी और सरल है उसका वहां से नाता होना ताज्जुब की बात थी )
: अरे ड्रिंक होता है इसलिए तो उधर जाना है क्योंकि वो रेस्तरां मेरे मामू को बिल्कुल पसंद नहीं तो वहां कोई डर नहीं है इसीलिए ( वो खुश होकर बोली )
: ओह्ह्ह्ह फिर ठीक है ( मैने उसकी बातों पर सहमति दिखाई क्योंकि उसकी सभी बातें काटना मुनासिब भी नहीं था )
उसके बाद फिर हम दोनो थोड़ी बातें करके सो गए


********************************


अगली सुबह मेरी आंख खुली अजीब सी सुस्ती थी बदन में अड़ाई ली तो लंड एकदम फ़नफ़नाया हुआ , पता चला जिस्म पर एक कपड़ा भी नहीं ।
चौक कर बगल में देखा तो अम्मी बेसुध सोई हुई थी नंगी
अम्मी ने अपना बदन भी नहीं ढक रखा था , उनके बड़े बड़े रसीले मम्में चोंच उठाए मुझे ही देख रहे थे ।


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नजर पड़ते ही होठ रसाने लगे मेरे और लंड पूरा लोहे के जैसे

नीचे देख तो एक पैंटी जो अम्मी के चूतड़ों के कही खो गई थी बस कमर के पास ही नजर आ रही थी और उनकी विशाल गोरी गाड़ देखकर सिहर उठा मै
रात की यादें ताजा हो गई थी
उलझन भी थी कि रात में अम्मी की तस्वीरें निकालने के बाद मै एकदम से झड़ने लगा था और फिर पता नहीं क्या हुआ मुझे एकदम से याद नहीं था ।

घड़ी देखा तो अभी 5 बजने में भी समय था ।
रह रह कर अम्मी का नंगा कामुक बदन मुझे कामोत्तेजित किए जा रहा था , मगर हैरान करने वाली बात थी कि अम्मी ने क्या रात में मेरे कपड़े उतारे तो क्या अम्मी ने मेरे लंड को साफ भी किया होगा
कैसे हाथों से है फिर अपने होठों से
सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था
मैं हौले से बिस्तर से उतरा और अपना अंडर बाथरूम से लेकर आया
लंड अभी भी कड़क था , अम्मी के गुलगुले चूतड़ मुझे ललचा रहे थे , भोर की बेला में हार्मोन पिक पर थे रहा नहीं गया मुझसे और मै अम्मी के पास पहुंचा
उनके नंगे मखमली बदन पर हाथ फिराने लगा , और फिर कूल्हे छुते हुए लंड सहलाने लगा ।


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: उह्ह्ह्ह अम्मीईइ अह्ह्ह्ह्ह कितनी मुलायम गाड़ है आपकी , उम्मम कितनी मोटी और सेक्सी है अह्ह्ह्ह जी कर रहा है पेल दु आपको उम्मम्म अमीजीईई
रह रह कर आंखे बंद कर अम्मी के मुलायम विशाल चूतड़ को महसूस कर अम्मी की रात की बातें याद कर रहा था
कैसे अम्मी धीरे धीरे खुद को मेरे आगे नंगी किए जा रही और कैसे धीरे धीरे अम्मी का पिछवाड़ा बढ़ता जा रहा था
अम्मी की मोटी मोटी जांघें और उनसे झांकती चूत के बार में ख्याल आते ही मेरे तन बदन में सनसनी फैल गई मै जोरो से अपना लंड भींचने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी अम्मीईई आह्ह्ह्ह खोलो न रात के जैसे अपनी गाड़ उठाओ न ओह्ह्ह फैला दो हा हा यस्स अम्मीईई हा अम्मीईई खोल दो ( मेरी कल्पनाओं में अम्मी की वो छवियां चल रही थी जब अम्मी बिस्तर पर झुक कर अपने पहाड़ जैसे चूतड़ फैला रही थी )

: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीजीईईई अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह अम्मीीईईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् उह्ह्ह्ह उम्मम्म


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मै चिंघाड़ते हुए जोरो से लंड हिलाने और एक बार फिर मेरे सबर का फब्बारा फूटा और एक के बाद एक पिचकारिया अम्मी के बड़े भड़कीले चूतड पर जाती रही जाती रही
जबतक मै झड़ कर शांत नहीं हो गया

: शानू , कुत्ते ये क्या किया ( अम्मी जोर से गरजी )


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 019


तिराहा

: शानू बाहर आ मै कह रही हूं न ( अम्मी बाहर चिल्ला रही थी )
: नहीं अम्मी मै नहीं ... ( मैने अम्मी की बात पर जवाब दिया )
: देख अगर तू बाहर नहीं आया तो ... तो मै ( अम्मी नाराज हो कर बोली )
मेरे भीतर भी खलबली मची थी कि क्या करने वाली थी अम्मी
: मै तुझसे कभी बात नहीं करूंगी तेरी कसम खा .... ( अम्मी अपनी बात पूरी करती मै उसके पहले ही दरवाजा खोल दिया )
: नहीं मै आ रहा हु ( अम्मी मेरे आगे अपनी कमर पर हाथ रख कर गुस्से से मुझे देख रही थी , इस समय उनके जिस्म पर एक ढीली काटन की नाइटी थी )
भरा गदराया जोबन उसपे काटन नाइटी , अम्मी और भी ज्यादा कामुक लग रही थी । बिना ब्रा के चूचे लटके हुए पपीते के नाइटी को आगे से उठा रखा था जिससे अम्मी का उभरा हुआ पेट भी पता नहीं चल रहा था । कमर के बगल से उन्हें चौड़े कूल्हे का उभार बहुत ही कामुक था ।

: कहा है ला मुझे दे ( अम्मी ने हाथ बढ़ाया और गुस्से से मुझे घुरा )
: क्या ?
: मेरी कच्छी मुझे दे शानू , मै दुबारा नहीं बोलूंगी ( अम्मी ने आंखे दिखा कर गरजी )
सहम कर मै जेब से अम्मी की पतली सी थांग वाली पैंटी अपनी मुठ्ठी में रखे हुए उन्हें दी और जैसे ही मुट्ठी खुली वो पैंटी का कपड़ा अम्मी के हाथ में खुलने लगा

मै बिना एक पल रुके वहां से सरक रहा था कि अम्मी की गालीया शुरू हो गई
: हरामजादे , दुबारा मेरे कपड़े छुए तो किसी दिन तेरी टांगे तोड़ दूंगी कमीना कही का
दूर से देखा अम्मी पैंटी फैला कर उसमें लगे मेरे प्रीकम को देख कर अजीब सा मुंह बना रही थी और फिर गुस्से में बाथरूम की बाल्टी में डाल दी।

ये दूसरी बार था जब अम्मी ने रंगे हाथ मुझे उनके अंडर गारमेंट के साथ पकड़ा था , परीक्षा के दिनों में अम्मी ने ना सिर्फ मुझ पर बल्कि खुद पर पाबंदी लगा दी थी ।
अब्बू से भी इन दिनों दो टूक शब्दों में कह चुकी थी कि शानू की परीक्षाएं खत्म होने तक कोई फरमाइश नहीं ।
संयोग की ही बात थी कि अब्बू ही विभागीय कार्यों में व्यस्त दिख रहे थे इन दिनों , जल्द ही उनका तबादला नए जगह होने वाला था ।
कही से भी कुछ तरकीब देख सुन ना पाने के कारण मैने अम्मी के अंडर गारमेंट चुरा कर मुठ्ठी मारनी शुरू कर दी थी लेकिन अब वो भी पकड़ी गई ।
आज मेरी आखिरी परीक्षा थी और नहा धोकर मै निकल गया ।



*****************************

फोन पर
: हाय ! कहा हो ?
: अरे बाबा आ रही हूं, सामने ही तो हूं देखो ( सामने मुझे शबनम दुपट्टे में कान से फोन लगाए हुए आती दिखी )

उफ्फ क्या कयामत थी , टॉप जींस और सर को हिजाब से ढके हुए वो मेरे ओर आ रही थी , मैने फोन काट कर उसकी ओर देखा ।
ये उसका नया अवतार था मेरे आगे , पहली बार उसे मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में देखा था , जींस उसके कूल्हे पर पूरी टाइट थी और टॉप सीने पर एकदम चुस्त , हर चाल के साथ हल्का सा उछाल उफ्फ लंड हरकत में आ गया ।
: वाव यार सो सेक्सी ( उसके आते ही मैने कॉम्प्लीमेंट दिया )
: धत्त गंदे , आओ चलो ( वो आगे आगे चलने लगी और मै उसके जींस में मटकते चूतड़ देख कर सिहर उठा )
: यार पीछे से तुम कहर ढा रही हो , सोचा भी था तुम्हे इस रूप में देखूंगा ( मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो मुझे हटाने लगी )
: यहां नहीं शानू , अंदर चले प्लीज
: ओके यार , वैसे भी तुम्हे देखकर भी कोई नहीं पहचानेगा हिहिही ( मै बोला )
: अच्छा सच में ( वो इतराई )
: हा यार , मुझे नहीं लगता ऑफिस क्या पूरे शहर में किसी ने तुम्हे ऐसे देखा होगा हीहीहीही
: क्या तुम भी ... आओ उधर चलते है ( शबनम ने खुद ही एक कार्नर सिलेक्ट किया और हम उधर ही चले गए )
मैं आस पास अच्छे से जायजा ले रहा था , सब ओर लगभग कपल ही थे , एक से बढ़ कर एक हायक्लास लड़के लड़कियां
कुछ तो शॉर्ट्स और मिडी में थी , उनकी चिकनी जांघों को देख कर मेरी आंखे चौंधिया रही थी ।
: देख लो देख लो , उन्हें ही निहारने आए हो न ( शबनम चिढ़ी)
: अरे नहीं यार , ये शहर इतना मॉर्डन कब हो गया वो समझ नहीं आया , आज से पहलें मैने ऐसे कपड़े में लड़किया नहीं देखी । कम से कम इस शहर में तो नहीं
: अरे बुद्धु इस रेस्तरां में ऐसे लोग ही मिलेंगे और इसीलिए तो मै भी ऐसे कपड़े में आई हु ( वो मुझे समझाते हुई बोली)
: लेकिन तुम्हारे आगे सब फीकी है ( मैने जींस के ऊपर से उसकी जांघें सहलाते हुए कहा )
: शानू !! क्या कर रहे हो कोई देख लेगा ( वो मेरा हाथ हटाती हुई बोली, उसकी सांसे चढ़ने लगी थी )
: कहा कोई देख रहा है ( टेबल के नीचे मै वापस से उसके जांघों के बीच में जाकर पंजे से उन्हें भरते हुए कहा ) सब एक दूसरे में मस्त है तुम भी हो जाओ न
: अच्छा जी , छोड़ो वेटर आ रहा है ( शबनम बोलो और मै सीधा हो गया )
फिर हमने खाने के लिए ऑर्डर दिया और बातें करते हुए खाने लगे ।
: यार मुझे अभी भी डर लग रहा है ( वो कोल्ड काफी स्ट्रा से सुरकते हुए बोली)
: देखो शबनम तुम चाहो तो वापस जा सकती हो , मै कभी तुमसे जबरजस्ती नहीं करूंगा ( उसको समझाते हुए मेरे हाथ लगातार उसकी जांघों को मसल रहे थे और उंगलियां बीच बीच में उसके चूत के आस भी जा रही थी जिससे वो कसमसाने लगती या फिर मेरे हाथ हटाने लगती )
: शानू ... ( वो मदहोश नजरों से मुझे देख रही थी, हम दोनो की सास तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी )
: भरोसा करो न मुझ पर ( मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने जींस के ऊपर से अपने तने हुए लंड पर रख दिया जो रोड की तरह उबरा हुआ था )
स्पर्श पाते ही उसके बदन में सरसरी सी फैली गई और वो पूरी तरह ग़नगना गई ।


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उंगलियों से कस कर उसने मेरा लंड जींस के ऊपर से पकड़ लिया
: चलेगी मेरे साथ ( मैने उसकी आंखों में देखा , कामुकता से भरी हुई गुलाबी आंखे भर भर उसकी कामोत्तेजना की गवाही दे रही थीं और उसने भी हा में सर हिला कर मेरा इन्वाइटेशन एक्सेप्ट किया )
: तुम बाथरूम में जाओ चेंज करने मै आता हु बिल देकर ( वो सहमति दिखा कर बैग लेकर बाथरूम की ओर जाने लगी और मै वेटर को बिल के लिए बोल दिया ।
धीरे धीरे 5 मिनट होने लगे
मै उसका इंतजार करने लगा कि क्यों इतना वक्त लग रहा है, डर रह था कही साली मेरा प्लान न चौपट कर दे ।
उठ कर मै भी बाथरूम की ओर बढ़ गया । ऐसे बड़े रेस्तरां में कहा कौन ध्यान दे रहा था कि लेडीज कौन जेंस कौन ?
मै लपक कर लेडीज बाथरूम में घुस गया और दरवाजा लगा दिया , सामने शबनम थी जो मुझे देख कर हड़क गई
: शानू तु यहां.... ( वो कुछ बोलती उससे पहले ही मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स से लिप्स जोड़ लिए )


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वो भी दुगनी जोश से मेरे लिप्स चूसने लगी

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मेरे पंजे उसके चूतड़ नोचने लगे और वो दुगने जोश से मुझसे लिपटने लगी
उसके हाथ मेरे लंड को भींचने लगे
उसके लिप्स चूसने की अदा बहुत ही कामुक थी ,लग नहीं रहा था ये उसका पहली बार था और उनके हथेली आड़ो सहित मेरे लंड को जकड़े हुए थी
मैने उसे घुमाया और सामने आइने की ओर करके पीछे से टॉप के ऊपर से उसके संतरे मिजने लगा , अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त कसे हुए चूचे थे एकदम कोरे बाके और कड़क
वो अपनी पीठ मेरे जिस्म पर घिस रही थी और मै उसके कान चुबला रहा था वो मदहोश हो रही थी ।

जैसे ही मेरे हाथ उसके टॉप में घुसे उसके पेट को छुआ वो छटकने लगी
: उन्हू इतनी भी क्या जल्दी है तुम्हे , चल तो नहीं हु न ( वो मुझे रोक रही थी और मै अपना लंड उसके गाड़ में चुभो रहा था पीछे से )
: नहीं रहा जा रहा है मेरी जान ( उसके गरदन पर अपने नथुने और लिप्स घुमाता हुआ मै बोला )


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अजीब सी मदहोशी हो रही थी मुझे , शायद उसने कोई इत्र लगाया था गर्दन और कंधे के पास जिसकी खुशबू मुझे उसकी ओर रिझा रही थी । अलीना से लेकर रेशमा मैम सबकी एक से बढ़ कर एक चॉइस के परफ्यूम और बॉडी स्प्रे की खुशबू से परिचित था मैं मगर ये कुछ नया और तेज था ।
एकाएक मेरा दिमाग ठनका और जहन में नीलू आंटी की बातें खनकी
तबतक शबनम अपने पर्स से मोबाइल निकाल चुकी थी ।
: ये किस लिए शबनम ( मुझे अजीब सा नशा सा हो रहा था हल्की फुल्की रह रह कर दिमाग में उलझने हो रही थी मगर भीतर से एक डेडीकेशन था कि यहां फसना नहीं है )
: बस हमारी यादों के लिए ( वो सामने बाथरूम के मिरर में कैमरे का एंगल ऐसे पोज में रख कर फोटो निकाल रही थी कि उसका चेहरा पूरी तरह से छिप रहा था और मेरा फेस पूरा बिजिबल )
मैने उसे निकालने दिया तस्वीरें और फिर वीडियो पर धीरे से क्लिक कर दिया
: अरे वीडियो क्यों ....( वो बोलना चाह रही थी कि मैं उसके टॉप में हाथ घुसा कर उसके निप्पलों को जोर से मिज दिया)
वो अगले ही पल आंखे उलटने लगी , उसकी पूरी बॉडी मेरे ऊपर आ चुकी थी
: अब बनाओ न यादें , आखिर हम दोनो का रिश्ता इसी का है ।


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मै उसके टॉप ऊपर कर ब्रा के ऊपर से चूचे मिजते हुए उसके लिप्स से अपना लिप्स जोड़ दिया ।
वो दुगने जोश से मेरा हाथ देने लगी , अब हम दोनो के फेस साफ साफ बिजिबल थे ।
मेरी सतर्कता काम आ रही थीं और मैने आगे से हाथ बढ़ा कर उसके जींस में उंगली घुसाने लगा ।
: उम्हू रुको शानू
: अब और नहीं रुक सकता प्लीज सक माय डिक , चूसो इसे नहीं तो ये मुझे पागल कर देगा ( मैने अपना लंड बाहर निकाल दिया )

वो आंखे फाड़े हुए मेरा 9 इंच बड़ा मोटा खूंटे जैसा लंड देख रही थी , उसकी हलक सुख रही थी ।
मैने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया और वीडियो रिकार्ड चालू कर दिया
: जाओ न प्लीज , ऑन योर नी बेबी ( मैने उसके लिप्स चूस कर बोला )
वो घुटने के बल आ गई उसने दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ा उसकी आंखों में खुमारी से ज्यादा डर दिख रहा था उस वीडियो का जो मै बना रहा था ।


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अगले ही पल उसने मुंह खोला और मेरा सुपाड़ा उसके जीभ के ऊपर
: आह्ह्ह्ह यस्अस बेबी उम्मम्म ( उसके गिले ठंडे जीभ का स्पर्श पाते ही मै सिहर उठा , लंड और फैलने लगा )
उसके दोनों हाथ लगातार मेरे लंड की लंबी सतह को सहला रहे थे और उसके मुंह में मेरा सुपाड़ा भरा हुआ था


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: ओह्ह्ह्ह गॉड सक इट बेबी अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड क्या मस्त चूस रही हो यार तुम उम्मम्म फक्क्क्

मैने रिकार्डिंग बंद कर दी थी और बस मोबाइल का फ्लैश लाइट ऑन कर एक एक करके सारी वीडियो फोटो अपने व्हाट्सअप पर भेज दी और फिर चैट भी क्लियर कर दी

आसान नहीं था शबनम को ऐसे चकमा देना , लगातार उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे जब जब मेरी उंगलियां मोबाइल स्क्रीन पर चल रही थी तो ,
इस समय हम दोनो कॉम्प्रोमाइज कर रहे थे बस , भीतर से कामुकता बैठने लगी । उसे शक न हो इसीलिए
मैने उसे उठाया और उसके लिप्स चूसते हुए उसके ब्रा ऊपर कर दिए और उसके निप्पलों को नंगे हाथों से सहलाने लगा

एक बार फिर वो कमागनि में कुद पड़ी और लगातार उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था
मै आगे झुक कर उसके संतरे जैसे चूचे को मुंह में भर लिया


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: आह्ह्ह्ह शानू उम्मम आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई अम्मीईइ अह्ह्ह्ह्ह ( वो मेरे सर को अपने सीने से लगाए हुए थी और मै कस कर उसके निप्पल सहित चूचे को मुंह में भर कर चूस रह था


तभी मेरे मोबाइल पर फोन बजना शुरू हुआ
: शानू ... शानू फोन बज रहा है अह्ह्ह्ह रुको तो ( वो मुझे अलग करती हुई बोली )
मैने मोबाईल निकाला तबतक फोन कट गया था । उम्मीदन अलीना का ही काल होना चाहिए था मगर मोबाईल स्क्रीन पर जो नम्बर था उसे देख कर मै एकदम शांत हो गया ।
मेरे चेहरे के भाव एकदम सीरियस हो गए , उदासी मानो मुझे घेरे जा रही थी ।

: शानू ... शानू क्या हुआ , किसका फोन है ( शबनम अपने कपड़े सही करती हुई बोली )
: वो .. मुझे जाना होगा सॉरी ( मै भी अपना मुरझाता लंड पेंट में डालता हुआ बोला)
: जाना होगा ? पर कहा ? क्या बात है शानू !! ( वो मुझे देख कर बोली)
: मैं बाद में इस बारे में बात करूंगा पक्का , प्लीज तुम घर चली जाओ और परेशान मत होना ( मैने उसके गाल चूम कर कहा और बाथरूम से बाहर निकल आया )
रेस्तरां के बाहर मैने एक ऑटो रुकवाई और शबनम को जाने को कहा ।
: शानू , बात क्या है बताओ न ?
: तुम जाओ मै कॉल करता हु शाम तक ( मैं ऑटो वाले को पता बताया और पैसे दे दिए )
फिर वो निकल गई और मै बाइक लेकर तेजी से घर के लिए निकल पड़ा ।
मुझे बस एकांत चाहिए था खुद को शांत करने के लिए
दिल ही दिल में एक डर मुझ पर हावी हो रहा था । इतने दिनों सालों बाद वो मुझे क्यों फोन कर रही थी ।
अम्मी की चिंता मुझे खाने लगी , बाइक चलाते हुए मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था क्यों मैने खुद से पहल करके अम्मी से बात नहीं की ।
अगर उन्हें कुछ हुआ होगा , या फिर उनकी तबियत बिगड़ी होगी तो ।
नहीं नहीं , ऐसा नहीं होगा
दिल ही दिल में अम्मी के लिए फिकर बढ़ती जा रही थी और जेब में मोबाईल फिर से रिंग होने लगा
मै एक्सिलरेटर घुमाता हुआ तेजी से घर के लिए निकल गया ।


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घर पर रोज की तरह शांति ही थी , कोई खास चहल पहल नहीं । मगर बरामदे में चौकी के पास एक जूती थी किसी महिला की । घर में कोई बाहर का आया था साफ था मगर कौन ।

नगमा मामी की सैंडल तो मै बखूबी परिचित था और जुबैदा चच्ची तो कभी चप्पल पहन कर आती ही नहीं थी । फिर ये कौन था ।
मै धीरे से हाल की ओर बढ़ा तो सामने अम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी ।

घर पर मेहमान आए हो तो शरारतें करने के बाद भी अभिभावकों के आगे उछलने चहकने में आनंद आता है ये सोच कर कि अभी सजा तो बच ही गए ।

: अम्मी कौन आया है ( मै चहक कर बोला तो अम्मी ने गुस्से से मुझे घूरा)
: जा खुद देख ले , मुझसे मत पूछ कुछ भी समझा ( अम्मी ने गुस्से में जवाब दिया )
उप्स अम्मी सुबह के लिए अभी भी फायर थी और मै अम्मी के कमरे की ओर बढ़ा तो तो देखा सूती सलवार सूट में एक भड़कीले चूतड़ों वाली औरत करवट होकर लेती हुई है ,


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दुपट्टा से उसका चेहरा ढका हुआ था ।
कपड़ो की रंगत और चॉइस देख कर कुछ कुछ अनुमान मुझे हो रहा था मगर यकीन नहीं हो रहा था ।
जैसे ही मैं घूम कर बिस्तर के आगे गया खुशी से चहक

: नानी आप
मेरी तेज खिलखिलाहट भरी आवाज से नानी की आंख खुली और वो उठ कर बैठ गई
: आ गया मेरा बच्चा , कबसे राह देख रही थी
मै लपक कर उनके पास बैठ गया और उनको हग कर किया
: कितने दिनों बाद आए हो , कितनी याद आती थी आपकी ( मैने भी अपनी शिकायतें शुरू कर दी )
: चल चल नाटक मत , तू क्यों नहीं आया मिलने इतनी याद आ रही थी तो उम्मम ( वो मुझे कसते हुए बोली
: अपनी बेटी से पूछो, वो मुझे आपसे दूर रखती है हीहीहीही ( मै अम्मी की ओर इशारा कर हस कर नानी के बड़े बड़े रसीले लटके हुए भारी भारी पपीते जैसे चूचे में दुबक गया , बिल्कुल वही अम्मी वाला अहसास बस दुलार थोड़ा ज्यादा ही मिलता था नानी से )
: बहुत बिगड़ गया है तू , नटखट कही का ( वो हस्ते हुए बोली )
: अभी मै आपको जाने नहीं दूंगा , छुट्टियो में आप मेरे साथ ही रहोगे बस फिक्स है ये हा ( मैने भी अपना हक जताया )
: हा बाबा नहीं होने वाली मेरे शानू से दूर , लेकिन मै यहां रहूंगी नहीं तू मेरे साथ चलेगा ( नानी ने बड़ी खुशी से बोली )
मगर जैसे ही समझ आया कि अम्मी से दूर होना पड़ेगा इस बात पर मेरी हालत खराब होने लगी ।
मेरी आंखे भरने लगी और मैने नजर उठा कर कमरे में आती अम्मी को देख जो ट्रे में चाय नाश्ता लेकर आई थी । मुझे देखा और बड़ी बेरुखी से मुझसे नजरे फेर ली ।
: क्या ? लेकिन अम्मी अकेले कैसे रहेगी ? ( मैने घुमा कर सवाल किया )
: तू अपने अम्मी की फिकर न कर , वो कुछ रोज तेरे अब्बू के पास रहने जा रही है , उनका नए जगह तबादला होने जा रहा है

नानी अपनी बात कहे जा रही थी और मै अवाक होकर अम्मी के बोलने का इंतजार कर रहा था , रुआस नजरो से अम्मी की प्रतिक्रिया चाह रहा था । मगर अम्मी ने इस बारे ने एक शब्द नहीं कहा कुछ भी ।

अजीब सी हड़बड़ाहट हो रही थी ,मानो अम्मी खुद मुझसे दूर होना चाहती हो और ना जाने मुझसे कितनी नाराज हो ।
मेरा दिल भीतर से रो रहा था अम्मी एक बार तो कुछ कहे मगर ना वो मुझसे कुछ बोल रही थी और न मेरी ओर देख रही थी ।
दिल ही दिल में मुझे अहसास हो रहा था मेरी मस्तियां और छोड़ने वाली हरकते मुझे अम्मी से दूर किए जा रही थी , शायद अगर मैं थोड़ा कम तंग करता तो, शायद ये , शायद वो.....
अफसोस ही रह गया था मेरे हाथ अब ।
जिंदगी मुझे उस तिराहे पर खड़ी दिख रही थी जहां तक मैं और अम्मी एक साथ सफर करते आए थे , मगर आगे की राहें अलग कर दे रही थी । अम्मी ने अपना नया सफर अब्बू के साथ शुरू करने का तय कर लिया था और मै नानी के साथ एक अंजान सफर के लिए खुद को तैयार भी नहीं करना चाहता था ।



जारी रहेगी




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बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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