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Incest तीनो की संमति से .....

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Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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तभी दीदी ने फिर से मुझे हिट करने के लिए अपनी बाईं टांग मोड़ करके ऊपर उठाई तो मैंने उसी वक़्त अपनी बाईं बाँह दीदी की टांग के पीछे से घुमा दी। अब दीदी की बाईं टांग मेरे कंधे पे आ गई, फिर मैंने झट से अपना दायां हाथ दीदी के होंठ से उठाकर उस पे अपना बायां हाथ रख दिया और फिर दाईं वाली बाँह को भी दीदी की दाईं वाली टांग के पीछे से घुमाकर दीदी के मुँह की तरफ आगे को झुक गया। अब दीदी की दोनों टांगें मेरे कंधों पे थीं, और एकदम फिट चुदाई का स्टाइल बन चुका था।
काश कि दीदी की सलवार का नाड़ा खुल या टूट गया होता तो अब मुझे अपना लण्ड दीदी की चूत के अंदर करने में कोई परेशानी नहीं होनी थी। मेरा लण्ड मेरी शॉर्टस के अंदर डंडे जैसा खड़ा था, मैंने अपना शॉर्ट एक हाथ से खींचकर नीचे किया और एक टांग शॉर्ट से बाहर निकाल ली। फिर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी की चूत का निशाना लगाकर उसको हिट करना शुरू कर दिया।

दीदी की दोनों टांगें मेरे कंधों पे थीं और उसका का पूरा जिश्म मेरे सीने के सामने था। मैं कुछ देर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी को चोदने और चोदने की एक्टिंग करता रहा। मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं दीदी को चोद रहा हूँ। लेकिन कोई जायदा नहीं था, ऊपर से मेरे लण्ड का पानी निकलने के बहुत करीब था, मेरी सांस भी फूल गई थी, लेकिन दीदी को सबक सिखाना भी बहुत ज़रूरी था। फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने एक-एक करके दीदी की दोनों टाँगों को छोड़ दिया, फिर दीदी के पेट के ऊपर बैठ गया।

मेरा 8” इंच लंबा और 2½” मोटा खड़ा लण्ड देखकर दीदी की आँखें फटने की तरह हो गईं।

मेरा एक हाथ दीदी के होंठ पे था और दूसरे से मैंने अपने लण्ड को मूठ मारना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड पानी छोड़ने के लिए तो पहले ही तैयार था, इसलिये बहुत मुश्किल से 40-50 सेकेंड ही मूठ मार पाया होऊूँगा कि मेरे अंदर से गरम क्रीम की पिचकारी छूटी, जो सीधी दीदी की बोल्स से होती हुई उसके चेहरे की तरफ गई। मेरे लण्ड की सारी क्रीम दीदी की धाये के ऊपर कमीज़ पे जाकर गिरी थी और उसमें से 1-2 बूँद दीदी की गर्दन, गालों पे और उसके होंठ पे गिरी थी।

अब दीदी भी ढीली पड़ चुकी थी और मैं तो बिल्कुल ढीला पड़ गया था।

मैं कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर बैठा रहा फिर ठंडी सांस ली और उसके ऊपर से उठ गया। फिर मैं अपनी शॉर्टस पहनता हुआ टायलेट की तरफ जाता हुआ बोला-“अब जिसको बताना होगा बता देना, लेकिन यह भी सोच लेना कि मेरे पास भी बताने के लिये बहुत कुछ है, स्कूल से लेकर अब तक की तुम्हारी चोदा-चोदी, और मम्मी को बहाना लगाकर नाइट क्लब जाने तक…”

दीदी कुछ नहीं बोली, और आँखें फाड़-फाड़कर मेरी तरफ देखती रही। फिर गाल पे लगे वीर्य की बूँद को हाथ से पोंछने लग गई। मैं टायलेट से वापिस आया तो वो सोफे पे बैठी रो रही थी, फिर अपने रूम में चली गई, शायद कपड़े चेंज करने के लिये।


जुड़े रहे ........
 

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malikarman

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दीदी अब तक कुछ नहीं बोली, इसका मतलब ग्रीन सिग्नल है और वो गरम हो गई है, और हो सकता है आज बात बन जाये, अब कंट्रोल नहीं हो पा रहा था मेरा दायां हाथ धीरे-धीरे दीदी की चूची की तरफ सरकने लगा और अब दिल कर रहा था कि बायें हाथ को झटके से उठाकर दीदी की चूत पे रखकर मसलना शुरू कर दूं। मैंने दीदी का चेहरा पढ़ने की कोशिश की तो वो पूरे ध्यान से टीवी में मस्त लग रही थी। आज दिमाग़ में आ रहा था कि जो होगा देखा जायगा, आर या पार कर डालना है आज।

मेरे जिश्म में जैसे 440 वोल्ट का करेंट दौड़ने लगा था, हाथ काँपने लगे थे। मैंने बाये हाथ को सरकाते-सरकाते आख़िरकार हल्के से दीदी की चूत पे रख दिया। कुछ सेकेंड के लिये मेरा सारा जिश्म फ्रीज हो गया, कोई हरकत नहीं हुई। फिर दिल में आया कि साले तू टारगेट पे तो पहुँच चुका है, अब आगे बढ़। मेरा हाथ दीदी की दोनों टांगों के बीच उसकी पटियाला सलवार के ऊपर हल्के से पड़ा था, अब अगला काम चूत को मसाज देना था। मैंने हिम्मत करके टांगों के बीच चूत के ऊपर हल्के से रखे अपने बायें हाथ को दीदी की चूत पे सलवार के ऊपर से ही ग्रिप कर लिया। अगले ही पल दीदी की दोनों टांगें पूरी खुल गईं, मेरा हाथ पूरा चूत पे टांगों के बीच चला गया।

और फिर उससे अगले पल ही झटके से दीदी उठकर सोफे पे बैठ गई और तड़ातड़ 4-5 थप्पड़ मेरे सर और कानों पे दिए, और बोली-“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यह सब करने की?”
मेरा रंग पीला पड़ गया होंठ सूखने लगे, मैंने अपने गालों और कानों पे दोनों हाथ रख लिये और मैं-“सारी दीदी, सोरी दीदी…” कहकर अपना मुँह छुपाने लगा।

सनडे की दोपहर होने की वजह से मम्मी अपने कमरे में में रेस्ट कर रही थीं।

दीदी जोर-जोर से चिल्लाने लगी-“मैं अभी तुम्हारा इलाज करती हूँ…”

मैं-“सोरी… सोरी दीदी, प्लीज़्ज़ धीरे बोलो…”

दीदी-“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मम्मी को भी तो पता चले कि तुम्हारी नियत क्या है?” यह कहती हुई वो सोफे पे फिर उसी तरह मम्मीके रम की तरफ देख दूसरी तरफ लेटी हुई मम्मी को आवाज़ लगाने लगी।

तो मैंने झट से दीदी के मुँह पे अपना हाथ रख दिया, तो उसके मुँह से ‘उम्म्म्माआ’ ही निकल सका। फिर मैं दबी हुई आवाज़ में बोला-

“दीदी, मैं सोरी बोल रहा हूँ, और यह भी कहता हूँ कि दुबारा ऐसा नहीं करूँगा, लेकिन प्लीज़्ज़ अब चुप हो जाओ…मेरी मा”

वो अपने दोनों हाथों से अपने मुँह से मेरा हाथ उठाने की कोशिश करने लगी। मैंने थोड़ा सा हाथ ढीला किया तो उसके मुँह से फिर जोर से आवाज़ निकलने लगी-“मुंम्म्म…”
मैंने फिर जोर से दीदी के होंठ पे अपना बायां हाथ दबा दिया। मेरा भी अब दिमाग़ खराब हो गया था, गुस्से से भी और सेक्स से भी।

सोफे पे आधी लेटी हुई दीदी की टांगों के नीचे से दायां हाथ डालकर मैंने उसका सारा जिश्म सोफे पे रख दिया और बायें हाथ से दीदी के होंठ दबाये हुए ही मैं दायें हाथ को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

दीदी हैरानी से मुझे देखने लगी, और अपने आपको छुड़ाने के लिये स्ट्रगल करने लगी। मैं उस पे भारी पड़ रहा था, मैंने दायें हाथ से दीदी का सूट ऊपर करके अंदर हाथ डाल दिया, फिर उसकी चूचियों को जा के ऊपर से ही दबाने लगा, फिर चिकने पेट पे हाथ फिराता सलवार को खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब नाड़ा नहीं खुला तो ऐसे ही हाथ अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।

लेकिन दीदी ने नाड़ा कस के बांधा हुआ था और अब उसके हाथ मेरे दायें हाथ को सलवार के अंदर जाने से रोकने की कोशिश करने लगे थे। मैंने काफ़ी कोशिश की लेकिन मेरा हाथ सलवार के अंदर नहीं जा पाया तो मैंने सलवार के ऊपर से ही अपने दायें हाथ से दीदी की चूत को मसलना शुरू कर दिया। उसके दोनों हाथ मेरे दायें हाथ को रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसका बस नहीं चल रहा था। वो अपनी टांगों की उछल-कूद करके मेरी पकड़ से निकलने की कोशिश कर रही थी।

तभी मैं अपना मुँह अपने बायें हाथ के करीब उसके होंठों के पास ले जाकर बोला-“ठीक है, अब अगर तुमने बताना ही है तो डर किस बात का? अब जो मेरा दिल कहेगा वोही करूँगा, अब यह बताना कि मेरी चुदाई हो गई…”

दीदी के मुँह से ‘म् म्म्मम’ ही निकल पाया। वो अपने सर को झटके देकर आज़ाद होने की कोशिश कर रही थी, उसकी टांगें ऊपर-नीचे चलती रही। वो अपने आपको आज़ाद करने के लिये पूरा स्ट्रगल कर रही थी, लेकिन उसका बस नहीं चल रहा था। वोही दीपक जो अपनी इस बहन से थर-थर काँपता था, आज उसी बहन पे जबरदस्ती सवार होने जा रहा था। आज मुझे भी और उसे भी यह एहसास हो गया कि मर्द मर्द होता है और औरत औरत।

करीब 5-10 मिनट तक हम बहन भाई कुश्ती करते रहे और इस 5-10 मिनट में दीदी की चूत को जबरदस्ती अपने हाथ से मसाज करते हुये, मुझे जो मज़ा आया था वो आज तक पहले कभी नहीं मिला था। कभी-कभी दीदी की टांगें अपने आप खुल जाती और वो स्ट्रगल करना बंद कर देती, जैसे थक गई हो, लेकिन यह ज़रूरी नहीं था कि थक गई हो, यह भी हो सकता था कि उसे भी मज़ा आने लगा हो? जब वो ढीली पड़ जाती तो मैं कोशिश करता कि अपनी बिचली उंगली को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ सकूँ। लेकिन बाहर से ऐसा करना मुश्किल था, एक तो दीदी की सलवार और उसके बाद पैंटी, और जब मैं उंगली घुसेड़ने की कोशिश करता तो दीदी फिर अपनी टांगों से मुझे हिट करने की कोशिश करती, और कभी उसके हाथ मेरे बायें हाथ को मुँह से उठाने की कोशिश करते और कभी मेरे दायें हाथ को चूत से उठाने की, कभी-कभी मुझे यह भी लगता कि अब दीदी को मज़ा आ रहा है।

लेकिन साली फिर भी नाटक पूरा कर रही थी। मेरा लण्ड भी बेकाबू हो रहा था। कुश्ती करते-करते दीदी का गरम जिश्म महसूस करके मुझे लग रहा था कि पता नहीं कब मेरी पिचकारी निकल जाये… बस थोड़ा जोर जबरदस्ती करते-करते ध्यान बँट जाता था, इसलिये अब तक वीर्य निकलने से बचा हुआ था। अब मैंने अपना हाथ दीदी की चूत से उठा लिया और फिर से उसकी सलवार खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन साली ने मेरा हाथ तक तो अंदर नहीं जाने दिया था तो सलवार का नाड़ा कैसे खोलने देती?

मैं कोशिश करता रहा, और जब नाड़ा नहीं खुल पाया तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया। और मैंने अपने दायें हाथ से दीदी की चूचियां दबानी शुरू कर दी। वो अभी भी अपने हाथों से मेरे हाथों को पकड़कर रोकने की कोशिश कर रही थी। मेरा बाया हाथ एक ही जगह पे दबाने की वजह से वो थोड़ा थक गई, तो मैंने झटके से अपना बायां हाथ दीदी के होंठों से उठाकर उस पे दायां हाथ रख दिया। फिर बायें हाथ को दीदी की कमीज़ के गले से अंदर कर दिया। मेरा हाथ सीधा दीदी की दाईं चूची की निपल पे चला गया। मैंने पहले अपनी पहली उंगली और अंगूठे से दीदी की निपल को थोड़ा मसला, निपल एकदम सख़्त था। फिर अपने हाथ से दीदी की गोल-गोल चूचियां दबाने लगा।

आज पहली बार मैंने दीदी के अंदरूनी जिश्म को छुआ था। अब कंट्रोल नहीं हो पा रहा था, लगता था कि मेरी पिचकारी निकल जायेगी, लेकिन तभी दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरे मुँह पे थप्पड़ मारने शुरू कर दिए। लेकिन मुझे उसकी परवाह नहीं थी, मेरे लिये तो अच्छा ही हुआ कि मेरा ध्यान फिर थोड़ा बँट गया और मेरी पिचकारी निकलने से बच गई।
अब मैंने अपने बायें हाथ को अंदर ही से दूसरी चूची की तरफ घुमा दिया। मैं बड़ी-बड़ी दोनों चूचियां दबा रहा था, एकदम पत्थर के जैसे सख़्त टाइट चूचियां थीं दीदी की, लेकिन स्किन उतनी ही साफ्ट थी। मेरा लण्ड मेरे शॉर्ट में लोहे की रोड जैसा खड़ा था, और मेरा दिल कर रहा था कि किसी तरह जल्दी से इसे दीदी की चूत में डाल दूं। लेकिन दीदी साली नाड़ा तो खोलने नहीं दे रही थी।

मैंने फिर अपने बायें हाथ से कोशिश किया, लेकिन नाड़ा खोल पाना बहुत मुश्किल था, टाइम बरबाद करना ही लग रहा था। फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया कि नाड़ा तोड़ दूं, तो मैंने वो भी कोशिश कर लिया। लेकिन शायद मेरी किस्मत खराब थी, मेरे कितने ही झटके देने के वाबजूद भी नाड़ा टूटने का नाम नहीं ले रहा था। फिर मैंने ऐसे ही बिना नाड़ा तोड़े और खोले सलवार को नीचे खींचकर उतारने की कोशिश की, तो सलवार थोड़ी सी नीचे सरकी फिर अटक गई।

सलचार दीदी की मोटी गाण्ड से ऐसे कैसे नीचे आ सकती थी, हो सकता था सलवार नीचे सरक भी जाती, लेकिन एक हाथ से उसे नीचे खींचना मुश्किल था, सारी कोशिश बेकार जा रही थी। फिर मैंने दीदी की कमीज़ उसके पेट से ऊपर उठा दी और उसके गोरे पेट और नाभि पे किस करने लगा। मेरे अंदर का गरम पानी अंतिम सीमा पे था, लग रहा था अब पिचकारी छूटने ही वाली है।
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काश कि दीदी की सलवार का नाड़ा खुल या टूट गया होता तो अब मुझे अपना लण्ड दीदी की चूत के अंदर करने में कोई परेशानी नहीं होनी थी। मेरा लण्ड मेरी शॉर्टस के अंदर डंडे जैसा खड़ा था, मैंने अपना शॉर्ट एक हाथ से खींचकर नीचे किया और एक टांग शॉर्ट से बाहर निकाल ली। फिर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी की चूत का निशाना लगाकर उसको हिट करना शुरू कर दिया।

दीदी की दोनों टांगें मेरे कंधों पे थीं और उसका का पूरा जिश्म मेरे सीने के सामने था। मैं कुछ देर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी को चोदने और चोदने की एक्टिंग करता रहा। मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं दीदी को चोद रहा हूँ। लेकिन कोई जायदा नहीं था, ऊपर से मेरे लण्ड का पानी निकलने के बहुत करीब था, मेरी सांस भी फूल गई थी, लेकिन दीदी को सबक सिखाना भी बहुत ज़रूरी था। फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने एक-एक करके दीदी की दोनों टाँगों को छोड़ दिया, फिर दीदी के पेट के ऊपर बैठ गया।

मेरा 8” इंच लंबा और 2½” मोटा खड़ा लण्ड देखकर दीदी की आँखें फटने की तरह हो गईं।

मेरा एक हाथ दीदी के होंठ पे था और दूसरे से मैंने अपने लण्ड को मूठ मारना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड पानी छोड़ने के लिए तो पहले ही तैयार था, इसलिये बहुत मुश्किल से 40-50 सेकेंड ही मूठ मार पाया होऊूँगा कि मेरे अंदर से गरम क्रीम की पिचकारी छूटी, जो सीधी दीदी की बोल्स से होती हुई उसके चेहरे की तरफ गई। मेरे लण्ड की सारी क्रीम दीदी की धाये के ऊपर कमीज़ पे जाकर गिरी थी और उसमें से 1-2 बूँद दीदी की गर्दन, गालों पे और उसके होंठ पे गिरी थी।

अब दीदी भी ढीली पड़ चुकी थी और मैं तो बिल्कुल ढीला पड़ गया था।

मैं कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर बैठा रहा फिर ठंडी सांस ली और उसके ऊपर से उठ गया। फिर मैं अपनी शॉर्टस पहनता हुआ टायलेट की तरफ जाता हुआ बोला-“अब जिसको बताना होगा बता देना, लेकिन यह भी सोच लेना कि मेरे पास भी बताने के लिये बहुत कुछ है, स्कूल से लेकर अब तक की तुम्हारी चोदा-चोदी, और मम्मी को बहाना लगाकर नाइट क्लब जाने तक…”

दीदी कुछ नहीं बोली, और आँखें फाड़-फाड़कर मेरी तरफ देखती रही। फिर गाल पे लगे वीर्य की बूँद को हाथ से पोंछने लग गई। मैं टायलेट से वापिस आया तो वो सोफे पे बैठी रो रही थी, फिर अपने रूम में चली गई, शायद कपड़े चेंज करने के लिये।


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काश कि दीदी की सलवार का नाड़ा खुल या टूट गया होता तो अब मुझे अपना लण्ड दीदी की चूत के अंदर करने में कोई परेशानी नहीं होनी थी। मेरा लण्ड मेरी शॉर्टस के अंदर डंडे जैसा खड़ा था, मैंने अपना शॉर्ट एक हाथ से खींचकर नीचे किया और एक टांग शॉर्ट से बाहर निकाल ली। फिर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी की चूत का निशाना लगाकर उसको हिट करना शुरू कर दिया।

दीदी की दोनों टांगें मेरे कंधों पे थीं और उसका का पूरा जिश्म मेरे सीने के सामने था। मैं कुछ देर ऐसे ही सलवार के ऊपर से दीदी को चोदने और चोदने की एक्टिंग करता रहा। मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे मैं दीदी को चोद रहा हूँ। लेकिन कोई जायदा नहीं था, ऊपर से मेरे लण्ड का पानी निकलने के बहुत करीब था, मेरी सांस भी फूल गई थी, लेकिन दीदी को सबक सिखाना भी बहुत ज़रूरी था। फिर मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने एक-एक करके दीदी की दोनों टाँगों को छोड़ दिया, फिर दीदी के पेट के ऊपर बैठ गया।

मेरा 8” इंच लंबा और 2½” मोटा खड़ा लण्ड देखकर दीदी की आँखें फटने की तरह हो गईं।

मेरा एक हाथ दीदी के होंठ पे था और दूसरे से मैंने अपने लण्ड को मूठ मारना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड पानी छोड़ने के लिए तो पहले ही तैयार था, इसलिये बहुत मुश्किल से 40-50 सेकेंड ही मूठ मार पाया होऊूँगा कि मेरे अंदर से गरम क्रीम की पिचकारी छूटी, जो सीधी दीदी की बोल्स से होती हुई उसके चेहरे की तरफ गई। मेरे लण्ड की सारी क्रीम दीदी की धाये के ऊपर कमीज़ पे जाकर गिरी थी और उसमें से 1-2 बूँद दीदी की गर्दन, गालों पे और उसके होंठ पे गिरी थी।

अब दीदी भी ढीली पड़ चुकी थी और मैं तो बिल्कुल ढीला पड़ गया था।

मैं कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर बैठा रहा फिर ठंडी सांस ली और उसके ऊपर से उठ गया। फिर मैं अपनी शॉर्टस पहनता हुआ टायलेट की तरफ जाता हुआ बोला-“अब जिसको बताना होगा बता देना, लेकिन यह भी सोच लेना कि मेरे पास भी बताने के लिये बहुत कुछ है, स्कूल से लेकर अब तक की तुम्हारी चोदा-चोदी, और मम्मी को बहाना लगाकर नाइट क्लब जाने तक…”

दीदी कुछ नहीं बोली, और आँखें फाड़-फाड़कर मेरी तरफ देखती रही। फिर गाल पे लगे वीर्य की बूँद को हाथ से पोंछने लग गई। मैं टायलेट से वापिस आया तो वो सोफे पे बैठी रो रही थी, फिर अपने रूम में चली गई, शायद कपड़े चेंज करने के लिये।


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Ooh yarrr kyaa update hai dil khus ho gyaa.....legta hai aab blackmailing hoge ....per dekhan ye hai ke apna hero apne maa ko kaise patata hai ....kyu ke maa ke kareb aana her bete ka sapna hota hai per kahi maa ko bura na Lage ya unhe dukh naa ho ..iss liye wo apne fillings ko mar dete hain...ni to her lerke ke phele cruss uske maa hoti hai....phala pyar uske maa hote hai ...per samaj ke niyam usee iss kadar bandh dete hai ke wo kbhi apne iss filling ko kisi ke sath sajha nhi ker sakta ...ager kiya to usee apne maa se dur ker diya jayega ,,....aur Sayed maa bhi uss se nafrat kerne lagee...

Aur maa jo apne bete ke her baat uske bina bole samajh jate hai per ..apne bete ke dil me apne liye panap rhi bhawnaoo ko nhi samajh pate...yaa khu samajh jate hai per anjan banne ke acting kerte hai ...aur ye tub clear ho jate hai jub ek maa apne Bahu se jalne legte hai ....pure zindigi apne bete ko apne se dur kerte rehte hai ....yee jante huwe bhi ke uska beta uske pyar ka bhuka hai ...bete ke samne apne batiyo per pyar ke bersat kerte rehte hai ...per bete ko hamesa najar andaz kerte rehte hai ..per jub bhau aa jate hai ....aur beta wo pyar apne biwi me dhundhne legta hai ....tub usee apne Bahu se jalan hone legte hai ...usee lenge legta hai ke uske bahu ne uske bete ko uss se chin liyaa...tab ye nhi samajhte ke pure zindagi wo beta uske payr ke liye taras rhaa thaa...per aab jub uske zindgi me koye aur aa gyee hai to aab wo usee bhi uss se door kerna chahte hai ....

Her maa ko esaa legta hai ..ke uska beta hamesa uske pallu paker ker uske piche piche chalta rhee...🤣🤣🤣🤣🤣kyu ke ekk whi to hai jisper wo apna roob dikha sakte hai ....ek maa ke liye uska beta ek khelona hota hai jis se wo apne pure zindigi khelte rehte hai 😂😂😂😂😂😂😂😂
 
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