• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

vakharia

Supreme
5,688
16,116
174
सारा मामला निपटाकर उसने आवाज देकर संजय को बुलाया.. फटाफट बिल देकर वो दोनों बाहर निकल गए.. और तेजी से चलते हुए अपने रूम पर पहुँच गए.. शीला काफी डर गई थी "संजय.. यहाँ रुकने में भी मुझे तो डर लग रहा है.. हमे अब गोवा छोड़ देना चाहिए.. इससे पहले की कोई ओर मुसीबत आ जाए.. तू चेकआउट करने की तैयारी कर.. "

"ठीक है मम्मी जी.. जैसा आप कहें.. हम चले जाएंगे.. लेकिन जाने से पहले एक जबरदस्त चुदाई तो बनती है " अपनी शॉर्ट्स की साइड से लंड बाहर निकालकर दिखाते हुए संजय ने कहा.. "ईसे आपके स्तनों के बीच रगड़ने की ख्वाहिश भी तो पूरी करनी है.. देखिए ये बेचारा कितना उदास है !!"

ds
अपने दामाद का नरम लंड पकड़ते हुए शीला ने कहा "बेटा.. बिना चुदे तो मैं भी जाना नही चाहती.. दिल भरकर तेरे धक्के खाने है.. मेरी चूत को तेरे लंड से पावन करने के बाद ही हम गोवा छोड़ेंगे.. !! अब देर मत कर.. और अपनी मम्मी जी की चूत चाटने की सेवा शुरू कर दे.. "

"आह्ह मम्मी जी.. आपकी तो बातें सुनकर ही मेरा लंड कहीं पिचकारी न छोड़ दे.. " कहते हुए संजय ने शीला को अपनी बाहों में भर लियाया.. छोटे बच्चे की तरह वो शीला के स्तन से चिपक गया.. और नेट वाली ब्रा से एक स्तन को बाहर निकालकर चूसने लगा..

"आह्ह बेटा.. मज़ा आ रहा है.. तेरी जीभ की गर्मी मेरी निप्पल से होते हुए पूरे शरीर में फैल रही है.. देख.. तेरा लंड भी सख्त होकर तैयार हो गया.. इतने सुंदर लंड से चुदने के लिए वैशाली क्यों राजी नही होती ये मुझे समझ में नही आता.. इसे खड़ा हुआ देखकर भी वो कोई रिस्पॉन्स नही देती?"

"रिस्पॉन्स देती है ना.. क्यों नही देती.. मेरे लंड को देखकर ही वो करवट बदल कर सो जाती है"

"पागल है मेरी बेटी.. " कहते हुए शीला घुटनों पर बैठ गई और संजय के गन्ने जैसे सख्त लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.. शॉर्ट्स की साइड से लंड को चूसने में मज़ा नही आ रहा था.. इसलिए उसने खींचकर संजय की शॉर्ट्स जिस्म से अलग कर दी.. और अपनी ब्रा और चड्डी उतारकर फिर से एक बार स्खलित होने के लिए तैयार हो गई.. उसके चेहरे पर उत्तेजना साफ साफ छलक रही थी..

dis
दोनों नंगे होकर एक दूसरे को चूमने और चाटने में व्यस्त हो गए.. संजय ने शीला की चूत पर अपना हाथ जमा दिया और शीला ने संजय के लंड को गिरफ्त में ले लिया..

"मम्मी जी.. अब मुझे अपने दोनों स्तनों के बीच में लंड घुसेड़ने दो.. "

"हाँ हाँ.. घुसा दे.. मैंने कब मना किया तुझे!! आज ये आखिरी चुदाई होगी हमारी.. जो मन करे तेरा.. वो कर ले.. मैं कुछ नही बोलूँगी"

"मम्मी जी.. आपके मन में भी ऐसी कोई विकृत इच्छा हो तो बता दीजिए... गोवा की ट्रिप यादगार बनानी है हमें.. !!"

bbf
-----------------------------------------------------------------------------------------------------

वैशाली और राजेश सर माउंट आबू में.. रेणुका की बर्थडे पार्टी में बियर की चुसकियाँ लेते हुए सिगरेट पर सिगरेट फूँक रहे थे.. राजेश के स्वभाव और पर्सनैलिटी से वैशाली बेहद आकर्षित हो गई थी.. उसने शारीरिक संबंधों के लिए पहले ही मना कर दिया था पर फिर भी राजेश ने बुरा नही माना था.. वैशाली को ये बात बहोत अच्छी लगी राजेश की..

लगभग ग्यारह बज रहे थे.. हर कोई नशे में चूर होकर ट्रिप के मजे ले रहा था.. वैशाली की आँखें भी बियर के नशे में सुरूर से भर रही थी.. इतनी बियर पीने के बाद उसे बड़ी जोर से पेशाब लगी थी.. आखिर जब बात बर्दाश्त से पार हो गई तब वह उठी और राजेश से कहा "एक्स्क्यूज़ मी.. मुझे जाना होगा.. फ्रेश होकर आती हूँ.. आप मेरा वैट करना.. "

"जाना तो मुझे भी है.. चलो मैं भी साथ चलता हूँ.. कहीं तुम्हारे कदम लड़खड़ा गए तो कोई तो चाहिए सहारा देने वाला.. " राजेश ने कहा.. वैशाली शरमा गई.. और नीचे देखने लगी..

"अरे घबराइए नही.. मैं तो जेन्ट्स टॉइलेट में ही जाऊंगा.. तुम्हारे साथ थोड़े ही आने वाला हूँ" हँसते हँसते राजेश ने कहा

"वो तो मुझे भी पता है सर की आप मेरे साथ टॉइलेट में नही आओगे.. चलिए चलते है" वैशाली आगे चाय और राजेश उसके पीछे पीछे.. वैशाली की मटकती गांड को देखकर राजेश की नियत में खोट आने लगी थी.. राजेश की नशीली आँखों में वैशाली की गांड का नशा अलग से जुड़ गया..

पेसेज के आखिर में लेडिज और जेन्ट्स के टॉइलेट अगल बगल में ही थे.. चलते चलते वैशाली के कदम डगमगा गए.. और उसे संभालने के चक्कर में राजेश भी लड़खड़ा गया.. एक दूसरे को संभालते हुए दोनों दीवार का सहारा लेकर खड़े हो गए.. वैशाली के स्तन एक पल के लिए राजेश के हाथों से दब गए.. दोनों एक दूसरे को सॉरी कहने लगे.. और हंस पड़े..

टॉइलेट के पेसेज में दोनों अकेले थे.. हल्की सी रोशनी थी..

"वैशाली, यू आर सो हॉट.. प्लीज एलाऊ मी टू टच योर बूब्स.. सिर्फ एक बार.. मेरी रीक्वेस्ट है.. प्लीज"

"नही सर.. आई कांट डू धिस.. सॉरी.. " वैशाली ने नशे की हालत में भी अपना संयम नही छोड़ा था.. वह दरवाजा खोलकर लेडिज टॉइलेट में घुस गई.. राजेश भी जेन्ट्स टॉइलेट में चला गया.. वह पेशाब करके बाहर निकला और लेडिज टॉइलेट के दरवाजे के बाहर वैशाली का इंतज़ार करने लगा.. तभी लेडिज टॉइलेट का दरवाजा खुला.. एक हाथ बाहर आया और उसने राजेश को अंदर खींच लिया.. एक सेकंड में ही ये सब हो गया..

राजेश कुछ समझ या सोच सके उससे पहले ही वैशाली ने उसे चूम लिया.. उसके मदमस्त उरोज राजेश की छाती से रगड़ रहे थे.. वैशाली इतनी उत्तेजित हो गई थी की राजेश कुछ करे उससे पहले ही उसने हाथ नीचे डालकर उसका लंड पकड़ लिया और धीमे से कान में बोली

"कुछ मत बोलीये.. किसी को पता नही चलना चाहिए की इस क्यूबिकल में हम दोनों है.. एकदम शांत रहिए" वैशाली ने अपना टीशर्ट ऊपर कर दिया और अपने दोनों खिलौने राजेश को खेलने के लिए दे दिए.. मर्द का हाथ उसके स्तनों को स्पर्शते ही वैशाली के चेहरे पर खुमार छाने लगा.. बियर का नशा अपना काम कर रहा था और राजेश का हाथ भी..

v1
राजेश का हाथ वैशाली की गीली पुच्ची तक कब पहुँच गया इसका दोनों को पता ही नही चला.. टॉइलेट की संकरी जगह में वैशाली और राजेश सर दोनों को तकलीफ हो रही थी.. पर दोनों इतने उत्तेजित थे.. जैसे एक दूसरे के जिस्मों को नोच खाना चाहते हो.. राजेश को कब से ललचा रहे वैशाली के बड़े बड़े तंदुरुस्त उरोज.. राजेश ने दोनों हाथों से पकड़कर अनगिनत बार चूम, चाट और काट लिए.. वैशाली को दर्द हो रहा था फिर भी वह चुप थी क्यों की जरा सी भी आवाज उनका भांडा फोड़ सकती थी.. दोनों फटाफट अपनी वासना को तृप्त करने की फिराक में एक छोटा पर रसीला प्रोग्राम कर देना चाहते थे.. जल्द से जल्द हॉल में पहुँचना भी जरूरी थी.. वरना लोगों को शक होने की गुंजाइश थी..

वैशाली ने तुरंत ही अपनी पेन्टी को घुटनों तक सरकाते हुए स्कर्ट ऊपर चढ़ा दिया और फिर उलटी होकर बोली "प्लीज सर.. जल्दी कीजिए.. डाल दीजिए फटाफट" हल्की रोशनी में जगमगाते हुए वैशाली के चरबीदार कूल्हों पर थपकी लगाते हुए राजेश ने उन नितंबों को चौड़ा किया..

"सर वक्त बहोत कम है.. वो सब आराम से बाद में देख लेना.. " उत्तेजनावश अपनी गांड को गोल गोल घुमाते हुए राजेश को आमंत्रित कर रही थी.. राजेश ने वैशाली की कमर को पकड़ा और अपने कड़े लंड को दोनों कूल्हों के बीच में लगाया..

"ईशशश.. सर.. वहाँ नही.. थोड़ा सा नीचे" अपने गांड के छेद पर राजेश के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते ही वैशाली ने सहम गई

"अरे यार.. इतना अंधेरा है.. कुछ दिखना भी तो चाहिए.. " राजेश ने परेशान होते हुए कहा

"सर, आप एक बार जीभ से चाटिए ना.. मुझे बिना चटवाए मज़ा ही नही आता" वैशाली की विनती को सन्मान देते हुए राजेश झुककर नीचे बैठ गया और उसके दोनों चूतड़ों को फैलाकर पहेले गांड और फिर चूत को चाटने लगा.. वैशाली उत्तेजित होकर गांड उछालने लगी.. राजेश तुरंत खड़ा हो गया और वैशाली की चूत में एक धक्के में ही अपना पूरा लंड डाल दिया.. वैशाली सिसकने लगी.. राजेश ने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया और फिर स्पीड पकड़ ली..

ffb

वैशाली के कूल्हों से राजेश की जांघों के टकराने की वजह से आवाज आ रही थी.. जब वो आवाज काफी ऊंची हो गई तब दोनों ने घबराकर गति धीमे कर दी.. और फिर से अपनी लय प्राप्त कर ली.. डरते डरते सेक्स करने का मज़ा ही अलग होता है.. करीब दो मिनट तक ऐसे ही धक्के लगाने के बाद राजेश ने अपने सख्त लंड से आखिर के तीन चार धक्के इतने जोर से लगाए की वैशाली की आँखों में पानी आ गया.. उसेके पेट में दर्द होने लगा.. और साथ ही साथ उसकी चूत भी ठंडी हो गई.. राजेश ने भी चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया..

अंधेरे माहोल की इस चुदाई के बाद वैशाली घूम गई और राजेश के लंड के प्रति आभार प्रकट करते हुए उसे झुककर चूमने लगी.. राजेश ने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया.. राजेश के लंड से खेलते हुए वैशाली ने एकदम धीमी आवाज में उसके कान में कहा "ये रात मुझे ज़िंदगी भर याद रहेगी.. आशा है की आपको भी मज़ा आया होगा.. अगर किस्मत रही तो फिर मिलेंगे.. मैं आपके साथ शांति से समय बिताना चाहती हूँ.. आपका स्वभाव मुझे बहोत पसंद आया.. आशा है की आप मेरी मित्रता का स्वीकार करेंगे.. हमारा शरीर संबंध तो बड़ा ही अनोखा रहा.. लेकिन लौटने के बाद क्या मैं आप से बिना किसी जिस्मानी संबंधों की मित्रता की अपेक्षा रख सकती हूँ ?"

राजेश वैशाली के सुंदर स्तनों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए बोला "वैशाली, हम बड़े अच्छे मित्र बनेंगे.. शरीर का संबंध बने या न बने.. उससे मुझे फरक नही पड़ता.. पर तेरे ये सुंदर स्तनों ने मुझे आज पागल ही कर दिया.. इन्हे दबाने की आशा तो मैं हमेशा रखूँगा ही.. लेकिन ये वादा है मेरा.. की जो भी होगा वो तुम्हारी इच्छा और स्वीकृति से ही होगा.. एक विनती करना चाहूँगा.. तुम्हें कभी भी फिर से ये दोहराने की इच्छा हो तो बेझिझक मेरे पास चली आना.. तुम्हारे जिस्म को पाने के लिए मैं हमेशा बेताब रहूँगा.. और कुछ पाए या न हो पाएं.. एक हल्की सी किस.. थोड़ा सा स्पर्श.. इतना भी मेरे लिए काफी होगा !!"

"ठीक है सर" हँसते हुए वैशाली ने राजेश के होंठों को चूम लिया.. "सर, पहले मैं बाहर देख लूँ.. पेसेज में कोई है तो नही.. मैं इशारा करूँ उसके बाद ही आप निकलना " राजेश अब भी वैशाली के स्तनों को छोड़ नही रहा था.. दबाए ही जा रहा था

"सर अब आप मुझे छोड़ेंगे तो मैं बाहर निकलूँ" वैशाली ने हसनते हुए कहा

"असल में तेरी ब्रेस्ट इतनी आकर्षक है की मुझसे रहा नही जाता.. अब तुमने बिना जिस्मानी संबंधों वाली मित्रता की बात की है.. तो मैं ये सोच रहा हूँ की इन स्तनों दोबारा न जाने कब देखने को मिले.. " राजेश ने कहा

"हम्म.. ओके सर.. ये लीजिए मेरी तरफ से माउंट आबू की ये आखिरी भेंट" कहते हुए उसने राजेश का चेहरा पकड़कर अपने स्तनों पर दबा दिया और उसके लंड को पकड़कर मसल दिया.. फिर वैशाली ने अपने आप को राजेश की गिरफ्त से मुक्त किया और धीरे से दरवाजा खोला.. पेसेज में कोई नही था.. उसने हाथ पकड़कर राजेश को बाहर खींचा.. "सर आप पहले जाइए.. कोई पूछे तो कहना वैशाली टॉइलेट गई है"

"ओह वैशाली.. " कहते हुए राजेश ने एक बार फिर वैशाली के स्तनों को वस्त्रों के ऊपर से ही पकड़कर दबा दिया और फिर न चाहते हुए भी मुड़कर चलने लगा.. वैशाली फिर से अंदर गई.. और नल से पानी लेकर अपनी चूत को धोने लगी.. राजेश के लंड का सारा वीर्य उसने ठीक से साफ किया.. साफ करते करते उसकी मुनिया फिर से चुनमुनाने लगी.. उंगली से क्लिटोरिस को रगड़कर फिर से उसे शांत किया.. अपने स्तनों को ठीक से ब्रा के अंदर दबा दिए.. और अपने बाल ठीक कर दस मिनट बाद बाहर निकली..

जैसे ही वो अपने क्यूबिकल से बाहर निकली.. थोड़े से दूर बने क्यूबिकल का दरवाजा खुला और उसमें से पीयूष बाहर निकला.. पीयूष की नजर वैशाली पर नही थी.. वो तुरंत दरवाजा खोलकर बाहर की ओर भागा.. लेडिज टॉइलेट में पीयूष???? जरूर कुछ खिचड़ी पक रही थी.. पीयूष अंदर किसी के साथ ही घुसा होगा.. साथ जो भी था.. हो सकता है की वो वैशाली के निकलने से पहले ही चला गया हो.. या फिर अभी भए क्यूबिकल के अंदर ही हो? पता करने का बस एक ही तरीका था.. वैशाली बेज़ीन के पीछे लगे बड़े पत्थर के पीछे छुपकर इंतज़ार करने लगी

थोड़ी ही देर में दरवाजा खुलने की आवाज आई.. वैशाली का दिल जोरों से धड़कने लगा.. कौन होगा? कविता? नही नही.. उन दोनों के बीच तो झगड़ा चल रहा है.. जरूर वो रांड मौसम होगी.. वही कब से मेरे और पीयूष के बीच हड्डी बनकर बैठी हुई है.. पीयूष भी कमीना अपनी साली के पीछे लट्टू होकर घूमता रहता है.. उसकी कच्ची कुंवारी चूत को एकबार चोदकर ही दम लेगा वो.. जैसी जिसकी किस्मत.. नुकसान तो कविता को ही होगा.. कविता भी बेवकूफ है.. उसे इतना भी पता नही चलता की जवान कुंवारी बहन को अपने रोमियो पति के साथ घूमने देना ही नही चाहिए उसे.. और मौसम भी एक नंबर की मादरचोद है.. अपने कच्चे बबले दिखा दिखा कर पीयूष को पागल बना देती है.. जैसे स्तन सिर्फ उसके पास ही है.. मेरे मुकाबले में मौसम के छोटे स्तनों की कोई औकात ही नही है..

वैशाली के दिमाग में ये सारे विचार चल रहे थे तभी पेसेज में किसी के आने की चहलकदमी सुनाई दी.. और वो जो भी थी वह फिर से क्यूबिकल के अंदर चली गई और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.. वैशाली के लिए ज्यादा देर तक छुपे रहना मुमकिन नही था.. क्यों की लेडिज टॉइलेट के दरवाजे से अंदर आते हुए वह साफ दिख रही थी..

वैशाली बाहर निकल गई और चलते हुए हॉल में आ पहुंची.. वह आकर राजेश सर के बाजू में बैठ गई.. पर यहाँ से उसे टॉइलेट वाला पेसेज नजर नही आ रहा था.. उसने राजेश से कहा "सर आपको एतराज न हो तो क्या आप मेरी कुर्सी पर आ सकते है.. यहाँ एसी की ठंडी हवा सीधे मेरे सर पर लग रही है"

"ओ स्योर.. " कहते हुए राजेश खड़ा होकर वैशाली की चैर पर बैठ गया और वैशाली राजेश की चैर पर.. अब यहाँ से पेसेज बिल्कुल साफ नजर आ रहा था.. वैशाली थोड़ी थोड़ी देर पर.. राजेश से बातें करते हुए.. नजरें चुराकर पेसेज की ओर देख लेती..

राजेश ने धीमे से वैशाली के कान में कहा "यार वैशाली.. तेरी तो बहोत टाइट थी.. मज़ा आ गया यार.. "

"थेंक यू सर" वैशाली ने शरमाते हुए नजरे झुका ली

वैशाली बेचैन नज़रों से पेसेज की ओर देख रही थी.. उसके यहाँ बैठने के बाद कोई अंदर गया भी नही था और बाहर आया भी नही था.. उसने पीयूष की ओर देखा.. वो तो आराम से म्यूज़िक के ताल पर झूमते हुए बियर पी रहा था.. वैशाली ने ये भी नोटिस किया की पीयूष भी बार बार पेसेज की ओर देख रहा था.. बहोत खुश लग रहा था पीयूष..

ना चाहते हुए भी राजेश की बातों को सुन रही थी वैशाली.. उसका सारा ध्यान पेसेज पर ही था.. वो कौन थी जो उसके पीयूष को अपनी जाल में फंसा रही थी? तभी पेसेज से एक परछाई आती हुई नजर आई.. धीरे धीरे वह परछाई हॉल की तरफ आते देख वैशाली टकटकी लगाकर पहचानने की कोशिश करने लगी..

चेहरा स्पष्ट दिखते ही वैशाली के पैरों तले से जमीन खिसक गई!!! अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था उसे.. !!! नालायक पीयूष.. ये क्या किया तूने? कब से लगा हुआ है इनके साथ? रेणुका और पीयूष?? ओह माय गॉड.. ये मैं क्या देख रही हूँ?? साला ये पीयूष तो खिलाड़ी निकला.. हरामी.. मादरचोद.. एक साथ कितनों को लपेटें रखा है उसने!! कभी मेरे साथ.. कभी मौसम के साथ.. और अब रेणुका के साथ भी.. !!!

 

vakharia

Supreme
5,688
16,116
174

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,815
14,790
159
कमरा खोलकर हाफ़िज़ ने शीला को सहारा देते हुए बेड पर लैटाया.. शीला को छोटा सा टॉप ऊपर चढ़ गया था.. और स्तनों का निचला हिस्सा टॉप के बाहर झलक रहा था.. शीला की छोटी सी शॉर्ट्स इतनी तंग थी की उसकी दोनों जांघें ऊपर तक खुली हुई थी.. हाफ़िज़ बस उसे देखता ही रहा

ub2ub

हाफ़िज़ ने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा "क्या गदराया जिस्म है आपका मैडम.. !! आपको ऐसे देखकर मेरा भी मन कर रहा है.. संजय साहब के आने से पहले मुझे भी चांस दीजिए.. " कहते हुए हाफ़िज ने शीला के टॉप के नीचे से हाथ डालकर दोनों स्तनों को दबाकर मसल दिया..

"एयय.. छोड़ मुझे.. रासकल.. छोड़.. साले तेरी औकात ही क्या है मुझे हाथ लगाने की.. !!" शराब का नशा अब शीला के सर चढ़कर बोलने लगा था.. लहराती आवाज में उसने बोलकर हाफ़िज़ के हाथों से खुदको छुड़ाते हुए शीला ने कहा "जा.. जाकर अपनी माँ के दबा.. "

सुनकर हाफ़िज़ गुस्से से तिलमिलाने लगा.. शीला के ऊपर वो सवार हो गया और बोला "भेनचोद.. मेरी औकात की बात करती है.. अभी तुझे दिखाता हूँ मेरी औकात.. तेरी माँ को चोदू, हरामजादी.. अपने दामाद का लोडा गाड़ी में चूसते वक्त तुझे तेरी औकात याद नही आई थी क्या.. साली रांड!!" कहते हुए गुस्से से उसने अपने दोनों हाथों से शीला का टॉप फाड़ दिया.. शीला के गोरे गोरे स्तन खुले हो गए..

हाफ़िज़ शीला के ऊपर अपना सारा वज़न डालकर चढ़ गया और उसके होंठों को चाटने लगा.. शीला छूटने के लिए छटपटाने लगी.. पर हाफ़िज़ की मजबूत पकड़ के आगे वो लाचार थी.. ऊपर से वो नशे में भी थी.. शीला चिल्लाने लगी.. हाफ़िज़ ने उसके गाल पर दो कडक तमाचे रसीद करते हुए उसे चुप करा दिया..

"साली रंडी.. अगर फिर से चिल्लाई तो तेरे घरवालों को सब बता दूंगा..घर तो तेरा मैंने देख ही रखा है.. किसी को मुंह दिखाने के लायक नही छोड़ूँगा तुझे.. याद रखना.. अब चुपचाप मुझे जो करना है वो कर लेने दे.. समझी!!" सुनकर शीला की गांड ही फट गई.. अपने हथियार डालकर उसने आँखें बंद कर ली.. और अपने बदन को ढीला छोड़ दिया..

हाफ़िज़ ने शीला की चड्डी उतारकर उसकी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा "साली.. बहोत गरम चीज है तू" कहते हुए हाफ़िज़ ने अपने पेंट की चैन खोल दी.. आँखें बंद कर पड़ी हुई शीला ने चैन खुलने की आवाज सुनी.. अनजाने में ही उससे आँखें खुल गई.. पेंट उतार रहे हाफ़िज़ के लंड को देखने की लालच वह रोक नही पाई.. पेंट उतरते ही उसने देखा की हाफ़िज़ के अंडरवेर में इतना बड़ा उभार था.. डंडे जैसा !!! वह फुला हुआ हिस्सा देखककर शीला मन ही मन हिल गई..

अपने लंड वाला हिस्सा शीला के करीब ले जाकर बोला "ले मादरचोद.. निकाल बाहर अपने बाप का लंड.. और देख.. की यह तेरे भोसड़े के परखच्चे उड़ाने के काबिल है भी या नही.. !!" शीला ने अब विरोध करना छोड़ ही दिया था.. हाफ़िज़ की धमकी सुनने के बाद उस में हिम्मत ही नही बची थी.. कहीं ये कमीना आकर मदन को सब कुछ बता देगा तो क्या हाल होगा!!!

चुपचाप शीला ने हाफ़िज़ के अंडरवेर में बने उभार पर हाथ रख दिया.. "तुरंत बाहर मत निकाल ईसे मेरी जान.. पहले थोड़ा हाथों से सहला.. ताकि ये और भी सख्त हो जाए.. फिर बाहर निकालना.. समझ गई!!" शीला की निप्पलों को खींचते हुए हाफ़िज़ ने कहा "कसम से.. गजब का माल है तू.. " शीला की नाभि के अंदर उंगली करने के बाद उसने झुककर उसके भोसड़े में तीन उँगलियाँ एक साथ डाल दी.. और शीला की काँखों को चाटने लगा..

fhpn

४४० वॉल्ट का करंट लगा शीला को.. हाफ़िज़ उसकी काँख को ऐसे चाट रहा था जैसे चूत चाट रहा हो.. उत्तेजित होकर भारी सांसें लेते हुए उसने हाफ़िज़ के लंड को अंडरवेर के ऊपर से ही दबाया..

शीला के मन में ही संवाद चलने लगा.. "तू क्या कर रही है उसका पता भी है तुझे?? "लेकिन वोड्का का नशा और चूत की खुजली.. दोनों ने मिलकर शीला के होश छीन लिए थे.. इच्छा न होने के बावजूद वह हाफ़िज़ के लंड को बाहर से ही सहलाते हुए सिसक रही थी.. जांघिये के अंदर लंड ने तंबू बना दिया था.. उसे उतारकर शीला ने लंड बाहर खींचा.. स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर निकला हाफ़िज़ का लोडा.. एकदम काला.. ब्लेक कोब्रा जैसा.. और इतना मोटा.. शीला को जीवा के लंड की याद आ गई.. हाफ़िज़ ने अपना झूलता हुआ लंड शीला के मुंह के आगे रख दिया.. शीला ने एक आखिरी बार शर्माने का नाटक किया.. और अपनी नजरें फेर ली..

हाफ़िज़ ने खींचकर एक तमाचा लगा दिया शीला के गाल पर.. और उसे धमकाते हुए कहा "मादरचोद.. नजर क्यों फेर ली? टाइम खराब मत कर.. पकड़ ईसे और मुंह में ले चल.. जैसे अपना दामाद का लिया था.. " हाफ़िज़ के मुंह से गालियां सुनकर.. पता नही क्यों पर शीला को अच्छा लगा.. उसकी चूत ने रस की एक धारा छोड़ दी.. हाफ़िज़ नीचे झुककर शीला के गुब्बारों को चूसने लगा..

शीला हाफ़िज़ के विकराल लंड को हाथ में लेकर खेलने लगी.. उसके शरीर में वासना का भूत नाचने लगा.. उसके भोसड़े ने कडक लंड की गंध परख ली थी.. और वो बेसब्र हो रहा था.. हाफ़िज़ ने शीला की काँखों के बीच लंड को दो बार अंदर बाहर किया... गदराई काँखों में लंड घुसते ही उत्तेजना से हाफ़िज़ का थोड़ा सा वीर्य छूट गया और शीला के बबलों पर जा गिरा

af

"साली रंडी.. तेरी बगल भी भोसड़े जैसी गरम है.. क्या बात है.. कहाँ से सीखा ये सब.. जरा मुझे भी बता.. !!" शीला ने जवाब नही दिया.. वह उसके आँड़ों को सहलाती रही.. शीला की काँख से लंड निकालकर वापिस अंदर डाला हाफ़िज़ ने.. और उसकी काँख को ही चोदने लगा.. हाफ़िज़ की इस हरकत ने शीला को पागल कर दिया.. अपनी काँख से लंड निकालकर उसने मुंह में ले लिया.. और अपनी लार से गीला करते हुए चूसने लगी.. मुंह के अंदर उसने लंड पर इतना दबाव बनाया की उसे डर लगने लगा की कहीं हाफ़िज़ उसके मुंह में ही वीर्यस्त्राव न कर बैठे.. !!

हाफ़िज़ जोर से चिल्लाया "अरे मादरचोद.. खा जाएगी क्या मेरा लंड?? छोड़ दे भेनचोद.. तेरे बाप का पानी छूट जाएगा" शीला के मुंह से हाफ़िज़ ने लंड बाहर खींच लिया..

shd

शराब के नशे में शीला ने कहा "साले.. चूसने दे ना.. क्यों मेरा मज़ा खराब कर रहा है? पानी गिरता तो मेरे मुंह में गिरता उसमें तेरे बाप का क्या जा रहा था.. भोसड़ी के चूतिये!!" हाफ़िज़ अब शीला के स्तनों पर अपने लंड से थपकियाँ लगाने लगा.. सख्त लंड की थपकियों से शीला को दर्द हो रहा था.. लंड की मोटाई देखकर शीला मन ही मन रघु और जीवा को याद कर रही थी.. घर जाने के बाद एक बार उन दोनों से चुदवाने का मन बना लिया उसने..


td2

हाफ़िज़: "शीला तेरी जवानी तो बड़ी ही कातिल है मेरी जान.. चल.. मेरा लंड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार हो जा.. कुत्तिया बनाकर चोदूँगा.. चार पैर पर हो जा.. " कहते हुए उसने शीला की जांघ पर काट लिया..

शीला: "आह्ह साले.. क्या कर रहा है? भड़वे अपनी माँ को भी कुत्तिया बनाकर चोदता है क्या? और तमीज़ से बात कर.. मैं तेरी मालकिन हूँ.. कोई रंडी नही.. ड्राइवर है तू.. मेरा शोहर नही.. जो करने आया है वो कर और निकल यहाँ से.. ले डाल अपना लोडा.. और देख.. भूल कर भी पीछे के छेद में डालने की कोशिश मत करना.. वरना चिल्ला चिल्लाकर माँ चोद दूँगी तेरी.. समझा.. !!! आगे के छेद में जितना मर्जी डाल ले.. "

शीला घोड़ी बनकर हाफ़िज़ का लंड अपने भोसड़े में लेने के लिए तैयार हो गई.. उत्तेजना इतनी प्रबल थी की उसके दिलोदिमाग पर सुरूर सा छा गया था.. शराब से कई ज्यादा नशा सेक्स में होता है.. और शीला के सर पर फिलहाल दोनों नशे हावी हो चुके थे.. उसका शरीर वासना से तप रहा था..

लंड का सुपाड़ा अंदर जाते ही शीला ने कहा "जरा धीरे से हाफ़िज़.. दर्द हो रहा है.. " हाफ़िज़ का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था.. लेकिन शीला का भोसड़ा भी कुछ कम नही था.. दो दमदार धक्कों में ही हाफ़िज़ का लंड निगल लिया उस भोसड़े ने.. इतना मोटा था की शीला का पूरा भोसड़ा भर गया.. मज़ा आ गया शीला को.. खुजली से तिलमिलाती चूत में एक अजीब सी ठंडक मिली..

df

हाफ़िज़ आनन-फानन में धक्के लगाने लगा.. शीला गांड उछाल उछाल कर चुदने लगी... इस युद्ध में कौन जीतेगा ये कहना बड़ा ही मुश्किल था..

"ओह्ह भेनचोद.. क्या लोडा है तेरा!! मज़ा आ गया.. चोद दे.. चोद दे अपनी मैया की चूत.. ठोक जोर से.. हाफ़िज़.. हाँ और जोर से.. लगा धक्के साले.. आह्ह आह्ह आह्ह अहह.. ऐसे ही.. यस्स.. क्या ताकत है तुझ में भोसड़ी के.. सच में असली मर्द है तू.. साले.. लगा दम.. दिखा अपना जोर.. कोई कसर मत छोड़ना.. अपने गधे जैसे लंड से फाड़ दे मेरा भोसड़ा..आह्ह.. !!" हाफ़िज़ के पसीने छूट गए.. शीला की कमर और कूल्हों पर तमाचे लगाते हुए वह लगातार धक्के लगा रहा था.. "आह्ह आह्ह ओह्ह ओह्ह" की आवाजों से पूरा कमरा गूंज उठा था.. शीला ने अपनी चूत की मांसपेशियों से कसकर पकड़ रखा था हाफ़िज़ का लंड.. उसके दोनों वर्टिकल होंठों के बीच फंस चुका था हाफ़िज़ का लंड.. धक्के खा खा कर लाल हो गई थी शीला की चूत..


GF2
पूरे पंद्रह मिनट की भीषण चुदाई के बाद शीला का जबरदस्त ऑर्गजम हो गया.. हाफ़िज़ के जानदार लोड़े की वो कायल हो गई.. शीला के कूल्हों को थप्पड़ लगाते हुए हाफ़िज़ ने अपने लंड से पावरफूल पिचकारी दे मारी.. गरम गरम वीर्य की बौछार होते ही शीला का भोसड़ा तृप्त हो रहा था..

थककर हाफ़िज़ ने अपना लंड बाहर निकाला और बिस्तर पर लेट गया.. हाफ़िज़ की विशाल छाती पर शीला भी लाश की तरह ढेर हो गई.. उसके मदमस्त बॉल हाफ़िज़ की छाती से दबकर चपटे हो गए थे.. उसकी दाढ़ी पर अपने कोमल गालों को रगड़ते हुए शीला उसे चूमने लगी.. नशा उसका सर पर इस कदर सवार था की उसे यह भी एहसास नही हो रहा था की वो किसी मामूली से ड्राइवर से चुदकर लेटी हुई थी.. हाफ़िज़ के खुरदरे हाथ शीला की चिकनी गोरी पीठ को सहला रहे थे.. पीठ से होते हुए उसके हाथ शीला के कूल्हों तक जा पहुंचे.. और अपनी उंगली से वो शीला की गांड के छेद को कुरेदने लगा.. गांड पर स्पर्श होते ही शीला को संजय की याद आ गई.. कहाँ गया होगा वो चूतिया? मुझे यूं अकेले छोड़कर न गया होता तो मुझे इस कमबख्त हाफ़िज़ से चुदना न पड़ता.. खैर जो भी हुआ अच्छा ही हुआ.. मज़ा तो बहोत आया.. और संजय को कहाँ पता चलने वाला था की मैंने हाफ़िज़ से चुदवाया है!! लेकिन संजय के आने से पहले मुझे इस भड़वे को रवाना करना होगा.. वैसे भी ये मादरचोद गांड का मुआयना कर रहा है.. उसकी नियत बिगड़े उससे पहले ही इससे छुटकारा पाना होगा.. ये मेरी गांड में डालेगा तो यही गोवा में मेरी लाश गिर जाएगी..

शीला ने तुरंत हाफ़िज़ के गाल को थपथपाकर उसे जगाया "हाफ़िज़.. तू अब निकल.. तेरे साहब आ जाएंगे तो मुसीबत हो जाएगी.. और हाँ.. गलती से भी उन्हे मत बताना.. हमारे बीच जो कुछ भी हुआ उसके बारे में.. "

हाफ़िज़ ने शीला को अपनी बाहों की गिरफ्त से मुक्त किया.. "नही पता चलेगा.. फिकर मत कीजिए.. आप के साथ जो मज़ा आया न मैडम.. वो आज से पहले कभी नही आया.. यहाँ तक की मेरी बीवी के साथ भी इतना मज़ा नही लूटा था मैंने.. वो तो आप से उम्र में भी आधी है.. और उसकी चूत भी आपसे काफी टाइट है.. लेकिन पता नही क्यों आपकी चूत ने जिस तरह मेरा लंड को जकड़ा था.. वो उसकी चूत नही कर पाती.. और आपका सीना भी कितना गजब है.. ये बड़े बड़े है आपके.. मैं तो आज का दिन जिंदगी भर नही भूलूँगा.. दोबारा कभी मौका मिला तो करने दोगी ना.. !!"

"हाँ हाँ.. करने दूँगी.. मगर अब तू यहाँ से निकल मेरे बाप.. " हाफ़िज़ के मुरझाए लंड को प्यार से थपकी लगाते हुए शीला ने कहा

"अरे मैडम.. क्यों फिर से जगाती हो उसे? फिर से करना पड़ेगा !!" हाफ़िज़ ने शीला को अपनी बाहों में दबा लिया.. "ओह्ह आपके ये रसीले होंठ.. ये सेक्सी बदन.. भेनचोद जी करता है की एक बार फिर से पटक कर चोद दूँ"

शीला घबरा गई.. मैंने क्यों इस हरामी के लंड को छेड दिया.. !!! कहीं संजय आ टपका तो गजब हो जाएगा.. कैसे भगाऊ ईसे.. एक बार चोद लिया फिर भी मन नही भरा इस चूतिये का..

शीला: "देख हाफ़िज़.. मुझे भी तेरा तगड़ा लंड बहोत पसंद आया.. मेरे दामाद के लंड से भी बेहतर है तेरा.. मैं भी इससे बार बार चुदवाना चाहती हूँ.. एक बार से तो मेरा मन भी नही भरता.. मगर इस वक्त तू यहाँ से निकल जा.. घर जाने के बाद मैं तुझे बुलाऊँगी.. और तुझे अपनी मनमानी करने दूँगी.. ठीक है.. !!!" कहते हुए शीला ने उसे प्यार से चूमा और रवाना कर दिया

शीला का दिमाग अब कुछ शांत हुआ और विचार चलने लगे.. मैंने एक ड्राइवर के साथ!! शीला तो इतनी गिरी हुई कब से हो गई? कितनी संस्कारी थी तू और अब देखो? तभी उसकी नजर अपने टॉप पर पड़ी.. जो हाफिज ने खींचकर फाड़ दिया था.. बाप रे!! अब क्या करूँ?? साड़ी के अलावा और कोई कपड़े तो है नही.. संजय ये देखकर पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी.. ??


तभी डोरबेल बजने की आवाज आई.. शीला ने जल्दी जल्दी बेग से काली नेट वाली ब्रा निकालकर पहन ली.. और नीचे संजय ने दिलाई शॉर्ट्स चढ़ा दी.. फिर दरवाजा खोला.. वो संजय ही था.. उसके हाथ में किंग एडवर्ड सिगार का पैकेट था.. देखते ही शीला खुश हो गई.. जॉन और चार्ली की याद आ गई उसे.. खासकर जॉन का गोरा लंड और गुलाबी सुपाड़ा.. !!

नशे में लहराती आवाज में शीला ने कहा "ये बड़ा अच्छा काम किया तूने बेटा.. ये सिगार मुझे बहोत पसंद आ गई है.. अब खाने का कुछ करें!!! जोरों की भूख लगी है मुझे.. "

"हाँ मम्मी जी.. चलिए बाहर जाकर कुछ खाते है.. यहाँ आने के बाद हम बाहर घूमे ही नही है !! कितने घंटों से हम बस कमरे में ही बंद बैठे है "

"कोई बात नही.. वैसे गोवा हो या गुवाहाटी.. बाजार सब जगह एक जैसा ही होता है.. हमे उन अंग्रेजों से मजे करने का मौका मिल गया वो क्या कम था!!"

"हाँ वो तो है मम्मी जी.. चार्ली की चूत का स्वाद अब भी मेरी जुबान पर है.. क्या चीज थी वो.. !! मम्मी जी उसकी गांड का छेद गुलाब जैसे कोमल और लाल था.. देखकर मन हो रहा था की बस उसे चाटता ही रहूँ.. " शॉर्ट्स के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए संजय ने कहा

शीला समझ गई की उसके दामाद का लंड भी भूखा था.. अगर उसे खिलाने गई तो वह भूखी रह जाएगी..

शीला: "संजय बेटा.. पहले बाहर जाकर खाना खा लेते है.. थोड़ी देर और रुके तो तेरे इसको शांत करने में और एक घंटा निकल जाएगा" हँसकर संजय के लंड की ओर इशारा करते हुए उसने कहा

दोनों आजाद पंछी की तरह हाथ में हाथ डालकर गोवा की गलियों में घूमने लगे.. देखकर किसी को भी अंदाजा न हो की दोनों सास-दामाद थे.. नव-विवाहित कपल की तरह दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए चल रहे थे.. चलते चलते एक रेस्टोरेंट पसंद आई.. दोनों अंदर गए और खाना खाते वक्त एक दूसरे को छेड़ते रहे.. शीला अपनी काली ब्रा पहन कर ही बाहर आई थी.. रेस्टोरेंट में बैठे सारे लोग उसे घूर रहे थे.. सब के आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी शीला.. और स्वाभाविक भी था.. इतने बड़े बड़े गदराए स्तनों की मालकिन.. सिर्फ नेट वाली ब्रा पहन कर बाहर निकले तो लोगों की नजर पड़ना जायज थी.. शीला की निप्पल की आकृति भी ब्रा से साफ नजर आ रही थी..

दोनों खाना खाने में मगन थे तभी केमेरे की फ्लेश ने उन्हे चोंका दिया.. एक शख्स उनके बगल वाले टेबल पर बैठकर शीला की तस्वीरे ले रहा था

"अबे ओय.. क्या कर रहा है तू??" संजय उठ खड़ा हुआ..

उस आदमी ने अपनी जेब से आई-कार्ड निकालकर दिखाते हुए कहा "मैं जर्नलिस्ट हूँ सर.. गोवा को कवर करने आया हूँ.. आप फिकर मत कीजिए.. मैं तो फ्रंट पेज पर डालने के लिए किसी आकर्षक सुंदरी की तलाश में था.. आप लोग मुझे परफेक्ट कपल लगे इसलिए तस्वीर ले रहा हूँ.. फ्रंट पेज पर छपेगी.. आप फेमस हो जाओगे"

"अरे हमें नही आना तेरे फ्रंट पेज पर.. समझा.. !! चल डिलीट कर अभी के अभी.. " संजय ने उसे धमकाते हुए कहा.. मन ही मन वो और शीला दोनों डर गए थे.. शीला ने उसके हाथ से केमेरा छिन लिया.. उसे आता नही था फिर भी जो मन में आए वो स्विच दबाने लगी.. संजय से ज्यादा चिंता शीला को थी.. संजय को क्यों ज्यादा फिक्र होती.. नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या..!!! लेकिन शीला के लिए ये बड़ा खतरा था.. जब चारित्र की बात आती है तब लोग मर्द से ज्यादा औरत पर ही उंगली उठाते है.. इसी कारण से तो औरतें मर्दों जितनी बिंदास होकर मजे नही करती.. !!

संजय ने उस फोटोग्राफर का गिरहबान पकड़ लिया.. और उसे एक घुसा मारते हुए कहा "बिना इजाजत हमारी तस्वीर लेने की तेरी हिम्मत कैसे हुई बे, मादरचोद?? " संजय इतनी जोर से गाली बोला की मेनेजर दौड़ते हुए उनके पास आ गया..

मेनेजर: "ओ मिस्टर.. अपनी जबान पर लगाम दीजिए.. आप लोगों का जो भी झगड़ा है वो बाहर जाकर निपटाइए.. चलिए.. गेट आउट.. !! वरना मैं अभी पुलिस को फोन करके बुलाता हूँ.. !!"

बात को बिगड़ते देख शीला ने मेनेजर से सॉरी कहा.. अपनी पलकें झपकाकर इतने प्यार से उसने माफी मांगी की मेनेजर भी पिघल गया.. यही तो होता है चूत और स्तनों का प्रभाव.. !! शीला की ब्लेक नेट वाली ब्रा.. उभरते हुए स्तन.. नजर आ रही गुलाबी निप्पल.. गोरा पेट.. सुंदर चेहरा और ऊपर से वोड्का का नशा.. देखने वालों की नजर को एक पल में कैद कर देती थी शीला..

शीला: "देखिए मेनेजर साहब.. आदमी गुस्सा तभी करता है जब उसके साथ कुछ गलत होता है.. आप मेरे पार्टनर को क्यों धमका रहे हो? आप को उस आदमी को धमकाना चाहिए जो बिना इजाजत आपके कस्टमरों की तस्वीरें खींच रहा है.. " शीला के प्रभावशाली आवाज और अद्भुत सुंदरता से खींचकर वहाँ बैठे और मर्द भी इकट्ठा हो गए.. इस अबला नारी के बचाव के लिए.. कुछ तो बस शीला के स्तनों को नजदीक से देखने के लिए ही आए थे..

सब ने साथ में कहा "ऐसे कैसे बिना पर्मिशन के कोई तस्वीर ले सकता है?? और वो भी लेडिज की.. ये तो गलत है.. कम से कम पूछ तो लेना चाहिए था.." संजय कुछ बोलने गया पर शीला ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा.. साले संजय तू चुप मर अभी.. एक गाली बक दी तो बीस लोग इकट्ठा हो गए.. और कुछ बोला और पुलिस आ गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे.. !! संजय ने सिगरेट जलाई और कोने में खड़े होकर फूंकने लगा.. और बीस लोगों के बीच खड़ी शीला.. ब्रा और छोटी सी शॉर्ट्स पहने अपने जिस्म की नुमाइश करते हुए इस समस्या का समाधान लाने की कोशिश कर रही थी.. किसी भी हाल में वो ऐसा कोई सबूत छोड़ना नही चाहती थी.. आसपास खड़े लोगों के सहयोग से शीला ने केमेरे की सारी तस्वीरें डिलीट करवा दी.. तब जाके उसे तसल्ली हुई..

सारा मामला निपटाकर उसने आवाज देकर संजय को बुलाया.. फटाफट बिल देकर वो दोनों बाहर निकल गए.. और तेजी से चलते हुए अपने रूम पर पहुँच गए.. शीला काफी डर गई थी "संजय.. यहाँ रुकने में भी मुझे तो डर लग रहा है.. हमे अब गोवा छोड़ देना चाहिए.. इससे पहले की कोई ओर मुसीबत आ जाए.. तू चेकआउट करने की तैयारी कर.. "


"ठीक है मम्मी जी.. जैसा आप कहें.. हम चले जाएंगे.. लेकिन जाने से पहले एक जबरदस्त चुदाई तो बनती है " अपनी शॉर्ट्स की साइड से लंड बाहर निकालकर दिखाते हुए संजय ने कहा.. "ईसे आपके स्तनों के बीच रगड़ने की ख्वाहिश भी तो पूरी करनी है.. देखिए ये बेचारा कितना उदास है !!"

Wah vakharia Bhai,

Kya mast update post ki.............Hafiz ne bhi behti nadi me hath dho hi liye...........

Restaurant wale incident se sheela ka maja thoda kirkira ho gaya...............ab dono hi jald se jald goa se nikal lenge............

Keep rocking Bro
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,815
14,790
159
सारा मामला निपटाकर उसने आवाज देकर संजय को बुलाया.. फटाफट बिल देकर वो दोनों बाहर निकल गए.. और तेजी से चलते हुए अपने रूम पर पहुँच गए.. शीला काफी डर गई थी "संजय.. यहाँ रुकने में भी मुझे तो डर लग रहा है.. हमे अब गोवा छोड़ देना चाहिए.. इससे पहले की कोई ओर मुसीबत आ जाए.. तू चेकआउट करने की तैयारी कर.. "

"ठीक है मम्मी जी.. जैसा आप कहें.. हम चले जाएंगे.. लेकिन जाने से पहले एक जबरदस्त चुदाई तो बनती है " अपनी शॉर्ट्स की साइड से लंड बाहर निकालकर दिखाते हुए संजय ने कहा.. "ईसे आपके स्तनों के बीच रगड़ने की ख्वाहिश भी तो पूरी करनी है.. देखिए ये बेचारा कितना उदास है !!"

ds
अपने दामाद का नरम लंड पकड़ते हुए शीला ने कहा "बेटा.. बिना चुदे तो मैं भी जाना नही चाहती.. दिल भरकर तेरे धक्के खाने है.. मेरी चूत को तेरे लंड से पावन करने के बाद ही हम गोवा छोड़ेंगे.. !! अब देर मत कर.. और अपनी मम्मी जी की चूत चाटने की सेवा शुरू कर दे.. "

"आह्ह मम्मी जी.. आपकी तो बातें सुनकर ही मेरा लंड कहीं पिचकारी न छोड़ दे.. " कहते हुए संजय ने शीला को अपनी बाहों में भर लियाया.. छोटे बच्चे की तरह वो शीला के स्तन से चिपक गया.. और नेट वाली ब्रा से एक स्तन को बाहर निकालकर चूसने लगा..

"आह्ह बेटा.. मज़ा आ रहा है.. तेरी जीभ की गर्मी मेरी निप्पल से होते हुए पूरे शरीर में फैल रही है.. देख.. तेरा लंड भी सख्त होकर तैयार हो गया.. इतने सुंदर लंड से चुदने के लिए वैशाली क्यों राजी नही होती ये मुझे समझ में नही आता.. इसे खड़ा हुआ देखकर भी वो कोई रिस्पॉन्स नही देती?"

"रिस्पॉन्स देती है ना.. क्यों नही देती.. मेरे लंड को देखकर ही वो करवट बदल कर सो जाती है"

"पागल है मेरी बेटी.. " कहते हुए शीला घुटनों पर बैठ गई और संजय के गन्ने जैसे सख्त लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.. शॉर्ट्स की साइड से लंड को चूसने में मज़ा नही आ रहा था.. इसलिए उसने खींचकर संजय की शॉर्ट्स जिस्म से अलग कर दी.. और अपनी ब्रा और चड्डी उतारकर फिर से एक बार स्खलित होने के लिए तैयार हो गई.. उसके चेहरे पर उत्तेजना साफ साफ छलक रही थी..

dis
दोनों नंगे होकर एक दूसरे को चूमने और चाटने में व्यस्त हो गए.. संजय ने शीला की चूत पर अपना हाथ जमा दिया और शीला ने संजय के लंड को गिरफ्त में ले लिया..

"मम्मी जी.. अब मुझे अपने दोनों स्तनों के बीच में लंड घुसेड़ने दो.. "

"हाँ हाँ.. घुसा दे.. मैंने कब मना किया तुझे!! आज ये आखिरी चुदाई होगी हमारी.. जो मन करे तेरा.. वो कर ले.. मैं कुछ नही बोलूँगी"

"मम्मी जी.. आपके मन में भी ऐसी कोई विकृत इच्छा हो तो बता दीजिए... गोवा की ट्रिप यादगार बनानी है हमें.. !!"

bbf
-----------------------------------------------------------------------------------------------------

वैशाली और राजेश सर माउंट आबू में.. रेणुका की बर्थडे पार्टी में बियर की चुसकियाँ लेते हुए सिगरेट पर सिगरेट फूँक रहे थे.. राजेश के स्वभाव और पर्सनैलिटी से वैशाली बेहद आकर्षित हो गई थी.. उसने शारीरिक संबंधों के लिए पहले ही मना कर दिया था पर फिर भी राजेश ने बुरा नही माना था.. वैशाली को ये बात बहोत अच्छी लगी राजेश की..

लगभग ग्यारह बज रहे थे.. हर कोई नशे में चूर होकर ट्रिप के मजे ले रहा था.. वैशाली की आँखें भी बियर के नशे में सुरूर से भर रही थी.. इतनी बियर पीने के बाद उसे बड़ी जोर से पेशाब लगी थी.. आखिर जब बात बर्दाश्त से पार हो गई तब वह उठी और राजेश से कहा "एक्स्क्यूज़ मी.. मुझे जाना होगा.. फ्रेश होकर आती हूँ.. आप मेरा वैट करना.. "

"जाना तो मुझे भी है.. चलो मैं भी साथ चलता हूँ.. कहीं तुम्हारे कदम लड़खड़ा गए तो कोई तो चाहिए सहारा देने वाला.. " राजेश ने कहा.. वैशाली शरमा गई.. और नीचे देखने लगी..

"अरे घबराइए नही.. मैं तो जेन्ट्स टॉइलेट में ही जाऊंगा.. तुम्हारे साथ थोड़े ही आने वाला हूँ" हँसते हँसते राजेश ने कहा

"वो तो मुझे भी पता है सर की आप मेरे साथ टॉइलेट में नही आओगे.. चलिए चलते है" वैशाली आगे चाय और राजेश उसके पीछे पीछे.. वैशाली की मटकती गांड को देखकर राजेश की नियत में खोट आने लगी थी.. राजेश की नशीली आँखों में वैशाली की गांड का नशा अलग से जुड़ गया..

पेसेज के आखिर में लेडिज और जेन्ट्स के टॉइलेट अगल बगल में ही थे.. चलते चलते वैशाली के कदम डगमगा गए.. और उसे संभालने के चक्कर में राजेश भी लड़खड़ा गया.. एक दूसरे को संभालते हुए दोनों दीवार का सहारा लेकर खड़े हो गए.. वैशाली के स्तन एक पल के लिए राजेश के हाथों से दब गए.. दोनों एक दूसरे को सॉरी कहने लगे.. और हंस पड़े..

टॉइलेट के पेसेज में दोनों अकेले थे.. हल्की सी रोशनी थी..

"वैशाली, यू आर सो हॉट.. प्लीज एलाऊ मी टू टच योर बूब्स.. सिर्फ एक बार.. मेरी रीक्वेस्ट है.. प्लीज"

"नही सर.. आई कांट डू धिस.. सॉरी.. " वैशाली ने नशे की हालत में भी अपना संयम नही छोड़ा था.. वह दरवाजा खोलकर लेडिज टॉइलेट में घुस गई.. राजेश भी जेन्ट्स टॉइलेट में चला गया.. वह पेशाब करके बाहर निकला और लेडिज टॉइलेट के दरवाजे के बाहर वैशाली का इंतज़ार करने लगा.. तभी लेडिज टॉइलेट का दरवाजा खुला.. एक हाथ बाहर आया और उसने राजेश को अंदर खींच लिया.. एक सेकंड में ही ये सब हो गया..

राजेश कुछ समझ या सोच सके उससे पहले ही वैशाली ने उसे चूम लिया.. उसके मदमस्त उरोज राजेश की छाती से रगड़ रहे थे.. वैशाली इतनी उत्तेजित हो गई थी की राजेश कुछ करे उससे पहले ही उसने हाथ नीचे डालकर उसका लंड पकड़ लिया और धीमे से कान में बोली

"कुछ मत बोलीये.. किसी को पता नही चलना चाहिए की इस क्यूबिकल में हम दोनों है.. एकदम शांत रहिए" वैशाली ने अपना टीशर्ट ऊपर कर दिया और अपने दोनों खिलौने राजेश को खेलने के लिए दे दिए.. मर्द का हाथ उसके स्तनों को स्पर्शते ही वैशाली के चेहरे पर खुमार छाने लगा.. बियर का नशा अपना काम कर रहा था और राजेश का हाथ भी..

v1
राजेश का हाथ वैशाली की गीली पुच्ची तक कब पहुँच गया इसका दोनों को पता ही नही चला.. टॉइलेट की संकरी जगह में वैशाली और राजेश सर दोनों को तकलीफ हो रही थी.. पर दोनों इतने उत्तेजित थे.. जैसे एक दूसरे के जिस्मों को नोच खाना चाहते हो.. राजेश को कब से ललचा रहे वैशाली के बड़े बड़े तंदुरुस्त उरोज.. राजेश ने दोनों हाथों से पकड़कर अनगिनत बार चूम, चाट और काट लिए.. वैशाली को दर्द हो रहा था फिर भी वह चुप थी क्यों की जरा सी भी आवाज उनका भांडा फोड़ सकती थी.. दोनों फटाफट अपनी वासना को तृप्त करने की फिराक में एक छोटा पर रसीला प्रोग्राम कर देना चाहते थे.. जल्द से जल्द हॉल में पहुँचना भी जरूरी थी.. वरना लोगों को शक होने की गुंजाइश थी..

वैशाली ने तुरंत ही अपनी पेन्टी को घुटनों तक सरकाते हुए स्कर्ट ऊपर चढ़ा दिया और फिर उलटी होकर बोली "प्लीज सर.. जल्दी कीजिए.. डाल दीजिए फटाफट" हल्की रोशनी में जगमगाते हुए वैशाली के चरबीदार कूल्हों पर थपकी लगाते हुए राजेश ने उन नितंबों को चौड़ा किया..

"सर वक्त बहोत कम है.. वो सब आराम से बाद में देख लेना.. " उत्तेजनावश अपनी गांड को गोल गोल घुमाते हुए राजेश को आमंत्रित कर रही थी.. राजेश ने वैशाली की कमर को पकड़ा और अपने कड़े लंड को दोनों कूल्हों के बीच में लगाया..

"ईशशश.. सर.. वहाँ नही.. थोड़ा सा नीचे" अपने गांड के छेद पर राजेश के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते ही वैशाली ने सहम गई

"अरे यार.. इतना अंधेरा है.. कुछ दिखना भी तो चाहिए.. " राजेश ने परेशान होते हुए कहा

"सर, आप एक बार जीभ से चाटिए ना.. मुझे बिना चटवाए मज़ा ही नही आता" वैशाली की विनती को सन्मान देते हुए राजेश झुककर नीचे बैठ गया और उसके दोनों चूतड़ों को फैलाकर पहेले गांड और फिर चूत को चाटने लगा.. वैशाली उत्तेजित होकर गांड उछालने लगी.. राजेश तुरंत खड़ा हो गया और वैशाली की चूत में एक धक्के में ही अपना पूरा लंड डाल दिया.. वैशाली सिसकने लगी.. राजेश ने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया और फिर स्पीड पकड़ ली..

ffb

वैशाली के कूल्हों से राजेश की जांघों के टकराने की वजह से आवाज आ रही थी.. जब वो आवाज काफी ऊंची हो गई तब दोनों ने घबराकर गति धीमे कर दी.. और फिर से अपनी लय प्राप्त कर ली.. डरते डरते सेक्स करने का मज़ा ही अलग होता है.. करीब दो मिनट तक ऐसे ही धक्के लगाने के बाद राजेश ने अपने सख्त लंड से आखिर के तीन चार धक्के इतने जोर से लगाए की वैशाली की आँखों में पानी आ गया.. उसेके पेट में दर्द होने लगा.. और साथ ही साथ उसकी चूत भी ठंडी हो गई.. राजेश ने भी चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया..

अंधेरे माहोल की इस चुदाई के बाद वैशाली घूम गई और राजेश के लंड के प्रति आभार प्रकट करते हुए उसे झुककर चूमने लगी.. राजेश ने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया.. राजेश के लंड से खेलते हुए वैशाली ने एकदम धीमी आवाज में उसके कान में कहा "ये रात मुझे ज़िंदगी भर याद रहेगी.. आशा है की आपको भी मज़ा आया होगा.. अगर किस्मत रही तो फिर मिलेंगे.. मैं आपके साथ शांति से समय बिताना चाहती हूँ.. आपका स्वभाव मुझे बहोत पसंद आया.. आशा है की आप मेरी मित्रता का स्वीकार करेंगे.. हमारा शरीर संबंध तो बड़ा ही अनोखा रहा.. लेकिन लौटने के बाद क्या मैं आप से बिना किसी जिस्मानी संबंधों की मित्रता की अपेक्षा रख सकती हूँ ?"

राजेश वैशाली के सुंदर स्तनों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए बोला "वैशाली, हम बड़े अच्छे मित्र बनेंगे.. शरीर का संबंध बने या न बने.. उससे मुझे फरक नही पड़ता.. पर तेरे ये सुंदर स्तनों ने मुझे आज पागल ही कर दिया.. इन्हे दबाने की आशा तो मैं हमेशा रखूँगा ही.. लेकिन ये वादा है मेरा.. की जो भी होगा वो तुम्हारी इच्छा और स्वीकृति से ही होगा.. एक विनती करना चाहूँगा.. तुम्हें कभी भी फिर से ये दोहराने की इच्छा हो तो बेझिझक मेरे पास चली आना.. तुम्हारे जिस्म को पाने के लिए मैं हमेशा बेताब रहूँगा.. और कुछ पाए या न हो पाएं.. एक हल्की सी किस.. थोड़ा सा स्पर्श.. इतना भी मेरे लिए काफी होगा !!"

"ठीक है सर" हँसते हुए वैशाली ने राजेश के होंठों को चूम लिया.. "सर, पहले मैं बाहर देख लूँ.. पेसेज में कोई है तो नही.. मैं इशारा करूँ उसके बाद ही आप निकलना " राजेश अब भी वैशाली के स्तनों को छोड़ नही रहा था.. दबाए ही जा रहा था

"सर अब आप मुझे छोड़ेंगे तो मैं बाहर निकलूँ" वैशाली ने हसनते हुए कहा

"असल में तेरी ब्रेस्ट इतनी आकर्षक है की मुझसे रहा नही जाता.. अब तुमने बिना जिस्मानी संबंधों वाली मित्रता की बात की है.. तो मैं ये सोच रहा हूँ की इन स्तनों दोबारा न जाने कब देखने को मिले.. " राजेश ने कहा

"हम्म.. ओके सर.. ये लीजिए मेरी तरफ से माउंट आबू की ये आखिरी भेंट" कहते हुए उसने राजेश का चेहरा पकड़कर अपने स्तनों पर दबा दिया और उसके लंड को पकड़कर मसल दिया.. फिर वैशाली ने अपने आप को राजेश की गिरफ्त से मुक्त किया और धीरे से दरवाजा खोला.. पेसेज में कोई नही था.. उसने हाथ पकड़कर राजेश को बाहर खींचा.. "सर आप पहले जाइए.. कोई पूछे तो कहना वैशाली टॉइलेट गई है"

"ओह वैशाली.. " कहते हुए राजेश ने एक बार फिर वैशाली के स्तनों को वस्त्रों के ऊपर से ही पकड़कर दबा दिया और फिर न चाहते हुए भी मुड़कर चलने लगा.. वैशाली फिर से अंदर गई.. और नल से पानी लेकर अपनी चूत को धोने लगी.. राजेश के लंड का सारा वीर्य उसने ठीक से साफ किया.. साफ करते करते उसकी मुनिया फिर से चुनमुनाने लगी.. उंगली से क्लिटोरिस को रगड़कर फिर से उसे शांत किया.. अपने स्तनों को ठीक से ब्रा के अंदर दबा दिए.. और अपने बाल ठीक कर दस मिनट बाद बाहर निकली..

जैसे ही वो अपने क्यूबिकल से बाहर निकली.. थोड़े से दूर बने क्यूबिकल का दरवाजा खुला और उसमें से पीयूष बाहर निकला.. पीयूष की नजर वैशाली पर नही थी.. वो तुरंत दरवाजा खोलकर बाहर की ओर भागा.. लेडिज टॉइलेट में पीयूष???? जरूर कुछ खिचड़ी पक रही थी.. पीयूष अंदर किसी के साथ ही घुसा होगा.. साथ जो भी था.. हो सकता है की वो वैशाली के निकलने से पहले ही चला गया हो.. या फिर अभी भए क्यूबिकल के अंदर ही हो? पता करने का बस एक ही तरीका था.. वैशाली बेज़ीन के पीछे लगे बड़े पत्थर के पीछे छुपकर इंतज़ार करने लगी

थोड़ी ही देर में दरवाजा खुलने की आवाज आई.. वैशाली का दिल जोरों से धड़कने लगा.. कौन होगा? कविता? नही नही.. उन दोनों के बीच तो झगड़ा चल रहा है.. जरूर वो रांड मौसम होगी.. वही कब से मेरे और पीयूष के बीच हड्डी बनकर बैठी हुई है.. पीयूष भी कमीना अपनी साली के पीछे लट्टू होकर घूमता रहता है.. उसकी कच्ची कुंवारी चूत को एकबार चोदकर ही दम लेगा वो.. जैसी जिसकी किस्मत.. नुकसान तो कविता को ही होगा.. कविता भी बेवकूफ है.. उसे इतना भी पता नही चलता की जवान कुंवारी बहन को अपने रोमियो पति के साथ घूमने देना ही नही चाहिए उसे.. और मौसम भी एक नंबर की मादरचोद है.. अपने कच्चे बबले दिखा दिखा कर पीयूष को पागल बना देती है.. जैसे स्तन सिर्फ उसके पास ही है.. मेरे मुकाबले में मौसम के छोटे स्तनों की कोई औकात ही नही है..

वैशाली के दिमाग में ये सारे विचार चल रहे थे तभी पेसेज में किसी के आने की चहलकदमी सुनाई दी.. और वो जो भी थी वह फिर से क्यूबिकल के अंदर चली गई और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.. वैशाली के लिए ज्यादा देर तक छुपे रहना मुमकिन नही था.. क्यों की लेडिज टॉइलेट के दरवाजे से अंदर आते हुए वह साफ दिख रही थी..

वैशाली बाहर निकल गई और चलते हुए हॉल में आ पहुंची.. वह आकर राजेश सर के बाजू में बैठ गई.. पर यहाँ से उसे टॉइलेट वाला पेसेज नजर नही आ रहा था.. उसने राजेश से कहा "सर आपको एतराज न हो तो क्या आप मेरी कुर्सी पर आ सकते है.. यहाँ एसी की ठंडी हवा सीधे मेरे सर पर लग रही है"

"ओ स्योर.. " कहते हुए राजेश खड़ा होकर वैशाली की चैर पर बैठ गया और वैशाली राजेश की चैर पर.. अब यहाँ से पेसेज बिल्कुल साफ नजर आ रहा था.. वैशाली थोड़ी थोड़ी देर पर.. राजेश से बातें करते हुए.. नजरें चुराकर पेसेज की ओर देख लेती..

राजेश ने धीमे से वैशाली के कान में कहा "यार वैशाली.. तेरी तो बहोत टाइट थी.. मज़ा आ गया यार.. "

"थेंक यू सर" वैशाली ने शरमाते हुए नजरे झुका ली

वैशाली बेचैन नज़रों से पेसेज की ओर देख रही थी.. उसके यहाँ बैठने के बाद कोई अंदर गया भी नही था और बाहर आया भी नही था.. उसने पीयूष की ओर देखा.. वो तो आराम से म्यूज़िक के ताल पर झूमते हुए बियर पी रहा था.. वैशाली ने ये भी नोटिस किया की पीयूष भी बार बार पेसेज की ओर देख रहा था.. बहोत खुश लग रहा था पीयूष..

ना चाहते हुए भी राजेश की बातों को सुन रही थी वैशाली.. उसका सारा ध्यान पेसेज पर ही था.. वो कौन थी जो उसके पीयूष को अपनी जाल में फंसा रही थी? तभी पेसेज से एक परछाई आती हुई नजर आई.. धीरे धीरे वह परछाई हॉल की तरफ आते देख वैशाली टकटकी लगाकर पहचानने की कोशिश करने लगी..

चेहरा स्पष्ट दिखते ही वैशाली के पैरों तले से जमीन खिसक गई!!! अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था उसे.. !!! नालायक पीयूष.. ये क्या किया तूने? कब से लगा हुआ है इनके साथ? रेणुका और पीयूष?? ओह माय गॉड.. ये मैं क्या देख रही हूँ?? साला ये पीयूष तो खिलाड़ी निकला.. हरामी.. मादरचोद.. एक साथ कितनों को लपेटें रखा है उसने!! कभी मेरे साथ.. कभी मौसम के साथ.. और अब रेणुका के साथ भी.. !!!


Ek ke bad ek aur dhamakedar update

Gazab hi dha rahe aap vakharia Bhai,

Rajesh aur vaishali ki ek quicky ne sama hi bandh diya..................

Vaishali ko ab piush aur renuka ke baare me bhi pata chal chuka he..........

Keep rocking Bro
 
Top