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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
दोनो तोता और मैना का नैन मटका चालू दोनो में प्यार की शुरुआत हो गई है इस पल से
Soto hai, ab aage bhi yahi hoga😂
Thank you very much bhai :hug:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही शानदार और मजेदार अपडेट है
वीर और प्रिया में रोमांस kiss से शुरू हो गया है
सूरज की भी लाइन क्लियर है
Thank you sanju bhaiya ❣️ for your valuable review 🥰 aapne sahi kaha , karyakram chalu ho gaya hai, dekhna ye hai ki kismat unhe kaha lekar jaati hai?
 

Sanju@

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Update 14

सनी : (जोर से) हुरे.ssss..याहु.uuuu सनी की चिल्लाने की आवाज सुन के दूर खड़ी हुई कंचन और प्रिया भी सुनकर उसको देखने लगती है, और उसकी हालत देख कर हंसने लगती है।


कंचन के मुँह से हस्ते हुई एक ही शब्द निकलता है! (पागल !!)

अब आगे:

मनाली की खूबसूरती सबके मन को मोह रही थी, पहाड़ों पर बिखरी हुई बर्फ की चादर, चारो तरफ हरियाली तरह-तरह के पेड़ पोधे सब का मन हर्षित कर रहे थे।


वीर: यार मैंने पता किया है कि यहां से कुछ दूरी पर एक झरना है, और उसके पास में ही एक पार्क और कैफे भी है, चलो हम लोग वहां चलते हैं।


सभी: हा हा क्यू नहीं जब इतनी दूर आये तो पूरा मनोरंजन होना चाहिए।

सभी लोग वहां से कैब बुक करके निकल जाते हैं, गाड़ी उन्हें कुछ 10 किमी. दूर ले जाकर छोड़ देती है, गाड़ी वाला कहता है कि भैया गाड़ी यहां से आगे नहीं जाएगी!! यहाँ से आगे केवल पहाड़ है और पगडंडी है।


सभी लोग आपस में बातें करते हुए पगडंडी से पहाड़ पर चढ़ के आगे की और निकल जाते हैं, आगे जाने पर उन्हें पहाड़ पर बने हुए घर दिखाते हैं, और चारो तरफ की हरियाली को देख कर कंचन प्रिया को बोलती है!



कंचन: यार प्रिया यहाँ की ख़ूबसूरती देख कर मन करता है बस यहीं रह जाऊँ!


प्रिया: हाँ यार तू सही कह रही है !कितनी सुन्दरता और सुकून है यहाँ!


सनी : (तभी सनी बीच में बोलता है,मुस्कानके साथ) बिल्कुल ठीक बोल रही हो कंचन तुम! अगर कहो तो आपन दोनों यहीं बस जाते हैं,


कंचन: तू रुक अभी मार खाएगा मुझसे....कहते हुए उसके पीछे दौड़ते हुए !! सनी भागते हुए कहता है! सोच ले कंचन तुम मेरे साथ खुश रहोगी, और मै, वीर, और प्रिया हम सब साथ ही रहेंगे।
कहता हुआ वाहा से आगे भाग जाता है, उसकी बातें सुनके सब लोग हँसते हैं जबकी कंचन बनावटी गुस्सा दिखती है।


ये लोग ऐसे ही बात करते हैं हमें पहाड़ी रास्ते से नीचे उतारते हुए आगे बढ़ते हैं, जहां झरने की आवाज उन्हें सुनाई देती है। आवाज सुनके वीर जोर से बोलता है!


वीर: प्रिया, सनी, कंचन!! हम लोग झरने के पास ही हैं! ध्यान से सुनो, झरने की आवाज सुनाई दे रही है!


सभी लोग जल्दी जल्दी चलते झरने की और जाने लगते हैं, कोई आधा किलोमीटर चलने के बाद इनके सामने जो नजारा आए वो अति मन-मोहक था।


सनी और प्रिया का तो ध्यान एक साथ चारों और भटक रहा था,
तो वही कंचन और वीर मानो कहीं खो ही गए थे !!
चारो के मुँह खुले के खुले रह गए।


सुप्रिया: यार वीर इस से भी खूबसूरत जगह भला और क्या होगी? कितनी शांति है याहा? जबकी झरने का किनारा भी है। चारो तरफ हरियाली, और झरने के दोनों तरफ हरे-भरे पेड़, और कई तरह के फूल खिले हुए हैं।

क्यू कंचन और सनी सही कहा ना मैंने! कसम से आज तक ऐसा नजारा मैंने कहीं नहीं देखा।


वीर: हाँ सही कहा आपने श्रीमती जी !! ये जगह वाकाई शानदार है. मैं तो हनीमून यहीं मनाने आऊंगा।


प्रिया: (प्रिया के गाल लाल हो जाते हैं सुनके!) जरूर आना तुम्हारी इच्छा!

एक मिनट!

तुमने अभी क्या कहा? श्रीमती ??? रुक तेरी तो...... वीर हंसते हुए हुए सनी को इशारा करता है, और दोनों भागते हुए टी-शर्ट निकाल कर बैग को तरफ फेंकते हैं और तपाक से झरने के नीचे भरे हुए पानी में कूद जाते हैं।


“आ जा मेरी चिकुड़ी”
अब पकड़ के दिखा!!


प्रिया: तुझे तो देख लुंगी तोते!

सनी: आजाओ यार तुम भी नहाओ इस झरने का पानी बहुत सुकून देता है ।


प्रिया: ना ना.. हम नहीं नहाएंगे! पानी बहुत ठंडा है!


वीर: सनी सही कह रहा है प्रिया! ये पानी बहुत बढ़िया है. ज़्यादा ठंडा नहीं है यार संकोच मत करो और नहा लो, ऐसा मोका बार-बार नहीं मिलेगा, हम यहां रोज-रोज घूमने तो नहीं आएंगे ना!!


प्रिया कंचन की और देखती है! कंचन कुछ सोच के हा का इशारा कर देती है, तो प्रिया बोलती है कि हमें तुमलोगो के साथ नहाने में थोड़ी शर्म आती है।


वीर: ऐसी कोई बात नहीं है यार हम कोई तुमको खाने वाले नहीं हैं।
रही बात साथ नहाने की तो एक काम करो वो चट्टानें दिख रही है ना उसके पास नहा लो वो जगह थोड़ी दूर है यहाँ से।


दोनों लड़कियाँ हामी भारती हैं, और उधर चली जाती हैं। पानी की ठंडक तन में महसूस करते ही एक ताजगी का एहसास इनके के तन बदन में समाहित हो गया!

कुछ देर तक पानी में अठखेलियां करती रही प्रिया और कंचन का ध्यान अचानक दूर पानी मे तैर रहे एक सांप पर गया तो दोनों के मुंह से एक साथ चीख निकल गई...

सांप...सांप...

जिसे सुनके अर्ध-नंगे शरीर ही वो दोनो पानी में तैरते हुए उनके पास पहुचे!

सनी और वीर को देखते ही प्रिया और कंचन जल्दी से उनके गले लग जाती है!

प्रिया वीर के और कंचन सनी के गले लग कर चिल्लाती है, "सांप-2"


वीर: कहा है बताओ तो??


दोनो: उस-और है!

वीर प्रिया को हटा कर उधर जाने लगता है, लेकिन प्रिया उसे वापस पकड़ कर उससे लिपट जाती है।


प्रिया: नहीं वीर तुम मत जाओ काट लेगा वो, मैं तुम्हें नहीं खो सकती, चलो बाहर निकलो पानी से!

वीर: देखो प्रिया ऐसा कुछ नहीं है, वो भी एक जानवर है, चला जाएगा अपने आप! तुमने देखा नहीं क्या वहां दूसरी तरफ और भी लड़के लड़के नहा रही है ! कोई ख़तरा नहीं है यहाँ।

अगर यहां डर लग रहा है तो चलो उधर चलते हैं जहां हम नहा रहे थे।

चारो वहां से दूसरी जगह चले जाते हैं जहां पहले वीर और सनी नहा रहे थे। जब सारी स्थिति सामान्य होती है, तो प्रिया का ध्यान अपनी, कंचन की और वीर और सनी की हालत पर जाता है।

जिसे देख कर वो कंचन की और देखती है और सरमा जाती है, दोनों के गाल गुलाबी हो जाते हैं।


उन्हें देख कर वीर और सनी भी मामला समझ जाते हैं। वीर के मुंह से 2 शब्द निकलते हैं प्रिया को देख कर:



अगर फ़ुरसत मिले पानी की लहरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हजारों साल का अफ़साना लिखता है” “हम इंतिज़ार करें हमको इतना ताब नहीं, पिला दो तुम हमें लब, अगर शराब नहीं”



प्रिया : इतना सुनते ही वीर के सीने से सरमा के लिपट जाती है और मुक्का मारती है, उसके मुँह से निकलता है, “बेशरम तोते!!”


उधर इन दोनो की बाते सुन रहे सनी और कंचन का भी जवान खून और माहोल की रवानी में बहकते हुए सनी ने नजरे झुकाए हुए कंचन का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी और खींच लिया।


कंचन के पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है, वो नजरे झुके हुए गुलाबी गालों के साथ अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है, जबकी उसकी कोशिश में दम नहीं था ये सनी समझ चुका था।



सनी उसको अपनी और खींच लेता है, कंचन अमर बेल की तरह सनी से लिपट जाती है, उसकी सांसे तेज चलने लगती है! यहीं हाल सनी का भी था, उसका भी दिल जोरों से धड़क रहा था, वह भी डरता-डरता अपने दोनों हाथ अपने सीने से लगी हुई कंचन के दोनो और से लपेट लेता है।


सनी जब ये देखता है कि कंचन उसके सीने से लगी हुई शरमा रही है, और कोई रिप्लाई नहीं दे रही है तो वो समझ जाता है कि मामला क्या है? 😀

उसने भी धड़कने दिल से कंचन के चेहरे को पकड़ कर ऊपर उठाया।


सनी: कंचन मेरी आँखों में देखो!


कंचन: नहीं सनी मुझे शर्म आती है! और प्रिया और वीर भी तो यहीं हैं।


वीर: ना भाई ना!! हमने कुछ नहीं सुना, हम दोनों दूसरी और जा रहे हैं,


चल प्रिया। ये सुनकर सनी सिर्फ मुस्कुराता है! और वीर की तरफ इशारा करता है, जो प्रिया भी देखकर हस्ती है।
तभी कंचन तपाक से बोलती है !!


कंचन: नहीं नहीं उसकी जरुरत नहीं है. ये सनी बस पागल है और कुछ नहीं।


इतना कह कर कंचन सनी से अलग होने लगती है, तभी सनी उसको वापस पकड़ कर एक झटका देता है और वो फिर से उसके सीने से लग जाती है।


सनी उसका मुंह पकड़ कर ऊपर उठाता है, दोनों की नजरें मिलती है, और दोनों एक दूसरे मुझे खो जाते हैं. धीरे-धीरे उनके चेहरे के पास आने लगते हैं, और कुछ ही पल में दोनों के लब-से लब टकरा जाते हैं।


दोनों एक गहरे चुम्बन में डूब जाते हैं। जिस में किंचित मात्र भी वासना नहीं होती है, होता है तो बस केवल निश्चल प्रेम।


उधर उनको देख कर वीर का मन भी बहकने लगता है, और वो भी प्रिया की और प्रेम भरी दृष्टि से देखता है, जिसे देख कर प्रिया समझ जाती है, और शरमाते हुए वहाँ से जाने लगती है !!


ये देख कर वीर आगे बढ़कर उसे पकड़ लेता है और बोलता है!

"प्रिया"

मैं तुझे बचपन से बहुत प्यार करता हूँ! और तुझे कभी खोना नहीं चाहता, इसी लिए आज तक ईस राज को अपने सीने मे दबाए रखा है।।


प्रिया: सच! क्या तुम सच बोल रहे हो वीर! (ये कहते हुए प्रिया की आँखों में पानी आ जाता है)
मैं भी तुम्हें बचपन से ही पसंद करती हूँ, और जाने कब वो पसंद प्यार में बदल गई मुझे भी नहीं पता लगा।


बातें करते-करते दोनों एक दूसरे से गले लग जाते हैं, और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए खो जाते हैं।


अचानक किसी पक्षी की आवाज सुनकर वीर की तंद्रा टूटी और वो इधर-उधर देखता है, तो सनी और कंचन को चूमते हुए देख कर ना जाने वीर को क्या होता है!!!


वो सुप्रिया को पकड़ कर बेतहाशा चुम्बन करने लगता है, प्रिया भी आपको रोक नहीं पाई और वह भी वीर का साथ देने लगती है।


प्रिया रघुवीर से कहती है : मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ वीर !!

रघुवीर भी कहता है: मैं भी बहुत प्यार करता हूँ “प्रिया” पर हमारी दोस्ती ख़राब ना हो इस लिए कभी कहा नहीं, फिर दोनों गले लग जाते है।


“दोस्ती प्यार में बदल गई”



जारी है...✍️
बहुत ही प्यारभरा और लाज़वाब अपडेट है
मनाली की वादियों में झरने के पानी में काफी दिनो से दिल में दबा प्यार आखिर कर जुबान पर आ ही गया और वीर और प्रिया ने अपने दिल की बात कह कर अपनी दोस्ती को प्यार में बदल दिया
संजू ने भी कंचन से अपने प्यार का इजहार एक kiss से कर दिया
 

Raj_sharma

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बहुत ही प्यारभरा और लाज़वाब अपडेट है
मनाली की वादियों में झरने के पानी में काफी दिनो से दिल में दबा प्यार आखिर कर जुबान पर आ ही गया और वीर और प्रिया ने अपने दिल की बात कह कर अपनी दोस्ती को प्यार में बदल दिया
संजू ने भी कंचन से अपने प्यार का इजहार एक kiss से कर दिया
Thank you very much for your wonderful review Sanju@ bhai 🥰
 
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कई वर्ष पहले अमिताभ बच्चन साहब की एक मूवी देखी थी । उस मूवी मे एक गीत था - " दिल्लगी ने दी हवा , थोड़ा सा हवा उठा और आग जल गई , तेरी मेरी दोस्ती प्यार मे बदल गई । "
जरूर इस कहानी का शिर्षक आपने इस गीत से ही प्रेरित होकर रखा होगा । लेकिन उस फिल्म मे काफी सारे ट्विस्ट थे , एक लावारिस का संघर्ष था और लव स्टोरी मे बिछड़ना और मिलने का ड्रामा था ।
यहां पर फिलहाल कोई ट्रेजेडी जैसी चीजें अबतक दिखाई नही दी है और आपने पहले ही रीडर्स को बता दिया है कि इस स्टोरी का ' द एंड ' हैप्पी हैप्पी ' वाला है ।
जबकि किसी भी स्टोरी या फिर फिल्म मे सबकुछ शुरुआत से लेकर अंत तक ' वाह वाह ' नही होता । कुछ ट्रेजेडी , कुछ फैमिली ड्रामा , कुछ सस्पेंस तो अवश्य ही होता है ।
और हमे उसी ट्विस्ट का इंतजार है ।

खैर , दोनो लव वर्डस् अपनी अपनी मुहब्बत का इजहार कर चुके हैं और किसिंग - चुम्बन भी इनके बीच हो चुका है । भई , वातावरण एक हिल स्टेशन का हो , दो प्रेमी युगल हों और इजहारे मुहब्बत हो चुका हो तब फिर क्या ही कहना !
बहुत खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

sunoanuj

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Bhaut he jabardast romantic story.. college ke dino main vapas le gaye mitr is update main 👏🏻👏🏻👏🏻
 

sunoanuj

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Har ek naya aane wala updates kahani ko ek naye level par le jata hai.. romance se bharpur adhbhut likh rahe ho mitr …. 👏🏻👏🏻👏🏻
 

sunoanuj

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Waiting for next blockbuster update….
 
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