Superb update bro.. Kya mast likha h aap ne but bhai salini or anuj ka bhi kuch karwao na anuj k sath esi nainsafi kyu kar rahe ho bhaiUPDATE 186 A
लेखक की जुबानी
इधर जब राज के कमरे से उसके नाना बाहर आये तो हाल मे सारे मर्द जन बैठे हुए थे ।
शादी को लेके बाते चल रही थी कि कुछ ही बाद शिला नहा कर कपडे बदल कर राज के कमरे से बाहर निकली ।
भिगे बालो और ताजी गोरी स्किन , उसपे से कसा हुआ कुर्ती और लेगी मे अपनी बहन को देखकर जंगी ने अपने भाई रंगी को हल्का सा कोहनी से मारते हुए शिला की ओर तकाया ।
नजर पड़ते ही रन्गी का भी मुसल सर उठाने लगा , तभी वो बालटी के कपड़े लेके उपर छत पर जाने लगी ।
जंगी रंगी के पास होकर उसके कान भुनभुनाती हुई आवाज मे - भैया पक्का दीदी ने पैंटी नही पहनी है आज
रंगी मुस्कुरा कर- कैसे पता तुझे
जंगी - उनकी पैंटी तो मेरी जेब मे है हिहिहिही
रंगी ने उसको आंख दिखाई और खुद भी मुस्कुरा पड़ा ।
इधर शिला कमरे से आई तो उसकी नजर सीधा बनवारी से टकराई और वो लजाती हुई मुस्करा कर जीने से उपर जाने लगी ।
शिला का यूँ मुस्कुराना बनवारी के लिए सिगनल जैसा था , उसने शिला के उपर जाने का इंतजार किया और राज के बारे मे पुछ कर उपर चला गया क्योकि अभी अभी अनुज और राज उपर ही गये थे ।
बनवारी सीढियां चढ कर उपर हाल मे आया और उसी समय राज बाल्किनी मे खड़ा अनुज से बाते कर था उसने बारी बारी शिला बुआ और फिर अपने नाना को उपर जाते देखा तो उसे कुछ शक हुआ ।
क्योकि राज अपने नाना के नियत से बखूबी वाक़िफ़ था और शिला बुआ भी कम नही थी ।
राज ने अनुज से जल्दी से बात खतम की और उसे नीचे भेज दिया ।
खुद दबे पाव उपर चला गया
चुकि हल्की शाम ढली हुई थी और उपर साफ सफाई नही हुई थी तो सारे लोग थके हुए थे तो सब कमरो मे निचे ही थे ।
राज चुपचाप बिना आहट के जीने के दरवाजे पर पहुचा और बाहर आकर धीरे से बाथरूम की ओर देखा तो वहा शिला बुआ और उसके नाना खडे थे ।
शिला बुआ बालटी से झुक कर अपनी बड़ी सी गाड़ फैलाई हुई कपडे निचोड रही थी और वही पीछे से उसके बाउंडरी वाल से खुद को टिका कर अपना मुसल मसलते हुए शिला से बाते कर रहे थे ।
शिला - अरे बाऊजी आप खामखा परेशान हो रहे है , मुझे कोई दिक्कत नही हुई
बनवारी शिला की कसी हुई गाड़ पर चढ़ी हुई लेगी को निहारता हुआ - हम्म लेकिन बेटी अन्जाने मे मुझसे कुछ गलत हो गया है ।
शिला - क्या !!
बनवारी - अह वो मै कैसे बताऊ तुझे , तु बुरा मान जायेगी और ना जाने मेरे बारे मे क्या सोचने लगे ।
शिला कपडे डाल चुकी थि और वो बालटी लेके वापस जीने की ओर आने लगी - बाऊजी आप कहिये ना , अब ऐसे मै क्या बोलूंगी ।
राज वहा झट से निचे आ गया और अनुज के कमरे मे चला गया ।
वही सीढियों से उतरते हुए बनवारी बस शिला को उलझाये हुए रखा था
वही शिला उपर के हाल मे आगयी थी और बालटी साइड रख कर रख स्टोर रूम की ओर बढ़ गयी ।
बनवारी भी उसके पीछे पीछे चल दिया
शिला इतराती हुई स्टोर रूम का दरवाजा खोलकर कमरे मे घुस गयी - आपके पास मोबाइल है बाऊजी , मुझे कुछ समान निकालना है , यहा की लाईट खराब है ।
बनवारी ने अपनी जेब से अपना की-पैड मोबाइल निकाल कर उसका टॉर्च जला कर दिया ।
शिला उस छोटे मोबाइल को देख कर थोडा हसी और फिर बोली - देखीये बाऊजी जब तक आप खुल के बोलोगे नही मै आपकी मदद नही कर सकती हु ।
बनवारी शिला के पीछे खड़ा होकर - दरअसल शिला बेटा वो जब मै तौलिये से अपना मुह पोछ रहा था तो ...!!
शिला जहा खडी थी वही रुक गयी - हा तब क्या ??
बनवारी- बेटा गलती से मैने तुम्हारा वो देख लिया था
शिला बनवारी के जस्त बगल मे खडी थी और इधर उधर टॉर्च जला कर समान खोजने के बहाने ये जाहिर कर रही थी कि उसके लिए वनवारी की बाते उतनी मायने नही रखती ।
शिला उसकी चुप्पी पर - क्या हुआ बाऊजी बोलिये , क्या देखा आपने उम्म्ं
बनवारी हकला कर - वो बेटा वो , आह्ह नही मै नही बोल सकता
शिला वही बगल मे टॉर्च जलाती हुई समान खोजती हुई ऐसा जताया कि उसे बनवारी की बातो को लेके जरा ही इल्म नही है ये इग्नोरेन्स बनवारी की खलबली और उसके दिल की बेताबी को और बढा रहा था
शिला - बोलिए ना जल्दी
बनवारी को कुछ सुझा नहि और उसने हाथ आगे बढ़ा कर शिला की कुर्ती के उपर से उसकी चुत पर उंगलियाँ रखते हुए बोला - ये !!
शिला का जिस्म कपकपा गया और वो सिहर गयी - उह्ह्ह बाऊजी हटाईए क्या कर रहे है सीईईई
शिला की मादक सिसकी ने बनवारी को हिम्मत दी और उसने कुर्ती के उपर से बुर को उंगलियो से दबाते हुए कहा - इसी की वजह से परेशान हु बेटी मै तबसे
शिला - उम्म्ंम बाउउउजीईई अब आप मुझे परेशान कर रहे है उम्म्ंम्ं सीईईई आह्ह
बनवारी समझ गया कि शिला गरम हो रही है - बेटा तुझे मेरी सम्स्या दुर करनी पड़ेगी , मै मिन्न्त करता है
शिला - क्याह्ह करना है बाऊजी उम्म्ं
बनवारी ने शिला की कलाई पकड कर उसका हाथ अपने तने हुए मुसल पर रखते हुए कहा - इसको बैठा दे बेटी , मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है । शादी वाले घर मे ऐसे कब तक मै छिपाता फिरू, मुझे बहुत लाज आ रही है ।
शिला ने धोती के उपर से बनवारी के मोटे मुसल को हथेली मे भर कर उसको सहलाते हुए - अह्ह्ह बाऊजी नहीईई उम्म्ंम ये मै कैसे अह्ह
बनवारी- बेटा तुझे मेरी कसम है , मान जा ये बात किसी को नही पता चलेगी प्लीज उह्ह्ह
शिला - हम्म्म्म
फिर शिला अन्धेरे मे निचे बैठ कर धोती उठाते हुए मुसल बाहर निकाला और उसकी तपिश अपने पूरे जिस्म मे मह्सूस कर रही थी ।
शिला ने चमडी आगे पीछे की और मुह खोलते हुए आधा लन्ड भर लिया
बनवारी- अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम्ं सीईई बहुत राहत है उम्म्ं सीई उफ्फ्फ और चुस बेटी उम्म्ं ऐसे ही
इधर शिला ने बनवारी का मुसल चुस रही थी वही स्टोररूम के दरवाजे पर कान लगा कर खड़ा राज बाहर अपना लन्ड मसलता हुआ मुस्कुरा रहा था ।
वही शिला अपने जीभ की टिप से सुपाड़े के निचे की नसे कुरेदते हुए वापस मुह मे लन्ड भरके चुसने लगी
बनवारी- आह्ह बेटी उम्म्ं तेरा खसम तो बहुत नसीब वाला है उह्ह्ह क्या मस्त चुस्ती है तुह्ह्ह ओह्ह्ह बेटीऊहह
शिला लगातार बनवारी के लन्ड की चुसाई कर रही थी
बनवारी- आह्ह बस बस बेटा रुक जाआह्ह ओह्ह्ह उम्म
शिला ने रुक गयी और मुह से लन्ड निकाल दिया और सोचने लगी कि क्या हुआ क्यू बाऊजी ने रोक दिया
बनवारी ने उसे हाथ पकड कर उठाया और मोबाइल के टॉर्च की रोशनि मे एक बक्से के उपर बक्सा रखा हुआ था ,,झुकने के लिए पर्याप्त उचाई थी
बनवारी - बस बेटा यहा आजा
शिला - उम्म्ं न्हीई बाऊजी वो मै कैसे
बनवारी- बेटा ये ऐसे नही शान्त होगा और मै ज्यादा समय नही लूंगा
शिला -प्लीज बाऊजी किसी से ..।
बनवारी - नही नही बेटा कभी नही
शिला मुस्कुरा कर अपनी कुर्ती उठाते हुए बनवारी के आगे अपनी गाड़ फैलाती हुई लेगी सरकाने लगी ।
बनवारी पीछे खड़ा होकर मोबाईल के टॉर्च की हल्की रोषनी मे शिला की चमकती चर्बीदार गाड़ निहारते हुए अपना लन्ड मसल रहा था और तभी शिला ने आगे झुकते हुए अपनी गाड़ फैला दी
जिससे उसकी गाड़ के साथ साथ उसकी बुर के फाके भी दिखने लगे , जिस्पे बजबजाई रस की बुंदे उस हल्की टॉर्च की रोषनी मे झलक रही थी
बनवारी ने टॉर्च को वही पास के एक ट्रंक पर रखा और अपने सुपाड़े पर थुक लगा कर उसको शिला के बुर के मूहानो पर लगाते हुए हल्का सा जोर दिया
शिला हल्की सी मादक सिसकी ली औए तभी उसे बनवारी का लन्ड आधे से ज्यादा उसकी बुर की चिरता भितर घुसता मह्सूस हुआ , उसकी तेज चिख उसके मुह मे घूंट कर रह गयी
बनवारी शिला की मुलायम गर्म चुत की गहराई मे दो धक्के ल्गाता हुआ पहुचा
शिला - ऊहह बाऊजी कितना गरम है उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह आराम से उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
बनवारी- हा बेटी तेरी बुर भी भट्टी जैसे तप रही है उह्ह्ह लेह्ह्ह अब्ब्ब
बनवारी ने शिला की कमर पकड कर कस कस के धक्के लगाने लगा
शिला - उह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम कितना ब्डा है आपका ओह्ह्ह माह्ह्ह फ्क्क्क मीईई उह्ह्ह सीईई ओह्ह येस्स्स उम्म्ंम सीई
बनवारी शिला के इंग्लिश संवाद पर मस्त होता हुआ और जोश के साथ पेलता हुआ - ओहो तु तो अंग्रेजन मैडमो जैसे बोल रही है उम्म्ंम्ं अह्ह्ह बेटा सच मे बहुत मुलायाम तेरी बुर है उह्ह्ह्ह
शिला - हा बाऊजी तो पेलो ना कस के उह्ह्ह ऐसे ही और घुसाओ आपका हथियार बहुत कड़ा है ऊहह और चोदो उन्म्ंं
बनवारी को उम्मिद नही थी कि शिला ऐसे इतनी गरम हो जायेगी और वो भी कस कस के धक्के लगाता हुआ - बेटा वो अंग्रेज वाली मैडम जैसा बोल ना उह्ह्ह मजा आ रहा है जैसे लग रहा है कि किसी विदेशी रन्डी के बुर पेल रहा हु मै उह्ह्ह बेटा
बनवारी ने सीधे सरल शब्द भी शिला के जिस्मो मे सिहरन कर देते थे और इसके मोटे लन्ड के साथ ये मजा दुगना था - ओह्ह बाऊजी फक्क्क मीई हार्ड फ्क्क माय पुस्सीई ऊहह ऊहह येस्स्स्स येस्स्स फ़क फ्क्क्क फ्क्क मिह्ह्ह ऊहह बाउजीई पेलिये अपनी विदेशी रन्डी कोह्ह्ह उन्न्ं
ये बोल कर शिला जोर जोर से अपनी बुर बनवारी के लन्ड पर फेकने लगी ,
शिला के कामुक शब्दो और उसकी उछलते गाड़ की मादक रग्डाई से बनवारी से रहा नही गया
और बनवारि का फब्बरा शिला की बुर मे ही फूट पड़ा वो अपने लन्ड को शिला की बुर के जड़ मे ले जाकर झटके खाने लगा - ऊहह बेटी ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा हु मै
शिला ने भी भीतर से चुत का छल्ला बनवारी के मुसल पर कसती हुई लन्ड निचोडने लगी और आखिर बूंद तक चुत मे भर लिया
बनवारी वही अनाज की वोरियो का सहारा लेके हाफने लगा और शिला ने एक पुरानी गठरी से कपडे खिच कर अपनी बुर पोछते हुए अपनी लेगी चढा ली ।
शिला - चले बाऊजी
बनवारी- और वो समान जो तु लेने आई थी
शिला मुस्कुराई - लिया तो अभी
बनवारी- मतलब
शिला - अरे वो मै भाभी से पुछना पडेगा
बनवारी- बेटा शुक्रिया तेरा
शिला - हम्म्म ठिक है वैसे इस उम्र मे आप भी कम नही है
बनवारी ने शिला की चर्बीदार गाड़ मसलता हुआ - कम तो तु भी नही है उम्म्ं
शिला - धत्त छोडिए अब
बनवारी- अच्छा सुन , रात मे भी एक बार क्या तु
शिला हस कर - वही रात की ही तो व्यवस्था करनी है
अभी यहा किसी का कुछ कन्फ़र्म नही है , शायद सारे मर्द जनो को बगल वाले घर मे सुलाया जाये , इसीलिए मुझे बिस्तर निकलवाना है
बनवारी चौका - क्या , लेकिन क्यू?
शिला - वो अपनी लाडो रागिनी से पुछो हिहिही मै चली
फिर शिला कमरे से बाहर निकल आई और राज काफी पहले ही निचे जा चुका था क्योकि उसको उस्के पापा ने फोन कर दिया था ।
वही निचे रागिनी निशा को लेके बगल चंदू के घर मे मर्दो के सोने की व्यवस्था के लिए कमरे से निकाली तो कमलनाथ भी निशा के साथ कुछ पल बिताने के इरादे से मदद के बहाने उन्के साथ हो लिया ।
निशा भी इतराई की मौसा जी अब उसके पीछे लग चुके थे ।
चंदू के घर मे सबसे आगे एक शटर वाला कमरा था हाल नुमा जिसमे कोचिंग क्लास चलती थी लेकिन शादी के नाते फिलहाल उसको भंडारीयो के हवाले कर रखा था और खाना बनाने का काम हो रहा था ।
बगल के लम्बे गलियारे से वो हाल पार करने पर दो कमरे मे थे जिनमे से हाल से सटे हुए कमरे की एन्ट्री हाल से थी और आखिर वाले कमरे की एन्ट्री गलियारे से ही थी ।
फिर जहा गलियारा खतम होता था वहा एक बड़ा सा आंगन था , जिसके एक तरफ दो चौकीयां डाली हुई थी और दुसरी तरफ जीने के नीचे नल और पानी का मोटर सेट था ।
ये वही जगह थी जहां रज्जो और रन्गी-जंगी का थ्रीसम हुआ था ।
आंगन के पीछे भी आखिर मे दो छोटे छोटे कमरे अगल बगल थे ।
रागिनी ने कमरे और उनमे रखी चौकियां गिनी ।
रागिनी - निशा , ये कमरे तो साफ ही है मगर एक बार और थोडा सफाई कर लो , मै बिस्तर भेजवा रही हूं
निशा - जी बड़ी मम्मी
रागिनी - आह्ह आप जीजा जी जरा निशा की हैल्प कर देंगे ये चौकिय सेट करवा दीजिये
कमलनाथ - हा रागिनी तुम फिकर ना करो
फिर रागिनी चली गयी और कमलनाथ की धड़कने तेज हो गयि ।
दोनो की सासे चढ रही थी दोनो भीतर से बेताब थे मगर इग्नोर कर रहे थे खुद को ।
निशा - मौसा जी इसको पकदिये थोडा बीच मे करा दीजिये ताकी पंखे का हवा आ सके
निशा आगे बढ़ी की काठ की चौकी के कोने पर उसकी एक तरफ काँधे पर रखी हुई लम्बी चुन्नी का किनारा फस गया और वो जहा थी वही रुक गयी
महंगी ड्रेस खराब ना हो और मौसा का माहौल भी गरम कर दिया जाये ये सोच कर निशा ने अपने डीप गले वाले सूट से अपनी चुन्नी उतारते हुए उसे कमरे की दिवाल हैनगर पर टांग दिया और चौकी की एक ओर आके झुक कर दोनो हाथो से चौकी को पकड़ा - हम्म्म मौसा जी पकड़ो
कमलनाथ ने पलके झ्पकाय बिना निशा के गहरे गले वाले सूट से झांकती उसकी पपिते जैसी मोटी चुचियो को लटकते देखा और उसका मुसल फड़क उठा ।
उस्ने मुस्कुरा कर चौकी उठाया और बीच मे ले आया फिर वो पीछे के दोनो कमरो मे गये वहा भी सफाई के साथ साथ चौकिया ठिक की ।
फिर निशा अपना दुपट्टा वही छोड़ कर बाहर भण्डार वाले हाल से होकर अन्दर वाले कमरे मे चली गयी और कमलनाथ भी पीछे उसके हिलते चुतड निहारता चला गया ।
यहा का कमरा बडा था और दो चौकिया आराम सेट हो सकती थी ।
निशा ने बारि बारि से कमलनाथ की मदद से चौकिया सेट करवाई और फिर हाफते हुए वही चौकी पर पंखे के निचे बैठ गयी - उफ्फ्फ बहुत मेहनत हो गयी हिहिहिही है ना मौसा जी
कमलनाथ - हा भाई तुमने बहुत हिम्मत दिखाई , वरना मैने तो लड़कियो को ऐसे काम करते नही देखा भाई
निशा ने आगे झुक कर अपने सूट का निचे का हिस्सा उपर करके अपना मुह पर आये पसीने को साफकरते हुए - उफ्फ़ कितनी गर्मी होने लगी ।
ऐसा करने से कमलनाथ को निशा का गोरा पेट और उसकी प्लाजो की इलास्टीक से जस्ट उपर उसकी गुदाज नाभि देखी ।
कमलनाथ के मुह मे पानी आ गया ।
अगले ही पल निशा ने सूट निचे कर लिया - ह्ह चलिये चलते है
कमलनाथ कुछ बोल ना पाया और दोनो बाहर चले आये
निशा बाहर आते ही अपने सीने को टटोला - अरे मेरा दुप्प्टा कहा है
कमलनाथ - अरे वो पीछे कमरे मे ही रह गया रुको बेटा मै ले आता हु
निशा भी उसको रोकने की कोसिस करती है मगर कमलनाथ तेजी से गलियारे से होकर चला जाता है
निशा भी उस्के पीछे हो लेती है क्योकि वो समझ रही थी कि कमलनाथ के उसकी चुन्नी से कुछ तो अरमान होंगे ही
उस्का शक सही निकला , कमरे मे कमलनाथ निशा की चुन्नी के एक छोर को एक हाथ को अपने नथुनो पर भर कर सूघ रहा था तो दुसरे हिससे को कस पर अपने तने हुए मुसल पर दबा रखा था ।
निशा मुस्कुराई औए खिलखिलाकर - बस करिये मौसा जी इतना भी परफ्युम नही है इसमे
कमलनाथ हड़बडाया और बात को घुमाता हुआ - नही इसकी खुस्बु अच्छी है , सोच रहा हु रज्जो के लिए यही परफ्युम लूँ ।
निशा ने कमलनाथ के हाथ से चुन्नी लपकी और अपने सीने पर ओढ़ते हुए इतरा कर बोली - फिर तो भूल ही जाओ
कमलनाथ - क्यू?
निशा - इसमे मेरी खुस्बु है किसी परफ्युम की नही और मुझे कैसे शिसी मे बन्द करोगे हिहिहिही
कमलनाथ - क्या तुम भी मै नही मानता
निशा मुस्कुराई "लिजिए आईये सूंघ लिजिए यहा "
निशा ने कमलनाथ को अपने कन्धे गरदन के पास दिखाया
कमलनाथ की सासे तेज हो गयी और वो पास आके एक गहरी सास ली । उसे वही खुस्बु मिली जो निशा की चुन्नी से आ रही थी और उसने जैसे ही सास वापस छोड़ी ।
कमलनाथ के नथुनो से निकाली गर्म सासों ने निशा के जिस्म को गनगना दिया और उसकी आंखे एक मादक सिसकी ये बन्द हो गयी ।
कमलनाथ- उम्म्ंम बेटा सच मे तेरे बदन से गजब की खुशबू आ रही है , जैसे हिरण से कस्तुरी की ।
निशा लाज से शर्माई और हस कर बोली - बस किजीए मुझे शर्म आ रही है ,
कमलनाथ ने एक बार और निशा के करीब आकर उसके गरदन के पास होकर अपने नथुनो मे सास भरी - उम्म्ंम्म्ं क्या मस्त मदहोश कर देने वाली खुस्बु है ,
निशा हस कर - मौसा जी आपको ये मदहोशि भारी पड जायेगी , जरा पैंट सही कर लिजिए हाहाहाहा
कमलनाथ ने एक नजर निचे तने हुए मुसल पर डाला और उसे निशा की ये शरारत अच्छी लगी ।
कमलनाथ - सच कह रही हु बेटा , ये तुम्हारे बदन की खुशबू का ही असर हो रहा है मुझ पर
निशा हस कर - छीई धत्त , आपको शर्म नही आती मै आपकी बेटी जैसी हु
कमलनाथ मदहोश भरे लहजे मे - ये तो नोर्मल बात है बेटा , कि स्त्री को देख कर पुरुष का कामुक हो जाना और मैने तो तुम्हारे साथ कुछ जबरदस्ती तो नही की ।
निशा - हा वो ठिक है लेकिन प्लीज इसको सही कर लिजिए , ऐसे बाहर जायेंगे तो किसी का ध्यान पड गया तो मेरे उपर ऊँगली उठेगी ना
कमलनाथ - हा बेटा ये बात सही कह रही हो तुम , रुको मै इसको आह्ह बस्स्स एकह्ह मिंट उम्म्ंम अह्ह्ह
कमलनाथ वही निशा की ओर पीठ करके अपना पैंट खोलकर लन्ड को एक तरफ सेट करते हुए पैंट बन्द करके निशा की ओर घूम गया - हा देखो अब सही है ना
निशा ने पैंट के एक ओर उभरे हुए सुपाड़े को देख कर मुस्कुराई - हम्म्म ये चलेगा । चलिये चलते है ।
कमलनाथ - अरे एक मिंट रुको ना , बस एक आखिरी बार सूंघ लेने दो ना
कमलनाथ ने निशा का बाजू पकड कर उसे अपनी को खींचा जिस्से उसकी चुन्नी सरक गयि और झटके से इस बार कमलनाथ निशा के गरदन के बजाय उसके चुचो के उपर आ गया
अपने चुचियॉ पर कमलनाथ के मुह का स्पर्श पाकर निशा उपर से नीचे तक कप्कपा सी गयी और कमलनाथ ने नथुने रगड़ कर निशा के चुचो से उसके जिस्म की मादक गन्ध को अपने सासो मे समेटा - उह्ह्म्ंंंं यहा तो अलग ही न्शा है बेटा अह्ह्ह सीईईई
कमलनाथ ने अपना सुपाडा भींचा ।
निशा - मौसा जी बस करिये कोई आ जायेगा
कमलनाथ - उम्म्ंम बेटा मुझसे कन्ट्रोल नही हो रहा है क्या खुशबू है यहा की उम्म्ंम्ं आह्ह्ह
तभी बाहर गेट कर किसी के आने की आहट हुई निशा हड़बड़ा कर कमलनाथ का चेहरा अपने चुचो से हटाते हुए बोली - मौसा प्लीज मान जाईये , अभी कोई आ रहा है रात मे आपको इस्से भी अच्छी खुस्बु सुँघा दूँगी , अभी छोडिए मुझे उम्म्ंह्ह
कमलनाथ खिला उठा - सच मे
निशा परेशान होकर गलियारे मे बढ़ती हुई परछाई को देख कर जल्दी जल्दी अपना दुपट्टा ठिक करती हुई - हा हा पक्का पक्का
तभी अनुज और अरुण सर पर बिस्तर तकिया लादे हुए आवाज लगाते हुए गलियारे मे आने लगे - दीदी कहा हो
निशा - हा आ गयी बाबू , लाओ इध रख दो कमरे मे , और अरुण बाबू तुम इसको पीछे वाले कमरे मे ले जाओ
फिर निशा ने कमलनाथ को आंख दिखाई की वो बाहर जाये और फिर मुस्कुरा उठी कि मौसा के संग उसने भी थोडे मजे मारे और उन्हे तरसाया भी ।
जल्द ही रात का खाना खाने के बाद
राज के नाना को छोड़ कर सारे मर्द लोगों को चंदू के घर मे शिफ्ट कर दिया गया ।
कारण था कि रागिनी को अपने बाउजि के तबियत की फ़िकर थी ।
भंडार वाले हाल से जुडे कमरे मे रंगी जंगी चले गये ।
उसके पीछे वाले कमरे मे कमलनाथ हो गया ।
पीछे के बाकी दो कमरे थे ।
जिसमे अनुज ने राहुल से खफा था तो वो अपने राज भैया के साथ हो लिया और राहुल को अपनी बुआ के बेटे अरुण के साथ बिस्तर बाटना पड़ा ।
वही इस घर मे गेस्ट रूम को शिला और क्म्मो को दे दिया गया तो
राज की मामी और गीता-बबिता उपर अनुज के कमरे मे सेट हो गयि ।
सोनल - निशा - रीना का कमरा पहले से ही फिक्स था ।
शालिनी और रज्जो को राज का कमरा दे दिया गया
वही रागिनी ने अपने बाऊजी का ध्यान रखने के लिए उन्हे अपने कमरे मे सुलाने का बोल दी ।
अमन के घर
रात के 8 बज रहे थे ।
अपने एक लौटे बेटे की शादी की खुशी मे मुरारी ने एक ऑर्केस्ट्रा का इन्तेजाम किया था , चमनपुरा की भीड उमड़ी हुई थी , घर सब जन औरते महिलाए सब के सब छत के उपर से झाक के ये नजारा देख रहे थे ।
ऐसे मे संगीता और भोला ने अपनी योजना शुरु कर दी ।
मदन को अच्छे याद था कि आज रात मे ऑर्केस्ट्रा के टाईम उसकी दीदी अपने पति से फिर से चुदने वाली है ।
ये मोमेंट मदन के सीने मे हल्चल मचाये हुए थे ।
उसकी चोर निगाहे उन्पे नजर गडाये हुए थी और जैसी ही उसने दोनो को जीने से निचे सरकते हुए देखा तो उसका कलेजा ध्क्क हुआ
उसकी सासे तेज होने लगी
लन्ड उफनाने लगा
वो उठ कर टहलने लगा , बेछैनी उसपे हावी हो रही थी ।
इधर उधर बहटीयाते हुए वो भी करीब 2 3 मिंट के अंतर पर जीने से निचे आया ।
वो भाग कर अपनी बहन ने कमरे मे बाहर गया तो दरवाजा खुला था और वहा कोई नही था ,
अमन के कमरे मे बाहर से कड़ी लगी थी ।
स्टोर रूम भी बाहर से बन्द था , उसने आगे बढ कर पीछे की बालिकिनी देखी वहा भी वो नही थे ।
मदन को हैरानी हुई कि वो लोग कहा गये होगे ,वो सरपट जीने से होकर निचे आया और लपक कर अपनी भाभी ममता के कमरे मे चुपके से झान्का - वहा भी कोई नही दिखा , बल्कि उसने पीछे एक दो कमरो मे गया वहा भी कोई नही दिखा ।
हर कमरे मे झाकने के बाद मदन अपना सबर खो चुका था और उसे समझ नही आ रहा था कि वो कहा गये होंगे ,
तभी उसकी नजर अपने कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर गयी जोकि कमरे से निकलने के बाद उसने कडी लगाई थी बाहर से
मदन की सासे एक बार फिर से चढने लगी और वो चुपचाप दबे पाव अपने कमरे की ओर बढा ।पुरे घर मे एक चुप्प सन्नाटा था बस डीजे से गाने की आवाजे आ रही थी ।
मदन धीरे से अपने कमरे के दरवाजे के पास पहुचा और उसने कान लगाया तो भीतर से सिसकिया आने लगी थी ।
संगीता - उह्ह्ह मेरे राअज्ज्जा आह्ह खाआ जाओ मेरी गाड़ सीई अह्ह्ह माअह्ह्ह
संगीता के शब्द मदन के कानो मे पड़ते ही उसका लन्ड अगले ही पल फौलादी हो गया और उसका दिल कमरे के भीतर का दृश्य देखने के लिए बगावत कर बैठा ।
उसने हल्का सा दरवाजे पर जोर दिया और दरवाजा चुउंं की आवाज किया , इतनी महिन आवाज बड़ी आसानी से डीजे के तेज आवाज मे दब जानी चाहिए थी , मगर भोला और संगीता की योजना कुछ और थी ।
संगीता तेज आवाज के साथ उठकर चिल्लाती हुई दरवाजा खोली - कौन है वहा !!
मदन तेजी से भागना चाहा मगर तभी संगीता ने उसको टोका - मदन भैया आप !!!
जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट हैUPDATE 186 A
लेखक की जुबानी
इधर जब राज के कमरे से उसके नाना बाहर आये तो हाल मे सारे मर्द जन बैठे हुए थे ।
शादी को लेके बाते चल रही थी कि कुछ ही बाद शिला नहा कर कपडे बदल कर राज के कमरे से बाहर निकली ।
भिगे बालो और ताजी गोरी स्किन , उसपे से कसा हुआ कुर्ती और लेगी मे अपनी बहन को देखकर जंगी ने अपने भाई रंगी को हल्का सा कोहनी से मारते हुए शिला की ओर तकाया ।
नजर पड़ते ही रन्गी का भी मुसल सर उठाने लगा , तभी वो बालटी के कपड़े लेके उपर छत पर जाने लगी ।
जंगी रंगी के पास होकर उसके कान भुनभुनाती हुई आवाज मे - भैया पक्का दीदी ने पैंटी नही पहनी है आज
रंगी मुस्कुरा कर- कैसे पता तुझे
जंगी - उनकी पैंटी तो मेरी जेब मे है हिहिहिही
रंगी ने उसको आंख दिखाई और खुद भी मुस्कुरा पड़ा ।
इधर शिला कमरे से आई तो उसकी नजर सीधा बनवारी से टकराई और वो लजाती हुई मुस्करा कर जीने से उपर जाने लगी ।
शिला का यूँ मुस्कुराना बनवारी के लिए सिगनल जैसा था , उसने शिला के उपर जाने का इंतजार किया और राज के बारे मे पुछ कर उपर चला गया क्योकि अभी अभी अनुज और राज उपर ही गये थे ।
बनवारी सीढियां चढ कर उपर हाल मे आया और उसी समय राज बाल्किनी मे खड़ा अनुज से बाते कर था उसने बारी बारी शिला बुआ और फिर अपने नाना को उपर जाते देखा तो उसे कुछ शक हुआ ।
क्योकि राज अपने नाना के नियत से बखूबी वाक़िफ़ था और शिला बुआ भी कम नही थी ।
राज ने अनुज से जल्दी से बात खतम की और उसे नीचे भेज दिया ।
खुद दबे पाव उपर चला गया
चुकि हल्की शाम ढली हुई थी और उपर साफ सफाई नही हुई थी तो सारे लोग थके हुए थे तो सब कमरो मे निचे ही थे ।
राज चुपचाप बिना आहट के जीने के दरवाजे पर पहुचा और बाहर आकर धीरे से बाथरूम की ओर देखा तो वहा शिला बुआ और उसके नाना खडे थे ।
शिला बुआ बालटी से झुक कर अपनी बड़ी सी गाड़ फैलाई हुई कपडे निचोड रही थी और वही पीछे से उसके बाउंडरी वाल से खुद को टिका कर अपना मुसल मसलते हुए शिला से बाते कर रहे थे ।
शिला - अरे बाऊजी आप खामखा परेशान हो रहे है , मुझे कोई दिक्कत नही हुई
बनवारी शिला की कसी हुई गाड़ पर चढ़ी हुई लेगी को निहारता हुआ - हम्म लेकिन बेटी अन्जाने मे मुझसे कुछ गलत हो गया है ।
शिला - क्या !!
बनवारी - अह वो मै कैसे बताऊ तुझे , तु बुरा मान जायेगी और ना जाने मेरे बारे मे क्या सोचने लगे ।
शिला कपडे डाल चुकी थि और वो बालटी लेके वापस जीने की ओर आने लगी - बाऊजी आप कहिये ना , अब ऐसे मै क्या बोलूंगी ।
राज वहा झट से निचे आ गया और अनुज के कमरे मे चला गया ।
वही सीढियों से उतरते हुए बनवारी बस शिला को उलझाये हुए रखा था
वही शिला उपर के हाल मे आगयी थी और बालटी साइड रख कर रख स्टोर रूम की ओर बढ़ गयी ।
बनवारी भी उसके पीछे पीछे चल दिया
शिला इतराती हुई स्टोर रूम का दरवाजा खोलकर कमरे मे घुस गयी - आपके पास मोबाइल है बाऊजी , मुझे कुछ समान निकालना है , यहा की लाईट खराब है ।
बनवारी ने अपनी जेब से अपना की-पैड मोबाइल निकाल कर उसका टॉर्च जला कर दिया ।
शिला उस छोटे मोबाइल को देख कर थोडा हसी और फिर बोली - देखीये बाऊजी जब तक आप खुल के बोलोगे नही मै आपकी मदद नही कर सकती हु ।
बनवारी शिला के पीछे खड़ा होकर - दरअसल शिला बेटा वो जब मै तौलिये से अपना मुह पोछ रहा था तो ...!!
शिला जहा खडी थी वही रुक गयी - हा तब क्या ??
बनवारी- बेटा गलती से मैने तुम्हारा वो देख लिया था
शिला बनवारी के जस्त बगल मे खडी थी और इधर उधर टॉर्च जला कर समान खोजने के बहाने ये जाहिर कर रही थी कि उसके लिए वनवारी की बाते उतनी मायने नही रखती ।
शिला उसकी चुप्पी पर - क्या हुआ बाऊजी बोलिये , क्या देखा आपने उम्म्ं
बनवारी हकला कर - वो बेटा वो , आह्ह नही मै नही बोल सकता
शिला वही बगल मे टॉर्च जलाती हुई समान खोजती हुई ऐसा जताया कि उसे बनवारी की बातो को लेके जरा ही इल्म नही है ये इग्नोरेन्स बनवारी की खलबली और उसके दिल की बेताबी को और बढा रहा था
शिला - बोलिए ना जल्दी
बनवारी को कुछ सुझा नहि और उसने हाथ आगे बढ़ा कर शिला की कुर्ती के उपर से उसकी चुत पर उंगलियाँ रखते हुए बोला - ये !!
शिला का जिस्म कपकपा गया और वो सिहर गयी - उह्ह्ह बाऊजी हटाईए क्या कर रहे है सीईईई
शिला की मादक सिसकी ने बनवारी को हिम्मत दी और उसने कुर्ती के उपर से बुर को उंगलियो से दबाते हुए कहा - इसी की वजह से परेशान हु बेटी मै तबसे
शिला - उम्म्ंम बाउउउजीईई अब आप मुझे परेशान कर रहे है उम्म्ंम्ं सीईईई आह्ह
बनवारी समझ गया कि शिला गरम हो रही है - बेटा तुझे मेरी सम्स्या दुर करनी पड़ेगी , मै मिन्न्त करता है
शिला - क्याह्ह करना है बाऊजी उम्म्ं
बनवारी ने शिला की कलाई पकड कर उसका हाथ अपने तने हुए मुसल पर रखते हुए कहा - इसको बैठा दे बेटी , मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है । शादी वाले घर मे ऐसे कब तक मै छिपाता फिरू, मुझे बहुत लाज आ रही है ।
शिला ने धोती के उपर से बनवारी के मोटे मुसल को हथेली मे भर कर उसको सहलाते हुए - अह्ह्ह बाऊजी नहीईई उम्म्ंम ये मै कैसे अह्ह
बनवारी- बेटा तुझे मेरी कसम है , मान जा ये बात किसी को नही पता चलेगी प्लीज उह्ह्ह
शिला - हम्म्म्म
फिर शिला अन्धेरे मे निचे बैठ कर धोती उठाते हुए मुसल बाहर निकाला और उसकी तपिश अपने पूरे जिस्म मे मह्सूस कर रही थी ।
शिला ने चमडी आगे पीछे की और मुह खोलते हुए आधा लन्ड भर लिया
बनवारी- अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम्ं सीईई बहुत राहत है उम्म्ं सीई उफ्फ्फ और चुस बेटी उम्म्ं ऐसे ही
इधर शिला ने बनवारी का मुसल चुस रही थी वही स्टोररूम के दरवाजे पर कान लगा कर खड़ा राज बाहर अपना लन्ड मसलता हुआ मुस्कुरा रहा था ।
वही शिला अपने जीभ की टिप से सुपाड़े के निचे की नसे कुरेदते हुए वापस मुह मे लन्ड भरके चुसने लगी
बनवारी- आह्ह बेटी उम्म्ं तेरा खसम तो बहुत नसीब वाला है उह्ह्ह क्या मस्त चुस्ती है तुह्ह्ह ओह्ह्ह बेटीऊहह
शिला लगातार बनवारी के लन्ड की चुसाई कर रही थी
बनवारी- आह्ह बस बस बेटा रुक जाआह्ह ओह्ह्ह उम्म
शिला ने रुक गयी और मुह से लन्ड निकाल दिया और सोचने लगी कि क्या हुआ क्यू बाऊजी ने रोक दिया
बनवारी ने उसे हाथ पकड कर उठाया और मोबाइल के टॉर्च की रोशनि मे एक बक्से के उपर बक्सा रखा हुआ था ,,झुकने के लिए पर्याप्त उचाई थी
बनवारी - बस बेटा यहा आजा
शिला - उम्म्ं न्हीई बाऊजी वो मै कैसे
बनवारी- बेटा ये ऐसे नही शान्त होगा और मै ज्यादा समय नही लूंगा
शिला -प्लीज बाऊजी किसी से ..।
बनवारी - नही नही बेटा कभी नही
शिला मुस्कुरा कर अपनी कुर्ती उठाते हुए बनवारी के आगे अपनी गाड़ फैलाती हुई लेगी सरकाने लगी ।
बनवारी पीछे खड़ा होकर मोबाईल के टॉर्च की हल्की रोषनी मे शिला की चमकती चर्बीदार गाड़ निहारते हुए अपना लन्ड मसल रहा था और तभी शिला ने आगे झुकते हुए अपनी गाड़ फैला दी
जिससे उसकी गाड़ के साथ साथ उसकी बुर के फाके भी दिखने लगे , जिस्पे बजबजाई रस की बुंदे उस हल्की टॉर्च की रोषनी मे झलक रही थी
बनवारी ने टॉर्च को वही पास के एक ट्रंक पर रखा और अपने सुपाड़े पर थुक लगा कर उसको शिला के बुर के मूहानो पर लगाते हुए हल्का सा जोर दिया
शिला हल्की सी मादक सिसकी ली औए तभी उसे बनवारी का लन्ड आधे से ज्यादा उसकी बुर की चिरता भितर घुसता मह्सूस हुआ , उसकी तेज चिख उसके मुह मे घूंट कर रह गयी
बनवारी शिला की मुलायम गर्म चुत की गहराई मे दो धक्के ल्गाता हुआ पहुचा
शिला - ऊहह बाऊजी कितना गरम है उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह आराम से उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
बनवारी- हा बेटी तेरी बुर भी भट्टी जैसे तप रही है उह्ह्ह लेह्ह्ह अब्ब्ब
बनवारी ने शिला की कमर पकड कर कस कस के धक्के लगाने लगा
शिला - उह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम कितना ब्डा है आपका ओह्ह्ह माह्ह्ह फ्क्क्क मीईई उह्ह्ह सीईई ओह्ह येस्स्स उम्म्ंम सीई
बनवारी शिला के इंग्लिश संवाद पर मस्त होता हुआ और जोश के साथ पेलता हुआ - ओहो तु तो अंग्रेजन मैडमो जैसे बोल रही है उम्म्ंम्ं अह्ह्ह बेटा सच मे बहुत मुलायाम तेरी बुर है उह्ह्ह्ह
शिला - हा बाऊजी तो पेलो ना कस के उह्ह्ह ऐसे ही और घुसाओ आपका हथियार बहुत कड़ा है ऊहह और चोदो उन्म्ंं
बनवारी को उम्मिद नही थी कि शिला ऐसे इतनी गरम हो जायेगी और वो भी कस कस के धक्के लगाता हुआ - बेटा वो अंग्रेज वाली मैडम जैसा बोल ना उह्ह्ह मजा आ रहा है जैसे लग रहा है कि किसी विदेशी रन्डी के बुर पेल रहा हु मै उह्ह्ह बेटा
बनवारी ने सीधे सरल शब्द भी शिला के जिस्मो मे सिहरन कर देते थे और इसके मोटे लन्ड के साथ ये मजा दुगना था - ओह्ह बाऊजी फक्क्क मीई हार्ड फ्क्क माय पुस्सीई ऊहह ऊहह येस्स्स्स येस्स्स फ़क फ्क्क्क फ्क्क मिह्ह्ह ऊहह बाउजीई पेलिये अपनी विदेशी रन्डी कोह्ह्ह उन्न्ं
ये बोल कर शिला जोर जोर से अपनी बुर बनवारी के लन्ड पर फेकने लगी ,
शिला के कामुक शब्दो और उसकी उछलते गाड़ की मादक रग्डाई से बनवारी से रहा नही गया
और बनवारि का फब्बरा शिला की बुर मे ही फूट पड़ा वो अपने लन्ड को शिला की बुर के जड़ मे ले जाकर झटके खाने लगा - ऊहह बेटी ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा हु मै
शिला ने भी भीतर से चुत का छल्ला बनवारी के मुसल पर कसती हुई लन्ड निचोडने लगी और आखिर बूंद तक चुत मे भर लिया
बनवारी वही अनाज की वोरियो का सहारा लेके हाफने लगा और शिला ने एक पुरानी गठरी से कपडे खिच कर अपनी बुर पोछते हुए अपनी लेगी चढा ली ।
शिला - चले बाऊजी
बनवारी- और वो समान जो तु लेने आई थी
शिला मुस्कुराई - लिया तो अभी
बनवारी- मतलब
शिला - अरे वो मै भाभी से पुछना पडेगा
बनवारी- बेटा शुक्रिया तेरा
शिला - हम्म्म ठिक है वैसे इस उम्र मे आप भी कम नही है
बनवारी ने शिला की चर्बीदार गाड़ मसलता हुआ - कम तो तु भी नही है उम्म्ं
शिला - धत्त छोडिए अब
बनवारी- अच्छा सुन , रात मे भी एक बार क्या तु
शिला हस कर - वही रात की ही तो व्यवस्था करनी है
अभी यहा किसी का कुछ कन्फ़र्म नही है , शायद सारे मर्द जनो को बगल वाले घर मे सुलाया जाये , इसीलिए मुझे बिस्तर निकलवाना है
बनवारी चौका - क्या , लेकिन क्यू?
शिला - वो अपनी लाडो रागिनी से पुछो हिहिही मै चली
फिर शिला कमरे से बाहर निकल आई और राज काफी पहले ही निचे जा चुका था क्योकि उसको उस्के पापा ने फोन कर दिया था ।
वही निचे रागिनी निशा को लेके बगल चंदू के घर मे मर्दो के सोने की व्यवस्था के लिए कमरे से निकाली तो कमलनाथ भी निशा के साथ कुछ पल बिताने के इरादे से मदद के बहाने उन्के साथ हो लिया ।
निशा भी इतराई की मौसा जी अब उसके पीछे लग चुके थे ।
चंदू के घर मे सबसे आगे एक शटर वाला कमरा था हाल नुमा जिसमे कोचिंग क्लास चलती थी लेकिन शादी के नाते फिलहाल उसको भंडारीयो के हवाले कर रखा था और खाना बनाने का काम हो रहा था ।
बगल के लम्बे गलियारे से वो हाल पार करने पर दो कमरे मे थे जिनमे से हाल से सटे हुए कमरे की एन्ट्री हाल से थी और आखिर वाले कमरे की एन्ट्री गलियारे से ही थी ।
फिर जहा गलियारा खतम होता था वहा एक बड़ा सा आंगन था , जिसके एक तरफ दो चौकीयां डाली हुई थी और दुसरी तरफ जीने के नीचे नल और पानी का मोटर सेट था ।
ये वही जगह थी जहां रज्जो और रन्गी-जंगी का थ्रीसम हुआ था ।
आंगन के पीछे भी आखिर मे दो छोटे छोटे कमरे अगल बगल थे ।
रागिनी ने कमरे और उनमे रखी चौकियां गिनी ।
रागिनी - निशा , ये कमरे तो साफ ही है मगर एक बार और थोडा सफाई कर लो , मै बिस्तर भेजवा रही हूं
निशा - जी बड़ी मम्मी
रागिनी - आह्ह आप जीजा जी जरा निशा की हैल्प कर देंगे ये चौकिय सेट करवा दीजिये
कमलनाथ - हा रागिनी तुम फिकर ना करो
फिर रागिनी चली गयी और कमलनाथ की धड़कने तेज हो गयि ।
दोनो की सासे चढ रही थी दोनो भीतर से बेताब थे मगर इग्नोर कर रहे थे खुद को ।
निशा - मौसा जी इसको पकदिये थोडा बीच मे करा दीजिये ताकी पंखे का हवा आ सके
निशा आगे बढ़ी की काठ की चौकी के कोने पर उसकी एक तरफ काँधे पर रखी हुई लम्बी चुन्नी का किनारा फस गया और वो जहा थी वही रुक गयी
महंगी ड्रेस खराब ना हो और मौसा का माहौल भी गरम कर दिया जाये ये सोच कर निशा ने अपने डीप गले वाले सूट से अपनी चुन्नी उतारते हुए उसे कमरे की दिवाल हैनगर पर टांग दिया और चौकी की एक ओर आके झुक कर दोनो हाथो से चौकी को पकड़ा - हम्म्म मौसा जी पकड़ो
कमलनाथ ने पलके झ्पकाय बिना निशा के गहरे गले वाले सूट से झांकती उसकी पपिते जैसी मोटी चुचियो को लटकते देखा और उसका मुसल फड़क उठा ।
उस्ने मुस्कुरा कर चौकी उठाया और बीच मे ले आया फिर वो पीछे के दोनो कमरो मे गये वहा भी सफाई के साथ साथ चौकिया ठिक की ।
फिर निशा अपना दुपट्टा वही छोड़ कर बाहर भण्डार वाले हाल से होकर अन्दर वाले कमरे मे चली गयी और कमलनाथ भी पीछे उसके हिलते चुतड निहारता चला गया ।
यहा का कमरा बडा था और दो चौकिया आराम सेट हो सकती थी ।
निशा ने बारि बारि से कमलनाथ की मदद से चौकिया सेट करवाई और फिर हाफते हुए वही चौकी पर पंखे के निचे बैठ गयी - उफ्फ्फ बहुत मेहनत हो गयी हिहिहिही है ना मौसा जी
कमलनाथ - हा भाई तुमने बहुत हिम्मत दिखाई , वरना मैने तो लड़कियो को ऐसे काम करते नही देखा भाई
निशा ने आगे झुक कर अपने सूट का निचे का हिस्सा उपर करके अपना मुह पर आये पसीने को साफकरते हुए - उफ्फ़ कितनी गर्मी होने लगी ।
ऐसा करने से कमलनाथ को निशा का गोरा पेट और उसकी प्लाजो की इलास्टीक से जस्ट उपर उसकी गुदाज नाभि देखी ।
कमलनाथ के मुह मे पानी आ गया ।
अगले ही पल निशा ने सूट निचे कर लिया - ह्ह चलिये चलते है
कमलनाथ कुछ बोल ना पाया और दोनो बाहर चले आये
निशा बाहर आते ही अपने सीने को टटोला - अरे मेरा दुप्प्टा कहा है
कमलनाथ - अरे वो पीछे कमरे मे ही रह गया रुको बेटा मै ले आता हु
निशा भी उसको रोकने की कोसिस करती है मगर कमलनाथ तेजी से गलियारे से होकर चला जाता है
निशा भी उस्के पीछे हो लेती है क्योकि वो समझ रही थी कि कमलनाथ के उसकी चुन्नी से कुछ तो अरमान होंगे ही
उस्का शक सही निकला , कमरे मे कमलनाथ निशा की चुन्नी के एक छोर को एक हाथ को अपने नथुनो पर भर कर सूघ रहा था तो दुसरे हिससे को कस पर अपने तने हुए मुसल पर दबा रखा था ।
निशा मुस्कुराई औए खिलखिलाकर - बस करिये मौसा जी इतना भी परफ्युम नही है इसमे
कमलनाथ हड़बडाया और बात को घुमाता हुआ - नही इसकी खुस्बु अच्छी है , सोच रहा हु रज्जो के लिए यही परफ्युम लूँ ।
निशा ने कमलनाथ के हाथ से चुन्नी लपकी और अपने सीने पर ओढ़ते हुए इतरा कर बोली - फिर तो भूल ही जाओ
कमलनाथ - क्यू?
निशा - इसमे मेरी खुस्बु है किसी परफ्युम की नही और मुझे कैसे शिसी मे बन्द करोगे हिहिहिही
कमलनाथ - क्या तुम भी मै नही मानता
निशा मुस्कुराई "लिजिए आईये सूंघ लिजिए यहा "
निशा ने कमलनाथ को अपने कन्धे गरदन के पास दिखाया
कमलनाथ की सासे तेज हो गयी और वो पास आके एक गहरी सास ली । उसे वही खुस्बु मिली जो निशा की चुन्नी से आ रही थी और उसने जैसे ही सास वापस छोड़ी ।
कमलनाथ के नथुनो से निकाली गर्म सासों ने निशा के जिस्म को गनगना दिया और उसकी आंखे एक मादक सिसकी ये बन्द हो गयी ।
कमलनाथ- उम्म्ंम बेटा सच मे तेरे बदन से गजब की खुशबू आ रही है , जैसे हिरण से कस्तुरी की ।
निशा लाज से शर्माई और हस कर बोली - बस किजीए मुझे शर्म आ रही है ,
कमलनाथ ने एक बार और निशा के करीब आकर उसके गरदन के पास होकर अपने नथुनो मे सास भरी - उम्म्ंम्म्ं क्या मस्त मदहोश कर देने वाली खुस्बु है ,
निशा हस कर - मौसा जी आपको ये मदहोशि भारी पड जायेगी , जरा पैंट सही कर लिजिए हाहाहाहा
कमलनाथ ने एक नजर निचे तने हुए मुसल पर डाला और उसे निशा की ये शरारत अच्छी लगी ।
कमलनाथ - सच कह रही हु बेटा , ये तुम्हारे बदन की खुशबू का ही असर हो रहा है मुझ पर
निशा हस कर - छीई धत्त , आपको शर्म नही आती मै आपकी बेटी जैसी हु
कमलनाथ मदहोश भरे लहजे मे - ये तो नोर्मल बात है बेटा , कि स्त्री को देख कर पुरुष का कामुक हो जाना और मैने तो तुम्हारे साथ कुछ जबरदस्ती तो नही की ।
निशा - हा वो ठिक है लेकिन प्लीज इसको सही कर लिजिए , ऐसे बाहर जायेंगे तो किसी का ध्यान पड गया तो मेरे उपर ऊँगली उठेगी ना
कमलनाथ - हा बेटा ये बात सही कह रही हो तुम , रुको मै इसको आह्ह बस्स्स एकह्ह मिंट उम्म्ंम अह्ह्ह
कमलनाथ वही निशा की ओर पीठ करके अपना पैंट खोलकर लन्ड को एक तरफ सेट करते हुए पैंट बन्द करके निशा की ओर घूम गया - हा देखो अब सही है ना
निशा ने पैंट के एक ओर उभरे हुए सुपाड़े को देख कर मुस्कुराई - हम्म्म ये चलेगा । चलिये चलते है ।
कमलनाथ - अरे एक मिंट रुको ना , बस एक आखिरी बार सूंघ लेने दो ना
कमलनाथ ने निशा का बाजू पकड कर उसे अपनी को खींचा जिस्से उसकी चुन्नी सरक गयि और झटके से इस बार कमलनाथ निशा के गरदन के बजाय उसके चुचो के उपर आ गया
अपने चुचियॉ पर कमलनाथ के मुह का स्पर्श पाकर निशा उपर से नीचे तक कप्कपा सी गयी और कमलनाथ ने नथुने रगड़ कर निशा के चुचो से उसके जिस्म की मादक गन्ध को अपने सासो मे समेटा - उह्ह्म्ंंंं यहा तो अलग ही न्शा है बेटा अह्ह्ह सीईईई
कमलनाथ ने अपना सुपाडा भींचा ।
निशा - मौसा जी बस करिये कोई आ जायेगा
कमलनाथ - उम्म्ंम बेटा मुझसे कन्ट्रोल नही हो रहा है क्या खुशबू है यहा की उम्म्ंम्ं आह्ह्ह
तभी बाहर गेट कर किसी के आने की आहट हुई निशा हड़बड़ा कर कमलनाथ का चेहरा अपने चुचो से हटाते हुए बोली - मौसा प्लीज मान जाईये , अभी कोई आ रहा है रात मे आपको इस्से भी अच्छी खुस्बु सुँघा दूँगी , अभी छोडिए मुझे उम्म्ंह्ह
कमलनाथ खिला उठा - सच मे
निशा परेशान होकर गलियारे मे बढ़ती हुई परछाई को देख कर जल्दी जल्दी अपना दुपट्टा ठिक करती हुई - हा हा पक्का पक्का
तभी अनुज और अरुण सर पर बिस्तर तकिया लादे हुए आवाज लगाते हुए गलियारे मे आने लगे - दीदी कहा हो
निशा - हा आ गयी बाबू , लाओ इध रख दो कमरे मे , और अरुण बाबू तुम इसको पीछे वाले कमरे मे ले जाओ
फिर निशा ने कमलनाथ को आंख दिखाई की वो बाहर जाये और फिर मुस्कुरा उठी कि मौसा के संग उसने भी थोडे मजे मारे और उन्हे तरसाया भी ।
जल्द ही रात का खाना खाने के बाद
राज के नाना को छोड़ कर सारे मर्द लोगों को चंदू के घर मे शिफ्ट कर दिया गया ।
कारण था कि रागिनी को अपने बाउजि के तबियत की फ़िकर थी ।
भंडार वाले हाल से जुडे कमरे मे रंगी जंगी चले गये ।
उसके पीछे वाले कमरे मे कमलनाथ हो गया ।
पीछे के बाकी दो कमरे थे ।
जिसमे अनुज ने राहुल से खफा था तो वो अपने राज भैया के साथ हो लिया और राहुल को अपनी बुआ के बेटे अरुण के साथ बिस्तर बाटना पड़ा ।
वही इस घर मे गेस्ट रूम को शिला और क्म्मो को दे दिया गया तो
राज की मामी और गीता-बबिता उपर अनुज के कमरे मे सेट हो गयि ।
सोनल - निशा - रीना का कमरा पहले से ही फिक्स था ।
शालिनी और रज्जो को राज का कमरा दे दिया गया
वही रागिनी ने अपने बाऊजी का ध्यान रखने के लिए उन्हे अपने कमरे मे सुलाने का बोल दी ।
अमन के घर
रात के 8 बज रहे थे ।
अपने एक लौटे बेटे की शादी की खुशी मे मुरारी ने एक ऑर्केस्ट्रा का इन्तेजाम किया था , चमनपुरा की भीड उमड़ी हुई थी , घर सब जन औरते महिलाए सब के सब छत के उपर से झाक के ये नजारा देख रहे थे ।
ऐसे मे संगीता और भोला ने अपनी योजना शुरु कर दी ।
मदन को अच्छे याद था कि आज रात मे ऑर्केस्ट्रा के टाईम उसकी दीदी अपने पति से फिर से चुदने वाली है ।
ये मोमेंट मदन के सीने मे हल्चल मचाये हुए थे ।
उसकी चोर निगाहे उन्पे नजर गडाये हुए थी और जैसी ही उसने दोनो को जीने से निचे सरकते हुए देखा तो उसका कलेजा ध्क्क हुआ
उसकी सासे तेज होने लगी
लन्ड उफनाने लगा
वो उठ कर टहलने लगा , बेछैनी उसपे हावी हो रही थी ।
इधर उधर बहटीयाते हुए वो भी करीब 2 3 मिंट के अंतर पर जीने से निचे आया ।
वो भाग कर अपनी बहन ने कमरे मे बाहर गया तो दरवाजा खुला था और वहा कोई नही था ,
अमन के कमरे मे बाहर से कड़ी लगी थी ।
स्टोर रूम भी बाहर से बन्द था , उसने आगे बढ कर पीछे की बालिकिनी देखी वहा भी वो नही थे ।
मदन को हैरानी हुई कि वो लोग कहा गये होगे ,वो सरपट जीने से होकर निचे आया और लपक कर अपनी भाभी ममता के कमरे मे चुपके से झान्का - वहा भी कोई नही दिखा , बल्कि उसने पीछे एक दो कमरो मे गया वहा भी कोई नही दिखा ।
हर कमरे मे झाकने के बाद मदन अपना सबर खो चुका था और उसे समझ नही आ रहा था कि वो कहा गये होंगे ,
तभी उसकी नजर अपने कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर गयी जोकि कमरे से निकलने के बाद उसने कडी लगाई थी बाहर से
मदन की सासे एक बार फिर से चढने लगी और वो चुपचाप दबे पाव अपने कमरे की ओर बढा ।पुरे घर मे एक चुप्प सन्नाटा था बस डीजे से गाने की आवाजे आ रही थी ।
मदन धीरे से अपने कमरे के दरवाजे के पास पहुचा और उसने कान लगाया तो भीतर से सिसकिया आने लगी थी ।
संगीता - उह्ह्ह मेरे राअज्ज्जा आह्ह खाआ जाओ मेरी गाड़ सीई अह्ह्ह माअह्ह्ह
संगीता के शब्द मदन के कानो मे पड़ते ही उसका लन्ड अगले ही पल फौलादी हो गया और उसका दिल कमरे के भीतर का दृश्य देखने के लिए बगावत कर बैठा ।
उसने हल्का सा दरवाजे पर जोर दिया और दरवाजा चुउंं की आवाज किया , इतनी महिन आवाज बड़ी आसानी से डीजे के तेज आवाज मे दब जानी चाहिए थी , मगर भोला और संगीता की योजना कुछ और थी ।
संगीता तेज आवाज के साथ उठकर चिल्लाती हुई दरवाजा खोली - कौन है वहा !!
मदन तेजी से भागना चाहा मगर तभी संगीता ने उसको टोका - मदन भैया आप !!!
जारी रहेगी