भाग:–134
इस बार अकेला आर्यमणि नही बल्कि पूरा अल्फा पैक एक साथ... पूरा अल्फा पैक मतलब निशांत और संन्यासी शिवम भी... सभी एक साथ एक सुर में बोले..... “आज सात्त्विक आश्रम का भय वहां तक स्थापित होगा, जहां तक ये विकृत नायजो फैले है। आज पूरे ब्रह्मांड में हम अपनी उपस्थिति का प्रमाण देंगे।”
पलक उत्साह से उछलकर, एक बार फिर आर्यमणि के गले लगती.... “मैं भी इस पल का साक्षी होना चाहूंगी।”...
पलक उत्साह में अपनी बात तो कह रही थी लेकिन उसका सामना रूही के गुस्सैल आंखों से हो गया। पलक, आर्यमणि से अलग होकर..... “ओह .... सॉरी रूही बाहिनी, ये दोस्ती के हिसाब से गले लगी थी। सोलस जिंदा तो है। इन सबमें तुम्हे देखना ही भूल गयी”...
रूही, पलक का हाथ खींचकर अपने करीब लायी और फुसफुसाती आवाज में..... “कुछ बचा भी था दोनो के बीच..... बड़ी आयी दोस्ती वाली... दुश्मनी ही निभाना”..
पलक, रूही के भी गले पड़ती.... “इतना क्लारिफिकेशन के बाद अपना हक छोड़ दी, ये खुशी न है।”...
रूही:– क्या तुम्हे बर्दास्त हो रहा, मेरा आर्यमणि के साथ होना...
पलक:– क्या कर सकती हूं। हां दिल जला था, पर इसी को नियति कहते है। हम दोनो का रिश्ता एक दूसरे को झांसे में लेने से शुरू हुआ था, फिर आर्य मुझे धोका देता या मैं आर्य को, लेकिन देते तो जरूर... किसने सोचा था बीच में मैं ही दिल हार बैठूंगी... पर तुम्हारे लिये बेहद खुश हूं। तुम ये बिलकुल डिजर्व करती हो। तुम धोखे की बिसाद पर नही जुड़ी। परछाई की तरह आर्य का साथ दी। तुम्हारे बिना वो नागपुर से नही निकलता। तुन्हते बिना वो इतना नही निखरता। तुम्हारे बिना वो कुछ नही होता। सबसे पहला हक तुम्हारा है...
रूही:– बहुत प्यारा बोली लेकिन फिर भी मेरे मर्द के गले मत लगना... पूरा मैटेरियल टच होता है और फिर कहीं उसके अरमान जाग गये तो...
पलक:– छी.. गंदी...
आर्यमणि:– अब सब जरा खामोश हो जाओ.. पलक के इन चार चमचों का मुंह बांधकर एक दीवार के बीच से बांधो। और पलक के बाकी साथी को उसके दाएं और बाएं से अरेंज करो। सॉरी पलक...
इतना कहकर आर्यमणि ने छोटा सा कमांड दिया और पलक वापस से सिकुड़ गयी। उसके चेहरे से केवल प्लास्टिक को हटाया गया।... “अरे यार ये अजूबा प्लास्टिक किसकी खोज है। परेशान कर रखा है। हड्डियां तक कड़कड़ा जाती है।”...
ओजल:– है ना मस्त ट्रैप...
पलक:– पागल, इसे सबसे शानदार ट्रैप कहते है। आर्य वैसे करने क्या वाले हो...
आर्यमणि:– आश्रम का भय कायम करने की तैयारी है। पहले तो इस भय के खेल में कोई नाम नहीं था, बस कोई औहदा ही होता, लेकिन अब हमारे पास एक नाम है। थोड़ी देर में सब साफ हो जायेगा। निशांत और महा तुम दोनो दूसरी मंजिल पर चले जाओ। वहां से तुम दोनो ये पूरा शो लाइव देख लेना। ओजल और शिवम् सर, दोनो तैयार...
ओजल:– कबसे तैयार हूं...
संन्यासी शिवम्:– बिलकुल गुरुदेव आप शुरू कीजिए...
आर्यमणि ने फिर एक बार अक्षरा को कॉल लगा दिया। अक्षरा फिर एक बार तमतमायी बात करने लगी... “तुम्हारे फोन पर एक लिंक है, बेटी को जिंदा देखना चाहती है तो अपने पति को बता दे। मैं ऑनलाइन इंतजार कर रहा हूं।” इतना कहकर आर्यमणि ने फोन काट दिया।... “अल्फा पैक तैयार हो ना”... सभी एक साथ हां कहने लगे...
आर्यमणि लैपटॉप ऑन करके बैठा था। सामने स्क्रीन पर धीरे–धीरे नायजो के अधिकारी दिखने लगे... डायनिंग टेबल के पर लगे बड़े से परदे पर सबकी एचडी फूटेज आ रही थी। आर्य ने सबको म्यूट कर रखा था, लेकिन आज सब अपने स्क्रीन पर दूसरों को देख सकते थे।
आर्यमणि, कनेक्ट हुये सभी नायजो को संबोधित करते..... “देखो सब शांत रहो... यहां की दीवारों पर देख रहे हो। ये नायजो दीवार की सोभा बढ़ा रहे... अब एक लायक नायजो हाथ उठाओ, जिस से मैं बात कर सकूं”...
स्क्रीन पर बहुत सारे हाथ उठ गये। आर्यमणि का एक इशारा हुआ और चार में से एक चमचा ट्रिस्किस को ओजल ने बीचोबीच चीड़ दिया। पलक की तेज चींख निकल गयी... आर्यमणि, पलक को खींचकर एक थप्पड़ मारते... “अनुशासन सिखाओ सबको। एक लायक को बोला हाथ उठाने, सभी नालायक एक साथ आ गये।”.....
फिर आर्यमणि अपना स्क्रीन पर देखते.... “लगता है परिस्थिति का अंदाजा नहीं तुम्हे... तो ये देखो। और रूही तुमने जितने को कल उस नित्या और तेजस की तरह कांटों की अर्थी पर जहर दिया था, उनका मुंह खोल दो।”..
इतनी बात कहकर आर्यमणि ने स्क्रीन पर डंपिंग ग्राउंड का नजारा दिखाया। एचडी वाइस क्वालिटी एक्सपीरियंस के लिये डंपिंग ग्राउंड के चप्पे–चप्पे पर बिछे माइक को ऑन कर दिया गया था। कैस्टर ऑयल प्लांट फ्लावर के जहर का असर पागल बनाने वाला था। भयावाह... पूर्णतः भयावाह... चारो ओर से आ रही दर्द की भयावह आवाज सुन कर रूह कांप जाये। इस नजारे के साथ बोनस नजारा था, डंपिंग ग्राउंड पर कटे फटे कई नायजो के बीच सैकड़ों पैक किये जिंदा नायजो... वहां का नजारा दिखाने के बाद....
“हां तो नलायकों वो नरभक्षी भारती मुझे आगे की बहुत जानकारी दे चुकी है, जो कल तेजस और नित्या न दे पाये थे। क्या करे मेरे दिये जहर का दर्द ही ऐसा है... मौत आती नही और मौत की ये खौफनाक दर्द जाती नही। दोबारा से, कोई एक लायक नायजो, जिस से मैं बात कर सकूं”... इस बार पृथ्वी नायजो का मुखिया जयदेव अपना हाथ उठाया, आर्यमणि जैसे ही उसका माइक ऑन किया.... “मैं बात करूंगा”... आर्यमणि वापस से उसका माइक बंद करते... “नालायक तू किसी काम का नही है। ओजल”...
आर्यमणि ने जैसे ही ओजल कहा, इस बार एक और चमची सुरैया की लाश 2 टुकड़ों में विभाजित थी। पलक की एक और दर्दनाक चींख, और एक और तमाचा... पलक चिल्लाती हुई कहने लगी.... “किसी पागल को बुलाओ इस पागल से बात करने। तुमलोग समझ क्यों नही रहे। ये 600 नायजो को काट चुका है, जिनमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी और प्रथम श्रेणी के नायजो थे। 200 को मौत से बदतर दर्द दे रहा... हम 400 को तो बचा लो। या सबको मरते देखोगे”...
पलक की आवाज सुनकर विश्वा देसाई और उज्जवल हड़बड़ा कर आगे आया, आर्यमणि उनका माइक ऑन करते.... “हां बुढ़ाऊ बोल, तू लायक है।”
विश्वा:– भारती को ठीक कर दो, मैं एक पूरे प्लेनेट के राजा से तुम्हारी बात करवा दूंगा।
उज्जवल:– हां विश्वा सही कह रहा है।
आर्यमणि:– हां बुढ़ऊ, अब तो राजा क्या महाराजा से भी बात करवा सकते हो। दोनो की नाजायज औलादे (भारती और पलक) की जान फंसी जो है। वैसे आज कल मेरा मौसा कुछ नही बोलता। मेरी मौसी गुमसुम रहती है...
सुकेश और मीनाक्षी दोनो कुछ–कुछ बड़बड़ाने लगे। चेहरे को भावना से तो लग रहा था गाड़िया रहे हैं। आर्यमणि ने उनका माइक जैसे ही ऑन करके कहा.... “हां मौसा, मौसी”... तभी उधर से गलियों के साथ दोनो कहने लगे.... “तुझे जान से मार देंगे”...... “ओजल”... एक बार फिर ओजल को पुकारा गया और ओजल ने चमचे पारस की लाश गिरा दी। पलक एक बार फिर पागलों की तरह चीख दी। आर्यमणि इस बार स्क्रीन देखते.... “यार बकवास तुम कर रहे, दोस्त पलक के मर रहे। बेचारी मासूम लड़की कितने थप्पड़ खायेगी। अनुसासन ही नही किसी में...लो भारती सुरक्षित आ गयी। अब कनेक्ट करो एक पूरा ग्रह के राजा से.... मैं भी देखूं राजा कैसा दिखता है?”
आर्यमणि जबतक बात में लगा था, रूही, इवान और अलबेली ने मिलकर भारती को हील करके हॉल में ले आयी। भारती के आंख पर चस्मा था और उसके हाथ और पाऊं कुर्सी से बांधकर बिठा दिया गया।
विश्वा:– क्या मैं अपनी बेटी से बात कर लूं..
आर्यमणि:– तुम तो इमोशनल हो गये बुढऊ... करो...
विश्वा:– भारती... भारती...
भारती:– बाबा मुझे मरना है... जिंदा नही रहना...
विश्वा:– क्या जहर अब भी शरीर के अंदर है...
भारती:– नही बाबा, उसका भयानक खौफ है। जिंदा रहना अच्छी बात नहीं होती बाबा। तुम भी मर जाओ, वरना ये आर्यमणि तुमको भी जिंदगी देगा। जिंदगी अच्छी चीज नही होती और जिंदा रहना बिलकुल गलत होता है।
राजा करेनाराय, लाइन पर आ चुका था.... “ये कैसी बातें कर रही है भारती।”... कह तो उधर से वो कुछ रहा था, लेकिन माइक ऑफ थी... इधर उसके लाइन पर आते ही इवान घुस चुका था कंप्यूटर में। करेनाराय को कुछ समझ में नही आया। वो अपनी ओर से बोले जा रहा था, लेकिन कोई जवाब नही मिल रहा था।... “अब ये चुतिया कौन है?” आर्यमणि जान बूझकर अपमान करते हुये पूछा जिसे सबने सुना...
विश्वा:– आर्यमणि ये कैसी बात कर रहे हो। यही तो है, पूरे ग्रह के राजा।
आर्यमणि उसका माइक जैसे ही ऑन किया... “तू है कौन बे”...
आर्यमणि:– मैं वो हूं जिसके वजह से तेरे एक घटिया साथी भारती को जिंदगी अब गलत लगने लगी है और मौत सही। ज्यादा बे, बा, बू, किया तो तेरा हाल भी भारती की तरह कर दूंगा। अब पहले ध्यान से देख उसके बाद बात करते है।
इतना कहकर आर्यमणि हॉल की दीवार से लेकर डंपिंग ग्राउंड का एक टूर करवा दिया। फिर उसके बाद... “हां बे चुतिये देखा मैं कौन हूं।”..
करेनाराय:– तू तू तू...
आर्यमणि:– ओजल...
ओजल ने इस बार रॉयल ब्लड भारती का सर डायनिंग टेबल पर बिछा दिया। एक बार फिर पलक की दर्द भरी चींख निकल गयी। विश्वा अपना सर पीटते हुये स्क्रीन बंद करने ही वाला था... “विश्वा दादा, तुम्हारे और भी बच्चे है और अपने चुतिया राजा से कहो स्वांस की फुफकार से तू, तू, तू करके तू तू तारा गीत न गाये। मुझे बस बात करनी है। लेकिन अनुशासन बिगड़ा तो लाश गिरेगी... हो सकता है अगली लाश तुम लोगों के उभरते नेता पलक की हो। आगे बढ़ते हैं... तो क्या मैं बात कर सकता हूं...
करेनाराय, गुस्से का घूंट पीते.... “बोलो...”
आर्यमणि:– ये बताओ की तुम लोग पृथ्वी से अपना कारोबार बंद करके कब जा रहे?
करेनाराय:– मैं नही जानता...
आर्यमणि:– ये भी चुतिया निकला.. इसे भी नही पता...
करेनाराय:– बदतमीज लड़के तुझे चाहिए क्या?
आर्यमणि:– तू भी नालायक निकला किसी और से बात करवा...
करेनाराय:– रुक तेरे काल के दर्शन करवाता हूं। ब्रह्मांड के तुझ जैसे मामले वही देखती है।
आर्यमणि:– ओह... जल्दी बात करा उस से... तब तक लोगों के मनोरंजन के लिये ओजल ...
आर्यमणि ने ओजल पुकारा और अगले ही पल एकलाफ का धर दो भागों में विभाजित था। और इस घटना को देखकर स्क्रीन पर नई जुड़ी, करेनाराय की आठवी बीवी और उसकी पहली बीवी की बड़ी बेटी से कम उम्र की बाला अजुर्मी जुड़ चुकी थी। आंखों के आगे ऐसा नजारा देखकर वह भन्ना गयी। माहोल को तो पहले ही भांप चुकी थी।
करेनाराय:– वो कुछ बोल रही है माइक ऑन करो उसका...
जैसे ही माइक ऑन हुआ, कान फाड़ बला, बला, बला होने लगा। आर्यमणि एक बार फिर पुकारा, पर इस बार केवल ओजल ही नही बल्कि संन्यासी शिवम् भी मुख से निकला। पलक अपना सर उठा कर देखने लगी, क्योंकि वह वाकई डरी थी। उसे लग रहा था, सबको डराने के चक्कर में कहीं उसके 2–4 साथी शाहिद न हो जाये।
किंतु इस बार ऐसा कुछ न हुआ, बल्कि चमत्कार सा हुआ। चमत्कार वो भी एक बार नही बल्कि 2 बार हुआ। जैसे ही आर्यमणि ने संन्यासी शिवम् और ओजल कहा, तीनो इकट्ठा हुये और अगले ही पल तीनो अजूर्मी के स्क्रीन से दिख रहे थे। एक झलक उसके स्क्रीन से दिखे और अगले ही पल वापस अपनी जगह पर। बस बदलाव में उनके साथ अजुर्मी भी जर्मनी पहुंच चुकी थी।
संन्यासी शिवम् को कुछ ही वक्त हुये थे टेलीपोर्टेशन सीखे। दूसरे ग्रह पर तो क्या अभी पृथ्वी के एक छोड़ से दूसरे छोड़ तक जाना संभव नही था। लेकिन कल्पवृक्ष दंश एक एम्प्लीफायर था जो मंत्र की शक्ति बढ़ा देता। वहीं जादूगर महान की आत्मा जिस स्टोन की माला में कैद थी, एनर्जी फायर, वह तो कल्पवृक्ष दंश से भी बड़ा एम्प्लीफायर था। 2 एम्प्लीफायर पर मंत्र की शक्ति ने वह कमाल किया की तीनो मिलकर गुरु निशि के कत्ल के सबसे बड़े साजिसकर्ता को पृथ्वी ला चुके थे।
अजुर्मी ने आते ही अपने दोनो हाथ और आंख से 2 मिनिट का शो किया। लेकिन वायु विघ्न मंत्र के आगे सब बेकार था। वैसे अब तक टकराए नायजो में अजुर्मी थी सबसे खतरनाक। जितना भू–भाग ये खुली आंखों देख सकती थी, वह पूरा भू–भाग ही लेजर की खतरनाक लाल रौशनी की चपेट में होता। इतना ही नहीं बल्कि पूरे भू–भाग को लेजर मे डुबाने के बाद मात्र अजुर्मी के हाथों के इशारे होते और वह लेजर सैकडों किलोमीटर के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले चुका होता।
इसे यदि थोड़ा आसान करके समझे और लेजर को पानी मान ले तो... अजुर्मी की नजरें उठी और जितनी दूर देख सकती थी, फिर देखने में पूरा ही हिस्सा आता था, लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई... जिसे की सामान्य आंखों से देख सकते थे। तो अजुर्मी की नजरें उठी और जितना हिस्सा उसके आंखों ने कैप्चर किया, उस पूरे हिस्से में पानी ही पानी। फिर अपने हाथ के इशारे से जैसे ही उसे धकेला, वह पानी बिलकुल अपनी ऊंचाई बनाते हुये पल भर में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर लेता था।
ऐसी खतरनाक शक्ति से होने वाली तबाही का अंदाजा ही लगाया जा सकता था। मानो अजुर्मी अपने नजरों में एटम बॉम्ब समेटे घूम रही थी। अब ऐसी शक्ति जिसके पास हो वो यदि गुमान करे तो कोई अचरज वाली बात नही। अजुर्मी की वास्तविक उम्र 78 साल थी और अब तक कुल 1 करोड़ लोगों को मार चुकी थी, जिनमे 90% तो इंसान थे।
पृथ्वी पर उसके मुख्य कारनामों में, नायजो को एक पूरे टापू पर बसाने के लिये वहां के समस्त जीवों को वह पलक झपकने से पहले मार चुकी थी। भारत से लेकर समस्त एशिया और अफ्रीका तक में वह कुल 8500 गांव को सिर्फ इसलिए वीरान कर चुकी थी, क्योंकि उस जमीन पर नायजो को बसाना था तथा कारोबार खड़ा करने के लिये जमीन खाली करवाना था। अजूर्मी खुद में एक तबाही थी, जिसके आगे सभी नायजो सर झुका लेते थे। 5 ग्रहों में अजुर्मी के ऊपर बस कुछ चंद नायजो ही बचते थे, जिनसे अजुर्मी हुक्म लिया करती थी।
पहले तो अल्फा पैक के पास कोई नाम नहीं था। आज की प्रस्तावित मीटिंग में किसी बड़े औहदे वाले विकृत नायजो को टेलीपॉर्ट करके लाना था। किंतु गुरु निशि के मुख्य साजिशकर्ता का नाम जबसे बाहर आया था, पूरा अल्फा पैक बिना उस साजिशकर्ता का इतिहास जाने, उसे ही मिट्टी में मिलाने का फैसला कर चुकी थी। शायद अजुर्मी अपने खौफनाक शक्ति से सबको मिट्टी में भी मिला सकती थी, किंतु अस्त्र और शस्त्र के खेल में उलझकर उसकी सारी शक्तियां फिसड्डी साबित हो गयी।
अस्त्र जिन्हे फेंककर हमला किया जाता है। जैसे बंदूक से निकली गोली, कोई तीर, या हाथों से फेंका गया भला। जितने भी अस्त्र होते है, वह चलाने वाले के शरीर के किसी भी हिस्से से जुड़े नही होते और लगभग सभी अस्त्रों का हमला हवाई मार्ग से होता है। ऐसे हमलों को वायु विघ्न मंत्र पल भर में काट देता। जबकि शस्त्र को पकड़कर उस से हमला किया जाता है। जैसे की लाठी, तलवार, भला या अन्य हथियार जिन्हे हाथ में लेकर हमला किया जाता है। अजुर्मी के आंखों का लेजर वाकई बहुत ज्यादा खरनाक था। लेकिन संन्यासियों और अल्फा पैक के बीच उसकी ये शक्ति दम तोड़ चुकी थी।
आर्यमणि लाइव स्क्रीन पर अजुर्मी को एक थप्पड़ मारते... “ओ बेवकूफ प्राणी, ये सब तिलिस्मी शक्ति यहां काम ना आया, तभी तो तुम्हारे जैसे कीड़े कुछ दीवारों से टंगे है, तो बहुत सारे पीछे कचरे की तरह फेंके गये है। इसे भी पैक करो जरा मैं बात कर लूं।”...
पैक का ऑर्डर होते ही अजुर्मी पहले प्लास्टिक से, फिर उसके ऊपर मजबूत जड़ों में पैक हो गयी और उसे भी डंपिंग ग्राउंड में फेंक दिया गया। आर्यमणि वापस से स्क्रीन पर आते.... “क्यों बे चूतियो तुम वहां से कुछ भी धमकी दोगे और हम सुन लेंगे। कुछ देखा, कुछ सुना, कुछ समझा”....
तभी बीच में करेनाराय टोकते... “मेरी बीवी... वो, वो कैसे ले गये उसे यहां से पृथ्वी पर”...
आर्यमणि:– कब, कहां, क्यों, और कैसे का जवाब तु अपने लोगों से बाद में ले लेना फिलहाल....
करेनाराय:– मेरी बीवी को ऐसे जानवरों की तरह पैक करके कहां ले जा रहे?
आर्यमणि:– साला अनुशासन ही नही है। शिवम सर, ओजल... (मन में विश्वा कह दिया)..
दोनो अंतर्ध्यान होकर विश्वा के पास पहुंचे और ओजल उसे, उसी के घर पर चीरकर संन्यासी शिवम् के साथ लौट आयी।..... “अब देखो अनुसासन का परिचय न दोगे, और ऐसे बीच में बात काटते रहोगे तो क्या मैं केवल यहां प्यादों को मारने का शो दिखाता रहूं। अब सब शांत होकर पहले देखो, सुनना बाद में”...
करेनाराय:– कुछ भी करने से पहले मेरा प्रस्ताव सुन लो...
आर्यमणि:– हां बोल...
करेनाराय:– हम पृथ्वी छोड़ देंगे... तुम अजुर्मी के साथ बाकियों को भी छोड़ दो...
आर्यमणि, सबको म्यूट करते..... “तू शो इंजॉय कर चुतिये। यहां जिसे मैंने बात करने बुलाया था, पलक और पलक अपने जिन 56 साथियों (30 पलक के लोग+ 22 पलक के ट्रेनी + 4 चमचे) के साथ आयी थी, उनमें से 52 ही जिंदा जायेंगे। हालांकि इसके 4 दोस्त जो स्क्रीन पर कट गये, उसकी वजह तुम लोगों की अनुशासनहीनता थी, वरना वो भी जीवित रहते.. तो पहले शो इंजॉय करो उसके बाद पृथ्वी छोड़ने पर बात होगी...
स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।
Bhai aap le lo meri jaan, aise baar baar exciting update dekr jo ham readers ka khud pr se control khatm karte ho vo bahatreen hai, mind blowing Lajvab amazing wonderful update bhai with awesome writing skills Nainu bhaya...
Palak ke vo 4 chamche jinhe sukesh ujjwal logo ne bheja hua tha unhe aise Mara hai ki man me athah santusti ki bhavna utpann Hui hai,
Bharti ko bhi aise hi tapka diya or or to or bharti ke baap ko bhi, Pahle to sale serious hi nhi le rhe the or vo Raja, vo bhi chutiya Jaisa tha is situation me, sale ne apni Bibi ko samne kr diya, pr main saans meri tb chadhi jb arya shivam ji or Ojal ne ajurmi ko hi uske planet se teleport kr liya Apne wolf house me, Maine yha 4-5 baar siti bjaya is drisya me, idhar jo kuchh padha Vo tarif se badh kr tha bhaya...
Ajurmi ki power level bta kr aapne terrifying kr diya hame ki usse badh kr jo hai Vo kitne Khatarnak honge power level ke mamle me, RAJA bhi ab thoda dimag se kaam lega mujhe lagta hai, gussa to use aayega hi apni Bibi ko Marta dekhne pr, Lekin jo satvik asram ne barso se saha hai uska badla to lena hi hai, pr jo satvik asram or arya unko dikha rha hai Vo sirf Khatarnak hi nhi hai vo to dil dimag ko sunn kr dene vala hai, Dekhte hai dhushman ki kya pratikriya rahti hai...
































Jaha ek taraf Ojal ko jitni baar avaj di gyi usne unke logo ko aise kata hai Jaise hmari Naina ji is imogi ka prayog kiya karti thi

sasura bada maza aya isko Ojal ke sath imagine karke, palak ka chikhna Bahut hi realistic lga pr last tk aate aate ajurmi ko teleport karte time palak ki sach me fat ke hath me aa gyi ki kahi is baar uska hi no to na lga diya...
Evan or Nishant maha ke sath upar system me Baithe hai online, mujhe lagta hai vo log king ke system ko khagalne me lge huye hai taki baad ke liye information reserve kr sake...
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