




















Haa wo to hain,lekin story bahot waqt se past main chal rahi hain to thoda boring si ho jati hain,agar past aur present main chalegi toh maja aa jayega.Bas pata chal jaayega ,.... aare Jethani ji ka bhi to bhai hai ,...







Bhut shandaar update bhabhi.... maja Aa gya .....भाई चढ़ा,...
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और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...
खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,... लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया, उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।
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कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें , जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा, और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.वो मन ही मन सोच रही थीं संदीप ने अपनी बहन की फाड़ने के लिए बहुत अच्छी जगह चुनी, चिल्लाये वो मन भर के चीख चीख के , गला फाड़ फाड़ के कोई दूर दूर तक उसकी चीख क्या सिसकी भी नहीं सुन सकता था,... और एक बार चीखते चीखते थक गयी चूतड़ पटकना बंद कर दिया तो खूब गपागप
छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...
" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "
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मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,
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" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... " फिर दुलार से समझाया
" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ नहीं यहीं देख , सीख जायेगी,... "
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" और तुझे तो एतराज नहीं है " संदीप को पकड़ के चूमती वो बोलीं।
" एकदम नहीं , ... " संदीप ने मुंह में जीभ डाल के कस के चूम लिया। पहल जेठानी ने ही की , उनकी साडी पुआल के ऊपर और संदीप भी फिर शार्ट में , और जेठानी ने भी संदीप की बहन का फ्राक पकड़ के खोल दिया,
" अरे उतार दे, यहाँ इतनी धूल मिटटी है,... कहीं गन्दी हो गयी तो घर पे क्या बताएँगे , देख मैंने भी उतार दिया, अरे ढक्क्न लगे रहने दूंगी, घबड़ा मत, "
और अब जेठानी , ब्रा पेटीकोट में,
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संदीप सिर्फ एक छोटे से शार्ट में और छुटकी कच्ची कोरी भी ब्रा और चड्ढी में, अपने नए आये उभारों को हाथ से ढकते हुए, संदीप और जेठानी एक बार फिर चुम्मा चाटी में लग गए, जेठानी का हाथ अब संदीप के शॉर्ट में और उसका खूंटा मुठियाने लगी , साथ में संदीप के कान में ऐसे बोलने लगीं जैसे खूंटे से ही बात कर रही हों,
" देख है न माल मस्त, एकदम कसी है, कच्ची कोरी, जबरदस्त फाड़ना, खूब चूतड़ पटकेगी, बिसुरेगी , रोयेगी , लेकिन बिना खून खच्चर के बाहर नहीं निकलने का , समझे में शेर, आज दिखा दे अपनी पूरी ताकत,... "
यह बातें सुनकर वही हुआ जो होना था , खूंटा फूल के कुप्पा, शार्ट एकदम तन गया।
और जब संदीप को जेठानी ने छोड़ा तो वही हुआ जो उन्होंने सोचा था,... छुटकी बहिनिया की निगाहें अपने भैया के खूंटे से चिपकी थीं. पर जेठानी के देखते ही उसने निगाहें चुरा ली,...
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और जेठानी ने भी ऐसे ही किया जैसे उन्होंने कुछ देखा नहीं हो। लेकिन संदीप से वो बोलीं,
" यार , एक चुम्मी इसकी भी तो बनती है , ये हेल्प न करती दो हम दोनों को ये मौका न मिलता। "
बस संदीप ने अब उसे पकड़ के एक हलकी चुम्मी ले ली , पर जेठानी ने आँखे तरेरी तो फिर कस के चिपक के,...
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थोड़ी देर तक तो वो छटपटाई , फिर वो भी हलके हलके जवाब देने लगी , जैसे जेठानी कर रही थीं उसी तरह करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ देर में संदीप को हटाकर जेठानी ने उसे चिपका लिया , और कन्या रस में तो उन्हें गाँव की काम करने वालियों ने, भाभियों ने माहिर कर दिया था , बस आज उसी का इम्तहान था।
और उस इम्तहान में जेठानी जी १०० में १०० पाकर पास हुईं वो भी पांच मिनट के अंदर, पहले तो ढक्क्न के अंदर हाथ डाल के उन्होंने दोनों चूजों की हाल चाल ली , हलके हलके दबाना मीजना शुरू किया ,
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फिर दोनों मखमली रेश्मी जाँघों को सहलाते हुए उँगलियों ने चड्ढी के अंदर सेंध लगा दी,कभी हथेली से चुनमुनिया मसलतीं तो कभी सिर्फ दोनों फांकों को तो कभी एक ऊँगली फांक की दरार में,
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पांच मिनट के अंदर ही वो गीली हो गयी, चड्ढी पर एक बड़ा सा धब्बा, छोटे छोटे उभार पथरा गया, मटर की आ रही छिमियों के दाने की तरह के निपल भी टनटना गए, आँखे मस्ती से बंद हो गयीं सांस गहरी चलने लगी, और संदीप की बहिनिया के ये हाल देखकर संदीप का खूंटा भी अब शार्ट से बाहर निकलने को बेताब था।
" हे तेरे भैया ने तेरी चुम्मी ली, तू भी ले, "
जेठानी ने उसको उकसाया और पुश कर के सीधे संदीप की बांहों में, अबकी पहल बहन ने ही की , भले ही हलके से लेकिन अपने होंठों को अपने भैया के होंठों पे रख दिया ,और आगे की चुसम चुसाई संदीप ने शुरू कर दी।
जेठानी खाली नहीं बैठी थीं , उन्होंने अपने यार को पीछे से दबोच लिया पर उनका एक हाथ भी भैया की बहिनिया के छोटे छोटे चूतड़ों पर था, उसे पकड़ कर वो अपनी ओर खींच रही थीं जिससे संदीप का खूंटा उस कोरी की गीली गीली जांघों के बीच, पहली बार उस टिकोरे वाली को मूसल का असर सीधे वहां मालूम हो रहा था,
पर जेठानी को इतने पर ही संतोष नहीं था, उस कच्ची कली का हाथ पकड़ के पहले तो उन्होंने उसके के भैया के शार्ट के ऊपर से खूंटे पर पर रगड़ा और थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ के उसका हाथ शार्ट के अंदर,...
छुटकी ने हाथ छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर जेठानी की पकड़,...
एकदम गरम रॉड, दहकता , फुंफकारता
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" अरे एक बार बस पकड़ ले , कुछ नहीं करना बस देख ले पकड़ के "
और उस किशोरी ने हलके से ,.... बस इतना काफी था, उसके ऊपर जेठानी का हाथ, वो कस के दबाये रहीं की जरा ये अपने भाई का लम्बा मोटा कड़ा महसूस कर ले , फिर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,
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थोड़ी देर में शेर पिजड़े के बाहर था।


















Very nice, jabardast, awesome update & above all on the rightest occasion.छुटकी बहिनिया की...
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लेकिन अब समय आ गया था असली खेल का, और इस कच्ची कली में ये मूसल इतने आसानी से जाने वाला नहीं थी और उसका इंतजाम जेठानी घर से ही कर के चली थीं और उसके लिए भी उन्होंने उस छुटकी को ही उकसाया,
" हे मेरे बैग में एक बोतल रखी है जा के ले आओ, "
और जैसे ही वो थोड़ी दूर हुयी जेठानी ने संदीप से कहा,
" स्साली खूब गरमा गयी है , तवा गरम है हथोड़ा कस के मारना , रोने चिल्लाने के बिना झिल्ली फटने का मजा ही नहीं है, रोने देना साली को आज बिना चुदे नहीं जायेगी यहाँ से , दो बार इसे चोद दोगे न आज तो खुद टांग फैलाएगी , ...रखैल बन के रहेगी तेरी जिंदगी भर,... जब चाहे तब चढ़ जाना , घर का माल घर में इस्तेमाल होगा ,... "
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तब तक वो आ गयी , एक बड़ी सी शीशी , वैसी ही जो हर गौने की रात में भौजाइयां देवर के सुहागरात के कमरे में रख के आती हैं , देसी सरसों के तेल से गले तक भरा ,
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जब तक वो लड़की कुछ पूछे , जेठानी ने तेल निकाल के अपनी हथेली पर और संदीप के खूंटे पर ऊपर से नीचे तक आठ दस बार, और कुछ तेल उसकी बहन की हथेली पर ,
" हे तू भी लगा न , भाई की हल्दी तेल की रस्म तो बहन ही करती है, लगा दे प्यार से , "
जेठानी को हाथ पकड़ना भी नहीं पड़ा और उसने खुद हाथ में लगा सारा तेल , अच्छे से मूसल पे चुपड दिया,... मालूम तो उसे भी था क्या है पर किस के साथ होना है उसका जरा भी अंदाज उसे नहीं था।
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जेठानी ने अब बहन के भैया को काम पे लगाया,
" इसकी चुनमुनिया देखनी है तो कुछ मेहनत करो "
लेकिन बहन और भाई मिल गए , संदीप ने उस कच्ची कोरी के कान में कुछ कहा और जब तक तक जेठानी समझें पेटीकोट का नाडा खुल चूका था। और सरसर कर के साया साथ छोड़ गया , अब जेठानी और संदीप पूरी तरह , और सिर्फ छुटकी सिर्फ चड्ढी में , वो भी मस्ती के रस से गीली।
जेठानी जी ने मन में तय कर लिया था अब तो इस स्साली की चड्ढी मैं इसके भैया से ही उतरवाउंगी, और रुला रुला के फड़वाउंगी उसकी, पक्की छिनार बना के रहूंगी इसको।
बस, उसके दोनों हाथ पीछे से मोड़ के उसके भइया के सामने ले जा के बोलीं
" अरे देख तोहरी छुटकी बहिनिया ने कौन सा खजाना यहाँ छिपा के रखा है जो किसी को दिखा नहीं रही "
वो छटपटाती रही पर संदीप ने आराम से धीरे धीरे अपनी बहन की चड्ढी प्यार से सरका सरका के,... और जेठानी ने उसे वहीँ फेंक दिया जहाँ उसकी ब्रा पड़ी थी,...
और सच में , बहिनी की चड्ढी उसका भइया उतारे उससे रसीली बात क्या हो सकती थी,
कच्ची एकदम कोरी कुंवारी चूत, गोरी गोरी, भूरी भूरी बस दो चार रेशम सी झांटे,.. फांके एकदम चिपकी जैसे लंड को चैलेन्ज कर रही हों , घुस के तो दिखाओ,...
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वैसे ही तन्नाया भैया का लंड , एकदम पागल हो गया , यही तो वो चाहता था, एकदम कच्ची अनचुदी बुर,... जिसे पहली बार उसका मस्त खूंटा छुए,,एकदम अक्षत
और इस बिल में तो अभी ऊँगली भी ठीक से नहीं घुसी थी ,
लेकिन तबतक जेठानी जी की हथेली ने उसे ढंक लिया,
"अरे जरा तेल मालिश तो कर दूँ, बहुत नजरा लिए " और हाथ में लगा सारा कडुआ तेल संदीप की बहिनिया की बिल पे ले के धीमे मसलने लगीं,
कुछ देर में वो मिटटी के फर्श पे लेटी थी, टाँगे हवा में उठी और जेठानी जी बीच में, उनके हाथ में वही सरसों के तेल को बोतल, और अबकी पूरी ताकत से उसकी दोनों फांकों को जेठानी की उँगलियों ने फैला दिया, और तेल की खुली बोतल का मुंह सीधे दोनों फांकों के बीच में, कम से कम चार ढक्क्न के बराबर तेल तो गया ही होगा, और बोतल हटाने के साथ ही उनकी उँगलियों ने दोनों फांको को कस के चिपका के जैसे सील कर दिया, जिससे एक बूँद भी तेल बाहर न आ पाए और उस टीनेजर के दोनों चूतड़ दूसरे से पकड़ के हवा में उठा दिए,...
पूरे चार मिनट तक, जब तक पूरा तेल अंदर तक रिस नहीं गया, और उसके बाद भी जो दो चार बूँद निकला, पहले तो निचले होंठो के अंदरूनी हिस्सों पे , धक्का यहीं तो लगना था , और बाकी की तेल मालिश पूरी चुनमुनिया पे, साथ में अंगूठे से कभी वो क्लिट की रगड़ाई कर देतीं तो कभी दो उँगलियाँ फांको के बीच में डाल के अंदर बाहर ,
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बहिनिया मचल रही थी, और ऊपर का हिस्साउसके भैया के हाथ, दोनों कच्ची अमियाँ जो रोज फ्राक के अंदर से उसका मन ललचाती थीं , अब खुल के हाथों में,
पहली बार किसी मर्द का हाथ पड़ा था, वो भी भैया का, भले अमियाँ बस आ रही थीं लेकिन वो ख़ुशी से फूल गयी, मस्ती से पथरा गयीं,
जेठानी ने एक बार फिर थोड़ा सा तेल हथेली में लेकर फांको के बीच और उसे छेड़ते हुए
" लेगी इसमें भैया का,... "
तुरंत जवाब नहीं में मिला।
" क्यों हाथ में लिया, ऊपर वाले मुंह में लिया तो बिचारे नीचे वाले से क्या गलती हो गयी है,... " जेठानी ने हलके हलके ऊँगली करते हुए कहा,
"फिर फुसफुसाते हुए बोलीं
" अरे यार चुदवाने को थोड़ी कह रही हूँ , मैं हूँ चुदवाने के लिए,... बस खाली एक बार ऊपर से टच करा लो , मैं बोल दूंगी उनको, सिर्फ टच,.. हलके से गईं के दस तक गिनती गईं के और तुम मना करोगी बोलोगी तो हट जाएंगे , अरे हाथ से छुआ , होंठ से छुआ दोनों जगह चमड़ी ही तो है , यहाँ भी वही,... '
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वो चुप रही , और जेठानी को मौका मिल गया ,
" सुना न , चुप का मतलब हाँ, ... और बस स्किन पे टच,... कर ये जैसे ही बोले भैया निकाल लो तो निकाल लेना। "
इससे ज्यादा संदीप को क्या सिग्नल मिलता,
अब वो दोनों जाँघों के बीच,
और जेठानी ऊपर उसका सर अपनी गोद में रख के दुलराते सहलाते , अपना के निपल उसके मुंह पे , उस कच्ची कोरी ने मुंह खोल के अंदर कर लिया फिर धीरे धीरे जेठानी ने आधे से ज्यादा उसके मुंह में और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ के पुश कर के , अब वो लड़की चाह के भी मुंह नहीं खोल सकती थी चिल्लाना तो दूर की बात