अपडेट-2
प्यार तो प्यार होता है।वो एकतरका हो या दोनो तरफ से बस होता है।
बस यही तो एक अहसास है।जिसे आज लोग हवस में बदल रहे हैं।मुझे क्या,आते हैं अपनी कहानी की ओर।
ऐसे ही दिन कट रहे थे।स्कूल से घर, घर से स्कूल।बस इसमें अच्छा था तो बस पूजा को देख भर लेना।कभी सोचता की बात करूं फिर सोचता क्या बात करूंगा उससे।कुछ समझ ही नही आता था।
एक दिन मैं क्लास से निकला तो मुझे किसी ने पीछे से आवाज दी।मैने पीछे देखा तो वो पूजा थी।मैं एक बार तो हैरान ही हो गया था।फिर संभल कर पूछा।
अभी – क्या मैं
पूजा – हां तुम।मेरा नाम पूजा है और तुम्हारा अभिषेक न।
अभी– जी बिल्कुल।क्या हुआ कोई काम था क्या?
पूजा – जी मुझे तुम्हारी साइंस और इंग्लिश की नोट्स चाहिए थी।
अभी – ठीक है ले लीजिए।लेकिन कोई एक ही दे पाऊंगा।क्योंकि मुझे भी पढ़ना होता है।
पूजा – हां कोई बात नही कोई एक दे दो।
फिर मैंने उसे अपने बैग से साइंस की नोट बुक निकाल कर दी।उसने कहा कल वापस दे कर दूसरी लूंगी।ठीक है।मैं भी ठीक है बोलकर घर को चल दिया।दिल में एक अलग ही खुशी थी की कम से कम आज उससे पहली बार बात तो हुई।
शाम और रात तो उसकी यादों में ही कटी।बस इंतजार था कल का, कल उससे फिर बात होगी।दूसरे दिन जब में स्कूल के लंच टाइम बैठा था तो वो मेरे पास आई और मेरी नोट बुक वापस की और दूसरी नोट बुक ले कर मुझसे बोली की स्कूल छुटने पर मिलती हूं।में भी ठीक है बोल दिया।बस ये अच्छा था की उस समय मेरा कोई भी दोस्त नही थे मेरे साथ।वरना इस बात का तो बतंगड़ ही बना देते।
स्कूल की छुट्टी होने पर में सबसे पीछे निकला ताकि मेरे दोनो चूतिया दोस्त मुझे फसा न ले।जब में बाहर आया तो पूजा मेरा ही इंतजार कर रही थी।
पूजा – क्या हुआ बहुत देर से निकले तुम क्लास से।
अभी – नही बस ऐसे ही।वो क्या है की सबसे लास्ट में बैठना होता है तो इसलिए।
पूजा – तुम तो अच्छे स्टूडेंट हो तो तुमको आगे बैठना
चाहिए।और सर भी तुमको नही बोलते ऐसा
क्यूं?
अभी – शुरू से ही में वहां बैठा हो तो वही ठीक लगता
है और अगर आप पढ़ना चाहें तो कहीं भी पढ़
सकते हैं क्या आगे और क्या पीछे।
पूजा – हां ये तुमने ठीक कहा।चलो फिर चलते हुए
बात करते हैं।तुम्हार घर कहां पर है।मेरा तो
आगे वाली गली से लास्ट में दाहिने हाथ पर है।
अभी – मेरा थोड़ा आगे ही है।पर सीधे ही।तुम यहां पर
कब से हो।क्योंकि पहले तो नही देखा यहां
पर। कौन कौन है तुम्हारे घर पर।
पूजा – हां में यहां पर नई हूं।क्योंकि दीदी का ट्रांसफर
यहां की तहसील में हुआ है।वो सब रजिस्ट्रार
है।
इसलिए मुझे मम्मी को उनके साथ आना पड़ा।
अभी – ओह ये तो बहुत अच्छा है।यानी की तुम्हारी
दीदी की अभी शादी नहीं हुई है।और तुम्हारे
पापा वो कहां है।
पूजा – हां तुमने ठीक कहा।इसलिए हम तीनो अभी
साथ ही रहते हैं।और मेरे पापा और मम्मी का
डाइवोर्स हो गया था कुछ साल पहले।
अभी – मुझे माफ करना।चलो फिर कल मिलते हैं।
तुम्हारी गली भी आ गई।पूजा क्या तुम मुझसे
दोस्ती करोगी।मैने एक दम से ये कह दिया।
और दिल में ये सोचने लगा की अगर इसने
इनकार किया तो बेटा तेरा क्या होगा।लेकिन
जब उसने बोला तो कमाल ही हो गया।
पूजा – अरे क्यूं नही।में तो तुमको अपना दोस्त मान
कर ही तुमसे नोट बुक के लिए कहा।तुमको
क्या अब भी शक है।चलो अब हाथ मिलाओ
और पक्का कर लो हमारी दोस्ती को क्यों।
अभी – ओके ओके।मैने उससे हाथ मिलाया और हम
दोनो अपने अपने घर की ओर चल दिए।
मैं तो आज बहुत खुश था।जैसा लगा सारी दुनिया ही मिल गई हो।अब तो ये सिलसिला ही हो गया।रोज स्कूल जाना उससे बात करना फिर उसकी यादों में खो जाना।पर मैं अपनी पढ़ाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ने दिया।क्योंकि इसी ने तो मुझे पूजा के इतने करीब लाया था।
इस तरह से हमारी 10 की परीक्षा हुई और इस बार भी मैने अपने स्कूल में टॉप किया।पूजा ने भी तीसरा स्थान हासिल किया था।क्योंकि हमारा स्कूल 12 तक था तो अभी हमें यहीं पढ़ना था।छुट्टियां हुई तो ऐसा लगा की पूजा से मिले कितने साल हो गए हों।पर फिर जब स्कूल खुला तो उससे मिल कर बहुत खुशी हुई।लेकिन वो मुझसे नाराज़ थी की मैं उससे मिलने क्यों नहीं आया।मैने उससे कहा की तुमने अपना घर ही नही दिखाया था और न ही अपना फोन नंबर दिया था। तो उसने कहा हां ये तो गलती हुई है मुझसे लेकिन तुम भी मुझसे मांग सकते थे।मैने कहा कई बार ऐसा लगा की तुमसे कहूं पर में डरता था की तुम गुस्सा ना हो जाओ।
उसने कहा क्यों में क्यों गुस्सा होती तुमसे।
अभी – क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूं।
पूजा – बुद्धू कहीं के यही तो सुनना था मुझे।एक साल
लग गए तुमको ये कहने में।मैं भी तो तुमसे प्यार
करती हूं।
अभी – क्या सच में,ये कोई सपना तो नहीं।में इसलिए
ही डरता था की अगर तुमने इनकार कर दिया
तो मैं क्या करूंगा।बस इसलिए नहीं कह पाया
था।एक काम करो तुम अपना नंबर दे दो।मेरे
पास मोबाइल तो नही है पर मेरे घर पर लैंड
लाइन है।हम कभी कभी उससे भी बात कर
लिया करेंगे।
पूजा – ठीक है लाओ अपनी नोट बुक दो उसपर लिख
देती हूं।और आज स्कूल के बाद तुम मेरे घर
चल रहे हो।ठीक है।
अभी – ठीक है।लेकिन ज्यादा देर रुक नही पाऊंगा।
उसने बोला ठीक है आज घर देख लो उसके बाद तो आना जाना लगा रहेगा।मैने भी उसको अपने घर ले जाने के लिए बोला तो उसने बोला जब तुम ले चलो।क्योंकि मैने तो देखा नही है पहले तुमको ही दिखाना होगा।मैने भी ठीक है कहा और हम क्लास के लिए चले गए।जहां कुछ खास नहीं हुआ।
इस क्लास में मेरे मन की मुराद पूरी हुई क्योंकि इसमें बेंच दो लोगों के बैठने के लिए ही थी।और अब हम दोनो साथ ही बैठ सकते थे।फिर स्कूल की छुट्टी हुई।और में चल दिया पूजा के घर।अजय और अमित ने मुझसे पूछा तो मैंने उनको बोल दिया बस फ्रेंडशिप तक ही है।तो उन दोनो ने भी कहा की बेटा आराम से मिलते हैं तुझसे।मैने भी उनसे बाय बोल दिया।
आज यहीं तक आगे की कहानी अगले भाग में तब तक अपना और अपनो का खूब खयाल रखें।आप की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।
धन्यवाद।