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Non-Erotic Short stories written by me

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  • Koi Lauta Do Mujhe

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  • Bank Robbery

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  • Khoya Hua Pyaar

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  • Mysterious Island aur Khazana

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KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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mast kahani thi ..charo dosto ne apni aiyashi karne ke liye bank me chori ki ..
aur sab best plan karke safal bhi rahe ..
2 dost apne hisse ka paisa leke chale gaye par hero ne apna hissa anuj ke paas hi rakha .
kuch paise kharch kar paya hero ,baaki jab socha ki anuj se paise lekar apne ghar rakhega tab tak anuj saare paise lekar faraar ho gaya 😁..
sikh rahi hai ki bure kaam ka anjaam bura hi hota hai par ye bhi hai ki bure kaam karne wale dosto par hadse jyada vishwas bhi nahi rakhna chahiye 🤣..

apne paise kahi aur rakhta to shayad aaj hero ke paas aiyashi karne ka jariya ho jaate wo paise ..
kya anuj ke baare me pata nahi tha hero ko jo paise uske paas rakh diye ...
aakhir me hero ka hi chutiya kat gaya 😁..baaki teeno maje me honge ..
 
  • Love
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ag86

The Witcher
Prime
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mast kahani thi ..charo dosto ne apni aiyashi karne ke liye bank me chori ki ..
aur sab best plan karke safal bhi rahe ..
2 dost apne hisse ka paisa leke chale gaye par hero ne apna hissa anuj ke paas hi rakha .
kuch paise kharch kar paya hero ,baaki jab socha ki anuj se paise lekar apne ghar rakhega tab tak anuj saare paise lekar faraar ho gaya 😁..
sikh rahi hai ki bure kaam ka anjaam bura hi hota hai par ye bhi hai ki bure kaam karne wale dosto par hadse jyada vishwas bhi nahi rakhna chahiye 🤣..

apne paise kahi aur rakhta to shayad aaj hero ke paas aiyashi karne ka jariya ho jaate wo paise ..
kya anuj ke baare me pata nahi tha hero ko jo paise uske paas rakh diye ...
aakhir me hero ka hi chutiya kat gaya 😁..baaki teeno maje me honge ..
Thank you so much bro for this beautiful review
 

ag86

The Witcher
Prime
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3rd story

खोया हुआ प्यार
 
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ag86

The Witcher
Prime
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4th story

हीरो

आधी रात से ऊपर हो चुकी थी। मैं अपनी कार से दूर के एक जिले कुछ काम से जा रहा था। रास्ता बेहद सुनसान था और अगल-बगल जंगल था। यह मार्ग काफी खतरनाक माना जाता था। आपराधिक तत्व रात के अंधेरे में अक्सर यहाँ से गुजरने वाले लोगों को लूट लेते व हत्या कर देते थे। कई कांड होते रहते थे इस 50 किमी0 लम्बे जंगल से घिरे सुनसान मार्ग पर। मैं बड़ी रफ्तार से गाड़ी चला रहा था। तभी मुझे तभी मुझे एक दुर्घटनाग्रस्त कार दिखी। मैंने अपनी कार की रफ्तार धीमी करी, मैंने सोचा की कार के अन्दर कोई घायल भी हो सकता है। लेकिन मन में यह ख्याल भी था की यह किसी की चाल हो सकती है क्योंकि यह इलाका लुटेरों के लिये कुख्यात है। लेकिन अगर कोई घायल है तो उसकी मदद करना मेरा फर्ज है फिर चाहे वो अपनी जान पर खेल के ही करनी पड़े। मैं सोच विचार करते थोड़ा आगे निकल आया था। मैंने इरादा कर लिया की जा के देखता हूँ। अगर वहाँ कोई मृत होगा तो कोई बात नहीं मैं वापस कार में बैठकर चला जाउँगा, पर अगर कोई घायल होगा तो पुलिस व एम्बुलेंस को सूचना दे दूँगा। मैंने अपनी लाइसेंसी बंदूक लोड करी और कमर में खोसी और कार वापस ली। हिम्मत करके मैंने उस कार के अन्दर झांका तो उसमें एक लगभग 50 के आस पास उम्र का व्यक्ति काफी घायल अवस्था में पड़ा था। मैंने उसकी नब्ज टटोल के देखी। वह जिन्दा था। मैंने एम्बुलेंस को फोन करने के लिये फोन जेब से निकाला लेकिन उसमें नो सिग्नल लिख के आ रहे थे। आस-पास कोई भी टावर नहीं था शायद इसीलिये सिग्नल नहीं आ रहे थे। उस व्यक्ति का काफी खून बह चुका था और अभी-अभी बह रहा था। मैंने जल्दी से अपनी कार से फर्स्ट एड किट निकाल कर जहां जहां से खून ज्यादा बह रहा था वहां उसकी मरहम पट्टी की फिर उसे अपनी कार में लाद कर तेज स्पीड से कार चलाने लगा। और जल्द ही जंगल का रास्ता पार कर एक गाँव बीच से गुजर रहा था मैंने देखा मोबाइल में अब सिग्नल व इंटरनेट भी आ रहा था। मैंने झट से नेट से नजदीकी अस्पताल की लोकेशन देखी तथा उस व्यक्ति को लेकर उस अस्पताल पहुँचा जहाँ कुछ औपचारिकतायें पूरी करने के बाद मैं उसको वहाँ भर्ती करा कर चला गया। आदमी के इलाज में कोई कमी न आये इस लिये मैंने अस्पताल प्रशासन को मैंने दस हजार रुपये भी दे दिये।

1 महीने बाद

सुबह-सुबह मेरे फोन की घण्टी बजी और दूसरी तरफ से आवाज आयी

‘‘अमन बोल रहे हैं?‘‘

‘‘जी हाँ........आप कौन?’’ मैंने जवाब दिया।

‘‘देखिये अमन जी मैं वही बोल रहा हूँ जिसकी आपने जान बचाई थी, ज्यादा बात फोन पे नहीं कर पाउँगा....आपसे मिलना चाहता हूँ। कल रात सात बजे बेस्ट ब्रू कैफे में मेरा इंतेजार कीजियेगा......और हाँ अकेले ही आईयेगा.....वैसे आप मुझे पहचान जायेंगे क्योंकि आप ने मुझे देखा है जब मैं घायल था.......आईयेगा जरूर’’

मैं कुछ पूछ पाता इससे पहले ही उसने फोन काट दिया। उसने अपना नाम भी नहीं बताया था। मैंने नाम पूछने के लिये दोबारा उसके नम्बर पे फोन लगाया तो स्विच आॅफ बता रहा था। मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया। मैंने ट्रू कालर पे भी चेक किया पर इस नम्बर पे ‘अननोन’ ही शो हो रहा था। मैंने सोचा कहीं ये किसी की कोई चाल तो नहीं। काफी सोच विचार के बाद मैंने तय किया की उससे मिलने जाउँगा वैसे भी कल छुट्टी का दिन था और मेरा कोई खास प्लान नहीं था कहीं और जाने का।
अगले दिन 7 बजे से 1 घण्टा पहले ही मैं अपने घर से निकल गया। मन में थोड़ा डर भी था इसलिये अपनी गन साथ में रख ली और उस कैफे पहुँच गया। और वहाँ काफी आर्डर करके काफी की चुस्की के साथ उस शख्स का इंतेजार करने लगा। मैंने घड़ी देखी घड़ी में 7 बज कर 2 मिनट हो चुके थे। मैं थोड़ा घबरा भी रहा था। मैंने कमर पे अपने गन टटोल के देखी जो की मेरी जैकेट के नीचे छुपी थी। तभी करीब एक लगभग 50 साल की उम्र का शख्स मेरे करीब आया। मैं उसे देख के पहचान गया। यह वही व्यक्ति था जो मुझे उस सुनसान रोड पे घायल अवस्था में मिला था। उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा के कहा ’’हैल्ले मिस्टर अमन, मैं ही हूँ वह जिसका आप वेट कर रहे हैं।’’

‘‘देखिये आपको मुझसे मिलना था तो फोन पे ठीक से बात तो कर लेते आप ने अपना नाम तक नहीं बताया मुझे।’’ मैंने नाराजगी जताते हुए उस शख्स से कहा।
‘‘जरूर बताता पर मजबूरी थी, वैसे मेरा नाम डाक्टर सुरेश कुमार है। मैं एक मेडिकल डाक्टर, रिसर्चर और साइंटिस्ट हूँ।.....तुम कार से आये हो ना?’’
‘‘जी...पर क्यों?’’
‘‘चलो उसी में चलकर बात करते हैं। यहाँ बैठकर बात करना हमारे लिये सेफ नहीं है।’’
उसके यह कहने पर मैंने तुरन्त बिल पे किया और उस शख्स के साथ आकर अपनी कार में बैठ गया और ड्राइव करते हुए हमने बात करनी चालू की।
‘‘तुम वास्तव में एक हीरो हो मिस्टर अमन’’ उसने बोला
‘‘तारीफ के लिये शुक्रिया, वैसे आपको मेरा नम्बर और पता कहाँ से मिला?’’
‘‘देखो जब मैं ठीक हो गया तो मैंने उस अस्पताल से जहाँ तुमने मुझे भर्ती कराया था वहाँ के रजिस्टर में तुमने अपना नाम और मोबाइल नम्बर दर्ज करवाया था, मैंने उसी से तुम्हारा नाम और मोबाइल नम्बर पता किया। तुमने मेरे इलाज में कोई कमी न आये इसलिये कुछ पैसे भी जमा करवा दिये थे। मैं तुमसे किसी तरह मिलना चाहता था। मैंने तुम्हारे नाम और नम्बर के जरिये तुम्हारे बारे में पता किया, मुझे पता चला कि तुम एक यहाँ के जाने माने बिजनेस मैन अमन मलिक हो। इतने पैसेवाले होकर भी तुम इतने बेहतर इन्सान हो यह जानना मेरे लिये सुखद था। मुझे यकीन था तुम मेरे बुलाने पर जरूर आओगे वह भी बिना किसी डर के क्योंकि तुम एक हीरो हो’’
‘‘तारीफ के लिये शुक्रिया वैसे मैं कोई हीरो-वीरो नहीं हूँ मैंने वही किया जो सही था, और हाँ पैसे वाले लोग भी बेहतर इन्सान हो सकते हैं’’ मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
‘‘देखो मेरी जान खतरे में है क्योंकि मैंने एक ऐसा आविष्कार किया है जिसे हर कोई हासिल करना चाहता है पर मैं चाहता हूँ वह आविष्कार गलत हाथों में न पहुँचे। इसिलिये मैंने फोन पर तुम्हे अपना नाम भी नहीं बताया था और फोन भी नये नम्बर से किया था ताकि किसी को भी हमारी मुलाकात के बारे में पता न चले। तुम अच्छे इन्सान हो मुझे यकीन है कि उस चीज के तुम्हारे पास जाने से कोई खतरा नहीं होगा’’
‘‘ऐसा क्या है उस आविष्कार में?’’ मैंने उत्सुकतावश पूछा।
‘‘देखो, मैंने एक एैसी दवा बनायी है जिसे पीने के बाद मनुष्य की शक्तियाँ कई गुना बढ़ जाती हैं। मैंने आर्मी को मजबूत करने के उद्देश्य से यह दवा बनायी थी परन्तु इसको बनाना बहुत महँगा पड़ रहा था। मैंने एक पैसे वाले और पावरफुल पाॅलीटीशियन-बिजनेसमैन अशोक राय उर्फ नेता से बात करी और उसने मुझे फाइनेन्शियली सपोर्ट भी किया पर उसके इरादे नेक नहीं थे उसने वह दवा बन जाने के बाद और जानवरों पर सक्सेसफुल टेस्ट हो जाने के बाद उसे चुराने के लिये गुण्डों को भेजा मेरी लैब में, मेरे सिक्योरिटी सिस्टम ने जब मेरी लैब में घुसपैठियों के प्रवेश की सूचना दी तो मैंने फौरन उस दवा को जो बनकर तैयार होकर लाॅकर मंे रखी थी, उसे नष्ट कर दिया और बेहोश करनी वाली गैस का फैलाकर उन घुसपैठियो को बेहोश कर भाग निकला, मैं दुसरे जिले एक जा रहा था जहाँ पर मैं कुछ दिन छुप के रह सकूँ, पर दुर्भाग्य से रास्ते में मेरा एक्सीडेण्ट हो गया। ठीक होने के बाद मैंने उस नेता से बात करी उसने यह बात नहीं कबूली की उसी ने हमलावर भेजे थे पर मुझे पूरा यकीन है कि उसी ने वह दवा पाने के उद्देश्य से हमलावर भेजे होंगे। ताकि यह दवा वह दूसरे देश को बेच सके। उस नेता के अलावा इस दवा के प्रोजेक्ट और इसके असर के बारे में किसी को पता नहीं था। मेरे ठीक होने पर उस नेता ने मुझे फोन किया और मेरे साथ जो हादसा हुए उसपे दुख प्रकट किया और उसने कहा कि वह मुझे फाइनेन्शियल सपोर्ट जारी रखेगा मैं फिर से दवा बनाऊँ पर अब मुझे उस पर भरोसा नहीं था तो मैंने उसे साफ मना कर दिया। तब से मैं अपनी पहचान छुपा के रह रहा हूँ क्योंकि वह नेता मुझे किडनैप कर के मुझसे जबरदस्ती वह दवा बनवा सकता है।’’
‘‘ऐसा क्या है उस दवा में.........कितना बढ़ा देती है वह इन्सान की ताकत को........क्या किसी इन्सान पर टेस्ट किया गया है उसे?’’ मैंने कई सवाल एक साथ पूछ लिये उत्सुकतावश।
‘‘देखो उसको अभी तक किसी इन्सान पर टेस्ट नहीं किया गया है......उसको मेरी उम्र के अधेड़ और कमजोर इन्सान पर टेस्ट करना काफी खतरनाक है और जान भी जा सकती है इसीलिये मैंने खुद पे टेस्ट नहीं करी वो दवा। और किसी जवान और तन्दरुस्त इन्सान पर टेस्ट करने की हिम्मत नहीं हुई। पर मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जवान इन्सान पर वह पूरी तरह काम करेगी। जिस इन्सान पर इसे इस्तेमाल किया जायेगा उसकी प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जायेगी.....और उमर भी। घाव बेहद तेजी से भरने लगेंगे और वह काफी चुस्त फुर्त हो जायेगा। उसकी लगभग सारी शारीरिक शक्तियाँ कई गुना बड़ जायेंगी। एक तरह से कह सकते हो सुपर हीरो बन जायेगा।’’
‘‘तो आप मुझसे क्या चाहते हैं? मैं आपकी मदद कैसे कर सकता हूँ?’’
‘‘देखो मैने वह दवा पूरी नष्ट कर दी पर मैने एक खुराक की बचा के अलग रख दी थी जो अब भी मेरे पास सुरक्षित है। तो मैं चाहता हूँ कि उसका परीक्षण किसी मानव पर किया जा सके और वह दवा भारतीय सेना के पास पहुँचे, लेकिन बहुत गोपनीय तरीके से, उसका फार्मूला लीक न हो और दवा गलत हाथों में न पहुँचे, और दवा फिर से बनाने के लिये मुझे फाइनेन्शियल सपोर्ट की भी जरूरत होगी, और मुझे सुरक्षा और सुरक्षित जगह भी चाहिए होगी ये सब मुझे तुम ही उपलब्ध करा सकते हो क्योंकि तुम शहर के सबसे रईस लोगों में से एक हो। अमन तुमने मेरी जान बचा कर मुझपे एक एहसान कर ही दिया है प्लीज मुझ पर यह दूसरा एहसान भी कर दो। उस दवा को सरकार को बेचकर मैं जो कुछ भी कमाऊँगा वह तुम रख सकते हो।’’
‘‘बात पैसे की नहीं है सर, लेकिन मैं इस तरह की दवाओं को सपोर्ट नहीं करता....आगे चलकर यह चीजें इन्सानियत के लिये खतरा साबित हो सकती हैं। जैसे बन्दूक, बम और परमाणु बम के आविष्कार के साथ हुआ।’’ मैंने डाक्टर को जवाब देते हुए अपनी चिन्तायें ज़ाहिर की और उससे कहा जैसे पहले एक नेता के इरादे ठीक नहीं थे उसी तरह आगे भी इस तरह के नेता जो कि सरकार में मौजूद हैं उनसे यह दवा गलत हाथों में जाने का खतरा पैदा हो सकता है।
लेकिन डाक्टर ने मुझे काफी भरोसा दिलाया की दवा बन जाने के बाद वो सीधे रक्षा मन्त्री से बात करेंगे और रक्षा मन्त्री पर उन्हें पूरा भरोसा है। डाक्टर के काफी समझाने और रिक्वेस्ट करने बाद मैंने न चाहते हुए भी हामी भर दी और अपने बंगले के एक तहखाने में उनके लिये सीक्रेट लैब बनवा दी। अपने घर में मैं अकेला ही रहता हूँ, मेरा परिवार साथ नहीं है। पिता का अमेरिका में बिजनेस है सारा परिवार वहीं रहता है। यहाँ का बिजनेस मैं देखता हूँ। यहाँ भारत में हमारा रेस्टोरेण्ट्स, इलेक्ट्रानिक्स, ट्रैवेलिंग, फूड्स और प्राॅपर्टीस का बिजनेस है जिसे कई मैनेजर सम्भालते हैं यह बिजनेस आस पास के शहरों में भी फैले हैं जिन्हें मैं हेड होने के नाते ओवरव्यू करता रहता हूँ।
खैर सबकुछ ठीक चल रहा था। डाक्टर ने दवा तैयार कर ली थी लेकिन अभी तक हमने किसी को भनक नहीं लगने दी थी। डाक्टर गुपचुप रूप से मेरे घर में रह रहा था और वहीं उसने दवा तैयार कर ली थी। अब हमें सरकार से बात करनी थी। पर उससे पहले हमें इस दवा को टेस्ट करना था इन्सानों पर। पर सवाल यह था कि इसे टेस्ट किस पर करें? कौन राजी होगा? डाक्टर खुद पे कर नहीं सकता था उम्र ज्यादा होने की वजह से? यह टेस्ट किसी जवान और तन्दरुस्त शख्स पर ही किया जा सकता था। पर राजी कौन होता? वैसे तो मेरे तमाम नौकर और जानने वाले हैं पर मैं भी किसी की जान खतरे में डालने से डर रहा था। हम खुले तौर पर यह प्रचार भी नहीं कर सकते थे कि हमें यह दवा टेस्ट करने के लिये कोई वालण्टियर चाहिए क्योंकि बाहरी लोगों से भी खतरा था।
कुछ दिन ऐसे ही बीत जाने के बाद मैंने डाक्टर से पूछा, ‘‘डाक्टर साहब......क्या आपको पूर भरोसा है कि यह दवा 100ः काम करेगी? क्या आप को यकीन है कि उसे जिस पर टेस्ट किया जायेगा उसकी जान नहीं जायेगी?’’
‘‘हाँ मुझे पूरी भरोसा है यह दवा 100ः काम करेगी।’’
‘‘तो फिर इसे मुझ पर ही टेस्ट कर लीजिये। आपको जवान और सेहतमन्द शख्स चाहिए 18-30 के बीच की उम्र का, मेरी उम्र 27 है, मैं स्वस्थ हूँ, मुझे कोई बीमारी भी नहीं है।’’
‘‘क्या......देखो अमन मुझे भरोसा है यह दवा काम करेगी लेकिन फिर भी मैं तुम्हे खतरा में नहीं डाल सकता किसी भी कीमत पर, तुम्हारा इतना बिजनेस है, लोगों को तुम्हारी जरूरत है, मुझे भी तुम्हारी जरूरत है, तुम्हे कुछ हो गया तो नुकसान बहुत बड़ा होगा’’
मेरे काफी कहने के बाद भी डाक्टर राजी न हुआ। खैर अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं था तो मैं एक अस्पताल गया जहाँ मैं अक्सर फाइनेन्शियल मदद करता था गरीब मरीजों के इलाज के लिये और अस्पताल प्रशासन मुझे अच्छे से जानता था, मैंने उनसे कहा कि मुझे एक दवा के परीक्षण के लिये एक सेहतमन्द शख्स की जरूरत है 18-30 के बीच की उम्र का, मैं काफी पैसे देने को तैयार हूँ, मैं वालण्टियर को भी पैसे दूँगा और आप लोगो को भी कमीशन दूँगाू, आप लोगों को कोई वालण्टियर मिले तो मुझे बतायें। हाँलाकि उन लोगों ने मुझसे उस दवा और उसे बनाने वाले के बारे में भी पूछा लेकिन मैंने उन्हे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इसी तरह मैं 2-3 अस्पताल और गया जहाँ का मैनेजमेण्ट मेरे परिचय का था। सभी ने मुझसे कहा कि वह जल्द ही किसी वालण्टियर को ढूँढ कर मुझसे सम्पर्क करेंगे।
कुछ दिन बाद........
मैं रात में गहरी नींद में सो रहा था कि तभी सिक्योरिटी अलार्म बज उठा मैं तुरन्त अपने फोन पर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी 2 बुलेरो सवार मेरे बंगले के सामने आये और अन्धाधुन फायरिंग करते हुए मेरे घर के अन्दर दाखिल हो गये। मैं फौरन उस अण्डरग्राउण्ड लैब में दाखिल हुआ और ऊपर से रास्ता बन्द कर दिया। पर मैं जानता था कि वह लोग हमे ढूँढ लेंगे। डाक्टर लैब के बगल में बने कमरे में ही सोते थे रात में अलार्म की वजह से वह भी जग कर लैब में आ गये थे। मैंने डाक्टर से कहा कि यह सारी दवा लाॅकर से निकाल कर साथ लेकर अण्डरग्राउण्ड रास्ते से भाग चलते हैं नहीं तो हमलावर हम तक पहुँच जायेंगे, दवा बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं है बस एक 2 ली0 थी एक सील्ड बर्तन में जिसे ले जाना मुश्किल नहीं था। मैंने अपने बंगले में बनी उस अण्डरग्राउण्ड लैब में गुप्त सुरंग बनवा रखी थी सुरक्षा के उद्देश्य से, ताकि अगर कोई हमला होता है तो हम उस रास्ते से भाग निकले। मैंने एक लैब की अलमारी के अन्दर बने गुप्त फिंगरप्रिंट स्कैनर पर अपना हाथ लगाया और लैब की दीवार में एक जगह से रास्ता खुल गया, यह अण्डरग्राउण्ड रास्ता था। डाक्टर ने इसी बीच लाॅकर खोल कर दवा को बोतल में रख के बोतल को अपने साथ ले लिया और हम उस रास्ते को पर कर सुरंग में आ गये। मैंने दूसरी तरफ लगे फिंगरप्रिंट्स स्कैनर पे राथ रख कर वह रास्ता बन्द कर दिया पहले की तरह और हम सुंगर से भागने लगे।
‘‘मुझे तो पता भी नहीं था कि तुमने यहाँ भागने का गुप्त रास्ता भी बनवा रखा मुझे तो लगा था अब तो हम गये।’’ डाक्टर ने भागते और हाँफते हुए कहा।
‘‘जी यह रास्ता तो काफी पहले से है मेरे पिता ने हिफाजत के लिये बनवाया था ताकि कभी कोई लूट वगहरा होने पर यहाँ से भागा जा सके।’’
‘‘कहाँ जाता है यह रास्ता और कितना लम्बा है?’’
‘‘यह करीब 1 किमी0 लम्बा रास्ता है और पास की एक सुनसान जमीन पर निकलता है, वह जमीन भी हमारी ही प्राॅपर्टी है।’’ मैंने जवाब दिया।
अभी हम कुछ ही मी0 आये थे भागते हुए की एक बाइक खड़ी हुई दिखी।
‘‘अरे यहाँ ये बाइक किसकी है?’’ डाक्टर ने चैंक कर पूछा।
‘‘मेरी ही है कभी ऐसा कोई मौका हो तो भागने में आसानी हो इसीलिये इसे यहाँ सुरंग में रखा है’’
यह कह कर मैं फौरन बाइक पर बैठ गया और डाक्टर मेरे पीछे बैठ गया और मैंने तेज रफ्तार में बाइक चला कर सुरंग पार की और जब हम सुरंग के आखिरी छोर पे पहँुचने वाले थे तो मैंने बाइक पे लगा बटन दबा दिया जिससे दूसरी तरफ जमीन पर घास के नीचे रास्ता खुल गया और हम बिना रुके आसानी से बाइक समेत सुरंग से बाहर निकल आये। मैंने अब बाइक का वही स्विच दबा कर रास्ता बन्द कर दिया ताकि किसी को वह रास्ता खुला न दिखे और हम बाइक पे सवार तेजी से भाग रहे थे। यह इलाका सुनसान था इसलिये कोई हमें यूँ जमीन से निकलते देख न सका और अब हम काफी आगे निकल आये थे।
हम तेजी से भाग रहे थे कि तभी हमें लगा कुछ कार और बाइके हमारा पीछा कर कर रही हैं।
‘‘ओह नो! लगता है उनको हमारा पता चल गया’’ मैंने घबराहट में कहा।
‘‘हाँ लग रहा है उनके गुण्डे काफी दूर तक फैले थे उन्होंने हमे देख लिया अब वह हमे पकड़ लेंगे। अब क्या करें अमन?’’ डाक्टर ने घबराते हुए कहा।
‘‘अब बस एक ही रास्ता है’’ मैंने कहा और बगल में बने सुनसान जंगल टाइप एरिया में बाइक मोड़ ली और थोड़ा आगे जाकर बाइक रोकी। ‘‘अब भागने से फायदा नहीं है अब मुझे इन गुण्डों से मुकाबला करना होगा......आप ये दवा का इंजेक्शन मुझ पर लगायें?’’ मैंने डाक्टर से कहा।
‘‘क्या?....अच्छा ठीक है लेकिन यहाँ इंजेक्शन तो है नहीं......’’ डाक्टर ने जवाब दिया।
‘‘इंजेक्शन है मेरे पास.......जब मैंने अलार्म सुना था तभी अपनी पाॅकेट में इंजेक्शन और सुई रख ली थी। मैं जानता था कि इसका इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है।’’ मैंने कहा और इंजेक्शन और सुई डाक्टर को दी जिसमें डाक्टर ने वह दवा भरी और मेरी बाँह में इन्जेक्शन लगाया। डाक्टर ने कहा इसका असर शुरू होने मंे थोड़ा वक्त लग सकता है।
‘‘डाक्टर अब बेहतर यह है कि यह बची हुई दवा हम नष्ट कर दें वरना जल्द ही वो गुण्डे हमें ढूँढ लेंगे और यह दवा उनके हाथ लग जायेगी।’’ मैंने डाक्टर से कहा।
‘‘ठीक है अमन......यही ठीक है, यह दवा ज्वलनशील भी है, बस चिंगारी दिखाओ और यह जल के खुद ही नष्ट हो जायेगी।’’ डाक्टर ने कहा।
मैंने लाइटर से उस बची हुई दवा में आग लगा दी। तभी शायद उस दवा का असर शुरु होने लगा, मेरा बदन काँपने लगा, मेरी आँखों के आगे अन्धेरा छाने लगा, मेरे लिये खड़ा रहना भी मुश्किल लग रहा था, मैं जमीन पे गिर पड़ा।
‘‘डा..डाक्टर साहब ये चाबी लीजिये मेरी बाइक का लाॅकर खोल लीजिये उसमें गन रखी है, अपनी हिफाजत के लिये उसे लेकर भाग जाइये.....मेरे लिये न रुकिये। वह लोग आपको मारेंगे नहीं.....उन्हें आप जिन्दा चाहिये। लेकिन आप उनके हाथ न आइयेगा....उन पर फायरिंग कर दीजियेगा.....’’ मैंने किसी तरह डाक्टर से कहा। मेरा जिस्म अभी भी काँप रहा था।
अब मेरा होश खो रहा था और मैं बेहोश हो गया।
‘‘सर इसे होश आ रहा है’’
मेरे कानों में आवाज गयी। मुझे होश आ रहा था।
‘‘हेल्लो मिस्टर अमन मलिक। बहुत चालाक हो तुम मानना पढ़ेगा।’’
किसी आदमी की आवाज मेरे कानों में पड़ी। मैंने आँखें खोल के देखा तो ये वही नेता अशोक राय था। मैं बेड पर बन्धा हुआ था लोहे की जंजीरों से। मैं एक कमरे में था जिसके चारों ओर मजबूत दीवारें थीं। उस कमरे में मैं, आशोक और उसके 3-4 बाॅडीगार्ड थे।
‘‘मैं कहाँ हूँ? और डाक्टर सुरेश कहाँ हैं?’’ मैंने उससे पूछा।
‘‘तुम फिलहाल मेरे चंगुल में हो मिस्टर अमन पर तुम्हारा दोस्त डाक्टर सुरेश हमारी पकड़ में आने ही वाला था कि उस कमीनें ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर दी ताकि वह हमारी पकड़ में न आ सके। कमीने ने दवा भी जला कर खत्म कर दी और सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अब अगर वह दवा कहीं बची रखी है तो तुम हमें बताओगे। हमें यह भी पता चला है कि उसने दवा का डोज तुमको दिया था इसिलिये तुम बेहोश हो गये थे। हमारे आदमियों को वहाँ पे सीरिन्ज भी मिला था। उस कमीने डाॅक्टर की दवा अब तेरे ऊपर टेस्ट हो चुकी है, देखते हैं क्या असर करती है।’’ अशोक ने गुस्से से कहा।
‘‘वह दवा अब नष्ट हो हो चुकी है......और डाक्टर भी अब नहीं रहे। अब तुम्हारा मकसद कभी कामयाब नहीं होगा।’’ मैंने उसे जवाब दिया।
‘‘मारो इसे.......अगर दवा के बारे में न बताये तो जान से मार देना।’’ अपने आदमियों से यह कह कर अशोक उस कमरे से चला गया।
पर मैं बहुत गुस्से में था क्योंकि एक काबिल साइंटिस्ट की जान इस कमीने की वजह से चली गयी थी। और इस कमीने के कराये हमले की वजह से ही मेरे बंगले के कुछ सिक्योरिटी गाडर््स मारे गये थे और जख्मी भी हुए थे। मुझे अपने अन्दर काफी ताकत का एहसास हो रहे थे। अशोक के गुण्डों ने मुझे डण्डों से मारना शुरु कि पर मुझे जैसे असर ही नहीं हो रहा था। मैं गुस्से से उठा और थोड़ी ताकत लगाने से जंजीरें टूट गयी, मैं इस ताकत पर हैरान हो रहा, मुझे पीट रहे गुण्डे भी जंजीरों की यह दुर्दशा देख कर घबरा गये और उन्होंने बन्दूकें निकाल कर मुझ पर तान दी, एक ने बन्दूक चला दी जो मेरी बाह में लगी। मैं घबराकर गिर पड़ा मुझे दर्द महसूस तो हुआ लेकिन उतना नही जितना मैंने सोचा था। मुझे जमीन पर पड़ा देख उन लोगों को लगा शायद अब मैं घायल हो गया हूँ पर मैं दूसरे ही क्षण फुर्ती से उठा और एक-एक जोरदार वार उन गुण्डों पर कर के उन्हें ढेर कर दिया। इतनी फुर्ती मैंने पहली बार महसूस की थी। डाक्टर की दवा काम कर गई थी। मैं अब कमरे से बाहर निकल कर अशोक के पीछे जाना चाहता था लेकिन लोहे का दरवाजा बन्द था। मैं पूरी ताकत लगा कर दरवाजे को खींचा और दरवाजा टेढ़ा हो गया बाहर कुछ और गुण्डे मौजूद थे जो मुझ पर गोलियाँ चलाने लगें मैं फुर्ती से उन गोलियों से बचा और कुछ ही सेकेण्ड्स के अन्दर कुछ गुण्डों पे एक-एक तगड़ा वार कर उन्हें बेहोश कर जमीन पर गिरा दिया यह देख बाकी गुण्डे भागने लगे मैंने तेजी से भागकर उनमें में से 1 को पकड़ा ‘‘बता अशोक कहाँ है....और मैं अभी कहाँ पर हूँ...बता वरना मार दूँगा’’ मैंने उस गुण्डे से कहा मैं अब किसी भी तरह अशोक को पकड़कर उसका काम तमाम करना चाहता था।
‘‘वो...वो अपने घर कमला स्ट्रीट की तरफ जा रहे हैं.......यह....यह उनका गोदाम है डाउनटाउन में’’ उस गुण्डे ने जवाब दिया।
‘‘तू ले चल मुझे उस तक वरना तेरी खैर नहीं’’ मैंने उससे कहा और और वहाँ पड़ा एक मास्क अपने चेहरे पे पहन लिया और वहीं गोदाम में खड़ी एक बाइक का हैण्डललाॅक तोड़ा और उसे लेकर अशोक के बंगले के रास्ते चल दिया। वह गुण्डा मेरे पीछे बैठा मुझे रास्ता बता रहा था जिस रास्ते से अशोक जाता था, वह अशोक की गाड़ी को पहचानता था। मैं काफी तेजी से बाइक चला रहा था। जल्दी ही उसे अशोक की गाड़ी दिख गई उसने मुझ से कहा यही गाड़ी है। मैंने बाइक रोकी और उससे कहा ‘‘तुम उतर जाओ तुमने मेरी मदद की है इसलिये छोड़ रहा हूँ, आगे से कोई गलत काम मत करना, और हाँ अगर वह गाड़ी अशोक की न हुई तब तो तुम गये समझो’’
‘‘जी...जी....वो उन्हीं की गाड़ी है मैं सच बोल रहा हूँ’’ उस गुण्डे ने कहा।
मैंने उसको उतारा और पर तब तक अशोक की गाड़ी काफी आगे निकल गयी थी। उसे शायद भनक लग गई थी कि मैं वहाँ से भाग निकला हूँ और उसके पीछे हूँ इसीलिये उसने रास्ता चेन्ज कर दिया और अब वो अपने घर के बजाय कहीं और के रास्ते की तरफ मुड़ गया था। शायद सुरक्षा के लिये वह किसी नजदीकी पुलिस स्टेशन जा रहा था। मैंने भी अपनी गाड़ी तेज स्पीड में बढ़ाई....शायद यह डाक्टर की दवा का ही असर था कि मैं इतनी रफ्तार से बचते-बचाते मुस्तैदी से बाइक चला पा रहा था। मैं अशोक की कार के करीब पहुँचा। अशोक का एक आदमी गाड़ी चला रहा था, एक बाॅडीगार्ड आगे बैठा था और अशोक एक दूसरे बाॅडीगार्ड के साथ पीछे बैठा था। उसके बॉडीगार्ड्स ने मुझे करीब देखकर मुझपर गोलियाँ चलाने के लिये कार के शीशे खोल लिये और कार की स्पीड बढ़ा दी। मैंने बाइक कार के करीब ले गया और बाइक से जम्प मार कर बाइक छोड़ अशोक की कार के ऊपर कूदा। मुझे कार की छत से गिराने के लिये ड्राइवर कार लहराने लगा पर मैंने कार की छत पकड़ी और उसे ताकत लगा कर आधा उखाड़ दिया। अशोक के बाॅडीगाडर््स मुझ पर फायरिंग करने लगे कुछ गोलियाँ मेरे हाथ, और पैर में लगी, पर मुझे हल्का सा ही दर्द महसूस हुआ। मैंने लात मार कर पहले पीछे बैठे बाॅडीगार्ड को कार से बाहर फेंका फिर आगे बैठे हुए बाॅडीगार्ड की गन छीन कर उसे कार की टूटी छत से बाहर फेंका यह सब देख ड्राइवर ने घबराकर कार रोक दी और भाग गया। मैंने बिना देर किये अब अशोक पर बन्दूक तान दी ‘‘मैं हत्यारा नहीं हूँ, तेरे हत्यारे गुण्डों पर भी मैंने जान लेने के मकसद से हमला नहीं किया है। पर तेरे जैसे देश के गद्दार और बुरे इन्सान का जिन्दा रहना बेहद खतरनाक है। तुझे मरना पड़ेगा अशोक राय’’ मैंने उससे कहा।
‘‘म...मुझे छोड़ दो.......तुम जो मांगोगे मैं वो दुंगा....’’ अशोक इतना ही कह पाया था कि मैंने उसके 2-3 गोली मार कर उसका काम तमाम कर दिया और वहाँ से निकल गया।
आज इस घटना को 6 महीन से ज्यादा हो चुके हैं। उस दिन मेरे हाथ और पैरों में कई गोलियाँ अभी भी लगी थीं पर मैंने किसी डाक्टर के पास जाने के बजाये खुद ही उन्हें निकाल दिया था। किसी डाॅक्टर पास जाता तो वह हैरान रह जाता कि मैं गोलियाँ लगने के बाद भी चल फिर कैसे पा रहा हूँ। उस दवा की वजह से मेरी प्रतिरोधक क्षमता, घाव भरने की क्षमता, चुस्ती-फुर्ती, शारीरिक शक्ति काफी बढ़ गई थी जैसा डाक्टर सुरेश ने बताया था वैसा ही असर हुआ दवा का। इतना ही नहीं मेेरे सुनने देखने, सोचने, समझने, सूंघने और प्रतिक्रिया करने की शक्ति भी काफी बढ़ गई है। एक तरह से सुपरहीरो बन गया हूँ मैं। पर मुझे अफसोस है कि यह देखने के लिये डाक्टर सुरेश अब इस दुनिया में नहीं थे, उनकी दवा काम तो कर गई थी पर सेना को देने का उनका मकसद पूरा नहीं हो पाया। पर कहते हैं जो भी होता है अच्छे के लिये होता है। शायद यह शक्ति ज्यादा लोगों के पास जाती तो मानवता के लिये अच्छा नहीं होता इसीलिये ऐसा नहीं हुआ।
खैर उस घटना के बाद से मैं सामान्य जिन्दगी ही जी रहा हूँ। पहले की तरह बिजनेस चला रहा हूँ। शक्तियाँ बड़ गई हैं पर इनके दोबारा इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी मुझे। किसी की पता भी नहीं है कि मुझमें शक्तियाँ आ गई हैं। पर क्या पता आगे जरूरत पड़ जाये और फिर से जगाना पड़े मुझे अपने अन्दर का हीरो।
 
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5th story

Mysterious Island aur Khazana


Mysterious Island aur Khazana



“Kya bakwass hai ye, khazana wazana sab fizul ki baate hoti hain” Anirudh ne apne dost Yakub se kaha.
“Nahi yaar, sach bhi ho sakti hai, talash karne jaane me kya harz hai, akhir baki ke 4 log bhi to jaa rahe hain alag alag desho ke” yakub ne jawab diya.
“baaki ke 4 log ? matlab aur bhi log hain...? anirudh ne utsuktawash puchha.
Yakub-“haan mere bhai 4 log aur hain,vo bhi alag alag dekho ke, waise bhi itni door ek sunsan ajnabi island pe sirf 1-2 log to jaa nahi sakte, maine internet ki ek website ke zariye aur logo se baat kari thi jinhe iss island ke khazane wali baat pe yakeen hai, unme se 4 log jaane ko tayyar hain, Hum wahan tak kiraye ki ek waterboat se jayenge, un 4 me se ek boat ka malik hai, pura intezam ho chukka hai, tujhe chalna hai to chal warna main tere bina hi chala jaunga, lekin agar mujhe khazana mil gaya to maangne na aiyoga”
Anirudh- “achha baba chalunga, to hum to abhi india me hain, vo baki ke log kahan ke hain aur hume kahan milenge?”
Yakub- “vo island pashchimi Africa ke nikat hai, hum pashchimi Africa pahuchenge, baki ke log hume wahi milenge, jahan se hum boat ke zariye uss island ke liye nikal jayenge, boat se island tak pahucne me kareeb 25-30 ghante ka waqt lagega”
Agle din hi Anirudh aur Yakub Pashchimi Africa ke liye rawana ho gaye, pashchimi Africa pahuch ke vo uss jagah pahuche jahan unhe baki log milne wale the.
Anirud- “yaar le pahuch gaye, yahi milne wale the na baki ke log”
Yakub-“haan vo log aane hi wale honge, hum log thoda jaldi pahuch gaye hain”
Anirudh-“Achha ye to bata baki ke log kon kon hain aur kahan se hain?”
Yakub- “Boat ka malik samual local hi hai, Kate America se hai, John England se aur Mike Australia se hai”
Tabhi unhe kisine avaz di, ye samual tha, Boat ka malik.
Yakub-“hii samual....”
“hii...tum yahan pahuch gaye, baki log kahan hai” samual ne puchha.
Yakub-“Ane hi wale honge... time to ho gye hai”
Tabhi unhe chhoti si short aur aur tight white top pahne ek mahila aati dikhi.
“ye zaroor kate hogi...uff kya mast maal hai yaar... ab to waqayi me maza aa jayegi” anirudh ne dheere se yakub se kaha.
Yakub-“shutup yaar.... vo shadi shuda hai”
Anirudh-“par yahan to akele aayi hai hai na”
Yakub-“tu nahi sudhrega”
“Hii kate,” un teeno ne hath hilake kate ka abhiwadan kiya .
“hii” kate ne un teeno ko dekhkar muskurate hue kaha.
Kate-“3 log yahan hain 4thi main hu baki ke 2 nahi aaye kya abhi?”
Yakub- “John aurMike bhi bus aane wale hi honge, meri unse phone pe baat hui thi”

Thodi hi der me John aur Mike bhi pahuch gaye aur fir sub log boat me sawar ho kar uss island ke liye rawana ho gye. Kareeb 27 ghante ke safar ke baad island nazar aane laga, unhone uss island ke kinare pe apni boat roki aur utare. Wahan kafi Ghana jungle tha, itna Ghana ki upar se satellite ya havaijahaz se photo se to use zameen dikhayi hi na pade sirf hare hare ped hi nazar aaye. Khair vo 6 boat se utre. Ve apne sath ek zameen ke upar se zameen me dabi dhatu ka pata lagane wali machine bhi laaye the, uske zariye vo 6yo wahan khazane ka pata lagane me lage the. Tabhi unhe kisi ki avaz sunayi di, unhone dekha to paya ki samne ek jungle aadmi tha, jo behad kala tha aur sharer pe patte pahne tha, uske shareer par laal color se lakeere bhi bani hui thi aur use haath me ek bhala-numa hathiyar the.
“Ye kon hai aur kya bol raha hai” yakub ne kaha.
“ye hume puchh raha hai ki hum yahan kyu aaye hain, ye ek jungli hai, yahan aur bhi jungli honge” samul ne jawab diya.
“Tum inki bhasha jante ho?” anirudh ne puchha.
Samual-“haan janta hu, main ye bhi janta hu ki khazana inke paas hi hai, ye log kafi khatarnaak hain, hume khazana chahiye to inhe hara kar hi milega”
Itna kahkar samual ne apni bandook nikal li, tabhi uss jungle aadmi ne bhala fek ke samual ke or maara jisse samual to bach gaya lekin vo bhala samual ke peechhe khade MIke ke lag seene me lag gaya, mike ghayal hoke gir gaya aur dekhte hi dekhte usne dum tod diya, kyuki vo bhala zahar bujha bhala tha.
Ye dekh kar samual ko gussa aa gaya aur usne ek ke baad ek 2-3 goliya fire kar ke uss junglee ko maut ke ghaat utar diya.
vo pancho log Mike ki lash ke paas gaye aur uski nabz tatolne ki koshish kar rahe the par Mike to bhala lagte hi mar chuka tha.
“what the hell.... tumne jante hue bhi hume in jungliyo ke bare me kyu nahi bataya” kate ne chillate hue samual se kaha.
“dekho khazana pana itna asaan nahi hota hai, mujhe dukh hai ki Mike nahi raha, vo agar aur savdhani dikhata to shayad bach jata, main bandooke laya hu tum sub ek ek bandook apni hifazt ke liye rakh lo, iss jungle me jugliyo ka pura kabeela hai unke paas hi khazana hai, vo hume dhundh ke aate hi honge, hum pancho ko hi unka mukabla karna hai, agar humne un sub ko maar diya to unka khazana humara ho jayega.” samual ne kaha.
“Kitne wahiyat insaan ho tum samual, ek khazane ke liye hum itni jaane kaise le sakte hain, nahi chahiye mujhe aisa khazana” John ne kaha.
“John theek kah raha hai, vo bhi insaan hain, hum Khazane ke liye itna khoon nahi baha sakte, aur waise bhi vo humse kai guna zyada ki tadaat me honge, unke paas bhi hathiyar hain, agar hum unse ladenge bhi hain to humari hi jaan jayegi” Kate ne kaha.
“dekho ab bahas karne ka waqt nahi hai vo log hume dhundhne aane wale hi honge behtar hoga ki hum log yahan se nikal chale, warna humari lash hi bachegi bus” Anirudh ne kaha.
Samual-“dekho tum sub itna lamba safar karke yahan aaye ho aur yahan se khali hath jaoge? shayad kate sahi kah rahi hai hum unse lad kar, aur unka khoon bahakar shayad khazana na hasil kar paayen, hum khazane ko chori karenge, agar tum log mera sath nahi derahe to wapas jaa sakte ho, par tair kar, kyuki vo boat meri hai aur main bina khazana liye yahan se nahi jaane wala”
Ab un bakiyon ke paas samual ki baat manne ke alawa koi chara bhi nahi tha.
theek hai, to plan kya hai, ab hume kya karna hoga?” Yakub ne puchha.
samual- “sabse pahle to iss jungli ki lash ko thikana lagate hain, kyuki agar unhe pata chal gaya ki humne unke ek aadmi ko mara hai to vo hume kisi bhi keemat pe chhodenge nahi, main unki bhasha janta hu, vo log har bahri ko apna dushman samajhte hain aur use jaan se maar dete hain, hum unke paas jayenge aur main uhne ye samjhane ki koshish karunga ki hum unhe nuksaan pahuchane nahi aye hain, hum bhatak kar yahan aa gaye hain, isi bahane hum dekhenge ki unke sardaar ki jhopdi kahan hai, meri jankari k mutabik unke sardar ki ji jhopdi me ya uske neeche khazana hai...hum mauka dekh kar vo khazana lekar faraar ho jayenge”
“aur agar unhone humari baat ka yakeen na kiya aur hume maar dala to?” kate ne puchha.
samual-“jaisa ki main ki maine pahle bhi kaha main hathiyar laya hu, hum apne paas bandooke chhupaye rahenge, agar vo humari jaan lene pe utaru ho jayenge to hum guns ka instemal kar ke bhaag jayenge”
“theek hai” baki sabne kaha aur unhone gaddha khod kar mike ko aur uss jingli ki lash ko dafna diya. Fir vo log jugnle me thoda aage bade hi the ki unhe kayi saare jungli dikhayi diya jinke hatho me bhale aur teer kaman wagahra the.
Unko dekh kar samual unki bhasha me unse kuchh kahne laga.
aur fir samual ne bakiyo se kaha “maine inse kaha hai ki hm log dushman nahi hain, ye log hume apne sardar ke paas chalne ke liye kah rahe hain, hume inke sardaar ke paas chalna hoga.”
Thodi der chalne ke baad vo log unke kabeele pahuche jahan kai sari jhopdiya thi, kayi jungli log the sub patte wagahra pahne hue the the aur shareero pe laal rang ki kayi lakeere bani hui thi. unme mard aurate sabhi the, jinme se kayi ke hatho me bhalo aur teer kaman jaise hathiyaar the, tabhi ek badi jhopdi se ek aadmi nikla jo pura sone chandi se lada tha, vo patto ke bajaye sona chandi hi pahna tha, sona ka mukit, gale me sone ke kayi har the, ye un jungliyon ka sardar tha, usko dekh kar baki sabne sir jhuka liya, samual aur baki ke charo ne bhi aisa hi kiya.
Fir vo jungli sainik un pancho ko lekar sardar ke samne pahuche. aur unse apni bhasha me kuchh kahne laga. sardar ne apni bhasha me apne sipahiyo ko koi adesh diya. aur unhone un pancho ko kaid kar liya. aur ek hone ke pinjrenuma jail me un pancho ko daal diya.
“kya kah raha tha unka sardaar, humko kaid kyu kar liya” Uss pinjre me bakioye ne ek sath samual se puchha.
Samual-“sardaar ko is baat pe yakin na hua ki hum bhatakte hue aa gaye hain, vo samajh gya ki hum dushman hain jo khazane ke liye yahan aaye hain, aur vo ab hume kal subah hone par maar denge, aur kate mahila hai... khubsurat hai...isliye use sardaar ko saunp diya jayega”
Kate-“what the f.... uss junglee sardaar ke sath rahne se accha hai ki mujhe bhi maar diya jaaye..”
Samual-“ghabraao nahi... humme se koi nahi maregi... aaj ki raat khazana lekar hum furr ho jayenge”
Aniruddh-“kaise?”
Samual-“bus hume moka dekhna hoga , hum sub ke paas guns hai, aur uss guns se fire karne pe bilkul bhi avaz nahi hogi, hum moka dekh kar pahra de rahe sipahiyo ko goli maar denge, aur fir sardaar kki jhopdi me ghus kar use bhi goli maar kar khazana le kar khisak lenge”
“lekin agar hum pakde gye to ye junglee humara bura hashar karenge” Yakub ne kaha.
Samual-“mujhpe bharosa rakho hum pakde nahi jayenge”
Aur vo log muke ki talash dekhne lage, Rat ke waqt tha, kabeele ke sare log apni apani jhopdiyo me so rahe the, jahan vo 5cho kaid the uss pinjre ke aas paas kareeb 4 sipahi pahra de rahe the. Samual ne dekha ki vo sipahi unki or nahi dekh rahe hain to usne chupke se apni bandook nikali aur ek ek karke charo juglee sipahiyo pe nishana laga kar ek hi nishane me thikane laga diya. samual ke paas silencer wali bandook isliye usse goli chalne ki avaz nahi hui.
“ab iss pinjre ko kaise khole?” Yakub ne puchha.
“ghabrao nahi ek hi shot me ye bhi toot jayega” samual ne kaha aur uss pinjre ke lock pe fire kiya jisse ki uss pinjre ka gate khul gaya
“ab hum kahan jayenge” kate ne puchha.
Samual-“Ab hum sardar ki jhopdi me jaa kar khazana le ke faraar ho jayenge”
Aur vo log chupke se junglee sardar ki jhopdi me dakhil hue wahan Vo sardaar apni biwiyo ke sath so raha tha. Samual uske kamre me pahucha, usne yakub ,anirudh aur john se sardar ki teeno biwiyo ko bandhak banane ko kaha, aur khud uss sardar ki kanpati me bandook sata di aur uski bhasha me puchha “bata khazana kaha hai. nahi to tujhe aur teri biwiyo ko maar dunga”
Sardar ne use bata diya ki jhopdi ke neeche khazana hai aur neeche tahkhane me jaane ka rasta bhi bata diya. Samual aur baki log sardar aur uski biwiyo ki kanpati pe bandooke sataye the. Samual ne kate se khazana laane ko kaha,
“Par khazana bharenge kisme” Kate ne puchha.
“main apne kapdo ke neeche chhipake boriya laya hu, kyuki main janta tha ki hume khazana milega, Ye lo” Samual ne kaha aur apni shirt ke neeche chhupi hui kuchh boriyan kate ko dedi. Kate jaldi se tahkhane me utri jahan sona chandi heere jawahraat bhare pade the, kisi tarah usne sare khazane ko 3 boriyo me bhara aur use khich ke tahkhane se upar laayi.
“woww....mil gaya khazana....ab hume yahan se jaldi se jaldi khisakna hoga” Samual ne kaha.
“Unhe maarna mat” Kate ne kaha.
“achha theek hai nahi marunga” Samual ne kaha, aur ek rassi se sardar aur uski biwiyo ko bandh diya, aur apne sath laya hua ek tape unke muh pe chipka diya taki vo chilla na paaye. Aur fir vo log boriya apne apne kandhe pe laad kar kabeele se door jungle me bhaag nikle.
“hum to jungle me hain hume pata kaise chalega ki humari boat kahan hai, kaise dhundhenge hum boat ko” Bhagte hue Anirudhh ne samual se puchha.
“Boat me lagi device ke zariye.” Samual ne kaha aur Aur apna mobile phone nikala.
“Humri boat Uttar disha me hai” Samual ne kaha.
Aur vo log uttar disha ki or bhaag nikle thodi der bhaag kar akhir vo log boat pe pahuch gaye, vo kafi thak chuke the. Vo log boat par pahuch gaye aur khazana rakh diya.
Aur samual ne boat start kar di aur vo log Island se rawana ho gaye.
“To dosto hum sab caror pati ban gaye, woww... achha laao meri guns to de do main kisi se maang ke laya tha, mujhe wapas bhi karni hai” Samual ne kaha. Aur sabhi ne samual ki guns use wapas kar di, Sabse guns lene ke baad samual ne apni bandook nikali aur bola “sorry guys, par tum sabko marunga nahi to mujhe iss khazane ko tum se baatna padega isliye tum sabko maarna zaroori hai, Khazana yahan tak lane me meri madad karne ke liye shukriya” Samual ne kaha.
“You bloody....Tumne humare sath dhokha kiya.... tumne humara istemaal kiya” Anirudh ne chilla ke kaha. Par Samual ne anirudh pe bandook chala di par anirudh ne furti dikhayi aur samual ka nishana chook gaya, Peechhe se John samual pe jhapta Aur uski gun cheen ke goli maar kar Samual ka kaam tamam kar diya.
“Bechara .... lalach buri bala...lalach hi ise le doobi........” Kate ne kaha.
Un charo ne Samual ki lash boat se samundar fek di.
“Afsos ki baat hai hum 6 gaye the aur 4 wapas laut rahe hain,par khushi baat ye hai ki hume khazana mil gaya, chalo ab iss khazane ke 4 hisse laga lete hain” Yakub ne kaha.
Aur un charo ne uss khazane k 4 hisse laga liye. Aur apne apne hisse ka khazana unhone pashchimi africa me bech kar hi cash me change kar liya kyuki koi bhi desh limit se zyada sona jawahrat apne desh le jaane ki parmission nahi deta aur iss tarah khazana bech kar vo sabhi carorpati ban gaye har ek ke hisse me kareeb 8-8 caror rupye aaye.
Anirudh aur yakoob bhi caror pati ho gaye India pahuch ke unhone un rupyo ko business me lagya jisse aaj vo arabpati ban chuke hain.
The End
 
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Destiny

Will Change With Time
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Koi Lauta do mujhe







“Tum pagal ho…… kitne saalo se jute ho iss machine ko banana me…. Apni zindagi ke saalo iss machine ko banana me guzaar diye… akhir kyu….. log sach hi kahte hain tum sanki pagal scientist ho…. “ Rohit k ek purane dost ne rohit se kaha

“haan main pagal ho chuka hu, ab tum jaao aur mujhe pareshan na karo… “ Rohit ne rukhepan se Ajay ko jawab diya.

Ajay rohit ka purana dost tha aur barso baad rohit se mil raha tha lekin rohit ko kisi se milna pasand nahi tha, uski zindagi ka bus ek hi maqsad tha… Time machine banana. Aur iss time machine ko banane ki uske paas ek kaaran bhi tha.

40 saal ka Rohit jise log sanki scientist ke naam se jante the, jise kisi se bhi milna julna pasand nahi tha vo humesha bus time machine banae me laga rahta tha, lekin vo humesha se aisa nahi tha, 18 saal pahle vo bhi ek khushmizaaz insaan tha, vo sirf padai me hi nahi balki har cheez me awwal tha, fir chahe vo khel kood ho ya dancing ya fir singing usne har jagar medal jeeta tha, lekin science me vo sabse awwal tha yahi vajah thi ki usko scientific researches ke liye Sarkar ki taraf se protsahan rashi bhi mil rahi thi, usne subse zyada medals science me hi jeete the. Lekin usme ghamand naam ki koi cheez nahi thi . 22 saal ke Rohit ki in khoobiyo ko dekh kar kayi larkiyaan uss par fida thi lekin vo larkiyo se door hi rahta tha, uske har dost ke paas girlfriend thi par usne kabhi kisi larki se kisi bhi taraf ka relationship nahi ki kyuki uska manna tha ki agar vo ladkiyo ke chakkar me pad gaya to researches pe concentrate nahi kar payega. Lekin ek din Rohit apne ek dost ki party me gaya hua tha, wahan pe use Shreya dikhi….. Rohit ne jub use dekha to dekhta hi rah gaya, beauty with brain ka perfect example thi vo, Rohit ne apne dost se Shreya ke bare me puchha to usne bataya ki ye uske college se Science se Post graduation kar rahi hai aur beauty ke sath sath nature ki bhi bahut achhi hai, aur study me to topper hai.

Party me Rohit ki nazre Shreya par hi tiki thi, vo himmat kar ke Shreya ke paas gaya aur use apna introduction diya.

“h..hi..m..mera naam Rohit hai aur main….”

“Are Rohit… apke bare me suna hai na maine…. Aap to board exams me bhi top kar chuke hain nah….” Shreya ne rohit ki baat kaatte hue kaha.

Un dono me thodi der baate hui… Shreya behad friendly nature ki thi….

Dono me achhi dosti ho gayi, par abhi pyaar ka izhaar Rohit ne nahi kiya tha, Shreya ko study se related jab bhi koi help chahiye hoti thi vo rohit ke paas pahuch jaati thi aur Rohit khushi khushi study me uski help karta tha… Vo Shreya ko behad chahne laga tha lekin izhaar karne se darta tha, use dar tha ki kahi Shreya bura na maan jay aur usse baat karna band na kar de. Iss wajah se vo kah nahi pata tha, Shreya bhi rohit ko pasand karne lagi thi lekin vo bhi izhaar karne se darti thi.

Lekin Rohit ne ab faisla kar liya tha ki use Shreya se apne dil ki baat batani hai, usne Shreya ko ek restaurant me dinner ke liye bulaya, aur wahan usse apne dil ki baat kahi…

“Shreya…. Main tumse ….. kuchh kahna chahta hu….”

“kya?”

“plz wada karo tum naraz nahi hogi”

“Nahi houngi baba bolo to”

“I…. I love you….” Rohit ne himmat kar ke apn dil ki baat kah hi di…

Shreya ki aankh me aansu aa gaye…..

“I..I love you yoo Rohit…” Shreya ne kaha aur vo thodi emotional ho gayi…

“will you marry me……” Rohit ne usse kaha aur angoothi use or badayi

“haan…” Shreya ne jawab diya aur apna hath rohit ki or bada diya aur Rohit ne use angoothi pana di..

“Shreya tumare ghar walo ko koi aitraaz to nahi hoga na……. “ Rohit ne thoda hichkichate hue kaha..

“Aitraz aur vo bhi tumare jaise ladke ke liye….. bilkul hi nahi….. mere ghar wale to tumhe kafi pasand karte hain” Shreya ne jawab diya.

“Chalo ab chalet hain”

Dono restaurant se bahar nikle. “Shreya tum car me baitho, mujhe lagta hai main apna rumal andar chhod aya hu, main rumal leke aata hu.” Ye kah kar Rohit apna rumal uthane ke liye wapas restaurant ke andar aane laga tabhi use cheekh ki avaz sunai di… vo bhagta hua bahar pahucha to dekha sadak pe bheed lagi hui thi, Shreya sadak paar karke car me batihne jaa rahi thi tabhi sadak paar karte waqt ek tez rafter car se takra kar Shreya ka accident ho gaya uske sir me gahri chot lagi thi aur usne mauke par hi dum tod diya. Rohit bheed ko cheerta hue beech me pahucha wahan Shreya ko khoon se lathpath dekh kar vo bhi cheekh pada aur Rone laga, usne Shreya ki nabz check kari vo dum tod chuki thi… lekin fir bhi vo apni car se jaldi se use hospital le gaya jahan doctors ne use dead ghoshit kar diya.

Uss hadse ne Rohit ki zindagi badal ke rakh di, usne logo se milna julna band kar diya, vo iss hadse ka zimmedar khud ko hi manne laga, vo sochne laga ki agar vo Shreya ko akela na chhodta to shayad ye hadsa na hota, vo khud hi dosh deta, khud ko hi kosta rahta ki akhir kyu vo ek rumal ke liye chala gaya, akhir kyu unse Shreya ko akela chhoda.

Vo khud se kahta ki galti usne ki hai to ise sudharega bhi vo hi. Usne than liya tha ki vo apni iss galti ko sudhar ke hi rahega…..

Lekin kya beete hue wakt ko badalna sabhav hai? Kya beete hue wakt me wapas jana sabhav hai?

Rohit ne iss asambhav ko sambhav banane ki thaan li thi aur 18 saal ki mehant ke baad, aneko prayaso ke asafal hone k baad usne haar nahi maani. Log use sanki pagal scientist kahte the lekin use kisi ki bhi parwah nahi thi…..

Machine to usne pahle bhi aneko baar bana li thi par vo kaam na kari, ab iss time machine ko azmane ka wakt tha, Rohit ko puri ummid thi ki iss baar vo asafal na hoga aur iss baar time machine kaam karegi, aur ateet me jaakar vo Shreya ki jaan bachayega.

Rohit uss time machine ke andar gaya apne uske sath me Shreya ki tasweer thi jise usne seene se laga liya, aur time machine ko 18 saal pahle set kiya….. aur iss baar machine kaam kar gayi…. Tez roshni chamki aur Rohit ki aankho kea age andhera chha gaya, thodi der baad use hosh aya, vo machine se bahar nikla, vo kisi jungle me tha

“meri lab jis area me hai wahan 18 saal pahle jugnle hua karta tha, main lab se jungle me aa gaya hu … yani machine kaam kar gayi” usne khud se hi kaha. Darasal ye chhota sa jungle shahar ki kinare ke area me tha jise baad me kaat kar wahan abadi basa di gayi thi.

Rohit ne apni machine ko kapre se dhak diya aur jungle se poorv pashchim disha me chalne laga, ek kilometre chalne ke baad hi use apna shahar dikhne laga…… 18 saal purana shaahr……

Ab rohit ateet me tha. Ab Rohit ka pahla kaam Ateet ke Rohit se mil kar use hadse ke bare me agaah karna tha. Rohit apne purane ghar ki or chal pada, thodi der baad vo wahan pahunch gaya ummid ke mutabik Ateet ka rohit ghar pe maujood tha.

Bhavishya ke Rohit ne bell bajayi. 22 saal ke naujavan Rohit ne door khola,

“aap kon?” Javan rohit ne puchha.

“Main bhavishya se aya hu, main tumhe ek khatre ke liye agaah karna chahta hu”

“K…kon ho tum?....kis khatre ki baat kar rahe ho?”

“Main tumara bhavishya hu Rohit….. Main bhavishya se aya hu… jo galti maine kar di vo tum mat karna… kal tum Shreya se apne pyaar ka izhaar karne jana wale ho…. lekin uska sath zara der ke liye bhi na chhodna, savdhan rahna……., main jaa raha hu, agar kal vo hadsa tal gaya to main wapas bhavishya chala jaunga aur mera bhavishya bhi nisandeh mujhe badla hua milega” Itna kah kar bhavishya ka Rohit wahan se chala gaya.

Agle din Rohit Shreya ke sath uss restaurant gaya wahan usne apne pyaar ka izhaar kiya aur shadi ka pratsav diya jise Shreya ne sweekar kar liya, fir dono restaurant se bahar nikle, bhavishya ka Rohit wahan bahar pahle se maujood tha, ateet ka rohit Shreya ke sath restaurant se bahar aya bhavishya ka rohit aaj 18 saal baad Shreya ko dekh raha tha. Uski ankho me aansu aa gaye.

tabhi naujavan rohit ko yaad aya ki vo rumal to andar chhod aya hai. Lekin Tabhi use samne Bhavishya ka Rohit dikha use yaad aa gaya ki vo Shreya ko aaj ek pal ke liye bhi akela nahi chhod sakta, usne Shreya ka hath pakda aur use sath hi wapas restaurant ke andar gaya tabhi use cheekh ki avaz sunayi di, ye ek aadmi ke cheekhne ki avaz thi, rohit aur Shreya daud kar wapas bahar pahuche to dekha sadak par bheed ikatthi thi, Rohit bheed ke beech pahucha to dekha bhavishya ka rohit behad zakhmi halat me tha….

“aapko kuchh nahi hoga. Main doctor ke paas lekar chalta hu” Rohit ne bhavishya ke rohit se kaha.

Behad zakhmi halat me rohit aur Shreya bhavishya ke rohit ko hospital me lekar gaye. Shreya ko andaza bhi nahi nahi tha ki ye bhavishya ka Rohit hai. Hospital me rohit ko emergency room laya gaya.

“halat khatre se bahar hai lekin Inhe khoon ki behad zaroorat hai…..” emergency room se bahar aakar doctor ne naujavan rohit se kaha.

“main unhe blood de dunga…. Humara blood match kar jayega” rohit ne jawab diya.

“inka blood group ab positive hai aapka?”

“jee mera bhi same hai… “ rohit ne jawab diya

Aur fir rohit ne blood donate kiya. Do din ilaaj ke baad bhavishya ke rohit ko hosh aya aur fir naujawan rohit hosh aate hi bhavishya ke rohit ke paas pahucha..

“shukr hai aapko hosh aa gaya” Naujavan rohit ne kaha……

“ab mujhe wapas jana hoga … mera maksad pura ho chuka hai, mera bhavisha bhi nishchit hi badal gaya hoga, kyuki bhoot badal chukka hai aur wapas jakar main time machine ko nasht kar dunga taki koi iska galat istemal na kar paaye, Mujhe jungle me us le chalo wahan maine time machine chhodi thi aur main wahan se wapas chala jaunga” bhavishya ke rohit ne kaha

Naujawan Rohit ne use wapas wahi pe chhod diya aur bhavishya ka rohit wapas chala gaya.

Ab bhoot bhavishya wartmaan sub badal chukka tha.


वाह भाई बहुत बड़ियां लव स्टोरी हैं
 
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Destiny

Will Change With Time
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2nd story


Bank Robbery

Raat ke 12 baj chuke the par mujhe neend nahi aarahi thi. Bus karwat pe karwat badalta jaa raha tha. Aaj tak kisi ka purse bhi chori nahi kiya tha par aj dosto ke sath mil kar bank robbery ka plane bana diya tha. Bus ye paiso ka lalach hi tha jo main iss kaam ke liye tayyar ho gaya tha. Mere alawa mere teen dost Rahul, Farhan, aur Anuj iss plan me shamil the. Plan Rahul ne banaya tha. Hum sub BCom ke student the aur income ke liye chhoti moti part time job kar rahe the. Hum charo middle class family se the, par humari ayyashiya kafi bad gayi thi. Bike se ghumna girlfiriend pe kharcha karna daru peena ye sub humari aadato me shamil ho chuka tha par in ayyashiyo ke liye paise kam pad rahe the. Fizool kharchi ki vajah Hum kayi logo ke karzdaar bhi ho chuke the. yahi vajah thi ki hum is apraadh ke liye tayyar ho gaye the.
Anuj ne to kidnapping ka idea diya tha kyuki bank robbery zyada risky hoti hai. Par main kidnapping me sath dene ke liye tayyar na hua. Waise bhi hum koi criminal to the nahi hum kisi bachche ko takleef pahuchana bhi nahi chahte the aur kidnapping me fairauti mil hi jaaye ye bhi koi sure nahi rahta. Fir Rahul ne mere ghar se kareeb 7 KM door isthit SBI bank me robbery ka suggestion diya. Rahul ka wahan account to nahi tha. Par uske kuchh janne walo ka account wahan tha jinke sath vo wahan kai baar jaa chuka tha. Rahul ne hume bataya ki wahan security ke naam par sirf ek security guard rahta hai. Rahul ne bataya ki hum shukrawaar ko daka dalenge aur Rahul ne kareeb kam se kam 50 lakh milne ki ummid jatayi. 50 lakh milne par hum me se ek ke hisse me sade 12 lakh rupay aate jo ki humare liye kafi badi rakam thi. Iss rakam se hum kayi saal bina kamaye apna kharcha chala sakte the, ise kisi karobaar me laga sakte the. Waise uss bank kafi logo khas kar paiso walo ke accounts the iss wajah se 1 caror se zyada cash milne ki bhi ummid thi.
Plan banae ke baad hum kayi baar wahan gaye. Halaki hum charo kabhi ek sath bank nahi gaye. bank me jaakar humne apne mobile se chori chhipe wahan ki video bana li thi aur plan bana shuru kar diya tha. Vo bank koi bahut bada bank nahi tha. Ek branch Level ka bank hi tha. Bank me aage ek haal tha jisme counters aur andar tijori thi. Humne dakaiti ke liye dopahar 3 baje ka time tay kiya kyuki iss waqt bank me bheed bahut kam hoti hai. Roebbery kr liye hume chaar guns ki zarurat thi jo ki Farhan ne apne contact ke zariye hume 2-3 din ke liye uplabdh kara di. uski kayi criminals se dosti thi joki paise lekar kuchh din ke liye hathiyaar available kara dete the. Hume 10000 rupay me 2 din ke liye guns farhaan ne dila di. Waise bhi 2 number guns koi licancy to hoti nahi hain. Humne tay kiya ki hum charo do bikes se wahan jayenge. Vo bikes hum chori karenge, hum helmet lagake jayenge aur wahan ek dusre ka naam lekar baat nahi karenge, aur hum awaz badal kar baat karenge. Hum iss plan se related koi bhi baat phone pe ya SMS ke zariye nahi karte the. Hum baat ke liye messenger ya social site ka use karte the. Humare liye sabse badi chunauti thi rebbery ke baad bhaagna. Police humara peechha na kar paye isliye humne tay kiya tha ki hum galiyo wale raste se jayenge.Khair ye sub sochte sochte hi meri aankh lag gayi, subah 7 baje Farhaan ke messege se aankh khuli. Maine mobile dekha usme humare group me FarhahAnuj aur Rahul ke messege the ki good luck and get ready.
Plan ke mutabik hum subah ghar se nikal gaye aur tay ki gayi jagah par bike chori karne ke liye kareeb dopahar ke 1 baje pahuch gaye, wahan humne sabse pahle ek no parking place se do pulser bike masterkey se chori ki. Ye jagah uss bank se kareeb 15KM door thi. Humne do motercycles churayi koi hume dekh nahi paya, fir hum seedhe bank ke liye nikal gaye. Mera dil zoro ka dhadak raha tha. ummid ke mutabik hum theek 3 baje bank me pahuch gaye. Do bikes pe hum char log sawar the. hum charo ne Helmet pahna hua tha aur gloves bhi pahne the. Maine apne rumal me behosh karne ki dawa laga li thi. Hum bank ke gate ke paas pahuche aur turant security guard ko rumal sungha diya jisse vo behosh ho kar wahi gir pada. Humne tay kiya tha ki Anuj gate par hi khada rahega, plan ke mutabik Anuj gun lekar bank ke gate par khada ho gaya taki koi bahar na jaa paye, aur agar police aa rahi ho to hume pata chal jaaye. Hum yani main Rahul aur Farhan bank me enter hue "hands up....koi hilega nahi..." Apni avaz ko thori bhari banate hue humne kaha. Wahan zyada log nahi the. Kareeb 7-8 costumers honge aur baki bank worker the. Koi bhi police ko inform na kar paye isliye Rahul aur Farhaan unpar nazar rakhe the aur bandook taane the. Main manager ke office me pahuch aur usse kaha ki jaan pyaari hai to sara ka saara paise hume bag me bhar do. Maine use bag de diya aur tijori se sara maal bag me bharne ko kaha. Usne tijori kholi aur usme bhare note mere bag me bharne laga. Wahi Hall me Rahul aur Farhaan logo par nazar rakhe the, unhone wahan paise jama karne wale aur dene wale counters par baithe bank worker ko bag de diya aur unhone ne bhi sare paise bag me daal diye. Fir hum teeno turant bank se bahar aa gaye,sara kaam 3-4 minut me ho gaya tha. humne bike start ki Anuj gate pe khada un logo pe bandook taane tha taaki ve koi harkat na kar paaye. Bike start hote hi Anuj meri bike ke pichhe wali seat pe baith gaya aur hum tez raftaar me wahan se nikal gaye. Abhi tak kisi ne police ko complaint nahi ki thi par zahir si baat hai ki humare jane ki baad turant police ko soochna de di gayi hogi. Hum galiyo wale raste se bhaag rahe the koi shaq na kar paye isliye hum alag alag ho gaye the. Main aur Anuj ek bike pe the wahi dusri pe Farhan aur Rahul the. Paiso ka ek bag humare paas tha aur doosra unke paas, bag ko Anuj ne apni shirt me chhupa liya tha. Humne jo shirt pahan kar robbery ki thi vo raste me hi utar di hum andar alag color ki shirt pahne hue the taki koi hume pahchan na paye. Humne plan banaya tha ki hum bikes se gali wale rasto se hote hue paas ke chhote jungle me pahuchnege. Hum waha pahuche Rahul aur Farhan bhi bike se wahi pahuch chuke the. Humne turant sare paise ek bag me rakhe vo school bag tha. Humne helmet aur bikes wahi chhori aur turant jungle se nikalkar kar road pe aa gaye. wahan se humne ek bus pakar li fir bus se hum kayi sawariya badalte hue sahi salamat apne apne ghar pahuch gaye. Paiso ka bag Anuj ke paas tha, anuj akela hi rahta tha isliye uske yahan itne rupyo ke pakre jane ka koi khatra nahi tha. Humne tay kiya tha ki kuchh din tak hum aapsa me koi bhi contact nahi karenge, paise bhi apas me baad me hi baatenge. Rahul aur Farhan ne tay kiya tha ki we paise le kar Mumbai chale jayenge aur wahan aish karenge.Hume loot me kareeb 62 lakh ka cash mila. Main apni family yani maa baap aur bhaiyo ke sath rahta tha. zahir si baat hai mere ghar me itni badi rakam chhupana asaan nahi tha.
Bank me itni badi robbery hone ke baad police par pressure pad gaya tha aur police jaldi se jaldi robbers ko pakdna chahti thi. Hum sari updates newspapers ke zariye le rahe the. Newspaper me hi humne pada ki police ko jungle me chhodi hui humare bikes aur helmet mil gaye the. Vo to milni hi thi aur vo bikes chori ki thi isliye un bike ke zariye abhi bhi police hume nahi pakar sakti thi. Wardaat ko do hafte ho gaye to Rahul aur Farhan Anuj se apne hisse ke rupay yani kareeb 15-15 lakh se zyada rupay lekar Mumbai nikal gaye. Unke jane ke baad maine bhi Anuj se milna shuru kar diya maine tay kiya tha ki main paise usi ke paas rakhe rahne dunga. Kyuki apne ghar me main itni badi rakam nahi chhupa sakta tha. Anuj ne bhi mera hissa alag karke safe rakh diya tha. Main aksar Anuj ke paas ata aur apne hisse me se kharche ke thore bahut paise le leta. Hum zyada paisa ikattha kharch bhi nahi kar sakte the kyuki isse kisi ko chi shaq ho sakta tha. Duniya ki nazar me hum chhoti moti naukri hi karte the. Rahul aur Farhan to mumbai chale gaye the. Par maine aur Anuj ne abhi naukri nahi chhodi thi kyuki agar hum charo hi ek sath wardaat ke turant baad apni apni naukriya chhor dete to kisi ko bhi shaq ho sakta tha.
Wardaat ko ab kareeb ek mahina beet chuka tha police abhi bhi bikes dhundhne ke alawa kuchh nahi kar payi thi. Maine bhi soch liya tha ki kab tak apne hisse ke paise Anuj ke paas rakhe rahne dunga, isliye paise apne ghar me hi kisi sutcase me lock karke safe rakh lunga. Ye soch ke main Anuj ke ghar jaa raha tha. Jub Anuj ke ghar pahucha to waha tala laga hua tha. Mera dil dhakk se ho gaya akhir anuj kahan jaa sakta hai uske paas mere hisse ke 15 lakh rupay hain. Maine use call kiya par phone switch off tha, messege kiya par messege ka bhi koi reply nahi aya main behad pareshan ho gaya. Vo kiray ke makaan me rahta tha. Maine aas paas walo se puchha to unhone kahan ki Anuj kahan gaya iska unhe pata nahi hai. Maine uske makan malik se baat ki to unhone kaha ki Anuj ne kaha tha ki ab vo yahan nahi rahega rahega aur sara bacha kiraya dekar kahi chala gaya. Maine Rahul aur Farhan ko phone karke puchha par Anuj ke baare me unhe bhi kuchh bahi maloom tha Anuj ka phone unhe bhi off mil raha tha. Main chah kar bhi ab kuchh nahi kar sakta tha.
Shayad kisi ne ne sahi kaha hai bure kaam ka anjaam bura hi hota hai, mere liye to ye baat sahi hi sabit hui.

Bahut khub likha hain aapne 👏👏👏👏👏👏
 
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KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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4th story

हीरो

आधी रात से ऊपर हो चुकी थी। मैं अपनी कार से दूर के एक जिले कुछ काम से जा रहा था। रास्ता बेहद सुनसान था और अगल-बगल जंगल था। यह मार्ग काफी खतरनाक माना जाता था। आपराधिक तत्व रात के अंधेरे में अक्सर यहाँ से गुजरने वाले लोगों को लूट लेते व हत्या कर देते थे। कई कांड होते रहते थे इस 50 किमी0 लम्बे जंगल से घिरे सुनसान मार्ग पर। मैं बड़ी रफ्तार से गाड़ी चला रहा था। तभी मुझे तभी मुझे एक दुर्घटनाग्रस्त कार दिखी। मैंने अपनी कार की रफ्तार धीमी करी, मैंने सोचा की कार के अन्दर कोई घायल भी हो सकता है। लेकिन मन में यह ख्याल भी था की यह किसी की चाल हो सकती है क्योंकि यह इलाका लुटेरों के लिये कुख्यात है। लेकिन अगर कोई घायल है तो उसकी मदद करना मेरा फर्ज है फिर चाहे वो अपनी जान पर खेल के ही करनी पड़े। मैं सोच विचार करते थोड़ा आगे निकल आया था। मैंने इरादा कर लिया की जा के देखता हूँ। अगर वहाँ कोई मृत होगा तो कोई बात नहीं मैं वापस कार में बैठकर चला जाउँगा, पर अगर कोई घायल होगा तो पुलिस व एम्बुलेंस को सूचना दे दूँगा। मैंने अपनी लाइसेंसी बंदूक लोड करी और कमर में खोसी और कार वापस ली। हिम्मत करके मैंने उस कार के अन्दर झांका तो उसमें एक लगभग 50 के आस पास उम्र का व्यक्ति काफी घायल अवस्था में पड़ा था। मैंने उसकी नब्ज टटोल के देखी। वह जिन्दा था। मैंने एम्बुलेंस को फोन करने के लिये फोन जेब से निकाला लेकिन उसमें नो सिग्नल लिख के आ रहे थे। आस-पास कोई भी टावर नहीं था शायद इसीलिये सिग्नल नहीं आ रहे थे। उस व्यक्ति का काफी खून बह चुका था और अभी-अभी बह रहा था। मैंने जल्दी से अपनी कार से फर्स्ट एड किट निकाल कर जहां जहां से खून ज्यादा बह रहा था वहां उसकी मरहम पट्टी की फिर उसे अपनी कार में लाद कर तेज स्पीड से कार चलाने लगा। और जल्द ही जंगल का रास्ता पार कर एक गाँव बीच से गुजर रहा था मैंने देखा मोबाइल में अब सिग्नल व इंटरनेट भी आ रहा था। मैंने झट से नेट से नजदीकी अस्पताल की लोकेशन देखी तथा उस व्यक्ति को लेकर उस अस्पताल पहुँचा जहाँ कुछ औपचारिकतायें पूरी करने के बाद मैं उसको वहाँ भर्ती करा कर चला गया। आदमी के इलाज में कोई कमी न आये इस लिये मैंने अस्पताल प्रशासन को मैंने दस हजार रुपये भी दे दिये।

1 महीने बाद

सुबह-सुबह मेरे फोन की घण्टी बजी और दूसरी तरफ से आवाज आयी

‘‘अमन बोल रहे हैं?‘‘

‘‘जी हाँ........आप कौन?’’ मैंने जवाब दिया।

‘‘देखिये अमन जी मैं वही बोल रहा हूँ जिसकी आपने जान बचाई थी, ज्यादा बात फोन पे नहीं कर पाउँगा....आपसे मिलना चाहता हूँ। कल रात सात बजे बेस्ट ब्रू कैफे में मेरा इंतेजार कीजियेगा......और हाँ अकेले ही आईयेगा.....वैसे आप मुझे पहचान जायेंगे क्योंकि आप ने मुझे देखा है जब मैं घायल था.......आईयेगा जरूर’’

मैं कुछ पूछ पाता इससे पहले ही उसने फोन काट दिया। उसने अपना नाम भी नहीं बताया था। मैंने नाम पूछने के लिये दोबारा उसके नम्बर पे फोन लगाया तो स्विच आॅफ बता रहा था। मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया। मैंने ट्रू कालर पे भी चेक किया पर इस नम्बर पे ‘अननोन’ ही शो हो रहा था। मैंने सोचा कहीं ये किसी की कोई चाल तो नहीं। काफी सोच विचार के बाद मैंने तय किया की उससे मिलने जाउँगा वैसे भी कल छुट्टी का दिन था और मेरा कोई खास प्लान नहीं था कहीं और जाने का।
अगले दिन 7 बजे से 1 घण्टा पहले ही मैं अपने घर से निकल गया। मन में थोड़ा डर भी था इसलिये अपनी गन साथ में रख ली और उस कैफे पहुँच गया। और वहाँ काफी आर्डर करके काफी की चुस्की के साथ उस शख्स का इंतेजार करने लगा। मैंने घड़ी देखी घड़ी में 7 बज कर 2 मिनट हो चुके थे। मैं थोड़ा घबरा भी रहा था। मैंने कमर पे अपने गन टटोल के देखी जो की मेरी जैकेट के नीचे छुपी थी। तभी करीब एक लगभग 50 साल की उम्र का शख्स मेरे करीब आया। मैं उसे देख के पहचान गया। यह वही व्यक्ति था जो मुझे उस सुनसान रोड पे घायल अवस्था में मिला था। उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा के कहा ’’हैल्ले मिस्टर अमन, मैं ही हूँ वह जिसका आप वेट कर रहे हैं।’’

‘‘देखिये आपको मुझसे मिलना था तो फोन पे ठीक से बात तो कर लेते आप ने अपना नाम तक नहीं बताया मुझे।’’ मैंने नाराजगी जताते हुए उस शख्स से कहा।
‘‘जरूर बताता पर मजबूरी थी, वैसे मेरा नाम डाक्टर सुरेश कुमार है। मैं एक मेडिकल डाक्टर, रिसर्चर और साइंटिस्ट हूँ।.....तुम कार से आये हो ना?’’
‘‘जी...पर क्यों?’’
‘‘चलो उसी में चलकर बात करते हैं। यहाँ बैठकर बात करना हमारे लिये सेफ नहीं है।’’
उसके यह कहने पर मैंने तुरन्त बिल पे किया और उस शख्स के साथ आकर अपनी कार में बैठ गया और ड्राइव करते हुए हमने बात करनी चालू की।
‘‘तुम वास्तव में एक हीरो हो मिस्टर अमन’’ उसने बोला
‘‘तारीफ के लिये शुक्रिया, वैसे आपको मेरा नम्बर और पता कहाँ से मिला?’’
‘‘देखो जब मैं ठीक हो गया तो मैंने उस अस्पताल से जहाँ तुमने मुझे भर्ती कराया था वहाँ के रजिस्टर में तुमने अपना नाम और मोबाइल नम्बर दर्ज करवाया था, मैंने उसी से तुम्हारा नाम और मोबाइल नम्बर पता किया। तुमने मेरे इलाज में कोई कमी न आये इसलिये कुछ पैसे भी जमा करवा दिये थे। मैं तुमसे किसी तरह मिलना चाहता था। मैंने तुम्हारे नाम और नम्बर के जरिये तुम्हारे बारे में पता किया, मुझे पता चला कि तुम एक यहाँ के जाने माने बिजनेस मैन अमन मलिक हो। इतने पैसेवाले होकर भी तुम इतने बेहतर इन्सान हो यह जानना मेरे लिये सुखद था। मुझे यकीन था तुम मेरे बुलाने पर जरूर आओगे वह भी बिना किसी डर के क्योंकि तुम एक हीरो हो’’
‘‘तारीफ के लिये शुक्रिया वैसे मैं कोई हीरो-वीरो नहीं हूँ मैंने वही किया जो सही था, और हाँ पैसे वाले लोग भी बेहतर इन्सान हो सकते हैं’’ मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
‘‘देखो मेरी जान खतरे में है क्योंकि मैंने एक ऐसा आविष्कार किया है जिसे हर कोई हासिल करना चाहता है पर मैं चाहता हूँ वह आविष्कार गलत हाथों में न पहुँचे। इसिलिये मैंने फोन पर तुम्हे अपना नाम भी नहीं बताया था और फोन भी नये नम्बर से किया था ताकि किसी को भी हमारी मुलाकात के बारे में पता न चले। तुम अच्छे इन्सान हो मुझे यकीन है कि उस चीज के तुम्हारे पास जाने से कोई खतरा नहीं होगा’’
‘‘ऐसा क्या है उस आविष्कार में?’’ मैंने उत्सुकतावश पूछा।
‘‘देखो, मैंने एक एैसी दवा बनायी है जिसे पीने के बाद मनुष्य की शक्तियाँ कई गुना बढ़ जाती हैं। मैंने आर्मी को मजबूत करने के उद्देश्य से यह दवा बनायी थी परन्तु इसको बनाना बहुत महँगा पड़ रहा था। मैंने एक पैसे वाले और पावरफुल पाॅलीटीशियन-बिजनेसमैन अशोक राय उर्फ नेता से बात करी और उसने मुझे फाइनेन्शियली सपोर्ट भी किया पर उसके इरादे नेक नहीं थे उसने वह दवा बन जाने के बाद और जानवरों पर सक्सेसफुल टेस्ट हो जाने के बाद उसे चुराने के लिये गुण्डों को भेजा मेरी लैब में, मेरे सिक्योरिटी सिस्टम ने जब मेरी लैब में घुसपैठियों के प्रवेश की सूचना दी तो मैंने फौरन उस दवा को जो बनकर तैयार होकर लाॅकर मंे रखी थी, उसे नष्ट कर दिया और बेहोश करनी वाली गैस का फैलाकर उन घुसपैठियो को बेहोश कर भाग निकला, मैं दुसरे जिले एक जा रहा था जहाँ पर मैं कुछ दिन छुप के रह सकूँ, पर दुर्भाग्य से रास्ते में मेरा एक्सीडेण्ट हो गया। ठीक होने के बाद मैंने उस नेता से बात करी उसने यह बात नहीं कबूली की उसी ने हमलावर भेजे थे पर मुझे पूरा यकीन है कि उसी ने वह दवा पाने के उद्देश्य से हमलावर भेजे होंगे। ताकि यह दवा वह दूसरे देश को बेच सके। उस नेता के अलावा इस दवा के प्रोजेक्ट और इसके असर के बारे में किसी को पता नहीं था। मेरे ठीक होने पर उस नेता ने मुझे फोन किया और मेरे साथ जो हादसा हुए उसपे दुख प्रकट किया और उसने कहा कि वह मुझे फाइनेन्शियल सपोर्ट जारी रखेगा मैं फिर से दवा बनाऊँ पर अब मुझे उस पर भरोसा नहीं था तो मैंने उसे साफ मना कर दिया। तब से मैं अपनी पहचान छुपा के रह रहा हूँ क्योंकि वह नेता मुझे किडनैप कर के मुझसे जबरदस्ती वह दवा बनवा सकता है।’’
‘‘ऐसा क्या है उस दवा में.........कितना बढ़ा देती है वह इन्सान की ताकत को........क्या किसी इन्सान पर टेस्ट किया गया है उसे?’’ मैंने कई सवाल एक साथ पूछ लिये उत्सुकतावश।
‘‘देखो उसको अभी तक किसी इन्सान पर टेस्ट नहीं किया गया है......उसको मेरी उम्र के अधेड़ और कमजोर इन्सान पर टेस्ट करना काफी खतरनाक है और जान भी जा सकती है इसीलिये मैंने खुद पे टेस्ट नहीं करी वो दवा। और किसी जवान और तन्दरुस्त इन्सान पर टेस्ट करने की हिम्मत नहीं हुई। पर मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जवान इन्सान पर वह पूरी तरह काम करेगी। जिस इन्सान पर इसे इस्तेमाल किया जायेगा उसकी प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जायेगी.....और उमर भी। घाव बेहद तेजी से भरने लगेंगे और वह काफी चुस्त फुर्त हो जायेगा। उसकी लगभग सारी शारीरिक शक्तियाँ कई गुना बड़ जायेंगी। एक तरह से कह सकते हो सुपर हीरो बन जायेगा।’’
‘‘तो आप मुझसे क्या चाहते हैं? मैं आपकी मदद कैसे कर सकता हूँ?’’
‘‘देखो मैने वह दवा पूरी नष्ट कर दी पर मैने एक खुराक की बचा के अलग रख दी थी जो अब भी मेरे पास सुरक्षित है। तो मैं चाहता हूँ कि उसका परीक्षण किसी मानव पर किया जा सके और वह दवा भारतीय सेना के पास पहुँचे, लेकिन बहुत गोपनीय तरीके से, उसका फार्मूला लीक न हो और दवा गलत हाथों में न पहुँचे, और दवा फिर से बनाने के लिये मुझे फाइनेन्शियल सपोर्ट की भी जरूरत होगी, और मुझे सुरक्षा और सुरक्षित जगह भी चाहिए होगी ये सब मुझे तुम ही उपलब्ध करा सकते हो क्योंकि तुम शहर के सबसे रईस लोगों में से एक हो। अमन तुमने मेरी जान बचा कर मुझपे एक एहसान कर ही दिया है प्लीज मुझ पर यह दूसरा एहसान भी कर दो। उस दवा को सरकार को बेचकर मैं जो कुछ भी कमाऊँगा वह तुम रख सकते हो।’’
‘‘बात पैसे की नहीं है सर, लेकिन मैं इस तरह की दवाओं को सपोर्ट नहीं करता....आगे चलकर यह चीजें इन्सानियत के लिये खतरा साबित हो सकती हैं। जैसे बन्दूक, बम और परमाणु बम के आविष्कार के साथ हुआ।’’ मैंने डाक्टर को जवाब देते हुए अपनी चिन्तायें ज़ाहिर की और उससे कहा जैसे पहले एक नेता के इरादे ठीक नहीं थे उसी तरह आगे भी इस तरह के नेता जो कि सरकार में मौजूद हैं उनसे यह दवा गलत हाथों में जाने का खतरा पैदा हो सकता है।
लेकिन डाक्टर ने मुझे काफी भरोसा दिलाया की दवा बन जाने के बाद वो सीधे रक्षा मन्त्री से बात करेंगे और रक्षा मन्त्री पर उन्हें पूरा भरोसा है। डाक्टर के काफी समझाने और रिक्वेस्ट करने बाद मैंने न चाहते हुए भी हामी भर दी और अपने बंगले के एक तहखाने में उनके लिये सीक्रेट लैब बनवा दी। अपने घर में मैं अकेला ही रहता हूँ, मेरा परिवार साथ नहीं है। पिता का अमेरिका में बिजनेस है सारा परिवार वहीं रहता है। यहाँ का बिजनेस मैं देखता हूँ। यहाँ भारत में हमारा रेस्टोरेण्ट्स, इलेक्ट्रानिक्स, ट्रैवेलिंग, फूड्स और प्राॅपर्टीस का बिजनेस है जिसे कई मैनेजर सम्भालते हैं यह बिजनेस आस पास के शहरों में भी फैले हैं जिन्हें मैं हेड होने के नाते ओवरव्यू करता रहता हूँ।
खैर सबकुछ ठीक चल रहा था। डाक्टर ने दवा तैयार कर ली थी लेकिन अभी तक हमने किसी को भनक नहीं लगने दी थी। डाक्टर गुपचुप रूप से मेरे घर में रह रहा था और वहीं उसने दवा तैयार कर ली थी। अब हमें सरकार से बात करनी थी। पर उससे पहले हमें इस दवा को टेस्ट करना था इन्सानों पर। पर सवाल यह था कि इसे टेस्ट किस पर करें? कौन राजी होगा? डाक्टर खुद पे कर नहीं सकता था उम्र ज्यादा होने की वजह से? यह टेस्ट किसी जवान और तन्दरुस्त शख्स पर ही किया जा सकता था। पर राजी कौन होता? वैसे तो मेरे तमाम नौकर और जानने वाले हैं पर मैं भी किसी की जान खतरे में डालने से डर रहा था। हम खुले तौर पर यह प्रचार भी नहीं कर सकते थे कि हमें यह दवा टेस्ट करने के लिये कोई वालण्टियर चाहिए क्योंकि बाहरी लोगों से भी खतरा था।
कुछ दिन ऐसे ही बीत जाने के बाद मैंने डाक्टर से पूछा, ‘‘डाक्टर साहब......क्या आपको पूर भरोसा है कि यह दवा 100ः काम करेगी? क्या आप को यकीन है कि उसे जिस पर टेस्ट किया जायेगा उसकी जान नहीं जायेगी?’’
‘‘हाँ मुझे पूरी भरोसा है यह दवा 100ः काम करेगी।’’
‘‘तो फिर इसे मुझ पर ही टेस्ट कर लीजिये। आपको जवान और सेहतमन्द शख्स चाहिए 18-30 के बीच की उम्र का, मेरी उम्र 27 है, मैं स्वस्थ हूँ, मुझे कोई बीमारी भी नहीं है।’’
‘‘क्या......देखो अमन मुझे भरोसा है यह दवा काम करेगी लेकिन फिर भी मैं तुम्हे खतरा में नहीं डाल सकता किसी भी कीमत पर, तुम्हारा इतना बिजनेस है, लोगों को तुम्हारी जरूरत है, मुझे भी तुम्हारी जरूरत है, तुम्हे कुछ हो गया तो नुकसान बहुत बड़ा होगा’’
मेरे काफी कहने के बाद भी डाक्टर राजी न हुआ। खैर अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं था तो मैं एक अस्पताल गया जहाँ मैं अक्सर फाइनेन्शियल मदद करता था गरीब मरीजों के इलाज के लिये और अस्पताल प्रशासन मुझे अच्छे से जानता था, मैंने उनसे कहा कि मुझे एक दवा के परीक्षण के लिये एक सेहतमन्द शख्स की जरूरत है 18-30 के बीच की उम्र का, मैं काफी पैसे देने को तैयार हूँ, मैं वालण्टियर को भी पैसे दूँगा और आप लोगो को भी कमीशन दूँगाू, आप लोगों को कोई वालण्टियर मिले तो मुझे बतायें। हाँलाकि उन लोगों ने मुझसे उस दवा और उसे बनाने वाले के बारे में भी पूछा लेकिन मैंने उन्हे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इसी तरह मैं 2-3 अस्पताल और गया जहाँ का मैनेजमेण्ट मेरे परिचय का था। सभी ने मुझसे कहा कि वह जल्द ही किसी वालण्टियर को ढूँढ कर मुझसे सम्पर्क करेंगे।
कुछ दिन बाद........
मैं रात में गहरी नींद में सो रहा था कि तभी सिक्योरिटी अलार्म बज उठा मैं तुरन्त अपने फोन पर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी 2 बुलेरो सवार मेरे बंगले के सामने आये और अन्धाधुन फायरिंग करते हुए मेरे घर के अन्दर दाखिल हो गये। मैं फौरन उस अण्डरग्राउण्ड लैब में दाखिल हुआ और ऊपर से रास्ता बन्द कर दिया। पर मैं जानता था कि वह लोग हमे ढूँढ लेंगे। डाक्टर लैब के बगल में बने कमरे में ही सोते थे रात में अलार्म की वजह से वह भी जग कर लैब में आ गये थे। मैंने डाक्टर से कहा कि यह सारी दवा लाॅकर से निकाल कर साथ लेकर अण्डरग्राउण्ड रास्ते से भाग चलते हैं नहीं तो हमलावर हम तक पहुँच जायेंगे, दवा बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं है बस एक 2 ली0 थी एक सील्ड बर्तन में जिसे ले जाना मुश्किल नहीं था। मैंने अपने बंगले में बनी उस अण्डरग्राउण्ड लैब में गुप्त सुरंग बनवा रखी थी सुरक्षा के उद्देश्य से, ताकि अगर कोई हमला होता है तो हम उस रास्ते से भाग निकले। मैंने एक लैब की अलमारी के अन्दर बने गुप्त फिंगरप्रिंट स्कैनर पर अपना हाथ लगाया और लैब की दीवार में एक जगह से रास्ता खुल गया, यह अण्डरग्राउण्ड रास्ता था। डाक्टर ने इसी बीच लाॅकर खोल कर दवा को बोतल में रख के बोतल को अपने साथ ले लिया और हम उस रास्ते को पर कर सुरंग में आ गये। मैंने दूसरी तरफ लगे फिंगरप्रिंट्स स्कैनर पे राथ रख कर वह रास्ता बन्द कर दिया पहले की तरह और हम सुंगर से भागने लगे।
‘‘मुझे तो पता भी नहीं था कि तुमने यहाँ भागने का गुप्त रास्ता भी बनवा रखा मुझे तो लगा था अब तो हम गये।’’ डाक्टर ने भागते और हाँफते हुए कहा।
‘‘जी यह रास्ता तो काफी पहले से है मेरे पिता ने हिफाजत के लिये बनवाया था ताकि कभी कोई लूट वगहरा होने पर यहाँ से भागा जा सके।’’
‘‘कहाँ जाता है यह रास्ता और कितना लम्बा है?’’
‘‘यह करीब 1 किमी0 लम्बा रास्ता है और पास की एक सुनसान जमीन पर निकलता है, वह जमीन भी हमारी ही प्राॅपर्टी है।’’ मैंने जवाब दिया।
अभी हम कुछ ही मी0 आये थे भागते हुए की एक बाइक खड़ी हुई दिखी।
‘‘अरे यहाँ ये बाइक किसकी है?’’ डाक्टर ने चैंक कर पूछा।
‘‘मेरी ही है कभी ऐसा कोई मौका हो तो भागने में आसानी हो इसीलिये इसे यहाँ सुरंग में रखा है’’
यह कह कर मैं फौरन बाइक पर बैठ गया और डाक्टर मेरे पीछे बैठ गया और मैंने तेज रफ्तार में बाइक चला कर सुरंग पार की और जब हम सुरंग के आखिरी छोर पे पहँुचने वाले थे तो मैंने बाइक पे लगा बटन दबा दिया जिससे दूसरी तरफ जमीन पर घास के नीचे रास्ता खुल गया और हम बिना रुके आसानी से बाइक समेत सुरंग से बाहर निकल आये। मैंने अब बाइक का वही स्विच दबा कर रास्ता बन्द कर दिया ताकि किसी को वह रास्ता खुला न दिखे और हम बाइक पे सवार तेजी से भाग रहे थे। यह इलाका सुनसान था इसलिये कोई हमें यूँ जमीन से निकलते देख न सका और अब हम काफी आगे निकल आये थे।
हम तेजी से भाग रहे थे कि तभी हमें लगा कुछ कार और बाइके हमारा पीछा कर कर रही हैं।
‘‘ओह नो! लगता है उनको हमारा पता चल गया’’ मैंने घबराहट में कहा।
‘‘हाँ लग रहा है उनके गुण्डे काफी दूर तक फैले थे उन्होंने हमे देख लिया अब वह हमे पकड़ लेंगे। अब क्या करें अमन?’’ डाक्टर ने घबराते हुए कहा।
‘‘अब बस एक ही रास्ता है’’ मैंने कहा और बगल में बने सुनसान जंगल टाइप एरिया में बाइक मोड़ ली और थोड़ा आगे जाकर बाइक रोकी। ‘‘अब भागने से फायदा नहीं है अब मुझे इन गुण्डों से मुकाबला करना होगा......आप ये दवा का इंजेक्शन मुझ पर लगायें?’’ मैंने डाक्टर से कहा।
‘‘क्या?....अच्छा ठीक है लेकिन यहाँ इंजेक्शन तो है नहीं......’’ डाक्टर ने जवाब दिया।
‘‘इंजेक्शन है मेरे पास.......जब मैंने अलार्म सुना था तभी अपनी पाॅकेट में इंजेक्शन और सुई रख ली थी। मैं जानता था कि इसका इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है।’’ मैंने कहा और इंजेक्शन और सुई डाक्टर को दी जिसमें डाक्टर ने वह दवा भरी और मेरी बाँह में इन्जेक्शन लगाया। डाक्टर ने कहा इसका असर शुरू होने मंे थोड़ा वक्त लग सकता है।
‘‘डाक्टर अब बेहतर यह है कि यह बची हुई दवा हम नष्ट कर दें वरना जल्द ही वो गुण्डे हमें ढूँढ लेंगे और यह दवा उनके हाथ लग जायेगी।’’ मैंने डाक्टर से कहा।
‘‘ठीक है अमन......यही ठीक है, यह दवा ज्वलनशील भी है, बस चिंगारी दिखाओ और यह जल के खुद ही नष्ट हो जायेगी।’’ डाक्टर ने कहा।
मैंने लाइटर से उस बची हुई दवा में आग लगा दी। तभी शायद उस दवा का असर शुरु होने लगा, मेरा बदन काँपने लगा, मेरी आँखों के आगे अन्धेरा छाने लगा, मेरे लिये खड़ा रहना भी मुश्किल लग रहा था, मैं जमीन पे गिर पड़ा।
‘‘डा..डाक्टर साहब ये चाबी लीजिये मेरी बाइक का लाॅकर खोल लीजिये उसमें गन रखी है, अपनी हिफाजत के लिये उसे लेकर भाग जाइये.....मेरे लिये न रुकिये। वह लोग आपको मारेंगे नहीं.....उन्हें आप जिन्दा चाहिये। लेकिन आप उनके हाथ न आइयेगा....उन पर फायरिंग कर दीजियेगा.....’’ मैंने किसी तरह डाक्टर से कहा। मेरा जिस्म अभी भी काँप रहा था।
अब मेरा होश खो रहा था और मैं बेहोश हो गया।
‘‘सर इसे होश आ रहा है’’
मेरे कानों में आवाज गयी। मुझे होश आ रहा था।
‘‘हेल्लो मिस्टर अमन मलिक। बहुत चालाक हो तुम मानना पढ़ेगा।’’
किसी आदमी की आवाज मेरे कानों में पड़ी। मैंने आँखें खोल के देखा तो ये वही नेता अशोक राय था। मैं बेड पर बन्धा हुआ था लोहे की जंजीरों से। मैं एक कमरे में था जिसके चारों ओर मजबूत दीवारें थीं। उस कमरे में मैं, आशोक और उसके 3-4 बाॅडीगार्ड थे।
‘‘मैं कहाँ हूँ? और डाक्टर सुरेश कहाँ हैं?’’ मैंने उससे पूछा।
‘‘तुम फिलहाल मेरे चंगुल में हो मिस्टर अमन पर तुम्हारा दोस्त डाक्टर सुरेश हमारी पकड़ में आने ही वाला था कि उस कमीनें ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर दी ताकि वह हमारी पकड़ में न आ सके। कमीने ने दवा भी जला कर खत्म कर दी और सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। अब अगर वह दवा कहीं बची रखी है तो तुम हमें बताओगे। हमें यह भी पता चला है कि उसने दवा का डोज तुमको दिया था इसिलिये तुम बेहोश हो गये थे। हमारे आदमियों को वहाँ पे सीरिन्ज भी मिला था। उस कमीने डाॅक्टर की दवा अब तेरे ऊपर टेस्ट हो चुकी है, देखते हैं क्या असर करती है।’’ अशोक ने गुस्से से कहा।
‘‘वह दवा अब नष्ट हो हो चुकी है......और डाक्टर भी अब नहीं रहे। अब तुम्हारा मकसद कभी कामयाब नहीं होगा।’’ मैंने उसे जवाब दिया।
‘‘मारो इसे.......अगर दवा के बारे में न बताये तो जान से मार देना।’’ अपने आदमियों से यह कह कर अशोक उस कमरे से चला गया।
पर मैं बहुत गुस्से में था क्योंकि एक काबिल साइंटिस्ट की जान इस कमीने की वजह से चली गयी थी। और इस कमीने के कराये हमले की वजह से ही मेरे बंगले के कुछ सिक्योरिटी गाडर््स मारे गये थे और जख्मी भी हुए थे। मुझे अपने अन्दर काफी ताकत का एहसास हो रहे थे। अशोक के गुण्डों ने मुझे डण्डों से मारना शुरु कि पर मुझे जैसे असर ही नहीं हो रहा था। मैं गुस्से से उठा और थोड़ी ताकत लगाने से जंजीरें टूट गयी, मैं इस ताकत पर हैरान हो रहा, मुझे पीट रहे गुण्डे भी जंजीरों की यह दुर्दशा देख कर घबरा गये और उन्होंने बन्दूकें निकाल कर मुझ पर तान दी, एक ने बन्दूक चला दी जो मेरी बाह में लगी। मैं घबराकर गिर पड़ा मुझे दर्द महसूस तो हुआ लेकिन उतना नही जितना मैंने सोचा था। मुझे जमीन पर पड़ा देख उन लोगों को लगा शायद अब मैं घायल हो गया हूँ पर मैं दूसरे ही क्षण फुर्ती से उठा और एक-एक जोरदार वार उन गुण्डों पर कर के उन्हें ढेर कर दिया। इतनी फुर्ती मैंने पहली बार महसूस की थी। डाक्टर की दवा काम कर गई थी। मैं अब कमरे से बाहर निकल कर अशोक के पीछे जाना चाहता था लेकिन लोहे का दरवाजा बन्द था। मैं पूरी ताकत लगा कर दरवाजे को खींचा और दरवाजा टेढ़ा हो गया बाहर कुछ और गुण्डे मौजूद थे जो मुझ पर गोलियाँ चलाने लगें मैं फुर्ती से उन गोलियों से बचा और कुछ ही सेकेण्ड्स के अन्दर कुछ गुण्डों पे एक-एक तगड़ा वार कर उन्हें बेहोश कर जमीन पर गिरा दिया यह देख बाकी गुण्डे भागने लगे मैंने तेजी से भागकर उनमें में से 1 को पकड़ा ‘‘बता अशोक कहाँ है....और मैं अभी कहाँ पर हूँ...बता वरना मार दूँगा’’ मैंने उस गुण्डे से कहा मैं अब किसी भी तरह अशोक को पकड़कर उसका काम तमाम करना चाहता था।
‘‘वो...वो अपने घर कमला स्ट्रीट की तरफ जा रहे हैं.......यह....यह उनका गोदाम है डाउनटाउन में’’ उस गुण्डे ने जवाब दिया।
‘‘तू ले चल मुझे उस तक वरना तेरी खैर नहीं’’ मैंने उससे कहा और और वहाँ पड़ा एक मास्क अपने चेहरे पे पहन लिया और वहीं गोदाम में खड़ी एक बाइक का हैण्डललाॅक तोड़ा और उसे लेकर अशोक के बंगले के रास्ते चल दिया। वह गुण्डा मेरे पीछे बैठा मुझे रास्ता बता रहा था जिस रास्ते से अशोक जाता था, वह अशोक की गाड़ी को पहचानता था। मैं काफी तेजी से बाइक चला रहा था। जल्दी ही उसे अशोक की गाड़ी दिख गई उसने मुझ से कहा यही गाड़ी है। मैंने बाइक रोकी और उससे कहा ‘‘तुम उतर जाओ तुमने मेरी मदद की है इसलिये छोड़ रहा हूँ, आगे से कोई गलत काम मत करना, और हाँ अगर वह गाड़ी अशोक की न हुई तब तो तुम गये समझो’’
‘‘जी...जी....वो उन्हीं की गाड़ी है मैं सच बोल रहा हूँ’’ उस गुण्डे ने कहा।
मैंने उसको उतारा और पर तब तक अशोक की गाड़ी काफी आगे निकल गयी थी। उसे शायद भनक लग गई थी कि मैं वहाँ से भाग निकला हूँ और उसके पीछे हूँ इसीलिये उसने रास्ता चेन्ज कर दिया और अब वो अपने घर के बजाय कहीं और के रास्ते की तरफ मुड़ गया था। शायद सुरक्षा के लिये वह किसी नजदीकी पुलिस स्टेशन जा रहा था। मैंने भी अपनी गाड़ी तेज स्पीड में बढ़ाई....शायद यह डाक्टर की दवा का ही असर था कि मैं इतनी रफ्तार से बचते-बचाते मुस्तैदी से बाइक चला पा रहा था। मैं अशोक की कार के करीब पहुँचा। अशोक का एक आदमी गाड़ी चला रहा था, एक बाॅडीगार्ड आगे बैठा था और अशोक एक दूसरे बाॅडीगार्ड के साथ पीछे बैठा था। उसके बॉडीगार्ड्स ने मुझे करीब देखकर मुझपर गोलियाँ चलाने के लिये कार के शीशे खोल लिये और कार की स्पीड बढ़ा दी। मैंने बाइक कार के करीब ले गया और बाइक से जम्प मार कर बाइक छोड़ अशोक की कार के ऊपर कूदा। मुझे कार की छत से गिराने के लिये ड्राइवर कार लहराने लगा पर मैंने कार की छत पकड़ी और उसे ताकत लगा कर आधा उखाड़ दिया। अशोक के बाॅडीगाडर््स मुझ पर फायरिंग करने लगे कुछ गोलियाँ मेरे हाथ, और पैर में लगी, पर मुझे हल्का सा ही दर्द महसूस हुआ। मैंने लात मार कर पहले पीछे बैठे बाॅडीगार्ड को कार से बाहर फेंका फिर आगे बैठे हुए बाॅडीगार्ड की गन छीन कर उसे कार की टूटी छत से बाहर फेंका यह सब देख ड्राइवर ने घबराकर कार रोक दी और भाग गया। मैंने बिना देर किये अब अशोक पर बन्दूक तान दी ‘‘मैं हत्यारा नहीं हूँ, तेरे हत्यारे गुण्डों पर भी मैंने जान लेने के मकसद से हमला नहीं किया है। पर तेरे जैसे देश के गद्दार और बुरे इन्सान का जिन्दा रहना बेहद खतरनाक है। तुझे मरना पड़ेगा अशोक राय’’ मैंने उससे कहा।
‘‘म...मुझे छोड़ दो.......तुम जो मांगोगे मैं वो दुंगा....’’ अशोक इतना ही कह पाया था कि मैंने उसके 2-3 गोली मार कर उसका काम तमाम कर दिया और वहाँ से निकल गया।
आज इस घटना को 6 महीन से ज्यादा हो चुके हैं। उस दिन मेरे हाथ और पैरों में कई गोलियाँ अभी भी लगी थीं पर मैंने किसी डाक्टर के पास जाने के बजाये खुद ही उन्हें निकाल दिया था। किसी डाॅक्टर पास जाता तो वह हैरान रह जाता कि मैं गोलियाँ लगने के बाद भी चल फिर कैसे पा रहा हूँ। उस दवा की वजह से मेरी प्रतिरोधक क्षमता, घाव भरने की क्षमता, चुस्ती-फुर्ती, शारीरिक शक्ति काफी बढ़ गई थी जैसा डाक्टर सुरेश ने बताया था वैसा ही असर हुआ दवा का। इतना ही नहीं मेेरे सुनने देखने, सोचने, समझने, सूंघने और प्रतिक्रिया करने की शक्ति भी काफी बढ़ गई है। एक तरह से सुपरहीरो बन गया हूँ मैं। पर मुझे अफसोस है कि यह देखने के लिये डाक्टर सुरेश अब इस दुनिया में नहीं थे, उनकी दवा काम तो कर गई थी पर सेना को देने का उनका मकसद पूरा नहीं हो पाया। पर कहते हैं जो भी होता है अच्छे के लिये होता है। शायद यह शक्ति ज्यादा लोगों के पास जाती तो मानवता के लिये अच्छा नहीं होता इसीलिये ऐसा नहीं हुआ।
खैर उस घटना के बाद से मैं सामान्य जिन्दगी ही जी रहा हूँ। पहले की तरह बिजनेस चला रहा हूँ। शक्तियाँ बड़ गई हैं पर इनके दोबारा इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी मुझे। किसी की पता भी नहीं है कि मुझमें शक्तियाँ आ गई हैं। पर क्या पता आगे जरूरत पड़ जाये और फिर से जगाना पड़े मुझे अपने अन्दर का हीरो।
romanchak kahani ..
dr. ki khoj ki huyi dawai aman ko lagayi gayi aur usne us dawa ko paane ke liye aur galat istemal karne ki sochne wale ashok ko maar diya ..

ek baat samajh nahi aayi ki isme pyar kaha hai .??

ek scientist jo desh ke liye kuch karta hai par wo kuch kar nahi pata ..
 
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