Naik
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Are ab yeh kia h bhaiभाग १२
संतोष- विक्रांत...!
रमण-तुम जानते हो इसे?
संतोष- ये..ये हमारा दोस्त विक्रांत है सर यही तो हमसे यहाँ मिलने आने वाला था पर...
संतोष दुविधा मैं था, उसे समझ नहीं आ रहा था के विक्रांत ऐसा क्यों करेगा, रमण भी संतोष के मुह से विक्रांत के बारे मैं सुन कर कुछ सोच रहा था और राघव जो हो रहा है उसे समझने की कोशिश कर रहा था उसे फिलहाल इस बात से कोई मतलब नहीं था के ये विक्रांत है या कोई और वो तो बस कुछ समय पहले किये विक्रांत के हाथ हवा मैं हिलाकर बन्दूक गिराने वाले कारनामे के बारे मैं सोच रहा था
विक्रांत के मुह पर पानी फैंककर उसे होश मैं लाया गया, उसके हाथो मैं पहले की हथकडिया लगायी जा चुकी थी ताकि वो भागने की कोशिश न कर सके, विक्रांत होश मैं आते ही जोर जोर से हसने लगा, इस वक़्त वह कोई इंसान नहीं बल्कि पिशाच लग रहा था
संतोष(गुस्से मैं)- तुमने ऐसा क्यों किया विक्रांत? क्यों अपने ही दोस्त की जान ले ली तुमने और तुम्हारे लोगो ने?
विक्रांत- हा हा हा, हाँ मार डाला मैंने उसे, उस कमीने का चक्कर था मेरी बीवी के साथ इसीलिए मैंने मार डाला उसे!
संतोष- तुम्हे कैसे पता, ये...ये तो बहुत समय पहले की बात है
विक्रांत- उसका मेरी बीवी के साथ अफेयर था संतोष ऐसी बात मैं कभी नहीं भूल सकता, मैं नंदिनी के साथ सेटल तो हो गया लेकिन रोहित और उसकी पस्त रिलेशनशिप की सच्चाई जानने के बाद मेरा दिल बुरी तरह से टूट चूका था, मैं डिप्रेशन मैं चला गया था, मैं एक मनोचिकित्सक के पास जाने लगा, जब उसे मेरी स्तिथि का पता चला तब उसने मुझे कुछ लोगो से मिलवाया, वो मनोचिकित्सक खुद कालसेना का सदस्य था, कालसेना से साथ जुड़ने के बाद मुझे पता चला की जिस दुनिया मैं हम रह रहे है वो कितनी खोकली है, कितनी मतलबी है कितनी नकली है और कितना नकली है इसे बनाने वाला भगवान! इसीलिए मैंने अपने लिए नया भगवान ढूंढ लिया जो मुझे वाकई मैं समझता है जो वाकई हमारे पास है और कैद है समुद्रतल की गहराइयों मैं लेकिन एक बाधा थी, हम लोगो को कुछ कुर्बानिया देनी थी ताकि कालदूत हमारा देवता समुद्रतल से बहार आ सके इसलिए हमने निशाना बनाया धर्मगुरूओ, मौलवियों और धार्मिक कार्य मैं संलग्न और लोगो को, ऐसा हमने ये देखने के लिए किया की उनको बचने उनका भगवन आता है या नहीं लेकिन कोई नहीं आया, हा हा हा...हमने उनको रोहित की तरह ही लोहे की जंजीर मैं बांधकर जला दिया लेकिन कोई नहीं आया, रोहित से बदला लेना और कुर्बानी के रिवाज को पूरा करने का परफेक्ट प्लान था मेरे पास, इसीलिए मैंने नंदिनी को बगैर बाते तुम दोनों को यहाँ बुलाया ताकि मैं रोहित को अपने हाथो से मर्टने का आनंद ले सकू और कसम से बता रहा हु संतोष उस कमीने की चीखे सुनकर आग के द्वारा उसके पिघले मांस को देखकर, उसकी छटपटाहट देखकर जो सुकून मिला वो किसी और चीज़ मैं नहीं, तुम तो बेकार ही रस्ते मैं आ गए तुमसे मेरी कोई दुश्मनी नहीं थी लेकिन एक और कुर्बानी ढूंढने मैं समय लग जाता इसीलिए तुमको भी स्वः करने की योगना बनानी पड़ी, आज रोहित की कुर्बानी के साथ ही हमने अलग अलग जगहों पर कई कुर्बानिय दी है और बस बस १ कुर्बानि शेष है जो कि आने वाली पुरनमासी की रात को दी जाएगी और हमारे देवता आजाद होंगे, हा हा हा.
तुम और तुम्हारे लोग मानसिक रूप से विक्षिप्त है जो एक काल्पनिक देवता को पूजते है और उसके नाम पर क़त्ल करते है, इंस्पेक्टर प्लीज इसे यहाँ से ले जाइये न जाने मैं क्या कर दूंगा
रमण-ठीक है पर क्या तुम ठीक हो, खुद को संभल लोगे
संतोष-हम्म
रमण विक्रांत को अपने साथ ले अपनी जीप मैं ले गया साथ मैं वो घायल पुलिस वाले भी थे और एक हवलदार को उसने संतोष को होटल पहुचांने कहा
जिस केस ने रमण को बुरी तरह उलझा रखा था वो केस अब उसके सामने स्पष्ट था, विक्रांत ने बगैर किसी जोर जबरदस्ती के रमण के आगे सब बक दिया था की कैसे इन लोगो ने कई लोगो का अपहरण करके उन्हें जला कर मार दिया था और साथ ही उसने कालसेना के बारे मैं भी कई साडी बाते बताई थी
रमण ने विक्रांत को पुलिस स्टेशन मैं लॉकअप मैं बंद कर दिया और राघव के साथ घर की और निकला, राघव जब से कब्रिस्तान से निकला था तब से चुप चाप था और अब भी जब गाड़ी मैं सिर्फ वो दोनों भाई थे तब भी राघव एकदम चुप था
रमण- राघव क्या हुआ इतने चुप क्यों हो अब तो एक आरोपी पकड़ा गया था जल्द ही इससे और भी जानकारी मिलेंगी, क्या सोच रहे हो
राघव-आप जितना सोच रहे हो ये सब उतना आसान नहीं है भैया, आपसे उस आदमी की बाते नहीं सुनी थी की अब केवल एक कुर्बानी शेष है मैं ये सोच रहा हु की यदि कोई कालदूत सच मैं है और अगर आपने संतोष को बचाया न होता और ये आखरी कुरबानु पूरी हो जाती तो क्या होता
रमण- तुम उसकी बातो पर विश्वास तो नहीं कर रहे?
राघव- विश्वास न करने का एक कारण बताइए, मैंने पछले २४ घंटो मैं बहुत अकल्पनीय चीज़े देखि है भाई और इसका सीधा उदहारण है मेरा घर पर आपका दिमाग पढ़ पाना, आपने कब्रिस्तान मैं उस आदमी ने क्या किया था देखा नहीं था, कैसे उसने बस अपने हाथो के इशारे से आपकी गन गिरा दी थी
अब रमण चुप था, विक्रांत को पकड़ने की जो ख़ुशी उसके मन मैं थी उसे राघव ने एक पल मैं मिटा दिया था
रमण- उस कारनामे से तो मैं भी चौक गया था
राघव-वो तेलेकिनेसिस जनता है भाई मैंने उसकी मानसिक तरंगो को महसूस किया है जो काफी प्रबल है और मेरा मन कहता है के इसके जैसे और भी होंगे
रमण-कहा मैं सोच रहा था की ये केस मैं जल्द से जल्द ख़तम कर दूंगा पर तुम्हारी बातो ने मुझे डरा दिया है
राघव- अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है भाई हम विक्रांत से और भी बहुत साडी बाते जान सकते है बस मुझे उसके दिमाग मैं झाकने की देर है
रमण-तो तुमने ये अभी क्यों नहीं किया
राघव-क्युकी मैं कुछ और सोच रहा हु
रमण-क्या?
राघव-भाई हमारे पास एक महीने का समय है क्युकी जैसा विक्रांत ने बताया अगर वो बात सही है तो आज पुरनमासी की रात है और अगली पुरनमासी को अंतिम कुर्बानी होगी अगर हम किसी तरह ये पता लगा ले की वो अंतिम कुर्बानी किसकी होगी तो हम उस इंसान को बचा सकते है और उसके जरिये इस कालसेना के मुखिया तक भी पहुच सकते है
रमण- पर ये लोग किसीकी भी बलि दे सकते है उस इंसान का पता कैसे लगाये
राघव-किसी की भी नहीं भाई ये लोग जिनकी कुर्बानी देनी होती है उन्हें चुनते है जैसे विक्रांत ने कहा था की धर्मगुरु, और धार्मिक कार्य से जुड़े लोग
रमण- पर अब राजनगर मैं ऐसा कौन है?
राघव-वही तो पता लगाना है कल सुबह विक्रांत से मिल कर आगे क्या करना है देखते है
दोनों बात करते हुए घर पहुच चुके थे वही दूसरी तरफ संतोष अपने होटल पहुच चूका था और ईस्वक्त वो अपने रूम मैं बैठ कुछ सोच रहा था तभी उसका फ़ोन बजा
संतोष- हा काम हो गया है! ब्लैक हुड के एक सदस्य को पुलिस ने पकड़ लिया है...नहीं किसी को मुझपर कोई शक नहीं हुआ लेकिन इस पुरे नाटक मैं मैं मरते मरते बचा हु, अगर वो इंस्पेक्टर सही समय पर नहीं आता तो ये ब्लैक हुड वाले मेरी जान ले लेते लेकिन कोई बात नहीं, हमारे महान उद्देश्य के लिए अगर मेरी जान भी चली जातो तो मुझे कोई अफ़सोस नहीं होता, जय कालसेना, जय कालदूत!
संतोष के चेहरे के भाव बदल चुके थे और अब उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी....
Tow kia asli khiladi santosh h vikrant nahi yeh poora khel hi badal. Gaya
Dekhte h raghav aur raman kia kerte h
Shaandaar mazedaar lajawab update bhai
Bahot khoob superb