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niceजूते
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हाँ बस एक मोर्चे पर लड़के वाले जीत गए लेकिन वो भी टेम्पोरेरी थी ,
जी , जूते ,
मेरी दोनों बहने , चार सहेलियां सब मोर्चे पर लगी थीं , ...
लेकिन उनकी कजिन मीता ने खुद अपने हाथ से इनके जूते उतारे
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और जब तक हमारी ओर की लड़कियां झपटें ,मीता ने उसे अपने कजिन अनुज को दे दिया , ...
और मेरी बहने एक पल के लिए ठिठकीं पर जब हिम्मत कर उधर लपकी तब तक जूते उनकी एक दुसरे कजिन के पास और देखते देखते गायब
अब उधर की लड़कियों को चिढ़ाने का मौका मिल गया , ...
जूते तो चुरा नहीं पाए , नेग किस बात का मांगोगी , ...
और ऊपर से वो सब ये भी बोलतीं ,
जूता यहीं है , ढूंढ लो , खाली बोल दो किसके पास है , बस ,...
बेचारी मेरी बहने , ...
वो मेरी एक सहेली ने गुड्डी को देखा , ...
लम्बी सी स्कर्ट पहने उकडू मुकड़ू बैठे थी बहुत देर से , ...
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जरा भी हिल नहीं रही थी , और कौन वही गुड्डी , एलवल वाली ,
बस मेरी सहेली और मेरे कजिन संजय ने मिल के एक प्लान बनाया
, संजय बगल में बैठी किसी लड़की को पानी देने गया , और आधा पानी सीधे उंकड़ू बैठी गुड्डी के स्कर्ट के बीचो बीच ,
झन्नाटे से वो गुस्से में अलफ़ उठी ,
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और उसकी स्कर्ट के नीचे जूते ,
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बस मेरी दो सहेलियां पहले से तैयार थीं , जब तक उनके ओर की लड़कियां सम्हलें , समझे ,
वो दोनों जूते लेकर चम्पत , ... और अब एकदम कोहबर के सामने से हम लोगों की ओर की लड़कियां जोर जोर से हो हो ,
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ऊपर से गाँव की औरतें सब, गुड्डी के पीछे पड़ गयीं ,
" अरे इतना जोर से लगी थी तो बाथरूम चली जाती , कुल कपडा गीला कर दिया , ... "
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+कोई बोलती ,
" "चलो बहुत जोर से लगी थी , हो गयी , कोई बात नहीं अरे अब से कपडे चेंज कर लो ,... "
गुड्डी की स्कर्ट जाँघों पर ' ठीक उसी जगह ' खूब अच्छी तरह गीली हो गयी थी , संजय ने आधा जग पानी पूरा एकदम ' सेंटर ' पर ही उड़ेल दिया था और ऊपर से जाड़े की रात ,
और ऊपर से संजय एक टॉवेल ले के सीधे उसकी जाँघों बीच ,
वो और जोर से बिचकी , ...
पर अब सब गालियाँ अब सीधे गुड्डी का नाम ले ले के , कोई बोले
"इस उम्र में चूत नहीं भोंसड़ा है , दो दो जूते घोंट लिए ,..."
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अरे एतना चोदवास लागल रहे तो घराती में इतने लौंडे मरद हैं , केहू से चोदवा लेतीं , चलो अभिन रात बाकी है , आज घरतीयन क लौंडन क भी मजा होये जाएगा '
और शादी जब एक सवा बजे ख़तम हुयी तो सब लोग कोहबर के लिए और इनका रास्ता , मेरी बहनों , सहेलियों भाभियों ने घेर लिया ,
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Fantasticजो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
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और शादी जब एक सवा बजे ख़तम हुयी तो सब लोग कोहबर के लिए और इनका रास्ता , मेरी बहनों , सहेलियों भाभियों ने घेर लिया ,
जितनी हचमच , मस्ती हंगामा उस दिन कोहबर छेकने में उस दिन हुयी थी ,
मैंने भी गाँव में कित्ती शादियों में बहनो के सहेलियों के , कोहबर छेंका था , लेकिन जो घमासान उस दिन हुआ , ...एक तो भौजी ने मेरी सहेलियों को पांच दिन पहले से घर में रोक लिया , ...
मेरी बहनो कजिन्स , गाँव की भौजाइयों सब से एकदम खुल गयीं थी और सब के साथ मिल के , ... एकदम पक्का चक्रव्युह उन सबों ने रचा था
, सब से आगे छुटकियाँ , मेरी दोनों छोटी बहनें , ...उनकी सहेलियां , मेरी छोटी कजिन्स , गाँव की छोटी उम्र की लड़कियां
उसके पीछे मेरी सहेलियां , मेरी उम्र वाली कजिन्स ,
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भाभियाँ
और सब से बाद में गाँव की औरतें , साथ में काम करने वालियां ,...
पर मज़ा ' उन लोगों ' के कारण आया ,
बरात में आयी सारी लड़कियां ( डेढ़ दर्जन से तो ऊपर ही थीं ही ) , इनके कालेज के दोस्त ,कजिन्स , और मेरी जेठानी ,
घर के बड़े लोग चले गए थे बारात के , तो इस लिए और फिर गारियों ने रही सही लाज लिहाज ख़तम कर दिया था , ... सच बोलूं तो बाराती सब , २० नहीं तो १९ भी नहीं थे ,
पर रीतू भाभी थी न हमारी ओर , और उन्होंने ही शर्त लगाई , ...
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" जूता मिलेगा , पर सिर्फ नेग साथ में ये भी चाहिए ,... "
और उन्होंने गुड्डी की ओर इशारा किया ,
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वही उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली ,...
जिसने अपनी स्कर्ट के नीचे इनके जूते छिपा रखे थे और ढूंढते ढूंढते मेरी बहनों ,सहेलियों की हालत खराब हो गयी थी।
" अरे नन्दोई जी , घाटे का सौदा नहीं है , इसके बदले में देखिये आपके सामने कितनी साली , सलहज हैं सब ,... और फिर अरे हम हरदम थोड़े ही ,
बस चौथी में सब तोहरे साले जाएंगे उनही के साथ वापस , तबतक तानी गांव क मजा , अरहर और गन्ने क खेत में , ... "
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रीतू भाभी ने समझाने की उन्हें कोशिश की ,
और बेचारी गुड्डी अपने भैया के पीछे छिपी जा रही थी ,
तब तक गाँव की मेरी एक भौजी , जिनसे हम सब पनाह मांगती थी , वो मैदान में आ गयीं ,
फिर तो ,... साफ़ अपने भैया के पीछे दुबकी जा रही ,
गुड्डी से उन्होंने बोला ,
" बड़ी ताकत है बूची एह उमर में दोनों जुतवा आपन भोंसड़ा में घुड़ेस लेहलु , .... "
फिर हँसते हुए गुड्डी को समझाते , मनाते हुए ,जोड़ा
"काहें घबड़ा रही हो , अरे पांच छह दिन क बात है , तुमको भी तरह तरह क मज़ा मिलेगा , ... अरे एक साथ दो दो जूता जो ले ले उसको तो दो दो लंड से कम में काम नहीं चलेगा , ... अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों , ... "
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और फिर उनका साथ देने के लिए मेरी नाउन की बहू , गाँव के रिश्ते से भौजाई , ..
और वो तो उनसे भी दस हाथ आगे , पहली रात को ही जितनी मेरी सहेलियां शहर से आयी थी , सबका नाड़ा भी खोला और अच्छी तरह से 'इलाके की जांच पड़ताल ' भी की , और उसकी संगत में अब मेरी सारी सहेलियां भी गारी गाने में और गाली देने में एक्सपर्ट ,
तो वो गुड्डी से सीधे बोली ,
" और का , एक बुरिया में और एक गंडिया में , ... काहो बबुनी , सच काहत बानी न , अरे ई मत समझा की बराती में जउन चिक्कन चिक्क्न लौंडे आये हैं उहै खाली गांडू है , अरे एकनाकर बहिनियां कुल अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर से , ... "
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मैं घूंघट काढ़े थी ,
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तब भी मैंने कनखियों से देखा , मेरी जेठानी की ऊँगली मोबाइल पर चल रही थी , और फिर रीतू भाभी के मोबाइल में टुंग हुआ ,
और अब रीतू भाभी मैदान में आ गयीं , फाइनल ओवर में छक्के लगाने , वो और मेरी जेठानी में खूब सांठगांठ थी और अंदर अंदर दोनों ही , ...
" अच्छा खाली ई बताय दो , बस और कुछ नहीं पूछेंगे , तू एलवल में रहती हो न , ... "
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" हाँ तो "
अब गुड्डी रानी के बोल फूटे , पहली बार किसी ने सीधा सवाल पूछा था।
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" अरे ओहि गली में जहाँ बाहर गदहे बंधे रहते हैं , है न ,... "
" हाँ वहीँ ,... " अब हिम्मत करके वो सामने आ गयी थी ,
अब लूज बाल पर वही नाउन की बहु ने छक्का मार दिया , अगला सवाल पूछ के ,
" तबै , बस खाली ए बता दाय , ऊ गदहवन क लौंड़ा ,... झांट आवै क पहले से घोंटत हाउ की झांट आवे के बाद से , ... "
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और फिर तो इनकी साली सलहज सब इतनी जोर से हंसी की बेचारी की हाल ख़राब होगयी , ...
बात बदलने के लिए उनकी एक और बहन मैदान में आ गयी और हमारी ओर से मेरी बहने सहेलियां मैदान में , ...
मिली बोली
" जाने दीजिये न अंदर , इतने देर से खड़े हैं , भैया ,... "
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" अच्छा तो आपको मालूम है आपके भैया कित्ते देर तक खड़े रह सकते हैं , लगता है खूब अंदर करवाया होगा भैया को , ... "
मेरी एक सहेली बोली ,
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और छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन भी आ गयी जोड़ने के लिए ,
" अरे जीजू ने प्रैक्टिस इन्ही के साथ की थी , मैं तिलक में गयी थी न वहीँ पता चला था। "
सच में पन्दरह बीस मिनट हो गए थे , और उसके पहले पालथी मार कर शादी में हम लोग तीन घंटे से बैठे थे , ...
मेरे एक कजिन ने एक कुर्सी ला कर मेरे पास रख दी और ये बेचारे खड़े ही रहे , ...
लेकिन तबतक मेरी बुआ ने हड़काया , ...
" अरेलड़कियों आने दो न इनको अंदर , फिर तो इनकी माँ बुआ सबको , ... सब वसूल कर लेंगे , अब देर हो रही है। "
पर उस समय लड़कियां किसी की सुनती हैं , उन्हें तो बस अपने जीजा की रगड़ाई का मौका चाहिए , ...
पर ये एकदम सीधे , बेचारे , ...
जेब में हाथ डाल कर छुटकी से पूछने लगे कितना ,
लेकिन उनके एक दोस्त ने कंधे पर हाथ रख कर इशारे से उन्हें मना कर दिया
और बोला ,
" अरे डिजिटल इंडिया है कैशलेस भारत , ... आप लोग अपना एटीम खोलिये बस हम अपना कार्ड अंदर , और पैसा बाहर , ... "
सच में जैसे घर की लड़कियों को दरवाजे पर छेड़छाड़ में मजा आता है , वही हालत बरात के लड़कों लड़कियों की होती है , एक बार दुलहा कोहबर में चला गया फिर तो , बरात वाले जनवासे वापस ,...
और अब मामला डबल मीनिंग डायलॉग से काफी आगे बढ़ गया था , मेरी एक सहेली ने बारात की लड़कियों की ओर इशारा कर दिया ,
' अरे हर बैंक का ए टीम तो आपके पास है , काहें चिंता करते है ,
और कार्ड ,.. हमारे इतने सब भाई खड़े हैं डालने के लिए ,... हाँ आपके इस एटीम से , पैसा नहीं ,...
ठीक नौ महीने बाद , ... केहाँ केहाँ निकलेगा , पक्की गारंटी , ... कोई रबड़ वबड़ का चक्कर नहीं , ... "
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जेठानी ने बीच बचाव कर के आखिर पैसा दिलवा दिया लेकिन तभी लड़कियां एकदम से हटने को तैयार नहीं , ... जीजू पहले गाना सुनाएँ ,..
हर बार जब मैं अपनी सहेलियों बहनों के साथ द्वार छेंकती थी तो कोई भी दुलहा जल्दी गाने के लिए तैयार नहीं होता था , लेकिन ये तो बस , जैसे पहले से तैयार हो के आये थे
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
देते ना आप साथ तो मर जाते हम कभी के
पूरे हुए हैं आप से अरमान ज़िन्दगी के
हम ज़िन्दगी को आप की सौगात कहेंगे
चाहेंगे, निबाहेंगे, सराहेंगे आप ही को
आँखों में नम है जब तक देखेंगे आप ही को
अपनी जुबान से आप के जजबात कहेंगे
और एकदम बेसरम , ...
मेरा घूँघट मेरी जेठानी ने थोड़ा सा ऊपर कर दिया था , और ये एकदम मेरी ओर देखते ,
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चाहेंगे, निबाहेंगे, सराहेंगे आप ही को,
जिस तरह से कह रहे थे , सच में , एकदम नदीदों की तरह मुझे देख रहे थे जैसे मुझे पाने के लिए तो वो कुछ भी करने को तैयार थे ,
वो तो बेसरम थे , लेकिन मैं शरमा रही थी , ... ऐसे थोड़ी ,...
और मेरी एक ननद ने चिढ़ाते हुए कान में कहा भी ,
" अरे भैया , इत्ता मत ललचाइये , ... सुबह ले चलेंगे न भाभी को , ... फिर तो मिलेंगी आप ही को ,... "
मेरी जेठानी मुझे देखते हुए मुस्कराने लगी , और मैं भी मुस्कराहट नहीं रोक पायी ,
लेकिन हालत खराब थी उनकी सालियों की , मेरी बहने , सहेलियां , सब लहा लोट , ... और बस उस गाने के बाद सब उनकी गुलाम , ...
मेरा साथ छोड़कर
सच में उनकी आवाज भी न ,...एकदम मुकेश , ... और एक एक शब्द , एक एक अक्षर ,... जैसे सीधे दिल से निकल रहा हो ,
और बस रास्ता खुल गया , ... उनके कोहबर में जाने का , ...
लेकिन खुल कर भी नहीं खुला ,
उनके दोस्त , कुछ कजिन्स और बारात की लड़कियां जिद कर रहे थे कोहबर में जाने के लिए , ...
और सबसे ज्यादे आगे था अनुज ,
Jabardastछोटी साली के मजे - छुटकी
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... और पीछे से किसी ने भरपूर सिन्दूर दान भी कर दिया , और कुछ सिन्दूर उनकी नाक पर गिर पड़ा , और फिर साली सलहज जोर से हो , हो , ...
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" सास बहुत मानेगी , नाक पर सिंदूर गिरा है , "
एक साली ने चिढ़ाया ,
तो मेरी मौसी ने तुरंत असिरबाद दिया ,
" सदा सुहागन रहो , दूधो नहाओ , पूतो फलो ,... "
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फिर किसी उनकी सल'हज ने छेड़ा ,
" अरे सिन्दूर दान हो गया , अब सुहागरात भी होगी तभी तो सोहर होगा ( पुत्र जन्म में होने वाला गाना ). "
" लेकिन सिन्दूर दान करने वाली सामने तो आये ,... "
वो बोले और छुटकी पकड़ी गयी उसकी उँगलियों में अभी भी सिन्दूर लगा था।
और उनकी दो सलहजों ने पकड़ के छुटकी को उनकी गोद में बैठा दिया , छुटकी से ज्यादा वो घबड़ा रहे थे , कोई बुरा न मान ले।
छुटकी तो घस्स से अपने जीजू की गोद में बैठ गयी
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छुटकी - मेरी सबसे छोटी सगी बहन ,
"अरे ठीक से पकड़ लो कहीं गिर विर पड़ी तो ," .. एक भौजी ने उन्हें उकसाया ,
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पर उनकी हिम्मत ,.. हलके से हाथ उन्होंने रखा ,
भौजाइयां भी ,... इसी बहाने इन्हे ननद की रगड़ाई करने का मौका मिल रहा था , पर ननद से ज्यादा शरमीले तो नन्दोई थे , छुटकी तो ठसके से उनकी गोद में कोहबर में बैठी थी , मुस्करा रही थी , मेरी ओर देख कर मुझे भी चिढ़ा रही थी ,
"अरे कैसे जीजू हो , ये भी पता नहीं साली सलहज को कहाँ से पकड़ते हैं , "
और रीतू भाभी ने छुटकी के उभारों पर सीधे से उनका हाथ पकड़ के रख दिया ,
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वो शायद तब भी हटा देते लेकिन उनके हाथ के ऊपर उनकी साली ने अपना हाथ रख दिया ,
अब वो कोशिश करते भी तो छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन , हाथ हटाने भी नहीं देती ,
" अरे तानी रगड़ा मीसा , ... ऐसे डर डर के ,... "
उनकी सलहजों ने चिढ़ाया ,
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लेकिन मैं समझ रही थी उन्हें थोड़ा डर लग रहा था अपनी सास से , सलहज और सालियों से तो अब उनकी हिचक बहुत ख़तम हो गयी थी और वो अपनी सास की ओर चुपके से भी देख रहे थे ,
की कहीं मम्मी को बुरा तो नहीं लग रहा था , ....
पर वो भूल गए थे की मम्मी , मेरी भी मम्मी थीं , उन्हें उनका हलके से पकड़ना बुरा लग रहा था , और मम्मी भी ये बात समझ रही थीं , ...
इसलिए प्यार से उन्होंने हड़का लिया
" अरे अभी तो सिंदूर डालने वाली के साथ सुहागरात मनाने की बात कर रहे थे और अभी पकड़ने दबाने में सांस फूल रहीहै , कुल अपनी बहन के साथ प्रैक्टिस करने में खरच कर दिए हो का ,... अरे छोटी साली है तोहार हक है , .... तानी ठीक से ,... "
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पर अब सलहजें मैदान में आ गयीं , और उनके पीछे पड़ गयीं ,
" अरे हमार ननद चाहिए तो , सुहागरात तो मना सकते हो नन्दोई जी , लेकिन उसके पहले गोद में बैठी साली का साइज सही सही बता दीजिये , अगर सही होगा तो साली मिलेगी और गलत होगा , तो ,... "
जवाब उनकी सालियों ने दिया ,
" बरात में जितनी लड़कियां आयी है सब पर इनके साले चढ़ेंगे , ... "
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" चलिए हम लोग दस तक गिनती गिनेंगे , तब तक जितनी नाप जोख करनी हो कर लीजिये , ... वरना ,.... "
बात मेरी मौसी ने पूरी की
:
"और नहीं बता पाए , तो इनकी गाँड़ मारी जाएगी साथ में ,... "
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और फिर एक बार जोर से हंसी , ...
भाभियाँ जान बूझ कर धीमे धीमे गिन रही थी ,
आखिर उन की ननद की नाप जोख हो रही थी , ... पर सात तक गिनती पहुंची थी की उन्होंने जवाब दे दिया
" ३० "
जब तक छुटकी बोलती सही जवाब ,
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चंदा मेरी सहेली बीच में कूद पड़ी , ..
"३० क्या , ... कप साइज तो बताइये , वरना साली के लिए ख़रीदियेगा कैसे ,..."
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" ३० सी "
और अबकी छुटकी ने ख़ुशी से बोल दिया ,
... सही जवाब
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लेकिन सलहज इत्ती आसानी से अपने नन्दोई को पास होते नहीं देख सकती थी , एक गाँव वाली भाभी बोली ,
" अरे ३० सी , कौन चीज , .... नाम ले कर बताओ तब साली हटेगी , ... "
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बेचारे वो , ...
वो , वही बोलते रहे यहाँ तक की उनकी एक सलहज ने हिंट भी दिया ,
" अभिन मंडवे में तोहरी कुल बहिनों की चूँची क इतना बखान हुआ ,...
बड़ी मुश्किल से पहले तो चूं चुन बोलते रहे ,
और उनकी गोद में बैठी साली ने भी छेड़ा , जीजू आप चिड़िया हो का। चूं चूं बोल रहे हो ,... "
तब जा कर कहीं वो चूँची बोल पाए ,
और तीन बार बुलवाया गया उनसे जोर जोर से
और साली ने तीन तिरबाचा भरवाया , सुहागरात होगी साली के साथ लेकिन उन्हें होली में , पहली होली में ससुराल आना पड़ेगा।
और मंझली ( मेरी मंझली बहन , दसवें में पढ़ती थी , मुझसे ठीक छोटी ) , ने अब आलमोस्ट धक्का देकर अपनी छोटी बहन को हटा दिया और खुद ' सिंहासन ' पर बैठ गयी
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और मेरी सहेली , पक्की दोस्त , चंदा थी न बगल में उकसाने को , बोली ,
" कभी कभी अँधेरे में अंधे के हाथ बटेर लग जाती है , अब इसकी नाप के सही साइज बताइये जीजू तब मानूंगी आप को। "
" और अब की चूं चूं किये न , तो बस ,... कोहनी तक गांड में पेल दूंगी , मायके में महतारी बहन सब कर चूँची दबाते होंगे यहाँ आयके ,... "
बुआ ने उन्हें जोर से हड़काया
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और अबकी उन्होंने बिना देर किये , ... थोड़ी देर तक नाप जोख की , और बोल दिया ३२ सी।
उसके बाद तो करीब आधी दर्जन सालिया और सब से अंत में चंदा , ...और वो उतरी नहीं वैसे ही बड़ी देर तक , उसकी ३४ डी। और हर बार उन्हें चूँची बोलना पड़ता था
Superbकोहबर के अंदर
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और कोहबर में हम दोनों अंदर , ...
बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,...
" स्साले , भोंसड़ी वाले , मादरचोद , रंडी के जने , ...अब जउन तोहार छिनार भाइचोद बहिनिया , रंडी महतारी , गदहाचोदी कुत्ताचोदी बुआ , मौसी कउनो नहीं आएँगी बचाने , अब इहाँ कोहबर में जउन जउन कहा जाये चुप चुप करवाओ , सास , सलहज साली की बात मान के
, ...समझे मादरचोद , माई बहन के भंडुए ,... "
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और ऊपर से मम्मी ने आने वाले हमले को और ,... प्यार से उनके गाल पर सहलाते बोलीं ,
" अरे नहीं, काहें मना करेगा ये , ...
आखिर इसकी महतारी चाची बुआ केहू को मना नहीं करती तो ,
लेकिन एक बात ये भी है की बिदायी की साइत छह बजे सुबह की है , ओकरे बाद शुक्र डूब जाएंगे , ... यह लिए , भैया कोहबर क रस्म कुल जल्दी जल्दी , .. जेहसे , टाइम पर बिदाई , ... अरे तोहार सलहज हई बताय देहिंये , ... लेकिन चलो पहले बैठा , ... "
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दो पीढ़े रखे गए थे , मेरे और उनके बैठने के लिए , मैं तो धसक से बैठ गयी ,
लेकिन वो बेचारे सहमते हुए , कुछ झुके , ... सोचते रहे ,... फिर कुछ सोच कर पीढ़ी के उपर रखे गए कवर को हटा कर ,...
उसके नीचे कुछ नहीं था , ...
और सलहज सालियों के साथ हंसी का फवारा , ... एक बार हंसी रुकती तो फिर दूसरी बार ,... और मैं भी बगल में बैठी मुस्करा रही थी ,
" काहो , महतारी बहिन सिखाये के भेजीं थी , कोहबर में पिछवाड़े क ख्याल रखना , कतौं कउनो खतरा न होय जाय ,... कुछ घुस गया तो ,... "
मेरी एक चाची इन्हे चिढ़ाते हुए बोलीं ,
पर इनकी एक नयी नवेली सलहज ने मोर्चा खोल लिया ,
" अरे तो ठिकै तो सिखाई , अइसन चिककन मुलायम ई तो वइसने चिक्क्न मुलायम एंकर पिछवाड़ा , ... "
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पर गाँव वाली हमारी भौजाइयां , अइसन साफ़ बोली में ,
सीधे एक ने जोर से इनके पिछवाड़े चिकोटी काटा और इनसे सवाल पूछ लिया ,
" अरे साफ़ साफ़ बोला न , की गाँड़ पर खतरा , ... लेकिन ई हम मान नहीं सकते की आइसन चिकने मस्त नमकीन माल क गाँड़ अभिन तक कोरी बची होगी , और अगर बची है भी तो आज एन्हि कोहबर में ओह्कर भी नेवान हो जाएगा "
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( असल में उनकी सावधानी जायज थी , मैंने भी कोहबर में बहुत बार अपनी सहेलियों बहनों की शादी में , पीढ़े के ऊपर पापड़ या कुछ ,... कभी कोई चुभने वाली चीज़ ,... और दूल्हे के बैठते ही , ... वो उचक कर ,... लेकिन सच में लगता है इनके घर में समझा कर , और यही सोच कर जानबूझ के कुछ नहीं रकः गया था , इनकी रगड़वाई वाली चीजें तो अभी आगे थी , ...
यही सोच के मैं मुस्करा रही थी )
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और कोहबर में हर उमर की लड़कियां , औरतें , डेढ़ दर्जन से ऊपर तो इनकी सालियाँ ही थीं , ...
कुछ तो छुटकियाँ , ... मेरी छुटकी मंझली ( दोनों नवी दसवीं में थी ) की समौरिया , कुछ मेरी दोनों बहनों की सहेलियां ,
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गाँव की लड़कियां और मेरी कजिन्स , ... कुछ सालिया मेरी उम्र की ,
लास्ट आफ टीन्स , ... मेरी दोस्तें , कजिन्स , ...
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और करीब उतनी ही सहलजे , ... मेरी कुछ भाभियाँ बॉम्बे और लखनऊ से भी आयी थीं ,
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बाकी सब गाँव की , ...
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और सास भी कोई कम नहीं थी , मेरी बुआ , चाची , मौसी , ... गाँव की ,... और काम करने वालियाँ , नाउन , कहाईन ,
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उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,
" जीजू गरम नहीं लग रहा है आपको , ... "
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और देखते देखते , दो ने शेरवानी के बटन खोलने शुरू किये ,
एक ने पगड़ी उतारी , एक जूते के पीछे पड़ गयी , ...
बस पांच मिनट में शेरवानी पगड़ी जूता , यहाँ तक की मोजा सब उतर गया सालियों के कब्जे में , और यही नहीं , उनके दोनों हाथ भी ,
" अरे जीजू , ससुराल में भी , सालियों के रहते हुए अपने हाथ , ...ये हमको दे दीजिये , ... "
ये छुटकी थी , मेरी छोटी बहन , सबसे छोटी और उनकी छोटी साली , ...
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वो और उसकी चार पांच सहेलियां , ... दोनों हाथ उन सबके कब्जे में ,
मैं कनखियों से देख रही थी ,
पहले नेल पालिश , मेरी वाली से मैचिंग
फिर मेंहदी , ...
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फिर चूड़ियां , पूरे दर्जन भर , लाल लाल
और पैरों पर कब्ज़ा मेरी मंझली बहन और उसकी सहेलियों के , मेरी कजिन्स का था ,
महावर , पैरों के नाख़ून , ...
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और फिर बिछिया , उनके सिंगार का जिम्मा छोटी सालियों ने सम्हाल लिया था ,
और अब उनकी असली रगड़ाई का टाइम आ गया था , सलहज और सास
( एक अलिखित नियम यह है की सास की सारी गालियॉँ , चिढ़ाना , छेड़छाड़ , अपनी समधनों , दूल्हे की माँ , चाची , बुआ , मौसी ,... और सलहजें दूल्हे की बहने ) , , एक मौसी और एक गाँव की भाभी ने मिलकर , लोढ़ा लेकर , और बिना गारी के तो ,
" इहै होंवे की दोसर होंवे , परछी की नां रे , अरे केकरा क जामन होंवे , दुलरू दामाद रे , ... "
मांगे क सुटवा दुलहा काहें पहन के अइला हो , कइसन का बेटा जनमवली तोहार माई छिनारिया हो , ...
अरे तोहार माई गदहा चोदी हो , अरे कुकुरा क चोदी हो , ,,,,, "
" अरे पहले इनसे एंकर महतारी का नाम पूछा , बोलै भैया अपनी माई क नाम तो "
मौसी ने पूछा ,
Awesomeसाली सलहज कोहबर
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साली सलहज के बिना तो कोहबर क्या ससुराल एकदम सूनी रहती है , और यहाँ तो एकदम गचम गच ,
और वो भी एक दोनों नहीं चार चार टीमें
सबसे छोटी सालियों , छुटकियों की टीम की लीडर थी , मेरी सबसे छोटी बहन , इनकी ख़ास , ... छुटकी
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और साथ में मेरी मंझली बहन भी उन दोनों की सहेलियां , गांव की लड़कियां मेरी कजिन्स ,
दूसरी टीम मेरी उम्र वाली , मेरी कजिन , गाँव वाली मेरी बहने , और सहेलियां , चंदा जिसकी लीडर थी ,
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और उसके बाद सहलज और चौथी टीम सास लोगों की जो आग जरा भी धीमी पड़ती तो बहुओं , बेटियों को उकसाकर ,...
रस्में शुरू हो गयी ,
एक रस्म थीं एक कपडे की गठरी की गाँठ उन्हें खोलनी थी , सात गांठे , एक से एक टेढ़ी , छह गांठे इनकी सलहजों ने लगाई थी सातवीं मैंने लगाई थी , पूरी ताकत से , ..
उनके दोनों हाथ अभी भी उनकी छोटी सालियों के कब्जे में थे , बड़ी मुश्किल से नेग का वायदा करने पर उन सबने एक हाथ छोड़ा , वो भी बाँया , और उन्हें वो सातो गांठे खोलनी थी , दस की गिनती पूरे होने तक ,...
दोनों हाथ से एक गाँठ खुलनी मुश्किल थी यहाँ सिर्फ एक हाथ से वो भी बाएं ,...
मैं भी बड़े ध्यान से देख रही थी ,
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मेरी सब भाभियों ने गाँठ बांधते , मेरे मन में ये गाँठ बंधवा दी थी ,... अगर कोहबर में दूल्हे ने गाँठ खोल ली न तो सोच लो कल रात तेरी लहंगे के नाड़े की गाँठ खुलना तय ,
एक हाथ से कैसे खोल पाएंगे , सपोर्ट कैसे किधर से , मैं सोच रही थी ,
लेकिन मेरी आँखे फटी रह गयी , उन्होंने अपनी देह का सपोर्ट ,
और, जब तक गिनती शुरू भी नहीं हुयी थी , मेरी वाली गाँठ खुल गयी , ...
और देखते देखते , सातो गांठे ,...
और मेरी सब भाभियों की मुस्कराती चिढ़ाती निगाहें मेरी ओर थी ,
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जिसका सिर्फ एक मतलब था , ... बिन्नो अब तू लाख कोशिश करले , कल तेरा नाड़ा खुल के रहेगा .
और अब बाती मिलाने की रस्म हुयी जो सलहज करवाती है , और अब उनकी नेग माँगने की बारी थी ,
और अब की चंदा मेरी सहेली ने साली और ननद दोनों का हक़ अदा किया और बोली ,
"जीजू , जो बाती मिलवा रही हैं , बस वही, उन्ही को मांग लो , ... नेग में ,... "
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रीतू भाभी बाती मिलवाने की रस्म करवा रही थी , और जिस तरह से उन्होंने भाभी की ओर देखा , ...
वो भी लजा गयीं , और बोलीं ,
'चल पहले मेरी ननद से निबटो ,... परसों सबेरे फोन कर के पूछूँगी , क्या हुआ , जिसको ले जा रहें हैं उसका भरतपुर लूट पाए की नहीं ,... ""
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लेकिन अब वो भी रस्मो के , कोहबर की मस्ती में आ गए थे ,
और उनकी सालियाँ भी जोर जोर से उनका साथ दे रही थीं ,
और तय हुआ की जब वो होली में ससुराल आएंगे तब , ...
साथ साथ सालियाँ उनका सिंगार कर रही थीं , काजल लगा ,
बिंदी
और फिर खूब चौड़ी सी सीधी मांग , ...
और पीछे से किसी ने भरपूर सिन्दूर दान भी कर दिया , और कुछ सिन्दूर उनकी नाक पर गिर पड़ा , और फिर साली सलहज जोर से हो , हो , ...
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" सास बहुत मानेगी , नाक पर सिंदूर गिरा है , " एक साली ने चिढ़ाया ,
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तो मेरी मौसी ने तुरंत असिरबाद दिया ,
" सदा सुहागन रहो , दूधो नहाओ , पूतो फलो ,... "
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फिर किसी उनकी सल'हज ने छेड़ा ,
" अरे सिन्दूर दान हो गया , अब सुहागरात भी होगी तभी तो सोहर होगा ( पुत्र जन्म में होने वाला गाना ). "
" लेकिन सिन्दूर दान करने वाली सामने तो आये ,... "
वो बोले और छुटकी पकड़ी गयी उसकी उँगलियों में अभी भी सिन्दूर लगा था। और उनकी दो सलहजों ने पकड़ के छुटकी को उनकी गोद में बैठा दिया ,
छुटकी से ज्यादा वो घबड़ा रहे थे , कोई बुरा न मान ले।
Fantasticछोटी साली के मजे - छुटकी
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... और पीछे से किसी ने भरपूर सिन्दूर दान भी कर दिया , और कुछ सिन्दूर उनकी नाक पर गिर पड़ा , और फिर साली सलहज जोर से हो , हो , ...
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" सास बहुत मानेगी , नाक पर सिंदूर गिरा है , "
एक साली ने चिढ़ाया ,
तो मेरी मौसी ने तुरंत असिरबाद दिया ,
" सदा सुहागन रहो , दूधो नहाओ , पूतो फलो ,... "
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फिर किसी उनकी सल'हज ने छेड़ा ,
" अरे सिन्दूर दान हो गया , अब सुहागरात भी होगी तभी तो सोहर होगा ( पुत्र जन्म में होने वाला गाना ). "
" लेकिन सिन्दूर दान करने वाली सामने तो आये ,... "
वो बोले और छुटकी पकड़ी गयी उसकी उँगलियों में अभी भी सिन्दूर लगा था।
और उनकी दो सलहजों ने पकड़ के छुटकी को उनकी गोद में बैठा दिया , छुटकी से ज्यादा वो घबड़ा रहे थे , कोई बुरा न मान ले।
छुटकी तो घस्स से अपने जीजू की गोद में बैठ गयी
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छुटकी - मेरी सबसे छोटी सगी बहन ,
"अरे ठीक से पकड़ लो कहीं गिर विर पड़ी तो ," .. एक भौजी ने उन्हें उकसाया ,
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पर उनकी हिम्मत ,.. हलके से हाथ उन्होंने रखा ,
भौजाइयां भी ,... इसी बहाने इन्हे ननद की रगड़ाई करने का मौका मिल रहा था , पर ननद से ज्यादा शरमीले तो नन्दोई थे , छुटकी तो ठसके से उनकी गोद में कोहबर में बैठी थी , मुस्करा रही थी , मेरी ओर देख कर मुझे भी चिढ़ा रही थी ,
"अरे कैसे जीजू हो , ये भी पता नहीं साली सलहज को कहाँ से पकड़ते हैं , "
और रीतू भाभी ने छुटकी के उभारों पर सीधे से उनका हाथ पकड़ के रख दिया ,
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वो शायद तब भी हटा देते लेकिन उनके हाथ के ऊपर उनकी साली ने अपना हाथ रख दिया ,
अब वो कोशिश करते भी तो छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन , हाथ हटाने भी नहीं देती ,
" अरे तानी रगड़ा मीसा , ... ऐसे डर डर के ,... "
उनकी सलहजों ने चिढ़ाया ,
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लेकिन मैं समझ रही थी उन्हें थोड़ा डर लग रहा था अपनी सास से , सलहज और सालियों से तो अब उनकी हिचक बहुत ख़तम हो गयी थी और वो अपनी सास की ओर चुपके से भी देख रहे थे ,
की कहीं मम्मी को बुरा तो नहीं लग रहा था , ....
पर वो भूल गए थे की मम्मी , मेरी भी मम्मी थीं , उन्हें उनका हलके से पकड़ना बुरा लग रहा था , और मम्मी भी ये बात समझ रही थीं , ...
इसलिए प्यार से उन्होंने हड़का लिया
" अरे अभी तो सिंदूर डालने वाली के साथ सुहागरात मनाने की बात कर रहे थे और अभी पकड़ने दबाने में सांस फूल रहीहै , कुल अपनी बहन के साथ प्रैक्टिस करने में खरच कर दिए हो का ,... अरे छोटी साली है तोहार हक है , .... तानी ठीक से ,... "
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पर अब सलहजें मैदान में आ गयीं , और उनके पीछे पड़ गयीं ,
" अरे हमार ननद चाहिए तो , सुहागरात तो मना सकते हो नन्दोई जी , लेकिन उसके पहले गोद में बैठी साली का साइज सही सही बता दीजिये , अगर सही होगा तो साली मिलेगी और गलत होगा , तो ,... "
जवाब उनकी सालियों ने दिया ,
" बरात में जितनी लड़कियां आयी है सब पर इनके साले चढ़ेंगे , ... "
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" चलिए हम लोग दस तक गिनती गिनेंगे , तब तक जितनी नाप जोख करनी हो कर लीजिये , ... वरना ,.... "
बात मेरी मौसी ने पूरी की
:
"और नहीं बता पाए , तो इनकी गाँड़ मारी जाएगी साथ में ,... "
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और फिर एक बार जोर से हंसी , ...
भाभियाँ जान बूझ कर धीमे धीमे गिन रही थी ,
आखिर उन की ननद की नाप जोख हो रही थी , ... पर सात तक गिनती पहुंची थी की उन्होंने जवाब दे दिया
" ३० "
जब तक छुटकी बोलती सही जवाब ,
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चंदा मेरी सहेली बीच में कूद पड़ी , ..
"३० क्या , ... कप साइज तो बताइये , वरना साली के लिए ख़रीदियेगा कैसे ,..."
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" ३० सी "
और अबकी छुटकी ने ख़ुशी से बोल दिया ,
... सही जवाब
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लेकिन सलहज इत्ती आसानी से अपने नन्दोई को पास होते नहीं देख सकती थी , एक गाँव वाली भाभी बोली ,
" अरे ३० सी , कौन चीज , .... नाम ले कर बताओ तब साली हटेगी , ... "
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बेचारे वो , ...
वो , वही बोलते रहे यहाँ तक की उनकी एक सलहज ने हिंट भी दिया ,
" अभिन मंडवे में तोहरी कुल बहिनों की चूँची क इतना बखान हुआ ,...
बड़ी मुश्किल से पहले तो चूं चुन बोलते रहे ,
और उनकी गोद में बैठी साली ने भी छेड़ा , जीजू आप चिड़िया हो का। चूं चूं बोल रहे हो ,... "
तब जा कर कहीं वो चूँची बोल पाए ,
और तीन बार बुलवाया गया उनसे जोर जोर से
और साली ने तीन तिरबाचा भरवाया , सुहागरात होगी साली के साथ लेकिन उन्हें होली में , पहली होली में ससुराल आना पड़ेगा।
और मंझली ( मेरी मंझली बहन , दसवें में पढ़ती थी , मुझसे ठीक छोटी ) , ने अब आलमोस्ट धक्का देकर अपनी छोटी बहन को हटा दिया और खुद ' सिंहासन ' पर बैठ गयी
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और मेरी सहेली , पक्की दोस्त , चंदा थी न बगल में उकसाने को , बोली ,
" कभी कभी अँधेरे में अंधे के हाथ बटेर लग जाती है , अब इसकी नाप के सही साइज बताइये जीजू तब मानूंगी आप को। "
" और अब की चूं चूं किये न , तो बस ,... कोहनी तक गांड में पेल दूंगी , मायके में महतारी बहन सब कर चूँची दबाते होंगे यहाँ आयके ,... "
बुआ ने उन्हें जोर से हड़काया
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और अबकी उन्होंने बिना देर किये , ... थोड़ी देर तक नाप जोख की , और बोल दिया ३२ सी।
उसके बाद तो करीब आधी दर्जन सालिया और सब से अंत में चंदा , ...और वो उतरी नहीं वैसे ही बड़ी देर तक , उसकी ३४ डी। और हर बार उन्हें चूँची बोलना पड़ता था
Fabulousछोटी साली के मजे - छुटकी
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... और पीछे से किसी ने भरपूर सिन्दूर दान भी कर दिया , और कुछ सिन्दूर उनकी नाक पर गिर पड़ा , और फिर साली सलहज जोर से हो , हो , ...
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" सास बहुत मानेगी , नाक पर सिंदूर गिरा है , "
एक साली ने चिढ़ाया ,
तो मेरी मौसी ने तुरंत असिरबाद दिया ,
" सदा सुहागन रहो , दूधो नहाओ , पूतो फलो ,... "
![]()
फिर किसी उनकी सल'हज ने छेड़ा ,
" अरे सिन्दूर दान हो गया , अब सुहागरात भी होगी तभी तो सोहर होगा ( पुत्र जन्म में होने वाला गाना ). "
" लेकिन सिन्दूर दान करने वाली सामने तो आये ,... "
वो बोले और छुटकी पकड़ी गयी उसकी उँगलियों में अभी भी सिन्दूर लगा था।
और उनकी दो सलहजों ने पकड़ के छुटकी को उनकी गोद में बैठा दिया , छुटकी से ज्यादा वो घबड़ा रहे थे , कोई बुरा न मान ले।
छुटकी तो घस्स से अपने जीजू की गोद में बैठ गयी
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छुटकी - मेरी सबसे छोटी सगी बहन ,
"अरे ठीक से पकड़ लो कहीं गिर विर पड़ी तो ," .. एक भौजी ने उन्हें उकसाया ,
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पर उनकी हिम्मत ,.. हलके से हाथ उन्होंने रखा ,
भौजाइयां भी ,... इसी बहाने इन्हे ननद की रगड़ाई करने का मौका मिल रहा था , पर ननद से ज्यादा शरमीले तो नन्दोई थे , छुटकी तो ठसके से उनकी गोद में कोहबर में बैठी थी , मुस्करा रही थी , मेरी ओर देख कर मुझे भी चिढ़ा रही थी ,
"अरे कैसे जीजू हो , ये भी पता नहीं साली सलहज को कहाँ से पकड़ते हैं , "
और रीतू भाभी ने छुटकी के उभारों पर सीधे से उनका हाथ पकड़ के रख दिया ,
![]()
वो शायद तब भी हटा देते लेकिन उनके हाथ के ऊपर उनकी साली ने अपना हाथ रख दिया ,
अब वो कोशिश करते भी तो छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन , हाथ हटाने भी नहीं देती ,
" अरे तानी रगड़ा मीसा , ... ऐसे डर डर के ,... "
उनकी सलहजों ने चिढ़ाया ,
![]()
लेकिन मैं समझ रही थी उन्हें थोड़ा डर लग रहा था अपनी सास से , सलहज और सालियों से तो अब उनकी हिचक बहुत ख़तम हो गयी थी और वो अपनी सास की ओर चुपके से भी देख रहे थे ,
की कहीं मम्मी को बुरा तो नहीं लग रहा था , ....
पर वो भूल गए थे की मम्मी , मेरी भी मम्मी थीं , उन्हें उनका हलके से पकड़ना बुरा लग रहा था , और मम्मी भी ये बात समझ रही थीं , ...
इसलिए प्यार से उन्होंने हड़का लिया
" अरे अभी तो सिंदूर डालने वाली के साथ सुहागरात मनाने की बात कर रहे थे और अभी पकड़ने दबाने में सांस फूल रहीहै , कुल अपनी बहन के साथ प्रैक्टिस करने में खरच कर दिए हो का ,... अरे छोटी साली है तोहार हक है , .... तानी ठीक से ,... "
![]()
पर अब सलहजें मैदान में आ गयीं , और उनके पीछे पड़ गयीं ,
" अरे हमार ननद चाहिए तो , सुहागरात तो मना सकते हो नन्दोई जी , लेकिन उसके पहले गोद में बैठी साली का साइज सही सही बता दीजिये , अगर सही होगा तो साली मिलेगी और गलत होगा , तो ,... "
जवाब उनकी सालियों ने दिया ,
" बरात में जितनी लड़कियां आयी है सब पर इनके साले चढ़ेंगे , ... "
![]()
" चलिए हम लोग दस तक गिनती गिनेंगे , तब तक जितनी नाप जोख करनी हो कर लीजिये , ... वरना ,.... "
बात मेरी मौसी ने पूरी की
:
"और नहीं बता पाए , तो इनकी गाँड़ मारी जाएगी साथ में ,... "
![]()
और फिर एक बार जोर से हंसी , ...
भाभियाँ जान बूझ कर धीमे धीमे गिन रही थी ,
आखिर उन की ननद की नाप जोख हो रही थी , ... पर सात तक गिनती पहुंची थी की उन्होंने जवाब दे दिया
" ३० "
जब तक छुटकी बोलती सही जवाब ,
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चंदा मेरी सहेली बीच में कूद पड़ी , ..
"३० क्या , ... कप साइज तो बताइये , वरना साली के लिए ख़रीदियेगा कैसे ,..."
![]()
" ३० सी "
और अबकी छुटकी ने ख़ुशी से बोल दिया ,
... सही जवाब
![]()
लेकिन सलहज इत्ती आसानी से अपने नन्दोई को पास होते नहीं देख सकती थी , एक गाँव वाली भाभी बोली ,
" अरे ३० सी , कौन चीज , .... नाम ले कर बताओ तब साली हटेगी , ... "
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बेचारे वो , ...
वो , वही बोलते रहे यहाँ तक की उनकी एक सलहज ने हिंट भी दिया ,
" अभिन मंडवे में तोहरी कुल बहिनों की चूँची क इतना बखान हुआ ,...
बड़ी मुश्किल से पहले तो चूं चुन बोलते रहे ,
और उनकी गोद में बैठी साली ने भी छेड़ा , जीजू आप चिड़िया हो का। चूं चूं बोल रहे हो ,... "
तब जा कर कहीं वो चूँची बोल पाए ,
और तीन बार बुलवाया गया उनसे जोर जोर से
और साली ने तीन तिरबाचा भरवाया , सुहागरात होगी साली के साथ लेकिन उन्हें होली में , पहली होली में ससुराल आना पड़ेगा।
और मंझली ( मेरी मंझली बहन , दसवें में पढ़ती थी , मुझसे ठीक छोटी ) , ने अब आलमोस्ट धक्का देकर अपनी छोटी बहन को हटा दिया और खुद ' सिंहासन ' पर बैठ गयी
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और मेरी सहेली , पक्की दोस्त , चंदा थी न बगल में उकसाने को , बोली ,
" कभी कभी अँधेरे में अंधे के हाथ बटेर लग जाती है , अब इसकी नाप के सही साइज बताइये जीजू तब मानूंगी आप को। "
" और अब की चूं चूं किये न , तो बस ,... कोहनी तक गांड में पेल दूंगी , मायके में महतारी बहन सब कर चूँची दबाते होंगे यहाँ आयके ,... "
बुआ ने उन्हें जोर से हड़काया
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और अबकी उन्होंने बिना देर किये , ... थोड़ी देर तक नाप जोख की , और बोल दिया ३२ सी।
उसके बाद तो करीब आधी दर्जन सालिया और सब से अंत में चंदा , ...और वो उतरी नहीं वैसे ही बड़ी देर तक , उसकी ३४ डी। और हर बार उन्हें चूँची बोलना पड़ता था