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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

THE WILD NEW YEAR PARTY में किस फैमिली का गैंगबैंग चाहते है आप ?

  • राज की फैमिली

  • अमन की फैमिली

  • निशा की फैमिली

  • रज्जो की फैमिली


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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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THE WILD NEW YEAR PARTY
बहुत जल्द आने वाला
:rock1:

हिलाने के लिए रेडी हो जाओ :jerker:
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IF YOU WANT THIS BEFORE 2026

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वरना मुझे जब लिखना होगा मै लिखूंगा ही अपने लिए 😁
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Rock2500

New Member
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UPDATE 020

EROTIC SUNDAY 04

प्रतापपुर

पीछे आंगन वाले बाथरूम में रंगी मोबाइल में सोनल की तस्वीरें खोलकर देख रहा था , जो हाल ही एल्बम वाले में भेजी थी ।
उन क्लोज अप विडियोज में उसके बड़े रसीले मम्में उसके लहंगे के ब्लाउज की गहरे गले से साफ साफ झलक रहे थे
और सारे लोग उसकी पलाजो उठा कर उसकी पिंडलियों और जांघों तक हल्दी मल रहे थे



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: उफ्फ मेरी लाडो मेरी सोनल अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह तेरे ये गुलाबी दूध उम्मम सीईईई क्या तुझे अपने पापा पर जरा भी तरस नहीं आता बेटा उम्मम ओह्ह्ह्ह तेरी ये गोरी दूधिया टांगे सीई अह्ह्ह्ह्ह
रंगी बाथरूम में लंड निकाल कर अपनी बेटी को अपने कल्पनाओं में नंगा करता हुआ लंड हिला रहा था
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम जमाई बाबू तो तुझे खूब चोदते होंगे , ऐसा माल उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बेटा उम्मम कितनी मस्त उठी हुई गाड़ है तेरी एकदम तेरे शिला बुआ पर गई है तू ओह्ह्ह्ह , कितनी बार कुर्ती में उन्हें झटके खाते देखा ओह्ह्ह्ह बेटा
सोनल के कुर्ती में झटके खाते गोल मटोल चूतड़ों को याद करते ही वो चरम पर आगया

अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह आ रहा है उम्ममम ले ले बेटा झड़ रहा हूं मै ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह

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एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां रंगी के लंड से छुटने लगी और वो आंखे बंद कर सोनल को अपनी आंखों के बसाने झड़ने लगा

फिर मोबाइल जेब में डाल पर हाथ लंड साफ कर जैसे ही दरवाजे से बाहर आया तो एकदम से ठिठक गया
सामने बेसिन में गीता अपने हाथ धूल रही थी और उसने एक नजर रंगी को देखा और खनक भरी मुस्करा कर निकल गई ।
रंगी समझ गया कि उसके चीखों की गूंज बाथरूम के बाहर तक आ रही थी और वो अपना माथा पकड़ लिया।
किसी तरह वहा से निकल कर हाथ धूल कर आंगन के बाहर आया तो उसने सबसे पहले गीता को तलाशा जो उसे ही तिरछी नजरों से देख रही थी किचन में अपनी मां के पास खड़ी ।
रंगी थोड़ा असहज होकर निकल गया अपने कमरे में आराम करने ।

वही दूसरी ओर गीता अपनी मां के साथ किचन में हाथ बटाने लगी और थोड़ी देर बाद ही खाना तैयार हो गया
सुनीता: जा तेरे फूफा और दादू को जगा दे , मै तेरे पापा को फोन करती हूं अभी तक आए नहीं साढ़े 10 बजने वाले हैं।
अब गीता के लिए बड़ी उलझन हो गई कि वह अपने फूफा को कैसे बुलाने जाए
लेकिन बुलाना तो था ही और वो हिम्मत करके चली गई उसके कमरे में ,
कमरे में रंगीलाल बाथरूम से आने के बाद थोड़ा गिल्ट में था फिर सोनल के एल्बम देख रहा था
, अभी भी उसका लंड अकड़ा हुआ था सोनल की तस्वीरें देखते हुए
हल्दी फंक्शन की तस्वीरों में उसकी पायजामी घुटनों तक थी और वहा तक हल्दी लगी फोटो निकाली गई थी , उसकी गोरी दूधिया ग़ुलाबी पिंडलियों को देख कर रंगी का लंड फड़क रहा था और उसका हाथ लंड पर चला गया था।

एकदम से गीता कमरे के आई और वो हड़क गया लेकिन गीता ने देख लिया कि रंगी का हाथ कहा था और वो मुस्कुराने लगी : फूफा चलो खाना हो गया है
रंगी इस बार और असहज हो गया और उसका चेहरा पीला पड़ने लगा
गीता फिर खनक भी मुस्कुराहट से उसे देखा और निकल गई ।
रंगी : अरे यार ये हो क्या रहा है , उम्ममम । अकेले नहीं जाऊंगा बाउजी को भी साथ ले लेता हूं ।

रंगी उठ कर कमरे के अंदर वाले दरवाजे से बनवारी के कमरे ने दाखिल होने वाला था कि उसकी नजरे सोए हुए बनवारी के पास खड़ी हुई गीता पर गई जो शायद अपने दादू को जगाने आई थी ।
लेकिन बनवारी तो रज्जो और रागिनी के नाम पर झड़ने के बाद से बेसुध हो कर सोया था और उसका लंड अभी भी बाहर था धोती के
जिसे गीता बड़ी लालच भरी नजरो से निहार रही थी और उसने हौले से उसका मोटा सोया हुआ लंड पकड़ा और हिलाने लगी
रंगी की आंखे बड़ी हो गई और लंड के हरकत होने लगी

गीता अपने दादू का लंड पकड़ कर ऊपर नीचे कर रही थी और उसकी नजरे अपने दादू के चेहरे पर थी
उसके स्पर्श से बनवारी के लंड में हरकत होने लगी थी


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और गीता का मन कल से ही खूब ललचा रहा था उसकी चुदाई नहीं हुई थी । सुपाड़े के आस पास निकले वीर्य के सूखे धब्बे देख कर उसकी जीभ ललचाने लगी और वो हौले से झुक कर मुंह खोलकर लंड मुंह में ले रही थी


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उसकी गीली लार से बनवारी की सुखी मलाई फिर से पिघलने लगी जिसे गीता चाट रही थी , सोया हुआ ही सही लेकिन बनवारी की इंद्रियां सजग थीं और गीता की इस हरकत से उसके लंड में कड़कपन आने लगा था
और फिर उसने अपने दादा का लंड आड से पकड़ कर सहलाते हुए उसका टोपा मुंह में ले लिया


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कि उसकी नजर सामने कमरे के अटैच दरवाजे पर गई जहां से रंगी उसे देख रहा था ।
एकदम से वो सकपका गई और चेहरा सफेद होने लगा , हाथ उसने पीछे कर लिए और इससे पहले रंगी उसे कुछ कहे वो तेजी से कमरे भाग गई ।

रंगी अभी तक इस ताजा मिले झटके से उभर नहीं पाया था , उसकी समझ में गीता की उम्र लगभग अनुज जितनी ही थी , शायद थोड़ी ही बड़ी ।
इस उम्र में भी ये शौक । उसके लिए तो गीता अभी बच्ची ही थी ।
लेकिन उसकी आज की हरकत से वो समझ गया कि गीता के संस्कार उम्र से बड़े है और फिर उसके दूध भी रज्जो जैसे है एकदम डिट्टो उन्हीं पर गई है गदराई और मस्त ।

रंगी ने अगले ही पल खुद को झटका और पूरा सिहर गया कि वो क्या सोच रहा था । फिर वो अपने ससुर को उठा कर उन्हें खाने के लिए लेकर चला गया ।

रसोई के पास बरामदे में लगी चौकी पर दोनों ससुर दामाद बैठे थे । बारी बारी गीता ने दोनों को थाली परोसी

रंगी से एक पल को थाली रखते हुए गीता की नजरे मिली और वो नजरे झुका कर चली गई और


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जाते हुए पीछे से रंगी ने उसके गोल मटोल चर्बीदार चूतड़ों के झटके देखे उसकी लोवर में
और रंगी के आंखों की चमक बढ़ गई ये सोच कर कि मामला उसकी सोच से बहुत आगे बढ़ गया है ।
इधर दोनों खाना खा रहे थे वही मेन गेट से राजेश और बबीता भी घर में दाखिल हुए ।
बबीता राजेश के साथ बड़ी चहक खेल रही थी दूर से बनवारी ने देखा और उसने राजेश के व्यवहार में भी बदलाव पाया

रंगी : आज राजेश कुछ अलग दिख रहा है बाउजी
बनवारी : हा जमाई बाबू देख तो मै भी रहा हूं , मुझे लगता है गुड़िया के साथ रहने का नतीजा है
रंगी : सच कहा बाउजी, एक बेटी ही है जो बाप के जीवन को स्वर्ग बना सकती......
रंगी अभी अपनी बात कर रहा ही था कि सामने गीता आ गई , गर्म रोटियों की प्लेट लिए
रंगी थोड़ा असहज हुआ
गीता : रोटी दूं
रंगी : हा एक बस
फिर गीता अपने दादू को पूछ कर निकल गई रसोई में।
वही बबीता ने आते ही रसोई में हल्ला शुरू कर दिया : मम्मी क्या बना है , बताओ न भूख लगी है ।
सुनीता : हट गंदी लड़की , जा नहा कर आ पहले
बबीता : मम्मी प्लीज न
गीता : मत देना मम्मी , ये महक रही है छीईईई
बबीता थोड़ी चिढ़ कर : तू भी तो महक रही है कुत्ती कही की
सुनीता ने एकदम से डांट लगाई बबीता को और नहाने को भेजा , फिर गीता को भी डांट दिया फिजूल उलझने के लिए

ये सब प्रकरण रंगी सुन रहा था और तभी गीता सुबकते हुए किचन से निकल गई । इधर बनवारी हाथ धुलने बाथरूम चला गया था तो उसे भनक नहीं था कि अभी अभी क्या हुआ रसोई में।

रंगी ने खाना खाया और हाथ धूल कर बाथरूम से निकल कर आया तो देखा गीता अभी भी नहीं आई , लेकिन फिर भी उसने बच्चों का झगड़ा समझकर इस बात को तूल नहीं दी और बरामदे में आगे बढ़ कर अपने कमरे की ओर जाने लगा था कि उसे एक कमरे से सिसकने की आवाज आई

रंगी ने अंदर देखा तो गीता बिस्तर पर बैठी रो रही थी और रंगी को समझ आया कि उसे मनाने वाला कोई भी था ।
तो वो खुद उसके पास चला गया
कमरे में अपने फूफा को आते देख गीता एकदम से शांत हो गई
: क्या हुआ बेटा , रो क्यों रही है उम्मम
गीता अपनी बहती आंखों से रंगी को देखा , उसे अभी भी बनवारी के कमरे में जो हुआ उसका डर था ।
रंगी उसके पास चला गया
: क्या हुआ ?
: गुड़िया ने मुझे गाली दी
: ओफ्फो तू भी न , उससे क्या हो गया इसका बुरा नहीं मानते बेटा ( रंगी अपने हाथ से उसके गालों से बहते आंसू साफ किए )
: हम्ममम , लेकिन वो ऐसे ही करती है मेरे साथ । कितना कुछ मै उसकी बातें छिपाती हूं
: कैसी बातें ?
गीता एकदम से हड़बड़ा गई और उसका हलक सूखने लगा
: कुछ नहीं ( वो अपने गाल से आंसू साफ करती हूं सीधा बैठ गई )
: क्या वो भी कुछ शरारत करती है , जैसे तू कर रही थी दादा जी के साथ ( रंगी ने अनुमान लगाया )
गीता का हलक सूखने लगा , उसकी बोलती बंद आंखे थम गई बस धड़कनें तेज थी ।
: बोल न बेटा , देख तू मुझे बताएगी तो तेरी वो बात मै किसी से नहीं कहूंगा । क्या कहते वो तुम लोग पिंकी प्रोमिस
गीता एकदम से मुस्कुरा दी ये सुनते ही
रंगी उसको मुस्कुराया देख कर खुश हुआ : ठीक है अब बताओ
गीता : प्लीज किसी को बताना मत प्लीज , नहीं तो वो करेगी मुझे
रंगी : नहीं बताऊंगा अब बोल
गीता : फूफा वो न उसके पास एक मोबाइल है जो उसको किसी ने गिफ्ट दिया है
रंगी को समझते देर नहीं लगी कि मामला gf bf वाला है : क्या , किसने ? क्या वो उससे बात करती है
गीता : हम्म्म और मिलने भी जाती है
रंगी की सांसे तेज हुई , उसे बबीता की फिक्र भी हुई : कौन है वो लड़का तू जानती है उसे
गीता : हम्ममम , हम लोग जहां सिलाई सीखने जाते है वो आंटी का लड़का है । बहुत गंदा है मै कितना समझाती हूं नहीं मानती ये ।
रंगी : अच्छा ? तो वो लड़का इसके साथ वो
गीता ने रंगी की आंखों में देखा : हम्ममम , मुझे मम्मी की कसम देकर बाहर रखवाली करवाती हैं और खुद कमरे में उसके साथ गंदी गंदी बातें करती है
रंगी : सिर्फ बातें ?
गीता थोड़ा मुस्कुराई : नहीं वो सब भी
रंगी का लंड अब विस्तार लेने लगा ये सोच कर कि हवस की कोई उम्र नहीं होती
रंगी मुस्कुरा कर : अच्छा तभी तेरा भी मन करता है और तूने अपने दादा जी के साथ उम्मम
गीता : सॉरी , अब आगे से नहीं करुंगी पक्का
रंगी : अरे मै ये नहीं कह रहा हूं , लेकिन अगर बाउजी को पता चल गया कि तू चुपके चुपके ये सब करती है तो
गीता थोड़ा डर रही थी वो राज साझा करने में जो उसके और बनवारी के बीच था । लेकिन रंगी को कुछ तो जवाब देना था

रंगी : कितनी बार किया है
गीता ने आंखे उठा कर देखा
रंगी : वही जो आज कर रही थी तू
गीता : बस दो तीन बार ,, नहीं दूसरा ही था
रंगी : तुझे अच्छा लगता है
रंगी का लंड अकड़ रहा था
गीता : पता नहीं , लेकिन गुड़िया को देखते देखते मन करने लगता है और मेरा कोई दोस्त नहीं है न
रंगी उसको दुलारते हुआ उसके पीछे से हाथ ले जाकर उसका कंधा थपथपाने लगा : अच्छा कोई बात नहीं , अभी तेरी उम्र ही क्या है बन जाएगा नहीं तो शादी के बाद हाहाहाहाहा
गीता हसने लगी
रंगी : देख कुछ भी करना लेकिन किसी ऐसे पर भरोसा मत करना जो उसके लायक न , घर की बदनामी न हो
गीता : जानती हूं फूफा , इसलिए मैने कोई दोस्ती नहीं की , पता है वो लड़का एक दिन मुझे भी खींच रहा था अपने कमरे में तो मै भाग आई
रंगी : क्या उसने तेरे साथ जबरजस्ती की
गीता : हा लेकिन मैने एक मुक्का मारा उसके पेट कर हाहाहा और भाग आई
रंगी खुश होकर : तू भी बहादुर है पूरी
गीता हसने लगी
रंगी : मेरी सोनल भी तेरे जैसी ही है बहादुर और प्यारी सी
गीता : लेकिन आप उनका नाम लेकर वो सब क्यों कर रहे थे
रंगी थोड़ा असहज हो गया : तूने सब सुना था क्या
गीता खिलखिलाई : हम्म्म, आप बोल ही इतना तेज रहे थे
रंगी चुप था
गीता : सोनल दीदी अच्छी है भी
रही समझ गया गीता उसे चढ़ा रही है : मजे ले रही है अब मेरे, बदमाश कही की
गीता खिलखिलाई : नहीं सच में, कितनी गोरी है और सुंदर भी तभी तो जीजू ने उन्हें पसंद किया था ।
रंगी : हा वो तो है
गीता : आप उनको चाहते हो न
रंगी मुस्कुरा कर : हर बाप अपनी बेटी को चाहता है
गीता : नहीं वो वाला , जिसमें सब कुछ कर लेते है
रंगी हस कर : हा , लेकिन क्या फायदा
गीता : क्यों अगर आप मेरी मम्मी को पटा सकते हो तो उन्हें क्यों नहीं
रंगी एकदम से चौका : क्या ? ये क्या कह रही है तू

गीता थोड़ी पीछे होकर मुस्कुराई : मैने तो रात में ही देखा था आपको मम्मी के कमरे से निकलते हुए और रात भी आपकी आवाजें तेज थी हीही

रंगी थूक गटकने लगा : देख ये सब किसी को कहना मत , तू जो कहेगी सब दिलाऊंगा
गीता : पक्का न
रंगी : हा पक्का
गीता ने धीरे से उसके पेंट पर हाथ रख : मुझे ये चाहिए , बस देखना है


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रंगी का हलक सूखने लगा और गीता के नरम हथेली के नीचे पेंट के अंदर से उसका लंड झटके देने लगा
गीता मुस्कुराई और उसका लंड पकड़ लिया
रंगी आंखे बंद कर सिहर उठा : सीईईई अह्ह्ह्ह मीठी बेटा, क्या कर रही है ये गलत बात है ओह्ह्ह्ह
गीता उसके लंड को छूती हूं : पर मुझे अच्छा लगता है, यहां पर गुदगुदी होती है
रंगी मदहोश भरी नजरो से उसे देखा : कहा पर
गीता ने उंगली से अपने रसीले मम्में पर इशारा किया
रंगी ने उसके टीशर्ट में बड़े बड़े रसीले मम्में देखे बिना ब्रा के उसके निप्पल उभरे हुए थे


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और रंगी तुरत हाथ बढ़ा कर उसका उसका एक दूध पकड़ लिया
रंगी सिहर कर : उफ्फ बेटा कितना बड़ा हैं तेरा दूध
गीता एकदम से मदहोश ही गई रंगी के हाथ का स्पर्श पाकर उसके रंगी के पंजे को पकड़ कर अपनी चुची को दबाया और दूसरे हाथ से उसका लंड सहलाने लगी


गीता : फूफा मेरे दूध पर क़िस्सी करो न
रंगी ने उसको पकड़ कर अपने ऊपर बिठा दिया और वो अपने गाड़ को रंगी के लंड पर मथने लगी और रंगी ने उसके दोनों नारियल जैसे दूध पकड़ कर सहलाने लगा टीशर्ट के ऊपर से काटने लगा
एकदम से गीता ने टीशर्ट ऊपर किया और उसकी नंगी चूचियां रंगीलाल के सामने थी
वो मुलायम कोरेपन का अहसास और मोटी मोटी चूचियों के भारीपन पर उसके हथेली में अहसास रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसके मुंह में पानी आने लगा


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एकदम से अपने होठ उसके रसीले मम्में के मटर के दाने जितने निप्पल पर लगाए और गीता सिसक पड़ी , उसने रंगी का सर अपने सीने से दबा दिया और रंगी उसके निपल चुबला रहा था
इतना नरम और मादक अहसास था
गीता उसके लंड पर अपनी बुर घिस रही थी और रंगी के सर को अपने सीने से लगा रही थी और रंगी उसके दोनों रसीले मम्में को पकड़ कर उसके निप्पल के पास जीभ फिरा रहा था


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गीता सिसकियां ले रही थी कि एकदम से दोनों चौक तब गए तब कमरे में सुनीता आ धमकी
और एक आवाज से गीता को डांटती हुई । थप्पड़ लगा कर रंगी से अलग किया और वो बाहर खदेड़ दिया ।

सुनीता : छीईईई आप इतने गिरे हुए हैं कि अपनी हवस में मेरी बच्ची को शामिल कर लिया
रंगी : ओहो मेरी जान , तू समझ नहीं रही हो वो इतनी भी छोटी नहीं है अब
सुनीता : कुछ भी हो लेकिन ये गलत किया है आपने , हुंह

भूनक कर वो ताव दिखा कर जाने लगी थी कि रंगी बोल पड़ा: उसे पता चल गया है हमारे बारे में
सुनीता के पैर थम गए और उसने अपने गुस्से का घूंट पी लिया
रंगी चल कर : हा उसे पता चल गया था हमारे बारे में , फिर आज सुबह मैने उसे बाउजी के कमरे में .....

रंगी ने बताया कि कैसे उसने गीता को पकड़ा और फिर जब रसोई से भाग कर आई तो रो रही थी । उसे मनाने गया और बाते इस कदर बढ़ गई कि ये सब हो गया ।
रंगी ने सोनल और बबीता का जिक्र नहीं किया
रंगी एक गहरी सांस लेते हुए : यकीन करो मेरा , मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था ये उसकी ही पहल थी ।
सुनीता उदास हो गई : बहुत बिगड़ गई है वो , मुझे तो उसने कल रात ही बताया था हमारे बारे में लेकिन खोद खोद इतने सवाल पूछ रही थी कि गुस्से में मैने बबीता की जगह उसे भी डांट दिया ।

रंगी : कुछ नहीं बिगड़ी है अभी, उसे जरूरत है एक दोस्त की जो उसे सही गलत समझाए । अगर तुम उसकी सहेली नहीं बनोगी तो शायद वो बाहर से चीजें सीखेगी । ये उम्र ही ऐसी है या फिर उसकी शादी करा दो

सुनीता एकदम से डर गई : क्या शादी , नहीं नहीं मै उसे समझाऊंगी लेकिन अभी उसकी उम्र क्या है ।
रंगी उसको पीछे से पकड़ कर : तो बात करो उससे , समझाओ फिर मै तुम्हे समझाता हूं ।

रंगी के हाथ पीछे से सुनीता के दूध की ओर बढ़ने लगे कि उन्हें झटक कर अलग हुई : धत्त मौका मिला नहीं कि शुरू हो जाते हो, मै जा रही हूं उनको खाना देने

रंगी हस कर : सिर्फ खाना ही देना
सुनीता मुस्कुरा कर निकल गई और रंगी लाल अपने कमरे में चला गया

चमनपुरा

काफी दिनों बाद आज संडे के दिन अनुज अपनी मां के साथ दुकान पर था और ग्राहक भी अच्छी खासी थी ।
आज वो लोग नए समानों की लिस्ट भी तैयार कर रहे थे और दुकान में समान भी सेट कर रहे थे ।

ऐसे में एक मोटी औरत आई , उसके साड़ी और सूती ब्लाउज में ठूंसे हुए चूचे देख कर अनुज की लार टपकने लगी ।


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उसकी नजर उस औरत के उठे हुए चौड़े चूतड़ों पर , और पेट भी निकला था । हालांकि कि वो थोड़ी नाटी थी कद में लेकिन उसके बड़े बड़े थन जैसे चूचे किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेते ।

रागिनी उसे देख कर अचरज से एक नजर अनुज को देखा और अनुज ने ऐसे जताया कि वो देख नहीं रहा है उस औरत को और वो काम लग गया ।

: जी बहन जी कहिए क्या चाहिए ?
वो औरत थोड़ा असहज हो रही थी और बार बार अनुज को देख रही थी
रागिनी समझ गई और उसने कुछ समान लेने का बहाना करके अनुज को ओर भेज दिया
अनुज भी समझ रहा था और वो दुकान में ही लगे जीने से होकर ऊपर गए लेकिन फिर दबे पाव जीने की सीढ़ियों पर दिवाल की ओट में छिपा हुआ उसकी बाते सुनने लगा

रागिनी : अब कहिए
वो औरत : बालसफा मिलेगा क्या ? वो टिकिया वाली
रागिनी मुस्कुरा कर : नहीं बहन जी वो टिकिया वाली अब नहीं आती , दूसरी दे दूं ये देखिए ये क्रीम वाली है । बस लगाइए और हल्का गर्म पानी से धूल लीजिए
वो औरत थोड़ा हिचक कर : इससे खुजली तो नहीं होगी न
रागिनी : उम्हू बिल्कुल भी नहीं , मै भी यही इस्तेमाल करती हूं , अब हर जगह रेजर भी तो नहीं जा सकता न और फिर उनके अपने ही शौक

वो औरत खिलखिलाई : सच कहा दीदी आपने , उन्हें तो जगह एकदम साफ चिकना चाहिए , अरे मेहनत हमारी लगती है न हाहाहा
रागिनी हंसती हुई : वैसे मैने कही देखा है आपको
वो थोड़ी असहज होकर : हा वो मै आपकी सहेली विमला की देवरानी हु अनीता
विमला की जेठानी का ख्याल आते ही रागिनी ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए और उसे याद आया कि बीते साल तो अनीता के पति ने बिस्तर पर आ गया था , जब वो विमला का मैटर हुआ था।

रागिनी कुछ सोच रही थी और अनीता बोल पड़ी : माफ करना बहन , मुझसे बहुत बड़ी गलती तब हुई और अगर आपका बड़ा बेटा राज न आता शायद हम सड़कों पर होते ।
रागिनी मुस्कुरा कर : कोई बात नहीं , हम किसी को उसके अतीत से तौला नहीं करते , आइए बैठिए
रागिनी उसे कमरे में ले गई : और बताइए भाई साहब कैसे उनकी तबियत कैसी है ?

अनिता एकदम से चुप हो गई
रागिनी ने उसका हाथ पकड़ कर : क्या हुआ बोलिए न
अनिता थोड़ी रुआंसी होकर : दरअसल अब मेरे पति की दिमागी स्थिति ठीक नहीं है और हमने उन्हें बड़े शहर के ****** मानसिक आश्रम में रखा है और वही उनका इलाज होता है ।
रागिनी को अचरज : माफ कीजियेगा, मुझे पता नहीं था और कई महीने से विमला से भी बात नहीं हो पाई
अनिता : कोई बात नहीं दीदी , अब जो हुआ सो हुआ । शायद ये हमारी ही करनी का फल है ।
रागिनी : अच्छा ठीक है लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि फिर आप ये किसके ?
अनिता थोड़ा शर्मिंदा हुई और मुस्कुराने लगी : अब स्थिति जैसी भी हो दीदी , इन सब का शौक कहा खत्म होने वाला है । जरूरत तो आप भी समझती होंगी
ये सब बाते सुनकर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
रागिनी मुस्कुरा कर : वैसे पूछना नहीं चाहिए लेकिन ... हीही
अनिता थोड़ा मुस्कुरा कर : समझ रही हूं आपके मन की बात , वो मेरे देवर है न सुरेश वो आए हुए है दिल्ली से ।
रागिनी मुस्कुरा कर : ओह्ह्ह फिर ठीक है , लेकिन घर में बच्चों का ध्यान रखियेगा
अनिता : हा समझती हूं अब क्या करु और दूसरी जगह भी तो नहीं है हमारे पास , बड़ी मुश्किल होती है ।
रागिनी मुस्कुरा कर कुछ सोचने लगी : देखिए बात अगर सिर्फ दिन की रहती तो मै मैनेज कर देती लेकिन रात में थोड़ा मुश्किल है
अनीता : वो भी चलेगा
रागिनी उसका उतावलापन देख कर मुस्कुराई : अरे , हीहीहीही अच्छा चलिए ठीक है करती हूं कुछ
अनीता खुश होकर : अगर आप कहो तो उन्हें बुला लूं
रागिनी चौकी और उसको हसी भी आई : अरे ऐसे एकदम से कैसे ? , मेरा मतलब यहां नहीं चौराहे वाले घर पर
अनीता: ओह्ह्ह लेकिन वहा कोई होगा नहीं
रागिनी : ऊहू तभी न कह रही हूं , और राज के पापा भी बाहर है
अनिता थोड़ी सोचने लगी तो रागिनी मुस्कुरा कर : आप फिकर मत कीजिए मै अनुज को भेज दूंगी वो घर खोल देगा
अनिता थोड़ी परेशान होकर : लेकिन वो रहेगा कहां ?
रागिनी : आप परेशान मत होइए वो बहुत समझदार है और मै उसे समझा दूंगी क्या करना है ओके
अनिता : ओह फिर ठीक है, लेकिन प्लीज आप ये किसी से ....
रागिनी हस कर : क्या तुम भी अरे तुम मेरे लिए विमला से कम हो क्या । मै अनुज को बुलाती हूं और फिर वही चौराहे पर ही आने देवर को बुला लेना ।

फिर रागिनी अनुज को आवाज देती है 3 से 4 बार में वो नीचे आता है अपन लंड सेट करता हुआ
: हा मम्मी
: बेटा , ये आंटी न तेरी विमला मौसी की रिश्तेदार है और इनके घर की चाबी इनके पति लेकर चले गए है ।
अनुज उनको नमस्ते किया और अनीता मुस्कुराई
रागिनी : इनकी थोड़ी तबीयत ठीक है और ये आराम करना चाहती है तो तू इन्हें चौराहे वाले घर लेकर चला जा , गेस्ट रूम में बिस्तर लगा देना । एक दो घंटे में इनके हसबैंड आ जाएंगे तो चली जाएंगी ।
अनुज : और मै क्या करूंगा
रागिनी : तू अपने कमरे में अपनी बोर्ड की पढ़ाई कर लेना न बेटा
अनुज : जी मम्मी , ठीक है
रागिनी खुश होकर : मेरा बेटा , ले ये चाबी , जाइए बहन जी
अनिता ने मुस्कुरा कर उसका धन्यवाद किया और दोनों निकल गए ई-रिक्शा से चौराहे वाले घर के लिए

अनुज को थोड़ा अजीब लग रहा था । अनिता उसके लिए पूरी तरह से अनजान थी और उसे समझ नहीं आ रहा था भला उसकी मां को इसमें क्या रस है कि दो वासना के भूखे अपनी प्यास बुझा लेंगे इसके लिए वो इंतजाम कर रही है ।

घर पहुंचने के बाद अनुज ने दरवाजा खोला और वो अंदर चले गए , उसने गेस्ट रूम खोलकर वहा बिस्तर लगा दिया
: अब आप आराम कर लो आंटी, मै ऊपर कमरे में हूं कुछ चाहिए होगा तो बताना
: अच्छा ठीक है बेटा और वो बाथरूम ?
अनुज ने अपनी मां के कमरे की इशारा किया और फिर चुपचाप ऊपर चला गया ।
हालांकि उसकी हालत खराब थी , जिस तरह की उसने अपनी मां और अनीता के बीच की बाते सुनी थी उससे उसके भीतर अलग ही खलबली मची थी ।
कुछ देर तक अनुज किताबें लेकर बैठा रहा ऊपर वाले हाल में जबतक कि उसके कानो में कुछ खिलखिलाहट नहीं सुनाई दी और उसका लंड एकदम से झटके देने लगा ।
वो लपक कर जीने की ओर आया उन रेलिंग के गैप से सीढ़ियों पर बैठ कर हाल में देखा तो उसका लंड उसके पैंट में झटके खाने लगा
" उम्ममम धत्त यहां नहीं , सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम आराम से मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह " , अनिता सिसकियां ले रही थी और उसका देवर उसकी मोटी मोटी चूचियां पीछे से पकड़ कर मिज रह था

" ओह मेरी चुदक्कड़ रानी तेरी ये मोटी मोटी चूचियों को मसले कितना समय ही गया , ओह्ह्ह सीईईई मेरी जान कितनी मुलायम चुची है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह "
" अह्ह्ह्ह मेरे राजा निकाल के रगडो न उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह "
एकदम से अनीता ने देवर ने उसे सोफे पर लिटा दिया और उसका ब्लाउज खोलने लगा और ब्रा के ऊपर से उसकी मोटी मोटी चूचियां पकड़ कर मिजने लगा और अनीता को चूमने लगा


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ये सब देख कर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और वो अपना लंड मिजने लगा
अनिता और उसका देवर दोनों हवस की आग में जल रहे थे और उसके देवर ने उसकी मोटी मोटी खरबूजे जैसे चूचे को निकाल कर मुंह में भर लिया और चूसने लगा


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अनिता सिसकारियां लेने लगी , उसे इस बात का जरा भी डर नहीं था कि घर में एक छोटा बच्चा भी है और वो मस्ती में झूमने लगी ।
इधर उसके देवर ने उसकी चूचियों को बारी बारी से पीते हुए उसकी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट समेटते हुए अपना लंड निकाल और सीधा अंदर पेल दिया
: ओह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है हथियार तुम्हारा सीई ओह्ह्ह्ह और डालो उम्मम कितना तड़पती हूं घर में लेकिन ले नहीं पाती ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: उफ्फ मेरी रंडी भाभी तेरी चूत कितनी फूली है ओह्ह्ह कितनी रात तेरे नाम की मूठ लगाई मैने ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना रस बह रहा है ओह्ह्ह्ह


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: हा मेरे राजा मै भी तो कितनी तड़पी हुई इस लंड के लिए ओह्ह्ह्ह और डालो उम्मम अह्ह्ह्ह्ह चोदो मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह
उसका देवर ताबड़तोड़ चोदने लगा अनिता के ऊपर चढ़ कर और फिर उसके मुंह पर लंड लेकर झड़ने लगा
अनिता ने उसका एक एक बूंद निचोड़ लिया और इधर अनुज की पेंट भी गीली हो गई अंडरवियर सहित

अनिता: अब तो चलो कमरे में
सुरेश उसका देवर उसको पकड़ कर अपनी गोद में वैसे ही उठा लिया और गेस्ट रूम में ले जाकर दरवाजा लगा दिया
कुछ मिनट बाद वापस से सिसकियां उठने लगी और अनुज वहां से उठ कर अपने कमरे में चला गया ।
उससे एक गलती हो गई थी , मुठियाते हुए उसे ध्यान नहीं रहा और वो पेंट में ही झड़ गया और अब उसे बदलना था लेकिन समस्या थी कि वो इसे धुलेगा कैसे ? नीचे मम्मी के कमरे में गए और अनीता आंटी आ गई तो
उसने अपना पेंट बदला और वो अंदर वियर और पेंट लेकर धीरे से अपनी मां के कमरे में गया और बाल्टी के डाल दिया कि शाम को जब उसकी मां रागिनी खाना बनाएगी तो उसी बहाने वो अपनी पेंट धूल लेगा ।

फिर वो वापस अपने कमरे में लौट आया और तबतक वही रहा जबतक उसे अनिता के पायलों की आहट नहीं मिली
अनिता उसके पास आई : बेटा चले तुम्हारे अंकल आ गए है
अनुज : जी ठीक है आंटी चलो
और अनुज लाली की नोट्स लेकर घर बंद करके निकल गया मार्केट की ओर ।

जारी रहेगी
Awesome update
 

Deepaksoni

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THE WILD NEW YEAR PARTY
बहुत जल्द आने वाला
:rock1:

हिलाने के लिए रेडी हो जाओ :jerker:
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IF YOU WANT THIS BEFORE 2026

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वरना मुझे जब लिखना होगा मै लिखूंगा ही अपने लिए 😁
Dreamboy40 bhai ji
Ham sab ko to sab ki family ka gang bang dekhna h or aap sayad sheela ki family add Krna bhul gye bhai
Please dreamboy40 bhai ji aap please Shalini or anuj ka ek dmakedar update de do na bhai bht man h unki lambi chudai dekhne ka
 

Deepaksoni

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UPDATE 020

EROTIC SUNDAY 04

प्रतापपुर

पीछे आंगन वाले बाथरूम में रंगी मोबाइल में सोनल की तस्वीरें खोलकर देख रहा था , जो हाल ही एल्बम वाले में भेजी थी ।
उन क्लोज अप विडियोज में उसके बड़े रसीले मम्में उसके लहंगे के ब्लाउज की गहरे गले से साफ साफ झलक रहे थे
और सारे लोग उसकी पलाजो उठा कर उसकी पिंडलियों और जांघों तक हल्दी मल रहे थे



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: उफ्फ मेरी लाडो मेरी सोनल अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह तेरे ये गुलाबी दूध उम्मम सीईईई क्या तुझे अपने पापा पर जरा भी तरस नहीं आता बेटा उम्मम ओह्ह्ह्ह तेरी ये गोरी दूधिया टांगे सीई अह्ह्ह्ह्ह
रंगी बाथरूम में लंड निकाल कर अपनी बेटी को अपने कल्पनाओं में नंगा करता हुआ लंड हिला रहा था
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम जमाई बाबू तो तुझे खूब चोदते होंगे , ऐसा माल उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बेटा उम्मम कितनी मस्त उठी हुई गाड़ है तेरी एकदम तेरे शिला बुआ पर गई है तू ओह्ह्ह्ह , कितनी बार कुर्ती में उन्हें झटके खाते देखा ओह्ह्ह्ह बेटा
सोनल के कुर्ती में झटके खाते गोल मटोल चूतड़ों को याद करते ही वो चरम पर आगया

अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह आ रहा है उम्ममम ले ले बेटा झड़ रहा हूं मै ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह

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एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां रंगी के लंड से छुटने लगी और वो आंखे बंद कर सोनल को अपनी आंखों के बसाने झड़ने लगा

फिर मोबाइल जेब में डाल पर हाथ लंड साफ कर जैसे ही दरवाजे से बाहर आया तो एकदम से ठिठक गया
सामने बेसिन में गीता अपने हाथ धूल रही थी और उसने एक नजर रंगी को देखा और खनक भरी मुस्करा कर निकल गई ।
रंगी समझ गया कि उसके चीखों की गूंज बाथरूम के बाहर तक आ रही थी और वो अपना माथा पकड़ लिया।
किसी तरह वहा से निकल कर हाथ धूल कर आंगन के बाहर आया तो उसने सबसे पहले गीता को तलाशा जो उसे ही तिरछी नजरों से देख रही थी किचन में अपनी मां के पास खड़ी ।
रंगी थोड़ा असहज होकर निकल गया अपने कमरे में आराम करने ।

वही दूसरी ओर गीता अपनी मां के साथ किचन में हाथ बटाने लगी और थोड़ी देर बाद ही खाना तैयार हो गया
सुनीता: जा तेरे फूफा और दादू को जगा दे , मै तेरे पापा को फोन करती हूं अभी तक आए नहीं साढ़े 10 बजने वाले हैं।
अब गीता के लिए बड़ी उलझन हो गई कि वह अपने फूफा को कैसे बुलाने जाए
लेकिन बुलाना तो था ही और वो हिम्मत करके चली गई उसके कमरे में ,
कमरे में रंगीलाल बाथरूम से आने के बाद थोड़ा गिल्ट में था फिर सोनल के एल्बम देख रहा था
, अभी भी उसका लंड अकड़ा हुआ था सोनल की तस्वीरें देखते हुए
हल्दी फंक्शन की तस्वीरों में उसकी पायजामी घुटनों तक थी और वहा तक हल्दी लगी फोटो निकाली गई थी , उसकी गोरी दूधिया ग़ुलाबी पिंडलियों को देख कर रंगी का लंड फड़क रहा था और उसका हाथ लंड पर चला गया था।

एकदम से गीता कमरे के आई और वो हड़क गया लेकिन गीता ने देख लिया कि रंगी का हाथ कहा था और वो मुस्कुराने लगी : फूफा चलो खाना हो गया है
रंगी इस बार और असहज हो गया और उसका चेहरा पीला पड़ने लगा
गीता फिर खनक भी मुस्कुराहट से उसे देखा और निकल गई ।
रंगी : अरे यार ये हो क्या रहा है , उम्ममम । अकेले नहीं जाऊंगा बाउजी को भी साथ ले लेता हूं ।

रंगी उठ कर कमरे के अंदर वाले दरवाजे से बनवारी के कमरे ने दाखिल होने वाला था कि उसकी नजरे सोए हुए बनवारी के पास खड़ी हुई गीता पर गई जो शायद अपने दादू को जगाने आई थी ।
लेकिन बनवारी तो रज्जो और रागिनी के नाम पर झड़ने के बाद से बेसुध हो कर सोया था और उसका लंड अभी भी बाहर था धोती के
जिसे गीता बड़ी लालच भरी नजरो से निहार रही थी और उसने हौले से उसका मोटा सोया हुआ लंड पकड़ा और हिलाने लगी
रंगी की आंखे बड़ी हो गई और लंड के हरकत होने लगी

गीता अपने दादू का लंड पकड़ कर ऊपर नीचे कर रही थी और उसकी नजरे अपने दादू के चेहरे पर थी
उसके स्पर्श से बनवारी के लंड में हरकत होने लगी थी


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और गीता का मन कल से ही खूब ललचा रहा था उसकी चुदाई नहीं हुई थी । सुपाड़े के आस पास निकले वीर्य के सूखे धब्बे देख कर उसकी जीभ ललचाने लगी और वो हौले से झुक कर मुंह खोलकर लंड मुंह में ले रही थी


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उसकी गीली लार से बनवारी की सुखी मलाई फिर से पिघलने लगी जिसे गीता चाट रही थी , सोया हुआ ही सही लेकिन बनवारी की इंद्रियां सजग थीं और गीता की इस हरकत से उसके लंड में कड़कपन आने लगा था
और फिर उसने अपने दादा का लंड आड से पकड़ कर सहलाते हुए उसका टोपा मुंह में ले लिया


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कि उसकी नजर सामने कमरे के अटैच दरवाजे पर गई जहां से रंगी उसे देख रहा था ।
एकदम से वो सकपका गई और चेहरा सफेद होने लगा , हाथ उसने पीछे कर लिए और इससे पहले रंगी उसे कुछ कहे वो तेजी से कमरे भाग गई ।

रंगी अभी तक इस ताजा मिले झटके से उभर नहीं पाया था , उसकी समझ में गीता की उम्र लगभग अनुज जितनी ही थी , शायद थोड़ी ही बड़ी ।
इस उम्र में भी ये शौक । उसके लिए तो गीता अभी बच्ची ही थी ।
लेकिन उसकी आज की हरकत से वो समझ गया कि गीता के संस्कार उम्र से बड़े है और फिर उसके दूध भी रज्जो जैसे है एकदम डिट्टो उन्हीं पर गई है गदराई और मस्त ।

रंगी ने अगले ही पल खुद को झटका और पूरा सिहर गया कि वो क्या सोच रहा था । फिर वो अपने ससुर को उठा कर उन्हें खाने के लिए लेकर चला गया ।

रसोई के पास बरामदे में लगी चौकी पर दोनों ससुर दामाद बैठे थे । बारी बारी गीता ने दोनों को थाली परोसी

रंगी से एक पल को थाली रखते हुए गीता की नजरे मिली और वो नजरे झुका कर चली गई और


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जाते हुए पीछे से रंगी ने उसके गोल मटोल चर्बीदार चूतड़ों के झटके देखे उसकी लोवर में
और रंगी के आंखों की चमक बढ़ गई ये सोच कर कि मामला उसकी सोच से बहुत आगे बढ़ गया है ।
इधर दोनों खाना खा रहे थे वही मेन गेट से राजेश और बबीता भी घर में दाखिल हुए ।
बबीता राजेश के साथ बड़ी चहक खेल रही थी दूर से बनवारी ने देखा और उसने राजेश के व्यवहार में भी बदलाव पाया

रंगी : आज राजेश कुछ अलग दिख रहा है बाउजी
बनवारी : हा जमाई बाबू देख तो मै भी रहा हूं , मुझे लगता है गुड़िया के साथ रहने का नतीजा है
रंगी : सच कहा बाउजी, एक बेटी ही है जो बाप के जीवन को स्वर्ग बना सकती......
रंगी अभी अपनी बात कर रहा ही था कि सामने गीता आ गई , गर्म रोटियों की प्लेट लिए
रंगी थोड़ा असहज हुआ
गीता : रोटी दूं
रंगी : हा एक बस
फिर गीता अपने दादू को पूछ कर निकल गई रसोई में।
वही बबीता ने आते ही रसोई में हल्ला शुरू कर दिया : मम्मी क्या बना है , बताओ न भूख लगी है ।
सुनीता : हट गंदी लड़की , जा नहा कर आ पहले
बबीता : मम्मी प्लीज न
गीता : मत देना मम्मी , ये महक रही है छीईईई
बबीता थोड़ी चिढ़ कर : तू भी तो महक रही है कुत्ती कही की
सुनीता ने एकदम से डांट लगाई बबीता को और नहाने को भेजा , फिर गीता को भी डांट दिया फिजूल उलझने के लिए

ये सब प्रकरण रंगी सुन रहा था और तभी गीता सुबकते हुए किचन से निकल गई । इधर बनवारी हाथ धुलने बाथरूम चला गया था तो उसे भनक नहीं था कि अभी अभी क्या हुआ रसोई में।

रंगी ने खाना खाया और हाथ धूल कर बाथरूम से निकल कर आया तो देखा गीता अभी भी नहीं आई , लेकिन फिर भी उसने बच्चों का झगड़ा समझकर इस बात को तूल नहीं दी और बरामदे में आगे बढ़ कर अपने कमरे की ओर जाने लगा था कि उसे एक कमरे से सिसकने की आवाज आई

रंगी ने अंदर देखा तो गीता बिस्तर पर बैठी रो रही थी और रंगी को समझ आया कि उसे मनाने वाला कोई भी था ।
तो वो खुद उसके पास चला गया
कमरे में अपने फूफा को आते देख गीता एकदम से शांत हो गई
: क्या हुआ बेटा , रो क्यों रही है उम्मम
गीता अपनी बहती आंखों से रंगी को देखा , उसे अभी भी बनवारी के कमरे में जो हुआ उसका डर था ।
रंगी उसके पास चला गया
: क्या हुआ ?
: गुड़िया ने मुझे गाली दी
: ओफ्फो तू भी न , उससे क्या हो गया इसका बुरा नहीं मानते बेटा ( रंगी अपने हाथ से उसके गालों से बहते आंसू साफ किए )
: हम्ममम , लेकिन वो ऐसे ही करती है मेरे साथ । कितना कुछ मै उसकी बातें छिपाती हूं
: कैसी बातें ?
गीता एकदम से हड़बड़ा गई और उसका हलक सूखने लगा
: कुछ नहीं ( वो अपने गाल से आंसू साफ करती हूं सीधा बैठ गई )
: क्या वो भी कुछ शरारत करती है , जैसे तू कर रही थी दादा जी के साथ ( रंगी ने अनुमान लगाया )
गीता का हलक सूखने लगा , उसकी बोलती बंद आंखे थम गई बस धड़कनें तेज थी ।
: बोल न बेटा , देख तू मुझे बताएगी तो तेरी वो बात मै किसी से नहीं कहूंगा । क्या कहते वो तुम लोग पिंकी प्रोमिस
गीता एकदम से मुस्कुरा दी ये सुनते ही
रंगी उसको मुस्कुराया देख कर खुश हुआ : ठीक है अब बताओ
गीता : प्लीज किसी को बताना मत प्लीज , नहीं तो वो करेगी मुझे
रंगी : नहीं बताऊंगा अब बोल
गीता : फूफा वो न उसके पास एक मोबाइल है जो उसको किसी ने गिफ्ट दिया है
रंगी को समझते देर नहीं लगी कि मामला gf bf वाला है : क्या , किसने ? क्या वो उससे बात करती है
गीता : हम्म्म और मिलने भी जाती है
रंगी की सांसे तेज हुई , उसे बबीता की फिक्र भी हुई : कौन है वो लड़का तू जानती है उसे
गीता : हम्ममम , हम लोग जहां सिलाई सीखने जाते है वो आंटी का लड़का है । बहुत गंदा है मै कितना समझाती हूं नहीं मानती ये ।
रंगी : अच्छा ? तो वो लड़का इसके साथ वो
गीता ने रंगी की आंखों में देखा : हम्ममम , मुझे मम्मी की कसम देकर बाहर रखवाली करवाती हैं और खुद कमरे में उसके साथ गंदी गंदी बातें करती है
रंगी : सिर्फ बातें ?
गीता थोड़ा मुस्कुराई : नहीं वो सब भी
रंगी का लंड अब विस्तार लेने लगा ये सोच कर कि हवस की कोई उम्र नहीं होती
रंगी मुस्कुरा कर : अच्छा तभी तेरा भी मन करता है और तूने अपने दादा जी के साथ उम्मम
गीता : सॉरी , अब आगे से नहीं करुंगी पक्का
रंगी : अरे मै ये नहीं कह रहा हूं , लेकिन अगर बाउजी को पता चल गया कि तू चुपके चुपके ये सब करती है तो
गीता थोड़ा डर रही थी वो राज साझा करने में जो उसके और बनवारी के बीच था । लेकिन रंगी को कुछ तो जवाब देना था

रंगी : कितनी बार किया है
गीता ने आंखे उठा कर देखा
रंगी : वही जो आज कर रही थी तू
गीता : बस दो तीन बार ,, नहीं दूसरा ही था
रंगी : तुझे अच्छा लगता है
रंगी का लंड अकड़ रहा था
गीता : पता नहीं , लेकिन गुड़िया को देखते देखते मन करने लगता है और मेरा कोई दोस्त नहीं है न
रंगी उसको दुलारते हुआ उसके पीछे से हाथ ले जाकर उसका कंधा थपथपाने लगा : अच्छा कोई बात नहीं , अभी तेरी उम्र ही क्या है बन जाएगा नहीं तो शादी के बाद हाहाहाहाहा
गीता हसने लगी
रंगी : देख कुछ भी करना लेकिन किसी ऐसे पर भरोसा मत करना जो उसके लायक न , घर की बदनामी न हो
गीता : जानती हूं फूफा , इसलिए मैने कोई दोस्ती नहीं की , पता है वो लड़का एक दिन मुझे भी खींच रहा था अपने कमरे में तो मै भाग आई
रंगी : क्या उसने तेरे साथ जबरजस्ती की
गीता : हा लेकिन मैने एक मुक्का मारा उसके पेट कर हाहाहा और भाग आई
रंगी खुश होकर : तू भी बहादुर है पूरी
गीता हसने लगी
रंगी : मेरी सोनल भी तेरे जैसी ही है बहादुर और प्यारी सी
गीता : लेकिन आप उनका नाम लेकर वो सब क्यों कर रहे थे
रंगी थोड़ा असहज हो गया : तूने सब सुना था क्या
गीता खिलखिलाई : हम्म्म, आप बोल ही इतना तेज रहे थे
रंगी चुप था
गीता : सोनल दीदी अच्छी है भी
रही समझ गया गीता उसे चढ़ा रही है : मजे ले रही है अब मेरे, बदमाश कही की
गीता खिलखिलाई : नहीं सच में, कितनी गोरी है और सुंदर भी तभी तो जीजू ने उन्हें पसंद किया था ।
रंगी : हा वो तो है
गीता : आप उनको चाहते हो न
रंगी मुस्कुरा कर : हर बाप अपनी बेटी को चाहता है
गीता : नहीं वो वाला , जिसमें सब कुछ कर लेते है
रंगी हस कर : हा , लेकिन क्या फायदा
गीता : क्यों अगर आप मेरी मम्मी को पटा सकते हो तो उन्हें क्यों नहीं
रंगी एकदम से चौका : क्या ? ये क्या कह रही है तू

गीता थोड़ी पीछे होकर मुस्कुराई : मैने तो रात में ही देखा था आपको मम्मी के कमरे से निकलते हुए और रात भी आपकी आवाजें तेज थी हीही

रंगी थूक गटकने लगा : देख ये सब किसी को कहना मत , तू जो कहेगी सब दिलाऊंगा
गीता : पक्का न
रंगी : हा पक्का
गीता ने धीरे से उसके पेंट पर हाथ रख : मुझे ये चाहिए , बस देखना है


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रंगी का हलक सूखने लगा और गीता के नरम हथेली के नीचे पेंट के अंदर से उसका लंड झटके देने लगा
गीता मुस्कुराई और उसका लंड पकड़ लिया
रंगी आंखे बंद कर सिहर उठा : सीईईई अह्ह्ह्ह मीठी बेटा, क्या कर रही है ये गलत बात है ओह्ह्ह्ह
गीता उसके लंड को छूती हूं : पर मुझे अच्छा लगता है, यहां पर गुदगुदी होती है
रंगी मदहोश भरी नजरो से उसे देखा : कहा पर
गीता ने उंगली से अपने रसीले मम्में पर इशारा किया
रंगी ने उसके टीशर्ट में बड़े बड़े रसीले मम्में देखे बिना ब्रा के उसके निप्पल उभरे हुए थे


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और रंगी तुरत हाथ बढ़ा कर उसका उसका एक दूध पकड़ लिया
रंगी सिहर कर : उफ्फ बेटा कितना बड़ा हैं तेरा दूध
गीता एकदम से मदहोश ही गई रंगी के हाथ का स्पर्श पाकर उसके रंगी के पंजे को पकड़ कर अपनी चुची को दबाया और दूसरे हाथ से उसका लंड सहलाने लगी


गीता : फूफा मेरे दूध पर क़िस्सी करो न
रंगी ने उसको पकड़ कर अपने ऊपर बिठा दिया और वो अपने गाड़ को रंगी के लंड पर मथने लगी और रंगी ने उसके दोनों नारियल जैसे दूध पकड़ कर सहलाने लगा टीशर्ट के ऊपर से काटने लगा
एकदम से गीता ने टीशर्ट ऊपर किया और उसकी नंगी चूचियां रंगीलाल के सामने थी
वो मुलायम कोरेपन का अहसास और मोटी मोटी चूचियों के भारीपन पर उसके हथेली में अहसास रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसके मुंह में पानी आने लगा


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एकदम से अपने होठ उसके रसीले मम्में के मटर के दाने जितने निप्पल पर लगाए और गीता सिसक पड़ी , उसने रंगी का सर अपने सीने से दबा दिया और रंगी उसके निपल चुबला रहा था
इतना नरम और मादक अहसास था
गीता उसके लंड पर अपनी बुर घिस रही थी और रंगी के सर को अपने सीने से लगा रही थी और रंगी उसके दोनों रसीले मम्में को पकड़ कर उसके निप्पल के पास जीभ फिरा रहा था


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गीता सिसकियां ले रही थी कि एकदम से दोनों चौक तब गए तब कमरे में सुनीता आ धमकी
और एक आवाज से गीता को डांटती हुई । थप्पड़ लगा कर रंगी से अलग किया और वो बाहर खदेड़ दिया ।

सुनीता : छीईईई आप इतने गिरे हुए हैं कि अपनी हवस में मेरी बच्ची को शामिल कर लिया
रंगी : ओहो मेरी जान , तू समझ नहीं रही हो वो इतनी भी छोटी नहीं है अब
सुनीता : कुछ भी हो लेकिन ये गलत किया है आपने , हुंह

भूनक कर वो ताव दिखा कर जाने लगी थी कि रंगी बोल पड़ा: उसे पता चल गया है हमारे बारे में
सुनीता के पैर थम गए और उसने अपने गुस्से का घूंट पी लिया
रंगी चल कर : हा उसे पता चल गया था हमारे बारे में , फिर आज सुबह मैने उसे बाउजी के कमरे में .....

रंगी ने बताया कि कैसे उसने गीता को पकड़ा और फिर जब रसोई से भाग कर आई तो रो रही थी । उसे मनाने गया और बाते इस कदर बढ़ गई कि ये सब हो गया ।
रंगी ने सोनल और बबीता का जिक्र नहीं किया
रंगी एक गहरी सांस लेते हुए : यकीन करो मेरा , मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था ये उसकी ही पहल थी ।
सुनीता उदास हो गई : बहुत बिगड़ गई है वो , मुझे तो उसने कल रात ही बताया था हमारे बारे में लेकिन खोद खोद इतने सवाल पूछ रही थी कि गुस्से में मैने बबीता की जगह उसे भी डांट दिया ।

रंगी : कुछ नहीं बिगड़ी है अभी, उसे जरूरत है एक दोस्त की जो उसे सही गलत समझाए । अगर तुम उसकी सहेली नहीं बनोगी तो शायद वो बाहर से चीजें सीखेगी । ये उम्र ही ऐसी है या फिर उसकी शादी करा दो

सुनीता एकदम से डर गई : क्या शादी , नहीं नहीं मै उसे समझाऊंगी लेकिन अभी उसकी उम्र क्या है ।
रंगी उसको पीछे से पकड़ कर : तो बात करो उससे , समझाओ फिर मै तुम्हे समझाता हूं ।

रंगी के हाथ पीछे से सुनीता के दूध की ओर बढ़ने लगे कि उन्हें झटक कर अलग हुई : धत्त मौका मिला नहीं कि शुरू हो जाते हो, मै जा रही हूं उनको खाना देने

रंगी हस कर : सिर्फ खाना ही देना
सुनीता मुस्कुरा कर निकल गई और रंगी लाल अपने कमरे में चला गया

चमनपुरा

काफी दिनों बाद आज संडे के दिन अनुज अपनी मां के साथ दुकान पर था और ग्राहक भी अच्छी खासी थी ।
आज वो लोग नए समानों की लिस्ट भी तैयार कर रहे थे और दुकान में समान भी सेट कर रहे थे ।

ऐसे में एक मोटी औरत आई , उसके साड़ी और सूती ब्लाउज में ठूंसे हुए चूचे देख कर अनुज की लार टपकने लगी ।


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उसकी नजर उस औरत के उठे हुए चौड़े चूतड़ों पर , और पेट भी निकला था । हालांकि कि वो थोड़ी नाटी थी कद में लेकिन उसके बड़े बड़े थन जैसे चूचे किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेते ।

रागिनी उसे देख कर अचरज से एक नजर अनुज को देखा और अनुज ने ऐसे जताया कि वो देख नहीं रहा है उस औरत को और वो काम लग गया ।

: जी बहन जी कहिए क्या चाहिए ?
वो औरत थोड़ा असहज हो रही थी और बार बार अनुज को देख रही थी
रागिनी समझ गई और उसने कुछ समान लेने का बहाना करके अनुज को ओर भेज दिया
अनुज भी समझ रहा था और वो दुकान में ही लगे जीने से होकर ऊपर गए लेकिन फिर दबे पाव जीने की सीढ़ियों पर दिवाल की ओट में छिपा हुआ उसकी बाते सुनने लगा

रागिनी : अब कहिए
वो औरत : बालसफा मिलेगा क्या ? वो टिकिया वाली
रागिनी मुस्कुरा कर : नहीं बहन जी वो टिकिया वाली अब नहीं आती , दूसरी दे दूं ये देखिए ये क्रीम वाली है । बस लगाइए और हल्का गर्म पानी से धूल लीजिए
वो औरत थोड़ा हिचक कर : इससे खुजली तो नहीं होगी न
रागिनी : उम्हू बिल्कुल भी नहीं , मै भी यही इस्तेमाल करती हूं , अब हर जगह रेजर भी तो नहीं जा सकता न और फिर उनके अपने ही शौक

वो औरत खिलखिलाई : सच कहा दीदी आपने , उन्हें तो जगह एकदम साफ चिकना चाहिए , अरे मेहनत हमारी लगती है न हाहाहा
रागिनी हंसती हुई : वैसे मैने कही देखा है आपको
वो थोड़ी असहज होकर : हा वो मै आपकी सहेली विमला की देवरानी हु अनीता
विमला की जेठानी का ख्याल आते ही रागिनी ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए और उसे याद आया कि बीते साल तो अनीता के पति ने बिस्तर पर आ गया था , जब वो विमला का मैटर हुआ था।

रागिनी कुछ सोच रही थी और अनीता बोल पड़ी : माफ करना बहन , मुझसे बहुत बड़ी गलती तब हुई और अगर आपका बड़ा बेटा राज न आता शायद हम सड़कों पर होते ।
रागिनी मुस्कुरा कर : कोई बात नहीं , हम किसी को उसके अतीत से तौला नहीं करते , आइए बैठिए
रागिनी उसे कमरे में ले गई : और बताइए भाई साहब कैसे उनकी तबियत कैसी है ?

अनिता एकदम से चुप हो गई
रागिनी ने उसका हाथ पकड़ कर : क्या हुआ बोलिए न
अनिता थोड़ी रुआंसी होकर : दरअसल अब मेरे पति की दिमागी स्थिति ठीक नहीं है और हमने उन्हें बड़े शहर के ****** मानसिक आश्रम में रखा है और वही उनका इलाज होता है ।
रागिनी को अचरज : माफ कीजियेगा, मुझे पता नहीं था और कई महीने से विमला से भी बात नहीं हो पाई
अनिता : कोई बात नहीं दीदी , अब जो हुआ सो हुआ । शायद ये हमारी ही करनी का फल है ।
रागिनी : अच्छा ठीक है लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि फिर आप ये किसके ?
अनिता थोड़ा शर्मिंदा हुई और मुस्कुराने लगी : अब स्थिति जैसी भी हो दीदी , इन सब का शौक कहा खत्म होने वाला है । जरूरत तो आप भी समझती होंगी
ये सब बाते सुनकर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
रागिनी मुस्कुरा कर : वैसे पूछना नहीं चाहिए लेकिन ... हीही
अनिता थोड़ा मुस्कुरा कर : समझ रही हूं आपके मन की बात , वो मेरे देवर है न सुरेश वो आए हुए है दिल्ली से ।
रागिनी मुस्कुरा कर : ओह्ह्ह फिर ठीक है , लेकिन घर में बच्चों का ध्यान रखियेगा
अनिता : हा समझती हूं अब क्या करु और दूसरी जगह भी तो नहीं है हमारे पास , बड़ी मुश्किल होती है ।
रागिनी मुस्कुरा कर कुछ सोचने लगी : देखिए बात अगर सिर्फ दिन की रहती तो मै मैनेज कर देती लेकिन रात में थोड़ा मुश्किल है
अनीता : वो भी चलेगा
रागिनी उसका उतावलापन देख कर मुस्कुराई : अरे , हीहीहीही अच्छा चलिए ठीक है करती हूं कुछ
अनीता खुश होकर : अगर आप कहो तो उन्हें बुला लूं
रागिनी चौकी और उसको हसी भी आई : अरे ऐसे एकदम से कैसे ? , मेरा मतलब यहां नहीं चौराहे वाले घर पर
अनीता: ओह्ह्ह लेकिन वहा कोई होगा नहीं
रागिनी : ऊहू तभी न कह रही हूं , और राज के पापा भी बाहर है
अनिता थोड़ी सोचने लगी तो रागिनी मुस्कुरा कर : आप फिकर मत कीजिए मै अनुज को भेज दूंगी वो घर खोल देगा
अनिता थोड़ी परेशान होकर : लेकिन वो रहेगा कहां ?
रागिनी : आप परेशान मत होइए वो बहुत समझदार है और मै उसे समझा दूंगी क्या करना है ओके
अनिता : ओह फिर ठीक है, लेकिन प्लीज आप ये किसी से ....
रागिनी हस कर : क्या तुम भी अरे तुम मेरे लिए विमला से कम हो क्या । मै अनुज को बुलाती हूं और फिर वही चौराहे पर ही आने देवर को बुला लेना ।

फिर रागिनी अनुज को आवाज देती है 3 से 4 बार में वो नीचे आता है अपन लंड सेट करता हुआ
: हा मम्मी
: बेटा , ये आंटी न तेरी विमला मौसी की रिश्तेदार है और इनके घर की चाबी इनके पति लेकर चले गए है ।
अनुज उनको नमस्ते किया और अनीता मुस्कुराई
रागिनी : इनकी थोड़ी तबीयत ठीक है और ये आराम करना चाहती है तो तू इन्हें चौराहे वाले घर लेकर चला जा , गेस्ट रूम में बिस्तर लगा देना । एक दो घंटे में इनके हसबैंड आ जाएंगे तो चली जाएंगी ।
अनुज : और मै क्या करूंगा
रागिनी : तू अपने कमरे में अपनी बोर्ड की पढ़ाई कर लेना न बेटा
अनुज : जी मम्मी , ठीक है
रागिनी खुश होकर : मेरा बेटा , ले ये चाबी , जाइए बहन जी
अनिता ने मुस्कुरा कर उसका धन्यवाद किया और दोनों निकल गए ई-रिक्शा से चौराहे वाले घर के लिए

अनुज को थोड़ा अजीब लग रहा था । अनिता उसके लिए पूरी तरह से अनजान थी और उसे समझ नहीं आ रहा था भला उसकी मां को इसमें क्या रस है कि दो वासना के भूखे अपनी प्यास बुझा लेंगे इसके लिए वो इंतजाम कर रही है ।

घर पहुंचने के बाद अनुज ने दरवाजा खोला और वो अंदर चले गए , उसने गेस्ट रूम खोलकर वहा बिस्तर लगा दिया
: अब आप आराम कर लो आंटी, मै ऊपर कमरे में हूं कुछ चाहिए होगा तो बताना
: अच्छा ठीक है बेटा और वो बाथरूम ?
अनुज ने अपनी मां के कमरे की इशारा किया और फिर चुपचाप ऊपर चला गया ।
हालांकि उसकी हालत खराब थी , जिस तरह की उसने अपनी मां और अनीता के बीच की बाते सुनी थी उससे उसके भीतर अलग ही खलबली मची थी ।
कुछ देर तक अनुज किताबें लेकर बैठा रहा ऊपर वाले हाल में जबतक कि उसके कानो में कुछ खिलखिलाहट नहीं सुनाई दी और उसका लंड एकदम से झटके देने लगा ।
वो लपक कर जीने की ओर आया उन रेलिंग के गैप से सीढ़ियों पर बैठ कर हाल में देखा तो उसका लंड उसके पैंट में झटके खाने लगा
" उम्ममम धत्त यहां नहीं , सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम आराम से मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह " , अनिता सिसकियां ले रही थी और उसका देवर उसकी मोटी मोटी चूचियां पीछे से पकड़ कर मिज रह था

" ओह मेरी चुदक्कड़ रानी तेरी ये मोटी मोटी चूचियों को मसले कितना समय ही गया , ओह्ह्ह सीईईई मेरी जान कितनी मुलायम चुची है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह "
" अह्ह्ह्ह मेरे राजा निकाल के रगडो न उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह "
एकदम से अनीता ने देवर ने उसे सोफे पर लिटा दिया और उसका ब्लाउज खोलने लगा और ब्रा के ऊपर से उसकी मोटी मोटी चूचियां पकड़ कर मिजने लगा और अनीता को चूमने लगा


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ये सब देख कर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और वो अपना लंड मिजने लगा
अनिता और उसका देवर दोनों हवस की आग में जल रहे थे और उसके देवर ने उसकी मोटी मोटी खरबूजे जैसे चूचे को निकाल कर मुंह में भर लिया और चूसने लगा


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अनिता सिसकारियां लेने लगी , उसे इस बात का जरा भी डर नहीं था कि घर में एक छोटा बच्चा भी है और वो मस्ती में झूमने लगी ।
इधर उसके देवर ने उसकी चूचियों को बारी बारी से पीते हुए उसकी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट समेटते हुए अपना लंड निकाल और सीधा अंदर पेल दिया
: ओह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है हथियार तुम्हारा सीई ओह्ह्ह्ह और डालो उम्मम कितना तड़पती हूं घर में लेकिन ले नहीं पाती ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: उफ्फ मेरी रंडी भाभी तेरी चूत कितनी फूली है ओह्ह्ह कितनी रात तेरे नाम की मूठ लगाई मैने ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना रस बह रहा है ओह्ह्ह्ह


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: हा मेरे राजा मै भी तो कितनी तड़पी हुई इस लंड के लिए ओह्ह्ह्ह और डालो उम्मम अह्ह्ह्ह्ह चोदो मुझे ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह
उसका देवर ताबड़तोड़ चोदने लगा अनिता के ऊपर चढ़ कर और फिर उसके मुंह पर लंड लेकर झड़ने लगा
अनिता ने उसका एक एक बूंद निचोड़ लिया और इधर अनुज की पेंट भी गीली हो गई अंडरवियर सहित

अनिता: अब तो चलो कमरे में
सुरेश उसका देवर उसको पकड़ कर अपनी गोद में वैसे ही उठा लिया और गेस्ट रूम में ले जाकर दरवाजा लगा दिया
कुछ मिनट बाद वापस से सिसकियां उठने लगी और अनुज वहां से उठ कर अपने कमरे में चला गया ।
उससे एक गलती हो गई थी , मुठियाते हुए उसे ध्यान नहीं रहा और वो पेंट में ही झड़ गया और अब उसे बदलना था लेकिन समस्या थी कि वो इसे धुलेगा कैसे ? नीचे मम्मी के कमरे में गए और अनीता आंटी आ गई तो
उसने अपना पेंट बदला और वो अंदर वियर और पेंट लेकर धीरे से अपनी मां के कमरे में गया और बाल्टी के डाल दिया कि शाम को जब उसकी मां रागिनी खाना बनाएगी तो उसी बहाने वो अपनी पेंट धूल लेगा ।

फिर वो वापस अपने कमरे में लौट आया और तबतक वही रहा जबतक उसे अनिता के पायलों की आहट नहीं मिली
अनिता उसके पास आई : बेटा चले तुम्हारे अंकल आ गए है
अनुज : जी ठीक है आंटी चलो
और अनुज लाली की नोट्स लेकर घर बंद करके निकल गया मार्केट की ओर ।

जारी रहेगी
Exilent bhai kya gajab ka update likha h
Jha pratappur mai rangi apni beti sonal ki video dekh kr garam ho rha h wahi geeta nai bhi apni hawas chalte kuch kuch kand apne fufa ji ke sath kr liye maja aa gya

Or yha anuj bhi vimla ki devrani ki chudai dekh kr land hilate hue jhad jata h ab dekhna ye h ki ragini uske pant or underwear mai lage hue pani ko dekh pati h ki nahi

Bhai aap se ek bar or vinati h ki please aap salini or anuj ki ek dhamakedar lambi chudai karwa do na
 
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