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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

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बहुत ही बढ़िया अपडेट है, सेक्स का बहुत अच्छे ढंग से समावेश किया है और हर एक पात्र अलग अलग लग रहे हैं, केक का भी अच्छा इस्तेमाल किया है।

कहानी बहुत ही बढ़िया आगे बढ़ रही है
थैंक यू मैडम. देखते है आगे कहानी क्या मोड लेता है

komaalrani
 
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insotter

👑
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निशा थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं केहती. फिर वहां थोड़ी देर बैठ के चाय पीकर वो अपने घर को निकल जाती है और सोचती है की वो भी एक अच्छे घर में ही जायेगी…

8th Update – जन्मदिन

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र जाते है और सब अपने काम में लग जाते है. निशा और दीपू के आखिर परीक्षा भी नज़दीक आ जाते है तो वो दोनों भी अपनी पढाई में लग जाते है. वहीँ दिव्या भी अपनी सोच में रहती है और वसु भी दिव्या को टाइम देती है क्यूंकि उसे भी पता था की मामला उतना आसान नहीं है. आगे जो भी फैसला होगा उससे सब की ज़िन्दगी बदलने वाली थी.

गनीमत से दोनों के परीक्षा हो जाते है और दोनों ही काफी खुश थे की दोनों अच्छे नंबर्स से परीक्षा पास कर जाएंगे और उसके बाद दीपू को दिनेश के साथ उसके बिज़नेस में भी हाथ बटाना था.

परीक्षा ख़तम होने के २ दिन बाद दीपू का जन्मदिन था. घर में सब शान्ति छायी रहती है. जन्मदिन के सुबह ही दीपू के नाना, नानी और बाकी रिश्तेदार उसको फ़ोन कर के जन्मदिन की बधाई देते है और उन सब को उनके घर आने को कहते है. वसु कहती है की वो लोग जल्दी ही उनसे मिलने आएंगे.

दोफहर को दीपू जब बाहर अपने दोस्तों से मिलने के बाद घर आता है तो उसे एक अच्छा सरप्राइज मिलता है. तीनो घर को अच्छे से सजाते है और दीपू के लिए एक केक का भी इंतज़ाम करते है. दीपू ये देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि उसे इस बारे में थोड़ी भी भनक नहीं थी. घर में हॉल में केक सजा के रखा हुआ था लेकिन उसे कोई दीखता नहीं है. घर आ कर दीपू सब को आवाज़ देता है तो कोई नहीं बाहर आता. फिर थोड़ी देर बाद तीनो एकदम सज धज के जैसे की आज उनकी शादी है वैसे सज कर आते है. दीपू उनको अपनी आँखें फाड़ कर देख रहा होता है. निशा एक सेक्सी सलवार कमीज पहन के आती है जो उसके बदन पे एकदम चिपका हुआ था और उसके ठोस चूचियां और बहार को निकली गांड पूरे उभार में साफ़ दिख रहे थे.

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निशा दीपू के पास आकर धीरे से उसके कान में कहती है की ये उसके लिए सरप्राइज है और उस तरफ देखो जहाँ वसु और दिव्या भी ऐसे ही सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी में सज कर आती है तो दिव्या भी एकदम सज के आती है. तीनो ही एकदम ऊपर से उत्तरी हुई अप्सराएं लग रही थी. दिव्या ऐसे रूप में आएगी ऐसा वसु को पता नहीं था. दिव्या को देख कर वसु उसे पूछती है तो दिव्या कहती है की ये दीपू को उसकी तरफ से जन्मदिन का तोहफा है और वो कहती है की बहुत सोच समझ कर उसने ये फैसला लिया है की वो दीपू से शादी करने को राज़ी है.

वसु: तू सोच समझ कर ही ये फैसला लिया है न?

दिव्या: हाँ… और ये बात बोल कर शर्मा जाती है और अपना मुँह झुका कर धीरे से हस्ती है

इतने में निशा भी उन सब को देख कर कहती है की वो भी उन सब से एक बात कहना चाहती है. सब एक साथ पूछते है की क्या बात है?

तो निशा कहती है की वो दिनेश को चाहने लगी है. दिनेश ने उसे propose किया है और उसने उसका proposal accept कर लिया है और वो उससे शादी करना चाहती है.

उसकी बात सुनकर सब बहुत खुश हो जाते है और वसु उन दोनों को अपने गले लगा लेती है और प्यार से उसके गाल को चूम कर कहती है की वो बहुत खुश है की वो (दिव्या ) उसकी बहु बनने वाली है. तो निशा भी बहुत खुश हो जाती है और उसकी माँ से कहती है की मौसी आपकी कैसे बहु हो सकती है.. वो तो आपकी सौतन बनने वाली है और ऐसा कहके दोनों हस देते है तो दिव्या शर्म से पानी पानी हो जाती है. दीपू ये सब मजे से देख रहा होता है और उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं होता की इतनी सुन्दर और सेक्सी औरत उसकी बीवी बनने वाली है. सब लोग दीपू के केक काटने की तैयारी करते है तो वसु किचन में जाती है कुछ लाने को.. तो दीपू भी उसके पीछे चले जाता है और उसको पीछे से बाहों में भर के.. उसपे नाभि पे हाथ रख कर उसके कुरेदते हुए कान में कहता है की मौसी तुम्हारी बहु नहीं बल्कि उनकी सौतन बनने वाली है. वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है चुप कर.. क्या क्या बातें कर रहा है.

दीपू: वसु को पलटा कर उसकी आँखों में देख कर कहता है की वो सही कह रहा है.

तुम सब लोगों ने मुझे बहुत अच्छा suprise दिया है तो मैं भी आपको एक suprise दूंगा. वसु अपनी आँखें बड़ी करके दीपू के तरफ देखती है तो उसको दीपू की आँखों में चमक दिखती है

इतने में किसी के आने की आवाज़ आती है तो दोनों अलग हो जाते है और फिर सब हॉल में आकर अच्छे से केक को सजा कर दीपू को केक काटने को कहते है.

दीपू निशा से कहता है: क्या तुम दोनों को भी मेरी बीवी के रूप में अपनाओगे? मैं जानता हूँ की माँ भी एक आदमी के लिए तरसती है और वो वसु की तरफ देख कर आँख मारते हुए कहता है की उसने कई बार अपनी माँ को खुद को ऊँगली करते हुए देखा है.

ये बात सुन कर निशा कहती है: तू भी?

दीपू: तू भी का क्या मतलब है?

निशा: मैंने भी माँ को देखा है.

दीपू: क्या देखा है?

निशा: वही जो तू कह रहा है. मैंने भी माँ को कई बार... और ऐसा कहते हुए रुक जाती है और वो अनकही बात सब समझ जाते है.

जब निशा ये बात बोलती है तो वसु का चेहरा और गाल सब शर्म के मारे एकदम लाल हो जाते है और अपनी आँखें नीचे कर लेती है.

दिव्या: वाह भाई इतना सब हो गया है और मुझे किसीने बताया भी नहीं?

दीपू: ये बात किसी को नहीं पता.. मैंने तो चुपके से माँ को देखा था. बोलो मेरी बात मंजूर है?

निशा हाँ में सर हिला देते है और कहते है की इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है? लेकिन क्या मम्मी पापा (उसका मतलब नाना, नानी से था ) मान जाएंगे इसके लिए?

दीपू: तुम उसकी चिंता मत करो. मुझे पता है माँ सब संभल लेगी और उनकी हाज़िर में ही मैं इन दोनो से शादी करूंगा. दोनों वसु की तरफ देखते है तो वो अपना सर झुकाये खड़ी रहती है.

निशा:अब बहुत हो गया.. जल्दी से केक काट भाई..बहुत भूक लगी है. आज तो तेरे लिए माँ ने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया है तो जल्दी करो.

वसु: मैं ही नहीं छोटी ने भी मेरी मदत की है खाना बनाने में.

निशा: हाँ बात भी सही है. अपने होने वाले पति के लिए इतना तो बनता है ना.. और ऐसा कहते हुए निशा दिव्या को देख कर आँख मार देती है.

दीपू केक काटता है तो वसु एक केक का टुकड़ा लेकर उसको खिलाने लगती है तो दीपू मना कर देता है.

वसु उसको पूछती है क्यों तो दीपू एक शरारत भरे अंदाज़ में कहता है

दीपू: आपको याद है मैंने क्या कहा था जब हम खंडहर से आ रहे थे और एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. वसु उस दिन के हुए बातों को याद करती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीपू कहता है मैंने उस दिन जो कहा था आज वही होगा.

निशा: क्या कहा था?

दीपू वसु से कहता है की ये केक का टुकड़ा आप मुझे अपने मुँह से खिलाओगे. जब वसु को ये बात समझ में आती है तो वो मना करती है लेकिन दीपू नहीं मानता और आखिर में वसु वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेकर आगे बढ़ती हैं और अपने मुँह का टुकड़ा दीपू को खिलाती है तो दीपू भी वो टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

वसु: लो खा लिया ना.. अब मुझे छोड़.

दीपू: अभी कहाँ खाया है? देखो आपके होंठ पे अभी भी टुकड़ा है और ऐसा कहते हुए दीपू फिर से अपने होंठ आगे करते हुए वसु के होंठ पे रख के इस बार चूमते हुए वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

ज़ाहिर सी बात है की जब दोनों के होंठ मिलते है तो दीपू वो केक के टुकड़े को खा कर अपनी जुबां फिर से वसु के मुँह में डालता है और वो एक किस में बदल जाता है. किस पहले धीरे होता लेकिन दीपू को पता था तो वो अपनी पूरी जुबां वसु के मुँह में डालता है और देखते ही देखते किस एकदम गहरा और प्रगड़ हो जाता है.

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निशा और दिव्या दोनों मजे से देखते रहते है और उन दोनों को देख कर इनकी भी सांसें भारी हो जाती है और दोनों भी बहुत उत्तेजित हो जाते है और उन्हें पता भी नहीं चलता की उनकी चूत से पानी निकलना शुरू हो जाता है.

दीपू और वसु जब किस कर रहे होते तो वसु की मस्त चूचियां दीपू के सीने में दब जाती है और उत्तेजना के मारे उसके निप्पल भी एकदम तन जाते है और एकदम कड़क और नुकीले हो जाते है जो दीपू के छाती पे चुब्ते हुए दीपू को समझ आता है.

किस करते वक़्त दीपू अपना हाथ वसु के पीछे ले जाकर उसकी गांड को ज़ोर से दबाता है तो वसु की सिसकी उसके मुँह में ही रह जाती है. ५ मं के लम्बे किस के बाद दोनों अलग होते है तो दीपू कहता है.. अब केक कुछ मीठा लग रहा है.

जब दीपू ऐसा कहता है तो वो देखता है की केक का कुछ हिस्सा वसु के मुँह से गिर कर उसके सीने में पड़ा रहता है तो वसु उसे निकालने की कोशिश करती है तो दीपू मना करता है और कहता है की वो निकालेगा. दीपू झुक कर वसु की साडी का पल्लू निकल कर वो केक का टुकड़ा जो उसके ब्लाउज पे पड़ा हुआ था उसे अपनी जुबां से चाटता हुआ साफ़ करता है और ऐसा करते वक़्त वो उसकी निप्पल को भी चूम लेता है और धीरे से काटता है क्यूंकि वो बहुत नुकीले लग रहे थे. वसु का दिल अब बहुत ज़ोर से धड़कता रहता है और हलके दिखावे गुस्से से दीपू को अलग कर देती है.

वसु: और कितना केक खायेगा? बाकी दोनों भी तो है. उन्हें भी तो तुझे केक खिलाना है.

दीपू फिर से वसु को अपनी बाहों में लेकर इस बार प्यार से उसके होंठ चूमते हुए अलग कर देता है.

अब निशा की बारी थी तो निशा पहले से ही उन दोनों को देख कर एकदम गरम हो गयी थी और वो भी इस बार बिना दीपू एक बताये अपने हाथ में ले कर दीपू को खिलाती है. दीपू भी मजे से निशा के हाथ से केक खा लेता है और फिर निशा उसके माथे को चूम कर जन्मदिन की बधाई देती है.

जब आखिर में दिव्या की बारी आती है तो दिव्या एकदम शर्मा जाती है.

दिव्या (उन दोनों को देख कर पहले ही गरमा गयी थी और उसके पैंटी भी पूरी तरह से गीली हो गयी थी )भी वैसे ही करती है तो इस बार दीपू उसको चूमते वक़्त उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा देता है. ये देख कर दोनों (वसु और निशा) एक गहरी सास लेते है तो दिव्या भी गरम हो जाती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीप कहता है की ये तो कुछ भी नहीं है और सब को आँख मार देता है तुमने मुझे मेरे जन्मदिन पे गिफ्ट दिया था तो ये मेरे तरफ से तुम्हारे गिफ्ट को स्वीकारना है.

दिव्या भी बाकी दोनों की तरह दीपू को अपने मुँह से केक खिलाती है तो दीपू भी केक खाने के बहाने उसकी जुबां को पूरी चूस लेता है और दोनों भी एक गहरे किस में डूब जाते है.

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दीपू दिव्या को किस करते हुए एक हात से चूची दबाता है तो वो दुसरे हाथ से केक का एक टुकड़ा लेकर उसके पेट और कमर पे मलता है. दीपू जान भूझ कर अनजान बनते हुए कहता है की केक तुम्हारे पेट पे लग गया है. दिव्या को पता था की क्या होने वाला है तो वो कहती है की वो साफ़ कर लेगी लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. दीपू अपने घुटनों पे बैठते हुए दिव्या की साडी को कमर से निकालता है और फिर से अपनी जुबां से चाटता है और ऐसे ही चाटते हुए उसकी गहरी नाभि को भी चूम कर चाटता है और अपनी जुबां उसकी गहरी नाभि में दाल कर चूमते हुए धीरे से काटता भी है.

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दिव्या की सांसें बहुत गहरी हो जाती है और आहें भरते हुए उसका पेट अपनी नाभि पे दबा देती है और उत्तेजना में कहती है की वो क्या कर रहा है.

दीपू: मैं तो केक खा रहा हूँ और आपकी पेट पे जो टुकड़ा पड़ा हुआ है उसे साफ़ कर रहा हूँ और ऐसा कहते हुए हस देता है और पूरी तरह से उसकी नाभि को चाट कर पेट एकदम साफ़ कर देता है.

दीपू को वहां नाभि के पास एक तिल दीखता है जो उसे और सेक्सी बना रहा था तो वो दिव्या से कहता है की वहां उसका तिल उसे और भी सेक्सी बना रहा है और फिर से उसे वहां चूम लेता है.

दीपू को ऐसा करते हुए देख दोनों वसु और निशा की चूतें भी गीली हो जाती है और पानी रिसने लगती है.

फिर सब अच्छे से साफ़ कर के सब लोग एक दुसरे को केक खिलाते है और फिर खाना खा कर अपने कमरे में दोपहर को सोने चले जाते है.

जाने से पहले दीपू कहता है की शाम को दिनेश और उसकी माँ घर आने वाले है क्यूंकि उसने उन दोनों को बुलाया है. उसे उस वक़्त ये पता नहीं था निशा और दिनेश के बारे में. उसने अपने जन्मदिन पर उन्हें बुलाया था.

वसु: अच्छा किया जो तूने उन्हें बुलाया है. निशा के बारे में भी बात कर लेते है.

कमरे में सोते वक़्त वसु दिव्या से पूछती है की वो खुश है क्या.. आज जो भी हुआ.

दिव्या: शायद हाँ… मुझे भी अभी अपनी ज़िन्दगी में आदमी की कमी महसूस होती है. दीपू को मैंने ऐसे ही हाँ नहीं किया.. वो तेरा बेटा ज़रूर है लेकिन उसमें मैं अच्छे लड़के की छवि देखती हूँ. मैंने देखा है की दीपू भी हम सब को बहुत प्यार करता है. मैं बहुत दिनों से दीपू को देख रही हूँ और इतना तो मैं कह ही सकती हूँ की वो मेरे लिए और मैं उसके लिए ही बने है. … लेकिन पता नहीं कैसे ये सब होगा. तो दिव्या वसु की और पलट कर कहती है दीपू सब देख लेगा लेकिन पहले तुम्हे माँ बाबूजी को बताना है.

वसु: हाँ इस बारे में उनसे जल्दी ही बात करती हूँ. तुम्हारे खातिर उन्हें मानना ही होगा और ऐसा कहते हुए हस देती है. तो दिव्या कहती है की अगर वो लोग मान गए तो मैं तुम्हारी बहु नहीं बल्कि हम दोनों सौतन हो जाएंगे और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु के होंठ चूम लेती है.

वसु: ऐसा मत कर.. पहले ही मैं बहुत गीली हूँ और तू मुझे और उकसा रही है.

दिव्या: मेरा भी यही हाल है और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच रख देती है और साडी पेहेन्ने के बावजूद वसु का हाथ गीला हो जाता है.

दिव्या: देख रही है मैं भी उतनी ही गीली हूँ जितना तुम. अब तक मैंने दो बार अपनी पैंटी बदली है लेकिन ये साला पानी निकलते ही रह रहा है.

वसु: मेरा भी कुछ ऐसे ही हाल है और दोनों फिर एक दुसरे को ऐसे ही ऊँगली करते हुए नींद में चले जाते है.

शाम को दिनेश और उसकी माँ रितु उनके घर आते है तो उन दोनों को देख कर सब खुश हो जाते है और फिर दोनों दीपू को जन्मदिन की बधाई देते है. दिनेश डीपू को गले लगा कर उसको कहता है जन्मदिन मुबारक हो यारा. दीपू भी एकदम बहुत खुश हो जाता है. फिर सब चाय पीने लग जाते है तो दिनेश रितु की तरफ देख कर इशारा करता है. रितु भी समझ जाती है और फिर अपने गले तो थोड़ा ठीक कर के वसु से कहती hai..

रितु: बहनजी, मुझे आपसे एक बात करनी है अगर आपकी इज़ाज़त हो तो.

वसु: अरे, इसमें मेरी इज़ाज़त की क्या बात है? जो बात कहना है कह दीजिये क्यूंकि वसु को मालूम था की रितु क्या बात कहते वाली है.

रितु थोड़ा संभल कर कहती है की उसका बेटा दिनेश उसकी बेटी निशा से बहुत प्यार करता है और वो निशा का हाथ अपने दिनेश के लिए मांगने आयी है और वो निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है.

वसु: ये तो एकदम अच्छी बात है बहनजी. वैसे मुझे निशा ने इस बारे में बताया था और हम ही इस बारे में आपसे बात करना चाहते थे.

इस बात पर दोनों दिनेश और निशा शर्मा जाते है और दोनों अपनी आँखें नीचे कर लेते है.

वसु: यह तो बहुत ख़ुशी की बात है और वो दिव्या से कहती है की मिठाई लाये तो दिव्या किचन से मिठाई लाती है तो वसु रितु को मिठाई देती है और वैसे ही रितु भी वसु के साथ करती है तो दोनों एक दुसरे के गले मिलते है. गले मिलने पर दोनों की मस्त ठोस चूचियां एक दुसरे से टकराते है जिसे दोनों महसूस करते है. दोनों एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है लेकिन कुछ नहीं कहते. रितु का तो वसु को पता नहीं था लेकिन आज सुबह हुए घटनाओं से वसु की चूत अभी भी गीली ही थी और उत्तेजना में थी लेकिन अपने आप को ज़ाहिर नहीं करती.

इन दोनों को पता नहीं था लेकिन दिनेश की तेज़ नज़रें दोनों को देख लेती है (वो एकदम होशियार और तेज़ दिमाग का लड़का था) और कुछ सोचने लगता है लेकिन कुछ नहीं कहता.

वसु: हम मेरे माँ पापा के घर जल्दी ही जा रहे है और वहां इन दोनों के बारे में पूछ कर आपको बताती हूँ.

रितु: जी ये तो अच्छी बात है.

वसु: वैसे आपके घर में और कौन कौन है?

रितु: ज़्यादा कोई नहीं है. इसके पिता तो बहुत पहले ही चल बसे है, मेरे सास, ससुर, माँ, बाप कोई नहीं है और मैं बिज़नेस को संभाल रही हूँ. मैं चाहती हूँ की दिनेश और दीपू जल्दी ही बिज़नेस को संभाले तो मैं थोड़ा आराम कर लून.

वसु: अच्छा कहा आपने.. मेरा मतलब है की अब दिनेश भी काम करने लायक हो गया है और दीपू भी उसकी मदत करेगा और आपको आराम करना चाहिए.

जैसे मैंने कहा हम कुछ दिनों में मेरे घर जा रहे है तो उनसे बात करके इन दोनों की शादी का तारिक फिक्स करवाती हूँ.

रितु: ये ठीक है. जब भी तारिक और समय फिक्स हो जाए तो बता दीजिये. हम भी अपनी तरफ से काम करना शुरू कर देंगे. और फिर ऐसे ही बातें कर के रितु और दिनेश वसु का बनाया हुआ स्वादिष्ट खाना खा कर अपने घर निकल जाते है और यहाँ पर भी सब भी ख़ुशी से सब लोग अपने आने वाले दिन के बारे में सोचते हुए अपने कमरे में जाकर सो जाते है.

वहीँ रितु के घर में दोनों भी खुश थे और अपने कमरे में सोने चले जाते है. रितु को नींद नहीं आ रही थी तो वो वसु के साथ हुए हादसे को याद कर रही थी की कैसे दोनों की चूचियां एकदम से टकरा गयी लेकिन दोनों को बुरा नहीं लगा. ये सब सोचते हुए ना जाने कब उसका हाथ अपनी साडी के अंदर दाल कर पैंटी को सरका कर अपनी चूत मसलते रहती है

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और मन में बड़बड़ाती है.. ये चूत और आग मुझे सोने नहीं देगी. पता नहीं कब मुझे थोड़ी शान्ति मिलेगी. वहीँ दिनेश को भी लगता है की उसकी माँ भी बहुत तड़प रही है और उसे कुछ करना चाहिए...
Wonderful Update Bro story ab maza dene laga hai, har jagah ek seen ban raha aur har character uska part hai ...
mujhe specially group me jyada maje aata hai Waiting for upcoming updates
 

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9th Update: (Introduction of new Characters)

अगली सुबह दीपू भी सुस्ताते हुए उठता है और फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो आज देखता है की दिव्या चाय बना रही है. दीपू दिव्या से पूछता है की माँ कहाँ है तो वो कहती है की आज वो जल्दी उठ गयी है तो चाय बनाने आ गयी है. दीपू दिव्या के पीछे जा कर खड़ा हो जाता है और उसे पीछे से बाहों में लेकर उसके गले को चूमते हुए उसकी मस्त चूची को दबाते हुए कहता है कल उसे केक खाने में बहुत मजा आया.

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उसकी चूची दबने से दिव्या बहक जाती है लेकिन फिर अपने आप को संभाल कर दीपू से कहती है.

दिव्या: दीपू मेरी एक बात मानेगा क्या?

दीपू: क्या मौसी?

दिव्या: येही की ये जो तू कर रहा है ना थोड़े दिन रुक जा शादी तक. शादी के बाद जितना दबाना है मैं तुझे रोकूंगी नहीं. दीपू को भी लगता है की वो थोड़ा जल्दी कर रहा है तो वो उसके कान में हाँ कह देता है और कहता है की आप सही कह रही हो. मैं भी जल्दी नहीं करना चाहता.. बस ऐसे ही मजे ले रहा था..लेकिन अब सब शादी के बाद और कहता है शादी के बाद तो रोज़ दबाएगा और उसकी लेगा तो दिव्या कहती है की मैं भी उतनी ही उतावली हूँ और हस देती है.

दीपू अपना हाथ ले जाकर उसके पेट के ऊपर रखता है तो कहता है ये ठीक नहीं है. दिव्या को समझ में नहीं आता की दीपू क्या कह रहा है तो दिव्या पलट कर दीपू को देखते हुए सवालिया नज़रों से पूछती है तो दीपू हस देता है और फिर अपने घुटनों पे आकर उसकी साडी को कमर से पकड़ कर ३ इंच नीचे सरकाता है तो उसकी साडी भी थोड़ा नीचे हो जाती है जिस वजह से उसके गहरी नाभि नज़र आती है.

उसकी नाभि को देख कर दीपू दिव्या की आँखों में देखकर कहता है बस एक बार लेकिन इसके बाद सिर्फ शादी के बाद और ऐसा कहते हुए उसपे एक गहरा किस करता है तो दिव्या की जैसे सांस रुक जाती है और मदहोशी में दीपू से कहती है की और ना कर.. वरना बहक जायेगी और वो अपना काम नहीं कर पाएगी तो दीपू हस देता है और फिर खड़ा हो जाता है.

इतने में वहां वसु आ जाती है और दोनों को देख कर कहती है की क्या हो रहा है?

दिव्या: देखो ना दीदी ये क्या कर रहा है.. वसु दिव्या से पूछती है तो दिव्या अपनी साडी पे इशारा कर के कहती है की इसने मेरी साडी नीचे खसका दी है और नाभि के नीचे बाँधने को कह रहा है.

दीपू: दोनों को देख कर.. मेरी होने वाली बीवी थोड़ी सेक्सी दिखनी चाहिए ना ख़ास कर के घर में.. इसीलिए ऐसा किया तो वो वसु को आँख मार देता है.

वसु: चुप कर.. अभी कुछ हुआ भी नहीं और तू हमें अपनी बीवी बोल रहा है.

दीपू: मुझे पता है की आप नाना नानी को मना लोगी और आखिर में जो हम सब के भाग्य में लिखा है वही होने वाला है.

वसु: हाँ बात भी सही है.

दीपू: वैसे एक बात कहूँ तुम दोनों से..

वसु; बोल ना इसमें झिजाहकने की क्या बात है..

दीपू: मैं चाहता हूँ की जब हमारी शादी हो जाए तो हम सब घर में खुल के रहे और ना ही कोई हिचखीचत हो.

वसु: मतलब?

दीपू: मतलब ये की बातें ख़ास तौर पे कमरे में खुल के हो.. नाकि झिझक के साथ खासकर के जब हम एक दुसरे के करीब आएंगे और एक होंगे जैसे हमारे गुप्तांगो के वर्णन के बारे में , इत्यादि..

दीपू जब ये बात दोनों को बोलता है तो दोनों अपना मुँह खुला का खुला रखते है और अपनी नज़रें झुका लेते है.

दीपू हस्ता है और दिव्या की गांड दबाते हुए कहता है

दीपू: मौसी अभी मैं आपको मौसी ही कहूंगा.. लेकिन शादी के बात नाम से पुकारूंगा. तो मौसी आपको पता है ना की सुहागरात में क्या होता है और दिव्या को आँख मार देता है.

दिव्या कुछ नहीं कहती तो दीपू कहता है.. मैं येही कह रहा था की शर्माना छोड़ दो तो सभी को मज़ा आएगा.

दिव्या: हाँ, समझ में आया है

दीपू: चलो अच्छी बात है. अगर पता नहीं है तो अपनी बेहन से पूछ लेना और दोनों को आँख मार के वहां से बाहर निकल जाता है.

उसके जाने के बाद वसु कहती है की दीपू अब बहुत ठरकी हो गया है तो दिव्या कहती है क्यों नहीं वो तो जवान है और उबलता हुआ खून है और जब दो गदराये बदन की औरतें उसकी बीवी बनेगी तो वो ठरकी तो होगा ही.

वसु: हाँ तू सही कह रही है. वैसे तू भी कम नहीं है उसके साथ जो मजे ले रही थी मेरे आने से पहले और हस देती है.

दिव्या भी मजाक में: मेरी जगह तू होती तो शायद तू और भी कुछ ज़्यादा ही कर लेती उसके साथ और वसु की गांड में हल्का सा चपत मारती है.

वसु: आउच.. चल हट और जल्दी से चाय बना. इतने में निशा भी वहां आ जाती है और सुस्ती लेते हुए वो भी चाय मांगती है.

फिर सब लोग चाय पीकर अपने काम में लग जाते है. फिर सब कुछ २ दिन तक शांत रहता और लोग अपने काम में बिजी रहते है. २ दिन बाद वसु के पिताजी का वसु को फ़ोन आता है और वो दिव्या के बारे में चिंता जताते है.

पिताजी: बेटा , कैसी हो?

वसु: मैं ठीक हूँ पिताजी.. आप और मम्मी कैसे है? भाई कैसा है? भाभी कैसी है?

पिताजी: सब ठीक है बेटा, तुझे तो पता है मुझे और तेरी मम्मी को एक ही बात की चिंता सताये रहती है. अब हमारी उम्र भी हो गयी है. अगर उसकी की शादी हो जाए तो हम गंगा नाहा ले.

वसु कुछ सोचती है और कहती है की पिताजी मुझे इसके बारे में आप और मम्मी से बात करनी है..मैं और छोटी २ दिन में आपके पास आते है और फिर सब बातें करते है.

पिताजी: ठीक है आ जाओ. तुम सब का इंतज़ार करेंगे.



नए पात्र:

नाना: उनकी उम्र हो गयी है.. बूढ़े हो गए है और अब वो अपनी आखरी चरण में है. बस उनको दो ही चिंता है की वो जाने से पहले अपनी बेटी दिव्या की शादी हो जाए और अपने वारिस को भी देखे क्यूंकि उसके लड़के को कोई औलाद नहीं थी. लेकिन अब उनकी तबियत खराब हो रही है और उन्हें इन दोनों में से कोई भी बात जल्दी बनते नज़र नहीं आ रही थी. इसी वजह से वो हमेशा चिंता में रहते है जिसके चलते उनकी हालत रोज़ ख़राब हो रही है.

नानी: उनका भी यही हाल है.. ये भी अब बूढ़ी हो गयी है और अब वो घर में ही रहती है. इन दोनों के ४ बच्चे है.

२ को तो आपने देख ही लिया है (वसु और दिव्या)

बेटा मनोज : ३५ साल. इसकी शादी हो गयी है. वो एक केमिकल कंपनी में काम करता है. शादी होकर ५ साल हो गए है लेकिन कोई बच्चा नहीं है.

मीना: ये मनोज की पत्नी है. 26 साल फिग: ३४/३०/४० - ये भी मस्त कामुक महिला है और हमेशा गरम रहती है. उसे दुःख है की उसका पति अब उसे संतुष्ट नहीं कर पाता क्यों की उसका पति का अब खड़ा नहीं होता है. शादी के १- २ साल दोनों ने बहुत मजे किये थे और सोचा था की तीसरे साल वो बच्चा जनेगी. लेकिन एक दिन कंपनी में काम करते वक़्त उसके पति को चोट लग गयी थी. तब से उसमें दम नहीं था जो मीना चाहती थी.

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दोनों में थोड़ा उम्र में गैप था लेकिन उनकी वो दोनों एक दुसरे को (शादी से पहले) पसंद करते थे तो दोनों की शादी हो गयी.

कविता: 44 Yrs - ये मीना की माँ है. विधवा है और उसका घर मीना के घर के पास ही है.

कविता: ३४/३०/४०

उम्र 42 है लेकिन अभी भी 35 से ज़्यादा दिखती नहीं है. ये मस्त बदन की मालिक है…उठे हुए भरी चूचियां और सब से जान लेवा उसकी उभरी हुई गांड जो लोगों को उत्तेजित करने से रोकती नहीं थी. .. चाहे जवान हो या फिर बूढ़े.. सब उसको देख कर आहें भारते थे.

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उसकी शादी जल्दी हो गयी थी और उसे मीना भी जल्दी ही पैदा हो गयी थी. वो भी एकदम भरे बदन की मालकिन है. वसु की तरह अपने जवानी पे चरम पे है लेकिन इसे संतुष्ट करने वाला कोई नहीं है. उसका पति मरने से पहले कुछ पैसे रखे थे. और उसके मरने के बाद इन्शुरन्स कंपनी से भी अच्छे पैसे मिले थे. उसी से वो गुज़ारा करती है. वो भी चाहती है की वो भी जल्दी नानी बन जाए लेकिन अभी तक वो बन नहीं पायी. उसकी हमेशा से ही इच्छा थी की वो और बच्चों की माँ बने लेकिन समय से पहले ही उसका पति मर गया और वो बाहर मुँह नहीं मारना चाहती थी. ये बात मीना को भी पता था की उसकी माँ और बच्चे चाहती थी (कविता ने उसे बताया था).. लेकिन ना ही वो हो पाया और ना ही वो नानी बन पा रही है जिससे दोनों थोड़े दुखी थे.

और आखरी में सबसे छोटी लड़की जिसका नाम रानी था. जैसा उसका नाम था वो भी एकदम महारानी की तरह दिखती थी. सुन्दर हसमुख चेहरा और अपनों का ख्याल रखने वाली.वो भी एक मस्त बदन की मालिक थी. ३२/३०/४०. उसके चुके थोड़े छोटे थे लेकिन एकदम सुडोल और हमेशा तने रहते थे. उसकी गांड भी जान लेवा थी. वो अपनी बेहन दिव्या से पहले शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन सब के कहने पे उसे शादी करनी पड़ी. वो बगल के गाँव में ही रहती है. उसकी शादी के एक साल में ही एक लड़की पैदा हुई थी लेकिन किस्मत उसे धोका दे गयी. वो लड़की पैदा होते ही कुछ complications की वजह से वो ज़्यादा दिन रह नहीं पायी और भगवन के घर चली गयी.

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रानी को इस हादसे से बहुत ज़्यादा झटका लगा और उसे इस पर से उभरने में बहुत समय लगा लेकिन समय और किस्मत के साथ उसने भी समझौता कर लिया और अपने पति के साथ ही रहती है लेकिन अभी भी वो बहुत चाहती थी की वो फिर से माँ बने. उसका पति भी चाहता था लेकिन पहले बच्चे के हादसे से वो मानसिक तौर पे बहुत घायल हो गया. रानी भी कामुक होने की वजह से वो भी दिन रात बिस्तर पे बहुत तड़पती थी. शायद ये उसके भाएगा में लिखा था.

लता: 32 Yrs.. ये दीपू की बुआ है. तलाक शुदा है और अपने भाई ( दीपू के चाचा) के साथ रहती है. चंचल है. ये भी भरे हुए बदन की मालिक है. इसकी शादी हो गयी थी लेकिन ये मस्त चुड़क्कड़ है. इसका पति शराबी था और ये लता जैसी कामुक और चुड़क्कड़ औरत को संतुष्ट नहीं कर पाता क्यूंकि वो हमेशा शराब में ही डूबा रहता था. लता से रहा नहीं गया और उसे छोड़ कर अपने भाई के पास आ गयी और वक़्त के साथ उसने उसको तलाक दे दिया और अपने कामाग्नि में जलती रहती है.

लता: ३४/३०/४०

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रामु: ये दीपू के चाचा है और दुसरे गाँव में काम करता है. अच्छे स्वाभाव का है और उसके भाई (दीपू का बाप) के मरने के बाद वो वो हमेशा वसु और बाकी सब से भी तालुकात बनाये रखा है और उनके हाल चाल की जानकारी रखता है.

राखी: ये रामु की पत्नी है. ३० साल की है और उसको एक छोटा लड़का है. उसे भी एक- दो और बच्चों की और चाहत है लेकिन रामु मना करता है. इसकी वजह से वो थोड़ा दुखी है. शादी से पहले वो थोड़ी पतली थी लेकिन बच्चा होने के बाद उसका भी बदन भर गया है. वो भी बहुत सेक्सी दिखती है. उठे हुए चूची मस्त गांड और हमेशा अच्छे से सज धज के रहने की इसकी ख्वाइश रहती है.

राखी: ३४/३०/४०

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आगे देखते है ये सब लोग कहानी में कैसे जुड़ते है... या फिर कौन और कब कोई दीपू के नीचे आता है :)
 

Mass

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Wonderful Update Bro story ab maza dene laga hai, har jagah ek seen ban raha aur har character uska part hai ...
mujhe specially group me jyada maje aata hai Waiting for upcoming updates
Thanks bhai...new update posted. New characters will take the story forward...look forward to your comments.

insotter
 
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Bhut hi badhiya update Bhai
To divya ne bhi dipu se sadi ke liye ha kah diya jisse ab vasu aur divya dono ki sadi dipu se hogi
Aur nisha ki sadhi bhi dinesh se fix ho gayi
Dhekte hai ab aage kya hota hai
Thanks bhai...new update posted. New characters will take the story forward...look forward to your comments.

Dhakad boy
 
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Looks like we are now going to see some serious sex
TThanks bhai...new update posted. New characters will take the story forward...look forward to your comments.

prkin
 
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