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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

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निशा थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं केहती. फिर वहां थोड़ी देर बैठ के चाय पीकर वो अपने घर को निकल जाती है और सोचती है की वो भी एक अच्छे घर में ही जायेगी…

8th Update – जन्मदिन

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र जाते है और सब अपने काम में लग जाते है. निशा और दीपू के आखिर परीक्षा भी नज़दीक आ जाते है तो वो दोनों भी अपनी पढाई में लग जाते है. वहीँ दिव्या भी अपनी सोच में रहती है और वसु भी दिव्या को टाइम देती है क्यूंकि उसे भी पता था की मामला उतना आसान नहीं है. आगे जो भी फैसला होगा उससे सब की ज़िन्दगी बदलने वाली थी.

गनीमत से दोनों के परीक्षा हो जाते है और दोनों ही काफी खुश थे की दोनों अच्छे नंबर्स से परीक्षा पास कर जाएंगे और उसके बाद दीपू को दिनेश के साथ उसके बिज़नेस में भी हाथ बटाना था.

परीक्षा ख़तम होने के २ दिन बाद दीपू का जन्मदिन था. घर में सब शान्ति छायी रहती है. जन्मदिन के सुबह ही दीपू के नाना, नानी और बाकी रिश्तेदार उसको फ़ोन कर के जन्मदिन की बधाई देते है और उन सब को उनके घर आने को कहते है. वसु कहती है की वो लोग जल्दी ही उनसे मिलने आएंगे.

दोफहर को दीपू जब बाहर अपने दोस्तों से मिलने के बाद घर आता है तो उसे एक अच्छा सरप्राइज मिलता है. तीनो घर को अच्छे से सजाते है और दीपू के लिए एक केक का भी इंतज़ाम करते है. दीपू ये देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि उसे इस बारे में थोड़ी भी भनक नहीं थी. घर में हॉल में केक सजा के रखा हुआ था लेकिन उसे कोई दीखता नहीं है. घर आ कर दीपू सब को आवाज़ देता है तो कोई नहीं बाहर आता. फिर थोड़ी देर बाद तीनो एकदम सज धज के जैसे की आज उनकी शादी है वैसे सज कर आते है. दीपू उनको अपनी आँखें फाड़ कर देख रहा होता है. निशा एक सेक्सी सलवार कमीज पहन के आती है जो उसके बदन पे एकदम चिपका हुआ था और उसके ठोस चूचियां और बहार को निकली गांड पूरे उभार में साफ़ दिख रहे थे.

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निशा दीपू के पास आकर धीरे से उसके कान में कहती है की ये उसके लिए सरप्राइज है और उस तरफ देखो जहाँ वसु और दिव्या भी ऐसे ही सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी में सज कर आती है तो दिव्या भी एकदम सज के आती है. तीनो ही एकदम ऊपर से उत्तरी हुई अप्सराएं लग रही थी. दिव्या ऐसे रूप में आएगी ऐसा वसु को पता नहीं था. दिव्या को देख कर वसु उसे पूछती है तो दिव्या कहती है की ये दीपू को उसकी तरफ से जन्मदिन का तोहफा है और वो कहती है की बहुत सोच समझ कर उसने ये फैसला लिया है की वो दीपू से शादी करने को राज़ी है.

वसु: तू सोच समझ कर ही ये फैसला लिया है न?

दिव्या: हाँ… और ये बात बोल कर शर्मा जाती है और अपना मुँह झुका कर धीरे से हस्ती है

इतने में निशा भी उन सब को देख कर कहती है की वो भी उन सब से एक बात कहना चाहती है. सब एक साथ पूछते है की क्या बात है?

तो निशा कहती है की वो दिनेश को चाहने लगी है. दिनेश ने उसे propose किया है और उसने उसका proposal accept कर लिया है और वो उससे शादी करना चाहती है.

उसकी बात सुनकर सब बहुत खुश हो जाते है और वसु उन दोनों को अपने गले लगा लेती है और प्यार से उसके गाल को चूम कर कहती है की वो बहुत खुश है की वो (दिव्या ) उसकी बहु बनने वाली है. तो निशा भी बहुत खुश हो जाती है और उसकी माँ से कहती है की मौसी आपकी कैसे बहु हो सकती है.. वो तो आपकी सौतन बनने वाली है और ऐसा कहके दोनों हस देते है तो दिव्या शर्म से पानी पानी हो जाती है. दीपू ये सब मजे से देख रहा होता है और उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं होता की इतनी सुन्दर और सेक्सी औरत उसकी बीवी बनने वाली है. सब लोग दीपू के केक काटने की तैयारी करते है तो वसु किचन में जाती है कुछ लाने को.. तो दीपू भी उसके पीछे चले जाता है और उसको पीछे से बाहों में भर के.. उसपे नाभि पे हाथ रख कर उसके कुरेदते हुए कान में कहता है की मौसी तुम्हारी बहु नहीं बल्कि उनकी सौतन बनने वाली है. वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है चुप कर.. क्या क्या बातें कर रहा है.

दीपू: वसु को पलटा कर उसकी आँखों में देख कर कहता है की वो सही कह रहा है.

तुम सब लोगों ने मुझे बहुत अच्छा suprise दिया है तो मैं भी आपको एक suprise दूंगा. वसु अपनी आँखें बड़ी करके दीपू के तरफ देखती है तो उसको दीपू की आँखों में चमक दिखती है

इतने में किसी के आने की आवाज़ आती है तो दोनों अलग हो जाते है और फिर सब हॉल में आकर अच्छे से केक को सजा कर दीपू को केक काटने को कहते है.

दीपू निशा से कहता है: क्या तुम दोनों को भी मेरी बीवी के रूप में अपनाओगे? मैं जानता हूँ की माँ भी एक आदमी के लिए तरसती है और वो वसु की तरफ देख कर आँख मारते हुए कहता है की उसने कई बार अपनी माँ को खुद को ऊँगली करते हुए देखा है.

ये बात सुन कर निशा कहती है: तू भी?

दीपू: तू भी का क्या मतलब है?

निशा: मैंने भी माँ को देखा है.

दीपू: क्या देखा है?

निशा: वही जो तू कह रहा है. मैंने भी माँ को कई बार... और ऐसा कहते हुए रुक जाती है और वो अनकही बात सब समझ जाते है.

जब निशा ये बात बोलती है तो वसु का चेहरा और गाल सब शर्म के मारे एकदम लाल हो जाते है और अपनी आँखें नीचे कर लेती है.

दिव्या: वाह भाई इतना सब हो गया है और मुझे किसीने बताया भी नहीं?

दीपू: ये बात किसी को नहीं पता.. मैंने तो चुपके से माँ को देखा था. बोलो मेरी बात मंजूर है?

निशा हाँ में सर हिला देते है और कहते है की इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है? लेकिन क्या मम्मी पापा (उसका मतलब नाना, नानी से था ) मान जाएंगे इसके लिए?

दीपू: तुम उसकी चिंता मत करो. मुझे पता है माँ सब संभल लेगी और उनकी हाज़िर में ही मैं इन दोनो से शादी करूंगा. दोनों वसु की तरफ देखते है तो वो अपना सर झुकाये खड़ी रहती है.

निशा:अब बहुत हो गया.. जल्दी से केक काट भाई..बहुत भूक लगी है. आज तो तेरे लिए माँ ने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया है तो जल्दी करो.

वसु: मैं ही नहीं छोटी ने भी मेरी मदत की है खाना बनाने में.

निशा: हाँ बात भी सही है. अपने होने वाले पति के लिए इतना तो बनता है ना.. और ऐसा कहते हुए निशा दिव्या को देख कर आँख मार देती है.

दीपू केक काटता है तो वसु एक केक का टुकड़ा लेकर उसको खिलाने लगती है तो दीपू मना कर देता है.

वसु उसको पूछती है क्यों तो दीपू एक शरारत भरे अंदाज़ में कहता है

दीपू: आपको याद है मैंने क्या कहा था जब हम खंडहर से आ रहे थे और एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. वसु उस दिन के हुए बातों को याद करती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीपू कहता है मैंने उस दिन जो कहा था आज वही होगा.

निशा: क्या कहा था?

दीपू वसु से कहता है की ये केक का टुकड़ा आप मुझे अपने मुँह से खिलाओगे. जब वसु को ये बात समझ में आती है तो वो मना करती है लेकिन दीपू नहीं मानता और आखिर में वसु वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेकर आगे बढ़ती हैं और अपने मुँह का टुकड़ा दीपू को खिलाती है तो दीपू भी वो टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

वसु: लो खा लिया ना.. अब मुझे छोड़.

दीपू: अभी कहाँ खाया है? देखो आपके होंठ पे अभी भी टुकड़ा है और ऐसा कहते हुए दीपू फिर से अपने होंठ आगे करते हुए वसु के होंठ पे रख के इस बार चूमते हुए वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

ज़ाहिर सी बात है की जब दोनों के होंठ मिलते है तो दीपू वो केक के टुकड़े को खा कर अपनी जुबां फिर से वसु के मुँह में डालता है और वो एक किस में बदल जाता है. किस पहले धीरे होता लेकिन दीपू को पता था तो वो अपनी पूरी जुबां वसु के मुँह में डालता है और देखते ही देखते किस एकदम गहरा और प्रगड़ हो जाता है.

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निशा और दिव्या दोनों मजे से देखते रहते है और उन दोनों को देख कर इनकी भी सांसें भारी हो जाती है और दोनों भी बहुत उत्तेजित हो जाते है और उन्हें पता भी नहीं चलता की उनकी चूत से पानी निकलना शुरू हो जाता है.

दीपू और वसु जब किस कर रहे होते तो वसु की मस्त चूचियां दीपू के सीने में दब जाती है और उत्तेजना के मारे उसके निप्पल भी एकदम तन जाते है और एकदम कड़क और नुकीले हो जाते है जो दीपू के छाती पे चुब्ते हुए दीपू को समझ आता है.

किस करते वक़्त दीपू अपना हाथ वसु के पीछे ले जाकर उसकी गांड को ज़ोर से दबाता है तो वसु की सिसकी उसके मुँह में ही रह जाती है. ५ मं के लम्बे किस के बाद दोनों अलग होते है तो दीपू कहता है.. अब केक कुछ मीठा लग रहा है.

जब दीपू ऐसा कहता है तो वो देखता है की केक का कुछ हिस्सा वसु के मुँह से गिर कर उसके सीने में पड़ा रहता है तो वसु उसे निकालने की कोशिश करती है तो दीपू मना करता है और कहता है की वो निकालेगा. दीपू झुक कर वसु की साडी का पल्लू निकल कर वो केक का टुकड़ा जो उसके ब्लाउज पे पड़ा हुआ था उसे अपनी जुबां से चाटता हुआ साफ़ करता है और ऐसा करते वक़्त वो उसकी निप्पल को भी चूम लेता है और धीरे से काटता है क्यूंकि वो बहुत नुकीले लग रहे थे. वसु का दिल अब बहुत ज़ोर से धड़कता रहता है और हलके दिखावे गुस्से से दीपू को अलग कर देती है.

वसु: और कितना केक खायेगा? बाकी दोनों भी तो है. उन्हें भी तो तुझे केक खिलाना है.

दीपू फिर से वसु को अपनी बाहों में लेकर इस बार प्यार से उसके होंठ चूमते हुए अलग कर देता है.

अब निशा की बारी थी तो निशा पहले से ही उन दोनों को देख कर एकदम गरम हो गयी थी और वो भी इस बार बिना दीपू एक बताये अपने हाथ में ले कर दीपू को खिलाती है. दीपू भी मजे से निशा के हाथ से केक खा लेता है और फिर निशा उसके माथे को चूम कर जन्मदिन की बधाई देती है.

जब आखिर में दिव्या की बारी आती है तो दिव्या एकदम शर्मा जाती है.

दिव्या (उन दोनों को देख कर पहले ही गरमा गयी थी और उसके पैंटी भी पूरी तरह से गीली हो गयी थी )भी वैसे ही करती है तो इस बार दीपू उसको चूमते वक़्त उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा देता है. ये देख कर दोनों (वसु और निशा) एक गहरी सास लेते है तो दिव्या भी गरम हो जाती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीप कहता है की ये तो कुछ भी नहीं है और सब को आँख मार देता है तुमने मुझे मेरे जन्मदिन पे गिफ्ट दिया था तो ये मेरे तरफ से तुम्हारे गिफ्ट को स्वीकारना है.

दिव्या भी बाकी दोनों की तरह दीपू को अपने मुँह से केक खिलाती है तो दीपू भी केक खाने के बहाने उसकी जुबां को पूरी चूस लेता है और दोनों भी एक गहरे किस में डूब जाते है.

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दीपू दिव्या को किस करते हुए एक हात से चूची दबाता है तो वो दुसरे हाथ से केक का एक टुकड़ा लेकर उसके पेट और कमर पे मलता है. दीपू जान भूझ कर अनजान बनते हुए कहता है की केक तुम्हारे पेट पे लग गया है. दिव्या को पता था की क्या होने वाला है तो वो कहती है की वो साफ़ कर लेगी लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. दीपू अपने घुटनों पे बैठते हुए दिव्या की साडी को कमर से निकालता है और फिर से अपनी जुबां से चाटता है और ऐसे ही चाटते हुए उसकी गहरी नाभि को भी चूम कर चाटता है और अपनी जुबां उसकी गहरी नाभि में दाल कर चूमते हुए धीरे से काटता भी है.

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दिव्या की सांसें बहुत गहरी हो जाती है और आहें भरते हुए उसका पेट अपनी नाभि पे दबा देती है और उत्तेजना में कहती है की वो क्या कर रहा है.

दीपू: मैं तो केक खा रहा हूँ और आपकी पेट पे जो टुकड़ा पड़ा हुआ है उसे साफ़ कर रहा हूँ और ऐसा कहते हुए हस देता है और पूरी तरह से उसकी नाभि को चाट कर पेट एकदम साफ़ कर देता है.

दीपू को वहां नाभि के पास एक तिल दीखता है जो उसे और सेक्सी बना रहा था तो वो दिव्या से कहता है की वहां उसका तिल उसे और भी सेक्सी बना रहा है और फिर से उसे वहां चूम लेता है.

दीपू को ऐसा करते हुए देख दोनों वसु और निशा की चूतें भी गीली हो जाती है और पानी रिसने लगती है.

फिर सब अच्छे से साफ़ कर के सब लोग एक दुसरे को केक खिलाते है और फिर खाना खा कर अपने कमरे में दोपहर को सोने चले जाते है.

जाने से पहले दीपू कहता है की शाम को दिनेश और उसकी माँ घर आने वाले है क्यूंकि उसने उन दोनों को बुलाया है. उसे उस वक़्त ये पता नहीं था निशा और दिनेश के बारे में. उसने अपने जन्मदिन पर उन्हें बुलाया था.

वसु: अच्छा किया जो तूने उन्हें बुलाया है. निशा के बारे में भी बात कर लेते है.

कमरे में सोते वक़्त वसु दिव्या से पूछती है की वो खुश है क्या.. आज जो भी हुआ.

दिव्या: शायद हाँ… मुझे भी अभी अपनी ज़िन्दगी में आदमी की कमी महसूस होती है. दीपू को मैंने ऐसे ही हाँ नहीं किया.. वो तेरा बेटा ज़रूर है लेकिन उसमें मैं अच्छे लड़के की छवि देखती हूँ. मैंने देखा है की दीपू भी हम सब को बहुत प्यार करता है. मैं बहुत दिनों से दीपू को देख रही हूँ और इतना तो मैं कह ही सकती हूँ की वो मेरे लिए और मैं उसके लिए ही बने है. … लेकिन पता नहीं कैसे ये सब होगा. तो दिव्या वसु की और पलट कर कहती है दीपू सब देख लेगा लेकिन पहले तुम्हे माँ बाबूजी को बताना है.

वसु: हाँ इस बारे में उनसे जल्दी ही बात करती हूँ. तुम्हारे खातिर उन्हें मानना ही होगा और ऐसा कहते हुए हस देती है. तो दिव्या कहती है की अगर वो लोग मान गए तो मैं तुम्हारी बहु नहीं बल्कि हम दोनों सौतन हो जाएंगे और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु के होंठ चूम लेती है.

वसु: ऐसा मत कर.. पहले ही मैं बहुत गीली हूँ और तू मुझे और उकसा रही है.

दिव्या: मेरा भी यही हाल है और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच रख देती है और साडी पेहेन्ने के बावजूद वसु का हाथ गीला हो जाता है.

दिव्या: देख रही है मैं भी उतनी ही गीली हूँ जितना तुम. अब तक मैंने दो बार अपनी पैंटी बदली है लेकिन ये साला पानी निकलते ही रह रहा है.

वसु: मेरा भी कुछ ऐसे ही हाल है और दोनों फिर एक दुसरे को ऐसे ही ऊँगली करते हुए नींद में चले जाते है.

शाम को दिनेश और उसकी माँ रितु उनके घर आते है तो उन दोनों को देख कर सब खुश हो जाते है और फिर दोनों दीपू को जन्मदिन की बधाई देते है. दिनेश डीपू को गले लगा कर उसको कहता है जन्मदिन मुबारक हो यारा. दीपू भी एकदम बहुत खुश हो जाता है. फिर सब चाय पीने लग जाते है तो दिनेश रितु की तरफ देख कर इशारा करता है. रितु भी समझ जाती है और फिर अपने गले तो थोड़ा ठीक कर के वसु से कहती hai..

रितु: बहनजी, मुझे आपसे एक बात करनी है अगर आपकी इज़ाज़त हो तो.

वसु: अरे, इसमें मेरी इज़ाज़त की क्या बात है? जो बात कहना है कह दीजिये क्यूंकि वसु को मालूम था की रितु क्या बात कहते वाली है.

रितु थोड़ा संभल कर कहती है की उसका बेटा दिनेश उसकी बेटी निशा से बहुत प्यार करता है और वो निशा का हाथ अपने दिनेश के लिए मांगने आयी है और वो निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है.

वसु: ये तो एकदम अच्छी बात है बहनजी. वैसे मुझे निशा ने इस बारे में बताया था और हम ही इस बारे में आपसे बात करना चाहते थे.

इस बात पर दोनों दिनेश और निशा शर्मा जाते है और दोनों अपनी आँखें नीचे कर लेते है.

वसु: यह तो बहुत ख़ुशी की बात है और वो दिव्या से कहती है की मिठाई लाये तो दिव्या किचन से मिठाई लाती है तो वसु रितु को मिठाई देती है और वैसे ही रितु भी वसु के साथ करती है तो दोनों एक दुसरे के गले मिलते है. गले मिलने पर दोनों की मस्त ठोस चूचियां एक दुसरे से टकराते है जिसे दोनों महसूस करते है. दोनों एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है लेकिन कुछ नहीं कहते. रितु का तो वसु को पता नहीं था लेकिन आज सुबह हुए घटनाओं से वसु की चूत अभी भी गीली ही थी और उत्तेजना में थी लेकिन अपने आप को ज़ाहिर नहीं करती.

इन दोनों को पता नहीं था लेकिन दिनेश की तेज़ नज़रें दोनों को देख लेती है (वो एकदम होशियार और तेज़ दिमाग का लड़का था) और कुछ सोचने लगता है लेकिन कुछ नहीं कहता.

वसु: हम मेरे माँ पापा के घर जल्दी ही जा रहे है और वहां इन दोनों के बारे में पूछ कर आपको बताती हूँ.

रितु: जी ये तो अच्छी बात है.

वसु: वैसे आपके घर में और कौन कौन है?

रितु: ज़्यादा कोई नहीं है. इसके पिता तो बहुत पहले ही चल बसे है, मेरे सास, ससुर, माँ, बाप कोई नहीं है और मैं बिज़नेस को संभाल रही हूँ. मैं चाहती हूँ की दिनेश और दीपू जल्दी ही बिज़नेस को संभाले तो मैं थोड़ा आराम कर लून.

वसु: अच्छा कहा आपने.. मेरा मतलब है की अब दिनेश भी काम करने लायक हो गया है और दीपू भी उसकी मदत करेगा और आपको आराम करना चाहिए.

जैसे मैंने कहा हम कुछ दिनों में मेरे घर जा रहे है तो उनसे बात करके इन दोनों की शादी का तारिक फिक्स करवाती हूँ.

रितु: ये ठीक है. जब भी तारिक और समय फिक्स हो जाए तो बता दीजिये. हम भी अपनी तरफ से काम करना शुरू कर देंगे. और फिर ऐसे ही बातें कर के रितु और दिनेश वसु का बनाया हुआ स्वादिष्ट खाना खा कर अपने घर निकल जाते है और यहाँ पर भी सब भी ख़ुशी से सब लोग अपने आने वाले दिन के बारे में सोचते हुए अपने कमरे में जाकर सो जाते है.

वहीँ रितु के घर में दोनों भी खुश थे और अपने कमरे में सोने चले जाते है. रितु को नींद नहीं आ रही थी तो वो वसु के साथ हुए हादसे को याद कर रही थी की कैसे दोनों की चूचियां एकदम से टकरा गयी लेकिन दोनों को बुरा नहीं लगा. ये सब सोचते हुए ना जाने कब उसका हाथ अपनी साडी के अंदर दाल कर पैंटी को सरका कर अपनी चूत मसलते रहती है

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और मन में बड़बड़ाती है.. ये चूत और आग मुझे सोने नहीं देगी. पता नहीं कब मुझे थोड़ी शान्ति मिलेगी. वहीँ दिनेश को भी लगता है की उसकी माँ भी बहुत तड़प रही है और उसे कुछ करना चाहिए...
Lazawab umda update 💯
 
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Dhakad boy

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निशा थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं केहती. फिर वहां थोड़ी देर बैठ के चाय पीकर वो अपने घर को निकल जाती है और सोचती है की वो भी एक अच्छे घर में ही जायेगी…

8th Update – जन्मदिन

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र जाते है और सब अपने काम में लग जाते है. निशा और दीपू के आखिर परीक्षा भी नज़दीक आ जाते है तो वो दोनों भी अपनी पढाई में लग जाते है. वहीँ दिव्या भी अपनी सोच में रहती है और वसु भी दिव्या को टाइम देती है क्यूंकि उसे भी पता था की मामला उतना आसान नहीं है. आगे जो भी फैसला होगा उससे सब की ज़िन्दगी बदलने वाली थी.

गनीमत से दोनों के परीक्षा हो जाते है और दोनों ही काफी खुश थे की दोनों अच्छे नंबर्स से परीक्षा पास कर जाएंगे और उसके बाद दीपू को दिनेश के साथ उसके बिज़नेस में भी हाथ बटाना था.

परीक्षा ख़तम होने के २ दिन बाद दीपू का जन्मदिन था. घर में सब शान्ति छायी रहती है. जन्मदिन के सुबह ही दीपू के नाना, नानी और बाकी रिश्तेदार उसको फ़ोन कर के जन्मदिन की बधाई देते है और उन सब को उनके घर आने को कहते है. वसु कहती है की वो लोग जल्दी ही उनसे मिलने आएंगे.

दोफहर को दीपू जब बाहर अपने दोस्तों से मिलने के बाद घर आता है तो उसे एक अच्छा सरप्राइज मिलता है. तीनो घर को अच्छे से सजाते है और दीपू के लिए एक केक का भी इंतज़ाम करते है. दीपू ये देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि उसे इस बारे में थोड़ी भी भनक नहीं थी. घर में हॉल में केक सजा के रखा हुआ था लेकिन उसे कोई दीखता नहीं है. घर आ कर दीपू सब को आवाज़ देता है तो कोई नहीं बाहर आता. फिर थोड़ी देर बाद तीनो एकदम सज धज के जैसे की आज उनकी शादी है वैसे सज कर आते है. दीपू उनको अपनी आँखें फाड़ कर देख रहा होता है. निशा एक सेक्सी सलवार कमीज पहन के आती है जो उसके बदन पे एकदम चिपका हुआ था और उसके ठोस चूचियां और बहार को निकली गांड पूरे उभार में साफ़ दिख रहे थे.

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निशा दीपू के पास आकर धीरे से उसके कान में कहती है की ये उसके लिए सरप्राइज है और उस तरफ देखो जहाँ वसु और दिव्या भी ऐसे ही सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी में सज कर आती है तो दिव्या भी एकदम सज के आती है. तीनो ही एकदम ऊपर से उत्तरी हुई अप्सराएं लग रही थी. दिव्या ऐसे रूप में आएगी ऐसा वसु को पता नहीं था. दिव्या को देख कर वसु उसे पूछती है तो दिव्या कहती है की ये दीपू को उसकी तरफ से जन्मदिन का तोहफा है और वो कहती है की बहुत सोच समझ कर उसने ये फैसला लिया है की वो दीपू से शादी करने को राज़ी है.

वसु: तू सोच समझ कर ही ये फैसला लिया है न?

दिव्या: हाँ… और ये बात बोल कर शर्मा जाती है और अपना मुँह झुका कर धीरे से हस्ती है

इतने में निशा भी उन सब को देख कर कहती है की वो भी उन सब से एक बात कहना चाहती है. सब एक साथ पूछते है की क्या बात है?

तो निशा कहती है की वो दिनेश को चाहने लगी है. दिनेश ने उसे propose किया है और उसने उसका proposal accept कर लिया है और वो उससे शादी करना चाहती है.

उसकी बात सुनकर सब बहुत खुश हो जाते है और वसु उन दोनों को अपने गले लगा लेती है और प्यार से उसके गाल को चूम कर कहती है की वो बहुत खुश है की वो (दिव्या ) उसकी बहु बनने वाली है. तो निशा भी बहुत खुश हो जाती है और उसकी माँ से कहती है की मौसी आपकी कैसे बहु हो सकती है.. वो तो आपकी सौतन बनने वाली है और ऐसा कहके दोनों हस देते है तो दिव्या शर्म से पानी पानी हो जाती है. दीपू ये सब मजे से देख रहा होता है और उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं होता की इतनी सुन्दर और सेक्सी औरत उसकी बीवी बनने वाली है. सब लोग दीपू के केक काटने की तैयारी करते है तो वसु किचन में जाती है कुछ लाने को.. तो दीपू भी उसके पीछे चले जाता है और उसको पीछे से बाहों में भर के.. उसपे नाभि पे हाथ रख कर उसके कुरेदते हुए कान में कहता है की मौसी तुम्हारी बहु नहीं बल्कि उनकी सौतन बनने वाली है. वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है चुप कर.. क्या क्या बातें कर रहा है.

दीपू: वसु को पलटा कर उसकी आँखों में देख कर कहता है की वो सही कह रहा है.

तुम सब लोगों ने मुझे बहुत अच्छा suprise दिया है तो मैं भी आपको एक suprise दूंगा. वसु अपनी आँखें बड़ी करके दीपू के तरफ देखती है तो उसको दीपू की आँखों में चमक दिखती है

इतने में किसी के आने की आवाज़ आती है तो दोनों अलग हो जाते है और फिर सब हॉल में आकर अच्छे से केक को सजा कर दीपू को केक काटने को कहते है.

दीपू निशा से कहता है: क्या तुम दोनों को भी मेरी बीवी के रूप में अपनाओगे? मैं जानता हूँ की माँ भी एक आदमी के लिए तरसती है और वो वसु की तरफ देख कर आँख मारते हुए कहता है की उसने कई बार अपनी माँ को खुद को ऊँगली करते हुए देखा है.

ये बात सुन कर निशा कहती है: तू भी?

दीपू: तू भी का क्या मतलब है?

निशा: मैंने भी माँ को देखा है.

दीपू: क्या देखा है?

निशा: वही जो तू कह रहा है. मैंने भी माँ को कई बार... और ऐसा कहते हुए रुक जाती है और वो अनकही बात सब समझ जाते है.

जब निशा ये बात बोलती है तो वसु का चेहरा और गाल सब शर्म के मारे एकदम लाल हो जाते है और अपनी आँखें नीचे कर लेती है.

दिव्या: वाह भाई इतना सब हो गया है और मुझे किसीने बताया भी नहीं?

दीपू: ये बात किसी को नहीं पता.. मैंने तो चुपके से माँ को देखा था. बोलो मेरी बात मंजूर है?

निशा हाँ में सर हिला देते है और कहते है की इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है? लेकिन क्या मम्मी पापा (उसका मतलब नाना, नानी से था ) मान जाएंगे इसके लिए?

दीपू: तुम उसकी चिंता मत करो. मुझे पता है माँ सब संभल लेगी और उनकी हाज़िर में ही मैं इन दोनो से शादी करूंगा. दोनों वसु की तरफ देखते है तो वो अपना सर झुकाये खड़ी रहती है.

निशा:अब बहुत हो गया.. जल्दी से केक काट भाई..बहुत भूक लगी है. आज तो तेरे लिए माँ ने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया है तो जल्दी करो.

वसु: मैं ही नहीं छोटी ने भी मेरी मदत की है खाना बनाने में.

निशा: हाँ बात भी सही है. अपने होने वाले पति के लिए इतना तो बनता है ना.. और ऐसा कहते हुए निशा दिव्या को देख कर आँख मार देती है.

दीपू केक काटता है तो वसु एक केक का टुकड़ा लेकर उसको खिलाने लगती है तो दीपू मना कर देता है.

वसु उसको पूछती है क्यों तो दीपू एक शरारत भरे अंदाज़ में कहता है

दीपू: आपको याद है मैंने क्या कहा था जब हम खंडहर से आ रहे थे और एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. वसु उस दिन के हुए बातों को याद करती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीपू कहता है मैंने उस दिन जो कहा था आज वही होगा.

निशा: क्या कहा था?

दीपू वसु से कहता है की ये केक का टुकड़ा आप मुझे अपने मुँह से खिलाओगे. जब वसु को ये बात समझ में आती है तो वो मना करती है लेकिन दीपू नहीं मानता और आखिर में वसु वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेकर आगे बढ़ती हैं और अपने मुँह का टुकड़ा दीपू को खिलाती है तो दीपू भी वो टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

वसु: लो खा लिया ना.. अब मुझे छोड़.

दीपू: अभी कहाँ खाया है? देखो आपके होंठ पे अभी भी टुकड़ा है और ऐसा कहते हुए दीपू फिर से अपने होंठ आगे करते हुए वसु के होंठ पे रख के इस बार चूमते हुए वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

ज़ाहिर सी बात है की जब दोनों के होंठ मिलते है तो दीपू वो केक के टुकड़े को खा कर अपनी जुबां फिर से वसु के मुँह में डालता है और वो एक किस में बदल जाता है. किस पहले धीरे होता लेकिन दीपू को पता था तो वो अपनी पूरी जुबां वसु के मुँह में डालता है और देखते ही देखते किस एकदम गहरा और प्रगड़ हो जाता है.

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निशा और दिव्या दोनों मजे से देखते रहते है और उन दोनों को देख कर इनकी भी सांसें भारी हो जाती है और दोनों भी बहुत उत्तेजित हो जाते है और उन्हें पता भी नहीं चलता की उनकी चूत से पानी निकलना शुरू हो जाता है.

दीपू और वसु जब किस कर रहे होते तो वसु की मस्त चूचियां दीपू के सीने में दब जाती है और उत्तेजना के मारे उसके निप्पल भी एकदम तन जाते है और एकदम कड़क और नुकीले हो जाते है जो दीपू के छाती पे चुब्ते हुए दीपू को समझ आता है.

किस करते वक़्त दीपू अपना हाथ वसु के पीछे ले जाकर उसकी गांड को ज़ोर से दबाता है तो वसु की सिसकी उसके मुँह में ही रह जाती है. ५ मं के लम्बे किस के बाद दोनों अलग होते है तो दीपू कहता है.. अब केक कुछ मीठा लग रहा है.

जब दीपू ऐसा कहता है तो वो देखता है की केक का कुछ हिस्सा वसु के मुँह से गिर कर उसके सीने में पड़ा रहता है तो वसु उसे निकालने की कोशिश करती है तो दीपू मना करता है और कहता है की वो निकालेगा. दीपू झुक कर वसु की साडी का पल्लू निकल कर वो केक का टुकड़ा जो उसके ब्लाउज पे पड़ा हुआ था उसे अपनी जुबां से चाटता हुआ साफ़ करता है और ऐसा करते वक़्त वो उसकी निप्पल को भी चूम लेता है और धीरे से काटता है क्यूंकि वो बहुत नुकीले लग रहे थे. वसु का दिल अब बहुत ज़ोर से धड़कता रहता है और हलके दिखावे गुस्से से दीपू को अलग कर देती है.

वसु: और कितना केक खायेगा? बाकी दोनों भी तो है. उन्हें भी तो तुझे केक खिलाना है.

दीपू फिर से वसु को अपनी बाहों में लेकर इस बार प्यार से उसके होंठ चूमते हुए अलग कर देता है.

अब निशा की बारी थी तो निशा पहले से ही उन दोनों को देख कर एकदम गरम हो गयी थी और वो भी इस बार बिना दीपू एक बताये अपने हाथ में ले कर दीपू को खिलाती है. दीपू भी मजे से निशा के हाथ से केक खा लेता है और फिर निशा उसके माथे को चूम कर जन्मदिन की बधाई देती है.

जब आखिर में दिव्या की बारी आती है तो दिव्या एकदम शर्मा जाती है.

दिव्या (उन दोनों को देख कर पहले ही गरमा गयी थी और उसके पैंटी भी पूरी तरह से गीली हो गयी थी )भी वैसे ही करती है तो इस बार दीपू उसको चूमते वक़्त उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा देता है. ये देख कर दोनों (वसु और निशा) एक गहरी सास लेते है तो दिव्या भी गरम हो जाती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीप कहता है की ये तो कुछ भी नहीं है और सब को आँख मार देता है तुमने मुझे मेरे जन्मदिन पे गिफ्ट दिया था तो ये मेरे तरफ से तुम्हारे गिफ्ट को स्वीकारना है.

दिव्या भी बाकी दोनों की तरह दीपू को अपने मुँह से केक खिलाती है तो दीपू भी केक खाने के बहाने उसकी जुबां को पूरी चूस लेता है और दोनों भी एक गहरे किस में डूब जाते है.

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दीपू दिव्या को किस करते हुए एक हात से चूची दबाता है तो वो दुसरे हाथ से केक का एक टुकड़ा लेकर उसके पेट और कमर पे मलता है. दीपू जान भूझ कर अनजान बनते हुए कहता है की केक तुम्हारे पेट पे लग गया है. दिव्या को पता था की क्या होने वाला है तो वो कहती है की वो साफ़ कर लेगी लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. दीपू अपने घुटनों पे बैठते हुए दिव्या की साडी को कमर से निकालता है और फिर से अपनी जुबां से चाटता है और ऐसे ही चाटते हुए उसकी गहरी नाभि को भी चूम कर चाटता है और अपनी जुबां उसकी गहरी नाभि में दाल कर चूमते हुए धीरे से काटता भी है.

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दिव्या की सांसें बहुत गहरी हो जाती है और आहें भरते हुए उसका पेट अपनी नाभि पे दबा देती है और उत्तेजना में कहती है की वो क्या कर रहा है.

दीपू: मैं तो केक खा रहा हूँ और आपकी पेट पे जो टुकड़ा पड़ा हुआ है उसे साफ़ कर रहा हूँ और ऐसा कहते हुए हस देता है और पूरी तरह से उसकी नाभि को चाट कर पेट एकदम साफ़ कर देता है.

दीपू को वहां नाभि के पास एक तिल दीखता है जो उसे और सेक्सी बना रहा था तो वो दिव्या से कहता है की वहां उसका तिल उसे और भी सेक्सी बना रहा है और फिर से उसे वहां चूम लेता है.

दीपू को ऐसा करते हुए देख दोनों वसु और निशा की चूतें भी गीली हो जाती है और पानी रिसने लगती है.

फिर सब अच्छे से साफ़ कर के सब लोग एक दुसरे को केक खिलाते है और फिर खाना खा कर अपने कमरे में दोपहर को सोने चले जाते है.

जाने से पहले दीपू कहता है की शाम को दिनेश और उसकी माँ घर आने वाले है क्यूंकि उसने उन दोनों को बुलाया है. उसे उस वक़्त ये पता नहीं था निशा और दिनेश के बारे में. उसने अपने जन्मदिन पर उन्हें बुलाया था.

वसु: अच्छा किया जो तूने उन्हें बुलाया है. निशा के बारे में भी बात कर लेते है.

कमरे में सोते वक़्त वसु दिव्या से पूछती है की वो खुश है क्या.. आज जो भी हुआ.

दिव्या: शायद हाँ… मुझे भी अभी अपनी ज़िन्दगी में आदमी की कमी महसूस होती है. दीपू को मैंने ऐसे ही हाँ नहीं किया.. वो तेरा बेटा ज़रूर है लेकिन उसमें मैं अच्छे लड़के की छवि देखती हूँ. मैंने देखा है की दीपू भी हम सब को बहुत प्यार करता है. मैं बहुत दिनों से दीपू को देख रही हूँ और इतना तो मैं कह ही सकती हूँ की वो मेरे लिए और मैं उसके लिए ही बने है. … लेकिन पता नहीं कैसे ये सब होगा. तो दिव्या वसु की और पलट कर कहती है दीपू सब देख लेगा लेकिन पहले तुम्हे माँ बाबूजी को बताना है.

वसु: हाँ इस बारे में उनसे जल्दी ही बात करती हूँ. तुम्हारे खातिर उन्हें मानना ही होगा और ऐसा कहते हुए हस देती है. तो दिव्या कहती है की अगर वो लोग मान गए तो मैं तुम्हारी बहु नहीं बल्कि हम दोनों सौतन हो जाएंगे और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु के होंठ चूम लेती है.

वसु: ऐसा मत कर.. पहले ही मैं बहुत गीली हूँ और तू मुझे और उकसा रही है.

दिव्या: मेरा भी यही हाल है और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच रख देती है और साडी पेहेन्ने के बावजूद वसु का हाथ गीला हो जाता है.

दिव्या: देख रही है मैं भी उतनी ही गीली हूँ जितना तुम. अब तक मैंने दो बार अपनी पैंटी बदली है लेकिन ये साला पानी निकलते ही रह रहा है.

वसु: मेरा भी कुछ ऐसे ही हाल है और दोनों फिर एक दुसरे को ऐसे ही ऊँगली करते हुए नींद में चले जाते है.

शाम को दिनेश और उसकी माँ रितु उनके घर आते है तो उन दोनों को देख कर सब खुश हो जाते है और फिर दोनों दीपू को जन्मदिन की बधाई देते है. दिनेश डीपू को गले लगा कर उसको कहता है जन्मदिन मुबारक हो यारा. दीपू भी एकदम बहुत खुश हो जाता है. फिर सब चाय पीने लग जाते है तो दिनेश रितु की तरफ देख कर इशारा करता है. रितु भी समझ जाती है और फिर अपने गले तो थोड़ा ठीक कर के वसु से कहती hai..

रितु: बहनजी, मुझे आपसे एक बात करनी है अगर आपकी इज़ाज़त हो तो.

वसु: अरे, इसमें मेरी इज़ाज़त की क्या बात है? जो बात कहना है कह दीजिये क्यूंकि वसु को मालूम था की रितु क्या बात कहते वाली है.

रितु थोड़ा संभल कर कहती है की उसका बेटा दिनेश उसकी बेटी निशा से बहुत प्यार करता है और वो निशा का हाथ अपने दिनेश के लिए मांगने आयी है और वो निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है.

वसु: ये तो एकदम अच्छी बात है बहनजी. वैसे मुझे निशा ने इस बारे में बताया था और हम ही इस बारे में आपसे बात करना चाहते थे.

इस बात पर दोनों दिनेश और निशा शर्मा जाते है और दोनों अपनी आँखें नीचे कर लेते है.

वसु: यह तो बहुत ख़ुशी की बात है और वो दिव्या से कहती है की मिठाई लाये तो दिव्या किचन से मिठाई लाती है तो वसु रितु को मिठाई देती है और वैसे ही रितु भी वसु के साथ करती है तो दोनों एक दुसरे के गले मिलते है. गले मिलने पर दोनों की मस्त ठोस चूचियां एक दुसरे से टकराते है जिसे दोनों महसूस करते है. दोनों एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है लेकिन कुछ नहीं कहते. रितु का तो वसु को पता नहीं था लेकिन आज सुबह हुए घटनाओं से वसु की चूत अभी भी गीली ही थी और उत्तेजना में थी लेकिन अपने आप को ज़ाहिर नहीं करती.

इन दोनों को पता नहीं था लेकिन दिनेश की तेज़ नज़रें दोनों को देख लेती है (वो एकदम होशियार और तेज़ दिमाग का लड़का था) और कुछ सोचने लगता है लेकिन कुछ नहीं कहता.

वसु: हम मेरे माँ पापा के घर जल्दी ही जा रहे है और वहां इन दोनों के बारे में पूछ कर आपको बताती हूँ.

रितु: जी ये तो अच्छी बात है.

वसु: वैसे आपके घर में और कौन कौन है?

रितु: ज़्यादा कोई नहीं है. इसके पिता तो बहुत पहले ही चल बसे है, मेरे सास, ससुर, माँ, बाप कोई नहीं है और मैं बिज़नेस को संभाल रही हूँ. मैं चाहती हूँ की दिनेश और दीपू जल्दी ही बिज़नेस को संभाले तो मैं थोड़ा आराम कर लून.

वसु: अच्छा कहा आपने.. मेरा मतलब है की अब दिनेश भी काम करने लायक हो गया है और दीपू भी उसकी मदत करेगा और आपको आराम करना चाहिए.

जैसे मैंने कहा हम कुछ दिनों में मेरे घर जा रहे है तो उनसे बात करके इन दोनों की शादी का तारिक फिक्स करवाती हूँ.

रितु: ये ठीक है. जब भी तारिक और समय फिक्स हो जाए तो बता दीजिये. हम भी अपनी तरफ से काम करना शुरू कर देंगे. और फिर ऐसे ही बातें कर के रितु और दिनेश वसु का बनाया हुआ स्वादिष्ट खाना खा कर अपने घर निकल जाते है और यहाँ पर भी सब भी ख़ुशी से सब लोग अपने आने वाले दिन के बारे में सोचते हुए अपने कमरे में जाकर सो जाते है.

वहीँ रितु के घर में दोनों भी खुश थे और अपने कमरे में सोने चले जाते है. रितु को नींद नहीं आ रही थी तो वो वसु के साथ हुए हादसे को याद कर रही थी की कैसे दोनों की चूचियां एकदम से टकरा गयी लेकिन दोनों को बुरा नहीं लगा. ये सब सोचते हुए ना जाने कब उसका हाथ अपनी साडी के अंदर दाल कर पैंटी को सरका कर अपनी चूत मसलते रहती है

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और मन में बड़बड़ाती है.. ये चूत और आग मुझे सोने नहीं देगी. पता नहीं कब मुझे थोड़ी शान्ति मिलेगी. वहीँ दिनेश को भी लगता है की उसकी माँ भी बहुत तड़प रही है और उसे कुछ करना चाहिए...
Bhut hi badhiya update Bhai
To divya ne bhi dipu se sadi ke liye ha kah diya jisse ab vasu aur divya dono ki sadi dipu se hogi
Aur nisha ki sadhi bhi dinesh se fix ho gayi
Dhekte hai ab aage kya hota hai
 
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prkin

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Disclaimer: This is purely a fictional story based on writers thoughts and imagination and nothing to do with reality. This story is just for entertainment purposes..so, story padhiye aur mazaa lijiye..nothing more nothing less. All the names are fictitious and plucked out of thin air.

ये कहानी एकदम काल्पनिक है और इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है. ये कहानी लेखक की सोच है और इसको इसी उद्देश्य से देखना और लेना है. नाम भी पूरे काल्पनिक है और लेखक के मन में जो नाम याद आये उसे इस कहानी में लिया गया है. ये कहानी सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के लिए है और इसके अलावा और कुछ नहीं. धन्यवाद.
One more thing:

I am a bit busy now a days with my work. So, I can post only 1 update in a week due to my work constraints. Incase my work load reduces, I will try to post more updates..but as of now pls expect 1 update per week. Hope you all understand. Thank you.


Intro and 1st update

ये एक ऐसे लड़के की रंगीन कहानी है जिसपर उपरवाले का आशीर्वाद उनपर बहुत था..

याने लड़का एकदम स्मार्ट, होशियार, एकदम गोरा और हसमुख चेहरा और सब को प्यार से देखने वाला..और सब से बड़ी बात…उसका लंड जो एकदम लम्बा और मोटा था…जो भी (औरत/लड़की) एक बार उसको देख ले..उसपर मर मिट्टी थे…

तो चले..चलते है रोमांस और सेक्स से भरपूर कहानी की और..


पात्र परिचय



बाप - नहीं है

वसुधा - ४२ Yrs (हीरो की माँ)..लेकिन लगती ३५ के आस पास..एकदम अपने आप को मेन्टेन किये हुए है…

Fig : ३४/३०/४०…एकदम कामुक औरत लेकिन एकदम संस्कारी..और अपने बच्चो से बहुत प्यार करती है..

(लोग इसे प्यार से वसु बुलाते है)

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निशा - २३ Yrs (बेटी/हीरो की बेहन) …अपनी माँ पर गयी है..तगड़ा माल..हसमुख चेहरा…और सब से ख़ास बात..उसकी एकदम ठोस और कड़क बूब्स और उठी हुई गांड..जो किसीको भी दीवाना बना दे…और अपने हीरो को भी.. और वो भी अपने भाई पे मरती है …Fig: ३४/३०/४०

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दीपक - २० Yrs…हीरो…अपनी माँ और बेहन को बहुत प्यार करने वाला…स्मार्ट हैंडसम…लंड साइज: 8.5 inch और बहुत मोटा…जो औरतों और लड़कियों को खुश करने में एकदम माहिर है.. घर वाले इसे प्यार से दीपू बुलाते है



दिव्या - ३५ Yrs (हीरो की मौसी) (वसु की छोटी बेहन) …लेकिन लगती ३० के आस पास....रंग थोड़ा सावला है…इसकी कुंडली में थोड़ा दोष है..जिसकी वजह से अब तक इसकी शादी नहीं हुई है और वसुधा के साथ ही रहती है..एकदम कड़क माल…मस्त उभरे हुए चूचे और उठी हुई गांड …अपनी जवानी को लुटाने के लिए तैयार है..लेकिन अब तक कोई उसे लूटने वाला (पति) नहीं मिला..ये भी अपनी बेहन की तरह कामुक है लेकिन अपनी वासना को दबा के राखी हुई है..फिग: ३२/३०/३८

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और भी बहुत पात्र आएंगे स्टोरी में..जिनका जीकर बाद में होगा..



और इन सब में एक ख़ास बात…(जो इनको बाद में पता चलता है)..इन तीनो की कमर पे..नाभि से थोड़ा हटके..इनको सब को एक तिल था …जो उनको बहुत आकर्षक और कामुक बनाता था..


ये कहानी जब शुरू होती है जब वसु १८ साल की थी और पढाई करते वक़्त उसे एक लड़के से प्यार हो गया था…दोनों में सच्चा प्यार था…लेकिन दोनों के घर वालों को ये पसंद नहीं था…तो दोनों ने घर से भाग कर शहर आकर शादी कर ली और अपना घर बसा लिया..वसु के माँ बाप अच्छे पैसे वाले थे. उन्हें लगा था की वो लड़का वसु को बेहला फुसला कर पैसे की वजह से उसे भगा ले गया है.

दोनों में बहुत प्यार था…वक़्त बीत-ता गया और और शादी के तीन साल में ही वसु ने पहले लड़की (निशा) और फिर एक लड़का (दीपू) को जनम दिया …

जब दोनों के घर वालों को पता चला तो फिर भी वो खुश नहीं थे..लेकिन वक़्त के साथ उन्होंने समझौता कर लिया था…और उहने ख़ास कर के वसु के माँ बाप जिन्हे समझ आया की दोनों में सच्चा प्यार था और नाकि पैसों के लिए और उन्हें माफ़ कर दिया था और दोनों को अपना भी लिया था… आखिर में दोनों के माता पिता जो दादा, दादी और नाना, नानी जो बन गए थे.

वसु के सास ससुर उम्र के चलते भगवान के घर चल दिए. उनके जाने से दोनों बहुत दुखी थे लेकिन क्या कर सकते थे. ये तो एक दिन सब के साथ होना ही है.

वसु और उसका परिवार (जिसमें उसके माँ, बाप, भाई, बेहन, भाभी थे …उनका परिचय बाद में दिया जाएगा.) बहुत खुश थे..और अपनी ज़िन्दगी ख़ुशी से जी रहे थे..

Flashback..

दीपू जब जब छोटा था ..तो वो बहुत बीमार पढ़ गया…काफी इलाज भी करवाया था..लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं था..

वसु और उसके पति (पति का नाम नहीं ले रहा हूँ…क्यूंकि उसका इस कहानी में ज़्यादा रोल नहीं है) ने डॉक्टर्स को भी दिखाया और इलाज करवाया लेकिन दीपू की हालत में सुधार नहीं हुआ.. उसकी हालत बहुत ख़राब हो गयी थी और उसके बचने की उम्मीद भी काम नज़र आ रही थी.

वसु के पति को उसके एक दोस्त ने बताया था की शहर से बाहर थोड़ी दूर में एक खंडहर है जहाँ एक ग्यानी बाबा रहते है..लोग उन्हें बहुत मानते है…लोग उन्हें ग्यानी इसीलिए कहते थे की उन्हें सच में बहुत ज्ञान था और हमेशा लोगों का भला ही करते थे ..और कभी कभी लोग ऐसी हालत में उनके पास भी जाते है..

वसु को लगता है की उन्होंने दीपू के इलाज के लिए सब को दिखाया है…कुछ सुधार नहीं हुआ..तो वो वहां पर जाकर उस बाबा को एक बार दिखाने में कोई हर्ज़ नहीं है…क्या पता..शायद वो ही कुछ उपचार बता दे..

वसु का पति अपने काम में बहुत व्यस्त रहता है तो वो वसु को ही उस बाबा के पास जाने को कहता है. तो वसु दीपू को लेकर उस खंडहर जाती है जहाँ बाबा अपनी आँख बंद कर के ध्यान में रहते है. वसु उनको देख कर प्रणाम करती है और फिर जब बाबा उनको देखते है और वहां आने का कारण पूछते है. वसु उसे बताती है की उसका बेटा बहुत बीमार है और उन्होंने डॉक्टर्स को भी दिखाया है लेकिन फिर भी वो ठीक नहीं हो रहा है.

बाबा दीपू को अपनी गोद में लेकर उसे देखता है तो उसकी आँखों में एक चमक दिखती है जो उसने बहुत काम लोगों में देखा था. बाबा उसकी ओर देखते हुए कुछ मंत्र पढता है और फिर कुछ जड़ी बूटी देते है और कहता है की ये जड़ी बूटी उसे खिला देना.. वो जल्दी ही ठीक हो जाएगा..

बाबा दीपू को वसु को देते वक़्त हस्ते है तो वसु पूछती है की आप क्यों हस रहे हो?

बाबा: अगली बार जब आओगी तो बताऊंगा.. हो सके तो इस बार उसकी कुंडली लाना और ऐसा कहते हुए फिर से वो बाबा अपने ध्यान में लग जाते है.

वसु: हमारे पास तो उसकी कुंडली है नहीं और ना ही बनवाया है…क्यों? कुछ गड़बड़ लग रहा है क्या?

बाबा: नहीं…तो एक काम करो..मुझे इसके जनम का टाइम और डेट दे दो..मैं ही कुंडली बनवाता हूँ..

वसु: एक बात पूछूं?

बाबा: हां पूछो..

वसु: मेरी एक बेटी भी है और मैं चाहती हूँ की आप मेरी बेटी का भी जनम कुंडली बना दो..

वसु बाबा को दोनों का टाइम और तारिक दे देती है और फिर उनसे विदा हो कर जल्दी ही उनसे फिर से मिलने का वादा कर के घर के लिए निकल जाते है..

एक हफ्ते के अंदर बाबा की दी हुई जड़ी बूटियों से दीपू की हालत में सुधार होता है और फिर एक और हफ्ते के अंदर ही दीपू पूरा ठीक हो जाता है.. और वह हर बच्चे की तरह जो इस उम्र में होते है खेलने में और शरारत करने लगता है

वसु और उसके पति दोनों बहुत खुश हो जाते है और वसु कहती है की उन्हें बाबा से मिलना है. .. वसु का पति कहता है की वो काम में व्यस्त है वो आज भी उसके साथ नहीं जा पायेगा तो वो ही खुद दीपू को बाबा के पास ले जाए

वसु बाबा से अकेले ही मिलने जाती है..क्यूंकि उन्होंने कहा था की अगर दीपू ठीक हो जाएगा तो वो उनसे ज़रूर मिलने आएंगे..

वसु फिर से खँडहर जाती है तो देखती है की बाबा अपनी आँखें बंद कर के अपने ध्यान में एकदम मगन है. जब उनकी आँखें खुलती है तो सामने वसु को पाते है तो फिर से उनके चेहरे पे हसी आ जाती है.

वसु: बाबा जब मैं पिछली बार आयी थी तो आप तब भी हसे थे और आज मुझे देख कर फिर से हस रहे हो. कुछ गड़बड़ है क्या?

बाबा: नहीं ऐसा कुछ नहीं है

वसु फिर उन्हें दीपू के बारे में बताती है और उनका बहुत धन्यवाद करते है की उन्होंने दीपू को ठीक कर दिया है..

बाबा दोनों को आशीर्वाद देते है और फिर कहते है.. जब से तुम यहाँ से गयी हो तो मैंने दोनों की कुंडली बनायी है और तब से तुम्हारे लड़के के बारे में ही सोच रहा हूँ.

वसु: ऐसा क्यों? कुछ बात है क्या जो आप इसपर इतना ध्यान दे रहे हो और सोच रहे हो?

बाबा: मेरे पास बहुत लोग आते है लेकिन इसके चेहरे पे जो आकर्षक है वो आज तक मैंने किसी में नहीं देखा.

वसु: उनको प्रणाम करके ऐसा क्या है उसके चेहरे पे?? कुछ गलत है क्या? क्या लिखा है उसकी कुंडली में?

बाबा : तुम बहुत भाग्यशाली हो …तुम्हारा लड़का आगे जा कर बहुत होनहार होगा …..लोगों के काम आएगा…और लोग भी उसकी बहुत मदत करेंगे..

बाबा: लेकिन…

End of Flashback..

Very nice Start.
 

prkin

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बाबा : तुम बहुत भाग्यशाली हो …तुम्हारा लड़का आगे जा कर बहुत होनहार होगा …..लोगों के काम आएगा…और लोग भी उसकी बहुत मदत करेंगे..

बाबा: लेकिन…

अब आगे...

वसु: क्या??

बाबा: इसके ज़िन्दगी में बहुत सी लडकियां और औरतें आएँगी…

वसु: मतलब?

बाबा: तुम्हारे बालक तो प्रेम के पुजारी है

वसु: मैं समझी नहीं

बाबा: याद है जब तुम पिछली बार आयी थी तो मैंने तुम्हारे बेटे को गोद में लिया था और कुछ मंत्र भी पढ़े थे.

वसु: हाँ.

बाबा: उस वक़्त मैंने तुम्हारे बालक के हाथ की लकीर भी देखी थी. अभी तुम्हारा बालक छोटा है और लकीरें अभी बन रही है और आगे जाकर ये लकीरें और भी अच्छे रूप में आएगी. उसका “शुक्र पर्वत” भी बहुत अच्छा है.

वसु: ये “शुक्र पर्वत” क्या है?

बाबा: यह शब्द हस्तरेखा विज्ञान में इस्तेमाल होता है और हथेली में अंगूठे के नीचे के उभार को दर्शाता है जो प्रेम सौंदर्य और कला जैसे गुणों का प्रतीक माना जाता है. बाबा ऐसा कहते हुए वसु का हाथ पकड़ कर उसे वो जगह दिखाता है जिसे शुक्र पर्वत कहते है.

दुनिया में ऐसे बहुत लोग होंगे जिसका शुक्र पर्वत और हाथ की लकीरें अच्छी होगी... इसमें कोई शक नहीं है... लेकिन लेकिन तुम्हारा बालक सब से अलग है.

तुम्हारे बालक को ना चाहते हुए भी बहुत लोगों से प्यार होगा और शायद तुमसे भी..और बहुत सारे लोग भी तुम्हारे बालक के प्यार में पागल हो जाएंगे और इस पर मर मिटेंगे..पहले तो तुम्हे आश्चर्य होगा..लेकिन बाद में तुम खुद ही इस बात को मान लोगी की जो भी हो रहा है..अच्छे ले लिए ही हो रहा है.. क्यूंकि तुम सब लोगों के चेहरे पे जो ख़ुशी देखोगी उससे तुम्हे बहुत गर्व होगा क्यूंकि तुम्हे ये पता होगा की उनके चेहरे पे ख़ुशी तुम्हारे लड़की की वजह से हुई है और ये भी है की तुम्हारा लड़के की ज़िन्दगी में तुम्हारे घर वालों के साथ ही शादी होगी.. एक नहीं लेकिन बहुत लड़कियां उसकी बीवी बनेगी.

बाबा: एक और बात.. तुम्हारा लड़का बहुत बच्चों का बाप बनेगा और सब की ज़िन्दगी में ढेर सारी खुशियां लाएगा.

वसु: मैं कुछ समझी नहीं..

वसु: ये कैसे हो सकता है? ये तो समाज के खिलाफ है.. दुनिया वाले क्या कहेंगे की इसने घर के लोगों से ही शादी कर ली है?

बाबा: मैं जानता हूँ की ये शायद समाज के नियमो के खिलाफ है लेकिन वक़्त, ज़रूरतें और प्यार का ऐसा मेल आएगा की तुम्हारा बालक घर के लोगों से ही शादी करेगा

बाबा: अभी तुम्हे समझ में नहीं आएगा…वक़्त के साथ साथ तुम सब समझ जाओगी..

बाबा: एक और बात..

वसु: क्या?

बाबा: इसके ज़िन्दगी में जितनी भी लडकियां आएगी…काफी लोगों के कमर में एक तिल होगा…ऐसा मुझे लगता है…अब मुझे ये तो पता नहीं की ऐसे कौन लोग है..लेकिन ऐसा हो सकता है…

वसु: क्या सच में?

बाबा: हाँ..

वसु: और मेरी बेटी का कुछ बता सकते हो क्या?

बाबा: तुम्हारी बेटी भी तुम्हारी तरह ही है…रंग, रूप और काम में…लेकिन वो भी तुम्हारी तरह अपने परिवार के लोगों को बहुत प्यार करेगी और इसकी ज़िन्दगी भी खुशाली से ही रहेगी…हाँ…ये तो कहने की ज़रुरत नहीं है इसके जीवन में कुछ उतार चढ़ाव आएगी.. जैसे हर किसीके जीवन में आता है..लेकिन जल्दी ही उनसे उभर के भी आ जायेगी..

वसु बाबा की बात सुनकर एकदम खुश हो जाती है (ख़ास कर के निशा के बारे में.) क्यूंकि उसकी भी उम्र हो रही थी और उसका शादी भी करना था...(उसे और सब को ये पता नहीं था की निशा के मन में क्या है और वो क्या कहने वाली है) और उन्हें प्रणाम कर के उनसे विदा ले लेते है और अपने घर की और निकल जाती है..

घर आने के बाद वसु का पति वसु से पूछता है तो वसु कहती है की बाबा ने बताया है की तुम्हारा लड़का बहुत होशियार और होनहार होगा आगे जा कर लेकिन दीपू के शादी की बात नहीं बताती..

उनकी ज़िन्दगी काफी अच्छी चल रही थी. .. वसु अपने बेटों को बहुत प्यार करती है. और उसका पति भी वसु और बच्चों की बहुत अच्छी देखभाल करता है और रात को रोज़ वसु को चुदाई का मजा भी देता है.

दीपू और निशा जब दोनों जवानी के देहलीज़ पे कदम रखते है तो एक दिन अचानक से उनके बाप को दिल का दौरा पढ़ जाता है और उसे हॉस्पिटल में भर्ती कर देते है.. वसु की हालत बहुत ख़राब हो जाती है.. और रो रो कर उसका हाल बुरा हो जाता है ..डॉक्टर्स भी कहते है की हार्ट अटैक बहुत तेज़ हुआ है और उनके बचने का कोई चांस नहीं है.

दीपू के पापा को जब लगता है की उसके बचने का कोई चांस नहीं है तो वो तीनो को अपने पास बुलाता है

दीपू का हाथ पकड़ कर कहता है : बेटा लगता है मेरे जाने का वक़्त आ गया है.. मेरे जाने के बाद तुम अपनी माँ और बेहन का अच्छे से ख़याल रखना. तुम्हारी माँ बहुत दुःख झेली है . तुम्हारे दादा, दादी, नाना और नानी के खिलाफ हमने शादी की थी.

मैंने भी बहुत दुनिया देखीं है...कहने वाले हमेशा से कहते रहेंगे.. और ताने मारते रहेंगे लेकिन तुम उनकी चिंता मत करो और याद रखना मुश्किल समय में तुम्हे अपने ही काम आने वाले है ना की ये समाज..

दीपू कहता है … आप चिंता मत करो पिताजी. .. माँ और निशा को मैं अच्छे से देखभाल करूंगा और उन्हें कोई दुःख नहीं दूंगा.. आप को कुछ नहीं होगा. बस जल्दी से ठीक हो कर घर आ जाईये. हम सब आपका इंतज़ार कर रहे है घर आने के लिए.

वसु से: तुम भी अपने दोनों बच्चों को बहुत प्यार देना. .. हम दोनों की प्रेम की निशानी है

वसु ये सब बातें सुनकर बहुत रो रही थी.. वसु भी अपने पति से कहती है की उन दोनों को बहुत प्यार देगी और एक अच्छा इंसान बनाएगी

फिर कुछ देर बाद वसु अपने बच्चों को बाहर भेज देती है और उसके पति के पास आती है और थोड़ा असमँझ में रहती है.

उसका पति धीरे से उससे पूछता है की क्या हुआ है.. ऐसे क्यों खड़ी हो?

वसु कुछ सोचती है और फिर धीरे से उसे कहती है....मैं तुम्हे एक बात बताया नहीं है.

क्या?

वसु: तुम्हे पता है ना की मैं बाबा के पास गयी थी और बाबा से मैंने दीपू की कुंडली के बारे में पुछा था

हाँ

वसु: मैंने तुम्हे पूरी बात नहीं बतायी. ..

क्या नहीं बताया?

वसु: यही की बाबा ने दीपू के बारे में और भी कुछ बताया था. ..

क्या बताया था ..

वसु: हम बहुत भाग्यशाली है की दीपू आगे जा कर एक होनहार लड़का होगा और वो सब बातें जो बाबा ने वसु से कहा था वो उसके पति को बताती है.

वसु का पति उसकी पूरी बात सुनकर थोड़ा आश्चार्य हो जाता है लेकिन फिर से कहता है की अच्छी बात है. .. शायद अब मैं ज़्यादा दिन ना रहूँ लकिन दीपू तुम्हे और निशा की अच्छी देखभाल करेगा. .. मुझे इससे ज़्यादा और क्या चाहिए?

वैसे भी उसमें तुम्हारे ही गुण है.

वसु: मतलब?

धीरे से वसु को अपने पास बुला के: वो तुम्हारी तरह एकदम सुन्दर होगा जैसे पुजारी ने बताया था…तुम बिस्तर में जितनी जंगली बनती हो और मुझे तो पूरा थका देती हो, शायद तुम्हारा बेटा भी वैसे ही हो.. और हस देता है.

वसु: चुप रहो तुम.. ये भी कोई समय है ऐसी बातें करने का..

मुझे पूरा विश्वास है की तुम जितनी अच्छी हो हमारे बच्चे भी उतने ही अच्छे होंगे और तुम्हारी देखभाल करेंगे ख़ास कर के दीपू. तुम उसकी चिंता मत करो और अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनने में मदत करो. मुझे और कुछ नहीं चाहिए.

वसु ये सब सुनते हुए उसकी आँखों में आंसू आ जाते है और उसके पति को अच्छे से गले लगा लेती है. इतने में डॉक्टर आ जाता है और कहता है की और ज़्यादा बात करना उनके सेहत के लिए अच्छा नहीं है और वसु को बाहर भेज देता है.

अगले दो दिन में उसकी हालत में कोई सुधार नहीं होता और फिर और तीसरे दिन उसकी मौत हो जाती है.

वसु को बहुत ज़ोर का झटका लगता है..उसके पती की मौत की खबर सुन कर उसके घर वाले भी उनसे मिलने आतें है. .. नाना, नानी, मामा, मामी ,चाचा, चाची और सभी बहुत दुःख भी थे. ..

(इन सब characters kaa introduction बाद में समय आने पर दूंगा)

घर में दुःख छा जाता और वसु की हालत बहुत ख़राब हो जाती है. .. लेकिन उसे सब धैर्य देते है और उसे संभालते है

कुछ दिनों बाद घर के सब कार्य करने के बाद सब लोग वापस अपने घर चले जाते है. .. जाते वक़्त वसु के माता पिता वसु की छोटी बेहन दिव्या को उसके पास रहने को कहते है. .. वसु मना करती है लेकिन वो मानते नहीं है और कहते है की दिव्या उसके साथ ही रहेगी और उसके बच्चों को भी देखभाल में उसकी मदत करेगी.

वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

आगे देखते है क्या होता है….


Ab dekhna hai Divya Kya kya Karti hai
 

prkin

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वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

अब आगे ….


वक़्त गुज़रता है. .. वसु जिसकी उम्र अभी ३५ + थी. .. अपने जवानी के आग में जलती रहती है. .. क्यूंकि वो अपने जवानी के शिकार पे थी और उसकी आग बुझाने के लिए उसका पती नहीं था. लेकिन वो अपनी जवानी को बरकारार रखती है और अपने आपको अच्छे से संभालती है. .. मोटी नहीं लेकिन एकदम गदराया हुआ बदन..बच्चे भी बड़े होने लगते है और वो भी होनहार साबित होते है. वसु की बेटी निशा भी एकदम अपनी माँ पर जाती है और वो भी एकदम सुन्दर और अच्छे बदन की मालिक बन जाती है. उसका बेटा दीपू भी बहुत स्मार्ट और हैंडसम नज़र आता है. ..

वक़्त के साथ साथ अब दोनों कॉलेज जाने लगते है अपनी पढाई के लिए (दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ने जाते है) .. और साथ ही घर का माहौल भी थोड़ा बदल जाता है और सब एक दुसरे के साथ थोड़ा फ्री और प्यार से रहते है.

दोनों पढाई में बहुत अच्छे थे, होशियार थे और हर बार अव्वल नंबर से पास होते थे.

घर में सभी में हसीं मजाक भी चलता है और कभी कभी एक दुसरे को प्यार से छेड़ते भी है.

देखते देखते दिव्या भी अब उस घर में सब से खुल कर रहने लगती है और उसका बदन भी गदरा जाता है. वो भी एक मस्त माल के रूप में निखार जाती है.

दीपू कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में रहता है और उनकी सांगत में रहते हुए उसे भी अब चुदाई का ज्ञान आ जाता है. .... दोस्तों से लड़कियों के बारे में बातें करना.. कभी कभी दोस्तों के घर जाकर उनके साथ मौज मस्ती करना और ब्लू फिल्म्स भी देखना जो हर लड़का उस उम्र में करता है.. दीपू भी वही सब करता है लेकिन वो हमेशा अपने limit में रहता है.

वो हैंडसम था तो उस पर कॉलेज की कई लडकियां भी लाइन मारती है लेकिन फिलहाल वो उनपर ज़्यादा ध्यान नहीं देता.. इसी प्रकार से निशा भी खूबसूरत थी तों उसपर भी कॉलेज के काफी लड़के उसपे मरते है लेकिन वो किसी को घास नहीं देती..

एक दिन कॉलेज में कुछ लड़के निशा को ताड़ते हुए गंदे सा कमैंट्स करते है और उससे छेड़खानी करने लगता है. दीपू और उसका एक अच्छा दोस्त देखते है और उन्हें कहते है की वो निशा से दूर ही रहे. .. उन्ही में उनकी भलाई है. एक लड़का कुछ ऐसे ही गंदे कमैंट्स फिर से करता है तो दीपू को बहुत गुस्सा आता है और उसे पकड़ कर 2-4 मुक्के मार के उसकी हालत ख़राब कर देता है. ये सब निशा के सामने ही होता है.

दोनों फिर कॉलेज से घर आ जाते है और दोनों भी नार्मल तरीके से ही घर में रहता है

Btw, वसु का पति अच्छे से मेहनत कर के १ बडा घर लिया था. .. सभी उसी में रहते है. एक कमरे में वसु और दिव्या और दोनों भाई बेहन अलग कमरे में रहते थे.

रात को निशा सोते वक़्त आज की घटनाओं के बारे में सोचती है. उसे अब धीरे से दीपू के दोस्त के ऊपर ध्यान देती है. वो भी निशा को भाने लगता है. वो भी दीपू की तरह एकदम गोरा अच्छे कद काठी का लड़का था और वो भी दीपू की तरह एकदम स्मार्ट और हैंडसम… नीली आँखे. .. एकदम फुर्तीला बदन और एकदम आकर्षक चेहरा.

दीपू के दोस्त का नाम दिनेश है. उसके परिवार का परिचय बाद में होगा.

निशा भी दिनेश को याद कर के थोड़ा चहल उठती है और वो ना चाहते हुए भी अपना हाथ पाजामे में दाल कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगती है और बड़बड़ाती है

दो मिनट बाद जब निशा अपना हाथ निकलती है तो देखती है की उसका हाथ उसके चूत रस से एकदम भीगा हुआ है.. अपना हाथ अपने नाक के पास लाकर सूंघते हुए शर्मा जाती है.. और ऐसे ही ख्यालों में रहते हुए सो जाती है

वहीँ दीपू अपने कमरे में बेखबर हुए अपने पढाई के बारे में सोच कर सो जाता है.

ऐसे ही एक दिन दोनों नाश्ता कर रहे थे तो दीपू निशा को छेड़ता है और चिढ़ाता है तो निशा अपने मौसी ( दिव्या) से कहती है..

देखो ना मौसी कैसे दीपू मुझे चिढ़ा रहा है आप कुछ कहती क्यों नहीं

दिव्या: बेटा मैं क्यों उसे कुछ कहूँ. .. तुम्हे लगता है की वो तुम्हे चिढ़ा रहा है लेकिन मैं तो ये देख रही हूँ की तुम दोनों एक दुसरे को कितना प्यार करते हो

उसकी छेड़खानी में भी प्यार झलक रहा है और ऐसा कहते हुए दिव्या हस देती है और दोनों को नाश्ता परोस देती है.

नाश्ता करने के बाद दीपू दिव्या को गले लगा लेता है तो दिव्या भी उससे गले लग जाती है. गले लगते वक़्त दिव्या की ठोस चूची दीपू के सीने में दब जाती है और जिसका एहसास दीपू को भी होता है. आज ये पहली बार था जब दीपू को भी एहसास होता है की उकसी मौसी कितनी कड़क माल है. लेकिन दीपू सामान्य रहता है और दिव्या को गले लगाते हुए उसे धन्यवाद देता है की उसने दीपू और निशा की छेड़खानी में प्यार देखा है.

दोनों नास्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाते है

दिव्या वसु से कहती है..वसु मैं कितनी खुश हूँ की तुम लोगों के प्यार ने मुझे मेरे ग़म को भुला दिया है

वसु भी प्यार से दिव्या का गाल सहलाते हुए..तू चिंता क्यों करती है दिव्या.. देखना एक दिन तुझे भी ऐसा पति मिलेगा जो तुम्हे जी जान से प्यार करेगा

वसु थोड़ा पीछे हैट के दिव्या को देखती है और कहती है.. कोई नपुंसक ही होगा जो तुझे देखे और अपना लंड ना हिलाये.. अगर मैं तेरा पति होती तो अब तक तुझे ढेर सारे बच्चों की माँ बना देती और उसे आँख मार देती है.

दिव्या.. छी.. ऐसी भी कोई बातें करता है क्या..तू कब से ऐसी बातें करने लग गयी है.
वसु: क्या करून.. मैं भी तो तेरी तरह ही थोड़ी जल रही हूँ और वैसे भी मैंने क्या गलत कहा है. देख तू इतनी गदरायी हुई है और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की चूचि को पकड़ कर दबा देती है.. जिससे दिव्या के मुँह से आह्हः की सिसक निकलती है

वसु: देखा एक बार चूचि मसली तो तेरी ये हालत है. जब कोई तुझ पर चढ़ेगा तो तेरी क्या हालत होगी. ये बात सुन कर दिव्या शर्मा जाती है और दोनों ही ऐसी कामुक बातें करते हुए अपना समय निकल लेते है..

जवानी के पहली झलक

एक दिन दीपू नहाने के लिए बाथरूम जाता है तो वहां पर एक बाल्टी में कपडे रखे हुए थे. वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता और अपने कपडे निकल कर उस बाल्टी में डाल देता है. तब उसकी नज़र बाल्टी में पड़े एक पैंटी पे नज़र आती है. पैंटी एकदम छोटी और थोड़ा ट्रांसपेरेंट था. ये पहली बार था की उसने कोई पैंटी देखी थी. उस को देख कर एकदम मंत्रमुग्ध हो जाता है और उसे उठाते हुए वो गौर से उसे देखता है. उसे देखते हुए उसके लंड में हलचल होती है और लंड खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते लंड एकदम तन कर पूरे फॉर्म में आ जाता है और पूरा तन जाता है. वो पैंटी को अपनी नाक के पास लाता है और उसे सूंघने लगता है. पैंटी थोड़ी गीली और लसदार लगती है उसे और उसे सूंघते हुए अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मारने लगता है और सोचता है की ये पैंटी किसकी होगी जिसकी मेहक उसे पागल और दीवाना बना रही थी.

ये उसके जीवन में पहली बार था जब वो एक पैंटी को देख कर मूठ मार रहा था. उसे बहुत मजा आता है और करीब २ मिनट में ही झड जाता है (क्यूंकि ये उसका ऐसा पहला मौका था की उसने किसीकी पैंटी देखी थी इसीलिए जल्दी ही झड़ जाता है) और देखता है की वो काफी वीर्य निकलता है और वो वीर्य एकदम गाड़ा था.

उसके चेहरे पे हसीं आती है और वो वीर्य को साफ़ करते हुए नहा कर बाहर आता है. आज वो पहली बार तीनो को देखता है तो उसके देखने का नजरिया बदल जाता है. वो देखता है की तीनो एकदम कड़क माल है ..तीनो की उठी हुई चूचियाँ , गदराया हुआ बदन और सब से एहम बात उनकी उठी हुई गांड.

दीपू अपने ज़ज़्बातों को अपने पे काबू रख कर अपना काम करता है और वो भी कॉलेज के लिए निकल जाता है.

कुछ दिन बाद फिर से कॉलेज में कुछ लड़के निशा से बतमीज़ी करते है तो इस बार दीपू का दोस्त दिनेश उनको चेतावनी देता है और उन्हें छोड़ देता है. निशा ये सब देख कर दिनेश को मन ही मन चाहने लगती है. उसे लगता है की दिनेश उसी के लिए बना है भले ही वो उस के भाई का दोस्त था.

लेकिन उसे अब ये पता नहीं था की दिनेश उसके बारे में क्या सोचता है.

उस दिन रात को खाना खाने के बाद जब वसु और दिव्या सो जाते है तो निशा धीरे से दीपू के कमरे में जाती है तो इस वक़्त अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था.

निशा इस वक़्त एक लूज़ टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर रूम में आती है. दीपू उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है क्यूंकि उस टी शर्ट में उसके मम्मे एकदम साफ़ झलक रहे थे ख़ास कर के उसके निप्पल्स जो एकदम तने हुए थे और वो शॉर्ट्स में उसकी चिकनी जांघें एकदम सेक्सी लग रही थी और उसे देख कर धीरे से सीटी मारते हुए कहता है…

क्या बात है. आज इस कमरे में कैसे आना हुआ? दीपू उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहता है.. क्या बात है? तू तो बहुत सेक्सी लग रही है

निशा दीपू के बात से थोड़ा शर्मा जाती है और दीपू के पास आकर उससे कहती है

निशा: मेरी एक मदत करेगा?

दीपू: तू बोल तो सही.

निशा: थोड़ा हड़बड़ाते हुए.. कहती है की उसे उसके दोस्त दिनेश का नंबर चाहिए

दीपू: क्यों?

निशा: अरे यार एक बार देना... मैं उससे बात करती हूँ. दीपू जब ये बात निशा से सुनता है तो थोड़ा निराश हो जाता है लेकिन वो निराश अपनी चेहरे पे नहीं लाता. .. क्यूंकि निशा को उन कपड़ों में देख कर दीपू का भी मन ललचा जाता है.

दीपू: ठीक है मैं उससे एक बार पूछ कर तुझे देता हूँ. ठीक है?

निशा: हाँ ठीक है.

दीपू: वैसे क्या बात है जो तुझे उसका नंबर चाहिए.. कहीं प्यार व्यार का लफड़ा तो नहीं है?

निशा: तू भी ना... फ़ालतू की बात मत कर. जितना तुझसे मदत मांगी हूँ उतना करना यार. आज तू नहीं था तो कुछ लड़के फिर से मुझे छेड़ रहे थे तो दिनेश ने उन सब को फिर से धमकाया और अपनी हद में उनको रहने को कहा. तो एक बार तो उससे बात करना बनता है ना.

दीपू: ठीक है. निशा फिर उसपर झुक कर उसके गाल पे एक प्यार से चुम्मा देती है और कहती है ये मेरी मदत करने के लिए और वहां से अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

दीपू उसकी मटकती हुई गांड को देख कर आहें भरता है लेकिन कुछ नहीं कर पाता. उसे भी लगता है की वो उसकी बेहन है तो ऐसे ख़याल उसके मन में नहीं आना चाहिए. लेकिन जब उसे वो बाथरूम में पैंटी और मूठ मारने की बात याद आती है तो हस देता है और सोचता है की उसकी मटकती गांड को देख कर ऐसे ख्याल तो आएंगे ही.

अगली सुबह जब दोनों नाश्ता कर रहे होते है तो दीपू निशा से कहता है की वो उसे आज दिनेश का नंबर दे देगा.

इतने में उनकी माँ नाश्ता देकर किचन में जाती है. दीपू अपनी नज़र उठाये वसु को देखता रह जाता है क्यूंकि वो भी अपनी बड़ी गांड मटकाते हुए किचन में चली जाती है. उसके चूतड़ काफी मस्त और भरे थे, जिसकी वजह से काफी थिरकन होती थी। निशा जब ये देखती है तो अपनी कोहनी से दीपू को हल्का सा मारते हुए कहती है..कहाँ देख रहा है तू? दीपू भी अपने आपे से बहार आता है और कुछ नहीं कहते हुए अपना नाश्ता करने लग जाता है.

उस दिन कॉलेज में निशा अपने सहेलियों के साथ गप्पे मार रही थी और तभी वहां दीपू और दिनेश भी आ जाते है लेकिन थोड़ा दूर बैठते है. ये पहली बार था जब दिनेश और निशा की आँख मिलती है.

निशा उसको देख कर Hi बोलती है. दीपू ये सब देख और सुन रहा था.

दिनेश भी Hi बोलता है लेकिन वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता.

दीपू को देख कर निशा की दोस्त धीरे से कहती है की दीपू कितना स्मार्ट और हैंडसम है. अगर वो उसका बॉयफ्रेंड होता तो उसे ले कर कहीं भाग जाती और खूब मस्ती करती.

निशा: सिर्फ मस्ती ही करती? उसकी एक और दोस्त: नहीं रे मस्ती नहीं मैं तो उस पे चढ़ जाती और अपनी जवानी उसपे लुटाती.

निशा:क्यों तूने अब तक कितने से चुदवा लिया है?

दोस्त: नहीं रे मैं तो अब तक कुंवारी हूँ और अपने हाथों से ही काम चला रही हूँ.

उस दिन कॉलेज में और कुछ नहीं होता और रात को खाने के बाद दीपू निशा को इशारा करता है की वो उसके कमरे में आये. निशा है देती है. दिव्या उन्दोनो को धीरे से बात करते हुए देख कर कहती है की क्या खुसुर फुसुर हो रही है दोनों के बीच में. दोनों इस बात को टाल देते है और कहते है की कॉलेज की कुछ बातें कर रहे है.

रात को निशा फिर से दीपू के कमरे में ऐसे ही सेक्सी कपड़ों में आती है तो फिर से दीपू की जान हतेली पे आ जाती है लेकिन वो फिलहाल कुछ नहीं करता.

निशा: हाँ बोल किस लिए बुलाया है.

दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
आगे देखते है उन सब का क्या हाल होने वाला है...

To kya Dinesh pahle hath saf karega ya Deepu jhanda gadhega
 

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दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.

अब आगे...

माँ और बेटे में पनपता प्यार

एक दिन जब सब घर में होते है तो दीपू निशा को चिढ़ाने के बहाने से कहता है

दीपू: तू बहुत मोटी होती जा रही है (जो की सच नहीं था ) ..( वो मोटी नहीं थी लेकिन उसका बदन गदराया हुआ ज़रूर था ).
निशा उसकी इस बात से चिड़ जाती है और दीपू को मारने के लिए बढ़ती है. तभी वहां उनकी मा वसु आ जाती है और उन्हें डाट ते हुए कहती है की क्या बचपना कर रहे हो तुम दोनों. जब निशा उसे मारने आती है तो दीपू देखता है की उसकी चूचियां उसके टी शर्ट में मस्त उछाल रहे है और ये दृश्य उसके लिए बहुत कामुक नज़र आता है. दीपू दौड़ कर वसु के पीच छुप जाता है और अनजाने में अपना हाथ वसु की कमर पे रख देता है और वसु को थोड़ा आगे सरकाता है और पीछे से निशा को चिढ़ाते रहता है. ऐसा करते वक़्त दीपू अनजाने में वसु की कमर पे हाथ ज़ोर से दबाता है तो वसु को चिमटी जैसे लगता है. वसु को इसका एहसास होता है और आह्हः कर के दीपू से कहती है की वो क्या कर रहा है और उसके क्यों चिमटी काट रहा है. दीपू सॉरी कहता है और उसका ध्यान निशा के तरफ कर देता है.
वसु भी प्यार से दोनों को अलग करती है और दोनों को अपने पास बुला कर दोनों को गले लगा लेती है और कहती है तुम दोनों में और घर में ऐसे ही प्यार रहे. दोनों भी वसु को गाला लगा लेते है और दोनों भी वसु के गाल को प्यार से चूम कर ऐसे ही छेड़खानी करते हुए निकल जाते है. उन दोनों को देख कर वसु को भी बहुत ख़ुशी होती है और फिर उसका ध्यान अपनी कमर पे जाता है जहाँ दीपू ने उसे चिमटी काटा था.

वसु अपने कमरे में जाती है क्यूंकि उसके कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था.

वसु: (दीपू के बारे में) ये भी ना..इतना बड़ा हो गया है लेकिन बचपना नहीं गया है. वसु कमरे में आईने के सामने जा कर अपनी साडी को कमर से अलग कर के देखना चाहती है की उसे कहाँ दर्द हो रहा है. अपनी साडी को थोड़ा नीचे कर के अपनी नज़र कमर पे डालती है. वहां पे एक छोटा सा निशान बन जाता है. वो फिर वहां पे झंडू बाम लगा लेती है और अपनी साडी को ठीक करने लगती है. तभी उसे अपनी कमर पे नाभि के पास एक तिल नज़र आता है. वो तिल को देखती रह जाती है और उसे बाबा की बात याद आती है की दीपू के ज़िन्दगी में बहुत लोग आएंगे और उसकी शादी ऐसे लोगों से होगी जिनकी कमर पे तिल की निशानी है.

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वसु इस बात का ध्यान आते ही अपने आप को झंझोर लेती है और उसे लगता है शायद वो एक वेहम है और दीपू उससे कैसे शादी कर सकता है.

वसु जब ये बात सोचती है तो वो अपने आप को फिर से एक बार आईने में देखती है तो पाती है की वो अभी भी बहुत सुन्दर दिखती है. चेहरा एकदम खिला हुआ सा. अपने बदन को देखती है तो पाती है की उसका बदन अभी भी एकदम सुडौल है. मस्त हसमुख चेहरा, भरी हुई चूचियां, एकदम पतली कमर.. उस पर गहरी नाभि और नाभि के बगल में तिल, और एकदम बहार को निकली हुई गांड.. इस रूप में वो एकदम कोई अप्सरा जैसे लगती है ..

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वसु अपने आप को देख कर मुस्कुरा देती है और वहां से चले जाती है.

ऐसे ही एक दिन रात को जब सब खाना खा कार सो जाते है तो करीब १२ बजे दीपू को प्यास लगती है तो वो पानी पीने के लिए किचन में जाता है. पानी पी कार जब वो अपने कमरे में जा रहा होता है तो उसे वसु के कमरे में थोड़ी रौशनी नज़र आती है. दीपू सोचता है की आदी रात को माँ कमरे में क्या कार रही है जो की वहां से रौशनी आ रहा है तो वो चुपके से बिना कोई आवाज़ किये दरवाज़े पे जाता है और धीरे से खोलता है तो दरवाज़ा खुल जाता है. वो माँ को कुछ कहने ही वाला था की अंदर का नज़ारा देख कर उसकी आँखें बड़ी हो जाती है और उसके पाजामे में तम्बू बन जाता है क्यूंकि अंदर का नज़ारा ही कुछ ऐसा था. उसकी माँ वसु अपनी नाइटी को अपनी जाँघों तक उठा कर अपनी पैंटी को सरका कर अपनी चूत में ऊँगली करते हुए धीरे से बड़बड़ाती रहती है.

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वो अपने पति को याद करते हुए एक हाथ से अपनी चूत को ऊँगली करते हुए दुसरे हाथ से अपनी एक चूची दबाती रहती है. वहीँ बगल में उसकी बेहन दिव्या मस्त घोड़े बेच कर सो रही होती है. वसु को पता नहीं चलता और ये पूरा नज़ारा दीपू देख कर एकदम उत्तेजित हो जाता है. वो वहां पर तब तक रहता है जब तक वसु ऊँगली कर के झड़ नहीं जाती.

वसु अपना पानी निकल कर एकदम सुकून पाती है और बडबाति है की ये निगोड़ी चूत भी ठीक से सोने नहीं देती और हर वक़्त लंड चाहती है. कमरे में एकदम सन्नाटा रहने की वजह से दीपू को ये बात सुनाई देती है. वसु उठ कर अपने कमरे में बाथरूम में चली जाती है और दीपू भी दरवाज़ा बंद कर के वो भी दुसरे बाथरूम में जाता है और अपनी माँ को याद करते हुए मूठ मार के वो भी हल्का हो जाता है और फिर वो भी कमरे में आ कर सो जाता है.

अगली सुबह दीपू उठ कर फ्रेश हो कर रात की बात याद करते हुए किचन में जाता है तो वहां वसु सब के लिए चाय बना रही होती है. दीपू वहां दरवाज़े पे खड़े हो कर अपनी माँ को निहारता रहता है. वो अब उसकी माँ को एक माँ नहीं बल्कि एक औरत के रूप में देख रहा था और पाता है की उसकी माँ कितनी गदरायी हुई है. मैक्सी में भी उसके बदन के कटाव एकदम सही में नज़र आते है. ठोस बहार को निकली हुई चूचियां एकदम तने हुए निप्पल बहार को निकली गांड. ये देख कर उसका लंड भी खड़ा हो जाता है और वो जा कर पीछे से अपनी माँ को गले लगा लेता है और उसके गाल और गर्दन पे चुम्मा देते हुए गुड मॉर्निंग कहता है.

वसु को दीपू का खड़ा लंड अपनी गांड पे महसूस होता है लेकिन वो अनजान रहती है.

वसु: क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पे.

दीपू: क्यों प्यार नहीं आएगा क्या? तुमको याद है मैंने पिताजी से क्या कहा था... की मैं तुम सब को प्यार दूँ. उसके पती की बात सुनकर वसु थोड़ा भावुक हो जाती है और पलट कर दीपू को देख कर आंसू निकल जाते है तो दीपू उसकी आँखों में देखते हुए.. क्या हुआ माँ? मैं हूँ ना.... तुम सब की देखभाल करने के लिए और उसके आंसू पोछ कर उसके माथे को प्यार से चूमता है. वसु भी दीपू को गाला लगा कर प्यार से उसे भी चूमती है.

दीपू भी अब मन बना लेता है की वो माँ को खूब प्यार देगा और उसके बाप की कमी नहीं महसूस होने देगा उसको.

दिन ऐसे ही गुज़रते रहते है. दोनों कॉलेज जा कर और घर आ कर अपनी पढाई पे ध्यान देते है और रात को कभी कबार मस्ती भी कर लेते है और वहीँ दीपू भी अपनी माँ को प्यार देते रहता है और जब ही मौका मिलता है तो उसे चूमते भी रहता है. दिव्या भी ये सब देखती रहती है और एक दिन जब दोनों ( दीपू और निशा) कॉलेज जाते है तो दिव्या वसु को छेड़ी है.

घर में Sexy घटनाएं

एक दिन दीपू रोज़ की तरह सुबह नहाने के बाद टॉवल बाँध कर अपने कमरे में बाल बना रहा होता है तो उस वक़्त वसु दीपू को पुकारते हुए उसके कमरे में आती है. दीपू अपनी धुन में बाल बनाते हुए अपनी माँ की आवाज़ सुनता है तो आईने में उसे कमरे में देख कर पलट जाता है (बात करने के लिए). लेकिन ठीक उसी वक़्त दीपू का टॉवल निकल कर गिर जाता है और नंगा हो कर ऐसे ही वसु को देखता है. वसु की नज़र भी ठीक उसी वक़्त उसके झूलते हुए लंड पे जाती है जो नार्मल होने पर भी बहुत मोटा और लम्बा लग रहा था. वो वैसे ही उसके लंड को देख रही होती है और दीपू को जब ये एहसास होता है तो जल्दी से अपना टॉवल उठा कर अपने आप को धक लेता है. वसु भी बिना कुछ कहे वहां से चली जाती है.

उस दिन रात को सोते वक़्त वसु को सुबह का वाक्या को याद करते हुए अपने मन में सोचती है.. कितना बड़ा लंड है मेरे बेटे का. इसीलिए उस दिन उसका लंड मेरी गांड पे छु रहा था. अगर नार्मल ही ऐसा है तो फिर जब वो पूरा खड़ा होगा तो और कितना बड़ा होगा. और मन में सोचती है की जो भी उसके नीचे आएगी वो उसे मस्त संतुष्ट कर देगा. वो भी वासना की आग में जल रही थी और ना जाने क्या क्या सोच रही थी. थोड़ी देर बाद जब उसे होश आता है तो उसे थोड़ा ग्लानि होता है और सोचती है की वो अपने बेटे के बारे में ऐसा कैसा सोच सकती है.

जब से ये हादसा होता है तब से दीपू के मन में भी वसु को लेकर सोच बदल जाती है. एक दिन जब सब घर में ही रहते है तो बहार बारिश हो रही होती है. वसु दीपू को आवाज़ लगा कर कहती है की बालकनी में कपडे सुखाने के लिए डाले है तो उन्हें वहां से निकल ले वरना वो कपडे फिर से भीग जाएंगे और वो उन कपड़ों को उसके कमरे में रख दे. दीपू भी भाग कर बालकनी से पूरे कपडे निकल कर वसु के कमरे रखता है. वो पलट कर जाने ही वाला होता है तो वो देखता है की कपड़ों के ढेर में २- ३ छोटी और पारदर्शी पैंटी पड़ी हुई है. वो फिर से एक नज़र दरवाज़े पे डाल कर देखता है की कोई नहीं है तो वो दो पैंटी को उठा कर फिर से अपनी नाक के पास ले जाकर उनको फिर से सूंघता है और अपना एक हाथ से अपने लंड को निकल कर वो पैंटी को सूंघते हुए अपना लंड हिलाते रहता है. वो जानता था की इस वक़्त मूठ मारना ठीक नहीं होगा.. इसीलिए सिर्फ हिलाते रहता है लेकिन फिर भी उसका लंड एकदम तन जाता है और पूरा खड़ा हो जाता है.

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उसे भी खूब मजा आता है. वो अपने एक अलग ही दुनिया में खो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता जब उसकी बेहन और माँ दोनों कमरे में कपडे ठीक करने के लिए आते है. दोनों जब दीपू को ऐसा करते हुए देखते है तो वसु कहती है..

वसु: क्या कर रहा है तू इनके साथ?

दीपू उसकी बात सुन कर एकदम चकरा जाता है और हड़बड़ी में पैंटी गिराते हुए अपने लंड को अंदर करते हुए कुछ नहीं कहता और बिना कुछ कहे वहां से निकल जाता है. निशा ये सब देख कर मन में मुस्कुराती है और अपनी माँ से कहती है..

निशा: लगता है दीपू की शादी जल्दी ही करनी पड़ेगी.

वसु: चुप कर.. क्या कह रही है? देखा नहीं वो अभी क्या कर रहा था? वैसे भी उसके पहले तेरी शादी करनी है. ठीक है? तू उससे बड़ी है और मैं पहले तेरी शादी करवाउंगी.

निशा: देखा है. वैसे भी लड़के इस उम्र में ये सब करना नार्मल है माँ.

वसु: थोड़ा छिड़ कर.. तू उसकी तरफदारी क्यों कर रही है? वो गलत कर रहा था.

निशा: शायद हां या शायद ना.

वसु: मतलब?

निशा: मतलब ये की जैसे मैंने कहा था ये सब नार्मल है.और वैसे माँ.. एक बात बताओं.. कॉलेज में बहुत सारी लडकियां इसपर मरती है. मेरे ही कुछ दोस्त इस पर एकदम लट्टू है.. कहती है क्या हैंडसम है तेरा भाई. अगर मेरा ऐसा कोई भाई होता तो कितना अच्छा होता.

वसु: वो तो ठीक है लेकिन अब जो हुआ गलत हुआ.

निशा: तुम समझी नहीं माँ.. मैंने अभी जो बात बतायी है तुझे सेंसर कर के बताया है और उसे आँख मार देती है.
वसु: तू कहना क्या चाहती है?

निशा: येही की मेरे दोस्त कह रहे थे की दीपू जैसा कोई उनका भाई होता तो कब तक वो सब उनके नीचे आ जाती. तू तो जानती है.. आजकल ऐसी बातें सब करते है.

वसु: चल जल्दी काम कर.. और हाँ.. दीपू से पहले तेरी शादी करनी है. निशा ये बात सुनकर मना कर देतीं है और ना में सर हिला देतीं है

उस दिन रात को निशा दीपू के कमरे में आती है और पूछती है की वो सुबह क्या कर रहा था. दीपू उसे देख कर कुछ नहीं कहता तो निशा माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए दीपू से कहती है की आजकल तो लड़के ऐसे ही करते है और कोई शर्माने की बात नहीं है.

दीपू उसकी बात सुन कर उसे देख कर कहता है तुझे बुरा नहीं लगा क्या?

निशा: हाँ थोड़ा लगा लेकिन फिर मुझे भी पता है की तुम्हारी उम्र के लड़कों में शायद ऐसा ही होगा. दीपू उसकी तरफ नज़र उठा कर देखता है तो निशा भी आँख मार देती है और फिर धीरे से उसकी गोद में बैठ कर उसको गले लगा कर उसके माथे पर किस देती है और शरारती अंदाज़ में पूछती है की तूने वो पैंटी तो सूंघे है लेकिन वो किसके है तुझे पता क्या?
दीपू भी... क्या यार तू भी कैसे बात करती है... मुझे कैसे पता चलेगा?

तो चल पता कर और मुझे बता.. और ऐसा कहते हुए वो अपनी पाजामे की जेब से एक पैंटी निकल कर उसके सामने लहराती है. दीपू उसे देखते ही रह जाता है और झट से वो पैंटी पकड़ने की कोशिश करता है.

निशा: जनाब को बहुत जल्दी है.. दीपू भी हस देता है और फिर से वो पैंटी लेने की कोशिश करता है.

दीपू वो पैंटी को देख कर कहता है की वो बहुत सेक्सी जालीदार और छोटी है.

निशा: नहीं इतनी जल्दी तुझे मिलने वाली है. दीपू उसे आस भरी नज़र से देखता है तो निशा को उस पर दया आ जाती है और उसके बालों में अपना हाथ घुमा कर वो पैंटी उसे दे देती है और कहती है की कल तक तुम्हे पता करना है की ये किसकी है और अगर सही पता किया तो फिर एक इनाम तुझे... ऐसा कहते हुए निशा फिर से उसको आँख मार देती है और दीपू से अलग होकर अपनी गांड मटकाते हुए वो अपने कमरे में चली जाती है.

निशा के जाने के बाद दीपू फिर से उस पैंटी को अपनी नाक के पास रख कर उसे फिर से सूंघता है और मन में सोचता है की किसकी है जो इतनी अच्छी खुशबू आ रही है. वो इसी ख्यालों में रहते हुए अपना लंड निकल कर फिर से हिलाने लगता है और जब उसे महसूस होता है की उसका माल गिरने वाला है तो वो झट से बाथरूम में जा कर अपना माल निकल लेता है और देखता है की उसका माल एकदम गाढ़ा और बहुत सारा निकला है.

और फिर अपने बिस्तर पे आकर गहरी नींद में सो जाता है.

अगले दिन सुबह जब दीपू उठ कर फ्रेश हो कर किचन में जाता है तो देखता है की उसकी माँ चाय बना रही है. वो दरवाज़े पे खड़े हो कर उसकी माँ को निहार रहा था. उसकी उठी हुई चूचियां गोरा बदन और बहार को निकली गांड को देखता रहता है. वसु उसको देख लेती है लेकिन कल के हुए हादसे को लेकर कर अभी भी थोड़ा गुस्से में थी और उसी अंदाज़ में दीपू से कहती है वो वहां क्या कर रहा है और उसे क्यों घूर रहा है.

दीपू: मैं तो चाय के लिए आया था. आपने क्या सोचा?

वसु: तू हॉल में बैठ जा.. मैं चाय लेकर आती हूँ.

थोड़ी देर बाद वसु चाय लेकर आती है तो उतने में बाकी दोनों (निशा और दिव्या) भी आ जाते है और सब मिलकर चाय पीते है. निशा देखती है की उसकी माँ अभी भी रूठी है और उसके चेहरे पे गुस्सा अभी भी नज़र आ रहा है. निशा धीरे से दीपू को इशारा कर के उसे उसके कमरे में भेज देती है और निशा उसकी मम्मी के पास जा कर उससे पूछती है की गुस्सा क्यों कर रही हो?

वसु: तू ना अपने भाई की तरफदारी मत कर. तूने देखा नहीं कल क्या किया था उसने? उसकी बात सुनकर दिव्या पूछती है की क्या बात हुई है जो उसे पता नहीं.

निशा उसे बता देतीं है की कल क्या हुआ है. दिव्या भी थोड़ा आश्चर्य से उन दोनों को देखती रह जाती है.

वसु: (दिव्या से) और ये उसके लाडले भाई की तरफदारी कर रही है.

निशा: तो उसमें गलत क्या है? उसके बाद सब अपने काम में लग जाते है और दीपू और निशा कॉलेज निकल जाते है.

उनके जाने के बाद घर में जब सिर्फ वसु और दिव्या रह जाते है तो वसु का उखड़ा मूड देख कर दिव्या कहती है की जो हुआ उसे भूल जाओ. दीपू का बचपना मान कर उसे माफ़ कर दे.

वसु: बचपना कहाँ दिव्या.. २१ साल का हो गया है और तू उसे बच्चा कह रही है. सुन कल मैं उसके कमरे में गयी थी और वो नहा कर एक टॉवल में था. मैं जब उसके कमरे में गयी और उसे पुकारा तो उसका टॉवल खुल गया और मैं उसके लंड को देख कर दांग रह गयी.

दिव्या: क्यों ऐसा क्या देख लिया.

वसु: उसका मुरझाया हुआ लंड भी बहुत बड़ा लग रहा था और तू उसे बच्चे कहती है.

दिव्या: क्या? तूने उसका लंड भी देखा और मुझे तूने बताया भी नहीं (उन दोनों में बहुत करीब रिश्ता था और दोनों एक दुसरे को सब बाते share करते है )और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु को आँख मार देती है. वसु भी थोड़ा हल्का सा हस्ते हुए... चुप कर और फिर दोनों अपना काम करने में लग जाते है.

आगे क्या होता है जल्दी ही आगे रोमांचकारी अपडेट के साथ..

Looks like we are now going to see some serious sex
 

komaalrani

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निशा थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं केहती. फिर वहां थोड़ी देर बैठ के चाय पीकर वो अपने घर को निकल जाती है और सोचती है की वो भी एक अच्छे घर में ही जायेगी…

8th Update – जन्मदिन

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र जाते है और सब अपने काम में लग जाते है. निशा और दीपू के आखिर परीक्षा भी नज़दीक आ जाते है तो वो दोनों भी अपनी पढाई में लग जाते है. वहीँ दिव्या भी अपनी सोच में रहती है और वसु भी दिव्या को टाइम देती है क्यूंकि उसे भी पता था की मामला उतना आसान नहीं है. आगे जो भी फैसला होगा उससे सब की ज़िन्दगी बदलने वाली थी.

गनीमत से दोनों के परीक्षा हो जाते है और दोनों ही काफी खुश थे की दोनों अच्छे नंबर्स से परीक्षा पास कर जाएंगे और उसके बाद दीपू को दिनेश के साथ उसके बिज़नेस में भी हाथ बटाना था.

परीक्षा ख़तम होने के २ दिन बाद दीपू का जन्मदिन था. घर में सब शान्ति छायी रहती है. जन्मदिन के सुबह ही दीपू के नाना, नानी और बाकी रिश्तेदार उसको फ़ोन कर के जन्मदिन की बधाई देते है और उन सब को उनके घर आने को कहते है. वसु कहती है की वो लोग जल्दी ही उनसे मिलने आएंगे.

दोफहर को दीपू जब बाहर अपने दोस्तों से मिलने के बाद घर आता है तो उसे एक अच्छा सरप्राइज मिलता है. तीनो घर को अच्छे से सजाते है और दीपू के लिए एक केक का भी इंतज़ाम करते है. दीपू ये देख कर एकदम खुश हो जाता है क्यूंकि उसे इस बारे में थोड़ी भी भनक नहीं थी. घर में हॉल में केक सजा के रखा हुआ था लेकिन उसे कोई दीखता नहीं है. घर आ कर दीपू सब को आवाज़ देता है तो कोई नहीं बाहर आता. फिर थोड़ी देर बाद तीनो एकदम सज धज के जैसे की आज उनकी शादी है वैसे सज कर आते है. दीपू उनको अपनी आँखें फाड़ कर देख रहा होता है. निशा एक सेक्सी सलवार कमीज पहन के आती है जो उसके बदन पे एकदम चिपका हुआ था और उसके ठोस चूचियां और बहार को निकली गांड पूरे उभार में साफ़ दिख रहे थे.

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निशा दीपू के पास आकर धीरे से उसके कान में कहती है की ये उसके लिए सरप्राइज है और उस तरफ देखो जहाँ वसु और दिव्या भी ऐसे ही सेक्सी और ट्रांसपेरेंट साडी में सज कर आती है तो दिव्या भी एकदम सज के आती है. तीनो ही एकदम ऊपर से उत्तरी हुई अप्सराएं लग रही थी. दिव्या ऐसे रूप में आएगी ऐसा वसु को पता नहीं था. दिव्या को देख कर वसु उसे पूछती है तो दिव्या कहती है की ये दीपू को उसकी तरफ से जन्मदिन का तोहफा है और वो कहती है की बहुत सोच समझ कर उसने ये फैसला लिया है की वो दीपू से शादी करने को राज़ी है.

वसु: तू सोच समझ कर ही ये फैसला लिया है न?

दिव्या: हाँ… और ये बात बोल कर शर्मा जाती है और अपना मुँह झुका कर धीरे से हस्ती है

इतने में निशा भी उन सब को देख कर कहती है की वो भी उन सब से एक बात कहना चाहती है. सब एक साथ पूछते है की क्या बात है?

तो निशा कहती है की वो दिनेश को चाहने लगी है. दिनेश ने उसे propose किया है और उसने उसका proposal accept कर लिया है और वो उससे शादी करना चाहती है.

उसकी बात सुनकर सब बहुत खुश हो जाते है और वसु उन दोनों को अपने गले लगा लेती है और प्यार से उसके गाल को चूम कर कहती है की वो बहुत खुश है की वो (दिव्या ) उसकी बहु बनने वाली है. तो निशा भी बहुत खुश हो जाती है और उसकी माँ से कहती है की मौसी आपकी कैसे बहु हो सकती है.. वो तो आपकी सौतन बनने वाली है और ऐसा कहके दोनों हस देते है तो दिव्या शर्म से पानी पानी हो जाती है. दीपू ये सब मजे से देख रहा होता है और उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं होता की इतनी सुन्दर और सेक्सी औरत उसकी बीवी बनने वाली है. सब लोग दीपू के केक काटने की तैयारी करते है तो वसु किचन में जाती है कुछ लाने को.. तो दीपू भी उसके पीछे चले जाता है और उसको पीछे से बाहों में भर के.. उसपे नाभि पे हाथ रख कर उसके कुरेदते हुए कान में कहता है की मौसी तुम्हारी बहु नहीं बल्कि उनकी सौतन बनने वाली है. वसु ये बात सुनकर एकदम शर्मा जाती है और कहती है चुप कर.. क्या क्या बातें कर रहा है.

दीपू: वसु को पलटा कर उसकी आँखों में देख कर कहता है की वो सही कह रहा है.

तुम सब लोगों ने मुझे बहुत अच्छा suprise दिया है तो मैं भी आपको एक suprise दूंगा. वसु अपनी आँखें बड़ी करके दीपू के तरफ देखती है तो उसको दीपू की आँखों में चमक दिखती है

इतने में किसी के आने की आवाज़ आती है तो दोनों अलग हो जाते है और फिर सब हॉल में आकर अच्छे से केक को सजा कर दीपू को केक काटने को कहते है.

दीपू निशा से कहता है: क्या तुम दोनों को भी मेरी बीवी के रूप में अपनाओगे? मैं जानता हूँ की माँ भी एक आदमी के लिए तरसती है और वो वसु की तरफ देख कर आँख मारते हुए कहता है की उसने कई बार अपनी माँ को खुद को ऊँगली करते हुए देखा है.

ये बात सुन कर निशा कहती है: तू भी?

दीपू: तू भी का क्या मतलब है?

निशा: मैंने भी माँ को देखा है.

दीपू: क्या देखा है?

निशा: वही जो तू कह रहा है. मैंने भी माँ को कई बार... और ऐसा कहते हुए रुक जाती है और वो अनकही बात सब समझ जाते है.

जब निशा ये बात बोलती है तो वसु का चेहरा और गाल सब शर्म के मारे एकदम लाल हो जाते है और अपनी आँखें नीचे कर लेती है.

दिव्या: वाह भाई इतना सब हो गया है और मुझे किसीने बताया भी नहीं?

दीपू: ये बात किसी को नहीं पता.. मैंने तो चुपके से माँ को देखा था. बोलो मेरी बात मंजूर है?

निशा हाँ में सर हिला देते है और कहते है की इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है? लेकिन क्या मम्मी पापा (उसका मतलब नाना, नानी से था ) मान जाएंगे इसके लिए?

दीपू: तुम उसकी चिंता मत करो. मुझे पता है माँ सब संभल लेगी और उनकी हाज़िर में ही मैं इन दोनो से शादी करूंगा. दोनों वसु की तरफ देखते है तो वो अपना सर झुकाये खड़ी रहती है.

निशा:अब बहुत हो गया.. जल्दी से केक काट भाई..बहुत भूक लगी है. आज तो तेरे लिए माँ ने बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया है तो जल्दी करो.

वसु: मैं ही नहीं छोटी ने भी मेरी मदत की है खाना बनाने में.

निशा: हाँ बात भी सही है. अपने होने वाले पति के लिए इतना तो बनता है ना.. और ऐसा कहते हुए निशा दिव्या को देख कर आँख मार देती है.

दीपू केक काटता है तो वसु एक केक का टुकड़ा लेकर उसको खिलाने लगती है तो दीपू मना कर देता है.

वसु उसको पूछती है क्यों तो दीपू एक शरारत भरे अंदाज़ में कहता है

दीपू: आपको याद है मैंने क्या कहा था जब हम खंडहर से आ रहे थे और एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. वसु उस दिन के हुए बातों को याद करती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीपू कहता है मैंने उस दिन जो कहा था आज वही होगा.

निशा: क्या कहा था?

दीपू वसु से कहता है की ये केक का टुकड़ा आप मुझे अपने मुँह से खिलाओगे. जब वसु को ये बात समझ में आती है तो वो मना करती है लेकिन दीपू नहीं मानता और आखिर में वसु वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेकर आगे बढ़ती हैं और अपने मुँह का टुकड़ा दीपू को खिलाती है तो दीपू भी वो टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

वसु: लो खा लिया ना.. अब मुझे छोड़.

दीपू: अभी कहाँ खाया है? देखो आपके होंठ पे अभी भी टुकड़ा है और ऐसा कहते हुए दीपू फिर से अपने होंठ आगे करते हुए वसु के होंठ पे रख के इस बार चूमते हुए वो केक का टुकड़ा अपने मुँह में लेता है.

ज़ाहिर सी बात है की जब दोनों के होंठ मिलते है तो दीपू वो केक के टुकड़े को खा कर अपनी जुबां फिर से वसु के मुँह में डालता है और वो एक किस में बदल जाता है. किस पहले धीरे होता लेकिन दीपू को पता था तो वो अपनी पूरी जुबां वसु के मुँह में डालता है और देखते ही देखते किस एकदम गहरा और प्रगड़ हो जाता है.

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निशा और दिव्या दोनों मजे से देखते रहते है और उन दोनों को देख कर इनकी भी सांसें भारी हो जाती है और दोनों भी बहुत उत्तेजित हो जाते है और उन्हें पता भी नहीं चलता की उनकी चूत से पानी निकलना शुरू हो जाता है.

दीपू और वसु जब किस कर रहे होते तो वसु की मस्त चूचियां दीपू के सीने में दब जाती है और उत्तेजना के मारे उसके निप्पल भी एकदम तन जाते है और एकदम कड़क और नुकीले हो जाते है जो दीपू के छाती पे चुब्ते हुए दीपू को समझ आता है.

किस करते वक़्त दीपू अपना हाथ वसु के पीछे ले जाकर उसकी गांड को ज़ोर से दबाता है तो वसु की सिसकी उसके मुँह में ही रह जाती है. ५ मं के लम्बे किस के बाद दोनों अलग होते है तो दीपू कहता है.. अब केक कुछ मीठा लग रहा है.

जब दीपू ऐसा कहता है तो वो देखता है की केक का कुछ हिस्सा वसु के मुँह से गिर कर उसके सीने में पड़ा रहता है तो वसु उसे निकालने की कोशिश करती है तो दीपू मना करता है और कहता है की वो निकालेगा. दीपू झुक कर वसु की साडी का पल्लू निकल कर वो केक का टुकड़ा जो उसके ब्लाउज पे पड़ा हुआ था उसे अपनी जुबां से चाटता हुआ साफ़ करता है और ऐसा करते वक़्त वो उसकी निप्पल को भी चूम लेता है और धीरे से काटता है क्यूंकि वो बहुत नुकीले लग रहे थे. वसु का दिल अब बहुत ज़ोर से धड़कता रहता है और हलके दिखावे गुस्से से दीपू को अलग कर देती है.

वसु: और कितना केक खायेगा? बाकी दोनों भी तो है. उन्हें भी तो तुझे केक खिलाना है.

दीपू फिर से वसु को अपनी बाहों में लेकर इस बार प्यार से उसके होंठ चूमते हुए अलग कर देता है.

अब निशा की बारी थी तो निशा पहले से ही उन दोनों को देख कर एकदम गरम हो गयी थी और वो भी इस बार बिना दीपू एक बताये अपने हाथ में ले कर दीपू को खिलाती है. दीपू भी मजे से निशा के हाथ से केक खा लेता है और फिर निशा उसके माथे को चूम कर जन्मदिन की बधाई देती है.

जब आखिर में दिव्या की बारी आती है तो दिव्या एकदम शर्मा जाती है.

दिव्या (उन दोनों को देख कर पहले ही गरमा गयी थी और उसके पैंटी भी पूरी तरह से गीली हो गयी थी )भी वैसे ही करती है तो इस बार दीपू उसको चूमते वक़्त उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा देता है. ये देख कर दोनों (वसु और निशा) एक गहरी सास लेते है तो दिव्या भी गरम हो जाती है और अपनी आँखें बड़ी करती हुई दीपू की तरफ देखती है तो दीप कहता है की ये तो कुछ भी नहीं है और सब को आँख मार देता है तुमने मुझे मेरे जन्मदिन पे गिफ्ट दिया था तो ये मेरे तरफ से तुम्हारे गिफ्ट को स्वीकारना है.

दिव्या भी बाकी दोनों की तरह दीपू को अपने मुँह से केक खिलाती है तो दीपू भी केक खाने के बहाने उसकी जुबां को पूरी चूस लेता है और दोनों भी एक गहरे किस में डूब जाते है.

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दीपू दिव्या को किस करते हुए एक हात से चूची दबाता है तो वो दुसरे हाथ से केक का एक टुकड़ा लेकर उसके पेट और कमर पे मलता है. दीपू जान भूझ कर अनजान बनते हुए कहता है की केक तुम्हारे पेट पे लग गया है. दिव्या को पता था की क्या होने वाला है तो वो कहती है की वो साफ़ कर लेगी लेकिन दीपू कहाँ मानने वाला था. दीपू अपने घुटनों पे बैठते हुए दिव्या की साडी को कमर से निकालता है और फिर से अपनी जुबां से चाटता है और ऐसे ही चाटते हुए उसकी गहरी नाभि को भी चूम कर चाटता है और अपनी जुबां उसकी गहरी नाभि में दाल कर चूमते हुए धीरे से काटता भी है.

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दिव्या की सांसें बहुत गहरी हो जाती है और आहें भरते हुए उसका पेट अपनी नाभि पे दबा देती है और उत्तेजना में कहती है की वो क्या कर रहा है.

दीपू: मैं तो केक खा रहा हूँ और आपकी पेट पे जो टुकड़ा पड़ा हुआ है उसे साफ़ कर रहा हूँ और ऐसा कहते हुए हस देता है और पूरी तरह से उसकी नाभि को चाट कर पेट एकदम साफ़ कर देता है.

दीपू को वहां नाभि के पास एक तिल दीखता है जो उसे और सेक्सी बना रहा था तो वो दिव्या से कहता है की वहां उसका तिल उसे और भी सेक्सी बना रहा है और फिर से उसे वहां चूम लेता है.

दीपू को ऐसा करते हुए देख दोनों वसु और निशा की चूतें भी गीली हो जाती है और पानी रिसने लगती है.

फिर सब अच्छे से साफ़ कर के सब लोग एक दुसरे को केक खिलाते है और फिर खाना खा कर अपने कमरे में दोपहर को सोने चले जाते है.

जाने से पहले दीपू कहता है की शाम को दिनेश और उसकी माँ घर आने वाले है क्यूंकि उसने उन दोनों को बुलाया है. उसे उस वक़्त ये पता नहीं था निशा और दिनेश के बारे में. उसने अपने जन्मदिन पर उन्हें बुलाया था.

वसु: अच्छा किया जो तूने उन्हें बुलाया है. निशा के बारे में भी बात कर लेते है.

कमरे में सोते वक़्त वसु दिव्या से पूछती है की वो खुश है क्या.. आज जो भी हुआ.

दिव्या: शायद हाँ… मुझे भी अभी अपनी ज़िन्दगी में आदमी की कमी महसूस होती है. दीपू को मैंने ऐसे ही हाँ नहीं किया.. वो तेरा बेटा ज़रूर है लेकिन उसमें मैं अच्छे लड़के की छवि देखती हूँ. मैंने देखा है की दीपू भी हम सब को बहुत प्यार करता है. मैं बहुत दिनों से दीपू को देख रही हूँ और इतना तो मैं कह ही सकती हूँ की वो मेरे लिए और मैं उसके लिए ही बने है. … लेकिन पता नहीं कैसे ये सब होगा. तो दिव्या वसु की और पलट कर कहती है दीपू सब देख लेगा लेकिन पहले तुम्हे माँ बाबूजी को बताना है.

वसु: हाँ इस बारे में उनसे जल्दी ही बात करती हूँ. तुम्हारे खातिर उन्हें मानना ही होगा और ऐसा कहते हुए हस देती है. तो दिव्या कहती है की अगर वो लोग मान गए तो मैं तुम्हारी बहु नहीं बल्कि हम दोनों सौतन हो जाएंगे और ऐसा कहते हुए दिव्या वसु के होंठ चूम लेती है.

वसु: ऐसा मत कर.. पहले ही मैं बहुत गीली हूँ और तू मुझे और उकसा रही है.

दिव्या: मेरा भी यही हाल है और ऐसा कहते हुए वो वसु का हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच रख देती है और साडी पेहेन्ने के बावजूद वसु का हाथ गीला हो जाता है.

दिव्या: देख रही है मैं भी उतनी ही गीली हूँ जितना तुम. अब तक मैंने दो बार अपनी पैंटी बदली है लेकिन ये साला पानी निकलते ही रह रहा है.

वसु: मेरा भी कुछ ऐसे ही हाल है और दोनों फिर एक दुसरे को ऐसे ही ऊँगली करते हुए नींद में चले जाते है.

शाम को दिनेश और उसकी माँ रितु उनके घर आते है तो उन दोनों को देख कर सब खुश हो जाते है और फिर दोनों दीपू को जन्मदिन की बधाई देते है. दिनेश डीपू को गले लगा कर उसको कहता है जन्मदिन मुबारक हो यारा. दीपू भी एकदम बहुत खुश हो जाता है. फिर सब चाय पीने लग जाते है तो दिनेश रितु की तरफ देख कर इशारा करता है. रितु भी समझ जाती है और फिर अपने गले तो थोड़ा ठीक कर के वसु से कहती hai..

रितु: बहनजी, मुझे आपसे एक बात करनी है अगर आपकी इज़ाज़त हो तो.

वसु: अरे, इसमें मेरी इज़ाज़त की क्या बात है? जो बात कहना है कह दीजिये क्यूंकि वसु को मालूम था की रितु क्या बात कहते वाली है.

रितु थोड़ा संभल कर कहती है की उसका बेटा दिनेश उसकी बेटी निशा से बहुत प्यार करता है और वो निशा का हाथ अपने दिनेश के लिए मांगने आयी है और वो निशा को अपनी बहु बनाना चाहती है.

वसु: ये तो एकदम अच्छी बात है बहनजी. वैसे मुझे निशा ने इस बारे में बताया था और हम ही इस बारे में आपसे बात करना चाहते थे.

इस बात पर दोनों दिनेश और निशा शर्मा जाते है और दोनों अपनी आँखें नीचे कर लेते है.

वसु: यह तो बहुत ख़ुशी की बात है और वो दिव्या से कहती है की मिठाई लाये तो दिव्या किचन से मिठाई लाती है तो वसु रितु को मिठाई देती है और वैसे ही रितु भी वसु के साथ करती है तो दोनों एक दुसरे के गले मिलते है. गले मिलने पर दोनों की मस्त ठोस चूचियां एक दुसरे से टकराते है जिसे दोनों महसूस करते है. दोनों एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है लेकिन कुछ नहीं कहते. रितु का तो वसु को पता नहीं था लेकिन आज सुबह हुए घटनाओं से वसु की चूत अभी भी गीली ही थी और उत्तेजना में थी लेकिन अपने आप को ज़ाहिर नहीं करती.

इन दोनों को पता नहीं था लेकिन दिनेश की तेज़ नज़रें दोनों को देख लेती है (वो एकदम होशियार और तेज़ दिमाग का लड़का था) और कुछ सोचने लगता है लेकिन कुछ नहीं कहता.

वसु: हम मेरे माँ पापा के घर जल्दी ही जा रहे है और वहां इन दोनों के बारे में पूछ कर आपको बताती हूँ.

रितु: जी ये तो अच्छी बात है.

वसु: वैसे आपके घर में और कौन कौन है?

रितु: ज़्यादा कोई नहीं है. इसके पिता तो बहुत पहले ही चल बसे है, मेरे सास, ससुर, माँ, बाप कोई नहीं है और मैं बिज़नेस को संभाल रही हूँ. मैं चाहती हूँ की दिनेश और दीपू जल्दी ही बिज़नेस को संभाले तो मैं थोड़ा आराम कर लून.

वसु: अच्छा कहा आपने.. मेरा मतलब है की अब दिनेश भी काम करने लायक हो गया है और दीपू भी उसकी मदत करेगा और आपको आराम करना चाहिए.

जैसे मैंने कहा हम कुछ दिनों में मेरे घर जा रहे है तो उनसे बात करके इन दोनों की शादी का तारिक फिक्स करवाती हूँ.

रितु: ये ठीक है. जब भी तारिक और समय फिक्स हो जाए तो बता दीजिये. हम भी अपनी तरफ से काम करना शुरू कर देंगे. और फिर ऐसे ही बातें कर के रितु और दिनेश वसु का बनाया हुआ स्वादिष्ट खाना खा कर अपने घर निकल जाते है और यहाँ पर भी सब भी ख़ुशी से सब लोग अपने आने वाले दिन के बारे में सोचते हुए अपने कमरे में जाकर सो जाते है.

वहीँ रितु के घर में दोनों भी खुश थे और अपने कमरे में सोने चले जाते है. रितु को नींद नहीं आ रही थी तो वो वसु के साथ हुए हादसे को याद कर रही थी की कैसे दोनों की चूचियां एकदम से टकरा गयी लेकिन दोनों को बुरा नहीं लगा. ये सब सोचते हुए ना जाने कब उसका हाथ अपनी साडी के अंदर दाल कर पैंटी को सरका कर अपनी चूत मसलते रहती है

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और मन में बड़बड़ाती है.. ये चूत और आग मुझे सोने नहीं देगी. पता नहीं कब मुझे थोड़ी शान्ति मिलेगी. वहीँ दिनेश को भी लगता है की उसकी माँ भी बहुत तड़प रही है और उसे कुछ करना चाहिए...
बहुत ही बढ़िया अपडेट है, सेक्स का बहुत अच्छे ढंग से समावेश किया है और हर एक पात्र अलग अलग लग रहे हैं, केक का भी अच्छा इस्तेमाल किया है।

कहानी बहुत ही बढ़िया आगे बढ़ रही है
 

Mass

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Bhut hi badhiya update Bhai
To divya ne bhi dipu se sadi ke liye ha kah diya jisse ab vasu aur divya dono ki sadi dipu se hogi
Aur nisha ki sadhi bhi dinesh se fix ho gayi
Dhekte hai ab aage kya hota hai
Thank you bhai...keep supporting..

Dhakad boy
 
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