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Horror किस्से अनहोनियों के

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Shetan

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Update 39

हिचकोले खाती बस मे सभी जाग गए. बलबीर के कहने के मुताबिक बस ड्राइवर ने मौका संभल लिया. और बस को धीरे धीरे एक जगह पर रोक दिया. बस रुकी तब बारी बारी सभी उतरने लगे. और सभी उतारते ही बस के उस आगे वाले पंचर टायर को देख कर मुँह सिकोड रहे थे.


डॉ : अरे ड्राइवर उस्ताद कितनी देर लगेगी टायर बदली करने मे???


ड्राइवर : ज्यादा वक्त नहीं लगेगा साहब. बस आप लोग थोड़ी देर बाते कीजिये. मै लगा देता हु.


लम्बे वक्त बैठे रहने के कारन कोई तो रोड़ के किनारे टॉयलेट कर रहा था तो कोई अंगड़ाई ले रहा था. एक ड्राइवर दूसरे ड्राइवर की पक्का मदद करता है. बलबीर तुरंत ही ड्राइवर की मदद मे लग गया. कोमल को भी टॉयलेट जाना था. पर हर तरफ तो मर्द ही थे. वो इधर उधर देख रही थी. तभि उसकी मदद दाई माँ ने की.


दाई माँ : रे सारे एक तरफ जाओ. इतउ औरतन ने जाने दो.


दाई माँ के कहने पर एक साइड खाली हो गई. कोमल दाई माँ को देख कर मुस्कुराने लगी. और दाई माँ कोमल के पास आई.


दाई माँ : (स्माइल) चल री छोरी. तोए मुतास आय रही होंगी.
(चल लड़की. तुझे पेशाब आ रही होंगी )


दाई माँ और कोमल सुमशान सडक पर अँधेरे मे ही चलने लगे. दाई माँ का तो डर से कोई मतलब नहीं. पर कोमल को भी बिलकुल डर नहीं लग रहा था. चलते चलते दोनों बाते भी कर रहे थे.


कोमल : माँ... इस बार तो मै तुम्हे अपने साथ लेकर ही जाउंगी.


दाई माँ : हे रिन दे बावड़ी. मेय जैसी कपालन का करेगी वाह ठोरी. (हे रहने दे पगली. मेरे जैसी कपालन क्या करेंगी वहां)


कोमल : माँ... बकवास नहीं. या तो मै तुम्हारे साथ चलूंगी. या तो आप मेरे साथ. अब बोलो कहा चलोगी.


कोमल ने तो मानो अल्टीमेटम ही दे दिया. वही दाई माँ अपने घाघरे को ऊपर किए रोड के किनारे ही बैठ गई. अँधेरे मे इतना डीप तो नहीं दिख रहा था. लेकिन सररर.... सी आवाज आई तो कोमल को पता चल गया की दाई माँ मूत रही है. कोमल को हसीं आ गई. और वो हस पड़ी.


कोमल : (स्माइल) माँ..... आप तो पुरे बेशरम हो.


दाई माँ : हे यहाँ को देखेगो. बैठजा यही ठोरी. (हे यहाँ कौन देखेगा. यही बैठ जा)


कोमल भी बैठ गई. और वैसे ही मूतने लगी. कोमल को ऐसे किसी के साथ मूतने मे सरम भी आ रही थी. भले ही वो दाई माँ भी क्यों ना हो. पर उसे मझा भी आ रहा था. कोमल ने गर्दन घुमाई और दाई माँ की तरफ देखा.


कोमल : (स्माइल) माँ मै आप की भी फ्लाइट की टिकिट बुक कर रही हु.


कोमल मूत ते हुए ही आगे के इरादे बता रही थी. वही दाई माँ खड़ी हो गई.


दाई माँ : हे रिन दे. मै हवाई जहाज ते ना जाऊ. मोए डर लगेगो.
(हे रहने दे. मै हवाई जहाज से नहीं जाउंगी. मुजे डर लगेगा.


कोमल भी खड़ी हुई और उसे जोरो की हसीं आई.


कोमल : (हस्ते हुए) माँ तुम्हे भी डर लगता है???


दाई माँ ने घाघरे के किसी कोने से बीड़ी का बंडल और माचिस निकली. एक बीड़ी जलाते दाँत मे दबाते हुए अपने इरादे जता दिए.


दाई माँ : रेलगाड़ी ते चलेगी तो ठीक है. बरना(वरना) रीन दे.


कोमल को कैसे भी मना नहीं करती. भले देर से पहोचे. पर दाई माँ साथ आए तो.


कोमल : (स्माइल) ठीक है. तो मै रिजर्वेशन कर देती हु सुबह ही.


दाई माँ भी इस बार बीड़ी फूकते मुस्कुराने लगी. पर कोमल का ध्यान अब जाकर बीड़ी पर गया. दाई माँ ने मूतने के बाद हाथ भी नहीं धोए.


कोमल : माँ..... कम से कम हाथ तो धो लेती.


दाई माँ : हे मै कपालन हु. मोए कछु फरक ना परे.
(हे मै कपालन हु. मुजे कोई फर्क नहीं पड़ता.)


कोमल ने तुरंत दाई माँ की बीड़ी उनके मुँह से छीन ली. और कोमल बीड़ी को अपने होठो से लगाए एक कश मार देती है.


कोमल : और मै कपालन की बेटी.


दोनों एक साथ हस पड़े. कोमल ने भी बिना हाथ धोए दाई माँ के जैसे बीड़ी पी. लेकिन दाई माँ समझ गई की कोमल पहले भी बीड़ी पी चुकी है. क्यों की कोमल को बिलकुल खांसी नहीं आई. वो दोनों चलते हुए फिर बस के पास पहोच गए. वहां बलबीर बस का टायर लगा रहा था. पाना से टायर के नट कश रहा था. और ड्राइवर उसके पास खड़ा था. कोमल और दाई माँ को आते देख डॉ रुस्तम उनकी तरफ बढा.


दाई माँ : रे और कितनो टेम लगेगा?? ( और कितना टाइम लगेगा??)


डॉ : बस हो गया माई.


डॉ रूसतम ने कोमल की तरफ देखा. और मुस्कुरा दिए. वो समझ गए की कोमल कुछ पूछना चाहती है. मगर बात कहा से स्टार्ट करें.


डॉ : (स्माइल) कोमल... आप जो पूछना चाहती हो. वो सीधा पूछो. किसी बात के शारुआत का इंतजार करने की जरुरत नहीं है.


कोमल : एक डायन और कितना खतरनाक हो सकती है. मतलब की वो कितना निचे तक गिर सकती है.


दाई माँ : रे बता ज्या ने. (बता इसे.)


डॉ रुस्तम बोलने ही वाले थे की बलबीर की आवाज ने बिच मे रोक दिया.


बलबीर : सारे बैठो अपनी अपनी जगह पर.


डॉ रुस्तम इस बार हस दिए. और उन्होंने बस की तरफ हिशारा किया. सभी लाइन लगाकर बारी बारी बस मे चढने लगे. बलबीर बस के डोर की तरफ ही खड़ा था. डॉ रुस्तम फिर दाई माँ बस मे चढ़े. उनके पीछे कोमल थी. जब कोमल के चढने की बारी आई तो उसने एक शारारत की. उसने बलबीर के गाल पर एक चुम्बन लिया. और झट से बस मे चढ़ गई. कुछ लोग अभी बस मे चढ़ना बाकि थे.

जिसमे सतीश वगेरा भी थे. बलबीर तो शर्म से पानी पानी हो गया. वही सतीश वगेरा तो हस पड़े. सभी बस मे बैठ गए. सबसे आखिर मे बलबीर चढ़ा. उसने देखा की कोमल दाई माँ वाली शीट पर नहीं अपनी शीट पर है. मतलब की उसकी ही बगल वाली शीट पर. बलवीर वही रुक गया तो दाई माँ ने उसे टोका.


दाई माँ : का हेगो??? (क्या हो गया??)


बलबीर ने बस ना मे सर हिलाया.


दाई माँ : तो फिर बैठ काए ना रो?? (तो फिर बैठ क्यों नहीं रहा??)


बलबीर कुछ बोला नहीं और सर निचे किए अपनी शीट की तरफ जाने लगा. पीछे सतीश और दो तीन लड़के मुँह दबाकर हसने लगे. अब बारी आई शीट पर बैठने की. लेकिन कोमल की शारारत तो रुक ही नहीं रही थी. उसने अपने गाल की तरफ हिशारा किया. मतलब की मुजे पप्पी दो. बलबीर ने मुँह सिकोड़ा. और ना मे सर हिलाया. कोमल कन्धा झटक कर सामने देखने लगी.

मतलब साफ था की पप्पी दो तो ही वो उसे उसकी शीट पर बैठने देगी. बलबीर घूम गया. और दाई माँ के पास पहोंचा.


दाई माँ : हे तू ज्या कहा आएगो. तू अपनी जगह बैठ. (तू यहाँ कहा आ गया. तू अपनी जगह बैठ)


पीछे सतीश एंड पार्टी हस पड़े. तो दाई माँ भी समझ गई की कोई शारारत बलबीर के साथ हो रही है. बलबीर बेचारा पीछे मुड़ा. और वापस कोमल के पास पहोंचा. अब उसके पास कोई चारा ही नहीं था. मगर जब बलबीर कोमल की तरफ झूका तो कोमल ने एकदम से फेस बलबीर की तरफ कर दिया. बलबीर जो किश कोमल के गाल पर देने वाला था. वो कोमल के लिप्स पर हो गई.

बलबीर एकदम से पीछे हुआ. और कोमल मुश्कुराती हलका सा सरमाती शारारत से खड़ी हुई और दाई माँ के पास जाकर उनकी बगल मे बैठ गई. उसके आते दाई माँ भी मुश्कुराने लगी. भले ही उन्हें पता ना हो. पर यह तो समझ गए की कोमल ने बलबीर के साथ कोई शारारत जरूर की है. बलबीर अपनी जगह बैठ गया.

और बस चल पड़ी. कविता कभी दाई माँ की तरफ देखती है. तो कभी डॉ रुस्तम की तरफ. डॉ रुस्तम समझ गए. और कोमल की तरफ घूम गए.


डॉ : एक डेढ़ घंटे मे पहोच जाएंगे.


कोमल : तो जल्दी बताइये ना. आखिर डायन और कितनी हद तक जा सकती है???


डॉ साहब ने कोमल को एक और कहानी सुनाई.


डॉ : बिहार छपरा मे एक लड़का रहता था. रवि. रवि यादव. बहोत ही गरीब परिवार का महेनत मजदूरी करने वाला गरीब 26 साल का लड़का था.

उसकी माँ रमा की उम्र कुछ 50 के आस पास ही थी. एक बड़ी बहन सपना 28 साल. जिसकी शादी की उम्र हो चुकी थी. पर शादी ही नहीं हो पा रही थी. पता नहीं क्या हो जाता की लड़की के लिए रिस्ता तो आता. उसे पसंद भी करते. पर अपने आप किसी ना किसी कारन से टूट जाता. इसके आलावा दो बहने और थी.

निशा 20 साल की और तनीषा 18 साल की. इसके आलावा एक भाई था विकास. जो 11 साल का था. मगर जब वो चार साल का था. तब से ही उसे कोई रोग लग गया. बीमारी क्या कुछ समझ नहीं आई. हाथ पाऊ मुड़ने लगे. जबड़ा मुड़ने लगा. जैसे लकवा मार गया हो. रवि के पिटा राजेश प्रसाद की मौत उस वक्त 10 साल पहले ही हुई थी. इसके आलावा उनकी एक बूढी दादी भी थी.

लोग उन्हें कुकू बुलाते थे. सायद वो 70 पार की होंगी. उनकी उम्र का पता नहीं लगाया जा सकता था. रवि कभी इट भठे पार काम करता तो कभी दिन दहाड़ी पर. अपने परिवार को बचाने के लिए उसने बहोत महेनत की. लेकिन घर ऊपर आ ही नहीं पता था. घर मे कभी किसी को तो कभी किसी को बीमारी लगती ही रहती.

एक दिन अचानक से तनीषा की तबियत ख़राब होने लगी. उसको भी वही असर होने लगा. जो छोटे भाई विकास को उसकी चार साल की उम्र मे हुआ था. रवि और उसकी माँ रमा को समझ नहीं आया की उसे हुआ क्या. तनीषा के भी हाथ पाऊ अकड़ने लगे. मुँह का जबड़ा टेढ़ा होने लगा. रवि जो विकाश के साथ हुआ. वो तनीषा के साथ नहीं होने देना चाहता था.

इस लिए वो उसे तुरंत बिहार पटना के बड़े सरकारी होशपिटल मे ले गया. डॉक्टरों को भी समझ नहीं आ रहा था. इसी बिच रवि और बड़ी बहन सपना पैसो का इंतजाम करने के लिए अपने घर छपरा आए. और जब घर पहोचे तो उनका दिमाग़ घूम गया.
 

Shetan

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Update 40

डॉ रुस्तम की जुबानी लगातार.


डॉ : जब रवि और सपना घर पहोचे तो सपना पहले अंदर घुसी. जब वो घर के दरवाजे पार पहोची तो उसके एकदम ही पाऊ जैसे जम गए हो. वो बिच दरवाजे पर ही खड़ी मुँह फाडे हैरानी से घर के अंदर देखने लगी. रवि को समझ नहीं आया की बड़ी बहन सपना बिच दरवाजे पर ही क्यों खड़ी हो गई. और वो देख क्या रही है.

रवि ने देखा की उसकी दादी फर्श पर बैठी झूम रही है. उसका भाई विकास उसकी दादी के आगे पड़ा हुआ है. और वो दोनों आटे से बनी गोल आकृति पर है. रवि यह देख कर हैरान रहे गया. वो जब अंदर आया तो देखा की कोई राक्षस जैसे किसी की फोटो उसकी दादी कुकू के आगे है. और उस राक्षस जैसी फोटो के कदमो पर दो गुड्डे है. जिसके से एक पर उसके भाई विकास के किसी पुराने कपडे को लपेटा है. और दूसरे पर उसकी बहन तनीषा के कपडे को लपेटा हुआ है. विकास ने और ध्यान से देखा.

अपने इलाके के काले जादू को गांव देहात मे अच्छी तरह से जानते है. वो इस प्रथा को देखते ही समझ गया की यह डायन की बली है. मतलब की उसकी दादी अपने ही पोते पोतियों की बली दे रही थी. रवि ने देखा की कुछ और भी सामान भी बिखरा हुआ था. सिंदूर, उड़त की दाल, नारियल नीबू, बहोत कुछ. रवि एकदम से दौड़ा.

और सीधा उसने चिल्लाते हुए भाग कर उन दोनों गुड्डो को उठा लिया. जब उसने दोनों गुड्डो को उठाया तो उसने देखा के गुड्डो के बॉडी पर जगह जगह. जैसे घुटनो पर. पेट की नाभि पर. हाथो पर मुँह मे ऑल पिन घुसेड़ी हुई थी. तभि सपना भी भाग कर आई. उसने उस शैतान जैसी फोटो को खींच कर फाड़ दिया. और जोर से चिल्लाई.


सपना : दादी.... यह तुम क्या कर रही हो.


उसकी दादी कुकू उन्हें देख कर हसने लगी.


कुकू(दादी ) : (स्माइल) फिकर मत कर. इन दोनों के बाद तेरा और निशा का ही नंबर है. उसके बाद इस रवि का भोग दूंगी. और तेरी माँ को तो अपने पास रखूंगी. उसने मेरी बहोत सेवा की है. उसे नहीं मरूंगी.


यह सुनकर रवि और सपना हैरान रहे गए.


रवि : मतलब पापा को भी आप ही ने मारा ना. आप केसी औरत हो. अपने बेटे की ही बाली दे दी.


उसकी दादी कुकू हसने लगी.


कुकू : (स्माइल) हा मेने ही बली दी है. और तुझे भी बली पर चढ़ाऊंगी. कौन बचाएगा तुम्हे. सपना की शादी भी मेने ही कभी होने नहीं दी. तेरी माँ को दिल की बीमारी भी मेने ही दी है. यह देख ले विकास को. ऐसा ही हाल अब तनीषा का भी हो चूका है. यह तो सुबह तक मर जाएंगे. जा बचा सकता है तो बचा ले.


रवि और सपना उसी वक्त उस घर से निकल गए. और लोट कर कभी और कोई नहीं आया.


कोमल यह कहानी सुनकर हैरान हो गई. की एक माँ कैसे अपने ही बेटे की बली दे सकती है. कैसे अपने पोते पोतियों की बली दे सकती है. लेकिन आगे क्या हुआ उसे यह भी जान ना था.


कोमल : तो फिर क्या हुआ?? मतलब वो वो वो कैसे बचे.


डॉ : बच तो गए. लेकिन विकास और तनीषा बच नहीं पाए. उसके बाद उनकी माँ रमा भी बड़ी बीमारी की चपेट मे आ गई. सब जानते थे की यह काम रमा की सास और रवि की दादी कुकू का ही है.


कोमल : लेकिन फिर रवि, सपना और निशा को कुछ नहीं हुआ. क्या उनपर हमला नहीं हुआ.


डॉ : हुआ ना. लेकिन उसका काट मेने ही उतरा. हलाकि अगर वो मुझसे पहले मिले होते तो सायद मै उन दोनों बच्चों को भी बचा लेता.


कोमल : बहोत खतरनाक औरत है वो तो. क्या उसे कुछ नहीं हुआ???


डॉ : वो जब तक जिन्दा रही. किसी के काबू नहीं आई. आस पास के लोगो को भी पता चल गया की कुकू. वो बुढ़िया एक डायन है. उसने कइयों को नुकसान पहोंचाया. आस पास के लोग भी उस से इतना डरते थे की उसके घर के सामने से भी कोई नहीं निकलता था. लोग अपने घरों के दरवाजे उसके घर की तरफ कभी नहीं खोलते थे.


कोमल के सवाल तो अब भी ख़तम नहीं हुए थे. वो बिलकुल नहीं रुकी.


कोमल : लेकिन मुजे एक बात समझ नहीं आई की वो गुड्डे के जरिये कोई कैसे किसी को मार सकता है.


डॉ : (लम्बी सांस छोड़ते हुए) हाआआ.... ससससस. वैसे सिर्फ मारना ही नहीं उस से कुछ भी करवाया जा सकता है. लेकिन हम पहोच चुके है. बाकि बाते बाद मे करेंगे.


कोमल ने तुरंत ही नजरें घुमाई और देखा तो बस वही गांव मे घुस चुकी थी. मतलब वो पहोच चुके थे. और बस उसी स्कूल के पास से गुजरी. जहा उन बच्चों की आत्मा का वास था.
 

lovelesh

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Update 40

डॉ रुस्तम की जुबानी लगातार.


डॉ : जब रवि और सपना घर पहोचे तो सपना पहले अंदर घुसी. जब वो घर के दरवाजे पार पहोची तो उसके एकदम ही पाऊ जैसे जम गए हो. वो बिच दरवाजे पर ही खड़ी मुँह फाडे हैरानी से घर के अंदर देखने लगी. रवि को समझ नहीं आया की बड़ी बहन सपना बिच दरवाजे पर ही क्यों खड़ी हो गई. और वो देख क्या रही है.

रवि ने देखा की उसकी दादी फर्श पर बैठी झूम रही है. उसका भाई विकास उसकी दादी के आगे पड़ा हुआ है. और वो दोनों आटे से बनी गोल आकृति पर है. रवि यह देख कर हैरान रहे गया. वो जब अंदर आया तो देखा की कोई राक्षस जैसे किसी की फोटो उसकी दादी कुकू के आगे है. और उस राक्षस जैसी फोटो के कदमो पर दो गुड्डे है. जिसके से एक पर उसके भाई विकास के किसी पुराने कपडे को लपेटा है. और दूसरे पर उसकी बहन तनीषा के कपडे को लपेटा हुआ है. विकास ने और ध्यान से देखा.

अपने इलाके के काले जादू को गांव देहात मे अच्छी तरह से जानते है. वो इस प्रथा को देखते ही समझ गया की यह डायन की बली है. मतलब की उसकी दादी अपने ही पोते पोतियों की बली दे रही थी. रवि ने देखा की कुछ और भी सामान भी बिखरा हुआ था. सिंदूर, उड़त की दाल, नारियल नीबू, बहोत कुछ. रवि एकदम से दौड़ा.

और सीधा उसने चिल्लाते हुए भाग कर उन दोनों गुड्डो को उठा लिया. जब उसने दोनों गुड्डो को उठाया तो उसने देखा के गुड्डो के बॉडी पर जगह जगह. जैसे घुटनो पर. पेट की नाभि पर. हाथो पर मुँह मे ऑल पिन घुसेड़ी हुई थी. तभि सपना भी भाग कर आई. उसने उस शैतान जैसी फोटो को खींच कर फाड़ दिया. और जोर से चिल्लाई.


सपना : दादी.... यह तुम क्या कर रही हो.


उसकी दादी कुकू उन्हें देख कर हसने लगी.


कुकू(दादी ) : (स्माइल) फिकर मत कर. इन दोनों के बाद तेरा और निशा का ही नंबर है. उसके बाद इस रवि का भोग दूंगी. और तेरी माँ को तो अपने पास रखूंगी. उसने मेरी बहोत सेवा की है. उसे नहीं मरूंगी.


यह सुनकर रवि और सपना हैरान रहे गए.


रवि : मतलब पापा को भी आप ही ने मारा ना. आप केसी औरत हो. अपने बेटे की ही बाली दे दी.


उसकी दादी कुकू हसने लगी.


कुकू : (स्माइल) हा मेने ही बली दी है. और तुझे भी बली पर चढ़ाऊंगी. कौन बचाएगा तुम्हे. सपना की शादी भी मेने ही कभी होने नहीं दी. तेरी माँ को दिल की बीमारी भी मेने ही दी है. यह देख ले विकास को. ऐसा ही हाल अब तनीषा का भी हो चूका है. यह तो सुबह तक मर जाएंगे. जा बचा सकता है तो बचा ले.


रवि और सपना उसी वक्त उस घर से निकल गए. और लोट कर कभी और कोई नहीं आया.


कोमल यह कहानी सुनकर हैरान हो गई. की एक माँ कैसे अपने ही बेटे की बली दे सकती है. कैसे अपने पोते पोतियों की बली दे सकती है. लेकिन आगे क्या हुआ उसे यह भी जान ना था.


कोमल : तो फिर क्या हुआ?? मतलब वो वो वो कैसे बचे.


डॉ : बच तो गए. लेकिन विकास और तनीषा बच नहीं पाए. उसके बाद उनकी माँ रमा भी बड़ी बीमारी की चपेट मे आ गई. सब जानते थे की यह काम रमा की सास और रवि की दादी कुकू का ही है.


कोमल : लेकिन फिर रवि, सपना और निशा को कुछ नहीं हुआ. क्या उनपर हमला नहीं हुआ.


डॉ : हुआ ना. लेकिन उसका काट मेने ही उतरा. हलाकि अगर वो मुझसे पहले मिले होते तो सायद मै उन दोनों बच्चों को भी बचा लेता.


कोमल : बहोत खतरनाक औरत है वो तो. क्या उसे कुछ नहीं हुआ???


डॉ : वो जब तक जिन्दा रही. किसी के काबू नहीं आई. आस पास के लोगो को भी पता चल गया की कुकू. वो बुढ़िया एक डायन है. उसने कइयों को नुकसान पहोंचाया. आस पास के लोग भी उस से इतना डरते थे की उसके घर के सामने से भी कोई नहीं निकलता था. लोग अपने घरों के दरवाजे उसके घर की तरफ कभी नहीं खोलते थे.


कोमल के सवाल तो अब भी ख़तम नहीं हुए थे. वो बिलकुल नहीं रुकी.


कोमल : लेकिन मुजे एक बात समझ नहीं आई की वो गुड्डे के जरिये कोई कैसे किसी को मार सकता है.


डॉ : (लम्बी सांस छोड़ते हुए) हाआआ.... ससससस. वैसे सिर्फ मारना ही नहीं उस से कुछ भी करवाया जा सकता है. लेकिन हम पहोच चुके है. बाकि बाते बाद मे करेंगे.


कोमल ने तुरंत ही नजरें घुमाई और देखा तो बस वही गांव मे घुस चुकी थी. मतलब वो पहोच चुके थे. और बस उसी स्कूल के पास से गुजरी. जहा उन बच्चों की आत्मा का वास था.
Thank you story ko vapas chalu karne ke liye

🎉🎊👏🙏
 
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komaalrani

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Update 38

डॉ रुस्तम की जुबानी लगातार वो किस्सा सुना रहे थे. कोमल बलबीर और दाई माँ सुन रहे थे.


डॉ : एक और रात माया सतीश को मरने मे नाकामयाब हो गई. उसे इंतजार था. अगली रात का. हलाकि जब सुबह सतीश उठा तब उसपर किसी भी वशीकरण का असर नहीं था. वो नहा धो कर ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था. तब लगातार उसके मोबाईल पर कॉल आ रहा था. वो परमजीत कॉल कर रही थी. माया को गुस्सा भी आ रहा था. जब सतीश तैयार हो गया तो माया ने नाश्ता रेडी कर के उसके सामने रख दिया. माया ने इसी बिच मोबइल को सोफे के पीछे की तरफ सरका दिया.


माया : (स्माइल) लो नाश्ता करो.


तभि रिंग बजी. और सतीश फोन ढूढ़ने लगा.


माया : पहले नाश्ता तो कर लो.


पर तब तक सतीश को फोन मिल गया. परमजीत का कॉल देख कर उसके फेस पर स्माइल आ गई. मगर यही देख कर माया को गुस्सा भी आने लगा. सतीश ने कॉल पिक किया.


सतीश : (स्माइल) हा परम...


परमजीत : (गुस्सा) कब से फोन लगा रही हु. तुम उठा क्यों नहीं रहे???


सतीश : अरे पर हुआ क्या???


परमजीत : ( हड़ बडाट) तुमने कुछ खाया??? तुमने कुछ खाया तो नहीं हेना???


सतीश : हा नहीं खाया. पर हुआ क्या???


परमजीत : आज तुम्हारे घर पूजा है. तुम्हारी बहन के लिए. और तुम्हे कुछ नहीं खाना है. अब तुम जल्दी अपना सामान पैक करो. तुम्हे जल्दी यहाँ आना है.


सतीश : (सॉक) क्या कहा?? मुजे वहां आना है?? पर मै छुट्टी नहीं ले सकता.


वहां जाने का सुनकर माया भड़क गई.


माया : नहीं तुम नहीं जाओगे.


यह बात परमजीत ने सुन ली. दाई माँ ने तो परमजीत को पहले ही समझा दिया था.


परमजीत : अरे अभी 11 बजे तक की तुम्हारी फ्लाइट बुक कर दी है. और रात तुम्हारी देर रात की भी फ्लाइट बुक है. फिकर मत करो. सिर्फ आज के दिन की ही छुट्टी है.


सतीश ने माया की तरफ देखा. और उसे दिलासा दिया. सतीश को भी परमजीत से मिलने का मन हो रहा था. वो माया को सफाई देता है.


सतीश : अरे भाभी रात 11 बजे तक मै वापस पहोच जाऊंगा.


यह सुनकर माया शांत हो गई. डायन कभी अपना शिकार नहीं छोड़ती. उसे अपने काला जादू जो वुडूडॉल से किया. उसपर भरोसा था. हलाकि उसे नहीं पता थी की दाई माँ और परमजीत उस गुड्डे को चुरा चुके है.


परमजीत : अच्छा सुनो. तुम देशी मुर्गे का मीट भी लेकर आना. वो टोटके के लिए चाहिये.


सतीश : (भड़कना) अब मै तैयार होउ या देशी मुर्गे का मीट ढूढ़.


परमजीत को पता था की सतीश भड़केगा. उसे तो माया को ही सुना ना था.


परमजीत : अरे बाबा तुम तुम्हारी उस भाभी को बोलो ना. जब तक तुम तैयार होंगे. वो ला देगी.


सतीश ने माया की तरफ देखा.


सतीश : भाभी वो एक देशी मुर्गे का मीट चाहिये. और जल्द चाहिये.


माया मुश्कुराती हुई खड़ी हुई.


माया : (स्माइल) ठीक है. तुम रुको मै लेकर आती हु.


माया वहां से चली गई. माया ने जो कहा. वो परमजीत ने सुन लिया.


परमजीत : क्या भाभी चली गई??


सतीश : हा वो बस जल्दी ही आ जाएगी.


परमजीत : ठीक है. जल्दी दरवाजा खोलो. मै बहार ही खड़ी हु.


सतीश सॉक हो गया.


सतीश : (सॉक) क्या???


परमजीत : (हड़ बडाते) अरे सब बाद मे समझाउंगी. पहले जल्दी दरवाजा खोलो.


सतीश तुरंत खड़ा हुआ. और दरवाजा खोलता है. वो सामने परमजीत को देख कर सॉक हो गया. सतीश तुम बोलने ही वाला था की परमजीत ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया.


परमजीत : ससस... तुम जिसके साथ रहे रहे हो. वो एक डायन है.


सतीश को समझ नहीं आया. और वो नार्मल बोलने गया. पर परमजीत ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया.


परमजीत : ससससस... अरे वो तुम्हारी भाभी एक डायन है. और जल्दी चलो. वरना वो आ जाएगी.


सतीश : पर मेरा सामान तो ले लू.


परमजीत : अरे बाबा जान बचेगी तो सामान दूसरा खरीद लेंगे. चलो अब टेक्सी बहार ही है.


सतीश तुरंत ही बहार निकालने गया. पर जाते जाते रुक गया. क्यों की परमजीत कुछ छिड़क रही थी. वो सरसो के दाने पुरे घर मे छिड़क रही थी.


परमजीत : (धीमी आवाज) तुम्हारा रूम कोनसा है.


सतीश ने अपने रूम की तरफ हिसारा किया. परमजीत उस रूम मे चली गई. उसने चारो तरफ सरसो के दाने फेके. और एक पॉलीथिन से कुछ बिकला. वो एक बकरे का सर था. उसने उस बकरे के सर को उस सतीश के बेड पर बिच मे रख दिया. और तुरंत बहार निकली. सतीश ने भी यह सब देखा. वो घबरा गया था. और काँपने लगा था. परमजीत तुरंत उसके पास आई और सतीश का हाथ पकड़ कर तेज़ी से उसे बहार ले जाती है.

बहार टेक्सी पहले से तैयार थी. ड्राइवर के बगल मे आगे वाली शीट पर दाई माँ पहले से बैठी हुई थी. सतीश ने तो उस दिन पहेली बार दाई माँ को देखा था. परमजीत ने सतीश को जैसे बैठाया. और खुद बैठी. तुरंत ही टेक्सी चल पड़ी. पर गाड़ी चलते ही जब सतीश ने पीछे देखा तो वह हैरान रहे गया. माया भागती हुई उसी घर से निकली. उसका मुँह खून से सना हुआ था.

और उसके हाथ मे एक मुर्गा लटक रहा था. जिसे माया ने उसके पंख से पकड़ा हुआ था. सतीश को एहसास हुआ की वह मौत से बचकर आया है. उसे दूसरा जीवन मिला.


ऐसे मे कोमल के दिमाग़ मे जितने सवाल थे. वह सारे पूछ ही लेती है.


कोमल : लेकिन मुजे यह समझ नहीं आया की वो बकरे का सर क्यों रखा????


डॉ रुस्तम बोलने ही वाले थे की उनकी बस झटके खाने लगी.


बलबीर : आगे वाला टायर पंचर हुआ है. पिकअप मत दो. बस स्टेरिंग सम्भालो और बेलेंस करो.


बलबीर ने ड्राइवर को हिदायत दी. आखिर बलबीर पुराना ट्रक ड्राइवर जो था.
Jabardst update bahoot hi suspense se bhara aur exciting
 
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Awesome update
Waiting for next
बहोत बहोत धन्यवाद Aman. बस एक दो के और रेव्यू आ जाए. तो स्टोरी आगे बढा दूंगी.
 
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फिर update पढ़कर रेव्यू दो.
अरे देवीजी, हम कमेंट्स और लाइक्स तो कर ही रहे हैं। रिव्यू की बात क्या ही करें, एक ही बात लिख लिख कर। वोही रिव्यू "Awsome update!" पढ़ पढ़ कर सब bore हो जाएंगे।

हम तो बचपन में भी कहानियां सुनते हुए बस "हूं/आगे/फिर" इतने ही शब्द बोलते थे, कि कहानी सुनाने वाले को पता चले कि हम ध्यान से सुन रहे हैं, और उनका रिदम भी ना टूटे।

पते की बात ये है कि हर अपडेट की प्रतीक्षा बड़ी ही बेसब्री से रहती है। इस बात के लिए बार बार आप पर प्रेशर बनाते रहते हैं कि जल्दी अपडेट दो, अपडेट कब आएगा।
 
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अरे देवीजी, हम कमेंट्स और लाइक्स तो कर ही रहे हैं। रिव्यू की बात क्या ही करें, एक ही बात लिख लिख कर। वोही रिव्यू "Awsome update!" पढ़ पढ़ कर सब bore हो जाएंगे।

हम तो बचपन में भी कहानियां सुनते हुए बस "हूं/आगे/फिर" इतने ही शब्द बोलते थे, कि कहानी सुनाने वाले को पता चले कि हम ध्यान से सुन रहे हैं, और उनका रिदम भी ना टूटे।

पते की बात ये है कि हर अपडेट की प्रतीक्षा बड़ी ही बेसब्री से रहती है। इस बात के लिए बार बार आप पर प्रेशर बनाते रहते हैं कि जल्दी अपडेट दो, अपडेट कब आएगा।
यार कैसा लगेगा एक राइटर ने अपनी स्टोरी के page no 223 पर अपडेट दिया. और एक वीक से ज्यादा समय के बाद जब अगला अपडेट देगा. वो भी page no 223 पर ही.

यार इतनी बुरी राइटर भी नहीं हु की एक ही page ओर दो बार के अपडेट पोस्ट हो जाए. रेव्यू मतलब कमेंट ही है.
 
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