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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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mrDevi

There are some Secret of the past.
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#5

24 दिसम्बर 2001, सोमवार, 09:30; “सुप्रीम”

आज सुबह से ही शिप का डेक, पूरी तरह भर गया था । मौसम आज भी साफ था । सूर्य की स्निग्ध सी किरणें समुद्र की लहरों से टकरा कर, एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रहीं थीं । सुप्रीम पूरे जोश से
समुद्र का सीना चीरता हुआ, अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा था । प्रोफेसर अलबर्ट, अपनी पत्नि मारिया के साथ एक एकांत जगह ढूंढकर आराम से बैठे थे।

“कितना अच्छा लग रहा है ना मारिया।“ अलबर्ट ने सुनहली धूप पर एक नजर डालते हुए कहा -

“शहर की चीख-पुकार से भरी जिंदगी से दूर, अकेले तन्हाई में बैठना। ना कोई काम करने की टेंशन, न ही पैसे के पीछे भागने वाली जिंदगी। सभी कुछ सुकून से भरा हुआ।“

“सही कह रहे हैं आप।“ मारिया ने भी अलबर्ट की हां में हां मिलाई-

“आपका दिन-रात अपने शोध के पीछे इस तरह भागना । हमें तो बात करने का भी समय नहीं मिल पाता था । अब तो आज को देखकर बस दिल यही कहता है, कि यहीं कहीं आस-पास किसी सुनसान द्वीप पर चल कर रहा जाए। जहां पर हमारे और आपके सिवा और कोई इंसान ना हो।“

“सच! आज जिंदगी को देखकर यह लगता है कि मैंने अपने पूरे जीवन में
आखिर क्या हासिल कर लिया ?“ अलबर्ट ने खड़े होते हुए, एक लंबी सांस लेते हुए कहा-

“जवानी से आज तक भागता रहा,..... भागता रहा...... सिर्फ भागता रहा। किस चीज के पीछे ......पता नहीं ?.....क्या पाया? ...........मालूम नहीं। क्या यही जिंदगी थी ?“

थोड़ी देर रुक कर अलबर्ट ने मारिया को सूनी आंखों में झांकते हुए, पुनः कहना शुरू किया-

“आज हमारी शादी को लगभग 40 साल होने वाले हैं। लेकिन आज तक मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया। यहां तक कि वक्त भी नहीं।“
बोलते-बोलते अलबर्ट इतना भावुक हो गया, कि उसकी आंखों की दोनों कोरों में पानी आ गया। फिर वह धीरे से चलकर मारिया के पास आया और उसकी तरफ अपना दाहिना हाथ बढ़ा दिया। मारिया ने भी अपना दांया हाथ उठाकर अलबर्ट के हाथ पर रख दिया अलबर्ट के थोड़ा सहारा देते ही, मारिया उठकर खड़ी हो गई। अलबर्ट ने उसका हाथ, इस तरह से थाम लिया, मानो अब वह पूरी जिंदगी इसे ना छोड़ने वाला हो। धीरे-धीरे चलते हुए दोनों डेक की रेलिंग तक पहुंच गये। दोनों ही शांत भाव से इस तरह से सागर को निहार रहे थे। मानो वह इनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव हो।


“अब तुम बिल्कुल फिक्र ना करना मारिया।“ अलबर्ट ने खामोशी तोड़ते हुए कहा-

“आज से मैं दिन-रात तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम जो कहोगी, मैं वही करूंगा। अब तो मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी।“

“इन बातों और इन लहरों को देखकर तुम्हें कुछ याद नहीं आता अलबर्ट।“ मारिया ने अलबर्ट को बीते दिनों की याद दिला ते हुए कहा। अलबर्ट ने सोचनीय मुद्रा में दिमाग पर जोर डाला। पर उसे कुछ समझ नहीं आया कि मारिया किस बात को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। अन्ततः उसने सिर हिलाकर पूछा-

“क्या ?“

“हम लोग लगभग 40 साल पहले एक ऐसे ही शिप पर पहली बार मिले थे और उसके कुछ दिनों बाद, तुमने मुझसे यही शब्द बोले थे कि’ अब मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी’ और उसके कुछ दिनों बाद हम लोगों ने शादी भी कर ली थी।“

“वह दिन तो कुछ और ही थे।“ अलबर्ट भी शायद अतीत के कोने में चला गया-

“तब तो मैं कॉलेज में दोस्तों के साथ शायरी भी लिखा करता था। और........और तुम्हें वो शायरी याद है, जो मैंने तुम्हें पहली बार लिखकर सुनाई थी।“

एकदम से अलबर्ट बीते दिनों को याद कर खुशी से झूम उठा। उसे एकदम से लगने लगा, कि वह फिर से जवान हो गया। लेकिन इससे पहले कि वह किसी कालेज ब्वाय की तरह शायरों के अंदाज में शायरी कर पाता, माइकल को उधर आते देखकर, सामान्य हो गया। अलबर्ट
की इस स्टाइल पर मारिया को इतनी तेज हंसी आई कि हंसते-हंसते उसका बुरा हाल हो गया।

“क्या बात है अलबर्ट सर! मैडम बहुत तेज हंस रहीं हैं? क्या हो गया ?“ माइकल ने आते ही पूछ लिया।

“कुछ नहीं बेटे ! कुछ पुरानी बातें याद आ गई थीं।“ अलबर्ट ने जवाब दिया-

“उन्हें छोड़ो, अपनी सुनाओ, आजकल क्या चल रहा है?“

“फिलहाल सिडनी वापस जा रहा हूं सर। .......“ बोलते-बोलते रुक कर
माइकल ने हवा में हाथ मिलाया जो कि एक इशारा था, दूर खड़े शैफाली व मारथा को उधर बुलाने का।

“अच्छा ! यही है तुम्हारा परिवार।“ अलबर्ट ने मारथा व शैफाली पर नजर डालते हुए कहा-

“और ये है तुम्हारी बच्ची शैफाली। जिसके बारे में अक्सर तुम मिलने पर मुझे बताया करते थे।“ तब तक दोनों नजदीक आ गए थे। मारथा ने सिर झुका कर बारी-बारी से अलबर्ट व मारिया को अभिवादन किया।
आते ही शैफाली ने अंदाजे से अलबर्ट की ओर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-

“हैलो ग्रैंड अंकल!“

“ग्रैंड अंकल........।“ अलबर्ट यह शब्द सुन आश्चर्य से भर उठा- ये ग्रैंड अंकल क्या होता है बेटे ? ग्रैंड फादर तो सुना है, पर यह ग्रैंड अंकल.....।“

“मैं तो आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी। क्यों कि डैड के जितने दोस्त आते हैं वह मेरे अंकल हुए। तो आप तो मेरे डैड के भी सर हो और ग्रैंड भी। इसलिए मैं आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी।“ शैफाली नें तर्क देते हुए कहा।

“अच्छा-अच्छा ठीक है। तुम मुझे ग्रैंड अंकल ही कहना।“ अलबर्ट ने सिर हिलाते हुए कहा।

“तुमने जैसा इसके बारे में बताया था।“ अलबर्ट ने माइकल से मुखातिब होकर कहा- “यह ठीक वैसी ही है।“

तभी शैफाली ने दोनों को बीच में टोकते हुए कहा- “ग्रैंड अंकल आप के बाएं कंधे पर एक चींटी चल रही है, उसे हटा लीजिए।“

“व्हाट! अलबर्ट ने आश्चर्य से पहले शैफाली की तरफ देखा। फिर अपने बाएं कंधे पर, जिस पर वास्तव में एक चींटी चल रही थी। उसने चींटी को कंधे से झाड़ कर दोबारा शैफाली की ओर देखा -

“बेटे तुम्हें तो दिखा ई नहीं देता। फिर तुमने कैसे जाना कि मेरे बाएं कंधे पर चींटी चल रही है?“ अलबर्ट ने विस्मय से शैफाली की तरफ देखते हुए कहा।

“अरे ग्रैंड अंकल! आपने कभी चींटियों को एक कतार में चलते देखा है।“ शैफाली ने अलबर्ट से उल्टा सवाल कर दिया-

“अगर हां ! तो आप यह बताइए कि वह एक कतार में क्यों चलती हैं?“

“सभी चींटियां ‘फेरोमोंस‘ नामक एक विशेष प्रकार की गंध छोड़ती हैं।“ अलबर्ट में अपने ज्ञान का पूरा परिचय देते हुए कहा-

“जिससे उसके पीछे आने वाली
चींटियां उस गंध का अनुसरण करती हुई चलती हैं।“

“बिल्कुल ठीक कहा आपने ग्रैंड अंकल! शैफाली ने चुटकी बजाते हुए कहा-

“तो जो चींटी आपके कंधे पर चल रही थी। वह भी गंध छोड़ती हुई चल रही थी। जिसे सूंघकर मैंने जान लिया, कि एक चींटी आपके कंधे पर है।“

“यह कैसे संभव है?“ अलबर्ट बिल्कुल हैरान रह गया -


“तुम्हें चींटी की गंध कैसे मिल गई। वह तो इतनी हल्की होती है, कि चींटी के अलावा, अन्य बड़े जानवर भी उसे सूंघ नहीं पाते।“

“आपको कैसे पता कि अन्य जानवर उसे सूंघ नहीं पाते?“ शैफाली ने एक प्रश्न का गोला और दाग दिया -

“यह भी तो हो सकता है कि उसे जानवर सूंघ लेता हो पर वह सुगंध उसके मतलब की नहीं रहती, इसलिए वह उस पर ध्यान ना देता हो।“

“हो सकता है ।“ अलबर्ट ने गड़बड़ा कर जवाब दिया- “पर तुम्हें कैसे उसकी गंध मिल गयी ?“

“ग्रैंड अंकल! क्यों कि मैं जन्म से ही अंधी हूं। इसलिए मुझे हर चीज का अनुमान लगाना पड़ता है। जिसके कारण मेरी नाक व कान की इंद्रियां बहुत तीव्र हो गई हैं। मैं जो चीजें सुन व सूंघ सकती हूं, उसे सामान्य आदमी नहीं कर सकता।“

“बड़े आश्चर्य की बात है। मैंने सिर्फ इस बारे में सुना ही था।“ अलबर्ट लगातार विस्मय से बोल रहा था-

“देख पहली बार रहा हूं। अच्छा ये बताओ कि तुम्हें यह कैसे पता चला ? कि वह चींटी, मेरे बांए कंधे पर है।“

“सिंपल सी बात है ! शैफाली ने शांत स्वर में जवाब दिया - “आपने थोड़ी देर पहले मुझसे बात की। जिससे मैं आपकी आवाज सुनकर यह जान गई कि आपकी लंबाई 5 फुट 9 इंच है। आपके मुंह से निकलती आवाज और चींटी के बीच की खुशबू के बीच की दूरी लगभग 6 इंच थी। और आपके बांई तरफ से आ रही थी। जिससे यह पता चला कि वह चींटी आप के बांए कंधे पर है।“

“लेकिन बेटा ! यह भी तो हो सकता था कि मेरे बगल तुम्हारे डैड खड़े हैं। वह चींटी उनके कंधे पर भी तो हो सकती थी।“ अलबर्ट ने अब दिलचस्पी लेते हुए शैफाली का पूरा इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया।

“हो सकती थी ।......... जरूर हो सकती थी । परंतु आप इधर-उधर टहल कर बात कर रहे थे और जैसे-जैसे आप घूम रहे थे। वैसे-वैसे चींटी की गंध भी कम या ज्यादा हो रही थी । जबकि मेरे डैड एक ही स्थान पर खड़े हो कर बात कर रहे हैं।“

अब अलबर्ट का सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर, पूरा का पूरा शैफाली की बातों में लग गया, मानो उसे अपने शोध का एक हथियार मिल गया हो।

“अच्छा बेटे! यह बताओ कि मेरे पैंट की दाहिनी जेब में क्या है?“ अलबर्ट ने पूरा परीक्षण लेते हुए कहा।

“आपकी दाहिनी जेब में एक लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ रखी है।“ शैफाली ने निश्चिंत हो कर जवाब दिया । अलबर्ट शैफाली की बात को सुनकर भौचक्का सा खड़ा रह गया। क्यों कि उसकी पैंट की दाहिनी जेब में, वास्तव में लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ थी।

“बेटे! यह तुमने कैसे जाना ?“ अलबर्ट ने शैफाली से सवाल किया।

“आपके चलने से बार-बार डिबिया के अंदर रखी सौंफ डिबिया की दीवार से टकरा कर एक ध्वनि उत्पन्न कर रही थी। अगर डिबिया, प्लास्टिक की होती तो वह ध्वनि थोड़ी दूसरे तरीके से आती। इस तरह से बार-बार सौंफ का डिबिया से टकराना, यह साबित करता है, कि उसमें जो भी चीज है, वह बहुत छोटे-छोटे कणों में है।“

“छोटे-छोटे कणों में तो कुछ भी हो सकता है?“ अलबर्ट ने शैफाली की बात को काटते हुए कहा - “फिर यह कैसे जाना कि उसमें सौंफ ही है।“

“आपके मुंह से आती सौंफ की खुशबू से, जो लगभग 1 घंटे पहले आपने खाई थी।“ शैफाली ने कहा। शैफाली का हर जवाब अलबर्ट को आश्चर्य से भर रहा था । अब लगा जैसे अलबर्ट को कोई नया खेल मिल गया हो। उसने पास से जा रहे वेटर को रोककर, उसकी फल वाली टोकरी से एक सेब व एक अमरुद निकाल लिया । फिर वेटर से चाकू लेकर सेब व अमरुद को शैफाली के सामने रखा । और फिर अमरूद के चार टुकड़े कर दिए।

“बेटे! यह बताओ कि तुम्हारे सामने अभी-अभी मैंने एक सेब को काटकर कुछ टुकड़ों में बांट दिया है। क्या तुम बता सकती हो ? कि मैंने सेब के कितने टुकड़े किए हैं?“ अलबर्ट ने झूठ बोलते हुए शैफाली से सवाल किया।

“आप झूठ बोल रहे हैं ग्रैंड अंकल!“ शैफाली ने मुस्कुरा कर कहा- “कि आपने सेब के टुकड़े किए हैं। आपने सेब के बगल में रखे अमरूद के चार टुकड़े किए हैं। सेब के नहीं । क्यों कि सेब के कटने से अलग तरह की ध्वनि होती है और अमरूद के कटने से अलग तरह की ध्वनि । और जो चीज ताजा कटती है, उसकी खुशबू ज्यादा तेज होती है।“

उसके जवाबों को सुनकर अब मारिया भी उत्सुकता से उसकी तरफ देखने लगी । इस बार अलबर्ट ने शैफाली के सामने जा कर, बिना हाथ उठाए पूछा-

“ये कितनी उंगली हैं?“

“पहले उंगली तो उठा लीजिए ग्रैंड अंकल! क्यों कि आपकी आवाज बिना किसी अवरोध के मुझ तक आ रही है।“ शैफाली ने चहक कर जवाब दिया ।

अलबर्ट ने वहीं पास में पड़ा एक पतला लोहे का पाइप उठा कर, अपने व शैफाली के चेहरे के बीच लाते हुए कहा-

“अच्छा ! अब ये बताओ। ये कितनी उंगलियां हैं?“

“ये उंगली नहीं, लोहे का पाइप है।“ शैफाली ने जवाब दिया - “क्यों कि आपकी आवाज इससे टकरा कर, मेरे पास पहुंच रही है। और जब आपकी आवाज इससे टकराती है, तो इसमें बहुत हल्के से कंपन हो रहे हैं। वह कंपन झनझनाहट के रूप में मुझे सुनाई दे रहे हैं।“

अलबर्ट के पास हाल-फिलहाल अब कोई सवाल नहीं था। अतः वह चुप रहा । अलबर्ट अब विस्मय से एकटक, चुपचाप शैफाली को इस तरह निहारने लगा मानो वह धरती का कोई प्राणी ना होकर, अंतरिक्ष से आया कोई जीव हो ।

“लगता है ग्रैंड अंकल के पास सवाल खत्म हो गए।“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पूछ लिया ।

“अब मैं आप से पूछती हूं।“ शैफाली ने इस बार अलबर्ट की आंखों के सामने, अपने दाहिने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछा- “ये कितनी उंगलियां हैं?“

अलबर्ट ने अजीब सी नजरों से पास खड़े माइकल, मारथा व मारिया को देखा । उसकी आंखों में प्रश्नवाचक निशान साफ झलक रहे थे।

“आपने बताया नहीं ग्रैंड अंकल! यह कितनी उंगलियां हैं?“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पुनः अपने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछ लिया ।

“पाँच! अलबर्ट ने अजीब से भाव से जवाब दिया ।

“बिल्कुल गलत!“ शैफाली ने तेज आवाज में हंस कर कहा-

“अरे ग्रैंड अंकल ! उंगलियां तो चार ही हैं। एक तो अंगूठा है। और अंगूठे की गिनती उंगलि यों में नहीं करते।“

अलबर्ट ने धीरे से जेब से रुमाल निकालकर अपने माथे पर आए पसीने की बूंद को पोंछा और फिर माइकल की तरफ घूमता हुआ बोला-

“बाप ... रे .... बाप ...... ये लड़की है या शैतान की नानी । मुझे ही फंसा दिया।“

अलबर्ट के इतना कहते ही शैफाली को छोड़ बाकी सभी के मुंह से हंसी का एक जबरदस्त ठहाका फूट निकला ।




जारी. रहेगा.........✍️✍️

Bhai, abhi tak 5 epi padh chuka hoon.

2001 mein New York se Sydney ke liye nikalne wala bada ship Supreme apne saath kaafi saare raaz le kar jaa raha hai. Is journey mein shamil hain, saal ki Shefali, jo andhi hai lekin uske paas kuch extraordinary powers hain, uske parents Michael aur Martha, aur Michael ke purane professor Albert.

Ship par ek purane dost bhi phir milte hai Kristy aur Lauren ki, jo ek famous dance group ka hissa hain. Kristy ka past secrets se bhara hua hai, aur ek aadmi Alex, uske karib aane ki koshish karta hai.

Isi beech Interpol se ek message aata hai ki ship par kuch criminals bhi hain. Captain Suyash aur uski team ek plan banate hain taaki un criminals ko dhoondha ja sake.


Abhi tak story kaafi interesting lag rahi hai, full maza aa raha hai! Dekhte hain aage kya hota hai!!
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bhai, abhi tak 5 epi padh chuka hoon.

2001 mein New York se Sydney ke liye nikalne wala bada ship Supreme apne saath kaafi saare raaz le kar jaa raha hai. Is journey mein shamil hain, saal ki Shefali, jo andhi hai lekin uske paas kuch extraordinary powers hain, uske parents Michael aur Martha, aur Michael ke purane professor Albert.

Ship par ek purane dost bhi phir milte hai Kristy aur Lauren ki, jo ek famous dance group ka hissa hain. Kristy ka past secrets se bhara hua hai, aur ek aadmi Alex, uske karib aane ki koshish karta hai.

Isi beech Interpol se ek message aata hai ki ship par kuch criminals bhi hain. Captain Suyash aur uski team ek plan banate hain taaki un criminals ko dhoondha ja sake.


Abhi tak story kaafi interesting lag rahi hai, full maza aa raha hai! Dekhte hain aage kya hota hai!!
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug: Sath bane rahiye, is kahani ka Rahasya, romanch, aur thrill aapko poori padhne per majboor kar dega :yo: Thanks again.
 

Raj_sharma

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#108.

श्राप
(20,032 वर्ष पहले, हिमालय)

हिमालय के पर्वत शिखर पर चारो ओर श्वेत बर्फ फैली हुई थी। मंद-मंद बह रही हवा मन को लुभा रही थी।
आसमान से भी हल्की बर्फ के फाहे बरस रहे थे। ऐसे में एक 5 फुट ऊंचा बालक नंगे पाँव बर्फ पर ठुमकता हुआ जा रहा था। उसके दोनों हाथों में ‘मोदक’ थे।

ज्यादा भोजन करने की वजह से उस बालक का पेट थोड़ा बाहर निकल आया था।

उस बालक का सिर एक हाथी के समान था। यह बालक और कोई नहीं महा..देव पुत्र गणे..श थे।

उनके पीछे एक चूहा भी उछलता हुआ जा रहा था। वह चूहा बार-बार उछलकर उनके हाथ से मोदक छीनने की कोशिश कर रहा था।

पर वह चूहा जितनी बार उछलता, गणे.श अपना हाथ ऊपर कर लेते। आखिरकार थक कर वह चूहा एक जगह रुक गया।

उन्होंने पीछे पलटकर चूहे को देखा और फिर एक मोदक को वहीं बर्फ पर रख दिया।

मोदक को बर्फ पर रखते देख वह चूहा भागकर मोदक की ओर आया, पर चूहे के पास आते ही गणे..श ने फिर बर्फ पर रखे मोदक को उठा लिया।

“अच्छा मूषक जी, आप थके नहीं थे।” उन्होंने कहा- “आप थकने का नाटक कर रहे थे। अभी आपको एक भी मोदक नहीं मिलेगा, मोदक के लिये अभी आपको प्रतीक्षा करनी होगी।”

इतना कहकर गणे..श वापस ठुमकते हुए आगे बढ़ गये। तभी वातावरण में एक जोरदार हंसी सुनाई दी।

“हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ! कैसा हाथी जैसा बालक है, चूहे का खाना छीनकर खा रहा है और....और इसका पेट तो देखो, लगता है खा-खा कर फटने वाला है।”

यह शब्द सुन गणे..श ने अपना चेहरा आवाज वाली दिशा में घुमाया। उनको सामने पत्थर पर बैठी हुई एक खूबसूरत अप्सरा दिखाई दी।

“आप कौन हो देवी और आप इस प्रकार मेरा उपहास क्यों उड़ा रही हो ?” गणेश के शब्दों में मिठास भरी थी।

“मैं स्वर्ग की अप्सरा मणिका हूं, मैं यहाॅ पर देवी पा..र्वती की पूजा करने आयी हूं, पर तुम कौन हो बालक?” मणिका ने पूछा।

“मैं देवी का पुत्र गणे..श हूं, ये मूषक मेरी सवारी है, जिसे लेकर मैं ऊपर पर्वत की ओर जा रहा हूं।” उन्होंने भोलेपन से कहा।

“तुम और देवी पा..र्वती के पुत्र! ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” मणिका ने पुनः हंसते हुए कहा- “देवी पा.र्वती का पुत्र तुम्हारी तरह हाथी के सिर वाला नहीं है, और.... और यह मूषक तुम्हारी सवारी है। हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ अब हाथी भी मूषक की सवारी करेगा... हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ।”

“आपको एक बालक पर इस प्रकार से परिहास नहीं करना चाहिये, आप तो मेरी माता के समान हैं।” गणे..श के शब्दों में भोलापन झलक रहा था।

“मैं और तुम्हारी माता ! कदापि नहीं, मैं ऐसे हाथी के सिर वाले बालक की माता नहीं बनना चाहती, तेरे जैसा बालक होने से अच्छा है कि मेरे बालक ही ना हो।” मणिका ने एक बार फिर उनको देख अभद्र टिप्पणी की।

यह सुन अब गणे.श को क्रोध आ गया।

“मैं आपको बार-बार समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर लगता है कि आपको किसी बालक से बात करने का ढंग ही नहीं पता। जाइये मैं आपको श्राप देता हूं कि आपको कभी पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।”

“आप सदैव दूसरों के पुत्र को ही पालती रहेंगी। जिस प्रकार कलुषित मन से आपने मेरा उपहास उड़ाया है, आपका शरीर भी उसी प्रकार काला हो जायेगा और आप कितना भी कड़वा बोलने की कोशिश करें, पर आप कड़वा बोल नहीं पायेंगी।” गणे..श ने क्रोध से कहा।

उनके ऐसा कहते ही आसमान में घने काले बादल घिर आये और उसमें से एक बिजली आकर मणिका पर गिरी।

बिजली के गिरते ही मणिका का शरीर एक कोयल में परिवर्तित हो गया। यह देख मणिका घबरा गयी। वह गणे..श के पैरों में आकर गिर गयी-
“क्षमा... क्षमा गजानन, मैं आपको पहचान नहीं सकी, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आपके लिये अपशब्द निकल गये। मुझे क्षमा कर दीजिये लंबोदर... मैं आपको वचन देती हूं कि आज के बाद मैं किसी भी बालक के लिये अपने मुंह से अपशब्द नहीं निकालूंगी।”

मणिका के वचनों को सुन उनको को दया आ गयी और वह बोले-
“मैं अपने श्राप को वापस नहीं ले सकता, पर अपने श्राप के प्रभाव को कम अवश्य कर सकता हूं। हे देवी आपकी शादी के 20000 हजार वर्ष के बाद, आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।”

इतना कहकर गणे..श अंतध्र्यान हो गये। मणिका कुछ देर तक वहां बर्फ पर पड़ी रोती रही, फिर वहां से
उड़कर जंगलों की ओर चली गयी।

माया शक्ति
(19130 वर्ष पहले, कैरेबियन सागर)

‘नाईट ओशन’ नाम का एक जहाज कैरेबियन सागर में लहरों पर आगे बढ़ रहा था।

जहाज के डेक पर सोफिया अपने नवजात बच्चे कैस्पर के साथ एक कुर्सी पर बैठी थी।

सोफिया का पति मेरोन डेक की रेलिंग को पकड़े समुद्र की लहरों को उठते-गिरते देख रहा था।

“मेरोन हमारा बेटा कैस्पर कितना सुंदर है।” सोफिया ने कैस्पर को निहारते हुए कहा- “बिल्कुल अपने दादा ‘जीयूष’ पर गया है।”

“श्ऽऽऽऽऽऽऽ।” मेरोन ने सोफिया को धीरे बोलने का इशारा करते हुए कहा- “धीरे बोलो, हमें किसी को नहीं बताना है कि हम ‘जीयूष’ और ‘हेडिस’ के बच्चे हैं।”

“मेरोन हम कब तक ऐसे भागते रहेंगे?” सोफिया ने इस बार धीमे स्वर में कहा- “इस नन्हें से बच्चे को लेकर हम सिर्फ देवताओं से बचकर भाग रहे हैं। एक जगह शांति से ठहर भी नहीं सकते। कभी ना कभी तो
हम पकड़े ही जायेंगे। फिर... फिर हमारे कैस्पर का क्या होगा?”

“सोफिया तुम जानती हो कि हम एक जगह पर ठहर नहीं सकते।” मेरोन ने कहा- “जमीन पर मेरे पिता जीयूष हमें जीने नहीं देंगे और पाताल में तुम्हारे पिता हेडिस हमें रहने नहीं देंगे। अब बचा सिर्फ समुद्र..... जहां कि पोसाईडन हमें ढूंढ रहा है। हम जायें भी तो कहां ? और मुझे नहीं लगता कि यह तीनों हमें जीवन भर कभी माफ करेंगे? पिछले एक साल से हम देवमानव होकर भी छिपकर मनुष्यों की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, मगर हमारे पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।

इस समय पूरी दुनिया में कोई भी हमारा साथ नहीं देना चाह रहा, सभी तीनों देवताओं से डरते हैं, पर तुम चिंता ना करो, अगर ईश्वर ने हमें मिलाया है तो हमारी रक्षा का भी कोई ना कोई उपाय उनके पास जरुर होगा? देखना एक दिन सब ठीक हो जायेगा।”

तभी एक ऊंची लहर के आ जाने से जहाज थोड़ा लहरों पर उछला, जिसकी वजह से मेरोन का हाथ जहाज की रेलिंग पर फिसला और एक लकड़ी का नुकीला सिरा मेरोन के हाथ में धंस गया।

मेरोन के मुंह से कराह निकल गयी और उसके हाथ से खून की 2 बूंद निकलकर समुद्र में गिर गयी।
यह देख सोफिया और मेरोन भयभीत हो गये।

“तुम्हारे..... तुम्हारे खून की एक बूंद समुद्र में जा गिरी।” सोफिया ने डरते हुए कहा- “अब पोसाईडन को कुछ ही देर में हमारे बारे में पता चल जायेगा..... फिर वह बाकी दोनों देवताओं तक हमारी सूचना अवश्य ही पहुंचा देगा।......अब क्या होगा मेरोन?”

अब मेरोन के चेहरे पर भी भय साफ-साफ नजर आने लगा था। उसने तुरंत अपने हाथ से बहते खून पर, एक रुमाल कसकर बांधा और आगे बढ़कर सोफिया के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया।

“बीच समुद्र में हमारे पास बचकर निकलने का समय भी नहीं है।” मेरोन ने कहा- “अब तो वहीं होगा जो ये तीनों देवता चाहेंगे।”

“जीयूष और हेडिस ने आपसी दुश्मनी निभाते हुए, पहले ही हमें मारने का आदेश दे दिया था।” सोफिया ने गुस्से से अपने पिता और चाचा का नाम लेते हुए कहा- “वो अभी भी हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मुझे तो चिंता अब बस कैस्पर की हो रही है।”

“परेशान मत हो सोफिया, हम अपने पिताओं को कैस्पर का चेहरा दिखायेंगे। हो सकता है इस अबोध बालक को देख वह हमें जीवनदान दे दें।” मेरोन ने कहा।

तभी दोनों को आसमान में काले घने बादल घिरते हुए दिखाई दिये। जिसे देख दोनों बुरी तरह से डर गये।

“लो.....जिस बात का डर था वही हुआ.... तुम्हारे पिता जीयूष का आगमन हो गया।”सोफिया ने डरते हुए कहा- “बादलों को देखकर ही लग रहा है कि वह कितने गुस्से में हैं?”

तभी समुद्र की लहरें भी ऊंची-ऊंची उठना शुरु हो गयीं। जहाज के सभी यात्री घबरा कर इधर-उधर भागने लगे।

बादल इतने स्याह और खतरनाक दिख रहे थे, मानों आज वह प्रलय ला देने वाले हों।

तभी जोर की बिजली कड़की और समुद्र में जा गिरी। बिजली गिरने से समुद्र का पानी सैकड़ों फिट ऊपर उछला।

ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे जीयूष ने अपनी बिजली के माध्यम से पोसाईडन को कोई संदेश दिया हो।

अचानक समुद्र की लहरों ने विकराल रुप धारण कर लिया। अब वह उछलकर जहाज के ऊपर डेक तक आने लगीं थीं।

सोफिया ने कैस्पर को डरकर जोर से अपने सीने से चिपका लिया।

मेरोन ने आसमान की ओर चेहरा करते हुए जोर से चीखकर कहा-
“क्षमा कर दीजिये पिताजी। मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी। मुझे बिना आपकी इजाजत से सोफिया से शादी नहीं करनी चाहिये थी। पर अब हमारे पास आपका पोता भी है, कम से कम इसका तो ख्याल करिये।”

पर मेरोन का चीखना व्यर्थ जा रहा था। इतने खराब मौसम में तो उसकी आवाज डेक पर खड़े लोगों को ही सुनाई नहीं दे रही थी, फिर भला जीयूष क्या सुनते? या ये भी हो सकता है कि जीयूष चाहकर भी ये सब सुनना नहीं चाहते थे।

तूफान की रफ्तार और ज्यादा तेज हो गयी। अब वह जहाज पानी में किसी कागज के नाव की तरह डोल रही थी।

यह देख घबरा कर मेरोन ने कैस्पर को सोफिया के हाथों से लिया और अपने सिर के ऊपर उठा कर आसमान की तरफ देखते हुए चीखा-

“पिताजी , देखिये इस अबोध नन्हें बालक को। ये आपका ही वंशज है, क्या इसे जीने का कोई हक नहीं ? अभी तो इसने इस पृथ्वी पर कुछ भी नहीं देखा है? कम से कम हमारे लिये नहीं, तो इसके लिये हमें क्षमा कर दीजिये।”

तभी मेरोन को आसमान में जीयूष का गुस्से से भरा चेहरा दिखाई दिया। उनके चेहरे के भाव देखकर साफ पता चल रहा था कि मेरोन को क्षमा करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

जीयूष ने गुस्से से मेरोन के हाथ में पकड़े नन्हें कैस्पर को देखा और अपना अस्त्र ‘थंडरबोल्ट’ उठा कर कैस्पर पर फेंक कर मार दिया।

आसमान में जोर की बिजली कड़की और आसमान से उतरकर तेजी से कैस्पर की ओर झपटी।

यह देख सोफिया जोर से चीखकर मेरोन की ओर भागी, पर इससे पहले कि सोफिया मेरोन तक पहुंचती, आसमान से गिरी बिजली कैस्पर पर आकर गिरी।

एक जोरदार आवाज वातावरण में गूंजी और एक पल के लिये मेरोन को छोड़, सबकी आँखें बंद हो गयीं।
मेरोन ने देखा कि आसमान से गिरी बिजली कैस्पर से एक फुट की दूरी पर आकर हवा में विलीन हो गयी।

ऐसा लगा जैसे किसी अदृश्य दीवार ने कैस्पर की रक्षा की हो। यह देख जीयूष के चेहरे पर भी आश्चर्य के भाव आ गये। आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि कोई थंडरबोल्ट के वार को झेल पाया हो ?

सोफिया ने भी डरते-डरते अपनी आँख को खोलकर, कैस्पर की ओर देखा। वह नन्हा बालक अभी भी मेरोन के हाथ में सुरक्षित मुस्कुरा रहा था।

यह देखकर सोफिया की जान में जान आयी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक विशालकाय समुद्र की लहर ने पूरे जहाज को पानी में पलट दिया। शायद यह पोसाईडन का क्रोध था।

एक पल में जहाज के सारे यात्री पानी में थे। मेरोन अब समुद्र के अंदर गोता लगा रहा था, पर मेरोन ने कैस्पर को अपने हाथों से अभी भी नहीं छोड़ा था।

तभी सोफिया भी तैर कर मेरोन के पास आ गयी। दोनों को ही पानी में देर तक साँस लेने का अच्छा अभ्यास था, पर उन्हें नन्हें कैस्पर की चिंता थी।

सोफिया की नजर मेरोन के हाथ में पकड़े कैस्पर की ओर गयी।

वह यह देखकर हैरान रह गयी, क्यों कि कैस्पर को चारो ओर से एक अदृश्य किरण ने घेर रखा था, जिससे पानी उसके पास ही नहीं आ रहा था और कैस्पर पानी के अंदर भी आराम से साँस ले रहा था।

मेरोन भी यह देखकर हैरान हो गया। तभी पानी में एक तीव्र तरंगे उत्पन्न हुईं, जिसने उस स्थान पर मौजूद, पानी के अंदर की हर चीज को बुरी तरह से पानी में नचा दिया।

यह देख मेरोन ने सोफिया को पानी के और नीचे जाने का इशारा किया और स्वयं भी गहराई की ओर छलांग लगा दी।

कुछ ही देर में सोफिया और मेरोन समुद्र की अधिकतम गहराई तक पहुंच गये।

अब वह समुद्र की सतह की ओर देख रहे थे। सतह पर पोसाईडन का क्रोध अब भी जहाज के यात्रियों पर कहर ढा रहा था।

मेरोन को पता था कि कुछ ही देर में पोसाईडन को उनकी वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा और फिर उनका बच पाना मुश्किल होगा, पर फिर भी वह ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने परिवार को बचाना चाहता था।

मेरोन और सोफिया का ध्यान ऊपर की तरफ था, तभी उनके पीछे से मगरमच्छ पर बैठा हुआ, नोफोआ प्रकट हुआ।

नोफोआ ने अपने भाले जैसे अस्त्र से मेरोन पर निशाना साधा, तभी मेरोन को पानी में पीछे किसी के होने का अहसास हुआ और वह पलटा।

पीछे खड़े नोफोआ को देख, मेरोन ने घबरा कर सोफिया को पीछे की ओर इशारा किया।

अब सोफिया की भी नजर नोफोआ पर जा कर टिक गयी, मगर इससे पहले कि नोफोआ अपने अस्त्र का प्रयोग उन दोनों पर कर पाता, तभी कहीं से एक विशालकाय ब्लू व्हेल प्रकट हुई।

उसने मेरोन और सोफिया को कैस्पर सहित अपने मुंह में भर लिया और तेजी से तैरती हुई समुद्र में गायब हो गयी।

यह देख नोफोआ के चेहरे पर खुशी के भाव उभर आये, वह तुरंत इस शुभ समाचार को पोसाईडन को सुनाने उसकी ओर बढ़ गया।

उधर मेरोन और सोफिया अभी भी ब्लू व्हेल के मुंह में कैस्पर संग सुरक्षित थे।

“ये व्हेल ने हमें अभी तक निगला क्यों नहीं?” सोफिया के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कोई है ऐसा, जो हमारी मदद कर रहा है?” मेरोन ने कहा- “जीयूष के थंडरबोल्ट से कैस्पर का बचना कोई इत्तेफाक नहीं था, किसी ने अदृश्य किरणों से कैस्पर की रक्षा की थी और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह ब्लू व्हेल भी उसी की है, जो हमें शायद उस अदृश्य शक्ति के पास लेकर जा रही है।”

“पर इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी शक्ति है, जो जीयूष के थंडरबोल्ट को निष्क्रिय कर दे।” सोफिया ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

तभी व्हेल के मुंह में एक स्त्री की अदृश्य आवाज गूंजी- “महादेव की माया में बहुत शक्ति है, जो किसी भी देवता के शस्त्र को निष्क्रिय कर सकती है।”

यह अंजानी आवाज सुन मेरोन और सोफिया पूरी तरह से घबरा गये।

“आप कौन हो और इस व्हेल के अंदर आपकी आवाज कैसे गूंज रही है?” मेरोन ने साहस करते हुए पूछा।

“मेरा नाम माया है, मैं तुम लोगों से हजारों किलोमीटर दूर हूं।” माया ने कहा।

“हजारों किलोमीटर!” सोफिया ने आश्चर्य से कहा- “फिर आप हमसे बात कैसे कर सकती हो?”

“हिं..दू धर्म के अनुसार माया शब्द का अर्थ मैजिक होता है, अब जिसके नाम में ही मैजिक हो, उसे भला चमत्कार करने से कौन रोक सकता है।” माया के शब्दों में रहस्य की झलक नजर आ रही थी।

“क्या हम जान सकते हैं कि आपने हमें क्यों बचाया और आपकी शक्तियों का स्रोत क्या है?” मेरोन ने पूछा ।

“तुम लोगों को बचाने का कारण तुम्हारा पुत्र ही है, वह भविष्य में किसी कार्य में मेरी मदद करने वाला है, इसीलिये मैंने उसे बचाया और मेरी शक्तियों का स्रोत ग्रीक देवी-देवताओं से सम्बन्धित नहीं है।” माया ने कहा।

“क्या आप भविष्य को देख लेती हैं?” सोफिया ने पूछा।

“मैं भविष्य के बारे में, सितारों से गणना करके बहुत कुछ पता लगा लेती हूं, पर सब कुछ नहीं जानती ।” माया ने कहा।

“क्या आप बता सकती हैं कि मेरे पुत्र के भविष्य में क्या है?” सोफिया ने शुद्ध माँ की भूमिका निभाते हुए कहा।

“तुम्हारे पुत्र का भविष्य बहुत अच्छा है।” माया ने कहा- “आगे जाकर तुम्हारा पुत्र पूरे आकाश पर राज करेगा और तुम लोग उसे देखकर उस पर गर्व करोगे।”

“इसका मतलब जीयूष और हेडिस हमें क्षमा कर देंगे?” मेरोन ने पूछा।

“इसका जवाब मैं तुम्हें नहीं दे सकती, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पर छोड़ दो।” माया ने कहा- “फिलहाल तुम लोग मेरे घर में प्रवेश करने वाले हो।”

यह सुन मेरोन और सोफिया शांत हो गये, पर उनके चेहरे पर भविष्य की खबर सुन, खुशी साफ देखी जा सकती थी।


जारी
रहेगा______✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma bhai 300 shatak ki hardik badhai ho aapko

:congrats: for complete 300 pages
💯💯💯

Awesome update
पिछले अपडेट के राज धीरे धीरे सामने आने लगे है

Roger ke paas aazadi ke sirf 8 ghante thay.. is beech usne un hare keedo (ya aliens👽?) Mariya ko paani ke ander uss spaceship mei le jaate dekha..

Usne yeh bhi dekha ke us whale machli ne Vyom ke helicopter 🚁 par hamla kiya, lekin shukr hai ki Vyom ko usne bacha liya.

Aur paani ke bawandar🌊 ka raaz bhi pata chala..

Pichhale hadason par se thoda parda toh utha hai ki yeh sab kaise hue? lekin 'kyu' hue yeh abhi bhi sawal hai.

Aur Akruti🧝🏻‍♀️ ne bhi Roger ko theek se bataya nahi ke usae Supreme par jaakar kya karna hai? 🤔

Ab sochne wali baat yeh hai ki, Roger ne kyu us dweep ke khataron jo jaante hue bhi 🛳️Supreme ko us dweep ke aur 👉jaane ka ishara kyu kiya?

Aur is kahani mei kuch bhi bewajah nahi hota. Iss chuhe billi ki bhi koi kahani hogi. 🐈 🐁...

Agle updates ka intezaar rahega... :cool3:



Awesome update bhai👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻 jitna padho utna kam🙏🏼🙏🏼
To kya hanuka gurutva shakti wapas la payega, jaise ki neema ne kaha ki wo ajeey hai, rahi baat sawaalo ki, to mujhe to 10-12 hi yaad they😂😂 acha hua aapne likh diye, just too good 👍
Kab start kar rahe ho aap? Hume intzaar rahega:bow::bow::bow:

Awesome bhai
Aapne ye acha kiya sabhi sawalo ki ek list bna di

राज भाई, यह कहानी (उपन्यास कहना चाहिए) बहुत ही विशाल और विस्तृत है।
न केवल उतना ही, जैसा कि संजू भाई ने कहा, यह कथा देवकीनंदन खत्री जी की चन्द्रकान्ता जैसी ही बन गई है।
और यह अपने आप में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। आप सच में इसको उपन्यास के रूप में पब्लिश करने का सोचिए!
चाहे कोई साथ हो या न हो, देर से ही सही, मैं इस कहानी में आपके संग हूँ! :)

Bhut hi badhiya update
Is naye adhayay ka pahla update to ekdum jabardast tha
Dekhte hai ab aage ke updates me kya hota hai

Wonderful update brother.

Ye story maine kai baar tv par dekha tha ek baar phir se padh kar acha laga.

Lekin kahin par maine Neelabh ke bare mein nahi padha tha.

Mayavan ki story interesting hone wali hai jaise aapne isko start kiya hai. Aur ek character ka introduction ho gaya hai Neelabh ya ye pahle bhi story mein aa chuka hai mujhe yaad nahi aa raha hai.

Let's see ye story mein kya naya lata hai.

Sorry thoda late se padhne ke liye thoda fever tha isliye forum par bahut baar aaya lekin story nahi padha.

Bhut hi badhiya update
To lagta hai araka dveep ka nirmaan bhi isi vidya se huva hai
Dekhte hai aage kya hota hai

Maya ke do shishay jo sadharan manushay hi he....... Magna & Casper

Dono ne hi samundra ke devta Posyden ka ghamand chaknachur kar diya............

Ab use bhi aisa hi mahal chahiye apne liye..............

Adhbhud, Akalpaniy.............

Gazab Bhai Raj_sharma

Nice update 👌👌

avsji बन्धु आपका तर्क स्वीकारणीय है लेकिन अकाट्य नहीं।
वास्तव में किसी भी
उपलब्ध इतिहास, प्रसिद्ध व्यक्ति और सामाजिक व्यवस्था से पहले भी संस्कृति, परम्परा और समाज होता था।
Raj_sharma भाई अपनी संस्कृति दूसरे पर थोप रहे हैं ऐसा आपको लगा, लेकिन मुझे इसका दूसरा पहलू जो समझ आया, आपके सामने रख रहा हूं, पढ़कर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें
सम्पूर्ण पृथ्वी पर समान संस्कृति या सभ्यता थी, समय के साथ नये सामाजिक, सांस्कृतिक व साम्प्रदायिक समूह बनने पर उन समूहों ने सभ्यता या संस्कृति को अपने अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर अलग-अलग रुप में परिभाषित किया जिससे अलग-अलग शब्दों में एक ही बात को कहा जाने लगा और साधारण मनुष्यों ने उनको अलग-अलग ही सभ्यता मान लिया।
विदेशी सभ्यताओं के ऊपर कुछ साम्प्रदायिक समूह इतने हावी हो गये कि वहां के आमजन उन सम्प्रदायों के संस्थापकों और पुस्तकों को ही सभ्यता और संस्कृति का सृजन मानने लगे और उनके पूर्व की सभ्यता-संस्कृति का अस्तित्व ही मानने को तैयार नहीं।
जबकि भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़े ज्यादातर लोग आज भी संस्कृति, परम्परा, सभ्यता को अपने आराध्य व्यक्ति और पुस्तकों से प्राचीन मानते हैं
इसीलिए उनकी सभ्यता की कहानी 1500-2000 साल पहले जन्मे व्यक्ति और उसकी लिखी पुस्तक पर समाप्त हो जाती है जबकि हम सांस्कृतिक इतिहास को किसी विशेष क्षेत्र, व्यक्ति या पुस्तक से भी पहले सम्पूर्ण पृथ्वी ही नहीं सम्पूर्ण विश्व तक गणना करते हैं सृष्टि काल से....
जो शर्मा जी यहां कर रहे हैं।

शब्दों का फेर है पोसाइडन कहो या वरुण, जैसे ऑसन कहो या समुद्र....मूल में तत्व तो एक ही है

nice update

nice update. maya mahal ko Casper aur magna ne banaya hai ,jiski security khud samudra ka devta posaidon bhi nahi tod paya .
mahal ki sunderta ka varnan bahut achche se kiya hai .
posaidon bhi waisa hi mahal apne liye banana chahta hai par Casper aur magna pehle apne gurumata se baat karna chahte hai .
dekhte hai ye gurumata kya hai jo samudra ki gufa me rehti hai par abtak uska pata posaidon ko bhi nahi hai .

सबसे पहले तो एक बार फिर से इस पोसाइडन महाराज की - :hammer: यह देवता तो आदमी छोड़ो राक्षस से भी अधिक हैवान है । इसे वहां के लोगों ने देवता कैसे मान लिया !
इस बार उसने जलपरियों के साथ धृष्टता करी और उन्हे शायद मार भी डाला । यह व्यक्ति खुद को समुद्र का देवता कहता है और इसे यह भी पता नही है कि समुद्र के अंदर कुछ गुफाएँ भी है ।

समुद्र के देवता हमलोगों के लिए वरूण है । इन्हे भी एक बार अपने शक्ति पर अभिमान हो गया था लेकिन सिर्फ अभिमान ही हुआ था और कोई गलत विकार पैदा नही हुआ था । सिर्फ इस घमंड की वजह से प्रभु राम इन पर क्रोधित हो गए थे और समुद्र का अस्तित्व ही समाप्त करने पर उतारू थे । लेकिन जल्द ही वरूण को अपनी गलती का एहसास हो गया ।
" विनय न मानत जलधि जड़ , गए तीन दिन बीति ।
बोले राम सकोप तब , भय बिनु होइ न प्रीति ।। "

और जहां तक बात है लंका की , लंका का निर्माण भोलेनाथ के निर्देश पर विश्वकर्मा ने किया था । लेकिन पुलस्तय ऋषि के पुत्र विश्रवा मुनि लोभ मे पड़कर लंका को खुद के लिए मांग लिया । बाद मे इन्होने इसे अपने पुत्र कुबेर को सौंप दिया । इन्ही विश्रवा मुनि की दूसरी पत्नी कैकसी से उत्पन्न रावण ने आगे चलकर इस लंका को कुबेर से छीन लिया था ।
कैकसी मायासुर की पुत्री थी ।

इन विषय पर बहुत लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन प्रोब्लम यह है कि इसके लिए यह फ्लैटफार्म सही नही है ।

खैर , देखते है कैस्पर और मैग्ना इस तथाकथित समुद्री गाॅड पोसाइडन का सामना किस तरह से करते है !

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत अप्रतिम रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
एक के बाद एक नये नये रोमांचक प्रसंग ,
वाह भाई वाह जबरदस्त अपडेट
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Updates review 11 to 20

Shandaar Raj_sharma bhai shandar
Ye Hollywood level ka story plot hai ,
Atlantis, barmuda triangle, supreme the Cruise

story ke main plot focus samne hai, "story supreme par ghum rahe apradhi ka side plot aur altantic Ki mystery aur shaffali ka Atlantis connection mein focus rahega .

Ab samjh bhi aagaya story prefie thriller mein nahi hokar fantasy mein kyo hai.

Lets review Begin
Shurwat supreme par new party se hoti hai aur party ke dauran laurain ka murder hojata hai , ab sawal aata hai kon laurain ka murder hosakta hai kya wo alex hai , ya laurain ka unmention boy friend , ya unknown man .

Update 13 ke last mein

Bradon kuch chhupa raha hai ,kahi Brendon hi toh nahi lauran ka boyfriend ho .


Ab professor Albert bhi kuch chhupa rahe par kya ? Kya ho sakta , qaatil toh nahi hai Albert but baat kuch jaroor hai hai .

Captain Roger aur aslam Ki ek chhoti si galti ke chalte supreme ab rasta bhatak hai aur bhawar se Baal baal bacha hai.


Captain suyash ki back par ek tattoo hai
Agar iss tattoo ka bhi kuch raaz hua toh captain suyash bhi fantasy world se talukath rakh sakte hai .

Captain Roger ka kuch pata nahi hai Ki unhone uss island par kya dekh Liya aur unka sampark tut gaya.

shaffali ke pass Atlantis Se related gold coin mila jisse bahut raaz samne aate hai .

Ek taraf murder mystery dusri taraf Atlantic island Ki mystery ab dekh ye hoga Ki aage kyaa kyaa raaz samne aate hai .

Overall all ten updates are awesomes,
And a lot of informative about a new fantasy world
.

लोगो बढ़िया है 👍:)


Update posted friends :declare:
 

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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259
romanchak update. manika ne majak udaya tha devta ka isliye usko shrap diya gaya .wo kabhi maa nahi ban sakti par dusro ke bachcho ko maa jaisa pyar karegi ..
meron aur sophia jo devtao ke bachche hai jinhone unke marji ke khilaf shadi ki jisse unhe devta ki krodh ka saamna karna pad raha hai par maya ne teeno ko safely bacha liya aur Casper ke baare me bhavishy vani bhi ki .
kya maya hi manika hai jo Casper aur magna ko paalegi ..
nofoa ko laga ki whale ne teeno ko kha liya isliye wo khush khabri sunane chala gaya .
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update. manika ne majak udaya tha devta ka isliye usko shrap diya gaya .wo kabhi maa nahi ban sakti par dusro ke bachcho ko maa jaisa pyar karegi ..
meron aur sophia jo devtao ke bachche hai jinhone unke marji ke khilaf shadi ki jisse unhe devta ki krodh ka saamna karna pad raha hai par maya ne teeno ko safely bacha liya aur Casper ke baare me bhavishy vani bhi ki .
kya maya hi manika hai jo Casper aur magna ko paalegi ..
nofoa ko laga ki whale ne teeno ko kha liya isliye wo khush khabri sunane chala gaya .
Theeno filhaal bach gaye hai, and maaya hi manika hai bhi, per uske baare me jyada nahi bataunga abhi :D Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

parkas

Well-Known Member
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#108.

श्राप (20,032 वर्ष पहले, हिमालय)

हिमालय के पर्वत शिखर पर चारो ओर श्वेत बर्फ फैली हुई थी। मंद-मंद बह रही हवा मन को लुभा रही थी।
आसमान से भी हल्की बर्फ के फाहे बरस रहे थे। ऐसे में एक 5 फुट ऊंचा बालक नंगे पाँव बर्फ पर ठुमकता हुआ जा रहा था। उसके दोनों हाथों में ‘मोदक’ थे।

ज्यादा भोजन करने की वजह से उस बालक का पेट थोड़ा बाहर निकल आया था।

उस बालक का सिर एक हाथी के समान था। यह बालक और कोई नहीं महा..देव पुत्र गणे..श थे।

उनके पीछे एक चूहा भी उछलता हुआ जा रहा था। वह चूहा बार-बार उछलकर उनके हाथ से मोदक छीनने की कोशिश कर रहा था।

पर वह चूहा जितनी बार उछलता, गणे.श अपना हाथ ऊपर कर लेते। आखिरकार थक कर वह चूहा एक जगह रुक गया।

उन्होंने पीछे पलटकर चूहे को देखा और फिर एक मोदक को वहीं बर्फ पर रख दिया।

मोदक को बर्फ पर रखते देख वह चूहा भागकर मोदक की ओर आया, पर चूहे के पास आते ही गणे..श ने फिर बर्फ पर रखे मोदक को उठा लिया।

“अच्छा मूषक जी, आप थके नहीं थे।” उन्होंने कहा- “आप थकने का नाटक कर रहे थे। अभी आपको एक भी मोदक नहीं मिलेगा, मोदक के लिये अभी आपको प्रतीक्षा करनी होगी।”

इतना कहकर गणे..श वापस ठुमकते हुए आगे बढ़ गये। तभी वातावरण में एक जोरदार हंसी सुनाई दी।

“हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ! कैसा हाथी जैसा बालक है, चूहे का खाना छीनकर खा रहा है और....और इसका पेट तो देखो, लगता है खा-खा कर फटने वाला है।”

यह शब्द सुन गणे..श ने अपना चेहरा आवाज वाली दिशा में घुमाया। उनको सामने पत्थर पर बैठी हुई एक खूबसूरत अप्सरा दिखाई दी।

“आप कौन हो देवी और आप इस प्रकार मेरा उपहास क्यों उड़ा रही हो ?” गणेश के शब्दों में मिठास भरी थी।

“मैं स्वर्ग की अप्सरा मणिका हूं, मैं यहाॅ पर देवी पा..र्वती की पूजा करने आयी हूं, पर तुम कौन हो बालक?” मणिका ने पूछा।

“मैं देवी का पुत्र गणे..श हूं, ये मूषक मेरी सवारी है, जिसे लेकर मैं ऊपर पर्वत की ओर जा रहा हूं।” उन्होंने भोलेपन से कहा।

“तुम और देवी पा..र्वती के पुत्र! ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” मणिका ने पुनः हंसते हुए कहा- “देवी पा.र्वती का पुत्र तुम्हारी तरह हाथी के सिर वाला नहीं है, और.... और यह मूषक तुम्हारी सवारी है। हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ अब हाथी भी मूषक की सवारी करेगा... हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ।”

“आपको एक बालक पर इस प्रकार से परिहास नहीं करना चाहिये, आप तो मेरी माता के समान हैं।” गणे..श के शब्दों में भोलापन झलक रहा था।

“मैं और तुम्हारी माता ! कदापि नहीं, मैं ऐसे हाथी के सिर वाले बालक की माता नहीं बनना चाहती, तेरे जैसा बालक होने से अच्छा है कि मेरे बालक ही ना हो।” मणिका ने एक बार फिर उनको देख अभद्र टिप्पणी की।

यह सुन अब गणे.श को क्रोध आ गया।

“मैं आपको बार-बार समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर लगता है कि आपको किसी बालक से बात करने का ढंग ही नहीं पता। जाइये मैं आपको श्राप देता हूं कि आपको कभी पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।”

“आप सदैव दूसरों के पुत्र को ही पालती रहेंगी। जिस प्रकार कलुषित मन से आपने मेरा उपहास उड़ाया है, आपका शरीर भी उसी प्रकार काला हो जायेगा और आप कितना भी कड़वा बोलने की कोशिश करें, पर आप कड़वा बोल नहीं पायेंगी।” गणे..श ने क्रोध से कहा।

उनके ऐसा कहते ही आसमान में घने काले बादल घिर आये और उसमें से एक बिजली आकर मणिका पर गिरी।

बिजली के गिरते ही मणिका का शरीर एक कोयल में परिवर्तित हो गया। यह देख मणिका घबरा गयी। वह गणे..श के पैरों में आकर गिर गयी-
“क्षमा... क्षमा गजानन, मैं आपको पहचान नहीं सकी, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आपके लिये अपशब्द निकल गये। मुझे क्षमा कर दीजिये लंबोदर... मैं आपको वचन देती हूं कि आज के बाद मैं किसी भी बालक के लिये अपने मुंह से अपशब्द नहीं निकालूंगी।”

मणिका के वचनों को सुन उनको को दया आ गयी और वह बोले-
“मैं अपने श्राप को वापस नहीं ले सकता, पर अपने श्राप के प्रभाव को कम अवश्य कर सकता हूं। हे देवी आपकी शादी के 20000 हजार वर्ष के बाद, आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।”

इतना कहकर गणे..श अंतध्र्यान हो गये। मणिका कुछ देर तक वहां बर्फ पर पड़ी रोती रही, फिर वहां से
उड़कर जंगलों की ओर चली गयी।

माया शक्ति
(19130 वर्ष पहले, कैरेबियन सागर)

‘नाईट ओशन’ नाम का एक जहाज कैरेबियन सागर में लहरों पर आगे बढ़ रहा था।

जहाज के डेक पर सोफिया अपने नवजात बच्चे कैस्पर के साथ एक कुर्सी पर बैठी थी।

सोफिया का पति मेरोन डेक की रेलिंग को पकड़े समुद्र की लहरों को उठते-गिरते देख रहा था।

“मेरोन हमारा बेटा कैस्पर कितना सुंदर है।” सोफिया ने कैस्पर को निहारते हुए कहा- “बिल्कुल अपने दादा ‘जीयूष’ पर गया है।”

“श्ऽऽऽऽऽऽऽ।” मेरोन ने सोफिया को धीरे बोलने का इशारा करते हुए कहा- “धीरे बोलो, हमें किसी को नहीं बताना है कि हम ‘जीयूष’ और ‘हेडिस’ के बच्चे हैं।”

“मेरोन हम कब तक ऐसे भागते रहेंगे?” सोफिया ने इस बार धीमे स्वर में कहा- “इस नन्हें से बच्चे को लेकर हम सिर्फ देवताओं से बचकर भाग रहे हैं। एक जगह शांति से ठहर भी नहीं सकते। कभी ना कभी तो
हम पकड़े ही जायेंगे। फिर... फिर हमारे कैस्पर का क्या होगा?”

“सोफिया तुम जानती हो कि हम एक जगह पर ठहर नहीं सकते।” मेरोन ने कहा- “जमीन पर मेरे पिता जीयूष हमें जीने नहीं देंगे और पाताल में तुम्हारे पिता हेडिस हमें रहने नहीं देंगे। अब बचा सिर्फ समुद्र..... जहां कि पोसाईडन हमें ढूंढ रहा है। हम जायें भी तो कहां ? और मुझे नहीं लगता कि यह तीनों हमें जीवन भर कभी माफ करेंगे? पिछले एक साल से हम देवमानव होकर भी छिपकर मनुष्यों की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, मगर हमारे पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।

इस समय पूरी दुनिया में कोई भी हमारा साथ नहीं देना चाह रहा, सभी तीनों देवताओं से डरते हैं, पर तुम चिंता ना करो, अगर ईश्वर ने हमें मिलाया है तो हमारी रक्षा का भी कोई ना कोई उपाय उनके पास जरुर होगा? देखना एक दिन सब ठीक हो जायेगा।”

तभी एक ऊंची लहर के आ जाने से जहाज थोड़ा लहरों पर उछला, जिसकी वजह से मेरोन का हाथ जहाज की रेलिंग पर फिसला और एक लकड़ी का नुकीला सिरा मेरोन के हाथ में धंस गया।

मेरोन के मुंह से कराह निकल गयी और उसके हाथ से खून की 2 बूंद निकलकर समुद्र में गिर गयी।
यह देख सोफिया और मेरोन भयभीत हो गये।

“तुम्हारे..... तुम्हारे खून की एक बूंद समुद्र में जा गिरी।” सोफिया ने डरते हुए कहा- “अब पोसाईडन को कुछ ही देर में हमारे बारे में पता चल जायेगा..... फिर वह बाकी दोनों देवताओं तक हमारी सूचना अवश्य ही पहुंचा देगा।......अब क्या होगा मेरोन?”

अब मेरोन के चेहरे पर भी भय साफ-साफ नजर आने लगा था। उसने तुरंत अपने हाथ से बहते खून पर, एक रुमाल कसकर बांधा और आगे बढ़कर सोफिया के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया।

“बीच समुद्र में हमारे पास बचकर निकलने का समय भी नहीं है।” मेरोन ने कहा- “अब तो वहीं होगा जो ये तीनों देवता चाहेंगे।”

“जीयूष और हेडिस ने आपसी दुश्मनी निभाते हुए, पहले ही हमें मारने का आदेश दे दिया था।” सोफिया ने गुस्से से अपने पिता और चाचा का नाम लेते हुए कहा- “वो अभी भी हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मुझे तो चिंता अब बस कैस्पर की हो रही है।”

“परेशान मत हो सोफिया, हम अपने पिताओं को कैस्पर का चेहरा दिखायेंगे। हो सकता है इस अबोध बालक को देख वह हमें जीवनदान दे दें।” मेरोन ने कहा।

तभी दोनों को आसमान में काले घने बादल घिरते हुए दिखाई दिये। जिसे देख दोनों बुरी तरह से डर गये।

“लो.....जिस बात का डर था वही हुआ.... तुम्हारे पिता जीयूष का आगमन हो गया।”सोफिया ने डरते हुए कहा- “बादलों को देखकर ही लग रहा है कि वह कितने गुस्से में हैं?”

तभी समुद्र की लहरें भी ऊंची-ऊंची उठना शुरु हो गयीं। जहाज के सभी यात्री घबरा कर इधर-उधर भागने लगे।

बादल इतने स्याह और खतरनाक दिख रहे थे, मानों आज वह प्रलय ला देने वाले हों।

तभी जोर की बिजली कड़की और समुद्र में जा गिरी। बिजली गिरने से समुद्र का पानी सैकड़ों फिट ऊपर उछला।

ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे जीयूष ने अपनी बिजली के माध्यम से पोसाईडन को कोई संदेश दिया हो।

अचानक समुद्र की लहरों ने विकराल रुप धारण कर लिया। अब वह उछलकर जहाज के ऊपर डेक तक आने लगीं थीं।

सोफिया ने कैस्पर को डरकर जोर से अपने सीने से चिपका लिया।

मेरोन ने आसमान की ओर चेहरा करते हुए जोर से चीखकर कहा-
“क्षमा कर दीजिये पिताजी। मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी। मुझे बिना आपकी इजाजत से सोफिया से शादी नहीं करनी चाहिये थी। पर अब हमारे पास आपका पोता भी है, कम से कम इसका तो ख्याल करिये।”

पर मेरोन का चीखना व्यर्थ जा रहा था। इतने खराब मौसम में तो उसकी आवाज डेक पर खड़े लोगों को ही सुनाई नहीं दे रही थी, फिर भला जीयूष क्या सुनते? या ये भी हो सकता है कि जीयूष चाहकर भी ये सब सुनना नहीं चाहते थे।

तूफान की रफ्तार और ज्यादा तेज हो गयी। अब वह जहाज पानी में किसी कागज के नाव की तरह डोल रही थी।

यह देख घबरा कर मेरोन ने कैस्पर को सोफिया के हाथों से लिया और अपने सिर के ऊपर उठा कर आसमान की तरफ देखते हुए चीखा-

“पिताजी , देखिये इस अबोध नन्हें बालक को। ये आपका ही वंशज है, क्या इसे जीने का कोई हक नहीं ? अभी तो इसने इस पृथ्वी पर कुछ भी नहीं देखा है? कम से कम हमारे लिये नहीं, तो इसके लिये हमें क्षमा कर दीजिये।”

तभी मेरोन को आसमान में जीयूष का गुस्से से भरा चेहरा दिखाई दिया। उनके चेहरे के भाव देखकर साफ पता चल रहा था कि मेरोन को क्षमा करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

जीयूष ने गुस्से से मेरोन के हाथ में पकड़े नन्हें कैस्पर को देखा और अपना अस्त्र ‘थंडरबोल्ट’ उठा कर कैस्पर पर फेंक कर मार दिया।

आसमान में जोर की बिजली कड़की और आसमान से उतरकर तेजी से कैस्पर की ओर झपटी।

यह देख सोफिया जोर से चीखकर मेरोन की ओर भागी, पर इससे पहले कि सोफिया मेरोन तक पहुंचती, आसमान से गिरी बिजली कैस्पर पर आकर गिरी।

एक जोरदार आवाज वातावरण में गूंजी और एक पल के लिये मेरोन को छोड़, सबकी आँखें बंद हो गयीं।
मेरोन ने देखा कि आसमान से गिरी बिजली कैस्पर से एक फुट की दूरी पर आकर हवा में विलीन हो गयी।

ऐसा लगा जैसे किसी अदृश्य दीवार ने कैस्पर की रक्षा की हो। यह देख जीयूष के चेहरे पर भी आश्चर्य के भाव आ गये। आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि कोई थंडरबोल्ट के वार को झेल पाया हो ?

सोफिया ने भी डरते-डरते अपनी आँख को खोलकर, कैस्पर की ओर देखा। वह नन्हा बालक अभी भी मेरोन के हाथ में सुरक्षित मुस्कुरा रहा था।

यह देखकर सोफिया की जान में जान आयी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक विशालकाय समुद्र की लहर ने पूरे जहाज को पानी में पलट दिया। शायद यह पोसाईडन का क्रोध था।

एक पल में जहाज के सारे यात्री पानी में थे। मेरोन अब समुद्र के अंदर गोता लगा रहा था, पर मेरोन ने कैस्पर को अपने हाथों से अभी भी नहीं छोड़ा था।

तभी सोफिया भी तैर कर मेरोन के पास आ गयी। दोनों को ही पानी में देर तक साँस लेने का अच्छा अभ्यास था, पर उन्हें नन्हें कैस्पर की चिंता थी।

सोफिया की नजर मेरोन के हाथ में पकड़े कैस्पर की ओर गयी।

वह यह देखकर हैरान रह गयी, क्यों कि कैस्पर को चारो ओर से एक अदृश्य किरण ने घेर रखा था, जिससे पानी उसके पास ही नहीं आ रहा था और कैस्पर पानी के अंदर भी आराम से साँस ले रहा था।

मेरोन भी यह देखकर हैरान हो गया। तभी पानी में एक तीव्र तरंगे उत्पन्न हुईं, जिसने उस स्थान पर मौजूद, पानी के अंदर की हर चीज को बुरी तरह से पानी में नचा दिया।

यह देख मेरोन ने सोफिया को पानी के और नीचे जाने का इशारा किया और स्वयं भी गहराई की ओर छलांग लगा दी।

कुछ ही देर में सोफिया और मेरोन समुद्र की अधिकतम गहराई तक पहुंच गये।

अब वह समुद्र की सतह की ओर देख रहे थे। सतह पर पोसाईडन का क्रोध अब भी जहाज के यात्रियों पर कहर ढा रहा था।

मेरोन को पता था कि कुछ ही देर में पोसाईडन को उनकी वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा और फिर उनका बच पाना मुश्किल होगा, पर फिर भी वह ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने परिवार को बचाना चाहता था।

मेरोन और सोफिया का ध्यान ऊपर की तरफ था, तभी उनके पीछे से मगरमच्छ पर बैठा हुआ, नोफोआ प्रकट हुआ।

नोफोआ ने अपने भाले जैसे अस्त्र से मेरोन पर निशाना साधा, तभी मेरोन को पानी में पीछे किसी के होने का अहसास हुआ और वह पलटा।

पीछे खड़े नोफोआ को देख, मेरोन ने घबरा कर सोफिया को पीछे की ओर इशारा किया।

अब सोफिया की भी नजर नोफोआ पर जा कर टिक गयी, मगर इससे पहले कि नोफोआ अपने अस्त्र का प्रयोग उन दोनों पर कर पाता, तभी कहीं से एक विशालकाय ब्लू व्हेल प्रकट हुई।

उसने मेरोन और सोफिया को कैस्पर सहित अपने मुंह में भर लिया और तेजी से तैरती हुई समुद्र में गायब हो गयी।

यह देख नोफोआ के चेहरे पर खुशी के भाव उभर आये, वह तुरंत इस शुभ समाचार को पोसाईडन को सुनाने उसकी ओर बढ़ गया।

उधर मेरोन और सोफिया अभी भी ब्लू व्हेल के मुंह में कैस्पर संग सुरक्षित थे।

“ये व्हेल ने हमें अभी तक निगला क्यों नहीं?” सोफिया के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कोई है ऐसा, जो हमारी मदद कर रहा है?” मेरोन ने कहा- “जीयूष के थंडरबोल्ट से कैस्पर का बचना कोई इत्तेफाक नहीं था, किसी ने अदृश्य किरणों से कैस्पर की रक्षा की थी और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह ब्लू व्हेल भी उसी की है, जो हमें शायद उस अदृश्य शक्ति के पास लेकर जा रही है।”

“पर इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी शक्ति है, जो जीयूष के थंडरबोल्ट को निष्क्रिय कर दे।” सोफिया ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

तभी व्हेल के मुंह में एक स्त्री की अदृश्य आवाज गूंजी- “महादेव की माया में बहुत शक्ति है, जो किसी भी देवता के शस्त्र को निष्क्रिय कर सकती है।”

यह अंजानी आवाज सुन मेरोन और सोफिया पूरी तरह से घबरा गये।

“आप कौन हो और इस व्हेल के अंदर आपकी आवाज कैसे गूंज रही है?” मेरोन ने साहस करते हुए पूछा।

“मेरा नाम माया है, मैं तुम लोगों से हजारों किलोमीटर दूर हूं।” माया ने कहा।

“हजारों किलोमीटर!” सोफिया ने आश्चर्य से कहा- “फिर आप हमसे बात कैसे कर सकती हो?”

“हिं..दू धर्म के अनुसार माया शब्द का अर्थ मैजिक होता है, अब जिसके नाम में ही मैजिक हो, उसे भला चमत्कार करने से कौन रोक सकता है।” माया के शब्दों में रहस्य की झलक नजर आ रही थी।

“क्या हम जान सकते हैं कि आपने हमें क्यों बचाया और आपकी शक्तियों का स्रोत क्या है?” मेरोन ने पूछा ।

“तुम लोगों को बचाने का कारण तुम्हारा पुत्र ही है, वह भविष्य में किसी कार्य में मेरी मदद करने वाला है, इसीलिये मैंने उसे बचाया और मेरी शक्तियों का स्रोत ग्रीक देवी-देवताओं से सम्बन्धित नहीं है।” माया ने कहा।

“क्या आप भविष्य को देख लेती हैं?” सोफिया ने पूछा।

“मैं भविष्य के बारे में, सितारों से गणना करके बहुत कुछ पता लगा लेती हूं, पर सब कुछ नहीं जानती ।” माया ने कहा।

“क्या आप बता सकती हैं कि मेरे पुत्र के भविष्य में क्या है?” सोफिया ने शुद्ध माँ की भूमिका निभाते हुए कहा।

“तुम्हारे पुत्र का भविष्य बहुत अच्छा है।” माया ने कहा- “आगे जाकर तुम्हारा पुत्र पूरे आकाश पर राज करेगा और तुम लोग उसे देखकर उस पर गर्व करोगे।”

“इसका मतलब जीयूष और हेडिस हमें क्षमा कर देंगे?” मेरोन ने पूछा।

“इसका जवाब मैं तुम्हें नहीं दे सकती, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पर छोड़ दो।” माया ने कहा- “फिलहाल तुम लोग मेरे घर में प्रवेश करने वाले हो।”

यह सुन मेरोन और सोफिया शांत हो गये, पर उनके चेहरे पर भविष्य की खबर सुन, खुशी साफ देखी जा सकती थी।


जारी
रहेगा______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 
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