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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
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उन्नीस हज़ार साल पहले के जहाज़ का नाम अंग्रेजी भाषा पर नहीं हो सकता, क्योंकि अंग्रेज़ी ठीक से बनी (organised) कोई छः सात सौ साल पहले, और उत्पत्ति में आई कोई डेढ़ हज़ार साल पहले! उसी तरह मीटर शब्द की उत्पत्ति भी कोई ढाई सौ साल पहले हुई। इसलिए माया किलोमीटर जैसे शब्द का प्रयोग नहीं कर सकतीं।
लेकिन मैं बूढ़ी सास की तरह बाल की खाल नहीं उखाड़ूँगा... यह व्यर्थ की बहस हो जाएगी। 😂 पहले ही आपका मन खट्टा कर चुका हूँ, पिछले कमेंट से!

ज़ीउस और हेड्स दोनों भाई थे - मतलब सोफ़िआ और मेरॉन दोनों कजिन हैं।
लिहाज़ा कैस्पर में भी दैवीय शक्तियाँ होनी चाहिए।

मणिका ने भी क्या पंगा ले लिया - जिस देवी की स्तुति करने आई थी, उसी के बालक को बुरी भली बातें बोल दीं।
घंटा कोई वरदान मिलने वाला है देवी से। उल्टा गणेश जी ने दण्ड अलग से दे दिया।
वैसे मणिका और गणेश भगवान वाले एपिसोड और कैस्पर वाले एपिसोड में 900 साल बीत गए हैं।

क्या मणिका और कैस्पर की शादी होगी? [आकाश का राजा + स्वर्ग की अप्सरा]
अगर हाँ, तो आधुनिक काल में उनका पुत्र कौन होगा? रोचक!

बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो राज भाई। 👏👏
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Sectional Moderator
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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उन्नीस हज़ार साल पहले के जहाज़ का नाम अंग्रेजी भाषा पर नहीं हो सकता, क्योंकि अंग्रेज़ी ठीक से बनी (organised) कोई छः सात सौ साल पहले, और उत्पत्ति में आई कोई डेढ़ हज़ार साल पहले! उसी तरह मीटर शब्द की उत्पत्ति भी कोई ढाई सौ साल पहले हुई। इसलिए माया किलोमीटर जैसे शब्द का प्रयोग नहीं कर सकतीं।
लेकिन मैं बूढ़ी सास की तरह बाल की खाल नहीं उखाड़ूँगा... यह व्यर्थ की बहस हो जाएगी। 😂 पहले ही आपका मन खट्टा कर चुका हूँ, पिछले कमेंट से!
Baal ki khaal nikal rahe ho mitra:huh:
Ye sab naam kahani ke hisaab se diya tha, varna sanatan Sanskrati me naamo ki koi kami nahi hai:D
Waise bhi maine aapki kisi bhi baat ka koi bura nahi maana,:nope: Aapne wahi kaha jo aapko theek laga, and maine wahi likha jo mujhe kahani ke hisaab se theek laga:yo:
ज़ीउस और हेड्स दोनों भाई थे - मतलब सोफ़िआ और मेरॉन दोनों कजिन हैं।
लिहाज़ा कैस्पर में भी दैवीय शक्तियाँ होनी चाहिए।
Ho sakti hai, aakhir wo bhi to dev putra hai.
मणिका ने भी क्या पंगा ले लिया - जिस देवी की स्तुति करने आई थी, उसी के बालक को बुरी भली बातें बोल दीं।
घंटा कोई वरदान मिलने वाला है देवी से। उल्टा गणेश जी ने दण्ड अलग से दे दिया।
वैसे मणिका और गणेश भगवान वाले एपिसोड और कैस्पर वाले एपिसोड में 900 साल बीत गए हैं।

क्या मणिका और कैस्पर की शादी होगी? [आकाश का राजा + स्वर्ग की अप्सरा]
अगर हाँ, तो आधुनिक काल में उनका पुत्र कौन होगा? रोचक!
मणिका ओर कैस्पर की शादी😱 ये तो असंभव है भाई, ओर उसका कारण समझ मे आयेगा आगे आने वाले अपडेट्स में। हाॅ कैस्पर को एक योग्य जीवन साथी अवश्य मिल सकता है।:approve:
बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो राज भाई। 👏👏
आपके रिव्यू और साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🏼🙏🏼
 

kas1709

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#108.

श्राप (20,032 वर्ष पहले, हिमालय)

हिमालय के पर्वत शिखर पर चारो ओर श्वेत बर्फ फैली हुई थी। मंद-मंद बह रही हवा मन को लुभा रही थी।
आसमान से भी हल्की बर्फ के फाहे बरस रहे थे। ऐसे में एक 5 फुट ऊंचा बालक नंगे पाँव बर्फ पर ठुमकता हुआ जा रहा था। उसके दोनों हाथों में ‘मोदक’ थे।

ज्यादा भोजन करने की वजह से उस बालक का पेट थोड़ा बाहर निकल आया था।

उस बालक का सिर एक हाथी के समान था। यह बालक और कोई नहीं महा..देव पुत्र गणे..श थे।

उनके पीछे एक चूहा भी उछलता हुआ जा रहा था। वह चूहा बार-बार उछलकर उनके हाथ से मोदक छीनने की कोशिश कर रहा था।

पर वह चूहा जितनी बार उछलता, गणे.श अपना हाथ ऊपर कर लेते। आखिरकार थक कर वह चूहा एक जगह रुक गया।

उन्होंने पीछे पलटकर चूहे को देखा और फिर एक मोदक को वहीं बर्फ पर रख दिया।

मोदक को बर्फ पर रखते देख वह चूहा भागकर मोदक की ओर आया, पर चूहे के पास आते ही गणे..श ने फिर बर्फ पर रखे मोदक को उठा लिया।

“अच्छा मूषक जी, आप थके नहीं थे।” उन्होंने कहा- “आप थकने का नाटक कर रहे थे। अभी आपको एक भी मोदक नहीं मिलेगा, मोदक के लिये अभी आपको प्रतीक्षा करनी होगी।”

इतना कहकर गणे..श वापस ठुमकते हुए आगे बढ़ गये। तभी वातावरण में एक जोरदार हंसी सुनाई दी।

“हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ! कैसा हाथी जैसा बालक है, चूहे का खाना छीनकर खा रहा है और....और इसका पेट तो देखो, लगता है खा-खा कर फटने वाला है।”

यह शब्द सुन गणे..श ने अपना चेहरा आवाज वाली दिशा में घुमाया। उनको सामने पत्थर पर बैठी हुई एक खूबसूरत अप्सरा दिखाई दी।

“आप कौन हो देवी और आप इस प्रकार मेरा उपहास क्यों उड़ा रही हो ?” गणेश के शब्दों में मिठास भरी थी।

“मैं स्वर्ग की अप्सरा मणिका हूं, मैं यहाॅ पर देवी पा..र्वती की पूजा करने आयी हूं, पर तुम कौन हो बालक?” मणिका ने पूछा।

“मैं देवी का पुत्र गणे..श हूं, ये मूषक मेरी सवारी है, जिसे लेकर मैं ऊपर पर्वत की ओर जा रहा हूं।” उन्होंने भोलेपन से कहा।

“तुम और देवी पा..र्वती के पुत्र! ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” मणिका ने पुनः हंसते हुए कहा- “देवी पा.र्वती का पुत्र तुम्हारी तरह हाथी के सिर वाला नहीं है, और.... और यह मूषक तुम्हारी सवारी है। हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ अब हाथी भी मूषक की सवारी करेगा... हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ।”

“आपको एक बालक पर इस प्रकार से परिहास नहीं करना चाहिये, आप तो मेरी माता के समान हैं।” गणे..श के शब्दों में भोलापन झलक रहा था।

“मैं और तुम्हारी माता ! कदापि नहीं, मैं ऐसे हाथी के सिर वाले बालक की माता नहीं बनना चाहती, तेरे जैसा बालक होने से अच्छा है कि मेरे बालक ही ना हो।” मणिका ने एक बार फिर उनको देख अभद्र टिप्पणी की।

यह सुन अब गणे.श को क्रोध आ गया।

“मैं आपको बार-बार समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर लगता है कि आपको किसी बालक से बात करने का ढंग ही नहीं पता। जाइये मैं आपको श्राप देता हूं कि आपको कभी पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।”

“आप सदैव दूसरों के पुत्र को ही पालती रहेंगी। जिस प्रकार कलुषित मन से आपने मेरा उपहास उड़ाया है, आपका शरीर भी उसी प्रकार काला हो जायेगा और आप कितना भी कड़वा बोलने की कोशिश करें, पर आप कड़वा बोल नहीं पायेंगी।” गणे..श ने क्रोध से कहा।

उनके ऐसा कहते ही आसमान में घने काले बादल घिर आये और उसमें से एक बिजली आकर मणिका पर गिरी।

बिजली के गिरते ही मणिका का शरीर एक कोयल में परिवर्तित हो गया। यह देख मणिका घबरा गयी। वह गणे..श के पैरों में आकर गिर गयी-
“क्षमा... क्षमा गजानन, मैं आपको पहचान नहीं सकी, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आपके लिये अपशब्द निकल गये। मुझे क्षमा कर दीजिये लंबोदर... मैं आपको वचन देती हूं कि आज के बाद मैं किसी भी बालक के लिये अपने मुंह से अपशब्द नहीं निकालूंगी।”

मणिका के वचनों को सुन उनको को दया आ गयी और वह बोले-
“मैं अपने श्राप को वापस नहीं ले सकता, पर अपने श्राप के प्रभाव को कम अवश्य कर सकता हूं। हे देवी आपकी शादी के 20000 हजार वर्ष के बाद, आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।”

इतना कहकर गणे..श अंतध्र्यान हो गये। मणिका कुछ देर तक वहां बर्फ पर पड़ी रोती रही, फिर वहां से
उड़कर जंगलों की ओर चली गयी।

माया शक्ति
(19130 वर्ष पहले, कैरेबियन सागर)

‘नाईट ओशन’ नाम का एक जहाज कैरेबियन सागर में लहरों पर आगे बढ़ रहा था।

जहाज के डेक पर सोफिया अपने नवजात बच्चे कैस्पर के साथ एक कुर्सी पर बैठी थी।

सोफिया का पति मेरोन डेक की रेलिंग को पकड़े समुद्र की लहरों को उठते-गिरते देख रहा था।

“मेरोन हमारा बेटा कैस्पर कितना सुंदर है।” सोफिया ने कैस्पर को निहारते हुए कहा- “बिल्कुल अपने दादा ‘जीयूष’ पर गया है।”

“श्ऽऽऽऽऽऽऽ।” मेरोन ने सोफिया को धीरे बोलने का इशारा करते हुए कहा- “धीरे बोलो, हमें किसी को नहीं बताना है कि हम ‘जीयूष’ और ‘हेडिस’ के बच्चे हैं।”

“मेरोन हम कब तक ऐसे भागते रहेंगे?” सोफिया ने इस बार धीमे स्वर में कहा- “इस नन्हें से बच्चे को लेकर हम सिर्फ देवताओं से बचकर भाग रहे हैं। एक जगह शांति से ठहर भी नहीं सकते। कभी ना कभी तो
हम पकड़े ही जायेंगे। फिर... फिर हमारे कैस्पर का क्या होगा?”

“सोफिया तुम जानती हो कि हम एक जगह पर ठहर नहीं सकते।” मेरोन ने कहा- “जमीन पर मेरे पिता जीयूष हमें जीने नहीं देंगे और पाताल में तुम्हारे पिता हेडिस हमें रहने नहीं देंगे। अब बचा सिर्फ समुद्र..... जहां कि पोसाईडन हमें ढूंढ रहा है। हम जायें भी तो कहां ? और मुझे नहीं लगता कि यह तीनों हमें जीवन भर कभी माफ करेंगे? पिछले एक साल से हम देवमानव होकर भी छिपकर मनुष्यों की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, मगर हमारे पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।

इस समय पूरी दुनिया में कोई भी हमारा साथ नहीं देना चाह रहा, सभी तीनों देवताओं से डरते हैं, पर तुम चिंता ना करो, अगर ईश्वर ने हमें मिलाया है तो हमारी रक्षा का भी कोई ना कोई उपाय उनके पास जरुर होगा? देखना एक दिन सब ठीक हो जायेगा।”

तभी एक ऊंची लहर के आ जाने से जहाज थोड़ा लहरों पर उछला, जिसकी वजह से मेरोन का हाथ जहाज की रेलिंग पर फिसला और एक लकड़ी का नुकीला सिरा मेरोन के हाथ में धंस गया।

मेरोन के मुंह से कराह निकल गयी और उसके हाथ से खून की 2 बूंद निकलकर समुद्र में गिर गयी।
यह देख सोफिया और मेरोन भयभीत हो गये।

“तुम्हारे..... तुम्हारे खून की एक बूंद समुद्र में जा गिरी।” सोफिया ने डरते हुए कहा- “अब पोसाईडन को कुछ ही देर में हमारे बारे में पता चल जायेगा..... फिर वह बाकी दोनों देवताओं तक हमारी सूचना अवश्य ही पहुंचा देगा।......अब क्या होगा मेरोन?”

अब मेरोन के चेहरे पर भी भय साफ-साफ नजर आने लगा था। उसने तुरंत अपने हाथ से बहते खून पर, एक रुमाल कसकर बांधा और आगे बढ़कर सोफिया के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया।

“बीच समुद्र में हमारे पास बचकर निकलने का समय भी नहीं है।” मेरोन ने कहा- “अब तो वहीं होगा जो ये तीनों देवता चाहेंगे।”

“जीयूष और हेडिस ने आपसी दुश्मनी निभाते हुए, पहले ही हमें मारने का आदेश दे दिया था।” सोफिया ने गुस्से से अपने पिता और चाचा का नाम लेते हुए कहा- “वो अभी भी हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मुझे तो चिंता अब बस कैस्पर की हो रही है।”

“परेशान मत हो सोफिया, हम अपने पिताओं को कैस्पर का चेहरा दिखायेंगे। हो सकता है इस अबोध बालक को देख वह हमें जीवनदान दे दें।” मेरोन ने कहा।

तभी दोनों को आसमान में काले घने बादल घिरते हुए दिखाई दिये। जिसे देख दोनों बुरी तरह से डर गये।

“लो.....जिस बात का डर था वही हुआ.... तुम्हारे पिता जीयूष का आगमन हो गया।”सोफिया ने डरते हुए कहा- “बादलों को देखकर ही लग रहा है कि वह कितने गुस्से में हैं?”

तभी समुद्र की लहरें भी ऊंची-ऊंची उठना शुरु हो गयीं। जहाज के सभी यात्री घबरा कर इधर-उधर भागने लगे।

बादल इतने स्याह और खतरनाक दिख रहे थे, मानों आज वह प्रलय ला देने वाले हों।

तभी जोर की बिजली कड़की और समुद्र में जा गिरी। बिजली गिरने से समुद्र का पानी सैकड़ों फिट ऊपर उछला।

ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे जीयूष ने अपनी बिजली के माध्यम से पोसाईडन को कोई संदेश दिया हो।

अचानक समुद्र की लहरों ने विकराल रुप धारण कर लिया। अब वह उछलकर जहाज के ऊपर डेक तक आने लगीं थीं।

सोफिया ने कैस्पर को डरकर जोर से अपने सीने से चिपका लिया।

मेरोन ने आसमान की ओर चेहरा करते हुए जोर से चीखकर कहा-
“क्षमा कर दीजिये पिताजी। मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी। मुझे बिना आपकी इजाजत से सोफिया से शादी नहीं करनी चाहिये थी। पर अब हमारे पास आपका पोता भी है, कम से कम इसका तो ख्याल करिये।”

पर मेरोन का चीखना व्यर्थ जा रहा था। इतने खराब मौसम में तो उसकी आवाज डेक पर खड़े लोगों को ही सुनाई नहीं दे रही थी, फिर भला जीयूष क्या सुनते? या ये भी हो सकता है कि जीयूष चाहकर भी ये सब सुनना नहीं चाहते थे।

तूफान की रफ्तार और ज्यादा तेज हो गयी। अब वह जहाज पानी में किसी कागज के नाव की तरह डोल रही थी।

यह देख घबरा कर मेरोन ने कैस्पर को सोफिया के हाथों से लिया और अपने सिर के ऊपर उठा कर आसमान की तरफ देखते हुए चीखा-

“पिताजी , देखिये इस अबोध नन्हें बालक को। ये आपका ही वंशज है, क्या इसे जीने का कोई हक नहीं ? अभी तो इसने इस पृथ्वी पर कुछ भी नहीं देखा है? कम से कम हमारे लिये नहीं, तो इसके लिये हमें क्षमा कर दीजिये।”

तभी मेरोन को आसमान में जीयूष का गुस्से से भरा चेहरा दिखाई दिया। उनके चेहरे के भाव देखकर साफ पता चल रहा था कि मेरोन को क्षमा करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

जीयूष ने गुस्से से मेरोन के हाथ में पकड़े नन्हें कैस्पर को देखा और अपना अस्त्र ‘थंडरबोल्ट’ उठा कर कैस्पर पर फेंक कर मार दिया।

आसमान में जोर की बिजली कड़की और आसमान से उतरकर तेजी से कैस्पर की ओर झपटी।

यह देख सोफिया जोर से चीखकर मेरोन की ओर भागी, पर इससे पहले कि सोफिया मेरोन तक पहुंचती, आसमान से गिरी बिजली कैस्पर पर आकर गिरी।

एक जोरदार आवाज वातावरण में गूंजी और एक पल के लिये मेरोन को छोड़, सबकी आँखें बंद हो गयीं।
मेरोन ने देखा कि आसमान से गिरी बिजली कैस्पर से एक फुट की दूरी पर आकर हवा में विलीन हो गयी।

ऐसा लगा जैसे किसी अदृश्य दीवार ने कैस्पर की रक्षा की हो। यह देख जीयूष के चेहरे पर भी आश्चर्य के भाव आ गये। आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि कोई थंडरबोल्ट के वार को झेल पाया हो ?

सोफिया ने भी डरते-डरते अपनी आँख को खोलकर, कैस्पर की ओर देखा। वह नन्हा बालक अभी भी मेरोन के हाथ में सुरक्षित मुस्कुरा रहा था।

यह देखकर सोफिया की जान में जान आयी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक विशालकाय समुद्र की लहर ने पूरे जहाज को पानी में पलट दिया। शायद यह पोसाईडन का क्रोध था।

एक पल में जहाज के सारे यात्री पानी में थे। मेरोन अब समुद्र के अंदर गोता लगा रहा था, पर मेरोन ने कैस्पर को अपने हाथों से अभी भी नहीं छोड़ा था।

तभी सोफिया भी तैर कर मेरोन के पास आ गयी। दोनों को ही पानी में देर तक साँस लेने का अच्छा अभ्यास था, पर उन्हें नन्हें कैस्पर की चिंता थी।

सोफिया की नजर मेरोन के हाथ में पकड़े कैस्पर की ओर गयी।

वह यह देखकर हैरान रह गयी, क्यों कि कैस्पर को चारो ओर से एक अदृश्य किरण ने घेर रखा था, जिससे पानी उसके पास ही नहीं आ रहा था और कैस्पर पानी के अंदर भी आराम से साँस ले रहा था।

मेरोन भी यह देखकर हैरान हो गया। तभी पानी में एक तीव्र तरंगे उत्पन्न हुईं, जिसने उस स्थान पर मौजूद, पानी के अंदर की हर चीज को बुरी तरह से पानी में नचा दिया।

यह देख मेरोन ने सोफिया को पानी के और नीचे जाने का इशारा किया और स्वयं भी गहराई की ओर छलांग लगा दी।

कुछ ही देर में सोफिया और मेरोन समुद्र की अधिकतम गहराई तक पहुंच गये।

अब वह समुद्र की सतह की ओर देख रहे थे। सतह पर पोसाईडन का क्रोध अब भी जहाज के यात्रियों पर कहर ढा रहा था।

मेरोन को पता था कि कुछ ही देर में पोसाईडन को उनकी वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा और फिर उनका बच पाना मुश्किल होगा, पर फिर भी वह ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने परिवार को बचाना चाहता था।

मेरोन और सोफिया का ध्यान ऊपर की तरफ था, तभी उनके पीछे से मगरमच्छ पर बैठा हुआ, नोफोआ प्रकट हुआ।

नोफोआ ने अपने भाले जैसे अस्त्र से मेरोन पर निशाना साधा, तभी मेरोन को पानी में पीछे किसी के होने का अहसास हुआ और वह पलटा।

पीछे खड़े नोफोआ को देख, मेरोन ने घबरा कर सोफिया को पीछे की ओर इशारा किया।

अब सोफिया की भी नजर नोफोआ पर जा कर टिक गयी, मगर इससे पहले कि नोफोआ अपने अस्त्र का प्रयोग उन दोनों पर कर पाता, तभी कहीं से एक विशालकाय ब्लू व्हेल प्रकट हुई।

उसने मेरोन और सोफिया को कैस्पर सहित अपने मुंह में भर लिया और तेजी से तैरती हुई समुद्र में गायब हो गयी।

यह देख नोफोआ के चेहरे पर खुशी के भाव उभर आये, वह तुरंत इस शुभ समाचार को पोसाईडन को सुनाने उसकी ओर बढ़ गया।

उधर मेरोन और सोफिया अभी भी ब्लू व्हेल के मुंह में कैस्पर संग सुरक्षित थे।

“ये व्हेल ने हमें अभी तक निगला क्यों नहीं?” सोफिया के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कोई है ऐसा, जो हमारी मदद कर रहा है?” मेरोन ने कहा- “जीयूष के थंडरबोल्ट से कैस्पर का बचना कोई इत्तेफाक नहीं था, किसी ने अदृश्य किरणों से कैस्पर की रक्षा की थी और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह ब्लू व्हेल भी उसी की है, जो हमें शायद उस अदृश्य शक्ति के पास लेकर जा रही है।”

“पर इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी शक्ति है, जो जीयूष के थंडरबोल्ट को निष्क्रिय कर दे।” सोफिया ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

तभी व्हेल के मुंह में एक स्त्री की अदृश्य आवाज गूंजी- “महादेव की माया में बहुत शक्ति है, जो किसी भी देवता के शस्त्र को निष्क्रिय कर सकती है।”

यह अंजानी आवाज सुन मेरोन और सोफिया पूरी तरह से घबरा गये।

“आप कौन हो और इस व्हेल के अंदर आपकी आवाज कैसे गूंज रही है?” मेरोन ने साहस करते हुए पूछा।

“मेरा नाम माया है, मैं तुम लोगों से हजारों किलोमीटर दूर हूं।” माया ने कहा।

“हजारों किलोमीटर!” सोफिया ने आश्चर्य से कहा- “फिर आप हमसे बात कैसे कर सकती हो?”

“हिं..दू धर्म के अनुसार माया शब्द का अर्थ मैजिक होता है, अब जिसके नाम में ही मैजिक हो, उसे भला चमत्कार करने से कौन रोक सकता है।” माया के शब्दों में रहस्य की झलक नजर आ रही थी।

“क्या हम जान सकते हैं कि आपने हमें क्यों बचाया और आपकी शक्तियों का स्रोत क्या है?” मेरोन ने पूछा ।

“तुम लोगों को बचाने का कारण तुम्हारा पुत्र ही है, वह भविष्य में किसी कार्य में मेरी मदद करने वाला है, इसीलिये मैंने उसे बचाया और मेरी शक्तियों का स्रोत ग्रीक देवी-देवताओं से सम्बन्धित नहीं है।” माया ने कहा।

“क्या आप भविष्य को देख लेती हैं?” सोफिया ने पूछा।

“मैं भविष्य के बारे में, सितारों से गणना करके बहुत कुछ पता लगा लेती हूं, पर सब कुछ नहीं जानती ।” माया ने कहा।

“क्या आप बता सकती हैं कि मेरे पुत्र के भविष्य में क्या है?” सोफिया ने शुद्ध माँ की भूमिका निभाते हुए कहा।

“तुम्हारे पुत्र का भविष्य बहुत अच्छा है।” माया ने कहा- “आगे जाकर तुम्हारा पुत्र पूरे आकाश पर राज करेगा और तुम लोग उसे देखकर उस पर गर्व करोगे।”

“इसका मतलब जीयूष और हेडिस हमें क्षमा कर देंगे?” मेरोन ने पूछा।

“इसका जवाब मैं तुम्हें नहीं दे सकती, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पर छोड़ दो।” माया ने कहा- “फिलहाल तुम लोग मेरे घर में प्रवेश करने वाले हो।”

यह सुन मेरोन और सोफिया शांत हो गये, पर उनके चेहरे पर भविष्य की खबर सुन, खुशी साफ देखी जा सकती थी।


जारी
रहेगा______✍️
Nice update....
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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174
#107.

माया महल

(19,110 वर्ष पहलेः ऐजीयन सागर, ग्रीक प्रायद्वीप)


नीले रंग का समुद्र का पानी देखने में बहुत सुंदर लग रहा था। बहुत से खूबसूरत जलीय जंतु गहरे समुद्र में तैर रहे थे।


समुद्र का पानी बिल्कुल पारदर्शी और स्वच्छ लग रहा था। मछलियों का विशाल झुंड पानी में बुलबुले बनाते हुए अठखेलियां खेल रहा था।

उसी गहरे पानी में एक बड़ा सा मगरमच्छ तेजी से तैरता हुआ एक दिशा की ओर जा रहा था। उस मगरमच्छ पर एक अजीब सा दिखने वाला जलमानव सवार था।

देखने में वह जलमा नव मनुष्य जैसा ही था, पर उसके हाथ की उंगलियों के बीच मेढक के समान जालीदार संरचना थी। उसके शरीर की चमड़ी का रंग भी हल्के हरे रंग की थी।

उसके कान के पीछे मछलियों की भांति गलफड़ बने हुए थे, जिसके द्वारा वह जलमानव पानी में भी आसानी से साँस ले रहा था।

पानी के सभी जलीय जंतु, उस मगरमच्छ को देखकर उसके रास्ते से हट जा रहे थे।

कुछ ही देर में उस जलमानव को पानी की तली में एक जलमहल दिखाई दिया।
वह महल पूरी तरह से मूंगे और मोतियों से बना हुआ था। महल बनाने में कुछ जगह पर धातुओं का भी प्रयोग किया गया था।

वह महल काफी विशालकाय था। समुद्री रत्न जड़े उस महल की भव्यता देखने लायक थी।

महल के बाहर पहुंचकर वह जलमानव मगरमच्छ से उतरा और तेजी से भागकर महल में दाखिल हो गया।

महल के अंदर भी हर जगह पानी भरा था। महल में कुछ अंदर चलने के बाद उस जलमानव को एक बड़ा सा दरवाजा दिखाई दिया।

उस दरवाजे के बाहर एक घंटा लगा था। जलमानव ने घंटे को 2 बार जोर से बजाया और दरवाजे के बाहर खड़े होकर, सिर झुकाकर दरवाजे के खुलने का इंतजार करने लगा।

कुछ ही देर में वह दरवाजा खुला। दरवाजे के खुलते ही जलमानव अंदर दाखिल हो गया।

दरवाजा एक बहुत बड़े कमरे में खुल रहा था, वह कमरा देखने में किसी राजा के दरबार की मांनिंद प्रतीत हो रहा था।

उस कमरे के एक किनारे पर लगभग 50 सीढ़ियां बनीं थीं। ये सीढ़ियां एक विशालकाय सिंहासन पर जा कर खत्म हो रहीं थीं। वह सिंहासन भी समुद्री रत्नों से बना था।

उस सिंहासन पर एक भीमकाय 7 फिट का मनुष्य बैठा था, जिसने हाथ में एक सोने का त्रिशूल पकड़ रखा था।

यह था समुद्र का देवता- पोसाईडन।

पोसाईडन के घुंघराले बाल पानी में लहरा रहे थे। पोसाईडन की पोशाक भी सोने से निर्मित थी और जोर से चमक बिखेर रही थी।

वह जलमानव पोसाईडन के सामने सिर झुकाकर खड़ा हो गया।

“बताओ नोफोआ क्या समाचार लाये हो?” पोसाईडन की तेज आवाज वातावरण में गूंजी।

पोसाईडन की आवाज सुन नोफोआ ने अपना सिर ऊपर उठाया और फिर धीरे से बोला-

“ऐ समुद्र के देवता मैंने आज अटलांटिक महासागर में, समुद्र की लहरों पर तैरता हुआ एक बहुत खूबसूरत महल देखा। मैंने आज तक वैसा सुंदर महल इस दुनिया में कहीं नहीं देखा। वह नाजाने किस तकनीक से बना है कि पत्थरों से बने होने के बावजूद भी वह पानी पर तैर रहा है।”

“पानी पर तैरने वाला महल?” पोसाईडन की आँखों में भी आश्चर्य के भाव उभरे- “यह कौन सी तकनीक है? और कौन है वह दुस्साहसी जिसने बिना पोसाईडन की अनुमति लिये समुद्र की लहरों पर महल बनाने की
हिम्मत की?”

“मैंने भी यह जानने के लिये, उस महल में घुसने की कोशिश की, पर किसी अदृश्य दीवार की वजह से मैं उस महल में प्रवेश नहीं कर पाया।” नोफोआ ने कहा।

“ठीक है, तुम मुझे वहां की लहरों की स्थिति बता दो, मैं स्वयं जा कर उस महल को देखूंगा।” पोसाईडन ने नोफोआ को देखते हुए कहा।

“ठीक है देवता।” यह कहकर नोफोआ ने उस कमरे में रखे एक बड़े से ग्लोब को देखा।

वह ग्लोब पूर्णतया पानी से बने पृथ्वी के एक मॉडल जैसा था, जो कि पानी में होकर भी अपनी अलग ही उपस्थिति दर्ज कर रहा था।

वह पानी का ग्लोब एक छोटी सी सोने की टेबल पर रखा था। ग्लोब के बगल में लकड़ी में लगे, कुछ लाल रंग के फ्लैग रखे थे। फ्लैग आकार में काफी छोटे थे।

नोफोआ ने पास रखे एक छोटे से फ्लैग को उस ग्लोब में एक जगह पर लगा दिया- “यही वह जगह है देवता, जहां मैंने उस महल को देखा था।”

“ठीक है अब तुम जा सकते हो।” पोसाईडन ने नोफोआ को जाने का इशारा किया।

इशारा पाते ही नोफोआ कमरे से बाहर निकल गया।

“मेरी जानकारी में पानी पर महल बनाने की तकनीक तो पृथ्वी पर किसी के पास भी नहीं है।” पोसाईडन ने मन ही मन में सोचा - “अब तो इस महल के रचयिता से मिलकर, मेरा इस नयी तकनीक के बारे में जानना बहुत जरुरी है।”

यह सोच पोसाईडन अपने स्थान से खड़ा हुआ और सीढ़ियां उतरकर उस पानी के ग्लोब के पास आ गया।

पोसाईडन ने एक बार ध्यान से ग्लोब पर लगे फ्लैग की लोकेशन को देखा और फिर अपने महल के बाहर की ओर चल पड़ा।

महल के बाहर निकलकर पोसाईडन ने अपने त्रिशूल को पानी में गोल-गोल घुमाया।

त्रिशूल बिजली की रफ्तार से पोसाईडन को लेकर समुद्र में एक दिशा की ओर चल दिया।

साधारण इंसान के लिये तो वह दूरी बहुत ज्यादा थी, पर पोसाईडन, नोफोआ के बताए नियत स्थान पर, मात्र आधे घंटे में ही पहुंच गया।

पोसाईडन अब समुद्र की गहराई से निकलकर लहरों पर आकर खड़ा हो गया।

अब वह उस दूध से सफेद महल के सामने था। नोफोआ ने जितना बताया था, वह महल उस से कहीं ज्यादा खूबसूरत था।

समुद्र की लहरों पर एक 400 मीटर क्षेत्रफल का संगमरमर के पत्थरों का गोल बेस बना था, जिसकी आधे क्षेत्र में उन्हीं सफेद पत्थरों से एक शानदार हंस की आकृति बनी थी। उस हंस की पीठ पर सफेद पत्थरों से निर्मित एक बहुत ही खूबसूरत महल बना था।

दूर से देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी हंस ने एक महल को अपनी पीठ पर उठा रखा हो।
हंस अपने पंखों को भी धीरे-धीरे हिला रहा था।

हंस के सिर के ऊपर एक सफेद बादलों की टुकड़ी भी दिखाई दे रही थी, जो उस महल के ऊपर सफेद मखमली बर्फ का छिड़काव कर रही थी।

हंस की चोंच से एक विशाल पानी का झरना गिर रहा था, जो कि हंस के नीचे खड़े एक काले रंग के हाथी पर गिर रहा था।

हाथी के चारो ओर एक पानी का तालाब बना था, हाथी अपनी सूंढ़ से पानी भरकर चारो ओर, हंस के सामने मौजूद बाग में फेंक रहा था।

हंस के सामने बना बाग खूबसूरत फूलों और रसीले फलों से भरा हुआ था, जहां पर बहुत से हिरन और मोर घूम रहे थे।

बाग में एक जगह पर एक विशाल फूलों का बना झूला भी लगा था। उस बाग में कुछ अप्सराएं घूम रहीं थीं।

महल के बाहर समुद्र के किनारे-किनारे पानी में कुछ जलपरियां हाथों में नुकीले अस्त्र लिये घूम रहीं थीं।

उन्हें देखकर ऐसा महसूस हो रहा था, मानों वह महल की रखवाली कर रहीं हों। पोसाईडन इतना शानदार महल देखकर मंत्रमुग्ध रह गया।

“इतना खूबसूरत महल तो मैंने भी आजतक नहीं देखा, ऐसा महल तो समुद्र के देवता के पास होना चाहिये। लेकिन पहले मुझे पता करना पड़ेगा कि ये महल बनाया किसने? और इसको बनाने में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है?” यह सोच पोसाईडन उस महल की ओर बढ़ गया।

महल में जाने के लिये सीढ़ियां बनीं हुईं थीं। पोसाईडन जैसे ही सीढ़ियों पर कदम रखने चला, जलपरियों ने
पोसाईडन का रास्ता रोक लिया।

यह देखकर पोसाईडन को पहले तो आश्चर्य हुआ और फिर जोर का गुस्सा आया। वह गर्जते हुए बोला- “तुम्हें पता भी है कि तुम किसका रास्ता रोक रही हो ?”

“हमें नहीं पता?” एक जलपरी ने कहा- “पर हम बिना इजाजत किसी को भी अंदर जाने नहीं दे सकतीं। आपको हमारे स्वामी से महल में प्रवेश करने की अनुमति लेनी पड़ेगी।”

“बद्तमीज जलपरी, मैं सर्वशक्तिमान समुद्र का देवता पोसाईडन हूं, मेरे क्षेत्र में मुझे किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। पर तुम्हें मुझे रोकने की सजा जरुर भुगतनी पड़ेगी।”

इतना कहकर पोसाईडन ने अपना त्रिशूल हवा में लहराया, तुरंत एक पानी की लहर उठी और उस जलपरी को लेकर पानी की गहराई में समा गयी।

“और किसी में है हिम्मत मुझे रोकने की?” पोसाईडन फिर गुस्से से दहाड़ा।

पर इस बार कोई भी जलपरी आगे नहीं आयी, लेकिन सभी जलपरियां अपनी जगह खड़ी हो कर मुस्कुराने लगीं।

पोसाईडन को उन जलपरियों का मुस्कुराना समझ में नहीं आया, पर वह उनकी परवाह किये बिना सीढ़ियों की ओर आगे बढ़ा।

सिर्फ 4 सीढ़ियां चढ़ने के बाद पोसाईडन को अपने आगे एक अदृश्य दीवार महसूस हुई।

पोसाईडन ने दीवार पर एक घूंसा मारा, पर दीवार पर कोई असर नहीं हुआ। यह देख पोसाईडन ने गुस्से से अपना त्रिशूल खींचकर उस दीवार पर मार दिया।

त्रिशूल के उस दीवार से टकराते ही एक जोर की बिजली कड़की, पर अभी भी दीवार पर कोई असर नहीं हुआ।

अब पोसाईडन की आँखों में आश्चर्य उभरा- “ये कैसी अदृश्य दीवार है, जिस पर मेरे त्रिशूल का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा ?”

अब पोसाईडन की आँखें गुस्से से जल उठीं। उसे अब जलपरियों के हंसने का कारण समझ आ गया।
इस बार पोसाईडन ने अपना त्रिशूल उठा कर आसमान की ओर लहराया।

आसमान में जोर से बिजली कड़की और समुद्र का पानी अपना विकराल रुप धारण कर सैकड़ों फिट ऊपर आसमान में उछला और पूरी ताकत से आकर उस महल पर गिरा।

सारी जलपरियां इस भयानक तूफान का शिकार हो गईं, पर एक बूंद पानी भी उस छोटे से महल के ऊपर नहीं गिरा, सारा का सारा पानी उस अदृश्य दीवार से टकरा कर वापस समुद्र में समा गया।

पोसाईडन के क्रोध का पारा अब बढ़ता जा रहा था। अब पोसाईडन ने अपना त्रिशूल पूरी ताकत से उस महल की सीढ़ियों पर मारा, एक भयानक ध्वनि ऊर्जा वातावरण में गूंजी।

महल की 4 सीढ़ियां टूटकर समुद्र में समा गईं, पर उस अदृश्य दीवार ने पूरी ध्वनि ऊर्जा, अपने अंदर सोख ली और महल पर इस बार भी कोई असर नहीं आया।

अब पोसाईडन की आँखें आश्चर्य से सिकुड़ गईं। लेकिन इससे पहले कि पोसाईडन अपनी किसी और शक्ति का प्रयोग उस महल पर कर पाता, तभी महल का द्वार खोलकर एक लड़का और एक लड़की बाहर आये।

उन्होंने झुककर पोसाईडन का सम्मान किया और फिर लड़के ने कहा-
“सर्वशक्तिमान, महान समुद्र के देवता को कैस्पर और मैग्ना का नमस्कार। शांत हो जाइये देवता, उन जलपरियों को आपके बारे में कुछ
नहीं पता था। अच्छा किया जो आपने उन्हें दंड दिया। देवता, हम आपका अपमान नहीं करना चाहते थे, सब कुछ गलती से हो गया। जिसके लिये हम एक बार फिर आपसे क्षमा मांगते हैं और हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप हमारे महल का आतिथ्य स्वीकार करें।”

ऐसे विनम्र स्वर को सुनकर पोसाईडन का गुस्सा बिल्कुल ठंडा हो गया।

कैस्पर ने महल से बाहर आकर पोसाईडन के हाथ पर एक रिस्टबैंड बांध दिया- “अब आप अंदर प्रवेश कर सकते हैं देवता।”

पोसाईडन ने एक बार अपने हाथ में बंधे रिस्टबैंड को देखा और फिर कैस्पर और मैग्ना के साथ महल के अंदर की ओर चल दिया।

महल के अंदर जाने का रास्ता हंस के गले के नीचे से था, वहां कुछ सीढ़ियां बनी थीं जो कि एक द्वार तक जा रहीं थीं। द्वार से अंदर जाते ही पोसाईडन मंत्रमुग्ध हो गया।

वह एक बहुत ही खूबसूरत कमरा था। कमरे की एक तरफ की दीवारों पर प्रकृति के बहुत ही सुंदर चित्र बने हुए थे, उन चित्रों में दिख रहे झरने और जानवर चलायमान थे।

कमरे की दूसरी ओर की दीवारों पर रंग-बिरंगे फूलों के पौधे, तितलियां और पंछियों के चित्र बने थे। चित्र में मौजूद तितलियां और पंछी भी आश्चर्यजनक तरीके से चल-फिर रहे थे।

कमरे की छत पर ब्रह्मांड दिखाई दे रहा था, जिसमें अनेकों ग्रह हवा में घूमते हुए दिख रहे थे।
कमरे की जमीन काँच से निर्मित थी, जिसके नीचे जलीय-जंतु तैरते हुए दिख रहे थे।

उसी काँच की जमीन पर एक बहुत बड़ी अंडाकार काँच की टेबल रखी थी, जिस पर हजारों तरीके के पकवान और फल रखे नजर आ रहे थे।

काँच की टेबल के चारो ओर सोने की कुर्सियां रखीं थीं। कैस्पर ने पोसाईडन को बीच वाली बड़ी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया।

पोसाईडन उस महल की कारीगरी देख बहुत खुश हुआ।

कैस्पर और मैग्ना ने अपने हाथों से पोसाईडन के लिये कुछ पकवान और फल परोस दिये।

थोड़ी सी चीजें खाने के बाद पोसाईडन ने अपने हाथ उठा दिये, जो अब कुछ ना खाने का द्योतक था।

कैस्पर और मैग्ना अब हाथ बांधकर पोसाईडन के सामने खड़े हो गये और उसके बोलने का इंतजार करने लगे।

“तुम लोग कौन हो? और इस महल का निर्माण किसने किया?” पोसाईडन ने पूछा।

“हम साधारण मनुष्य हैं देवता। हमें हमारी गुरुमाता ‘माया’ ने पाला है।”

कैस्पर ने कहा- “इस महल का निर्माण हम दोनों ने ही मिलकर किया है। यह विद्या हमारी गुरुमाता ने ही हमें सिखाई है, इसलिये हमने अपनी इस पहली रचना का नाम ‘माया महल’ रखा है।”

“मैं तुम्हारी गुरुमाता से मिलना चाहता हूं।” पोसाईडन ने कहा- “उनसे जा कर कहो कि समुद्र का देवता पोसाईडन स्वयं उनसे मिलना चाहता है।”

“क्षमा चाहता हूं देवता, पर हमारी गुरुमाता यहां नहीं रहती हैं। वह यहां से 5000 किलोमीटर दूर समुद्र की अंदर बनी गुफाओं में रहतीं हैं।” इस बार मैग्ना ने कहा।

“समुद्र के अंदर बनी गुफाओं में?” पोसाईडन ने आश्चर्य से कहा- “समुद्र के अंदर ऐसी कौन सी गुफा है, जिसके बारे में मुझे नहीं पता।”

“वह स्थान किसी भी मनुष्य और देवता की पहुंच से दूर है।” कैस्पर ने खड़े हो कर चहलकदमी करते हुए कहा- “वह पिछले लगभग 900 वर्षों से वहीं पर रह रहीं हैं, वह हमारे सिवा किसी से नहीं मिलतीं, पर मैं
आपका यह संदेश उन्हें जरुर दे दूंगा और उन्हें आपसे मिलने के लिये आग्रह भी करुंगा।”

“मैं चाहता हूं कि तुम दोनों मेरे लिये भी, समुद्र के अंदर ऐसा ही एक महल बनाओ।” पोसाईडन ने दोनों को बारी-बारी देखते हुए कहा।

“अवश्य बनाएंगे देवता।” मैग्ना ने कहा- “आपके लिये महल बनाना हमारे लिये सौभाग्य की बात है, पर इसके लिये एक बार हमें गुरुमाता से मिलकर बात करनी होगी।”

“ठीक है कर लो बात।” पोसाईडन ने खड़े होते हुए कहा- “मैं तुम्हें 5 दिन का समय देता हूं, 5 दिन बाद मेरा सेवक नोफोआ आकर तुमसे यहीं पर मिल लेगा। उसके आगे का निर्देश तुम्हें वही देगा।”

“ठीक है देवता।” कैस्पर ने कहा।

इसके बाद कैस्पर और मैग्ना पोसाईडन को सम्मान देते हुए बाहर तक छोड़ आये।


जारी रहेगा________✍️

Wonderful update brother!!

Lekin kuch baat clear kar do.

Pahli baat Maya jahan rehti hai wo jagah manushya aur devta ke pahuch se bahar hai phir Maya kya hai???? Kya wo manushya aur devta dono nahi hai????

Dusri baat Poshaidan ka trishul jo hai wo gold ki bani hai???? Pahle jo weapons hote the* wo gold se banti thi kya????

Tisri baat yadi Poshaidan se samudra mein koi jagah chhupa hua hai matlab Shefali aur Suyash ke liye aur bhi jyada mystery se bhara hone wala hai ye Maya mahal ki journey ya phir wo sab samudra ke andar dakhil nahi hone wale hain????

Ek aur baat jahan tak mujhe yaad hai Casper aur Mahashakti Megra ne Mayavan ka nirman kiya hai phir bhi Casper ek sadharan insaan kaise ho sakta hai????
 

Ajju Landwalia

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#108.

श्राप (20,032 वर्ष पहले, हिमालय)

हिमालय के पर्वत शिखर पर चारो ओर श्वेत बर्फ फैली हुई थी। मंद-मंद बह रही हवा मन को लुभा रही थी।
आसमान से भी हल्की बर्फ के फाहे बरस रहे थे। ऐसे में एक 5 फुट ऊंचा बालक नंगे पाँव बर्फ पर ठुमकता हुआ जा रहा था। उसके दोनों हाथों में ‘मोदक’ थे।

ज्यादा भोजन करने की वजह से उस बालक का पेट थोड़ा बाहर निकल आया था।

उस बालक का सिर एक हाथी के समान था। यह बालक और कोई नहीं महा..देव पुत्र गणे..श थे।

उनके पीछे एक चूहा भी उछलता हुआ जा रहा था। वह चूहा बार-बार उछलकर उनके हाथ से मोदक छीनने की कोशिश कर रहा था।

पर वह चूहा जितनी बार उछलता, गणे.श अपना हाथ ऊपर कर लेते। आखिरकार थक कर वह चूहा एक जगह रुक गया।

उन्होंने पीछे पलटकर चूहे को देखा और फिर एक मोदक को वहीं बर्फ पर रख दिया।

मोदक को बर्फ पर रखते देख वह चूहा भागकर मोदक की ओर आया, पर चूहे के पास आते ही गणे..श ने फिर बर्फ पर रखे मोदक को उठा लिया।

“अच्छा मूषक जी, आप थके नहीं थे।” उन्होंने कहा- “आप थकने का नाटक कर रहे थे। अभी आपको एक भी मोदक नहीं मिलेगा, मोदक के लिये अभी आपको प्रतीक्षा करनी होगी।”

इतना कहकर गणे..श वापस ठुमकते हुए आगे बढ़ गये। तभी वातावरण में एक जोरदार हंसी सुनाई दी।

“हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ! कैसा हाथी जैसा बालक है, चूहे का खाना छीनकर खा रहा है और....और इसका पेट तो देखो, लगता है खा-खा कर फटने वाला है।”

यह शब्द सुन गणे..श ने अपना चेहरा आवाज वाली दिशा में घुमाया। उनको सामने पत्थर पर बैठी हुई एक खूबसूरत अप्सरा दिखाई दी।

“आप कौन हो देवी और आप इस प्रकार मेरा उपहास क्यों उड़ा रही हो ?” गणेश के शब्दों में मिठास भरी थी।

“मैं स्वर्ग की अप्सरा मणिका हूं, मैं यहाॅ पर देवी पा..र्वती की पूजा करने आयी हूं, पर तुम कौन हो बालक?” मणिका ने पूछा।

“मैं देवी का पुत्र गणे..श हूं, ये मूषक मेरी सवारी है, जिसे लेकर मैं ऊपर पर्वत की ओर जा रहा हूं।” उन्होंने भोलेपन से कहा।

“तुम और देवी पा..र्वती के पुत्र! ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” मणिका ने पुनः हंसते हुए कहा- “देवी पा.र्वती का पुत्र तुम्हारी तरह हाथी के सिर वाला नहीं है, और.... और यह मूषक तुम्हारी सवारी है। हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ अब हाथी भी मूषक की सवारी करेगा... हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ।”

“आपको एक बालक पर इस प्रकार से परिहास नहीं करना चाहिये, आप तो मेरी माता के समान हैं।” गणे..श के शब्दों में भोलापन झलक रहा था।

“मैं और तुम्हारी माता ! कदापि नहीं, मैं ऐसे हाथी के सिर वाले बालक की माता नहीं बनना चाहती, तेरे जैसा बालक होने से अच्छा है कि मेरे बालक ही ना हो।” मणिका ने एक बार फिर उनको देख अभद्र टिप्पणी की।

यह सुन अब गणे.श को क्रोध आ गया।

“मैं आपको बार-बार समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर लगता है कि आपको किसी बालक से बात करने का ढंग ही नहीं पता। जाइये मैं आपको श्राप देता हूं कि आपको कभी पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।”

“आप सदैव दूसरों के पुत्र को ही पालती रहेंगी। जिस प्रकार कलुषित मन से आपने मेरा उपहास उड़ाया है, आपका शरीर भी उसी प्रकार काला हो जायेगा और आप कितना भी कड़वा बोलने की कोशिश करें, पर आप कड़वा बोल नहीं पायेंगी।” गणे..श ने क्रोध से कहा।

उनके ऐसा कहते ही आसमान में घने काले बादल घिर आये और उसमें से एक बिजली आकर मणिका पर गिरी।

बिजली के गिरते ही मणिका का शरीर एक कोयल में परिवर्तित हो गया। यह देख मणिका घबरा गयी। वह गणे..श के पैरों में आकर गिर गयी-
“क्षमा... क्षमा गजानन, मैं आपको पहचान नहीं सकी, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आपके लिये अपशब्द निकल गये। मुझे क्षमा कर दीजिये लंबोदर... मैं आपको वचन देती हूं कि आज के बाद मैं किसी भी बालक के लिये अपने मुंह से अपशब्द नहीं निकालूंगी।”

मणिका के वचनों को सुन उनको को दया आ गयी और वह बोले-
“मैं अपने श्राप को वापस नहीं ले सकता, पर अपने श्राप के प्रभाव को कम अवश्य कर सकता हूं। हे देवी आपकी शादी के 20000 हजार वर्ष के बाद, आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।”

इतना कहकर गणे..श अंतध्र्यान हो गये। मणिका कुछ देर तक वहां बर्फ पर पड़ी रोती रही, फिर वहां से
उड़कर जंगलों की ओर चली गयी।

माया शक्ति
(19130 वर्ष पहले, कैरेबियन सागर)

‘नाईट ओशन’ नाम का एक जहाज कैरेबियन सागर में लहरों पर आगे बढ़ रहा था।

जहाज के डेक पर सोफिया अपने नवजात बच्चे कैस्पर के साथ एक कुर्सी पर बैठी थी।

सोफिया का पति मेरोन डेक की रेलिंग को पकड़े समुद्र की लहरों को उठते-गिरते देख रहा था।

“मेरोन हमारा बेटा कैस्पर कितना सुंदर है।” सोफिया ने कैस्पर को निहारते हुए कहा- “बिल्कुल अपने दादा ‘जीयूष’ पर गया है।”

“श्ऽऽऽऽऽऽऽ।” मेरोन ने सोफिया को धीरे बोलने का इशारा करते हुए कहा- “धीरे बोलो, हमें किसी को नहीं बताना है कि हम ‘जीयूष’ और ‘हेडिस’ के बच्चे हैं।”

“मेरोन हम कब तक ऐसे भागते रहेंगे?” सोफिया ने इस बार धीमे स्वर में कहा- “इस नन्हें से बच्चे को लेकर हम सिर्फ देवताओं से बचकर भाग रहे हैं। एक जगह शांति से ठहर भी नहीं सकते। कभी ना कभी तो
हम पकड़े ही जायेंगे। फिर... फिर हमारे कैस्पर का क्या होगा?”

“सोफिया तुम जानती हो कि हम एक जगह पर ठहर नहीं सकते।” मेरोन ने कहा- “जमीन पर मेरे पिता जीयूष हमें जीने नहीं देंगे और पाताल में तुम्हारे पिता हेडिस हमें रहने नहीं देंगे। अब बचा सिर्फ समुद्र..... जहां कि पोसाईडन हमें ढूंढ रहा है। हम जायें भी तो कहां ? और मुझे नहीं लगता कि यह तीनों हमें जीवन भर कभी माफ करेंगे? पिछले एक साल से हम देवमानव होकर भी छिपकर मनुष्यों की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, मगर हमारे पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।

इस समय पूरी दुनिया में कोई भी हमारा साथ नहीं देना चाह रहा, सभी तीनों देवताओं से डरते हैं, पर तुम चिंता ना करो, अगर ईश्वर ने हमें मिलाया है तो हमारी रक्षा का भी कोई ना कोई उपाय उनके पास जरुर होगा? देखना एक दिन सब ठीक हो जायेगा।”

तभी एक ऊंची लहर के आ जाने से जहाज थोड़ा लहरों पर उछला, जिसकी वजह से मेरोन का हाथ जहाज की रेलिंग पर फिसला और एक लकड़ी का नुकीला सिरा मेरोन के हाथ में धंस गया।

मेरोन के मुंह से कराह निकल गयी और उसके हाथ से खून की 2 बूंद निकलकर समुद्र में गिर गयी।
यह देख सोफिया और मेरोन भयभीत हो गये।

“तुम्हारे..... तुम्हारे खून की एक बूंद समुद्र में जा गिरी।” सोफिया ने डरते हुए कहा- “अब पोसाईडन को कुछ ही देर में हमारे बारे में पता चल जायेगा..... फिर वह बाकी दोनों देवताओं तक हमारी सूचना अवश्य ही पहुंचा देगा।......अब क्या होगा मेरोन?”

अब मेरोन के चेहरे पर भी भय साफ-साफ नजर आने लगा था। उसने तुरंत अपने हाथ से बहते खून पर, एक रुमाल कसकर बांधा और आगे बढ़कर सोफिया के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया।

“बीच समुद्र में हमारे पास बचकर निकलने का समय भी नहीं है।” मेरोन ने कहा- “अब तो वहीं होगा जो ये तीनों देवता चाहेंगे।”

“जीयूष और हेडिस ने आपसी दुश्मनी निभाते हुए, पहले ही हमें मारने का आदेश दे दिया था।” सोफिया ने गुस्से से अपने पिता और चाचा का नाम लेते हुए कहा- “वो अभी भी हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मुझे तो चिंता अब बस कैस्पर की हो रही है।”

“परेशान मत हो सोफिया, हम अपने पिताओं को कैस्पर का चेहरा दिखायेंगे। हो सकता है इस अबोध बालक को देख वह हमें जीवनदान दे दें।” मेरोन ने कहा।

तभी दोनों को आसमान में काले घने बादल घिरते हुए दिखाई दिये। जिसे देख दोनों बुरी तरह से डर गये।

“लो.....जिस बात का डर था वही हुआ.... तुम्हारे पिता जीयूष का आगमन हो गया।”सोफिया ने डरते हुए कहा- “बादलों को देखकर ही लग रहा है कि वह कितने गुस्से में हैं?”

तभी समुद्र की लहरें भी ऊंची-ऊंची उठना शुरु हो गयीं। जहाज के सभी यात्री घबरा कर इधर-उधर भागने लगे।

बादल इतने स्याह और खतरनाक दिख रहे थे, मानों आज वह प्रलय ला देने वाले हों।

तभी जोर की बिजली कड़की और समुद्र में जा गिरी। बिजली गिरने से समुद्र का पानी सैकड़ों फिट ऊपर उछला।

ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे जीयूष ने अपनी बिजली के माध्यम से पोसाईडन को कोई संदेश दिया हो।

अचानक समुद्र की लहरों ने विकराल रुप धारण कर लिया। अब वह उछलकर जहाज के ऊपर डेक तक आने लगीं थीं।

सोफिया ने कैस्पर को डरकर जोर से अपने सीने से चिपका लिया।

मेरोन ने आसमान की ओर चेहरा करते हुए जोर से चीखकर कहा-
“क्षमा कर दीजिये पिताजी। मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी। मुझे बिना आपकी इजाजत से सोफिया से शादी नहीं करनी चाहिये थी। पर अब हमारे पास आपका पोता भी है, कम से कम इसका तो ख्याल करिये।”

पर मेरोन का चीखना व्यर्थ जा रहा था। इतने खराब मौसम में तो उसकी आवाज डेक पर खड़े लोगों को ही सुनाई नहीं दे रही थी, फिर भला जीयूष क्या सुनते? या ये भी हो सकता है कि जीयूष चाहकर भी ये सब सुनना नहीं चाहते थे।

तूफान की रफ्तार और ज्यादा तेज हो गयी। अब वह जहाज पानी में किसी कागज के नाव की तरह डोल रही थी।

यह देख घबरा कर मेरोन ने कैस्पर को सोफिया के हाथों से लिया और अपने सिर के ऊपर उठा कर आसमान की तरफ देखते हुए चीखा-

“पिताजी , देखिये इस अबोध नन्हें बालक को। ये आपका ही वंशज है, क्या इसे जीने का कोई हक नहीं ? अभी तो इसने इस पृथ्वी पर कुछ भी नहीं देखा है? कम से कम हमारे लिये नहीं, तो इसके लिये हमें क्षमा कर दीजिये।”

तभी मेरोन को आसमान में जीयूष का गुस्से से भरा चेहरा दिखाई दिया। उनके चेहरे के भाव देखकर साफ पता चल रहा था कि मेरोन को क्षमा करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

जीयूष ने गुस्से से मेरोन के हाथ में पकड़े नन्हें कैस्पर को देखा और अपना अस्त्र ‘थंडरबोल्ट’ उठा कर कैस्पर पर फेंक कर मार दिया।

आसमान में जोर की बिजली कड़की और आसमान से उतरकर तेजी से कैस्पर की ओर झपटी।

यह देख सोफिया जोर से चीखकर मेरोन की ओर भागी, पर इससे पहले कि सोफिया मेरोन तक पहुंचती, आसमान से गिरी बिजली कैस्पर पर आकर गिरी।

एक जोरदार आवाज वातावरण में गूंजी और एक पल के लिये मेरोन को छोड़, सबकी आँखें बंद हो गयीं।
मेरोन ने देखा कि आसमान से गिरी बिजली कैस्पर से एक फुट की दूरी पर आकर हवा में विलीन हो गयी।

ऐसा लगा जैसे किसी अदृश्य दीवार ने कैस्पर की रक्षा की हो। यह देख जीयूष के चेहरे पर भी आश्चर्य के भाव आ गये। आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि कोई थंडरबोल्ट के वार को झेल पाया हो ?

सोफिया ने भी डरते-डरते अपनी आँख को खोलकर, कैस्पर की ओर देखा। वह नन्हा बालक अभी भी मेरोन के हाथ में सुरक्षित मुस्कुरा रहा था।

यह देखकर सोफिया की जान में जान आयी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक विशालकाय समुद्र की लहर ने पूरे जहाज को पानी में पलट दिया। शायद यह पोसाईडन का क्रोध था।

एक पल में जहाज के सारे यात्री पानी में थे। मेरोन अब समुद्र के अंदर गोता लगा रहा था, पर मेरोन ने कैस्पर को अपने हाथों से अभी भी नहीं छोड़ा था।

तभी सोफिया भी तैर कर मेरोन के पास आ गयी। दोनों को ही पानी में देर तक साँस लेने का अच्छा अभ्यास था, पर उन्हें नन्हें कैस्पर की चिंता थी।

सोफिया की नजर मेरोन के हाथ में पकड़े कैस्पर की ओर गयी।

वह यह देखकर हैरान रह गयी, क्यों कि कैस्पर को चारो ओर से एक अदृश्य किरण ने घेर रखा था, जिससे पानी उसके पास ही नहीं आ रहा था और कैस्पर पानी के अंदर भी आराम से साँस ले रहा था।

मेरोन भी यह देखकर हैरान हो गया। तभी पानी में एक तीव्र तरंगे उत्पन्न हुईं, जिसने उस स्थान पर मौजूद, पानी के अंदर की हर चीज को बुरी तरह से पानी में नचा दिया।

यह देख मेरोन ने सोफिया को पानी के और नीचे जाने का इशारा किया और स्वयं भी गहराई की ओर छलांग लगा दी।

कुछ ही देर में सोफिया और मेरोन समुद्र की अधिकतम गहराई तक पहुंच गये।

अब वह समुद्र की सतह की ओर देख रहे थे। सतह पर पोसाईडन का क्रोध अब भी जहाज के यात्रियों पर कहर ढा रहा था।

मेरोन को पता था कि कुछ ही देर में पोसाईडन को उनकी वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा और फिर उनका बच पाना मुश्किल होगा, पर फिर भी वह ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने परिवार को बचाना चाहता था।

मेरोन और सोफिया का ध्यान ऊपर की तरफ था, तभी उनके पीछे से मगरमच्छ पर बैठा हुआ, नोफोआ प्रकट हुआ।

नोफोआ ने अपने भाले जैसे अस्त्र से मेरोन पर निशाना साधा, तभी मेरोन को पानी में पीछे किसी के होने का अहसास हुआ और वह पलटा।

पीछे खड़े नोफोआ को देख, मेरोन ने घबरा कर सोफिया को पीछे की ओर इशारा किया।

अब सोफिया की भी नजर नोफोआ पर जा कर टिक गयी, मगर इससे पहले कि नोफोआ अपने अस्त्र का प्रयोग उन दोनों पर कर पाता, तभी कहीं से एक विशालकाय ब्लू व्हेल प्रकट हुई।

उसने मेरोन और सोफिया को कैस्पर सहित अपने मुंह में भर लिया और तेजी से तैरती हुई समुद्र में गायब हो गयी।

यह देख नोफोआ के चेहरे पर खुशी के भाव उभर आये, वह तुरंत इस शुभ समाचार को पोसाईडन को सुनाने उसकी ओर बढ़ गया।

उधर मेरोन और सोफिया अभी भी ब्लू व्हेल के मुंह में कैस्पर संग सुरक्षित थे।

“ये व्हेल ने हमें अभी तक निगला क्यों नहीं?” सोफिया के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कोई है ऐसा, जो हमारी मदद कर रहा है?” मेरोन ने कहा- “जीयूष के थंडरबोल्ट से कैस्पर का बचना कोई इत्तेफाक नहीं था, किसी ने अदृश्य किरणों से कैस्पर की रक्षा की थी और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह ब्लू व्हेल भी उसी की है, जो हमें शायद उस अदृश्य शक्ति के पास लेकर जा रही है।”

“पर इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी शक्ति है, जो जीयूष के थंडरबोल्ट को निष्क्रिय कर दे।” सोफिया ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

तभी व्हेल के मुंह में एक स्त्री की अदृश्य आवाज गूंजी- “महादेव की माया में बहुत शक्ति है, जो किसी भी देवता के शस्त्र को निष्क्रिय कर सकती है।”

यह अंजानी आवाज सुन मेरोन और सोफिया पूरी तरह से घबरा गये।

“आप कौन हो और इस व्हेल के अंदर आपकी आवाज कैसे गूंज रही है?” मेरोन ने साहस करते हुए पूछा।

“मेरा नाम माया है, मैं तुम लोगों से हजारों किलोमीटर दूर हूं।” माया ने कहा।

“हजारों किलोमीटर!” सोफिया ने आश्चर्य से कहा- “फिर आप हमसे बात कैसे कर सकती हो?”

“हिं..दू धर्म के अनुसार माया शब्द का अर्थ मैजिक होता है, अब जिसके नाम में ही मैजिक हो, उसे भला चमत्कार करने से कौन रोक सकता है।” माया के शब्दों में रहस्य की झलक नजर आ रही थी।

“क्या हम जान सकते हैं कि आपने हमें क्यों बचाया और आपकी शक्तियों का स्रोत क्या है?” मेरोन ने पूछा ।

“तुम लोगों को बचाने का कारण तुम्हारा पुत्र ही है, वह भविष्य में किसी कार्य में मेरी मदद करने वाला है, इसीलिये मैंने उसे बचाया और मेरी शक्तियों का स्रोत ग्रीक देवी-देवताओं से सम्बन्धित नहीं है।” माया ने कहा।

“क्या आप भविष्य को देख लेती हैं?” सोफिया ने पूछा।

“मैं भविष्य के बारे में, सितारों से गणना करके बहुत कुछ पता लगा लेती हूं, पर सब कुछ नहीं जानती ।” माया ने कहा।

“क्या आप बता सकती हैं कि मेरे पुत्र के भविष्य में क्या है?” सोफिया ने शुद्ध माँ की भूमिका निभाते हुए कहा।

“तुम्हारे पुत्र का भविष्य बहुत अच्छा है।” माया ने कहा- “आगे जाकर तुम्हारा पुत्र पूरे आकाश पर राज करेगा और तुम लोग उसे देखकर उस पर गर्व करोगे।”

“इसका मतलब जीयूष और हेडिस हमें क्षमा कर देंगे?” मेरोन ने पूछा।

“इसका जवाब मैं तुम्हें नहीं दे सकती, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पर छोड़ दो।” माया ने कहा- “फिलहाल तुम लोग मेरे घर में प्रवेश करने वाले हो।”

यह सुन मेरोन और सोफिया शांत हो गये, पर उनके चेहरे पर भविष्य की खबर सुन, खुशी साफ देखी जा सकती थी।


जारी
रहेगा______✍️

Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Lambodar ke dwara Manika ko shraap dene ki katha bhi bahut hi rochak thi.............

Casper to apne dada ke krodh se bach gaya, aur sath hi sath Maron aur Sophiya bhi

Maya ne bacha liya in tino ko................aur abhi to casper ki bahan ko bhi paida hona he.............

Jiske sar par Mahadev ka haath ho uska koi kya bigaad sakta he

Superb Bro, simply outstanding
 
Last edited:

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#108.

श्राप (20,032 वर्ष पहले, हिमालय)

हिमालय के पर्वत शिखर पर चारो ओर श्वेत बर्फ फैली हुई थी। मंद-मंद बह रही हवा मन को लुभा रही थी।
आसमान से भी हल्की बर्फ के फाहे बरस रहे थे। ऐसे में एक 5 फुट ऊंचा बालक नंगे पाँव बर्फ पर ठुमकता हुआ जा रहा था। उसके दोनों हाथों में ‘मोदक’ थे।

ज्यादा भोजन करने की वजह से उस बालक का पेट थोड़ा बाहर निकल आया था।

उस बालक का सिर एक हाथी के समान था। यह बालक और कोई नहीं महा..देव पुत्र गणे..श थे।

उनके पीछे एक चूहा भी उछलता हुआ जा रहा था। वह चूहा बार-बार उछलकर उनके हाथ से मोदक छीनने की कोशिश कर रहा था।

पर वह चूहा जितनी बार उछलता, गणे.श अपना हाथ ऊपर कर लेते। आखिरकार थक कर वह चूहा एक जगह रुक गया।

उन्होंने पीछे पलटकर चूहे को देखा और फिर एक मोदक को वहीं बर्फ पर रख दिया।

मोदक को बर्फ पर रखते देख वह चूहा भागकर मोदक की ओर आया, पर चूहे के पास आते ही गणे..श ने फिर बर्फ पर रखे मोदक को उठा लिया।

“अच्छा मूषक जी, आप थके नहीं थे।” उन्होंने कहा- “आप थकने का नाटक कर रहे थे। अभी आपको एक भी मोदक नहीं मिलेगा, मोदक के लिये अभी आपको प्रतीक्षा करनी होगी।”

इतना कहकर गणे..श वापस ठुमकते हुए आगे बढ़ गये। तभी वातावरण में एक जोरदार हंसी सुनाई दी।

“हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ! कैसा हाथी जैसा बालक है, चूहे का खाना छीनकर खा रहा है और....और इसका पेट तो देखो, लगता है खा-खा कर फटने वाला है।”

यह शब्द सुन गणे..श ने अपना चेहरा आवाज वाली दिशा में घुमाया। उनको सामने पत्थर पर बैठी हुई एक खूबसूरत अप्सरा दिखाई दी।

“आप कौन हो देवी और आप इस प्रकार मेरा उपहास क्यों उड़ा रही हो ?” गणेश के शब्दों में मिठास भरी थी।

“मैं स्वर्ग की अप्सरा मणिका हूं, मैं यहाॅ पर देवी पा..र्वती की पूजा करने आयी हूं, पर तुम कौन हो बालक?” मणिका ने पूछा।

“मैं देवी का पुत्र गणे..श हूं, ये मूषक मेरी सवारी है, जिसे लेकर मैं ऊपर पर्वत की ओर जा रहा हूं।” उन्होंने भोलेपन से कहा।

“तुम और देवी पा..र्वती के पुत्र! ऐसा कदापि नहीं हो सकता।” मणिका ने पुनः हंसते हुए कहा- “देवी पा.र्वती का पुत्र तुम्हारी तरह हाथी के सिर वाला नहीं है, और.... और यह मूषक तुम्हारी सवारी है। हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ अब हाथी भी मूषक की सवारी करेगा... हाऽऽ हाऽऽ हाऽऽऽऽऽऽ।”

“आपको एक बालक पर इस प्रकार से परिहास नहीं करना चाहिये, आप तो मेरी माता के समान हैं।” गणे..श के शब्दों में भोलापन झलक रहा था।

“मैं और तुम्हारी माता ! कदापि नहीं, मैं ऐसे हाथी के सिर वाले बालक की माता नहीं बनना चाहती, तेरे जैसा बालक होने से अच्छा है कि मेरे बालक ही ना हो।” मणिका ने एक बार फिर उनको देख अभद्र टिप्पणी की।

यह सुन अब गणे.श को क्रोध आ गया।

“मैं आपको बार-बार समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर लगता है कि आपको किसी बालक से बात करने का ढंग ही नहीं पता। जाइये मैं आपको श्राप देता हूं कि आपको कभी पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी।”

“आप सदैव दूसरों के पुत्र को ही पालती रहेंगी। जिस प्रकार कलुषित मन से आपने मेरा उपहास उड़ाया है, आपका शरीर भी उसी प्रकार काला हो जायेगा और आप कितना भी कड़वा बोलने की कोशिश करें, पर आप कड़वा बोल नहीं पायेंगी।” गणे..श ने क्रोध से कहा।

उनके ऐसा कहते ही आसमान में घने काले बादल घिर आये और उसमें से एक बिजली आकर मणिका पर गिरी।

बिजली के गिरते ही मणिका का शरीर एक कोयल में परिवर्तित हो गया। यह देख मणिका घबरा गयी। वह गणे..श के पैरों में आकर गिर गयी-
“क्षमा... क्षमा गजानन, मैं आपको पहचान नहीं सकी, जिसकी वजह से मेरे मुंह से आपके लिये अपशब्द निकल गये। मुझे क्षमा कर दीजिये लंबोदर... मैं आपको वचन देती हूं कि आज के बाद मैं किसी भी बालक के लिये अपने मुंह से अपशब्द नहीं निकालूंगी।”

मणिका के वचनों को सुन उनको को दया आ गयी और वह बोले-
“मैं अपने श्राप को वापस नहीं ले सकता, पर अपने श्राप के प्रभाव को कम अवश्य कर सकता हूं। हे देवी आपकी शादी के 20000 हजार वर्ष के बाद, आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।”

इतना कहकर गणे..श अंतध्र्यान हो गये। मणिका कुछ देर तक वहां बर्फ पर पड़ी रोती रही, फिर वहां से
उड़कर जंगलों की ओर चली गयी।

माया शक्ति
(19130 वर्ष पहले, कैरेबियन सागर)

‘नाईट ओशन’ नाम का एक जहाज कैरेबियन सागर में लहरों पर आगे बढ़ रहा था।

जहाज के डेक पर सोफिया अपने नवजात बच्चे कैस्पर के साथ एक कुर्सी पर बैठी थी।

सोफिया का पति मेरोन डेक की रेलिंग को पकड़े समुद्र की लहरों को उठते-गिरते देख रहा था।

“मेरोन हमारा बेटा कैस्पर कितना सुंदर है।” सोफिया ने कैस्पर को निहारते हुए कहा- “बिल्कुल अपने दादा ‘जीयूष’ पर गया है।”

“श्ऽऽऽऽऽऽऽ।” मेरोन ने सोफिया को धीरे बोलने का इशारा करते हुए कहा- “धीरे बोलो, हमें किसी को नहीं बताना है कि हम ‘जीयूष’ और ‘हेडिस’ के बच्चे हैं।”

“मेरोन हम कब तक ऐसे भागते रहेंगे?” सोफिया ने इस बार धीमे स्वर में कहा- “इस नन्हें से बच्चे को लेकर हम सिर्फ देवताओं से बचकर भाग रहे हैं। एक जगह शांति से ठहर भी नहीं सकते। कभी ना कभी तो
हम पकड़े ही जायेंगे। फिर... फिर हमारे कैस्पर का क्या होगा?”

“सोफिया तुम जानती हो कि हम एक जगह पर ठहर नहीं सकते।” मेरोन ने कहा- “जमीन पर मेरे पिता जीयूष हमें जीने नहीं देंगे और पाताल में तुम्हारे पिता हेडिस हमें रहने नहीं देंगे। अब बचा सिर्फ समुद्र..... जहां कि पोसाईडन हमें ढूंढ रहा है। हम जायें भी तो कहां ? और मुझे नहीं लगता कि यह तीनों हमें जीवन भर कभी माफ करेंगे? पिछले एक साल से हम देवमानव होकर भी छिपकर मनुष्यों की तरह जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं, मगर हमारे पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।

इस समय पूरी दुनिया में कोई भी हमारा साथ नहीं देना चाह रहा, सभी तीनों देवताओं से डरते हैं, पर तुम चिंता ना करो, अगर ईश्वर ने हमें मिलाया है तो हमारी रक्षा का भी कोई ना कोई उपाय उनके पास जरुर होगा? देखना एक दिन सब ठीक हो जायेगा।”

तभी एक ऊंची लहर के आ जाने से जहाज थोड़ा लहरों पर उछला, जिसकी वजह से मेरोन का हाथ जहाज की रेलिंग पर फिसला और एक लकड़ी का नुकीला सिरा मेरोन के हाथ में धंस गया।

मेरोन के मुंह से कराह निकल गयी और उसके हाथ से खून की 2 बूंद निकलकर समुद्र में गिर गयी।
यह देख सोफिया और मेरोन भयभीत हो गये।

“तुम्हारे..... तुम्हारे खून की एक बूंद समुद्र में जा गिरी।” सोफिया ने डरते हुए कहा- “अब पोसाईडन को कुछ ही देर में हमारे बारे में पता चल जायेगा..... फिर वह बाकी दोनों देवताओं तक हमारी सूचना अवश्य ही पहुंचा देगा।......अब क्या होगा मेरोन?”

अब मेरोन के चेहरे पर भी भय साफ-साफ नजर आने लगा था। उसने तुरंत अपने हाथ से बहते खून पर, एक रुमाल कसकर बांधा और आगे बढ़कर सोफिया के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया।

“बीच समुद्र में हमारे पास बचकर निकलने का समय भी नहीं है।” मेरोन ने कहा- “अब तो वहीं होगा जो ये तीनों देवता चाहेंगे।”

“जीयूष और हेडिस ने आपसी दुश्मनी निभाते हुए, पहले ही हमें मारने का आदेश दे दिया था।” सोफिया ने गुस्से से अपने पिता और चाचा का नाम लेते हुए कहा- “वो अभी भी हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मुझे तो चिंता अब बस कैस्पर की हो रही है।”

“परेशान मत हो सोफिया, हम अपने पिताओं को कैस्पर का चेहरा दिखायेंगे। हो सकता है इस अबोध बालक को देख वह हमें जीवनदान दे दें।” मेरोन ने कहा।

तभी दोनों को आसमान में काले घने बादल घिरते हुए दिखाई दिये। जिसे देख दोनों बुरी तरह से डर गये।

“लो.....जिस बात का डर था वही हुआ.... तुम्हारे पिता जीयूष का आगमन हो गया।”सोफिया ने डरते हुए कहा- “बादलों को देखकर ही लग रहा है कि वह कितने गुस्से में हैं?”

तभी समुद्र की लहरें भी ऊंची-ऊंची उठना शुरु हो गयीं। जहाज के सभी यात्री घबरा कर इधर-उधर भागने लगे।

बादल इतने स्याह और खतरनाक दिख रहे थे, मानों आज वह प्रलय ला देने वाले हों।

तभी जोर की बिजली कड़की और समुद्र में जा गिरी। बिजली गिरने से समुद्र का पानी सैकड़ों फिट ऊपर उछला।

ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे जीयूष ने अपनी बिजली के माध्यम से पोसाईडन को कोई संदेश दिया हो।

अचानक समुद्र की लहरों ने विकराल रुप धारण कर लिया। अब वह उछलकर जहाज के ऊपर डेक तक आने लगीं थीं।

सोफिया ने कैस्पर को डरकर जोर से अपने सीने से चिपका लिया।

मेरोन ने आसमान की ओर चेहरा करते हुए जोर से चीखकर कहा-
“क्षमा कर दीजिये पिताजी। मैं मानता हूं कि हमसे गलती हो गयी। मुझे बिना आपकी इजाजत से सोफिया से शादी नहीं करनी चाहिये थी। पर अब हमारे पास आपका पोता भी है, कम से कम इसका तो ख्याल करिये।”

पर मेरोन का चीखना व्यर्थ जा रहा था। इतने खराब मौसम में तो उसकी आवाज डेक पर खड़े लोगों को ही सुनाई नहीं दे रही थी, फिर भला जीयूष क्या सुनते? या ये भी हो सकता है कि जीयूष चाहकर भी ये सब सुनना नहीं चाहते थे।

तूफान की रफ्तार और ज्यादा तेज हो गयी। अब वह जहाज पानी में किसी कागज के नाव की तरह डोल रही थी।

यह देख घबरा कर मेरोन ने कैस्पर को सोफिया के हाथों से लिया और अपने सिर के ऊपर उठा कर आसमान की तरफ देखते हुए चीखा-

“पिताजी , देखिये इस अबोध नन्हें बालक को। ये आपका ही वंशज है, क्या इसे जीने का कोई हक नहीं ? अभी तो इसने इस पृथ्वी पर कुछ भी नहीं देखा है? कम से कम हमारे लिये नहीं, तो इसके लिये हमें क्षमा कर दीजिये।”

तभी मेरोन को आसमान में जीयूष का गुस्से से भरा चेहरा दिखाई दिया। उनके चेहरे के भाव देखकर साफ पता चल रहा था कि मेरोन को क्षमा करने का उनका कोई इरादा नहीं है।

जीयूष ने गुस्से से मेरोन के हाथ में पकड़े नन्हें कैस्पर को देखा और अपना अस्त्र ‘थंडरबोल्ट’ उठा कर कैस्पर पर फेंक कर मार दिया।

आसमान में जोर की बिजली कड़की और आसमान से उतरकर तेजी से कैस्पर की ओर झपटी।

यह देख सोफिया जोर से चीखकर मेरोन की ओर भागी, पर इससे पहले कि सोफिया मेरोन तक पहुंचती, आसमान से गिरी बिजली कैस्पर पर आकर गिरी।

एक जोरदार आवाज वातावरण में गूंजी और एक पल के लिये मेरोन को छोड़, सबकी आँखें बंद हो गयीं।
मेरोन ने देखा कि आसमान से गिरी बिजली कैस्पर से एक फुट की दूरी पर आकर हवा में विलीन हो गयी।

ऐसा लगा जैसे किसी अदृश्य दीवार ने कैस्पर की रक्षा की हो। यह देख जीयूष के चेहरे पर भी आश्चर्य के भाव आ गये। आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि कोई थंडरबोल्ट के वार को झेल पाया हो ?

सोफिया ने भी डरते-डरते अपनी आँख को खोलकर, कैस्पर की ओर देखा। वह नन्हा बालक अभी भी मेरोन के हाथ में सुरक्षित मुस्कुरा रहा था।

यह देखकर सोफिया की जान में जान आयी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक विशालकाय समुद्र की लहर ने पूरे जहाज को पानी में पलट दिया। शायद यह पोसाईडन का क्रोध था।

एक पल में जहाज के सारे यात्री पानी में थे। मेरोन अब समुद्र के अंदर गोता लगा रहा था, पर मेरोन ने कैस्पर को अपने हाथों से अभी भी नहीं छोड़ा था।

तभी सोफिया भी तैर कर मेरोन के पास आ गयी। दोनों को ही पानी में देर तक साँस लेने का अच्छा अभ्यास था, पर उन्हें नन्हें कैस्पर की चिंता थी।

सोफिया की नजर मेरोन के हाथ में पकड़े कैस्पर की ओर गयी।

वह यह देखकर हैरान रह गयी, क्यों कि कैस्पर को चारो ओर से एक अदृश्य किरण ने घेर रखा था, जिससे पानी उसके पास ही नहीं आ रहा था और कैस्पर पानी के अंदर भी आराम से साँस ले रहा था।

मेरोन भी यह देखकर हैरान हो गया। तभी पानी में एक तीव्र तरंगे उत्पन्न हुईं, जिसने उस स्थान पर मौजूद, पानी के अंदर की हर चीज को बुरी तरह से पानी में नचा दिया।

यह देख मेरोन ने सोफिया को पानी के और नीचे जाने का इशारा किया और स्वयं भी गहराई की ओर छलांग लगा दी।

कुछ ही देर में सोफिया और मेरोन समुद्र की अधिकतम गहराई तक पहुंच गये।

अब वह समुद्र की सतह की ओर देख रहे थे। सतह पर पोसाईडन का क्रोध अब भी जहाज के यात्रियों पर कहर ढा रहा था।

मेरोन को पता था कि कुछ ही देर में पोसाईडन को उनकी वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा और फिर उनका बच पाना मुश्किल होगा, पर फिर भी वह ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने परिवार को बचाना चाहता था।

मेरोन और सोफिया का ध्यान ऊपर की तरफ था, तभी उनके पीछे से मगरमच्छ पर बैठा हुआ, नोफोआ प्रकट हुआ।

नोफोआ ने अपने भाले जैसे अस्त्र से मेरोन पर निशाना साधा, तभी मेरोन को पानी में पीछे किसी के होने का अहसास हुआ और वह पलटा।

पीछे खड़े नोफोआ को देख, मेरोन ने घबरा कर सोफिया को पीछे की ओर इशारा किया।

अब सोफिया की भी नजर नोफोआ पर जा कर टिक गयी, मगर इससे पहले कि नोफोआ अपने अस्त्र का प्रयोग उन दोनों पर कर पाता, तभी कहीं से एक विशालकाय ब्लू व्हेल प्रकट हुई।

उसने मेरोन और सोफिया को कैस्पर सहित अपने मुंह में भर लिया और तेजी से तैरती हुई समुद्र में गायब हो गयी।

यह देख नोफोआ के चेहरे पर खुशी के भाव उभर आये, वह तुरंत इस शुभ समाचार को पोसाईडन को सुनाने उसकी ओर बढ़ गया।

उधर मेरोन और सोफिया अभी भी ब्लू व्हेल के मुंह में कैस्पर संग सुरक्षित थे।

“ये व्हेल ने हमें अभी तक निगला क्यों नहीं?” सोफिया के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कोई है ऐसा, जो हमारी मदद कर रहा है?” मेरोन ने कहा- “जीयूष के थंडरबोल्ट से कैस्पर का बचना कोई इत्तेफाक नहीं था, किसी ने अदृश्य किरणों से कैस्पर की रक्षा की थी और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह ब्लू व्हेल भी उसी की है, जो हमें शायद उस अदृश्य शक्ति के पास लेकर जा रही है।”

“पर इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी शक्ति है, जो जीयूष के थंडरबोल्ट को निष्क्रिय कर दे।” सोफिया ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

तभी व्हेल के मुंह में एक स्त्री की अदृश्य आवाज गूंजी- “महादेव की माया में बहुत शक्ति है, जो किसी भी देवता के शस्त्र को निष्क्रिय कर सकती है।”

यह अंजानी आवाज सुन मेरोन और सोफिया पूरी तरह से घबरा गये।

“आप कौन हो और इस व्हेल के अंदर आपकी आवाज कैसे गूंज रही है?” मेरोन ने साहस करते हुए पूछा।

“मेरा नाम माया है, मैं तुम लोगों से हजारों किलोमीटर दूर हूं।” माया ने कहा।

“हजारों किलोमीटर!” सोफिया ने आश्चर्य से कहा- “फिर आप हमसे बात कैसे कर सकती हो?”

“हिं..दू धर्म के अनुसार माया शब्द का अर्थ मैजिक होता है, अब जिसके नाम में ही मैजिक हो, उसे भला चमत्कार करने से कौन रोक सकता है।” माया के शब्दों में रहस्य की झलक नजर आ रही थी।

“क्या हम जान सकते हैं कि आपने हमें क्यों बचाया और आपकी शक्तियों का स्रोत क्या है?” मेरोन ने पूछा ।

“तुम लोगों को बचाने का कारण तुम्हारा पुत्र ही है, वह भविष्य में किसी कार्य में मेरी मदद करने वाला है, इसीलिये मैंने उसे बचाया और मेरी शक्तियों का स्रोत ग्रीक देवी-देवताओं से सम्बन्धित नहीं है।” माया ने कहा।

“क्या आप भविष्य को देख लेती हैं?” सोफिया ने पूछा।

“मैं भविष्य के बारे में, सितारों से गणना करके बहुत कुछ पता लगा लेती हूं, पर सब कुछ नहीं जानती ।” माया ने कहा।

“क्या आप बता सकती हैं कि मेरे पुत्र के भविष्य में क्या है?” सोफिया ने शुद्ध माँ की भूमिका निभाते हुए कहा।

“तुम्हारे पुत्र का भविष्य बहुत अच्छा है।” माया ने कहा- “आगे जाकर तुम्हारा पुत्र पूरे आकाश पर राज करेगा और तुम लोग उसे देखकर उस पर गर्व करोगे।”

“इसका मतलब जीयूष और हेडिस हमें क्षमा कर देंगे?” मेरोन ने पूछा।

“इसका जवाब मैं तुम्हें नहीं दे सकती, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पर छोड़ दो।” माया ने कहा- “फिलहाल तुम लोग मेरे घर में प्रवेश करने वाले हो।”

यह सुन मेरोन और सोफिया शांत हो गये, पर उनके चेहरे पर भविष्य की खबर सुन, खुशी साफ देखी जा सकती थी।


जारी
रहेगा______✍️
Wow* lovely update brother.

Casper ka sitara bahut buland hai jo uski raksha khud Maya kar rahi hai. Khair Casper ka zinda rahna jaruri tha nahi toh Mayavan ka nirman kaise hota????

Maya matlab mystery ya magic.

Ye duniya hi ek maya hai, yahan insaan, pashu -pakshi aur ped paudhe ka nirman kaise hua ye aaj bhi mystery hai sabhi ke liye.

Bhoot aur god ka existence hai ya nahi ye bhi ek mystery hai.

Insaan ka punarjanm hota hai ya nahi ye bhi ek mystery hai.
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Wonderful update brother!!

Lekin kuch baat clear kar do.

Pahli baat Maya jahan rehti hai wo jagah manushya aur devta ke pahuch se bahar hai phir Maya kya hai???? Kya wo manushya aur devta dono nahi hai????
Ise kahte hain jigyasu reader :approve: Nice to see your comments, bhai pahli baat to ye maya wo maya nahi hai jo har aur vyaapt hai, kyu ki iske paas saktiyaan to hai, per limited, uske pas unlimited hai, qur wo devi hi hai, uske uper keval ishvar ka hi control hota hai, I.e. yog maya:shhhh:

Dusri baat Poshaidan ka trishul jo hai wo gold ki bani hai???? Pahle jo weapons hote the* wo gold se banti thi kya????

Sabhi nahi, kuch gold se, kuch lohe se, kuch ashthiyo se bhi bane to kuch lakdi aur pathar se bhi, to kuch astra sammilit dhaatu se bhi bante the:yo:

Tisri baat yadi Poshaidan se samudra mein koi jagah chhupa hua hai matlab Shefali aur Suyash ke liye aur bhi jyada mystery se bhara hone wala hai ye Maya mahal ki journey ya phir wo sab samudra ke andar dakhil nahi hone wale hain????

Be-shak, ye itna aashaan nahi hone wala, abhi tak aapne dekha hai ki lagbhag har nai jagah ne ek bali li hai inme se kisi ki, to aage to aur bhi bhi khatra hone wala hai:shhhh:

Ek aur baat jahan tak mujhe yaad hai Casper aur Mahashakti Megra ne Mayavan ka nirman kiya hai phir bhi Casper ek sadharan insaan kaise ho sakta hai????

Kon bola wo sadharan hai? Unke pas bhi shaktiya hai, or wo kaha se aai, kyu aai? Iska pata aage ke updates me chalega aapko,:declare:
Thank you very much for your amazing review and superb support bhai :thanx:
 
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