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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 023
अतीत के पन्ने : 04
अगली सुबह में देर से उठा , नानी की बाहों में इतना सुकून से सोया कि कब 8 बजने को हुए पता ही नहीं चला।
: शानू ... !!!! ( नानी ने आवाज दी )
मै उठा और घड़ी देखी
ओह बहिनचोद सारा नजारा अभी निकल जाता हाथ से , नानी की नंगी गाड़ आज तो देखनी ही है
उठा तो देखा बिस्तर पर नानी ने आज सिर्फ नाइटी रखी हुई है ।
नानी ने दुबारा आवाज दी मै भाग कर पीछे हाते की ओर गया
सामने देखा तो नानी आधी भीगी आधी सूखी थी , कुछ बाल गिले , कुछ सूट आगे एक तरफ की चूची से सूट भीग कर चिपक गई थी और काटन सूट में नानी के भूरे निप्पल उभर कर दिख रहे थे ।
: नानी क्या हुआ ? गिर गई क्या आप ( मैने फिक्र में बोला )
: नहीं रे, नहा रही थी और वो हराम का जना दिलावर , मुआ जीने से झाक रहा था ( नानी झल्लाती हुई बोली )
मै चुप हो गया ।
: मै पाखाने वाले बाथरूम जा रही हूँ तू पानी की बाल्टी दे देगा बेटा ( नानी परेशान होकर बोली)
: जी नानी आप चलो मै पानी लेकर आता हूं
मै पानी की बाल्टी लेने चला गया
घर में कहने को पक्का बाथरूम तो है मगर उसी में पाखाना भी अटैच है लेकिन पानी की कोई सुविधा भी मामू ने नहीं करवाई थी । और नानी अपनी अधेड़ उम्र की वजह से वही नल के पास ही खुले आंगन में नहा लेती थी ।
मगर आज दिलावर मामू को गुलनार मिली नहीं तो वो आज नानी को ताड़ने लगे ।
मै एक बाल्टी पानी लेकर पहुंचा तो नानी बालों के शैंपू कर रही थी और गाज इसके सर से देह पर जा रही थी ।
मोटी मोटी चूचियां पूरी बिजिबल थी
देखते ही लंड खड़ा हो गया ।
: बेटा एक बाल्टी और ला दे फिर मै नहा लूंगी
नानी की कसी चूचियां सूट में चिपकी देख कर लंड सलामी देने लगा ।
मै भाग कर नल पर गया और पानी भरने लगा
लंड एकदम से फड़फड़ा रहा था
जल्दी जल्दी मै पानी की बाल्टी लेकर पहुंचा
और देखा नानी अपनी जांघें खोले बैठी हुई एड़ियां रगड़ रही थी और उनकी बड़ी बड़ी चूचिया हिल रहे थी ।
लंड एकदम अकड़ा हुआ था नानी को देख कर नानी अपने ऊपर पानी डाल रही थी । उनकी चूचियां अब और खिल कर दिख रही थी ।
: अब खड़ा क्या है , जा बाहर मुझे नहाना है ( नानी खड़ी होकर बोली और मै बाहर आ गया )
नानी ने दरवाजा लगा दिया ।
मै मचल कर रह गया लंड मेरा एकदम अकड़ा हुआ था और मुझसे रहा नही जा रहा था
कैसे भी करके मुझे नानी के बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देखना ,
कैसे उन पहाड़ों और दरारों से पानी झरना जैसे गिरेगा
सोच कर ही लंड फौलादी हुआ जा रहा था ।
मैने ऊपर देखा तो दरवाजा पूरा बंद और नीचे देखा तो थोड़ा सा गैप
बड़े प्रयास कर मै घुटने के बल होकर सर को फर्श में लगा कर आंखो घुसा कर देखा
अह्ह्ह्ह्ह क्या नजारा था जैसे सोचा था वैसा ही
नानी पूरी नंगी दरवाजे के पास लग कर खड़ी थीं और अपने ऊपर पानी डाल रही थी । मानो मेरी कल्पना ने हकीकत का रूप ले लिया हुआ
नानी जैसे मग से पानी अपने जिस्म पर डालती वो उनकी चौड़ी पीठ होकर उनके बड़े बड़े रसीले चूतड़ों और दरारों के निकल कर झरने के जैसे फर्श पर गिरने लगा
उन अमृतझरनों के छींटे मेरे नाक और होठ पर आने लगे तो मैने जीभ दरवाजे के पास डाल कर उस कामरस का पान करने लगा ।
आंखों को बंद किए मै जीभ से नानी के चूतड़ों से गिरते पानी का रसपान रहा था कि जुबान पर अजीब सी ऐंठन होने लगी , ऐसा कुछ गर्म और खारा स्वाद मैने पहले कभी नहीं चखा था , जैसे ही आंखे खोलकर देखा तो नानी खड़े खड़े ही जांघें खोल कर अपनी चूत की टंकी खोल दी थी और उनकी मूत उनकी जांघों से रिसकर कर फर्श पर गिर रही थी और उनकी मूत के छींटे मेरे जीभ पर थे ।
लंड एकदम उफान पर था , नानी की बुर का पानी जीभ पर आते ही मेरा मूसल पंप होने लगा
नानी ने मग से अब अपनी चूत पर छप्प छप्प पानी मार कर धूल रही थीं और मसल कर धूल रही थी ।
अब और मै रुक नहीं सकता था
मेरा लंड एकदम बेकाबू हो गया था और अब जरा सा भी मै लंड छू भर देता तो मेरा लंड भलभला कर माल उगल देता , और कपड़े खराब होने तय थे ।
भाग कर मै नल के पास गया और लंड निकाल कर पानी गिराने लगा
पूरे बदन में सिरहन सी फेल गई और मगर लंड की अकड़न नहीं गई ।
लोवर में तंबू लिए मै अन्दर आया तो बाथरूम का दरवाजा खुला था और मैं बाल्टी में पानी भर कर ले आया
थोड़ी देर में नानी बाहर दिखी, काटन नाइटी में उनके बड़े भड़कीले चूतड और गदराई चूचियां उभरी हुई थी ।
: अरे पागल वही नहा लेता
: नहीं मै भी अंदर ही नहाऊंगा ( पानी लेकर घुसते हुए बोला )
: ठीक है जल्दी कर मुझे कपड़े डालने है ( नानी बोली उससे पहले मै दरवाजा लगा दिया )
जल्दी जल्दी लंड निकाल कर पूरा नंगा और अपने जिस्म पर पानी डालने लगा , फिर मैने वहां पड़ी हुई नानी की कच्छी उठाई और उस गीली पैंटी को सूंघ कर अपने लंड से लगाया
अह्ह्ह्ह्ह गजब की ठंडक थी और लंड उसकी बुर की खुशबू से अकड़ गया
: अह्ह्ह्ह्ह नानी क्या मस्त चूत होगी आपकी इतनी गजब खुशबू है अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन पानी होगा आपका ओह्ह्ह्ह चटवा लो न
मै अपने बदन में साबुन घिस रहा था और नानी को मन ही मन याद कर रहा था
: ओह्ह्ह्ह नानी आपकी गाड़ में मुंह घुसा देने का जी चाहता था , मन करता है आपके ऊपर झड़ जाऊ ( मै मन के बड़बड़ाया और मेरी नजर उनकी सलवार पर गई और मै उधर ही गया
: ये सलवार आपकी गाड़ से चिपकी रहती है अह्ह्ह्ह्ह मेरी नानी मेरी sexy नानी अह्ह्ह्ह आपको पेल मै भी आपकी सलवार गीली करना चाहता हु ओह्ह्ह्ह्ह उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह तुम्हारी गाड़ कितनी मुलायम और मोटी है अह्ह्ह्ह नानी पीलवा लो न गाड़ देदो न अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह
मैं जरूर से साबुन वाले हाथों से अपना लंड मसल रहा था और आंखों के नानी की बड़ी गाड़ की तस्वीर लिए हिला रहा था
: अह्ह्ह्ह्ह नानी आपके मूत को चख कर मै पागल हो गया हु आप मेरे मुंह पर बैठ जाना और मूतना , पूरी चूत को मेरे मुंह पर रगड़ना अह्ह्ह्ह्ह हा नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम
नानी की चूत अपने मुंह पर सोच आकर मेरे लंड की नसे फड़क उथी और मै तेजी से झड़ने लगा ,
आगे फर्श पर नानी की सलवार थी मै उसी को गिला करता रहा झड़ता रहा ।
फिर मै नहाया और एक बार उनकी सलवार को पानी डालकर बाहर निकाल दिया ताकि नानी को भनक न लगे और फिर तौलिया लपेट कर बाहर आया ।
तभी मेरे कानो में नानी की आवाज आई वो शायद फोन पर किसी से बात कर रही थी ।
: नहीं पागल मत बनो ( नानी बातों से परेशान लग रही थी )
: मैने कहा न इधर नहीं , मै भी परेशान ही हु तो .... हा ठीक है । ऐसा कुछ हो पाया तो जरूर कहूंगी । ( नानी ने फोन काट दिया और मै कमरे में दाखिल हुआ
: नहा लिया ( नानी मुझे देख कर बोली )
: जी नानी ( मै बिस्तर पर रखा अपना अंडरवियर उठा कर बोला )
: ठीक है मै कपड़े धूल देती हु तू फैला देना , फिर खाना बनाते है । ठीक है
: हा नानी ठीक है
नानी नाइटी के कूल्हे हिलाते हुए आगे बढ़ी और मै बनियान पहनने लगा ।
नानी के जाते ही मैने लपक कर उनका मोबाइल उठाया और लॉक खोलकर काल डिटेल चेक किया तो
सबसे ऊपर जो कॉल आया था वह "बब्बू किराना" से था ।
मैने कॉल रिकार्डिंग खोजी पर मिली नहीं ।
पहली बार नानी का मोबाइल हाथ लगा लगा था । कॉल डिटेल में जाकर देखा तो सबसे ज्यादा फोन सिर्फ "बब्बू किराना" की थी । कुछ अम्मी और कुछ मामू की ।
दिल के अजीब सी उलझन थी कि क्या बात हुई होगी दोनो में ।
मैने गैलरी चेक किया और बाकी कुछ नानी चलाती नहीं थी ।
सब कुछ क्लियर था । ऐसा कुछ भी था कि शक करने की गुंजाइश रहे ।
मै कपड़े पहन कर वापस आया ।
मैने खंगाले हुए कपड़े लिए और ऊपर चला गया और जीने से कपड़े डाल कर नीचे आया ।
कुछ देर बाद दिलावर मामू आए ।
खाने के बाद
: चाची आज बाजार जा रहा हूं ,कुछ लाना है तो बोल दो ( दिलावर मामू बोले)
: अह सारी साग सब्जी तो कल ही लेकर आई हूं मै । फिर तुझे जो खाने का मन है लेते आना रात के लिए ( नानी बोली )
: अच्छा ऐसा है फिर शानू को भेज दो , उसको समान दिला दूंगा और वही से मै काम के लिए निकल जाऊंगा ( मामू ने नानी को सुझाया )
मेरा तो जरा भी मन नहीं था नानी को अकेला छोड़ने का , ऊपर से दिलावर मामू के साथ क्या करता जाकर । बोरियत होती सो अलग ।
नानी ने मुझे पठा दिया उनके साथ ।
मैने भी कपड़े बदले और निकल गया उनकी साइकिल पर बैठ कर पीछे ।
दिलावर मामू पेशे से राजमिस्त्री थे । सुबह ही काम पर निकल जाते थे ।
साइकिल पर पीछे करियर पर खड़ंजे वाली सड़क पर बैठे बैठे मेरे चूतड़ दर्द होने लगे ।
कुछ देर बाद ही मै वही बगल वाले गांव के चौराहे पर आया था ।
: मुर्गा खायेगा शानू ( दिलावर मामू बोले)
लजीज चिकन खाए भी महीनों बीत गए थे , एक तो गर्मी उसपे से परीक्षा चल रही थी और अब्बू भी काफी समय से घर नहीं आए थे । इसीलिए मिल नहीं खाने को । सेकेंड नहीं लिया मैने और हामी भर दी ।
: ठीक है चल पहले बब्बू के यहां मसाला बंधा लेता हु और फिर अकील के यहां से देसी मुर्गा कटवाते है .!
: जी मामू ( मै खुश हो गया )
फिर हम बब्बू किराना की दुकान पर गए और मैने उन्हें नमस्ते किया ।
: अरे बेटा आज अकेले आए हो ( बब्बू ने पूछा )
: नहीं बब्बू आज मै लिवा आया , तुम जरा मसाले बांध दो। एक किलो मुर्गा के लिए ठीक है और तब तक मै अकील भाई के यहां से आता हु ( दिलावर मामू ने सारी बात एक बार में कह दी )
: अच्छा दिलावर भाई कर देता हु और कुछ समान रहेगा ( बब्बू एकदम से हड़बड़ाने लगा और मुझे अजीब लगा )
: नहीं नहीं , ये लो पैसे और तैयार रखो मै आ रहा हूं ( दिलावर मामू उसको पैसे देते हुए बोले )
फिर हम वहां से निकल कर सड़क से दूसरी ओर बाग में जाने लगे
वहा एक पेड़ के नीचे एक मोटा आदमी सर पर गमछा बांधे हुए था । उसकी में पर पीली प्लास्टिक पर एक बड़ा लकड़ी का कुंडा था जिसपर वो मुर्गे काटता था
: सलाम अकील भाई , जरा एक किलो काट दो , और अच्छे पीस रखना ( दिलावर मामू बोले)
: क्या दिलावर भाई आपको कभी शिकायत मिली है क्या ( वो मुर्गे की चोंच पकड़ कर किनारे से रेत कर लाया और उसके पखड़े छिल कर उसको नंगा कर दिया , बगल के रखी एक मैली सी बाल्टी के उसकी डुबो कर धुला और फिर लकड़ी के कुंडे पर रख कर खचाखच काटने लगा ।
इधर दिलावर मामू और वो अकील बातें कर रहे थे कि तभी सड़क पर एक मोबाइल के स्टार्ट होने की आवाज आई
गर्दन फेरा दो देखा बब्बू बड़ी हड़बड़ाहट अपनी बाइक पर बैठा था । देह पर वही टीशर्ट और लूंगी । गाड़ी पर बैठे हुए दुकान पर अपने लड़के को कुछ समझा रहा था
फिर जैसे ही उसने मेरी ओर घुमा मै गर्दन फेर लिया और वो तेजी से निकल गया । मुझे लगा जरूर दाल में कुछ काला है ।
: हो गया बेटा, चल मसाले लेते है और फिर घर चला जाना ( दिलावर मामू बोले )
: जी मामू
फिर मै बब्बू की दुकान पर आया और मसाले लिया , दिलावर मामू साइकिल से निकल गए काम पर और मै पैदल चलने लगा ।
रास्ते से जाते हुए मेरी नजर शॉर्ट वाले खेत के रास्ते पर गई जिधर से मै आया था कल नानी के साथ ।
भागकर मै उस खेत वाले रास्ते को पकड़ लिया
कभी तेजी से दौड़ता तो कभी तेज चलता हुआ , जांघें पैर अब दर्द होने लगे । उसपे से झोला भी हाथ में ।
हांफते हुए मै गांव की ओर आया ।
अब तक बब्बू को निकले 20 मिनट हो चुके थे ।
मै तेजी से चलता हुआ मुहल्ले में घुसा तो बब्बू की गाड़ी नानी के घर से सामने सड़क पर दूसरी ओर खड़ी थी ।
मै तेजी से गया और देखा गेट तो बस भीड़काया हुआ है । मै धीरे से लपक कर दबे पाव अंदर गया
दरवाजा पूरा बंद और अंदर से तेज सिसकियां और आवाजे आ रही थी
मै लपक कर खिड़की पर आया
: अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह तू बड़ा जिद्दी है रे मुझे फसवा देगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( नानी बब्बू ले लंड पर सवार थी और बड़ी बड़ी गाड़ उछाल रही थी )
: अह्ह्ह्ह्ह चाची तेरी बड़ी गाड़ देख कर रहा नहीं जाता अह्ह्ह्ह्ह 3 रोज से तड़प रहा था अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम कितनी गरम है तेरी बुर अह्ह्ह्ह ( बब्बू नीचे से बोला )
: सब जानती , कमीना हिसाब बराबर करने आया है तू अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह अरे आराम से फाड़ देगा क्याअह्ह अह्ह्ह्ह्ह अम्मी अह्ह्ह्ह
: रंडी साली , 3 3 पैकेट मिठाई के उठा लाई तो हिसाब न करूं मादरचोद ( बब्बू नानी को गालियां देता हुआ नीचे से अपने कूल्हे फेक कर तेजी से नानी की चूत में पेल रहा था )
मै अपना लंड बाहर निकाल कर हिला रहा था खिड़की से झाक रहा था ।
: अह्ह्ह्ह बब्बू रुकना मत अह्ह्ह्ह्ह चोद और तेज अह्ह्ह्ह्ह कितना तड़पी हू मै 3 रोज मै अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह आ रहा है उम्ममम ( नानी ऐंठने लगी और अकड़ कर उसके लंड पर ही झड़ रहे थी , मै उनकी कामुकता और सेक्स के मदहोशी के देखकर पागल हो उठा )
लंड पकड़ कर जोरो से भींच रहा था
ऐसा नजारा देखे महीनों बीत गए थे और नानी की नंगी बड़ी गाड़ और उनकी चुदाया मुझे कामोत्तेजना के शिखर पर ले जा रही थी
अंदर पोजिशन बदल चुका था , नानी नंगी अब बिस्तर पर थी और बब्बू उनके ऊपर आ कर चढ़ कर पेल रहा था
नानी मस्ती से मुस्कुरा रही थीं और बब्बू चढ़ कर पेल रहा था
: जल्दी कर बब्बू शानू आता होगा
: अह्ह्ह्ह चाची, उसे समय लगेगा तू मजे ले अह्ह्ह्ह्ह आज तेरी बुर का भोसडा बनेगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम अह्ह्ह्ह्ह ( बब्बू नानी के ऊपर चढ़ कर उनकी चूचियां मिज़ता हुआ फचर फचर पेले जा रहा था , नानी को फिर से मस्ती छाने लगी थी )
: उम्मम बब्बू हा बेटा ऐसे ही अह्ह्ह्ह्ह सीईईई और घुसा न उम्ममम अह्ह्ह्ह्ह
मै नानी के चेहरे के भाव देख रहा था कैसे वो चुदासी हुई तड़प रही थी और बब्बू के लंड को गहराई में लेजाने की मिन्नते कर रही थी ,मै नीचे रॉड सा लंड निकाल कर हिला रहा था
: अह्ह्ह्ह बब्बू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह रुकना नहीं अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( नानी अपनी गाड़ उचकाने लगी और यहां मै उनकी तड़प देख कर पागल हो उठा )
काश अंदर बब्बू की जगह मै होता अह्ह्ह्ह नानी चुदवा लो मुझसे बड़ा लंड है मेरा अह्ह्ह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह्ह देखो कितना तड़पा रही हो अह्ह्ह्ह्ह नानी ओह्ह्ह
नानी एकदम फड़फड़ाने लगी और चरम पर थी और गर्दन इधर उधर झटक रहीं थी , नीचे बब्बू पेले जा रहा था और तभी नानी की नजर खिड़की के पास मुझपे गई
वहां नीचे बब्बू लंड को पूरी गहराई में ले जाकर झटके खा रहा था और नानी झड़ रहे थी और उनकी फटी आंखे मुझे देख कर मेरा नाम बुदबुदा रही थी
मैने उनके होठ पढ लिए और आंखे उलट कर वही खिड़की के पास ही झड़ने लगा
एक के बाद एक पिचकारिया दिवाल पर छूटती रही ।
नानी मुंह पर हाथ रख कर गर्दन दूसरी ओर कर ली। इससे पहले बब्बू देखता मै झुक गया ।
और मै जीने से छत की ओर चला गया ।
कुछ देर बाद बब्बू कमरे से निकला और मैने छत से उसको बाहर जाते देखा ।
नीचे जाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी मेरी । अजीब सा डर लग रहा था कि ना जाने नानी क्या सोचेंगी । क्या कहेंगी । वो खुद भी शर्मिंदा होंगी इसपर और उन्हें तो यही लगेगा कि मै खुद से जासूसी की होगी ।
आधे घंटे तक वही जीने के पास दिवाल से लग कर छांव में बैठा रहा और फिर मुझे नल चलने की आवाज आई
देख तो नानी पोछे वाला कपड़ा धूल रही थी । मै समझ गया कि वो मेरी ही फैलाई गंदगी साफ की होंगी ।
वो घूमी तो मुझे ऊपर बैठे देखा , फिर नजरे फेरते हुए अंदर चली गई बिना कुछ बोले ।
अजीब कशमकश थी नानी को देख कर लग नहीं रहा था कि वो नाराज है मगर क्या भरोसा ?
धूप चढ़ रही थी और मै उठ कर नीचे आ गया ।
नानी कमरे में लेती हुई थी करवट लेकर मै भी गर्मी से भीगा था तो कमरे में आ गया बिस्तर पर बैठ गया ।
बगल में नानी के बड़े चौड़े कूल्हे देख कर लंड अकड़ा हुआ था । नानी ने अब सूट सलवार पहन लिया था ।
जहन में अभी भी वही सब नाच रहा था मेरे , लंड अपने आप खड़ा होने लगा था , उसपे से नानी की गाड़ देख कर । बार बार उनकी उछलती गाड़ याद आती जब नानी अपने पंजे से अपने चूतड़ फाड़ कर नीचे बुर में बब्बू का लंड ले रही थी । वो तेज कामुक सिसकिया वो गाली अह्ह्ह्ह लंड अकड़ने लगा ।
मै जान रहा था कि नानी जग रही है और उन्हें मेरे आने का आभास है मगर वो बोल नहीं रही थी ।
मै भी सरक कर लेट गया और करवट होकर थोड़ा हिम्मत किया
: नानी ? सो गए क्या ?
: नहीं , बोल क्या है ? ( नानी उखड़ कर बोली )
: सॉरी मुझे नहीं झांकना चाहिए था , माफ कर दो ( मै उन्हें पीछे से हग कर लिया )
: वो फफक पड़ी
: अरे रो क्यों रहे हो ( मै एक कोहनी के बल उठ कर उन्हें अपनी ओर घुमाया )
: तू भी मुझे बाकि औरतों जैसे ही समझेगा अब , तेरे लिए भी मै बाजारू हो गई न ( नानी सुबक कर बोली )
: खबरदार मेरी नानी के लिए ऐसा कुछ कहा , आप मेरी प्यारी नानी हो उम्माह ( मैने उनके गिले गाल को चूमा ) इधर देखो उम्मम ( मैने उन्हें अपनी ओर घुमाया )
वो घूमी और मुझे निहारने लगी । मै हाथों से उनके आंसू साफ किए ।
: नानी एक बात कहूं
: हम्म्म बोल ( नानी मुझे देख कर बोली )
: मै खुश हूं कि आप अपना ख्याल रखती है , आप खुश रहो मै किसी से कुछ नहीं कहूंगा , आपकी कसम ( मै बड़े भावुक होकर बोला और उनके लिप्स चूम लिए वो शर्मा कर मुस्कुराने लगी )
: पगलू मेरा बच्चा इधर आ ( वो मुझे खींच कर अपने होठों से मेरे होठ जोड़ दिए और मैने होठ खोलकर उनकी निचली होठ को चुबलाया तो उनके बदन में हरकत हुई और कस कर वो मेरे होठ चूसने लगी )
मैने भी उनको अपनी बाहों में भर लिया और मेरा खड़ा लंड उनके पेट पर चुभने लगा ।
: आई लव यू नानी उम्मम्मआह ( मै उनके ऊपर आकर बोला )
: मै भी ( वो मुस्कुरा कर मेरे गाल सहलाते हुए बोली और मेरी आंखो में देख रही थी )
: अब उतर जा पेट दब रहा है मेरा अह्ह्ह्ह उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह ( मै सरक कर बगल में आया )
: नानी एक बात पूछूं ( मै मुस्कुरा )
: हम्मम बोल न ( वो मुझे निहारती हुई बोली )
: ये कबसे चल रहा है ( मै मुस्कुरा )
: धत्त कामिना , अब मार खायेगा ( नानी लजाई)
: बताओ न प्लीज, मै कहा किसी को बताने वाला हु , आपको पता है मुझे दूसरों के बारे में जानना कितना पसंद है हिहिही
: हम्ममम पक्का किसी से कहेगा नहीं न
: ऊहू ( ना में मैने सर हिलाया )
: करीब 4-5 साल हो गए है
: क्या ?
: हम्म्म
: मतलब कैसे हुआ सब ? ( मै हैरान और उत्साहित होकर बोला )
: मै उन दिनों बहुत परेशान थी , घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और अंदर भी आग लगी रहती थी । जब तक तेरे नाना थे किसी तरह की कमी नहीं रही मगर उनकी कमी खलती थी । उसने मेरी बहुत मदद की थी और एक रोज मै उसके यहां समान लेने गई तो मुझे पेशाब लगी थी और उसके घर में मै चली गई । वो मुआ छिप कर मुझे देख रहा था मुझे क्या पता , फिर वो मेरे चूतड़ का दीवाना हो गया ।
अक्सर वो मुझे ठंडे पानी पिलाता और मुझे बातों में घंटे उलझाता ताकि रास्ते में मुझे पेशाब लगे । फिर मुझे शक हुआ और वो रंगे हाथ पकड़ा गया ।
बात बहस हुई तो उसने खुले दिल से अपने जज्बात जाहिर कर दिए और ये भी शर्त रखा कि उसकी दुकान से जरूरत की सभी चीजें फ्री थी । मै जिस्मानी और आर्थिक दोनो लालच के आ गई । उसका मूसल देखकर रहा नहीं गया और वही खेत में मै नीचे लेट गई , पहली बार वही हुआ था ।
: ओह गाड़ नानी सच कहू तो आपकी गाड़ देख कर मै भी दीवाना हो गया ( मै उन्हें कूल्हे सहलाया )
: धत्त कामिना मार खायेगा तू
: हिहीही ( मै खिलखिलाया )
: नानी एक बात और पूछूं ( मै मुस्कुराया )
: हम्म्म बोल
: लेकिन जब अब्बू ऐसा करते थे तो क्यों आपने उनके साथ कुछ नहीं किया ?
: तू पागल है क्या , वो मेरे बेटे जैसा था और वो छोटा था उसकी नादानी थी ।
: और अब ? ( मै उनको देख कर मुस्कुराया )
: अब क्या ? ( नानी अचरज से बोली )
: अब मतलब अब तो अब्बू न बच्चे है और न आपके बेटे जैसे तो अब क्यों उन्हें तड़पा रही हो उम्मम ( मैने दुबारा से उनके मुलायम कूल्हे पर हाथ रखा )
: धत्त गंदा, तो क्या अब मै तेरे अब्बू से छीइई पागल ( नानी अजीब सा मुंह बनाई और हसी )
: क्यों , वो भी तो आपके इस बड़े से चूतड़ के दीवाने है उम्मम , कितनी sexy हो आप नानी उह्ह्ह्ह
: शानू ? मत कर बेटा ये सही नहीं है मान जा न ( नानी की सांस चढ़ रही थी )
: नानी ? ( मेरी भी हालत खराब हो रही थी और मेरे हाथ उनकी कमर से होकर ऊपर उनकी मोटी मोटी चूचियो की ओर बढ़ रहे थे )
: नहीं शानू ( वो एकदम से घूम कर मेरी ओर पीठ कर ली)
अह्ह्ह्ह कितना बड़ा चूतड़ था उनका लंड मेरा एकदम अकड़ा हुआ था ।
मै सरक पीछे से हग कर लिया, लंड का सुपाड़ा लोवर के अंदर से नानी की सलवार में कोचने लगा ।
: उम्मम्म शानू बेटा नहीं दूर हट , गलत हो जाएगा ( नानी कुनमुना रही थी और मेरा लंड उनकी गाड़ पर कोंच रहा था )
हाथ आगे बढ़ कर उनके रसीले मम्मों को भर चुके थे , उनकी सांसे चढ़ने लगी थी में पीछे से लंड को उनकी गाड़ के दरारों में घुसा रहा था ।
: नानी आई लव यू सो मच प्लीज न
: उह्ह्ह्ह शानू नहीं रुक जा , मान जा गलत है ये अह्ह्ह्ह्ह
मैने एक हाथ लोवर नीचे कर अपना मूसल बाहर कर दिया और सुपाड़ा सीधा उनके चूतड़ में चुभोने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह अल्लाह कितना गर्म है उम्ममम
: बहुत ज्यादा गर्म है नानी , जल जाओगी ( लंड को उनकी गाड़ के दरारों में सलवार के ऊपर से घुसाते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह अम्मीई खुदा का वास्ता रुक जा शानू
( नानी के गाड़ के दरारों के सुपाड़ा फसा कर मै आगे पीछे हो रहा था और ऊपर नानी मेरे पंजे पर अपना हाथ रख कर अपनी छातियां मिजने से रोक रही थी )
: अह्ह्ह्ह नानी अब कोई कसम मुझे नहीं रोक पाएगी मै बेकाबू को चुका हु प्लीज मत रोको अह्ह्ह्ह्ह नानी कितनी कसी गाड़ है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम नानी आई लव यू अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: उम्ममम मेरा बच्चा मान जा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह रुकक्क जाअआ अह्ह्ह्ह्ह नहीइइई बेटे अह्ह्ह्ह्ह तुझे तेरी अम्मीई का अह्ह्ह्ह्ह शानूयू रुक उम्मम्म ( मै नानी को थामे लगातार उनकी गाड़ और जांघों में पेलता रहा और उनकी बुर के फांके गीली होने लगी थी मै भी चरम पर आ चुका था
: ओह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू नानी उम्मम्मआह अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ अअम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह
( मै लेटे हुए ही झड़ने लगा , नानी के गाड़ पर सलवार के ऊपर से ही और नानी सिसकारियां निकाती रही )
लंड की पिचकारी नानी की गाड़ के दरारों और चूत तक सलवार को गीली करती हुई पहुंचने लगी और मै सुस्त होने लगा । नानी के छातियों से मेरे पंजे की पकड़ ढीली पड़ने लगी और मै गहरी सास लेते हुआ हाफ रहा था
: आई लव यू नानी ( कान के पास एक छोटी सी किस करके मै उनसे लिप्त गया )
वो मेरे हाथ पकड़ कर मुझे कसने लगी और मुझसे चिपकी रही थी ।
: बदमाश कही का , मेरा बच्चा ( आखिरी अल्फ़ाज़ थे जो मेरे कान में पड़े नानी के और मै गहरी नींद में सो गया )
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 024
अतीत के पन्ने : 05
मुझे सोए हुए काफी समय हो गया था अजीब सी गर्माहट हो रही थी बदन में । लंड के एकदम से हरकत होनी शुरू हुई , मीठी मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया मेरे कानो में कुड़कुड़ा रही थी । सांसे गहरा रही थी और जिस्म अकड़ा जा रहा था । वो कामुक मादक सिसकिया मेरे भीतर की वासना को जगा रही थी । लग रहा था मानो मै वासना से भरे पोखरे में तैर रहा हु ।
हल्की फुल्की चेतना आई तो समझ आया कि आस पास ही कुछ हो रहा है
आंखे खोली और बगल में देखा तो कलेजा धक्क रह गया
नानी पूरी नंगी होकर घोड़ी बनकर झुकी हुई थी और एक बड़ा मोटा खीरा उनकी गाड़ में घुसा हुआ था , वो नीचे से हाथ अपनी बुर पर ले जाकर मसलती हुई सिसक रही थी ।
लंड एकदम तन कर लोहा हो गया , सुपाड़ा भी फूल टाइट नुकीला ,जिस्म के ताजगी और मस्ती एक साथ छाने लगी ।
मैने अपना लंड जो पहले से ही बाहर था उसको थाम कर सहलाया
और अगले ही पल नानी वो बड़ा सा खीरा पकड़ कर गाड़ से बाहर निकालने लगी
: नानी ... ये सब क्या ? ( हांफते कलेजे के साथ मैने उनको आवाज दी )
वो गर्दन घुमा कर मुझे देखी और बिस्तर पर पैर फैला कर मथने लगी , उनके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कुरा थी ।
उनके बड़े भड़कीले चूतड को अपने आगे लोटता देख लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
मै हाथ में लंड पकड़ कर सहलाते हुए
: क्या हुआ नानी ?
: उम्ममम सब तेरी वजह से हुआ है ( नानी करवट होकर बोली और मुस्कुराई )
: मेरी वजह से ? ( मै चौका )
: और क्या , तूने मुझे तंग किया और खुद सो गया तबसे मैं तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ( नानी सीधी लेट कर अपने चूचे मसलने लगी और कसी चिपकी जांघों में हाथ अपने बुर पर ले जाने लगी )
: उफ्फ सच में मेरी प्यारी नानी तड़प रही है अह्ह्ह्ह आपको देख कर मै भी तड़प रहा हु देखो , ये कितना बड़ा हो गया है आह्ह्ह्ह मेरी नानीइई ( मै नानी के आगे अपना लंड सहलाते हुआ बोला )
: क्या फायदा उतना बड़ा होने का जब वो बाहर ही है हुह ( नानी तुनक कर बोली अह्ह्ह्ह और फिर अपनी जिस्म को मिजने लगी )
: आप जहां कहो वहां डाल दूं मेरी प्यारी नानी ओह्ह्ह्ह, बोलो न कहा डालू ( मै तेजी से अपना लंड सहलाते हुआ बोला )
: डालेगा ?
: हम्म्म नानी डालूंगा ( मै नानी की बात का जवाब देते हुए बोला )
: आजा इसमें घुसा , अपनी नानी की बुर में डाल बेटा अह्ह्ह्ह ( नानी अपनी जांघों खोलती हुई बोली और उसके साथ ही उनकी बुर की परते भी खुलने लगी )
मानो कितने दरवाजों का पहरा हो नानी के चूत के छेद में , परत दर परत चमड़ी की पंखुड़ियां खुलती रही और बुर खिलती रही
: अह्ह्ह्ह्ह आजा बेटा अब और रहा नहीं जाता घुसा दे फाड़ दे ( नानी दोनो जांघो को पकड़ कर फैलाए हुए बोली )
उनकी बुर पूरी तरह से चिकनी थी और चूत पूरी रस से लबालब । रसाती बुर को देख कर मै पागल हो गया और आगे झुक कर सीधा नानी की बुर के मुंह दे दिया
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह शानू उम्मम बेटा अह्ह्ह्ह्ह खा जा हा खा जा अपनी नानी की बुर ओह्ह्ह्ह
मै नानी की चूत के पानी को चुबला रहा था और लंड पूरा अकड़ा हुआ था
नानी सिसक रही थी मेरे सर को पकड़े हुए अपनी बुर में रगड़ रही थी और मेरे मुंह पर नाक चेहरे पर नानी के रस की गाढ़ी मलाई फैल रही थी ।
मानो मैने मलाई से भरे पतीले में मुंह दे दिया हो और अगले ही पल मैने सुपाड़ा लगाया और लंड नानी की बुर में
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह बहुत बड़ा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई पेल बेटा चोद अह्ह्ह्ह सीईईईईई हा बेटा फाड़ और तेज अह्ह्ह्ह्ह
: लो नानी और लो उम्ममम फक्क्क् उह्ह्ह्ह उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह कितनी गरम बुर है नानी मजा आ रहा है
: तेरा लंड भी मस्त है और बड़ा है आह्ह्ह्ह आजतक ऐसे ही लंड की तलाश में भटक रही थी भर दे बेटा आह्ह्ह्ह तेज और तेज ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: हा नानी भर दूंगा उम्मम्म उम्ममम
मै कमर झटके देकर लंड पेल रहा था और नानी की आवाज आ रही थी ।
मगर दिमाग में अजीब उलझन हो रही थी कि जब नानी मेरे नीचे है तो आवाज पीछे से क्यों आ रही है
: शानू... उठ जा शाम हो , शानू उठ बेटा
मेरी आंख खुली , मै बिस्तर पर पेट के बल लेता हुआ था । मेरा लंड वैसे ही बाहर था एकदम टाइट फौलादी ।
ओह बहिनचोद सपना था ये
: शानू उठ जा बेटा , जा नहा ले ( नानी फिर से बोली )
मै करवट बदल कर सीधा हुआ तो नानी बाल झाड़ रही थी ,अभी अभी नहा कर आई हो ऐसा लग रहा था ।
: जा पानी भर दी हु , फ्रेश हो ले जा ( नानी ने आइने में मुझे बिस्तर पर बैठे देखा। )
नानी ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं था हम दोनो के बीच ।
मै उठा और लंड अंदर कर नहा चला गया ।
नानी रसोई में बैठ कर मुर्गा बनाने लगी । मै कपड़े पहन कर उनके पास गया ।
: भूख लगी है ( नानी ने मुस्कुरा कर पूछा )
: लगी ही होगी , थक जो गया था ( नानी हस्ते हुए बोली और थोड़ा सा मुर्गा एक छोटी कटोरी में रस्सा डाल कर मुझे दिया ) चख कर बता कैसा है ?
मै मुस्कुरा और टेस्ट किया
: अच्छा है , आप भी खा लो थोड़ा सा । आप भी थक गए होगे न ( मैने कटोरी उनकी ओर बढ़ा कर आंख मारी )
: धत्त कमीना मारूंगी तुझे, बदमाश कही का ( नानी लजा गई ) तेजी वजह से दुबारा नहाना पड़ा मुझे
: हा तो आपको कपड़े निकाल देना चाहिए था न, हिही ( मै खिलखिलाया )
: कमीना चुप कर , कितना बेशर्म हो गया है तू ( वो मुस्कुरा कर बोली )
: वैसे लगता नहीं है कि आप नहाए हो , बस कपड़े बदले हो आप ( मैने उन्हें छेड़ा )
: अरे सच में मै नहाई हूं ( नानी सफाई देते हुए बोली )
: अच्छा तो जरा सूट ऊपर करो देखूं तो कौन से कलर की ब्रा पहने हो , कल जो सूखने को डाली थी वो है कोई और ( मै मस्ती में बोल गया )
: धत्त गंदा .. मार खायेगा अब शैतान कही का ( नानी हस कर बोली )
: मतलब कि आप नहीं नहाए हो हीहीहीही
: कैसे बताऊं इसे ( नानी झिझकी और फिर आस पास देख अपना सूट उठा दिया ) ले देख कल जो धूल कर डाली थी वहीं है
नानी के सूट के नीचे ब्रा में उनकी मोटी मोटी चूचियां कैद थी । देखते ही लंड अकड़ गया
: बदमाश कही का ( नानी भुनभुनाई और मै खिलखिलाया )
: और नीचे ? ( मै शरारती होकर बोला )
: शानू !! मार खायेगा अब चुप
मै खिलखिलाने लगा
थोड़ी देर बाद दिलावर मामू आए और हम लोगों ने साथ खाना खाया ।
शाम को दिलावर मामू की आदत थी रोज पीकर आने की ।
आज वो बातो को लंबा खींच रहे थे , नानी उनकी मर्जी समझ रही थी मगर मै नहीं उस वक्त उनके इरादे भाप पाया था
नानी की कोशिश थी कैसे भी करके उनको घर भेजना चाह रही थी , मगर उनकी बकबक से हम दोनो तंग आ गए थे । कभी नानी को अपने घर चल कर कुछ समान खोजने को कहता तो कभी कुछ बहाने , यहां तक कि वो आज खटिए पर आंगन में ही सोने को तैयार हो गया था मगर किसी तरह नानी ने उन्हें भेजा
: हाय दैय्या उफ्फ कितना परेशान कर दिया था ( नानी बिस्तर पर आकर बोली )
: आप खामखां परेशान हो गई हो , सो लेने देती यही पर , वैसे भी अकेले है वो ( मै थोड़ा सॉफ्ट कॉर्नर लेकर बोला )
: अरे पागल है तू , वो हराम का जना नशे में अपनी बेटी को नहीं पहचानता तुझे लगता है मुझे छोड़ता वो ( नानी झल्ला कर बोली )
: ओह ऐसा क्या
: हा तो , इसीलिए तो वो बात बना बना कर मुझे अपने घर ले जाना चाहता था , हरामी कही का ( नानी के चेहरे पर गुस्सा झलक रहा था )
मै आगे बढ़ा और उनके गाल चूम लिए
: अरे ... अब ये क्यों ( नानी गाल पोछते हुए बोली )
: गुस्से में आप क्यूट लगते हो ( मै मुस्कुराया )
: पागल कही का ... अच्छा अम्मी से बात करेगा अपनी ( नानी हस कर बोली )
: हम्म्म ( मै खुश होकर हा में सर हिलाया)
फिर नानी ने फोन किया 2 बार ट्राई मगर काल पिक नहीं हुआ
: रहने दो नानी , उनका अपना खेल शुरू हो गया होगा हीही
: कैसा खेल ? ( नानी अचरज से बोली )
: हीहीही, नहीं रहने दो फिर आप मुझे ही डांट लगाओगे कि क्यों मै अम्मी के कमरे में ताक झांक करता हूं ( मैने नानी को उलझाना चाहा )
: अब बोल न कैसा खेल ( नानी पूरी तरह से उत्सुक दिखी मतलब मेरा पासा सही गिरा था, अब बस उन्हें एक कहानी में उलझाना था )
: आपको तो पता ही है कि अब्बू आपके कितने बड़े दीवाने है , हीही ( मै नानी का मुंह देख कर बोला )
: हम्म्म पता है , दांत मत दिखा । आगे बोल ( नानी ने डांट लगाई )
: वो जब भी अब्बू अम्मी साथ होते तो अक्सर अम्मी एक पुरानी ढीली काटन की सूट पहन कर अब्बू के पास आती थी ।
: फिर ... ( नानी की धड़कने तेज हो रही थी )
: हीही, फिर अम्मी कमरे में झुक कर सफाई करने का नाटक करती थीं और अब्बू पीछे खड़े होकर उनकी सलवार में फैली हुई बड़ी सी गाड़ देखते हुए पजामे में अपना लंड सहलाते थे । फिर धीरे से अम्मी के चूतड़ पर हाथ घुमाते रहते ।फिर अम्मी मुस्कुरा कर बोलती "घूम कर आ गया अक्कू " , तो अब्बू बोलते " जी फूफी " ।
: क्या ? ( नानी अचरज से बोली )
: हम्म्म फिर अम्मी कहती " रुक जा थोड़े सफाई कर लूं फिर तुझे दूध दूंगी पियेगा न मेरा अक्कू " , तो अब्बू हा में सर हिलाते और फिर अम्मी के पीछे पीछे उनके गाड़ को छूते हुए लंड हिलाते । फिर अम्मी घुटने के बल झुक कर सोफे के नीचे झाड़ू लगाती और अपने गाड़ उठा देती थी । फिर अब्बू उनके पीछे आकर अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाते हुए उनकी सलवार खींच देते । अम्मी उन्हें मना करते मगर अब्बू उनकी कच्छी भी खींच कर नीचे कर देते ।
: फिर ...? ( नानी की आंखों में खुमारी साफ झलक रही थी , नीचे एड़ियां आपस में घिस रही थी )
: फिर अब्बू झुक कर अम्मी की नंगी गाड़ को सहलाते और फिर जीभ से अम्मी के गाड़ के सुराख में चाटते , फिर नीचे उनकी बुर को चाटते ( झूठी कहानी ही सही मगर अम्मी के बारे में बताते हुए मेरा लंड एकदम अकड़ा हुआ था और लोवर में ठुमके मार रहा था )
: धत्त गंदा , ये अक्कू कितना गंदा है वहां भला कोई जीभ लगाता है छीइईईई
: हा पहले मुझे भी ऐसा ही लगा ( मैने नानी की हा में हा मिलाई )
: फिर ..( नानी की उत्सुकता बढ़ी )
: फिर अम्मी को अच्छा लग रहा था , वो पागलों के जैसे सिसक रही थी अपने चूतड़ अब्बू के मुंह पर फेक रही थी ये कहते हुए कि " अह्ह्ह्ह्ह अक्कू हम्म्म खा जा बेटा अपनी फूफी की गाड़ खा जा चाट ओह्ह्ह्ह कितना मुलायम जीभ है तेरा मेरी बुर बह रही है बेटा अह्ह्ह्ह्ह मेरा अक्कू " ।
मैने नानी की ओर देखा और वो आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी , जैसे उन्हें ये सब पता ही नहीं हो । बिल्कुल नया था हो उनके लिए।
: तू तू सच कह रहा है शानू , ऐसा बोलती थी तेरी अम्मी ( नानी थूक गटक बोली )
: जी नानी और फिर अब्बू पीछे से ही अम्मी के पिछवाड़े में अपना मोटा लंबा लंड डाल कर अम्मी को पेलते थे खूब जोर जोर से और अम्मी अब्बू को अक्कू कह कह कर खूब चुदवाती थी । ( मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था और नानी अजीब सी दुविधा में दिख रही थी )
भीतर से वो भी वासना में डूबी हुई थी ये पक्का था मगर गाड़ चाटने वाली बात शायद उन्हें कही उलझा गई ।
: नानी एक बात पूछूं
: अह हा बेटा बोल न ( नानी अपने ख्यालों से बाहर आकर बोली )
: क्या कभी नानू या बब्बू मामू ने आपके वहां किस्स नहीं किया ( मै झिझक कर बोला , जानता था एक बार में जवाब नहीं आयेगा )
: धत्त बदमाश, क्यों पूछ रहा है ( नानी मुस्कुराई )
: नहीं आपकी बातों से लगा कि शायद वहा आपके किसी ने नहीं किया होगा इसीलिए आप को ताज्जुब हुआ ( मैने अनुमान लगाया )
: हम्ममम ( नानी ज्यादा नहीं बोली )
: पता है मै अब्बू को अम्मी के चूतड़ चाटते देखता तो सोचता था कि कैसा लगता होगा वो सब करके ( मै थूक गटक कर बोला )
: हम्ममम मै भी ( नानी अपने ख्यालों के उलझी हुई बोली )
मै लपक कर उनके करीब हो गया और एक बार फिर मेरे पंजे उनके जांघों पर ।
: नानी... ( सलवार के ऊपर से उनकी मोटी गदराई जांघों को सहलाते हुए बोला )
: हम्म्म बोल न बेटा ( नानी मुझे देखकर बोली , उनकी आंखों के मदहोशी झलक रही थी )
: नानी चलो ट्राई करते है न ( मै अटकते हुए स्वर में बोला )
: क्या ? ( नानी मेरी आंखो में देख देखते हुए बोली , उनकी आंखे साफ बयान कर रही थी उन्हें मेरे दिल की बात साफ साफ पता है मगर वो खुल कर नहीं स्वीकारना चाहती थी । )
: वही जो अम्मी अब्बू करते थे , प्लीज ( मैने उनकी जांघों में अपने पंजे धंसाये )
: धत्त गंदा , नहीईई ( नानी मुस्कुरा कर मुंह फेरने लगी )
: नानी प्लीज न बस एक बार ट्राई करते है न ( मैने उनके चेहरे को पकड़ कर अपने ओर करने लगा तो लगातार लजा कर मुंह फेर लेती थी )
मै उनके पीछे से हाथ डाला और दूसरी ओर उन्हें पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके चेहरे अपने ओर किए
: प्लीज न ( मैने उनकी आंखों में देख कर बोला तो वो मुस्कुरा कर ना में सर हिला रही थी )
मैने पीछे वाले हाथ से पंजे बढ़ा कर उनकी चुची को पकड़ लिया तो वो सिसक पकड़ी और मैने आगे बढ़ कर उनके लिप्स से लिप्स जोड़ लिए
मेरे नरम होठ पाते ही नानी अकड़ कर मेरे ओर खींचने लगी , मैने उनके लिप्स चूसने लगा और वो मेरे ।
एक अजीब सा अहसास मेरे तन बदन के हो रहा था । नानी के मुलायम मोटे लिप्स चूसने में बहुत मजा आ रहा था और उससे ज्यादा उनकी नरम चूचियां मिजने में ।
नानी ने चुम्बन तोड़ा और मुझे देखने लगी
: आई लव यू नानी ( मै उनकी आंखों में देख कर बोला , कितना नशा उतर आया था उनकी आंखों के और सांसे चढ़ने उतरने लगी थी )
: मै भी ..( नानी हांफते हुए मेरी आंखो में देख कर बोली और मैं हाथ आगे बढ़ा कर उनकी चूचियां मसल दी सूट के ऊपर से )
: आह्ह्ह्ह शानू उम्मम बेटा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ( नानी आंखे बंद कर सिसकने लगी और मेरे दोनों हाथ उनकी चूचियां मिजने लगे )
: अह्ह्ह्ह्ह नानी कितनी बडे हैं आपके दूध ओह्ह्ह्ह उम्मम पिला दो न प्लीज नानी मेरी प्यारी नानी न प्लीज पिला दो ( सूट के ऊपर से ब्रा में कड़क हो चुके नानी के निप्पल मसलता हुआ मै बोला)
: अह्ह्ह्ह्ह आजा बेटा ले पिल ले ( नानी झट से अपना सूट ऊपर किया और ब्रा उठा कर एक बड़ी सी चुची मेरे आगे परोस दी )
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह ( लपक कर मै आगे बढ़ा और नानी की लटकी हुई मोटी चूचि को पकड़ कर निप्पल मुंह ने ले लिया और चुंबलाने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई बेटा उम्मम आराम से लाला ओह्ह्ह्ह्ह शानू बेटा उम्ममम अह्ह्ह्ह पी ले मेरा प्यारा बच्चा अह्ह्ह्ह नानी का दूदू पसंद है न ( नानी मेरे सर को पकड़ कर अपने छाती से लगाए हुए सिसक कर बोली )
: अह्ह्ह्ह हा नानी बहुत ज्यादा , आपका दूदू बहुत मोटा और रसीला है उम्ममम ( मै वापस मुंह लगा कर नानी के निप्पल चूसते हुए उनकी दूसरी चुची को भी मिजने लगा )
नानी मस्ती में सिसकने लगी और मै एकदम से अलग हो कर खड़ा हो गया
: क्या हुआ ( मदहोश नजरों से नानी अपने चूची को ढकती हुई बोली )
मै मुस्कुराया और अपना लोवर नीचे खींच कर अपना बड़ा सा खीरे जैसा मोटा मूसल निकाल लिया
: हाय दैय्या इतना बड़ा ... ( नानी आंखे फाड़ कर मेरे लंड को निहार रही थी । )
मै उसको बड़ी बेशर्मी से सहलाता हुआ नानी के पास बेड के करीब खड़ा हुआ और नानी का हाथ पकड़ कर उन्हें खड़ा करने लगा ।
वो अवाक होकर कभी मुझे कभी मेरे लंड को निहारती ।
मैने उनकी कमर में हाथ डाल कर उन्हें अपने पास खींचा और उनकी सलवार खोलने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह बदमाश कही का , तू तो बड़ा हो गया रे उम्मम ( नानी का इशारा मेरे लंड पर था )
: आपके लिए आपका अक्कू ही रहूंगा न फूफी ( मैने मुस्कुरा कर नानी की आंखों के आंखे डाल कर कहा )
नानी के दिल की धड़कने बढ़ गई और वो सूखे गले से थूक उतारते हुए मुझे निहारने लगी उनके बदन में सरसरी सी फेल गई , वो मेरे इरादे समझ गई थी , मगर जरा भी मना नहीं किया ।
सलवार सरक कर पैरों में जा चुकी थी
और मेरे पंजे उनके नंगे चूतड़ को अपने छोटी सी हथेली में भरना चाह रहे थे ।
नानी मुझसे चिपक गई थी उसकी ऊपर नीचे होती चूचियां मेरे सीने पर मुझे महसूस हो रही थी और मेरे पंजे उनके नंगे मखमली बड़े भड़कीले चूतड को सहला रहे थे ।
: फूफी .... ओ मेरी प्यारी फूफी ( मैने उनके कान में बोला )
: उम्मम ( नानी बस सिसकी )
: आपकी गाड़ कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मैने अपना नुकीला लंड नानी के चूत के मुहाने पर कोचा और वो बिलबिला उठी )
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा गर्म है उम्ममम
: फूफी .... ( मैने फिर से नानी को पुकारा )
: हा बेटा बोल न ( इस बार सिसक कर नानी ने जवाब दिया )
: अक्कू आपको बहुत प्यार करता है मेरी फूफी अह्ह्ह्ह
: हम्मम ( नानी पूरी तरह सिहर कर बोली )
नानी की सांस चढ़ रही थी वो मेरे पीठ को सहला रही थी और लंड पूरा अकड़ा हुआ उनकी बुर के मुहाने पर चोट कर रहा था ।
मैने उनका सूट उठाया और उनके जिस्म से अलग कर दिया
नानी अब बस ब्रा में में थी जिसमें से एक चुचि बाहर लटक रही थी , आह्ह्ह्ह कितनी सेक्सी कितनी मुलायम और रसीली
मैने उन्हें कस कर अपने बाहों में भर लिया : अह्ह्ह्ह फूफी कितनी sexy हो आप अह्ह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम अह्ह्ह्ह मेरी प्यारी फूफी
: उम्ममम बेटा अह्ह्ह्ह्ह तेरा भी बदन बहुत तप रहा है अह्ह्ह्ह बेटा ओह्ह्ह्ह और तेरा यह्ह्ह्ह कितना गर्म है ( नानी ने हाथ बढ़ाया और मेरा लंड थाम लिया)
मै उनके गाड़ नोचने लगा और वो मेरे लंड मसलने लगी
: अह्ह्ह्ह कितना बड़ा और कड़क है ओह्ह्ह्ह
: फूफी ... ( मेरे बुलाने पर नानी मुझे देख कर मुस्कुराई )
: मेरी प्यारी फूफी ( मैने उन्हें घुमाया और पीछे से हग करते हुए उनके कान के पास चूमते हुए बोला )
वो कांपने लगी
: हम्म्म बोल न बेटा
: मुझे अक्कू कह कर बुलाओ न फूफी ( अपना नुकीला लंड नानी के गाड़ के दरारों में घिसता हुआ मै बोला )
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा अक्कू अह्ह्ह्ह मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह फूफी को कितना तड़पा रहा है उम्ममम अह्ह्ह्ह ( नानी मस्त होकर बोली और मेरे तन बदन में हरकत होने लगी
: तड़पाते तो आप मुझे अपने बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को हिला कर अह्ह्ह्ह्ह कितना गहरा है देखो तो मेरा लंड गायब हो जा रहा है इसमें ( मै नानी के चूतड़ के सकरे दरारों में सुपाड़ा भेदता हुआ बोला )
: मेरे अक्कू को फूफी की गाड़ बहुत पसंद है न बेटा ( नानी अपने चूतड़ मेरे लंड पर मथते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह हा फूफी बहुत ज्यादा , जी करता है इसको खा जाऊ उम्मम कितना बड़ा है और मुलायम भी अह्ह्ह्ह्ह फूफी उम्ममम ( मै पीछे से उनके दोनो पहाड़ जैसे चूतड़ों में अपना लंड घिसता हुआ आगे उनकी मोटी मोटी चूचियां मसलने लगा )
: इतनी पसंद हूं मै मुझे बेटा अह्ह्ह्ह उम्मम बोल न ( नानी ने सवाल किया )
: बहुत ज्यादा फूफी आह्ह्ह्ह ( मै उसके कंधे गर्दन पीठ को चूम रहा था और लंड को उसकी गाड़ के दरारों में पेल रहा था )
: अह्ह्ह्ह मेरा बच्चा मेरा अक्कू अह्ह्ह्ह कितना मोटा है रे तेरा अह्ह्ह्ह
मै उनको आगे ठेल कर बिस्तर पर झुकाया
: अह्ह्ह्ह् मान जा न मत कर बेटा उम्मम ( नानी झुकी हुई गर्दन फेर कर बोली )
: मत रोको न फूफी प्लीज ( मै नानी के चूतड़ और जांघ सहलाते हुए बोला )
फिर नानी दोनो टांगे फोल्ड कर बिस्तर के किनारे ही घोड़ी बन कर अपनी गाड़ को हवा में उठा दिया
बड़े बड़े पहाड़ जैसे चूतड़ देख कर मै पागल हो गया
: अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी फूफी कितनी बड़ी गाड़ है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह मेरी फूफी
: हम्म्म मेरा बच्चा अब ये तेरा है , बहुत पसंद है न तुझे मेरे चूतड़ उम्मम
: बहुत उम्ममम सीईईई अह्ह्ह्ह ( मै झुक कर नानी के जांघें चूमता हुआ उनके चूतड़ सहलाने लगा )
नानी के बदल के हरकते होने लगी और लंड में सुरसुरी होने लगी । पूरी नसे फड़कने लगी
मै उनके पहाड़ जैसे चूतड़ों को पकड़ कर दोनों पंजे से फैलाते हुए नथुने पास ले जा कर उनके गाड़ के सुराख सुंघा , गाड़ से आती मादक गंध से पूरा बदन गिनगिना उठा और जीभ निकाल कर मैने उसकी टिप को नानी के गाड़ के बड़े से भूरे सुराख पर टच किया , नानी के शरीर में कंपकपी सी हुई
: अह्ह्ह्ह शानू उह्ह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह
मैने इस बार मुंह की लार को बटोरा और जीभ से सारी लार नानी के गाड़ के सुराख पर टपकाते हुए जीभ को इस बार अच्छे से फिराया
: या खुदा अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईईई उम्ममम अह्ह्ह्ह ( नानी पूरी सिहर उठी, पीठ टाइट कर अपने गाड़ सख्त करने लगी लेकिन मैं मजबूती से उसके दोनों चूतड़ को पंजे से फैलाये रखा और अबकी बार अपने होठों से उनकी गाड़ को चूसने लगा
: अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ममम क्या जादू सिख कर आया है रे तू या अल्लाह ओह्ह्ह मेरा बच्चा खा जाएगा क्या ओह्ह्ह्ह क्या हो रहा है मुझे ओह्ह्ह्ह्ह
: मजा आ रहा है न नानी , मुझे भी बहुत टेस्टी लग रहा है अह्ह्ह्ह जी कर रहा है बस चाटता रहूं आपकी गाड़
: अह्ह्ह्ह चाट ले बेटा अह्ह्ह्ह चाट अपनी फूफी की गाड़ अह्ह्ह्ह मेरा अक्कू अह्ह्ह्ह मेरा बच्चा खा जा , ओह्ह्ह्ह खा जा
मैं नानी की जांघें पकड़ कर अपना मुंह नानी के गाड़ में दे दिया और जीभ से उनकी गाड़ को चाट रहा था चुभला रहा था
नीचे नानी अपनी बुर मसल रही थी एक हाथ से
: क्या हुआ फूफी , बुर में खुजली हो रही है
: हम्मम बेटा बहुत ज्यादा , डाल दे न अब अह्ह्ह्ह्ह नहीं रहा जा रहा
: अह्ह्ह्ह फूफी रुको न थोड़ा जगह दो अह्ह्ह्ह ऐसे ही बस ( मै उल्टा होकर नानी की जांघों के बीच घुसने लगा )
: अरे कहा जा रहा है ऐसे अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह पागल यह्ह्ह्ह क्याहह्ह उम्ममम तू ये सब कहा से सीख कर आया अह्ह्ह्ह मुझे पागल कर देगा उम्मम्म अमीीईई ओह्ह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह
मै नानी की जांघों में घुसा हुआ उनकी बुर के फाकों को चुबला रहा था वो मेरे मुंह अपनी बुर रगड़ रही थी
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा अक्कू अह्ह्ह्ह मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह चूस ले अपनी फूफी की बुर उम्ममम अह्ह्ह्ह पी जा उसका पानी अह्ह्ह्ह अच्छा लग रहा है न ( नानी मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ते हुए बोली )
: हम्ममम बहुत टेस्टी है अह्ह्ह्ह उम्ममम सीईईई ( मै जीभ घुसा कर अंदर बुर में नचाने लगा और नानी के जांघें कांपने लगी )
: ओह्ह्ह्ह्ह बेटा अब और मत तड़पा मै पागल हो जाऊंगी डाल दे घुसा दे अपनी फूफी की बुर के , पेल दे मुझे अह्ह्ह्ह मेरा मुन्ना अह्ह्ह्ह्ह मेरा लाल
मै उठा और नानी को आगे किया
: यही चाहिए फूफी को उम्ममम ( मै अपना लंड उनकी बुर के पास रगड़ने लगा )
: हा बेटा डाल न अह्ह्ह्ह मत तड़पा ( नानी सिसक कर बोली )
: पहले कहो अक्कू बेटा फूफी के बुर में अपना लंड डालो ( नानी के चूत पर लंड रगड़ते हुए मैने मस्ती की )
: धत्त कामिना डाल न कितना नाटक कराएगा मुझसे उम्मम घुसा न बेटा मेरा अक्कू मेरा बच्चा पेल न अपनी फूफी को ( नानी भिनकती हुई आखिर वापस लाइन पर आ गई और अगले ही पल मैने लंड सेट करते हुए हचाक से उनकी बुर में पेल दिया
: आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह कितनी टाइट अह्ह्ह्ह उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह
: उम्मम फूफी कितनी मुलायम और गर्म बुर है आपकी अह्ह्ह्ह इतनी रसीली है चूत अह्ह्ह्ह्ह लग रहा है मेरा लंड पिघल जाएगा
: हा बेटा तेरा लंड भी बहुत गर्म है आग सा तप रहा है , ओह्ह्ह्ह रुक मत चोद न , कितना तड़पाता है तू अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ऐसे ही बेटा उम्ममम हा बेटा और उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
मै पीछे से गच्च गच्च नानी की बुर में पेलने लगा और उनके बड़े भड़कीले चूतड़ों को मसलने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह फूफी कितने सालों बाद आज मौका दी हो अह्ह्ह्ह्ह आज तो फाड़ दूंगा आपकी बुर अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: हा बेटा फाड़ ले , अह्ह्ह्ह सीईईईईई ऐसे ही और चोद अपनी फूफी को उम्ममम कितना मस्त लंड है तेरा अह्ह्ह्ह्ह हा बेटा और और और न उम्ममम पेल पेल अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आयेगा हा हा और और ओह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् नानी कितना झड़ रही हो आप आह्ह्ह्ह कितना गर्म है लंड जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आपकी बुर भट्ठी जैसे तप रही है अह्ह्ह्ह नानी अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह अम्मीीईईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी नानी अह्ह्ह्ह आयेगा आएगी ओह्ह्ह्ह
लो नानी आ रहा है मेरे अह्ह्ह्ह
: हा बेटा झड़ जा नानी के ऊपर निकाल दे अह्ह्ह्ह
: आज आपको नहला दूंगा नानी अपने रस से अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू नानी उम्मम्मआह अह्ह्ह्ह सीईईईईई
मै तेजी लंड बाहर निकाला और नानी के गाड़ पर झड़ने लगा
झटके पर झटके देकर आखिर बूंद तक नानी के बड़े चौड़े चूतड़ मेरे रस से नहाते रहे ।
फिर मै थक कर नानी के पास लुढ़क गया
जारी रहेगी
पढ़ कर रेवो जरूर करें
मुझे इंतजार रहेगा
अगला अपडेट आपके सपोर्ट पर निर्भर करेगा ।
धन्यवाद
Shukriya Bhaiबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
सपना या हकीकत Update Waiting
Bahut hi lajawaab jabrdast update![]()
Super UpdateGuru Ji
keep it up
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MASHALLAH KAMAL KR DIYA AAPNE. INTEZAR ZAYA N HUA.
Bohat badhiya dil ko chu janewali story hai
Super amazing wonderfull update
Kya lajawab update tha bro
Dil garden garden ho gaya![]()
Mera bhi maal nikal gaya bh
Bhai Mera bhi nikal gaya pant main ahhhh ummm![]()
Superbly written and beautifully narrated story. Excellent and exciting plot.
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गईबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 025
अतीत के पन्ने :06
: अह्ह्ह्ह्ह नानी उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह कितना मस्त चूस्ती हो आप आह्ह्ह्ह उम्मम ( मै अपनी नानी के गले तक लंड ले जा रहा था )
मुंह की लार से पूरा लंड गिला हो चुका था और नानी सिसकारियां ले रही थी उनकी आंखों हवस उतर चुकी थी
: उम्मम बेटा अब डाल दे रहा नहीं जाता ( नानी मेरा लंड हाथों के सहलाते हुए बोली )
फिर वो बिस्तर पर अपनी घुटनों के बल होकर झुक गई और अपनी गाड़ को हवा में उठाया
उफ्फ नानी के पहाड़ जैसे चूतड़ भोसड़े सहित मेरे आगे थी , रसाती चूत को देख कर मै पागल हो गया और अपना मुंह नानी के बुर में दे दिया
नानी के बुर और गाड़ से गजब की खुशबू आ रही थी
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा अह्ह्ह्ह्ह कितना गिला करेगा अह्ह्ह्ह्ह डाल दे न
मैने मुंह में लार बटोरी और नानी के गाड़ के छेद पर थूकते हुए जीभ चला दी , नानी मचल उठी
मैने उनके चूतड़ पंजों से फाड़ते हुए अपना मुंह उनकी गाड़ की कसी सकरी दरारों में से दिया । जीभ को उनकी गाड़ के छल्ले पर घुमाते हुए चाटने लगा
नानी पूरी तरह से छटक रही थी नीचे हाथ ले जाकर अपनी बुर मसल रही थी ।
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरा बेटा अह्ह्ह्ह्ह पेल न नानी को उम्मम चोदेगा नहीं अह्ह्ह्ह देख कितनी बह रही है बुर मेरी अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
मै उठा और खड़े होकर : नानी गाड़ में डालू
: तू मुझे पागल करके ही मानेगा न ( नानी पूरी सिहर कर बोली ) अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह डाल दे कही भी बस घुसा दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
मै नानी की खुमारी देखकर पागल हो गया और अपने लंड पर थूक लगाते हुए नानी की गाड़ के चिकनी सुराख पर टोपा सेट करते हुए गच्चाक से लंड उतार दिया
पूरे आठ इंच लंड मेरा नानी की गाड़ में धंसता चला गया , नानी के चूतड़ मुझे वापस धकेलने लगी तो मैं और हमच कर लंड को उनकी गाड़ में पेला, एक इंच और अंदर
: अह्ह्ह्ह दादा मर गई रे अह्ह्ह्ह्ह हरामी पेट में घुसाएगा क्या अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम
मै नानी के पहाड़ जैसे चूतड़ों पर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था , नानी की गाड़ आज और भी ज्यादा बड़ी और मुलायम लग रही थी जितनी ताकत मै लगाता वो दुगनी रफ्तार से मुझे पीछे धकेल देती और मै वापस और ताकत से लंड को उनकी लचीली गाड़ में पेलता
अह्ह्ह्ह्ह नानी फक्क यूं अह्ह्ह्ह्ह सीईईई कितनी रसीली और नरम गाड़ है तुम्हारी लगता है खूब चुदवाती थी उम्मम , नानू ने खूब फाड़ा है अह्ह्ह्ह नानी उम्मम
: अह्ह्ह्ह हा बेटा बहुत पसंद थी तेरे नाना को तभी तो मेरी गाड़ का तरबूजा बना दिया अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई ऐसे ही उम्मम पेलता रहा तेरा लंड एकदम उन्हीं के जैसे है कसा और बड़ा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम आ रहा है उम्ममम
: अह्ह्ह्ह नानी मेरा भी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
मै भी नानी की गाड़ के झड़ने लगा और उनके ऊपर ही लेट कर सो गया ।
अलार्म बजा और मेरी नींद खुली तो मै अपने आप को कपड़ो में पाया
लंड एकदम उफानाया हुआ कड़क , घड़ी के देखा तो 8 बज रहे थे ।
नानी उठ चुकी थी ।
मै भी उठा और जैसे ही पीछे हाते में देखा सुबह सुबह दिल खुश हो गया
नानी आज सिर्फ सलवार में खड़ी थी ।
बड़ी चौड़ी गाड़ और नंगी पीठ देखते ही लंड एकदम सलामी देने लगा।
नानी अगर पीछे हाते में दिन में ऐसे थी बेफिक्र मतलब दिलावर मामू नहीं होंगे घर पर
मै भी धीरे धीरे उनके करीब गया और पीछे से उनकी नंगी झूलती चुचियों को एक साथ पकड़ लिया
: अह्ह्ह्ह शानू छोड़ पागल क्या कर रहा है कोई देख लेगा
: मुझे पता है कोई नहीं देखेगा हीही , नहीं आप कपड़े पहने होते ( मै उनके सलवार के ऊपर से अपना लंड लोवर के अंदर से उनकी गाड़ के चुभोता हुआ बोला ) मेरे हाथ उनकी गुदाज मोटी चूचियो को मिस रहे थे ।
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई छोड़ न गंदा कही का जा पहले फ्रेश हो ले , पागल ( नानी मुझसे अलग होकर निकल गई और मै भी खुश होकर पाखाने में चला गया क्योंकि वैसे भी नानी कहा ही जाने वाली थी , नाश्ते के बाद एक राउंड लगभग रोज ही चल रहा था हम लोगों का और अब तो सुबह दुपहर रात मानो मेरी खुराक बंध गई थी पिछले दो हफ्तों से , नानी मुझसे जरूर चुदती थी । इन बीते दिनों में हमने खूब मस्ती की और काफी बातों को एकदूसरे से साझा किया , पक्की वाली दोस्ती हो गई थी हमारी ।
मै खाली किया और ब्रश लेकर बाहर आया , नानी अब सिर्फ पैंटी में नंगी बैठी कपड़े धूल रही थी ।
कपड़े धुलते हुए उनकी रसीली छातियां खूब झूल रही थी और मेरे मुंह में पानी आ रहा था
: यहां क्या कर रहा है बदमाश ( नानी मुस्कुरा आकर बोली )
: अपनी sexy नानी को निहार रहा हूं, उफ्फ कितना रसीला है आपका दूधू ( मै उनके आगे खड़ा होकर अपना लंड लोवर में मसलता हुआ बोला )
: धत्त गंदा , रोज तीन बार पिता है मन नहीं भरता तेरा
: ऊहू ( मै न में सर हिलाया )
नानी कपड़े निचोड़ कर साइड कर दी और अपने बदन पर पानी गिराने लगी
उनका पूरा रसीला गदराया जिस्म गिला होने लगा , उनकी रसीली चूत के फांके खूब टाइट और फ्रेश दिख रहे थे
नानी अपने जिस्म में साबुन मल रही थी
: आ तू भी नहा ले न
मै ब्रश घिसता हुआ ना में सर हिलाया
: तो क्या बस मुझे निहारेगा ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
: हम्ममम ( मैने हुंकारी भरी और वो लजा गई )
नानी अपने जिस्म पर पानी डाल कर साफ करने लगी और फिर खड़ी होकर अपने पैर धुलने लगी तो मैं शरारत में उनके पीछे आ गया ।
झुकने की वजह से नानी की गाड़ फैल कर मेरे आगे थी , जांघों के बीच से झांकते चूत के फांके देख कर मेरी हालत खराब होने लगी , जी तो कर रहा था यही खुले में अभी चोद दूं
मूड बन भी गया था कि बाहर से किसी ने आवाज दी
: जा देख जल्दी कौन है, बरामदे में बिठा मै आती हूं ( नानी हड़बड़ा कर बोली )
मै भी लपक कर उधर चला गया और फिर उन्हें बरामदे में बिठाया ।
वो मुहल्ले की एक औरत थी , नानी के परिचय की । उनकी बातें चलती रही और मै नहाने चला गया ।
9 बज गए थे मगर वो औरत नहीं गई , नानी तो उसे पीछे रसोई में ले कर आ गई और खाना बनाते हुए बातें होने लगी ।
मेरी और लंड दोनो की भूख बढ़ रही थी , 11 बजने को आए और हम सबसे साथ ही खाना खाया ।
मै कमरे में बोर हो रहा था तो नानी के पास से उनका मोबाइल लेकर आ गया । उस में भी कुछ खास मनोरंजन नहीं थे। डाटा रिचार्ज नहीं था तो अलग ही बोरियत ।
मै बस टाइम पास करता रहा किसी तरह करीब साढ़े बारह बजे वो औरत गई और फिर नानी बर्तन साफ करने बैठ गई ।
मेरा लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , मुझमें अलग ही खुन्नस थी आज ।
सुबह से नानी ने मुझे तड़पा कर रखा और फ्री हुई तो भी काम करने बैठ गई ।
मै लपक कर उनके पास गया और उनकी मोटी मोटी चूचियां सूट के बाहर निकाल कर वही हाते में ही नल के पास झुक कर चूसने मिजने लगा
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई शानू क्या कर रहा है यहां नहीं उम्मम , मै आती हु न बेटा अह्ह्ह्ह ( नानी मना करती हुई सिहरने लगी )
मै बारी बारी से दोनों रसीली छातियां मुंह में भरने लगा और चूसने लगा
: कबसे तो आपको इशारे कर रहा हु आपको तो मेरी पड़ी ही नहीं ( खड़ी करके मै उनके सलवार का नाडा खोलने लगा
: अरे पागल है तू , दिलावर आ गया बेटा तो गजब हो जाएगा अह्ह्ह्ह ( नानी मुझे समझा रोक रही थी मगर मैने उनकी एक न सुनी और उनको घुमा दिया )
नानी की सलवार कच्ची सहित नीचे खींच कर अपना लंड मैने बाहर निकाल दिया और थोड़ा सा लार लगाकर सीधा उनके फटे हुए भोसड़े में उतार दिया
: अह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह उम्मम आराम से अह्ह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह ( नानी मेरे सुपाड़े की चोट से बिलबिला उठी )
: कितनी नाटक करती हो नानी उम्मम जब कहता हु तो देती क्यों नहीं ( मै उनके चर्बीदार कूल्हे पकड़ कर झुकाए हुए करारे धक्के उनके चूत में मारते हुए बोला )
: अह्ह्ह्ह्ह दादा गलती हो गई उम्ममम अह्ह्ह्ह कितना सूखा सूखा पेल रहा है ahhhhhh गिला कर ले बेटा उम्ममम , अब कभी नहीं रोकूंगी तुझे अह्ह्ह्ह, मेरे पैर दर्द हो रहे अह्ह्ह्ह्ह
: मेरा भी लंड सुबह से आपको देख कर दर्द हो रहा है तो क्या करूं उम्मम साली रंडी चुदक्कड़ अह्ह्ह्ह्ह आज फाड़ दूंगा तेरी अह्ह्ह्ह ( मै नानी को झुकाए हुए फचर फचर पेले जा रहा था )
: अह्ह्ह्ह्ह कमीना अपनी नानी को रंडी बोलेगा उम्ममम तो कभी नहीं दूंगी तुझे समझा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह बेटा आराम से अह्ह्ह्ह ( नानी ने मुझे धमकाया तो मैने धक्का और तेज किया )
: क्या बोली, नहीं देगी मुझे अपनी बुर उम्ममम फिर से बोली उम्मम ( मैने उनको घुटनों के बल करके नीचे से स्टासट पेलने लगा )
: अह्ह्ह्ह दूंगी न बेटा उम्मम मेरे राजा बेटा को क्यों मनाह करूऊऊऊऊंंंगीईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह मेरा शानू अह्ह्ह्ह्ह पेल बेटा रुकना मत अह्ह्ह्ह्ह चोद और तेज अह्ह्ह्ह
: किसको चोदूं हा बोलो न उम्मम , कौन हो आप मेरी हा, बोलो न ( मैने कबूलवाया )
: अपनी नानी को अह्ह्ह्ह उम्ममम अपनी sexy नानी को पेल बेटा अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह ( नानी हांफते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह मेरी sexy नानी मेरी चुदक्कड़ नानी अह्ह्ह्ह्ह कितनी गर्म बुर है तुम्हारी अज्ज्ज इसको पेल पेल कर फाड़ दूंगा अह्ह्ह्ह्ह ( मै पूरा अकड़ कर गुराया और लंड को नानी के बुर की जड़ में ले जाने लगा )
: हा बेटा पेल और और उम्मम पेल अपनी चुदक्कड़ नानी को अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह झड़ रही हूं मै बेटा अह्ह्ह्ह
नानी का गर्म गर्म लावा मुझे मेरे सुपाड़े पर महसूस हो रहा था और मैं भी चरम पर था और नानी के बुर के जड़ में लंड ले जाकर रोक दिया
: अह्ह्ह्ह्ह नानी मेरी सेक्सी रंडी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी गरम है चूत अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह गॉड अह्ह्ह्ह
झड़ता रहा मै नानी की चूत में और हांफते हुए नानी के ऊपर ही गिर गया ।
: अह्ह्ह्ह कमीना कही का, रोज मुझे कुछ नया बना देता है , चल उठ अब ( नानी थोड़ी नाराज थोड़ी खुश होकर बोली )
: आपको देखते ही इतनी सारी तस्वीर उभर आती है जहन में तो क्या करूं हिहीहीही ( मैने अपनी दिल की बात जाहिर की )
: धत्त बदमाश कही का , उठ अब अह्ह्ह्ह्ह रब्बा तोड़ दिया मेरा घुटना उम्मम हाथ दे ( नानी कराह कर उठती हुई बोली )
फिर मै अपने कमरे में आगया और लेट गया , कुछ देर बाद नानी काम निपटा कर बिस्तर पर आ गई ।
और मै उनसे लिपट गया।
: फोन आया था तेरी अम्मी का , तीन रोज बाद वो वापस जा रही है घर ( नानी मुझसे लिपटी हुई बोली )
: कब आया था ? ( मै अचरज से बोला )
: अरे जब तू नहाने गया था तभी ( नानी ने कहा )
: फिर ? ( मै उलझा हुआ बोला )
: क्यों घर वापस नहीं जाना ? ( नानी ने मेरा मन टटोला )
मै चुप रहा और फिर नानी को कस कर हग कर लिया : आप भी चलो न मेरे साथ ।
: हा तो कौन सा मै तुझे अकेले भेज रही हूं साथ ही चलूंगी ( नानी ने मुझे अपनी ओर कसा)
: तो कल चले ? ( मै चहका )
: कल क्यों ? तेरी अम्मी तो 3 रोज बाद आएगी ? ( नानी ने सवाल किया )
: इसीलिए तो कह रहा हु कि घर में सिर्फ हम दोनो होंगे तो मस्ती करेंगे हिही ( मै खिलखिलाया )
: धत्त बदमाश कही का , पागल ( नानी लजाई और हसने लगी )
: चलो ना नानी प्लीज , अच्छा लगेगा मुझे वैसे भी यहां कौन है कुछ रोज मेरे साथ रहना न प्लीज ( मैने जिद दिखाई )
: अच्छा दादा ठीक है चलूंगी , खुश ?
मै उनसे लिपट कर : बहुत ज्यादा
फिर क्या अगले रोज के सफर के लिए हमारी तैयारिया होने लगी ।
सारी पैकिंग हो गई थी और मै भी नहा धोकर तैयार हो गया ।
मेरी नजर नानी पर , आज बुरखे में वो गजब की खिली हुई दिख रही थी , उनका बुरका आज उनके चौड़े कूल्हे पेट से कुछ ज्यादा ही चिपक रहा था आम तौर पर ऐसा नहीं होता था ।
तभी नानी एक झोला उठाने के उठी और मुझे बुरखे में उसके बड़े चौड़े चूतड़ पर पैंटी उभरी हुई नजर आई
: ओह्ह्ह बहनचोद नानी ने अंदर आज कुछ नहीं पहना ( मै अपना लंड सहलाते हुए बडबड़ाया)
: शानू जल्दी आ बेटा बस निकल जाएगी , आ जा ( नानी ने मुझे आवाज दी मै कमरे में ही रहा )
नानी मुझे आवाज देते हुए कमरे आई और मैने उन्हें पीछे से दबोच लिया
: अह्ह्ह्ह्ह शानू क्या कर रहा है उम्मम छोड़ बेटा उम्मम ( नानी कसमसाने लगी और मै उनके हाथ बांधे हुए पीछे से अपने पैंट में बने तंबू से उनकी गाड़ में ठोकने लगा )
: उम्मम नानी कितनी सेक्सी हो आप , निकलने से पहले करते है न एक बार अह्ह्ह्ह्ह प्लीज ( मै उनका बुरका उठाने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा लेट हो जाएगा उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्मम मान जा न ( नानी सिसकते हुए गुजारिश की मगर मैने एक न सुनी और अपना लंड बाहर निकाल लिया )
नानी का बुरका उठा कर आगे से सीधा उनकी पैंटी के ऊपर से अपना लंड उनकी बुर पर कोचना शुरू कर दिया , नानी तड़पने लगी
मैने उनका बुरका उपर उठाएं हुए उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी बड़ी बड़ी मोटी चूचियां मसलने लगा
: अह्ह्ह्ह बदमाश मानेगा नहीं न उम्मम अह्ह्ह्ह मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ममम ( नानी मेरे सर को पकड़ कर अपने सीने पर चिपका कर मेरे सर सहलाने लगी और नीचे मेरा लंड अकड़ा हुआ उनकी जांघों के बीच से उनकी बुर के फांके पर आगे पीछे हो रहा था ।
मैने उन्हें घुमाया और बिस्तर पर झुका दिया
: अह्ह्ह्ह्ह नानी कितनी सेक्सी पैंटी है आपकी उम्मम ( मै झुक कर उनकी बड़ी सी गाड़ को सहलाते हुए उनके गाड़ को सूंघने लगा )
मेरे लंड को थामे हुए मै लगातार उसको हिला रहा और नानी के थुलथुले चूतड़ पर पंजे मार रहा था
: अह्ह्ह्ह अम्मी उफ्फ मार क्यों रहा है आह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह बेटा मत कर न दुख रहा है
मैने अपना नुकीला सुपाड़ा लार से गिला किया और नानी की पैंटी खींच कर जांघों तक करते हुए चूत में लंड उतार दिया
: अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम बेटा अह्ह्ह्ह्ह कितना टाइट है आह्ह्ह्ह
: उम्मम नानी आपको देख कर मै पागल हो जाता हु उम्मम कितनी गर्म चूत है आपकी अह्ह्ह्ह बिना पेले कैसे जाता अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू नानी मेरी सेक्सी नानी अह्ह्ह्ह
मैं उनके बड़े भड़कीले चूतड को पकड़े हुए सटासट उनकी रसीली चूत में लंड पेले जा रहा था
: अह्ह्ह्ह्ह मेरे लाल ओह्ह्ह चोद ले अपनी रंडी नानी को आह्ह्ह्ह मुझे भी बहुत पसंद अपने बेटे से पिलवाना अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा और तेज अह्ह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह नानी कितनी चुदक्कड़ हो बिना कपड़े के बुरका पहन कर चल रही थी उम्ममम ( मै करारे झटके देकर नानी को पेलता हुआ बोला )
: हा बेटा गर्मी बहुत लग रही थी और बेटी के ससुराल बिना पर्दे के जा नहीं सकती थी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा चोद मुझे अह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह नानी ऐसे जाओगे और अब्बू देख लेंगे तो आपको खड़े खड़े ऐसे ही पेल देंगे
: अह्ह्ह्ह कमीना मुझे कितना तंग करेगा , पता नहीं मेरा अक्कू कब पेलेगा मुझे अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: अह्ह्ह्ह मेरी प्यारी फूफी देखो न आपका अक्कू चोद रहा आपको आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मेरे रंडी फूफी लेलो अपने अक्कू का लंड अह्ह्ह्ह तुम्हारी गाड़ देखकर मै पागल हो जाता हूं
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म हा बेटा पेल और तेज ओह्ह्ह तुझसे चुदवाने के लिए ही तो चल रही हु अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
नानी के मुंह से अब्बू से चुदवाने की बात सुनकर मैं एकदम फड़फड़ाने लगा मेरे लंड की नसे पंप होने लगी
: ओह्ह्ह्ह गॉड नानी सच में चुदवाओगी आप अब्बू से अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह अम्मीीईईई अह्ह्ह्ह
: हा बेटा तुझे दिखाऊंगी भी अह्ह्ह्ह जब मेरा अक्कू मुझे चोदेगा अह्ह्ह्ह बोल देखेगा न अह्ह्ह्ह उम्मम बोल न बेटा अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू नानी मेरी सेक्सी नानी अह्ह्ह्ह जरूर देखूंगा अह्ह्ह्ह्ह यही तो चाहता हु मै अह्ह्ह्ह नानी आ रहा है मेरा पागल कर देते हो आप मुझे अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् नानी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह सूऊऊ उम्मम
मै नानी की चूत में ही झड़ने लगा और सुस्त होकर उनके ऊपर ही भीर पड़ा ।
कुछ देर बाद मै और नानी बस में थे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। नानी के लिए बड़ी बात थी कहा अम्मी ने मुझे यहां सुधारने के लिए भेजा था और मैने उन्हें ही बिगाड़ दिया था ।
बीते दो हफ्ते में धीरे धीरे हमने काफी सारी फैंटेसी गढ़ ली थीं मगर इनसब में सबसे बढ़ कर था कि नानी अब अब्बू से खुद चुदने वाली थी । इस चीज से मै बहुत कामोत्तेजक हुआ जा रहा था ।
आने वाला सफर आज बहुत लम्बा लग रहा था मुझे जल्द से जल्द घर पहुंचना था
मगर नानी के ये रास्ते जल्द ही कट गए और हम मेरे घर आ चुके थे ।
जारी रहेगी
आप सभी की प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा ।
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 026अतीत के पन्ने : 07
: नहीं होगा बेटा ये मुझे , देख चढ़ ही नहीं रहे मेरे कूल्हे पर ( नानी अम्मी की पैंटी अपने बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों पर चढ़ाते हुए बोली )
अम्मी की पैंटी के नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों को देख कर मै पागल होने लगा , मेरा लंड पहले ही नानी को नंगा देख कर बौराया हुआ था ।
: बस ऐसे ही रहने दो न नानी , सेक्सी लग रही हो हीही ( मै नानी की मोबाइल हाथ में लिए उनकी फोटो निकलते हुए बोला )
: धत्त क्या कर रहा है बदमाश फोटो नहीं ( नानी ने मुझे रोकना चाहा तो मै पीछे हो गया )
: उफ्फ नानी अम्मी की पैंटी में आपकी गाड़ कितनी बड़ी लग रही है , ऐसा लग रहा है जैसे अम्मी की गाड़ और फूल गई हो ( मै उनके रसीले चूतड़ सहलाते हुए बोला )
नानी मेरे हाथों का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उनके ठंडे बदन में कंपकपी होने लगी : अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम मत कर न
: ओह्ह्ह्ह नानी आज आपको देख कर लग रहा है जैसे अम्मी खड़ी हो मेरे आगे अह्ह्ह्ह्ह अम्मीइई उम्मम ( मै नानी को देख कर पेंट में अपना लंड मसल रहा था )
: सच में , देखा है क्या तूने अपनी अम्मी को ऐसे कपड़े में उम्मम ( नानी ने फोटो शूट के पोज दिए )
: देख तो रहा हु उफ्फ अपनी अम्मी को , उफ्फ थोड़ा गाड़ फैलाओ न अम्मी अह्ह्ह्ह ( मै नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों की तस्वीरें ले रहा था जिसकी दरारों में अम्मी की पैंटी फंसी हुई थी )
: उम्मम देख ले बेटा , कैसी तेरी अम्मी की गाड़
( नानी ने अपने गाड़ फैला कर मुझे दिखाए और मै भीतर से तड़प उठा )
: इधर आओ न अम्मी बताता हु ( मै अपना लंड बाहर निकाल कर नानी के गाड़ सहलाने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू उम्मम बेटा अह्ह्ह्ह्ह आराम से नाखून लग जाएगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: उम्मम अम्मीई आपकी गाड़ को फाड़ डालूंगा उम्ममम
: और इसे अह्ह्ह्ह ( नानी ने ब्रा से अपने चूचे बाहर करते हुए बोली )
नानी के बड़े रसीले मम्में को अम्मी के ब्रा के बाहर झूलता देख मैं उनके निप्पल को मुंह में ले लिया
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा चूस ले अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा है मेरे शानू का लंड आह्ह्ह्ह ( नानी मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर भींच रही थी और मै उनके दूध पी रहा था )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी आपके दूध बहुत मुलायम है अह्ह्ह्ह्ह उम्मम ( मै नानी के चूचे मसलता हुआ बोला और नानी सुपाड़े को अंगूठे से रगड़ने लगी मेरा तो जैसे टपक ही जाएगा लंड ऐसा फील हुआ )
: उम्ममम अम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अम्मीईई ओह्ह्ह्ह कितनी मस्त चूस रही हो अह्ह्ह्ह्ह जी कर रहा है आपके मुंह में ही झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह ( नानी नीचे बैठ कर मेरे लंड चूसने लगी और मै उनके सर को पकड़ कर अकड़ने लगा )
नानी बिना रुके लगातार चूसे जा रही थी और मेरा लंड अम्मी को सोच कर पूरा बौराया हुआ था मै नानी के मुंह में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह लेलो अह्ह्ह्ह्ह कबसे तड़प रहा है आपसे अपना लंड चुस्वाऊ उम्मम फ़क्ककक्क्क अम्मीईई आह्ह्ह्ह
नानी उठने लगी और मै वापस उनकी मोटी मोटी चूचियां को मुंह में भरते हुए उनके कूल्हे सहलाने लगा , मेरा लंड नानी के बुर के फाकों में ठोकर लगा रहा था मै सरक कर घुटने पर हो गया
उनके पेट और फिर बुर पर अपने चेहरे को लगाने
बंद आंखो से मै नानी के जिस्म में अपनी अम्मी को खोज रहा था , नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर मेरे चेहरे रंग रहे थे और मेरी कल्पनाओं के अम्मी की छवि उभर रही थी । मानो सच में अम्मी मेरे आगे थी
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा बेटा अह्ह्ह्ह ले पी ले उम्ममम ( नानी अपने दोनों चूचे मेरे मुंह पर दबाने लगी और मै उनके गाड़ को सहलाते हुए पीने लगा )
फिर उन्हें घुमा दिया और उनके चूतड़ों को चूमने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह उम्मम इतनी पसंद है तुझे अम्मी की गाड़ अह्ह्ह्ह खा जाएगा क्या ( नानी अपनी गाड़ मेरे मुंह पर ठेलते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपकी गाड़ मुझे सबसे ज्यादा पसंद है इसकी खुशबू इसका छेद उम्ममम ( मैने उसके गाड़ को फैला कर सुराख पर जीभ फिराई तो नानी मचल उठी )
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा चोदेगा नहीं अपनी अम्मी को अह्ह्ह्ह्ह मेरी बुर बह रही है पेल दे न आह्ह्ह्ह
मै और जोश में आ गया और नानी को सोफे पर घोड़ी बनाते हुए लंड को उनकी बुर में उतार दीया
: अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम कितना तगड़ा हथियार है रे अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपकी बुर बहुत गर्म है उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू अमीआईई अह्ह्ह्ह
: हा बेटा चोद और तेज उम्मम तेरे लंड ने मेरी चूत चौड़ी कर दी है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और
: उफ्फ अम्मी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है इसमें भी डालू क्या अह्ह्ह्ह ( मै नानी के गाड़ के दरारों में अपना अंगूठा सुराख में घुसाते हुए बोला )
: डाल लेना बेटा जैसे मेरी चूत फाड़ रहा है वैसे ही अम्मी की गाड़ भी फाड़ना अह्ह्ह्ह मजा यह अह्ह्ह्ह्ह और कसके चोद उम्मम अह्ह्ह्ह हा बेटा पेल मुझे चोद अपनी अम्मीई उम्मम
मै फचर फचर नानी को झुकाए हुए पेलता रहा और नानी सिसकारियां अम्मी की कल्पनाएं मुझे चरम पर के जा रही
: अह्ह्ह्ह शानू रुकना नहीं अह्ह्ह्ह और पेल उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और तेज फाड़ दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
: अम्मी चूत फट जाएगी तो अब्बू क्या कहेंगे ( मै अपना लंड सटासट उनकी रस छोड़ती चूत में पेलता हुआ बोला )
: बोल दूंगी अपने बेटे से चुदवा के आई हु अह्ह्ह्ह्ह उम्मम
: ओह गॉड सच में अम्मीईई ओह्ह्ह्ह सीईईई अब्बू को पता लगेगा कि मै अम्मी को चोदता हु तो वो क्या सोचेगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
: भर दे बेटा अपनी अम्मी की बुर भर दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह ( नानी मेरे लंड को निचोड़ने लगी चूत का छल्ला मेरे लंड पर कसके )
मै झड़ता रहा जबतक पूरी तरह से निचोड़ नहीं गया और सुस्त होकर वही सोफे पर पसर गया ।
कुछ देर में जब हमारे शरीर में जान आई तो नानी मुस्कुराने लगी
: बहुत बिगड़ गया है तू गंदा कही का ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
लाज तो मुझे भी आ रही थी मगर नानी को अम्मी बना कर पेलने में बहुत आया । पहली बार ऐसा हुआ जब अम्मी के नाम पर मै इतना झड़ा था ।
: अब हस क्या रहा है कपड़े ला मेरे
: किसके ? आपके लाऊ या अम्मी के ? ( मै हस कर बोला तो नानी मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी )
: मार खायेगा, मेरे कपड़े दे भाई ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
इतने में नानी का मोबाइल रिंग हुआ अम्मी का फोन था ।
फोन पर ....
: हा अम्मी बस 10 मिनट लगेगा मै पहुंच जाऊंगी , आप लोग कब तक आओगे ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
अम्मी के सवाल पर नानी ने मुझे देख और मुस्कुराने लगी
: हम लोग भी निकल चुके है घंटे भर में आ जायेंगे बेटा ( नानी ने अपनी हसी रोकती हुई अम्मी से बोली )
: ठीक है मेरी बस तो 5 मिनट में पहुंच जाएगी , आप लोग आए ।
: ठीक है ( नानी ने जवाब दिया )
नानी ने फोन काट दिया और हम हसने लगे
: नानी मै जा रहा हूं अम्मी के लिए समोसे लाने , आप खाओगे
: देखो तो अम्मी के आते ही भूल गया , पूछ रहा है खाओगे ? जा मुझे नहीं खाना ( नानी थोड़ा रूठी तो मै उसके पास लिप्त कर )
: अरे मेरी प्यारी नानी , मेरी अम्मी भी तो आप ही हो न हीहीही
: धत्त बदमाश, भाग यहां से अब
मै खिलखिला कर कपड़े पहना और निकल गया पैसे लेकर ।
रास्ते में जाते हुए मुझे ना जाने क्या हुआ या फिर अम्मी के वापस आने की खुशी मै । समोसे लेकर बस स्टैंड की ओर निकल गया
वहा 5 मिनट तक इंतजार करने के बाद भी कोई बस नहीं दिखी तो लगा शायद अम्मी पहले ही उतर गई होंगी और मै वापस जाने लगा तो मुझे सुसु आ रही थी । मेरी नजर बस स्टैंड के सार्वजनिक शौचालय पर गई और की उधर हो लिया
मै मूत ही रहा था कि एक इनोवा कार बस स्टैंड के पास के बड़े से पीपल के पेड़ पास रुकी और उसमें एक खातून बुरखे में निकली
सेकंड नहीं लगा मुझे और मै समझ गया कि वो अम्मी ही है । लेकिन वो तो बस से आ रही थी फिर ये कार में कैसे ? मेरी दिल की धड़कने तेज होने लगी और मै वही रुका रहा कुछ देर मूतने के बाद भी और फिर अम्मी एक बार फिर कार में अपना सर देखकर झट से बाहर कर ली।
मै दूर से ही अम्मी के निकलने का वेट कर रहा था और अम्मी वहा से एक ई-रिक्शा करके निकल । मै उस गाड़ी के पीछे था और मै घूम कर आगे जाना चाहता था , मगर जब तक उस आदमी का चेहरा देख पाता वो गाड़ी निकल गई ।
मैने नंबर प्लेट देखा मगर कुछ समझ नहीं आया और मेरी नजर एकदम से कार के पीछे वाले ग्लास के एक कार्नर पर गई जिसपे एक रेड कलर का लोगो जैसा स्टिकर लगा था जो आम तौर पर डॉ या सर्जन की गाड़ियों पर होता है ।
अगले ही पल मेरा माथा ठनका कि कही वो अब्बू के दोस्त रहीम अंकल तो नहीं थे । मगर अम्मी भला उनके साथ क्यों आएंगी ।
चीजे समझ से परे हो रही थी , अम्मी के आते ही मेरे भीतर अलग ही तूफान खड़ा कर दिया था । उसपे से अम्मी अकेले आई थी । अब्बू का ना आना नानी को उदास करने वाला था ।
मै भी वहा से पैदल निकल गया घर के लिए, घर पहुंचा तो अम्मी हाल में बैठी हुई थी और नानी ने उन्हें पानी दिया था ।
मै जाकर अम्मी को नमस्ते किया
: शानू तूने बताया नहीं कि तुम लोग आ गए हो
: वो सरप्राईज देना था आपको ( मेरा मूड उखड़ा हुआ था अब )
: अच्छा जी और अम्मी आप भी इसके साथ रह कर झूठ बोलने लगी हां ( अम्मी ने नानी को देखा)
: अब तू उसे डांटना छोड़ , तू आ रही है इसीलिए वो बस अड्डे तक गया था तेरे लिए समोसे लेने ( नानी ने अम्मी को सुनाया )
नानी की बाते सुनते ही अम्मी को मानो सांप सूंघ गया तो
: शानू तु सच में बस अड्डे पर गया था ( अम्मी की आंखों में एक चिंता साफ झलक रही थी )
: हा वो मैने आपको देखा भी मगर आप रिक्शे में बैठ कर जा रही थी । ( मै झूठ बोला ताकि अम्मी परेशान न हो मगर उनका झूठ बोलना मुझे काफी खल रहा था )
अम्मी ने एक गहरी सास ली: अब खिलाएगा भी बहुत जोरो की भूख लगी , एक तो बस झटके खा खा कर मेरे कमर में दर्द हो रहा है
: जा बेटा प्लेट में निकाल कर ला ( नानी ने मुझे किचन में भेज दिया )
मेरे किचन में जाते ही अम्मी नानी से सवाल जवाब करने लगी ।
: ज्यादा परेशान तो नहीं किया न आपको ये वहा ( अम्मी का इशारा मेरी ओर था )
: क्या तू भी मेरे लाडले के पीछे पड़ी रहती है और उम्र है थोड़ी नादानी करेगा नहीं तो सीखेगा कैसे । न उसके दोस्त है और न कोई बड़ा भाई तुझे जरा भी फिक्र है उसके अकेलेपन की ( नानी ने अम्मी को धीमी आवाज में डांट लगाई )
: अम्मी आप उसके भोलेपन के बहकावे में मत आइए , वो बहुत चालाक है झांसा देने में ( अम्मी नानी को समझा रही थी )
इतने में मै प्लेट में समोसे लेकर हाल में आ गया और नानी ने अम्मी को चुप होने का इशारा किया ।
जान रहा था बातें मेरी पीठ पीछे होंगी जरूर और देर सवेर नानी मुझे सब कुछ बताएंगी ही । तो इसीलिए मै भी निश्चित होकर समोसे का मजा लेने लगा मगर मेरे दिमाग की उलझन थी कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी । आखिर अम्मी ने झूठ क्यों बोला होगा ।
बैशाख की दुपहरी चल रही थी तो नींद आना तय ही था अम्मी भी थकी थी तो वो भी आराम करने लगी और नानी मेरे साथ चली आई मेरे कमरे में ।
कुछ देर बाद ही नानी का मोबाइल बजा ,
फोन पर
: क्या हुआ फरीदा ? ( नानी ने जवाब दिया )
मगर मुझे अम्मी की आवाज नहीं सुनाई दे रही थी । क्योंकि वो करवट होकर लेता था और नानी मेरे पीछे बैठ कर बात कर रही थी ।
: हा वो सोया हुआ है , बोल ( नानी बोली )
कुछ देर कि चुप्पी और नानी ने चिढ़ कर जवाब दिया
: फरीदा तू भी कम जिद्दी नहीं है , ठीक है आ रही हु ( नानी ने फोन काट दिया )
मैने कोई रिएक्शन नहीं दिया जस का तस सोया रहा और जल्द ही मुझे नानी के बिस्तर से नीचे उतरने का आभास हुआ और फिर वो नीचे चली गई ।
मै झट से उठा और धीरे धीरे सीढ़िया उतरता हुआ अम्मी के कमरे के पास गया
नानी ने पहले ही मेरा पक्ष ले रखा था ।
: अम्मी उसकी हरकते गिनाने जाऊंगी तो रात बीत जाएगी ( अम्मी नानी से बोली )
: और तेरी मै गिनाऊं , मुझे नहीं पता क्या कि निगाह से पहले कैसे तू और तेरा शौहर मिलते थे छिप कर । कितनी बार अकरम को मैने पकड़ा था मेरे कमरे और गुलासखाने में झांकते हुए । ( नानी की बात पर अम्मी एकदम से सन्न हो गई )
: क्यों तेरी और अकरम की उम्र भी तब तो यही थी जो अभी शानू की है , बोल ? ( नानी अपनी बात आगे रखते हुए बोली अम्मी के पास कोई जवाब नहीं था ) ना उसका कोई भाई बहन है , ना कोई दोस्त है , तेरे लिए गांव से सारे रिश्ते नाते खत्म कर बड़े रुआब में उसका बाप यहां चला आया और तो और यहां इतनी सख्ती कि बाप के डर से बेचारा मुहल्ले के बच्चों तक से वो बातें नहीं करता । अब क्या चाहती है थोड़ी बहुत जो उसमें बचपना मासूमियत बची है वो भी खत्म हो जाए इससे अच्छा तू जान से मार दे उसे ।
: अम्मीईईई ( अम्मी छलकती आंखों से नानी को देख कर बोली ) क्या कह रही है आप ये ?
: ठीक ही कह रही हूं, ना जाने कितना मजबूत कलेजा है मेरे बच्चे जो इतनी बंदिशों के बाद भी नहीं टूटा और जानती है क्यों उसे बस अगर मेरे जीवन में किसी से प्यार की उम्मीद है तो बस तुझसे । कितना चाहता है वो तुझे , जान लुटाता है वो तुझ पर और तू है कि उसकी कदर नहीं है । ( नानी की बातों से अम्मी पूरी तरह फफक कर रो रही थी और उन्हें देख कर मेरे आसू छलक रहे थे । )
: अम्मी ऐसा नहीं है , मगर उसकी हरकते ही ऐसी है । भला कौन अपनी अम्मी को ऐसे नजरो से देखता है ( अम्मी ने नानी को अपनी सफाई दी )
: हा तो उसने अब तक प्यार का वही मतलब समझा है , दिन रात तेरे कमरे में जो देखता है सुनता है उसकी नजर में वही प्यार का तरीका है और फिर नया खून है बढ़ती उम्र है उसके भीतर भी इनसब के प्रति आकर्षण होना । उसका बाप इतना सख्त न होता तो कम से कम वो बाहर की दोस्त यार बनाता ।
: अम्मी आप ही बताओ क्या करु ( अम्मी सुबक कर नानी से बोली )
: देख जैसे एक समय पर मैने तेरा हाथ थामा था और तुझे सही गलत की सीख दी एक सहेली बनकर , तुझे भी एक दोस्त की तरह उसे समझाना होगा । ( नानी अम्मी को समझाते हुए बोली )
: अम्मी पर वो दोस्ती के लिए कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ चुका है , मै कितनी भी कोशिश कर लू उसको रोकने की समझाने की कितनी डांट लगाऊं मारु वो नहीं मानता ( अम्मी बेबस होकर बोली)
: अच्छा तुझे याद वो तेरी चच्चा का लड़का "कमल" ? कैसे बचपन में ही उसकी आदतें खराब हो गई उसको सिगरेट की लत लग गई थी । कभी कभी तो वो घर में ही पीने लगता था और जब उसके अब्बू ने उसको खूब पीटा तो क्या उसने आदत छोड़ दी नहीं न । वो घर वालो से पहचान वालो से छिप कर पीने लगा । इसका मतलब समझी तू ( नानी ने अम्मी को देख कर कहा ) इसका मतलब ये है कि बच्चे डर या लिहाज में बस अपनी गंदी आदतें बड़ों से छिपा लेते मगर उसे करना भी छोड़ते ।
अम्मी ने नानी की बात पर हूंकारी भरी .
: हो सकता है एक रोज वो तेरी मार गालियों से ये सब हरकते करना बंद कर दे , मगर उसके बंद कमरे का क्या ? कमरे का छोड़ आने वाले कुछ हफ्तों में जब उसका रिजल्ट आएगा और वो पढ़ाई के लिए बाहर चला जाएगा तो क्या ? तू होगी उसकी आदतें सुधारने के लिए वहां । वहां कौन रोकेगा कौन समझाएगा बोल ?
: पता भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है अम्मी ( अम्मी परेशान होकर नानी से बोली)
: इसीलिए कह रही हूं तू उसकी हरकते मत रोक , उसको सही गलत का फर्क समझा और ये सब तू तभी कर पाएगी जब तू उससे इनसब पर खुल कर बातें करेगी । मुझ पर भरोसा रख फरीदा ( नानी ने अम्मी का हाथ पकड़ कर उन्हें देखा )
: अम्मी आप ही समझाओ न उसे ( नानी को रिक्वेस्ट करते हुए बोली )
: देख मै चाहती तो लगभग 3 हफ्तों तक वो मेरे साथ मै समझा देती मगर उसे कही न कही जरूर लगता कि मैं भी उसकी इच्छाएं भावनाएं खत्म करना चाहती हु । उसका लगाव तुझसे है फरीदा , वो तेरा दीवाना है और मुझे यकीन है तू जब उससे दिल से बातें करेगी वो जरूर समझेगा )
अम्मी वापस से कुछ बोलना चाह रही थी मगर नानी ने उन्हें रोक दिया : अब कुछ नहीं , जो जैसा चल रहा है चलने दे और सुन रात में उससे मालिश करवा लेना कमर की ।
: क्या ? ( अम्मी शॉक्ड होकर )
: मै नहीं करने वाली तेरी मालिश मुझे ऐसे मत देख ( नानी मुस्कुरा कर बोली ) उसे थोड़ा समय दे झिझक कम होंगी तुम दोनों में । ठीक है
फिर मै समझ गया कि बातें खत्म हो गई थी तो रुकने का कोई फायदा नहीं और मै निकल गया ऊपर कमरे में ।
कुछ देर बाद नानी ऊपर आई और मेरे पास बैठ कर मेरे बाल सहलाने लगी तो मैं घूम कर करवट बदल कर उसके जांघों को पकड़ लिया
: आई लव यू नानी
: उठ गया क्या बेटा ( नानी मेरे सर को सहला रही थी )
: उम्मम आप सोई नहीं थी क्या ? ( मै कसमसा कर उसके गदराई जांघों पर अपना सर रगड़ता हुआ बोला )
: बस अभी उठी हु बेटा , चल तू भी उठ जा शाम हो रही है ( नानी ने साफ साफ झूठ बोला मुझसे , मगर क्यों समझ नहीं आया )
शायद उनकी बातें ठीक ही थी जो वो अम्मी को समझा कर आई थी , कही न कही उससे मुझे उम्मीद जगी थी कि शायद अब एक नई शुरुआत होगी मेरे और अम्मी के बीच में ।
जारी रहेगी
Thanks For Update Bhaiकहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई
पढ़ कर रेवो जरूर करें
Super Update Guru DevUPDATE 30
ट्रेनिंग-डे
रात के किसी प्रहर में, जब दुनिया सो रही थी, बिस्तर पर एक हल्की हलचल शुरू हुई। बेड का पुराना लकड़ी का ढाँचा हल्का-हल्का चरमराने लगा, जैसे कोई उस पर अपनी जगह बदल रहा हो। मेरी नींद में अभी पूरी तरह कोई खलल नहीं पड़ा, लेकिन कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा फैलने लगी थी। मुझे मेरे जिस्म में गरमाहट सी महसूस हो रही थी और कानों में गुनगुनाहट भरी आवाज रह रह कर आती । आंखे अब खुलना चाह रही थी मानो मेरी चेतना में कोई सतर्कता के लिए घंटी बज रही थी शायद अब तक अम्मी की जो हरकते रही है उसको लेकर मेरा दिमाग पूरी तरह अलर्ट हो गया था । रात के अंधेरे में मेरे सोने के बाद अम्मी का जागना हो सकता था । और सही भी था । मैने अपनी आँखें पल भर को खोली और झट से बंद कर ली
करवट लेटे हुए मेरे सामने जो नजारा मेरी आंखो के सामने आया उसे देखते ही भीतर से मेरे पूरे बदन में सरसरी उमड़ी और मै पूरी तरह से चेत गया । बंद आंखो में मेरे वो दृश्य उभर रहा था जो अभी अभी मैने देखा था
बेड के हेडबोर्ड पर, जहाँ लकड़ी की नक्काशी में पुराने फूलों के निशान उकेरे हुए थे, अम्मी उससे सटकर बैठी थी।उनका सिर हेडबोर्ड से टिका हुआ था, और उनकी साँसें थोड़ी तेज़ चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाइटी को जाँघों तक उठा रखा था—वह हल्के रंग की नाइटी, जो पुरानी होने के बावजूद उनकी रोज़ की पसंद थी। कपड़ा उनकी त्वचा पर हल्का सिकुड़ा हुआ था, और बल्ब की सफेद रोशनी में उनकी दूधिया जाँघों की गोरी चमक साफ दिख रही थी। उनका एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर था
—वह सादी सफेद पैंटी, जो रोज़मर्रा की सादगी लिए हुए थी। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे, लेकिन एक लय में हिल रही थीं, जैसे कोई गहरा तनाव या चाहत उन्हें जकड़े हुए हो।उनके दूसरे हाथ में मेरा मोबाइल था। स्क्रीन की नीली रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिख रही थी। कानों में इयरफोन लगे हुए थे—वह सस्ते वाले काले इयरफोन, जिनके तार आपस में उलझे हुए थे। मोबाइल की स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल चल रही थी। उनकी आवाज़ दबी हुई थी, जैसे वे किसी से धीरे-धीरे बात कर रही हों, शब्दों को होंठों के बीच दबाकर बोल रही हों। बीच-बीच में उनकी साँसें भारी हो जाती थीं, और उनकी उंगलियों की गति पैंटी में तेज़ हो जाती थी।
"उम्ममम सीईईई उम्हू नहीं मै नहीं आ सकती ऐसे , समझो उम्हू .... हा याद है न ( अम्मी एक गहरी आह भरते हुए बोली और उनकी उंगलियां पैंटी में चूत के गहरे घुस गई ) सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह आप बहुत तंग करते है अह्ह्ह्ह्ह आपके शौक बहुत शरारती है अह्ह्ह्ह......
अम्मी की मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया और शब्द सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी । देर रात में अब्बू और अम्मी की बातें सुनने का मजा ही कुछ और था । लेकिन ये मजा दुगना हो जाता अगर अब्बू की शरारत भरी गंदी बातें सुनने को मिलती जो वो अम्मी के जिस्म की तारीफ ने कहते नहीं थकते थे
हम्ममम क्यों आपको नहीं अच्छा लगा था ? ( अम्मी की उंगलियां रुक गई और चेहरे पर शरारती भाव थे ) ........ धत्त बदमाश हो आप ( अम्मी ने दुबारा से पैंटी के ऊपर से चूत के फांके पर एक उंगली ऊपर नीचे करने लगी उनकी रसाई बुर से पैंटी पूरी पचपचाई हुई थी ) ...... क्या ? नहीं अब रखो हो गया ... मुझे नीद आ रही है आप हो कि ( अम्मी उबासी लेती हुई बोली ) ...... दिन में कहा शानू रहता है पूरे दिन और उसके अब्बू आ जायेंगे तो ये मौका भी गया हीही ( अम्मी खिलखिलाई और फिर शांत हो गई )
मेरे कान खड़े हो गए ये सोच कर कि क्या मैने जो सुना वो सही था । इतनी देर रात में अम्मी अब्बू के सिवा भला किस्से बाते कर रही थी .. कही वो कार वाला आदमी तो नहीं ?
एक बार फिर मै आवेश और उलझन से भर गया । कि अम्मी ने अब मेरे साथ साथ अब्बू को भी धोखा देने लगी ।
अम्मी ने फोन काट कर मोबाइल और इयरफोन बिस्तर पर रखा और उठ कर बाथरूम के लिए कमरे से बाहर निकल गई
जैसे ही वो निकली मैने लपक कर मोबाइल उठाया और व्हाट्सअप ओपन कर कालिंग लॉग देखा
उसमें Nagma2 करके नंबर सेव था और नम्बर चेक किया तो देखा ******2277 , उस नम्बर पर न कोई डीपी थी और ना कुछ अब एकदम से गोपनीय रखा हुआ था न ही उसपे कोई चैट की गई थी ।
मैने वापस मोबाइल रख दिया और वो नंबर दिमाग में रटने लगा ।
तभी कमरे में अम्मी लौटी और मुझे बिस्तर पर बैठे हुए पाया
मेरी आँखें अपनी अम्मी पर जमी थीं। मेरा चेहरा भ्रम और डर से भरा हुआ था।
"अम्मी... ये... ये क्या था?" (आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था, जिसका जवाब शायद उसकी अम्मी के पास नहीं था।)
अम्मी ने एक गहरी साँस ली, और उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर साफ दिख रहा था।
"शानू... बेटा... कुछ नहीं... सो जा," उन्होंने कहा, लेकिन कमरे का माहौल अब बदल चुका था। मेरी जिज्ञासा और अम्मी की गुप्त चाहतों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी।
: अम्मी ... अब्बू का मोबाइल बंद है चेक किया मैने ( मैने सख्ती दिखाने का महज प्रयास किया और अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए)
वह अपनी माँ को हमेशा से एक मजबूत और साधारण औरत के रूप में देखता था—वह औरत जो सुबह जल्दी उठकर चूल्हा जलाती थी, उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी, और रात को कहानिया थी। उसके लिए उसकी अम्मी सिर्फ उसके अब्बू की दीवानी थी लेकिन अब, उसकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ था, वह उस छवि को तोड़ रहा था।उनकी अम्मी ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें नम थीं, और चेहरे पर शर्मिंदगी का एक भारी बोझ था।
वो बिना कुछ बोले मेरे करीब आई और मेरे सर को अपने गुदाज नर्म सीने से लगा लिया, अगले ही पल मै भाव विभोर होने लगा मानो अम्मी जादू से मेरे भीतर की उठ रही जिज्ञासाओ को मिटा देना चाहती हो ।
मैने हल्के से अपने सिर को पीछे खींच लिया। उसका यह छोटा सा इशारा अम्मी को वर्तमान में लाने का ।
: आप... आप उस फोन पर क्या कर रही थीं? मैंने हिचकिचाते हुए हिम्मत कर पूछा )
मेरी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक जिज्ञासा भी थी जो अब दब नहीं रही थी। उनकी अम्मी का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, जैसे वे कोई जवाब ढूँढ रही हों। लेकिन फिर उनकी आँखें फिर से नम हो गईं।
: बेटा... कुछ चीज़ें... कुछ चीज़ें तेरी माँ को भी समझ नहीं आतीं । ( उन्होंने धीरे से कहा। उनकी आवाज़ में एक टूटन थी, जैसे वे खुद से भी लड़ रही हों। )
: मै उस पल में बस कमजोर सी हो गई थी और ...कुछ गलत नहीं था। तू सो जा, सुबह सब ठीक हो जाएगा। ( अम्मी ने मेरे सर सहलाने हुए बोली और उनके चेहरे पर एक उम्मीद भरी मुस्कुराहट थी शायद वो चाह रही थी कि मै उनपर भरोसा बनाए रखूं)
मेरे के लिए सुबह का इंतज़ार अब आसान नहीं था। कमरे की बत्ती बुझ गई थी और करवट होकर अपनी अम्मी की ओर देखना चाहा तो कमरे का घुप अंधेरा मानो मुझे मेरी अम्मी से दूर ले जा रहा था ।
और पहली बार मुझे लगा कि मै उन्हें पूरी तरह नहीं जानता। मै हमेशा उनकी गोद में सिर रखकर सोता था, उनकी सूट की महक मुझे सुकून देती थी। लेकिन अब, उस महक के पीछे एक अनजाना सच छिपा हुआ था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ छिपा रही हैं न? ( मैने धीरे से उनसे लिपटे हुए कहा )
अम्मी ने एक गहरी साँस ली। उनके मन में शायद एक तूफान चल रहा था—शर्मिंदगी, डर, और अपने बेटे के सामने सच को छिपाने की मजबूरी।
: नहीं, बेटा... ऐसा कुछ नहीं है ( उन्होंने कहा, लेकिन उनकी बेचैन सांसे और मेरे कानो के पास तेज धड़कता दिल कुछ और कह रहा था )
हमने कोई बात नहीं की ... लाख सवाल और नाराजगी थी मन में लेकिन अम्मी की बाहों में लिपटने से मानो सारे सवालों के जवाब मिल गए हो सारे जख्म भर गए हो, भीतर का तनाव कम होने लगा था उनके मुलायम स्पर्श से और मै कब सो गया पता ही नहीं चला ।
सुबह की पहली किरणें खिड़की से कमरे में रोशनदान से दाखिल हुईं। मै अभी भी बेड पर लेटा था, आँखें खुली थीं, लेकिन मेरा मन रात की घटना में उलझा हुआ था। मैने कई बार करवट बदली, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी। अम्मी रसोई में थीं, और वहाँ से चूल्हे की हल्की खटपट की आवाज़ आ रही थी।कुछ देर बाद, दरवाज़े पर एक हल्की आहट हुई। अम्मी कमरे में दाखिल हुईं, उनकी आँखें अभी भी लाल थीं, जैसे रात भर रोने के निशान छिपे हों, लेकिन चेहरे पर एक कोशिश थी—अपने बेटे के सामने फिर से वही माँ बनने की, जो वह हमेशा से थीं।
: शानू, बेटा... उठ जा। सुबह हो गई, ( उनकी आवाज़ में हल्की कोमलता थी, लेकिन एक झिझक भी थी)
मैने ने धीरे से सिर उठाया और अपनी अम्मी की ओर देखा। मेरी आँखों में अभी भी सवाल थे, लेकिन अब उनमें डर कम और कुछ समझने की चाह ज़्यादा थी। मै बेड पर बैठ गया, और उनकी अम्मी पास बैठ गईं।
: रात को नींद ठीक से नहीं आई न? ( कनपटी के पास मेरे कानो को छूते हुए मेरे बालों को संवारते हुए वो बोली , उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन साथ ही एक डर भी था कि शायद मै अब उनकी बातों का जवाब न दूं । )
मैने उनकी आंखों में देखा एक उम्मीद जो आंखों उठ रही थी उनके , चेहरे पर डर का वो भाव जिसे वो अपनी जबरन मुस्कुराहट से छिपाना चाहती थी उनके भीतर एक कंपकपी सी महसूस कर पा रहा था
: आप रो रही थी न .. अम्मी ( मैने मासूम होकर बोला , उनका दुलार उनका स्पर्श मुझमें हर बार बचपन भर देता था )
: बेटा ... ( उनकी आवाज भर्रा गई ) ... हा रो रही थी तेरी अम्मी भी तो एक इंसान है जो कभी कभी कमजोर सी पड़ जाती है ( उनकी आंखे छलक पड़ी अब ,और उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए , एक गर्माहट महसूस हो रही मुझे मेरे हाथों में ) लेकिन तू मेरे लिए सबसे बढ़ कर बेटा , तू ये कभी नहीं भूलना ।
मैने ने अपनी अम्मी के हाथ को देखा। वह हाथ, जो उसे हमेशा थपकी देकर सुलाता था, अब काँप रहा था।
: अम्मी, आप जो भी कर रही थीं... मुझे समझ नहीं आया। लेकिन मुझे डर लगा था कि आप मुझसे दूर जा रही हैं। ( मै धीरे से बोला एक मासूम डर था, जो उनकी अम्मी के सीने में चुभ गया। उन्होंने जल्दी से उसे अपने गले से लगा लिया।)
: नहीं, बेटा... मैं कहीं नहीं जा रही। तू मेरी जान है। रात को... रात को मैं बस एक कमज़ोर पल में थी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरी अम्मी नहीं हूँ। (उनकी आवाज़ में अब पछतावा था )
मैने अपनी अम्मी की गोद में सिर रख दिया, जैसे वह फिर से वही सुकून ढूँढ रहा हो जो उसे हमेशा मिलता था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ मत छिपाना। मुझे सब समझ नहीं आता, लेकिन मैं आपसे प्यार करता हूँ ( मैने धीरे से कहा और अम्मी की आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन अब ये आँसू दुख के नहीं, राहत के थे )
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा, "ठीक है, बेटा। अब कुछ भी तुझसे नहीं छिपाऊंगी , तेरा मुझपर उतना ही हक है जितना तेरे अब्बू का और तुझे भी वो सब जानने का हक है जो उन्हें है । आखिर तू भी तो मेरे जीवन का हिस्सा है मै क्यों समझ नहीं पाई ( अम्मी मानो अपनी उस वेदना को व्यक्त कर रही थी जो रात में सोचते हु उन्होंने सोची थी जिसके लिए उन्हें पछतावा था )
मै उनकी गोदी और दुबक गया और वो सिसकते हुए मुझे कस ली
: चल उठ और फ्रेश हो ले , फिर नाश्ता भी करना है न ? ( अम्मी ने मेरे सर को सहला कर कहा )
: अम्मी ... आप नहला दो न ( मैने भी उनके इमोशन का फायदा लेने का सोचा )
: धत्त बदमाश... जा नहा मै नहीं नहलाने वाली , उठ अब ( अम्मी वापस अपने रूप में आ गई , वैसे ही खिली हुई खुश और मेरी अम्मी जैसी )
: जा रहा हूं, लेकिन मुझे कुछ पूछना है आपसे , मतलब काफी कुछ है बताओगे न सब ( मै मुंह बना कर बोला )
: सोचूंगी ... हट अब ( अम्मी ने मेरे मजे लिए और मुझे गोदी से उतार दिया फिर बिस्तर से जाने लगी )
: अरे अभी मै नाराज ही हुं ( मैने उन्हें रोकना चाहा )
: अच्छा ... चल बड़ा आया ( अम्मी हंसके निकल गई और नाइटी में उनके चूतड़ों की थिरकन देख कर मै अपना सुपाड़ा मिज दिया )
नहाने नाश्ते के बाद हम दोनो कमरे में बैठे थे, एक चुप्पी सी थी हमारे बीच । अम्मी को हिचक थी कि मै क्या पूछने वाला हूं।
: अम्मी ..... मै परेशान हूं अभी भी ( मै उनके कंधे पर सर रखे हुए बोला , मेरे फैले हुए पैर की उंगलियां अम्मी के उंगलियों को सहला रही थी )
: क्या हुआ बेटा ... क्या सोच रहा है तू ( अम्मी के लहजे ने डर शामिल था उसके सांसों की तेजी मुझे महसूस हो रही थी )
: मुझे कुछ जानना है ?
ये सवाल किसी अंधेर जगह में उस दरवाजे की तरह था जिसके बारे में अम्मी के कल्पना करना कठिन था कि वो उनकी किस दुनिया को मेरे सामने ला खडा करेगा , साथ ही मेरे लिए भी जिज्ञासा पूर्ण था उस रोमांच के बारे में सोचना कि कैसे इन सब की शुरुआत हुई होगी ।
: क्या बोल न ? ( अम्मी अटक कर बोली )
मेरे जहन में कई सवाल थे मन में आ रहा था कि अभी पूछ लूं कि रात में अम्मी जिससे बात कर रही थी और वो गाड़ी में जो उन्हें छोड़ने आया था दोनों एक ही शख्स थे , मगर दिल नहीं मान रहा था कि अम्मी ईमानदारी दिखाएंगी । फिर ख्याल आया कि नानी और अब्बू के बारे में पूछ लू, मगर हाल ही में जो हुआ वो सोच कर हिम्मत नहीं थी कि नानी का टॉपिक छेड़ा जाए ।
फिर दिमाग में ख्याल आया अनायास नगमा मामी का क्योंकि अम्मी ने वो नम्बर भी नगमा मामी के नाम से ही सेव किया था ।
: वो नगमा मामी का क्या हुआ? ( मै थोड़ा डरा डरा सा हिम्मत करके बोला )
: नगमा को क्या होना है ? ( अम्मी को शायद मेरी बात समझ नहीं आई )
: नहीं वो आप उनको अब्बू से ... हुआ ? ( मै भीतर से थरथरा सा रहा था कही थप्पड़ पड़ ही न जाए इस गुस्ताखी के लिए )
: क्या ... तू पागल है ? तुझसे किसने कहा कि मै नगमा को तेरे अब्बू से .... ( अम्मी चौंकते हुए बोली )
अम्मी की आंखे चौकन्ना थी और मै थोड़ा डरा हुआ उनकी आंखों में देख रहा था ,
: वो .. वो मैने वीडियो देखी आप लोगों की ( मेरा इशारा उस रोज की तरफ था जब मैने अब्बू के लेपटॉप में मम्मी की मेमोरी कार्ड लगाई थी मगर पकड़ा गया था ) उसमें आप कह रहे थे ( खुद को सुरक्षित करने के भाव से थोड़ा पीछे होता हुआ मै बोला )
अम्मी के चेहरे रंग एकदम से गुलाबी होने लगा और वो मुस्कुराने लगी
: हा तो तुझे उससे क्या ? बोला होगा ? ( अम्मी ने फिर से बात को दबाने के लिए नाराज होने का नाटक कर रही थी जो मुझे पसंद नहीं आया )
: कुछ नहीं ... ( मै शांत ही गया , मेरे भीतर एक पोजेसिवनेस जैसा कुछ था जो मै महसूस कर पा रहा था जब अम्मी ने ऐसा कुछ जवाब दिया मुझे , मानो अम्मी मुझसे मेरा हक छिन रही थी )
कुछ देर तक अम्मी मुस्कुराते हुए मुझे घूरने लगी और फिर मै बिस्तर से सरक कर उतरने लगा ।
: अरे कहा जा रहा है... ( अम्मी के सवाल में हसी की खनक थी )
: अपने कमरे में पढ़ाई करने ( मै उखड़ कर जवाब दिया )
: अच्छा ठीक है नाराज मत हो .. बताती हूं ( अम्मी ने रोका मुझे ) आ इधर ... बड़ा आया पढ़ाई करने वाला जैसे मुझे नहीं पता कैसी पढ़ाई करता है तू
मै मुस्कुराने लगा कि अम्मी को सब पता है
मै मुस्कुराता हुआ घुटने के बल टेंग कर अम्मी के पास गया और उनसे लिपट गया
वो मुझे बाहों में लेकर मेरे गाल दुलारने लगी
: अम्मी बताओ न ( मै उनको हग करता हु बोला
: अब ... क्या बताऊं तुझे ( अम्मी के गाल खिले हुए थे , शर्माहट हिचक उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी ) कहा से शुरू करूं क्या बताऊं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है और तू है कि जिद कर रहा है ।
: अच्छा ये तो बताओ कि अब्बू और मामी मिले या नहीं ( मैने उनकी उलझन कम करने की कोशिश की )
: उम्मम .... हा मिल चुके है ( अम्मी शर्म से गाढ़ होती हुई मुस्कुराई )
: कब ? कहा ? ( मेरे भीतर हलचल होने लगी , लंड में हरकत होने लगी , लोवर में तनाव बढ़ने लगा )
: वो जब मै तेरे अब्बू के पास थी तो वही बुलवाया था उसे ( अम्मी के जवाबों में झिझक साफ झलक रही थी मानो ये सब बाते मुझसे करने में उन्हें कितनी शर्म आ रही थी और उन्हें कितना असहज लग रहा था सब )
: तो क्या ? अब्बू ने आपके सामने ही .... ( मै अपने कल्पनाओं की किताब खोलने लगा और लंड धीरे धीरे अपनी ताकत महसूस कर रहा था )
: हम्ममम ( अम्मी ने एक शब्द में अपनी बात पूरी की )
: और आप? ( मै लंड पकड़ कर मिस दिया लोवर के ऊपर से ) आप भी शामिल थी ?
: क्या मतलब ? ( अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा )
: मतलब क्या मामी के साथ अब्बू ने आपको भी चो... ( मेरा गला सूखने लगा था )
: तू कुछ ज्यादा नहीं सोचता है ( अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरते हुए मुस्कुराई )
: पता नहीं , बस ऐसे ही ख्याल आया क्योंकि अब्बू आपके सामने कर रहे होंगे तो आपका भी मन हुआ होगा न ? ( मैने थोड़ी मासूमियत दिखाई कुछ जिज्ञासा रखते हुए )
: हा लेकिन पहली बार में उतना आसान नहीं था ( अम्मी बातों को घुमाते हुए बोली )
: पहली बार ? कितने बार किया था अब्बू ने ( मै चौक कर बोला तो अम्मी की आंखे बड़ी हो गई मै समझ गया मेरा लहजा अभी अम्मी को अच्छा नहीं लगा) मेरा मतलब कितने रोज थी मामी वहां ?
: 3 दिन ( अम्मी आंखे नचा कर बोली और मुस्कुराने लगी )
: तो क्या बाद में आपने ज्वाइन किया था ( मै धीरे से अपना लंड खुजा कर बोला )
: हम्म्म ( अम्मी मुझसे नजरे चुराती हुई बोली , उनकी सांसे भारी हो रही थी ) तेरे अब्बू को जानता ही है कितने शरारती है वो । ( अम्मी शर्मा कर बोली )
: अच्छा लेकिन मुझे लगता है कि आप ज्यादा हो हिही ( मैने उन्हें छेड़ा )
: धत्त बदमाश, मै तो कुछ करती भी नहीं सब तेरे अब्बू ही करते है समझा ( अम्मी सफाई देते हुए लजा रही थी और मुस्कुरा रही थी )
: हा देखा है मैने कौन कितना शरारती है हीही ( मै खिलखिलाया और उन्हें छेड़ा )
अम्मी लाज से लाल हुई जा रही थी उनकी सांसे चढ़ने उतरने लगी थीं और मेरा लंड उनके फूलते चूचों को देख कर अकड़ने लगा था अब ।
: अब चुप रहेगा तू और वो क्या कर रहा है ( अम्मी का इशारा मेरे हाथ पर था जो लोवर के ऊपर से लंड को मिस रहा था )
: हीही , कुछ नहीं ( मैने वहा से हाथ हटा लिया )
: इतना जल्दी खड़ा हो गया तेरा ( अम्मी अचरज से बोली )
: हा वो आपकी और अब्बू की बातों से ये परेशान हो जाता है ( मै थोड़ा असहज होकर बोला )
: इतना पसंद है तुझे हमारी बातें ( अम्मी उत्सुक होकर बोली )
: बहुत ज्यादा , कितनी मजेदार होती है आपकी बातें और अब्बू जब आपकी तारीफ करते है तो उम्ममम ये और भी बड़ा हो जाता है ( मैने अपने पैर फैलाए जिससे लोवर में मेरा लंड एकदम से टाइट होकर खूंटे जैसा खड़ा हो गया और अम्मी ने उसे देखा )
: धत्त बदमाश, कितना गंदा हो गया है तू , शर्म नहीं आती तुझे अपनी अम्मी के बारे में वो सब सुनते हुए ( अम्मी ने मुझे टटोला )
: उम्हू , मुझे तो मजा आता है जब अब्बू आपके बारे में गंदा गंदा बोलते है ( अम्मी आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी ) सच्ची में ( मै पूरे विश्वास से बोला )
अम्मी चुप रही उनके चेहरे पर एक लाज भरी मुस्कुराहट थी शायद उन्हें अब थोड़ा थोड़ा मेरे बातों से गुदगुदी हो रही थी । उनकी एड़ीया आपस में उलझी हुई थी और वो अपने दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से रगड़ रही थी ।
: और जब आप मुझे खुद के साथ शामिल करती है तो मुझे और भी अच्छा लगता है ( मैने अपने दिल की बात कही अम्मी से )
: मैने कब किया तुझे शामिल ? ( अम्मी अचरज से बोली )
: क्यों उस रोज अब्बू को भेजने के लिए तस्वीरें मैने ही निकाली थी न ( मैने पुरानी यादें ताजा की )
: धत्त बदमाश, याद है मुझे और फोटो खींचने में ही तेरा ... हीही ( अम्मी मेरे झड़ने का मजाक उड़ाती हुई बोली )
: हा तो मेरी जगह कोई भी होता वो सीन देख कर पागल हो जाता जैसे मै हो गया , आपके बड़े बड़े (मै आगे बोलता तो अम्मी मुझे घूरने लगी ) इतना बड़ा सा तो है । मै तो बाजार में भी सब निहारते है आपको पीछे से ( मासूम होकर मैने अपने आप को सेफ जोन में कर लिया )
: धत्त इतने भी बड़े नहीं है ( अम्मी थोड़ा इतराई )
: विश्वास न हो तो अब्बू से पूछ लो ( मैने उन्हें छेड़ा )
: तू और तेरे अब्बू एक जैसे है , ना जाने तुम लोगों को क्या पसंद आता है उसमें ( अम्मी थोड़ा इतराई और लजाए )
: उफ्फ अम्मी आप क्या जानो , जो देखता है वो ही जानता है अपनी हालत , उस रोज जब आपने फैलाया उसको तो मै तो पागल ही हो गया , कितना बड़ा और गोल मटोल था उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह ( मै अम्मी के सामने बड़ी बेशर्मी से अपना लंड मसल दिया )
: धत्त गंदा छोड़ उसे ... फिर गलत तरीके से कर रहा है । अभी कल समझाया न ( अम्मी ने मेरे हाथ को झटका )
: उम्मम अम्मी क्या करु तंग कर रहा है , कभी कभी मन करता है कि उखाड़ दूं ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त पागल ( अम्मी हसी ) इसके साथ जबरजस्ती नहीं करते प्यार से करते है ( अम्मी ने लोवर के ऊपर से मेरे मूसल को थाम लिया )
उनके हाथों के स्पर्श से मै भीतर से सिहर उठा और आंखे उलटने लगा
: अह्ह्ह्ह अम्मीई सहलाओ न सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गॉड ( मै अपना जिस्म अकड़ता हुआ बोला और अम्मी पूरी मजबूती से मुठ्ठी में मेरे लंड को भरे हुए थी । )
उन्होंने लोवर के ऊपर से मेरे लंड को खींचना शुरू किया मै और छटपटाने लगा और बिस्तर पर अकड़ने लगा
: क्या हो रहा है तुझे ( अम्मी फिकर में बोली )
: ऐसे ही होता है अम्मी हर बार , आपका टच मुझे पागल कर देता है और लगता है कि अभी निकल जाएगा ( मैने एक सास में अपनी बात कह दी )
: क्या इतना जल्दी ( अम्मी चौकी ) ऐसा नहीं होना चाहिए बेटा ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करु अम्मी आप बताओ न ( मै उनकी आंखों में देखता हुआ बोला इस उम्मीद में कि शायद उनके पास कोई जवाब हो )
: तुझे ये सब सिर्फ मेरे साथ महसूस होता है या और भी किसी को देख कर ( अम्मी ने सहज सवाल किया )
: मैने तो आपके सिवा किसी को नहीं देखा ( सरल भाव से मैने अपनी दीवानगी जाहिर की अम्मी से )
: चल उठ खड़ा हो , निकाल ये सब ( अम्मी मेरे लोवर खींचने लगी )
मै उलझे हुए भाव में बिस्तर पर खड़ा हो गया और अपने कपड़े निकालने लगा
और धीरे धीरे मेरे जिस्म के सारे कपड़े बिस्तर पर थे और मेरा मोटा मूसल पाइप के जैसे सीधा तना हुआ अम्मी की ओर मुंह किए हुए
अम्मी ने मुझे नीचे उतारा और बिस्तर पर बिठाया ।
: खबरदार उसको हाथ लगाया तो ( अम्मी ने आंखे दिखा कर मुझे चेतावनी दी )
मेरा हलक सूखने लगा था लंड सास लेते हुए हवा में झूल रहा था , पूरे लंड में सुरसुराहट फैली हुई थी । जैसे नसों में कुछ रेंग सा रहा हो ।
: अम्मी , क्या करने जा रहे हो ( मै बेचैन होकर बोला )
अम्मी मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी और देखते ही देखते अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और घूम गई
मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
अगले ही अम्मी कबोर्ड का सहारा लेते हुए अपनी सलवार छोड़ दी जो सरकते हुए उनके पैरों में चली
मेरी आँखें फैल गई और अगले ही पल अम्मी ने अपने नंगे भड़कीले चूतड़ों पर से सूट को कमर तक खींच लिया
: ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के नंगे चूतड़ों को देख मै भीतर से पागल होने लगा )
: उम्हू , मारूंगी अगर छुआ उसको तो ( अम्मी गर्दन घुमा कर मुझे लंड को छूते देखा तो डांट लगाई )
: उफ्फ अम्मी कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आप टच कर दो न इसको ( मै हांफते हुए बोला )
अम्मी घूम कर मेरे तरफ आई और मै खड़ा हो गया उनके बराबर में आ अम्मी अपने पैरो से सलवार उतारते हुए मुस्कुराई और आगे बिस्तर पर घुटने के बल चलती हुई बिस्तर पर घोड़ी बन गई। उनकी बड़ी मोटी गाड़ उनके सूट के पर्दे से बाहर निकल आई थी , जांघों खूब फैल आकर टाइट
अगले ही पल अम्मी ने अपने चूतड़ हवा में हिलाने लगी
: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीईईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह मुझे पागल कर रहे हो ओह्ह्ह
: क्या बोला ( अम्मी ने घोड़ी बने हुए मुस्कुरा कर गर्दन घुमा कर मुझे देखा)
: आप मुझे पागल कर रहें हो ( मै मुस्कुराया )
: उससे पहले क्या बोला ( अम्मी बड़ी शरारती मुस्कुराहट के साथ अपने चूतड़ों से शूट को ऊपर खींचते हुए बोली )
जैसे जैसे अम्मी के चूतड़ नंगे होते गए मेरी आँखें फैलने लगी और सांसे चढ़ने लगी और लंड पूरा तन गया
: उफ्फ अम्मी आपकी बु.... ( मेरी नजर उनकी गदराई जांघों से झांकती बुर पर गई और मै मेरे हाथ लंड के पास ले जाना लगा )
: अंहां, नहीं ( अम्मी ने मुझे रोका और वापस से अपने नंगे चूतड़ों को हवा में उछाला )
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह अमीईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मेरे भीतर तरंगों का सैलाब आया था लंड में बिजली सी दौड़ रही थी )
: क्या बड़ी है उम्ममम ( अम्मी ने अपने बाल झटक कर मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा)
: आ.. आपकी गाड़ ओह्ह्ह्ह मन कर रहा है इसी पर झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( मै अपनी जांघें कस कर लंड को सहलाने को नाकाम कोशिश करने लगा )
: और नहीं देखेगा, इतना जल्दी झड़ जायेगा ( अम्मी ने उकसाया मुझे और मोटिवेट भी किया )
: हा हा दिखाओ न ( सूखते हलक को घोंटते हुए मै बोला )
मेरी जांघें बिस्तर पर घिस रही थी लंड को बिस्तर पर स्पर्श करा रहा था मै
और अगले ही पल अम्मी ने अपनी गाड़ और ऊपर उठाई और दोनों पंजों से फाड़ दी
: ओह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई कितनी सेक्सी गाड़ है आपकी अह्ह्ह्ह आपकी बुर कितनी लंबी है ( मै वासना में पागल सा होने लगा , विवेक कही गायब सा हो गया था मेरे लहजे में )
: पसंद है न तुझे मेरी गाड़ ( अम्मी अपने चूतड़ पर थपेड़ मारती हुई सवाल की )
: हा ( मै सर हिलाया )
: और क्या पसंद है बेटा ( अम्मी ने हवा में अपनी गाड़ हिलाती हुई बोली )
: आपके दूध सीईईई कितना बड़ा है और आपकी ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई आओ न प्लीज अह्ह्ह्ह्ह आजाओ जल रहा है नहीं रहा जा रहा है आजाओ न ( मै तड़पता हुआ बोला )
और अम्मी घुटने के बल पीछे आने लगी उनके बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए आपस में टकराते हुएं मेरी ओर बढ़ने लगे
मै हदस कर पीछे हो गया और अम्मी बेड से नीचे उतर गई , अभी भी अपनी गाड़ मेरी ओर किए हुए थी
: उम्मम ले आ गई और देखेगा ( अम्मी ने बिस्तर पर औंधे झुके हुए अपने पंजों से दुबारा अपने चूतड़ों को फाड़ दिया ) ले देख
: उम्मम अम्मीई अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ कितनी बड़ी और वो गुलाबी सुराख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अमीईई ( मै पागल सा होने लगा , मेरे लंड की नसे वीर्य से भर गई थी , सुपाड़े पर मानो पूरे बदन का खून भरने लगा , वो जलन वो पीड़ा सी उठ रही थी उसमें , अम्मी का रंडीपना देख कर आड़ो से लेकर सुपाड़े के मुहाने तक नसे डकार रही थी , बस एक स्पर्श और भलभला कर सारी गाढ़ी मलाई बाहर
अम्मी पूरे जोश में अपने चूतड़ हिला रही थी कमरे उनके चूतड़ एक ताल में तालिया बजा रहे थे और हर ताल के साथ अम्मी के गाड़ और बुर की गुलाबी झलक मिल जाती
मानो दोनों मुझे बुला रही हो अपने करीब और मै दो कदम आगे बढ़ गया और लंड को जड़ से पकड़ कर अम्मी के गदराई मोटी मोटी गाड़ के दरारों में टिका दिया
मेरे गर्म तपते लंड का स्पर्श पाते ही अम्मी भीतर से मचल उठी , उनके भीतर अलग ही काम की ज्वाला उठी
: या अल्लाह ओह्ह्ह कितना गर्म.. ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ( अम्मी मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह बस ऐसे ही आयेगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईईई अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अम्मीईई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह
और अगले ही पल मै भलभला कर अपनी के गाड़ के सुराखों में झड़ने लगा
खूब गाड़ी सफेद मलाई उनके मोटी गदराई गाड़ के सकरे दरारों में जाने लगी जो रिस कर अम्मी की बुर की ओर बढ़ने लगी और मै आखिरी बूंद के निचोड़ने तक अपना लंड अम्मी के गाड़ के दरारों में रखे रहा और अम्मी बेड पर अपनी गाड़ हवा में झुकी हुई हाफ रही थी
मै अपना लंड झाड़ कर दो बार उनके नरम चूतड़ों पर पटका और सुस्त होकर अम्मी के बगल में बिस्तर पर पैर लटका कर पसर गया वही अम्मी सरक पर नीचे फर्श पर घुटने के बल आ गई और बिस्तर पर सर रख कर सुस्ताने लगी ।
जारी रहेगी
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