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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Aapko padhkar mujhe kabhi kabhi nainu bhai nain11ster ki yaad aa jati hai,bahut badiya
Meri bas ye kosis hai ki ye kahani yaadgaar bane or kuch nahi:approve:
Apun to chhota mota aadmi hai bhai , nainu bhaiya jaisa knowledge aur lekhan koshal apne paas kaha:?:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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kas1709

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#92.

इस सन्नाटे को तोड़ा अल्बर्ट की आवाज ने- “ब्लैक थंडर’ और ‘सुप्रीम’ की कहानी में बहुत सी चीज़े कॉमन हैं। जैसे उड़नतस्तरी का दिखना, भंवर का बनना, ब्लू व्हेल का दिखना, जहाज से यात्रियो का गायब होना, द्वीप पर भयानक मुसीबतों का सामना करना, हरे कीड़े का दिखना, देवी का मंदिर मिलना आदि। जबकि ब्लैक थंडर आज से 16 साल पहले इस द्वीप पर आया था और हम 16 साल बाद यहां आये हैं। इसका मतलब यहां जो भी घटनाएं घटती हैं यह सब किसी के द्वारा क्रिएट की जाती हैं।"

“प्रोफेसर।" ब्रेंडन ने कहा-
“जो भी हो, पर इस डायरी के माध्यम से हमें हमारे कई सवालो के जवाब मिल गये। जैसे ‘सुप्रीम’ के सामने भंवर कैसे बनी? जहाज से गायब हो रहे लोगो को हरे कीड़े ही ले जा रहे थे और शायद सुप्रीम को भी पानी के नीचे से ‘प्लिसियोसारस’ ने ही तोड़ा हो।"

“सही कहा ब्रेंडन.... ।" सुयश ने ब्रेंडन की बात का समर्थन किया।

“पर कैप्टन कुछ बातें और भी हैं, जो हमारे लिये आगे खतरा बन सकती हैं।" तौफीक ने कहा-
“जैसे प्लिसियोसारस और ड्रेगन टाइप के दैत्यआकार जीव भी हमारे आसपास हैं और यह जंगल भी भयानक जंगली जानवारों से भरा पड़ा है। अब रही बात इस द्वीप पर रहने वाले जंगली लोगो की तो वो भी किसी प्रकार से हमारे दोस्त की श्रेणी में नहीं आते।"

“इसका मतलब हम जिन जंगलियो को अपनी जिंदगी समझकर ढूंढ रहे हैं, वह हमारे लिये मौत भी साबित हो सकते हैं।" जॉनी ने डर से कांपते हुए कहा।

“कैप्टन... हमें हरे कीडो को भी नहीं भूलना चाहिये। जब वह 16 साल पहले इस द्वीप पर थे तो आज तो उनकी संख्या लाखों में भी हो सकती है।" क्रिस्टी ने अपने विचार व्यक्त किये।

“मेरे हिसाब से कैप्टन... हमें अब जंगल में भागने की जगह कोई एक सुरक्षित स्थान देखकर वहां अपना डेरा जमा लेना चाहिये। कम से कम कुछ दिन और जिंदा तो रहेंगे।" जैक ने कहा।

“देखिये आप सबके विचार अपनी जगह बिल्कुल सही हैं।" सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर इस कहानी में बहुत सी सकारात्मक चीज भी हैं। जैसे जंगल के लोगो ने किसी को मारा नहीं था और इस प्रकार की चमत्कारी देवी की पूजा करने वाले बेवकूफ नहीं हो सकते। हम उन्हें समझा सकते हैं और यह भी हो सकता है कि पिछले 16 साल में वह खुद भी सभ्य बन गये हो और सबसे बड़ी बात यह है कि इस जंगल में कोई तो ऐसा भाग है, जहां पर कोई खतरा नहीं है और वहां से हम भी उस्मान की तरह से इस द्वीप से निकल सकते हैं।"

सुयश की बात सभी को सही लगी। इसिलये अब किसी ने कोई सवाल नहीं किया और सभी आगे की ओर बढ़ गये।

चैपटर-11

अद्भुद्द तकनीक:

आज से 3 दिन पहले....(6 जनवरी 2002, रविवार, 16:30, सामरा राज्य, अराका)

युगाका त्रिकाली के साथ सामरा महल की छत पर टहल रहा था।

“देखो त्रिकाली ।" युगाका ने त्रिकाली को देखते हुए कहा- “तुम जानती हो कि अराका पर सामरा और सीनोर दोनों ही रहते हैं और हमारे बीच की प्रतिस्पर्द्धा, हज़ारों साल पहले ही दुश्मनी में परिवर्त्तित हो गयी थी। अब हम रहते तो एक ही द्वीप पर हैं, पर दोनों ही जातियों के लक्ष्य बिल्कुल अलग-अलग हैं।

जहां सीनोर जाति के लोग मकोटा के जाल में फंसकर, अपनी ताकत बढ़ाने के लिये, अंधेरी शक्ति के देवता जैगन को जगाने में लगे हैं। वहीं पर सामरा जाति के लोग तिलिस्मा को तोड़कर, देवी ‘क्लिटो’ को मुक्त कराकर, काला मोती से शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं। अब देवता पोसाईडन के श्राप के अनुसार कोई मनुष्य ही तिलिस्मा में प्रवेश कर उसे तोड़ सकता है।

तिलिस्मा को तोड़ने वाला मनुष्य मस्तिष्क से बहुत शक्तिशाली होगा। देवता पोसाईडन नहीं चाहते थे कि हर तुच्छ मानव तिलिस्मा में प्रवेश करे। इसिलये उन्होंने तिलिस्मा के पहले मायावन का निर्माण किया। तिलिस्मा का रास्ता मायावन से होकर जाता है। चूंकि तिलिस्मा मायावन से 100 गुना ज़्यादा खतरनाक है इसिलये तिलिस्मा में प्रवेश करने के पहले हर मनुष्य को मायावन की परीक्षा को पार करना आवश्यक है।

अब जो भी जहाज इस क्षेत्र में फंस कर आ जाता है, हमारी कोशिश उनके यात्रिओं को तिलिस्मा में भेजने की रहती है, जबकि सीनोर के लोग उसको मारकर उसकी लाश को अंधेरे के देवता जैगन को जगाने के लिये प्रयोग करते हैं।"

“भाई, फ़िर तो लुफासा का अब कुछ करना पड़ेगा?" त्रिकाली ने युगाका को देखते हुए कहा- “वह मकोटा के जाल में फंसकर लगातार लाशो को पिरामिड में भेज रहा है। यहां तक कि वह अपनी शक्तियों का भी खुलकर प्रदर्शन कर रहा है।
अगर वह ऐसे ही हरे कीडो के द्वारा लोगो को मारता रहा तो तिलिस्मा तक तो कोई पहुंच नहीं पायेगा और अगर तिलिस्मा नहीं टूटा तो ना तो देवी क्लिटो को कभी मुक्ति मिलेगी और ना ही हम कभी शक्तिशाली हो पायेंगे। तो भाई, फ़िर इससे पहले कि लुफासा ‘सुप्रीम’ के सारे लोगो को मारकर पिरामिड में भेजे, हमें उन सारे मनुष्यो को बचाकर मायावन तक लाना ही होगा।"

युगाका, त्रिकाली की बात सुनकर विचलित हो गया और छत पर इधर-उधर टहलने लगा।

“मैं जानता हूं त्रिकाली कि तुम क्या कहना चाहती हो, पर तुम जानती हो कि हम लुफासा जितने शक्तिशाली नहीं है और हम अभी लुफासा का सामना नहीं कर सकते। क्योंकि तुम्हारे पास केवल रूप बदलने की शक्ति है और मेरे पास रूप बदलने के अलावा केवल वृक्ष को नियंत्रण करने की शक्तियां हैं।

जबकि लुफासा के पास इच्छाधारी शक्ति है। वह इस शक्ति से किसी भी जानवर का रूप धारण कर सकता है। इसके अलावा हम देवी शलाका के द्वारा बनाए गये नियमों के हिसाब से युद्ध करते है, जबकि लुफासा किसी नियम को नहीं मानता। इसिलये हमें जब तक बाबा का आदेश नहीं मिल जाता, तब तक हम सीधे-सीधे लुफासा से युद्ध नहीं कर सकते और तुमने देखा कि कल हम रोजर और लॉरेन बन कर जहाज पर गये भी थे, पर क्या हम लोथार को वहां से ला पाये।

एक बार फ़िर लुफासा जीत गया। यहां तक कि मैं तो तौफीक की गोलियों से घायल भी हो गया था। ये तो कहो बाबा ने समय रहते मेरी जान बचा ली। नहीं तो मेरा तो अंत ही हो गया था। अब यह साफ हो गया है कि हम सुप्रीम के सारे लोगो को एक साथ मायावन नहीं ला सकते। इसिलये हमें लुफासा के अगले कदम का इंतजार करना पड़ेगा और उसके हिसाब से ही कोई प्लान करना पड़ेगा।"

लेकिन इससे पहले कि त्रिकाली कोई और जवाब दे पाती, युगाका को आसमान में कुछ काले बादल अराका द्वीप से निकलकर कहीं और जाते हुए दिखाई दिये।

“ये तो मकोटा के तिलिस्मी बादल है और इनका प्रयोग वो तभी करता है, जब उसे कुछ बड़ा करना होता है। कहीं वह सुप्रीम को डुबाकर सारे यात्रिओं को एक साथ मारने की तो नहीं सोच रहा? जरूर ऐसा ही है ... त्रिकाली... तुरंत मेरे साथ चलो।"
युगाका चीखकर बोला और तेजी से महल की छत पर बने एक कमरे की ओर भागा।

त्रिकाली भी उसके पीछे थी।

युगाका कमरे में प्रविष्ट हो गया। कमरा काफ़ी बड़ा था। कमरे में सबकुछ लकड़ी से ही बना हुआ था।
कमरे की दीवार और छत भी लकड़ी की ही थी। कमरे में बहुत से अजीब-अजीब तरह के लकड़ी के उड़ने वाले वाहन भी रखे थे।

उनमें से कुछ वाहन हेलीकाप्टर, कुछ ड्रोन की भांती के थे, फर्क केवल इतना था कि वह सब वाहन लकड़ी के बने थे और उनके ऊपर की ओर किसी पारदर्शी ऊर्जा की छत लगी थी।

युगाका और त्रिकाली एक वाहन में बैठ गये। वह वाहन छोटा, परंतु आकार में गोल एक ड्रोन की भांती था। जिसके ऊपर लकड़ी के 4 छोटे- छोटे पंखे लगे हुए थे।

वाहन के अंदर 2 आरामदायक सीट भी थी और बहुत से रंग- बिरंगे बटन भी लगे थे।

वाहन में बैठने के बाद युगाका ने कमरे के छत की ओर देखा। युगाका के देखते ही लकड़ी की छत सरक कर एक किनारे हो गयी।

युगाका ने लकड़ी के ड्रोन को एक दिशा की ओर इशारा किया और वह ड्रोन तेजी से उड़कर उस दिशा में चल दिया, जिधर वो काले बादल गये थे।

कुछ देर उड़ने के बाद उन्हें ‘सुप्रीम’ दिखना शुरु हो गया। वह काले बादल अभी सुप्रीम से कुछ दूरी पर थे।

“केमोफ्लाज।" युगाका ने ड्रोन के अंदर बैठे-बैठे ही बोला।

युगाका के यह बोलते ही ड्रोन का रंग आसमान के रंग से इस कदर मैच हो गया कि बहुत ध्यान से देखने पर ही अब ड्रोन दिख रहा था। एक तरीके से वह अदृश्य हो गया था।

तभी सुप्रीम को एक झटका लगा और वह मुड़ना शुरु हो गया।

बादल बहुत तेजी से सुप्रीम की ओर बढ़ने लगे।

अब तो घनघोर काले बादलों के बीच कड़कती हुई बिजली भी सभी को साफ दिख रही थी। बादल के गरजने का शोर भी थोड़ा-थोड़ा सुनाई देने लगा था।

काले बादलों ने अब सुप्रीम को किसी बूमरैंग की तरह घेरना शुरु कर दिया।

युगाका और त्रिकाली को अंधेरा हो जाने की वजह से अब आसमान से साफ दिखाई नहीं दे रहा था। इसिलये युगाका ने अपने लकड़ी के ड्रोन को सुप्रीम से थोड़ा दूर आकर पानी की लहरों पर उतार लिया।

ना जाने कौन सी तकनीक थी। अब ड्रोन का रंग पानी के रंग से मिलने लगा था।

पारदर्शी ऊर्जा के कारण हवा और बारिश की बूंदे ड्रोन के अंदर नहीं आ रही थी।

अब हवाएं भी बहुत तेज हो चुकी थी। समुद्र की लहर सैकडो फुट ऊपर उछल रही थी। रह-रहकर अजीब सी फ़्लैशलाइट बिखेरती बिजली बादलों में कड़क रही थी।

घने काले बादलों की वजह से चारों ओर घोर अंधकार हो गया था। अब जहाज तेजी से अराका द्वीप की ओर बढ़ने लगा।

बादल जहाज के काफ़ी पास आ गए थे। हवा में ऊंचे-ऊंचे उछलती समुद्र की लहरों से इतना भयानक शोर हो रहा था, मानो आज प्रलय निश्चित हो।

कुछ देर में सुप्रीम से नौकाओं को पानी में उतारा जाने लगा।

अराका अब शनैः-शनैः पास आता जा रहा था।

बादल अब जहाज के ऊपर तक आ गये थे। बिजली की तेज चमक व गड़गड़ाहट दूर तक सुनाई दे रही थी।
सुप्रीम लहरों का सामना नहीं कर पा रहा था। वह किसी कागज के जहाज की भांती लहरों पर डोल रहा था।

तभी युगाका की तेज निगाहों ने समुद्र की लहरों के बीच एक विशालकाय ऑक्टोपस को देखा।

“सावधान रहना त्रिकाली, लुफासा विशालकाय ऑक्टोपस का रूप लेकर आ चुका है। हमें अब पानी के नीचे जाना होगा।"

इतना कहकर युगाका ने ड्रोन में लगा नीले रंग का बटन दबा दिया। ड्रोन एक झटके से पानी के अंदर आ गया।

तभी ऑक्टोपस ने पानी के नीचे से अपनी विशालकाय भुजाओं से ‘सुप्रीम’ को पकड़ लिया।

सुप्रीम को एक तेज झटका लगा, पर वह ऑक्टोपस के हाथों से फिसल गया।

इस बार ऑक्टोपस ने अपनी सभी भुजाओं से सुप्रीम को जोर से पकड़ लिया। सुप्रीम को इस बार और तेज झटका लगा।

अब ऑक्टोपस ने अपने शरीर से एक गाढ़े काले रंग का द्रव्य सुप्रीम के प्रोपेलर के पास लगे कैमरे पर उगल दिया, जिससे सुप्रीम के क्रू सदस्यों को बाहर का दृश्य ना दिखाई दे।

हल्की-हल्की बूंदे भी गिरना शुरु हो गई थी । काले भयानक बादल पूरे जहाज के ऊपर छा गये थे।

बादल बहुत जोर से गरजकर पूरे आसमान को कंपाए दे रहे थे।

तभी आसमान से एक बिजली कड़क कर युगाका के ड्रोन के पास जा गिरी। युगाका का ड्रोन लहराया। युगाका बाल-बाल बचा था।

समुद्र की लहरों ने अब विकराल रूप ले लिया था।

तभी युगाका को पानी के अंदर उड़नतस्तरी आती हुई दिखाई दी।

उड़नतस्तरी पानी के काफ़ी नीचे चल रही थी इसिलये उसकी हलचल ऊपर महसूस नहीं हो रही थी।

इसी के साथ उडनतस्तरी से हजारों हरे कीडो ने निकलना शुरु कर दिया।

तभी युगाका को 2 गोताखोर पानी में आते दिखाई दिये, जो कि सुप्रीम के प्रोपेलर की ओर जा रहे थे।

कुछ हरे कीड़े यह देख उनकी ओर लपके और इससे पहले कि दोनों गोताखोर कुछ समझ पाते हरे कीडो ने उन दोनो को कई जगह पर काट लिया।

दोनो गोताखोरों की लाश पानी में तैरने लगी।

हरे कीडो को सब तरफ फैलते देख युगाका ने अपने ड्रोन को सुप्रीम से थोड़ा दूर कर लिया।

अब ऑक्टोपस ने सुप्रीम को पानी के अंदर खेंचना शुरु कर दिया था।

बहुत से लोग पानी पर तैरने की कोशिश कर रहे थे।

तभी युगाका को एक मोटरबोट सुप्रीम से दूर जाती हुई दिखाई दी। चूंकि हरे कीडो की वजह से युगाका सुप्रीम के पास कुछ नहीं कर पा रहा था। इसिलये वह मोटरबोट के पीछे-पीछे पानी के अंदर ही अंदर चल पड़ा।

अब जहाज टूटकर बड़ी तेजी से पानी में समाने लगा। मौत का ऐसा भयानक तांडव शायद ही किसी ने देखा हो।

बादल भी उनकी मौत पर जोर-जोर से चीख रहे थे।

कुछ ही क्षण में भयानक आवाज करता हुआ ‘सुप्रीम’ पानी के अंदर समा गया।

तभी एक भयानक धमाका समुद्र के अंदर हुआ। आग जहाज के ईंधन टैंक तक पहुंच गयी थी।

इस भयानक धमाके की वजह से ऑक्टोपस का शरीर चिथड़े-चिथड़े होकर पानी में बिखर गया।

लुफासा का एक रूप और मारा गया था।

“बहुत अच्छा!" युगाका यह देखकर खुशी से झूम उठा- “एक रूप और ख़तम हुआ लुफासा का।"

हरे कीड़े इस समय पानी के अंदर डूबे जहाज से लाशो खींचकर उड़नतस्तरी के अंदर ले जा रहे थे।

थोड़ी देर में मोटर बोट के लोग वापस वहां जाने लगे, जहां सुप्रीम डूबा था। शायद उन्हें किसी जिंदा व्यक्ती की तलाश थी।

युगाका थोड़ा सा दूरी बनाकर मोटरबोट पर नजर रख रहा था।

तभी मोटरबोट के लोगो ने बोट पर किसी को चढ़ाया, जो कि दूरी अधिक होने की कारण युगाका व त्रिकाली को दिखाई नहीं दिया।

हरे कीडो ने तब तक पानी के अंदर की सभी लाशो को उड़नतस्तरी के अंदर पहुंचा दिया था और अब वो सब लहरों पर तैर रही लाशो की ओर झपटे।

युगाका ने अपना ड्रोन उस मोटरबोट और हरे कीडो के बीच कर लिया।
यह देख हरे कीडो ने गुस्से में युगाका के ड्रोन पर हमला कर दिया।

“बेड़ा गर्क।" युगाका ने गुस्से से झल्लाकर कहा- “ये तो अब हमारे पीछे पड़ गये।"

युगाका के ड्रोन से इतने कीड़े चिपक गये, कि विंड-स्क्रीन से बाहर कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। युगाका के पास कोई ऐसा हथियार नहीं था, जिससे कि वह उन कीडो को मार सकता।

हरे कीडो ने अब ड्रोन को पानी में खींचना शुरु कर दिया।

“इससे पहले कि लुफासा फ़िर से रूप बदलकर आये या फ़िर ये हरे कीड़े हमें खींचकर उड़नतस्तरी तक ले जाएं, हमें अपने बचाव का कोई उपाय तो देखना ही पड़ेगा।" युगाका के चेहरे पर थोड़ी सी घबराहट नजर आने लगी।

यह देख त्रिकाली का हाथ गुस्से से हवा में लहराया।

इसी के साथ समुद्र का पानी आश्चर्यजनक रूप से नुकीले भालों में बदल गया और सारे हरे कीडो के शरीर में जाकर धंस गया। अब उनके ड्रोन पर एक भी हरा कीड़ा नहीं बचा था।

यह देख आसपास के सारे हरे कीड़े वहां से भाग खड़े हुए। युगाका और त्रिकाली भी इस घटना से हैरान हो गये।

“ये....ये....कैसे किया तुमने?" युगाका ने आश्चर्य से कहा।

“म....मुझे भी नहीं पता, मैंने तो बस गुस्से में ऐसे ही हाथ हिलाया था, पर यह पानी बर्फ़ कैसे बना, यह मुझे नहीं पता?" त्रिकाली ने उलझे-उलझे स्वर में कहा।

“लगता है कोई ना कोई शक्ति तुम्हारे अंदर भी है, पर इसका तुम्हें स्वयं ज्ञान नहीं है। बाबा से इसके बारे में पूछना पड़ेगा।" युगाका ने त्रिकाली की ओर देखते हुए कहा।

उधर मौके का फायदा उठाकर, वह मोटरबोट अराका तक पहुंच गयी थी।

तब तक हरे कीडो ने लहरों पर तैर रही बाकी बची लाशो को भी पानी में खींच लिया था।

अब वहां रूके रहने का कोई फायदा नहीं था। इसिलये युगाका और त्रिकाली भी वहां से अराका की ओर चल दिये।



जारी रहेगा_______✍️
Nice update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update. 2 alag prajatiya shakti paane ke liye apna kaam kar rahi hai ..ek taraf lufasa hai wahi dusri taraf yugaka aur trikali ..
Bilkul , kosish to dono hi paksh kar rahe hain lekin uddeshya dono ke alag alag hain :approve:
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Dhakad boy

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#91. (मेगा अपडेट)

डायरी का राज

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 13:30, मायावन, अराका द्वीप)


सुयश की नजर अब मोईन के काले बैग पर थी। सुयश ने ब्रेंडन से मोईन का बैग मांगा।

सुयश ने आसपास नजर दौड़ायी। सुयश को कुछ दूरी पर एक साफ क्षेत्र दिखाई दिया।

सुयश उधर आकर एक बड़े से पत्थर पर बैठ गया।

सभी लोग सुयश के चारो ओर बैठ गये। सभी के दिल में उस्मान अली की डायरी को लेकर उत्सुकता थी। वह जानना चाहते थे कि डायरी में आखर लिखा क्या है?

सुयश ने अब मोईन का काला बैग खोलकर, उसमें रखा सारा सामान वहीं पत्थर पर बिखेर दिया।

उस बैग में एक डायरी, एक पुराना नक्शा, एक छोटा सा गले में पहनने वाला लॉकेट व एक पेन रखा था।

सुयश ने पहले लॉकेट को उठा कर देखा। लॉकेट एक सुनहरी धातु की जंजीर से बना था, जिसके बीच
में एक काले रंग का गोल मोती लगा था।

“कैप्टन अंकल!" शैफाली ने कहा- “इस लॉकेट का मोती बिल्कुल वैसा ही है, जैसा कि देवी शलाका के हाथ में पकड़ा मोती था।"

सुयश ने धीरे से अपना सिर हिलाकर अपनी सहमित दी।

पता नहीं ऐसा उस मोती में क्या था कि जेनिथ लगातार उस मोती को देखे जा रही थी।

सुयश ने एक नजर लॉकेट को घूरते हुए जेनिथ पर डाली और कुछ सोच उसे जेनिथ की ओर बढ़ा दिया।

जेनिथ ने उस लॉकेट को सुयश के हाथ से ले लिया।

जेनिथ अभी भी बिल्कुल सम्मोहित तरीके से उस लॉकेट को देख रही थी।

अचानक वह लॉकेट आश्चर्यजनक तरीके से हवा में उछला और खुद बा खुद जेनिथ के गले में जाकर बंध गया।

यह घटना देख, सब आश्चर्य से कभी जेनिथ को तो कभी उसके गले में बंधे लॉकेट को देखने लगे।

जेनिथ भी अब सम्मोहन से बाहर आ गयी थी।

“यह क्या था प्रोफेसर?" सुयश ने आश्चर्य से अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा- “क्या यह लॉकेट चमत्कारी था? और अगर हां तो इसने जेनिथ को ही क्यों चुना?"

“देखिये कैप्टन। इस द्वीप पर बहुत अजीब-अजीब सी घटनाएं घट रही हैं।" अल्बर्ट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा-

“मुझे तो यह घटना भी उसी विचित्र घटना का हिस्सा लग रही है। जैसा कि शैफाली ने उन पत्थरों पर बनी विचित्र आकृतियों को देख कर कहा था कि हमारा इस द्वीप पर आना हमारी नियति थी। तो उस हिसाब से मुझे लगता है कि शायद हम सब किसी बड़ी चमत्कारिक घटना का हिस्सा हैं या बनने जा रहे हैं और हम स्वयं यहां नहीं आये हैं, बल्की हमें यहां लाया गया है। मोईन तो मात्र एक कारक था हमें यहां लाने के लिये।

अगर आप ध्यान से देखें तो धीरे-धीरे हम सभी के साथ कुछ ना कुछ चमत्कारिक घट रहा है। पहले शैफाली की शक्तियों का जागना, फ़िर कैप्टन के टैटू में शक्तियों का समा जाना और अब जेनिथ के साथ भी कुछ ऐसा ही चमत्कारिक होना। यह सब बातें यह बताती हैं कि शायद हमारे किसी जन्म की घटनाएं इस क्षेत्र से जुड़ी हैं। हमारा ‘सुप्रीम’ की दुर्घटना में जिंदा बचना एक इत्तेफाक नहीं है। केवल वही लोग जिंदा बचे हैं, जो किसी ना किसी रूप से इस द्वीप से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।"

“इसका मतलब मुझमें भी कुछ चमत्कारिक शक्तियां है?" जॉनी ने खुश होकर बोला।

“ऐसा जरूरी नहीं है।" जेनिथ ने जॉनी की ओर देखते हुए कहा-“कुछ लोग मर भी तो रहे हैं।"

जॉनी, जेनिथ का कटाक्ष समझ गया। उसने गुस्से से अपने दाँत पीसे, मगर जेनिथ को कोई जवाब नहीं दिया।

“तुम्हें इस लॉकेट को पहनने के बाद क्या महसूस हुआ जेनिथ?" क्रिस्टी ने जेनिथ की ओर देखते हुए पूछा।

“मैं इस लॉकेट को देखकर पहले सम्मोहित सी हो गयी थी।" जेनिथ ने लॉकेट के मोती को छूते हुए कहा-
“पर मुझे ऐसा नहीं लगा कि मेरा इस लॉकेट से कोई भी पुराना संबंध है? ना ही इसको पहनने के बाद मुझे कुछ भी अलग सा महसूस हुआ?"

“पर कैप्टन.... यह चमत्कारी लॉकेट मोईन के पास कहां से आया?" ब्रेंडन ने कहा।

अब सबका ध्यान फ़िर से काले बैग से निकले बाकी सामान पर गया।

अब सुयश ने वह पुराना नक्शा खोल लिया। नक्शे में कुछ पत्थर, पहाड़, नदियां, झरने और कुछ आड़ी-टेढ़ी रेखाएं बनी थी।

“इसको समझने में समय लगेगा।" सुयश ने नक्शे को वापस गोल लपेटते हुए कहा- “हमें पहले डायरी पर ध्यान देना होगा। उसमें जरूर कुछ काम की बातें होंगी।"

सुयश ने अब डायरी को उठा लिया।

पहला पन्ना खोलते ही उन्हें खूबसूरत अक्षरो में उस्मान अली लिखा हुआ दिखाई दिया।

आखिरकार सुयश ने तेज आवाज में डायरी पढ़ना शुरू कर दिया।

“मेरा नाम उस्मान अली है। मैं आपको एक ऐसे रहस्यमय द्वीप के बारे में बताने जा रहा हूं, जिसका अनुभव मैंने स्वयं किया है।

13 दिसंबर 1984 की ठंड भरी रात थी। मैं ‘ब्लैक-थंडर’ नामक पुर्तगाली जहाज से न्यूयॉर्क से प्यूट्रो-रिको जा रहा था। रात का समय था। मैं जहाज के डेक पर खड़ा अपनी दुनियां में कुछ सोच रहा था। तभी मुझे दूर कहीं आसमान में सिग्नल फ़्लेयर उड़ते दिखाई दिये। मैंने तुरंत डेक पर खड़े लोगो का ध्यान सिग्नल फ़्लेयर की ओर करवाया।

हमें लगा कि जरूर कोई दूसरा पानी का जहाज वहां मुसीबत मे है। मैंने तुरंत इस बात की सूचना एक गार्ड के माध्यम से अपने जहाज के कैप्टन को भिजवा दी। कुछ ही देर में कैप्टन सिहत बहुत सारे लोग डेक पर आ गये। सिग्नल फ़्लेयर अभी भी आसमान में फ़ेंके जा रहे थे। मैंने जहाज के कैप्टन को जहाज को उस दिशा में ले जाने को कहा।

पहले तो जहाज का कैप्टन जहाज को उस दिशा में मोड़ने को तैयार नहीं हुआ । पर बाद में यात्रियो की जिद्द के कारण कैप्टन को सभी की बात माननी पड़ी। ब्लैक थंडर सिग्नल फ़्लेयर की दिशा में आगे बढ़ गया। थोड़ी देर में सिग्नल फ़्लेयर दिखने बंद हो गये। हम अंदाजे से समुद्र में काफ़ी आगे तक आ गये, पर फ़िर भी हमें किसी भी शिप के डूबने का कोई निशान प्राप्त नहीं हुआ? तभी अचानक मौसम काफ़ी खराब हो गया और समुद्र की लहरें ऊंची-ऊची उठने लगी।

ब्लैक थंडर किसी तिनके की तरह समुद्र की लहरों पर डोल रहा था। तभी एक जोरदार झटके से शिप के सारे कन्ट्रोल खराब हो गये। अब ब्लैक थंडर रास्ता भटक चुका था। हमें वापसी के लिये कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था। तभी जाने कहां से एक विशालकाय ब्लू व्हेल मछली आ गयी और उसने शिप पर टक्कर मारना शुरू कर दिया।

ब्लू व्हेल से बचने के लिये कैप्टन ने ब्लैक थंडर को एक अंजान दिशा में मुड़वा दिया। ब्लू व्हेल से अब हमारा पीछा छूट चुका था। हम पुनः आगे बढ़े। अभी हम सब डेक पर ही थे कि तभी एक नीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी, आसमान से गोल-गोल नाचती हुई हमारे जहाज से कुछ आगे आकर पानी में गिरी।

जिस स्थान पर वह उड़नतस्तरी पानी में गिरी थी, उस स्थान पर समुद्र में एक विशालकाय भंवर बन गयी। भंवर की विशालता और उसकी तेज-गति देखकर कैप्टन ने ब्लैक थंडर को दूसरी दिशा में मोड़ लिया। कुछ आगे जाने पर ब्लैक थंडर अचानक समुद्र में अपने आप रुक गया। कैमरे द्वारा पानी के नीचे देखने पर हमें एक विशालकाय ‘प्लिसियोसारस’ (एक विलुप्तप्राय समुद्री डाइनोसोर) ब्लैक थंडर को पकड़े हुए दिखाई दिया।

कैप्टन ने प्लिसियोसारस पर तारपीडो से हमला कर दिया। प्लिसियोसारस ने डरकर शिप को छोड़ दिया और अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से शिप को घूरता हुआ समुद्र की गहराइयों में गायब हो गया।
ब्लैक थंडर को फ़िर से आगे बढ़ा लिया गया। उसी रात शिप पर सफर कर रहे 400 यात्रियो में से 275 यात्री शिप से अपने आप गायब हो गये।

बहुत ढूंढने पर भी उन यात्रियो का कुछ पता नहीं चला। शिप पर अब कुल 125 यात्री बचे थे। सुबह हमें एक द्वीप दिखाई दिया जो अजीब सी त्रिभुज जैसी आकृति वाला था। ब्लैक थंडर को उस द्वीप की ओर मोड़ लिया गया। हम द्वीप पर पहुंचने वाले ही थे कि तभी अचानक प्लिसियोसारस ने पुनः ब्लैक थंडर पर आक्रमण कर दिया।

इस बार का उसका आक्रमण बहुत खतरनाक था। उसने अपनी अजगर के समान विशालकाय पूंछ से पूरे ब्लैक थंडर को लपेट लिया। प्लिसियोसारस की ताकत के सामने ब्लैक थंडर कुछ भी नहीं था। आखिरकार उस समुद्री दानव ने ब्लैक थंडर को तोड़ डाला। शिप में सवार कुछ बचे यात्री पानी में छलांग लगाकर द्वीप की ओर बढ़ने लगे और अंततः कुल 28 यात्री उस द्वीप पर बचकर पहुंचने में सफल हो गये। उन्ही लोगो में मैं और मेरा दोस्त गिलफोर्ड भी था।

यहां से शुरू होता है उस रहस्यमय द्वीप का एक भयानक सफर। इस सफर में आती हैं खतरनाक मुसीबतें जैसे दलदल, जंगली गैंडा, गुरिल्ला, पागल हाथी, भयानक शेर, विशालकाय मच्छर, खतरनाक बीमारियां, जहरीली मकिड़यां, खूनी चमगादड़, तेजाबी बारिश और ना जाने कितनी ऐसी भयानक मुसीबतें, जिन्होने 24 यात्रियो को मौत के घाट उतार दिया।

बाकी बचे 4 लोग किसी तरह बचते-बचाते पहाड़ में शरण लेते हैं। इन बचे हुए 4 लोगो में मैं और गिलफोर्ड भी शामिल थे। तभी हम पर एक विशालकाय आग उगलने वाली ड्रैगन ने हमला बोल दिया। ड्रैगन से घबराकर मैं और गिलफोर्ड एक पहाड़ी गुफा में घुस गए। ड्रैगन ने एक बड़ी सी चट्टान लुढ़काकर गुफा का द्वार बंद कर दिया।

अब मेरे और गिलफोर्ड के बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद हो चुके थे। हम दोनो गुफा में बुरी तरह से फंस चुके थे। 2 घंटे बाद हमें ऐसा महसूस हुआ कि जैसे गुफा में कहीं से ताजी हवा आ रही है। हम दोनो अंदाजे से अंधेरे में टटोलते हुए गुफा के अंदर की ओर चल दिये।

काफ़ी देर तक चलने के बाद हमें दूर गुफा में कहीं रोशनी सी प्रतीत हुई। हम अंदाज से लड़खड़ाते हुए उस दिशा में चल दिये। कई जगह पर हम गुफा में पत्थरों से टकराये। हमें बहुत सी चोट आ गयी थी। लगभग एक घंटे तक उस अंधेरी गुफा में चलने के बाद हम उस रोशनी वाले स्थान तक पहुंच गये।

वह गुफा के दूसरी ओर का द्वार था। गुफा से निकलने पर हमने अपने आप को एक खूबसूरत घाटी में पाया। चारो तरफ पहाड़ो से घिरी यह घाटी देखने में काफ़ी सुंदर लग रही थी। कई जगह से पहाड़ो से पानी के झरने गिर रहे थे। हमने घाटी के अंदर जाने के लिये पहाड़ो से उतरना शुरु कर दिया। पहाड़ो से उतरने के बाद हम एक बाग में पहुंचे। बाग में सैकड़ो फलों से लदे पेड़ थे। हमने पेडों से फल तोड़कर खाये और झरने का पानी पीया।

हममें एक नयी ताकत का संचार हो चुका था। रात होने वाली थी इसिलये हम वहीं एक पेड़ पर
चढ़कर सो गये। सुबह कुछ अजीब सी आवाज सुनकर हम दोनों की नींद खुल गयी। हमें एक स्थान पर जमीन से निकलते हुए कुछ इंसान दिखाई दिये। जो उस स्थान पर मौजूद एक देवी की मूर्ति के आगे नाच गा रहे थे। रात में अंधेरा होने की वजह से हम स्थान पर मौजूद देवी की मूर्ति को नहीं देख पाये थे।

तभी पूरी घाटी में एक बहुत ही सुगंधित खुशबू फैल गयी। यह विचित्र सुगंध सूंघकर हम दोनो बेहोश हो गये। होश में आने पर हमने अपने आप को एक विशालकाय मंदिर में खंभे से बंधा हुआ पाया। मंदिर में एक विशालकाय देवी की मूर्ति थी, जिनके गले में एक लॉकेट चमक रहा था। देवी के पैरों के पास हीरे, जवाहरात, रत्न, आभूषण असंख्य मात्रा में बिखरे पड़े हुए थे।

उन रत्नो की चमक इतनी ज़्यादा तेज थी कि शुरु में वहां पर आँख खोलकर रख पाना भी मुश्किल लग रहा था। हमने किताबों में भी कभी इतने बड़े खजाने के बारे में नहीं सुन रखा था। तभी मेरी नजर देवी के पैरों के पास रखी एक लाल रंग की जिल्द वाली पुरानी सी किताब पर पड़ी। वह पुरानी किताब एक रत्न जड़ित थाली में रखी थी, जो उसके विशेष होने की कहानी कह रही थी।
हमारे आसपास कुछ जंगली कबीले के लोग अजीब से धारदार हथियार लेकर खड़े थे। हम हैरानी से कभी मूर्ति की सुंदरता तो कभी उस खजाने को निहार रहे थे। तभी उन जंगलियों में से एक ने हमें खंभे से खोलकर देवी के चरणों में झुकने का इशारा किया। मैंने और गिलफोर्ड दोनों ने देवी के चरणों में झुककर प्रणाम किया। मैंने झुककर प्रणाम करते समय धीरे से उन जंगलियों से नजर बचाकर एक छोटा सा हीरा अपने हाथ में छिपा लिया। अब वह जंगली, देवी की पूजा करने लगे।

तभी मंदिर के बाहर से कहीं से शोर की आवाज सुनाई दी। कई जंगली यह आवाज सुन बाहर की ओर भागे। यह देख उनमें से एक जंगली हमारे पास आया और फ़िर से हमारे हाथ उस खंभे के साथ बांध दिया। हमारे हाथ बांधने के बाद वह भी मंदिर से बाहर की ओर भाग गया। अब मंदिर में मैंऔर गिलफोर्ड ही अकेले बचे थे। यह देख मैंने अपने हाथ में थमें हीरे से अपनी हाथ में बंधी रस्सी को काटने लगा।

लगभग 10 मिनट के अथक परिश्रम के बाद मैंने अपने हाथ की रस्सी को काटकर स्वयं को आजाद करा लिया। फ़िर मैंने गिलफोर्ड के हाथ की रस्सी काटी, जिसमें ज़्यादा समय नहीं लगा। हम दोनो देवी की मूर्ति के पास पहुंचे। मेरी नजर देवी की मूर्ति के गले में पहने लॉकेट पर थी। मैं तेजी से उस मूर्ति के ऊपर चढ़ा और देवी के गले में पड़ा लॉकेट निकालकर अपनी जेब में रख लिया। गिलफोर्ड ने वह लाल जिल्द वाली पौराणिक किताब उठा ली।

अब हम दोनों सावधानी से मंदिर के बाहर निकले। बाहर हमें कुछ हरे कीड़े उन जंगलियों को दौड़ाते हुए नजर आये। ऐसे मेढक जैसे विचित्र कीड़े हमने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे। हम दोनों सबकी नजर बचाकर जंगल की ओर भाग गये। काफ़ी दूर आने के बाद हमने राहत की साँस ली। शाम फ़िर से गहराने लगी थी, इसिलये हमने पेडों के फल खाकर गुजारा कर लिया। हम दोनों वहीं पेड़ के नीचे एक साफ सुथरी जगह देखकर वहीं सो गये।

रात में अजीब सी ढम-ढम की आवाज सुनकर हमारी नींद खुल गयी। हम समझ गये कि जंगली रात के अंधेरे में हमें ढूंढ रहे हैं और वह आस-पास ही हैं। गिलफोर्ड तुरंत लाल किताब को कमर में फंसाकर वहीं एक पेड़ पर चढ़ गया। चूंकि पेड़ सपाट था और मैं इतनी तेजी से पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। इसिलये मैं वहां से पहाडों की ओर भाग गया।

इस तरह हम दोनों दोस्त अलग-अलग हो गये। मैंने भागकर एक पहाड़ी गुफा में शरण ली। मुझे नहीं पता चला कि उसके बाद गिलफोर्ड का क्या हुआ? गुफा में अंधेरा होने की वजह से हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहा था। अगर कुछ चमक रहा था तो वह था मेरे गले में पड़ा देवी का लॉकेट। तभी मेरी नजर अंधेरे में गुफा के अंदर चमक रहे 2 जुगनुओं पर पड़ी, जो धीरे-धीरे मेरे पास आ रहे थे।

पास आने पर मैं समझ गया कि वह जुगनू नहीं बाल्की किसी जानवर की आँखें हैं। किसी विशालकाय जानवर का अहसास होते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। धीरे-धीरे वह विशालकाय आकृति मेरे बिल्कुल समीप आ गयी। उधर गुफा के बाहर से जंगलियों की आवाज आने के कारण मैं गुफा से बाहर भी नहीं जा सकता था।

अब उस विशालकाय जानवर की साँसे भी मुझे अपने शरीर पर महसूस होने लगी थी। धीरे-धीरे आती गुर्र-गुर्र की आवाज से मुझे ये अहसास हो गया कि वह एक पहाड़ी जंगली भालू था। भालू बेहद पास आ गया था और मेरे गले में पड़े उस चमकते लॉकेट को देख रहा था। तभी उस लॉकेट की चमक एकाएक बढ़ सी गयी। भालू हैरान होकर दो कदम पीछे हो गया। मेरे लिये यह बहुत अच्छा मौका था, मैंने अपनी पूरी ताकत से गुफा के अंदर की ओर दौड़ लगा दी।

लॉकेट से निकली रोशनी मेरा मार्गदर्शन कर रही थी। मैं भागते-भागते थककर चूर हो गया, परंतु उस गुफा का दूसरा सिरा मुझे नहीं मिला। गनीमत यही थी कि पता नहीं कहां से मुझे ऑक्सीजन मिल रही थी। कुछ देर आराम करने के बाद मैं पुनः आगे की ओर चल दिया। घड़ी पास में ना होने की वजह से मुझे समय का अहसास नहीं हो पा रहा था।

जाने कितने घंटे मैं इसी तरह से चलता रहा। प्यास, भूख और थकान से मैं पूरी तरह से थककर चूर हो गया था। अंततः बहुत दूर मुझे एक रोशनी सी दिखाई दी। रोशनी देख मुझ में नयी ताकत का संचार हो गया।

वैसे मेरे शरीर में जान तो नहीं बची थी, फिर भी मैं रोशनी को देख आगे बढ़ता रहा। आखिरकार मैं गुफा के मुहाने तक पहुंच गया। वह शायद द्वीप का कोई दूसरा किनारा था क्योंकी समुद्र अब मेरे सामने था। सबसे पहले मैंने वहां लगे पेडों से पेट भरकर फल खाये और एक तालाब का पानी पीया।

फ़िर वहीं एक पेड़ पर चढ़कर सो गया। थकान और पेट भर जाने के कारण मैं कितनी देर तक सोता रहा, मुझे नहीं पता चला। जब मैं जागा तो सूर्य निकल रहा था। शायद मैं 24 घंटे तक सोया था। लेकिन मैं अब अपने आप को काफ़ी ताज़ा महसूस कर रहा था। अब मुझे यहां से निकलने के बारे में सोचना था।

पर कैसे...? बिना बोट के मैं समुद्र में ज़्यादा दूर तक जा भी नहीं सकता था। पर यहां बोट कहां से मिलती? धीरे-धीरे उस जगह पर रहते हुए मुझे कई दिन बीत गये, पर मुझे उस द्वीप से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला। भला यही था कि द्वीप के उस किनारे पर किसी भी प्रकार की मुसीबत नहीं थी। मैं रोज पेड़ के फल खाता और तालाब का पानी पी रहा था।

मैं उस द्वीप की जिंदगी से बोर होने लगा। एक दिन मैंने एक बोट बनाने का सोचा। फिर क्या था मैंने वहां लगे बांस के पेडों से कुछ बांस तोड़ लिये और जंगली बेल व पेड़ की जडों से सबको आपस में बांध लिया। इसी तरह मैंने 2 लकड़ी के चप्पू बना लिये। अब मैं लकड़ी के उस बेड़े पर बैठकर समुद्र में कुछ दूर तक जाने लगा। अब मैं नुकिले काँटो को छोटी-छोटी लकडिय़ों में पिरो कर उसे तीर और भाले का रूप देने लगा और मछलिय़ों का शिकार करने लगा।

मछलिय़ों को कच्चा खाना मेरे लिये बहुत मुश्किल था, पर मुझे आग जलाना अभी आया नहीं था। इसिलये कच्ची मछलिय़ों से ही काम चलाना पड़ रहा था। कुछ दिन और बीत गये। अब मेरी बोट भी थोड़ी और बड़ी हो गयी थी। मैंने कुछ जडों को पेड़ की छाल से बांधकर 10-12 टोकरियां भी बना ली। अब मैं समुद्र में खाना भी लेकर जाने को तैयार था। अब परेशानी केवल पानी की रह गयी थी। क्यों कि समुद्र में ज़्यादा से ज़्यादा दिन जिंदा रहने के लिये पानी का होना सबसे ज़्यादा जरुरी था।

फिलहाल इसका मेरे पास कोई उपाय नहीं था। फिर दिन बीतने लगे। मुझे द्वीप के उस किनारे पर रहते हुए 55 दिन बीत गये। आखिरकार एक दिन मुझे पत्थरों से आग जलाना भी आ गया। फिर तो मुझे मजा ही आ गया। अब मैं मछलिय़ों को पकड़ कर उन्हें पका कर भी खाने लगा।

जब 2 दिन और बीत गये तो अचानक से मेरे दिमाग में मिट्टी के घड़े बनाने का प्लान आया। मैंने 1 दिन के अंदर 20 बड़े-बड़े मटके बना लिये और उन्हें आग में पकाकर पक्का भी कर लिया। अब समुद्र में पानी की समस्या भी ख़त्म हो गयी थी। अब फाइनली मैंने इस द्वीप से निजात पाने का सोचा। अब मैंने कुछ और बांस तोड़कर अपने बेड़े को बड़ा बनाया। फिर 12 टोकरियां में खाने के फल और 20 मटको में तालाब का साफ पानी भरके उन सबको पेड़ की जडों से अच्छी तरह से बांधकर निकल पड़ा उस विशालकाय समुद्र में एक अंतहीन सफर पर।

धीरे-धीरे समुद्र में दिन बीतने लगे। शार्क, बड़ी मछिलयां और तूफान, ना जाने कितनी ऐसी मुसीबतो का सामना करते हुए मुझे 25 दिन बीत गये। मेरे पास अब सारा खाना ख़त्म हो गया था। पानी भी केवल एक मटकी में ही बचा था। 2 दिन बाद वो भी ख़त्म हो गया। 2 दिन के बाद मेरे शरीर में इतनी भी जान नहीं बची थी कि मैं उठकर खड़ा भी हो सकूं।

आख़िर मैं बेहोश होकर अपने बेड़े पर गिर गया। मुझे जब होश आया तो मैंने अपने आपको अंजान जहाज पर पाया। उस जहाज के लोगो को रात के अंधेरे में मेरे गले में पड़े लॉकेट की रोशनी दिखाई दी थी। जिसके बाद उन्होंने मुझे जहाज पर खींच लिया था। उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछा, पर मैंने पागल होने का नाटक कर उन्हें कुछ नहीं बताया।

जहाज वालों ने अमेरिका पहुंचकर मुझे पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने मेरा फोटो समाचार पत्र में प्रकाशित करवा दिया।
इस तरह मेरे घरवाले मुझे वहां लेने आ पहुंचे। जब पुलिस को यह पता चला कि मैं ब्लैक थंडर पर था, तो उन्होंने मुझसे जहाज के बारे में पूछने की बहुत किशिश की, पर मैं पहले के समान ही पागलो की तरह एक्टिंग करता रहा और मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।

धीरे-धीरे समय बीतता गया। मैंने अपने पूरे सफर को कलमबध्द कर अपनी डायरी में लिख लिया। उसके बाद मैंने अपनी याद के सहारे उस द्वीप का एक नक्शा भी बनाया। मेरा लड़का मोईन अभी छोटा है। मैंने यह सोच रखा है कि जब वह बड़ा हो जायेगा तो मैं ये सारी चीज़े उसके सुपुर्द कर दूंगा।"

इतना पढ़कर सुयश शांत हो गया और बारी-बारी सबका चेहरा देखने लगा। कुछ देर के लिये वहां पर एक सन्नाटा सा छा गया।



जारी रहेगा________✍️
Bhut hi jabardast update
To vo locket kud hi udakar jenith ke pass chala gaya jrur isme bhi koi rahasya hoga jo aage ujagar hoga

Vahi usman ali ki diary padne ke baad pata chala ki black thunder jahaj ne bh supreme ki hi tarah sab kuch jhela tha or kuch hi log us island tak pahuch paye the or usman akela hi vapas lot pane me safal huva tha
Vahi usman ke dost gilford ke sath kya huva hoga
Kya use kabile ke logo ne maar diya hoga ya vah aaj bhi island par jinda hoga
 
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Dhakad boy

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#92.

इस सन्नाटे को तोड़ा अल्बर्ट की आवाज ने- “ब्लैक थंडर’ और ‘सुप्रीम’ की कहानी में बहुत सी चीज़े कॉमन हैं। जैसे उड़नतस्तरी का दिखना, भंवर का बनना, ब्लू व्हेल का दिखना, जहाज से यात्रियो का गायब होना, द्वीप पर भयानक मुसीबतों का सामना करना, हरे कीड़े का दिखना, देवी का मंदिर मिलना आदि। जबकि ब्लैक थंडर आज से 16 साल पहले इस द्वीप पर आया था और हम 16 साल बाद यहां आये हैं। इसका मतलब यहां जो भी घटनाएं घटती हैं यह सब किसी के द्वारा क्रिएट की जाती हैं।"

“प्रोफेसर।" ब्रेंडन ने कहा-
“जो भी हो, पर इस डायरी के माध्यम से हमें हमारे कई सवालो के जवाब मिल गये। जैसे ‘सुप्रीम’ के सामने भंवर कैसे बनी? जहाज से गायब हो रहे लोगो को हरे कीड़े ही ले जा रहे थे और शायद सुप्रीम को भी पानी के नीचे से ‘प्लिसियोसारस’ ने ही तोड़ा हो।"

“सही कहा ब्रेंडन.... ।" सुयश ने ब्रेंडन की बात का समर्थन किया।

“पर कैप्टन कुछ बातें और भी हैं, जो हमारे लिये आगे खतरा बन सकती हैं।" तौफीक ने कहा-
“जैसे प्लिसियोसारस और ड्रेगन टाइप के दैत्यआकार जीव भी हमारे आसपास हैं और यह जंगल भी भयानक जंगली जानवारों से भरा पड़ा है। अब रही बात इस द्वीप पर रहने वाले जंगली लोगो की तो वो भी किसी प्रकार से हमारे दोस्त की श्रेणी में नहीं आते।"

“इसका मतलब हम जिन जंगलियो को अपनी जिंदगी समझकर ढूंढ रहे हैं, वह हमारे लिये मौत भी साबित हो सकते हैं।" जॉनी ने डर से कांपते हुए कहा।

“कैप्टन... हमें हरे कीडो को भी नहीं भूलना चाहिये। जब वह 16 साल पहले इस द्वीप पर थे तो आज तो उनकी संख्या लाखों में भी हो सकती है।" क्रिस्टी ने अपने विचार व्यक्त किये।

“मेरे हिसाब से कैप्टन... हमें अब जंगल में भागने की जगह कोई एक सुरक्षित स्थान देखकर वहां अपना डेरा जमा लेना चाहिये। कम से कम कुछ दिन और जिंदा तो रहेंगे।" जैक ने कहा।

“देखिये आप सबके विचार अपनी जगह बिल्कुल सही हैं।" सुयश ने सबको समझाते हुए कहा- “पर इस कहानी में बहुत सी सकारात्मक चीज भी हैं। जैसे जंगल के लोगो ने किसी को मारा नहीं था और इस प्रकार की चमत्कारी देवी की पूजा करने वाले बेवकूफ नहीं हो सकते। हम उन्हें समझा सकते हैं और यह भी हो सकता है कि पिछले 16 साल में वह खुद भी सभ्य बन गये हो और सबसे बड़ी बात यह है कि इस जंगल में कोई तो ऐसा भाग है, जहां पर कोई खतरा नहीं है और वहां से हम भी उस्मान की तरह से इस द्वीप से निकल सकते हैं।"

सुयश की बात सभी को सही लगी। इसिलये अब किसी ने कोई सवाल नहीं किया और सभी आगे की ओर बढ़ गये।

चैपटर-11

अद्भुद्द तकनीक:

आज से 3 दिन पहले....(6 जनवरी 2002, रविवार, 16:30, सामरा राज्य, अराका)

युगाका त्रिकाली के साथ सामरा महल की छत पर टहल रहा था।

“देखो त्रिकाली ।" युगाका ने त्रिकाली को देखते हुए कहा- “तुम जानती हो कि अराका पर सामरा और सीनोर दोनों ही रहते हैं और हमारे बीच की प्रतिस्पर्द्धा, हज़ारों साल पहले ही दुश्मनी में परिवर्त्तित हो गयी थी। अब हम रहते तो एक ही द्वीप पर हैं, पर दोनों ही जातियों के लक्ष्य बिल्कुल अलग-अलग हैं।

जहां सीनोर जाति के लोग मकोटा के जाल में फंसकर, अपनी ताकत बढ़ाने के लिये, अंधेरी शक्ति के देवता जैगन को जगाने में लगे हैं। वहीं पर सामरा जाति के लोग तिलिस्मा को तोड़कर, देवी ‘क्लिटो’ को मुक्त कराकर, काला मोती से शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं। अब देवता पोसाईडन के श्राप के अनुसार कोई मनुष्य ही तिलिस्मा में प्रवेश कर उसे तोड़ सकता है।

तिलिस्मा को तोड़ने वाला मनुष्य मस्तिष्क से बहुत शक्तिशाली होगा। देवता पोसाईडन नहीं चाहते थे कि हर तुच्छ मानव तिलिस्मा में प्रवेश करे। इसिलये उन्होंने तिलिस्मा के पहले मायावन का निर्माण किया। तिलिस्मा का रास्ता मायावन से होकर जाता है। चूंकि तिलिस्मा मायावन से 100 गुना ज़्यादा खतरनाक है इसिलये तिलिस्मा में प्रवेश करने के पहले हर मनुष्य को मायावन की परीक्षा को पार करना आवश्यक है।

अब जो भी जहाज इस क्षेत्र में फंस कर आ जाता है, हमारी कोशिश उनके यात्रिओं को तिलिस्मा में भेजने की रहती है, जबकि सीनोर के लोग उसको मारकर उसकी लाश को अंधेरे के देवता जैगन को जगाने के लिये प्रयोग करते हैं।"

“भाई, फ़िर तो लुफासा का अब कुछ करना पड़ेगा?" त्रिकाली ने युगाका को देखते हुए कहा- “वह मकोटा के जाल में फंसकर लगातार लाशो को पिरामिड में भेज रहा है। यहां तक कि वह अपनी शक्तियों का भी खुलकर प्रदर्शन कर रहा है।
अगर वह ऐसे ही हरे कीडो के द्वारा लोगो को मारता रहा तो तिलिस्मा तक तो कोई पहुंच नहीं पायेगा और अगर तिलिस्मा नहीं टूटा तो ना तो देवी क्लिटो को कभी मुक्ति मिलेगी और ना ही हम कभी शक्तिशाली हो पायेंगे। तो भाई, फ़िर इससे पहले कि लुफासा ‘सुप्रीम’ के सारे लोगो को मारकर पिरामिड में भेजे, हमें उन सारे मनुष्यो को बचाकर मायावन तक लाना ही होगा।"

युगाका, त्रिकाली की बात सुनकर विचलित हो गया और छत पर इधर-उधर टहलने लगा।

“मैं जानता हूं त्रिकाली कि तुम क्या कहना चाहती हो, पर तुम जानती हो कि हम लुफासा जितने शक्तिशाली नहीं है और हम अभी लुफासा का सामना नहीं कर सकते। क्योंकि तुम्हारे पास केवल रूप बदलने की शक्ति है और मेरे पास रूप बदलने के अलावा केवल वृक्ष को नियंत्रण करने की शक्तियां हैं।

जबकि लुफासा के पास इच्छाधारी शक्ति है। वह इस शक्ति से किसी भी जानवर का रूप धारण कर सकता है। इसके अलावा हम देवी शलाका के द्वारा बनाए गये नियमों के हिसाब से युद्ध करते है, जबकि लुफासा किसी नियम को नहीं मानता। इसिलये हमें जब तक बाबा का आदेश नहीं मिल जाता, तब तक हम सीधे-सीधे लुफासा से युद्ध नहीं कर सकते और तुमने देखा कि कल हम रोजर और लॉरेन बन कर जहाज पर गये भी थे, पर क्या हम लोथार को वहां से ला पाये।

एक बार फ़िर लुफासा जीत गया। यहां तक कि मैं तो तौफीक की गोलियों से घायल भी हो गया था। ये तो कहो बाबा ने समय रहते मेरी जान बचा ली। नहीं तो मेरा तो अंत ही हो गया था। अब यह साफ हो गया है कि हम सुप्रीम के सारे लोगो को एक साथ मायावन नहीं ला सकते। इसिलये हमें लुफासा के अगले कदम का इंतजार करना पड़ेगा और उसके हिसाब से ही कोई प्लान करना पड़ेगा।"

लेकिन इससे पहले कि त्रिकाली कोई और जवाब दे पाती, युगाका को आसमान में कुछ काले बादल अराका द्वीप से निकलकर कहीं और जाते हुए दिखाई दिये।

“ये तो मकोटा के तिलिस्मी बादल है और इनका प्रयोग वो तभी करता है, जब उसे कुछ बड़ा करना होता है। कहीं वह सुप्रीम को डुबाकर सारे यात्रिओं को एक साथ मारने की तो नहीं सोच रहा? जरूर ऐसा ही है ... त्रिकाली... तुरंत मेरे साथ चलो।"
युगाका चीखकर बोला और तेजी से महल की छत पर बने एक कमरे की ओर भागा।

त्रिकाली भी उसके पीछे थी।

युगाका कमरे में प्रविष्ट हो गया। कमरा काफ़ी बड़ा था। कमरे में सबकुछ लकड़ी से ही बना हुआ था।
कमरे की दीवार और छत भी लकड़ी की ही थी। कमरे में बहुत से अजीब-अजीब तरह के लकड़ी के उड़ने वाले वाहन भी रखे थे।

उनमें से कुछ वाहन हेलीकाप्टर, कुछ ड्रोन की भांती के थे, फर्क केवल इतना था कि वह सब वाहन लकड़ी के बने थे और उनके ऊपर की ओर किसी पारदर्शी ऊर्जा की छत लगी थी।

युगाका और त्रिकाली एक वाहन में बैठ गये। वह वाहन छोटा, परंतु आकार में गोल एक ड्रोन की भांती था। जिसके ऊपर लकड़ी के 4 छोटे- छोटे पंखे लगे हुए थे।

वाहन के अंदर 2 आरामदायक सीट भी थी और बहुत से रंग- बिरंगे बटन भी लगे थे।

वाहन में बैठने के बाद युगाका ने कमरे के छत की ओर देखा। युगाका के देखते ही लकड़ी की छत सरक कर एक किनारे हो गयी।

युगाका ने लकड़ी के ड्रोन को एक दिशा की ओर इशारा किया और वह ड्रोन तेजी से उड़कर उस दिशा में चल दिया, जिधर वो काले बादल गये थे।

कुछ देर उड़ने के बाद उन्हें ‘सुप्रीम’ दिखना शुरु हो गया। वह काले बादल अभी सुप्रीम से कुछ दूरी पर थे।

“केमोफ्लाज।" युगाका ने ड्रोन के अंदर बैठे-बैठे ही बोला।

युगाका के यह बोलते ही ड्रोन का रंग आसमान के रंग से इस कदर मैच हो गया कि बहुत ध्यान से देखने पर ही अब ड्रोन दिख रहा था। एक तरीके से वह अदृश्य हो गया था।

तभी सुप्रीम को एक झटका लगा और वह मुड़ना शुरु हो गया।

बादल बहुत तेजी से सुप्रीम की ओर बढ़ने लगे।

अब तो घनघोर काले बादलों के बीच कड़कती हुई बिजली भी सभी को साफ दिख रही थी। बादल के गरजने का शोर भी थोड़ा-थोड़ा सुनाई देने लगा था।

काले बादलों ने अब सुप्रीम को किसी बूमरैंग की तरह घेरना शुरु कर दिया।

युगाका और त्रिकाली को अंधेरा हो जाने की वजह से अब आसमान से साफ दिखाई नहीं दे रहा था। इसिलये युगाका ने अपने लकड़ी के ड्रोन को सुप्रीम से थोड़ा दूर आकर पानी की लहरों पर उतार लिया।

ना जाने कौन सी तकनीक थी। अब ड्रोन का रंग पानी के रंग से मिलने लगा था।

पारदर्शी ऊर्जा के कारण हवा और बारिश की बूंदे ड्रोन के अंदर नहीं आ रही थी।

अब हवाएं भी बहुत तेज हो चुकी थी। समुद्र की लहर सैकडो फुट ऊपर उछल रही थी। रह-रहकर अजीब सी फ़्लैशलाइट बिखेरती बिजली बादलों में कड़क रही थी।

घने काले बादलों की वजह से चारों ओर घोर अंधकार हो गया था। अब जहाज तेजी से अराका द्वीप की ओर बढ़ने लगा।

बादल जहाज के काफ़ी पास आ गए थे। हवा में ऊंचे-ऊंचे उछलती समुद्र की लहरों से इतना भयानक शोर हो रहा था, मानो आज प्रलय निश्चित हो।

कुछ देर में सुप्रीम से नौकाओं को पानी में उतारा जाने लगा।

अराका अब शनैः-शनैः पास आता जा रहा था।

बादल अब जहाज के ऊपर तक आ गये थे। बिजली की तेज चमक व गड़गड़ाहट दूर तक सुनाई दे रही थी।
सुप्रीम लहरों का सामना नहीं कर पा रहा था। वह किसी कागज के जहाज की भांती लहरों पर डोल रहा था।

तभी युगाका की तेज निगाहों ने समुद्र की लहरों के बीच एक विशालकाय ऑक्टोपस को देखा।

“सावधान रहना त्रिकाली, लुफासा विशालकाय ऑक्टोपस का रूप लेकर आ चुका है। हमें अब पानी के नीचे जाना होगा।"

इतना कहकर युगाका ने ड्रोन में लगा नीले रंग का बटन दबा दिया। ड्रोन एक झटके से पानी के अंदर आ गया।

तभी ऑक्टोपस ने पानी के नीचे से अपनी विशालकाय भुजाओं से ‘सुप्रीम’ को पकड़ लिया।

सुप्रीम को एक तेज झटका लगा, पर वह ऑक्टोपस के हाथों से फिसल गया।

इस बार ऑक्टोपस ने अपनी सभी भुजाओं से सुप्रीम को जोर से पकड़ लिया। सुप्रीम को इस बार और तेज झटका लगा।

अब ऑक्टोपस ने अपने शरीर से एक गाढ़े काले रंग का द्रव्य सुप्रीम के प्रोपेलर के पास लगे कैमरे पर उगल दिया, जिससे सुप्रीम के क्रू सदस्यों को बाहर का दृश्य ना दिखाई दे।

हल्की-हल्की बूंदे भी गिरना शुरु हो गई थी । काले भयानक बादल पूरे जहाज के ऊपर छा गये थे।

बादल बहुत जोर से गरजकर पूरे आसमान को कंपाए दे रहे थे।

तभी आसमान से एक बिजली कड़क कर युगाका के ड्रोन के पास जा गिरी। युगाका का ड्रोन लहराया। युगाका बाल-बाल बचा था।

समुद्र की लहरों ने अब विकराल रूप ले लिया था।

तभी युगाका को पानी के अंदर उड़नतस्तरी आती हुई दिखाई दी।

उड़नतस्तरी पानी के काफ़ी नीचे चल रही थी इसिलये उसकी हलचल ऊपर महसूस नहीं हो रही थी।

इसी के साथ उडनतस्तरी से हजारों हरे कीडो ने निकलना शुरु कर दिया।

तभी युगाका को 2 गोताखोर पानी में आते दिखाई दिये, जो कि सुप्रीम के प्रोपेलर की ओर जा रहे थे।

कुछ हरे कीड़े यह देख उनकी ओर लपके और इससे पहले कि दोनों गोताखोर कुछ समझ पाते हरे कीडो ने उन दोनो को कई जगह पर काट लिया।

दोनो गोताखोरों की लाश पानी में तैरने लगी।

हरे कीडो को सब तरफ फैलते देख युगाका ने अपने ड्रोन को सुप्रीम से थोड़ा दूर कर लिया।

अब ऑक्टोपस ने सुप्रीम को पानी के अंदर खेंचना शुरु कर दिया था।

बहुत से लोग पानी पर तैरने की कोशिश कर रहे थे।

तभी युगाका को एक मोटरबोट सुप्रीम से दूर जाती हुई दिखाई दी। चूंकि हरे कीडो की वजह से युगाका सुप्रीम के पास कुछ नहीं कर पा रहा था। इसिलये वह मोटरबोट के पीछे-पीछे पानी के अंदर ही अंदर चल पड़ा।

अब जहाज टूटकर बड़ी तेजी से पानी में समाने लगा। मौत का ऐसा भयानक तांडव शायद ही किसी ने देखा हो।

बादल भी उनकी मौत पर जोर-जोर से चीख रहे थे।

कुछ ही क्षण में भयानक आवाज करता हुआ ‘सुप्रीम’ पानी के अंदर समा गया।

तभी एक भयानक धमाका समुद्र के अंदर हुआ। आग जहाज के ईंधन टैंक तक पहुंच गयी थी।

इस भयानक धमाके की वजह से ऑक्टोपस का शरीर चिथड़े-चिथड़े होकर पानी में बिखर गया।

लुफासा का एक रूप और मारा गया था।

“बहुत अच्छा!" युगाका यह देखकर खुशी से झूम उठा- “एक रूप और ख़तम हुआ लुफासा का।"

हरे कीड़े इस समय पानी के अंदर डूबे जहाज से लाशो खींचकर उड़नतस्तरी के अंदर ले जा रहे थे।

थोड़ी देर में मोटर बोट के लोग वापस वहां जाने लगे, जहां सुप्रीम डूबा था। शायद उन्हें किसी जिंदा व्यक्ती की तलाश थी।

युगाका थोड़ा सा दूरी बनाकर मोटरबोट पर नजर रख रहा था।

तभी मोटरबोट के लोगो ने बोट पर किसी को चढ़ाया, जो कि दूरी अधिक होने की कारण युगाका व त्रिकाली को दिखाई नहीं दिया।

हरे कीडो ने तब तक पानी के अंदर की सभी लाशो को उड़नतस्तरी के अंदर पहुंचा दिया था और अब वो सब लहरों पर तैर रही लाशो की ओर झपटे।

युगाका ने अपना ड्रोन उस मोटरबोट और हरे कीडो के बीच कर लिया।
यह देख हरे कीडो ने गुस्से में युगाका के ड्रोन पर हमला कर दिया।

“बेड़ा गर्क।" युगाका ने गुस्से से झल्लाकर कहा- “ये तो अब हमारे पीछे पड़ गये।"

युगाका के ड्रोन से इतने कीड़े चिपक गये, कि विंड-स्क्रीन से बाहर कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। युगाका के पास कोई ऐसा हथियार नहीं था, जिससे कि वह उन कीडो को मार सकता।

हरे कीडो ने अब ड्रोन को पानी में खींचना शुरु कर दिया।

“इससे पहले कि लुफासा फ़िर से रूप बदलकर आये या फ़िर ये हरे कीड़े हमें खींचकर उड़नतस्तरी तक ले जाएं, हमें अपने बचाव का कोई उपाय तो देखना ही पड़ेगा।" युगाका के चेहरे पर थोड़ी सी घबराहट नजर आने लगी।

यह देख त्रिकाली का हाथ गुस्से से हवा में लहराया।

इसी के साथ समुद्र का पानी आश्चर्यजनक रूप से नुकीले भालों में बदल गया और सारे हरे कीडो के शरीर में जाकर धंस गया। अब उनके ड्रोन पर एक भी हरा कीड़ा नहीं बचा था।

यह देख आसपास के सारे हरे कीड़े वहां से भाग खड़े हुए। युगाका और त्रिकाली भी इस घटना से हैरान हो गये।

“ये....ये....कैसे किया तुमने?" युगाका ने आश्चर्य से कहा।

“म....मुझे भी नहीं पता, मैंने तो बस गुस्से में ऐसे ही हाथ हिलाया था, पर यह पानी बर्फ़ कैसे बना, यह मुझे नहीं पता?" त्रिकाली ने उलझे-उलझे स्वर में कहा।

“लगता है कोई ना कोई शक्ति तुम्हारे अंदर भी है, पर इसका तुम्हें स्वयं ज्ञान नहीं है। बाबा से इसके बारे में पूछना पड़ेगा।" युगाका ने त्रिकाली की ओर देखते हुए कहा।

उधर मौके का फायदा उठाकर, वह मोटरबोट अराका तक पहुंच गयी थी।

तब तक हरे कीडो ने लहरों पर तैर रही बाकी बची लाशो को भी पानी में खींच लिया था।

अब वहां रूके रहने का कोई फायदा नहीं था। इसिलये युगाका और त्रिकाली भी वहां से अराका की ओर चल दिये।



जारी रहेगा_______✍️
Bhut hi badhiya update
To yugaka or trikali ne hi in bache huye logo ko hare kido se bachaya tha or tilisam ko todne ke liye mayavan me inki priksha le rahe hai
Dekte hai ki inme se kon hoga jo tilisam ko todega
 
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