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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

vakharia

Supreme
5,899
20,321
174
पिछले अध्याय में आपने पढ़ा की राजेश और मदन, पीयूष की ऑफिस में बैठकर बिजनेस की चर्चा कर रहे थे तभी फाल्गुनी का एक उत्तेजक तस्वीर वाला मेसेज मिलते ही राजेश की बातचीत से रुचि चली गई.. बहाना बनाकर, वह फाल्गुनी से मिलने, सुबोधकांत के फार्महाउस पर चला आया.. दोनों के बीच एक नई शानदार कामलीला का आगाज हुआ..

अब आगे..
-----------------------------------------------------------------------------------------------------



कुछ देर तक तो फाल्गुनी बोल ही नहीं पाई.. वो अब तक वह उस स्खलन से उभर रही थी.. कुछ देर बाद सांसें सामान्य होने पर उसने कहा


फाल्गुनी: "आह्ह अंकल.. आपकी जीभ ने तो कमाल ही कर दिया.. सुबोध अंकल की याद दिला दी आपने.. वह भी ऐसे ही चाटते थे.. आपने तो चाटकर ऐसा करेंट पैदा कर दिया कि मैं टिक ही नहीं पाई, खत्म हो गई..उफ्फ़..!!"

राजेश: "कोई बात नहीं, तू दोबारा तैयार हो जाएगी..लड़की होने का यही तो सब से बड़ा फायदा है"

फाल्गुनी: "ओह्ह, प्लीज अंकल, जरा फिर से चाटकर मुझे गरम कीजिए"

राजेश मुस्कुराया और वे फिर से फाल्गुनी की फांक को चौड़ा कर अंदर के गरम गुलाबी हिस्से को चाटने लगा.. फाल्गुनी की चूत से निकलने वाले बूंद-बूंद रस को वो पूरा चाट गया..

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राजेश का लंड अब भी फाल्गुनी के होठों को बीच था और सुस्त पड़ी फाल्गुनी ऐसे चूस रही थी जैसे दूध की बोतल की निप्पल चूस रही हो..

अचानक राजेश ने अपनी पोजीशन बदली..

फाल्गुनी के मुंह से अपना लंड निकालकर खड़ा हुआ और उसके बराबर मे आकर लेट गया.. अब वह फाल्गुनी के कान, होंठ और निप्पल.. शरीर के एक-एक अंग को अपने गीले हो चुके होठों से चाटने लगा..अपने होठों और उँगलियों से फाल्गुनी के बदन के साथ छेड़छाड़ कर उसका मजा लेते हुए वह फिर से धीरे-धीरे नीचे आने लगा..

फाल्गुनी की छोटी सी नाभि को चाटकर नीचे आते हुए.. राजेश ने फाल्गुनी की दोनों टांगों को फिर से फैलाया और उसकी चूत के दोनों लब खोल दिए और अपने सीधे हाथ की उंगली से जी-स्पॉट को सहलाने लगा

gs

फाल्गुनी अब नए सिरे से गरम होने लगी थी.. उसकी आंखों में फिर से नशा चढ़ने लगा था..राजेश की उंगलियों की हरकत को अपनी चूत के अंदरूनी हिस्सों पर रगड़ते हुए महसूस कर फाल्गुनी जैसे मस्ती के समंदर में गोते लगा रही थी..

फाल्गुनी के हाथ-पैर फिर से अकड़ने लगे; फाल्गुनी के भूरे निप्पल फिर से कड़क हो गए..राजेश लगातार अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.

अचानक से फाल्गुनी को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उनकी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी मुनिया के अंदर घुस रही हो.. उसे हल्का सा दर्द महसूस हुआ..

“उई …” फाल्गुनी के मुंह से सिसकी निकली..

राजेश: "क्या हुआ?”

“हल्का सा दर्द हो रहा है..“ फाल्गुनी ने कहा..

राजेश: "तुम कहो तो बाहर निकाल लूँ"

फाल्गुनी: "नहीं.. करते रहिए आप.. अब मेरी आवाज नहीं आएगी..!!"

राजेश फिर से उसकी गीली हो चुकी चूत के साथ खेलने लगा..

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आँख बंद कर लेटी फाल्गुनी ने महसूस किया राजेश के दोनों हाथ अब उसकी चूचियों को मींझ रहे थे.. तो फिर उसकी प्यारी सी बुर के साथ कौन खेल रहा था?

फाल्गुनी ने नजरें उठाकर देखा तो राजेश का वो मोटा नाग चूत को ऊपर से ही चुम्मी दे रहा था..वह सुखद अनुभूति को महसूस करते हुए सिहर उठी फाल्गुनी..

राजेश ने उसकी दोनों टांगें खींच कर उसे अपनी तरफ खींचा और बिस्तर से एक तकिया लेकर उसकी पीठ के नीचे सटा दिया.. राजेशने फाल्गुनी के नितंबों के नीचे तकिया लगा कर उसकी चूत को थोड़ा सा ऊपर कर दिया और अपने लंड से उसकी क्लिटोरिस को सहलाने लगा


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अब राजेश पूरी तरह से फाल्गुनी के ऊपर चढ़ गया और उसने अपने होंठ फाल्गुनी के होंठों पर रख दिए...एक हाथ से उसकी चूचियाँ सहलाते हुए वो अपने होठों से फाल्गुनी के होठों को चूस रहा था जब की दूसरे हाथ से वह अपने लिंग को पकड़कर फाल्गुनी की चूत पर रगड़ रहा था

राजेश ने ऐसा झटका मारा जिससे उसके लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर चला गया..

“उह … उह … ” फाल्गुनी के मुंह से आवाज निकली..

जब ऊपर सवार होकर फाल्गुनी ने लंड लिया था तब नियंत्रण उसके हाथों में था.. कब शुरू करना.. कितना वज़न डालना.. कहाँ अटक जाना.. वह सब कुछ फाल्गुनी नियंत्रित कर रही थी.. लेकिन अब स्थिति विपरीत थी.. ऊपर चढ़कर लंड घुसा रहे राजेश की धक्का लगाने की तीव्रता भी काफी आक्रामक थी

राजेश ने अपने होठों से फाल्गुनी के होठ दबा रखे थे..फाल्गुनी की सारी सिसकियाँ भी दब गई और राजेश का वह कामुक लंड फाल्गुनी के कोमल देह में, एक बार और, प्रवेश कर गया..!!!

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राजेश बड़े ही इत्मीनान से धक्के लगा रहा था.. उसे कोई जल्दी नहीं थी.. शहर से दूर इस फार्महाउस का वातावरण बिल्कुल शांत था.. किसी के भी आ टपकने की गुंजाइश नहीं थी..वह मदन से कह चुका था की उसकी मीटिंग खतम होने पर वो फोन करेगा इसलिए उसका फोन आने की भी कोई संभावना नहीं थी.. पिछले काफी सप्ताहों से राजेश काम-सुख से भी वंचित रहा था.. शीला के घर जाना मुश्किल था.. और रेणुका तो अब चुदाई के लिए बेकार हो गई थी.. आज यह तड़कती फड़कती चूत वाली हवसखोर लड़की उसके नीचे लेटे हुए.. बेकरारी से उसका लंड ले रही थी.. इसलिए राजेश बड़े आराम से इस अद्भुत चुदाई की हर क्षण का लुत्फ उठाना चाहता था

लंड का सिर्फ उतना ही हिस्सा जो अंदर गया था, उसे एक दो बार अंदर बाहर करने के बाद पूरा बाहर निकाल दिया और फिर से चूत पर रगड़ने लगा.. वो फाल्गुनी को तड़पा तड़पा कर चोदना चाहता था

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फाल्गुनी को बहुत मजा आ रहा था..!! राजेश की छेड़खानियों ने उसे बदहवास कर दिया था.. बहुत ही लंबे अंतराल के बाद उसे, असली मर्द के नीचे लेटने का मौका मिला था

अचानक राजेश ने फिर से एक तेज धक्का मारा और लंड फाल्गुनी के भीतर प्रवेश कर गया.. इस शीघ्र हमले से एक पल के लिए फाल्गुनी को ऐसा लगा मानो, उसकी जान ही निकल गई हो.. उसकी चीख निकली और वह भी गले में फंस गई..

ऐसा लगा रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत को चीर दिया हो..अब राजेश के अंदर का जानवर बाहर आ चुका था... अब तक वो जितने प्यार से फाल्गुनी के बदन को सहला रहा था अब उतने ही वहशी तरीके से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे..

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फाल्गुनी का पूरा बदन फर्श पर रगड़ रहा था.. लेकिन राजेश को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था.. उसने फाल्गुनी की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रख दिया और दोनों कंधे पकड़ लिये... इस स्थिति मे वह अब अधिक गहराई तक चूत के अंदर प्रवेश भी कर सकता था और ज्यादा जोर से धक्के भी लगा सकता था

उसके बाद शुरू हुआ बहुत तेज गति से धक्के लगाने का दौर..हर शॉट पर राजेश का सुपाड़ा, चूत के अंदर बच्चेदानी के मुख पर जाकर टकरा रहा था.. फाल्गुनी के बदन को पूरी तरह दबोचकर घचाघच चोद रहा था वोह.. !!

राजेश के धक्कों के साथ साथ अपने चूतड़ों को नीचे से हिलाते हुए फाल्गुनी ने भी बढ़िया लय बना ली थी.. राजेश के जोरदार मर्दाना धक्के खाकर फाल्गुनी सातवे आसमान में झूम रही थी..

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५-२० जोरदार धक्के लगाने के बाद राजेश फिर से रुक गया.. १-२ सेकंड रुकने के बाद उसने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और उसके बाद निढाल होकर फाल्गुनी के बराबर में लेट गया..

फाल्गुनी की चौड़ी हो चुकी चूत के अंदर से उमड़ उमड़ कर प्रेम रस निकल रहा था..

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दोनों चुपचाप काफी देर तक पड़े रहे.. जब तक की उन दोनों का हांफना कम नहीं हुआ.. कुछ मिनटों तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे..फाल्गुनी ने अपना चेहरा राजेश की छाती मे दबा दिया.. और वैसा ही सुरक्षित महसूस करने लगी जैसा वो सुबोधकांत के साथ महसूस करती थी

करीब पंद्रह मिनट बाद.. बराबर में लेटे-लेटे ही राजेश ने फाल्गुनी के बदन को सहलाना शुरु कर दिया..

फाल्गुनी के बदन में फिर से स्फूर्ति आने लगी.. धीरे-धीरे राजेश की उंगलियां फाल्गुनी के बदन पर फिर से पहले की तरह थिरक रही थी जैसे फाल्गुनी के बदन पर कोई काम गीत बजा रही हों..

जैसे-जैसे बदन की कामाग्नि बढ़ रही थी, वैसे वैसे राजेश का लंड फिर से हरकत मे आ रहा था.. राजेश के स्पर्श से फाल्गुनी की चूत बार बार कुलबुला रही थी.. कुछ ही मिनटों के बाद राजेश ने फाल्गुनी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया..

लंड को मुठ्ठी में पकड़ते ही फाल्गुनी ने कहा “अरे बाप रे, आप क्या खाते हैं अंकल? आपका शेर अब फिर से मेरा शिकार करने को तैयार हो चुका है”

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फाल्गुनी समझ गई कि राजेश अंकल अब एक और राउंड के लिए तैयार हो चुके थे.. वो भी पूरा साथ देने के लिए तैयार थी..उसने राजेश की छाती को चाटना शुरू कर दिया..दोनों के शरीर फिर से एक बार.. एक दूसरे से उलझने लगे.. एक हाथ से राजेश के लंबे मोटे लंड को पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके अंडकोशों को सहलाने लगी..

राजेश भी फाल्गुनी के चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गांड के छेद को छेड़ रहा था.. उस छेद का मुआयना करने पर पता चला की वहाँ प्रवेश करना तो नामुमकिन था.. इतना छोटा और संकरा छेद था..

कुछ मिनटों की कामक्रीड़ा के बाद राजेश ने फाल्गुनी के कान में पूछा "मज़ा आ रहा है ना?"

फाल्गुनी ने भी पूरे उत्साह में जवाब दिया "हा अंकल, और अब मैं दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हूँ.. आप बस मेरे ऊपर चढ़ जाओ..!!"

इशारा पाते ही राजेश ने फिर से उसकी टांगें खोल दी और बीच में बैठ गया.. उस ने फिर से फाल्गुनी के चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और चूत के गुलाबी होठ खोल कर अपना लंड उसके बीच रख दिया..

फाल्गुनी राजेश के अगले प्रहार का इंतजार करने लगी.. राजेश ने उसकी दोनों टाँगें मजबूती से पकड़ी और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया

इस बार राजेश के धक्के बड़े ही जबरदस्त थे तो फाल्गुनी भी क्यों पीछे रहती..!! इस बार फाल्गुनी भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर राजेश का सहयोग करने लगी.. और धक्कों की तीव्रता को ओर बढ़ाने लगी.. राजेश के हर प्रहार का उसी अंदाज़ में पलट कर जवाब दे रही थी वो..

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राजेश झुककर फाल्गुनी की गुलाबी निप्पलों को होंठों के बीच चबाते हुए धनाधन पेल रहा था.. तब फाल्गुनी अपना एक हाथ नीचे डालकर.. राजेश के गोटों को हल्के हल्के मसल रही थी.. !!

कुछ मिनटों के इस घमासान प्रेमयुद्ध के बाद दोनों ही परास्त हो गए... राजेश ने अंतिम प्रहार किया और उसके लंड ने अपना सारा विष फाल्गुनी की गुनगुनी चूत में छोड़ दिया.. करीब ३-४ पिचकारी लगाकर उसके लंड ने चूत के अंदर ही दम तोड़ दिया..

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और राजेश निढाल होकर फाल्गुनी के मस्त कडक स्तनों पर चेहरा रखकर अपनी थकान उतारने लगा..

करीब १० मिनट तक दोनों ऐसे ही लेटे रहे..

फाल्गुनी ने घड़ी में टाइम देखा, रात का १:३० बज चुका था.. फाल्गुनी फिर से राजेश की छाती से खेलने लगी..

राजेश ने आश्चर्य सह उसकी तरफ देखा और बोला "अरे, तुम्हें घर नहीं जाना है?? इतनी देर तक बाहर हो तो घर वाले पूछेंगे नहीं क्या?"

बड़े ही इत्मीनान से अंगड़ाई लेकर अपने दोनों स्तनों को एक साथ दबाते हुए फाल्गुनी ने कहा "मैं तो कहकर आई हूँ की आज की रात कविता दीदी के घर रुकने वाली हूँ.. !! आप चाहों तो हम दोनों सुबह तक यह सिलसिला जारी रख सकते है"

राजेश: "नहीं, अब मुझे चलना चाहिए फाल्गुनी.. मदन मेरा इंतज़ार कर रहा होगा.. और अभी तो हमें घर भी पहुंचना है.. तीन घंटों की ड्राइविंग करनी होगी.."

फाल्गुनी अभी और खेलना चाहती थी..लेकिन राजेश थक चुका था.. फाल्गुनी की इतनी भयंकर चुदासी पर उसे आश्चर्य हो रहा था.. २२ साल की लड़की से उसे ऐसी अपेक्षा तो नहीं थी.. !!!

फाल्गुनी ने एक आखिरी कोशिश की.. राजेश का लंड पकड़कर फिर से हिलाने लगी

फाल्गुनी: "चलिए न अंकल.. एक बार और करते है.. ज्यादा वक्त नहीं लगाऊँगी"

पर राजेश का पेट्रोल खत्म हो चुका था.. ये पहली बार हो रहा था राजेश की साथ.. की लड़की चोदने के लिए कह रही हो.. और वह उसके लिए समर्थ न हो.. !!

राजेश: "फाल्गुनी, किसी और दिन पक्का इस खेल को आगे बढ़ाएंगे.. बल्कि हमें ज्यादा से ज्यादा मिलते रहना चाहिए.. यह फार्महाउस बढ़िया जगह है.. पर तुम्हारे शहर तक का सफर बड़ा लंबा है.. खैर, फिर मिलेंगे.. बहोत जल्दी" कहते हुए राजेश कपड़े पहनने लगा..

मन मार कर फाल्गुनी खड़ी हुई.. और नंगे बदन ही बेड पर लेट गई.. जाना तो राजेश को था.. वो तो सुबह तक यहीं रुकने वाली थी.. !!


कुछ मिनट बाद राजेश निकल गया अपनी गाड़ी लेकर..

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vakharia

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Napster Ajju Landwalia Rajizexy Smith_15 krish1152 Rocky9i crucer97 Gauravv liverpool244 urc4me SKYESH sunoanuj Sanjay dham normal_boy Raja1239 Haseena Khan CuriousOne sab ka pyra Raj dulara 8cool9 Dharmendra Kumar Patel surekha1986 CHAVDAKARUNA Delta101 rahul 23 SONU69@INDORE randibaaz chora Rahul Chauhan DEVIL MAXIMUM Pras3232 Baadshahkhan1111 pussylover1 Ek number Pk8566 Premkumar65 @Baribar Raja thakur Iron Man DINNA Rajpoot MS Hardwrick22 Raj3465 Rohitjony Dirty_mind Nikunjbaba @brij728 Rajesh Sarhadi ROB177A Raja1239 Tri2010 rhyme_boy Sanju@ Sauravb Bittoo raghw249 Coolraj839 Jassybabra rtnalkumar avi345 Nileshmckn kamdev99008 SANJU ( V. R. ) Neha tyagi Rishiii Aeron Boy Bhatakta Rahi 1234 kasi_babu Sutradhar dangerlund Arjun125 Gentleman Radha Shama nb836868 Monster Dick Rajgoa anitarani Jlodhi35 Raj_sharma Mukesh singh Pradeep paswan अंजुम Loveforyou Neelamptjoshi sandy1684 Royal boy034 mastmast123 Rajsingh Kahal Mr. Unique Vikas@170 DB Singh trick1w Vincenzo rahulg123 Lord haram Rishi_J flyingsara messyroy SKY is black Ayhina Pooja Vaishnav moms_bachha himansh Kamini sucksena Jay1990 rkv66 Ek number Hot&sexyboy Ben Tennyson Jay1990 sunitasbs 111ramjain Rocky9i krish1152 U.and.me archana sexy Gauravv vishali robby1611 Amisha2 Tiger 786 rahul198848 Sing is king 42 Tri2010 ellysperry Raja1239 macssm Slut Queen Anjali Ragini Ragini Karim Saheb rrpr Ayesha952 sameer26.shah26 rahuliscool smash001 rajeev13 Luv69 kingkhankar arushi_dayal rangeeladesi Mastmalang 695 Rumana001 rangeeladesi sushilk Rishiii satya18 Rowdy Pandu1990 small babe CHETANSONI sonukm Bulbul_Rani shameless26 Lover ❤️ NehaRani9 Random2022 officer Rashmi Hector_789 komaalrani ra123hul
 

SKYESH

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SKYESH ભાઈ,

કદાચ, તમારા ધ્યાન માં આવ્યું હોય.. અપડેટ ૧૨૦ પછી ના બધા જ પ્રકરણ નવા છે, જે મૂળ કથા ના ભાગ નહોતા.
yes boss............... i know that .............. ke 120 pachhi na badha j UPDATES nava chhe ....... etle j tamne vachhe pan 2/3 comments aapi hati ....
 

Rajizexy

❣️and let ❣️
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पिछले अध्याय में आपने पढ़ा की राजेश और मदन, पीयूष की ऑफिस में बैठकर बिजनेस की चर्चा कर रहे थे तभी फाल्गुनी का एक उत्तेजक तस्वीर वाला मेसेज मिलते ही राजेश की बातचीत से रुचि चली गई.. बहाना बनाकर, वह फाल्गुनी से मिलने, सुबोधकांत के फार्महाउस पर चला आया.. दोनों के बीच एक नई शानदार कामलीला का आगाज हुआ..

अब आगे..
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कुछ देर तक तो फाल्गुनी बोल ही नहीं पाई.. वो अब तक वह उस स्खलन से उभर रही थी.. कुछ देर बाद सांसें सामान्य होने पर उसने कहा


फाल्गुनी: "आह्ह अंकल.. आपकी जीभ ने तो कमाल ही कर दिया.. सुबोध अंकल की याद दिला दी आपने.. वह भी ऐसे ही चाटते थे.. आपने तो चाटकर ऐसा करेंट पैदा कर दिया कि मैं टिक ही नहीं पाई, खत्म हो गई..उफ्फ़..!!"

राजेश: "कोई बात नहीं, तू दोबारा तैयार हो जाएगी..लड़की होने का यही तो सब से बड़ा फायदा है"

फाल्गुनी: "ओह्ह, प्लीज अंकल, जरा फिर से चाटकर मुझे गरम कीजिए"

राजेश मुस्कुराया और वे फिर से फाल्गुनी की फांक को चौड़ा कर अंदर के गरम गुलाबी हिस्से को चाटने लगा.. फाल्गुनी की चूत से निकलने वाले बूंद-बूंद रस को वो पूरा चाट गया..

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राजेश का लंड अब भी फाल्गुनी के होठों को बीच था और सुस्त पड़ी फाल्गुनी ऐसे चूस रही थी जैसे दूध की बोतल की निप्पल चूस रही हो..

अचानक राजेश ने अपनी पोजीशन बदली..

फाल्गुनी के मुंह से अपना लंड निकालकर खड़ा हुआ और उसके बराबर मे आकर लेट गया.. अब वह फाल्गुनी के कान, होंठ और निप्पल.. शरीर के एक-एक अंग को अपने गीले हो चुके होठों से चाटने लगा..अपने होठों और उँगलियों से फाल्गुनी के बदन के साथ छेड़छाड़ कर उसका मजा लेते हुए वह फिर से धीरे-धीरे नीचे आने लगा..

फाल्गुनी की छोटी सी नाभि को चाटकर नीचे आते हुए.. राजेश ने फाल्गुनी की दोनों टांगों को फिर से फैलाया और उसकी चूत के दोनों लब खोल दिए और अपने सीधे हाथ की उंगली से जी-स्पॉट को सहलाने लगा

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फाल्गुनी अब नए सिरे से गरम होने लगी थी.. उसकी आंखों में फिर से नशा चढ़ने लगा था..राजेश की उंगलियों की हरकत को अपनी चूत के अंदरूनी हिस्सों पर रगड़ते हुए महसूस कर फाल्गुनी जैसे मस्ती के समंदर में गोते लगा रही थी..

फाल्गुनी के हाथ-पैर फिर से अकड़ने लगे; फाल्गुनी के भूरे निप्पल फिर से कड़क हो गए..राजेश लगातार अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.

अचानक से फाल्गुनी को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उनकी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी मुनिया के अंदर घुस रही हो.. उसे हल्का सा दर्द महसूस हुआ..

“उई …” फाल्गुनी के मुंह से सिसकी निकली..

राजेश: "क्या हुआ?”

“हल्का सा दर्द हो रहा है..“ फाल्गुनी ने कहा..

राजेश: "तुम कहो तो बाहर निकाल लूँ"

फाल्गुनी: "नहीं.. करते रहिए आप.. अब मेरी आवाज नहीं आएगी..!!"

राजेश फिर से उसकी गीली हो चुकी चूत के साथ खेलने लगा..

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आँख बंद कर लेटी फाल्गुनी ने महसूस किया राजेश के दोनों हाथ अब उसकी चूचियों को मींझ रहे थे.. तो फिर उसकी प्यारी सी बुर के साथ कौन खेल रहा था?

फाल्गुनी ने नजरें उठाकर देखा तो राजेश का वो मोटा नाग चूत को ऊपर से ही चुम्मी दे रहा था..वह सुखद अनुभूति को महसूस करते हुए सिहर उठी फाल्गुनी..

राजेश ने उसकी दोनों टांगें खींच कर उसे अपनी तरफ खींचा और बिस्तर से एक तकिया लेकर उसकी पीठ के नीचे सटा दिया.. राजेशने फाल्गुनी के नितंबों के नीचे तकिया लगा कर उसकी चूत को थोड़ा सा ऊपर कर दिया और अपने लंड से उसकी क्लिटोरिस को सहलाने लगा


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अब राजेश पूरी तरह से फाल्गुनी के ऊपर चढ़ गया और उसने अपने होंठ फाल्गुनी के होंठों पर रख दिए...एक हाथ से उसकी चूचियाँ सहलाते हुए वो अपने होठों से फाल्गुनी के होठों को चूस रहा था जब की दूसरे हाथ से वह अपने लिंग को पकड़कर फाल्गुनी की चूत पर रगड़ रहा था

राजेश ने ऐसा झटका मारा जिससे उसके लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर चला गया..

“उह … उह … ” फाल्गुनी के मुंह से आवाज निकली..

जब ऊपर सवार होकर फाल्गुनी ने लंड लिया था तब नियंत्रण उसके हाथों में था.. कब शुरू करना.. कितना वज़न डालना.. कहाँ अटक जाना.. वह सब कुछ फाल्गुनी नियंत्रित कर रही थी.. लेकिन अब स्थिति विपरीत थी.. ऊपर चढ़कर लंड घुसा रहे राजेश की धक्का लगाने की तीव्रता भी काफी आक्रामक थी

राजेश ने अपने होठों से फाल्गुनी के होठ दबा रखे थे..फाल्गुनी की सारी सिसकियाँ भी दब गई और राजेश का वह कामुक लंड फाल्गुनी के कोमल देह में, एक बार और, प्रवेश कर गया..!!!

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राजेश बड़े ही इत्मीनान से धक्के लगा रहा था.. उसे कोई जल्दी नहीं थी.. शहर से दूर इस फार्महाउस का वातावरण बिल्कुल शांत था.. किसी के भी आ टपकने की गुंजाइश नहीं थी..वह मदन से कह चुका था की उसकी मीटिंग खतम होने पर वो फोन करेगा इसलिए उसका फोन आने की भी कोई संभावना नहीं थी.. पिछले काफी सप्ताहों से राजेश काम-सुख से भी वंचित रहा था.. शीला के घर जाना मुश्किल था.. और रेणुका तो अब चुदाई के लिए बेकार हो गई थी.. आज यह तड़कती फड़कती चूत वाली हवसखोर लड़की उसके नीचे लेटे हुए.. बेकरारी से उसका लंड ले रही थी.. इसलिए राजेश बड़े आराम से इस अद्भुत चुदाई की हर क्षण का लुत्फ उठाना चाहता था

लंड का सिर्फ उतना ही हिस्सा जो अंदर गया था, उसे एक दो बार अंदर बाहर करने के बाद पूरा बाहर निकाल दिया और फिर से चूत पर रगड़ने लगा.. वो फाल्गुनी को तड़पा तड़पा कर चोदना चाहता था

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फाल्गुनी को बहुत मजा आ रहा था..!! राजेश की छेड़खानियों ने उसे बदहवास कर दिया था.. बहुत ही लंबे अंतराल के बाद उसे, असली मर्द के नीचे लेटने का मौका मिला था

अचानक राजेश ने फिर से एक तेज धक्का मारा और लंड फाल्गुनी के भीतर प्रवेश कर गया.. इस शीघ्र हमले से एक पल के लिए फाल्गुनी को ऐसा लगा मानो, उसकी जान ही निकल गई हो.. उसकी चीख निकली और वह भी गले में फंस गई..

ऐसा लगा रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत को चीर दिया हो..अब राजेश के अंदर का जानवर बाहर आ चुका था... अब तक वो जितने प्यार से फाल्गुनी के बदन को सहला रहा था अब उतने ही वहशी तरीके से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे..

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उसके बाद शुरू हुआ बहुत तेज गति से धक्के लगाने का दौर..हर शॉट पर राजेश का सुपाड़ा, चूत के अंदर बच्चेदानी के मुख पर जाकर टकरा रहा था.. फाल्गुनी के बदन को पूरी तरह दबोचकर घचाघच चोद रहा था वोह.. !!

राजेश के धक्कों के साथ साथ अपने चूतड़ों को नीचे से हिलाते हुए फाल्गुनी ने भी बढ़िया लय बना ली थी.. राजेश के जोरदार मर्दाना धक्के खाकर फाल्गुनी सातवे आसमान में झूम रही थी..

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५-२० जोरदार धक्के लगाने के बाद राजेश फिर से रुक गया.. १-२ सेकंड रुकने के बाद उसने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और उसके बाद निढाल होकर फाल्गुनी के बराबर में लेट गया..

फाल्गुनी की चौड़ी हो चुकी चूत के अंदर से उमड़ उमड़ कर प्रेम रस निकल रहा था..

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दोनों चुपचाप काफी देर तक पड़े रहे.. जब तक की उन दोनों का हांफना कम नहीं हुआ.. कुछ मिनटों तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे..फाल्गुनी ने अपना चेहरा राजेश की छाती मे दबा दिया.. और वैसा ही सुरक्षित महसूस करने लगी जैसा वो सुबोधकांत के साथ महसूस करती थी

करीब पंद्रह मिनट बाद.. बराबर में लेटे-लेटे ही राजेश ने फाल्गुनी के बदन को सहलाना शुरु कर दिया..

फाल्गुनी के बदन में फिर से स्फूर्ति आने लगी.. धीरे-धीरे राजेश की उंगलियां फाल्गुनी के बदन पर फिर से पहले की तरह थिरक रही थी जैसे फाल्गुनी के बदन पर कोई काम गीत बजा रही हों..

जैसे-जैसे बदन की कामाग्नि बढ़ रही थी, वैसे वैसे राजेश का लंड फिर से हरकत मे आ रहा था.. राजेश के स्पर्श से फाल्गुनी की चूत बार बार कुलबुला रही थी.. कुछ ही मिनटों के बाद राजेश ने फाल्गुनी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया..

लंड को मुठ्ठी में पकड़ते ही फाल्गुनी ने कहा “अरे बाप रे, आप क्या खाते हैं अंकल? आपका शेर अब फिर से मेरा शिकार करने को तैयार हो चुका है”

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फाल्गुनी समझ गई कि राजेश अंकल अब एक और राउंड के लिए तैयार हो चुके थे.. वो भी पूरा साथ देने के लिए तैयार थी..उसने राजेश की छाती को चाटना शुरू कर दिया..दोनों के शरीर फिर से एक बार.. एक दूसरे से उलझने लगे.. एक हाथ से राजेश के लंबे मोटे लंड को पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके अंडकोशों को सहलाने लगी..

राजेश भी फाल्गुनी के चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गांड के छेद को छेड़ रहा था.. उस छेद का मुआयना करने पर पता चला की वहाँ प्रवेश करना तो नामुमकिन था.. इतना छोटा और संकरा छेद था..

कुछ मिनटों की कामक्रीड़ा के बाद राजेश ने फाल्गुनी के कान में पूछा "मज़ा आ रहा है ना?"

फाल्गुनी ने भी पूरे उत्साह में जवाब दिया "हा अंकल, और अब मैं दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हूँ.. आप बस मेरे ऊपर चढ़ जाओ..!!"

इशारा पाते ही राजेश ने फिर से उसकी टांगें खोल दी और बीच में बैठ गया.. उस ने फिर से फाल्गुनी के चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और चूत के गुलाबी होठ खोल कर अपना लंड उसके बीच रख दिया..

फाल्गुनी राजेश के अगले प्रहार का इंतजार करने लगी.. राजेश ने उसकी दोनों टाँगें मजबूती से पकड़ी और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया

इस बार राजेश के धक्के बड़े ही जबरदस्त थे तो फाल्गुनी भी क्यों पीछे रहती..!! इस बार फाल्गुनी भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर राजेश का सहयोग करने लगी.. और धक्कों की तीव्रता को ओर बढ़ाने लगी.. राजेश के हर प्रहार का उसी अंदाज़ में पलट कर जवाब दे रही थी वो..

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राजेश झुककर फाल्गुनी की गुलाबी निप्पलों को होंठों के बीच चबाते हुए धनाधन पेल रहा था.. तब फाल्गुनी अपना एक हाथ नीचे डालकर.. राजेश के गोटों को हल्के हल्के मसल रही थी.. !!

कुछ मिनटों के इस घमासान प्रेमयुद्ध के बाद दोनों ही परास्त हो गए... राजेश ने अंतिम प्रहार किया और उसके लंड ने अपना सारा विष फाल्गुनी की गुनगुनी चूत में छोड़ दिया.. करीब ३-४ पिचकारी लगाकर उसके लंड ने चूत के अंदर ही दम तोड़ दिया..

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और राजेश निढाल होकर फाल्गुनी के मस्त कडक स्तनों पर चेहरा रखकर अपनी थकान उतारने लगा..

करीब १० मिनट तक दोनों ऐसे ही लेटे रहे..

फाल्गुनी ने घड़ी में टाइम देखा, रात का १:३० बज चुका था.. फाल्गुनी फिर से राजेश की छाती से खेलने लगी..

राजेश ने आश्चर्य सह उसकी तरफ देखा और बोला "अरे, तुम्हें घर नहीं जाना है?? इतनी देर तक बाहर हो तो घर वाले पूछेंगे नहीं क्या?"

बड़े ही इत्मीनान से अंगड़ाई लेकर अपने दोनों स्तनों को एक साथ दबाते हुए फाल्गुनी ने कहा "मैं तो कहकर आई हूँ की आज की रात कविता दीदी के घर रुकने वाली हूँ.. !! आप चाहों तो हम दोनों सुबह तक यह सिलसिला जारी रख सकते है"

राजेश: "नहीं, अब मुझे चलना चाहिए फाल्गुनी.. मदन मेरा इंतज़ार कर रहा होगा.. और अभी तो हमें घर भी पहुंचना है.. तीन घंटों की ड्राइविंग करनी होगी.."

फाल्गुनी अभी और खेलना चाहती थी..लेकिन राजेश थक चुका था.. फाल्गुनी की इतनी भयंकर चुदासी पर उसे आश्चर्य हो रहा था.. २२ साल की लड़की से उसे ऐसी अपेक्षा तो नहीं थी.. !!!

फाल्गुनी ने एक आखिरी कोशिश की.. राजेश का लंड पकड़कर फिर से हिलाने लगी

फाल्गुनी: "चलिए न अंकल.. एक बार और करते है.. ज्यादा वक्त नहीं लगाऊँगी"

पर राजेश का पेट्रोल खत्म हो चुका था.. ये पहली बार हो रहा था राजेश की साथ.. की लड़की चोदने के लिए कह रही हो.. और वह उसके लिए समर्थ न हो.. !!

राजेश: "फाल्गुनी, किसी और दिन पक्का इस खेल को आगे बढ़ाएंगे.. बल्कि हमें ज्यादा से ज्यादा मिलते रहना चाहिए.. यह फार्महाउस बढ़िया जगह है.. पर तुम्हारे शहर तक का सफर बड़ा लंबा है.. खैर, फिर मिलेंगे.. बहोत जल्दी" कहते हुए राजेश कपड़े पहनने लगा..

मन मार कर फाल्गुनी खड़ी हुई.. और नंगे बदन ही बेड पर लेट गई.. जाना तो राजेश को था.. वो तो सुबह तक यहीं रुकने वाली थी.. !!


कुछ मिनट बाद राजेश निकल गया अपनी गाड़ी लेकर..
Extremely sexy update
💦💦💦💦💦💦
 
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vakharia

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vakharia

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks a lot bhai ♥️
 

Ajju Landwalia

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पिछले अध्याय में आपने पढ़ा की राजेश और मदन, पीयूष की ऑफिस में बैठकर बिजनेस की चर्चा कर रहे थे तभी फाल्गुनी का एक उत्तेजक तस्वीर वाला मेसेज मिलते ही राजेश की बातचीत से रुचि चली गई.. बहाना बनाकर, वह फाल्गुनी से मिलने, सुबोधकांत के फार्महाउस पर चला आया.. दोनों के बीच एक नई शानदार कामलीला का आगाज हुआ..

अब आगे..
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कुछ देर तक तो फाल्गुनी बोल ही नहीं पाई.. वो अब तक वह उस स्खलन से उभर रही थी.. कुछ देर बाद सांसें सामान्य होने पर उसने कहा


फाल्गुनी: "आह्ह अंकल.. आपकी जीभ ने तो कमाल ही कर दिया.. सुबोध अंकल की याद दिला दी आपने.. वह भी ऐसे ही चाटते थे.. आपने तो चाटकर ऐसा करेंट पैदा कर दिया कि मैं टिक ही नहीं पाई, खत्म हो गई..उफ्फ़..!!"

राजेश: "कोई बात नहीं, तू दोबारा तैयार हो जाएगी..लड़की होने का यही तो सब से बड़ा फायदा है"

फाल्गुनी: "ओह्ह, प्लीज अंकल, जरा फिर से चाटकर मुझे गरम कीजिए"

राजेश मुस्कुराया और वे फिर से फाल्गुनी की फांक को चौड़ा कर अंदर के गरम गुलाबी हिस्से को चाटने लगा.. फाल्गुनी की चूत से निकलने वाले बूंद-बूंद रस को वो पूरा चाट गया..

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राजेश का लंड अब भी फाल्गुनी के होठों को बीच था और सुस्त पड़ी फाल्गुनी ऐसे चूस रही थी जैसे दूध की बोतल की निप्पल चूस रही हो..

अचानक राजेश ने अपनी पोजीशन बदली..

फाल्गुनी के मुंह से अपना लंड निकालकर खड़ा हुआ और उसके बराबर मे आकर लेट गया.. अब वह फाल्गुनी के कान, होंठ और निप्पल.. शरीर के एक-एक अंग को अपने गीले हो चुके होठों से चाटने लगा..अपने होठों और उँगलियों से फाल्गुनी के बदन के साथ छेड़छाड़ कर उसका मजा लेते हुए वह फिर से धीरे-धीरे नीचे आने लगा..

फाल्गुनी की छोटी सी नाभि को चाटकर नीचे आते हुए.. राजेश ने फाल्गुनी की दोनों टांगों को फिर से फैलाया और उसकी चूत के दोनों लब खोल दिए और अपने सीधे हाथ की उंगली से जी-स्पॉट को सहलाने लगा

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फाल्गुनी अब नए सिरे से गरम होने लगी थी.. उसकी आंखों में फिर से नशा चढ़ने लगा था..राजेश की उंगलियों की हरकत को अपनी चूत के अंदरूनी हिस्सों पर रगड़ते हुए महसूस कर फाल्गुनी जैसे मस्ती के समंदर में गोते लगा रही थी..

फाल्गुनी के हाथ-पैर फिर से अकड़ने लगे; फाल्गुनी के भूरे निप्पल फिर से कड़क हो गए..राजेश लगातार अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.

अचानक से फाल्गुनी को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उनकी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी मुनिया के अंदर घुस रही हो.. उसे हल्का सा दर्द महसूस हुआ..

“उई …” फाल्गुनी के मुंह से सिसकी निकली..

राजेश: "क्या हुआ?”

“हल्का सा दर्द हो रहा है..“ फाल्गुनी ने कहा..

राजेश: "तुम कहो तो बाहर निकाल लूँ"

फाल्गुनी: "नहीं.. करते रहिए आप.. अब मेरी आवाज नहीं आएगी..!!"

राजेश फिर से उसकी गीली हो चुकी चूत के साथ खेलने लगा..

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आँख बंद कर लेटी फाल्गुनी ने महसूस किया राजेश के दोनों हाथ अब उसकी चूचियों को मींझ रहे थे.. तो फिर उसकी प्यारी सी बुर के साथ कौन खेल रहा था?

फाल्गुनी ने नजरें उठाकर देखा तो राजेश का वो मोटा नाग चूत को ऊपर से ही चुम्मी दे रहा था..वह सुखद अनुभूति को महसूस करते हुए सिहर उठी फाल्गुनी..

राजेश ने उसकी दोनों टांगें खींच कर उसे अपनी तरफ खींचा और बिस्तर से एक तकिया लेकर उसकी पीठ के नीचे सटा दिया.. राजेशने फाल्गुनी के नितंबों के नीचे तकिया लगा कर उसकी चूत को थोड़ा सा ऊपर कर दिया और अपने लंड से उसकी क्लिटोरिस को सहलाने लगा


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अब राजेश पूरी तरह से फाल्गुनी के ऊपर चढ़ गया और उसने अपने होंठ फाल्गुनी के होंठों पर रख दिए...एक हाथ से उसकी चूचियाँ सहलाते हुए वो अपने होठों से फाल्गुनी के होठों को चूस रहा था जब की दूसरे हाथ से वह अपने लिंग को पकड़कर फाल्गुनी की चूत पर रगड़ रहा था

राजेश ने ऐसा झटका मारा जिससे उसके लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर चला गया..

“उह … उह … ” फाल्गुनी के मुंह से आवाज निकली..

जब ऊपर सवार होकर फाल्गुनी ने लंड लिया था तब नियंत्रण उसके हाथों में था.. कब शुरू करना.. कितना वज़न डालना.. कहाँ अटक जाना.. वह सब कुछ फाल्गुनी नियंत्रित कर रही थी.. लेकिन अब स्थिति विपरीत थी.. ऊपर चढ़कर लंड घुसा रहे राजेश की धक्का लगाने की तीव्रता भी काफी आक्रामक थी

राजेश ने अपने होठों से फाल्गुनी के होठ दबा रखे थे..फाल्गुनी की सारी सिसकियाँ भी दब गई और राजेश का वह कामुक लंड फाल्गुनी के कोमल देह में, एक बार और, प्रवेश कर गया..!!!

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राजेश बड़े ही इत्मीनान से धक्के लगा रहा था.. उसे कोई जल्दी नहीं थी.. शहर से दूर इस फार्महाउस का वातावरण बिल्कुल शांत था.. किसी के भी आ टपकने की गुंजाइश नहीं थी..वह मदन से कह चुका था की उसकी मीटिंग खतम होने पर वो फोन करेगा इसलिए उसका फोन आने की भी कोई संभावना नहीं थी.. पिछले काफी सप्ताहों से राजेश काम-सुख से भी वंचित रहा था.. शीला के घर जाना मुश्किल था.. और रेणुका तो अब चुदाई के लिए बेकार हो गई थी.. आज यह तड़कती फड़कती चूत वाली हवसखोर लड़की उसके नीचे लेटे हुए.. बेकरारी से उसका लंड ले रही थी.. इसलिए राजेश बड़े आराम से इस अद्भुत चुदाई की हर क्षण का लुत्फ उठाना चाहता था

लंड का सिर्फ उतना ही हिस्सा जो अंदर गया था, उसे एक दो बार अंदर बाहर करने के बाद पूरा बाहर निकाल दिया और फिर से चूत पर रगड़ने लगा.. वो फाल्गुनी को तड़पा तड़पा कर चोदना चाहता था

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फाल्गुनी को बहुत मजा आ रहा था..!! राजेश की छेड़खानियों ने उसे बदहवास कर दिया था.. बहुत ही लंबे अंतराल के बाद उसे, असली मर्द के नीचे लेटने का मौका मिला था

अचानक राजेश ने फिर से एक तेज धक्का मारा और लंड फाल्गुनी के भीतर प्रवेश कर गया.. इस शीघ्र हमले से एक पल के लिए फाल्गुनी को ऐसा लगा मानो, उसकी जान ही निकल गई हो.. उसकी चीख निकली और वह भी गले में फंस गई..

ऐसा लगा रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत को चीर दिया हो..अब राजेश के अंदर का जानवर बाहर आ चुका था... अब तक वो जितने प्यार से फाल्गुनी के बदन को सहला रहा था अब उतने ही वहशी तरीके से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे..

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फाल्गुनी का पूरा बदन फर्श पर रगड़ रहा था.. लेकिन राजेश को तो जैसे कुछ होश ही नहीं था.. उसने फाल्गुनी की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रख दिया और दोनों कंधे पकड़ लिये... इस स्थिति मे वह अब अधिक गहराई तक चूत के अंदर प्रवेश भी कर सकता था और ज्यादा जोर से धक्के भी लगा सकता था

उसके बाद शुरू हुआ बहुत तेज गति से धक्के लगाने का दौर..हर शॉट पर राजेश का सुपाड़ा, चूत के अंदर बच्चेदानी के मुख पर जाकर टकरा रहा था.. फाल्गुनी के बदन को पूरी तरह दबोचकर घचाघच चोद रहा था वोह.. !!

राजेश के धक्कों के साथ साथ अपने चूतड़ों को नीचे से हिलाते हुए फाल्गुनी ने भी बढ़िया लय बना ली थी.. राजेश के जोरदार मर्दाना धक्के खाकर फाल्गुनी सातवे आसमान में झूम रही थी..

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५-२० जोरदार धक्के लगाने के बाद राजेश फिर से रुक गया.. १-२ सेकंड रुकने के बाद उसने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और उसके बाद निढाल होकर फाल्गुनी के बराबर में लेट गया..

फाल्गुनी की चौड़ी हो चुकी चूत के अंदर से उमड़ उमड़ कर प्रेम रस निकल रहा था..

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दोनों चुपचाप काफी देर तक पड़े रहे.. जब तक की उन दोनों का हांफना कम नहीं हुआ.. कुछ मिनटों तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे..फाल्गुनी ने अपना चेहरा राजेश की छाती मे दबा दिया.. और वैसा ही सुरक्षित महसूस करने लगी जैसा वो सुबोधकांत के साथ महसूस करती थी

करीब पंद्रह मिनट बाद.. बराबर में लेटे-लेटे ही राजेश ने फाल्गुनी के बदन को सहलाना शुरु कर दिया..

फाल्गुनी के बदन में फिर से स्फूर्ति आने लगी.. धीरे-धीरे राजेश की उंगलियां फाल्गुनी के बदन पर फिर से पहले की तरह थिरक रही थी जैसे फाल्गुनी के बदन पर कोई काम गीत बजा रही हों..

जैसे-जैसे बदन की कामाग्नि बढ़ रही थी, वैसे वैसे राजेश का लंड फिर से हरकत मे आ रहा था.. राजेश के स्पर्श से फाल्गुनी की चूत बार बार कुलबुला रही थी.. कुछ ही मिनटों के बाद राजेश ने फाल्गुनी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया..

लंड को मुठ्ठी में पकड़ते ही फाल्गुनी ने कहा “अरे बाप रे, आप क्या खाते हैं अंकल? आपका शेर अब फिर से मेरा शिकार करने को तैयार हो चुका है”

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फाल्गुनी समझ गई कि राजेश अंकल अब एक और राउंड के लिए तैयार हो चुके थे.. वो भी पूरा साथ देने के लिए तैयार थी..उसने राजेश की छाती को चाटना शुरू कर दिया..दोनों के शरीर फिर से एक बार.. एक दूसरे से उलझने लगे.. एक हाथ से राजेश के लंबे मोटे लंड को पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके अंडकोशों को सहलाने लगी..

राजेश भी फाल्गुनी के चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गांड के छेद को छेड़ रहा था.. उस छेद का मुआयना करने पर पता चला की वहाँ प्रवेश करना तो नामुमकिन था.. इतना छोटा और संकरा छेद था..

कुछ मिनटों की कामक्रीड़ा के बाद राजेश ने फाल्गुनी के कान में पूछा "मज़ा आ रहा है ना?"

फाल्गुनी ने भी पूरे उत्साह में जवाब दिया "हा अंकल, और अब मैं दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हूँ.. आप बस मेरे ऊपर चढ़ जाओ..!!"

इशारा पाते ही राजेश ने फिर से उसकी टांगें खोल दी और बीच में बैठ गया.. उस ने फिर से फाल्गुनी के चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और चूत के गुलाबी होठ खोल कर अपना लंड उसके बीच रख दिया..

फाल्गुनी राजेश के अगले प्रहार का इंतजार करने लगी.. राजेश ने उसकी दोनों टाँगें मजबूती से पकड़ी और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी फुद्दी में उतार दिया

इस बार राजेश के धक्के बड़े ही जबरदस्त थे तो फाल्गुनी भी क्यों पीछे रहती..!! इस बार फाल्गुनी भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर राजेश का सहयोग करने लगी.. और धक्कों की तीव्रता को ओर बढ़ाने लगी.. राजेश के हर प्रहार का उसी अंदाज़ में पलट कर जवाब दे रही थी वो..

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राजेश झुककर फाल्गुनी की गुलाबी निप्पलों को होंठों के बीच चबाते हुए धनाधन पेल रहा था.. तब फाल्गुनी अपना एक हाथ नीचे डालकर.. राजेश के गोटों को हल्के हल्के मसल रही थी.. !!

कुछ मिनटों के इस घमासान प्रेमयुद्ध के बाद दोनों ही परास्त हो गए... राजेश ने अंतिम प्रहार किया और उसके लंड ने अपना सारा विष फाल्गुनी की गुनगुनी चूत में छोड़ दिया.. करीब ३-४ पिचकारी लगाकर उसके लंड ने चूत के अंदर ही दम तोड़ दिया..

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और राजेश निढाल होकर फाल्गुनी के मस्त कडक स्तनों पर चेहरा रखकर अपनी थकान उतारने लगा..

करीब १० मिनट तक दोनों ऐसे ही लेटे रहे..

फाल्गुनी ने घड़ी में टाइम देखा, रात का १:३० बज चुका था.. फाल्गुनी फिर से राजेश की छाती से खेलने लगी..

राजेश ने आश्चर्य सह उसकी तरफ देखा और बोला "अरे, तुम्हें घर नहीं जाना है?? इतनी देर तक बाहर हो तो घर वाले पूछेंगे नहीं क्या?"

बड़े ही इत्मीनान से अंगड़ाई लेकर अपने दोनों स्तनों को एक साथ दबाते हुए फाल्गुनी ने कहा "मैं तो कहकर आई हूँ की आज की रात कविता दीदी के घर रुकने वाली हूँ.. !! आप चाहों तो हम दोनों सुबह तक यह सिलसिला जारी रख सकते है"

राजेश: "नहीं, अब मुझे चलना चाहिए फाल्गुनी.. मदन मेरा इंतज़ार कर रहा होगा.. और अभी तो हमें घर भी पहुंचना है.. तीन घंटों की ड्राइविंग करनी होगी.."

फाल्गुनी अभी और खेलना चाहती थी..लेकिन राजेश थक चुका था.. फाल्गुनी की इतनी भयंकर चुदासी पर उसे आश्चर्य हो रहा था.. २२ साल की लड़की से उसे ऐसी अपेक्षा तो नहीं थी.. !!!

फाल्गुनी ने एक आखिरी कोशिश की.. राजेश का लंड पकड़कर फिर से हिलाने लगी

फाल्गुनी: "चलिए न अंकल.. एक बार और करते है.. ज्यादा वक्त नहीं लगाऊँगी"

पर राजेश का पेट्रोल खत्म हो चुका था.. ये पहली बार हो रहा था राजेश की साथ.. की लड़की चोदने के लिए कह रही हो.. और वह उसके लिए समर्थ न हो.. !!

राजेश: "फाल्गुनी, किसी और दिन पक्का इस खेल को आगे बढ़ाएंगे.. बल्कि हमें ज्यादा से ज्यादा मिलते रहना चाहिए.. यह फार्महाउस बढ़िया जगह है.. पर तुम्हारे शहर तक का सफर बड़ा लंबा है.. खैर, फिर मिलेंगे.. बहोत जल्दी" कहते हुए राजेश कपड़े पहनने लगा..

मन मार कर फाल्गुनी खड़ी हुई.. और नंगे बदन ही बेड पर लेट गई.. जाना तो राजेश को था.. वो तो सुबह तक यहीं रुकने वाली थी.. !!


कुछ मिनट बाद राजेश निकल गया अपनी गाड़ी लेकर..

Bahut hi gazab ki garmagaram update he vakharia Bhai,

Falguni aur rajesh ki chudayi ka bahut sunder chitran kiya he.........

Maja aa gaya Bhai

Keep rocking
 
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