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" Never let an old flame burn you twice "
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#82.
चैपटर-8: मकोटा महल
(आज से 10 दिन पहले.......(29 दिसम्बर 2001, शनिवार, 11:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)
लुफासा सीनोर महल के एक कमरे में सनूरा के साथ बैठा था।
“हम कल ही तो मान्त्रिक से मिल कर आये थे, तब आज उन्होंने फ़िर से इतनी जल्दी क्यों हम लोगो को बुला लिया? कुछ तो परेशानी जरूर है?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।
लुफासा और सनूरा मकोटा को मान्त्रिक कहकर संबोधित करते थे।
“आप सही कह रहे हैं युवराज।" सनूरा ने अपनी बिल्ली जैसी आँखो से लुफासा को देखते हुए कहा-
“मान्त्रिक बिना किसी जरूरी कार्य के हमें ऐसे तो नहीं बुलाएंगे। कहीं ये देवी शलाका से सम्बंधित बात तो नहीं है? कल मैंने देवी शलाका को मान्त्रिक के साथ आकाश मार्ग से जाते हुए देखा था।"
“सनूरा! एक बात पूछूं?" लुफासा ने कुर्सी से खड़े होकर कमरे में टहलते हुए सनूरा से पूछा।
“जी पूछिये।" सनूरा की आँखो में प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगा।
“क्या तुम्हे सच में लगता है कि वह लड़की देवी शलाका है?" लुफासा ने शंकित स्वर में पूछा- “जाने क्यों मुझे वह देवी शलाका नहीं लगती। ऐसा लग रहा है जैसे वह कोई दूसरी लड़की है? और देवी शलाका बनने का अिभनय कर रही है।"
“पर उनका परिचय तो मान्त्रिक ने ही कराया था। क्या आपको मान्त्रिक पर भी शक है?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।
“देखो सनूरा, तुम पिछ्ले 600 वर्ष से सीनोर राज्य की सेनापति हो। पूरे सीनोर राज्य की सुरक्षा का भार तुम्हारे ऊपर है। तुम में रहस्यमयी शक्तियां हैं। तुम हमारे राज्य के प्रति विश्वासपात्र भी हो। तुमने देखा कि हम कितनी शांति से इस द्वीप पर रह रहे थे। पर जब से मान्त्रिक ने हमारे राज्य की हर व्यवस्था में परमर्श देना शुरू किया है, तब से अचानक से सीनोर राज्य का हुलिया ही बदल गया।
मान्त्रिक ने हमारे राज्य में पिरामिड का निर्माण कराया और बुद्ध ग्रह के देवता जैगन के साथ मिलकर पता नहीं किस प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं? जाने क्यों मुझे यह सब ठीक नहीं लगता? उधर देवी शलाका को पिछ्ले 5000 वर्ष से किसी ने नहीं देखा था, पर मान्त्रिक ने 10 वर्ष पहले इस लड़की को देवी शलाका बनाकर हमारे समक्ष उपस्थित कर दिया। शुरू-शुरू में मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा था, पर अब जाने क्यों मुझे वो लड़की देवी शलाका नहीं लगती? शायद वह कोई बहुरूपिया है? तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है?"
“देखिये युवराज, आपकी बात बिल्कुल सही है, मुझे भी मान्त्रिक के क्रियाकलाप अच्छे नहीं लगते हैं, पर मान्त्रिक के पास बहुत सी विलक्षण शक्तियां हैं, जिनका सामना हममें से कोई नहीं कर सकता।
माना कि आपके पास ‘इच्छाधारी शक्ति’ है, जिससे आप अपने आप को किसी भी जीव में परीवर्तित कर सकते है और आपकी इस शक्ति के बारे में मेरे, मान्त्रिक और आपकी बहन के अलावा और कोई नहीं जानता। पर इतनी शक्तियां पर्याप्त नहीं हैं। इसिलये हम चाह कर भी मान्त्रिक का विरोध नहीं कर सकते।
अब रही बात उस लड़की के देवी शलाका होने या ना होने की। तो हम छिप कर उसकी गतिविधियो पर नजर रखते हैं और पता करने की कोशिश करते हैं कि वह सच में देवी शलाका है या नहीं । इसके आगे की बातें समय और परिस्थितियों के हिसाब से फ़िर विचार कर लेंगे। फ़िलहाल अभी हमें मान्त्रिक के पास चलना ही पड़ेगा। देखें तो आख़िर उन्होने हमें बुलाया क्यों है?"
सनूरा की बातें लुफासा को सही लगी, इसिलये वह भी मकोटा से मिलने के लिये उठकर खड़ा हो गया।
लुफासा और सनूरा दोनों ही सीनोर महल से निकलकर बाहर आ गये।
बाहर आकर लुफासा एक बड़े से भेड़िये में परीवर्तित हो गया और सनूरा ने बिल्ली का रुप धारण कर लिया।
अब दोनों दौड़कर कुलांचे भरते हुए मकोटा महल की ओर चल दिये। रास्ते में बहुत से अन्य जंगली जानवर मिले जो कि दोनों को देख रास्ते से हट गये।
15 मिनट के अंदर दोनों मकोटा महल पहुंच गये।
मकोटा महल बहुत ही विशालकाय था। महल के बीचोबीच में एक बहुत बड़ी भेड़िया मानव की मूर्ति लगी थी, जिसने अपने दोनो हाथ में फरसे जैसा अस्त्र पकड़ रखा था।
महल के अंदर जाने के लिए सिर्फ़ एक पतला रास्ता था। मुख्य द्वार के अगल-बगल 2 सिंघो के समान धातु की संरचना बनी थी, जो देखने में अजीब सी रहस्यमयी प्रतीत हो रही थी।
मूर्ति के सामने महल की छत पर एक काले रंग का बड़ा सा गोल पत्थर रखा था, जिसका कोई औचित्य समझ में नहीं आ रहा था।
लुफासा और सनूरा जैसे ही महल के अंदर प्रवेश किये, मुख्य द्वार अपने आप ही खुल गया। शायद मकोटा अंदर से महल के द्वार पर नजर रख रहा था।
लुफासा और सनूरा महल के अंदर पहुंच गये। महल में जगह-जगह पर काले भेड़िये घूम रहे थे। शायद वह मकोटा के सुरक्षाकर्मी थे।
लुफासा उन भेड़ियों से पहले से ही परिचित था। इसिलये वह सीधे एक बड़े कमरे में दाख़िल हो गया। उस कमरे में ही मकोटा उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।
मकोटा ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसने अब भी अपने हाथ में सर्पदंड पकड़ रखा था। दोनों ने झुककर मकोटा का अभिवादन किया।
मकोटा ने दोनों को सामने रखी कुर्सियो पर बैठने का इशारा किया। लुफासा और सनूरा सामने रखी कुर्सियो पर बैठ गये।
“आज मैंने तुम लोगो को एक खास काम से बुलाया है।" मकोटा ने बिना समय गंवाये बोलना शुरू कर दिया- “हमें पूर्ण अराका पर राज करने के लिए देवता जैगन की आवश्यकता है। देवता जैगन और बुद्ध ग्रह के वासी हमारा साथ देने के लिए पूर्ण रुप से तैयार हैं, पर बदले में उन्हें हमसे एक मदद की आवश्यकता है।"
“मदद! कैसी मदद?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।
“देखो लुफासा, तुम जानते हो कि बुद्ध ग्रह पर हरे कीडो का साम्राज्य है। जैगन उन्ही के देवता है और महान काली शक्तियों के स्वामी भी। इस समय जैगन ‘ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती’ पर कोई प्रयोग कर रहे हैं, जिसके लिए, उनहें कुछ दिन के लिए रोज एक मृत मानव शरीर की जरुरत है। हमें उनकी यही आवश्यकता को कुछ दिन के लिए पूरा करना पड़ेगा।" मकोटा ने लुफासा के चेहरे के भावों को देखते हुए कहा।
मकोटा के शब्द सुन सनूरा की आँखे जल उठी, पर तुरंत ही उसने अपने चेहरे के भावों को सामान्य कर लिया।
मकोटा के शब्द लुफासा के भी दिल में उथल-पुथल पैदा कर रहे थे। यह देख सनूरा बीच में ही बोल उठी-
“पर मान्त्रिक, हम लोग रोज एक मानव शरीर कहां से लायेंगे? इस क्षेत्र में तो कोई मानव नहीं आता और हम मनुष्यो के संसार में जाकर भी कोई मृत मानव नहीं ला सकते क्यों कि वैसे भी हम अराकावासी, देवी शलाका के कहे अनुसार बिना बात के किसी मानव का रक्त नहीं बहाते।"
“मुझे नहीं पता कहां से करेंगे? तुम सीनोर की सेनापित हो। ये सोचना तुम्हारा काम है।" मकोटा ने सनूरा पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा-
“पिछले सप्ताह एक बोट गलती से भटककर इस क्षेत्र में आ गयी थी। उसमें 5 व्यक्ति सवार थे, जो उस दुर्घटना में मारे गये थे। हम अगले 5 दिन तक तो उन 5 इन्सानों को जैगन के हवाले कर देंगे, पर उस के बाद की लाशो का इंतजाम आप लोगो को ही करना होगा। हां अगर इस काम के लिये आपको बुद्ध ग्रह के हरे कीडो की मदद की जरूरत हो तो आप उनसे सहायता ले सकते हो और अब रही बात इंसानो का मारने की तो यह काम हरे कीड़े कर देंगे। आपको बस उस लाश को पिरामिड में रख कर आना होगा। और देवी शलाका तो अब वैसे भी हम लोगो के साथ हैं, तो आप लोगो को क्या परेशानी है? कुछ और पूछना है आप लोगो को?"
इतना कहकर मकोटा खामोश हो गया और लुफासा और सनूरा की तरफ देखने लगा।
मकोटा की बात समाप्त होने के बाद लुफासा ने सनूरा की ओर देखा। सनूरा ने धीरे से पलके झपकाकर लुफासा को आश्वस्त रहने का इशारा किया।
यह देख लुफासा ने धीरे से सिर हिलाकर मकोटा को अपनी सहमित दे दी।
तभी एक काला भेड़िया उस कमरे में दाख़िल हुआ। उसके मुंह में एक कागज का टुकड़ा दबा था। उस कागज के टुकड़े में लगभग 20 हरे रंग के बटन जैसे स्टीकर चिपके थे।
मकोटा ने उस कागज के टुकड़े को भेड़िये से लेकर लुफासा की ओर बढ़ाते हुए कहा-
“यह हरे रंग के स्टीकर को गले पर चिपकाने पर तुम बुद्ध ग्रह की भाषा को बोल सकोगे और इन हरे कीडो से बात भी कर सकते हो।"
लुफासा ने वह कागज का टुकड़ा मकोटा के हाथ से ले लिया और सनूरा को ले मकोटा महल से निकल पड़ा। पर इस समय लुफासा के चेहरे पर थोड़ी बेबसी के भाव थे।
पिरामिड का राज
आज से 8 दिन पहले........ (1 जनवरी 2002, मंगलवार, 01:30, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)
मकोटा से मिले आज लुफासा को 3 दिन बीत गया था। इन 3 दिन में 3 इंसानो की लाश लुफासा पिरामिड में पहुंचा चुका था। अब 2 ही लाशे उनके पास बची थी। जो 1 और 2 तारीख को लुफासा पिरामिड में पहुंचा देता, पर उसके बाद क्या?
लुफासा ने मकोटा की धमकी को महसूस कर लिया था। वह जानता था कि अगर उसने मानव शरीर की व्यवस्था नहीं की तो मकोटा का कहर सबसे पहले उसके ऊपर ही गिरेगा।
इस बात को लेकर लुफासा बहुत ही ज्यादा परेशान था। जिस मकोटा ने उसको ख़्वाब दिखाए थे, वही मकोटा आज उसके लिये ही गले की हड्डी बनता जा रहा था।
लुफासा अभी अपने कमरे में इसी उधेड़बुन में डूबा था कि तभी अचानक ने से एक ‘बीप-बीप’ की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।
लुफासा का ध्यान सामने की ओर लगी एक स्क्रीन की ओर गया, जिस पर लाल रंग के बिन्दु सा कुछ चमक रहा था। यह देख लुफासा की आँखे खुशी से चमक उठी।
“यह तो शायद कोई पानी का जहाज है जो शायद रास्ता भटककर हमारी सीमा में आ गया है।“ लुफासा स्क्रीन की ओर देखते हुए मन ही मन बड़बड़ाया- “लगता है देवी शलाका ने हमारी सुन ली।"
लुफासा ने अपने कमरे में मौजूद एक अलमारी का खोला और उसमें से मकोटा के द्वारा दिया हुआ कागज को टुकड़ा निकाल लिया।
उस कागज के टुकड़े में 20 स्टीकर चिपके हुए थे। लुफासा ने उनमें से एक स्टीकर को अपने गले पर चिपका लिया। अब वह हरे कीडो को नियंत्रित कर सकता था।
इसके बाद लुफासा तुरंत अपने कमरे से निकला और महल की छत पर आ गया। छत पर पहुंच कर लुफासा ने एक बाज का रुप धारण किया और वहां से समुद्र के किनारे की ओर उड़ चला।
थोड़ी ही देर में लुफासा समुद्र के किनारे पहुंच गया।
लुफासा ने अपने गले पर चिपके हरे रंग के स्टीकर को धीरे से दबाकर अपने गले से एक विचित्र सी आवाज निकाली।
कुछ ही देर में पानी के अंदर से एक उड़नतस्तरी निकली। जो नीले रंग की रोशनी बिखेर रही थी। अब वह उड़नतस्तरी पानी पर तैर रही थी।
उड़नतस्तरी का एक दरवाजा खुला और उसमें से एक 6 फुट का हरे रंग का कीड़ा निकला। यह कीड़ा देखने में बाकी कीड़ो के जैसा ही था, परंतु आकार में किसी इंसान के बराबर का दिख रहा था।
वह हरे रंग का कीड़ा अपने 2 पैरो से पानी पर चलता हुआ लुफासा के पास पहुंचा।
लुफासा कुछ देर तक उस कीड़े को देखता रहा क्यों कि उसने भी आज तक इतना बड़ा हरा कीड़ा नहीं देखा था। फ़िर उस कीड़े को उन्हिं की भाषा में उस जहाज के बारे में बताने लगा।
जब लुफासा ने जहाज की पूरी जानकारी दे दी तो वह कीड़ा वापस उड़नतस्तरी के अंदर चला गया। उड़नतस्तरी का द्वार अब बंद हो गया।
लगभग 2 मिनट के अंदर ही उड़नतस्तरी ने हवा में तेज आवाज के साथ उड़ान भरी।
कुछ ही देर में वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ के पास पहुंच गयी और एक तेज आवाज के साथ विद्युत चुंबकीय किरणें छोड़ती हुई सुप्रीम के ऊपर से निकली।
उसके ऊपर से निकलते ही सुप्रीम के सारे इलेक्ट्रोनिक यंत्र खराब हो गये।
अब वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ से कुछ आगे समुद्र के अंदर समा गयी।
पानी के अंदर पहुंचकर वह उड़नतस्तरी बहुत तेज गति से पानी के अंदर नाचने लगी।
उसके नाचने की गति इतनी तेज थी कि समुद्र का पानी उस स्थान पर एक भंवर के रूप में परिवर्त्तित हो गया।
थोड़ी ही देर में उस भंवर ने विशाल आकार लेकर सुप्रीम को अपनी गिरफ़्त में ले लिया। सुप्रीम अब भंवर धराओं के बीच फंसता जा रहा था।
जारी रहेगा________![]()
Makota hi lagta ha main villain ha jo ye sab karwa raha ha ab to sinor rajya oar bhi uska kabja hi ha Lufasa to naam ka rajkumar rah gaya ha jaise wo Makota se darker uske hukum ka palan kar raha ha or uska sochna bhi sahi ha wo devi shalaka thodi ha wo to akriti ha
Lagta ha is makita ke karan hi devi shalaka udhar kaid hoker rah gayi thi or sinor or samra rajya ki dushmani karane me bhi iska hi hath lagta ha kyonki agar dono sath me hote to iska plan kaise kamyab hota barhal dekhte han ye lashon ka kya karega
Or un hare kidon or UFO ka bhi raj khul Gaya sala sach ke hi alien nikle wo to wo bhi budh grah ke or jegan unka devta tha lagta ha sara kiya dhara ye jegan ne hi racha hua ha ya uske liye racha ja raha ha