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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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" Never let an old flame burn you twice "
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#82.

चैपटर-8: मकोटा महल

(आज से 10 दिन पहले.......(29 दिसम्बर 2001, शनिवार, 11:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा सीनोर महल के एक कमरे में सनूरा के साथ बैठा था।

“हम कल ही तो मान्त्रिक से मिल कर आये थे, तब आज उन्होंने फ़िर से इतनी जल्दी क्यों हम लोगो को बुला लिया? कुछ तो परेशानी जरूर है?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

लुफासा और सनूरा मकोटा को मान्त्रिक कहकर संबोधित करते थे।

“आप सही कह रहे हैं युवराज।" सनूरा ने अपनी बिल्ली जैसी आँखो से लुफासा को देखते हुए कहा-

“मान्त्रिक बिना किसी जरूरी कार्य के हमें ऐसे तो नहीं बुलाएंगे। कहीं ये देवी शलाका से सम्बंधित बात तो नहीं है? कल मैंने देवी शलाका को मान्त्रिक के साथ आकाश मार्ग से जाते हुए देखा था।"

“सनूरा! एक बात पूछूं?" लुफासा ने कुर्सी से खड़े होकर कमरे में टहलते हुए सनूरा से पूछा।

“जी पूछिये।" सनूरा की आँखो में प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगा।

“क्या तुम्हे सच में लगता है कि वह लड़की देवी शलाका है?" लुफासा ने शंकित स्वर में पूछा- “जाने क्यों मुझे वह देवी शलाका नहीं लगती। ऐसा लग रहा है जैसे वह कोई दूसरी लड़की है? और देवी शलाका बनने का अिभनय कर रही है।"

“पर उनका परिचय तो मान्त्रिक ने ही कराया था। क्या आपको मान्त्रिक पर भी शक है?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।

“देखो सनूरा, तुम पिछ्ले 600 वर्ष से सीनोर राज्य की सेनापति हो। पूरे सीनोर राज्य की सुरक्षा का भार तुम्हारे ऊपर है। तुम में रहस्यमयी शक्तियां हैं। तुम हमारे राज्य के प्रति विश्वासपात्र भी हो। तुमने देखा कि हम कितनी शांति से इस द्वीप पर रह रहे थे। पर जब से मान्त्रिक ने हमारे राज्य की हर व्यवस्था में परमर्श देना शुरू किया है, तब से अचानक से सीनोर राज्य का हुलिया ही बदल गया।

मान्त्रिक ने हमारे राज्य में पिरामिड का निर्माण कराया और बुद्ध ग्रह के देवता जैगन के साथ मिलकर पता नहीं किस प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं? जाने क्यों मुझे यह सब ठीक नहीं लगता? उधर देवी शलाका को पिछ्ले 5000 वर्ष से किसी ने नहीं देखा था, पर मान्त्रिक ने 10 वर्ष पहले इस लड़की को देवी शलाका बनाकर हमारे समक्ष उपस्थित कर दिया। शुरू-शुरू में मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा था, पर अब जाने क्यों मुझे वो लड़की देवी शलाका नहीं लगती? शायद वह कोई बहुरूपिया है? तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है?"

“देखिये युवराज, आपकी बात बिल्कुल सही है, मुझे भी मान्त्रिक के क्रियाकलाप अच्छे नहीं लगते हैं, पर मान्त्रिक के पास बहुत सी विलक्षण शक्तियां हैं, जिनका सामना हममें से कोई नहीं कर सकता।

माना कि आपके पास ‘इच्छाधारी शक्ति’ है, जिससे आप अपने आप को किसी भी जीव में परीवर्तित कर सकते है और आपकी इस शक्ति के बारे में मेरे, मान्त्रिक और आपकी बहन के अलावा और कोई नहीं जानता। पर इतनी शक्तियां पर्याप्त नहीं हैं। इसिलये हम चाह कर भी मान्त्रिक का विरोध नहीं कर सकते।
अब रही बात उस लड़की के देवी शलाका होने या ना होने की। तो हम छिप कर उसकी गतिविधियो पर नजर रखते हैं और पता करने की कोशिश करते हैं कि वह सच में देवी शलाका है या नहीं । इसके आगे की बातें समय और परिस्थितियों के हिसाब से फ़िर विचार कर लेंगे। फ़िलहाल अभी हमें मान्त्रिक के पास चलना ही पड़ेगा। देखें तो आख़िर उन्होने हमें बुलाया क्यों है?"

सनूरा की बातें लुफासा को सही लगी, इसिलये वह भी मकोटा से मिलने के लिये उठकर खड़ा हो गया।

लुफासा और सनूरा दोनों ही सीनोर महल से निकलकर बाहर आ गये।

बाहर आकर लुफासा एक बड़े से भेड़िये में परीवर्तित हो गया और सनूरा ने बिल्ली का रुप धारण कर लिया।

अब दोनों दौड़कर कुलांचे भरते हुए मकोटा महल की ओर चल दिये। रास्ते में बहुत से अन्य जंगली जानवर मिले जो कि दोनों को देख रास्ते से हट गये।

15 मिनट के अंदर दोनों मकोटा महल पहुंच गये।

मकोटा महल बहुत ही विशालकाय था। महल के बीचोबीच में एक बहुत बड़ी भेड़िया मानव की मूर्ति लगी थी, जिसने अपने दोनो हाथ में फरसे जैसा अस्त्र पकड़ रखा था।

महल के अंदर जाने के लिए सिर्फ़ एक पतला रास्ता था। मुख्य द्वार के अगल-बगल 2 सिंघो के समान धातु की संरचना बनी थी, जो देखने में अजीब सी रहस्यमयी प्रतीत हो रही थी।

मूर्ति के सामने महल की छत पर एक काले रंग का बड़ा सा गोल पत्थर रखा था, जिसका कोई औचित्य समझ में नहीं आ रहा था।

लुफासा और सनूरा जैसे ही महल के अंदर प्रवेश किये, मुख्य द्वार अपने आप ही खुल गया। शायद मकोटा अंदर से महल के द्वार पर नजर रख रहा था।

लुफासा और सनूरा महल के अंदर पहुंच गये। महल में जगह-जगह पर काले भेड़िये घूम रहे थे। शायद वह मकोटा के सुरक्षाकर्मी थे।

लुफासा उन भेड़ियों से पहले से ही परिचित था। इसिलये वह सीधे एक बड़े कमरे में दाख़िल हो गया। उस कमरे में ही मकोटा उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

मकोटा ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसने अब भी अपने हाथ में सर्पदंड पकड़ रखा था। दोनों ने झुककर मकोटा का अभिवादन किया।

मकोटा ने दोनों को सामने रखी कुर्सियो पर बैठने का इशारा किया। लुफासा और सनूरा सामने रखी कुर्सियो पर बैठ गये।

“आज मैंने तुम लोगो को एक खास काम से बुलाया है।" मकोटा ने बिना समय गंवाये बोलना शुरू कर दिया- “हमें पूर्ण अराका पर राज करने के लिए देवता जैगन की आवश्यकता है। देवता जैगन और बुद्ध ग्रह के वासी हमारा साथ देने के लिए पूर्ण रुप से तैयार हैं, पर बदले में उन्हें हमसे एक मदद की आवश्यकता है।"

“मदद! कैसी मदद?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“देखो लुफासा, तुम जानते हो कि बुद्ध ग्रह पर हरे कीडो का साम्राज्य है। जैगन उन्ही के देवता है और महान काली शक्तियों के स्वामी भी। इस समय जैगन ‘ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती’ पर कोई प्रयोग कर रहे हैं, जिसके लिए, उनहें कुछ दिन के लिए रोज एक मृत मानव शरीर की जरुरत है। हमें उनकी यही आवश्यकता को कुछ दिन के लिए पूरा करना पड़ेगा।" मकोटा ने लुफासा के चेहरे के भावों को देखते हुए कहा।

मकोटा के शब्द सुन सनूरा की आँखे जल उठी, पर तुरंत ही उसने अपने चेहरे के भावों को सामान्य कर लिया।

मकोटा के शब्द लुफासा के भी दिल में उथल-पुथल पैदा कर रहे थे। यह देख सनूरा बीच में ही बोल उठी-

“पर मान्त्रिक, हम लोग रोज एक मानव शरीर कहां से लायेंगे? इस क्षेत्र में तो कोई मानव नहीं आता और हम मनुष्यो के संसार में जाकर भी कोई मृत मानव नहीं ला सकते क्यों कि वैसे भी हम अराकावासी, देवी शलाका के कहे अनुसार बिना बात के किसी मानव का रक्त नहीं बहाते।"

“मुझे नहीं पता कहां से करेंगे? तुम सीनोर की सेनापित हो। ये सोचना तुम्हारा काम है।" मकोटा ने सनूरा पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा-

“पिछले सप्ताह एक बोट गलती से भटककर इस क्षेत्र में आ गयी थी। उसमें 5 व्यक्ति सवार थे, जो उस दुर्घटना में मारे गये थे। हम अगले 5 दिन तक तो उन 5 इन्सानों को जैगन के हवाले कर देंगे, पर उस के बाद की लाशो का इंतजाम आप लोगो को ही करना होगा। हां अगर इस काम के लिये आपको बुद्ध ग्रह के हरे कीडो की मदद की जरूरत हो तो आप उनसे सहायता ले सकते हो और अब रही बात इंसानो का मारने की तो यह काम हरे कीड़े कर देंगे। आपको बस उस लाश को पिरामिड में रख कर आना होगा। और देवी शलाका तो अब वैसे भी हम लोगो के साथ हैं, तो आप लोगो को क्या परेशानी है? कुछ और पूछना है आप लोगो को?"

इतना कहकर मकोटा खामोश हो गया और लुफासा और सनूरा की तरफ देखने लगा।

मकोटा की बात समाप्त होने के बाद लुफासा ने सनूरा की ओर देखा। सनूरा ने धीरे से पलके झपकाकर लुफासा को आश्वस्त रहने का इशारा किया।

यह देख लुफासा ने धीरे से सिर हिलाकर मकोटा को अपनी सहमित दे दी।

तभी एक काला भेड़िया उस कमरे में दाख़िल हुआ। उसके मुंह में एक कागज का टुकड़ा दबा था। उस कागज के टुकड़े में लगभग 20 हरे रंग के बटन जैसे स्टीकर चिपके थे।

मकोटा ने उस कागज के टुकड़े को भेड़िये से लेकर लुफासा की ओर बढ़ाते हुए कहा-

“यह हरे रंग के स्टीकर को गले पर चिपकाने पर तुम बुद्ध ग्रह की भाषा को बोल सकोगे और इन हरे कीडो से बात भी कर सकते हो।"

लुफासा ने वह कागज का टुकड़ा मकोटा के हाथ से ले लिया और सनूरा को ले मकोटा महल से निकल पड़ा। पर इस समय लुफासा के चेहरे पर थोड़ी बेबसी के भाव थे।


पिरामिड का राज

आज से 8 दिन पहले........ (1 जनवरी 2002, मंगलवार, 01:30, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

मकोटा से मिले आज लुफासा को 3 दिन बीत गया था। इन 3 दिन में 3 इंसानो की लाश लुफासा पिरामिड में पहुंचा चुका था। अब 2 ही लाशे उनके पास बची थी। जो 1 और 2 तारीख को लुफासा पिरामिड में पहुंचा देता, पर उसके बाद क्या?

लुफासा ने मकोटा की धमकी को महसूस कर लिया था। वह जानता था कि अगर उसने मानव शरीर की व्यवस्था नहीं की तो मकोटा का कहर सबसे पहले उसके ऊपर ही गिरेगा।

इस बात को लेकर लुफासा बहुत ही ज्यादा परेशान था। जिस मकोटा ने उसको ख़्वाब दिखाए थे, वही मकोटा आज उसके लिये ही गले की हड्डी बनता जा रहा था।

लुफासा अभी अपने कमरे में इसी उधेड़बुन में डूबा था कि तभी अचानक ने से एक ‘बीप-बीप’ की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।

लुफासा का ध्यान सामने की ओर लगी एक स्क्रीन की ओर गया, जिस पर लाल रंग के बिन्दु सा कुछ चमक रहा था। यह देख लुफासा की आँखे खुशी से चमक उठी।

“यह तो शायद कोई पानी का जहाज है जो शायद रास्ता भटककर हमारी सीमा में आ गया है।“ लुफासा स्क्रीन की ओर देखते हुए मन ही मन बड़बड़ाया- “लगता है देवी शलाका ने हमारी सुन ली।"

लुफासा ने अपने कमरे में मौजूद एक अलमारी का खोला और उसमें से मकोटा के द्वारा दिया हुआ कागज को टुकड़ा निकाल लिया।

उस कागज के टुकड़े में 20 स्टीकर चिपके हुए थे। लुफासा ने उनमें से एक स्टीकर को अपने गले पर चिपका लिया। अब वह हरे कीडो को नियंत्रित कर सकता था।

इसके बाद लुफासा तुरंत अपने कमरे से निकला और महल की छत पर आ गया। छत पर पहुंच कर लुफासा ने एक बाज का रुप धारण किया और वहां से समुद्र के किनारे की ओर उड़ चला।

थोड़ी ही देर में लुफासा समुद्र के किनारे पहुंच गया।

लुफासा ने अपने गले पर चिपके हरे रंग के स्टीकर को धीरे से दबाकर अपने गले से एक विचित्र सी आवाज निकाली।

कुछ ही देर में पानी के अंदर से एक उड़नतस्तरी निकली। जो नीले रंग की रोशनी बिखेर रही थी। अब वह उड़नतस्तरी पानी पर तैर रही थी।

उड़नतस्तरी का एक दरवाजा खुला और उसमें से एक 6 फुट का हरे रंग का कीड़ा निकला। यह कीड़ा देखने में बाकी कीड़ो के जैसा ही था, परंतु आकार में किसी इंसान के बराबर का दिख रहा था।

वह हरे रंग का कीड़ा अपने 2 पैरो से पानी पर चलता हुआ लुफासा के पास पहुंचा।

लुफासा कुछ देर तक उस कीड़े को देखता रहा क्यों कि उसने भी आज तक इतना बड़ा हरा कीड़ा नहीं देखा था। फ़िर उस कीड़े को उन्हिं की भाषा में उस जहाज के बारे में बताने लगा।

जब लुफासा ने जहाज की पूरी जानकारी दे दी तो वह कीड़ा वापस उड़नतस्तरी के अंदर चला गया। उड़नतस्तरी का द्वार अब बंद हो गया।

लगभग 2 मिनट के अंदर ही उड़नतस्तरी ने हवा में तेज आवाज के साथ उड़ान भरी।

कुछ ही देर में वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ के पास पहुंच गयी और एक तेज आवाज के साथ विद्युत चुंबकीय किरणें छोड़ती हुई सुप्रीम के ऊपर से निकली।

उसके ऊपर से निकलते ही सुप्रीम के सारे इलेक्ट्रोनिक यंत्र खराब हो गये।

अब वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ से कुछ आगे समुद्र के अंदर समा गयी।

पानी के अंदर पहुंचकर वह उड़नतस्तरी बहुत तेज गति से पानी के अंदर नाचने लगी।

उसके नाचने की गति इतनी तेज थी कि समुद्र का पानी उस स्थान पर एक भंवर के रूप में परिवर्त्तित हो गया।

थोड़ी ही देर में उस भंवर ने विशाल आकार लेकर सुप्रीम को अपनी गिरफ़्त में ले लिया। सुप्रीम अब भंवर धराओं के बीच फंसता जा रहा था।



जारी रहेगा________✍️



Makota hi lagta ha main villain ha jo ye sab karwa raha ha ab to sinor rajya oar bhi uska kabja hi ha Lufasa to naam ka rajkumar rah gaya ha jaise wo Makota se darker uske hukum ka palan kar raha ha or uska sochna bhi sahi ha wo devi shalaka thodi ha wo to akriti ha

Lagta ha is makita ke karan hi devi shalaka udhar kaid hoker rah gayi thi or sinor or samra rajya ki dushmani karane me bhi iska hi hath lagta ha kyonki agar dono sath me hote to iska plan kaise kamyab hota barhal dekhte han ye lashon ka kya karega

Or un hare kidon or UFO ka bhi raj khul Gaya sala sach ke hi alien nikle wo to wo bhi budh grah ke or jegan unka devta tha lagta ha sara kiya dhara ye jegan ne hi racha hua ha ya uske liye racha ja raha ha
 

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तभी उड़नतस्तरी वापस पानी से निकलकर अराका द्वीप की ओर बढ़ गयी। लुफासा अभी भी उसी स्थान पर खड़ा था। लुफासा के देखते ही देखते उड़नतस्तरी वापस पानी में समा गयी।

लुफासा को 'सुप्रीम' का इस तरह से भटकाना अच्छा नहीं लगा था, पर वह मजबूर था। वह मकोटा के विरुद्ध नहीं जा सकता था।

लुफासा अब उदास मन से पैदल ही महल की ओर चल दिया।

चलते-चलते वह सोचता भी जा रहा था-
“पता नहीं जैगन इंसान के मृत शरीर के साथ कौन सा प्रयोग कर रहा है?और यह मान्त्रिक भी सीनोर वासी होकर भी द्वीप के नियमों का उलंघन कर रहे हैं। क्यों ना छिपकर पिरामिड के अंदर जाकर देखा जाये कि आख़िर कौन सा प्रयोग कर रहे हैं वहां पर? पर अगर मान्त्रिक को इस बारे में पता चल गया तो?.... तो फिर क्या होगा?...पर उन्हें पता कैसे चलेगा? मैं स्वयं तो उन्हें बताऊंगा नहीं...और मैं तो कोई भी रूप धारण कर सकता हू, मुझे कोई पहचान कैसे पायेगा?"

यह ख्याल दिमाग में आते ही लुफासा ने फ़िर से बाज का रूप धारण कर लिया और पिरामिड की ओर उड़ चला। काफ़ी देर उड़ने के बाद लुफासा को पिरामिड दिखाई देने लगे।

लुफासा सबसे पहले वाले पिरामिड की छत पर उतर गया। छत पर किसी भी प्रकार का कोई रोशनदान या खिड़की नहीं थी।

“यह क्या? इसमें ऊपर से तो अंदर की ओर जा पाना असंभव है। कोई और रास्ता ढूंढता हू।"

पर चारो ओर से गहन निरिक्षण करने के बाद भी लुफासा को पिरामिड के अंदर घुसने का कोई रास्ता नजर नहीं आया।

तभी लुफासा को पिरामिड की ओर आता हुआ मकोटा दिखाई दिया।

मकोटा को देख लुफासा ने मक्खी का रूप धारण कर लिया।

मकोटा ने पिरामिड के दरवाजे के पास पहुंचकर अपने दोनों तरफ देखा और फ़िर अपने हाथ में पकड़े सर्पदंड को दरवाजे से स्पर्श करा दिया।

पिरामिड का दरवाजा एक गड़गड़ाहट के साथ खुल गया।

मकोटा के साथ लुफासा भी मक्खी बनकर पिरामिड के अंदर प्रवेश कर गया।

अंदर से पिरामिड बहुत ही आधुनिक अंतरिक्ष यान की तरह से दिख रहा था। पिरामिड की दीवारों से तेज रोशनी फूट रही थी।

एक छोटी सी गैलरी के बाद एक बहुत ही विशालकाय कमरा था। जिसे देखकर लुफासा हैरान रह गया क्यों कि उस कमरे में एक लगभग 400-500 फुट ऊंचा, एक आँख और चार हाथो वाला एक दैत्य, धातु की जंजीरों में बंधा था, जिसके शरीर से हजारों पतले-पतले पाइप जुड़े हुए थे। उस दैत्य की 2 सिंगे भी थी।

उस पाइप का दूसरा शिरा छोटे-छोटे काँच के ग्लोब से जुड़ा हुआ था और हर उस ग्लोब में एक इंसानी मृत शरीर दिखाई दे रहा था।

अब उस दैत्य को उन मानव शरीरो से क्या दिया जा रहा था, यह लुफासा की समझ में नहीं आया।

उस पूरे कमरे में असंख्य मशीन लगी हुई थी, जिन पर अजीब तरीके से कुछ संकेत दिखाई दे रहे थे और हज़ारों की संख्या में हरे कीड़े उन मशीनो पर काम कर रहे थे।

मकोटा वहां खड़ा उस दैत्य को देख रहा था।

तभी दूर से एक ‘भेड़िया मानव’ चलता हुआ आया। जिसका सिर भेड़िये का और शरीर इंसान का दिख रहा था।

लुफासा समझ गया कि इसी भेड़िया मानव की मूर्ति स्तंभ के रूप में मकोटा महल के ऊपर लगी थी।

मकोटा के पास आकर उस भेड़िया मानव ने झुककर अभिवादन किया।

“जैगन कब तक होश में आ जायेगा वुल्फा?" मकोटा ने वुल्फा को देखते हुए पूछा।

“कुछ कह नहीं सकता मालिक? मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं।" वुल्फा ने कहा।

तभी वुल्फा की निगाह मकोटा के पास उड़ रही मक्खी पर गयी।
उसने अपने दोनों हाथों को ताली बजाने के अंदाज में मक्खी बने लुफासा पर मार दिया।

एक सेकंड में ही लुफासा मारा गया।

वुल्फा मक्खी को वहीं फेंक मकोटा से बात करने लगा। मक्खी का शरीर तभी धुंआ बनकर हवा में विलीन हो गया।

उधर पिरामिड की छत पर लुफासा इंसानी शरीर में प्रकट हो गया। उसने जोर से एक गहरी साँस ली।

“बेकार में ही एक रूप नष्ट हो गया। अब में कभी मक्खी नहीं बन पाऊंगा।"

लुफासा ने अफसोस प्रकट किया- “पर ये जैगन तो बेहोश है, तो मान्त्रिक ने हमसे झूठ क्यों बोला? वो जैगन को क्यों होश में लाना चाहते हैं? और...और मुझे तो पिरामिड पर भी अधिकार मान्त्रिक का ही लग रहा था। और ये वुल्फा कौन है?......कुछ तो ऐसा जरूर चल रहा है, मान्त्रिक के दिमाग में?....जो अत्यन्त खतरनाक है।.... अब मुझे क्या करना चाहिए?.....मेरे हिसाब से मुझे अभी मानव शरीर का प्रबंध करना चाहिये और सभी पर छिप कर नजर रखनी चाहिए। अब मैं उचित समय आने पर ही कुछ करूगा।"

तभी आसमान में एक जोर की गड़गड़ाहट हुई और इससे पहले कि लुफासा कुछ समझ पाता, एक हेलीकाप्टर जोर की आवाज करता हुआ पिरामिड से कुछ दूरी पर आकर गिरा।

लुफासा बाज का रूप धारण कर उस हेलीकाप्टर की ओर उड़ चला।

लुफासा को कुछ दूरी पर हेलीकाप्टर के अवशेष पड़े दिखायी दिये, जिनसे धुंआ निकल रहा था।

लुफासा ने जमीन पर उतरते ही एक बड़े से शेर का रूप धारण कर लिया और उस हेलीकाप्टर की ओर चल पड़ा।

हेलीकाप्टर पेडों के एक झुरमुट के बीच गिरा पड़ा था। लुफासा ने झांककर उस हेलीकाप्टर में देखा। हेलीकाप्टर में उसका पायलेट मरा हुआ पड़ा था, जो बेचारा इस दुर्घटना का शिकार हो गया था।

लुफासा ने अपने पंजे से पायलेट की सीट बेल्ट को हटाया और उसे अपने मुंह में पकड़कर बाहर निकल गया।

लुफासा, पायलेट के शरीर को मुंह में दबाए पिरामिड की ओर चल दिया।

थोड़ी ही देर में पिरामिड दिखाई देने लगे। कुछ ही देर में लुफासा पिरामिड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।

लुफासा ने पिरामिड के दरवाजे पर पहुंचकर, पायलेट की लाश वहीं दरवाजे पर रख दी। इसके बाद लुफासा ने एक जोर की दहाड़ मारी और फ़िर पलटकर सीढ़ियों से उतर, अपने महल की ओर चल दिया।


लाश का सच
(आज से 6 दिन पहले....)
(3 जनवरी 2002, गुरुवार, 00:15, सुप्रीम)


लुफासा और सनूरा एक छोटी सी बोट से ‘सुप्रीम’ के साथ- साथ चल रहे थे।

बोट में एक हरा कीड़ा भी था।

“पहले मैं ऊपर जाता हूं और पूरे जहाज को देखकर आता हूं। उसके बाद सोचेंगे कि आगे क्या करना है?" लुफासा यह कहकर बाज बनकर सुप्रीम के एक डेक पर पहुंच गया।

देर रात होने की वजह से उस समय उस डेक पर कोई नहीं था। लुफासा ने फ़िर इंसानी आकृति धारण कर ली, जिससे अगर कोई उसे देख ले तो उसे अटपटा ना महसूस हो।

लुफासा दरवाजे के रास्ते से अंदर आ गया। सामने एक गैलरी जा रही थी। लुफासा उस गैलरी में आगे की ओर चल दिया।

3-4 गलियो को पार करने के बाद जैसे ही वह आगे बढ़ने चला, उसे सामने के मोड़ से किसी के आने की आवाज सुनाई दी।

लुफासा तुरंत बगल में मौजूद एक दरवाजे के अंदर चला गया। वह कमरा अंदर से बाकी जहाज की अपेक्षा थोड़ा ठंडा था।

तभी लुफासा के नाक से एक अजीब सी गंध टकरायी, जो अच्छी तो हरिगज ना थी।

लुफासा ने उस गंध की दिशा में देखा। उसे पॉलिथीन में बंद किसी लड़की की लाश दिखाई दी।

सामान्य कंडीशन में तो लुफासा उधर नहीं जाता, पर अभी वह इस जहाज पर लाश ही तो लेने आया था। लुफासा ने पहले कमरे पर एक नजर मारी और सामने दिख रही, खिड़की को खोल दिया।

ठंडी हवा का एक झोंका उसके चेहरे से टकराया।

बाहर दूर-दूर तक अंधेरा दिखाई दे रहा था। उसने तुरंत अपनी कमर पर बंधा एक लाल रंग का कपड़ा उस खिड़की पर पहचान के लिये बांध दिया।

“शायद यह वह कमरा है जहां पर लाशें रखी जाती हैं।" लुफासा बुदबुदाया- “किस्मत से मैं बिल्कुल सही जगह पर पहुंचा हूं। पर सनूरा तो बोट के साथ दूसरी दिशा में है"

फ़िर लुफासा ने वहां मौजूद एक कालीन में लॉरेन की लाश लपेटी और उसे कंधे पर उठाकर जिस दिशा से आया था, उसी दिशा में चल दिया। लुफासा दबे कदमों से चलने की कोशिश कर रहा था।

तभी गैलरी के दूसरे किनारे पर, 2 इंसान दिखाई दिये। लुफासा यह देख रुक गया।

तभी उसे एक कड़कदार आवाज सुनाई दी- “कौन है वहां? रुक जाओ....रुक जाओ, वरना गोली मार दूँगा।"

यह आवाज सुनते ही लुफासा तेजी से एक दिशा की ओर भागा।

उसको भागते देख लारा व सुयश तेजी से उस साये के पीछे भागे।

“मैं कहता हूं रुक जाओ।" लारा के दहाड़ते हुए शब्दो से पूरी गैलरी थर्रा सी गयी- “वरना मैं गोली चला दूँगा।"

लारा की दूसरी धमकी से भी लुफासा की गति में कोई अंतर नहीं आया। वह अभी भी निरंतर भागता जा रहा था।

लुफासा की रफ़्तार इतनी तेज थी कि पीछे से आ रहे लारा को गोली चलाने का भी समय नहीं मिल पा रहा था। तभी लुफासा को सामने सीढ़ियाँ दिखाई दी। वह तेजी से सीढ़ियो को पार कर सामने लगे दरवाजे से बाहर निकल गया।

दरवाजे के दूसरी ओर एक डेक था। वहां पर एक बूढ़ा आदमी खड़ा सिगरेट पी रहा था, जो कि अल्बर्ट था।

लुफासा को भागते देख अल्बर्ट लुफासा की ओर लपका, जिसकी वजह से अल्बर्ट की सिगरेट वहीं गिर गयी।

पर इससे पहले कि अल्बर्ट लुफासा को पकड़ पाता, लुफासा ने डेक की रैलिंग पर चढ़कर लॉरेन की लाश के साथ ही पानी में छलांग लगा दी।



जारी रहेगा________✍️


To supreme se sari lashen le jane wala Lufasa hi tha or hare kidon ko jahaj per lane wala bhi Lufasa hi tha Rojer ne jis sher ko dekha tha wo bhi Lufasa hi tha
Lekin ek bat samajh nahi ati ki Makota un lashon se us detya ke sath kya marna chahta ha kahin wo us detya ko kisi prakar se jinda karne ke bare me to nahi soch raha or Ye makota ne kaha tha na ki lashon ko Jegan ko bhent chadhayega kahin ye detya hi to Jegan nahi jise Makota wapas jinda karne ki koshish kar raha ha
 

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#84.

‘छपाक’ की तेज आवाज के साथ लुफासा पानी में गिरा। इतनी ऊंचाई से कूदने के बाद भी लुफासा ने लॉरेन की लाश को नहीं छोड़ा था।

लुफासा ने पानी में एक तेज डुबकी लगायी और पानी के अंदर ही अंदर जहाज के दूसरी ओर निकल गया। जहां सनूरा अपनी बोट लिये उसका इंतजार कर रही थी। सनूरा ने लुफासा को अपनी बोट पर खींच लिया।

“ये लाश कहां से मिल गयी?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।

“मेरी किस्मत से वहीं एक कमरे में रखी थी।"

लुफासा ने साँसो को नियन्त्रित करते हुए कहा- “पर मैंने उस कमरे की खिड़की पर, पहचान के लिये अपना लाल रंग का कपड़ा लगा दिया है। तुम्हे बोट को उस दिशा में लेना पड़ेगा।"

यह कहकर लुफासा ने सनूरा को एक दिशा की ओर इशारा किया। सनूरा ने बोट को उस दिशा में मोड़ लिया।

सनूरा अपनी बोट को सुप्रीम से चिपका कर चला रही थी, जिससे किसी की नजर बोट पर ना पड़े। कुछ ही देर में सनूरा बोट को लेकर दूसरी तरफ आ गयी।

लुफासा को ऊपर ऊंचाई पर लहराता हुआ अपना लाल कपड़ा दिखाई दे गया। उसने सनूरा को बोट उधर ले चलने का इशारा किया।

सनूरा ने खिड़की के नीचे बोट को ले लिया। उसने बोट की रफ़्तार ‘सुप्रीम’ की रफ़्तार के बराबर सेट कर दी। लुफासा ने उस हरे कीड़े को अपने पंजो में पकड़ा और बाज बन कर जहाज की खिड़की की ओर उड़ चला।

कुछ ही देर में लुफासा ऊपर पहुंच गया। लुफासा ने फ़िर इंसानी रूप धारण कर लिया। चूंकि लुफासा का शरीर समुद्र के पानी से अभी भी भीगा था। इसिलये खिड़की के नीचे उसके कपड़ो से कुछ पानी निकल कर बिखर गया।

स्टोर- रूम में पहुंचकर लुफासा ने हरे कीड़े को स्टोर रूम के दरवाजे के बाहर की ओर उछाल दिया और स्वयं आकर स्टोर रूम में छिपकर बैठ गया।

उसे पता था कि हरा कीड़ा अभी किसी ना किसी को अपना शिकार जरूर बनायेगा और मरने वाले की लाश इसी स्टोर- रूम में रखी जायेगी।

तभी स्टोर- रूम का दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया और उसमें से एक साया अंदर आ गया।

उस साये को देख लुफासा एक बोक्स के पीछे छिप गया, पर लुफासा की नजरें अभी भी उस साये पर थी।

उस साये ने पहले उस जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी हुई थी, पर वहां लाश को ना पाकर वह साया एकाएक घबरा गया और स्टोर- रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से भाग गया।

लुफासा को वहां बैठे-बैठे लगभग 45 मिनट बीत गये। अब लुफासा थोड़ा परेशान होने लगा था।

तभी दोबारा से स्टोर- रूम का दरवाजा खुला और 2 गार्ड, पैकेट में बंद एक लाश को लेकर आये।

“क्या आफत है यार।" एक गार्ड ने दूसरे गार्ड से कहा- “लाशे ढोने का काम हमारे जिम्मे है। छीSS.....ये
भी कोई काम है?"

“सही कह रहा है यार।" दूसरे गार्ड ने कहा।

उस मृत गार्ड की लाश को उन्होंने एक टेबल पर लिटा दिया। तभी उनकी नजर लॉरेन की लाश वाली जगह पर गयी।

“अरे लॉरेन की लाश कहां गयी?" एक गार्ड ने कहा- “वह तो यहीं रखी थी।"

यह देख दोनो ही गार्ड बहुत ज़्यादा घबरा गये और उस मृत गार्ड की लाश को वहीं छोड़कर कैप्टन को बताने के लिये वहां से भाग गये।

लुफासा ने यह देख उस मृत गार्ड की लाश को उठाया और उसे पानी में फेंक दिया। जिसे सनूरा ने उठाकर बोट पर रख लिया।

इसके बाद लुफासा खिड़की पर चढ़ गया और खिड़की के दूसरी ओर लटककर खिड़की को बंद भी कर दिया। फ़िर उसने वहीं से पानी में छलांग लगाई और जाकर बोट में बैठ गया।

लुफासा ने सनूरा को बोट वहां से हटाने को बोल दिया। सनूरा ने अपनी बोट की गति को बिल्कुल धीमा कर लिया।

‘सुप्रीम’ उसके बगल से होता हुआ आगे निकल गया।

कुछ ही देर में लुफासा और सनूरा अराका पर पहुंच गये। उन्होंने इन दोनों लाशो को भी पिरामिड के बाहर रख दिया।

इसके बाद थके कदमो से दोनों अपने महल की ओर बढ़ गये।


इच्छाधारी लुफासा

(आज से 5 दिन पहले ....4 जनवरी 2002, शुक्रवार, 15:00, अराका द्वीप)

अराका द्वीप के आसमान पर एक बाज काफ़ी ऊंचाई पर उड़ रहा था। उसकी तेज निगाहें अराका द्वीप के सामने मौजूद ‘सुप्रीम’ नामक पानी के जहाज पर थी।

जहाज के ऊपर से एक मोटरबोट को पानी में उतारा जा रहा था।

कुछ ही देर में मोटरबोट में 3 लोग सवार होकर अराका की ओर बढ़ने लगे।

यह देख बाज बने लुफासा ने आसमान से एक तेज डाइव मारी और तेजी से समुद्र की ओर आने लगा।

समुद्र के पास पहुंच कर लुफासा ने पानी में डुबकी मारी और एक छोटी मछली बन पानी में तैरने लगा।

धीरे-धीरे मोटरबोट लुफासा के पास आ रही थी। लुफासा ने पानी में एक गहरी डुबकी मारी औैर अब एक विशालकाय ऑक्टोपस का रुप ले लिया।

लुफासा ने पास आ रही बोट को नीचे से 2 हाथो से पकड़ लिया। बोट को एक झटका लगा और बोट रुक गई।

लुफासा ने बोट को ताकत लगाते देख अपने 2 और हाथो का प्रयोग कर दिया।

अब पानी में बहुत तेज हलचल सी होने लगी।

लुफासा ने बोट को इतनी ताकत से पकड़ रखा था कि बोट आगे जाना तो छोड़ो, वह घूम भी नहीं पा रही थी।

लुफासा बोट को ज़्यादा ताकत लगाते देख कर गुस्सा आ गया। अब वह पूरी ताकत से बोट को पकड़ द्वीप की ओर चल पड़ा।

लुफासा जब द्वीप के पास पहुंचा तो उसे पानी के अंदर हरे कीडो का एक बहुत बड़ा झुंड नजर आया।
यह देख लुफासा ने अपने शरीर को एक जगह पर रोक दिया, जिससे बोट को एक बहुत ही भयंकर झटका लगा।

अचानक लगे इस तेज झटके से दोनों गार्ड उछलकर समुद्र में जा गिरे।

मोटर बोट अब रुक गयी थी।

तभी पानी में गिरे दोनों गार्ड पर हरे कीडो ने हमला कर दिया और उन्हें पानी के अंदर ही अंदर घसीट कर उड़नतस्तरी की ओर बढ़े।

अब लुफासा ने एक विशालकाय हरे कीड़े का रुप लिया और बोट के बिल्कुल पास आकर लारा को पानी के अंदर से घूरकर देखा।

लारा वॉकी-टॉकी सेट पर सुयश से बात कर रहा था।

“कैप्टन मोटरबोट पुनः रुक गयी है.....। पर मेरे दोनों गार्ड झटका लगने की वजह से समुद्र में गिर गए हैं....... मैं भी बहुत मुश्किल से गिरते-गिरते बचा हूं।......सर वह दोनों गार्ड मुझे पानी में नजर नहीं आ रहे हैं.......पर .....यह.... क्या? .... ये पानी में.....हरा रंग.... नहीं... नहीं......यह....कैसे.....हो सकता है? ये दोनों आँखें...... खटाक.....।"

जैसे ही लारा की नजर हरा कीड़ा बने लुफासा की आँख पर गयी। लुफासा ने पानी के नीचे से लारा को बोट को एक जोरदार टक्कर मारी, जिसके कारण लारा की बोट पानी में डूब गयी।

लारा के पानी में गिरते ही हरे कीडो ने लारा को चीखने भर का भी मौका नहीं दिया और लारा को खिंचकर उड़नतस्तरी की ओर बढ़ गये।

लुफासा अब अपने महल में वापस आ गया, पर अब हर घटना के बाद वह विचलित होने लगा था। जैसे तैसे लुफासा ने अपनी रात बिताई।

अगले दिन लुफासा ने सुबह ही सुबह सनूरा को बुला लिया।

इस समय सनूरा लुफासा के सामने एक कुर्सी पर बैठी थी। लुफासा ने सबसे पहले सनूरा को पिरामिड के अंदर घटने वाली घटना के बारे में सबकुछ बता दिया।

पिरामिड की घटना सुन सनूरा हैरान रह गयी।

“इसका मतलब हमारा सोचना सही था।" सनूरा ने लुफासा को देखते हुए कहा- “मांत्रिक कुछ ना कुछ तो गड़बड़ अवश्य कर रहे हैं? मुझे लगता है कि अब हमें पहले एक बार देवी शलाका को भी जांच लेना चाहिए। उससे हमें और सत्यता का पता चल जायेगा।"

“तुम सही कह रही हो, अब हमें देवी शलाका बनी उस युवती का भी रहस्य पता लगाना होगा।" लुफासा ने कहा और उठकर खड़ा हो गया।

कुछ ही देर में वह दोनो उसी गुफा में पहुंच गये, जहां से 3 रास्ते जाते थे।

“हमें बांये वाले रास्ते पर चलना होगा, सीधा वाला रास्ता देवी शलाका के कमरे तक जाता है, जबकि ये बांया वाला रास्ता, उनके महल के बाहर की ओर जाता है।" लुफासा ने सनूरा से कहा और सनूरा को लेकर बांये वाले रास्ते की ओर मुड़ गया।

कुछ ही देर में वह आकृति के महल के सामने बने एक पेडों के झुरमुट के बीच थे।

“अब हमें अपना रूप परिवर्तन कर लेना चाहिए।"

लुफासा ने कहा-“ तुम सिर्फ बिल्ली का रूप धारण कर सकती हो, इसिलये मैं चूहा बन जाता हूं। पर ध्यान रहे, गलती से कहीं मुझे मार मत देना, नहीं तो मैं फ़िर जीवन में कभी चूहा नहीं बन पाऊंगा।"

“अरे मुझे पता है इस बारे में। मैं भला आपको क्यों मारूंगी।" सनूरा ने मुस्कुराकर कहा और फ़िर होठ ही होठ में कुछ बुदबुदाया। कुछ ही देर में सनूरा बिल्ली बन गयी।

लुफासा ने भी चूहे का रूप धारण कर लिया। अब लुफासा चूहा बनकर आकृति के कमरे की ओर भागा।

सनूरा भी उसके पीछे-पीछे थी।

कमरे में आकृति रोजर को कुछ समझा रही थी। लुफासा और सनूरा भागते हुए कमरे में प्रविष्ट हुए।

आकृति यह देखकर, रोजर को समझाना छोड़, चूहा और बिल्ली को देखने लगी।

बिल्ली चूहे के पीछे पड़ी थी, पर वह चूहे को पकड़ नहीं पा रही थी। चूहे ने भागते हुए एक राउंड रोजर का मारा और फ़िर बिल्ली से बचते हुए वापस दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया।

बिल्ली भी चूहे के पीछे-पीछे बाहर निकल गयी।

आकृति के कमरे से निकलकर चूहा, बिल्ली दूर पेडों के झुरमुट की ओर भागे।

पेडों के बीच पहुंचकर लुफासा और सनूरा फ़िर से इंसानी रूप में आ गये।

“देवी शलाका के पास खड़ा, वह इंसान कौन था? और वह अदृश्य दीवार के रहते सीनोर पर आया कहां से?" लुफासा के शब्दो में आश्चर्य भरा था।

“और वह देवी शलाका के पास क्या कर रहा था?" सनूरा ने भी आश्चर्य व्यक्त किया।

“मुझे तो लगता है कि देवी शलाका, मान्त्रिक से भी कुछ छिपा रही हैं? क्यों कि मुझे नहीं लगता कि मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में कुछ भी पता होगा?"

लुफासा ने कहा- “क्या हमें मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में बता देना चाहिए?"

“नहीं...कभी नहीं।" सनूरा ने कहा- “अगर देवी शलाका और मान्त्रिक दोनो ही हमसे कुछ छिपा रहे हैं, तो हमें भी उनको कुछ नहीं बताना चाहिए और उन दोनों पर नजर रखते हुए ऐसे व्यवहार करना चाहिए, जैसे कि हमें कुछ पता ही ना हो। फ़िर भविष्य में जैसा उिचत लगेगा, वैसा ही करेंगे।"

“ठीक है। फ़िर मैं अभी जाकर जरा ‘सुप्रीम’ को देख लूं। क्यों कि मैंने कुछ हरे कीडो को सुप्रीम से लाश लाने भेजा था। तब तक तुम जिस तरह संभव हो, देवी शलाका और मान्त्रिक पर नजर रखो और कोई भी रहस्यमयी चीज देखते ही मुझे सूचित करो।" लुफासा ने कहा।

सनूरा ने सिर हिलाकर लुफासा की बातों का समर्थन किया।

लुफासा ने अब बाज का रूप धारण किया और सुप्रीम की ओर चल पड़ा।



जारी रहेगा_________✍️
To shak ho gaya ha Lufasa ko Akriti per jo devi shalaka bane ghoom rahi ha baharhal dekhte han ki kab tak ye khel chalta rahta ha kyonki devi Shalaka wapas jinda ho gayi ha sath me uske 7 bhai bhi lekin wo yahan kyon nahi aa rahe kya wo abhi bhi udhar fanse hue ha lagta ha wo bhi kisi tilism me kaid ha or wo tilism shayd suyesh and party hi todengi shayd jab shalaka idhar entry maregi tab dekhte han makota kya karta ha kyonki use to nahi pata shayd ki Shalaka wapas jinda ho gayi ha
 

Raj_sharma

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Yugaka ne brendon ke sath aisa kyon kiya mujhe samajh nahi ata use aisa mayawi darawna sapna dikhaker kya wo unhe yahan se bhagana chahta ha ya fir kuchh or ya wo unhe test kar raha ha
Wo unko test kar raha hai :shhhh:
Kyu? Or kis liye? Ye aage pata chalega:declare: Thank you so much for your valuable review and support bhai :thanx:
 
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कुछेक अपडेट से उलझे हुए गांठ को खोलने की कोशिश की है आपने ।कुछ गांठ खुल गए है और कुछ बाकी है ।
इन गांठो के खुलने के बाद यही समझ आ रहा है कि सम्राट के पैसेंजर के मौत के जिम्मेदार युफासा और सनूरा है । और यह भेद भी खुला कि युफासा और सनूरा मकोटा के प्यादे है ।
शलाका के प्रति समर्पित युफासा से ऐसी उम्मीदें नही थी ।

इधर मांत्रिक उर्फ मकोटा ने अपने स्वामी , अपने देवता को जागृत करने के लिए इंसानों के खून से होली खेल रहा है और एक नई फौज भी तैयार कर रहा है ।
शलाका मैडम स्टैचू की मुद्रा मे बुत बनी हुई है । आकृति उनके क्लोन का काम कर रही है । युगाका साहब का चरित्र पोजिटिव है या नेगेटिव समझ नही आ रहा है ।

कुल मिलाकर सुयश साहब और उनकी टीम के लिए काफी मुश्किल चुनौतिपूर्ण स्थिति दिखाई दे रहा है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शर्मा जी ।
 

Raj_sharma

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Makota hi lagta ha main villain ha jo ye sab karwa raha ha ab to sinor rajya oar bhi uska kabja hi ha Lufasa to naam ka rajkumar rah gaya ha jaise wo Makota se darker uske hukum ka palan kar raha ha or uska sochna bhi sahi ha wo devi shalaka thodi ha wo to akriti ha

Lagta ha is makita ke karan hi devi shalaka udhar kaid hoker rah gayi thi or sinor or samra rajya ki dushmani karane me bhi iska hi hath lagta ha kyonki agar dono sath me hote to iska plan kaise kamyab hota barhal dekhte han ye lashon ka kya karega

Or un hare kidon or UFO ka bhi raj khul Gaya sala sach ke hi alien nikle wo to wo bhi budh grah ke or jegan unka devta tha lagta ha sara kiya dhara ye jegan ne hi racha hua ha ya uske liye racha ja raha ha
Makota hi sabse bada dusman hai mitra👍 usko shalaka devi ke alawa koi rok nahi sakta, ab devi shalaka pichle 5000 saal ke aap pas se gayab hai,to usko rokega kon? :?: llaasho ko Jaigon ke liye hi priyog me liya jaata hai, taki jaigon ...:shhhh: Thank you so much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

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To supreme se sari lashen le jane wala Lufasa hi tha or hare kidon ko jahaj per lane wala bhi Lufasa hi tha Rojer ne jis sher ko dekha tha wo bhi Lufasa hi tha
Lekin ek bat samajh nahi ati ki Makota un lashon se us detya ke sath kya marna chahta ha kahin wo us detya ko kisi prakar se jinda karne ke bare me to nahi soch raha or Ye makota ne kaha tha na ki lashon ko Jegan ko bhent chadhayega kahin ye detya hi to Jegan nahi jise Makota wapas jinda karne ki koshish kar raha ha
Bilkul bhai, in sabke peeche lufasa hi to tha:approve: Aur saari laashe usi ke liye le jayi gai thi, usko waha kya kaam liya ja raha hai, aur us daitya se jaigon ka kya rista hai ye sab aage aane wale updates me pata lagega :declare: Thank you so much for your amazing review and superb support bhai :hug:
 

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To shak ho gaya ha Lufasa ko Akriti per jo devi shalaka bane ghoom rahi ha baharhal dekhte han ki kab tak ye khel chalta rahta ha kyonki devi Shalaka wapas jinda ho gayi ha sath me uske 7 bhai bhi lekin wo yahan kyon nahi aa rahe kya wo abhi bhi udhar fanse hue ha lagta ha wo bhi kisi tilism me kaid ha or wo tilism shayd suyesh and party hi todengi shayd jab shalaka idhar entry maregi tab dekhte han makota kya karta ha kyonki use to nahi pata shayd ki Shalaka wapas jinda ho gayi ha
Bilkul theek soch rahe ho mitra, Devi Shalaka laut rahi hai, ya wo kaha or kis halaat me hai ye filhaal makota ko nahi pata hai:nope: Saayad aap update me kuch choti cheeje miss kar rahe ho, main lagbhag har naye update me ye bata deta hu ki ye itne din, aur iss samay ka ya jagah ka hai like (aaj se3 din pahle, makota mahal, sinoor):declare: To iska matlab jyadatar kisse abhi flashback me chal rahe hain:approve: Iss liye, kripya saath bane raho aur maja lijiye is Rahasyamy safar ka👍
Thank you so much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

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