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Thank you bhainice update

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Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....#83.
तभी उड़नतस्तरी वापस पानी से निकलकर अराका द्वीप की ओर बढ़ गयी। लुफासा अभी भी उसी स्थान पर खड़ा था। लुफासा के देखते ही देखते उड़नतस्तरी वापस पानी में समा गयी।
लुफासा को 'सुप्रीम' का इस तरह से भटकाना अच्छा नहीं लगा था, पर वह मजबूर था। वह मकोटा के विरुद्ध नहीं जा सकता था।
लुफासा अब उदास मन से पैदल ही महल की ओर चल दिया।
चलते-चलते वह सोचता भी जा रहा था-
“पता नहीं जैगन इंसान के मृत शरीर के साथ कौन सा प्रयोग कर रहा है?और यह मान्त्रिक भी सीनोर वासी होकर भी द्वीप के नियमों का उलंघन कर रहे हैं। क्यों ना छिपकर पिरामिड के अंदर जाकर देखा जाये कि आख़िर कौन सा प्रयोग कर रहे हैं वहां पर? पर अगर मान्त्रिक को इस बारे में पता चल गया तो?.... तो फिर क्या होगा?...पर उन्हें पता कैसे चलेगा? मैं स्वयं तो उन्हें बताऊंगा नहीं...और मैं तो कोई भी रूप धारण कर सकता हू, मुझे कोई पहचान कैसे पायेगा?"
यह ख्याल दिमाग में आते ही लुफासा ने फ़िर से बाज का रूप धारण कर लिया और पिरामिड की ओर उड़ चला। काफ़ी देर उड़ने के बाद लुफासा को पिरामिड दिखाई देने लगे।
लुफासा सबसे पहले वाले पिरामिड की छत पर उतर गया। छत पर किसी भी प्रकार का कोई रोशनदान या खिड़की नहीं थी।
“यह क्या? इसमें ऊपर से तो अंदर की ओर जा पाना असंभव है। कोई और रास्ता ढूंढता हू।"
पर चारो ओर से गहन निरिक्षण करने के बाद भी लुफासा को पिरामिड के अंदर घुसने का कोई रास्ता नजर नहीं आया।
तभी लुफासा को पिरामिड की ओर आता हुआ मकोटा दिखाई दिया।
मकोटा को देख लुफासा ने मक्खी का रूप धारण कर लिया।
मकोटा ने पिरामिड के दरवाजे के पास पहुंचकर अपने दोनों तरफ देखा और फ़िर अपने हाथ में पकड़े सर्पदंड को दरवाजे से स्पर्श करा दिया।
पिरामिड का दरवाजा एक गड़गड़ाहट के साथ खुल गया।
मकोटा के साथ लुफासा भी मक्खी बनकर पिरामिड के अंदर प्रवेश कर गया।
अंदर से पिरामिड बहुत ही आधुनिक अंतरिक्ष यान की तरह से दिख रहा था। पिरामिड की दीवारों से तेज रोशनी फूट रही थी।
एक छोटी सी गैलरी के बाद एक बहुत ही विशालकाय कमरा था। जिसे देखकर लुफासा हैरान रह गया क्यों कि उस कमरे में एक लगभग 400-500 फुट ऊंचा, एक आँख और चार हाथो वाला एक दैत्य, धातु की जंजीरों में बंधा था, जिसके शरीर से हजारों पतले-पतले पाइप जुड़े हुए थे। उस दैत्य की 2 सिंगे भी थी।
उस पाइप का दूसरा शिरा छोटे-छोटे काँच के ग्लोब से जुड़ा हुआ था और हर उस ग्लोब में एक इंसानी मृत शरीर दिखाई दे रहा था।
अब उस दैत्य को उन मानव शरीरो से क्या दिया जा रहा था, यह लुफासा की समझ में नहीं आया।
उस पूरे कमरे में असंख्य मशीन लगी हुई थी, जिन पर अजीब तरीके से कुछ संकेत दिखाई दे रहे थे और हज़ारों की संख्या में हरे कीड़े उन मशीनो पर काम कर रहे थे।
मकोटा वहां खड़ा उस दैत्य को देख रहा था।
तभी दूर से एक ‘भेड़िया मानव’ चलता हुआ आया। जिसका सिर भेड़िये का और शरीर इंसान का दिख रहा था।
लुफासा समझ गया कि इसी भेड़िया मानव की मूर्ति स्तंभ के रूप में मकोटा महल के ऊपर लगी थी।
मकोटा के पास आकर उस भेड़िया मानव ने झुककर अभिवादन किया।
“जैगन कब तक होश में आ जायेगा वुल्फा?" मकोटा ने वुल्फा को देखते हुए पूछा।
“कुछ कह नहीं सकता मालिक? मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं।" वुल्फा ने कहा।
तभी वुल्फा की निगाह मकोटा के पास उड़ रही मक्खी पर गयी।
उसने अपने दोनों हाथों को ताली बजाने के अंदाज में मक्खी बने लुफासा पर मार दिया।
एक सेकंड में ही लुफासा मारा गया।
वुल्फा मक्खी को वहीं फेंक मकोटा से बात करने लगा। मक्खी का शरीर तभी धुंआ बनकर हवा में विलीन हो गया।
उधर पिरामिड की छत पर लुफासा इंसानी शरीर में प्रकट हो गया। उसने जोर से एक गहरी साँस ली।
“बेकार में ही एक रूप नष्ट हो गया। अब में कभी मक्खी नहीं बन पाऊंगा।"
लुफासा ने अफसोस प्रकट किया- “पर ये जैगन तो बेहोश है, तो मान्त्रिक ने हमसे झूठ क्यों बोला? वो जैगन को क्यों होश में लाना चाहते हैं? और...और मुझे तो पिरामिड पर भी अधिकार मान्त्रिक का ही लग रहा था। और ये वुल्फा कौन है?......कुछ तो ऐसा जरूर चल रहा है, मान्त्रिक के दिमाग में?....जो अत्यन्त खतरनाक है।.... अब मुझे क्या करना चाहिए?.....मेरे हिसाब से मुझे अभी मानव शरीर का प्रबंध करना चाहिये और सभी पर छिप कर नजर रखनी चाहिए। अब मैं उचित समय आने पर ही कुछ करूगा।"
तभी आसमान में एक जोर की गड़गड़ाहट हुई और इससे पहले कि लुफासा कुछ समझ पाता, एक हेलीकाप्टर जोर की आवाज करता हुआ पिरामिड से कुछ दूरी पर आकर गिरा।
लुफासा बाज का रूप धारण कर उस हेलीकाप्टर की ओर उड़ चला।
लुफासा को कुछ दूरी पर हेलीकाप्टर के अवशेष पड़े दिखायी दिये, जिनसे धुंआ निकल रहा था।
लुफासा ने जमीन पर उतरते ही एक बड़े से शेर का रूप धारण कर लिया और उस हेलीकाप्टर की ओर चल पड़ा।
हेलीकाप्टर पेडों के एक झुरमुट के बीच गिरा पड़ा था। लुफासा ने झांककर उस हेलीकाप्टर में देखा। हेलीकाप्टर में उसका पायलेट मरा हुआ पड़ा था, जो बेचारा इस दुर्घटना का शिकार हो गया था।
लुफासा ने अपने पंजे से पायलेट की सीट बेल्ट को हटाया और उसे अपने मुंह में पकड़कर बाहर निकल गया।
लुफासा, पायलेट के शरीर को मुंह में दबाए पिरामिड की ओर चल दिया।
थोड़ी ही देर में पिरामिड दिखाई देने लगे। कुछ ही देर में लुफासा पिरामिड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।
लुफासा ने पिरामिड के दरवाजे पर पहुंचकर, पायलेट की लाश वहीं दरवाजे पर रख दी। इसके बाद लुफासा ने एक जोर की दहाड़ मारी और फ़िर पलटकर सीढ़ियों से उतर, अपने महल की ओर चल दिया।
लाश का सच (आज से 6 दिन पहले....)
(3 जनवरी 2002, गुरुवार, 00:15, सुप्रीम)
लुफासा और सनूरा एक छोटी सी बोट से ‘सुप्रीम’ के साथ- साथ चल रहे थे।
बोट में एक हरा कीड़ा भी था।
“पहले मैं ऊपर जाता हूं और पूरे जहाज को देखकर आता हूं। उसके बाद सोचेंगे कि आगे क्या करना है?" लुफासा यह कहकर बाज बनकर सुप्रीम के एक डेक पर पहुंच गया।
देर रात होने की वजह से उस समय उस डेक पर कोई नहीं था। लुफासा ने फ़िर इंसानी आकृति धारण कर ली, जिससे अगर कोई उसे देख ले तो उसे अटपटा ना महसूस हो।
लुफासा दरवाजे के रास्ते से अंदर आ गया। सामने एक गैलरी जा रही थी। लुफासा उस गैलरी में आगे की ओर चल दिया।
3-4 गलियो को पार करने के बाद जैसे ही वह आगे बढ़ने चला, उसे सामने के मोड़ से किसी के आने की आवाज सुनाई दी।
लुफासा तुरंत बगल में मौजूद एक दरवाजे के अंदर चला गया। वह कमरा अंदर से बाकी जहाज की अपेक्षा थोड़ा ठंडा था।
तभी लुफासा के नाक से एक अजीब सी गंध टकरायी, जो अच्छी तो हरिगज ना थी।
लुफासा ने उस गंध की दिशा में देखा। उसे पॉलिथीन में बंद किसी लड़की की लाश दिखाई दी।
सामान्य कंडीशन में तो लुफासा उधर नहीं जाता, पर अभी वह इस जहाज पर लाश ही तो लेने आया था। लुफासा ने पहले कमरे पर एक नजर मारी और सामने दिख रही, खिड़की को खोल दिया।
ठंडी हवा का एक झोंका उसके चेहरे से टकराया।
बाहर दूर-दूर तक अंधेरा दिखाई दे रहा था। उसने तुरंत अपनी कमर पर बंधा एक लाल रंग का कपड़ा उस खिड़की पर पहचान के लिये बांध दिया।
“शायद यह वह कमरा है जहां पर लाशें रखी जाती हैं।" लुफासा बुदबुदाया- “किस्मत से मैं बिल्कुल सही जगह पर पहुंचा हूं। पर सनूरा तो बोट के साथ दूसरी दिशा में है"
फ़िर लुफासा ने वहां मौजूद एक कालीन में लॉरेन की लाश लपेटी और उसे कंधे पर उठाकर जिस दिशा से आया था, उसी दिशा में चल दिया। लुफासा दबे कदमों से चलने की कोशिश कर रहा था।
तभी गैलरी के दूसरे किनारे पर, 2 इंसान दिखाई दिये। लुफासा यह देख रुक गया।
तभी उसे एक कड़कदार आवाज सुनाई दी- “कौन है वहां? रुक जाओ....रुक जाओ, वरना गोली मार दूँगा।"
यह आवाज सुनते ही लुफासा तेजी से एक दिशा की ओर भागा।
उसको भागते देख लारा व सुयश तेजी से उस साये के पीछे भागे।
“मैं कहता हूं रुक जाओ।" लारा के दहाड़ते हुए शब्दो से पूरी गैलरी थर्रा सी गयी- “वरना मैं गोली चला दूँगा।"
लारा की दूसरी धमकी से भी लुफासा की गति में कोई अंतर नहीं आया। वह अभी भी निरंतर भागता जा रहा था।
लुफासा की रफ़्तार इतनी तेज थी कि पीछे से आ रहे लारा को गोली चलाने का भी समय नहीं मिल पा रहा था। तभी लुफासा को सामने सीढ़ियाँ दिखाई दी। वह तेजी से सीढ़ियो को पार कर सामने लगे दरवाजे से बाहर निकल गया।
दरवाजे के दूसरी ओर एक डेक था। वहां पर एक बूढ़ा आदमी खड़ा सिगरेट पी रहा था, जो कि अल्बर्ट था।
लुफासा को भागते देख अल्बर्ट लुफासा की ओर लपका, जिसकी वजह से अल्बर्ट की सिगरेट वहीं गिर गयी।
पर इससे पहले कि अल्बर्ट लुफासा को पकड़ पाता, लुफासा ने डेक की रैलिंग पर चढ़कर लॉरेन की लाश के साथ ही पानी में छलांग लगा दी।
जारी रहेगा________![]()
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....#84.
‘छपाक’ की तेज आवाज के साथ लुफासा पानी में गिरा। इतनी ऊंचाई से कूदने के बाद भी लुफासा ने लॉरेन की लाश को नहीं छोड़ा था।
लुफासा ने पानी में एक तेज डुबकी लगायी और पानी के अंदर ही अंदर जहाज के दूसरी ओर निकल गया। जहां सनूरा अपनी बोट लिये उसका इंतजार कर रही थी। सनूरा ने लुफासा को अपनी बोट पर खींच लिया।
“ये लाश कहां से मिल गयी?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।
“मेरी किस्मत से वहीं एक कमरे में रखी थी।"
लुफासा ने साँसो को नियन्त्रित करते हुए कहा- “पर मैंने उस कमरे की खिड़की पर, पहचान के लिये अपना लाल रंग का कपड़ा लगा दिया है। तुम्हे बोट को उस दिशा में लेना पड़ेगा।"
यह कहकर लुफासा ने सनूरा को एक दिशा की ओर इशारा किया। सनूरा ने बोट को उस दिशा में मोड़ लिया।
सनूरा अपनी बोट को सुप्रीम से चिपका कर चला रही थी, जिससे किसी की नजर बोट पर ना पड़े। कुछ ही देर में सनूरा बोट को लेकर दूसरी तरफ आ गयी।
लुफासा को ऊपर ऊंचाई पर लहराता हुआ अपना लाल कपड़ा दिखाई दे गया। उसने सनूरा को बोट उधर ले चलने का इशारा किया।
सनूरा ने खिड़की के नीचे बोट को ले लिया। उसने बोट की रफ़्तार ‘सुप्रीम’ की रफ़्तार के बराबर सेट कर दी। लुफासा ने उस हरे कीड़े को अपने पंजो में पकड़ा और बाज बन कर जहाज की खिड़की की ओर उड़ चला।
कुछ ही देर में लुफासा ऊपर पहुंच गया। लुफासा ने फ़िर इंसानी रूप धारण कर लिया। चूंकि लुफासा का शरीर समुद्र के पानी से अभी भी भीगा था। इसिलये खिड़की के नीचे उसके कपड़ो से कुछ पानी निकल कर बिखर गया।
स्टोर- रूम में पहुंचकर लुफासा ने हरे कीड़े को स्टोर रूम के दरवाजे के बाहर की ओर उछाल दिया और स्वयं आकर स्टोर रूम में छिपकर बैठ गया।
उसे पता था कि हरा कीड़ा अभी किसी ना किसी को अपना शिकार जरूर बनायेगा और मरने वाले की लाश इसी स्टोर- रूम में रखी जायेगी।
तभी स्टोर- रूम का दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया और उसमें से एक साया अंदर आ गया।
उस साये को देख लुफासा एक बोक्स के पीछे छिप गया, पर लुफासा की नजरें अभी भी उस साये पर थी।
उस साये ने पहले उस जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी हुई थी, पर वहां लाश को ना पाकर वह साया एकाएक घबरा गया और स्टोर- रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से भाग गया।
लुफासा को वहां बैठे-बैठे लगभग 45 मिनट बीत गये। अब लुफासा थोड़ा परेशान होने लगा था।
तभी दोबारा से स्टोर- रूम का दरवाजा खुला और 2 गार्ड, पैकेट में बंद एक लाश को लेकर आये।
“क्या आफत है यार।" एक गार्ड ने दूसरे गार्ड से कहा- “लाशे ढोने का काम हमारे जिम्मे है। छीSS.....ये
भी कोई काम है?"
“सही कह रहा है यार।" दूसरे गार्ड ने कहा।
उस मृत गार्ड की लाश को उन्होंने एक टेबल पर लिटा दिया। तभी उनकी नजर लॉरेन की लाश वाली जगह पर गयी।
“अरे लॉरेन की लाश कहां गयी?" एक गार्ड ने कहा- “वह तो यहीं रखी थी।"
यह देख दोनो ही गार्ड बहुत ज़्यादा घबरा गये और उस मृत गार्ड की लाश को वहीं छोड़कर कैप्टन को बताने के लिये वहां से भाग गये।
लुफासा ने यह देख उस मृत गार्ड की लाश को उठाया और उसे पानी में फेंक दिया। जिसे सनूरा ने उठाकर बोट पर रख लिया।
इसके बाद लुफासा खिड़की पर चढ़ गया और खिड़की के दूसरी ओर लटककर खिड़की को बंद भी कर दिया। फ़िर उसने वहीं से पानी में छलांग लगाई और जाकर बोट में बैठ गया।
लुफासा ने सनूरा को बोट वहां से हटाने को बोल दिया। सनूरा ने अपनी बोट की गति को बिल्कुल धीमा कर लिया।
‘सुप्रीम’ उसके बगल से होता हुआ आगे निकल गया।
कुछ ही देर में लुफासा और सनूरा अराका पर पहुंच गये। उन्होंने इन दोनों लाशो को भी पिरामिड के बाहर रख दिया।
इसके बाद थके कदमो से दोनों अपने महल की ओर बढ़ गये।
इच्छाधारी लुफासा
(आज से 5 दिन पहले ....4 जनवरी 2002, शुक्रवार, 15:00, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के आसमान पर एक बाज काफ़ी ऊंचाई पर उड़ रहा था। उसकी तेज निगाहें अराका द्वीप के सामने मौजूद ‘सुप्रीम’ नामक पानी के जहाज पर थी।
जहाज के ऊपर से एक मोटरबोट को पानी में उतारा जा रहा था।
कुछ ही देर में मोटरबोट में 3 लोग सवार होकर अराका की ओर बढ़ने लगे।
यह देख बाज बने लुफासा ने आसमान से एक तेज डाइव मारी और तेजी से समुद्र की ओर आने लगा।
समुद्र के पास पहुंच कर लुफासा ने पानी में डुबकी मारी और एक छोटी मछली बन पानी में तैरने लगा।
धीरे-धीरे मोटरबोट लुफासा के पास आ रही थी। लुफासा ने पानी में एक गहरी डुबकी मारी औैर अब एक विशालकाय ऑक्टोपस का रुप ले लिया।
लुफासा ने पास आ रही बोट को नीचे से 2 हाथो से पकड़ लिया। बोट को एक झटका लगा और बोट रुक गई।
लुफासा ने बोट को ताकत लगाते देख अपने 2 और हाथो का प्रयोग कर दिया।
अब पानी में बहुत तेज हलचल सी होने लगी।
लुफासा ने बोट को इतनी ताकत से पकड़ रखा था कि बोट आगे जाना तो छोड़ो, वह घूम भी नहीं पा रही थी।
लुफासा बोट को ज़्यादा ताकत लगाते देख कर गुस्सा आ गया। अब वह पूरी ताकत से बोट को पकड़ द्वीप की ओर चल पड़ा।
लुफासा जब द्वीप के पास पहुंचा तो उसे पानी के अंदर हरे कीडो का एक बहुत बड़ा झुंड नजर आया।
यह देख लुफासा ने अपने शरीर को एक जगह पर रोक दिया, जिससे बोट को एक बहुत ही भयंकर झटका लगा।
अचानक लगे इस तेज झटके से दोनों गार्ड उछलकर समुद्र में जा गिरे।
मोटर बोट अब रुक गयी थी।
तभी पानी में गिरे दोनों गार्ड पर हरे कीडो ने हमला कर दिया और उन्हें पानी के अंदर ही अंदर घसीट कर उड़नतस्तरी की ओर बढ़े।
अब लुफासा ने एक विशालकाय हरे कीड़े का रुप लिया और बोट के बिल्कुल पास आकर लारा को पानी के अंदर से घूरकर देखा।
लारा वॉकी-टॉकी सेट पर सुयश से बात कर रहा था।
“कैप्टन मोटरबोट पुनः रुक गयी है.....। पर मेरे दोनों गार्ड झटका लगने की वजह से समुद्र में गिर गए हैं....... मैं भी बहुत मुश्किल से गिरते-गिरते बचा हूं।......सर वह दोनों गार्ड मुझे पानी में नजर नहीं आ रहे हैं.......पर .....यह.... क्या? .... ये पानी में.....हरा रंग.... नहीं... नहीं......यह....कैसे.....हो सकता है? ये दोनों आँखें...... खटाक.....।"
जैसे ही लारा की नजर हरा कीड़ा बने लुफासा की आँख पर गयी। लुफासा ने पानी के नीचे से लारा को बोट को एक जोरदार टक्कर मारी, जिसके कारण लारा की बोट पानी में डूब गयी।
लारा के पानी में गिरते ही हरे कीडो ने लारा को चीखने भर का भी मौका नहीं दिया और लारा को खिंचकर उड़नतस्तरी की ओर बढ़ गये।
लुफासा अब अपने महल में वापस आ गया, पर अब हर घटना के बाद वह विचलित होने लगा था। जैसे तैसे लुफासा ने अपनी रात बिताई।
अगले दिन लुफासा ने सुबह ही सुबह सनूरा को बुला लिया।
इस समय सनूरा लुफासा के सामने एक कुर्सी पर बैठी थी। लुफासा ने सबसे पहले सनूरा को पिरामिड के अंदर घटने वाली घटना के बारे में सबकुछ बता दिया।
पिरामिड की घटना सुन सनूरा हैरान रह गयी।
“इसका मतलब हमारा सोचना सही था।" सनूरा ने लुफासा को देखते हुए कहा- “मांत्रिक कुछ ना कुछ तो गड़बड़ अवश्य कर रहे हैं? मुझे लगता है कि अब हमें पहले एक बार देवी शलाका को भी जांच लेना चाहिए। उससे हमें और सत्यता का पता चल जायेगा।"
“तुम सही कह रही हो, अब हमें देवी शलाका बनी उस युवती का भी रहस्य पता लगाना होगा।" लुफासा ने कहा और उठकर खड़ा हो गया।
कुछ ही देर में वह दोनो उसी गुफा में पहुंच गये, जहां से 3 रास्ते जाते थे।
“हमें बांये वाले रास्ते पर चलना होगा, सीधा वाला रास्ता देवी शलाका के कमरे तक जाता है, जबकि ये बांया वाला रास्ता, उनके महल के बाहर की ओर जाता है।" लुफासा ने सनूरा से कहा और सनूरा को लेकर बांये वाले रास्ते की ओर मुड़ गया।
कुछ ही देर में वह आकृति के महल के सामने बने एक पेडों के झुरमुट के बीच थे।
“अब हमें अपना रूप परिवर्तन कर लेना चाहिए।"
लुफासा ने कहा-“ तुम सिर्फ बिल्ली का रूप धारण कर सकती हो, इसिलये मैं चूहा बन जाता हूं। पर ध्यान रहे, गलती से कहीं मुझे मार मत देना, नहीं तो मैं फ़िर जीवन में कभी चूहा नहीं बन पाऊंगा।"
“अरे मुझे पता है इस बारे में। मैं भला आपको क्यों मारूंगी।" सनूरा ने मुस्कुराकर कहा और फ़िर होठ ही होठ में कुछ बुदबुदाया। कुछ ही देर में सनूरा बिल्ली बन गयी।
लुफासा ने भी चूहे का रूप धारण कर लिया। अब लुफासा चूहा बनकर आकृति के कमरे की ओर भागा।
सनूरा भी उसके पीछे-पीछे थी।
कमरे में आकृति रोजर को कुछ समझा रही थी। लुफासा और सनूरा भागते हुए कमरे में प्रविष्ट हुए।
आकृति यह देखकर, रोजर को समझाना छोड़, चूहा और बिल्ली को देखने लगी।
बिल्ली चूहे के पीछे पड़ी थी, पर वह चूहे को पकड़ नहीं पा रही थी। चूहे ने भागते हुए एक राउंड रोजर का मारा और फ़िर बिल्ली से बचते हुए वापस दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया।
बिल्ली भी चूहे के पीछे-पीछे बाहर निकल गयी।
आकृति के कमरे से निकलकर चूहा, बिल्ली दूर पेडों के झुरमुट की ओर भागे।
पेडों के बीच पहुंचकर लुफासा और सनूरा फ़िर से इंसानी रूप में आ गये।
“देवी शलाका के पास खड़ा, वह इंसान कौन था? और वह अदृश्य दीवार के रहते सीनोर पर आया कहां से?" लुफासा के शब्दो में आश्चर्य भरा था।
“और वह देवी शलाका के पास क्या कर रहा था?" सनूरा ने भी आश्चर्य व्यक्त किया।
“मुझे तो लगता है कि देवी शलाका, मान्त्रिक से भी कुछ छिपा रही हैं? क्यों कि मुझे नहीं लगता कि मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में कुछ भी पता होगा?"
लुफासा ने कहा- “क्या हमें मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में बता देना चाहिए?"
“नहीं...कभी नहीं।" सनूरा ने कहा- “अगर देवी शलाका और मान्त्रिक दोनो ही हमसे कुछ छिपा रहे हैं, तो हमें भी उनको कुछ नहीं बताना चाहिए और उन दोनों पर नजर रखते हुए ऐसे व्यवहार करना चाहिए, जैसे कि हमें कुछ पता ही ना हो। फ़िर भविष्य में जैसा उिचत लगेगा, वैसा ही करेंगे।"
“ठीक है। फ़िर मैं अभी जाकर जरा ‘सुप्रीम’ को देख लूं। क्यों कि मैंने कुछ हरे कीडो को सुप्रीम से लाश लाने भेजा था। तब तक तुम जिस तरह संभव हो, देवी शलाका और मान्त्रिक पर नजर रखो और कोई भी रहस्यमयी चीज देखते ही मुझे सूचित करो।" लुफासा ने कहा।
सनूरा ने सिर हिलाकर लुफासा की बातों का समर्थन किया।
लुफासा ने अब बाज का रूप धारण किया और सुप्रीम की ओर चल पड़ा।
जारी रहेगा_________![]()
Thank you so much bhai for your valuable reviewBahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Thank you so much for your valuable review parkas bhaiBahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update.....
#84.
‘छपाक’ की तेज आवाज के साथ लुफासा पानी में गिरा। इतनी ऊंचाई से कूदने के बाद भी लुफासा ने लॉरेन की लाश को नहीं छोड़ा था।
लुफासा ने पानी में एक तेज डुबकी लगायी और पानी के अंदर ही अंदर जहाज के दूसरी ओर निकल गया। जहां सनूरा अपनी बोट लिये उसका इंतजार कर रही थी। सनूरा ने लुफासा को अपनी बोट पर खींच लिया।
“ये लाश कहां से मिल गयी?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।
“मेरी किस्मत से वहीं एक कमरे में रखी थी।"
लुफासा ने साँसो को नियन्त्रित करते हुए कहा- “पर मैंने उस कमरे की खिड़की पर, पहचान के लिये अपना लाल रंग का कपड़ा लगा दिया है। तुम्हे बोट को उस दिशा में लेना पड़ेगा।"
यह कहकर लुफासा ने सनूरा को एक दिशा की ओर इशारा किया। सनूरा ने बोट को उस दिशा में मोड़ लिया।
सनूरा अपनी बोट को सुप्रीम से चिपका कर चला रही थी, जिससे किसी की नजर बोट पर ना पड़े। कुछ ही देर में सनूरा बोट को लेकर दूसरी तरफ आ गयी।
लुफासा को ऊपर ऊंचाई पर लहराता हुआ अपना लाल कपड़ा दिखाई दे गया। उसने सनूरा को बोट उधर ले चलने का इशारा किया।
सनूरा ने खिड़की के नीचे बोट को ले लिया। उसने बोट की रफ़्तार ‘सुप्रीम’ की रफ़्तार के बराबर सेट कर दी। लुफासा ने उस हरे कीड़े को अपने पंजो में पकड़ा और बाज बन कर जहाज की खिड़की की ओर उड़ चला।
कुछ ही देर में लुफासा ऊपर पहुंच गया। लुफासा ने फ़िर इंसानी रूप धारण कर लिया। चूंकि लुफासा का शरीर समुद्र के पानी से अभी भी भीगा था। इसिलये खिड़की के नीचे उसके कपड़ो से कुछ पानी निकल कर बिखर गया।
स्टोर- रूम में पहुंचकर लुफासा ने हरे कीड़े को स्टोर रूम के दरवाजे के बाहर की ओर उछाल दिया और स्वयं आकर स्टोर रूम में छिपकर बैठ गया।
उसे पता था कि हरा कीड़ा अभी किसी ना किसी को अपना शिकार जरूर बनायेगा और मरने वाले की लाश इसी स्टोर- रूम में रखी जायेगी।
तभी स्टोर- रूम का दरवाजा धीरे से आवाज करता हुआ खुल गया और उसमें से एक साया अंदर आ गया।
उस साये को देख लुफासा एक बोक्स के पीछे छिप गया, पर लुफासा की नजरें अभी भी उस साये पर थी।
उस साये ने पहले उस जगह को देखा, जहां लॉरेन की लाश रखी हुई थी, पर वहां लाश को ना पाकर वह साया एकाएक घबरा गया और स्टोर- रूम का पिछला दरवाजा खोलकर उधर से भाग गया।
लुफासा को वहां बैठे-बैठे लगभग 45 मिनट बीत गये। अब लुफासा थोड़ा परेशान होने लगा था।
तभी दोबारा से स्टोर- रूम का दरवाजा खुला और 2 गार्ड, पैकेट में बंद एक लाश को लेकर आये।
“क्या आफत है यार।" एक गार्ड ने दूसरे गार्ड से कहा- “लाशे ढोने का काम हमारे जिम्मे है। छीSS.....ये
भी कोई काम है?"
“सही कह रहा है यार।" दूसरे गार्ड ने कहा।
उस मृत गार्ड की लाश को उन्होंने एक टेबल पर लिटा दिया। तभी उनकी नजर लॉरेन की लाश वाली जगह पर गयी।
“अरे लॉरेन की लाश कहां गयी?" एक गार्ड ने कहा- “वह तो यहीं रखी थी।"
यह देख दोनो ही गार्ड बहुत ज़्यादा घबरा गये और उस मृत गार्ड की लाश को वहीं छोड़कर कैप्टन को बताने के लिये वहां से भाग गये।
लुफासा ने यह देख उस मृत गार्ड की लाश को उठाया और उसे पानी में फेंक दिया। जिसे सनूरा ने उठाकर बोट पर रख लिया।
इसके बाद लुफासा खिड़की पर चढ़ गया और खिड़की के दूसरी ओर लटककर खिड़की को बंद भी कर दिया। फ़िर उसने वहीं से पानी में छलांग लगाई और जाकर बोट में बैठ गया।
लुफासा ने सनूरा को बोट वहां से हटाने को बोल दिया। सनूरा ने अपनी बोट की गति को बिल्कुल धीमा कर लिया।
‘सुप्रीम’ उसके बगल से होता हुआ आगे निकल गया।
कुछ ही देर में लुफासा और सनूरा अराका पर पहुंच गये। उन्होंने इन दोनों लाशो को भी पिरामिड के बाहर रख दिया।
इसके बाद थके कदमो से दोनों अपने महल की ओर बढ़ गये।
इच्छाधारी लुफासा
(आज से 5 दिन पहले ....4 जनवरी 2002, शुक्रवार, 15:00, अराका द्वीप)
अराका द्वीप के आसमान पर एक बाज काफ़ी ऊंचाई पर उड़ रहा था। उसकी तेज निगाहें अराका द्वीप के सामने मौजूद ‘सुप्रीम’ नामक पानी के जहाज पर थी।
जहाज के ऊपर से एक मोटरबोट को पानी में उतारा जा रहा था।
कुछ ही देर में मोटरबोट में 3 लोग सवार होकर अराका की ओर बढ़ने लगे।
यह देख बाज बने लुफासा ने आसमान से एक तेज डाइव मारी और तेजी से समुद्र की ओर आने लगा।
समुद्र के पास पहुंच कर लुफासा ने पानी में डुबकी मारी और एक छोटी मछली बन पानी में तैरने लगा।
धीरे-धीरे मोटरबोट लुफासा के पास आ रही थी। लुफासा ने पानी में एक गहरी डुबकी मारी औैर अब एक विशालकाय ऑक्टोपस का रुप ले लिया।
लुफासा ने पास आ रही बोट को नीचे से 2 हाथो से पकड़ लिया। बोट को एक झटका लगा और बोट रुक गई।
लुफासा ने बोट को ताकत लगाते देख अपने 2 और हाथो का प्रयोग कर दिया।
अब पानी में बहुत तेज हलचल सी होने लगी।
लुफासा ने बोट को इतनी ताकत से पकड़ रखा था कि बोट आगे जाना तो छोड़ो, वह घूम भी नहीं पा रही थी।
लुफासा बोट को ज़्यादा ताकत लगाते देख कर गुस्सा आ गया। अब वह पूरी ताकत से बोट को पकड़ द्वीप की ओर चल पड़ा।
लुफासा जब द्वीप के पास पहुंचा तो उसे पानी के अंदर हरे कीडो का एक बहुत बड़ा झुंड नजर आया।
यह देख लुफासा ने अपने शरीर को एक जगह पर रोक दिया, जिससे बोट को एक बहुत ही भयंकर झटका लगा।
अचानक लगे इस तेज झटके से दोनों गार्ड उछलकर समुद्र में जा गिरे।
मोटर बोट अब रुक गयी थी।
तभी पानी में गिरे दोनों गार्ड पर हरे कीडो ने हमला कर दिया और उन्हें पानी के अंदर ही अंदर घसीट कर उड़नतस्तरी की ओर बढ़े।
अब लुफासा ने एक विशालकाय हरे कीड़े का रुप लिया और बोट के बिल्कुल पास आकर लारा को पानी के अंदर से घूरकर देखा।
लारा वॉकी-टॉकी सेट पर सुयश से बात कर रहा था।
“कैप्टन मोटरबोट पुनः रुक गयी है.....। पर मेरे दोनों गार्ड झटका लगने की वजह से समुद्र में गिर गए हैं....... मैं भी बहुत मुश्किल से गिरते-गिरते बचा हूं।......सर वह दोनों गार्ड मुझे पानी में नजर नहीं आ रहे हैं.......पर .....यह.... क्या? .... ये पानी में.....हरा रंग.... नहीं... नहीं......यह....कैसे.....हो सकता है? ये दोनों आँखें...... खटाक.....।"
जैसे ही लारा की नजर हरा कीड़ा बने लुफासा की आँख पर गयी। लुफासा ने पानी के नीचे से लारा को बोट को एक जोरदार टक्कर मारी, जिसके कारण लारा की बोट पानी में डूब गयी।
लारा के पानी में गिरते ही हरे कीडो ने लारा को चीखने भर का भी मौका नहीं दिया और लारा को खिंचकर उड़नतस्तरी की ओर बढ़ गये।
लुफासा अब अपने महल में वापस आ गया, पर अब हर घटना के बाद वह विचलित होने लगा था। जैसे तैसे लुफासा ने अपनी रात बिताई।
अगले दिन लुफासा ने सुबह ही सुबह सनूरा को बुला लिया।
इस समय सनूरा लुफासा के सामने एक कुर्सी पर बैठी थी। लुफासा ने सबसे पहले सनूरा को पिरामिड के अंदर घटने वाली घटना के बारे में सबकुछ बता दिया।
पिरामिड की घटना सुन सनूरा हैरान रह गयी।
“इसका मतलब हमारा सोचना सही था।" सनूरा ने लुफासा को देखते हुए कहा- “मांत्रिक कुछ ना कुछ तो गड़बड़ अवश्य कर रहे हैं? मुझे लगता है कि अब हमें पहले एक बार देवी शलाका को भी जांच लेना चाहिए। उससे हमें और सत्यता का पता चल जायेगा।"
“तुम सही कह रही हो, अब हमें देवी शलाका बनी उस युवती का भी रहस्य पता लगाना होगा।" लुफासा ने कहा और उठकर खड़ा हो गया।
कुछ ही देर में वह दोनो उसी गुफा में पहुंच गये, जहां से 3 रास्ते जाते थे।
“हमें बांये वाले रास्ते पर चलना होगा, सीधा वाला रास्ता देवी शलाका के कमरे तक जाता है, जबकि ये बांया वाला रास्ता, उनके महल के बाहर की ओर जाता है।" लुफासा ने सनूरा से कहा और सनूरा को लेकर बांये वाले रास्ते की ओर मुड़ गया।
कुछ ही देर में वह आकृति के महल के सामने बने एक पेडों के झुरमुट के बीच थे।
“अब हमें अपना रूप परिवर्तन कर लेना चाहिए।"
लुफासा ने कहा-“ तुम सिर्फ बिल्ली का रूप धारण कर सकती हो, इसिलये मैं चूहा बन जाता हूं। पर ध्यान रहे, गलती से कहीं मुझे मार मत देना, नहीं तो मैं फ़िर जीवन में कभी चूहा नहीं बन पाऊंगा।"
“अरे मुझे पता है इस बारे में। मैं भला आपको क्यों मारूंगी।" सनूरा ने मुस्कुराकर कहा और फ़िर होठ ही होठ में कुछ बुदबुदाया। कुछ ही देर में सनूरा बिल्ली बन गयी।
लुफासा ने भी चूहे का रूप धारण कर लिया। अब लुफासा चूहा बनकर आकृति के कमरे की ओर भागा।
सनूरा भी उसके पीछे-पीछे थी।
कमरे में आकृति रोजर को कुछ समझा रही थी। लुफासा और सनूरा भागते हुए कमरे में प्रविष्ट हुए।
आकृति यह देखकर, रोजर को समझाना छोड़, चूहा और बिल्ली को देखने लगी।
बिल्ली चूहे के पीछे पड़ी थी, पर वह चूहे को पकड़ नहीं पा रही थी। चूहे ने भागते हुए एक राउंड रोजर का मारा और फ़िर बिल्ली से बचते हुए वापस दरवाजे से बाहर की ओर भाग गया।
बिल्ली भी चूहे के पीछे-पीछे बाहर निकल गयी।
आकृति के कमरे से निकलकर चूहा, बिल्ली दूर पेडों के झुरमुट की ओर भागे।
पेडों के बीच पहुंचकर लुफासा और सनूरा फ़िर से इंसानी रूप में आ गये।
“देवी शलाका के पास खड़ा, वह इंसान कौन था? और वह अदृश्य दीवार के रहते सीनोर पर आया कहां से?" लुफासा के शब्दो में आश्चर्य भरा था।
“और वह देवी शलाका के पास क्या कर रहा था?" सनूरा ने भी आश्चर्य व्यक्त किया।
“मुझे तो लगता है कि देवी शलाका, मान्त्रिक से भी कुछ छिपा रही हैं? क्यों कि मुझे नहीं लगता कि मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में कुछ भी पता होगा?"
लुफासा ने कहा- “क्या हमें मान्त्रिक को उस इंसान के बारे में बता देना चाहिए?"
“नहीं...कभी नहीं।" सनूरा ने कहा- “अगर देवी शलाका और मान्त्रिक दोनो ही हमसे कुछ छिपा रहे हैं, तो हमें भी उनको कुछ नहीं बताना चाहिए और उन दोनों पर नजर रखते हुए ऐसे व्यवहार करना चाहिए, जैसे कि हमें कुछ पता ही ना हो। फ़िर भविष्य में जैसा उिचत लगेगा, वैसा ही करेंगे।"
“ठीक है। फ़िर मैं अभी जाकर जरा ‘सुप्रीम’ को देख लूं। क्यों कि मैंने कुछ हरे कीडो को सुप्रीम से लाश लाने भेजा था। तब तक तुम जिस तरह संभव हो, देवी शलाका और मान्त्रिक पर नजर रखो और कोई भी रहस्यमयी चीज देखते ही मुझे सूचित करो।" लुफासा ने कहा।
सनूरा ने सिर हिलाकर लुफासा की बातों का समर्थन किया।
लुफासा ने अब बाज का रूप धारण किया और सुप्रीम की ओर चल पड़ा।
जारी रहेगा_________![]()
Bilkul bhai, lagbhag 20 se uper sawaalo ke jabaab de diye hai, aur baaki ke bhi milne wale haiNice Update..dhire dhire sab raaz khulte jaa rahe hai ki kaise motor boat dub gayi aur teeno maare gaye ..aur kaise laashe gayab ho rahi thi ..
Kuch rahasya aur aane waale hain dostBahut hi umda update he Raj_sharma Bhai,
Na jaane kitne rahasay aur shadyantra bhare he is kahani me.........
Ek ko suljhane baitho to do samne aa jate he.............
Keep rocking Bro
Yugaka ne brendon ke sath aisa kyon kiya mujhe samajh nahi ata use aisa mayawi darawna sapna dikhaker kya wo unhe yahan se bhagana chahta ha ya fir kuchh or ya wo unhe test kar raha ha#81.
डर की रात :
(9 जनवरी 2002, बुधवार, 03:15, मायावन, अराका)
दिन भर का सफर और थकान की वजह से सभी बहुत गहरी नींद में थे।
इस समय युगाका की नजर वहां लेटे हुए ब्रेंडन पर थी। उसने वहीं जमीन पर पड़ी हुई थोड़ी सी मिट्टी उठाई और कुछ बुदबुदाते हुये उस मिट्टी को फूंक मारकर हवा में उड़ा दिया।
अब ब्रेंडन के कुछ दूरी पर उगे एक पौधे में हल्की सी हरकत हुई और वह लंबी होकर ब्रेंडन के सिर के पास पहुंच गयी।
पौधे ने ब्रेंडन के बालो पर कुछ किया और फ़िर छोटी होकर वापस अपनी जगह पर पहुंच गयी।
सोते हुए ब्रेंडन को तभी एक खटके की आवाज सुनाई दी। आवाज को सुनकर ब्रेंडन जग गया।
उसने उठकर अपने आसपास नजर मारी। आसपास नजर मारते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये।
वह बिल्कुल अकेला सोया था। उसके आसपास इस समय कोई नहीं था।
“यह सारे लोग कहां चले गये? उन्होने जाते समय मुझे जगाया क्यों नहीं?“ ब्रेंडन मन ही मन बुदबुदाया।
अब वह उठकर खड़ा हो गया। वह हैरान था कि सारे लोग इतनी रात कहां चले गये? धीरे-धीरे उस पर घबराहट हावी होती जा रही थी।
तभी उसे अंधेरे में झाड़ियों के पास खड़ा हुआ कोई दिखाई दिया। झाड़ियों के पास खड़े उस इंसान की पीठ ब्रेंडन की ओर थी।
“कौन है वहां?" ब्रेंडन ने अपनी जेब से चाकू निकाल कर गरजदार आवाज में पूछा।
पर ना तो वह इंसान मुड़ा और ना ही उसने कोई जवाब दिया।
अब ब्रेंडन से रहा न गया और वह धीरे-धीरे चलता हुआ, उस इंसान के पीछे पहुंच गया।
उस साये का चेहरा अभी भी दूसरी ओर था। उसे शायद पीछे आने वाले ब्रेंडन का अहसास भी नहीं था।
तभी उस साये के मुंह से कुछ शब्द निकले- “जल्दी करो, बहुत भूख लगी है।"
ब्रेंडन समझ गया कि उस साये के साथ और भी कोई है। अब वह साये के थोड़ा और भी करीब पहुंच गया।
तभी ब्रेंडन की नजर उस साये के सामने बैठे एक और साये पर गयी, जिसके हाथ में कोई चमकती हुई चीज थी।
चूंकी उस स्थान पर काफ़ी अंधेरा था इसिलये सारी चीजे बिल्कुल साफ दिखाई नहीं दे रही थी।
ध्यान से देखने पर ब्रेंडन के सामने जो नजारा आया, वह उसकी रूह कंपा देने के लिये काफ़ी था।
नीचे तौफीक की लाश पड़ी थी और नीचे बैठे साये के हाथ में एक चाकू चमक रहा था, जिससे वह तौफीक के शरीर का मांस काट कर निकाल रहा था।
अचानक दोनो साये ब्रेंडन की ओर मुड़ गये।
उन दोनों साये पर नजर पड़ते ही ब्रेंडन की आँखे दहशत के मारे फैल गयी, क्यों कि नीचे बैठा साया लॉरेन का और ऊपर खड़ा साया लोथार का था।
लोथार, ब्रेंडन को अपनी ओर देखते हुए पाकर बोल उठा- “अरे वाह! क्या मोटा शिकार हाथ लगा है, पहले इसी को खाकर अपनी भूख मिटाते हैं।"
यह देख ब्रेंडन पूरी ताकत से पलटकर भागा। लॉरेन और लोथार उसके पीछे थे।
ब्रेंडन को भागते समय अपने पैर बहुत भारी से लग रहे थे।
भागता-भागता वह एक पेड़ के पीछे छिप गया। अपनी साँसो की आवाज को दबाने के लिये ब्रेंडन ने अपने दोनों हाथ से अपने मुंह को बंद कर लिया।
तभी उसके चेहरे पर एक बूंद, उस पेड़ से टपकी, जिसके नीचे वह खड़ा था।
उस बूंद का अहसास होते ही ब्रेंडन ने हाथो से उस बूंद को पोंछा। तभी उसे अपने हाथो पर खून लगा नजर आया।
घबराकर ब्रेंडन ने पेड़ के ऊपर की ओर देखा। पेड़ के ऊपर देखते ही उसकी साँस उसके गले में ही फंस गयी।
क्यों कि पेड़ के ऊपर क्रिस्टी, जेनिथ, सुयश और एलेक्स की लाशे झूल रही थी। उन्हि के कटे हुए हाथ पैर से खून टपक रहा था।
ब्रेंडन पूरी ताकत लगा कर वहां से भागा।
ब्रेंडन का दिल अब धाड़-धाड़ बज रहा था। उसे अब अपने बचने की संभावना बिल्कुल भी नहीं दिख रही थी। ब्रेंडन अब अंजानी दिशा में पागलों की तरह भाग रहा था।
तभी उसका पैर किसी चीज से टकरा गया और वह लड़खड़ाकर गिर गया।
गिरने के बाद ब्रेंडन ने ध्यान से उस चीज को देखा, जिससे उसका पैर टकराया था।
वह भी एक लाश थी जो कि पेट के बल जमीन पर गिरी पड़ी थी। पहले तो ब्रेंडन ने वहां से भागना चाहा, पर ना जाने क्या सोच उसने लाश को पलटकर देखा।
लाश के चेहरे पर नजर पड़ते ही उसके बचे खुचे होश भी गुम हो गये क्यों कि यह लाश उसकी स्वयं की थी।
ब्रेंडन को एक झटका लगा और वह उठकर बैठ गया। वह यह सब सपना देख रहा था।
उसकी नजर तुरंत अपने अगल-बगल पड़ी। तौफीक, जेनिथ, क्रिस्टी, असलम, एलेक्स, सुयश सहित सभी अपनी जगह पर सो रहे थे।
ब्रेंडन ने एक राहत की साँस ली। उसका पूरा शरीर पसीने से तर था और उसकी साँसे धोकनी के समान चल रही थी।
ब्रेंडन को ऐसा लग रहा था कि अगर एक पल उसकी नींद और नहीं खुलती तो शायद दहशत के कारण वह सपने में ही मर जाता।
ब्रेंडन का गला पूरा सूखा हुआ था। ब्रेंडन ने एक नजर अपनी पानी की बोतल पर मारी। बोतल में पानी
बिलकुल ख़तम था।
ब्रेंडन ने दूसरी बोतल ना निकालते हुए इसी बोतल में पानी भरकर पीने का सोचा।
रात अभी आधी बीती थी। अब वह खंडहर से बाहर निकलकर कुंए के पास आ गया।
चाँदनी रात थी। चाँद की रोशनी चारो ओर चमक रही थी।
ब्रेंडन ने एक नजर कुंए की जगत पर रखी बाल्टी पर मारी और फ़िर बाल्टी को कुंए की ओर लटकाकर, रस्सी धीरे-धीरे छोड़ने लगा।
थोड़ी देर बाद बाल्टी ने पानी की सतह को स्पर्श किया। ब्रेंडन ने एक-दो बार बाल्टी को खींचकर छोड़ा।
पानी भरने के बाद ब्रेंडन ने बाल्टी को खींचना शुरु कर दिया।
थोड़ी ही देर में बाल्टी ऊपर पहुंच गयी, पर बाल्टी पर नजर पड़ते ही ब्रेंडन के मुंह से चीख निकल गयी।
बाल्टी में रोजर का सिर तैर रहा था।
यह देख ब्रेंडन के मुंह से एक तेज चीख निकली नहींऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ।"
इसी के साथ ब्रेंडन का शरीर हवा में लहराया और बेहोश होकर जमीन पर गिर गया।
ब्रेंडन के हाथ से रस्सी भी छूट गयी और बाल्टी वापस रस्सी सहित कुंए में चली गयी।
चूंकी रस्सी के आखरी सिरे पर एक बड़ा सा पत्थर बंधा था, इसिलये बाल्टी के पानी में गिरने के बावजूद भी पूरी रस्सी कुंए में नहीं गयी।
उधर ब्रेंडन की चीख सुनकर सभी लोग जाग गये। सुयश की नजर अपने आसपास घूमी।
“ब्रेंडन गायब है।" सुयश ने कहा- “यह उसी की चीख थी।" सभी का मन एक अंजानी आशंका से भर उठा।
सुयश उठ कर बाहर की ओर भागा। तभी सुयश की नजर कुंए के पास बेहोश पड़े ब्रेंडन की ओर गयी।
“ब्रेंडन यहां है।" सुयश ने चीखकर सभी को उधर बुला लिया।
ब्रेंडन को बेहोश देख असलम ने कुंए से बाल्टी खींच, उसके पानी के छींटे ब्रेंडन के चेहरे पर मारे।
अब ब्रेंडन को होश आ गया, पर बाल्टी पर नजर पड़ते ही वह डर के मारे चीखने लगा।
तौफीक ने ब्रेंडन को सहारा दिया और एलेक्स ने ब्रेंडन को अपनी बोतल से थोड़ा पानी पिलाया।
अब ब्रेंडन थोड़ा सा बेहतर दिख रहा था। सुयश के पूछने पर ब्रेंडन ने पूरी कहानी सुना दी।
पूरी कहानी सुन अल्बर्ट ने बाल्टी पर नजर मारी, जिसमें एक नारियल का खोल पड़ा था।
यह देख अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा-
“चिंता की कोई बात नहीं है। पिछले कुछ दिन की घटना ने ब्रेंडन के दिमाग पर गहरा असर डाला है। इसी की वजह से इसने पहले बुरा सपना देखा और फ़िर सपने से जागकर जब पानी लेने आया तो डर की वजह से इस नारियल के खोल को रोजर का सिर समझ लिया। चूंकि नारियल के खोल पर आँख, नाक और मुंह जैसे निशान होते हैं इसिलये ब्रेंडन के डर को वास्तविकता का आकार मिल गया। ये ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है। डर की वजह से अक्षर लोगो के साथ ऐसा होता है।"
अल्बर्ट की बात सुन सबने राहत की साँस ली और फ़िर खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।
पर ब्रेंडन को अभी भी थोड़ा डर महसूस हो रहा था।
लगभग सुबह होने वाली थी और ब्रेंडन के इस अहसास के कारण अब किसी को नींद भी नहीं आ रही थी। फ़िर भी सभी अपनी जगह पर लेट गये।
उधर युगाका की आँखो में भी एक चमक सी दिखाई दे रही थी। वह भी एक पेड़ पर चढ़कर लेट गया।
जारी रहेगा_________![]()