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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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#82.

चैपटर-8: मकोटा महल

(आज से 10 दिन पहले.......(29 दिसम्बर 2001, शनिवार, 11:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा सीनोर महल के एक कमरे में सनूरा के साथ बैठा था।

“हम कल ही तो मान्त्रिक से मिल कर आये थे, तब आज उन्होंने फ़िर से इतनी जल्दी क्यों हम लोगो को बुला लिया? कुछ तो परेशानी जरूर है?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

लुफासा और सनूरा मकोटा को मान्त्रिक कहकर संबोधित करते थे।

“आप सही कह रहे हैं युवराज।" सनूरा ने अपनी बिल्ली जैसी आँखो से लुफासा को देखते हुए कहा-

“मान्त्रिक बिना किसी जरूरी कार्य के हमें ऐसे तो नहीं बुलाएंगे। कहीं ये देवी शलाका से सम्बंधित बात तो नहीं है? कल मैंने देवी शलाका को मान्त्रिक के साथ आकाश मार्ग से जाते हुए देखा था।"

“सनूरा! एक बात पूछूं?" लुफासा ने कुर्सी से खड़े होकर कमरे में टहलते हुए सनूरा से पूछा।

“जी पूछिये।" सनूरा की आँखो में प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगा।

“क्या तुम्हे सच में लगता है कि वह लड़की देवी शलाका है?" लुफासा ने शंकित स्वर में पूछा- “जाने क्यों मुझे वह देवी शलाका नहीं लगती। ऐसा लग रहा है जैसे वह कोई दूसरी लड़की है? और देवी शलाका बनने का अिभनय कर रही है।"

“पर उनका परिचय तो मान्त्रिक ने ही कराया था। क्या आपको मान्त्रिक पर भी शक है?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।

“देखो सनूरा, तुम पिछ्ले 600 वर्ष से सीनोर राज्य की सेनापति हो। पूरे सीनोर राज्य की सुरक्षा का भार तुम्हारे ऊपर है। तुम में रहस्यमयी शक्तियां हैं। तुम हमारे राज्य के प्रति विश्वासपात्र भी हो। तुमने देखा कि हम कितनी शांति से इस द्वीप पर रह रहे थे। पर जब से मान्त्रिक ने हमारे राज्य की हर व्यवस्था में परमर्श देना शुरू किया है, तब से अचानक से सीनोर राज्य का हुलिया ही बदल गया।

मान्त्रिक ने हमारे राज्य में पिरामिड का निर्माण कराया और बुद्ध ग्रह के देवता जैगन के साथ मिलकर पता नहीं किस प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं? जाने क्यों मुझे यह सब ठीक नहीं लगता? उधर देवी शलाका को पिछ्ले 5000 वर्ष से किसी ने नहीं देखा था, पर मान्त्रिक ने 10 वर्ष पहले इस लड़की को देवी शलाका बनाकर हमारे समक्ष उपस्थित कर दिया। शुरू-शुरू में मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा था, पर अब जाने क्यों मुझे वो लड़की देवी शलाका नहीं लगती? शायद वह कोई बहुरूपिया है? तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है?"

“देखिये युवराज, आपकी बात बिल्कुल सही है, मुझे भी मान्त्रिक के क्रियाकलाप अच्छे नहीं लगते हैं, पर मान्त्रिक के पास बहुत सी विलक्षण शक्तियां हैं, जिनका सामना हममें से कोई नहीं कर सकता।

माना कि आपके पास ‘इच्छाधारी शक्ति’ है, जिससे आप अपने आप को किसी भी जीव में परीवर्तित कर सकते है और आपकी इस शक्ति के बारे में मेरे, मान्त्रिक और आपकी बहन के अलावा और कोई नहीं जानता। पर इतनी शक्तियां पर्याप्त नहीं हैं। इसिलये हम चाह कर भी मान्त्रिक का विरोध नहीं कर सकते।
अब रही बात उस लड़की के देवी शलाका होने या ना होने की। तो हम छिप कर उसकी गतिविधियो पर नजर रखते हैं और पता करने की कोशिश करते हैं कि वह सच में देवी शलाका है या नहीं । इसके आगे की बातें समय और परिस्थितियों के हिसाब से फ़िर विचार कर लेंगे। फ़िलहाल अभी हमें मान्त्रिक के पास चलना ही पड़ेगा। देखें तो आख़िर उन्होने हमें बुलाया क्यों है?"

सनूरा की बातें लुफासा को सही लगी, इसिलये वह भी मकोटा से मिलने के लिये उठकर खड़ा हो गया।

लुफासा और सनूरा दोनों ही सीनोर महल से निकलकर बाहर आ गये।

बाहर आकर लुफासा एक बड़े से भेड़िये में परीवर्तित हो गया और सनूरा ने बिल्ली का रुप धारण कर लिया।

अब दोनों दौड़कर कुलांचे भरते हुए मकोटा महल की ओर चल दिये। रास्ते में बहुत से अन्य जंगली जानवर मिले जो कि दोनों को देख रास्ते से हट गये।

15 मिनट के अंदर दोनों मकोटा महल पहुंच गये।

मकोटा महल बहुत ही विशालकाय था। महल के बीचोबीच में एक बहुत बड़ी भेड़िया मानव की मूर्ति लगी थी, जिसने अपने दोनो हाथ में फरसे जैसा अस्त्र पकड़ रखा था।

महल के अंदर जाने के लिए सिर्फ़ एक पतला रास्ता था। मुख्य द्वार के अगल-बगल 2 सिंघो के समान धातु की संरचना बनी थी, जो देखने में अजीब सी रहस्यमयी प्रतीत हो रही थी।

मूर्ति के सामने महल की छत पर एक काले रंग का बड़ा सा गोल पत्थर रखा था, जिसका कोई औचित्य समझ में नहीं आ रहा था।

लुफासा और सनूरा जैसे ही महल के अंदर प्रवेश किये, मुख्य द्वार अपने आप ही खुल गया। शायद मकोटा अंदर से महल के द्वार पर नजर रख रहा था।

लुफासा और सनूरा महल के अंदर पहुंच गये। महल में जगह-जगह पर काले भेड़िये घूम रहे थे। शायद वह मकोटा के सुरक्षाकर्मी थे।

लुफासा उन भेड़ियों से पहले से ही परिचित था। इसिलये वह सीधे एक बड़े कमरे में दाख़िल हो गया। उस कमरे में ही मकोटा उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

मकोटा ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसने अब भी अपने हाथ में सर्पदंड पकड़ रखा था। दोनों ने झुककर मकोटा का अभिवादन किया।

मकोटा ने दोनों को सामने रखी कुर्सियो पर बैठने का इशारा किया। लुफासा और सनूरा सामने रखी कुर्सियो पर बैठ गये।

“आज मैंने तुम लोगो को एक खास काम से बुलाया है।" मकोटा ने बिना समय गंवाये बोलना शुरू कर दिया- “हमें पूर्ण अराका पर राज करने के लिए देवता जैगन की आवश्यकता है। देवता जैगन और बुद्ध ग्रह के वासी हमारा साथ देने के लिए पूर्ण रुप से तैयार हैं, पर बदले में उन्हें हमसे एक मदद की आवश्यकता है।"

“मदद! कैसी मदद?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“देखो लुफासा, तुम जानते हो कि बुद्ध ग्रह पर हरे कीडो का साम्राज्य है। जैगन उन्ही के देवता है और महान काली शक्तियों के स्वामी भी। इस समय जैगन ‘ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती’ पर कोई प्रयोग कर रहे हैं, जिसके लिए, उनहें कुछ दिन के लिए रोज एक मृत मानव शरीर की जरुरत है। हमें उनकी यही आवश्यकता को कुछ दिन के लिए पूरा करना पड़ेगा।" मकोटा ने लुफासा के चेहरे के भावों को देखते हुए कहा।

मकोटा के शब्द सुन सनूरा की आँखे जल उठी, पर तुरंत ही उसने अपने चेहरे के भावों को सामान्य कर लिया।

मकोटा के शब्द लुफासा के भी दिल में उथल-पुथल पैदा कर रहे थे। यह देख सनूरा बीच में ही बोल उठी-

“पर मान्त्रिक, हम लोग रोज एक मानव शरीर कहां से लायेंगे? इस क्षेत्र में तो कोई मानव नहीं आता और हम मनुष्यो के संसार में जाकर भी कोई मृत मानव नहीं ला सकते क्यों कि वैसे भी हम अराकावासी, देवी शलाका के कहे अनुसार बिना बात के किसी मानव का रक्त नहीं बहाते।"

“मुझे नहीं पता कहां से करेंगे? तुम सीनोर की सेनापित हो। ये सोचना तुम्हारा काम है।" मकोटा ने सनूरा पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा-

“पिछले सप्ताह एक बोट गलती से भटककर इस क्षेत्र में आ गयी थी। उसमें 5 व्यक्ति सवार थे, जो उस दुर्घटना में मारे गये थे। हम अगले 5 दिन तक तो उन 5 इन्सानों को जैगन के हवाले कर देंगे, पर उस के बाद की लाशो का इंतजाम आप लोगो को ही करना होगा। हां अगर इस काम के लिये आपको बुद्ध ग्रह के हरे कीडो की मदद की जरूरत हो तो आप उनसे सहायता ले सकते हो और अब रही बात इंसानो का मारने की तो यह काम हरे कीड़े कर देंगे। आपको बस उस लाश को पिरामिड में रख कर आना होगा। और देवी शलाका तो अब वैसे भी हम लोगो के साथ हैं, तो आप लोगो को क्या परेशानी है? कुछ और पूछना है आप लोगो को?"

इतना कहकर मकोटा खामोश हो गया और लुफासा और सनूरा की तरफ देखने लगा।

मकोटा की बात समाप्त होने के बाद लुफासा ने सनूरा की ओर देखा। सनूरा ने धीरे से पलके झपकाकर लुफासा को आश्वस्त रहने का इशारा किया।

यह देख लुफासा ने धीरे से सिर हिलाकर मकोटा को अपनी सहमित दे दी।

तभी एक काला भेड़िया उस कमरे में दाख़िल हुआ। उसके मुंह में एक कागज का टुकड़ा दबा था। उस कागज के टुकड़े में लगभग 20 हरे रंग के बटन जैसे स्टीकर चिपके थे।

मकोटा ने उस कागज के टुकड़े को भेड़िये से लेकर लुफासा की ओर बढ़ाते हुए कहा-

“यह हरे रंग के स्टीकर को गले पर चिपकाने पर तुम बुद्ध ग्रह की भाषा को बोल सकोगे और इन हरे कीडो से बात भी कर सकते हो।"

लुफासा ने वह कागज का टुकड़ा मकोटा के हाथ से ले लिया और सनूरा को ले मकोटा महल से निकल पड़ा। पर इस समय लुफासा के चेहरे पर थोड़ी बेबसी के भाव थे।


पिरामिड का राज

आज से 8 दिन पहले........ (1 जनवरी 2002, मंगलवार, 01:30, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

मकोटा से मिले आज लुफासा को 3 दिन बीत गया था। इन 3 दिन में 3 इंसानो की लाश लुफासा पिरामिड में पहुंचा चुका था। अब 2 ही लाशे उनके पास बची थी। जो 1 और 2 तारीख को लुफासा पिरामिड में पहुंचा देता, पर उसके बाद क्या?

लुफासा ने मकोटा की धमकी को महसूस कर लिया था। वह जानता था कि अगर उसने मानव शरीर की व्यवस्था नहीं की तो मकोटा का कहर सबसे पहले उसके ऊपर ही गिरेगा।

इस बात को लेकर लुफासा बहुत ही ज्यादा परेशान था। जिस मकोटा ने उसको ख़्वाब दिखाए थे, वही मकोटा आज उसके लिये ही गले की हड्डी बनता जा रहा था।

लुफासा अभी अपने कमरे में इसी उधेड़बुन में डूबा था कि तभी अचानक ने से एक ‘बीप-बीप’ की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।

लुफासा का ध्यान सामने की ओर लगी एक स्क्रीन की ओर गया, जिस पर लाल रंग के बिन्दु सा कुछ चमक रहा था। यह देख लुफासा की आँखे खुशी से चमक उठी।

“यह तो शायद कोई पानी का जहाज है जो शायद रास्ता भटककर हमारी सीमा में आ गया है।“ लुफासा स्क्रीन की ओर देखते हुए मन ही मन बड़बड़ाया- “लगता है देवी शलाका ने हमारी सुन ली।"

लुफासा ने अपने कमरे में मौजूद एक अलमारी का खोला और उसमें से मकोटा के द्वारा दिया हुआ कागज को टुकड़ा निकाल लिया।

उस कागज के टुकड़े में 20 स्टीकर चिपके हुए थे। लुफासा ने उनमें से एक स्टीकर को अपने गले पर चिपका लिया। अब वह हरे कीडो को नियंत्रित कर सकता था।

इसके बाद लुफासा तुरंत अपने कमरे से निकला और महल की छत पर आ गया। छत पर पहुंच कर लुफासा ने एक बाज का रुप धारण किया और वहां से समुद्र के किनारे की ओर उड़ चला।

थोड़ी ही देर में लुफासा समुद्र के किनारे पहुंच गया।

लुफासा ने अपने गले पर चिपके हरे रंग के स्टीकर को धीरे से दबाकर अपने गले से एक विचित्र सी आवाज निकाली।

कुछ ही देर में पानी के अंदर से एक उड़नतस्तरी निकली। जो नीले रंग की रोशनी बिखेर रही थी। अब वह उड़नतस्तरी पानी पर तैर रही थी।

उड़नतस्तरी का एक दरवाजा खुला और उसमें से एक 6 फुट का हरे रंग का कीड़ा निकला। यह कीड़ा देखने में बाकी कीड़ो के जैसा ही था, परंतु आकार में किसी इंसान के बराबर का दिख रहा था।

वह हरे रंग का कीड़ा अपने 2 पैरो से पानी पर चलता हुआ लुफासा के पास पहुंचा।

लुफासा कुछ देर तक उस कीड़े को देखता रहा क्यों कि उसने भी आज तक इतना बड़ा हरा कीड़ा नहीं देखा था। फ़िर उस कीड़े को उन्हिं की भाषा में उस जहाज के बारे में बताने लगा।

जब लुफासा ने जहाज की पूरी जानकारी दे दी तो वह कीड़ा वापस उड़नतस्तरी के अंदर चला गया। उड़नतस्तरी का द्वार अब बंद हो गया।

लगभग 2 मिनट के अंदर ही उड़नतस्तरी ने हवा में तेज आवाज के साथ उड़ान भरी।

कुछ ही देर में वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ के पास पहुंच गयी और एक तेज आवाज के साथ विद्युत चुंबकीय किरणें छोड़ती हुई सुप्रीम के ऊपर से निकली।

उसके ऊपर से निकलते ही सुप्रीम के सारे इलेक्ट्रोनिक यंत्र खराब हो गये।

अब वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ से कुछ आगे समुद्र के अंदर समा गयी।

पानी के अंदर पहुंचकर वह उड़नतस्तरी बहुत तेज गति से पानी के अंदर नाचने लगी।

उसके नाचने की गति इतनी तेज थी कि समुद्र का पानी उस स्थान पर एक भंवर के रूप में परिवर्त्तित हो गया।

थोड़ी ही देर में उस भंवर ने विशाल आकार लेकर सुप्रीम को अपनी गिरफ़्त में ले लिया। सुप्रीम अब भंवर धराओं के बीच फंसता जा रहा था।



जारी रहेगा________✍️
अब जहाज के साथ हुई पुरानी घटनाओं के पीछे का सच हमारे सामने आ रहा है
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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अब जहाज के साथ हुई पुरानी घटनाओं के पीछे का सच हमारे सामने आ रहा है
Bilkul bhai, sawalo ke jabaab bhi to dene hai, aur wo bhi 40-50 :sigh:
Jinme se kai ka to de bhi diya:approve:
 

Raj_sharma

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चैपटर-8: मकोटा महल

(आज से 10 दिन पहले.......(29 दिसम्बर 2001, शनिवार, 11:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा सीनोर महल के एक कमरे में सनूरा के साथ बैठा था।

“हम कल ही तो मान्त्रिक से मिल कर आये थे, तब आज उन्होंने फ़िर से इतनी जल्दी क्यों हम लोगो को बुला लिया? कुछ तो परेशानी जरूर है?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

लुफासा और सनूरा मकोटा को मान्त्रिक कहकर संबोधित करते थे।

“आप सही कह रहे हैं युवराज।" सनूरा ने अपनी बिल्ली जैसी आँखो से लुफासा को देखते हुए कहा-

“मान्त्रिक बिना किसी जरूरी कार्य के हमें ऐसे तो नहीं बुलाएंगे। कहीं ये देवी शलाका से सम्बंधित बात तो नहीं है? कल मैंने देवी शलाका को मान्त्रिक के साथ आकाश मार्ग से जाते हुए देखा था।"

“सनूरा! एक बात पूछूं?" लुफासा ने कुर्सी से खड़े होकर कमरे में टहलते हुए सनूरा से पूछा।

“जी पूछिये।" सनूरा की आँखो में प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगा।

“क्या तुम्हे सच में लगता है कि वह लड़की देवी शलाका है?" लुफासा ने शंकित स्वर में पूछा- “जाने क्यों मुझे वह देवी शलाका नहीं लगती। ऐसा लग रहा है जैसे वह कोई दूसरी लड़की है? और देवी शलाका बनने का अिभनय कर रही है।"

“पर उनका परिचय तो मान्त्रिक ने ही कराया था। क्या आपको मान्त्रिक पर भी शक है?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।

“देखो सनूरा, तुम पिछ्ले 600 वर्ष से सीनोर राज्य की सेनापति हो। पूरे सीनोर राज्य की सुरक्षा का भार तुम्हारे ऊपर है। तुम में रहस्यमयी शक्तियां हैं। तुम हमारे राज्य के प्रति विश्वासपात्र भी हो। तुमने देखा कि हम कितनी शांति से इस द्वीप पर रह रहे थे। पर जब से मान्त्रिक ने हमारे राज्य की हर व्यवस्था में परमर्श देना शुरू किया है, तब से अचानक से सीनोर राज्य का हुलिया ही बदल गया।

मान्त्रिक ने हमारे राज्य में पिरामिड का निर्माण कराया और बुद्ध ग्रह के देवता जैगन के साथ मिलकर पता नहीं किस प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं? जाने क्यों मुझे यह सब ठीक नहीं लगता? उधर देवी शलाका को पिछ्ले 5000 वर्ष से किसी ने नहीं देखा था, पर मान्त्रिक ने 10 वर्ष पहले इस लड़की को देवी शलाका बनाकर हमारे समक्ष उपस्थित कर दिया। शुरू-शुरू में मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा था, पर अब जाने क्यों मुझे वो लड़की देवी शलाका नहीं लगती? शायद वह कोई बहुरूपिया है? तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है?"

“देखिये युवराज, आपकी बात बिल्कुल सही है, मुझे भी मान्त्रिक के क्रियाकलाप अच्छे नहीं लगते हैं, पर मान्त्रिक के पास बहुत सी विलक्षण शक्तियां हैं, जिनका सामना हममें से कोई नहीं कर सकता।

माना कि आपके पास ‘इच्छाधारी शक्ति’ है, जिससे आप अपने आप को किसी भी जीव में परीवर्तित कर सकते है और आपकी इस शक्ति के बारे में मेरे, मान्त्रिक और आपकी बहन के अलावा और कोई नहीं जानता। पर इतनी शक्तियां पर्याप्त नहीं हैं। इसिलये हम चाह कर भी मान्त्रिक का विरोध नहीं कर सकते।
अब रही बात उस लड़की के देवी शलाका होने या ना होने की। तो हम छिप कर उसकी गतिविधियो पर नजर रखते हैं और पता करने की कोशिश करते हैं कि वह सच में देवी शलाका है या नहीं । इसके आगे की बातें समय और परिस्थितियों के हिसाब से फ़िर विचार कर लेंगे। फ़िलहाल अभी हमें मान्त्रिक के पास चलना ही पड़ेगा। देखें तो आख़िर उन्होने हमें बुलाया क्यों है?"

सनूरा की बातें लुफासा को सही लगी, इसिलये वह भी मकोटा से मिलने के लिये उठकर खड़ा हो गया।

लुफासा और सनूरा दोनों ही सीनोर महल से निकलकर बाहर आ गये।

बाहर आकर लुफासा एक बड़े से भेड़िये में परीवर्तित हो गया और सनूरा ने बिल्ली का रुप धारण कर लिया।

अब दोनों दौड़कर कुलांचे भरते हुए मकोटा महल की ओर चल दिये। रास्ते में बहुत से अन्य जंगली जानवर मिले जो कि दोनों को देख रास्ते से हट गये।

15 मिनट के अंदर दोनों मकोटा महल पहुंच गये।

मकोटा महल बहुत ही विशालकाय था। महल के बीचोबीच में एक बहुत बड़ी भेड़िया मानव की मूर्ति लगी थी, जिसने अपने दोनो हाथ में फरसे जैसा अस्त्र पकड़ रखा था।

महल के अंदर जाने के लिए सिर्फ़ एक पतला रास्ता था। मुख्य द्वार के अगल-बगल 2 सिंघो के समान धातु की संरचना बनी थी, जो देखने में अजीब सी रहस्यमयी प्रतीत हो रही थी।

मूर्ति के सामने महल की छत पर एक काले रंग का बड़ा सा गोल पत्थर रखा था, जिसका कोई औचित्य समझ में नहीं आ रहा था।

लुफासा और सनूरा जैसे ही महल के अंदर प्रवेश किये, मुख्य द्वार अपने आप ही खुल गया। शायद मकोटा अंदर से महल के द्वार पर नजर रख रहा था।

लुफासा और सनूरा महल के अंदर पहुंच गये। महल में जगह-जगह पर काले भेड़िये घूम रहे थे। शायद वह मकोटा के सुरक्षाकर्मी थे।

लुफासा उन भेड़ियों से पहले से ही परिचित था। इसिलये वह सीधे एक बड़े कमरे में दाख़िल हो गया। उस कमरे में ही मकोटा उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

मकोटा ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसने अब भी अपने हाथ में सर्पदंड पकड़ रखा था। दोनों ने झुककर मकोटा का अभिवादन किया।

मकोटा ने दोनों को सामने रखी कुर्सियो पर बैठने का इशारा किया। लुफासा और सनूरा सामने रखी कुर्सियो पर बैठ गये।

“आज मैंने तुम लोगो को एक खास काम से बुलाया है।" मकोटा ने बिना समय गंवाये बोलना शुरू कर दिया- “हमें पूर्ण अराका पर राज करने के लिए देवता जैगन की आवश्यकता है। देवता जैगन और बुद्ध ग्रह के वासी हमारा साथ देने के लिए पूर्ण रुप से तैयार हैं, पर बदले में उन्हें हमसे एक मदद की आवश्यकता है।"

“मदद! कैसी मदद?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“देखो लुफासा, तुम जानते हो कि बुद्ध ग्रह पर हरे कीडो का साम्राज्य है। जैगन उन्ही के देवता है और महान काली शक्तियों के स्वामी भी। इस समय जैगन ‘ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती’ पर कोई प्रयोग कर रहे हैं, जिसके लिए, उनहें कुछ दिन के लिए रोज एक मृत मानव शरीर की जरुरत है। हमें उनकी यही आवश्यकता को कुछ दिन के लिए पूरा करना पड़ेगा।" मकोटा ने लुफासा के चेहरे के भावों को देखते हुए कहा।

मकोटा के शब्द सुन सनूरा की आँखे जल उठी, पर तुरंत ही उसने अपने चेहरे के भावों को सामान्य कर लिया।

मकोटा के शब्द लुफासा के भी दिल में उथल-पुथल पैदा कर रहे थे। यह देख सनूरा बीच में ही बोल उठी-

“पर मान्त्रिक, हम लोग रोज एक मानव शरीर कहां से लायेंगे? इस क्षेत्र में तो कोई मानव नहीं आता और हम मनुष्यो के संसार में जाकर भी कोई मृत मानव नहीं ला सकते क्यों कि वैसे भी हम अराकावासी, देवी शलाका के कहे अनुसार बिना बात के किसी मानव का रक्त नहीं बहाते।"

“मुझे नहीं पता कहां से करेंगे? तुम सीनोर की सेनापित हो। ये सोचना तुम्हारा काम है।" मकोटा ने सनूरा पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा-

“पिछले सप्ताह एक बोट गलती से भटककर इस क्षेत्र में आ गयी थी। उसमें 5 व्यक्ति सवार थे, जो उस दुर्घटना में मारे गये थे। हम अगले 5 दिन तक तो उन 5 इन्सानों को जैगन के हवाले कर देंगे, पर उस के बाद की लाशो का इंतजाम आप लोगो को ही करना होगा। हां अगर इस काम के लिये आपको बुद्ध ग्रह के हरे कीडो की मदद की जरूरत हो तो आप उनसे सहायता ले सकते हो और अब रही बात इंसानो का मारने की तो यह काम हरे कीड़े कर देंगे। आपको बस उस लाश को पिरामिड में रख कर आना होगा। और देवी शलाका तो अब वैसे भी हम लोगो के साथ हैं, तो आप लोगो को क्या परेशानी है? कुछ और पूछना है आप लोगो को?"

इतना कहकर मकोटा खामोश हो गया और लुफासा और सनूरा की तरफ देखने लगा।

मकोटा की बात समाप्त होने के बाद लुफासा ने सनूरा की ओर देखा। सनूरा ने धीरे से पलके झपकाकर लुफासा को आश्वस्त रहने का इशारा किया।

यह देख लुफासा ने धीरे से सिर हिलाकर मकोटा को अपनी सहमित दे दी।

तभी एक काला भेड़िया उस कमरे में दाख़िल हुआ। उसके मुंह में एक कागज का टुकड़ा दबा था। उस कागज के टुकड़े में लगभग 20 हरे रंग के बटन जैसे स्टीकर चिपके थे।

मकोटा ने उस कागज के टुकड़े को भेड़िये से लेकर लुफासा की ओर बढ़ाते हुए कहा-

“यह हरे रंग के स्टीकर को गले पर चिपकाने पर तुम बुद्ध ग्रह की भाषा को बोल सकोगे और इन हरे कीडो से बात भी कर सकते हो।"

लुफासा ने वह कागज का टुकड़ा मकोटा के हाथ से ले लिया और सनूरा को ले मकोटा महल से निकल पड़ा। पर इस समय लुफासा के चेहरे पर थोड़ी बेबसी के भाव थे।


पिरामिड का राज

आज से 8 दिन पहले........ (1 जनवरी 2002, मंगलवार, 01:30, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

मकोटा से मिले आज लुफासा को 3 दिन बीत गया था। इन 3 दिन में 3 इंसानो की लाश लुफासा पिरामिड में पहुंचा चुका था। अब 2 ही लाशे उनके पास बची थी। जो 1 और 2 तारीख को लुफासा पिरामिड में पहुंचा देता, पर उसके बाद क्या?

लुफासा ने मकोटा की धमकी को महसूस कर लिया था। वह जानता था कि अगर उसने मानव शरीर की व्यवस्था नहीं की तो मकोटा का कहर सबसे पहले उसके ऊपर ही गिरेगा।

इस बात को लेकर लुफासा बहुत ही ज्यादा परेशान था। जिस मकोटा ने उसको ख़्वाब दिखाए थे, वही मकोटा आज उसके लिये ही गले की हड्डी बनता जा रहा था।

लुफासा अभी अपने कमरे में इसी उधेड़बुन में डूबा था कि तभी अचानक ने से एक ‘बीप-बीप’ की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।

लुफासा का ध्यान सामने की ओर लगी एक स्क्रीन की ओर गया, जिस पर लाल रंग के बिन्दु सा कुछ चमक रहा था। यह देख लुफासा की आँखे खुशी से चमक उठी।

“यह तो शायद कोई पानी का जहाज है जो शायद रास्ता भटककर हमारी सीमा में आ गया है।“ लुफासा स्क्रीन की ओर देखते हुए मन ही मन बड़बड़ाया- “लगता है देवी शलाका ने हमारी सुन ली।"

लुफासा ने अपने कमरे में मौजूद एक अलमारी का खोला और उसमें से मकोटा के द्वारा दिया हुआ कागज को टुकड़ा निकाल लिया।

उस कागज के टुकड़े में 20 स्टीकर चिपके हुए थे। लुफासा ने उनमें से एक स्टीकर को अपने गले पर चिपका लिया। अब वह हरे कीडो को नियंत्रित कर सकता था।

इसके बाद लुफासा तुरंत अपने कमरे से निकला और महल की छत पर आ गया। छत पर पहुंच कर लुफासा ने एक बाज का रुप धारण किया और वहां से समुद्र के किनारे की ओर उड़ चला।

थोड़ी ही देर में लुफासा समुद्र के किनारे पहुंच गया।

लुफासा ने अपने गले पर चिपके हरे रंग के स्टीकर को धीरे से दबाकर अपने गले से एक विचित्र सी आवाज निकाली।

कुछ ही देर में पानी के अंदर से एक उड़नतस्तरी निकली। जो नीले रंग की रोशनी बिखेर रही थी। अब वह उड़नतस्तरी पानी पर तैर रही थी।

उड़नतस्तरी का एक दरवाजा खुला और उसमें से एक 6 फुट का हरे रंग का कीड़ा निकला। यह कीड़ा देखने में बाकी कीड़ो के जैसा ही था, परंतु आकार में किसी इंसान के बराबर का दिख रहा था।

वह हरे रंग का कीड़ा अपने 2 पैरो से पानी पर चलता हुआ लुफासा के पास पहुंचा।

लुफासा कुछ देर तक उस कीड़े को देखता रहा क्यों कि उसने भी आज तक इतना बड़ा हरा कीड़ा नहीं देखा था। फ़िर उस कीड़े को उन्हिं की भाषा में उस जहाज के बारे में बताने लगा।

जब लुफासा ने जहाज की पूरी जानकारी दे दी तो वह कीड़ा वापस उड़नतस्तरी के अंदर चला गया। उड़नतस्तरी का द्वार अब बंद हो गया।

लगभग 2 मिनट के अंदर ही उड़नतस्तरी ने हवा में तेज आवाज के साथ उड़ान भरी।

कुछ ही देर में वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ के पास पहुंच गयी और एक तेज आवाज के साथ विद्युत चुंबकीय किरणें छोड़ती हुई सुप्रीम के ऊपर से निकली।

उसके ऊपर से निकलते ही सुप्रीम के सारे इलेक्ट्रोनिक यंत्र खराब हो गये।

अब वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ से कुछ आगे समुद्र के अंदर समा गयी।

पानी के अंदर पहुंचकर वह उड़नतस्तरी बहुत तेज गति से पानी के अंदर नाचने लगी।

उसके नाचने की गति इतनी तेज थी कि समुद्र का पानी उस स्थान पर एक भंवर के रूप में परिवर्त्तित हो गया।

थोड़ी ही देर में उस भंवर ने विशाल आकार लेकर सुप्रीम को अपनी गिरफ़्त में ले लिया। सुप्रीम अब भंवर धराओं के बीच फंसता जा रहा था।



जारी रहेगा________✍️
Bahut hi badhiya update
To ab supreme par huyi ghatanao ka raj dheere dheere samne aa raha hai or lufasa ne ye sab makota ke kahne par hi kiya hai lagta hai ye makota hi kahani ka main villain hai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi badhiya update
To ab supreme par huyi ghatanao ka raj dheere dheere samne aa raha hai or lufasa ne ye sab makota ke kahne par hi kiya hai lagta hai ye makota hi kahani ka main villain hai
Apni jigyaasa ko banaye rakho mitra :D Waise makota sahi aadmi to nahi hai, 😐 lekin kya wo akela hi vilen hai? Ye dekhne wali baat hogi,
Aur update dar update raaj khulte jaayenge,:declare:Thanks for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Sabhi ko blated happy holi bhai log.
 
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#54.

दोस्तो हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते ह, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आनेलगती है।

अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्व प्रथम प्लेटो ने अपनी पुतक ‘टाइिमयस’ और ‘कृटियास’ मैं किया था।

कहते है कि अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हज़ार गुना बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक और आर्कियोलोजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयासकर रहे है।

ईश्वर को ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिए 7 तत्वो की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, प्रकाश और ध्वनि!

इन्ही सात तत्वों से भगवान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया ! लेकिन अभी ईश्वर की सबसे बड़ी अद्वितीय कृति बाकी थी,और वो थी जीवन की उत्पत्ति।

जीवन की उत्पत्ति के लिए ईश्वर ने ब्रह्मकण’ (देव-कण) का निर्माण किया, देव-कण जिसको अंग्रेजी में 'गॉड-पार्टिकल’ कहते हैं। इस देव-कण ने सभी जीवो का निर्माण किया।

आख़िर क्या था वो ब्रह्मकण? जिसने अरबों-खरबों जीवों का निर्माण किया? और जिसने इन्हें इतना अलग अलग बनाया ।

इस कहानी इस कडी में जहां एक और तिलिस्म, जादू, रहस्य, चमत्कार है, वही विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है। जो बिग-बैंग, ब्लैक -होल, नेबुला और डार्क-मैटर जैसे सिद्धांत को खोलती है।

पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने-बाने से बनी एक अद्भुत कहानी है ये जो आप पढ़ने जा रहे हैं।

आज से लगभग 20,000 वष॔ पहले ग्रीक देवता पोसाइडन ने अपनी पत्नी क्लिटो के लिये धरती पर स्वर्ग की स्थापना की, जिसे अटलांटिस के नाम से जाना गया।

धीरे-धीरे अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया की वहांके लोग स्वयं को भगवान मानने लगे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने देवता के ख़िलाफ़ ही युद्ध का शुरू कर दीया।
पोसाइडन ने गुस्सा होकर पूरी अटलांटिस सभ्यता को समुद्र में डुबो दिया और क्लिटो को एक अस्वाभाविक (कृत्रिम) द्वीप पर तिलिस्म बनाकर कैद कर दीया ।

उस अस्वाभाविक द्वीप के आसपास का छेत्र बारामूडा त्रिकोण कहलाया । पोसाइडन ने इस तिलिस्म की सुरक्षा का भार 6 इन्द्रियाँ, 7 तत्व, 12 राशियाँ, और ब्रह्मांड के ख़तरनाक जीव जंतुओं, रोमन योद्धाओ, और ग्रीक देवताओ को दिया।

28 द्वारो वाला ये तिलिस्म अभेद्य था। यह तिलिस्म अब सिर्फ शारीरिक कुशलता और बुद्धि से ही तोड़ा जा सकता था ।

अटलांटिस के बचे हुए योद्धा 20000 साल से इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे धे, लेकिन सफल नहीं हुए। आख़िरकार हार कर उन्होंने इंसानों का सहारा लिया और धरती के सबसे बुद्धिमान इंसानों को इसमें प्रवेश करवा दिया।

फ़िर शुरू हुई रहस्यों से भरी एक प्रश्न माला।
1.क्या वो साधारण मनुष्य तिलिस्म तोड़ कर क्लिटो को आजाद करवा सके?
2.क्या था हिमालय के गर्भ में छुपे उस विद्यालय का रहस्य? जहां वेदो की शिक्षा दी जाती थी।
3.कैलाश पर्वत की गुफा से निकला वेदों का ज्ञान, क्या ग्रीक देवताओ पर भारी पड़ा?
4.क्या म..देव की अलौकिक शक्तियाँ ब्रह्माण्ड के हर विज्ञान से उन्नत थी?
5.क्या संपूर्ण ब्रह्मांड जगत का सार ओऽम शब्द में निहित था?
6.क्या ब्रह्मकन('गॉड-पार्टिकल’) /देव-कण में हि बिग-बैंग का सिद्धांत समाया था?
7.क्या यूनिवर्स की रक्षा के लिए नए सुपर हीरो का जन्म हुआ, जिनके पास भगवान और विज्ञान दोनों की शक्ति थी?

तो दोस्तों देरी किस बात की? आइए सुरु करते हैं, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोलती अगली कड़ी का, जो आपको इंसान,भगवान और विज्ञान में अंतर करना सिखाएगी, जिसका नाम है: ‘अटलांटिस के रहस्य’


चैपटर-1 'अटलांटिस का इतिहास':
7 जनवरी 2002, सोमवार, 10:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका.

ये क्या वेगा?" वीनस ने वेगा को टोकते हुये कहा- “ये तुम मुझे ‘कांग्रेस का पुस्तकालय`( लाइब्रेरी आफ कांग्रेस) क्युं लेकर आ गए? मुझे लगा तुम मुझे घुमाने ले जा रहे हो।"

वेगा ने वीनस को एक बार मुस्कुरा कर देखा और फर अपनी कार को पार्किंग की तरफ घुमा दीया ।

“असल में प्रोफेसर कैरल ने मुझे एक प्रोजेक्ट पर लेख लिखने को कहा है !" वेगा ने कार को भूमिगत पार्किंग की ओर मोड़ते हुये कहा-

“और उस विषय पर कुछ लिखने से पहले, मुझे उसके बारे में जानना भी तो जरुरी है। इसलिए में तुम्हे लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी आया हूॅ। यहां पर हर विषय पर किताबें मौजूद है।''

“ओह!” वीनस ने गहरे सांस लेकर कहा- “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी. इसके बाद तुम्हें शाम को पार्टी देने का वादा करना होगा।'' वीनस ने मुस्कुराकर वेगा को ब्लैकमेल किया।

“हां...सुयोर!”

वेगा ने कार को पार्किंग में खड़ा किया, कार के इंजन को बंद कर दिया गया। वीनस और वेगा कार से उतर कर बाहर चले गए। वेगा ने इधर-उधर नज़र मारी और वीनस को लेकर लिफ्ट की और बढ़ गया।

"वैसे प्रोजेक्ट की थीम क्या है?" वीनस ने लिफ्ट में कदम रखते हुए पूछा?

“अटलांटिस के रहस्य” वेगा ने कहा!

वेगा की बात सुन वीनस एका एक हैरान कर देने वाली हो गई-

“ये कैसा टॉपिक है? यह तो हमारे विषय से मैच नहीं खाता।"

“मुझे क्या पता यार?” वेगा ने रिसेप्शन के फ्लोर पर स्टेप रख कर कहा- “अब प्रोफेसर ने जो टॉपिक दिया, मैंने वो ले लिया। अब बहस करने का कोई मतलब भी तो नहीं था।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है" वीनस ने भी वेगा की बात पर अपनी सहमित प्रस्ताव हुए कहा।

तब तक वेगा रिसेप्शन पर पहुंच गया। वेगा ने अपनी जेब से लाइब्रेरी कार्ड निकाला कर कंप्यूटर में अपनी एंट्री दर्ज़ की। एंट्री के बाद कंप्यूटर ने उसको 4 अंकों का एक डोर- पासवर्ड दे दिया।

लाइब्रेरी का मेन डोर कंप्यूटराइज्ड पासवर्ड से लॉक था। वेगा ने दरवाजे के बगल लगे की पैड पर 4 अंक का पासवर्ड डाला। कांच का दरवाजा हल्की सी आवाज करता हुआ, एक तरफ स्लाइड होकर खुल गया। वेगा वीनस को ले लाइब्रेरी के अंदर घुस गया।

“तुम तो ऐसे यहां चल रहे हो, जैसे रोज-रोज यहां आते हो?“ वीनस ने वेगा को छेड़ते हुए कहा।

“कुछ ऐसा ही समझ लो। वैसे हफ़्ते में 3 दिन तो आता ही हू यहां पर।" वेगा ने चलते चलते जवाब दिया- “वास्तव में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है।"

अब वेगा एक कंप्यूटर मशीन के पास पहुंच गया। उसने कंप्यूटर पर अटलांटिस शब्द टाइप किया ओर सर्च का बटन दबाया।

कंप्यूटर ने एक सेकेंड में ही 1024 किताबों के नाम वेगा के सामने रख दिये।

किताबों के नाम के बाद उनके लेखक का नाम, परकाशन वर्ष आदि विवरण लिखे हुए थे। वेगा की नजर तेजी से किताबों की सूची पर घूमने लगी।

देखते-देखते वेगा की नजर एक किताब के नाम पर रुक गई, किताब का नाम किसी दूसरी भाषा में लिखा था। लेखक का नाम भी समझ नही आ रहा था। मुद्रण वर्ष की जगह सन् 1508 लिखा था।

वेगा कुछ देर तक लेखक के नाम को देखता रहा। तब वेगा ने उस किताब का हॉल नंबर, रैक नंबर और डिटेल को एक छोटे से नोटपैड पर नोट कर लिया और कंप्यूटर को बंद कर, वीनस को ले एक दिशा की ओर चल दिया।

तीन-चार गिलयारों को पार करने के बाद अब वेगा किताबों की एक अनूठी दुनिया में था। एक विशालकाय हॉल में चारो तरफ 50 फुट ऊंची-ऊंची किताबों की रैक में किताबें ही किताबें भरी हुई थी। वीनस आँखे फाड़े उस किताबों के संसार को देखने लगी।

“अद्भुत! इतनी सारी किताबें ....... यह तो एक अलग ही दुनिया लग रही है।" वीनस ने अश्चर्यचकित् होकर कहा।

“लाइब्रेरी औफ कांग्रेस संसार की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।" वेगा ने मुस्कुराकर वीनस की ओर देखते हुये कहा-

“यहां पर 100 मिलयन किताबें है और हर रोज लगभग 2,000 किताबें बढ़ जाती है। यह तो भला मानो की यह हमारे शहर वाशिंगटन में ही है। नही तो हमें लेख लिखने के लिए किसी और शहर में जाना पड़ता।"

वेगा की नजर अब रैक पर पड़े नंबर पर फिरने लगी। बामुस्किल 30 सेकंड में ही उसे रैक नंबर 35 दिखायी दे गयी। वेगा की नजर अब किताब नं0 823 पर गय। उसने आगे बढ़कर उस रहस्यमयी किताब को रैक से निकाल लिया।

वह किताब लगभग 400 पृष्ठ की थी। वेगा को किताब निकालता देख उस हॉल का लाइब्रेरियन पास आ गया।

“यह किताब हमें 7 दिन के लिए इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन से कहा ।

लाइब्रेरियन ने उस किताब को ध्यान से देखा और फिर बोला- “सोरी सर,....यह किताब काफी पुरानी है. ...इस ग्रेड की किताब को आप ले नहीं सकते। आपको यही पढ़ना पड़ेगा ।"

वेगा ने लाइब्रेरियन की सुन अपनी नजर इधर-उधर घुमाई। अब उसकी नजर सामने कांच के बने साउंड प्रूफ केबिन की ओर गई। केबिन कvलिए है. तुम्हें यहां कॉमन एरिया में ही बैठकर, यह किताब पढ़नी होगी।'' क्योकी.......!




जारी रहेगा_________✍️
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#55.
लेकीन इससे पहले कि लाइब्रेरियन कुछ और कह पाता। वेगा ने अपने पर्स से निकलकर एक कार्ड लाइब्रेरियन के सामने लहराया।

कार्ड देखकर लाइब्रेरियन खुश होते हुए बोला- “सोरी सर, आप केबिन में किताब पढ़ सकते हैं।"

यह कहकर लाइब्रेरियन ने एक केबिन खोल दिया। वेगा, वीनस को लेकर उस केबिन में आ गया।

केबिन में एक कांच की गोल टेबल रखी थी और उसकी चारो तरफ चार कुरसियां लगी थी. वेगा और वीनस एक-एक कुरसि लेकर आमने-सामने बैठ गये।

“वाह! मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं एक वी.आई.पी. के साथ चल रही हूं।'' वीनस ने शोखी से अपनी आंखों को गोल-गोल नचते हुए कहा।

वेगा ने मुस्कुराकर वीनस को देखा, पर बोला कुछ नहीं। अब वेगा की निगाहें उस किताब पर थी। वेगा ने उस किताब पर धीरे से हाथ मारा।
किताब से थोड़ी सी धूल निकल इधर-उधर बिखर गयी।

“ये तो ऐसा लग रहा है कि इस किताब को किसी ने सालों से खोला ही ना हो।” वीनस ने किताब को देखते हुए कहा- “अरे! इस पर लिखी भाषा भी अजीब सी है... मैं तो यह पढ़ भी नहीं पा रही हूं।"

"यह 'एरकान' भाषा है।" वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा- "यह अमेरिका की सबसे प्राचीन भाषा में से एक है।"

“तो फिर तुम भाषा यह कैसे पढ़ सकते हो?” वीनस ने अपनी आँख को सिकोड़ते हुए पूछा।

“मेरे बाबा ने मुझे यह भाषा सिखाई है।” वेगा ने कहा।

"वैसे इस किताब का नाम क्या है?" विनस ने किताब की ओर देखा हुआ पूछा।

“इस किताब का नाम है-'अटलांटिस का इतिहास' और इसके लेखक का नाम है 'कलाट'. इस किताब को सन् 1508 में लिखा गया था।"

“बाप रे! यह तो लगभग 500 वर्ष पुरानी किताब है।'' वीनस ने अश्चर्य से कहा- "फिर तो में भी सुनूंगी, इस किताब की कहानी।"

“हां-हां! क्यो नहीं? इसीलिये तो केबिन लिया है मैने, जिस से हमारी आवाज लाइब्रेरी में ना गूंजे। '' वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा।

वीनस ने हां में सिर हिलाया और उत्सुकता से वेगा की ओर देखने लगी। वीनस को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वेगा ने किताब का पहला पन्ना खोला और जोर-जोर से कहानी पढ़ने लगा-

“अटलांटिस जैसे देवताओं की धरती कही जाती थी।” अटलांटिस एक ऐसा द्वीप जिसे 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा गया था। अटलांटिस द्वीप का आकार छेत्रफल की दृष्टि से, आज के एशिया के कुल छेत्रफल से भी बड़ा था. इतना बड़ा महाद्वीप जहां का विज्ञान, आज विज्ञान से भी बहुत जयादा उन्नत था। अचानक एक दिन वह पूरा का पूरा द्वीप समुद्र में समा गया गया। किस कारण से पूरी सभयता समुद्र में समा गई? यह आज भी रहस्य बना हुआ है। किसी को पूरी तरह से अटलांटिस की जानकारी नहीं है। तो आइए आज हम जानते हैं अटलांटिस के इतिहास के बारे में।“

इतना कहकर वेगा ने एक नजर वीनस पर मारी और किताब का पन्ना पलट कर फिर से पढ़ना शुरू कर दिया-

“लगभग 20,000 वर्ष पहले समुद्र के देवता 'पॉसाइडन' ने धरती पर स्वर्ग बनाने की कल्पना की। इसके लिए एक विशाल द्वीप और कुछ बुद्धिमान इंसानो की आवश्यकता थी। इसके लिए 'पोसाइडन' ने सबसे बड़े द्वीप की खोज शुरू की।

तलाश करते- करते 'पोसाइडन' को एक बहुत बड़ा द्वीप मिला। जो समुद्र के बीच चारो तरफ से पहाड़ियो से घिरा हुआ था। उस द्वीप पर उस समय 12 अलग-अलग राज्य हुआ करते थे। जहां पर अलग-अलग तरह की 12 जातियाँ भी रहती थी।

सभी राज्य आपस में हमेशा वर्चस्व की लड़ाई करते रहते थे। इस द्वीप पर ‘पोसाइडन’ को एक खूबसूरत लड़की दिखी। जिसका नाम 'क्लिटो' था जो की अपने पिता 'अवनार' और मां ‘लुसिपी’ के साथ रहती थी। 'क्लिटो' का सौंदर्य बिल्कुल देवियों की तरह था। ‘पोसाइडन’, 'क्लिटो' को देखकर उस पर मोहित हो गया।

‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' से शादी कर ली और उसे इन 12 राज्य की देवी घोषत कर दइया. ‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' को उस द्वीप के निर्माण के लिए एक फुटबॉल के आकार का काला मोती दिया। काला मोती में ब्रह्मांड की अपार शक्तियाँ समाई थी। वह ब्रह्मांड के सप्त तत्वों 'अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, ध्वनि और प्रकाश' पर भी नियंत्रण कर सकता था।

अतः काला मोती सप्त तत्वों की मदद से ब्रह्मांड के हर एक नक्षत्र और निर्जीव वास्तुओं का निर्माण कर सकने में सक्षम, था। लेकिन उस काले मोती को सिर्फ वही कंट्रोल कर सकता था, जिसके पास 'पोसाइडन' दी गई 'तिलिस्मी अंगूठी' हो। 'पोसाइडन' की यह तिलिस्मी अंगूठी 'ब्रह्मकण' से निर्मित थी और ब्रह्मकण ने ही ब्रह्माण्ड के सभी सजीव जीवों की रचना की थी। इसी ब्रह्म-कण को 'ईश्वरीय कण' के नाम से भी जाना जाता है।

पोसाइडन ने काले मोती को कंट्रोल करने के लिए, अपनी ये तिलिस्मी रिंग भी 'क्लिटो' को दे दी।पोसाइडन की दी हुई यही तिलिस्मी रिंग बाद में रिंग आफ अटलैंटिस के नाम से नाम से फेमस हुई। क्लिटो ने तिलिस्मी अंगूठी की सहायता से काले मोती को नियंतत्रित कर, उस द्वीप पर एक विशालाकाय और भव्य सभ्यता की रचना की।

क्लिटो ने इस सभयता का आकार भी तिलिस्मी अंगूठी के समान ही गोल बनाया। पूरे द्वीप को पांच भाग में विभक्त किया गया। पूर्व, पछिम, उत्तर, दक्षिण और केन्द्र। केंद्र का भाग क्लिटो के महल के रूप में विकसित हुआ। जहाँ पर पोसाइडन के एक भव्य मंदिर का निर्माण किया।

कहते है कि यह मंदिर इतना विशालकाय था कि उसकी दीवार बदलो के भी ऊपर तक चला गया थी, क्लिटो ने अटलान्टिस के पांच भागो में एक-एक विशालकाय पिरामिड की रचना भी की। ये पिरामिड उस समय द्वीप की सभी ऊर्जा की जरुरत को पूरा करते थे। इस द्वीप के हर हिस्से में, लोगो की जरूरत के हिसाब से लाल और काले पत्थरो से विशालकाय भवनो का निर्माण किया गया।

द्वीप पर केंद्र से बाहर की ओर तीन विशालकाय 'आउटर रिग' बनाए गए। एक रिंग से दूसरी रिंग की दूरी 9 किलोमीटर थी। यह 9 किलोमीटर के छेत्र में समुंद्र का पानी भरा गया। पहले और दूसरी रिंग को 10 भाग में विभजीत कर उन्हें 10 राज्य का रूप दिया गया, जिनमे द्वीप की 10 जातियो को जगह दी गई। तीसरी और आखरी रिंग में बाकी की बची दो जातियो ‘सामरा’ और ‘सीनोर’ को योधाओ के रूप में अटलांटिस की सुरक्षा के लिए बसाया गया।

बाद में मुझे क्लिटो के महल को केंद्र मानकर एक सीधी रेखा में 8 चौड़े पुल का निर्माण किया। ये पुल हर एक राज्य से होकर जाते थे। इस पूरी द्वीप के नीचे काँच की ट्यूब में समुंद्र के अंदर रास्तो का जाल बनाया गया।

संपूर्ण राज्य का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि बड़े से बड़ा पानी का जहाज भी सीधे महल तक पहुच सके। अपने उन्नत विज्ञान के कारण अटलान्टिस वासियो की औसत उम्र 800 साल होने लगी और उनहोने पानी में भी सांस लेने का कला सीख ली।

इसिलए उनके राज्य का बहुत सा हिस्सा समुंद्र के अंदर भी बनाया गया। पानी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए काँच के कैप्सूल के समान छोटी-छोटी नाव बनाई गई, जो कि समुन्द्र की लहरो से ऊर्जा प्राप्त कर चलती थी।
क्लिटो ने अलग-अलग जीवो को मिलाकर कुछ नए जीवो की रचना की, जिन्हे ‘जलोथा’ का नाम दिया गया। ये सारे जलोथा आकार और प्रकार में भिन्न-2 प्रकार के थे। ये विचित्र जीव, जल और थल दोनो ही स्थान पर जीवित रह सकते थे।

इस भव्य साम्राज्य की स्थापना कर क्लिटो वहां आराम से रहने लगी। धीरे-धीरे एक-एक कर क्लिटो ने पांच बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। क्लिटो के इन 10 बच्चों में एक भी लड़की नहीं थी। समय आने पर क्लिटो ने अपने सबसे बड़े पुत्र 'एटलस' को इस साम्राज्य का राजा बना दिया। धीरे-धीरे बाकी के 9 पुत्रो ने भी अटलांटिस के 9 अलग-अलग राज्यों को संभाल लिया।

बाकी बचे दो राज्य 'समरा' और 'सीनोर' के योद्धाओं को क्लिटो खुद नियंत्रित करती रही। बाद में एटलस के नाम पर ही उस द्वीप का नाम 'अटलांटिस' रखा गया। काले मोती की वजह से अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया कि ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों से पर ग्रहवासियो का भी पृथ्वी पर आना-जाना शुरू हो गया।

एक बार पोसाइडन को किसी बात पर क्लिटो के चरित्र पर शक हो गया। उसने गुस्से में आकर क्लिटो से अपनी तिलिस्मी रिंग छीन ली। क्लिटो ने बिना तिलिस्मी अंगूठी के जैसे ही काले मोती को अपने हाथ में उठाया, वह पत्थर की बन गई। इसके बाद पोसाइडन ने एक कृत्रम द्वीप का निर्माण किया और इस द्वीप का नाम 'अराका' रखा गया। यह द्वीप पर पानी भी तैर सकता था।

पोसाइडन ने उस द्वीप पर एक विशालकाय मानव आकृति वाले, पर्वत जैसे तिलिस्म की रचना की और क्लिटो को काला मोती सहित उस तिलिस्म में डाल दिया। इस प्रकार क्लिटो तिलिस्म में युगो-युगों तक के लिए कैद हो गई। बाद में मुझे पोसाइडन ने गुस्से में, अपनी तिलिस्मी रिंग भी उसी पहाड़ पर कहीं फेंक दी। जब क्लिटो के बेटे एटलस को यह बात पता चली तो वह पोसाइडन के इस कृत्य पर बहुत गुस्सा हुआ।

उसने अटलांटिस के 10 महायोद्धाओं को तिलिस्म तोड़कर काला मोती लाने को भेजा। मगर सारे महायोद्धा तिलिस्म तक पहुंचने के पहले ही 'अराका' के 'मायावन' मैं मारे गए।


जारी रहेगा_________✍️
Gajab ka rahasya aur romanch hai aapki kahani me bhai ji :bow:
Ab tak ki sabse best story padh raha hu main, mujh lagta hai ki ye kitaab wahi ke kisi aadmi ne likhi hai🤔 shandaar update :applause::applause:
 
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#56.

फिर तो जैसे एक सिलसिला शुरू हो गया। एटलस और उनके भाई हर साल नए योद्धाओं का चुनाव करते और उन्हें तिलिस्म को तोड़ने के लिए भेज देते थे, पर कोई सफल नहीं हो पा रहा था।

आख़िरकार एटलस ने 'एरियन आकाशगंगा' के महान 'टाइटन योद्धाओ' उस तिलिस्म को तोड़ने के लिए अमंत्रित किया।

जिससे गुस्सा होकर पोसाइडन ने यह श्राप दिया कि अब इस तिलिस्म में मनुष्यो के अलावा कोई भी अटलान्तियन, टाइटन, देवता या देवपुत्र प्रवेश नहीं कर सकता। और काले मोती को भी अब कोई देवपुत्री ही धारण कर सकती है।

पोसाइडन को पता था कि एटलस की अगली सात पीढ़ियो में अभी कोई नहीं पुत्री जन्म नहीं लेने वाली और रही बात मनुष्यो की, तो उसे पता था की मनुष्यो के पास इतनी शक्ति और बुद्धि नहीं है कि वह तिलिस्म को तोड़ सके।

अब एटलस के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। अंततः क्रोधित होकर एटलस ने पोसाइडन के ही विरुद्ध ही युद्ध का ऐलान कर दिया।

चूंकी एरियन के टाइटन योद्धा के साथ अब एटलस के साथ थे इसिलए ये युद्ध बहुत ही भयानक हुआ।

इस युद्ध को 'देव युद्ध' के नाम से जाना गया। इस युद्ध में पोसाइडन की तरफ से कुछ ग्रीक देवताओं ने भी युद्ध किया।

जब पोसाइडन को लगा कि अब यह देवपुत्र धीरे-धीरे खतरनाक होते जा रहे हैं तो पोसाइडन ने अपनी सारी शक्तियो को एकत्रित कर अटलांटिस की पूरी धरती को हिलाकर प्रलय ला दिया।

अटलांटिस की धरती पर एक साथ हजारो ज्वालामुखी फटे, भूकंप आये और फिर अविसनीय सुनामी। इस प्रलय के कारण पृथ्वी का जल स्तर 800 मीटर से ऊपर हो गया।

अंततः पूरी अटलांटिस की भव्य धरती धीरे-धीरे समुद्र में समा गई।

एटलस साहित उसका सारे भाई इस युद्ध में मारे गए। बची थी तो केवल एटलस की पत्नी 'लिडिया', जो प्रेग्नेंट होने के कारण अपनी मां के घर 'एरियान' गैलेक्सी' पर मौजूद थी।

सब कुछ ख़तम होने के बाद जब लीडिया अटलान्टिस पहुची तो वहां सिर्फ सामरा और सीनोर जाति के कुछ योद्धा ही बचे थे और बचा था तो बस अराका द्वीप....! जो पानी पर तैरने की वजह से इस खतरनाक दुर्घटना से बच गया था।

लीडिया अब सामरा और सीनोर के साथ अराका पर रहने लगी। कुछ समय के बाद लीडिया ने एक पुत्र को जन्म दिया।

सामरा और सीनोर दोनो जातियां लीडिया को देवी की तरह पूजते थे। अब लीडिया को इंतजार था कि उसके परिवार में किसी लड़की का जन्म हो, जो उस तिलिस्मी अंगूठी को खोजकर, काला मोती को प्राप्त कर सके और अटलांटिस राज्य को दोबारा से स्थापित कर सके।

धीरे-धीरे हजारों वर्ष बीत गए, पर एटलस की अगली सात पीढ़ियो में एक भी लड़की का जन्म नहीं हुआ।

आख़िरकार वह शुभ बेला आ ही गयी। 13070 साल बाद एटलस के परिवार में एक लड़की का जन्म हुआ। जिसका नाम 'ऐलेना' रखा गया। बड़ी होने पर ऐलेना की शादी 'एरियन आकाशगंगा' के एक महान योद्धा 'आर्गस' के साथ हुई।

अब फिर शुरू हुआ सिलसिला तिलिस्मी अंगूठी को खोजने और काले मोती को प्राप्त करने का। समय धीरे-धीरे बीतता गया पर ऐलेना को तिलिस्मी रिंग नहीं मिली।

कुछ समय बाद ऐलेना ने भी एक-एक कर 8 बच्चों को जन्म दिया। जिनमे 7 लड़के थे और एक आखिरी सबसे छोटी लड़की थी। लड़की का नाम 'शलाका' रखा गया।

'शलाका' बचपन से ही बहुत तेज थी। दूसरे समय के साथ-साथ सामरा और सीनोर जातियो ने भी आपसी मतभेद शुरू कर दिया था। पर शलाका ने अपनी सूझ-बूझ से दोनों को अच्छे से नियंत्रण कर लिया और अराका द्वीप के आधे-आधे हिस्से को दोनो में बांट दिया।

शलाका और उसके 7 भाइयो ने कई आकाशगंगाओ से ज्ञान अर्जित किया, ऐलेना को यह विश्वास था कि शलाका हर हाल में तिलिस्मी अंगूठी ढूंढ लेगी और अटलान्टिस की सभ्यता की फिर से रचना करेगी।"

इतना पढ़कर वेगा रुक गया और वीनस की ओर देखने लगा।

“क्या हुआ चुप क्यों हो गए?” वीनस ने वेगा से पूछा।

“बस अटलांटिस का इतिहास यहीं तक था।” इसके आगे देवी शलाका और उनके 7 योद्धा भाइयो की शक्तियाँ और एरियान गैलेक्सी का जिक्र है बस. और उसको पढ़ने का कोई फायदा नहीं है क्यों की मुझे उस पर आर्टिकल थोड़े ही लिखना है।" वेगा ने वीनस को समझाते हुए कहा।

“पर जो भी कहो, अटलांटिस का इतिहास बहुत शानदार है।” वीनस ने कहानी की तारीफ करते हुए कहा- “पर काश ये सब सच होता ?”

“मतलब????” वेगा के चेहरे पर उलझन के भाव आये।

“मतलब...ये तो एक काल्पनिक फिक्शन या काल्पनिक किताब है ना।”...?"

वीनस ने कहा- ''आज के समय में तो लोग पोसाइडन पर ही विश्वास नहीं करते, फिर देवी शलाका पर कैसे विश्वास कर लेंगे। हां...पर जो भी हो, लेखक की कल्पनाओ की उड़ान बहुत अच्छी है।" यह कहकर वीनस खड़ी हो गयी।

"तुम मुख्य द्वार की ओर चलो, मैं अभी आता हूं।" यह कहकर वेगा लाइब्रेरियन की तरफ मुड़ गया।

वीनस ने एक नजर वेगा पर डाली और फिर मुख्य दरवाजे की ओर चल दी, लाइब्रेरियन वेगा को अपनी तरफ आते देख खड़ा हो गया।

“मुझे यह किताब इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन की आंखो में आँख डालते हुए कहा।

“पर सर……मैं आपको तो पहले ही कह चुका हूँ की…….” वेगा कि आँखों में देखते हुए लाइब्रेरियन अचानक चुप हो गया।

“क्या कह चुके हो आप?" वेगा ने पूछा।

"आप यह किताब ले जा सकते हैं।" अचानक लाइब्रेरियन का सुर बदल गया- “रुकिए मैं आपको यह किताब पैकेट में डाल कर देता हूं, जिससे आपको कोई समस्या नहीं होगी।''

यह कहकर लाइब्रेरियन ने किताब को वेगा से लेकर 1 लिफाफे में डाल दिया। और पैकेट को सील कर, वेगा को पैकेट थमा दिया।

वेगा वह पैकेट लेकर तेजी से वीनस की ओर चल दिया। वीनस ने वेगा के हाथ में थमा पैकेट तो देखी पर उससे कुछ पूछा नहीं !

दोनो मुख्य द्वार से निकलकर पार्किंग की ओर चल दिये। उधर लाइब्रेरी में एक दूसरा व्यक्ति लाइब्रेरियन के पास एक किताब लेकर पहुचा।

“हैलो सर, मुझे यह किताब इशू करवानी है।” उस इंसान ने लाइब्रेरियन से कहा।

लाइब्रेरियन पर अभी भी कुछ हवा में देख रहा था। यह देख उस इंसान ने लाइब्रेरियन को धीरे-धीरे हिला दिया। उस आदमी के झकझोरते ही लाइब्रेरियन ऐसे हड़बड़ाया, मानो सोते से जगा हो।

लाइब्रेरियन ने एक झटके से इधर-उधर देखा, उस पर वेगा कही नजर नहीं आया। लाइब्रेरियन ने अपने सिर को एक हलका सा झटका दिया और पुनः अपने काम पर लग गया। ----------------------------------------------------------------------------- दोस्तो, यह थोड़ा सा फ्लैश बैक था, जिस से आपको कहानी समझ में आ सके और मुझे यकीन है कि काफी महानुभावों को आ भी गई होगी !!

अब उससे आगे....................

चमत्कारी पेड़
7जनवरी2002, सोमवार, 10:30, रहस्यमय द्वीप- अराका

एक नई सुबह हो चुकी थी। सभी की आंखों की लाली बता रही थी कि कोई भी रात में ठीक से सो नहीं पाया था!

सागर की लहरो की आवाज और पंछियो के चहचहाट कानो में मीठा रस घोल रही थी। हवा भी खुशबू लिए हुई थी। मौसम काफी सुहाना था, पर फिर भी सभी के चेहरे पर उदासी की एक रेखा दिखयी दे रही थी और इसका कारण था ‘सुप्रीम’ के डूब जाने का। सभी नित्य कर्मों से फरिग होकर सुयश के पास एकत्रित हो गये।

सुयश ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगों पर डाली और फिर बोलना शुरू कर दिया- “दोस्तो सुप्रीम का डूबना हमारी सबसे बड़ी।” बदकिस्मती थी। पर हम सबका बच जाना भी किसी चमत्कार से कम नहीं है, इसिलए हमें हिम्मत नहीं हारना चाहिए।

हमें अभी भी लड़ते रहना होगा... इस जंगल से, अपनी परिस्थियों से, अपने अकेलेपन से और सबसे बढ़कर आने वाली मुसीबतों से। वैसे तो यहां मौजूद हर इंसान का अपना व्यक्तित्व है जिससे वह अपनी क्षमता के हिसाब से अपनी जिंदगी के डिसीजन सवयं लेता है, पर मैं चाहता हूं कि अब हम यहां अपने सारे फैसले खुद ना ले बल्कि एक टीम की तरह काम करें क्योकी आप जानते हैं इस द्वीप पर कितने खतरे हो सकते हैं और हम एक बनकर ही इन खतरों से लड़ेंगे।"

“मैं आपकी बातों से इत्तेफाक रखता हूं कैप्टन।” अल्बर्ट ने आगे बढ़कर अपनी बात कही- “वैसे भी मैं पीछे घटी किसी घटना के लिए यहां किसी को भी जिम्मेदार नहीं मानता, यहां तक कि आपको भी नहीं।
आपने जो कुछ भी किया, हम सभी लोगो कि भलाई के लिए ही किया। वह सब समय का एक खराब चक्र था जो कि बीत गया। हमको आपकी काबिलियत पर कोई शक नहीं है, इसिलए मैं यह चाहता हूं कि अब भी आप ही हमारी टीम का नेतृत्व करें।''

अल्बर्ट कि बात सुन वहां खड़े बाकि सभी लोगो ने भी हाँ मै सर हिलाकर अल्बर्ट कि बात का समर्थन किया। यह देख पहले तो सुयश थोड़ा भावुक हो गया, इस घटना ने उसमें एक नई शक्ति का संचार कर दिया।
वह शक्ति थी उन सभी लोगों के विश्वास की। सुयश ने एक नजर द्वीप के अंदर मारी और फिर सबको देखते हुए अपनी मुट्ठी को बांधकर सबकी तरफ जोश से लहराया।

सभी ने सुयश का अनुशरण कर मुट्ठी बांधकर जोर से हुंकार भरी।
अब सभी द्वीप के अंदर कि ओर जाने को तैयार दिख रहे थे।

“तो सबसे पहले हम अपने पास मौजूद सभी चीज़ों को एक बार चेक कर लेना चाहिए, जिस से सही समय पर हम उस चीज का उपयोग कर पाये।'' यह कहकर सुयश मोटरबोट की ओर बढ़ गया।




जारी रहेगा_________✍️
Awesome update bhai ji,👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻 kya vega ko sammohan vidya aati hai?:?: Librarian itna easily kaise maan gaya? Aur atlantis ka locha bohut bada lagta hai bhai🤔
 
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