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मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

kamdev99008

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अगर ये पाप नही तो छिप कर क्यों किया जाता है, अथवा छिपाया क्यों जाता है, इसको सब स्वीकार करने से क्यों डरते है??? और अंत में इन सम्बधो का परिणाम पश्चताप पर ही क्यों ठेहरता है???

1 पाप और अपराध मे क्या अंतर है???
2 आज के काम युग में अपने मन और इंद्रियों (जनेद्रियो ) को बश मे कैसे करे???
3 पैसे देकर वैश्या गमन करना या प्रेम जाल मे फंसा कर संभोग करना। दोनों में एक जैसा ही दोष अथवा पाप लगता है।
4 उम्र के कोणसे पड़ाव में काम वासना को त्याग देना चाहिए???
5 जन्म और मर्त्यु का कोई समय निर्धारित नही होता है । अगर घर का बुजुर्ग बाहर अपनी अनितम् साँसे लेते हुए मर्त्यु को प्राप्त कर जाता है और बेटा बहु उस बात से अंजान अपने कमरे में काम कीडा मे व्यस्त हो तो उस पाप का पश्चताप कैसे करे???
सोचना, जानना, पूछना गलत नहीं लेकिन सबसे जरूरी है समझना... सबसे पहले जो आप जानते हैं, सोचते हैं और पूछते हैं उसे समझें भी आसपास देखें और मन्थन करें
अगर ये पाप नही तो छिप कर क्यों किया जाता है, अथवा छिपाया क्यों जाता है, इसको सब स्वीकार करने से क्यों डरते है??? और अंत में इन सम्बधो का परिणाम पश्चताप पर ही क्यों ठेहरता है???
इस आधार पर सबसे बड़ा पाप तो आपका अपना शरीर है, क्योंकि जब तक आपको ज्ञान नहीं होता आपको अपने शरीर को छुपाते नहीं लेकिन ज्ञान मिलते ही आप उसे छुपाने लगते हैं.... अब आप समझाइये कि आपका शरीर और व्यभिचार दोनों पाप या ग़लत की वजह से छुपाये गये या सिर्फ सामाजिक मर्यादा के लिए
???
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1 पाप और अपराध मे क्या अंतर है???
2 आज के काम युग में अपने मन और इंद्रियों (जनेद्रियो ) को बश मे कैसे करे???
3 पैसे देकर वैश्या गमन करना या प्रेम जाल मे फंसा कर संभोग करना। दोनों में एक जैसा ही दोष अथवा पाप लगता है।
4 उम्र के कोणसे पड़ाव में काम वासना को त्याग देना चाहिए???
5 जन्म और मर्त्यु का कोई समय निर्धारित नही होता है । अगर घर का बुजुर्ग बाहर अपनी अनितम् साँसे लेते हुए मर्त्यु को प्राप्त कर जाता है और बेटा बहु उस बात से अंजान अपने कमरे में काम कीडा मे व्यस्त हो तो उस पाप का पश्चताप कैसे करे???
१-पाप ..... सामाजिक अपराध तो निश्चित रूप से है... सरकारी कानून तो बदलते रहते हैं
२- भूख/कामना/तृष्णा का दमन करके इन्द्रियों को वश में नहीं किया जा सकता। त्याग नहीं तुष्टि से ही मोक्ष मिलता है... तुष्टि प्राप्त करने के लिए मनोकामना के प्रति समर्पित होना पड़ेगा।
३- पैसा या प्यार के बदले सम्भोग को पाप किस मूर्ख ने बताया.... ये एक विनिमय है जिसे सम्भोग चाहिए वो देने वाले को बदलें में उसकी जरूरत प्यार या पैसा देता है.... ये पाप कैसे हुआ ना सम्भोग करना पाप है, ना प्यार करना‌ पाप है और ना पैसा लेना-देना
४-काम,क्रोध, मद, लोभ मोह की कोई उम्र नहीं, जीवन‌ भर या जब तक आपमें क्षमता और इच्छा है
५-पहले ही बता चुका हूं सम्भोग पाप नहीं, तो प्रायश्चित कैसा
 
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सोचना, जानना, पूछना गलत नहीं लेकिन सबसे जरूरी है समझना... सबसे पहले जो आप जानते हैं, सोचते हैं और पूछते हैं उसे समझें भी आसपास देखें और मन्नत करें

इस आधार पर सबसे बड़ा पाप तो आपका अपना शरीर है, क्योंकि जब तक आपको ज्ञान नहीं होता आपको अपने शरीर को छुपाते नहीं लेकिन ज्ञान मिलते ही आप उसे छुपाने लगते हैं.... अब आप समझाइये कि आपका शरीर और व्यभिचार दोनों पाप या ग़लत की वजह से छुपाये गये या सिर्फ सामाजिक मर्यादा के लिए
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मर्यादा को तोड़ना क्या सामाजिक दृष्टि से उचित है???
१-पाप ..... सामाजिक अपराध तो निश्चित रूप से है... सरकारी कानून तो बदलते रहते हैं
२- भूख/कामना/तृष्णा का दमन करके इन्द्रियों को वश में नहीं किया जा सकता। त्याग नहीं तुष्टि से ही मोक्ष मिलता है... तुष्टि प्राप्त करने के लिए मनोकामना के प्रति समर्पित होना पड़ेगा।
३- पैसा या प्यार के बदले सम्भोग को पाप किस मूर्ख ने बताया.... ये एक विनिमय है जिसे सम्भोग चाहिए वो देने वाले को बदलें में उसकी जरूरत प्यार या पैसा देता है.... ये पाप कैसे हुआ ना सम्भोग करना पाप है, ना प्यार करना‌ पाप है और ना पैसा लेना-देना
४-काम,क्रोध, मद, लोभ मोह की कोई उम्र नहीं, जीवन‌ भर या जब तक आपमें क्षमता और इच्छा है
५-पहले ही बता चुका हूं सम्भोग पाप नहीं, तो प्रायश्चित कैसा
आपके द्वारा रचित एक एक शब्द ओशो के सत्य की ओर ले जा रहे है। मै सामान्य व्यक्ति हू समाज और सामाजिक ढांचा को तोड़ नही सकता...।

मै बुद्ध के सत्य को जानना चाहता हूँ??? कृपया बुद्ध के सत्य पर प्रकाश डालिए 🙏🏻
 
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मर्यादा को तोड़ना क्या सामाजिक दृष्टि से उचित है???

आपके द्वारा रचित एक एक शब्द ओशो के सत्य की ओर ले जा रहे है। मै सामान्य व्यक्ति हू समाज और सामाजिक ढांचा को तोड़ नही सकता...।

मै बुद्ध के सत्य को जानना चाहता हूँ??? कृपया बुद्ध के सत्य पर प्रकाश डालिए 🙏🏻
मैं सम्प्रदाय, पंथ, मज़हब, रिलीजन, किसी एक किताब या किसी एक व्यक्ति के सिद्धांतों का अन्धानुकरण करने वालों में से नहीं हूं.... इसलिए मुझे ओशो या बुद्ध के नाम से व्यक्तिवादी सिद्धांतों से ना जोड़ें

मैं प्रकृति आधारित 'सनातन धर्म' में आस्था रखता हूं जो किसी नियम, पुस्तक या व्यक्ति के द्वारा स्थापित या संचालित नहीं होता बल्कि प्रकृति आधारित सर्वहितकारी सिद्धांत का पालन करता है केवल मनुष्य ही नहीं सभी जड़-चेतन जीवधारियों व तत्वों को समान महत्व देता है गुण-कर्म-स्वभाव के आधार पर

बुद्ध का सत्य... सबसे बड़ा सत्य है कि वो एक राजा के पुत्र थे, उनका नाम सिद्धार्थ था, उनका पालन-पोषण उनकी जननी माता महामाया ने नहीं सौतेली माता गौतमी ने किया था जिसके कारण उन्हें गौतम भी कहा जाता था... :approve: . बाकी सब उनके अनुयायियों व विरोधियों का अनर्गल प्रलाप है जिसे अकाट्य या सार्वभौमिक सत्य नहीं कहा जा सकता
आशा है आपकी बुद्ध के बारे में जिज्ञासा शान्त कर पाया हूंगा :good:
 
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मैं सम्प्रदाय, पंथ, मज़हब, रिलीजन, किसी एक किताब या किसी एक व्यक्ति के सिद्धांतों का अन्धानुकरण करने वालों में से नहीं हूं.... इसलिए मुझे ओशो या बुद्ध के नाम से व्यक्तिवादी सिद्धांतों से ना जोड़ें

मैं प्रकृति आधारित 'सनातन धर्म' में आस्था रखता हूं जो किसी नियम, पुस्तक या व्यक्ति के द्वारा स्थापित या संचालित नहीं होता बल्कि प्रकृति आधारित सर्वहितकारी सिद्धांत का पालन करता है केवल मनुष्य ही नहीं सभी जड़-चेतन जीवधारियों व तत्वों को समान महत्व देता है गुण-कर्म-स्वभाव के आधार पर

बुद्ध का सत्य... सबसे बड़ा सत्य है कि वो एक राजा के पुत्र थे, उनका नाम सिद्धार्थ था, उनका पालन-पोषण उनकी जननी माता महामाया ने नहीं सौतेली माता गौतमी ने किया था जिसके कारण उन्हें गौतम भी कहा जाता था... :approve: . बाकी सब उनके अनुयायियों व विरोधियों का अनर्गल प्रलाप है जिसे अकाट्य या सार्वभौमिक सत्य नहीं कहा जा सकता
आशा है आपकी बुद्ध के बारे में जिज्ञासा शान्त कर पाया हूंगा :good:
धन्यवाद 🙏🏻
 
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kamdev99008

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Its a public forum
And I believe those who appreciate have equal right to criticize. Period
And stop moralizing and stop being condescending
This is not a forum for being politicaly right,
This is definitely not a platform for नैतिक कहानियाँ

Who told you that this platform is only for sex and lust stories
Then why romance fantasy fiction non erotic prefix exist here

me bas , apna story ko ek realistic ending dena chata hun , sab story ke tarah ending nahi ..... aisa story likh raha hun , jisko padh ke readers lok ko erotic aur reaction bhi lage ....
Yahan ham sirf erotic nahin.... Har tarah ki stories padhne aate hain....
Life me morality rakhne wale kya sex nahin karte?
adultery ya incest me involve nahin hote?
Lekin usse morality ka social status khatm ho jata hai kya?

Meghna ji apko criticise karne ka pura haq hai... Lekin sirf kahani ko.... Na ki writer ki personal soch ko....

Me bhi yahan writer ki personal soch ko criticise karta hu... Lekin apse just opposite reason se....
Interfaith... Religious degradation...jiske bare me meine ajtak apka single comment nahi dekha.....

Duniya me morality banane wale sabhi sex karne se hi paida huye aur aage bhi generations tak sex karte rahenge... To morality aur sex dono hi koi off-topic nahin hai yahan bhi

Jabki... Interfaith puri duniya me hamesha se sensitive hi nahi.. violent aur destructive topic raha hai... Jo yahan off-topic hona chahiye... Kyonki yahan ham ladne nahin mauj-masti ke liye ate hain.......

Lekin apka ulta hai.... Interfaith ke khilaaf ek shabd nahin aur morality ke khilaaf hain.....
???? Some hidden agenda???
 
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Meghna

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You are absolutely mistaken
Its not the story that's disgusting
But the ending
Anyway its your baby treat anyway you like
Maybe Hitopdesh, next series
Good bye
 

kamdev99008

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After receiving multiple requests of date extension ,I've decided to increase the last date of Entry thread till 2nd May. Entry Thread will be closed at 11:59 Pm on 2nd of May. The last date to post reveiws for best reader award is also increased till 10th of May .Readers can post their review till date of results declaration but reviews posted after 10th May 2025 will not be considered for Best Reader Award.
🙏 :thanx:
 
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