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Thriller शतरंज की चाल

dhparikh

Well-Known Member
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#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Nice update....
 
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मनीष साहब वास्तव मे छल - कपट और प्रपंच से परे है ।
पढ़ाई लिखाई , हाई एजुकेशन , धन दौलत की प्रचुर उपलब्धता यह नही दर्शाता कि वह इंसान दिमाग से भी तेज होगा ! यह सब उसके विरासत , उसके कठोर कर्म और भाग्य की वजह से भी हो सकता है ।
इस अपडेट मे भी यही दिखाई दिया कि वह एक साधारण सोच वाले इंसान है । समर साहब ने उनके कमी को फिर से उजागर किया ।
वैसे यह कोई शर्मिंदगी की बात नही है । आम इंसान थोड़ी थोड़ी सी संवेदनशील चीजों पर बहक जाता है ।

मनीष साहब को अपने कुल देवता , पितर और आराध्य देव की प्रार्थना करनी चाहिए कि रजत मित्तल साहब साहब बच जाएं ! मित्तल साहब का बयान ही उन्हे निर्दोष साबित कर सकता है ।

लेकिन एक बात तो लगभग सभी रीडर्स को खटक रही है और वह है प्रिया का ऐन मौके पर पहुंच जाना जब मनीष साहब के हाथ मे रिवाल्वर है । हमारे एक रीडर बंधु ने श्रेय के बारे मे भी यही हिंट दिया ।
यह निस्संदेह जांच का विषय होना चाहिए ।

खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 
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अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या मित्तल साहब को गोली मारने वाला घर का ही हैं या कोई और जो मनिष को फसा कर अपना उल्लु निकाल सके
क्या समर मनिष को बचाने के लिये एडी चोटी का जो लगा कर उसे बचा पायेगा
ढाबे वाले बाबुजी किस तरहा से मनिष की मदत करते है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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बचपन में मैं और मेरे साथी एक शब्द का इस्तेमाल करते थे "गऊ"!
ये दो शब्दों के मेल था - धा और ल्लू।

मनीष वाक़ई गऊ है। अभी भी वो नेहा के प्रपंच में फंसा हुआ है और एक दूसरे ही जंजाल में फँस गया।
ऐसे कौन निरी मूर्खता वाला काम करता है भाई? इस आदमी से बिज़नेस सम्हलेगा? वाक़ई?

ठीक है, आप किसी और को धोखा न दें, लेकिन कम से कम स्वयं तो बार बार धोखे न खाएँ! ये कोई अच्छाई नहीं।
कम से समर उसके साथ है। एक मिनट -- समर उसके साथ है? या वो भी एक अलग ही प्रकार का छल है?

मित्तल दादा की हत्या करने का प्रयास हो चुका। मतलब घर का भेदी है कोई।
उसकी बेटी प्रिया ही तो नहीं? उसी को नुकसान होना था सबसे बड़ा मनीष के "परिवार" में बने रहने से।
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Kya matlab ab bichare ko waha se bhi nikalwaoge kya? :sigh:
अब ये तो अगले अपडेट में ही पता चलेगा।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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कसम उड़ानछले कि समर तो यारों का यार हे।
इस प्यार के चोदे मनीष की तो नेहा ले रही थी,वो भी कुत्ता बनाके 😄


श्रेय नीचे से ऊपर आया, प्रिया रिवॉल्वर हाथ में लेने के बाद आई, बहुत केमिकल लोचा है इधर,

लेकिन अभी मित्तल साहब फिरोज खान साहब की स्टाइल में कहेंगे नोट टू वरी माई बॉय अभी हम जिंदा हैं, आइसा अपुन को लगता है मामूलोग ,बाकी होगा वोहिच जो तुम सोच के रखा ।
पर समर ने मनीष को भगा दिया है, ये उसकी भी तो कोई चाल हो सकती है, क्योंकि कानून की नजर में तो वो अब भगोड़ा भी बन चुका है।

बिल्कुल, लेकिन वो है कौन आखिर?

अभी फिलहाल तो जिंदा हैं, हां फिरोज खान बनते हैं या राजकुमार वो नहीं पता 😂

धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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मनीष साहब वास्तव मे छल - कपट और प्रपंच से परे है ।
पढ़ाई लिखाई , हाई एजुकेशन , धन दौलत की प्रचुर उपलब्धता यह नही दर्शाता कि वह इंसान दिमाग से भी तेज होगा ! यह सब उसके विरासत , उसके कठोर कर्म और भाग्य की वजह से भी हो सकता है ।
इस अपडेट मे भी यही दिखाई दिया कि वह एक साधारण सोच वाले इंसान है । समर साहब ने उनके कमी को फिर से उजागर किया ।
वैसे यह कोई शर्मिंदगी की बात नही है । आम इंसान थोड़ी थोड़ी सी संवेदनशील चीजों पर बहक जाता है ।

आम सा ही इनसान है, बस कुछ चीजों में दिमाग अच्छा चलता है, हां छल प्रपंच तो नहीं ही सीखा है उसने, ऊपर से लड़कियों और औरतों से हमेशा दूरी ही बना कर रखी, तो त्रिया चरित्र का भी ज़रा सा भी ज्ञान नहीं है।

देखिए, शायद अब उसका कुछ नजरिया बदले। वैसे बैंक रॉबरी और मित्तल पर अटैक के बीच बहुत ज्यादा समयांतराल नहीं है, इसीलिए दोनो को एक ही घटना ही मानना चाहिए, इसीलिए इस बात मनीष का दूधभात मान कर चलेंगे हम।

मनीष साहब को अपने कुल देवता , पितर और आराध्य देव की प्रार्थना करनी चाहिए कि रजत मित्तल साहब साहब बच जाएं ! मित्तल साहब का बयान ही उन्हे निर्दोष साबित कर सकता है ।
बयान देने लायक तो हों पहले वो, इस बार उसे ही दिमाग लगाना पड़ेगा शायद।
लेकिन एक बात तो लगभग सभी रीडर्स को खटक रही है और वह है प्रिया का ऐन मौके पर पहुंच जाना जब मनीष साहब के हाथ मे रिवाल्वर है । हमारे एक रीडर बंधु ने श्रेय के बारे मे भी यही हिंट दिया ।
यह निस्संदेह जांच का विषय होना चाहिए ।
बिल्कुल होना चाहिए, पर घर उनका ही है। तो आप घर वालों पर क्या इन्वेस्टिगेशन करेंगे? वैसे भी कोई आला ए कत्ल के साथ दिखा है और अब भगोड़ा भी घोषित है।
खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
धन्यवाद भाई जी 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या मित्तल साहब को गोली मारने वाला घर का ही हैं या कोई और जो मनिष को फसा कर अपना उल्लु निकाल सके
क्या समर मनिष को बचाने के लिये एडी चोटी का जो लगा कर उसे बचा पायेगा
ढाबे वाले बाबुजी किस तरहा से मनिष की मदत करते है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
सारे सवालों के जवाब आगे के अपडेटों में ही मिल पाएंगे भाई जी

धन्यवाद 🙏🏼
 
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