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Thriller शतरंज की चाल

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Rekha rani

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#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Awesome update
 

kamdev99008

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तो मित्तल अभी जिन्दा है और मित्तल की जिंदगी से ही मनीष की भी जिन्दगी जुड़ गयी है
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Manish ke liye bas ek hi sabd bacha hai " laut ke buddhu ghar ko aaye" babu ji hi aasra denge, main bhi yahi soch raha tha ki, wo dhabe wala hi bacha sakta hai use :approve:
Samar hi kaam ka aadmi hai, manish to chutiya hi hai:sigh:
Nice update 👌🏻
बाबूजी और उनका ढाबा ही मनीष का असली घर है, और मुसीबत आने पर आदमी अपने घर की ओर ही भागता है।

पर देखिए वहां भी उसे ठिकाना मिलता है या नहीं।
 
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तो मित्तल अभी जिन्दा है और मित्तल की जिंदगी से ही मनीष की भी जिन्दगी जुड़ गयी है
बिल्कुल, फिलहाल तो ऐसा ही है।

पर फिर भी अटेम्प्ट तो मर्डर का चार्ज तो फिलहाल लगा ही है। साथ साथ नेहा की और बाकी के लुटेरों की मौत का इल्ज़ाम भी, क्योंकि लूट का मास्टरमाइंड इसको ही बताया जा रहा है।
 

kas1709

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ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Nice update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बाबूजी और उनका ढाबा ही मनीष का असली घर है, और मुसीबत आने पर आदमी अपने घर की ओर ही भागता है।

पर देखिए वहां भी उसे ठिकाना मिलता है या नहीं।
Kya matlab ab bichare ko waha se bhi nikalwaoge kya? :sigh:
 
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Localmusafir

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कसम उड़ानछले कि समर तो यारों का यार हे।
इस प्यार के चोदे मनीष की तो नेहा ले रही थी,वो भी कुत्ता बनाके 😄


श्रेय नीचे से ऊपर आया, प्रिया रिवॉल्वर हाथ में लेने के बाद आई, बहुत केमिकल लोचा है इधर,

लेकिन अभी मित्तल साहब फिरोज खान साहब की स्टाइल में कहेंगे नोट टू वरी माई बॉय अभी हम जिंदा हैं, आइसा अपुन को लगता है मामूलोग ,बाकी होगा वोहिच जो तुम सोच के रखा ।
 
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