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Nice update....#अपडेट २५
अब तक आपने पढ़ा -
समर को आगे बढ़ता देख इस बार शायद खड़ा हुआ व्यक्ति भागने को तैयार हो गया। उसने अपनी पिस्तौल उस लड़की को थमा दी और पीछे की ओर जाने लगा, वो लड़की लगभग घसीटते हुए आगे को आई और समर को कवर करने लगी।
इसी समय मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी और....
अब आगे -
कुछ समय तक तो मेरी सोचने समझने की शक्ति ही चली गई, जो मैने अपने सामने देखा।
नेहा, मेरी नेहा? अपने हाथों में पिस्तौल थामे समर की ओर गोलियां चला रही थी? नहीं ये नहीं है मेरी नेहा नहीं है।
दिमाग जो देख रहा था, दिल उसे मानने को तैयार नहीं था।
मेरे मुंह से एक जोर की आवाज निकली, "नेहा ये क्या कर रही हो तुम?"
सबकी नजर मेरे ऊपर पड़ी, और मैं जहां छुपा हुआ था उससे बाहर आ चुका था। ये देख कर नेहा ने अपनी पिस्तौल मेरी ओर घुमा दी।
"समर उसे जाने दो वरना मैं मनीष को गोली मार दूंगी।"
"मनीष, तुम बाहर क्यों आए।" समर ने मुझसे गुस्से में पूछा।
"समर, मेरी बात मानो, वरना।" ये बोल कर उसने एक फायर किया, जो मुझसे कुछ दूर गया।
"नेहा रुक जाओ, मनीष को कुछ मत करना, मैं गोली नहीं चलाऊंगा।" ये बोल कर समर ने अपनी पिस्तौल को अपने सामने पेड़ पर रख दिया।
ये देख कर वो दूसरा व्यक्ति किले के दूसरी ओर भाग निकला।
"नेहा ये क्या कर रही हो तुम?" मैने फिर से नेहा से पूछा, मेरी आंखों में आंसु आ चुके थे।
"मनीष मैं जो भी कर रही हूं अपने प्यार की खातिर कर रही हूं।"
"पर तुम तो मुझसे प्यार करती थी न नेहा? और मैने कब तुमसे ऐसा करने को कहा।" मैने कतर स्वर में उससे पूछा।
"मनीष मैने कभी तुमसे प्यार नहीं किया, जो भी किया बस अपने प्यार की खातिर किया मनीष, हां तुम इसके लिए मुझे गलत मान सकते हो, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं।"
"क्या, तुमने मुझसे कभी प्यार नहीं किया? और वो सब क्या था नेहा, जो इतने दिन से हमारे बीच चल रहा था?"
"मैने कहा न जो भी किया अपने प्यार की खातिर किया, और अब भी जो कर रही हूं बस उसी प्यार के लिए कर रही हूं।"
तभी समर ने अपनी पिस्तौल उठा कर बाहर आते हुए कहा, "नेहा अब तो वो भाग गया, तुम भी ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकती। पिस्तौल फेक दो। हम तुम्हारा इलाज भी करवा देंगे और कोशिश करेंगे कि तुमको इसमें न फंसने दे।"
"समर, अपने ये पुलिस वाले पैंतरे मेरे सामने मत चलाओ, मुझे खुद को बचा कर उसे पकड़वाना ही होता तो मैं उसको क्यों भगाती?"
"पर नेहा ऐसे तो तुम खुद की जान खतरे में डाल रही हो। प्लीज अपनी पिस्तौल फेक दो, मैंने एम्बुलेंस बुला ली है, कुछ ही देर में आती होगी वो। तब तक हम कुछ फर्स्ट एड तो दे सकें तुम्हे।" समर ने कुछ बात घूमने की कोशिश की।
"समर, मेरा जो होना है, वो मुझे मालूम है। बस इस बात की खुशी है कि जिसे प्यार किया उसे बचा लिया है मैने, और उसके बचे रहने के लिए मेरा मारना ही जरूरी है।" ये बोल कर उसने पिस्तौल अपने सीने पर रख ली, और मेरी ओर देखते हुए नम आंखों से कहा, "मनीष, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना।" ये बोलते ही नेहा ने पिस्तौल का ट्रिगर दबा दिया।
मैं और समर तुरंत उसकी ओर लपके। मैने उसका सर उठा कर अपनी गोद में रखा।
"नेहा क्या तुम्हे एक बार भी मेरा ख्याल नहीं आया जो ये किया तुमने?"
"मनीष, मुझे बस अपने प्यार का ही ख्याल है। तुम.... बहुत अच्छे इंसान हो,.... मैने हर कदम तुमको... धोखा दिया है मनीष" उसने हाथ जोड़ते हुए कहा, "... बस हो सके तो मुझे माफ कर देना..." और इसी।के साथ उसका पूरा शरीर ढीला पड़ गया।
"नेहा§§" मैं चीख उठा। और उसके बाद रोने लगा।
समर ने कुछ देर मुझे रोने दिया। फिर मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला, "मनीष, अब संभालो खुद को, नेहा ने जो किया वो तुम्हारे सामने है। लेकिन अब इसके बाद अगर जो तुम ऐसे रहोगे तो जो वाल्ट में हुआ उसे मुझे संभालने में दिक्कत आ जाएगी, और फिर तुम्हारे और मित्तल सर के सपने का क्या?"
मित्तल सर और वाल्ट का जिक्र आते ही मैं होश में आया। नेहा भले ही मेरी जिन्दगी में पहली इंसान थी जिसके दैहिक आकर्षण में मैं पड़ा था, पर मेरा दिल हमेशा मेरे आदर्श और मेरे भगवान मित्तल सर के लिए ही था, और उससे मैं कोई समझौता नहीं कर सकता था। मैने खुद को शांत किया, और वहां से उठ खड़ा हुआ।
इतने ही में एंबुलेंस और पुलिस की कुछ गाड़ियां भी वहां पहुंच गई थी। समर ने मुझे अभी शांत रहने का इशारा किया और आगे की कमान उसने खुद सम्हाली।
फॉर्महाउस में भी मुठभेड़ खत्म हो गई थी, और वहां से भी कोई जिंदा नहीं पकड़ में आया था, 3 आदमी मारे गए थे वहां। वाल्ट में भी गोली बारी हुई थी, और वहां से 5 में से 2 आदमी जिंदा पकड़े गए थे।
समर ने शाम होने से पहले ही मुझे घर भेज दिया और ऐसा दिखाया कि मैं उस जगह मौजूद ही नहीं था। शाम होते ही वाल्ट में डकैती की कोशिश का समाचार सारे न्यूज चैनल में सुर्खियों के साथ चलने लगी थी। जिसमें बताया जा रहा था कि एक दिल्ली के लुटेरों की गैंग ने, जिसका सरगना कोई माइकल नाम का इनामी गुंडा था, किसी तरह से एक पास निकलने में कामयाब हो गए थे, जिसके लिए नेहा को किडनैप किया गया था, मगर वाल्ट के सिक्योरिटी सिस्टम के चलते वो प्राइवेट वाल्ट तक ही पहुंच पाए और सरकारी वाल्ट में उन्होंने कदम भी नहीं रख पाए। और बाहर निकलते ही पुलिस से उनकी मुठभेड़ हो गई, और जहां नेहा को कैद किया गया था वहां पर भी पुलिस ने समय पर रेड किया और सबको मार गिराया, इसी गोलीबारी में नेहा को भी लुटेरों की गोली लग गई, और उसकी भी मौत हो गई।
समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।
समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....