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कहानी का नया अपडेट 33
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अक्सर मां बाप अपने जीवन के लिए गलत फैसले पर अपने बच्चों को जाने से रोकते है , फरीदा भी उसी समाज से जुड़ी महिला हैं और जवानी के नशे में उसके शौहर ने अपने कामवासना के पोखरे में उतार दिया है , फरीदा बिल्कुल नहीं चाहेगी कि उसका बेटा पोखरे की वही सीढ़िया उतरे ।Sara maza saza main badal gaya। Ammi khud ठरकी hai aor beta ठरकी jo yeh मंजूर नहीं
शबनम का अडवेंचर अभी हुआ कहाभाई शबनम को खराब मत करवाओ बच्ची वैसे ही परेशान लग रही है
What a stunning update! Extremely hot and sexy writings
Bahut hi khubsurat aur mast update
Awesome aur exciting update
Super Updatestunning Update
Awesome
Waiting for next update
Ye bat bar
Ye bat bar shanu pakda jata hai jab pata tha risk hai to sirf laptop me loda karke memory wapas rakh deta bad me dekhta ab lag gyi chamat ab to kher nhi shanu ki to
FANTASTIC YOU ARE JUST GREAT
Nice update
Lajawab update
Wow bhai kya jabardast update Diya h land khada ho kr dance krne lga esa lag rha h ki sach me mai land hila rha tha or farida ammi ne chadar hata di ho maza aa gya bhai
Jaldi se agla update de do bhai intjar nhi hota aab
Nice update
Zabardast update bhai.ab maza ayega
Fantastic hot and erotic update bhai, bahut maja agaya padhke. ekdom kamaal ka writings!
शादी की बहुत बहुत बधाई आप को DREAMBOY भाई ।
आप दोनो का वैवाहिक जीवन भर खुशियों और आनंद से भरपूर रहे ।
Jabardast update! ekdom lajawab aur jhakkass writings!
शानू के जीवन के अतीत और वर्तमान सेक्सुअल पहलू का लाजवाब वर्णन किया है आपने । यह उत्तेजक भी है , सेंसुअल भी है और इरोटिक भी है ।
पास्ट मे शानू के पास मोबाइल फोन उपलब्ध था , उसके फादर के पास मोबाइल फोन उपलब्ध था और यहां तक घर मे एक लैपटॉप भी उपलब्ध था पर मम्मी जी अर्थात फरीदा मैम इस सुविधा से वंचित थी ।
ऐसा भी नही था कि फरीदा मैम को मोबाइल फोन से कोई एलर्जी थी । वह फोन पर अधिकतर समय बातें किया करती थी , मैसेज करती थी , बीडीओ चैटिंग करती थी और सबसे महत्वपूर्ण कि उनके मैसेज और चैटिंग सभी अत्यंत ही अश्लील हुआ करते थे । फिर भी उन्हे मोबाइल फोन से वंचित क्यों किया गया ? यह कोई भी समझ सकता है कि मोबाइल पर उपलब्ध चीजें लिक हो सकती है अगर उस फोन को कोई दूसरा शख्स लगातार युज करे ।
खैर , फरीदा मैम और उनके पतिदेव साहब ने प्रौढ़ा अवस्था मे अपने सेक्सुअल रिलेशनशिप को एनर्जी प्रदान करने के लिए जिस तरह की अश्लील हरकतें मोबाइल फोन पर की , उसका प्रभाव शानू पर पड़ना ही पड़ना था ।
लेकिन उनका शानू को टाॅफी दिखाकर ललचाना और फिर टाॅफी की जगह करेला मुंह मे डाल देने वाला व्यवहार समझ से बाहर है ।
शायद यही प्रभाव बाद मे पड़ा होगा जब शानू साहब अपने माॅम के क्षत्रछाया से बाहर निकले होंगे । चाहे जमीला हो , चाहे अलीना हो , चाहे रेशमा मैम हो , सभी पर उनकी नजरे इनायत इस प्रभाव का ही परिणाम था ।
इस प्रभाव का दायरा सिर्फ इन्ही तक सीमित नही लगता है , शायद इस दायरे के अंदर आने वालों मे नगमा और शबनम भी शामिल हों !
सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे । इरोटिक सीन्स मे कुछ ऐसे तस्वीर और बीडीओ क्लिप का आपने समावेश किया है जो उस वक्त के हालात पर बिल्कुल परफेक्ट बैठता था और जो बहुत ही इरोटिक था ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट डियर ।
Congratulations guruji 50pages complete
कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई हैSara maza saza main badal gaya। Ammi khud ठरकी hai aor beta ठरकी jo yeh मंजूर नहीं
भाई शबनम को खराब मत करवाओ बच्ची वैसे ही परेशान लग रही है
Bhai ji new year se apni purani storyBahut bahut dhanyawad dost
Bht hi jor dar update Diya h bhai maza aa gya lagta h sanu apni ammi ki gand dekh kr land mij rha h to yah neelu aunty bhi ammi ki trf hi apni gand ke didar kra rahi h Sanu ko dekhte h aage kya hotaUPDATE 013
एक नई शुरुआत
रात हो गई थी , कुछ भी खाने का मन नहीं हो रहा था ।
बिस्तर पर लेटे हुए ऑफिस में जो हुआ उसको लेकर मन उखड़ा हुआ था
मोबाईल बीप हुआ और स्क्रीन पर एक नए नंबर से मैसेज आया हुआ था
: hiii
: Hello ( मैने रिप्लाई किया )
: kese ho
: mai thik hu , aap kaun
: Sabanam ( नाम पढ़ते ही कलेजा धकधक होने लगा )
: kaisi ho Sabnam?
: Thik hu , khaana khaye tum ?
: abhi time hai aur tum ( मैं पूछा )
: mera ho gaya dinner ( वो बोली )
: sorry ( उसका फिर से रिप्लाई )
मानो एक चुप्पी सी छा गई है मेरे मन में सारी उलझने सुलझ गई हो और वो मेरे सामने ही बैठी मुझसे बातें कर रही हो ।
: sorry kis liye ( मैने पूछा )
: call Karu ( मैने दुबारा से मैसेज किया )
: hmmm ok karo
मैंने फौरन काल कर दिया उसको
: हाय कैसी हो ( मैने बोला )
: अभी बताया तो फिर से क्यों पूछ रहे ( वो महीन आवाज में बोली )
: बस ऐसे ही , तुम सॉरी क्यों बोल रही थी उम्मम
: बस ऐसे ही ( मेरी बात दोहराते हुए बोली )
: क्या हुआ बोलो न ( मैने पूछा )
: कुछ नहीं , तुम्हे बुरा लगा होगा न मैने ऐसे कहा था तो ( वो सवाल के लहजे में बोली )
: हम्म्म लगेगा ही न , तुमने सीधे सीधे मेरी दोस्ती का ऑफर इतने रूडली ठुकरा दिया था
: गलती तुम्हारी थी ( वो तुनक कर बोली)
: मेरी , मैने क्या किया ?
: 3 साल में अब जाकर अक्ल आई तुम्हे इसीलिए डांटा तुम्हे ( वो इतराई )
: अच्छा तुम भी तो कह सकती थी न खुद मुझसे ?
: मैम से फ़ुरसत मिले तो तब न तुम मुझे अपने पास देखोगे , ना जाने कितने बार तुमसे कहना चाहती थी , तुमसे बोलना चाहती थी । मगर तुम ? ( वो उदास सी हो गई )
: तुम जलती क्यों हो रेशमा मैम से , वो बस मेरी अच्छी दोस्त है और तुम भी बन सकती हो अगर चाहो तो ... ( बोलते हुए रुक गया मै )
: मुझे नहीं बनना उनके जैसा तुम्हारा दोस्त , ( वो फिर से तुनकी और मुझे हसी आई )
: अच्छा जी फिर कैसी दोस्त बनोगी ये बताओ
वो कुछ देर तक चुप रही
: सबनम !!
: हम्म्म!!
: बताओ न कैसी दोस्त बनोगी?
: जैसे अच्छे दोस्त होते है वैसे , लेकिन मैम जैसी नहीं ( वो तेजी से बोली )
: क्यों मैम जैसा दोस्त बनने में क्या बुराई है ? ( मै अचरज से बोला )
: क्यों तुम उनकी दोस्ती के फायदे नहीं जानते , या फिर तुमने लिए नहीं होगे । तुम लड़के बहुत चालू होते हो ।
: तुम कहना क्या चाहती हो , साफ साफ कहो न ( मै उलझ कर बोला )
: तुम्हारी और मैम की दोस्ती के चर्चे पूरे ऑफिस में होते है और मै नहीं चाहती कि हमारी दोस्ती को भी लोग उसी नजर से देखे ।
: हम्म्म तो तुम भी मुझे बाकियों के जैसा ही समझती हो , अच्छी बात है ( मै सीरियस होते हुए बोला )
: नहीं शानू तुम समझ भी रहे , मुझे तुम्हारे चरित्र पर कोई शक नहीं है बस मै चाहती हूं कि ये दोस्ती सिर्फ हम दोनो के बीच रहे । बस तुम और मै , और कोई नहीं ( वो उदास होकर बोली)
: लेकिन सबनम मै तुम्हे किसी धोखे में रख कर दोस्ती नहीं करना चाहता
: मतलब ? ( वो चौक कर बोली )
: मतलब कि मेरी एक गर्लफ्रेंड है और मै तुम्हे अपने life में वो जगह कभी नहीं दे पाऊंगा जैसा तुम चाहती हो ।
: हम्म्म जानती हूं, अलीना न
: क्या ? तुम्हे कैसे पता ? सिराज ने ? ( मै चौका )
: आहा, उसकी गर्लफ्रेंड ने हिहीही ( वो खिलखिलाई )
: सिराज की गर्लफ्रेंड है? ( मै एकदम से आश्चर्य होकर उससे पूछा )
: उम्मम गर्लफ्रेंड कहो या फिर टाईमपास दोस्त या फिर उसके अकेलेपन का हमदर्द हीहीही
: कौन है लेकिन ( मै अजीब सा महसूस करता हुआ उससे पूछा )
: नीलू आंटी हाहाहाहाहा ( वो खिलखिला कर हंसी )
: क्या ? सच में ? वो झाड़ू वाली से हीहीहीही सच में ? ( मै चौक गया कि सिराज का चक्कर ऑफिस में सफाई करने वाली एक आंटी से थी , मुझे हसी भी आ रही थी और उलझन भी कि कभी मुझे शक नहीं हुआ उसको लेकर )
: हा बाबा सच में , लेकिन किसी को बताना मत प्लीज
: लेकिन तुमको कैसे पता चला
: काफी दिन पहले छत वाले बाथरूम में दोनों को घुसते देखा था एक साथ हीहीहीही ( वो हस्ते हुए बोली )
: फिर कुछ दिन पहले मुझे पता चला कि तुम उससे शादी करने वाले हो ( वो उदास होकर बोली )
: हम्म्म एक वही तो है जो मुझे समझती है , वरना ( एक पल को अम्मी का ख्याल आया और इतने दिन के उन्होंने मेरी एक भी खोज खबर नहीं ली वो सोच कर आंखे भर आई )
: खैर तुमने जवाब नहीं दिया ( वो मेरी बात काट कर बोली )
: किस बात का ?
: यही कि हमारी दोस्ती बस हम दोनो के बीच रहेगी न ? ( वो बोली )
: अरे इसमें कहने वाली बात है हीहीहीही ( मै अचरज से उससे बोला , यकीन नहीं हुआ जो कुछ भी ऑफिस में हुआ उसके बाद ऐसी शुरुआत हो सकती थी )
सबनम का फोन कटा और मै किचन ने खाना बनाने लगा
खाने की प्लेट लेकर मै चुपचाप अम्मी के कमरे के दरवाजे के पास गया और दरवाजा खटखटाया
: अम्मी खोलो न प्लीज
: क्यों आया है तू चला जा यहां से शानू , मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी है
: अम्मी खाना लाया हूं , खा लो प्लीज
: नहीं खाना है मुझे , जहर दे दे मुझे उसी लायक छोड़ा है तूने मुझे ( अम्मी की बातें सुनकर दिल मेरा दर्द से भर आया और मै उदास होकर हाल में सोफे पर बैठ गया ।)
शायद इस बार मैने अम्मी की उम्मीद को तोड़ दिया था , बहुत गहरी चोट दी थी उन्हें तभी वो ऐसे अलफाज निकाल रही थी मेरे लिए, घर में एक चुप्पी सी थी और मैं खाना किचन में रख कर हाल से बाहर घर के मेन गेट के पास पहुंचा
चैनलनुमा दरवाजा के बाहर सड़क को देखकर जी कर रहा था कही निकल ही जाऊ
मन कही भटक सा गया था न जाने कहा उलझा हुआ था , कि घर में 5 मिनट से क्या हो रहा था उसकी भनक ही नहीं लग पाई
मेरे एकदम से शांत हो जाने से अम्मी फिकर में उठकर कमरे से बाहर आई और पहले मेरे कमरे में फिर ऊपर छत पर फिर आवाज लगाते हुए जीने से नीचे आई
: मै यहां हु अम्मी ( हाल में आते हुए बोला )
: कहा गया था कबसे आवाज दे रही हु ( वो गुस्से में बोली )
: ताला लगा है कहा जाऊंगा ( मै भुनभुनाया )
: खाना खाया तूने?
मैने ना में सर हिलाया
: बैठ दे रही हूं ( वो भड़क कर बोली )
: आप भी खा लो प्लीज
: मुझे भूख नहीं है
: फिर मुझे भी नहीं है रहने दो
: अभी लगाऊंगी एक फिर से ( हाथ उठाते हुए बोली और फिर कुछ सोच कर रुक गई)
चल कर वो सोफे तक गई और बैठ गई, मै पानी लेकर उनके पास गया और पानी का ग्लास उनके होठों से लगाया , दो सीप पीकर वो ग्लास हटाने लगी तो मैं गिलास टेबल पर रख कर उनके पास बैठ गया
: सॉरी अम्मी !!
: मै क्या करूं तेरी सारी का , हरकते तेरी सुधरेंगी नहीं न ( अम्मी गरज कर बोली )
: सॉरी अम्मी , प्लीज
: और इतना दिमाग लगाता कहा से है तू , उस रोज जुबैदा का छत फांद कर ऊपर से नीचे आया था तू , आज मैने दरवाजा बंद कर दिया और मोबाइल से सब हटा दिया तो अब्बू के लेपटॉप से .... क्यों करता तू ये सब बोल
मै चुप रहा , अजीब सा महसूस हो रहा था। चोरी पकड़े जाने पर जैसी स्थिति होती है वैसे मेरी थी । आत्मग्लानि से भरा हुआ था मै लेकिन अहम ने आत्मविश्वास जगाए रखा था ।
: बोल क्यों करता है ये सब ( अम्मी गरजी ) जब पहली बार तेरे अब्बू ने तुझे उनका मोबाइल छूने के लिए थप्पड़ लगाया था , उस रोज ही मुझे संभल जाना चाहिए था ।
: ओह बहनचोद , तो उस दिन मेरे बाप ने अम्मी को बता ही दिया था कि मैने मोबाइल में उनकी नंगी गाड़ देखी थी , साला इतने साल तक अम्मी ने इस बात की भनक नहीं होने दी मुझे ( मै भीतर बडबडा रहा था और अपने लड़कपने की नादानी को सोच कर खुद को बस कोसे जा रहा था ।
: बोल न अब ( अम्मी फिर से बोली )
: आ आप क्यों करते हो ये सब ? ( अटकते हुए स्वर में डरते हुए मै बोला और अम्मी की जुबान मानो कही फंस गई हो और इस सवाल का कोई जवाब नहीं था )
क्या ही जवाब देती वो कि अपने ही शौहर की बुआ बनके क्यों उन्हें रिझाती है , अपनी ही सहेली के साथ नंगा नाच करती है । क्या जवाब दें वो आखिर । सवाल पूछ कर मुझे लगातार अहसास हो रहा था कि मैने गलत किया , मुझे ये नहीं कहना चाहिए था , मगर अब गोली चल चुकी थी , तीर कमान से निकल चुका था ।
न अम्मी कुछ बोल रही थी और ना मै
बस खामोशी थी पूरे घर में ।
: अम्मी कहा जा रही हो ( अम्मी को उठ कर जाते हुए देखकर मै बेचैन हुआ )
: बैठ आ रही हु ( वो बाथरूम में चली गई )
कुछ देर बाद वो बाहर आई और हाथ मुंह धुलने लगी , फिर मै भी फ्रेश होकर वापस आया।
: सॉरी अम्मी , मुझे ऐसे नहीं कहना चाहिए था ( मै उनकी ओर देख कर बोला )
: नहीं इसमें तेरी गलती नहीं है, मुझे ये सब शुरू करना ही नहीं चाहिए था , अगर पहले ही मै तेरे अब्बू को इनसब के लिए मना कर देती तो शायद आज हम दोनो इस स्थिति में नहीं होते ।
: तो क्या अब्बू आपसे जबरन ये सब करवाते है ? ( मै अचरज से पूछा)
: नहीं , तू नहीं समझेगा ये सब । मेरी बात मान बेटा और ये सब गंदी आदतें छोड़ दे । बस इसी में तेरी भलाई है । अम्मी की बात मानेगा न बेटा बोल
बड़े ही प्यार से अम्मी ने मुझे समझा रही थीं तो भला उन्हें कैसे मना करता लेकिन शायद यही एक तरीका था जिससे घर का माहौल सही हो सकता था और अब्बू तक बात न पहुंचे ।
: जी अम्मी , जैसा आप कहोगी मैं वैसा ही करूंगा
: मेरा प्यारा बेटा ( अम्मी ने मुझे प्यार से गले लगा लिया) खाना खाएगा
: हम्म्म, आप खिलाओगे न
: हा बेटू क्यू नहीं उम्ममाअह ( मेरे सर को चूम कर वो उठी )
पूरे जिस्म में सरसराहट सी उतर गई और जैसे ही माथे से टेंशन गायब हुआ एक बार फिर सलवार में मटकती उनकी मोटी गाड़ देख कर लंड सलामी देने लगा
खाना खाने के बाद मै अपने कमरे में आ कर सो गया क्योंकि जानता था कि अम्मी इन दिनों अलर्ट मोड में है , कुछ भी करूं उन्हें भनक लग जानी है इसीलिए मै नीचे आया ही और सो गया ।
अगली सुबह नीद खुली तो फ्रेश होकर कालोनी में चाय पीने गया , बड़ा ही सुहाना मौसम था , आज सरकारी छुट्टी भी थी और बादल छाएं हुए थे । चाय की चुस्की ने मुझे और लंड दोनो को तरोताजा कर दिया था ।
इधर अलीना अपने घर वापस जा चुकी थी तो बहुत बात चीत नहीं हो पा रही थी , वहीं रेशमा मैम तो अपने दोस्त के यहां गई थी । सिराज आज घर पर होगा ये सोच कर जमीला अम्मी से भी चूत का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था ।
तभी मेरी नजर कालोनी में काम कर रहे सफाईकर्मियों पर गई और झट से मेरे जहन में ऑफिस की नीलू आंटी की तस्वीर उभरी और मुस्कुराते हुए मैने अपना चाय खत्म किया ।
फोन पर
: हैलो आंटी कैसी हो
: मै ठीक हु शानू बाबू , कहो कैसे याद किया ?
: आंटी आज छुट्टी है और कमरे की हालत खराब है , अगर आप आ जाती तो ? प्लीज मना मत करना ।
: अरे आज मौसम देख रहे हो शानू बाबू , बारिश हो गई तो वापस आने की सवारी नहीं मिलेगी ( वो बात घुमाते हुए बोली )
: अरे मै हूं न , आपको ड्रॉप कर दूंगा , आप आजाओ ( इससे पहले वो और कुछ बहाना करती मैने फोन काट दिया )
फिर मस्त अपने कमरे में लेट गया ।
: शानू , शानू उठ बेटा, बहुत काम है आज । पूरा घर साफ करना है ।
मै अम्मी की बात सुनकर भी ऐसे ही पड़ा रहा क्योंकि मैं सोया अंडरवियर में था और सुबह सुबह मेरा लंड सलामी दे रहा था अगर उठता तो जरूर अम्मी को मुझे ऐसे देख कर पसंद नहीं आता
अम्मी झाड़ू लगा रही थी और फोन पर बात भी कर रही थी
: हम्म्म अच्छा जी , छुट्टी थी तो आ जाते । बड़े आए याद करने वाले ( अम्मी लजा कर बोली , उनकी ये अदा मुझे बहुत भाती थी और अब्बू से जब भी बातें करती मेरे भीतर एक अलग ही फड़फड़ाहट होने लगती , एक उत्कुंठा होती उनकी सेक्सी और गंदी बाते सुनने की )
: नहीं , अभी वो सो रहा है ( अम्मी रुक कर बोली )
: क्या ?? धत्त बदमाश आज कुछ नहीं , क्या आप भी । शानू घर पर है पागल हो आप ( अम्मी अब्बू को फुसफुसाकर समझा रही थी और उनकी बातें सुनकर साफ लग रहा था जरूर सुबह सुबह अब्बू ने अम्मी से कुछ डिमांड कर दी है )
: नहीं नहीं , पूरा घर पड़ा है शानू के अब्बू , प्लीज मत सताइए न ( अम्मी बातें करते हुए बाहर निकल गई )
इधर मेरे भीतर एक चिंगारी भड़क उठी थी , लंड और मै दोनो बेताब थे अब्बू अम्मी का नया खेल देखने को ।
मै चादर से मुंह निकाल कर दरवाजे की ओर अपने कान को करके आवाजे सुनने लगा ।
: उह्ह्ह्ह प्लीज तंग न करो , आप तो आओगे नहीं और मुझे तड़पना पड़ेगा ( अम्मी की बातें सुनकर लंड एकदम उफान पर था , जान रहा था कि अम्मी अब्बू के आगे कितनी बेबस थी , चाह कर भी उन्हें मना नहीं कर पाती थी )
: हम्मम ठीक है रुको एक बार शानू को चेक कर लू फिर जाती हु ( अम्मी की बात सुनकर मैं वापस चादर में उसी पोजिशन ने मुंह धक कर सो गया
अम्मी आई और करीब 5 मिनट तक चुप होकर मेरी राह देखी , अब धीरे धीरे मै भी उनकी चालाकियां समझने लगा था , इसीलिए मैने भी नाटक जारी रखा ।
कुछ देर नहीं करीब 15 मिनट बाद मै कमरे से निकला और दबेपाव चुपके से नीचे उतरा
दरवाजे बंद , खिड़की बंद खिड़कियों पर अंदर से परदे ऐसे लगे थे मानो कील ठोक कर टाइट किए हो कही से एक सुराख भी नहीं दिख रही थी कि भीतर झांका जा सके ।
: ओह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा , मत दिखाओ नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी ( अम्मी सिसक रही थी )
: तुझे तो मै दीवानी ही बना देना चाहता हु , देख तेरे चूत को देखकर कैसे फड़फड़ा रहा है मेरा लंड अह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान ( अब्बू की आवाज हल्की फुल्की आ रही थी , साफ था मोबाइल स्पीकर पर कम आवाज पर रखा था )
: मान जाओ शानू के अब्बू नहीं तो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: क्या करेगी बोल उम्मम्म ( अब्बू ने अम्मी को उकसाया तो मेरी भी तलब बढ़ी अम्मी की हरकतों को जानने की )
: यह्ह्ह्ह झाड़ू ही घुसा लुंगी आपके लंड की जगह अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू आओ न उम्मम्म कितना तड़पा रहे हो ओह्ह्ह्ह ( अम्मी की बातें सुनकर मेरे हाथ बड़ी मजबूती से मेरे लंड को भींचने लगे अब मुझसे रहा नही जा रहा था , कहीं से भी अम्मी का ये रूप देखने था )
समझ नहीं आ रहा था कि कैसे करूं , क्योंकि अगर स्टूल लगाता तो अम्मी को भनक लग ही जानी थी और ऐसे में मेरी नजर जीने पर गई जहां से पहली बार मैने अम्मी अब्बू की चुदाई की झलकिया परछाइयों में देखी थी
लपका कर खुश होकर मै वहां पहुंचा तो मेरी आंखे फेल गई
लंड एकदम से आग उगलने को बेताब हो गया , कमरे में अम्मी पूरी नंगी होकर एक लंबी झाड़ू जिससे वो घर की साफ सफाई करती थी , उसकी मुठिया को अपने चूत के मुहाने पर लगा कर हल्का हल्का उसे अपनी बुर में ले रही थी खड़े खड़े ही ,
उनका एक पैर बेड पर था और झाड़े 10 -10 इंच तक उनकी बुर ने धंसता जा रहा था , अम्मी का ये रूप देख कर मेरा लंड पूरी तरह से बगावत पर आ चुका था ।
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपने तो मेरी दुनिया ही बदल दी , आप जैसी गर्म औरत मैने किसी पोर्न वीडियो में भी नहीं देखी होगी अह्ह्ह्ह भर लो अम्मी भर अपने बुर में , नहीं तो मेरा लंड लेलो उस झाड़ू से बहुत मोटा है अह्ह्ह्ह अम्मीमीईईई ओह्ह्ह्ह
( मै सामने रोशनदान से अम्मी को अपनी चूचियां मिजते और झाड़ू को अपनी बुर में लेते देख रहा था और बडबडा रहा था , यहां से ना अम्मी तक मेरी आवाजे जा सकती थी और ना अम्मी की आवाज मुझ तक आ सकती थी , बस मै ही उन्हें देख सकता था ।
अगलगे ही पल अम्मी बिस्तर पर लेट गई और टांगे उठा कर झाड़ू की मुठिया को अपने बुर घुसा दिया और तेजी से अन्दर लेने लगी , बुर में पेलते हुए अपनी चूचियां मसल रही और चेहरे के भाव बहुत कामुक थे मानो कितना सुकून मिल रहा हो उन्हें
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड नहीइइइ ( मै मेरा लंड पकड़ कर तेजी से बाथरूम में भागा क्योंकि मैं अब गिरा तब गिरा वाली हालत में था और जैसे ही बाथरूम में पहुंचा बाथरूम की दीवारें मेरी पिचकारी से नहाने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई मेरी सेक्सी अमीई अह्ह्ह्ह फक य्यूयू ओह्ह्ह गॉड अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह ( मै झड़ता रहा कुछ देर तक और फिर जब शांत हुआ तो जल्दी जल्दी बाथरूम साफ करने लगा , ताकि अम्मी को भनक न लगे )
फिर मै फ्रेश होकर नीचे आया और अम्मी की आवाज देने लगा
: अम्मी उठो सुबह हो गई है
मै जान रहा था अम्मी जल्दी जल्दी में कपड़े पहन रही होंगी और मुझे हसी भी आ रही थी आज बाजी मेरे हाथ थी ।
: अरे मै सो नहीं रही हु रे, काम कर रही हु ( अम्मी दरवाजा खोलकर अपना सूट सही करती हुई बोली , और उनके देह पर दुपट्टा नहीं था , बड़ी बड़ी मोटी चूचियां बिना ब्रा के साफ साफ नजर आ रही थी , अभी भी उनके तने हुए निप्पल उभरे हुए थे ।
: मुझे लगा आप अभी उठी नहीं
: मै नहीं उठी , कि तू भी उठा । आई थी जगाने तू उठा ही नहीं घर में कितना काम है । ( अम्मी अपने कमरे में सफाई करने लगी )
अम्मी अक्सर नीचे बैठ कर ही झाड़ू लगाती थी जिससे उनके घुटने उनकी मोटी मोटी चूचियो को नीचे से उठा देते थे और ऐसा लगता था मानो वो उछल कर बाहर आ जायेगी। कितना भी हिला लो लेकिन अम्मी को देखते ही लंड अपनी औकात और आ ही जाता है ।
अम्मी झाड़ू लगा रही थी कि झाड़ू से लग कर कुछ कागज और करकट बेड के नीचे चले गए
: बेटा वो पोछा वाला बाल्टी में पानी लेकर आ मै ये सब हटाती हु ( अम्मी हाथ में कूड़ा लेकर उठती हुई बोली और उसकी बड़ी सी गाड़ ये बाहर की ओर निकली , अह्ह्ह्ह अम्मी से पल भर को भी मै दूर नहीं होना चाहता था ।
: अम्मी बिस्तर के नीचे भी कूड़ा चला गया है
: हा तू पानी लेकर मै निकालती हु
मै तेजी से बाथरूम में गया और पानी भरने को लगा कर वापस आ गया
ओह्ह्ह क्या मस्त सीन था , अम्मी झाड़ू लेकर बेड के नीचे घुसकर कर सफाई कर रही थी और उनकी गाड़ पूरी फेल गई थी , बिना पैंटी की मोटी मोटी गाड़ देख कर मै उनकी पैंटी खोजने लगा तो देखा सोफे पर एक ओर फेंकी हुई है कपड़ो में । लंड को मिजता और अम्मी के गाड़ को सलवार में फैलाता देख कर मै वापस पानी लेने चला आया ।
: ओह्ह्ह्ह लो चाची , उफ्फ सच में आप नहीं आते तो मै अकेले कैसे करता ( पानी की बाल्टी भर कर मै नीलू आंटी को दिया और पोछा लगाने लगी )
मै दूसरे किचन की सफाई का बोलकर कमरे से बाहर आ कर उन्हें देखने लगा ,
आंटी अपना सूट कमर तक उठा कर घुटने के बल होकर पूरी टाइल्स को घिस घिस कर साफ कर रही थी और गुलाबी सलवार में उनकी गाड़ पूरी फैली हुई थी
जी तो कर रहा था कि अभी खोलकर पेल दु और जनता था साली रंडी मना नहीं करेगी , लेकिन एक इमेज जो लेकर मै चल रहा था उसके नजर वो मुझे रोक रही थी कही न कही ।
मगर उसको पेलना तो था ही और उसके लिए मैने कुछ सोचा ।
जारी रहेगी
Nice updateUPDATE 013
एक नई शुरुआत
रात हो गई थी , कुछ भी खाने का मन नहीं हो रहा था ।
बिस्तर पर लेटे हुए ऑफिस में जो हुआ उसको लेकर मन उखड़ा हुआ था
मोबाईल बीप हुआ और स्क्रीन पर एक नए नंबर से मैसेज आया हुआ था
: hiii
: Hello ( मैने रिप्लाई किया )
: kese ho
: mai thik hu , aap kaun
: Sabanam ( नाम पढ़ते ही कलेजा धकधक होने लगा )
: kaisi ho Sabnam?
: Thik hu , khaana khaye tum ?
: abhi time hai aur tum ( मैं पूछा )
: mera ho gaya dinner ( वो बोली )
: sorry ( उसका फिर से रिप्लाई )
मानो एक चुप्पी सी छा गई है मेरे मन में सारी उलझने सुलझ गई हो और वो मेरे सामने ही बैठी मुझसे बातें कर रही हो ।
: sorry kis liye ( मैने पूछा )
: call Karu ( मैने दुबारा से मैसेज किया )
: hmmm ok karo
मैंने फौरन काल कर दिया उसको
: हाय कैसी हो ( मैने बोला )
: अभी बताया तो फिर से क्यों पूछ रहे ( वो महीन आवाज में बोली )
: बस ऐसे ही , तुम सॉरी क्यों बोल रही थी उम्मम
: बस ऐसे ही ( मेरी बात दोहराते हुए बोली )
: क्या हुआ बोलो न ( मैने पूछा )
: कुछ नहीं , तुम्हे बुरा लगा होगा न मैने ऐसे कहा था तो ( वो सवाल के लहजे में बोली )
: हम्म्म लगेगा ही न , तुमने सीधे सीधे मेरी दोस्ती का ऑफर इतने रूडली ठुकरा दिया था
: गलती तुम्हारी थी ( वो तुनक कर बोली)
: मेरी , मैने क्या किया ?
: 3 साल में अब जाकर अक्ल आई तुम्हे इसीलिए डांटा तुम्हे ( वो इतराई )
: अच्छा तुम भी तो कह सकती थी न खुद मुझसे ?
: मैम से फ़ुरसत मिले तो तब न तुम मुझे अपने पास देखोगे , ना जाने कितने बार तुमसे कहना चाहती थी , तुमसे बोलना चाहती थी । मगर तुम ? ( वो उदास सी हो गई )
: तुम जलती क्यों हो रेशमा मैम से , वो बस मेरी अच्छी दोस्त है और तुम भी बन सकती हो अगर चाहो तो ... ( बोलते हुए रुक गया मै )
: मुझे नहीं बनना उनके जैसा तुम्हारा दोस्त , ( वो फिर से तुनकी और मुझे हसी आई )
: अच्छा जी फिर कैसी दोस्त बनोगी ये बताओ
वो कुछ देर तक चुप रही
: सबनम !!
: हम्म्म!!
: बताओ न कैसी दोस्त बनोगी?
: जैसे अच्छे दोस्त होते है वैसे , लेकिन मैम जैसी नहीं ( वो तेजी से बोली )
: क्यों मैम जैसा दोस्त बनने में क्या बुराई है ? ( मै अचरज से बोला )
: क्यों तुम उनकी दोस्ती के फायदे नहीं जानते , या फिर तुमने लिए नहीं होगे । तुम लड़के बहुत चालू होते हो ।
: तुम कहना क्या चाहती हो , साफ साफ कहो न ( मै उलझ कर बोला )
: तुम्हारी और मैम की दोस्ती के चर्चे पूरे ऑफिस में होते है और मै नहीं चाहती कि हमारी दोस्ती को भी लोग उसी नजर से देखे ।
: हम्म्म तो तुम भी मुझे बाकियों के जैसा ही समझती हो , अच्छी बात है ( मै सीरियस होते हुए बोला )
: नहीं शानू तुम समझ भी रहे , मुझे तुम्हारे चरित्र पर कोई शक नहीं है बस मै चाहती हूं कि ये दोस्ती सिर्फ हम दोनो के बीच रहे । बस तुम और मै , और कोई नहीं ( वो उदास होकर बोली)
: लेकिन सबनम मै तुम्हे किसी धोखे में रख कर दोस्ती नहीं करना चाहता
: मतलब ? ( वो चौक कर बोली )
: मतलब कि मेरी एक गर्लफ्रेंड है और मै तुम्हे अपने life में वो जगह कभी नहीं दे पाऊंगा जैसा तुम चाहती हो ।
: हम्म्म जानती हूं, अलीना न
: क्या ? तुम्हे कैसे पता ? सिराज ने ? ( मै चौका )
: आहा, उसकी गर्लफ्रेंड ने हिहीही ( वो खिलखिलाई )
: सिराज की गर्लफ्रेंड है? ( मै एकदम से आश्चर्य होकर उससे पूछा )
: उम्मम गर्लफ्रेंड कहो या फिर टाईमपास दोस्त या फिर उसके अकेलेपन का हमदर्द हीहीही
: कौन है लेकिन ( मै अजीब सा महसूस करता हुआ उससे पूछा )
: नीलू आंटी हाहाहाहाहा ( वो खिलखिला कर हंसी )
: क्या ? सच में ? वो झाड़ू वाली से हीहीहीही सच में ? ( मै चौक गया कि सिराज का चक्कर ऑफिस में सफाई करने वाली एक आंटी से थी , मुझे हसी भी आ रही थी और उलझन भी कि कभी मुझे शक नहीं हुआ उसको लेकर )
: हा बाबा सच में , लेकिन किसी को बताना मत प्लीज
: लेकिन तुमको कैसे पता चला
: काफी दिन पहले छत वाले बाथरूम में दोनों को घुसते देखा था एक साथ हीहीहीही ( वो हस्ते हुए बोली )
: फिर कुछ दिन पहले मुझे पता चला कि तुम उससे शादी करने वाले हो ( वो उदास होकर बोली )
: हम्म्म एक वही तो है जो मुझे समझती है , वरना ( एक पल को अम्मी का ख्याल आया और इतने दिन के उन्होंने मेरी एक भी खोज खबर नहीं ली वो सोच कर आंखे भर आई )
: खैर तुमने जवाब नहीं दिया ( वो मेरी बात काट कर बोली )
: किस बात का ?
: यही कि हमारी दोस्ती बस हम दोनो के बीच रहेगी न ? ( वो बोली )
: अरे इसमें कहने वाली बात है हीहीहीही ( मै अचरज से उससे बोला , यकीन नहीं हुआ जो कुछ भी ऑफिस में हुआ उसके बाद ऐसी शुरुआत हो सकती थी )
सबनम का फोन कटा और मै किचन ने खाना बनाने लगा
खाने की प्लेट लेकर मै चुपचाप अम्मी के कमरे के दरवाजे के पास गया और दरवाजा खटखटाया
: अम्मी खोलो न प्लीज
: क्यों आया है तू चला जा यहां से शानू , मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी है
: अम्मी खाना लाया हूं , खा लो प्लीज
: नहीं खाना है मुझे , जहर दे दे मुझे उसी लायक छोड़ा है तूने मुझे ( अम्मी की बातें सुनकर दिल मेरा दर्द से भर आया और मै उदास होकर हाल में सोफे पर बैठ गया ।)
शायद इस बार मैने अम्मी की उम्मीद को तोड़ दिया था , बहुत गहरी चोट दी थी उन्हें तभी वो ऐसे अलफाज निकाल रही थी मेरे लिए, घर में एक चुप्पी सी थी और मैं खाना किचन में रख कर हाल से बाहर घर के मेन गेट के पास पहुंचा
चैनलनुमा दरवाजा के बाहर सड़क को देखकर जी कर रहा था कही निकल ही जाऊ
मन कही भटक सा गया था न जाने कहा उलझा हुआ था , कि घर में 5 मिनट से क्या हो रहा था उसकी भनक ही नहीं लग पाई
मेरे एकदम से शांत हो जाने से अम्मी फिकर में उठकर कमरे से बाहर आई और पहले मेरे कमरे में फिर ऊपर छत पर फिर आवाज लगाते हुए जीने से नीचे आई
: मै यहां हु अम्मी ( हाल में आते हुए बोला )
: कहा गया था कबसे आवाज दे रही हु ( वो गुस्से में बोली )
: ताला लगा है कहा जाऊंगा ( मै भुनभुनाया )
: खाना खाया तूने?
मैने ना में सर हिलाया
: बैठ दे रही हूं ( वो भड़क कर बोली )
: आप भी खा लो प्लीज
: मुझे भूख नहीं है
: फिर मुझे भी नहीं है रहने दो
: अभी लगाऊंगी एक फिर से ( हाथ उठाते हुए बोली और फिर कुछ सोच कर रुक गई)
चल कर वो सोफे तक गई और बैठ गई, मै पानी लेकर उनके पास गया और पानी का ग्लास उनके होठों से लगाया , दो सीप पीकर वो ग्लास हटाने लगी तो मैं गिलास टेबल पर रख कर उनके पास बैठ गया
: सॉरी अम्मी !!
: मै क्या करूं तेरी सारी का , हरकते तेरी सुधरेंगी नहीं न ( अम्मी गरज कर बोली )
: सॉरी अम्मी , प्लीज
: और इतना दिमाग लगाता कहा से है तू , उस रोज जुबैदा का छत फांद कर ऊपर से नीचे आया था तू , आज मैने दरवाजा बंद कर दिया और मोबाइल से सब हटा दिया तो अब्बू के लेपटॉप से .... क्यों करता तू ये सब बोल
मै चुप रहा , अजीब सा महसूस हो रहा था। चोरी पकड़े जाने पर जैसी स्थिति होती है वैसे मेरी थी । आत्मग्लानि से भरा हुआ था मै लेकिन अहम ने आत्मविश्वास जगाए रखा था ।
: बोल क्यों करता है ये सब ( अम्मी गरजी ) जब पहली बार तेरे अब्बू ने तुझे उनका मोबाइल छूने के लिए थप्पड़ लगाया था , उस रोज ही मुझे संभल जाना चाहिए था ।
: ओह बहनचोद , तो उस दिन मेरे बाप ने अम्मी को बता ही दिया था कि मैने मोबाइल में उनकी नंगी गाड़ देखी थी , साला इतने साल तक अम्मी ने इस बात की भनक नहीं होने दी मुझे ( मै भीतर बडबडा रहा था और अपने लड़कपने की नादानी को सोच कर खुद को बस कोसे जा रहा था ।
: बोल न अब ( अम्मी फिर से बोली )
: आ आप क्यों करते हो ये सब ? ( अटकते हुए स्वर में डरते हुए मै बोला और अम्मी की जुबान मानो कही फंस गई हो और इस सवाल का कोई जवाब नहीं था )
क्या ही जवाब देती वो कि अपने ही शौहर की बुआ बनके क्यों उन्हें रिझाती है , अपनी ही सहेली के साथ नंगा नाच करती है । क्या जवाब दें वो आखिर । सवाल पूछ कर मुझे लगातार अहसास हो रहा था कि मैने गलत किया , मुझे ये नहीं कहना चाहिए था , मगर अब गोली चल चुकी थी , तीर कमान से निकल चुका था ।
न अम्मी कुछ बोल रही थी और ना मै
बस खामोशी थी पूरे घर में ।
: अम्मी कहा जा रही हो ( अम्मी को उठ कर जाते हुए देखकर मै बेचैन हुआ )
: बैठ आ रही हु ( वो बाथरूम में चली गई )
कुछ देर बाद वो बाहर आई और हाथ मुंह धुलने लगी , फिर मै भी फ्रेश होकर वापस आया।
: सॉरी अम्मी , मुझे ऐसे नहीं कहना चाहिए था ( मै उनकी ओर देख कर बोला )
: नहीं इसमें तेरी गलती नहीं है, मुझे ये सब शुरू करना ही नहीं चाहिए था , अगर पहले ही मै तेरे अब्बू को इनसब के लिए मना कर देती तो शायद आज हम दोनो इस स्थिति में नहीं होते ।
: तो क्या अब्बू आपसे जबरन ये सब करवाते है ? ( मै अचरज से पूछा)
: नहीं , तू नहीं समझेगा ये सब । मेरी बात मान बेटा और ये सब गंदी आदतें छोड़ दे । बस इसी में तेरी भलाई है । अम्मी की बात मानेगा न बेटा बोल
बड़े ही प्यार से अम्मी ने मुझे समझा रही थीं तो भला उन्हें कैसे मना करता लेकिन शायद यही एक तरीका था जिससे घर का माहौल सही हो सकता था और अब्बू तक बात न पहुंचे ।
: जी अम्मी , जैसा आप कहोगी मैं वैसा ही करूंगा
: मेरा प्यारा बेटा ( अम्मी ने मुझे प्यार से गले लगा लिया) खाना खाएगा
: हम्म्म, आप खिलाओगे न
: हा बेटू क्यू नहीं उम्ममाअह ( मेरे सर को चूम कर वो उठी )
पूरे जिस्म में सरसराहट सी उतर गई और जैसे ही माथे से टेंशन गायब हुआ एक बार फिर सलवार में मटकती उनकी मोटी गाड़ देख कर लंड सलामी देने लगा
खाना खाने के बाद मै अपने कमरे में आ कर सो गया क्योंकि जानता था कि अम्मी इन दिनों अलर्ट मोड में है , कुछ भी करूं उन्हें भनक लग जानी है इसीलिए मै नीचे आया ही और सो गया ।
अगली सुबह नीद खुली तो फ्रेश होकर कालोनी में चाय पीने गया , बड़ा ही सुहाना मौसम था , आज सरकारी छुट्टी भी थी और बादल छाएं हुए थे । चाय की चुस्की ने मुझे और लंड दोनो को तरोताजा कर दिया था ।
इधर अलीना अपने घर वापस जा चुकी थी तो बहुत बात चीत नहीं हो पा रही थी , वहीं रेशमा मैम तो अपने दोस्त के यहां गई थी । सिराज आज घर पर होगा ये सोच कर जमीला अम्मी से भी चूत का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था ।
तभी मेरी नजर कालोनी में काम कर रहे सफाईकर्मियों पर गई और झट से मेरे जहन में ऑफिस की नीलू आंटी की तस्वीर उभरी और मुस्कुराते हुए मैने अपना चाय खत्म किया ।
फोन पर
: हैलो आंटी कैसी हो
: मै ठीक हु शानू बाबू , कहो कैसे याद किया ?
: आंटी आज छुट्टी है और कमरे की हालत खराब है , अगर आप आ जाती तो ? प्लीज मना मत करना ।
: अरे आज मौसम देख रहे हो शानू बाबू , बारिश हो गई तो वापस आने की सवारी नहीं मिलेगी ( वो बात घुमाते हुए बोली )
: अरे मै हूं न , आपको ड्रॉप कर दूंगा , आप आजाओ ( इससे पहले वो और कुछ बहाना करती मैने फोन काट दिया )
फिर मस्त अपने कमरे में लेट गया ।
: शानू , शानू उठ बेटा, बहुत काम है आज । पूरा घर साफ करना है ।
मै अम्मी की बात सुनकर भी ऐसे ही पड़ा रहा क्योंकि मैं सोया अंडरवियर में था और सुबह सुबह मेरा लंड सलामी दे रहा था अगर उठता तो जरूर अम्मी को मुझे ऐसे देख कर पसंद नहीं आता
अम्मी झाड़ू लगा रही थी और फोन पर बात भी कर रही थी
: हम्म्म अच्छा जी , छुट्टी थी तो आ जाते । बड़े आए याद करने वाले ( अम्मी लजा कर बोली , उनकी ये अदा मुझे बहुत भाती थी और अब्बू से जब भी बातें करती मेरे भीतर एक अलग ही फड़फड़ाहट होने लगती , एक उत्कुंठा होती उनकी सेक्सी और गंदी बाते सुनने की )
: नहीं , अभी वो सो रहा है ( अम्मी रुक कर बोली )
: क्या ?? धत्त बदमाश आज कुछ नहीं , क्या आप भी । शानू घर पर है पागल हो आप ( अम्मी अब्बू को फुसफुसाकर समझा रही थी और उनकी बातें सुनकर साफ लग रहा था जरूर सुबह सुबह अब्बू ने अम्मी से कुछ डिमांड कर दी है )
: नहीं नहीं , पूरा घर पड़ा है शानू के अब्बू , प्लीज मत सताइए न ( अम्मी बातें करते हुए बाहर निकल गई )
इधर मेरे भीतर एक चिंगारी भड़क उठी थी , लंड और मै दोनो बेताब थे अब्बू अम्मी का नया खेल देखने को ।
मै चादर से मुंह निकाल कर दरवाजे की ओर अपने कान को करके आवाजे सुनने लगा ।
: उह्ह्ह्ह प्लीज तंग न करो , आप तो आओगे नहीं और मुझे तड़पना पड़ेगा ( अम्मी की बातें सुनकर लंड एकदम उफान पर था , जान रहा था कि अम्मी अब्बू के आगे कितनी बेबस थी , चाह कर भी उन्हें मना नहीं कर पाती थी )
: हम्मम ठीक है रुको एक बार शानू को चेक कर लू फिर जाती हु ( अम्मी की बात सुनकर मैं वापस चादर में उसी पोजिशन ने मुंह धक कर सो गया
अम्मी आई और करीब 5 मिनट तक चुप होकर मेरी राह देखी , अब धीरे धीरे मै भी उनकी चालाकियां समझने लगा था , इसीलिए मैने भी नाटक जारी रखा ।
कुछ देर नहीं करीब 15 मिनट बाद मै कमरे से निकला और दबेपाव चुपके से नीचे उतरा
दरवाजे बंद , खिड़की बंद खिड़कियों पर अंदर से परदे ऐसे लगे थे मानो कील ठोक कर टाइट किए हो कही से एक सुराख भी नहीं दिख रही थी कि भीतर झांका जा सके ।
: ओह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा , मत दिखाओ नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगी ( अम्मी सिसक रही थी )
: तुझे तो मै दीवानी ही बना देना चाहता हु , देख तेरे चूत को देखकर कैसे फड़फड़ा रहा है मेरा लंड अह्ह्ह्ह फरीदा मेरी जान ( अब्बू की आवाज हल्की फुल्की आ रही थी , साफ था मोबाइल स्पीकर पर कम आवाज पर रखा था )
: मान जाओ शानू के अब्बू नहीं तो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: क्या करेगी बोल उम्मम्म ( अब्बू ने अम्मी को उकसाया तो मेरी भी तलब बढ़ी अम्मी की हरकतों को जानने की )
: यह्ह्ह्ह झाड़ू ही घुसा लुंगी आपके लंड की जगह अह्ह्ह्ह शानू के अब्बू आओ न उम्मम्म कितना तड़पा रहे हो ओह्ह्ह्ह ( अम्मी की बातें सुनकर मेरे हाथ बड़ी मजबूती से मेरे लंड को भींचने लगे अब मुझसे रहा नही जा रहा था , कहीं से भी अम्मी का ये रूप देखने था )
समझ नहीं आ रहा था कि कैसे करूं , क्योंकि अगर स्टूल लगाता तो अम्मी को भनक लग ही जानी थी और ऐसे में मेरी नजर जीने पर गई जहां से पहली बार मैने अम्मी अब्बू की चुदाई की झलकिया परछाइयों में देखी थी
लपका कर खुश होकर मै वहां पहुंचा तो मेरी आंखे फेल गई
लंड एकदम से आग उगलने को बेताब हो गया , कमरे में अम्मी पूरी नंगी होकर एक लंबी झाड़ू जिससे वो घर की साफ सफाई करती थी , उसकी मुठिया को अपने चूत के मुहाने पर लगा कर हल्का हल्का उसे अपनी बुर में ले रही थी खड़े खड़े ही ,
उनका एक पैर बेड पर था और झाड़े 10 -10 इंच तक उनकी बुर ने धंसता जा रहा था , अम्मी का ये रूप देख कर मेरा लंड पूरी तरह से बगावत पर आ चुका था ।
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपने तो मेरी दुनिया ही बदल दी , आप जैसी गर्म औरत मैने किसी पोर्न वीडियो में भी नहीं देखी होगी अह्ह्ह्ह भर लो अम्मी भर अपने बुर में , नहीं तो मेरा लंड लेलो उस झाड़ू से बहुत मोटा है अह्ह्ह्ह अम्मीमीईईई ओह्ह्ह्ह
( मै सामने रोशनदान से अम्मी को अपनी चूचियां मिजते और झाड़ू को अपनी बुर में लेते देख रहा था और बडबडा रहा था , यहां से ना अम्मी तक मेरी आवाजे जा सकती थी और ना अम्मी की आवाज मुझ तक आ सकती थी , बस मै ही उन्हें देख सकता था ।
अगलगे ही पल अम्मी बिस्तर पर लेट गई और टांगे उठा कर झाड़ू की मुठिया को अपने बुर घुसा दिया और तेजी से अन्दर लेने लगी , बुर में पेलते हुए अपनी चूचियां मसल रही और चेहरे के भाव बहुत कामुक थे मानो कितना सुकून मिल रहा हो उन्हें
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह गॉड नहीइइइ ( मै मेरा लंड पकड़ कर तेजी से बाथरूम में भागा क्योंकि मैं अब गिरा तब गिरा वाली हालत में था और जैसे ही बाथरूम में पहुंचा बाथरूम की दीवारें मेरी पिचकारी से नहाने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मीईई मेरी सेक्सी अमीई अह्ह्ह्ह फक य्यूयू ओह्ह्ह गॉड अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो लह्ह्ह ( मै झड़ता रहा कुछ देर तक और फिर जब शांत हुआ तो जल्दी जल्दी बाथरूम साफ करने लगा , ताकि अम्मी को भनक न लगे )
फिर मै फ्रेश होकर नीचे आया और अम्मी की आवाज देने लगा
: अम्मी उठो सुबह हो गई है
मै जान रहा था अम्मी जल्दी जल्दी में कपड़े पहन रही होंगी और मुझे हसी भी आ रही थी आज बाजी मेरे हाथ थी ।
: अरे मै सो नहीं रही हु रे, काम कर रही हु ( अम्मी दरवाजा खोलकर अपना सूट सही करती हुई बोली , और उनके देह पर दुपट्टा नहीं था , बड़ी बड़ी मोटी चूचियां बिना ब्रा के साफ साफ नजर आ रही थी , अभी भी उनके तने हुए निप्पल उभरे हुए थे ।
: मुझे लगा आप अभी उठी नहीं
: मै नहीं उठी , कि तू भी उठा । आई थी जगाने तू उठा ही नहीं घर में कितना काम है । ( अम्मी अपने कमरे में सफाई करने लगी )
अम्मी अक्सर नीचे बैठ कर ही झाड़ू लगाती थी जिससे उनके घुटने उनकी मोटी मोटी चूचियो को नीचे से उठा देते थे और ऐसा लगता था मानो वो उछल कर बाहर आ जायेगी। कितना भी हिला लो लेकिन अम्मी को देखते ही लंड अपनी औकात और आ ही जाता है ।
अम्मी झाड़ू लगा रही थी कि झाड़ू से लग कर कुछ कागज और करकट बेड के नीचे चले गए
: बेटा वो पोछा वाला बाल्टी में पानी लेकर आ मै ये सब हटाती हु ( अम्मी हाथ में कूड़ा लेकर उठती हुई बोली और उसकी बड़ी सी गाड़ ये बाहर की ओर निकली , अह्ह्ह्ह अम्मी से पल भर को भी मै दूर नहीं होना चाहता था ।
: अम्मी बिस्तर के नीचे भी कूड़ा चला गया है
: हा तू पानी लेकर मै निकालती हु
मै तेजी से बाथरूम में गया और पानी भरने को लगा कर वापस आ गया
ओह्ह्ह क्या मस्त सीन था , अम्मी झाड़ू लेकर बेड के नीचे घुसकर कर सफाई कर रही थी और उनकी गाड़ पूरी फेल गई थी , बिना पैंटी की मोटी मोटी गाड़ देख कर मै उनकी पैंटी खोजने लगा तो देखा सोफे पर एक ओर फेंकी हुई है कपड़ो में । लंड को मिजता और अम्मी के गाड़ को सलवार में फैलाता देख कर मै वापस पानी लेने चला आया ।
: ओह्ह्ह्ह लो चाची , उफ्फ सच में आप नहीं आते तो मै अकेले कैसे करता ( पानी की बाल्टी भर कर मै नीलू आंटी को दिया और पोछा लगाने लगी )
मै दूसरे किचन की सफाई का बोलकर कमरे से बाहर आ कर उन्हें देखने लगा ,
आंटी अपना सूट कमर तक उठा कर घुटने के बल होकर पूरी टाइल्स को घिस घिस कर साफ कर रही थी और गुलाबी सलवार में उनकी गाड़ पूरी फैली हुई थी
जी तो कर रहा था कि अभी खोलकर पेल दु और जनता था साली रंडी मना नहीं करेगी , लेकिन एक इमेज जो लेकर मै चल रहा था उसके नजर वो मुझे रोक रही थी कही न कही ।
मगर उसको पेलना तो था ही और उसके लिए मैने कुछ सोचा ।
जारी रहेगी