UPDATE 02
उसकी उपस्थिति को महसूस करते हुए 'बस,पाँच मिनट,' मीना ने कहा, जब वह कॉफी बनाने में लगी रही।
राजेश चुप रहा और केवल तब जब उसकी माँ कॉफी पकड़े हुए मुड़ी, वह उसकी आँखों में देख सका।
'क्या हुआ?' उसकी माँ ने उसके पीले चेहरे को देखते हुए पूछा।
'अच्छी नींद नहीं आई,' उसने जवाब दिया।
उसे कप देते हुए 'क्या तुम्हें बुखार है,' मीना ने पूछा।
उसके प्यारे चेहरे को देखते हुए 'शायद,' राजेश ने झूठ बोला।
उसका माथा छूते हुए 'तुमने मुझे चिंता में डाल दिया,' मीना ने कहा।
उसका हाथ पकड़ते हुए और उसे सहलाते हुए 'मैं तुम्हें छेड़ रहा था माँ ,' उसने कहा।
हल्का सा उसके सीने पर मुट्ठि मारते हुए 'इसीलिए तो कहती हूँ किसी को लावो जिसे पूरी जिंदगी छेड़ सको..,'
उसकी बात काटते हुए, 'फिर से मत शुरू करो माँ।'
अपने सिर को हिलाते हुए 'मैंने टेबल पर कुछ रखा है, देख लो,'मीना ने कुछ गुस्से में कहा।
'क्या है?' उसने मीना को अपनी बाहों में भरते हुए पूछा।
'तुम खुद क्यों नहीं देखते?' मीना ने अपने गुस्से को कम करते हुए कहा।
राजेश ने पैकेट को पकड़ लिया और जैसे ही उसने खोला, तीन तस्वीरें बाहर गिर गईं।
'तुम केवल एक चुन सकते हो,' उसकी माँ ने उसे छेड़ते हुए कहा।
तस्वीरों पर ध्यान दिए बिना 'माँ, क्या मैंने नहीं कहा कि मैं शादी नहीं करने वाला,' उसने कहा।
'और क्या मैंने नहीं कहा कि मैं तुम्हारी देखभाल नहीं कर सकती,' उसने जवाब दिया।
उसके करीब आते हुए और उसे गले लगाते हुए 'तुम मुझ पर बोझ क्यों डालना चाहती हो। मैं जैसा हूँ, खुश हूँ और कोई शादी वादी नहीं करना चाहता,' उसने कहा।
'लेकिन मुझे अपने लिए कुछ समय चाहिए। मैं तुम्हें हमेशा चम्मच से नहीं खिला सकती,' मीना ने कहा।
'जब तुम अपने हाथों से खिला सकती हो तो चम्मच का इस्तेमाल क्यों करना,' उसने कहा।
'क्या तुमने उन तस्वीरों को देखा? क्या तुम्हे कोई पसंद आई?'
'क्या तुमने वो तस्वीरें देखी? क्या तुम्हे कोई पसंद आई? बस मुझे बताओ और मैं तुरंत तुम्हारी शादी पक्की कर दूंगी,' उसने अपने बेटे के सीने पर हाथ रखते हुए कहा।
'नहीं, मैंने नहीं देखी,' उसने जवाब दिया।
'क्या तुम मेरे लिए उन्हें एक बार नहीं देख सकते,' मीना ने उसके बाहों से निकलते हुए कहा।
अपनी माँ की नाराजगी देखकर; 'ठीक है, मैं उन्हें देखूंगा, खुश?'
उसकी प्रतिक्रिया से खुश होकर 'हाँ, तीनों बहुत सुंदर हैं राज।'
वह मेज पर वापस गया और जैसे ही उसने तस्वीरें देखीं, उसे समझ में आया कि उसकी मां ने उसके सहपाठियों की सूची क्यों मांगी थी।
तस्वीरें पकड़कर वह वापस आया और कहा 'माँ, क्या तुम्हें लगता है कि इनमे से कोई भी मेरी पत्नी बन्ने के लायक है,' उसने पूछा।
'क्यों, उनमें क्या गलत है?' मीना ने पूछा।
'क्या तुम्हें लगता है कि इनमे से कोई भी तुम्हारी तरह स्मार्ट और खुबसूरत दिखती हैं?' उसने पूछा।
'क्यों, इसका इससे क्या लेना-देना है,' उसने जवाब दिया।
'तुम मुझसे यह कैसे उम्मीद कर सकती हो कि मैं किसी ऐसी लड़की से शादी करूं जो न तो तुम जैसी खुबसूरत दिखती है और न ही तुम्हारी तरह स्मार्ट है,' उसने मीना के गालों को चिढ़ाते हुए कहा।
'तो तुम्हें वे पसंद नहीं हैं,' उसने पूछा।
'नहीं,' राजेश ने सिर हिलाया।
'क्या ,ये भी नहीं' उसने पूछा उस लड़की की तस्वीर दिखाते हुए जो पिछले दिन भीगी थी।
'वह तीनों में सबसे बेवकूफ है,' राजेश ने जवाब दिया।
'मुझे नहीं पता कि तुम्हें किस तरह की लड़की पसंद है,' उसने निराश होकर कहा।
'मैं चाहता हूँ कि वह चतुर, स्मार्ट और तुम्हारी तरह सुंदर हो,' उसने कहा।
'रुको, मैं आईने में देखूंगी कि मैं कितनी स्मार्ट या कितनी सुंदर हूँ,' कहकर वह उसके बान्हो से बाहर निकल गई।
'और जब तुम्हें कोई ऐसी लड़की मिल जाए तो मुझे बता देना,' उसने कहा और जब उसकी माँ मुड़ी, तो उसकी नजरें अपनी माँ को देखती रहीं।
उसकी आंखे अपनी मां के जिस्म से हट ना रही थी... उसकी आंखों ने मीना का तब तक पिच किया जब तक वो अपने कैमरे में आईने के सामने ना पहोची।,और उन्होंने उसे हर संभव तरीके से कैद कर लिया। उसकी नजर इतनी तीव्र थी कि वह बिना पलक झपकाए उसे घूरता रहा और यह बात मीना से छुपी नहीं रही क्योंकि मीना आईने के सामने खड़ी थी और अपने बेटे को अपनी ही माँ के जिस्म को घूरते हुए आईने में देख लिया था
अकेले अपने कमरे में बैठा राजेश सोच रहा था कि अपनी माँ को इस तरह से घुरना सही नहीं था। उसे ग्लानि महाशुस हो रही थी और वो उन दृश्यों को भूलना चाहता था, लेकिन वह उसके दिमाग में कैद हो चुकी थी।
उस रात उसकी माँ की तस्वीर बिलकुल स्पष्ट थी। वह आसानी से उसकी ब्रा की छोटी-छोटी पट्टियों को पहचान सकता था और जैसे ही उसकी नजरें घुमीं, वह उसकी आकर्षक पीठ को देखकर चकित रह गया। आकार में ढली हुई पीठ ने उसे हक्का-बक्का कर दिया और जैसे ही उसने उसकी भव्य पीठ की ओर देखा, वह पसीना-पसीना हो गया। इस बार उसे उसकी ओर देखने में बुरा नहीं लगा। उसे इसे देखना मंत्रमुग्ध करने वाला लगा। हालांकि वे साड़ी में लिपटी थीं, लेकिन यह उसकी नितंबों की दृढ़ता को छिपाने में ज्यादा मदद नहीं कर सकी, जो एक लुभावनी दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। उसने सोचा क्या यही कारण था कि उसके दोस्त ने कहा था ''तुम भाग्यशाली हो,'।
उस दिन से राजेश का नज़रिया अपनी माँ के तरफ बदल गया और कई बार मीना ने भी इस बदलाव को महसूस किया लेकिन उसने इसे अपने मन से निकाल दिया। राजेश की मजाक करने की आदत बढ़ गई और अब वो किसी ना किसी बहाने से मीना को अपनी बाहों में भर लेता था।
ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा और जिस दिन कॉलेज का आखिरी दिन था, मीना कपड़े सुखाते समय सोच रही थी कि छुट्टियों में उस शैतान को कैसे संभाला जाए, तभी उसने राजेश को चिल्लाते सुना 'माँ।'
" शैतान का नाम लो और शैतान हाजी...," इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी कर पति या कोई हरकत कर पति राजेश ने उसे इतने जोर से अपनी ओर खींचा कि दोनों जमीन पर गिर गए और कपड़े की रस्सियाँ उनके ऊपर गिर गईं।