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कविता क्रमांक एक
ससुर कि दिवाणी
शादी को हो गये थे महिने तीन,
पती चले गये परदेस उस दिन...
दिन कट जाते थे , लेकिन रात कैसे कटे ?
अकेले सोने मे गांड मेरी फटे..
ससुरजी बोले, बहुरानी क्यो डरती हो ? ससुर तेरा तगडा है फिर क्यो अपने पती को याद करती हो ?
ससुर मेरा रंडवा सांड तगडा है,
कही औरतो को उन्होने अच्छे से रगडा है ।
बेटी बेटी बुलाते है, मगर है बडे बेटिचोद ।
मै जानती हूं अच्छेसे उनकी ठरकी सोच ।
मेरे डर का फायदा लेके मेरे कमरे मे सोने लगे ।
हर रात थोडा थोडा पास आने लगे ।
कभी मिठी मिठी बाते करके,मुझे बाहोमे अपनी है भरदेते,
और मेरे बडे मम्मो को अपने सक्त सिनेपे है रगड देते ।
कभी पीछेसे पकडके,
मेरी गांडपे अपना लंड रगड देते ।
और आगेसे मेरे बुब्स पकड कसके दबा देते ।
बाजार से लेकर आ गये मेरे लिये मॅक्सि,
बोले, बहुराणी आजसे साडी मत पेहनो, इसमे हि तुम दिखोगी सेक्सी ।
अब तो आसानी से मॅक्सि उपर करणे लगे,
और मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे ।
पती था परदेस, ससुरजी थे पास,
ससुरजीने जगा दि थी मेरे अंदरकि प्यास ।
उस दिन भरी दोपेहर को,
ससुरजी ने मुझे पीछेसे पकडा ।
मेरे बोबे दबाके, मेरी गांड पे लंड रगडा ।
लंड था उनका तगडा, तो क्यो करू मै झगडा ।
उतार दि उन्होने मेरी मॅक्सि,
बोले, बेटी बिना मॅक्सिकेभी तुम दिखती हो सेक्सी ।
बीठा लिया मुझे अपनी जांघोपे ।
और मसलने लगे मेरे बुब,
उतार दिया ब्रा मेरा चुसने लगे खूब ।
डाला हात पँटी के अंदर,
और मसल दि मेरी चुत ।
उंगली घुसाई चुत मे
और निकाल दि मेरी मूत ।
करदिया मुझे नंगा और
पटक दिया बिस्तर पर,
खुदभी नंगे होकर,
चढ गये मेरे उपर ।
लंड था उनका खडा,
मेरे पती के लंड से बडा ।
बडा मस्त था उनका,
खडा प्यारा लौडा ।
पकड के मेरे बुब्स,
मेरे चुत मे लंड घुसाया ।
ससुरजीने मुझे अपनी बाहो मे फसाया ।
फच फच कि आवाजोंसे,
पुरा कमरा भर गया ।
एक घंटे कि चुदाई के बाद,
मेरी चुत को अपने वीर्य से भर दिया ।
ये है मेरी कहाणी ।
मै बनी मेरे ससुर के मोटे लंड कि दिवानी ।
ससुर कि दिवाणी
शादी को हो गये थे महिने तीन,
पती चले गये परदेस उस दिन...
दिन कट जाते थे , लेकिन रात कैसे कटे ?
अकेले सोने मे गांड मेरी फटे..
ससुरजी बोले, बहुरानी क्यो डरती हो ? ससुर तेरा तगडा है फिर क्यो अपने पती को याद करती हो ?
ससुर मेरा रंडवा सांड तगडा है,
कही औरतो को उन्होने अच्छे से रगडा है ।
बेटी बेटी बुलाते है, मगर है बडे बेटिचोद ।
मै जानती हूं अच्छेसे उनकी ठरकी सोच ।
मेरे डर का फायदा लेके मेरे कमरे मे सोने लगे ।
हर रात थोडा थोडा पास आने लगे ।
कभी मिठी मिठी बाते करके,मुझे बाहोमे अपनी है भरदेते,
और मेरे बडे मम्मो को अपने सक्त सिनेपे है रगड देते ।
कभी पीछेसे पकडके,
मेरी गांडपे अपना लंड रगड देते ।
और आगेसे मेरे बुब्स पकड कसके दबा देते ।
बाजार से लेकर आ गये मेरे लिये मॅक्सि,
बोले, बहुराणी आजसे साडी मत पेहनो, इसमे हि तुम दिखोगी सेक्सी ।
अब तो आसानी से मॅक्सि उपर करणे लगे,
और मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे ।
पती था परदेस, ससुरजी थे पास,
ससुरजीने जगा दि थी मेरे अंदरकि प्यास ।
उस दिन भरी दोपेहर को,
ससुरजी ने मुझे पीछेसे पकडा ।
मेरे बोबे दबाके, मेरी गांड पे लंड रगडा ।
लंड था उनका तगडा, तो क्यो करू मै झगडा ।
उतार दि उन्होने मेरी मॅक्सि,
बोले, बेटी बिना मॅक्सिकेभी तुम दिखती हो सेक्सी ।
बीठा लिया मुझे अपनी जांघोपे ।
और मसलने लगे मेरे बुब,
उतार दिया ब्रा मेरा चुसने लगे खूब ।
डाला हात पँटी के अंदर,
और मसल दि मेरी चुत ।
उंगली घुसाई चुत मे
और निकाल दि मेरी मूत ।
करदिया मुझे नंगा और
पटक दिया बिस्तर पर,
खुदभी नंगे होकर,
चढ गये मेरे उपर ।
लंड था उनका खडा,
मेरे पती के लंड से बडा ।
बडा मस्त था उनका,
खडा प्यारा लौडा ।
पकड के मेरे बुब्स,
मेरे चुत मे लंड घुसाया ।
ससुरजीने मुझे अपनी बाहो मे फसाया ।
फच फच कि आवाजोंसे,
पुरा कमरा भर गया ।
एक घंटे कि चुदाई के बाद,
मेरी चुत को अपने वीर्य से भर दिया ।
ये है मेरी कहाणी ।
मै बनी मेरे ससुर के मोटे लंड कि दिवानी ।