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Entertainment ससुर बहू कि अश्लील कविताये

AmrishPuri

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कविता क्रमांक एक
ससुर कि दिवाणी

शादी को हो गये थे महिने तीन,
पती चले गये परदेस उस दिन...

दिन कट जाते थे , लेकिन रात कैसे कटे ?
अकेले सोने मे गांड मेरी फटे..

ससुरजी बोले, बहुरानी क्यो डरती हो ? ससुर तेरा तगडा है फिर क्यो अपने पती को याद करती हो ?

ससुर मेरा रंडवा सांड तगडा है,
कही औरतो को उन्होने अच्छे से रगडा है ।

बेटी बेटी बुलाते है, मगर है बडे बेटिचोद ।
मै जानती हूं अच्छेसे उनकी ठरकी सोच ।

मेरे डर का फायदा लेके मेरे कमरे मे सोने लगे ।
हर रात थोडा थोडा पास आने लगे ।

कभी मिठी मिठी बाते करके,मुझे बाहोमे अपनी है भरदेते,
और मेरे बडे मम्मो को अपने सक्त सिनेपे है रगड देते ।

कभी पीछेसे पकडके,
मेरी गांडपे अपना लंड रगड देते ।
और आगेसे मेरे बुब्स पकड कसके दबा देते ।

बाजार से लेकर आ गये मेरे लिये मॅक्सि,
बोले, बहुराणी आजसे साडी मत पेहनो, इसमे हि तुम दिखोगी सेक्सी ।

अब तो आसानी से मॅक्सि उपर करणे लगे,
और मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे ।

पती था परदेस, ससुरजी थे पास,
ससुरजीने जगा दि थी मेरे अंदरकि प्यास ।

उस दिन भरी दोपेहर को,
ससुरजी ने मुझे पीछेसे पकडा ।
मेरे बोबे दबाके, मेरी गांड पे लंड रगडा ।

लंड था उनका तगडा, तो क्यो करू मै झगडा ।
उतार दि उन्होने मेरी मॅक्सि,
बोले, बेटी बिना मॅक्सिकेभी तुम दिखती हो सेक्सी ।

बीठा लिया मुझे अपनी जांघोपे ।
और मसलने लगे मेरे बुब,
उतार दिया ब्रा मेरा चुसने लगे खूब ।

डाला हात पँटी के अंदर,
और मसल दि मेरी चुत ।
उंगली घुसाई चुत मे
और निकाल दि मेरी मूत ।

करदिया मुझे नंगा और
पटक दिया बिस्तर पर,
खुदभी नंगे होकर,
चढ गये मेरे उपर ।

लंड था उनका खडा,
मेरे पती के लंड से बडा ।
बडा मस्त था उनका,
खडा प्यारा लौडा ।

पकड के मेरे बुब्स,
मेरे चुत मे लंड घुसाया ।
ससुरजीने मुझे अपनी बाहो मे फसाया ।

फच फच कि आवाजोंसे,
पुरा कमरा भर गया ।
एक घंटे कि चुदाई के बाद,
मेरी चुत को अपने वीर्य से भर दिया ।

ये है मेरी कहाणी ।
मै बनी मेरे ससुर के मोटे लंड कि दिवानी ।
 

Pitaji

घर में मस्ती
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Shandaar kavita
 

AmrishPuri

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20
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कविता क्रमांक 2
ससुरजी का पाणी

सुबह नहा कर निकली थी,
ससुरजी ने पकड लिया ।
बडी सुंदर दिख रही हो बोलके,
टॉवेल भी उतार दिया ।

हॉलमे ले जा कर,
फर्श पे बिठा दिया ।
खुद कुर्सि लेकर बैठे,
और मुझे अपने पैरो के बीच फसा लिया ।


अपना पजामा उतारके,
मोटा लंड दिखा दिया ।
बाल मेरे पकडके,
मूह मे लंड घुसा दिया ।

मै बोली बाबूजी,
छोडो मुझे है बहुत काम ।
बाबुजी बोले, चुस रंडी,
यही है तेरा इनाम ।

मोटा लंड उनका चुसते हुवे,
मुझे आने लगा मजा ।
ससुरजी के लंड का ,
मै लेनेलगी जीभसे जायजा ।

ससुरजी बोले, मेरी प्यारी बहु,
चुसतीहो लंड तुम बहुत खूब ।
मुझे बहुत पसंद है,
तेरा यह रंडीवाला रूप ।

मै बोली बाबुजी,
आपका मस्त है लौडा ।
इसे तो मै रोज चुसू ,
अपना मूह करके चौडा ।

चुस मेरी रंडी बहू,
जितना चाहे चुस ।
टट्टोको भी चाटके,
निकाल दे मेरा जुस ।

जरूर टट्टे चाटुंगी,
मैने कब किया मना ?
चुसने दो मस्ती से
आपका मोटा गन्ना ।

ऐसे हि चलती रही
मोठे लंड से खुदाई।
ससुरजी बोले रोज करुंगा,
तेरे मूह कि चुदाई ।

चोद चोद के मूह मेरा
लंड गलेसे लडाया,
सर पकड के मेरा,
मूह मे पाणी उडाया ।
 

AmrishPuri

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ससुर बहू कविता क्रमांक 3

देखणे लगा रिश्ते,
जब बेटा होगया जवान ।
बहू आयेगी घर तो ,
हो जायेगा काम आसान ।

बेटेके लीये ढुंडली मैने,
अपने पसंद कि बहू ।
दिखती थी सुंदर ,
लगता था बस देखेते रहु ।

फिगर उसका सेक्सी था,
मोठे थे बोबे,
गांड उसकी देखकर,
लंड खडा हो जावे।

मटकती गांड देखकर हि,
मैने उसको पसंद किया ।
पिताजी कि पसंद केहकर,
बेटे ने भी अपना लिया ।

घर आयी बहु तो,
करने लगी पागल ।
कभी गांड तो कभी बुब्स देखके,
मै होने लगा घायल ।

तीन महिने बित गये,
चला गया परदेस बेटा ।
अकेली बहु को देखकर,
खुश हुवा मेरा लंड मोटा ।

जाडे के दिन थे,
पडने लगी थी ठंडी,
सोचा यही समय है,
बहू को बनाउंगा अपनी रंडी ।

अलग अलग बहाणे से,
बोबे उसके मसल देता ।
झुकी हुवी दिखी तो,
चुतड उसके दबा देता ।

हफ्ते भरमे जगादि मैने,
उसके अंदर कि प्यास ।
गांड और बोबे दबावाने के लिये,
आणे लगी मेरे पास ।

बहू थी किचनमे,
बना रही थी खाना ।
लंड सटाया उसकी गांड पर,
करके कोई बहाणा ।

कुछ ना कहा उसने,
लेने लगी मजे ।
फिर मौका देखकर मैने,
दबा दिये बोबे ।

बाहो मे उसे भरकर,
मसल दि उसकी चुत ।
आज उतार हि देता हूं,
बहू को चोदणे का भूत ।

मसलनेसे चुत उसकी,
बहू आहे भरणे लगी ।
फिर उसको नंगा करणेमे,
मुझे ज्यादा देर ना लगी ।

बेडरूम मे लेजाकर उसको,
जांघो पे बिठा दिया ।
चुस चुस उसके बोबे,
गांड से लंड सटा दिया ।

फिर लीटाया उसको गद्दीपर,
और फैलायी उसकी टांगे ,
नंगा होगाया मै ,
और सेहलायी उसकी जांघे ।

फैलायी उसकी चुत,
और घुसाया काला तोता ।
लंड गुसाके उसको,
बडे प्यारसे चोदा ।

बहू कि चुत चोदकर,
उसको करदिया ठंडा ।
रोज पेलूंगा उसकी चुत मे,
मेरा खडा डंडा ।
 
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ससुर बहू कविता क्रमांक 3

देखणे लगा रिश्ते,
जब बेटा होगया जवान ।
बहू आयेगी घर तो ,
हो जायेगा काम आसान ।

बेटेके लीये ढुंडली मैने,
अपने पसंद कि बहू ।
दिखती थी सुंदर ,
लगता था बस देखेते रहु ।

फिगर उसका सेक्सी था,
मोठे थे बोबे,
गांड उसकी देखकर,
लंड खडा हो जावे।

मटकती गांड देखकर हि,
मैने उसको पसंद किया ।
पिताजी कि पसंद केहकर,
बेटे ने भी अपना लिया ।

घर आयी बहु तो,
करने लगी पागल ।
कभी गांड तो कभी बुब्स देखके,
मै होने लगा घायल ।

तीन महिने बित गये,
चला गया परदेस बेटा ।
अकेली बहु को देखकर,
खुश हुवा मेरा लंड मोटा ।

जाडे के दिन थे,
पडने लगी थी ठंडी,
सोचा यही समय है,
बहू को बनाउंगा अपनी रंडी ।

अलग अलग बहाणे से,
बोबे उसके मसल देता ।
झुकी हुवी दिखी तो,
चुतड उसके दबा देता ।

हफ्ते भरमे जगादि मैने,
उसके अंदर कि प्यास ।
गांड और बोबे दबावाने के लिये,
आणे लगी मेरे पास ।

बहू थी किचनमे,
बना रही थी खाना ।
लंड सटाया उसकी गांड पर,
करके कोई बहाणा ।

कुछ ना कहा उसने,
लेने लगी मजे ।
फिर मौका देखकर मैने,
दबा दिये बोबे ।

बाहो मे उसे भरकर,
मसल दि उसकी चुत ।
आज उतार हि देता हूं,
बहू को चोदणे का भूत ।

मसलनेसे चुत उसकी,
बहू आहे भरणे लगी ।
फिर उसको नंगा करणेमे,
मुझे ज्यादा देर ना लगी ।

बेडरूम मे लेजाकर उसको,
जांघो पे बिठा दिया ।
चुस चुस उसके बोबे,
गांड से लंड सटा दिया ।

फिर लीटाया उसको गद्दीपर,
और फैलायी उसकी टांगे ,
नंगा होगाया मै ,
और सेहलायी उसकी जांघे ।

फैलायी उसकी चुत,
और घुसाया काला तोता ।
लंड गुसाके उसको,
बडे प्यारसे चोदा ।

बहू कि चुत चोदकर,
उसको करदिया ठंडा ।
रोज पेलूंगा उसकी चुत मे,
मेरा खडा डंडा ।
Wahh😬😬😀
 
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ससुर कि दिवाणी

शादी को हो गये थे महिने तीन,
पती चले गये परदेस उस दिन...

दिन कट जाते थे , लेकिन रात कैसे कटे ?
अकेले सोने मे गांड मेरी फटे..

ससुरजी बोले, बहुरानी क्यो डरती हो ? ससुर तेरा तगडा है फिर क्यो अपने पती को याद करती हो ?

ससुर मेरा रंडवा सांड तगडा है,
कही औरतो को उन्होने अच्छे से रगडा है ।

बेटी बेटी बुलाते है, मगर है बडे बेटिचोद ।
मै जानती हूं अच्छेसे उनकी ठरकी सोच ।

मेरे डर का फायदा लेके मेरे कमरे मे सोने लगे ।
हर रात थोडा थोडा पास आने लगे ।

कभी मिठी मिठी बाते करके,मुझे बाहोमे अपनी है भरदेते,
और मेरे बडे मम्मो को अपने सक्त सिनेपे है रगड देते ।

कभी पीछेसे पकडके,
मेरी गांडपे अपना लंड रगड देते ।
और आगेसे मेरे बुब्स पकड कसके दबा देते ।

बाजार से लेकर आ गये मेरे लिये मॅक्सि,
बोले, बहुराणी आजसे साडी मत पेहनो, इसमे हि तुम दिखोगी सेक्सी ।

अब तो आसानी से मॅक्सि उपर करणे लगे,
और मेरी नंगी गांड पर हाथ फेरने लगे ।

पती था परदेस, ससुरजी थे पास,
ससुरजीने जगा दि थी मेरे अंदरकि प्यास ।

उस दिन भरी दोपेहर को,
ससुरजी ने मुझे पीछेसे पकडा ।
मेरे बोबे दबाके, मेरी गांड पे लंड रगडा ।

लंड था उनका तगडा, तो क्यो करू मै झगडा ।
उतार दि उन्होने मेरी मॅक्सि,
बोले, बेटी बिना मॅक्सिकेभी तुम दिखती हो सेक्सी ।

बीठा लिया मुझे अपनी जांघोपे ।
और मसलने लगे मेरे बुब,
उतार दिया ब्रा मेरा चुसने लगे खूब ।

डाला हात पँटी के अंदर,
और मसल दि मेरी चुत ।
उंगली घुसाई चुत मे
और निकाल दि मेरी मूत ।

करदिया मुझे नंगा और
पटक दिया बिस्तर पर,
खुदभी नंगे होकर,
चढ गये मेरे उपर ।

लंड था उनका खडा,
मेरे पती के लंड से बडा ।
बडा मस्त था उनका,
खडा प्यारा लौडा ।

पकड के मेरे बुब्स,
मेरे चुत मे लंड घुसाया ।
ससुरजीने मुझे अपनी बाहो मे फसाया ।

फच फच कि आवाजोंसे,
पुरा कमरा भर गया ।
एक घंटे कि चुदाई के बाद,
मेरी चुत को अपने वीर्य से भर दिया ।

ये है मेरी कहाणी ।
मै बनी मेरे ससुर के मोटे लंड कि दिवानी ।
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