बस पांच लोगों का ही परिवार था उनका, जिसमें सुमेर भैया मतलब रामेसर चाचा के लड़के, जो कि लगभग 40 साल के थे, उनकी पत्नी सुलेखा भाभी, उनकी उम्र का तो मुझे पता नहीं, मगर देखने वो मुश्किल से 27-28 साल की ही लगती थीं। ऊपर से वो थीं भी बहुत खूबसूरत, जिससे उनकी उम्र को बताना मुश्किल था। सुमेर भैया की बड़ी लड़की नेहा, जो की बी.ए. के अन्तिम वर्ष में थी, छोटी लड़की प्रिया, उसने बारहवीं की परीक्षा दी हुई थी और सबसे छोटा लड़का कुशल, जिसने अभी आठवीं की परीक्षा दी हुई थी.
अब आप ये सोच रहे होंगे कि सुमेर भैया और सुलेखा भाभी की उम्र में तो इतना फासला हो सकता है मगर जब उनकी बड़ी लड़की बी.ए. के अन्तिम वर्ष की पढ़ाई कर रही है, तो सुलेखा भाभी की उम्र 27-28 साल कैसे हो सकती है..?
चलो मैं आपको बता देता हूँ, दरअसल सुलेखा भाभी सुमेर भैया की दूसरी पत्नी हैं। सुमेर भैया की बचपन में ही शादी हो गयी थी और नेहा व प्रिया जब 9-10 साल की थीं, तभी उनकी पहली पत्नी का देहान्त हो गया था। उसके बाद सुमेर भैया ने सुलेखा भाभी से शादी कर ली, जिससे उन्हें कुशल पैदा हुआ। नेहा और प्रिया सुमेर भैया की पहली पत्नी की सन्तान हैं और सुलेखा भाभी का बस एक ही लड़का कुशल है, जिसने अभी आठवीं की ही परीक्षा दी हुई थी।
उनके घर पर पहले ही पता था कि मैं आने वाला हूँ इसलिये उन्होंने पहले से ही मेरे लिये कमरा तैयार कर दिया था। उनका घर ज्यादा बड़ा तो नहीं था, मगर एक ड्राइंगरूम व तीन कमरे एक छोटे परिवार के लिये पर्याप्त थे, जिसमें से एक कमरा उन्होंने मुझे दे दिया, एक कमरा प्रिया के मम्मी-पापा के लिये था और एक कमरे में वो तीनों भाई बहन सोते थे। पहले का तो पता नहीं, मगर मेरे पहुंचने के बाद वो लोग ऐसे ही सोने लगे।
मेरी कम्प्यूटर कक्षा सुबह आठ बजे से एक बजे तक ही होती थी, उसके बाद मैं घर आ जाता था. घर आकर मैं या तो सबके साथ कुछ देर टी वी देख लेता, या फिर सो जाता था। अगले चार-पांच दिन में ही मैं उनके घर में ऐसे घुल मिल गया, जैसे कि मैं उनके परिवार का ही हिस्सा हूँ..!
सुमेर भैया से तो मैं इतना नहीं मिल पाता था मगर उनकी पत्नी सुलेखा भाभी, उनके बच्चे नेहा, प्रिया व कुशल बहुत मिलनसार थे। सुमेर भैया उम्र में मुझसे काफी बड़े थे इसलिये उनसे तो मैं कम ही बात करता था, मगर सुलेखा भाभी से मैं खुलकर बात कर लेता था, क्योंकि उनका व्यवहार ही कुछ ऐसा था।
सुलेखा भाभी तो मुझसे काफी हंसी मजाक भी करती रहती थीं, जितना अच्छा उनका व्यवहार था, देखने में भी वो उतनी ही खूबसूरत थीं। सही में सुलेखा भाभी की खूबसूरती और उनके हंसी मजाक को देखकर कभी कभी तो मेरा दिल करता था कि क्यों ना मैं प्रिया को छोड़कर सुलेखा भाभी को पटाने के लिये लग जाऊं. मगर मेरे दिल में प्रिया के साथ बिताई उस रात की एक कसक बाकी थी, इसलिये मैं प्रिया के साथ ही अकेले में मिलने की कोशिश करता रहता था...
मेरे अब पहले चार पांच दिन तो ऐसे ही गुजर गए, जिनमें प्रिया के साथ अकेले में तो मेरी कोई बात नहीं हो सकी, मगर फिर भी सबके सामने जब मै उससे बात करता था, तो वो मेरी बातों का हंस हंस कर ही जवाब देती थी। उसके इस व्यवहार से लगता नही था उस रात जिस लड़की के साथ मैने सम्बन्ध बनाये, वो लड़की प्रिया हो सकती है..? क्योंकि कभी कभी तो मुझे लगता था जैसे वो खुद मुझ पर नजर सी रखती थी, की मै क्या कर रहा हुँ और कहाँ जा रहा हुँ..?
प्रिया का व्यवहार तो बिल्कुल सामान्य ही था मगर हां उसकी एक बात मैंने जरूर गौर की थी, जबसे मै उनके घर आया था तब से उसने वो चेन पहनना बन्द कर दिया था। शायद उसे पता था कि उस चैन से मैं उसे पहचान लूंगा इसलिये उसने वो चेन पहनना बन्द कर दिया था, और ऐसा व्यवहार भी वो शायद जानबूझकर ही करती थी..? ताकी मै उस पर शक ना करुँ..!
पर ऐसे तो कुछ होने वाला था नही। जब तक मै उससे खुलकर बात नही कर लेता तब ये सब ऐसे ही चलना था, मगर उससे अकेले मे बात करने का मुझे कोई मौका ही नही मिल रहा था। प्रिया की बड़ी बहन नेहा, उसका भाई कुशल और उनकी मम्मी सुलेखा भाभी सारा दिन एक तो घर में ही रहते थे, ऊपर से उन तीनों भाई बहनों का कमरा भी एक ही था।
वैसे तो स्कूल खुल गए थे, मगर प्रिया ने बारहवीं की परीक्षा दी हुई थी तो उसके छोटे भाई ने भी आठवीं की। ये दोनो ही बोर्ड की परीक्षाएं होती है और आपको तो पता ही है की बोर्ड की परीक्षा का परिणाम आने में समय लगता है। इस वक्त उनकी छुट्टियां चल रही थीं इसलिये प्रिया व उसका भाई सारा दिन घर में ही रहते थे।
प्रिया की बड़ी बहन नेहा वैसे तो सुबह कॉलेज जाती थी मगर दोपहर तक वो भी कॉलेज से आ जाती थी। इसलिये प्रिया के साथ अकेले में बात करने का कोई मौका ही नही मिलता था। प्रिया से अकेले मे बात करने के लिये मैने जानबूझकर उन तीनों भाई बहन के कमरे मे भी जाने लगा ताकि अधिक से अधिक प्रिया के पास रह सकूं और हो सकता है इस बहाने उससे अकेले में बात करने का कोई मौका ही मिल जाए, मगर ऐसा कोई मौका मुझे मिल नहीं रहा था...