Update - 01
दिल्ली के एक मोहल्ले में शर्मा परिवार का खूबसूरत बंगला था। चारों ओर हरियाली, सामने गुलमोहर के पेड़, और घर के अंदर आधुनिकता व परंपरा का मिश्रण। सुबह के नौ बजे थे, और शर्मा परिवार का दिन शुरू हो चुका था।
घर का मुखिया, सुधीर शर्मा (50 साल), एक सरकारी बैंक में सीनियर मैनेजर, डाइनिंग टेबल पर बैठा अखबार पढ़ रहा था। उसने जोर से आवाज लगाई,
“अरे, नाश्ता मिलेगा, या भूखे पेट ही ऑफिस जाना पड़ेगा?”
तभी किचन से उसकी पत्नी, शालिनी शर्मा (46 साल), हाथ में पराठों और आलू की सब्जी की प्लेट लिए निकली। शालिनी ने एक साधारण कुरता-पजामा पहना था, बाल खुले थे, और चेहरे पर हल्की थकान के साथ मुस्कान थी।
“लो, आ गया नाश्ता। सुबह-सुबह चिल्लाने की क्या जरूरत है?” उसने हल्के तंज के साथ कहा और प्लेट टेबल पर रख दी।
उसी वक्त उनका छोटा बेटा, विवेक (23 साल), कॉलेज का बैग कंधे पर लटकाए सीढ़ियों से उतरता हुआ आया। उसने कैजुअल टी-शर्ट और जींस पहनी थी।
“गुड मॉर्निंग, मम्मी-पापा!” कहकर वह कुर्सी पर बैठ गया और पराठा तोड़ने लगा।
सुधीर ने नाश्ता करते हुए शालिनी से पूछा, “तुम्हारे डॉक्टर साहब कहाँ गए?”
“आ रहा होगा। क्लिनिक के लिए तैयार हो रहा होगा,” शालिनी ने जवाब दिया, पराठों को और गर्म करने किचन की ओर बढ़ते हुए।
सुधीर ने हंसते हुए ताना मारा, “काहे का क्लिनिक? प्लास्टिक की दुकान है!”
“सुधीर, प्लीज, सुबह-सुबह शुरू मत हो जाओ,” शालिनी ने हल्की झुंझलाहट के साथ कहा।
तभी आदित्य (26 साल) ने टेबल पर बैठते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग, सबको।” लेकिन सुधीर का ताना अभी खत्म नहीं हुआ था।
उसने विवेक की ओर देखकर कहा, “विवेक, कॉलेज में सब ठीक चल रहा है? आगे का क्या सोचा है?”
“बस, पापा, इस साल प्लेसमेंट हो जाएगा,” विवेक ने आत्मविश्वास से जवाब दिया।
“हाँ, कुछ अच्छा करना। अपने बड़े भाई जैसे कुछ उल्टा-सीधा मत कर लेना,” सुधीर ने एक और ताना मारा।
आदित्य का चेहरा तमतमा गया। “मैंने क्या गलत किया?” उसने गुस्से में पूछा।
“गलत नहीं किया, तो क्या किया? सोचा था बड़ा डॉक्टर बनेगा, और बना क्या? प्लास्टिक सर्जन! और कोई हॉस्पिटल जॉइन करने की जगह साहब ने क्लिनिक खोल लिया,” सुधीर ने तंज कसा।
“हाँ, क्लिनिक में भी तो डॉक्टर का काम ही करता हूँ,” आदित्य ने अपनी सफाई दी।
“सब पता है तेरा काम,” सुधीर ने हंसते हुए कहा। “लोग पूछते हैं, ‘जी, आपका बड़ा बेटा क्या करता है?’ और मैं क्या कहूँ? ‘जी, लोगों की छाती और कुल्हे फुलाता है!’”
सुधीर और विवेक दोनों जोर-जोर से हंसने लगे। आदित्य का चेहरा गुस्से से लाल हो गया।
“उसे ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन कहते हैं, और ये सब नॉर्मल है!” उसने तीखे लहजे में कहा।
सुधीर ने फिर जवाब दिया, “हाँ, हाँ, नॉर्मल! लोग नाक-नक्शा ठीक करवाते हैं, तू तो बस…” वह रुक गया, लेकिन उसकी हंसी नहीं रुकी।
शालिनी ने बीच में टोकते हुए कहा, “बस, बहुत हुआ! रोज-रोज ये बंद करो। सुधीर, प्लीज। उसने जो करना है, उसने डिसाइड कर लिया। अगर उसे सपोर्ट नहीं कर सकते, तो कम से कम उसका मजाक तो मत उड़ाओ।”
माहौल में तनाव छा गया। आदित्य गुस्से में अपनी प्लेट छोड़कर उठा और बिना कुछ कहे अपनी क्लिनिक के लिए निकल गया। विवेक ने जल्दी-जल्दी नाश्ता खत्म किया और कॉलेज के लिए निकल पड़ा। सुधीर भी डाइनिंग टेबल से उठा और अपने ऑफिस के लिए तैयार होने लगा।
सुधीर जैसे ही जाने लगा, शालिनी ने उसे पीछे से गले लगाया। “चलो ना, सुधीर, थोड़ी देर रोमांस करते हैं। कितने दिन हो गए।”
सुधीर ने हल्का-सा झटका देकर खुद को छुड़ाया। “शालिनी, क्या कर रही हो? छोड़ो, मैं लेट हो रहा हूँ।”
“तुम्हारा तो रोज का यही नाटक रहता है,” शालिनी ने निराशा भरे लहजे में कहा।
“तुम्हारा मन नहीं करता क्या? थोड़ा-बहुत रोमांटिक हो सकते हो।”
“अब बस करो,” सुधीर ने झुंझलाते हुए कहा। “हम बूढ़े हो गए हैं। बच्चों की शादी की उम्र हो गई है, और तुम हो कि ये सब…”
“तुम्हें तो बस बहाना चाहिए,” शालिनी ने तंज कसा। “मिस्टर गुप्ता और मिसेज गुप्ता तो हमसे भी बड़े हैं, लेकिन देखो, मिस्टर गुप्ता अभी भी उनके पीछे लट्टू हैं।”
“तुम्हें ये सब कौन बता रहा है?” सुधीर ने हैरानी से पूछा।
“खुद मिसेज गुप्ता,” शालिनी ने जवाब दिया।
“उनको तो ज्यादा जवानी चढ़ी है,” सुधीर ने हंसते हुए कहा। “मैंने आज तक उन्हें साड़ी में नहीं देखा। हमेशा जिम सूट या टॉप में ही दिखती हैं।”
“तो तुम उन्हें ताड़ते हो, और मैं बूढ़ी हो गई?” शालिनी ने गुस्से में कहा।
“ऐसी बात नहीं है,” सुधीर ने बात टालते हुए कहा। “अच्छा, मैं लेट हो रहा हूँ। चलता हूँ।” और वह जल्दी से निकल गया।
शालिनी अकेली रह गई। उसका दिमाग खराब हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि सुधीर उससे इतना दूर क्यों भागता रहता है। वह सोचने लगी कि मिसेज गुप्ता आखिर ऐसा क्या करती हैं कि मिस्टर गुप्ता आज भी उनके दीवाने हैं। वह अपनी उम्र और मिसेज गुप्ता की तुलना करने लगी। दोनों लगभग एक ही उम्र की थीं, दोनों एक साथ जिम जाती थीं, फिर भी मिसेज गुप्ता का फिगर और जवानी उससे कहीं बेहतर क्यों थी?
शालिनी ने फोन उठाया और मिसेज गुप्ता को चाय के लिए घर बुलाया।
कुछ देर बाद डोरबेल बजी। शालिनी ने दरवाजा खोला। सामने मिसेज गुप्ता (48 साल) खड़ी थीं,
एक स्टाइलिश ब्लैक टॉप और लेगिंग्स में। उनके बाल खुले थे, चेहरा चमक रहा था, और शरीर इतना फिट था कि वह 30 की लग रही थीं।
“हाय, शालिनी!” मिसेज गुप्ता ने मुस्कुराते हुए कहा और अंदर आ गईं। दोनों लिविंग रूम में सोफे पर बैठ गईं। शालिनी ने चाय और कुछ नमकीन लगाए।
“क्या बात है, शालिनी? आज अचानक चाय के लिए बुलाया?” मिसेज गुप्ता ने हंसते हुए पूछा।
“बस, यूं ही। सोचा, थोड़ी गपशप हो जाए,” शालिनी ने मुस्कुराकर जवाब दिया।
“वैसे, आप आजकल बहुत व्यस्त रहती हो। जिम, योगा, और मिस्टर गुप्ता को भी तो संभालना पड़ता है।”
मिसेज गुप्ता हंस पड़ीं। “अरे, व्यस्त तो तुम भी रहती हो। दो-दो बेटों की माँ, और शर्मा जी को भी तो देखना पड़ता है।”
“हाँ, लेकिन आप तो कमाल करती हो,” शालिनी ने तारीफ की।
“मैं तो कभी-कभी आपसे जलन महसूस करती हूँ। मिस्टर गुप्ता आज तक आपके दीवाने हैं, और मेरे हसबैंड? वो तो मुझसे दूर भागते हैं।”
मिसेज गुप्ता ने ठहाका लगाया। “दीवाने रहते नहीं, शालिनी। बनाना पड़ता है।”
“लेकिन कैसे?” शालिनी ने उत्सुकता से पूछा।
“मैं भी तो आपकी तरह रहती हूँ। हम दोनों साथ जिम जाते हैं, डाइट का ध्यान रखती हूँ। फिर भी आपका फिगर मुझसे कहीं बेहतर है। आप मुझसे ज्यादा जवान भी दिखती हो। ये सब कैसे?”
मिसेज गुप्ता ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, “ये सब जिम की वजह से नहीं, शालिनी। कुछ और है।”
“क्या, मिसेज गुप्ता? मुझे भी तो बताइए,” शालिनी ने उत्साह से कहा।
“सर्जरी,” मिसेज गुप्ता ने धीरे से कहा। “सर्जरी की वजह से। और जवान दिखने के लिए मैं बॉटॉक्स यूज करती हूँ।”
शालिनी की आँखें चमक उठीं। “सच में? लेकिन आप तो बिल्कुल नेचुरल लगती हो।”
“है ना?” मिसेज गुप्ता ने हंसते हुए कहा। “यही तो कमाल है।”
“लेकिन सर्जरी को कोई भी नोटिस कर सकता है,” शालिनी ने हैरानी से कहा। “आप ऐसा कैसे करती हैं? मुझे भी बताइए, आपका राज क्या है?”
मिसेज गुप्ता ने शालिनी की ओर झुककर धीरे से कहा, “मेरा राज तुम्हारे ही घर में बैठा है, शालिनी।”
शालिनी का चेहरा हैरानी से भर गया। “मेरे घर में? मैं समझी नहीं, मिसेज गुप्ता।”
“मेरी सर्जरी किसी और ने नहीं, तुम्हारे बेटे आदित्य ने की है,” मिसेज गुप्ता ने खुलासा किया।
शालिनी की आँखें चौड़ी हो गईं। “सच?”
“हाँ, शालिनी,” मिसेज गुप्ता ने कहा। “तुम्हारा बेटा इस मामले में एक्सपर्ट है। लेकिन प्लीज, किसी को मत बताना कि मैंने सर्जरी कराई है।”
“टेंशन मत लीजिए, मिसेज गुप्ता। मैं किसी को नहीं बताऊँगी,” शालिनी ने वादा किया। “लेकिन बताइए तो, कौन-कौन सी सर्जरी कराई है?”
मिसेज गुप्ता ने गहरी सांस ली और गिनाने लगीं, “ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन, हिप्स सर्जरी, लिप फिलर्स, टमी टक, और फेसलिफ्ट। इसके अलावा, हर छह महीने में बॉटॉक्स और स्किन रिजुवेनेशन ट्रीटमेंट।”
शालिनी ने हैरानी से पूछा, “तो इन सब से मिस्टर गुप्ता आपके दीवाने हो गए?”
मिसेज गुप्ता ने ठहाका लगाया। “हाँ! खासकर ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन के बाद तो वो दिन-रात मेरी छाती से मुँह लगाए रहते हैं। इतना तो मेरे बच्चों ने भी नहीं चूसा, जितना अब वो चूसते हैं!”
दोनों जोर-जोर से हंसने लगीं। शालिनी का चेहरा शर्म और उत्साह से लाल हो गया। “सच में, मिसेज गुप्ता? इतना फर्क पड़ता है?”
“बिल्कुल,” मिसेज गुप्ता ने आत्मविश्वास से कहा।
“जब तुम अपने शरीर को फिर से जवां बना लेती हो, तो मर्दों का ध्यान अपने आप खिंच जाता है। और आदित्य का काम इतना परफेक्ट है कि कोई नहीं बता सकता कि सर्जरी हुई है।”
शालिनी सोच में पड़ गई। “लेकिन… क्या ये सब सुरक्षित है? और इतना खर्चा?”
“सुरक्षित तो है, अगर सही डॉक्टर करे। और आदित्य इस फील्ड में बेस्ट है,” मिसेज गुप्ता ने कहा।
“खर्चे की बात मत करो। जवानी की कीमत क्या होती है, ये तो तुम्हें बाद में पता चलता है। मेरे लिए तो ये हर पैसे को वसूल कर रहा है।”
शालिनी ने चाय का कप नीचे रखा और गहरी सांस ली। “मुझे तो कभी नहीं लगा कि आदित्य इतना टैलेंटेड है। सुधीर तो हमेशा उसका मजाक उड़ाते हैं।”
“शर्मा जी पुराने खयालों के हैं,” मिसेज गुप्ता ने कहा।
"और हाँ, मेरी सर्जरी की बात…”
“बिल्कुल, मेरा मुँह बंद है,” शालिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
मिसेज गुप्ता ने अलविदा कहा और चली गईं। शालिनी अकेली सोफे पर बैठी रही, उसके दिमाग में एक तूफान सा उठ रहा था।
वह सोचने लगी कि क्या वो भी ये करा सकती हैं? क्या वह सचमुच अपनी जिंदगी बदल सकती है?
है? और सबसे बड़ा सवाल—क्या सुधीर फिर से उसके लिए दीवाना हो सकता है?
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