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Incest मेरी रंडी बहन उसकी ननद और बीबी की चुदाई

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स्टोरी कैसी लग रही हे

  • शानदार

    Votes: 10 90.9%
  • बकवास

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juhi gupta

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मै शादीशुदा हूँ, उम्र 34 साल हे , पत्नी जूही 32 भी भरपूर सुख देती है। मेरी एक छोटी बहन नेहा हे हे जो मुझसे आयु में 4 साल छोटी हे शादी भी हो चुकी हे उसके परिवार में पति नितिन के आलावा छोटी ननद अदिति हे जो 12वी क्लास में पढ़ती हे
मेरी और नेहा की शादी से पहले हम दोनों भाई बहन में अच्छी बनती थी हम दोनों में मजाक भी , भी खूब होता था ,बड़े भाई होने के बाद भी नेहा की जवानी को ताड़ता रहता था नेहा बेहद खूबसूरत और आकर्षक फिगर की मालकिन थी ,वो हमेशा ही पतली दुबली रही, उसकी चुँचियाँ भी छोटी छोटी थीं, लेकिन एक बार जब उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उसकी गाँड़ पर गजब का उभार आ गया, उसकी टाँगें लम्बी और सुडौल हो गयीं
में अक्सर उसके बूब्स और चूतड़ों को ताड़ता रहता था ,उसकी पेंटी को देख देख मूठ भी मारता , रहता था। कभी खुशी से जब वो मेरे गले लगती और उसके बूब्स मेरे सीने से टकराते तो मेरा लोडा तन जाता
इंसान की फितरत होती है कि उसे जितना भी मिलता है थोड़ा ही लगता है और सेक्स के मामले में तो मर्दों की भूख कभी भी शांत नहीं होती है।

मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ, अच्छी ख़ासी सुंदर बीवी के होते हुये भी मैंने इधर उधर बहुत मुँह मारने की कोशिश की लेकिन मुझे कभी सफलता नहीं मिली ।

वैसे तो मैं अपने रिश्तेदारों के घर बहुत ही कम जाता हूँ, क्योंकि वहाँ जाकर मुझे अपनी ही रिश्तेदारी में नई नई चूतें, अलग साइज़ की गाँड और बोबे दिखते हैं तो मेरा लंड मचलने लगता है।

मगर पिछले दिनों मेरी बहन नेहा घर आयी तो उसके साथ उसकी ननद अदिति भी थी ,नितिन 10 -12 दिन के लिए बाहर गये हुए थे तो नेहा अपनी ननद को लेकर हमारे घर चली आयी

कोई 18 साल की पतली दुबली सी लड़की, साधारण सा चेहरा मोहरा, कद मुश्किल से 5 फीट 1 या 2 इंच। उसने काले रंग की टाईट टी शर्ट और नीचे से जीन्स की मिनी स्कर्ट पहन रखी थी।
और मिडल क्लास फ़ैमिली की लड़की अब मिनी स्कर्ट में अपनी टाँगें तो दिखा नहीं सकती तो टाँगों को ढकने के लिए उसने स्कर्ट के नीचे से एक काली स्लेक्स पहन रखी थी।

अब अपनी तरफ से तो उसने सब ढक कर अपना मिनी स्कर्ट पहनने का शौक पूरा किया था, मगर मेरे जैसे बंदे ने तो इसी में बहुत कुछ देख लिया।
स्किन टाईट स्लेक्स होने के कारण मुझे पता चल गया कि उसकी टाँगें और जांघें कितनी मोटी हैं।
टाईट टी शर्ट ने बता दिया के उसका पेट कितना सपाट है और बूब्स का साइज़ क्या है।

और जब मुझे नमस्ते कह कर वो वापिस गई, तो उसकी मस्तानी चाल ने उसके चूतड़ों का साइज़ और मटक दिखा दी। जब वो जा रही थी तो मैंयही सोच रहा था कि अगर इसके स्कर्ट के नीचे ये काली स्लेक्स न पहनी होती तो इसकी नंगी टाँगें कितनी खूबसूरत लगती, और अगर स्कर्ट ही न पहनी होती काली स्लेक्स में से इसके छोटे छोटे चूतड़, हिलते हुये मटकते हुये कितने प्यारे लगते।

खैर मैंने उसे देखा भी बहुत अरसे बाद था, शायद 5-6 साल बाद। इस दौरान वो ज़्यादा लंबी या तगड़ी तो नहीं हुई, मगर उसके कूल्हों और बूब्स का साइज़ ज़रूर बढ़ गया था। मगर लगती अब भी वो छोटी सी ही थी, क्योंकि दुबला जिस्म और छोटा कद उसको छोटा ही दिखा रहा था।

मैं भी सोच रहा था, कॉलेज में पढ़ती है, बॉय फ्रेंड होगा इसका या नहीं? अगर होगा तो इसने कुछ किया होगा या नहीं? चुदी हुई तो नहीं लगती है, पहली बार लगा अगर मुझसे चुद जाए तो मज़ा आ जाए ज़िंदगी का।
मगर यह तो संभव नहीं था, वो अपनी उम्र का लड़का छोड़ कर मुझ जैसे से क्यों चुदने आएगी भला।

मगर इन दिनों मैंने उसके जो कपड़े पहने देखे, कभी जीन्स-टी शर्ट, कभी कोई कैप्री या बरमूडा, जिसमें से मैंने उसकी घुटने से नीचे की नंगी टाँगें देखी, टाँगें भी पूरी तरह से वेक्स की हुई थी।
इसी से मैंने अंदाज़ा लगाया कि अगर इसने टाँगें वेक्स करी हैं तो बगल और चूत के बाल भी ज़रूर साफ किए होंगे।
बल्कि एक दिन वो बड़ी ढीली स्लीवलेस टी शर्ट पहन कर अपने कपड़े प्रैस कर रही थी, तो मैंने चोरी से देखा, के उसकी बगलों में एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल चिकनी बाहें और साफ बगलें।
यही नहीं, टी शर्ट के गले के अंदर से मैंने पहली बार उसके आज़ाद झूलते बूब्स भी देखे, बूब्स बढ़िया थे कुतिया के…एक दिन वो सोफ़े पर सो रही थी, उसकी चादर नीचे गिरी हुई थी,
उसकी फ़्रॉक ऊपर चढ़ गयी थी, उसकी जवान जाँघें पूरी नंगी हो रही थी, और पैंटी उसके गोल गोल चूतरों को छुपाने में असफल थी।
में एकटक उसे देखता रहा, फिर उसकी आँखें उसके गोल अर्ध विकसित छातियों पर पड़ी,
जो फ़्रॉक में फँसी हुए थे, और छोटी सी घुंडियों को भी देख रहा था।
मेरा लंड लोअर मेंतन गया ।

मैंने सोचा कि अगर मैं उसे चोद नहीं सकता तो नंगी तो देखना ही देखना है।

इसी विचार के चलते मैंने अपने घर के दोनों बाथरूम के दरवाजों में जो कुंडियाँ लगी थी, उनमें इस हिसाब से सुराख कर दिये कि देखने को लगे के ये पेंच कसने के लिए सुराख किया होगा, बस पेच लगाना रह गया।



मेने कोशिश की अदिति जब भी बाथरूम जाये तो में उसे नंगा नहाते देखु परन्तु 2 दिन सफलता नहीं मिली एक दिन जब में मॉर्निंग वाक करके आया तो रूम के बाथरूम से किसी के नहाते हुए गुनगुनाने की आवाज आयी ,में बाहर आया तो मेने जूही और नेहा को बात करते देखा में समझ में समझ गया अंदर अदिति हे मेने रूम को बंद किया और मैं चुपके से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और मैंने सुराख से अपनी आँख लगा कर अंदर देखा।

शायद अदिति सुराख से दूर थी, नहीं दिखी।
मैं थोड़ी देर और आहट लेकर देखता रहा।
करीब 2 मिनट बाद अदिति सामने आई, मगर उसकी पीठ मेरी तरफ थी, गोरी पीठ पानी से भीगी हुई। पीठ के नीचे दो गोल एकदम गोल चूतड़।

सच में कुँवारे बदन के नज़ारे ने तो मेरे तन बदन में आग लगा दी, मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मन ही मन बुदबुदाया- अदिति मेरी जान, पीठ नहीं, पीठ नहीं, मुझे तेरे बोबे और तेरी चूत देखनी है, इधर को घूम मेरी जान, और अपने कुँवारे बदन का जलवा दिखा।
मगर वो तब नहीं घूमी।

जब उसने अपनी टाँगों पर तौलिया फेरा तब उसने मेरी तरफ घूम कर अपनी एक टांग बाल्टी पे रखी और अपनी टाँगों का पानी सुखाया।

‘उफ़्फ़…’ क्या गजब का नज़ारा था।
जितने उसके कपड़ों के ऊपर से दिखते थे, उसके बोबे तो उससे भी बड़े थे, गोल और खड़े, छोटे छोटे भूरे रंग के निप्पल।
नीचे सपाट पतला से पेट, कटावदार कमर, और कमर के नीचे बिल्कुल साफ, हल्के से बालों वाली छोटी सी चूत, जिसे मैं सारी उम्र चाट सकता था।
छोटी सी चूत की छोटी सी दरार, मगर बहुत ही चिकनी मगर दो मांसल जांघें।

सच उसकी जांघों को मैंने चाट चाट कर अपने थूक से भिगो देता।

और वो थी भी कितनी दूर मुझसे सिर्फ 6 से 7 फीट, मगर बीच में एक बंद दरवाजा, जो शायद मेरे लिए तो कभी नहीं खुले।
इतना सुंदर, कोमल और नाज़ुक जिस्म मैंने आज तक नहीं देखा था।
निकर के अंदर ही मैं अपने लंड को सहलाने लगा।

अपने बदन को पोंछने के बाद उसने ब्रा पहनी गोल, कोमल, नाज़ुक स्तनों को उसने सफ़ेद रंग की ब्रा में छुपा दिया, फिर नीचे एक नीले रंग की कच्छी पहनी, उसके बाद एक ढीली सी टी शर्ट और लोअर पहना।
उसके बाहर आने से पहले ही मैं, उठा और आ कर अपने कमरे में बैठ कर लैपटाप पे कुछ काम करने लगा।

थोड़ी देर में अदिति बाहर निकली उसने मुझे देखा तो चौंक गयी
हैरत से मुझे देखते हुए वो चली गई।
मैं उसे जाते देखता रहा, मगर मुझे तो वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा और नीली कच्छी में अपने चूतड़ मटकती चली जाती दिख रही थी।

तभी दिमाग में कुछ आया और मैं झट से बाथरूम में घुस गया।
मैंने देखा कि बाथरूम में अदिति के कपड़े टंगे हुये थे।, मैंने दरवाजा अच्छी तरह से बंद किया और उसके कपड़े अपने हाथों में लिए, उसकी ब्रा के कप मैंने अंदर से चाट गया ‘उफ़्फ़…’ इस जगह पर अदिति के नाज़ुक नाज़ुक बूब्स लगते होंगे, यहाँ पे उसके छोटे छोटे निपल घिसते होंगे।

फिर पेंटी उठाई, उसको सूंघा, उसमें से शायद पेशाब की हल्की सी बू आई ‘आह, यह अदिति की कुँवारी चूत से लगती होगी, यह जब वो पेशाब करके उठती होगी तो उसकी चूत में से टपकने वाली आखरी बूंदें इस चड्डी में लगती होंगी!’
और मैं उसकी उसकी चड्डी को भी सूंघते सूंघते चाट गया।

जहाँ पर उसकी छोटी छोटी चूतड़ियाँ लगती होंगी उस जगह से भी चड्डी चाटी।
मगर फिर भी मेरा मन नहीं भरा तो मैंने अपना लोअर नीचे किया और अपना लंड निकाल कर उसकी चड्डी और ब्रा पे घिसाया और यह फीलिंग लेने की कोशिश की कि मैं अदिति के बूब्स पे और चूत पे अपना लंड घिसा रहा रहा हूँ।

मगर मेरे पास वक़्त ज़्यादा नहीं था।जूही कभी भी आ सकती थी
उसके बाद मैं बाहर नाश्ता करने आ गया

अगले दिन सुबह अदिति जूही और नेहा के साथ बाज़ार चली गई, उन्हें मंदिर भी जाना था, मैं घर पर ही था।
उनके जाते ही मैं बाथरूम में गया, मगर बाथरूम में अदिति का कोई कपड़ा नहीं था। मैंने अदिति का बैग देखा, उसने अपने सब कपड़े उस में ही रखे थे।

मैंने बड़ी एहतियात से उसके कपड़ों की जांच की, साइड की एक जेब में मैंने उसके ब्रा पेंटी देखे, 3 ब्रा, दो सफ़ेद, एक पिंक।
पिंक ब्रा के स्ट्रप भी प्लास्टिक के थे।

मैंने उसके ब्रा और पेंटी निकाल के बेड पे रखे और खुद भी नंगा हो कर बेड पे लेट गया। कभी मैं अदिति की ब्रा को चूमता, कभी उसकी पेंटी को, कभी उसके ब्रा पेंटी को अपने लंड और आँड पे घिसता!

जब इस सब से भी मन नहीं भरा तो तो आखिर में ऐसे ही अदिति के ब्रा पेंटी को चूमते चाटते मैंने अपने हाथ से मुट्ठ मारी और अपने वीर्य की कुछ बूंदें मैंने अदिति की ब्रा पेंटी में लगा दी, ताकि जब वो ये ब्रा पेंटी पहने तो मेरा वीर्य उसकी चूत और बोबों पर लग जाए।
मगर अब मेरा मन इस सब से नहीं भर रहा था, मैं तो और चाहता था तो मैंने एक स्कीम बनाई और बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। हम सब एक अपने शहर के पास बड़े मंदिर को देखने गए, जहाँ बहुत चलना पड़ता था। चला चला के मैंने सब को थका दिया। शाम को जब घर वापिस आए तो सबकी हालत खस्ता थी।

खाना भी मैं बाहर से लाया, खाना खा कर हम सोने चले गए और सोने से पहले मैंने सब को एक एक गिलास गरम दूध पिलाया।
दूध में मैंने कुछ अपनी तरफ से मिला दिया था, एक तो थकावट और दूसरा मेरा बनाया मसालेदार दूध, पीने के थोड़ी देर बाद ही सब लुढ़क गए।

मगर मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा, करीब 12 बजे तक मैं टीवी देखता रहा, 12 बजे उठ कर मैं नेहा के बेडरूम में गया, जहाँ मेरी बहन और अदिति दोनों बेड पे सो रही थी।
नाईट लैम्प जल रहा था, मैं जाकर अदिति के पास बैठ गया, वो सीधी लेटी हुई थी, मैंने सबसे पहले उसे जी भर कर देखा, कितनी मासूम, कितनी प्यारी।


फिर मैंने उसके सिर पे हाथ फेरा और अपना हाथ उसके गाल तक लाया।
बहुत ही कोमल गाल था।

गाल से मैं अपना हाथ फिरता हुआ नीचे ले गया। गले से होते हुए, उसके बोबों तक पहुँचा, अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बोबे पकड़े और धीरे से दबा के देखे, वो वैसे ही सोती रही।
मैं दबाव बढ़ता गया।
जब मैंने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसके बोबे दबा दिये, या यूं कहो के निचोड़ ही डाले तब जाकर वो हिली।
मतलब वो बिल्कुल बेसुध पड़ी थी।

इसी तरह मैंने अपनी बहन के भी बोबे दबा कर उसे चेक किया, वो भी गहरे गोते लगा रही थी नींद में।

मैं उठ कर गया और दरवाजा अंदर से लॉक करके आया, फिर मैंने बड़ी लाईट जलाई, सारा कमरा रोशनी से भर गया।अब सबसे पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी बहन और अदिति के बीच जाकर लेट गया और अदिति की तरफ मुँह कर के लेटा। बिल्कुल अदिति के साथ सट कर, अपना लंड मैंने अदिति की कमर के साईड से लगा दिया। फिर सबसे पहले उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को चूमा।

‘जानती हो अदिति, जब भी मैं तुम्हें देखता हूँ, मेरे मन में बहुत ख्याल आता है, तुमसे प्यार करने का, तुम्हें चूमने का, तुम्हें चाटने का, सच कहूँ, तो तुमसे सेक्स करने का। तुम्हारा यह 18 साल का बदन मेरे तन मन में आग लगा देता है। मेरी जाने मन आज एक मौका मुझे मिला है, जिसमे मैंने तुम्हें प्यार तो कर सकता हूँ, पर चोद नहीं सकता।’
‘और आज मैं तुम्हारे इस सेक्सी बदन की हर गोलाई, हर गहराई और हर एक कटाव को देखूंगा और प्यार करूंगा, और तुमसे यह उम्मीद करता हूँ कि तुम इसी तरह शांत लेटी रह कर मेरा साथ दोगी, लव यू माई स्वीटहार्ट!’कह कर मैंने अदिति के होंठों को चूमा।

मगर उसके होंठ चूमना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा तो मैंने उसके ऊपर ही आ गया और थोड़ा थोड़ा करके अपना वज़न उस पर डाल दिया। जब मैं उसके ऊपर लेट गया तो लगा जैसे उसे थोड़ी दिक्कत हो रही है, सांस लेने में, मैं समझ गया कि मेरा वज़न ज़्यादा है, तो मैंने सिर्फ उसके ऊपर अपने बदन को रखा, मग अपना सारा वज़न मैंने अपनी घुटनों और कोहनियों पे ले लिया।

उसके नर्म नर्म बोबे मेरे सीने से लग रहे थे और मेरा तना हुआ कडक लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मैंने अदिति का मुँह सीधा किया और उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए, धीरे से उनको चूसा और अपनी जीभ से चाटा।
‘वाह, क्या मज़ा है, एक कुँवारी लड़की के साथ चुपके चुपके चूमा चाटी करने में!’ मैंने मन में सोचा।
अपनी जीभ मैंने उसके बंद होंठों में घुमाई और उसके मुँह के अंदर डालने की कोशिश की मगर उसका मुँह बंद था, मैं सिर्फ उसके दाँत और जबड़े ही चाट गया।

थोड़ी देर उसके मुँह, गाल, नाक, गले और और सारे चेहरे को मैंने बड़े प्यार से चूमा।
मैं उसे चूम चाट कर प्यार कर रहा था, उसकी हर एक अदा और बात को याद करके मैं उसे प्यार कर रहा था।

जब चेहरे से प्यार कर लिया तो मैंने उसके बोबों की तरफ मुँह किया, मैं थोड़ा नीचे को खिसका, मैंने देखा मेरा लंड पूरी अकड़ में था। मैंने उठ कर पहले अदिति की कमीज़ को ऊपर को उठाया। बेशक कमीज़ थोड़ी टाईट थी, मगर मैंने ऊपर उठा ही दी और गले तक उठा दी। नीचे उसने पिंक ब्रा पहना था, वही ब्रा जिसमें मैंने सुबह अपने वीर्य की कुछ बूंदें गिराई थी।
मैंने पहले उसकी ब्रा को ही हर तरफ से चूमा, चाटा, अपने हल्के हाथों से दबा कर देखा। वाह, कितने सॉफ्ट बोबे थे, बेहद मुलायम जैसे मखमल के बने हो।फिर मैंने मोबाइल में वीडियो कैमरा चालू करके एक जगह रख दिया ताकि साफ वीडियो बने।उसके बाद
दोनों बोबों को इकट्ठा करके मैंने अदिति का क्लीवेज बनाया और उसमें अपनी जीभ डाल के चाटा।
चाट चाट के मैंने उसके क्लीवेज को अपने थूक से गीला कर दिया।

फिर मैंने नीचे हाथ डाल के उसके ब्रा का हुक खोला, हुक खोल कर उसके ब्रा को हटाया।
‘अरे… वाह…’ कितने शानदार बोबे थे उसके, ज़्यादा बड़े तो नहीं थे मगर थे बिल्कुल गोल, कटोरों जैसे।
और निप्पल हल्के भूरे से गुलाबी से, मैंने उसकी छोटी छोटी डोडियाँ अपने मुँह में लेकर चूसी।बेहद हल्का नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में आया।
पता नहीं उसके बदन का नमक था या फिर मेरे ही वीर्य का… पर बड़ा मज़ेदार लगा।

उसके पूरे बूब्स को मैंने बड़ी अच्छी तरह से चाटा, जैसे एक भी सेंटीमीटर मेरी जीभ के चाटने से बच न जाए।

बोबे चाटने के बाद मैं नीचे पेट आ गया, पेट को चाटा, कमर के आस पास भी अपनी जीभ फिराई, तो अदिति कसमसाई, मतलब सोते हुये भी उसे गुदगुदी का एहसास हुआ था।
मैंने और देर न करते हुये, उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

नाड़ा खोल के मैंने उसकी सारी की सारी सलवार ही उतार दी और साइड ने रख दी। उसने पेंटी नहीं पहनी थी, तो सलवार के उतरते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई, छोटी सी चूत मेरे सामने थी, गोल चिकनी जांघों के बीच में रखी, मैंने उसके घुटनों से लेकर उसकी जांघों तक अपने हाथों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर उसकी चूत को चूमा।

उसकी चूत पे हल्के बाल थे, जैसे पिछले हफ्ते ही शेव की हो, और इतने छोटे बालों से मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी।
मैंने उसके घुटने मोड़े और उसकी टाँगें कमर से ऊपर को मोड़ दी और उसके पाँव मैंने अपने कंधों पे रख लिए।
मेरे लंड का टोपा उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मेरा दिल दिया अभी अपना लंड उसकी चूत में डाल दूँ। मगर यह मौका सही नहीं था, मैंने सिर्फ अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के होंठों पे घिसाया।
घिसाते घिसाते लंड का टोपा उसकी चूत के सुराख पे लगा, मैंने कहा- जानती हो अदिति, यह जो सुराख है न, इस सुराख में एक दिन तुम्हें मेरा यह लंड लेना है। आज सिर्फ अपनी चूत से मेरे इस लंड को चूम लो ताकि जब यह तुम्हारी चूत में घुसे तो तुम्हें दर्द न हो।

मेरा बहुत दिल कर रहा था लंड को उसकी चूत में डालने का मगर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था।
फिर मैंने कुछ और सोचा और नीचे झुक कर अपना मुँह अदिति की चूत से लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर और होंठों के अंदर से चाटी।
क्या मज़ेदार स्वाद था उसकी चूत का… और कितनी प्यारी सी गंध आ रही थी।

मैंने कितनी देर उसकी चूत चाटी, उसके बाद अपनी जीभ से उसकी गाँड और गाँड का छेद भी चाट कर देखा।
मेरी प्यास बढ़ती जा रही थी, मुझे अब किसी को चोदना था, मगर किस को चोदता।
मैंने अपना लंड अदिति के पूरे बदन पे फिराया, उसके पाँव की उँगलियों से लेकर उसके माथे तक मैंने उसके बदन का हर एक कोना चाट लिया, मगर मेरे मन की प्यास नहीं बुझ रही थी।

मैंने एक बार फिर से अपना लंड अदिति की चूत पे रखा और थोड़ा सा अंदर को धकेला, मगर वो अंदर नहीं जा रहा था।
‘हे भगवान, अब मैं क्या करूँ?’ मैंने सोचा।

मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। जब और कुछ नहीं सूझा तो मैंने अदिति की दोनों टाँगे जोड़ीं और ठीक उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रखा और ढेर सारा थूक लगा कर उसकी जांघों को ही धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। जांघों में लंड की पकड़ ठीक से बन और चूतका सा ही आभास होने लगा।

मैं बार थूक लगाता रहा और उसकी जांघों में ही चुदाई करता रहा। करीब 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गया, मेरा सारा वीर्य अदिति के पेट और कमर पर फैल गया।

पानी छुट गया तो मुझे भी तसल्ली हो गई।
फिर मैंने अपने ही कच्छे के साथ साथ अदिति का पेट और कमर वगैरह साफ की। उसके बाद उसे सलवार पहनाई, उसकी ब्रा का हुक लगाया, शर्ट नीचे के और उसे पहले की तरह ठीक ठाक किया।
उसके बाद अपने कमरे में जा कर लेट गया, थोड़ी देर में नींद आ गई, मैं सो गया।
 

Delta101

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मै शादीशुदा हूँ, उम्र 34 साल हे , पत्नी जूही 32 भी भरपूर सुख देती है। मेरी एक छोटी बहन नेहा हे हे जो मुझसे आयु में 4 साल छोटी हे शादी भी हो चुकी हे उसके परिवार में पति नितिन के आलावा छोटी ननद अदिति हे जो 12वी क्लास में पढ़ती हे
मेरी और नेहा की शादी से पहले हम दोनों भाई बहन में अच्छी बनती थी हम दोनों में मजाक भी , भी खूब होता था ,बड़े भाई होने के बाद भी नेहा की जवानी को ताड़ता रहता था नेहा बेहद खूबसूरत और आकर्षक फिगर की मालकिन थी ,वो हमेशा ही पतली दुबली रही, उसकी चुँचियाँ भी छोटी छोटी थीं, लेकिन एक बार जब उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उसकी गाँड़ पर गजब का उभार आ गया, उसकी टाँगें लम्बी और सुडौल हो गयीं
में अक्सर उसके बूब्स और चूतड़ों को ताड़ता रहता था ,उसकी पेंटी को देख देख मूठ भी मारता , रहता था। कभी खुशी से जब वो मेरे गले लगती और उसके बूब्स मेरे सीने से टकराते तो मेरा लोडा तन जाता

इंसान की फितरत होती है कि उसे जितना भी मिलता है थोड़ा ही लगता है और सेक्स के मामले में तो मर्दों की भूख कभी भी शांत नहीं होती है।

मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ, अच्छी ख़ासी सुंदर बीवी के होते हुये भी मैंने इधर उधर बहुत मुँह मारने की कोशिश की लेकिन मुझे कभी सफलता नहीं मिली ।

वैसे तो मैं अपने रिश्तेदारों के घर बहुत ही कम जाता हूँ, क्योंकि वहाँ जाकर मुझे अपनी ही रिश्तेदारी में नई नई चूतें, अलग साइज़ की गाँड और बोबे दिखते हैं तो मेरा लंड मचलने लगता है।

मगर पिछले दिनों मेरी बहन नेहा घर आयी तो उसके साथ उसकी ननद अदिति भी थी ,नितिन 10 -12 दिन के लिए बाहर गये हुए थे तो नेहा अपनी ननद को लेकर हमारे घर चली आयी

कोई 18 साल की पतली दुबली सी लड़की, साधारण सा चेहरा मोहरा, कद मुश्किल से 5 फीट 1 या 2 इंच। उसने काले रंग की टाईट टी शर्ट और नीचे से जीन्स की मिनी स्कर्ट पहन रखी थी।
और मिडल क्लास फ़ैमिली की लड़की अब मिनी स्कर्ट में अपनी टाँगें तो दिखा नहीं सकती तो टाँगों को ढकने के लिए उसने स्कर्ट के नीचे से एक काली स्लेक्स पहन रखी थी।

अब अपनी तरफ से तो उसने सब ढक कर अपना मिनी स्कर्ट पहनने का शौक पूरा किया था, मगर मेरे जैसे बंदे ने तो इसी में बहुत कुछ देख लिया।
स्किन टाईट स्लेक्स होने के कारण मुझे पता चल गया कि उसकी टाँगें और जांघें कितनी मोटी हैं।
टाईट टी शर्ट ने बता दिया के उसका पेट कितना सपाट है और बूब्स का साइज़ क्या है।

और जब मुझे नमस्ते कह कर वो वापिस गई, तो उसकी मस्तानी चाल ने उसके चूतड़ों का साइज़ और मटक दिखा दी। जब वो जा रही थी तो मैंयही सोच रहा था कि अगर इसके स्कर्ट के नीचे ये काली स्लेक्स न पहनी होती तो इसकी नंगी टाँगें कितनी खूबसूरत लगती, और अगर स्कर्ट ही न पहनी होती काली स्लेक्स में से इसके छोटे छोटे चूतड़, हिलते हुये मटकते हुये कितने प्यारे लगते।

खैर मैंने उसे देखा भी बहुत अरसे बाद था, शायद 5-6 साल बाद। इस दौरान वो ज़्यादा लंबी या तगड़ी तो नहीं हुई, मगर उसके कूल्हों और बूब्स का साइज़ ज़रूर बढ़ गया था। मगर लगती अब भी वो छोटी सी ही थी, क्योंकि दुबला जिस्म और छोटा कद उसको छोटा ही दिखा रहा था।

मैं भी सोच रहा था, कॉलेज में पढ़ती है, बॉय फ्रेंड होगा इसका या नहीं? अगर होगा तो इसने कुछ किया होगा या नहीं? चुदी हुई तो नहीं लगती है, पहली बार लगा अगर मुझसे चुद जाए तो मज़ा आ जाए ज़िंदगी का।
मगर यह तो संभव नहीं था, वो अपनी उम्र का लड़का छोड़ कर मुझ जैसे से क्यों चुदने आएगी भला।

मगर इन दिनों मैंने उसके जो कपड़े पहने देखे, कभी जीन्स-टी शर्ट, कभी कोई कैप्री या बरमूडा, जिसमें से मैंने उसकी घुटने से नीचे की नंगी टाँगें देखी, टाँगें भी पूरी तरह से वेक्स की हुई थी।
इसी से मैंने अंदाज़ा लगाया कि अगर इसने टाँगें वेक्स करी हैं तो बगल और चूत के बाल भी ज़रूर साफ किए होंगे।
बल्कि एक दिन वो बड़ी ढीली स्लीवलेस टी शर्ट पहन कर अपने कपड़े प्रैस कर रही थी, तो मैंने चोरी से देखा, के उसकी बगलों में एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल चिकनी बाहें और साफ बगलें।
यही नहीं, टी शर्ट के गले के अंदर से मैंने पहली बार उसके आज़ाद झूलते बूब्स भी देखे, बूब्स बढ़िया थे कुतिया के…एक दिन वो सोफ़े पर सो रही थी, उसकी चादर नीचे गिरी हुई थी,
उसकी फ़्रॉक ऊपर चढ़ गयी थी, उसकी जवान जाँघें पूरी नंगी हो रही थी, और पैंटी उसके गोल गोल चूतरों को छुपाने में असफल थी।
में एकटक उसे देखता रहा, फिर उसकी आँखें उसके गोल अर्ध विकसित छातियों पर पड़ी,
जो फ़्रॉक में फँसी हुए थे, और छोटी सी घुंडियों को भी देख रहा था।
मेरा लंड लोअर मेंतन गया ।


मैंने सोचा कि अगर मैं उसे चोद नहीं सकता तो नंगी तो देखना ही देखना है।

इसी विचार के चलते मैंने अपने घर के दोनों बाथरूम के दरवाजों में जो कुंडियाँ लगी थी, उनमें इस हिसाब से सुराख कर दिये कि देखने को लगे के ये पेंच कसने के लिए सुराख किया होगा, बस पेच लगाना रह गया।



मेने कोशिश की अदिति जब भी बाथरूम जाये तो में उसे नंगा नहाते देखु परन्तु 2 दिन सफलता नहीं मिली एक दिन जब में मॉर्निंग वाक करके आया तो रूम के बाथरूम से किसी के नहाते हुए गुनगुनाने की आवाज आयी ,में बाहर आया तो मेने जूही और नेहा को बात करते देखा में समझ में समझ गया अंदर अदिति हे मेने रूम को बंद किया और मैं चुपके से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और मैंने सुराख से अपनी आँख लगा कर अंदर देखा।

शायद अदिति सुराख से दूर थी, नहीं दिखी।
मैं थोड़ी देर और आहट लेकर देखता रहा।
करीब 2 मिनट बाद अदिति सामने आई, मगर उसकी पीठ मेरी तरफ थी, गोरी पीठ पानी से भीगी हुई। पीठ के नीचे दो गोल एकदम गोल चूतड़।

सच में कुँवारे बदन के नज़ारे ने तो मेरे तन बदन में आग लगा दी, मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मन ही मन बुदबुदाया- अदिति मेरी जान, पीठ नहीं, पीठ नहीं, मुझे तेरे बोबे और तेरी चूत देखनी है, इधर को घूम मेरी जान, और अपने कुँवारे बदन का जलवा दिखा।
मगर वो तब नहीं घूमी।

जब उसने अपनी टाँगों पर तौलिया फेरा तब उसने मेरी तरफ घूम कर अपनी एक टांग बाल्टी पे रखी और अपनी टाँगों का पानी सुखाया।

‘उफ़्फ़…’ क्या गजब का नज़ारा था।
जितने उसके कपड़ों के ऊपर से दिखते थे, उसके बोबे तो उससे भी बड़े थे, गोल और खड़े, छोटे छोटे भूरे रंग के निप्पल।
नीचे सपाट पतला से पेट, कटावदार कमर, और कमर के नीचे बिल्कुल साफ, हल्के से बालों वाली छोटी सी चूत, जिसे मैं सारी उम्र चाट सकता था।
छोटी सी चूत की छोटी सी दरार, मगर बहुत ही चिकनी मगर दो मांसल जांघें।

सच उसकी जांघों को मैंने चाट चाट कर अपने थूक से भिगो देता।

और वो थी भी कितनी दूर मुझसे सिर्फ 6 से 7 फीट, मगर बीच में एक बंद दरवाजा, जो शायद मेरे लिए तो कभी नहीं खुले।
इतना सुंदर, कोमल और नाज़ुक जिस्म मैंने आज तक नहीं देखा था।
निकर के अंदर ही मैं अपने लंड को सहलाने लगा।

अपने बदन को पोंछने के बाद उसने ब्रा पहनी गोल, कोमल, नाज़ुक स्तनों को उसने सफ़ेद रंग की ब्रा में छुपा दिया, फिर नीचे एक नीले रंग की कच्छी पहनी, उसके बाद एक ढीली सी टी शर्ट और लोअर पहना।
उसके बाहर आने से पहले ही मैं, उठा और आ कर अपने कमरे में बैठ कर लैपटाप पे कुछ काम करने लगा।

थोड़ी देर में अदिति बाहर निकली उसने मुझे देखा तो चौंक गयी
हैरत से मुझे देखते हुए वो चली गई।
मैं उसे जाते देखता रहा, मगर मुझे तो वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा और नीली कच्छी में अपने चूतड़ मटकती चली जाती दिख रही थी।

तभी दिमाग में कुछ आया और मैं झट से बाथरूम में घुस गया।
मैंने देखा कि बाथरूम में अदिति के कपड़े टंगे हुये थे।, मैंने दरवाजा अच्छी तरह से बंद किया और उसके कपड़े अपने हाथों में लिए, उसकी ब्रा के कप मैंने अंदर से चाट गया ‘उफ़्फ़…’ इस जगह पर अदिति के नाज़ुक नाज़ुक बूब्स लगते होंगे, यहाँ पे उसके छोटे छोटे निपल घिसते होंगे।

फिर पेंटी उठाई, उसको सूंघा, उसमें से शायद पेशाब की हल्की सी बू आई ‘आह, यह अदिति की कुँवारी चूत से लगती होगी, यह जब वो पेशाब करके उठती होगी तो उसकी चूत में से टपकने वाली आखरी बूंदें इस चड्डी में लगती होंगी!’
और मैं उसकी उसकी चड्डी को भी सूंघते सूंघते चाट गया।

जहाँ पर उसकी छोटी छोटी चूतड़ियाँ लगती होंगी उस जगह से भी चड्डी चाटी।
मगर फिर भी मेरा मन नहीं भरा तो मैंने अपना लोअर नीचे किया और अपना लंड निकाल कर उसकी चड्डी और ब्रा पे घिसाया और यह फीलिंग लेने की कोशिश की कि मैं अदिति के बूब्स पे और चूत पे अपना लंड घिसा रहा रहा हूँ।

मगर मेरे पास वक़्त ज़्यादा नहीं था।जूही कभी भी आ सकती थी
उसके बाद मैं बाहर नाश्ता करने आ गया

अगले दिन सुबह अदिति जूही और नेहा के साथ बाज़ार चली गई, उन्हें मंदिर भी जाना था, मैं घर पर ही था।
उनके जाते ही मैं बाथरूम में गया, मगर बाथरूम में अदिति का कोई कपड़ा नहीं था। मैंने अदिति का बैग देखा, उसने अपने सब कपड़े उस में ही रखे थे।

मैंने बड़ी एहतियात से उसके कपड़ों की जांच की, साइड की एक जेब में मैंने उसके ब्रा पेंटी देखे, 3 ब्रा, दो सफ़ेद, एक पिंक।
पिंक ब्रा के स्ट्रप भी प्लास्टिक के थे।

मैंने उसके ब्रा और पेंटी निकाल के बेड पे रखे और खुद भी नंगा हो कर बेड पे लेट गया। कभी मैं अदिति की ब्रा को चूमता, कभी उसकी पेंटी को, कभी उसके ब्रा पेंटी को अपने लंड और आँड पे घिसता!

जब इस सब से भी मन नहीं भरा तो तो आखिर में ऐसे ही अदिति के ब्रा पेंटी को चूमते चाटते मैंने अपने हाथ से मुट्ठ मारी और अपने वीर्य की कुछ बूंदें मैंने अदिति की ब्रा पेंटी में लगा दी, ताकि जब वो ये ब्रा पेंटी पहने तो मेरा वीर्य उसकी चूत और बोबों पर लग जाए।
मगर अब मेरा मन इस सब से नहीं भर रहा था, मैं तो और चाहता था तो मैंने एक स्कीम बनाई और बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। हम सब एक अपने शहर के पास बड़े मंदिर को देखने गए, जहाँ बहुत चलना पड़ता था। चला चला के मैंने सब को थका दिया। शाम को जब घर वापिस आए तो सबकी हालत खस्ता थी।

खाना भी मैं बाहर से लाया, खाना खा कर हम सोने चले गए और सोने से पहले मैंने सब को एक एक गिलास गरम दूध पिलाया।
दूध में मैंने कुछ अपनी तरफ से मिला दिया था, एक तो थकावट और दूसरा मेरा बनाया मसालेदार दूध, पीने के थोड़ी देर बाद ही सब लुढ़क गए।

मगर मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा, करीब 12 बजे तक मैं टीवी देखता रहा, 12 बजे उठ कर मैं नेहा के बेडरूम में गया, जहाँ मेरी बहन और अदिति दोनों बेड पे सो रही थी।
नाईट लैम्प जल रहा था, मैं जाकर अदिति के पास बैठ गया, वो सीधी लेटी हुई थी, मैंने सबसे पहले उसे जी भर कर देखा, कितनी मासूम, कितनी प्यारी।


फिर मैंने उसके सिर पे हाथ फेरा और अपना हाथ उसके गाल तक लाया।
बहुत ही कोमल गाल था।

गाल से मैं अपना हाथ फिरता हुआ नीचे ले गया। गले से होते हुए, उसके बोबों तक पहुँचा, अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बोबे पकड़े और धीरे से दबा के देखे, वो वैसे ही सोती रही।
मैं दबाव बढ़ता गया।
जब मैंने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसके बोबे दबा दिये, या यूं कहो के निचोड़ ही डाले तब जाकर वो हिली।
मतलब वो बिल्कुल बेसुध पड़ी थी।

इसी तरह मैंने अपनी बहन के भी बोबे दबा कर उसे चेक किया, वो भी गहरे गोते लगा रही थी नींद में।

मैं उठ कर गया और दरवाजा अंदर से लॉक करके आया, फिर मैंने बड़ी लाईट जलाई, सारा कमरा रोशनी से भर गया।अब सबसे पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी बहन और अदिति के बीच जाकर लेट गया और अदिति की तरफ मुँह कर के लेटा। बिल्कुल अदिति के साथ सट कर, अपना लंड मैंने अदिति की कमर के साईड से लगा दिया। फिर सबसे पहले उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को चूमा।

‘जानती हो अदिति, जब भी मैं तुम्हें देखता हूँ, मेरे मन में बहुत ख्याल आता है, तुमसे प्यार करने का, तुम्हें चूमने का, तुम्हें चाटने का, सच कहूँ, तो तुमसे सेक्स करने का। तुम्हारा यह 18 साल का बदन मेरे तन मन में आग लगा देता है। मेरी जाने मन आज एक मौका मुझे मिला है, जिसमे मैंने तुम्हें प्यार तो कर सकता हूँ, पर चोद नहीं सकता।’
‘और आज मैं तुम्हारे इस सेक्सी बदन की हर गोलाई, हर गहराई और हर एक कटाव को देखूंगा और प्यार करूंगा, और तुमसे यह उम्मीद करता हूँ कि तुम इसी तरह शांत लेटी रह कर मेरा साथ दोगी, लव यू माई स्वीटहार्ट!’कह कर मैंने अदिति के होंठों को चूमा।

मगर उसके होंठ चूमना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा तो मैंने उसके ऊपर ही आ गया और थोड़ा थोड़ा करके अपना वज़न उस पर डाल दिया। जब मैं उसके ऊपर लेट गया तो लगा जैसे उसे थोड़ी दिक्कत हो रही है, सांस लेने में, मैं समझ गया कि मेरा वज़न ज़्यादा है, तो मैंने सिर्फ उसके ऊपर अपने बदन को रखा, मग अपना सारा वज़न मैंने अपनी घुटनों और कोहनियों पे ले लिया।

उसके नर्म नर्म बोबे मेरे सीने से लग रहे थे और मेरा तना हुआ कडक लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मैंने अदिति का मुँह सीधा किया और उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए, धीरे से उनको चूसा और अपनी जीभ से चाटा।
‘वाह, क्या मज़ा है, एक कुँवारी लड़की के साथ चुपके चुपके चूमा चाटी करने में!’ मैंने मन में सोचा।
अपनी जीभ मैंने उसके बंद होंठों में घुमाई और उसके मुँह के अंदर डालने की कोशिश की मगर उसका मुँह बंद था, मैं सिर्फ उसके दाँत और जबड़े ही चाट गया।

थोड़ी देर उसके मुँह, गाल, नाक, गले और और सारे चेहरे को मैंने बड़े प्यार से चूमा।

मैं उसे चूम चाट कर प्यार कर रहा था, उसकी हर एक अदा और बात को याद करके मैं उसे प्यार कर रहा था।

जब चेहरे से प्यार कर लिया तो मैंने उसके बोबों की तरफ मुँह किया, मैं थोड़ा नीचे को खिसका, मैंने देखा मेरा लंड पूरी अकड़ में था। मैंने उठ कर पहले अदिति की कमीज़ को ऊपर को उठाया। बेशक कमीज़ थोड़ी टाईट थी, मगर मैंने ऊपर उठा ही दी और गले तक उठा दी। नीचे उसने पिंक ब्रा पहना था, वही ब्रा जिसमें मैंने सुबह अपने वीर्य की कुछ बूंदें गिराई थी।
मैंने पहले उसकी ब्रा को ही हर तरफ से चूमा, चाटा, अपने हल्के हाथों से दबा कर देखा। वाह, कितने सॉफ्ट बोबे थे, बेहद मुलायम जैसे मखमल के बने हो।फिर मैंने मोबाइल में वीडियो कैमरा चालू करके एक जगह रख दिया ताकि साफ वीडियो बने।उसके बाद
दोनों बोबों को इकट्ठा करके मैंने अदिति का क्लीवेज बनाया और उसमें अपनी जीभ डाल के चाटा।
चाट चाट के मैंने उसके क्लीवेज को अपने थूक से गीला कर दिया।

फिर मैंने नीचे हाथ डाल के उसके ब्रा का हुक खोला, हुक खोल कर उसके ब्रा को हटाया।
‘अरे… वाह…’ कितने शानदार बोबे थे उसके, ज़्यादा बड़े तो नहीं थे मगर थे बिल्कुल गोल, कटोरों जैसे।
और निप्पल हल्के भूरे से गुलाबी से, मैंने उसकी छोटी छोटी डोडियाँ अपने मुँह में लेकर चूसी।बेहद हल्का नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में आया।
पता नहीं उसके बदन का नमक था या फिर मेरे ही वीर्य का… पर बड़ा मज़ेदार लगा।

उसके पूरे बूब्स को मैंने बड़ी अच्छी तरह से चाटा, जैसे एक भी सेंटीमीटर मेरी जीभ के चाटने से बच न जाए।

बोबे चाटने के बाद मैं नीचे पेट आ गया, पेट को चाटा, कमर के आस पास भी अपनी जीभ फिराई, तो अदिति कसमसाई, मतलब सोते हुये भी उसे गुदगुदी का एहसास हुआ था।
मैंने और देर न करते हुये, उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

नाड़ा खोल के मैंने उसकी सारी की सारी सलवार ही उतार दी और साइड ने रख दी। उसने पेंटी नहीं पहनी थी, तो सलवार के उतरते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई, छोटी सी चूत मेरे सामने थी, गोल चिकनी जांघों के बीच में रखी, मैंने उसके घुटनों से लेकर उसकी जांघों तक अपने हाथों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर उसकी चूत को चूमा।

उसकी चूत पे हल्के बाल थे, जैसे पिछले हफ्ते ही शेव की हो, और इतने छोटे बालों से मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी।
मैंने उसके घुटने मोड़े और उसकी टाँगें कमर से ऊपर को मोड़ दी और उसके पाँव मैंने अपने कंधों पे रख लिए।
मेरे लंड का टोपा उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मेरा दिल दिया अभी अपना लंड उसकी चूत में डाल दूँ। मगर यह मौका सही नहीं था, मैंने सिर्फ अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के होंठों पे घिसाया।
घिसाते घिसाते लंड का टोपा उसकी चूत के सुराख पे लगा, मैंने कहा- जानती हो अदिति, यह जो सुराख है न, इस सुराख में एक दिन तुम्हें मेरा यह लंड लेना है। आज सिर्फ अपनी चूत से मेरे इस लंड को चूम लो ताकि जब यह तुम्हारी चूत में घुसे तो तुम्हें दर्द न हो।

मेरा बहुत दिल कर रहा था लंड को उसकी चूत में डालने का मगर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था।
फिर मैंने कुछ और सोचा और नीचे झुक कर अपना मुँह अदिति की चूत से लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर और होंठों के अंदर से चाटी।
क्या मज़ेदार स्वाद था उसकी चूत का… और कितनी प्यारी सी गंध आ रही थी।

मैंने कितनी देर उसकी चूत चाटी, उसके बाद अपनी जीभ से उसकी गाँड और गाँड का छेद भी चाट कर देखा।
मेरी प्यास बढ़ती जा रही थी, मुझे अब किसी को चोदना था, मगर किस को चोदता।
मैंने अपना लंड अदिति के पूरे बदन पे फिराया, उसके पाँव की उँगलियों से लेकर उसके माथे तक मैंने उसके बदन का हर एक कोना चाट लिया, मगर मेरे मन की प्यास नहीं बुझ रही थी।

मैंने एक बार फिर से अपना लंड अदिति की चूत पे रखा और थोड़ा सा अंदर को धकेला, मगर वो अंदर नहीं जा रहा था।
‘हे भगवान, अब मैं क्या करूँ?’ मैंने सोचा।

मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। जब और कुछ नहीं सूझा तो मैंने अदिति की दोनों टाँगे जोड़ीं और ठीक उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रखा और ढेर सारा थूक लगा कर उसकी जांघों को ही धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। जांघों में लंड की पकड़ ठीक से बन और चूतका सा ही आभास होने लगा।

मैं बार थूक लगाता रहा और उसकी जांघों में ही चुदाई करता रहा। करीब 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गया, मेरा सारा वीर्य अदिति के पेट और कमर पर फैल गया।

पानी छुट गया तो मुझे भी तसल्ली हो गई।
फिर मैंने अपने ही कच्छे के साथ साथ अदिति का पेट और कमर वगैरह साफ की। उसके बाद उसे सलवार पहनाई, उसकी ब्रा का हुक लगाया, शर्ट नीचे के और उसे पहले की तरह ठीक ठाक किया।
उसके बाद अपने कमरे में जा कर लेट गया, थोड़ी देर में नींद आ गई, मैं सो गया।
congratulations! अच्छी शुरूआत
 
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juhi gupta

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[२]

उसके बाद अदिति के साथ 2 दिन तक फिर मौका नहीं मिला।
जब भी वो मेरे सामने आती, मैं यही सोचता कि इन होंठों को मैंने चूसा है, इन बोबों को पिया है, जब जीन्स या स्लेक्स में उसकी गोल गोल जांघें या चूतड़ देखता तो सोचता कि इनमें मैंने मेरा लंड फिराया है।
तीसरे दिन जूही और नेहा ने मुझे ऑफिस फ़ोन किया की वो किसी फ्रेंड्स की पार्टी में जा रही हे अदिति घर पर अकेली हे आप जल्दी चले जाना
में तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया और जल्दी घर भगा,घर पहुंचा तो

वो अपने कपडे प्रेस कर रही थी
प्रेस उसने मेरे बेड की साइड वाले स्विच में ही लगाई थी।

जब वो प्रेस कर रही थी तब अचानक मेरी नज़र उसकी टी शर्ट के अंदर गई। नीचे से उसने ढीली सी अंडर शर्ट पहन रखी थी और टी शर्ट के गले में से मैंने देखा, तो छोटे छोटे बड़े प्यारे प्यारे से मलाई के पेड़े झूल रहे हैं।

सच में मुझे उसके चूचे मलाई के पेड़ों जैसे ही लगे। मन में विचार आया कि अगर ये पेड़े खाने को मिल जाएँ तो ज़िंदगी का मकसद पूरा हो जाए।अचानक अदिति ने मुझसे कहा भैया उस दिन रात को आप मेरे क्या कर रहे थे ,कोनसी रात ?मेरी तो सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ,वो कहने लगी भैया अब में जवान हो गयी हू मेरे अंगो को टच करोगे तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा ,फिर अगर भाभी जाग जाती तो क्या होता ,मेने कहा सॉरी अदिति में बहक गया था ,उसने कहा बहक तो में भी जाती हु पर क्या करू

थोड़ा सा सकुचाते हुये मैंने कह ही दिया- तो कुछ कर लिया करो!
वो झट से बोली- क्या करूँ, हाथ से करना मुझे पसंद नहीं, बॉयफ्रेंड कोई है नहीं, तो किस से करूँ फिर?

यह तो बड़ी साफ बात कर दी उसने…
मैंने कहा- बॉय फ्रेंड बना लो!
‘नहीं…’ वो बोली- बॉय फ्रेंड नहीं बनाना, मुझे तो कोई तजुर्बेकार इंसान, एक ऐसा दोस्त जिसपे मैं यकीन कर सकूँ, वो चाहिए, जो मुझे इस सब के बारे में सब कुछ बता सके और मेरा कोई गलत फायदा भी ना उठाए।

मुझे लगा के इसका इशारा मेरी तरफ ही है तो मैंने कह दिया- ऐसा दोस्त तो फिर मैं ही हो सकता हूँ।
मेरे चेहरे की मुस्कान देख कर वो भी मुस्कुरा दी।
‘मगर पहले मैं सब कुछ जानना चाहती हूँ, उसके बाद ही मैं कुछ करने के बारे में सोचूँगी।’

मेरे तो दिल की धड़कन बढ़ गई- तो क्या जानना चाहोगी?
मैंने एक टीचर की तरह पूछा। उसके बाद उसने सेक्स के बारे में मुझसे बहुत से सवाल किए, और मैंने भी उसके हर सवाल का जवाब दिया, बात करते करते लफ्जों के बंधन खुलते गए और हम लिंग से लंड, योनि से चूत और बूब्स से चूचे जैसे शब्द भी इस्तेमाल करने लगे।

उसको बताते बताते मेरा अपना लंड मेरे पाजामे में पूरी तरह से तन गया। उसने भी देखा, मैंने भी उसे बता दिया- देखो यह है सेक्स का असर, तुमसे बात करते करते मेरा भी टाईट हो गया, क्या तुम्हें भी कुछ हो रहा है?
पता तो मुझे भी था कि उसकी चूत भी पानी छोड़ रही होगी।
वो भी बोली- हाँ, मैं भी गीला गीला महसूस कर रही हूँ।

अब जब इतनी बात खुल गई, तो मैंने उससे पूछा- अदिति क्या तुम मेरा लंड देखना चाहोगी?

वो चुप सी हो गई, मगर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा- देखो तुम्हें खुद ही मेरा पाजामा उतार के इसे बाहर निकालना पड़ेगा।
मैंने कहा और उठ कर खड़ा हो गया।

अदिति ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर मेरे पाजामे से तने हुये मेरे लंड को, और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे इलास्टिक वाला पाजामा और मेरी चड्डी दोनों उसने एक ही बार में नीचे सरका दी।
मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड उसके सामने प्रकट हुआ, वो आँखें फाड़ के इसे देखने लगी।

ने कहा- सिर्फ देखो नहीं, इसे अपने हाथ में पकड़ो।
उसने एक हाथ में पकड़ा, मैंने कहा- दोनों हाथों से पकड़ो और मजबूती से, ज़ोर से पकड़ो!

उसने दोनों हाथों से ज़ोर से मेरा लंड पकड़ा तो मैंने अपनी कमर आगे को की और अपने लंड का टोपा बाहर निकाल दिया।
‘आह’ मेरे मुख से निकला- ऐसे ही पकड़े रहो।
मैंने कहा और मैं उसके हाथों में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, मुझे इसी में चुदाई का मज़ा आ रहा था।

मैंने पूछा- अदिति , तुमने ब्लू फिल्मों में देखा होगा, लड़कियाँ कैसे लंड चूसती हैं, तुम चूसोगी?
वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने अपनी कमर को धकेलते हुये अपने लंड को उसके मुँह से लगाया मगर उसने अपना मुँह घूमा लिया।

मैंने अपनी टाँगें हिला हिला कर अपना पाजामा और चड्डी बिल्कुल उतार दिये और पास में ही दीवान पे लेट गया- इधर आ जाओ अदिति
मैंने कहा तो वो आकर मेरे घुटनों के पास बैठ गई और उसने बिना कहे फिर से मेरा लंड पकड़ लिया।
‘इसे हिलाओ अदिति , ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिलाओ!’ मैंने कहा, वो हिलाने लगी।

उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, देखने से लगा रहा था कि वो पूरी गर्म है और इस वक़्त अगर मैं उसे चोदने को कहूँ तो हो सकता है वो मुझे चोदने दे।
मैंने कहा- अदिति , मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मेरी जान, अपनी जीन्स उतारो और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो, प्लीज़ यार!
मैंने कहा तो उसने मना कर दिया।
मैंने फिर कहा- अगर सेक्स नहीं कर सकता तो क्या मैं तुम्हारी चूत चाट तो सकता हूँ, मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है, प्लीज़ बेबी, अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दो, मैं उसे चाट कर ही संतुष्ट हो जाऊँगा!

वो उठी उसने अपनी जीन्स और पेंटी नीचे को सरकाई, मगर पूरी नहीं उतारी, मैंने देखी झांट के छोटे से गुच्छे में उसकी कुँवारी चूत की लकीर…
मैंने अदिति की चूत का जायजा लिया, उसकी चूत का चीरा खूब लम्बा था और चूत के होंठ भी खूब भरे भरे से गद्देदार थे. उसकी पुष्ट कदली जांघों के बीच उसकी चूत का नजारा बेहद शानदार था. चूत का भी अपना निराला सौन्दर्य, निराला वैभव और शान होती है. जिससे हम जन्म लेते हैं जिसके पीछे सारी उमर भागते हैं. जिसके आनन्द के सामने सब सुख फीके हैं उसका रूप भी आनंददायक तो होना ही चाहिए.
मैंने मुग्ध होकर उसकी चूत को चूम लिया. फिर मैंने धीरे से उसकी चूत का चीरा दोनों ओर उंगलियां रख के खोल दिया; भीतर जैसे रसीले तरबूज का गहरा लाल गूदा भरा हुआ था; उसकी चूत का दाना मटर के आकर का फूला हुआ सा था और भीतरी होंठ मुश्किल से तीन अंगुल लम्बे रहे होंगे. मैंने उसके लघु भगोष्ठ भी खोल दिए और उन्हें चूम लिया. अदिति की चूत के भीतरी कपाट बड़े अदभुत लगे मुझे; भीतरी भगोष्ठों के किनारों पर गहरी काली रेखा सी थी जैसे किसी गुलाबी नाव के किनारों पर काजल लगा दिया हो या जैसे हम आंख में अपनी निचली पलक पर काजल लगाते हैं तो आंखों की शोभा और बढ़ जाती है; ठीक उसी अंदाज में अदिति की चूत शोभायमान हो रही थी.

वो मेरे ऊपर लेट गई, मैंने अपना सर उसके घुटनों तक उतरी जीन्स में फंसा लिया और उसकी चूत को चूमा और फिर पूरा मुँह खोल कर अपने मुँह में ले लिया, और बस फिर जब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुमई तो वो तो उचक गई।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।
‘बहुत गुदगुदी होती है!’ वो बोली।
‘कोई बात नहीं, इसी में मज़ा आएगा!’ मैंने कहा और उसने अपनी चूत फिर से मेरे चेहरे पे रख दी और मैंने फिर से चाटने लगा।

उसकी चूत सच में गीली हुई पड़ी थी। उसकी कुँवारी चूत का पानी चाटते हुये मैं सोच रहा था ‘क्या बात है यार, एक कुँवारी लड़की मुझे मिली है, इसको तो चोद कर ज़िंदगी का मज़ा आ जाएगा।’

खैर पहले वो मेरे ऊपर लेटी मेरे लंड से खेलती रही, मगर जैसे जैसे मैं उसकी चूत चाट रहा था, उसका भी उन्माद बढ़ रहा था और फिर तो वो मेरे लंड को बड़ी मजबूती से पकड़ कर मेरा हस्तमैथुन करने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने अपनी एक बाजू से उसे अपने से चिपका रखा था। जितना मैं अपनी जीभ से उसकी चूत का दाना सहलाता, उसकी चूत के अंदर तक जीभ डाल कर चाटता, वो उतना ही तड़पती, और फिर इसी उन्माद में उसने बिना कहे ही मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।


यह सुख तो मुझे बरसों बाद मिला था, वो चूसती गई और मैं चाटता रहा, और फिर मेरे तो फव्वारे छूट गए, लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल पड़ी और उसके मुँह के अंदर बाहर, आजू बाजू सब भिगो दिया।
उसने मुँह से मेरा लंड निकाला और थू थू करके थूकने लगी।

मगर मैंने उसकी कमर को नहीं छोड़ा और उसकी चूत को चाटता रहा।
कोई 2-3 मिनट और चाटा और फिर वो तड़पने लगी- आह, भैया , खाओ जाओ, खाओ जाओ इसे, आह…. मर जाऊँगी मैं सच में, प्लीज़ भैया , और चाटो!

वो बोलती गई, अपनी चूत को मेरे चेहरे पे रगड़ती रही और फिर मेरे वीर्य से भीगे हुये लंड अपने मुँह से लेकर चूस गई।
बड़ी मुश्किल से मैंने उसे तड़पती हुई को संभाला।
खूब उछली, पटक पटक के उसने अपनी चूत मेरे मुँह पे मारी, उसकी चूत से सफ़ेद पानी के टुपके मैंने टपकते हुये देखे, मैं वो भी चाट गया, फिर वो शांत हो कर मेरे ऊपर ही लेटी रही, मगर मेरा लंड अब भी उसने हाथ में पकड़ा हुआ था।

कोई 5-6 मिनट बाद वो उठी, अपने कपड़े पहने और कहने लगी भाभी आने वाली होगी और जाने लगी तो मैंने उसे रोका- अरे यार ऐसे मत जाओ, मेरे कपड़े भी तो पहना दो। वो मुस्कुराई, फिर पहले तो बाथरूम से पानी ला कर उसने मेरी जांघें और लंड को अच्छे से साफ किया, मेरे कपड़े पहनाए, बिस्तर ठीक किया और सब सेट करने के बाद जाने लगी तो मैंने पूछा- रात को मिलोगी ?
‘ज़रूर…’ उसने कहा और चली गई।

और अब मैं रात का इंतज़ार करने लगा और सोचने लगा, अगर आयी आई तो क्या उसके साथ सेक्स करके देखूँ, अगर वो मान गई तो क्या वो मुझे चोदने देगी। फिर जूही और नेहा को में कैसे सेट करू लेकिन उस दिन तक़दीर मुझ पर मेहरबान थी जूही का मेरे पास फ़ोन आया की यार हमारी फ्रेंड हमें आने नहीं दे रही इसलिए हम रात यही रुक रहे हे तुम अदिति का ध्यान रख लेना मेने अदिति को ये खुशखबरी सुनाई और उसे बांहो में भरकर चूमने लगा


‘अरे क्या बताऊँ यार, तुम्हारे जाने के बाद तो मैं तुम्हारे ही ख्यालों में खोया रहा!’ मैंने कहा।
‘क्यों, ऐसा क्यों?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- यार ये इश्क़ होता ही ऐसा है!
मैंने कहा तो वो मुस्कुरा के बोली- क्या आपको मुझसे इश्क़ हो गया है?
मैंने कहा- हाँ, मुझे तुम बहुत प्यारी लगती हो, कई रातो से में तुम्हारे बारे में सोचता रहा, आई लव यू अदिति !

‘अरे आप तो दीवाने हो गए भैया !’ वो बोली।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारा दीवाना हूँ, और आज मैं तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ।
मैंने उसे साफ साफ बोल दिया।

वो बोली- भैया , सेक्स तो मैं भी करना चाहती हूँ, पर डर लगता है, दर्द होगा।
मैंने कहा- मेरा तजुरबा किस दिन काम आएगा, थोड़ा दर्द तो होगा, मगर इसमे मज़ा भी भरपूर है, बोलो करोगी?
वो बोली- ट्राई करके देखते हैं, अगर दर्द हुआ तो रहने देंगे!
मैंने कहा- हाँ, अगर दर्द हुआ तो रोज़ थोड़ी थोड़ी प्रेक्टिस करते रहेंगे और एक दिन सब कुछ बिल्कुल सेट हो जाएगा।मैंने बिना एक पल गंवाये अदिति को अपनी बाहों में भर लिया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने किसी रेशम की सुगन्धित गठरी को अपनी बाहों में समेट लिया हो!
मैं कब से तरस रहा था इस कली का रस पीने को! मैंने उसका संतरे की फांक जैसा निचला होंठ अपने होंठों में ले लिया और रस पीने लगा।
ऐसी कोमल सुकुमारी कामिनी का आलिंगन इसके पूर्व मैंने कभी नहीं किया था।


देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैं उसके फूल से गालों पर अपने गीले होंठों की छाप छापनी शुरू कर दी और फिर उसके कान की लौ को चूसने लगा।
लड़कियों के कान की लौ बहुत संवेदनशील होती है और अगर कान छिदे न हों तो उनका चुम्बन लड़की को बहुत जल्दी कामातुर कर देता है।
अदिति के कान भी छिदे नहीं थे तो मेरे चूसने का असर उस पर जल्दी ही हो गया और उसने अपने हाथ अपने बूब्स पर से हटा कर मेरी पीठ पर रख लिए और अपने नाख़ून गड़ाने लगी।

अब उसके रुई के गोले से सॉफ्ट मम्मे मेरी कठोर छाती के नीचे पिस रहे थे और मैं उसकी हथेलियों को अपनी हथेलियों में फंसाए उसका पूरा चेहरा जगह जगह से चूम चाट रहा था।
मैं उसके गले को चूमता हुआ उसके स्तनों तक आ पहुँचा और उसका बायाँ स्तन मैंने अपनी मुट्ठी में भर लिया और दायें स्तन को अपने मुंह में भर के धीरे धीरे काटते हुए चूसने लगा।

अदिति के बदन में हल्की सिहरन सी होने लगी थी और वो अपने तन की उमंगों को अपने वश में रखने का पूरा प्रयास कर रही थी। अब उसके उरोजों में कसाव आने लगा था और उसके निप्पल भी फूल गए थे, किशमिश से अंगूर बन चुके थे।

अब मैंने उसका बायाँ स्तन चूसना मसलना शुरू किया और दायें वाले को मुट्ठी में भर के गूंथने लगा। अदिति के मुख से धीमी धीमी कामुक कराहें आने लगीं थीं और वो जल्दी जल्दी मेरी पीठ सहलाने लगी थी, साथ ही मुझे लगता कि वो अपनी कमर को बार बार ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चड्डी को मुझसे टच करवा रही थी।

मेरा लण्ड तो कब का पूरी तरह से भीमकाय रूप धर चुका था, मेरा लण्ड रेस के घोड़े की तरह लम्बी और खूबसूरत पारी खेलने को तैयार था। मेरे लण्ड ने अभी अपनी पिच का मुआयना तो नहीं किया था परन्तु मुझे यकीन था कि अदिति की जगह कोई मर्दखोर, लण्डखोर रण्डी भी होती तो वो भी पनाह मांग जाती।

उसके स्तनों का स्वाद और मज़ा जी भर के लेने के बाद मैं अदिति के बदन के नीचे की ओर बढ़ चला, उसके समतल सुतवां पेट को चाटते हुए उसकी नाभि के कूप में मैंने अपनी जीभ घुसा दी और उस गोल गोल घुमाने लगा…
अदिति की साँसें बेतरतीब होती जा रहीं थीं और अब वो अपनी एड़ियाँ भी बिस्तर पर रगड़ने लगी थी।

पेट और नाभि को चाट चूम कर मैंने उसकी पैंटी को जानबूझ कर नहीं छेड़ा और उसके पैरों के पास बैठ कर उसके पैर की उँगलियों को दोनों हाथों से दबाने और मुंह में लेकर चुभलाने लगा।

अदिति ने मुझे गहरी नज़र से देखा। शायद उसकी आँखों वो प्रश्न था कि मैंने उसकी जाँघों के मध्य भाग को क्यों यों ही बिना कुछ किये छोड़ दिया था।
अब वो बेचारी क्या जाने कि मैं उसे किस मंजिल की तरफ ले जा रहा था…

उसके पैरों की उँगलियों को मुंह में ले के धीमे धीमे दांतों से काटने कुतरने लगा और उसके तलवे चाटना शुरू किये। वो भी बेचारी भरपूर जवान छोरी थी, कब तक सब्र करती, मेरे तलवे चाटना शुरू करते ही उसने अपना आपा खो दिया और उठ कर बैठ गई।

‘बस भी करो … मत करो ऐसे प्लीज. बहुत गुदगुदी सी हो रही है सब जगह!’ वो बोली और उसने अपने पैर सिकोड़ लिए और बैठ गई।
लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी करके उसकी टाँगें फिर से खींच लीं और उसकी पिंडलियाँ काटने, चाटने लगा। वो मुझे पैरों से परे धकेलने लगी लेकिन मैंने इस बार उसकी जाँघों को चूमना चाटना शुरू कर दिया।

क्या बताऊँ अदिति का पूरा बदन किसी रसीले फल, किसी मिठाई के डिब्बे की तरह था जिसमें तरह तरह के स्वाद भरे पड़े थे… अदिति की गुदाज़, केले के तने जैसी सुडौल साटन की तरह चिकनी मरमरी जाँघों को चूमने चाटने का वो आनंद मैं आजीवन नहीं भूल सकता। मेरी नाक बार बार उसकी पैंटी के निचले तिकोने छोर तक जाती और मैं जानबूझ कर अपनी नाक की नोक को वहाँ पर छुआ देता और वापस लौट आता।

उधर अदिति का हाल बेहाल हो रहा था, उसकी चड्डी के ऊपर नमी की दरार अब साफ़ साफ़ दिख रही थी। उसकी चूत की दरार के निचले हिस्से पर जहाँ जन्नत का प्रवेश द्वार होता है, वहाँ पर उसकी पैंटी कुछ ज्यादा ही गीली चिपचिपी सी हो रही थी।
अब मेरा सब्र भी मेरे हाथ से निकलने लगा था और मैं उसकी रिसती चूत देखने को उतावला बेकरार हो उठा था, मैंने झट से उसके दोनों मम्मे अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिए और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा और समूची चूत मुंह में भर कर धीरे धीरे झिंझोड़ने लगा।
मैंने अदिति के चूचुकों को चुटकियों से मसलते हुए उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से ही चबाना जारी रखा।
एक दो मिनट बाद ही वो बेकाबू हो गई और अपने पैर से मेरे सिर पर दबाव देकर मुझे हटाने की पूरी कोशिश करने लगी लेकिन सफल नहीं हुई और अपने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए साथ ही अपनी जाँघों से मेरा सिर भींचने लगी।

मैं समझ गया कि उसे क्या हो रहा था और मैं उसी क्षण उसके ऊपर से हट गया।
उसने अविश्वास से मेरी तरफ देखा और फिर अपनी पैंटी को मुट्ठी में भर कर अपनी चूत खुद ही मसलने लगी लेकिन मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर हटा दिये, उसकी कमर दो तीन बार हवा में उछली और फिर वो अपनी बेबसी के कारण अपने होंठ खुद चबाने लगी।



मैंने अदिति के हाथ छोड़ दिए और उसकी कच्छी पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा।
उसने भी झट से अपनी कमर उठा कर मेरा काम आसान कर दिया।
जैसे ही उसकी कच्छी उसके बदन से अलग हुई उसने झट से लजा कर अपनी चूत हथेलियों से ढक ली लेकिन मैंने उसके हाथ हटा दिए और उसकी अनचुदी चूत निहारने लगा।

अदिति की चूत उन सबसे निराली थी। अपनी भारतीय लड़कियों की चूत गहरे सांवले रंग की या काली होती है चाहे लड़की कितनी भी गोरी चिट्टी क्यों न हो। लेकिन अदिति की चूत एकदम फक गोरी गुलाबी मक्खन जैसी थी, बिल्कुल किसी बेबीसिटर पोर्न स्टार के जैसी!
सुबह ही उसकी झांटें शेव कर ली थीं इस कारण उसकी जाँघों और चूत के लिप्स की स्किन और रंग एक सा ही था… गोरा गुलाबीपन लिए हुए!

उसकी चूत का आकार भी बहुत छोटा सा था, देखने में बहुत मासूम भोली सी चूत, किसी अवयस्क बच्ची की तरह. कचौरी जैसी फूली हुई उसकी चूत बहुत ही मोहक लग रही थी, चूत के उपरी भगोष्ठ आपस में चिपके हुए थे और उसकी दरार एक पतली रेखा की तरह थी जैसे किसी ने ब्लेड से चीरा लगा दिया हो!
उसकी चूत से रस के स्राव के कारण पूरा तिकोना भीगा भीगा सा था।

मैं उस पर झुक गया और उसके भगोष्ठ चाटने लगा, उसके रस का हल्का नमकीन स्वाद भा गया मुझे! यह स्वाद जूही की चूत के स्वाद से भिन्न था और बेहतर भी!
कुछ देर चूत ऊपर से चाटने का आनन्द लेने के बाद मैंने उसकी चूत धीरे से अपने दोनों हाथों से खोल दी।
चूत के भीतर जैसे तरबूज के जैसा लाल रसीला गूदा भरा हुआ था जिसे मैं बरबस ही चाटने लगा।

अदिति अब बिस्तर पर अपनी एड़ियाँ रगड़ रही थी और बार बार अपनी कमर उचका कर अपनी चूत मेरे मुंह में ठेल दे रही थी।
‘…भैया करो न अब!’ अदिति इतनी देर के फोरप्ले के बाद मुझसे बोली।कर तो रहा हूँ अदिति … चाट रहा हूँ न… बस अभी तुम्हें पूरा मज़ा मिल जायेगा।’ मैंने कहा।
मेरा जवाब सुनकर उसने अपनी चूत जोर से मेरे मुंह पर दे मारी जैसे उसे मेरा जवाब पसन्द न आया हो।

अदिति सेक्सी बिल्ली है इसलिये मैं उसे पूरा कामोत्तेजित करके इस मुकाम तक लाना चाहता था कि वो अपना नारी सुलभ शील, संकोच, लज्जा, शर्म, हया सब तज कर एक चुदासी नवयौवना की तरह लण्ड लेने के लिए मचल जाये।

यही सोचकर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के सबसे संवेदनशील जगह उस नन्ही सी कलिका पर रख दी जिसे भगांकुर कहते हैं।
ऐसा करते ही मानो उसके बदन में भूचाल आ गया…
‘… अब आ भी जाओ… मेरे हो जाओ… आह आः हः… पूरे समा जाओ मुझमें!’अदिति बड़े कामुक स्वर में बोली।
‘हां…बेबी, मेरी जीभ समाई हुई है न… बस अभी तू झड़ जायेगी।’ मैंने कहा और उसका लहसुन अपने होठों से दबा के चूसने लगा।

‘ओ नो… ऐसे नहीं… फक मी नाऊ…’ वो बोली और मेरे सिर के बाल खींचने लगी।
‘या बेबी… एम फकिंग यू ना…’ मैंने शरारत से कहा।
फिर वो एकदम से उठ कर बैठ गई और मुझसे लिपट कर मेरा लण्ड पकड़ लिया- I urgently need this tool inside me… अब जल्दी से इसे मेरी में घुसा दो!
वो सिसकार के बोली।

‘अदिति यह बहुत बड़ा है तुम्हारे हिसाब से… अभी तुम झेल नहीं सकोगी इसे… you are too young for that!’ मैंने उसे समझाते हुए कहा।
‘उफ्फ्फ… thats none of your business, … I can and will handle yours… you just fuck me right now pls… I beg your cock inside my cunt!’ वो थोड़ा झुंझला कर लगभग दांत पीसती हुई सी बोली।
‘बेबी, फट जायेगी तुम्हारी चूत… अभी भी समय है, एक बार फिर से सोच लो।’ मैंने उसे और सताया।
‘अरे तो फट जाने दो ना… आपको उससे क्या, मैं जब खुद कह रही हूँ तो?’ इस बार वो रोने के से अंदाज़ में बोली।


‘अच्छा ठीक है… मुझे क्या, लो लण्ड को मुंह में ले के अच्छे से गीला करो इसे चूस चूस के!’ मैंने कहा।
तो अदिति ने झट से लण्ड मुंह में भर लिया और पूरी तन्मयता के साथ जल्दी जल्दी चूसते हुए लण्ड को अपनी लार से गीला करने लगी, फिर जल्दी से बाहर निकाल दिया- लो भैया … अब फुर्ती से आ जाओ मुझमें!
उसने कहा और प्यासी निगाहों से मुझे आमंत्रित किया।

फिर मैंने उसके घुटने ऊपर की तरफ मोड़ दिए और एक तकिया उसकी कमर के नीचे रख दिया, अब उसकी चूत पूरी खिल कर मेरे सामने थी।
‘अपनी चूत खोलोअदिति !’ मैंने कहा।
उसने अपने दोनों हाथ अपनी चूत के ऊपर रखे और फिर अँगुलियों से अपनी चूत के भगोष्ठ खोल दिए। ऐसा करने के साथ ही उसका चेहरा लाज से लाल पड़ गया और उसने अपनी आँखें मूँद कर मुंह दूसरी तरफ कर लिया।

मैंने झुक कर उसकी खुली हुई चूत के भीतर चाटा और अच्छे से गीला कर दिया और फिर अपना सुपारा उसके छेद में दबा कर फंसा दिया और धक्का देने की पोजीशन में बैठ गया।

जब कोई लड़की अपनी चूत अपने हाथों से खोल कर इस तरह से लेटकर चोदने का न्यौता देती है तब यह उसके समर्पण की पराकाष्ठा होती है, अपनी लाज शर्म त्याग कर ही वो ऐसा कर पाती है…. किसी कामलोलुप नारी के निर्लज्ज होने की सीमा है ये, इसके आगे कोई लड़की और कर भी क्या सकती है?

‘अदिति , you ready?’ मैंने पूछा।
‘हाँ भैया !’ वो बोली।

अदिति अपनी टाँगें ऊपर उठाये हुए अपने हाथों से अपनी चूत के पट पूरी तरह खोले हुए मेरे लण्ड के इंतजार में थी।

‘hold it अदिति … here I come!’ मैंने कहा।
और लण्ड को पूरी ताकत से उसकी चूत में भोंक दिया, मेरा सुपाड़ा उसकी चूत के कसाव को ढीला करता हुआ गहराई तक धंस गया और मेरी झांटें उसकी चूत से जा टकराईं।

‘आह.. ऊई मम्मी… हाय राम.. क्या करूं… भाभी… लगता है चीर दी मेरी तुम्हारे भाई ने!’ वो तड़प कर बोली और मुझे अपने पैरों से दूर धकेलने लगी।
लेकिन मैंने उसकी दोनों टाँगें कस कर पकड़ के अपनी तरफ खींच लिए जिससे उसकी चूत अच्छे से मेरे लण्ड के निशाने पर आ गई।
मैंने अपने लण्ड को जरा सा पीछे लिया और फिर से एक पॉवरफुल शॉट दे मारा, इस बार रही सही कसर भी पूरी हो गई और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाम हो गया।भैया छोड़ दो मुझे… निकाल लो अपना… मुझे माफ़ करो. मैं नहीं सह पाऊँगी।’अदिति दर्द से बिलखते हुए बोली।
‘I warned you baby to keep your cunt off my cock… didn’t I? समझाया था न तुझे?’ मैंने उसे याद दिलाया।
‘हाँ, मेरी गलती, पर अब क्या करूं… आपका ये सहन ही नहीं कर पा रही मैं… बहुत हिम्मत जुटा रहीं हूँ फिर भी… अआः मेरा लण्ड बांस के लट्ठ की तरह अदिति की चूत में गड़ा हुआ था जिसके झड़ने की अभी दूर दूर तक सम्भावना नहीं थी।
मुझे अदिति को हो रहे दर्द की भी फ़िक्र थी इसलिये मैंने अपने लण्ड को एक झटके में बाहर खींच लिया।

जैसे ही उसकी चूत से वेक्यूम रिलीज हुआ तो ‘पक्क’ जैसी आवाजअदिति की चूत से निकल गई जैसे कोल्ड ड्रिंक का ढक्कन ओपन करने से आती है।
फिर वो तुरंत अपनी टांगों को सिकोड़ कर औंधी लेट गई एवं गहरी गहरी साँसें भरने लगी और उसके मुंह से राहत भरी कराहें आने लगीं जैसे लण्ड बाहर निकल जाने से उसे भारी राहत मिल गई हो।

मैं अब उसके ऊपर लेट गया और यहाँ वहाँ चूमते हुए दुलारने पुचकारने लगा।
आखिर अभी बेचारी की उमर ही क्या थी! वो ठीक है कि अपनी चूत की सनसनी से परेशान होकर उसमें ऊँगली या पेन पेन्सिल घुसेड़ कर तृप्त हो लेती थी परन्तु वो ऐसी कोई खेली खाई लड़की भी नहीं थी जो पहले से चुदाई करवाती रही हो।

लड़की जब खुद अपनी मर्जी से अपनी चूत में कोई चीज घुसाती है और मूव करती है तो उस पर उसका खुद का कंट्रोल होता है… कितना घुसाना है, किस पॉइंट पर कितना प्रेस करना है, किस एंगल से मूव करना है… ये सब वो अपने हिसाब से मैनेज कर लेती है। लेकिन जब कोई आदमी लण्ड उसकी चूत में पेलता है तो लड़की को सिर्फ अनुभव करना होता है लण्ड के मूवमेंट पर उसका कोई बस नहीं रहता… चोदने वाला जैसे चाहे अपने लण्ड को ड्राइव करे, यह कमान उसी के हाथ रहती है।

मैंने तीन चार मिनट अदिति को आराम दिया, उस दौरान मैं उसके नितम्ब चूमता रहा, उन्हें काटता रहा, उसकी पीठ सहलाते हुए उसकी गर्दन पर चुम्बन करता रहा और नीचे हाथ डाल कर उसके मम्मे मुट्ठी में भर के जोर जोर से दबाता मसलता रहा।

अब वो धीरे धीरे आहें कराहें भरने लगी थी और बार बार अपने नितम्ब ऊपर की तरफ उठा लेती। मैंने अपना लण्ड उसकी जांघों के बीच फंसा दिया और धीरे धीरे उसे भीतर बाहर करने लगा।
वत्सला को शायद ये अच्छा लगा और उसने अपनी टाँगें और चौड़ी कर लीं जिससे मुझे और थोड़ा ज्यादा रूम मिल गया, अब मेरा लण्ड उसकी चूत पर घिस रहा था।

मैंने अपना सुपारा दो तीन बार अदिति की चूत से घिस कर उसकी चिकनाई से चिकना किया और छेद पर लगा कर धकेल दिया भीतर और आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगा उसे… साथ ही उसके कूल्हों पर थपेड़े लगाते हुए उसे चोदने लगा।
मेरे चांटों से उसके गोरे गुलाबी चूतड़ों पर लाल लाल निशान पड़ गए।

वो चुपचाप शांत लेटी हुई कुनमुना रही थी; शायद अब वो अपनी चूत चुदाई का मज़ा उठाने लगी थी। मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी उसने भी अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड को जवाब देना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि अब यह मस्ता गई है और इसे हचक के चोदना चाहिये।
यही सोच कर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया।

‘क्या हुआ …करो न?’ उसने अपनी गर्दन मोड़ कर मुझे देखा और बोली।
‘अब दर्द तो नहीं है न तेरी चूत में?’
‘हो रहा अब भी .. लेकिन होने दो, आप तो आ जाओ फिर से!’
‘ठीक है तो फिर अब तू घोड़ी बन जा… ऐसे में ठीक से नहीं जा रहा पूरा!’ मैंने उसे कहा।

तब अदिति झट से उठ कर अपनें हाथों और घुटनों के बल खड़ी हो गई, मैंने सटाक से लण्ड को फिर से उसकी चूत में पेल दिया और नीचे हाथ डाल कर उसके सख्त मम्मे थाम लिए और उसकी चूत मारने लगा।
वो भी अपनी गांड को पीछे धकेल धकेल के जवाब देने लगी इस बार लण्ड ठीक से सटासट हो रहा था उसकी चूत में… जैसे जैसे मैं स्पीड बढ़ाता, अदिति भी ताल में ताल मिलाती हुई अपनी कमर को पीछे आगे करने लगी।


‘भैया … you fucking me so nice… fuck me harder now!’ वो बोली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को मेरे लण्ड पर मारने लगी।
मैंने अब उसके सिर के बाल चोटी की तरह लपेट कर जोर से खींच लिए जिससे उसका मुंह ऊपर उठ गया और अपने बायें हाथ में उसकी चोटी लपेट कर दायें हाथ से उसकी पीठ और कूल्हों पर चांटे मारता हुआ उसे बेरहमी से चोदने लगा।

वो भी अपनी गांड को ऊपर नीचे कभी आगे पीछे करती हुई अपनी चुदाई को एन्जॉय कर रही थी, अदिति का असली रंग अब सामने आने लगा था…
‘हां … ऐसे ही.. चीर फाड़ डालो इसे… बहुत सताती है ये मुझे!’ओ...... आह....... मादरचोद....... जम के चोद...... उफ.......... आज फाड़ दे मेरी चूत. वो दांत पीसती हुई बोली।

उसकी चूत अब बहुत गीली होकर फच फच आवाजें करने लगी थी और वो अपने मुंह से ‘हूँ हूँ’ की आवाज करते हुए पूरी दम से मेरा साथ निभाये जा रही थी।
मैं समझ गया कि अब यह यौवना झड़ कर ही दम लेगी, इसलिये मैंने धक्के लगाना बंद कर दिया लेकिन वो अपनी ही धुन में आगे पीछे होती हुई मेरा लण्ड निगलती उगलती रही।

मैं मन्त्रमुग्ध सा उसके गोल मटोल कूल्हों की चाल देख रहा था, वो अपनी कमर चलाये चली जा रही थी; जैसे ही वो आगे को होती मेरा लण्ड बाहर निकल आता जैसे ही वो पीछे को आती तो गप्प से लण्ड को निगल जाती।
मैं थोड़ा सा और पीछे को हो गया जिससे बार बार मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल जाता तो उसने झुंझला कर अपना हाथ पीछे ला कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया और फिर से कमर चलाने, चूतड़ मटकाने लगी।

इस बार वो पूरा खयाल रख रही थी कि लण्ड बाहर न निकलने पाये और वो परफेक्टली इस तरह आगे पीछे होने लगी कि लण्ड सुपारे की टिप तक बाहर निकले और फिर से वापिस घुस जाये।

मैं समझ रहा था कि अब अदिति जल्दी ही झड़ जायेगी और मैं इस पारी को थोड़ा और लम्बा खींचना चाहता था इसलिये मैं उससे अलग हट गया और वहीं लेट गया।

अदिति ने मुझे गुस्से से देखा जैसे उसे मेरा अलग हटना पसन्द न आया हो, वो तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गई और लण्ड को अपनी चूत के छेद पर फिट करके एक ही बार में पूरा घुसा ले गई और दनादन ऊपर नीचे होने लगी।
मैंने भी उसके सख्त उरोज पकड़ लिए और उसके चूचकों को मसलने लगा।

अब उसने मिसमिसा कर अपनी चूत मेरी झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी, उसकी आँखों में अजब सी वासना की चमक थी और वो बार बार अपने नाख़ून मेरे सीने में गड़ा देती और फिर से मिसमिसा कर अपनी चूत मेरी झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी,
अब पूरा कंट्रोल उसके हाथ में था और वो मेरे लण्ड को अपने हिसाब से ले रही थी।
मैं तो बस इस स्थिति को एन्जॉय कर रहा था कि एक ताजा ताजा जवान हुई छोरी मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी कामाग्नि को शान्त करने का जी तोड़ प्रयास कर रही थी और झड़ने के लिए बेचैन उसकी चूत मेरे लण्ड से लोहा लेते हुए कड़ा संघर्ष कर रही थी।


अदिति अभी भी ताबड़ तोड़ झटके लगाए जा रही थी मेरे ऊपर चढ़ी हुई… लेकिन मैं अब उसके ऊपर चढ़ कर उसे अपने हिसाब से चोदना चाहता था तो मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और लिटा के उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और उसके दोनों दूध कस के दबोच लिए और एक बार में ही लण्ड को उसकी चूत में भोंक दिया।

चूत गीली रसीली होने के कारण लण्ड बिना किसी बाधा के घुसा और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया…
‘आह आः हां… ऐसे ही… I loved this shot… भैया !’ वो बोली और अपनी कमर उचका कर मेरा स्वागत किया।
मैं उसके मम्मे दबोचे हुए बार बार वैसे ही शॉट्स लगाने लगा, मेरे हर धक्के पर उसके मुंह से आनंदभरी किलकारी निकलती और वो प्रत्युत्तर देने के लिए अपनी कमर उठाती लेकिन उसकी टाँगें मेरे कंधों पर होने से उसका दांव ठीक से नहीं चल पा रहा था।

मैंने उसकी चिंता किये बगैर अपने हिसाब से उसे चोदने लगा, लण्ड को आड़ा तिरछा सीधा या नीचे की तरफ करके उसकी चूत को कुचलने लगा; ऐसा करने से उसका बदन ऐंठने लगा और वो मुझे अपने ऊपर खींचने लगी लेकिन मैं उसके ऊपर नहीं झुका और धक्के लगाता रहा।

‘और तेज तेज धक्के मारो मुझे… गाली दे के चोदो मुझे… जैसे मेरी भाभी चुदवाती है भैया से!’ वो अपनी कमर उछालते हुए तड़प कर बोली।
‘तुम्हारी भाभी को गाली सुनते हुए चुदवाना पसन्द है… कौन सी गाली देते हैं तुम्हारे भैया ?’ मैंने धक्के लगाते हुए पूछा।में उसकी भाभी यानि मेरी बहन नेहा के बारे में ये सब पूंछ रहा था
‘कोई सी भी गन्दी गाली… भाभी को बहुत जोश चढ़ता है गाली से!’ वो बोली।मेने कहा कोनसी गाली देते हे वो बोली ज्यादातर बहन की लौड़ी..... हरामजादी,रंडी,मेने कहा अब तू नेहा बनजा और मुझे वैसी ही गालिया दे जैसे वो तुम्हारे भाई को देती हे ,मेने ‘तो ये ले हरामजादी तेरी भाभी को भी चोदूँगा ऐसे ही… साली पहली चुदाई में ही छिनाल बन गई तू तो!’ मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर से भौंक दिया उसकी चूत में!

‘तो ये ले साली…कुतिया…तेरी भाभी की चूत मारूं… खा मेरा लण्ड अपनीचूत में!’ मैं ताबड़तोड़ धक्के लगाते हुए बोला।
‘हां… फाड़ डाल मेरी हरामन चूत को बना दे इसका भोसड़ा.. अब तेरी रण्डी हूँ मैं आज से जब चाहे चोद लेना मुझे!उफ..... हां......हां...... चोदो मुझे........उफ....हाय फाड़ दो अपनी बहन की ननद की चूत........ ओह........ हा......मादरचोद......हरामी..... और जोर से........ इ्र्र......ई............ ओह’ वो मिसमिसा कर बोली। मेने कहासाली! एक दम रंडी की तरह मचल रही है कुतीया। सब्र रख अभी तेरी चूत फाड़ूंगा बहन की लौड़ी..... हरामजादी..... चोद रहा हू न तुझे रंडी की तरंह........ कुतीया साली...... हाय........... मैं आने को हूँ रांड........ झड़ने वाला हूँ..... उफ.


‘हां… ऐसे ही. आह आः अः… fuck me baby… u drilling me so nice; am loving ur shots baby… gimme more… yaaaa fuck me like a whore uncle… मुझे रण्डी की तरह बेरहमी से चोद डालो… फाड़ डालो इस चूत को आज… yaa… aaa… I will be ur keep from now on… all my life. good job baby… am cumming now…मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद … मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे
दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से … बहुत अच्छा लग रहा है अब तो… मेरा होने वाला है.. पकड़ लो मुझे जोर से… यायाआय्या.. उई भाभी ’ अदिति ऐसे ही हिस्टीरिया के मरीज की तरह बोलती चली जा रही थी।

और फिर
‘ हटो जल्दी से… अब मेरा पानी निकल रहा बड़े जोर से!’ वो बड़ी व्यग्रता से बोली।
मैंने तुरंत अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. मेरे लण्ड निकालते ही उसकी चूत से रस का सोता सा फूट पड़ा, उसकी छूट इतनी तेज हुई जैसे फव्वारा चल पड़ा हो या जैसे किसी पाइप लाइन से पानी उछल उछल के लीक होता है।

उसी क्षण मैंने उसकी चूत के होंठ अपने हाथों से खोल दिए और देखा की वो रस की फुहार चुदाई करने वाले छेद से ही निकल कर करीब तीन इंच ऊपर तक उछल रही थी. मैंने अपने लण्ड को उन फुहारों में नहला लिया.
वाह… ऐसा आनन्द का नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं किया था।

लगभग एक मिनट तक अदिति यूं ही झड़ती रही और मैं उसकी छूट में अपना लण्ड भिगोता रहा।
जैसे ही उसका झरना बहना बंद हुआ, मैंने लण्ड को वापिस उसकी बुर में पेल दिया और फुर्ती से उसे चोदने लगा क्योंकि अब मैं भी झड़ जाना चाहता था।

अदिति भी जल्दी ही फिर से तैश में आ गई और मेरे धक्कों से ताल में ताल मिलाती हुई किसी अनुभवी चुदक्कड़ लड़की की तरह अपनी कमर उठा उठा कर मेरी आँखों में आँखें डाल कर अपनी चूत मुझे देने लगी; मैं भी पूरी तन्मयता और मनोयोग से उसकी लेता रहा।

जल्दी ही वो अपने पूरे शवाब पे आ गई और उसकी चूत मेरे लण्ड से भरपूर लोहा लेने लगी, कुछ देर उछलने के बाद फिर वो मुझसे आक्टोपस की तरह लिपट गई और अपने दांत मेरे कंधे में गड़ा दिए, मैं भी उसके साथ ही झड़ने लगा, मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ छूट छूट कर उसकी चूत में समाने लगीं, उसकी चूत की मांसपेशियाँ भी संकुचित हो हो कर मेरे लण्ड से रस की एक एक बूँद निचोड़ने लगी।मैं तो जैसे जीते जी जन्नत में जा पहुँचा और उसने अपने टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं।

हम दोनों पसीने पसीने होकर हांफ रहे थे; जल्दी ही उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और उसकी चूत संकुचित हो गई जिससे मेरा लण्ड बाहर निकल गया और उसकी चूत से मेरा वीर्य बह निकला।
 

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[२]

उसके बाद अदिति के साथ 2 दिन तक फिर मौका नहीं मिला।
जब भी वो मेरे सामने आती, मैं यही सोचता कि इन होंठों को मैंने चूसा है, इन बोबों को पिया है, जब जीन्स या स्लेक्स में उसकी गोल गोल जांघें या चूतड़ देखता तो सोचता कि इनमें मैंने मेरा लंड फिराया है।
तीसरे दिन जूही और नेहा ने मुझे ऑफिस फ़ोन किया की वो किसी फ्रेंड्स की पार्टी में जा रही हे अदिति घर पर अकेली हे आप जल्दी चले जाना
में तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया और जल्दी घर भगा,घर पहुंचा तो

वो अपने कपडे प्रेस कर रही थी
प्रेस उसने मेरे बेड की साइड वाले स्विच में ही लगाई थी।

जब वो प्रेस कर रही थी तब अचानक मेरी नज़र उसकी टी शर्ट के अंदर गई। नीचे से उसने ढीली सी अंडर शर्ट पहन रखी थी और टी शर्ट के गले में से मैंने देखा, तो छोटे छोटे बड़े प्यारे प्यारे से मलाई के पेड़े झूल रहे हैं।

सच में मुझे उसके चूचे मलाई के पेड़ों जैसे ही लगे। मन में विचार आया कि अगर ये पेड़े खाने को मिल जाएँ तो ज़िंदगी का मकसद पूरा हो जाए।अचानक अदिति ने मुझसे कहा भैया उस दिन रात को आप मेरे क्या कर रहे थे ,कोनसी रात ?मेरी तो सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ,वो कहने लगी भैया अब में जवान हो गयी हू मेरे अंगो को टच करोगे तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा ,फिर अगर भाभी जाग जाती तो क्या होता ,मेने कहा सॉरी अदिति में बहक गया था ,उसने कहा बहक तो में भी जाती हु पर क्या करू

थोड़ा सा सकुचाते हुये मैंने कह ही दिया- तो कुछ कर लिया करो!
वो झट से बोली- क्या करूँ, हाथ से करना मुझे पसंद नहीं, बॉयफ्रेंड कोई है नहीं, तो किस से करूँ फिर?

यह तो बड़ी साफ बात कर दी उसने…
मैंने कहा- बॉय फ्रेंड बना लो!
‘नहीं…’ वो बोली- बॉय फ्रेंड नहीं बनाना, मुझे तो कोई तजुर्बेकार इंसान, एक ऐसा दोस्त जिसपे मैं यकीन कर सकूँ, वो चाहिए, जो मुझे इस सब के बारे में सब कुछ बता सके और मेरा कोई गलत फायदा भी ना उठाए।

मुझे लगा के इसका इशारा मेरी तरफ ही है तो मैंने कह दिया- ऐसा दोस्त तो फिर मैं ही हो सकता हूँ।
मेरे चेहरे की मुस्कान देख कर वो भी मुस्कुरा दी।
‘मगर पहले मैं सब कुछ जानना चाहती हूँ, उसके बाद ही मैं कुछ करने के बारे में सोचूँगी।’

मेरे तो दिल की धड़कन बढ़ गई- तो क्या जानना चाहोगी?
मैंने एक टीचर की तरह पूछा। उसके बाद उसने सेक्स के बारे में मुझसे बहुत से सवाल किए, और मैंने भी उसके हर सवाल का जवाब दिया, बात करते करते लफ्जों के बंधन खुलते गए और हम लिंग से लंड, योनि से चूत और बूब्स से चूचे जैसे शब्द भी इस्तेमाल करने लगे।

उसको बताते बताते मेरा अपना लंड मेरे पाजामे में पूरी तरह से तन गया। उसने भी देखा, मैंने भी उसे बता दिया- देखो यह है सेक्स का असर, तुमसे बात करते करते मेरा भी टाईट हो गया, क्या तुम्हें भी कुछ हो रहा है?
पता तो मुझे भी था कि उसकी चूत भी पानी छोड़ रही होगी।
वो भी बोली- हाँ, मैं भी गीला गीला महसूस कर रही हूँ।

अब जब इतनी बात खुल गई, तो मैंने उससे पूछा- अदिति क्या तुम मेरा लंड देखना चाहोगी?

वो चुप सी हो गई, मगर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा- देखो तुम्हें खुद ही मेरा पाजामा उतार के इसे बाहर निकालना पड़ेगा।
मैंने कहा और उठ कर खड़ा हो गया।

अदिति ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर मेरे पाजामे से तने हुये मेरे लंड को, और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे इलास्टिक वाला पाजामा और मेरी चड्डी दोनों उसने एक ही बार में नीचे सरका दी।
मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड उसके सामने प्रकट हुआ, वो आँखें फाड़ के इसे देखने लगी।

ने कहा- सिर्फ देखो नहीं, इसे अपने हाथ में पकड़ो।
उसने एक हाथ में पकड़ा, मैंने कहा- दोनों हाथों से पकड़ो और मजबूती से, ज़ोर से पकड़ो!

उसने दोनों हाथों से ज़ोर से मेरा लंड पकड़ा तो मैंने अपनी कमर आगे को की और अपने लंड का टोपा बाहर निकाल दिया।
‘आह’ मेरे मुख से निकला- ऐसे ही पकड़े रहो।
मैंने कहा और मैं उसके हाथों में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, मुझे इसी में चुदाई का मज़ा आ रहा था।

मैंने पूछा- अदिति , तुमने ब्लू फिल्मों में देखा होगा, लड़कियाँ कैसे लंड चूसती हैं, तुम चूसोगी?
वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने अपनी कमर को धकेलते हुये अपने लंड को उसके मुँह से लगाया मगर उसने अपना मुँह घूमा लिया।

मैंने अपनी टाँगें हिला हिला कर अपना पाजामा और चड्डी बिल्कुल उतार दिये और पास में ही दीवान पे लेट गया- इधर आ जाओ अदिति
मैंने कहा तो वो आकर मेरे घुटनों के पास बैठ गई और उसने बिना कहे फिर से मेरा लंड पकड़ लिया।
‘इसे हिलाओ अदिति , ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिलाओ!’ मैंने कहा, वो हिलाने लगी।

उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, देखने से लगा रहा था कि वो पूरी गर्म है और इस वक़्त अगर मैं उसे चोदने को कहूँ तो हो सकता है वो मुझे चोदने दे।
मैंने कहा- अदिति , मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मेरी जान, अपनी जीन्स उतारो और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो, प्लीज़ यार!
मैंने कहा तो उसने मना कर दिया।
मैंने फिर कहा- अगर सेक्स नहीं कर सकता तो क्या मैं तुम्हारी चूत चाट तो सकता हूँ, मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है, प्लीज़ बेबी, अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दो, मैं उसे चाट कर ही संतुष्ट हो जाऊँगा!

वो उठी उसने अपनी जीन्स और पेंटी नीचे को सरकाई, मगर पूरी नहीं उतारी, मैंने देखी झांट के छोटे से गुच्छे में उसकी कुँवारी चूत की लकीर…
मैंने अदिति की चूत का जायजा लिया, उसकी चूत का चीरा खूब लम्बा था और चूत के होंठ भी खूब भरे भरे से गद्देदार थे. उसकी पुष्ट कदली जांघों के बीच उसकी चूत का नजारा बेहद शानदार था. चूत का भी अपना निराला सौन्दर्य, निराला वैभव और शान होती है. जिससे हम जन्म लेते हैं जिसके पीछे सारी उमर भागते हैं. जिसके आनन्द के सामने सब सुख फीके हैं उसका रूप भी आनंददायक तो होना ही चाहिए.
मैंने मुग्ध होकर उसकी चूत को चूम लिया. फिर मैंने धीरे से उसकी चूत का चीरा दोनों ओर उंगलियां रख के खोल दिया; भीतर जैसे रसीले तरबूज का गहरा लाल गूदा भरा हुआ था; उसकी चूत का दाना मटर के आकर का फूला हुआ सा था और भीतरी होंठ मुश्किल से तीन अंगुल लम्बे रहे होंगे. मैंने उसके लघु भगोष्ठ भी खोल दिए और उन्हें चूम लिया. अदिति की चूत के भीतरी कपाट बड़े अदभुत लगे मुझे; भीतरी भगोष्ठों के किनारों पर गहरी काली रेखा सी थी जैसे किसी गुलाबी नाव के किनारों पर काजल लगा दिया हो या जैसे हम आंख में अपनी निचली पलक पर काजल लगाते हैं तो आंखों की शोभा और बढ़ जाती है; ठीक उसी अंदाज में अदिति की चूत शोभायमान हो रही थी.

वो मेरे ऊपर लेट गई, मैंने अपना सर उसके घुटनों तक उतरी जीन्स में फंसा लिया और उसकी चूत को चूमा और फिर पूरा मुँह खोल कर अपने मुँह में ले लिया, और बस फिर जब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुमई तो वो तो उचक गई।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।
‘बहुत गुदगुदी होती है!’ वो बोली।
‘कोई बात नहीं, इसी में मज़ा आएगा!’ मैंने कहा और उसने अपनी चूत फिर से मेरे चेहरे पे रख दी और मैंने फिर से चाटने लगा।

उसकी चूत सच में गीली हुई पड़ी थी। उसकी कुँवारी चूत का पानी चाटते हुये मैं सोच रहा था ‘क्या बात है यार, एक कुँवारी लड़की मुझे मिली है, इसको तो चोद कर ज़िंदगी का मज़ा आ जाएगा।’

खैर पहले वो मेरे ऊपर लेटी मेरे लंड से खेलती रही, मगर जैसे जैसे मैं उसकी चूत चाट रहा था, उसका भी उन्माद बढ़ रहा था और फिर तो वो मेरे लंड को बड़ी मजबूती से पकड़ कर मेरा हस्तमैथुन करने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने अपनी एक बाजू से उसे अपने से चिपका रखा था। जितना मैं अपनी जीभ से उसकी चूत का दाना सहलाता, उसकी चूत के अंदर तक जीभ डाल कर चाटता, वो उतना ही तड़पती, और फिर इसी उन्माद में उसने बिना कहे ही मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।


यह सुख तो मुझे बरसों बाद मिला था, वो चूसती गई और मैं चाटता रहा, और फिर मेरे तो फव्वारे छूट गए, लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल पड़ी और उसके मुँह के अंदर बाहर, आजू बाजू सब भिगो दिया।
उसने मुँह से मेरा लंड निकाला और थू थू करके थूकने लगी।

मगर मैंने उसकी कमर को नहीं छोड़ा और उसकी चूत को चाटता रहा।
कोई 2-3 मिनट और चाटा और फिर वो तड़पने लगी- आह, भैया , खाओ जाओ, खाओ जाओ इसे, आह…. मर जाऊँगी मैं सच में, प्लीज़ भैया , और चाटो!

वो बोलती गई, अपनी चूत को मेरे चेहरे पे रगड़ती रही और फिर मेरे वीर्य से भीगे हुये लंड अपने मुँह से लेकर चूस गई।
बड़ी मुश्किल से मैंने उसे तड़पती हुई को संभाला।
खूब उछली, पटक पटक के उसने अपनी चूत मेरे मुँह पे मारी, उसकी चूत से सफ़ेद पानी के टुपके मैंने टपकते हुये देखे, मैं वो भी चाट गया, फिर वो शांत हो कर मेरे ऊपर ही लेटी रही, मगर मेरा लंड अब भी उसने हाथ में पकड़ा हुआ था।

कोई 5-6 मिनट बाद वो उठी, अपने कपड़े पहने और कहने लगी भाभी आने वाली होगी और जाने लगी तो मैंने उसे रोका- अरे यार ऐसे मत जाओ, मेरे कपड़े भी तो पहना दो। वो मुस्कुराई, फिर पहले तो बाथरूम से पानी ला कर उसने मेरी जांघें और लंड को अच्छे से साफ किया, मेरे कपड़े पहनाए, बिस्तर ठीक किया और सब सेट करने के बाद जाने लगी तो मैंने पूछा- रात को मिलोगी ?
‘ज़रूर…’ उसने कहा और चली गई।

और अब मैं रात का इंतज़ार करने लगा और सोचने लगा, अगर आयी आई तो क्या उसके साथ सेक्स करके देखूँ, अगर वो मान गई तो क्या वो मुझे चोदने देगी। फिर जूही और नेहा को में कैसे सेट करू लेकिन उस दिन तक़दीर मुझ पर मेहरबान थी जूही का मेरे पास फ़ोन आया की यार हमारी फ्रेंड हमें आने नहीं दे रही इसलिए हम रात यही रुक रहे हे तुम अदिति का ध्यान रख लेना मेने अदिति को ये खुशखबरी सुनाई और उसे बांहो में भरकर चूमने लगा


‘अरे क्या बताऊँ यार, तुम्हारे जाने के बाद तो मैं तुम्हारे ही ख्यालों में खोया रहा!’ मैंने कहा।
‘क्यों, ऐसा क्यों?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- यार ये इश्क़ होता ही ऐसा है!
मैंने कहा तो वो मुस्कुरा के बोली- क्या आपको मुझसे इश्क़ हो गया है?
मैंने कहा- हाँ, मुझे तुम बहुत प्यारी लगती हो, कई रातो से में तुम्हारे बारे में सोचता रहा, आई लव यू अदिति !

‘अरे आप तो दीवाने हो गए भैया !’ वो बोली।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारा दीवाना हूँ, और आज मैं तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ।
मैंने उसे साफ साफ बोल दिया।

वो बोली- भैया , सेक्स तो मैं भी करना चाहती हूँ, पर डर लगता है, दर्द होगा।
मैंने कहा- मेरा तजुरबा किस दिन काम आएगा, थोड़ा दर्द तो होगा, मगर इसमे मज़ा भी भरपूर है, बोलो करोगी?
वो बोली- ट्राई करके देखते हैं, अगर दर्द हुआ तो रहने देंगे!
मैंने कहा- हाँ, अगर दर्द हुआ तो रोज़ थोड़ी थोड़ी प्रेक्टिस करते रहेंगे और एक दिन सब कुछ बिल्कुल सेट हो जाएगा।मैंने बिना एक पल गंवाये अदिति को अपनी बाहों में भर लिया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने किसी रेशम की सुगन्धित गठरी को अपनी बाहों में समेट लिया हो!
मैं कब से तरस रहा था इस कली का रस पीने को! मैंने उसका संतरे की फांक जैसा निचला होंठ अपने होंठों में ले लिया और रस पीने लगा।
ऐसी कोमल सुकुमारी कामिनी का आलिंगन इसके पूर्व मैंने कभी नहीं किया था।


देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैं उसके फूल से गालों पर अपने गीले होंठों की छाप छापनी शुरू कर दी और फिर उसके कान की लौ को चूसने लगा।
लड़कियों के कान की लौ बहुत संवेदनशील होती है और अगर कान छिदे न हों तो उनका चुम्बन लड़की को बहुत जल्दी कामातुर कर देता है।
अदिति के कान भी छिदे नहीं थे तो मेरे चूसने का असर उस पर जल्दी ही हो गया और उसने अपने हाथ अपने बूब्स पर से हटा कर मेरी पीठ पर रख लिए और अपने नाख़ून गड़ाने लगी।

अब उसके रुई के गोले से सॉफ्ट मम्मे मेरी कठोर छाती के नीचे पिस रहे थे और मैं उसकी हथेलियों को अपनी हथेलियों में फंसाए उसका पूरा चेहरा जगह जगह से चूम चाट रहा था।
मैं उसके गले को चूमता हुआ उसके स्तनों तक आ पहुँचा और उसका बायाँ स्तन मैंने अपनी मुट्ठी में भर लिया और दायें स्तन को अपने मुंह में भर के धीरे धीरे काटते हुए चूसने लगा।

अदिति के बदन में हल्की सिहरन सी होने लगी थी और वो अपने तन की उमंगों को अपने वश में रखने का पूरा प्रयास कर रही थी। अब उसके उरोजों में कसाव आने लगा था और उसके निप्पल भी फूल गए थे, किशमिश से अंगूर बन चुके थे।

अब मैंने उसका बायाँ स्तन चूसना मसलना शुरू किया और दायें वाले को मुट्ठी में भर के गूंथने लगा। अदिति के मुख से धीमी धीमी कामुक कराहें आने लगीं थीं और वो जल्दी जल्दी मेरी पीठ सहलाने लगी थी, साथ ही मुझे लगता कि वो अपनी कमर को बार बार ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चड्डी को मुझसे टच करवा रही थी।

मेरा लण्ड तो कब का पूरी तरह से भीमकाय रूप धर चुका था, मेरा लण्ड रेस के घोड़े की तरह लम्बी और खूबसूरत पारी खेलने को तैयार था। मेरे लण्ड ने अभी अपनी पिच का मुआयना तो नहीं किया था परन्तु मुझे यकीन था कि अदिति की जगह कोई मर्दखोर, लण्डखोर रण्डी भी होती तो वो भी पनाह मांग जाती।

उसके स्तनों का स्वाद और मज़ा जी भर के लेने के बाद मैं अदिति के बदन के नीचे की ओर बढ़ चला, उसके समतल सुतवां पेट को चाटते हुए उसकी नाभि के कूप में मैंने अपनी जीभ घुसा दी और उस गोल गोल घुमाने लगा…
अदिति की साँसें बेतरतीब होती जा रहीं थीं और अब वो अपनी एड़ियाँ भी बिस्तर पर रगड़ने लगी थी।

पेट और नाभि को चाट चूम कर मैंने उसकी पैंटी को जानबूझ कर नहीं छेड़ा और उसके पैरों के पास बैठ कर उसके पैर की उँगलियों को दोनों हाथों से दबाने और मुंह में लेकर चुभलाने लगा।

अदिति ने मुझे गहरी नज़र से देखा। शायद उसकी आँखों वो प्रश्न था कि मैंने उसकी जाँघों के मध्य भाग को क्यों यों ही बिना कुछ किये छोड़ दिया था।
अब वो बेचारी क्या जाने कि मैं उसे किस मंजिल की तरफ ले जा रहा था…

उसके पैरों की उँगलियों को मुंह में ले के धीमे धीमे दांतों से काटने कुतरने लगा और उसके तलवे चाटना शुरू किये। वो भी बेचारी भरपूर जवान छोरी थी, कब तक सब्र करती, मेरे तलवे चाटना शुरू करते ही उसने अपना आपा खो दिया और उठ कर बैठ गई।

‘बस भी करो … मत करो ऐसे प्लीज. बहुत गुदगुदी सी हो रही है सब जगह!’ वो बोली और उसने अपने पैर सिकोड़ लिए और बैठ गई।
लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी करके उसकी टाँगें फिर से खींच लीं और उसकी पिंडलियाँ काटने, चाटने लगा। वो मुझे पैरों से परे धकेलने लगी लेकिन मैंने इस बार उसकी जाँघों को चूमना चाटना शुरू कर दिया।


क्या बताऊँ अदिति का पूरा बदन किसी रसीले फल, किसी मिठाई के डिब्बे की तरह था जिसमें तरह तरह के स्वाद भरे पड़े थे… अदिति की गुदाज़, केले के तने जैसी सुडौल साटन की तरह चिकनी मरमरी जाँघों को चूमने चाटने का वो आनंद मैं आजीवन नहीं भूल सकता। मेरी नाक बार बार उसकी पैंटी के निचले तिकोने छोर तक जाती और मैं जानबूझ कर अपनी नाक की नोक को वहाँ पर छुआ देता और वापस लौट आता।

उधर अदिति का हाल बेहाल हो रहा था, उसकी चड्डी के ऊपर नमी की दरार अब साफ़ साफ़ दिख रही थी। उसकी चूत की दरार के निचले हिस्से पर जहाँ जन्नत का प्रवेश द्वार होता है, वहाँ पर उसकी पैंटी कुछ ज्यादा ही गीली चिपचिपी सी हो रही थी।
अब मेरा सब्र भी मेरे हाथ से निकलने लगा था और मैं उसकी रिसती चूत देखने को उतावला बेकरार हो उठा था, मैंने झट से उसके दोनों मम्मे अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिए और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा और समूची चूत मुंह में भर कर धीरे धीरे झिंझोड़ने लगा।
मैंने अदिति के चूचुकों को चुटकियों से मसलते हुए उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से ही चबाना जारी रखा।
एक दो मिनट बाद ही वो बेकाबू हो गई और अपने पैर से मेरे सिर पर दबाव देकर मुझे हटाने की पूरी कोशिश करने लगी लेकिन सफल नहीं हुई और अपने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए साथ ही अपनी जाँघों से मेरा सिर भींचने लगी।

मैं समझ गया कि उसे क्या हो रहा था और मैं उसी क्षण उसके ऊपर से हट गया।
उसने अविश्वास से मेरी तरफ देखा और फिर अपनी पैंटी को मुट्ठी में भर कर अपनी चूत खुद ही मसलने लगी लेकिन मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर हटा दिये, उसकी कमर दो तीन बार हवा में उछली और फिर वो अपनी बेबसी के कारण अपने होंठ खुद चबाने लगी।



मैंने अदिति के हाथ छोड़ दिए और उसकी कच्छी पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा।
उसने भी झट से अपनी कमर उठा कर मेरा काम आसान कर दिया।
जैसे ही उसकी कच्छी उसके बदन से अलग हुई उसने झट से लजा कर अपनी चूत हथेलियों से ढक ली लेकिन मैंने उसके हाथ हटा दिए और उसकी अनचुदी चूत निहारने लगा।


अदिति की चूत उन सबसे निराली थी। अपनी भारतीय लड़कियों की चूत गहरे सांवले रंग की या काली होती है चाहे लड़की कितनी भी गोरी चिट्टी क्यों न हो। लेकिन अदिति की चूत एकदम फक गोरी गुलाबी मक्खन जैसी थी, बिल्कुल किसी बेबीसिटर पोर्न स्टार के जैसी!
सुबह ही उसकी झांटें शेव कर ली थीं इस कारण उसकी जाँघों और चूत के लिप्स की स्किन और रंग एक सा ही था… गोरा गुलाबीपन लिए हुए!

उसकी चूत का आकार भी बहुत छोटा सा था, देखने में बहुत मासूम भोली सी चूत, किसी अवयस्क बच्ची की तरह. कचौरी जैसी फूली हुई उसकी चूत बहुत ही मोहक लग रही थी, चूत के उपरी भगोष्ठ आपस में चिपके हुए थे और उसकी दरार एक पतली रेखा की तरह थी जैसे किसी ने ब्लेड से चीरा लगा दिया हो!
उसकी चूत से रस के स्राव के कारण पूरा तिकोना भीगा भीगा सा था।

मैं उस पर झुक गया और उसके भगोष्ठ चाटने लगा, उसके रस का हल्का नमकीन स्वाद भा गया मुझे! यह स्वाद जूही की चूत के स्वाद से भिन्न था और बेहतर भी!
कुछ देर चूत ऊपर से चाटने का आनन्द लेने के बाद मैंने उसकी चूत धीरे से अपने दोनों हाथों से खोल दी।
चूत के भीतर जैसे तरबूज के जैसा लाल रसीला गूदा भरा हुआ था जिसे मैं बरबस ही चाटने लगा।

अदिति अब बिस्तर पर अपनी एड़ियाँ रगड़ रही थी और बार बार अपनी कमर उचका कर अपनी चूत मेरे मुंह में ठेल दे रही थी।
‘…भैया करो न अब!’ अदिति इतनी देर के फोरप्ले के बाद मुझसे बोली।कर तो रहा हूँ अदिति … चाट रहा हूँ न… बस अभी तुम्हें पूरा मज़ा मिल जायेगा।’ मैंने कहा।
मेरा जवाब सुनकर उसने अपनी चूत जोर से मेरे मुंह पर दे मारी जैसे उसे मेरा जवाब पसन्द न आया हो।

अदिति सेक्सी बिल्ली है इसलिये मैं उसे पूरा कामोत्तेजित करके इस मुकाम तक लाना चाहता था कि वो अपना नारी सुलभ शील, संकोच, लज्जा, शर्म, हया सब तज कर एक चुदासी नवयौवना की तरह लण्ड लेने के लिए मचल जाये।

यही सोचकर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के सबसे संवेदनशील जगह उस नन्ही सी कलिका पर रख दी जिसे भगांकुर कहते हैं।
ऐसा करते ही मानो उसके बदन में भूचाल आ गया…
‘… अब आ भी जाओ… मेरे हो जाओ… आह आः हः… पूरे समा जाओ मुझमें!’अदिति बड़े कामुक स्वर में बोली।
‘हां…बेबी, मेरी जीभ समाई हुई है न… बस अभी तू झड़ जायेगी।’ मैंने कहा और उसका लहसुन अपने होठों से दबा के चूसने लगा।

‘ओ नो… ऐसे नहीं… फक मी नाऊ…’ वो बोली और मेरे सिर के बाल खींचने लगी।
‘या बेबी… एम फकिंग यू ना…’ मैंने शरारत से कहा।
फिर वो एकदम से उठ कर बैठ गई और मुझसे लिपट कर मेरा लण्ड पकड़ लिया- I urgently need this tool inside me… अब जल्दी से इसे मेरी में घुसा दो!
वो सिसकार के बोली।

‘अदिति यह बहुत बड़ा है तुम्हारे हिसाब से… अभी तुम झेल नहीं सकोगी इसे… you are too young for that!’ मैंने उसे समझाते हुए कहा।
‘उफ्फ्फ… thats none of your business, … I can and will handle yours… you just fuck me right now pls… I beg your cock inside my cunt!’ वो थोड़ा झुंझला कर लगभग दांत पीसती हुई सी बोली।
‘बेबी, फट जायेगी तुम्हारी चूत… अभी भी समय है, एक बार फिर से सोच लो।’ मैंने उसे और सताया।
‘अरे तो फट जाने दो ना… आपको उससे क्या, मैं जब खुद कह रही हूँ तो?’ इस बार वो रोने के से अंदाज़ में बोली।


‘अच्छा ठीक है… मुझे क्या, लो लण्ड को मुंह में ले के अच्छे से गीला करो इसे चूस चूस के!’ मैंने कहा।
तो अदिति ने झट से लण्ड मुंह में भर लिया और पूरी तन्मयता के साथ जल्दी जल्दी चूसते हुए लण्ड को अपनी लार से गीला करने लगी, फिर जल्दी से बाहर निकाल दिया- लो भैया … अब फुर्ती से आ जाओ मुझमें!
उसने कहा और प्यासी निगाहों से मुझे आमंत्रित किया।

फिर मैंने उसके घुटने ऊपर की तरफ मोड़ दिए और एक तकिया उसकी कमर के नीचे रख दिया, अब उसकी चूत पूरी खिल कर मेरे सामने थी।
‘अपनी चूत खोलोअदिति !’ मैंने कहा।
उसने अपने दोनों हाथ अपनी चूत के ऊपर रखे और फिर अँगुलियों से अपनी चूत के भगोष्ठ खोल दिए। ऐसा करने के साथ ही उसका चेहरा लाज से लाल पड़ गया और उसने अपनी आँखें मूँद कर मुंह दूसरी तरफ कर लिया।

मैंने झुक कर उसकी खुली हुई चूत के भीतर चाटा और अच्छे से गीला कर दिया और फिर अपना सुपारा उसके छेद में दबा कर फंसा दिया और धक्का देने की पोजीशन में बैठ गया।


जब कोई लड़की अपनी चूत अपने हाथों से खोल कर इस तरह से लेटकर चोदने का न्यौता देती है तब यह उसके समर्पण की पराकाष्ठा होती है, अपनी लाज शर्म त्याग कर ही वो ऐसा कर पाती है…. किसी कामलोलुप नारी के निर्लज्ज होने की सीमा है ये, इसके आगे कोई लड़की और कर भी क्या सकती है?

‘अदिति , you ready?’ मैंने पूछा।
‘हाँ भैया !’ वो बोली।

अदिति अपनी टाँगें ऊपर उठाये हुए अपने हाथों से अपनी चूत के पट पूरी तरह खोले हुए मेरे लण्ड के इंतजार में थी।

‘hold it अदिति … here I come!’ मैंने कहा।
और लण्ड को पूरी ताकत से उसकी चूत में भोंक दिया, मेरा सुपाड़ा उसकी चूत के कसाव को ढीला करता हुआ गहराई तक धंस गया और मेरी झांटें उसकी चूत से जा टकराईं।

‘आह.. ऊई मम्मी… हाय राम.. क्या करूं… भाभी… लगता है चीर दी मेरी तुम्हारे भाई ने!’ वो तड़प कर बोली और मुझे अपने पैरों से दूर धकेलने लगी।
लेकिन मैंने उसकी दोनों टाँगें कस कर पकड़ के अपनी तरफ खींच लिए जिससे उसकी चूत अच्छे से मेरे लण्ड के निशाने पर आ गई।
मैंने अपने लण्ड को जरा सा पीछे लिया और फिर से एक पॉवरफुल शॉट दे मारा, इस बार रही सही कसर भी पूरी हो गई और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाम हो गया।भैया छोड़ दो मुझे… निकाल लो अपना… मुझे माफ़ करो. मैं नहीं सह पाऊँगी।’अदिति दर्द से बिलखते हुए बोली।
‘I warned you baby to keep your cunt off my cock… didn’t I? समझाया था न तुझे?’ मैंने उसे याद दिलाया।
‘हाँ, मेरी गलती, पर अब क्या करूं… आपका ये सहन ही नहीं कर पा रही मैं… बहुत हिम्मत जुटा रहीं हूँ फिर भी… अआः मेरा लण्ड बांस के लट्ठ की तरह अदिति की चूत में गड़ा हुआ था जिसके झड़ने की अभी दूर दूर तक सम्भावना नहीं थी।
मुझे अदिति को हो रहे दर्द की भी फ़िक्र थी इसलिये मैंने अपने लण्ड को एक झटके में बाहर खींच लिया।

जैसे ही उसकी चूत से वेक्यूम रिलीज हुआ तो ‘पक्क’ जैसी आवाजअदिति की चूत से निकल गई जैसे कोल्ड ड्रिंक का ढक्कन ओपन करने से आती है।
फिर वो तुरंत अपनी टांगों को सिकोड़ कर औंधी लेट गई एवं गहरी गहरी साँसें भरने लगी और उसके मुंह से राहत भरी कराहें आने लगीं जैसे लण्ड बाहर निकल जाने से उसे भारी राहत मिल गई हो।

मैं अब उसके ऊपर लेट गया और यहाँ वहाँ चूमते हुए दुलारने पुचकारने लगा।
आखिर अभी बेचारी की उमर ही क्या थी! वो ठीक है कि अपनी चूत की सनसनी से परेशान होकर उसमें ऊँगली या पेन पेन्सिल घुसेड़ कर तृप्त हो लेती थी परन्तु वो ऐसी कोई खेली खाई लड़की भी नहीं थी जो पहले से चुदाई करवाती रही हो।

लड़की जब खुद अपनी मर्जी से अपनी चूत में कोई चीज घुसाती है और मूव करती है तो उस पर उसका खुद का कंट्रोल होता है… कितना घुसाना है, किस पॉइंट पर कितना प्रेस करना है, किस एंगल से मूव करना है… ये सब वो अपने हिसाब से मैनेज कर लेती है। लेकिन जब कोई आदमी लण्ड उसकी चूत में पेलता है तो लड़की को सिर्फ अनुभव करना होता है लण्ड के मूवमेंट पर उसका कोई बस नहीं रहता… चोदने वाला जैसे चाहे अपने लण्ड को ड्राइव करे, यह कमान उसी के हाथ रहती है।

मैंने तीन चार मिनट अदिति को आराम दिया, उस दौरान मैं उसके नितम्ब चूमता रहा, उन्हें काटता रहा, उसकी पीठ सहलाते हुए उसकी गर्दन पर चुम्बन करता रहा और नीचे हाथ डाल कर उसके मम्मे मुट्ठी में भर के जोर जोर से दबाता मसलता रहा।

अब वो धीरे धीरे आहें कराहें भरने लगी थी और बार बार अपने नितम्ब ऊपर की तरफ उठा लेती। मैंने अपना लण्ड उसकी जांघों के बीच फंसा दिया और धीरे धीरे उसे भीतर बाहर करने लगा।
वत्सला को शायद ये अच्छा लगा और उसने अपनी टाँगें और चौड़ी कर लीं जिससे मुझे और थोड़ा ज्यादा रूम मिल गया, अब मेरा लण्ड उसकी चूत पर घिस रहा था।

मैंने अपना सुपारा दो तीन बार अदिति की चूत से घिस कर उसकी चिकनाई से चिकना किया और छेद पर लगा कर धकेल दिया भीतर और आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगा उसे… साथ ही उसके कूल्हों पर थपेड़े लगाते हुए उसे चोदने लगा।
मेरे चांटों से उसके गोरे गुलाबी चूतड़ों पर लाल लाल निशान पड़ गए।

वो चुपचाप शांत लेटी हुई कुनमुना रही थी; शायद अब वो अपनी चूत चुदाई का मज़ा उठाने लगी थी। मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी उसने भी अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड को जवाब देना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि अब यह मस्ता गई है और इसे हचक के चोदना चाहिये।
यही सोच कर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया।

‘क्या हुआ …करो न?’ उसने अपनी गर्दन मोड़ कर मुझे देखा और बोली।
‘अब दर्द तो नहीं है न तेरी चूत में?’
‘हो रहा अब भी .. लेकिन होने दो, आप तो आ जाओ फिर से!’
‘ठीक है तो फिर अब तू घोड़ी बन जा… ऐसे में ठीक से नहीं जा रहा पूरा!’ मैंने उसे कहा।

तब अदिति झट से उठ कर अपनें हाथों और घुटनों के बल खड़ी हो गई, मैंने सटाक से लण्ड को फिर से उसकी चूत में पेल दिया और नीचे हाथ डाल कर उसके सख्त मम्मे थाम लिए और उसकी चूत मारने लगा।
वो भी अपनी गांड को पीछे धकेल धकेल के जवाब देने लगी इस बार लण्ड ठीक से सटासट हो रहा था उसकी चूत में… जैसे जैसे मैं स्पीड बढ़ाता, अदिति भी ताल में ताल मिलाती हुई अपनी कमर को पीछे आगे करने लगी।


‘भैया … you fucking me so nice… fuck me harder now!’ वो बोली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को मेरे लण्ड पर मारने लगी।
मैंने अब उसके सिर के बाल चोटी की तरह लपेट कर जोर से खींच लिए जिससे उसका मुंह ऊपर उठ गया और अपने बायें हाथ में उसकी चोटी लपेट कर दायें हाथ से उसकी पीठ और कूल्हों पर चांटे मारता हुआ उसे बेरहमी से चोदने लगा।

वो भी अपनी गांड को ऊपर नीचे कभी आगे पीछे करती हुई अपनी चुदाई को एन्जॉय कर रही थी, अदिति का असली रंग अब सामने आने लगा था…
‘हां … ऐसे ही.. चीर फाड़ डालो इसे… बहुत सताती है ये मुझे!’ओ...... आह....... मादरचोद....... जम के चोद...... उफ.......... आज फाड़ दे मेरी चूत. वो दांत पीसती हुई बोली।

उसकी चूत अब बहुत गीली होकर फच फच आवाजें करने लगी थी और वो अपने मुंह से ‘हूँ हूँ’ की आवाज करते हुए पूरी दम से मेरा साथ निभाये जा रही थी।
मैं समझ गया कि अब यह यौवना झड़ कर ही दम लेगी, इसलिये मैंने धक्के लगाना बंद कर दिया लेकिन वो अपनी ही धुन में आगे पीछे होती हुई मेरा लण्ड निगलती उगलती रही।

मैं मन्त्रमुग्ध सा उसके गोल मटोल कूल्हों की चाल देख रहा था, वो अपनी कमर चलाये चली जा रही थी; जैसे ही वो आगे को होती मेरा लण्ड बाहर निकल आता जैसे ही वो पीछे को आती तो गप्प से लण्ड को निगल जाती।
मैं थोड़ा सा और पीछे को हो गया जिससे बार बार मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल जाता तो उसने झुंझला कर अपना हाथ पीछे ला कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया और फिर से कमर चलाने, चूतड़ मटकाने लगी।

इस बार वो पूरा खयाल रख रही थी कि लण्ड बाहर न निकलने पाये और वो परफेक्टली इस तरह आगे पीछे होने लगी कि लण्ड सुपारे की टिप तक बाहर निकले और फिर से वापिस घुस जाये।

मैं समझ रहा था कि अब अदिति जल्दी ही झड़ जायेगी और मैं इस पारी को थोड़ा और लम्बा खींचना चाहता था इसलिये मैं उससे अलग हट गया और वहीं लेट गया।

अदिति ने मुझे गुस्से से देखा जैसे उसे मेरा अलग हटना पसन्द न आया हो, वो तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गई और लण्ड को अपनी चूत के छेद पर फिट करके एक ही बार में पूरा घुसा ले गई और दनादन ऊपर नीचे होने लगी।
मैंने भी उसके सख्त उरोज पकड़ लिए और उसके चूचकों को मसलने लगा।

अब उसने मिसमिसा कर अपनी चूत मेरी झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी, उसकी आँखों में अजब सी वासना की चमक थी और वो बार बार अपने नाख़ून मेरे सीने में गड़ा देती और फिर से मिसमिसा कर अपनी चूत मेरी झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी,
अब पूरा कंट्रोल उसके हाथ में था और वो मेरे लण्ड को अपने हिसाब से ले रही थी।
मैं तो बस इस स्थिति को एन्जॉय कर रहा था कि एक ताजा ताजा जवान हुई छोरी मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी कामाग्नि को शान्त करने का जी तोड़ प्रयास कर रही थी और झड़ने के लिए बेचैन उसकी चूत मेरे लण्ड से लोहा लेते हुए कड़ा संघर्ष कर रही थी।


अदिति अभी भी ताबड़ तोड़ झटके लगाए जा रही थी मेरे ऊपर चढ़ी हुई… लेकिन मैं अब उसके ऊपर चढ़ कर उसे अपने हिसाब से चोदना चाहता था तो मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और लिटा के उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और उसके दोनों दूध कस के दबोच लिए और एक बार में ही लण्ड को उसकी चूत में भोंक दिया।

चूत गीली रसीली होने के कारण लण्ड बिना किसी बाधा के घुसा और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया…
‘आह आः हां… ऐसे ही… I loved this shot… भैया !’ वो बोली और अपनी कमर उचका कर मेरा स्वागत किया।
मैं उसके मम्मे दबोचे हुए बार बार वैसे ही शॉट्स लगाने लगा, मेरे हर धक्के पर उसके मुंह से आनंदभरी किलकारी निकलती और वो प्रत्युत्तर देने के लिए अपनी कमर उठाती लेकिन उसकी टाँगें मेरे कंधों पर होने से उसका दांव ठीक से नहीं चल पा रहा था।

मैंने उसकी चिंता किये बगैर अपने हिसाब से उसे चोदने लगा, लण्ड को आड़ा तिरछा सीधा या नीचे की तरफ करके उसकी चूत को कुचलने लगा; ऐसा करने से उसका बदन ऐंठने लगा और वो मुझे अपने ऊपर खींचने लगी लेकिन मैं उसके ऊपर नहीं झुका और धक्के लगाता रहा।

‘और तेज तेज धक्के मारो मुझे… गाली दे के चोदो मुझे… जैसे मेरी भाभी चुदवाती है भैया से!’ वो अपनी कमर उछालते हुए तड़प कर बोली।
‘तुम्हारी भाभी को गाली सुनते हुए चुदवाना पसन्द है… कौन सी गाली देते हैं तुम्हारे भैया ?’ मैंने धक्के लगाते हुए पूछा।में उसकी भाभी यानि मेरी बहन नेहा के बारे में ये सब पूंछ रहा था
‘कोई सी भी गन्दी गाली… भाभी को बहुत जोश चढ़ता है गाली से!’ वो बोली।मेने कहा कोनसी गाली देते हे वो बोली ज्यादातर बहन की लौड़ी..... हरामजादी,रंडी,मेने कहा अब तू नेहा बनजा और मुझे वैसी ही गालिया दे जैसे वो तुम्हारे भाई को देती हे ,मेने ‘तो ये ले हरामजादी तेरी भाभी को भी चोदूँगा ऐसे ही… साली पहली चुदाई में ही छिनाल बन गई तू तो!’ मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर से भौंक दिया उसकी चूत में!

‘तो ये ले साली…कुतिया…तेरी भाभी की चूत मारूं… खा मेरा लण्ड अपनीचूत में!’ मैं ताबड़तोड़ धक्के लगाते हुए बोला।
‘हां… फाड़ डाल मेरी हरामन चूत को बना दे इसका भोसड़ा.. अब तेरी रण्डी हूँ मैं आज से जब चाहे चोद लेना मुझे!उफ..... हां......हां...... चोदो मुझे........उफ....हाय फाड़ दो अपनी बहन की ननद की चूत........ ओह........ हा......मादरचोद......हरामी..... और जोर से........ इ्र्र......ई............ ओह’ वो मिसमिसा कर बोली। मेने कहासाली! एक दम रंडी की तरह मचल रही है कुतीया। सब्र रख अभी तेरी चूत फाड़ूंगा बहन की लौड़ी..... हरामजादी..... चोद रहा हू न तुझे रंडी की तरंह........ कुतीया साली...... हाय........... मैं आने को हूँ रांड........ झड़ने वाला हूँ..... उफ.


‘हां… ऐसे ही. आह आः अः… fuck me baby… u drilling me so nice; am loving ur shots baby… gimme more… yaaaa fuck me like a whore uncle… मुझे रण्डी की तरह बेरहमी से चोद डालो… फाड़ डालो इस चूत को आज… yaa… aaa… I will be ur keep from now on… all my life. good job baby… am cumming now…मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद … मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे
दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से … बहुत अच्छा लग रहा है अब तो… मेरा होने वाला है.. पकड़ लो मुझे जोर से… यायाआय्या.. उई भाभी ’ अदिति ऐसे ही हिस्टीरिया के मरीज की तरह बोलती चली जा रही थी।

और फिर
‘ हटो जल्दी से… अब मेरा पानी निकल रहा बड़े जोर से!’ वो बड़ी व्यग्रता से बोली।
मैंने तुरंत अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. मेरे लण्ड निकालते ही उसकी चूत से रस का सोता सा फूट पड़ा, उसकी छूट इतनी तेज हुई जैसे फव्वारा चल पड़ा हो या जैसे किसी पाइप लाइन से पानी उछल उछल के लीक होता है।

उसी क्षण मैंने उसकी चूत के होंठ अपने हाथों से खोल दिए और देखा की वो रस की फुहार चुदाई करने वाले छेद से ही निकल कर करीब तीन इंच ऊपर तक उछल रही थी. मैंने अपने लण्ड को उन फुहारों में नहला लिया.
वाह… ऐसा आनन्द का नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं किया था।

लगभग एक मिनट तक अदिति यूं ही झड़ती रही और मैं उसकी छूट में अपना लण्ड भिगोता रहा।
जैसे ही उसका झरना बहना बंद हुआ, मैंने लण्ड को वापिस उसकी बुर में पेल दिया और फुर्ती से उसे चोदने लगा क्योंकि अब मैं भी झड़ जाना चाहता था।

अदिति भी जल्दी ही फिर से तैश में आ गई और मेरे धक्कों से ताल में ताल मिलाती हुई किसी अनुभवी चुदक्कड़ लड़की की तरह अपनी कमर उठा उठा कर मेरी आँखों में आँखें डाल कर अपनी चूत मुझे देने लगी; मैं भी पूरी तन्मयता और मनोयोग से उसकी लेता रहा।

जल्दी ही वो अपने पूरे शवाब पे आ गई और उसकी चूत मेरे लण्ड से भरपूर लोहा लेने लगी, कुछ देर उछलने के बाद फिर वो मुझसे आक्टोपस की तरह लिपट गई और अपने दांत मेरे कंधे में गड़ा दिए, मैं भी उसके साथ ही झड़ने लगा, मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ छूट छूट कर उसकी चूत में समाने लगीं, उसकी चूत की मांसपेशियाँ भी संकुचित हो हो कर मेरे लण्ड से रस की एक एक बूँद निचोड़ने लगी।मैं तो जैसे जीते जी जन्नत में जा पहुँचा और उसने अपने टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं।

हम दोनों पसीने पसीने होकर हांफ रहे थे; जल्दी ही उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और उसकी चूत संकुचित हो गई जिससे मेरा लण्ड बाहर निकल गया और उसकी चूत से मेरा वीर्य बह निकला।
Shaandar update bro next plz
 

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Lajawaab palang Tod chudai
[२]

उसके बाद अदिति के साथ 2 दिन तक फिर मौका नहीं मिला।
जब भी वो मेरे सामने आती, मैं यही सोचता कि इन होंठों को मैंने चूसा है, इन बोबों को पिया है, जब जीन्स या स्लेक्स में उसकी गोल गोल जांघें या चूतड़ देखता तो सोचता कि इनमें मैंने मेरा लंड फिराया है।
तीसरे दिन जूही और नेहा ने मुझे ऑफिस फ़ोन किया की वो किसी फ्रेंड्स की पार्टी में जा रही हे अदिति घर पर अकेली हे आप जल्दी चले जाना
में तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया और जल्दी घर भगा,घर पहुंचा तो

वो अपने कपडे प्रेस कर रही थी
प्रेस उसने मेरे बेड की साइड वाले स्विच में ही लगाई थी।

जब वो प्रेस कर रही थी तब अचानक मेरी नज़र उसकी टी शर्ट के अंदर गई। नीचे से उसने ढीली सी अंडर शर्ट पहन रखी थी और टी शर्ट के गले में से मैंने देखा, तो छोटे छोटे बड़े प्यारे प्यारे से मलाई के पेड़े झूल रहे हैं।

सच में मुझे उसके चूचे मलाई के पेड़ों जैसे ही लगे। मन में विचार आया कि अगर ये पेड़े खाने को मिल जाएँ तो ज़िंदगी का मकसद पूरा हो जाए।अचानक अदिति ने मुझसे कहा भैया उस दिन रात को आप मेरे क्या कर रहे थे ,कोनसी रात ?मेरी तो सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ,वो कहने लगी भैया अब में जवान हो गयी हू मेरे अंगो को टच करोगे तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा ,फिर अगर भाभी जाग जाती तो क्या होता ,मेने कहा सॉरी अदिति में बहक गया था ,उसने कहा बहक तो में भी जाती हु पर क्या करू

थोड़ा सा सकुचाते हुये मैंने कह ही दिया- तो कुछ कर लिया करो!
वो झट से बोली- क्या करूँ, हाथ से करना मुझे पसंद नहीं, बॉयफ्रेंड कोई है नहीं, तो किस से करूँ फिर?

यह तो बड़ी साफ बात कर दी उसने…
मैंने कहा- बॉय फ्रेंड बना लो!
‘नहीं…’ वो बोली- बॉय फ्रेंड नहीं बनाना, मुझे तो कोई तजुर्बेकार इंसान, एक ऐसा दोस्त जिसपे मैं यकीन कर सकूँ, वो चाहिए, जो मुझे इस सब के बारे में सब कुछ बता सके और मेरा कोई गलत फायदा भी ना उठाए।

मुझे लगा के इसका इशारा मेरी तरफ ही है तो मैंने कह दिया- ऐसा दोस्त तो फिर मैं ही हो सकता हूँ।
मेरे चेहरे की मुस्कान देख कर वो भी मुस्कुरा दी।
‘मगर पहले मैं सब कुछ जानना चाहती हूँ, उसके बाद ही मैं कुछ करने के बारे में सोचूँगी।’

मेरे तो दिल की धड़कन बढ़ गई- तो क्या जानना चाहोगी?
मैंने एक टीचर की तरह पूछा। उसके बाद उसने सेक्स के बारे में मुझसे बहुत से सवाल किए, और मैंने भी उसके हर सवाल का जवाब दिया, बात करते करते लफ्जों के बंधन खुलते गए और हम लिंग से लंड, योनि से चूत और बूब्स से चूचे जैसे शब्द भी इस्तेमाल करने लगे।

उसको बताते बताते मेरा अपना लंड मेरे पाजामे में पूरी तरह से तन गया। उसने भी देखा, मैंने भी उसे बता दिया- देखो यह है सेक्स का असर, तुमसे बात करते करते मेरा भी टाईट हो गया, क्या तुम्हें भी कुछ हो रहा है?
पता तो मुझे भी था कि उसकी चूत भी पानी छोड़ रही होगी।
वो भी बोली- हाँ, मैं भी गीला गीला महसूस कर रही हूँ।

अब जब इतनी बात खुल गई, तो मैंने उससे पूछा- अदिति क्या तुम मेरा लंड देखना चाहोगी?

वो चुप सी हो गई, मगर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने हाँ में सर हिलाया।

मैंने कहा- देखो तुम्हें खुद ही मेरा पाजामा उतार के इसे बाहर निकालना पड़ेगा।
मैंने कहा और उठ कर खड़ा हो गया।

अदिति ने पहले मेरी तरफ देखा, फिर मेरे पाजामे से तने हुये मेरे लंड को, और फिर अपने दोनों हाथों से मेरे इलास्टिक वाला पाजामा और मेरी चड्डी दोनों उसने एक ही बार में नीचे सरका दी।
मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड उसके सामने प्रकट हुआ, वो आँखें फाड़ के इसे देखने लगी।

ने कहा- सिर्फ देखो नहीं, इसे अपने हाथ में पकड़ो।
उसने एक हाथ में पकड़ा, मैंने कहा- दोनों हाथों से पकड़ो और मजबूती से, ज़ोर से पकड़ो!

उसने दोनों हाथों से ज़ोर से मेरा लंड पकड़ा तो मैंने अपनी कमर आगे को की और अपने लंड का टोपा बाहर निकाल दिया।
‘आह’ मेरे मुख से निकला- ऐसे ही पकड़े रहो।
मैंने कहा और मैं उसके हाथों में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, मुझे इसी में चुदाई का मज़ा आ रहा था।

मैंने पूछा- अदिति , तुमने ब्लू फिल्मों में देखा होगा, लड़कियाँ कैसे लंड चूसती हैं, तुम चूसोगी?
वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने अपनी कमर को धकेलते हुये अपने लंड को उसके मुँह से लगाया मगर उसने अपना मुँह घूमा लिया।

मैंने अपनी टाँगें हिला हिला कर अपना पाजामा और चड्डी बिल्कुल उतार दिये और पास में ही दीवान पे लेट गया- इधर आ जाओ अदिति
मैंने कहा तो वो आकर मेरे घुटनों के पास बैठ गई और उसने बिना कहे फिर से मेरा लंड पकड़ लिया।
‘इसे हिलाओ अदिति , ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिलाओ!’ मैंने कहा, वो हिलाने लगी।

उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, देखने से लगा रहा था कि वो पूरी गर्म है और इस वक़्त अगर मैं उसे चोदने को कहूँ तो हो सकता है वो मुझे चोदने दे।
मैंने कहा- अदिति , मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मेरी जान, अपनी जीन्स उतारो और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो, प्लीज़ यार!
मैंने कहा तो उसने मना कर दिया।
मैंने फिर कहा- अगर सेक्स नहीं कर सकता तो क्या मैं तुम्हारी चूत चाट तो सकता हूँ, मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है, प्लीज़ बेबी, अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दो, मैं उसे चाट कर ही संतुष्ट हो जाऊँगा!

वो उठी उसने अपनी जीन्स और पेंटी नीचे को सरकाई, मगर पूरी नहीं उतारी, मैंने देखी झांट के छोटे से गुच्छे में उसकी कुँवारी चूत की लकीर…
मैंने अदिति की चूत का जायजा लिया, उसकी चूत का चीरा खूब लम्बा था और चूत के होंठ भी खूब भरे भरे से गद्देदार थे. उसकी पुष्ट कदली जांघों के बीच उसकी चूत का नजारा बेहद शानदार था. चूत का भी अपना निराला सौन्दर्य, निराला वैभव और शान होती है. जिससे हम जन्म लेते हैं जिसके पीछे सारी उमर भागते हैं. जिसके आनन्द के सामने सब सुख फीके हैं उसका रूप भी आनंददायक तो होना ही चाहिए.
मैंने मुग्ध होकर उसकी चूत को चूम लिया. फिर मैंने धीरे से उसकी चूत का चीरा दोनों ओर उंगलियां रख के खोल दिया; भीतर जैसे रसीले तरबूज का गहरा लाल गूदा भरा हुआ था; उसकी चूत का दाना मटर के आकर का फूला हुआ सा था और भीतरी होंठ मुश्किल से तीन अंगुल लम्बे रहे होंगे. मैंने उसके लघु भगोष्ठ भी खोल दिए और उन्हें चूम लिया. अदिति की चूत के भीतरी कपाट बड़े अदभुत लगे मुझे; भीतरी भगोष्ठों के किनारों पर गहरी काली रेखा सी थी जैसे किसी गुलाबी नाव के किनारों पर काजल लगा दिया हो या जैसे हम आंख में अपनी निचली पलक पर काजल लगाते हैं तो आंखों की शोभा और बढ़ जाती है; ठीक उसी अंदाज में अदिति की चूत शोभायमान हो रही थी.

वो मेरे ऊपर लेट गई, मैंने अपना सर उसके घुटनों तक उतरी जीन्स में फंसा लिया और उसकी चूत को चूमा और फिर पूरा मुँह खोल कर अपने मुँह में ले लिया, और बस फिर जब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुमई तो वो तो उचक गई।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।
‘बहुत गुदगुदी होती है!’ वो बोली।
‘कोई बात नहीं, इसी में मज़ा आएगा!’ मैंने कहा और उसने अपनी चूत फिर से मेरे चेहरे पे रख दी और मैंने फिर से चाटने लगा।

उसकी चूत सच में गीली हुई पड़ी थी। उसकी कुँवारी चूत का पानी चाटते हुये मैं सोच रहा था ‘क्या बात है यार, एक कुँवारी लड़की मुझे मिली है, इसको तो चोद कर ज़िंदगी का मज़ा आ जाएगा।’

खैर पहले वो मेरे ऊपर लेटी मेरे लंड से खेलती रही, मगर जैसे जैसे मैं उसकी चूत चाट रहा था, उसका भी उन्माद बढ़ रहा था और फिर तो वो मेरे लंड को बड़ी मजबूती से पकड़ कर मेरा हस्तमैथुन करने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने अपनी एक बाजू से उसे अपने से चिपका रखा था। जितना मैं अपनी जीभ से उसकी चूत का दाना सहलाता, उसकी चूत के अंदर तक जीभ डाल कर चाटता, वो उतना ही तड़पती, और फिर इसी उन्माद में उसने बिना कहे ही मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।


यह सुख तो मुझे बरसों बाद मिला था, वो चूसती गई और मैं चाटता रहा, और फिर मेरे तो फव्वारे छूट गए, लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल पड़ी और उसके मुँह के अंदर बाहर, आजू बाजू सब भिगो दिया।
उसने मुँह से मेरा लंड निकाला और थू थू करके थूकने लगी।

मगर मैंने उसकी कमर को नहीं छोड़ा और उसकी चूत को चाटता रहा।
कोई 2-3 मिनट और चाटा और फिर वो तड़पने लगी- आह, भैया , खाओ जाओ, खाओ जाओ इसे, आह…. मर जाऊँगी मैं सच में, प्लीज़ भैया , और चाटो!

वो बोलती गई, अपनी चूत को मेरे चेहरे पे रगड़ती रही और फिर मेरे वीर्य से भीगे हुये लंड अपने मुँह से लेकर चूस गई।
बड़ी मुश्किल से मैंने उसे तड़पती हुई को संभाला।
खूब उछली, पटक पटक के उसने अपनी चूत मेरे मुँह पे मारी, उसकी चूत से सफ़ेद पानी के टुपके मैंने टपकते हुये देखे, मैं वो भी चाट गया, फिर वो शांत हो कर मेरे ऊपर ही लेटी रही, मगर मेरा लंड अब भी उसने हाथ में पकड़ा हुआ था।

कोई 5-6 मिनट बाद वो उठी, अपने कपड़े पहने और कहने लगी भाभी आने वाली होगी और जाने लगी तो मैंने उसे रोका- अरे यार ऐसे मत जाओ, मेरे कपड़े भी तो पहना दो। वो मुस्कुराई, फिर पहले तो बाथरूम से पानी ला कर उसने मेरी जांघें और लंड को अच्छे से साफ किया, मेरे कपड़े पहनाए, बिस्तर ठीक किया और सब सेट करने के बाद जाने लगी तो मैंने पूछा- रात को मिलोगी ?
‘ज़रूर…’ उसने कहा और चली गई।

और अब मैं रात का इंतज़ार करने लगा और सोचने लगा, अगर आयी आई तो क्या उसके साथ सेक्स करके देखूँ, अगर वो मान गई तो क्या वो मुझे चोदने देगी। फिर जूही और नेहा को में कैसे सेट करू लेकिन उस दिन तक़दीर मुझ पर मेहरबान थी जूही का मेरे पास फ़ोन आया की यार हमारी फ्रेंड हमें आने नहीं दे रही इसलिए हम रात यही रुक रहे हे तुम अदिति का ध्यान रख लेना मेने अदिति को ये खुशखबरी सुनाई और उसे बांहो में भरकर चूमने लगा


‘अरे क्या बताऊँ यार, तुम्हारे जाने के बाद तो मैं तुम्हारे ही ख्यालों में खोया रहा!’ मैंने कहा।
‘क्यों, ऐसा क्यों?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- यार ये इश्क़ होता ही ऐसा है!
मैंने कहा तो वो मुस्कुरा के बोली- क्या आपको मुझसे इश्क़ हो गया है?
मैंने कहा- हाँ, मुझे तुम बहुत प्यारी लगती हो, कई रातो से में तुम्हारे बारे में सोचता रहा, आई लव यू अदिति !

‘अरे आप तो दीवाने हो गए भैया !’ वो बोली।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारा दीवाना हूँ, और आज मैं तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ।
मैंने उसे साफ साफ बोल दिया।

वो बोली- भैया , सेक्स तो मैं भी करना चाहती हूँ, पर डर लगता है, दर्द होगा।
मैंने कहा- मेरा तजुरबा किस दिन काम आएगा, थोड़ा दर्द तो होगा, मगर इसमे मज़ा भी भरपूर है, बोलो करोगी?
वो बोली- ट्राई करके देखते हैं, अगर दर्द हुआ तो रहने देंगे!
मैंने कहा- हाँ, अगर दर्द हुआ तो रोज़ थोड़ी थोड़ी प्रेक्टिस करते रहेंगे और एक दिन सब कुछ बिल्कुल सेट हो जाएगा।मैंने बिना एक पल गंवाये अदिति को अपनी बाहों में भर लिया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने किसी रेशम की सुगन्धित गठरी को अपनी बाहों में समेट लिया हो!
मैं कब से तरस रहा था इस कली का रस पीने को! मैंने उसका संतरे की फांक जैसा निचला होंठ अपने होंठों में ले लिया और रस पीने लगा।
ऐसी कोमल सुकुमारी कामिनी का आलिंगन इसके पूर्व मैंने कभी नहीं किया था।


देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैं उसके फूल से गालों पर अपने गीले होंठों की छाप छापनी शुरू कर दी और फिर उसके कान की लौ को चूसने लगा।
लड़कियों के कान की लौ बहुत संवेदनशील होती है और अगर कान छिदे न हों तो उनका चुम्बन लड़की को बहुत जल्दी कामातुर कर देता है।
अदिति के कान भी छिदे नहीं थे तो मेरे चूसने का असर उस पर जल्दी ही हो गया और उसने अपने हाथ अपने बूब्स पर से हटा कर मेरी पीठ पर रख लिए और अपने नाख़ून गड़ाने लगी।

अब उसके रुई के गोले से सॉफ्ट मम्मे मेरी कठोर छाती के नीचे पिस रहे थे और मैं उसकी हथेलियों को अपनी हथेलियों में फंसाए उसका पूरा चेहरा जगह जगह से चूम चाट रहा था।
मैं उसके गले को चूमता हुआ उसके स्तनों तक आ पहुँचा और उसका बायाँ स्तन मैंने अपनी मुट्ठी में भर लिया और दायें स्तन को अपने मुंह में भर के धीरे धीरे काटते हुए चूसने लगा।

अदिति के बदन में हल्की सिहरन सी होने लगी थी और वो अपने तन की उमंगों को अपने वश में रखने का पूरा प्रयास कर रही थी। अब उसके उरोजों में कसाव आने लगा था और उसके निप्पल भी फूल गए थे, किशमिश से अंगूर बन चुके थे।

अब मैंने उसका बायाँ स्तन चूसना मसलना शुरू किया और दायें वाले को मुट्ठी में भर के गूंथने लगा। अदिति के मुख से धीमी धीमी कामुक कराहें आने लगीं थीं और वो जल्दी जल्दी मेरी पीठ सहलाने लगी थी, साथ ही मुझे लगता कि वो अपनी कमर को बार बार ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चड्डी को मुझसे टच करवा रही थी।

मेरा लण्ड तो कब का पूरी तरह से भीमकाय रूप धर चुका था, मेरा लण्ड रेस के घोड़े की तरह लम्बी और खूबसूरत पारी खेलने को तैयार था। मेरे लण्ड ने अभी अपनी पिच का मुआयना तो नहीं किया था परन्तु मुझे यकीन था कि अदिति की जगह कोई मर्दखोर, लण्डखोर रण्डी भी होती तो वो भी पनाह मांग जाती।

उसके स्तनों का स्वाद और मज़ा जी भर के लेने के बाद मैं अदिति के बदन के नीचे की ओर बढ़ चला, उसके समतल सुतवां पेट को चाटते हुए उसकी नाभि के कूप में मैंने अपनी जीभ घुसा दी और उस गोल गोल घुमाने लगा…
अदिति की साँसें बेतरतीब होती जा रहीं थीं और अब वो अपनी एड़ियाँ भी बिस्तर पर रगड़ने लगी थी।

पेट और नाभि को चाट चूम कर मैंने उसकी पैंटी को जानबूझ कर नहीं छेड़ा और उसके पैरों के पास बैठ कर उसके पैर की उँगलियों को दोनों हाथों से दबाने और मुंह में लेकर चुभलाने लगा।

अदिति ने मुझे गहरी नज़र से देखा। शायद उसकी आँखों वो प्रश्न था कि मैंने उसकी जाँघों के मध्य भाग को क्यों यों ही बिना कुछ किये छोड़ दिया था।
अब वो बेचारी क्या जाने कि मैं उसे किस मंजिल की तरफ ले जा रहा था…

उसके पैरों की उँगलियों को मुंह में ले के धीमे धीमे दांतों से काटने कुतरने लगा और उसके तलवे चाटना शुरू किये। वो भी बेचारी भरपूर जवान छोरी थी, कब तक सब्र करती, मेरे तलवे चाटना शुरू करते ही उसने अपना आपा खो दिया और उठ कर बैठ गई।

‘बस भी करो … मत करो ऐसे प्लीज. बहुत गुदगुदी सी हो रही है सब जगह!’ वो बोली और उसने अपने पैर सिकोड़ लिए और बैठ गई।
लेकिन मैंने उसकी बात अनसुनी करके उसकी टाँगें फिर से खींच लीं और उसकी पिंडलियाँ काटने, चाटने लगा। वो मुझे पैरों से परे धकेलने लगी लेकिन मैंने इस बार उसकी जाँघों को चूमना चाटना शुरू कर दिया।


क्या बताऊँ अदिति का पूरा बदन किसी रसीले फल, किसी मिठाई के डिब्बे की तरह था जिसमें तरह तरह के स्वाद भरे पड़े थे… अदिति की गुदाज़, केले के तने जैसी सुडौल साटन की तरह चिकनी मरमरी जाँघों को चूमने चाटने का वो आनंद मैं आजीवन नहीं भूल सकता। मेरी नाक बार बार उसकी पैंटी के निचले तिकोने छोर तक जाती और मैं जानबूझ कर अपनी नाक की नोक को वहाँ पर छुआ देता और वापस लौट आता।

उधर अदिति का हाल बेहाल हो रहा था, उसकी चड्डी के ऊपर नमी की दरार अब साफ़ साफ़ दिख रही थी। उसकी चूत की दरार के निचले हिस्से पर जहाँ जन्नत का प्रवेश द्वार होता है, वहाँ पर उसकी पैंटी कुछ ज्यादा ही गीली चिपचिपी सी हो रही थी।
अब मेरा सब्र भी मेरे हाथ से निकलने लगा था और मैं उसकी रिसती चूत देखने को उतावला बेकरार हो उठा था, मैंने झट से उसके दोनों मम्मे अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिए और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा और समूची चूत मुंह में भर कर धीरे धीरे झिंझोड़ने लगा।
मैंने अदिति के चूचुकों को चुटकियों से मसलते हुए उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से ही चबाना जारी रखा।
एक दो मिनट बाद ही वो बेकाबू हो गई और अपने पैर से मेरे सिर पर दबाव देकर मुझे हटाने की पूरी कोशिश करने लगी लेकिन सफल नहीं हुई और अपने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए साथ ही अपनी जाँघों से मेरा सिर भींचने लगी।

मैं समझ गया कि उसे क्या हो रहा था और मैं उसी क्षण उसके ऊपर से हट गया।
उसने अविश्वास से मेरी तरफ देखा और फिर अपनी पैंटी को मुट्ठी में भर कर अपनी चूत खुद ही मसलने लगी लेकिन मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर हटा दिये, उसकी कमर दो तीन बार हवा में उछली और फिर वो अपनी बेबसी के कारण अपने होंठ खुद चबाने लगी।



मैंने अदिति के हाथ छोड़ दिए और उसकी कच्छी पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा।
उसने भी झट से अपनी कमर उठा कर मेरा काम आसान कर दिया।
जैसे ही उसकी कच्छी उसके बदन से अलग हुई उसने झट से लजा कर अपनी चूत हथेलियों से ढक ली लेकिन मैंने उसके हाथ हटा दिए और उसकी अनचुदी चूत निहारने लगा।


अदिति की चूत उन सबसे निराली थी। अपनी भारतीय लड़कियों की चूत गहरे सांवले रंग की या काली होती है चाहे लड़की कितनी भी गोरी चिट्टी क्यों न हो। लेकिन अदिति की चूत एकदम फक गोरी गुलाबी मक्खन जैसी थी, बिल्कुल किसी बेबीसिटर पोर्न स्टार के जैसी!
सुबह ही उसकी झांटें शेव कर ली थीं इस कारण उसकी जाँघों और चूत के लिप्स की स्किन और रंग एक सा ही था… गोरा गुलाबीपन लिए हुए!

उसकी चूत का आकार भी बहुत छोटा सा था, देखने में बहुत मासूम भोली सी चूत, किसी अवयस्क बच्ची की तरह. कचौरी जैसी फूली हुई उसकी चूत बहुत ही मोहक लग रही थी, चूत के उपरी भगोष्ठ आपस में चिपके हुए थे और उसकी दरार एक पतली रेखा की तरह थी जैसे किसी ने ब्लेड से चीरा लगा दिया हो!
उसकी चूत से रस के स्राव के कारण पूरा तिकोना भीगा भीगा सा था।

मैं उस पर झुक गया और उसके भगोष्ठ चाटने लगा, उसके रस का हल्का नमकीन स्वाद भा गया मुझे! यह स्वाद जूही की चूत के स्वाद से भिन्न था और बेहतर भी!
कुछ देर चूत ऊपर से चाटने का आनन्द लेने के बाद मैंने उसकी चूत धीरे से अपने दोनों हाथों से खोल दी।
चूत के भीतर जैसे तरबूज के जैसा लाल रसीला गूदा भरा हुआ था जिसे मैं बरबस ही चाटने लगा।

अदिति अब बिस्तर पर अपनी एड़ियाँ रगड़ रही थी और बार बार अपनी कमर उचका कर अपनी चूत मेरे मुंह में ठेल दे रही थी।
‘…भैया करो न अब!’ अदिति इतनी देर के फोरप्ले के बाद मुझसे बोली।कर तो रहा हूँ अदिति … चाट रहा हूँ न… बस अभी तुम्हें पूरा मज़ा मिल जायेगा।’ मैंने कहा।
मेरा जवाब सुनकर उसने अपनी चूत जोर से मेरे मुंह पर दे मारी जैसे उसे मेरा जवाब पसन्द न आया हो।

अदिति सेक्सी बिल्ली है इसलिये मैं उसे पूरा कामोत्तेजित करके इस मुकाम तक लाना चाहता था कि वो अपना नारी सुलभ शील, संकोच, लज्जा, शर्म, हया सब तज कर एक चुदासी नवयौवना की तरह लण्ड लेने के लिए मचल जाये।

यही सोचकर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के सबसे संवेदनशील जगह उस नन्ही सी कलिका पर रख दी जिसे भगांकुर कहते हैं।
ऐसा करते ही मानो उसके बदन में भूचाल आ गया…
‘… अब आ भी जाओ… मेरे हो जाओ… आह आः हः… पूरे समा जाओ मुझमें!’अदिति बड़े कामुक स्वर में बोली।
‘हां…बेबी, मेरी जीभ समाई हुई है न… बस अभी तू झड़ जायेगी।’ मैंने कहा और उसका लहसुन अपने होठों से दबा के चूसने लगा।

‘ओ नो… ऐसे नहीं… फक मी नाऊ…’ वो बोली और मेरे सिर के बाल खींचने लगी।
‘या बेबी… एम फकिंग यू ना…’ मैंने शरारत से कहा।
फिर वो एकदम से उठ कर बैठ गई और मुझसे लिपट कर मेरा लण्ड पकड़ लिया- I urgently need this tool inside me… अब जल्दी से इसे मेरी में घुसा दो!
वो सिसकार के बोली।

‘अदिति यह बहुत बड़ा है तुम्हारे हिसाब से… अभी तुम झेल नहीं सकोगी इसे… you are too young for that!’ मैंने उसे समझाते हुए कहा।
‘उफ्फ्फ… thats none of your business, … I can and will handle yours… you just fuck me right now pls… I beg your cock inside my cunt!’ वो थोड़ा झुंझला कर लगभग दांत पीसती हुई सी बोली।
‘बेबी, फट जायेगी तुम्हारी चूत… अभी भी समय है, एक बार फिर से सोच लो।’ मैंने उसे और सताया।
‘अरे तो फट जाने दो ना… आपको उससे क्या, मैं जब खुद कह रही हूँ तो?’ इस बार वो रोने के से अंदाज़ में बोली।


‘अच्छा ठीक है… मुझे क्या, लो लण्ड को मुंह में ले के अच्छे से गीला करो इसे चूस चूस के!’ मैंने कहा।
तो अदिति ने झट से लण्ड मुंह में भर लिया और पूरी तन्मयता के साथ जल्दी जल्दी चूसते हुए लण्ड को अपनी लार से गीला करने लगी, फिर जल्दी से बाहर निकाल दिया- लो भैया … अब फुर्ती से आ जाओ मुझमें!
उसने कहा और प्यासी निगाहों से मुझे आमंत्रित किया।

फिर मैंने उसके घुटने ऊपर की तरफ मोड़ दिए और एक तकिया उसकी कमर के नीचे रख दिया, अब उसकी चूत पूरी खिल कर मेरे सामने थी।
‘अपनी चूत खोलोअदिति !’ मैंने कहा।
उसने अपने दोनों हाथ अपनी चूत के ऊपर रखे और फिर अँगुलियों से अपनी चूत के भगोष्ठ खोल दिए। ऐसा करने के साथ ही उसका चेहरा लाज से लाल पड़ गया और उसने अपनी आँखें मूँद कर मुंह दूसरी तरफ कर लिया।

मैंने झुक कर उसकी खुली हुई चूत के भीतर चाटा और अच्छे से गीला कर दिया और फिर अपना सुपारा उसके छेद में दबा कर फंसा दिया और धक्का देने की पोजीशन में बैठ गया।


जब कोई लड़की अपनी चूत अपने हाथों से खोल कर इस तरह से लेटकर चोदने का न्यौता देती है तब यह उसके समर्पण की पराकाष्ठा होती है, अपनी लाज शर्म त्याग कर ही वो ऐसा कर पाती है…. किसी कामलोलुप नारी के निर्लज्ज होने की सीमा है ये, इसके आगे कोई लड़की और कर भी क्या सकती है?

‘अदिति , you ready?’ मैंने पूछा।
‘हाँ भैया !’ वो बोली।

अदिति अपनी टाँगें ऊपर उठाये हुए अपने हाथों से अपनी चूत के पट पूरी तरह खोले हुए मेरे लण्ड के इंतजार में थी।

‘hold it अदिति … here I come!’ मैंने कहा।
और लण्ड को पूरी ताकत से उसकी चूत में भोंक दिया, मेरा सुपाड़ा उसकी चूत के कसाव को ढीला करता हुआ गहराई तक धंस गया और मेरी झांटें उसकी चूत से जा टकराईं।

‘आह.. ऊई मम्मी… हाय राम.. क्या करूं… भाभी… लगता है चीर दी मेरी तुम्हारे भाई ने!’ वो तड़प कर बोली और मुझे अपने पैरों से दूर धकेलने लगी।
लेकिन मैंने उसकी दोनों टाँगें कस कर पकड़ के अपनी तरफ खींच लिए जिससे उसकी चूत अच्छे से मेरे लण्ड के निशाने पर आ गई।
मैंने अपने लण्ड को जरा सा पीछे लिया और फिर से एक पॉवरफुल शॉट दे मारा, इस बार रही सही कसर भी पूरी हो गई और मेरा लण्ड उसकी चूत में जाम हो गया।भैया छोड़ दो मुझे… निकाल लो अपना… मुझे माफ़ करो. मैं नहीं सह पाऊँगी।’अदिति दर्द से बिलखते हुए बोली।
‘I warned you baby to keep your cunt off my cock… didn’t I? समझाया था न तुझे?’ मैंने उसे याद दिलाया।
‘हाँ, मेरी गलती, पर अब क्या करूं… आपका ये सहन ही नहीं कर पा रही मैं… बहुत हिम्मत जुटा रहीं हूँ फिर भी… अआः मेरा लण्ड बांस के लट्ठ की तरह अदिति की चूत में गड़ा हुआ था जिसके झड़ने की अभी दूर दूर तक सम्भावना नहीं थी।
मुझे अदिति को हो रहे दर्द की भी फ़िक्र थी इसलिये मैंने अपने लण्ड को एक झटके में बाहर खींच लिया।

जैसे ही उसकी चूत से वेक्यूम रिलीज हुआ तो ‘पक्क’ जैसी आवाजअदिति की चूत से निकल गई जैसे कोल्ड ड्रिंक का ढक्कन ओपन करने से आती है।
फिर वो तुरंत अपनी टांगों को सिकोड़ कर औंधी लेट गई एवं गहरी गहरी साँसें भरने लगी और उसके मुंह से राहत भरी कराहें आने लगीं जैसे लण्ड बाहर निकल जाने से उसे भारी राहत मिल गई हो।

मैं अब उसके ऊपर लेट गया और यहाँ वहाँ चूमते हुए दुलारने पुचकारने लगा।
आखिर अभी बेचारी की उमर ही क्या थी! वो ठीक है कि अपनी चूत की सनसनी से परेशान होकर उसमें ऊँगली या पेन पेन्सिल घुसेड़ कर तृप्त हो लेती थी परन्तु वो ऐसी कोई खेली खाई लड़की भी नहीं थी जो पहले से चुदाई करवाती रही हो।

लड़की जब खुद अपनी मर्जी से अपनी चूत में कोई चीज घुसाती है और मूव करती है तो उस पर उसका खुद का कंट्रोल होता है… कितना घुसाना है, किस पॉइंट पर कितना प्रेस करना है, किस एंगल से मूव करना है… ये सब वो अपने हिसाब से मैनेज कर लेती है। लेकिन जब कोई आदमी लण्ड उसकी चूत में पेलता है तो लड़की को सिर्फ अनुभव करना होता है लण्ड के मूवमेंट पर उसका कोई बस नहीं रहता… चोदने वाला जैसे चाहे अपने लण्ड को ड्राइव करे, यह कमान उसी के हाथ रहती है।

मैंने तीन चार मिनट अदिति को आराम दिया, उस दौरान मैं उसके नितम्ब चूमता रहा, उन्हें काटता रहा, उसकी पीठ सहलाते हुए उसकी गर्दन पर चुम्बन करता रहा और नीचे हाथ डाल कर उसके मम्मे मुट्ठी में भर के जोर जोर से दबाता मसलता रहा।

अब वो धीरे धीरे आहें कराहें भरने लगी थी और बार बार अपने नितम्ब ऊपर की तरफ उठा लेती। मैंने अपना लण्ड उसकी जांघों के बीच फंसा दिया और धीरे धीरे उसे भीतर बाहर करने लगा।
वत्सला को शायद ये अच्छा लगा और उसने अपनी टाँगें और चौड़ी कर लीं जिससे मुझे और थोड़ा ज्यादा रूम मिल गया, अब मेरा लण्ड उसकी चूत पर घिस रहा था।

मैंने अपना सुपारा दो तीन बार अदिति की चूत से घिस कर उसकी चिकनाई से चिकना किया और छेद पर लगा कर धकेल दिया भीतर और आहिस्ता आहिस्ता चोदने लगा उसे… साथ ही उसके कूल्हों पर थपेड़े लगाते हुए उसे चोदने लगा।
मेरे चांटों से उसके गोरे गुलाबी चूतड़ों पर लाल लाल निशान पड़ गए।

वो चुपचाप शांत लेटी हुई कुनमुना रही थी; शायद अब वो अपनी चूत चुदाई का मज़ा उठाने लगी थी। मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी उसने भी अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड को जवाब देना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि अब यह मस्ता गई है और इसे हचक के चोदना चाहिये।
यही सोच कर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया।

‘क्या हुआ …करो न?’ उसने अपनी गर्दन मोड़ कर मुझे देखा और बोली।
‘अब दर्द तो नहीं है न तेरी चूत में?’
‘हो रहा अब भी .. लेकिन होने दो, आप तो आ जाओ फिर से!’
‘ठीक है तो फिर अब तू घोड़ी बन जा… ऐसे में ठीक से नहीं जा रहा पूरा!’ मैंने उसे कहा।

तब अदिति झट से उठ कर अपनें हाथों और घुटनों के बल खड़ी हो गई, मैंने सटाक से लण्ड को फिर से उसकी चूत में पेल दिया और नीचे हाथ डाल कर उसके सख्त मम्मे थाम लिए और उसकी चूत मारने लगा।
वो भी अपनी गांड को पीछे धकेल धकेल के जवाब देने लगी इस बार लण्ड ठीक से सटासट हो रहा था उसकी चूत में… जैसे जैसे मैं स्पीड बढ़ाता, अदिति भी ताल में ताल मिलाती हुई अपनी कमर को पीछे आगे करने लगी।


‘भैया … you fucking me so nice… fuck me harder now!’ वो बोली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को मेरे लण्ड पर मारने लगी।
मैंने अब उसके सिर के बाल चोटी की तरह लपेट कर जोर से खींच लिए जिससे उसका मुंह ऊपर उठ गया और अपने बायें हाथ में उसकी चोटी लपेट कर दायें हाथ से उसकी पीठ और कूल्हों पर चांटे मारता हुआ उसे बेरहमी से चोदने लगा।

वो भी अपनी गांड को ऊपर नीचे कभी आगे पीछे करती हुई अपनी चुदाई को एन्जॉय कर रही थी, अदिति का असली रंग अब सामने आने लगा था…
‘हां … ऐसे ही.. चीर फाड़ डालो इसे… बहुत सताती है ये मुझे!’ओ...... आह....... मादरचोद....... जम के चोद...... उफ.......... आज फाड़ दे मेरी चूत. वो दांत पीसती हुई बोली।

उसकी चूत अब बहुत गीली होकर फच फच आवाजें करने लगी थी और वो अपने मुंह से ‘हूँ हूँ’ की आवाज करते हुए पूरी दम से मेरा साथ निभाये जा रही थी।
मैं समझ गया कि अब यह यौवना झड़ कर ही दम लेगी, इसलिये मैंने धक्के लगाना बंद कर दिया लेकिन वो अपनी ही धुन में आगे पीछे होती हुई मेरा लण्ड निगलती उगलती रही।

मैं मन्त्रमुग्ध सा उसके गोल मटोल कूल्हों की चाल देख रहा था, वो अपनी कमर चलाये चली जा रही थी; जैसे ही वो आगे को होती मेरा लण्ड बाहर निकल आता जैसे ही वो पीछे को आती तो गप्प से लण्ड को निगल जाती।
मैं थोड़ा सा और पीछे को हो गया जिससे बार बार मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल जाता तो उसने झुंझला कर अपना हाथ पीछे ला कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया और फिर से कमर चलाने, चूतड़ मटकाने लगी।

इस बार वो पूरा खयाल रख रही थी कि लण्ड बाहर न निकलने पाये और वो परफेक्टली इस तरह आगे पीछे होने लगी कि लण्ड सुपारे की टिप तक बाहर निकले और फिर से वापिस घुस जाये।

मैं समझ रहा था कि अब अदिति जल्दी ही झड़ जायेगी और मैं इस पारी को थोड़ा और लम्बा खींचना चाहता था इसलिये मैं उससे अलग हट गया और वहीं लेट गया।

अदिति ने मुझे गुस्से से देखा जैसे उसे मेरा अलग हटना पसन्द न आया हो, वो तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गई और लण्ड को अपनी चूत के छेद पर फिट करके एक ही बार में पूरा घुसा ले गई और दनादन ऊपर नीचे होने लगी।
मैंने भी उसके सख्त उरोज पकड़ लिए और उसके चूचकों को मसलने लगा।

अब उसने मिसमिसा कर अपनी चूत मेरी झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी, उसकी आँखों में अजब सी वासना की चमक थी और वो बार बार अपने नाख़ून मेरे सीने में गड़ा देती और फिर से मिसमिसा कर अपनी चूत मेरी झांटो पर रगड़ना शुरू कर दिया और उत्तेजना से कामुक आवाजें मुंह से निकालने लगी,
अब पूरा कंट्रोल उसके हाथ में था और वो मेरे लण्ड को अपने हिसाब से ले रही थी।
मैं तो बस इस स्थिति को एन्जॉय कर रहा था कि एक ताजा ताजा जवान हुई छोरी मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी कामाग्नि को शान्त करने का जी तोड़ प्रयास कर रही थी और झड़ने के लिए बेचैन उसकी चूत मेरे लण्ड से लोहा लेते हुए कड़ा संघर्ष कर रही थी।


अदिति अभी भी ताबड़ तोड़ झटके लगाए जा रही थी मेरे ऊपर चढ़ी हुई… लेकिन मैं अब उसके ऊपर चढ़ कर उसे अपने हिसाब से चोदना चाहता था तो मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और लिटा के उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और उसके दोनों दूध कस के दबोच लिए और एक बार में ही लण्ड को उसकी चूत में भोंक दिया।

चूत गीली रसीली होने के कारण लण्ड बिना किसी बाधा के घुसा और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया…
‘आह आः हां… ऐसे ही… I loved this shot… भैया !’ वो बोली और अपनी कमर उचका कर मेरा स्वागत किया।
मैं उसके मम्मे दबोचे हुए बार बार वैसे ही शॉट्स लगाने लगा, मेरे हर धक्के पर उसके मुंह से आनंदभरी किलकारी निकलती और वो प्रत्युत्तर देने के लिए अपनी कमर उठाती लेकिन उसकी टाँगें मेरे कंधों पर होने से उसका दांव ठीक से नहीं चल पा रहा था।

मैंने उसकी चिंता किये बगैर अपने हिसाब से उसे चोदने लगा, लण्ड को आड़ा तिरछा सीधा या नीचे की तरफ करके उसकी चूत को कुचलने लगा; ऐसा करने से उसका बदन ऐंठने लगा और वो मुझे अपने ऊपर खींचने लगी लेकिन मैं उसके ऊपर नहीं झुका और धक्के लगाता रहा।

‘और तेज तेज धक्के मारो मुझे… गाली दे के चोदो मुझे… जैसे मेरी भाभी चुदवाती है भैया से!’ वो अपनी कमर उछालते हुए तड़प कर बोली।
‘तुम्हारी भाभी को गाली सुनते हुए चुदवाना पसन्द है… कौन सी गाली देते हैं तुम्हारे भैया ?’ मैंने धक्के लगाते हुए पूछा।में उसकी भाभी यानि मेरी बहन नेहा के बारे में ये सब पूंछ रहा था
‘कोई सी भी गन्दी गाली… भाभी को बहुत जोश चढ़ता है गाली से!’ वो बोली।मेने कहा कोनसी गाली देते हे वो बोली ज्यादातर बहन की लौड़ी..... हरामजादी,रंडी,मेने कहा अब तू नेहा बनजा और मुझे वैसी ही गालिया दे जैसे वो तुम्हारे भाई को देती हे ,मेने ‘तो ये ले हरामजादी तेरी भाभी को भी चोदूँगा ऐसे ही… साली पहली चुदाई में ही छिनाल बन गई तू तो!’ मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर से भौंक दिया उसकी चूत में!

‘तो ये ले साली…कुतिया…तेरी भाभी की चूत मारूं… खा मेरा लण्ड अपनीचूत में!’ मैं ताबड़तोड़ धक्के लगाते हुए बोला।
‘हां… फाड़ डाल मेरी हरामन चूत को बना दे इसका भोसड़ा.. अब तेरी रण्डी हूँ मैं आज से जब चाहे चोद लेना मुझे!उफ..... हां......हां...... चोदो मुझे........उफ....हाय फाड़ दो अपनी बहन की ननद की चूत........ ओह........ हा......मादरचोद......हरामी..... और जोर से........ इ्र्र......ई............ ओह’ वो मिसमिसा कर बोली। मेने कहासाली! एक दम रंडी की तरह मचल रही है कुतीया। सब्र रख अभी तेरी चूत फाड़ूंगा बहन की लौड़ी..... हरामजादी..... चोद रहा हू न तुझे रंडी की तरंह........ कुतीया साली...... हाय........... मैं आने को हूँ रांड........ झड़ने वाला हूँ..... उफ.


‘हां… ऐसे ही. आह आः अः… fuck me baby… u drilling me so nice; am loving ur shots baby… gimme more… yaaaa fuck me like a whore uncle… मुझे रण्डी की तरह बेरहमी से चोद डालो… फाड़ डालो इस चूत को आज… yaa… aaa… I will be ur keep from now on… all my life. good job baby… am cumming now…मुझे पूरा चाहिये… बेरहमी से चोद … मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे… चीर दे मेरी चूत को, इसका भोंसड़ा बना दे
दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे… भर दे मेरी चूत, भर दे… भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से … बहुत अच्छा लग रहा है अब तो… मेरा होने वाला है.. पकड़ लो मुझे जोर से… यायाआय्या.. उई भाभी ’ अदिति ऐसे ही हिस्टीरिया के मरीज की तरह बोलती चली जा रही थी।

और फिर
‘ हटो जल्दी से… अब मेरा पानी निकल रहा बड़े जोर से!’ वो बड़ी व्यग्रता से बोली।
मैंने तुरंत अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. मेरे लण्ड निकालते ही उसकी चूत से रस का सोता सा फूट पड़ा, उसकी छूट इतनी तेज हुई जैसे फव्वारा चल पड़ा हो या जैसे किसी पाइप लाइन से पानी उछल उछल के लीक होता है।

उसी क्षण मैंने उसकी चूत के होंठ अपने हाथों से खोल दिए और देखा की वो रस की फुहार चुदाई करने वाले छेद से ही निकल कर करीब तीन इंच ऊपर तक उछल रही थी. मैंने अपने लण्ड को उन फुहारों में नहला लिया.
वाह… ऐसा आनन्द का नज़ारा मैंने पहले कभी नहीं किया था।

लगभग एक मिनट तक अदिति यूं ही झड़ती रही और मैं उसकी छूट में अपना लण्ड भिगोता रहा।
जैसे ही उसका झरना बहना बंद हुआ, मैंने लण्ड को वापिस उसकी बुर में पेल दिया और फुर्ती से उसे चोदने लगा क्योंकि अब मैं भी झड़ जाना चाहता था।

अदिति भी जल्दी ही फिर से तैश में आ गई और मेरे धक्कों से ताल में ताल मिलाती हुई किसी अनुभवी चुदक्कड़ लड़की की तरह अपनी कमर उठा उठा कर मेरी आँखों में आँखें डाल कर अपनी चूत मुझे देने लगी; मैं भी पूरी तन्मयता और मनोयोग से उसकी लेता रहा।

जल्दी ही वो अपने पूरे शवाब पे आ गई और उसकी चूत मेरे लण्ड से भरपूर लोहा लेने लगी, कुछ देर उछलने के बाद फिर वो मुझसे आक्टोपस की तरह लिपट गई और अपने दांत मेरे कंधे में गड़ा दिए, मैं भी उसके साथ ही झड़ने लगा, मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारियाँ छूट छूट कर उसकी चूत में समाने लगीं, उसकी चूत की मांसपेशियाँ भी संकुचित हो हो कर मेरे लण्ड से रस की एक एक बूँद निचोड़ने लगी।मैं तो जैसे जीते जी जन्नत में जा पहुँचा और उसने अपने टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं।

हम दोनों पसीने पसीने होकर हांफ रहे थे; जल्दी ही उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और उसकी चूत संकुचित हो गई जिससे मेरा लण्ड बाहर निकल गया और उसकी चूत से मेरा वीर्य बह निकला।
 
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The things you own, end up owning you
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मै शादीशुदा हूँ, उम्र 34 साल हे , पत्नी जूही 32 भी भरपूर सुख देती है। मेरी एक छोटी बहन नेहा हे हे जो मुझसे आयु में 4 साल छोटी हे शादी भी हो चुकी हे उसके परिवार में पति नितिन के आलावा छोटी ननद अदिति हे जो 12वी क्लास में पढ़ती हे
मेरी और नेहा की शादी से पहले हम दोनों भाई बहन में अच्छी बनती थी हम दोनों में मजाक भी , भी खूब होता था ,बड़े भाई होने के बाद भी नेहा की जवानी को ताड़ता रहता था नेहा बेहद खूबसूरत और आकर्षक फिगर की मालकिन थी ,वो हमेशा ही पतली दुबली रही, उसकी चुँचियाँ भी छोटी छोटी थीं, लेकिन एक बार जब उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उसकी गाँड़ पर गजब का उभार आ गया, उसकी टाँगें लम्बी और सुडौल हो गयीं
में अक्सर उसके बूब्स और चूतड़ों को ताड़ता रहता था ,उसकी पेंटी को देख देख मूठ भी मारता , रहता था। कभी खुशी से जब वो मेरे गले लगती और उसके बूब्स मेरे सीने से टकराते तो मेरा लोडा तन जाता
इंसान की फितरत होती है कि उसे जितना भी मिलता है थोड़ा ही लगता है और सेक्स के मामले में तो मर्दों की भूख कभी भी शांत नहीं होती है।

मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ, अच्छी ख़ासी सुंदर बीवी के होते हुये भी मैंने इधर उधर बहुत मुँह मारने की कोशिश की लेकिन मुझे कभी सफलता नहीं मिली ।

वैसे तो मैं अपने रिश्तेदारों के घर बहुत ही कम जाता हूँ, क्योंकि वहाँ जाकर मुझे अपनी ही रिश्तेदारी में नई नई चूतें, अलग साइज़ की गाँड और बोबे दिखते हैं तो मेरा लंड मचलने लगता है।

मगर पिछले दिनों मेरी बहन नेहा घर आयी तो उसके साथ उसकी ननद अदिति भी थी ,नितिन 10 -12 दिन के लिए बाहर गये हुए थे तो नेहा अपनी ननद को लेकर हमारे घर चली आयी

कोई 18 साल की पतली दुबली सी लड़की, साधारण सा चेहरा मोहरा, कद मुश्किल से 5 फीट 1 या 2 इंच। उसने काले रंग की टाईट टी शर्ट और नीचे से जीन्स की मिनी स्कर्ट पहन रखी थी।
और मिडल क्लास फ़ैमिली की लड़की अब मिनी स्कर्ट में अपनी टाँगें तो दिखा नहीं सकती तो टाँगों को ढकने के लिए उसने स्कर्ट के नीचे से एक काली स्लेक्स पहन रखी थी।

अब अपनी तरफ से तो उसने सब ढक कर अपना मिनी स्कर्ट पहनने का शौक पूरा किया था, मगर मेरे जैसे बंदे ने तो इसी में बहुत कुछ देख लिया।
स्किन टाईट स्लेक्स होने के कारण मुझे पता चल गया कि उसकी टाँगें और जांघें कितनी मोटी हैं।
टाईट टी शर्ट ने बता दिया के उसका पेट कितना सपाट है और बूब्स का साइज़ क्या है।

और जब मुझे नमस्ते कह कर वो वापिस गई, तो उसकी मस्तानी चाल ने उसके चूतड़ों का साइज़ और मटक दिखा दी। जब वो जा रही थी तो मैंयही सोच रहा था कि अगर इसके स्कर्ट के नीचे ये काली स्लेक्स न पहनी होती तो इसकी नंगी टाँगें कितनी खूबसूरत लगती, और अगर स्कर्ट ही न पहनी होती काली स्लेक्स में से इसके छोटे छोटे चूतड़, हिलते हुये मटकते हुये कितने प्यारे लगते।

खैर मैंने उसे देखा भी बहुत अरसे बाद था, शायद 5-6 साल बाद। इस दौरान वो ज़्यादा लंबी या तगड़ी तो नहीं हुई, मगर उसके कूल्हों और बूब्स का साइज़ ज़रूर बढ़ गया था। मगर लगती अब भी वो छोटी सी ही थी, क्योंकि दुबला जिस्म और छोटा कद उसको छोटा ही दिखा रहा था।

मैं भी सोच रहा था, कॉलेज में पढ़ती है, बॉय फ्रेंड होगा इसका या नहीं? अगर होगा तो इसने कुछ किया होगा या नहीं? चुदी हुई तो नहीं लगती है, पहली बार लगा अगर मुझसे चुद जाए तो मज़ा आ जाए ज़िंदगी का।
मगर यह तो संभव नहीं था, वो अपनी उम्र का लड़का छोड़ कर मुझ जैसे से क्यों चुदने आएगी भला।

मगर इन दिनों मैंने उसके जो कपड़े पहने देखे, कभी जीन्स-टी शर्ट, कभी कोई कैप्री या बरमूडा, जिसमें से मैंने उसकी घुटने से नीचे की नंगी टाँगें देखी, टाँगें भी पूरी तरह से वेक्स की हुई थी।
इसी से मैंने अंदाज़ा लगाया कि अगर इसने टाँगें वेक्स करी हैं तो बगल और चूत के बाल भी ज़रूर साफ किए होंगे।
बल्कि एक दिन वो बड़ी ढीली स्लीवलेस टी शर्ट पहन कर अपने कपड़े प्रैस कर रही थी, तो मैंने चोरी से देखा, के उसकी बगलों में एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल चिकनी बाहें और साफ बगलें।
यही नहीं, टी शर्ट के गले के अंदर से मैंने पहली बार उसके आज़ाद झूलते बूब्स भी देखे, बूब्स बढ़िया थे कुतिया के…एक दिन वो सोफ़े पर सो रही थी, उसकी चादर नीचे गिरी हुई थी,
उसकी फ़्रॉक ऊपर चढ़ गयी थी, उसकी जवान जाँघें पूरी नंगी हो रही थी, और पैंटी उसके गोल गोल चूतरों को छुपाने में असफल थी।
में एकटक उसे देखता रहा, फिर उसकी आँखें उसके गोल अर्ध विकसित छातियों पर पड़ी,
जो फ़्रॉक में फँसी हुए थे, और छोटी सी घुंडियों को भी देख रहा था।
मेरा लंड लोअर मेंतन गया ।

मैंने सोचा कि अगर मैं उसे चोद नहीं सकता तो नंगी तो देखना ही देखना है।

इसी विचार के चलते मैंने अपने घर के दोनों बाथरूम के दरवाजों में जो कुंडियाँ लगी थी, उनमें इस हिसाब से सुराख कर दिये कि देखने को लगे के ये पेंच कसने के लिए सुराख किया होगा, बस पेच लगाना रह गया।



मेने कोशिश की अदिति जब भी बाथरूम जाये तो में उसे नंगा नहाते देखु परन्तु 2 दिन सफलता नहीं मिली एक दिन जब में मॉर्निंग वाक करके आया तो रूम के बाथरूम से किसी के नहाते हुए गुनगुनाने की आवाज आयी ,में बाहर आया तो मेने जूही और नेहा को बात करते देखा में समझ में समझ गया अंदर अदिति हे मेने रूम को बंद किया और मैं चुपके से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और मैंने सुराख से अपनी आँख लगा कर अंदर देखा।

शायद अदिति सुराख से दूर थी, नहीं दिखी।
मैं थोड़ी देर और आहट लेकर देखता रहा।
करीब 2 मिनट बाद अदिति सामने आई, मगर उसकी पीठ मेरी तरफ थी, गोरी पीठ पानी से भीगी हुई। पीठ के नीचे दो गोल एकदम गोल चूतड़।

सच में कुँवारे बदन के नज़ारे ने तो मेरे तन बदन में आग लगा दी, मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मन ही मन बुदबुदाया- अदिति मेरी जान, पीठ नहीं, पीठ नहीं, मुझे तेरे बोबे और तेरी चूत देखनी है, इधर को घूम मेरी जान, और अपने कुँवारे बदन का जलवा दिखा।
मगर वो तब नहीं घूमी।

जब उसने अपनी टाँगों पर तौलिया फेरा तब उसने मेरी तरफ घूम कर अपनी एक टांग बाल्टी पे रखी और अपनी टाँगों का पानी सुखाया।

‘उफ़्फ़…’ क्या गजब का नज़ारा था।
जितने उसके कपड़ों के ऊपर से दिखते थे, उसके बोबे तो उससे भी बड़े थे, गोल और खड़े, छोटे छोटे भूरे रंग के निप्पल।
नीचे सपाट पतला से पेट, कटावदार कमर, और कमर के नीचे बिल्कुल साफ, हल्के से बालों वाली छोटी सी चूत, जिसे मैं सारी उम्र चाट सकता था।
छोटी सी चूत की छोटी सी दरार, मगर बहुत ही चिकनी मगर दो मांसल जांघें।

सच उसकी जांघों को मैंने चाट चाट कर अपने थूक से भिगो देता।

और वो थी भी कितनी दूर मुझसे सिर्फ 6 से 7 फीट, मगर बीच में एक बंद दरवाजा, जो शायद मेरे लिए तो कभी नहीं खुले।
इतना सुंदर, कोमल और नाज़ुक जिस्म मैंने आज तक नहीं देखा था।
निकर के अंदर ही मैं अपने लंड को सहलाने लगा।

अपने बदन को पोंछने के बाद उसने ब्रा पहनी गोल, कोमल, नाज़ुक स्तनों को उसने सफ़ेद रंग की ब्रा में छुपा दिया, फिर नीचे एक नीले रंग की कच्छी पहनी, उसके बाद एक ढीली सी टी शर्ट और लोअर पहना।
उसके बाहर आने से पहले ही मैं, उठा और आ कर अपने कमरे में बैठ कर लैपटाप पे कुछ काम करने लगा।

थोड़ी देर में अदिति बाहर निकली उसने मुझे देखा तो चौंक गयी
हैरत से मुझे देखते हुए वो चली गई।
मैं उसे जाते देखता रहा, मगर मुझे तो वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा और नीली कच्छी में अपने चूतड़ मटकती चली जाती दिख रही थी।

तभी दिमाग में कुछ आया और मैं झट से बाथरूम में घुस गया।
मैंने देखा कि बाथरूम में अदिति के कपड़े टंगे हुये थे।, मैंने दरवाजा अच्छी तरह से बंद किया और उसके कपड़े अपने हाथों में लिए, उसकी ब्रा के कप मैंने अंदर से चाट गया ‘उफ़्फ़…’ इस जगह पर अदिति के नाज़ुक नाज़ुक बूब्स लगते होंगे, यहाँ पे उसके छोटे छोटे निपल घिसते होंगे।

फिर पेंटी उठाई, उसको सूंघा, उसमें से शायद पेशाब की हल्की सी बू आई ‘आह, यह अदिति की कुँवारी चूत से लगती होगी, यह जब वो पेशाब करके उठती होगी तो उसकी चूत में से टपकने वाली आखरी बूंदें इस चड्डी में लगती होंगी!’
और मैं उसकी उसकी चड्डी को भी सूंघते सूंघते चाट गया।

जहाँ पर उसकी छोटी छोटी चूतड़ियाँ लगती होंगी उस जगह से भी चड्डी चाटी।
मगर फिर भी मेरा मन नहीं भरा तो मैंने अपना लोअर नीचे किया और अपना लंड निकाल कर उसकी चड्डी और ब्रा पे घिसाया और यह फीलिंग लेने की कोशिश की कि मैं अदिति के बूब्स पे और चूत पे अपना लंड घिसा रहा रहा हूँ।

मगर मेरे पास वक़्त ज़्यादा नहीं था।जूही कभी भी आ सकती थी
उसके बाद मैं बाहर नाश्ता करने आ गया

अगले दिन सुबह अदिति जूही और नेहा के साथ बाज़ार चली गई, उन्हें मंदिर भी जाना था, मैं घर पर ही था।
उनके जाते ही मैं बाथरूम में गया, मगर बाथरूम में अदिति का कोई कपड़ा नहीं था। मैंने अदिति का बैग देखा, उसने अपने सब कपड़े उस में ही रखे थे।

मैंने बड़ी एहतियात से उसके कपड़ों की जांच की, साइड की एक जेब में मैंने उसके ब्रा पेंटी देखे, 3 ब्रा, दो सफ़ेद, एक पिंक।
पिंक ब्रा के स्ट्रप भी प्लास्टिक के थे।

मैंने उसके ब्रा और पेंटी निकाल के बेड पे रखे और खुद भी नंगा हो कर बेड पे लेट गया। कभी मैं अदिति की ब्रा को चूमता, कभी उसकी पेंटी को, कभी उसके ब्रा पेंटी को अपने लंड और आँड पे घिसता!

जब इस सब से भी मन नहीं भरा तो तो आखिर में ऐसे ही अदिति के ब्रा पेंटी को चूमते चाटते मैंने अपने हाथ से मुट्ठ मारी और अपने वीर्य की कुछ बूंदें मैंने अदिति की ब्रा पेंटी में लगा दी, ताकि जब वो ये ब्रा पेंटी पहने तो मेरा वीर्य उसकी चूत और बोबों पर लग जाए।
मगर अब मेरा मन इस सब से नहीं भर रहा था, मैं तो और चाहता था तो मैंने एक स्कीम बनाई और बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। हम सब एक अपने शहर के पास बड़े मंदिर को देखने गए, जहाँ बहुत चलना पड़ता था। चला चला के मैंने सब को थका दिया। शाम को जब घर वापिस आए तो सबकी हालत खस्ता थी।

खाना भी मैं बाहर से लाया, खाना खा कर हम सोने चले गए और सोने से पहले मैंने सब को एक एक गिलास गरम दूध पिलाया।
दूध में मैंने कुछ अपनी तरफ से मिला दिया था, एक तो थकावट और दूसरा मेरा बनाया मसालेदार दूध, पीने के थोड़ी देर बाद ही सब लुढ़क गए।

मगर मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा, करीब 12 बजे तक मैं टीवी देखता रहा, 12 बजे उठ कर मैं नेहा के बेडरूम में गया, जहाँ मेरी बहन और अदिति दोनों बेड पे सो रही थी।
नाईट लैम्प जल रहा था, मैं जाकर अदिति के पास बैठ गया, वो सीधी लेटी हुई थी, मैंने सबसे पहले उसे जी भर कर देखा, कितनी मासूम, कितनी प्यारी।


फिर मैंने उसके सिर पे हाथ फेरा और अपना हाथ उसके गाल तक लाया।
बहुत ही कोमल गाल था।

गाल से मैं अपना हाथ फिरता हुआ नीचे ले गया। गले से होते हुए, उसके बोबों तक पहुँचा, अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बोबे पकड़े और धीरे से दबा के देखे, वो वैसे ही सोती रही।
मैं दबाव बढ़ता गया।
जब मैंने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसके बोबे दबा दिये, या यूं कहो के निचोड़ ही डाले तब जाकर वो हिली।
मतलब वो बिल्कुल बेसुध पड़ी थी।

इसी तरह मैंने अपनी बहन के भी बोबे दबा कर उसे चेक किया, वो भी गहरे गोते लगा रही थी नींद में।

मैं उठ कर गया और दरवाजा अंदर से लॉक करके आया, फिर मैंने बड़ी लाईट जलाई, सारा कमरा रोशनी से भर गया।अब सबसे पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी बहन और अदिति के बीच जाकर लेट गया और अदिति की तरफ मुँह कर के लेटा। बिल्कुल अदिति के साथ सट कर, अपना लंड मैंने अदिति की कमर के साईड से लगा दिया। फिर सबसे पहले उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को चूमा।

‘जानती हो अदिति, जब भी मैं तुम्हें देखता हूँ, मेरे मन में बहुत ख्याल आता है, तुमसे प्यार करने का, तुम्हें चूमने का, तुम्हें चाटने का, सच कहूँ, तो तुमसे सेक्स करने का। तुम्हारा यह 18 साल का बदन मेरे तन मन में आग लगा देता है। मेरी जाने मन आज एक मौका मुझे मिला है, जिसमे मैंने तुम्हें प्यार तो कर सकता हूँ, पर चोद नहीं सकता।’
‘और आज मैं तुम्हारे इस सेक्सी बदन की हर गोलाई, हर गहराई और हर एक कटाव को देखूंगा और प्यार करूंगा, और तुमसे यह उम्मीद करता हूँ कि तुम इसी तरह शांत लेटी रह कर मेरा साथ दोगी, लव यू माई स्वीटहार्ट!’कह कर मैंने अदिति के होंठों को चूमा।

मगर उसके होंठ चूमना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा तो मैंने उसके ऊपर ही आ गया और थोड़ा थोड़ा करके अपना वज़न उस पर डाल दिया। जब मैं उसके ऊपर लेट गया तो लगा जैसे उसे थोड़ी दिक्कत हो रही है, सांस लेने में, मैं समझ गया कि मेरा वज़न ज़्यादा है, तो मैंने सिर्फ उसके ऊपर अपने बदन को रखा, मग अपना सारा वज़न मैंने अपनी घुटनों और कोहनियों पे ले लिया।

उसके नर्म नर्म बोबे मेरे सीने से लग रहे थे और मेरा तना हुआ कडक लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मैंने अदिति का मुँह सीधा किया और उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए, धीरे से उनको चूसा और अपनी जीभ से चाटा।
‘वाह, क्या मज़ा है, एक कुँवारी लड़की के साथ चुपके चुपके चूमा चाटी करने में!’ मैंने मन में सोचा।
अपनी जीभ मैंने उसके बंद होंठों में घुमाई और उसके मुँह के अंदर डालने की कोशिश की मगर उसका मुँह बंद था, मैं सिर्फ उसके दाँत और जबड़े ही चाट गया।

थोड़ी देर उसके मुँह, गाल, नाक, गले और और सारे चेहरे को मैंने बड़े प्यार से चूमा।
मैं उसे चूम चाट कर प्यार कर रहा था, उसकी हर एक अदा और बात को याद करके मैं उसे प्यार कर रहा था।

जब चेहरे से प्यार कर लिया तो मैंने उसके बोबों की तरफ मुँह किया, मैं थोड़ा नीचे को खिसका, मैंने देखा मेरा लंड पूरी अकड़ में था। मैंने उठ कर पहले अदिति की कमीज़ को ऊपर को उठाया। बेशक कमीज़ थोड़ी टाईट थी, मगर मैंने ऊपर उठा ही दी और गले तक उठा दी। नीचे उसने पिंक ब्रा पहना था, वही ब्रा जिसमें मैंने सुबह अपने वीर्य की कुछ बूंदें गिराई थी।
मैंने पहले उसकी ब्रा को ही हर तरफ से चूमा, चाटा, अपने हल्के हाथों से दबा कर देखा। वाह, कितने सॉफ्ट बोबे थे, बेहद मुलायम जैसे मखमल के बने हो।फिर मैंने मोबाइल में वीडियो कैमरा चालू करके एक जगह रख दिया ताकि साफ वीडियो बने।उसके बाद
दोनों बोबों को इकट्ठा करके मैंने अदिति का क्लीवेज बनाया और उसमें अपनी जीभ डाल के चाटा।
चाट चाट के मैंने उसके क्लीवेज को अपने थूक से गीला कर दिया।

फिर मैंने नीचे हाथ डाल के उसके ब्रा का हुक खोला, हुक खोल कर उसके ब्रा को हटाया।
‘अरे… वाह…’ कितने शानदार बोबे थे उसके, ज़्यादा बड़े तो नहीं थे मगर थे बिल्कुल गोल, कटोरों जैसे।
और निप्पल हल्के भूरे से गुलाबी से, मैंने उसकी छोटी छोटी डोडियाँ अपने मुँह में लेकर चूसी।बेहद हल्का नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में आया।
पता नहीं उसके बदन का नमक था या फिर मेरे ही वीर्य का… पर बड़ा मज़ेदार लगा।

उसके पूरे बूब्स को मैंने बड़ी अच्छी तरह से चाटा, जैसे एक भी सेंटीमीटर मेरी जीभ के चाटने से बच न जाए।

बोबे चाटने के बाद मैं नीचे पेट आ गया, पेट को चाटा, कमर के आस पास भी अपनी जीभ फिराई, तो अदिति कसमसाई, मतलब सोते हुये भी उसे गुदगुदी का एहसास हुआ था।
मैंने और देर न करते हुये, उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

नाड़ा खोल के मैंने उसकी सारी की सारी सलवार ही उतार दी और साइड ने रख दी। उसने पेंटी नहीं पहनी थी, तो सलवार के उतरते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई, छोटी सी चूत मेरे सामने थी, गोल चिकनी जांघों के बीच में रखी, मैंने उसके घुटनों से लेकर उसकी जांघों तक अपने हाथों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर उसकी चूत को चूमा।

उसकी चूत पे हल्के बाल थे, जैसे पिछले हफ्ते ही शेव की हो, और इतने छोटे बालों से मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी।
मैंने उसके घुटने मोड़े और उसकी टाँगें कमर से ऊपर को मोड़ दी और उसके पाँव मैंने अपने कंधों पे रख लिए।
मेरे लंड का टोपा उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।

मेरा दिल दिया अभी अपना लंड उसकी चूत में डाल दूँ। मगर यह मौका सही नहीं था, मैंने सिर्फ अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के होंठों पे घिसाया।
घिसाते घिसाते लंड का टोपा उसकी चूत के सुराख पे लगा, मैंने कहा- जानती हो अदिति, यह जो सुराख है न, इस सुराख में एक दिन तुम्हें मेरा यह लंड लेना है। आज सिर्फ अपनी चूत से मेरे इस लंड को चूम लो ताकि जब यह तुम्हारी चूत में घुसे तो तुम्हें दर्द न हो।

मेरा बहुत दिल कर रहा था लंड को उसकी चूत में डालने का मगर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था।
फिर मैंने कुछ और सोचा और नीचे झुक कर अपना मुँह अदिति की चूत से लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर और होंठों के अंदर से चाटी।
क्या मज़ेदार स्वाद था उसकी चूत का… और कितनी प्यारी सी गंध आ रही थी।

मैंने कितनी देर उसकी चूत चाटी, उसके बाद अपनी जीभ से उसकी गाँड और गाँड का छेद भी चाट कर देखा।
मेरी प्यास बढ़ती जा रही थी, मुझे अब किसी को चोदना था, मगर किस को चोदता।
मैंने अपना लंड अदिति के पूरे बदन पे फिराया, उसके पाँव की उँगलियों से लेकर उसके माथे तक मैंने उसके बदन का हर एक कोना चाट लिया, मगर मेरे मन की प्यास नहीं बुझ रही थी।

मैंने एक बार फिर से अपना लंड अदिति की चूत पे रखा और थोड़ा सा अंदर को धकेला, मगर वो अंदर नहीं जा रहा था।
‘हे भगवान, अब मैं क्या करूँ?’ मैंने सोचा।

मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। जब और कुछ नहीं सूझा तो मैंने अदिति की दोनों टाँगे जोड़ीं और ठीक उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रखा और ढेर सारा थूक लगा कर उसकी जांघों को ही धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। जांघों में लंड की पकड़ ठीक से बन और चूतका सा ही आभास होने लगा।

मैं बार थूक लगाता रहा और उसकी जांघों में ही चुदाई करता रहा। करीब 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गया, मेरा सारा वीर्य अदिति के पेट और कमर पर फैल गया।

पानी छुट गया तो मुझे भी तसल्ली हो गई।
फिर मैंने अपने ही कच्छे के साथ साथ अदिति का पेट और कमर वगैरह साफ की। उसके बाद उसे सलवार पहनाई, उसकी ब्रा का हुक लगाया, शर्ट नीचे के और उसे पहले की तरह ठीक ठाक किया।
उसके बाद अपने कमरे में जा कर लेट गया, थोड़ी देर में नींद आ गई, मैं सो गया।
Good start
 
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